हिन्दी, हिंदी (Hindi): translationQuestions

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John

John 1

John 1:1-2

आदि में क्या था?

आदि में वचन था।

वचन किसके साथ था?

वचन परमेश्वर के साथ था।

वचन क्या था?

वचन परमेश्वर था।

John 1:3

क्या वचन के बिना भी कुछ उत्पन्न हुआ है?

सब कुछ उसके द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न नहीं हुई है।

John 1:4-5

वचन में क्या था?

उसमें जीवन था।

John 1:6

परमेश्वर ने जिस मनुष्य को भेजा उसका नाम क्या था?

उसका नाम यूहन्ना था।

John 1:7-9

यूहन्ना किस उद्देश्य से आया था?

वह गवाही देने आया कि ज्योति की गवाही दे ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं।

John 1:10-12

क्या जगत ने उस ज्योति को पहचाना और ग्रहण किया था जिसकी गवाही देने यूहन्ना आया था?

यूहन्ना जिस ज्योति की गवाही देने आया था उसे जगत ने नहीं पहचाना और इस ज्योति को अपनों ही ने उसे नहीं पहचाना।

John 1:13

ज्योति ने अपने में विश्वास करने वालों के लिए क्या किया?

जितनों ने उसे ग्रहण किया उन्हें उसने परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया।

उसके नाम में विश्वास करने वाले परमेश्वर की सन्तान कैसे हो सकते हैं?

वे परमेश्वर से उत्पन्न होकर परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं।

John 1:14-15

क्या पिता परमेश्वर की ओर से आने वाले वचन के तुल्य कभी कोई हुआ है या कभी हुआ था?

नहीं, वचन ही एक अद्वैत व्यक्तित्व था जो पिता की ओर से आने वाले वचन के सदृश्य था।

John 1:16

हमने इस मनुष्य की परिपूर्णता से क्या प्राप्त किया, जिसकी गवाही यूहन्ना ने दी थी?

उसकी परिपूर्णता में से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात अनुग्रह पर अनुग्रह।

John 1:17

मसीह यीशु के द्वारा क्या आया है?

अनुग्रह और सत्य मसीह यीशु से आया।

John 1:18

क्या किसी ने कभी परमेश्वर को देखा है?

"किसी भी मनुष्य ने परमेश्वर को कभी नहीं देखा है।"

हम पर परमेश्वर को किसने प्रकट किया है?

एकलौते पुत्र ने जो पिता परमेश्वर की गोद में है, उसी ने उसे हम पर प्रकट किया है।

John 1:19-28

यरूशलेम से आने वाले याजकों एवं लेवियों को यूहन्ना ने क्या उत्तर दिया था?

उसने कहा, "जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा है, 'मैं जंगल में पुकारने वाले का शब्द हूँ कि तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो'"।

John 1:29-30

यीशु को आते देख यूहन्ना ने क्या कहा था?

उसने कहा, "देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है।"

John 1:31

यूहन्ना पानी का बपतिस्मा क्यों देता था?

वह जल से बपतिस्मा देता हुआ आया, कि जगत का पाप उठा ले जाने वाला परमेश्वर का मेम्ना, मसीह यीशु इस्राएल पर प्रकट हो जाए।

John 1:32-34

यीशु को परमेश्वर का पुत्र मानने का यूहन्ना के लिए क्या चिन्ह था?

यूहन्ना जिस पर आकाश से आत्मा को उतर कर ठहरते देखेगा, वही पवित्र आत्मा का बपतिस्मा देने वाले का चिन्ह होगा।

John 1:35-39

यीशु को यूहन्ना ने "परमेश्वर का मेम्ना" कहा तो यूहन्ना के दो शिष्यों ने क्या किया?

वे यीशु के पीछे हो लिए।

John 1:40

उन दोनों ने जिन्होंने यूहन्ना की गवाही सुनकर यीशु का अनुकरण किया, एक का नाम क्या था?

इन दोनों में से एक का नाम अन्द्रियास था।

John 1:41

अन्द्रियास ने अपने भाई शमौन को यीशु के बारे में क्या कहा था?

अन्द्रियास ने शमौन से कहा, "हमको ख्रीस्त, अर्थात मसीह मिल गया है"।

John 1:42-43

यीशु ने शमौन से क्या कहा कि वह कहलाएगा?

यीशु ने कहा शमौन कैफा (अर्थात पतरस कहलाएगा)।

John 1:44-48

अन्द्रियास और पतरस किस नगर के निवासी थे?

अन्द्रियास और पतरस बैतसैदा के निवासी थे।

John 1:49-50

नतनएल ने यीशु के बारे में क्या कहा था?

नतनएल ने कहा, "हे रब्बी, तू परमेश्वर का पुत्र है, तू इस्राएल का महाराजा है"।

John 1:51

यीशु ने नतनएल से क्या कहा कि वह देखेगा?

यीशु ने नतनएल से कहा, कि वह स्वर्ग को खुला हुआ और परमेश्वर के स्वर्गदूतों को मनुष्य के पुत्र के ऊपर उतरते और ऊपर जाते देखेगा।

John 2

John 2:1-4

गलील के काना नगर में विवाह के उत्सव में कौन था?

