हिन्दी, हिंदी (Hindi): Open Bible Stories Translation Questions

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01-01

संसार में सब कुछ कहां से आया?

परमेश्वर ने सब कुछ बनाया।

परमेश्वर को सब कुछ बनाने में कितना समय लगा?

उसने छह दिन का समय लिया।

01-02

पहले दिन बनाए गए दिन और रात के प्रति परमेश्वर की प्रतिक्रिया क्या थी?

उसने कहा कि वे अच्छे थे।

01-04

तीसरे दिन बनाए गए पृथ्वी और समुद्रों के प्रति परमेश्वर की प्रतिक्रिया क्या थी?

उसने कहा कि वे अच्छे थे।

01-05

तीसरे दिन बनाए गए पेड़ों और पौधों के प्रति परमेश्वर की प्रतिक्रिया क्या थी?

उसने कहा कि वे अच्छे थे।

01-06

चौथे दिन बनाए गए सूर्य, चंद्रमा और तारों के प्रति परमेश्वर की प्रतिक्रिया क्या थी?

उसने कहा कि वे अच्छे थे।

01-07

समुद्र की चीज़ों और पाँचवें दिन बनाए गए पक्षियों के प्रति परमेश्वर की प्रतिक्रिया क्या थी?

उसने कहा कि वे अच्छे थे।

01-08

छठे दिन बनाए गए ज़मीन के जानवरों के प्रति परमेश्वर की प्रतिक्रिया क्या थी?

उसने कहा कि वे अच्छे थे।

01-09

परमेश्वर ने मनुष्य को किस प्रकार पशुओं से भिन्न बनाया?

उसने मनुष्य को अपने स्वरूप और समानता में बनाया।

परमेश्वर ने क्या कहा कि मनुष्य की जिम्मेदारी होगी?

उनका पृथ्वी और पशुओं पर अधिकार होगा, और वे उनकी देखभाल करेंगे।

01-10

परमेश्वर ने पहले मनुष्य को कैसे बनाया?

परमेश्वर ने उसे मिट्टी से बनाया।

मनुष्य जिवित कैसे हुआ?

परमेश्वर ने उसमें प्राण फूंक दिए।

आदमी का नाम क्या था?

उसका नाम आदम था।

परमेश्वर ने आदम को कहाँ रखा?

उसने आदम को उस वाटिका में रखा जिसे परमेश्वर ने लगाया था।

01-11

किस विशेष पेड़ से आदम को खाने की अनुमति नहीं थी?

वह भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल नहीं खा सकता था।

क्या होगा यदि आदम भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाए?

वह मर जाएगा।

01-12

हर तरह के जानवर होते हुए आदम अकेला क्यों था?

जानवर आदम के लिए सहायक नहीं बन पा रहे थे।

01-13

परमेश्वर ने औरत को कैसे बनाया?

उसने उसे आदम की पसली से बनाया।

01-14

स्त्री नाम से आदम के लिए क्या अर्थ था?

इसका अर्थ था कि वह आदमी से बनी थी।

एक आदमी की पत्नी होने का उद्देश्य क्या है?

उन्हें एक होना है।

01-15

परमेश्वर ने अपनी सृष्टि के बारे में क्या कहा जब उसने इसे पूरा किया?

उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी थी।

01-16

परमेश्वर ने सातवें दिन क्या किया?

उसने अपना सब काम पूरा किया और सातवें दिन को आशीर्वाद दिया और पवित्र ठहराया।