गलील के काना नगर में यीशु की माता और उसके शिष्य एक विवाह में आमंत्रित थे।

John 2:5-6

यीशु की माता ने उससे क्यों कहा कि दाखरस समाप्त हो गया है?

उसने यीशु को परिस्थिति से अवगत करवाया कि वह कुछ करे।

John 2:7-9

यीशु ने सेवकों को कौन से दो काम करने के लिए कहा था?

उसने कहा कि वे पानी के बर्तन पानी से भर दें, फिर उसने सेवकों से कहा कि वे उसमें से कुछ पानी लेकर भोज के प्रधान के पास ले जाए।

John 2:10

दाखरस में बदले जल को चख कर भोज के प्रधान ने क्या कहा?

भोज के प्रधान ने कहा, "हर एक मनुष्य पहले अच्छा दाखरस देता है, और जब लोग पीकर छक जाते है, तब मध्यम देता है; परन्तु तूने अच्छा दाखरस अब तक रख छोड़ा है"।

John 2:11-13

यह चमत्कारी चिन्ह देख कर, यीशु के शिष्यों की प्रतिक्रिया क्या थी?

यीशु के शिष्यों ने उसमें विश्वास किया।

John 2:14

यरूशलेम के मन्दिर में यीशु ने क्या देखा?

उसने मन्दिर में बैल, भेड़ और कबूतर के बेचने वाले और सर्राफों को बैठे देखा।

John 2:15

यीशु ने व्यापारियों और सर्राफों के साथ क्या किया?

उसने रस्सियों का कोड़ा बनाकर उन सबको मन्दिर से बाहर निकाला, भेड़ों और बैलों को भी, उसने सर्राफों के पैसे बिखेर दिए और उनके पीढ़ों को उलट दिया।

John 2:16-18

यीशु ने व्यापारियों से क्या कहा?

उसने कहा, "इन्हें यहां से ले जाओ, मेरे पिता के घर को व्यापार का घर मत बनाओ"।

John 2:19-20

यीशु ने यहूदा अगुओं को क्या उत्तर दिया?

उसने उत्तर दिया, "इस मन्दिर को ढा दो और तीन दिन में इसे खड़ा कर दूंगा"।

John 2:21-22

यीशु किस मन्दिर की बात कर रहा था?

यीशु अपनी देह को मन्दिर कह रहा था।

John 2:23

लोगों ने यीशु के नाम में विश्वास क्यों किया?

लोगों ने उसके द्वारा किए गए चमत्कारी चिन्हों को देख कर विश्वास किया।

John 2:24-25

यीशु ने स्वयं को मनुष्य के भरोसे पर क्यों नहीं छोड़ा?

यीशु ने स्वयं को उनके भरोसे पर नहीं छोड़ा, क्योंकि वह सबको जानता था और उसे आवश्यकता नहीं थी कि मनुष्य के विषय में गवाही दे।

John 3

John 3:1

नीकुदेमुस कौन था?

नीकुदेमुस एक फरीसी था, यहूदी महासभा का सदस्य।

John 3:2

नीकुदेमुस ने यीशु के समक्ष क्या गवाही दी थी?

नीकुदेमुस ने यीशु से कहा, "हे रब्बी, हम जानते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से गुरू होकर आया है, क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो तो नहीं दिखा सकता"।

John 3:3-8

यीशु ने ऐसा क्या कहा कि नीकुदेमुस विस्मित होकर आश्चर्य में पड़ गया था?

यीशु ने नीकुदेमुस से कहा, "यदि कोई नये सिरे से "न जन्में" अर्थात "जल और आत्मा से न जन्में" तो परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता।

John 3:9

नीकुदेमुस के कौन से प्रश्न प्रकट करते हैं कि वह उलझन में पड़ गया था?

नीकुदेमुस ने कहा, "मनुष्य जब बूढ़ा हो गया तो कैसे जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है"? उसने कहा, "ये बातें कैसे हो सकती है"?

John 3:10-12

यीशु ने नीकुदेमुस को क्यों झिड़की दी?

यीशु ने नीकुदेमुस को झिड़क कर कहा, "तू इस्राएलियों का गुरू होकर भी इन बातों को नहीं समझता"? "जब मैंने पृथ्वी की बातें कही और तुम विश्वास नहीं करते तो यदि मैं स्वर्ग की बातें कहूँ तो फिर कैसे विश्वास करोगे"?

John 3:13

स्वर्ग में कौन चढ़ा था?

कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात मनुष्य का पुत्र।

John 3:14-15

मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना क्यों आवश्यक था?

अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए; ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह अनन्त जीवन पाए।

John 3:16

परमेश्वर ने संसार के लिए अपना प्रेम कैसे प्रकट किया है?

परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।

John 3:17-18

क्या परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत पर दण्ड की आज्ञा देने भेजा था?

नहीं, परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।

John 3:19

मनुष्य दण्ड का भागी क्यों होता है?

दण्ड की आज्ञा का कारण है कि जगत में ज्योति आई और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे।

John 3:20

बुराई करने वाले ज्योति में आना क्यों नहीं चाहते?

जो बुराई करता है वह ज्योति से बैर रखता है और ज्योति में नहीं आता है क्योंकि वह नहीं चाहता कि उसके काम प्रकट हों।

John 3:21-25

सत्य पर चलने वाले ज्योति में क्यों आ जाते हैं?

वह ज्योति में आता है ताकि उसके काम प्रगट हों कि वे परमेश्वर की आज्ञाओं के पालन के हैं।

John 3:26-32

यूहन्ना के शिष्यों ने जब शिकायत की कि यीशु बपतिस्मा दे रहा है और सब उसके पास जा रहे हैं तब यूहन्ना ने क्या उत्तर दिया?

यूहन्ना ने कहा, "अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं"।

John 3:33-34

जिन्होंने स्वर्ग से आने वाले की गवाही ग्रहण कर ली उन्होंने किस बात पर छाप लगा दी है?

उन्होंने सिद्ध कर दिया कि परमेश्वर सच्चा है।

John 3:35

पिता ने पुत्र के हाथ में क्या दे दिया है?

उसने सब वस्तुएं पुत्र के हाथ में दे दीं हैं।

John 3:36

पुत्र में विश्वास करने वालों में क्या है?

उनमे अनन्त जीवन है।

पुत्र की आज्ञा न मानने वालों के साथ क्या होता है?

वह जीवन को नहीं देखेगा, परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है।

John 4

John 4:1-4

यीशु कब यहूदिया से गलील चला गया?

यह जानकर कि फरीसियों को समाचार मिल गया है कि यीशु यूहन्ना से अधिक बपतिस्मा दे रहा है और शिष्य बना रहा है तो वह यहूदिया को छोड़कर गलील चला गया।

John 4:5-6

गलील जाते समय यीशु किस स्थान में रूका था?

वह सूखार नामक सामरिया के एक नगर में याकूब के कुएँ के पास ठहर गया।

John 4:7

जब यीशु कुएं पर था तब वहाँ कौन आया?

उस कुएँ पर एक सामरी स्त्री पानी भरने आई।

यीशु ने उस सामरी स्त्री से क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा, "मुझे पानी पिला"।

John 4:8

यीशु के शिष्य उस समय कहाँ थे?

वे नगर में भोजन लेने गए थे।

John 4:9

उस सामरी स्त्री को यीशु के इस व्यवहार पर आश्चर्य क्यों हुआ?

इस पर मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि यहूदी सामरियों से संबन्ध नहीं रखते थे।

John 4:10

यीशु ने वार्तालाप को परमेश्वर की बातों की ओर करने के लिए क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा कि यदि वह परमेश्वर के वरदान को जानती और पानी मांगने वाले को पहचानती तो वह उससे मांगती और वह उसे जीवन का जल देता।

John 4:11-14

उस स्त्री की किस बात से प्रकट होता है कि वह यीशु की आत्मिक बात को समझ नहीं पाई थी?

उस स्त्री ने कहा, "हे प्रभु तेरे पास तो जल भरने को तो कुछ भी नहीं है और कुआं गहरा है, तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहाँ से आया?"

John 4:15

यीशु उस स्त्री को अपने जल के बारे में क्या कहता है?

यीशु ने उस स्त्री से कहा कि जो उसके दिए हुए पानी को पीते हैं वे फिर कभी प्यासे नहीं होते और वह उनमें सोता बन जायेगा जो अनन्त जीवन के लिए उमड़ता रहेगा।

वह स्त्री अब इस जल को क्यों मांगती है जो यीशु देता है?

उसने वह जल मांगा कि उसे फिर प्यास न लगे और उसे पानी लेने कुएं के पास न आना पड़े।

John 4:16

यीशु चर्चा विषय बदलकर उस स्त्री से क्या कहता है?

यीशु ने उससे कहा, "जा अपने पति को यहां बुला ला"।

John 4:17

जब यीशु ने उससे कहा कि वह अपने पति को ले आए तब उस स्त्री का उत्तर क्या था?

उस स्त्री ने यीशु से कहा कि उसका पति नहीं है।

John 4:18-19

यीशु की किस बात से उस स्त्री को विश्वास हो गया कि यीशु एक भविष्यद्वक्ता है?

यीशु ने उससे कहा कि उसने पांच पति किए हैं और जिसके साथ वह रहती है, वह भी उसका पति नहीं है।

John 4:20-22

आराधना के बारे में उस स्त्री ने यीशु के समक्ष क्या मतभेद रखा था?

अब वह आराधना के स्थान पर उनमें जो मतभेद था उसका विषय ले आती है।

John 4:23-24

यीशु ने सच्चे भक्तों के बारे में उस स्त्री से क्या कहा जिन्हें पिता परमेश्वर खोजता है?

यीशु ने कहा कि परमेश्वर आत्मा है और सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे।

John 4:25-27

उस स्त्री ने यीशु से कहा कि मसीह आने वाला है जो सब बातें बताएगा तो यीशु ने उस पर क्या प्रकट किया?

यीशु ने उससे कहा कि वही मसीह है।

John 4:28-29

यीशु से बातें करने के बाद उस स्त्री ने क्या किया?

उस स्त्री ने पानी का बर्तन वहीं छोड़ा और नगर में जाकर लोगों से कहा, आओ एक मनुष्य को देखो, जिसने सब कुछ जो मैंने किया मुझे बता दिया। कहीं यही तो मसीह नहीं है?

John 4:30-33

उस स्त्री की बातें सुनकर नगरवासियों ने क्या किया?

वे सब नगर से निकल कर यीशु के पास आए।

John 4:34-35

यीशु ने अपना भोजन क्या बताया?

यीशु ने कहा, मेरा भोजन यह है कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं।

John 4:36-38

फसल काटने का क्या लाभ है?

काटने वाला मजदूरी पाता है और अनन्त जीवन के लिए फल बटोरता है, ताकि बोने वाला और काटने वाला दोनों मिलकर आनन्द करें।

John 4:39-41

वे कौन सी दो बातें थी जिनके कारण सामरियों ने यीशु में विश्वास किया?

उस स्त्री की बातें सुनकर उस नगर में अनेक सामरियों ने यीशु में विश्वास किया और उसके वचन के कारण और भी बहुतों ने विश्वास किया।

John 4:42-44

उन सामरियों में से अधिकांश ने यीशु के विषय क्या विश्वास किया?

उन्होंने कहा कि अब वे जान गए हैं कि यीशु निश्चय ही जगत का उद्धारकर्ता है।

John 4:45

गलील वासियों ने गलील में यीशु का स्वागत क्यों किया था?

उन्होंने उसका हार्दिक स्वागत किया क्योंकि उन्होंने पर्व के समय यरूशलेम में उसके द्वारा किए गए सब काम देखे थे।

John 4:46-47

यीशु यहूदिया से गलील आया तब किसने उससे विनती की, कि उसके पुत्र को चंगा करें?

राजा के एक कर्मचारी ने आकर विनती की, कि वह उसके घर आकर उसके पुत्र को चंगा करे।

John 4:48-49

यीशु ने राजा के उस कर्मचारी से चिन्ह चमत्कारों के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने उससे कहा, कि मनुष्य चिन्ह चमत्कार देखे बिना विश्वास नहीं करेंगे।

John 4:50-52

यीशु ने उससे कहा, जा तेरा पुत्र जीवित है, तो उसने क्या किया?

उसने यीशु की बात पर विश्वास किया और घर लौट गया।

John 4:53-54

उस रोगी बालक के पिता से जब यीशु ने कहा, जा तेरा पुत्र जीवित है, एक दिन पहले सातवें घंटे उसका ज्वर उतर गया तो इसका परिणाम क्या हुआ?

परिणाम यह हुआ कि राजा के उस कर्मचारी ने और उसके पूरे घराने ने विश्वास किया।

John 5

John 5:2

भेड़ फाटक के पास उस कुण्ड का नाम क्या था जिसके पांच ओसारे थे?

इस कुण्ड का नाम बैतहसदा था।

John 5:3-4

बैतहसदा के पास कौन लोग रहते थे?

उस छत के नीचे बहुत से बीमार, अंधे, लंगड़े और सूखे अंग वाले पड़े रहते थे।

John 5:5-6

बैतहसदा के निकट यीशु ने किससे पूछा, "क्या तू चंगा होना चाहता है?

वहाँ अड़तीस वर्षों से एक रोगी पड़ा हुआ था यीशु ने उससे साक्षात्कार किया।

John 5:7

यीशु ने जब उससे पूछा, क्या तू चंगा होना चाहता है, तब उसने क्या उत्तर दिया?

उस रोगी ने कहा, "हे प्रभु मेरे पास कोई मनुष्य नहीं कि जब पानी हिलाया जाए, तो मुझे कुण्ड में उतारे; परन्तु मेरे पहुँचते-पहुँचते दूसरा मुझसे पहले उतर जाता है।"

John 5:8

यीशु ने उस रोगी से कहा, "अपनी खाट उठा और चल-फिर", तब क्या हुआ?

वह तुरन्त चंगा हो गया और अपनी खाट उठाकर चलने लगा।

John 5:9-13

उस रोगी को अपनी खाट उठाकर चलते हुए देख यहूदी अगुवे क्यों क्रोधित हुए?

यह देख वे क्रोधित हुए क्योंकि वह सब्त का दिन था और उसे अपनी खाट उठाने की अनुमति नहीं थी।

John 5:14

उस रोगी को जब यीशु ने मन्दिर में देखा तब उससे क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा, "देख, तू चंगा हो गया है। फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इससे भारी विपत्ति तुम पर आ पड़े।"

John 5:15-16

जब यीशु ने उससे कहा, कि वह पाप करना छोड़ दे तब उस रोगी ने क्या किया?

उसने यहूदियों के अगुवों से कहा कि उसे चंगा करने वाला यीशु था।

John 5:17

सब्त के दिन यीशु चंगाई का काम करता था इसलिए यहूदी अगुवे उसे सताने लगे, तो यीशु ने उनसे क्या कहा?

यीशु ने उनसे कहा, "मेरा पिता अब तक काम करता है और मैं भी काम करता हूँ"।

John 5:18

यीशु ने यहूदियों के अगुवों से क्या कहा उसके कारण वे उसे मार डालने का प्रयत्न करने लगे?

यह इसलिए हुआ कि यीशु ने (उनके विचार में) सब्त के दिन का उल्लंघन ही नहीं किया, परमेश्वर को अपना पिता कहा अर्थात उसकी बराबरी की।

John 5:19

यीशु ने क्या किया?

उसने वही किया जो उसने पिता को करते देखा।

John 5:20-21

पिता ने पुत्र को कौन से महान कार्य दिखाए जिसे देख यहूदी अगुवें आश्चर्यचकित हुए?

पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है, वैसा ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है जिलाता है।

John 5:22

पिता ने न्याय का सब काम पुत्र को क्यों सौंप दिया है?

पिता ने न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें।

John 5:23

यदि कोई पुत्र का आदर न करे तो क्या होता है?

यदि कोई पुत्र का आदर नहीं करता तो वह भेजने वाले पिता का भी आदर नहीं करता है।

John 5:24-25

यदि कोई यीशु के वचनों में विश्वास करे और उसको भेजने वाले पिता में विश्वास करे तो उसका क्या होता है?

यदि ऐसा है तो अनन्त जीवन उसका है और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।

John 5:26-27

पिता ने जीवन के संबन्ध में पुत्र को क्या दिया है?

पिता ने पुत्र को अधिकार दिया है कि अपने आपमें जीवन रखे।

John 5:28-29

जब मृतक परमेश्वर पिता का शब्द सुनेंगे तब क्या होगा?

जिन्होंने भलाई की है, उनका पुनरूत्थान जीवन के लिए होगा और जिन्होंने बुराई की है, उनका पुनरूत्थान दण्ड के लिए होगा।

John 5:30-33

यीशु का न्याय सच्चा क्यों है?

उसका न्याय सच्चा है क्योंकि वह अपनी इच्छा पूरी नहीं करता परन्तु उसको भेजने वाले की इच्छा पूरी करता है।

John 5:34-36

यीशु की कौन सी दो गवाहियां हैं जो मनुष्य की नहीं हैं?

यीशु ने जो काम किया वह पिता ने उसे पूरा करने को सौंपा था, वे गवाही हैं कि पिता ने यीशु को भेजा है और पिता ही ने यीशु की गवाही दी है।

John 5:37-38

पिता का शब्द किसने नहीं सुना और किसने उसका रूप कभी नहीं देखा?

यहूदियों ने न तो कभी परमेश्वर का शब्द सुना न उसका रूप देखा।

John 5:39-43

यहूदियों के अगुवे धर्मशास्त्र में खोज क्यों करते थे?

वे धर्मशास्त्र में खोजते थे कि उन्हें अनन्त जीवन मिल जाए।

धर्मशास्त्र किसकी गवाही देते थे?

धर्मशास्त्र यीशु की गवाही देते थे।

John 5:44

यहूदियों के अगुवे किससे प्रशंसा नहीं खोजते थे?

एकमात्र आदर जो परमेश्वर की ओर से है उसे वे नहीं चाहते थे।

John 5:45

परमेश्वर पिता के समक्ष यहूदी अगुवों को कौन दोष देगा?

मूसा परमेश्वर के समक्ष यहूदी अगुवों पर दोष लगाएगा।

John 5:46-47

यीशु ने क्या कहा कि यहूदी अगुवे करेंगे यदि वे मूसा का विश्वास करें?

यीशु ने कहा कि यदि यहूदी अगुवे मूसा पर विश्वास करते तो उसका भी विश्वास करते क्योंकि उसने यीशु के विषय में लिखा था।

John 6

John 6:1

गलील सागर का दूसरा नाम क्या था?

गलील सागर तिबिरियास की झील भी कहलाता था।

John 6:2-3

यीशु के पीछे बड़ी भीड़ क्यों रहती थी?

वे उसके पीछे चलते थे, क्योंकि वे रोगियों की चंगाई के चिन्ह देखते थे जो यीशु करता था।

John 6:4

यीशु जब अपने शिष्यों के साथ पहाड़ पर बैठा था तब उसने क्या देखा?

उसने एक विशाल जन समूह को आते देखा।

John 6:5-6

यीशु ने फिलिप्पुस से क्यों कहा, "हम इनके भोजन के लिए कहाँ से रोटी लाएँ?

यीशु ने फिलिप्पुस को परखने के लिए यह कहा था।

John 6:7

"हम इनके भोजन के लिए रोटी कहाँ से लाएं? यीशु के इस प्रश्न का फिलिप्पुस ने क्या उत्तर दिया?

फिलिप्पुस ने कहा, "दो सौ दीनार की रोटी भी उनके लिए पूरी न होगी कि उनमें से हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल जाए"।

John 6:8-9

"हम इनके भोजन के लिए कहाँ से रोटी मोल लाएं" यीशु के इस प्रश्न पर अन्द्रियास ने क्या कहा?

अन्द्रियास ने कहा, "यहाँ एक लड़का है जिसके पास जौ की पाँच रोटियां और दो मछलियाँ हैं परन्तु इतने लोगों के लिए वे क्या हैं?"

John 6:10

वहाँ लगभग कितने पुरूष थे?

वहाँ लगभग पुरूष ही पांच हजार थे।

John 6:11-12

यीशु ने उन रोटियों और मछलियों का क्या किया?

यीशु ने रोटियां लीं और धन्यवाद करके बैठने वालों को बांट दी, और वैसे ही मछलियां भी बांट दीं।

उन लोगों को खाने के लिए कितना मिला?

वे खाकर तृप्त हो गए।

John 6:13

भोजन करने के बाद रोटी के कितने टुकड़े उठाए गए?

शिष्यों ने रोटी के बचे हुए टुकड़े उठाए तो बारह टोकरियाँ भर गई थी।

John 6:14-17

यीशु अकेला पहाड़ों में क्यों चला गया था?

यीशु वहाँ से निकल गया क्योंकि वह जान गया था कि लोग इस चमत्कार(पांच हज़ार को भोजन से तृप्त करना) को देखकर उसे बल पूर्वक राजा बनाना चाहते हैं।

John 6:18

शिष्य नाव में चढ़कर कफरनहूम जाने लगे तो मौसम में क्या हुआ?

हवा तेज हो गई थी और झील में लहरें उठने लगी थी।

John 6:19

शिष्य क्यों डर गए?

यीशु पानी पर चल कर नाव के पास आया तो वे डर गए।

John 6:20-25

यीशु ने शिष्यों से क्या कहा कि उन्होंने उसे नाव में आने दिया?

यीशु ने कहा, "मैं हूँ, डरो मत"।

John 6:26

भीड़ द्वारा उसे खोजने का कारण यीशु ने क्या बताया था?

यीशु ने कहा कि वे आश्चर्यकर्मों के कारण उसे नहीं ढूंढ़ते परन्तु इसलिए कि वे रोटियां खाकर तृप्त हुए थे।

John 6:27-28

यीशु ने भीड़ से क्या करने को और क्या न करने को कहा?

यीशु ने उनसे कहा कि वे नाशमान भोजन के लिए नहीं परन्तु उस भोजन के लिए परिश्रम करें जो अनन्त जीवन तक ठहरता है।

John 6:29

यीशु ने जनसमूह को परमेश्वर के कामों की क्या परिभाषा दी?

यीशु ने उनसे कहा कि परमेश्वर का कार्य यह है कि तुम उस पर जिसे उसने भेजा है विश्वास करो।

John 6:30-36

लोग यीशु से स्वर्गिक रोटी जैसा चिन्ह मांग रहे थे जिसे उनके पितरों ने उन्हें खिलाई थी तो यीशु ने उनसे किस रोटी की चर्चा की?

यीशु ने परमेश्वर द्वारा दी गई स्वर्ग की सच्ची रोटी की चर्चा की जो जगत को जीवन देती है और जीवन की वह रोटी वह है।

John 6:37-38

यीशु के पास कौन आएगा?

स्वर्गीय पिता यीशु को जो कुछ देता है वह सब उसके पास आएगा।

John 6:39-43

यीशु को भेजने वाले स्वर्गीय पिता की इच्छा क्या थी?

यीशु के पिता की इच्छा थी कि जो कुछ उसने यीशु को दिया है उसमें से वह कुछ न खोए। जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।

John 6:44-45

मनुष्य यीशु के पास कैसे आ सकता है?

मनुष्य यीशु के पास तब ही आ सकता है जब पिता उसे खींचे।

John 6:46-50

पिता को किसने देखा है?

जो परमेश्वर की ओर से है, उसी ने पिता को देखा है।

John 6:51-52

जगत को जीवन के लिए यीशु कौन सी रोटी देगा?

यीशु जो रोटी देगा वह जगत के जीवन के लिए उसकी देह है।

John 6:53-55

अपने में जीवन पाने के लिए क्या करना है?

जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं।

John 6:56

यीशु में और यीशु हम में कैसे बने रह सकते हैं?

यीशु का मांस खाकर और उसका लहू पीकर हम उसमें स्थिर बने रहते हैं और वह हम में।

John 6:57-59

यीशु क्यों जीवित है?

यीशु स्वर्गीय पिता के कारण जीवित है।

John 6:60-66

यीशु का मांस खाने और उसका लहू पीने की बात सुनकर यीशु के अनुयायियों में से अनेकों की प्रतिक्रिया क्या थी?

उसके अनुयायियों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, "यह कठोर बात है, इसे कौन सुन सकता है?" और उनमे से बहुतों ने यीशु का अनुसरण त्याग दिया।

John 6:67-69

जब यीशु ने अपने बारह शिष्यों से कहा, "क्या तुम भी चले जाना चाहते हो"? तो किसने उत्तर दिया और उत्तर में क्या कहा?

शमौन पतरस ने कहा, "हे प्रभु, हम किसके पास जाए? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं और हमने विश्वास किया और जान गए हैं कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है।"

John 6:70-71

यीशु ने जब कहा कि बारहों में से एक शैतान है तो उसका संकेत किसकी ओर था?

यीशु ने शमौन इस्करियोती के पुत्र यूहदा के विषय में कहा था, क्योंकि वह बारहों मे से एक था जो उसे पकड़वाने को था।

John 7

John 7:1

यीशु यहूदिया में जाना क्यों नहीं चाहता था?

यीशु वहाँ नहीं जाना चाहता था क्योंकि यहूदी उसे मार डालना चाहते थे।

John 7:2-5

यीशु के भाइयों ने उससे क्यों आग्रह किया कि झोपिड़यों के पर्व में वह यहूदिया जाए?

उन्होंने उससे आग्रह किया कि वह यहूदिया को जाए कि वहाँ भी उसके अनुयायी उसके आश्चर्यकर्मों को देखें और संसार पर वह प्रगट हों।

John 7:6

उस पर्व में न जाने का कारण यीशु ने क्या बताया था?

यीशु ने अपने भाइयों से कहा कि उसका समय अभी नहीं आया है और उसका समय पूरा नहीं हुआ है।

John 7:7-9

संसार यीशु से क्यों घृणा करता था?

यीशु ने कहा कि संसार उससे घृणा करता है क्योंकि वह उसके विरोध में गवाही देता था कि उसके काम बुरे हैं।

John 7:10-11

यीशु कब और कैसे पर्व में गया था?

उसके भाइयों के यहूदिया प्रस्थान के बाद यीशु गुप्त रूप में वहाँ गया।

John 7:12

यीशु के बारे में जन समूह क्या-क्या कहता था?

कुछ ने कहा, "वह भला मनुष्य है", कुछ लोग कहते थे, "नहीं वह लोगों को भरमाता है"।

John 7:13

यीशु के विरूद्ध कुछ भी कहने का साहस किसी को नहीं हुआ, क्यों?

यहूदियों के भय के कारण किसी ने यीशु के विरूद्ध कुछ भी कहने का साहस नहीं किया।

John 7:14-16

यीशु ने मन्दिर में शिक्षा देना कब आरंभ किया?

पर्व के आधे दिन बीत जाने के बाद यीशु मन्दिर में जाकर उपदेश करने लगा।

John 7:17

यीशु परमेश्वर की ओर से शिक्षा देता है या अपनी ओर से इसे पहचानने की वजह यीशु ने क्या बताई?

यीशु ने कहा यदि कोई यीशु को भेजने वाले की इच्छा पर चलना चाहे, तो वह इस उपदेश के बारे में जान जायेगा कि वह परमेश्वर की ओर से है।

John 7:18

जो मनुष्य यीशु को भेजने वाले की महिमा की खोज करता है उसके बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा कि वह मनुष्य सच्चा है और उसमें अधर्म नहीं है।

John 7:19-21

यीशु के अनुसार व्यवस्था का पालन करने वाला कौन है?

यीशु ने कहा, तुम में से कोई व्यवस्था पर नहीं चलता है।

John 7:22-23

सब्त के दिन किसी को चंगा करने के पक्ष में यीशु ने क्या तर्क प्रस्तुत किया था?

यीशु का तर्क था कि मूसा की व्यवस्था का पालन करने के लिए सब्त के दिन खतना कराना अनिवार्य है तो वे उसके द्वारा सब्त के दिन किसी को चंगा करने पर क्रोध क्यों करते थे।

John 7:24-31

यीशु ने कैसा न्याय करने के लिए कहा?

यीशु ने कहा, मुंह देखकर न्याय न करो, परन्तु ठीक-ठीक न्याय करो।

John 7:32-38

यीशु को पकड़ने के लिए किसने सैनिक भेजे थे?

महायाजक और फरीसियों ने यीशु को पकड़ने के लिए सैनिक भेजे।

John 7:39-44

यीशु ने कहा, "यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी"। यहाँ यीशु के कहने का अभिप्राय क्या है?

यीशु ने पवित्र आत्मा के बारे में कहा था, जो उसमें विश्वास करने वालों को मिलना था।

John 7:45-49

यीशु को पकड़ने के लिए जब सिपाही लौट कर आए तब महायाजक और फरीसियों ने उनसे पूछा, "तुम उसे क्यों नहीं लाए?" तो उन्होंने क्या उत्तर दिया?

उन सैनिकों ने कहा, "किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं की"।

John 7:50-53

फरीसियों ने जब यीशु को पकड़ने के लिए भेजे गए सिपाहियों से कहा, "क्या तुम भी भरमाए गए हो"? तब नीकुदेमुस ने उनसे क्या कहा था? क्या सरदारों या फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है?

नीकुदेमुस ने फरीसियों से कहा, "क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को, पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वह क्या करता है, दोषी ठहराती है?"

John 8

John 8:6

शास्त्रियों और फरीसियों द्वारा उस स्त्री को यीशु के पास लाने का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उस स्त्री को यीशु के समक्ष लाने का उनका मुख्य उद्देश्य था कि यीशु को किसी प्रकार उसी की बातों में फंसाकर उस पर दोष लगाएँ।

John 8:7-8

शास्त्रियों और फरीसियों के उस प्रश्न पर यीशु ने क्या उत्तर दिया?

यीशु ने उनसे कहा, "तुम में जो निष्पाप हो वही पहले उसको पत्थर मारे।"

John 8:9-10

जब यीशु ने कहा कि जो निष्पाप हो वही उस स्त्री को पत्थर मारे तो उन्होंने क्या किया?

यीशु का उत्तर सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक सब एक-एक करके निकल गए।

John 8:11-16

यीशु ने व्यभिचार में पकड़ी गई उस स्त्री से क्या कहा?

यीशु ने उस स्त्री से कहा, "जा और फिर पाप न करना"।

John 8:17-22

यीशु ने अपनी गवाही को सत्य सिद्ध कैसे किया?

यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, "तुम्हारी व्यवस्था में भी लिखा है कि दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है, एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूँ और दूसरा पिता मेरी गवाही देता है, जिसने मुझे भेजा है"।

John 8:23

फरीसी अपने पापों में मरेंगे, इस विषय यीशु ने अपनी बात किस तथ्य पर आधारित की?

यीशु ने उन्हीं के ज्ञान के आधार पर कहा, कि वे नीचे के हैं, और वह ऊपर का है, वे संसार के हैं और यीशु संसार का नहीं।

John 8:24-25

फरीसी पापों में मरने से कैसे बच सकते थे?

यीशु ने कहा कि वे अपने पापों में मरेंगे, यदि वे विश्वास करें कि यीशु "मैं ही हूं"।

John 8:26-28

यीशु संसार से क्या कहता था?

यीशु संसार से वही कहता था जो वह पिता से सुनता था।

John 8:29-30

यीशु को भेजने वाला परमेश्वर पिता उसके साथ क्यों रहता था, वह उसे अकेला क्यों नहीं छोड़ता था?

पिता परमेश्वर यीशु के साथ था, वह उसे अकेला नहीं छोड़ता था क्योंकि वह सर्वदा वही करता था जिससे परमेश्वर प्रसन्न होता था।

John 8:31-32

यीशु ने क्या कहा कि विश्वासी यहूदी उसके सच्चे शिष्य कैसे बन सकते है?

यदि कोई यीशु के वचन में बना रहे तो वह सच में उसका शिष्य है।

John 8:33

यीशु की बातें सुनकर क्या सोचा जब उसने कहा "तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा?

यहूदियों ने सोचा कि यीशु मनुष्य का दास बनने के लिए कह रहा है।

John 8:34-36

जब यीशु ने कहा, "तुम सत्य को जानो और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा" तब उसका अभिप्राय क्या था?

यीशु पापों के दासत्व से स्वतंत्र होने के बारे में कह रहा था।

John 8:37-38

यीशु के अनुसार यहूदी उसे क्यों मार डालना चाहते थे?

वे उसे मार डालना चाहते थे क्योंकि उसके वचन का उनके हृदय में स्थान नहीं था।

John 8:39-41

यीशु ने क्यों कहा कि वे अब्राहम की सन्तान नहीं?

यीशु ने कहा कि वे अब्राहम की सन्तान नहीं क्योंकि उनके काम अब्राहम के समान नहीं थे। उन्होंने तो यीशु की हत्या करना चाहा।

John 8:42-43

यहूदियों ने जब दावा किया कि एकमात्र परमेश्वर ही उनका पिता है तो यीशु ने उनकी बात का खंडन कैसे किया?

यीशु ने उनसे कहा, "यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता तो तुम मुझसे प्रेम रखते क्योंकि मैं परमेश्वर की ओर से आया हूँ। मै आप से नहीं आया हूँ, परन्तु उसी ने मुझे भेजा है।"

John 8:44-46

यीशु ने किसको यहूदियों का पिता कहा?

यीशु कहता है कि उनका पिता शैतान है।

यीशु ने शैतान के बारे में क्या कहा?

यीशु ने कहा कि शैतान आरंभ ही से हत्यारा है और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं। शैतान झूठ बोलता है तो वह उसका स्वभाव है क्योंकि वह झूठा ही है वरन झूठ का पिता है।

John 8:47-50

परमेश्वर का वचन कौन सुनता है?

जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर का वचन सुनता है।

John 8:51

यीशु ने कहा कि उसके वचन को मानने वाले के साथ क्या होगा?

यीशु का वचन मानने वाला कभी मृत्यु न देखेगा।

John 8:52-55

यहूदी क्यों कहते थे, यीशु में दुष्टात्मा है?

उन्होंने इसलिए ऐसा कहा कि यीशु ने उनसे कहा था, "मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि यदि कोई मेरे वचन पर चलेगा, तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु को न देखेगा"

यहूदियों के विचार में यीशु की बात विचित्र क्यों थी?

वे ऐसा सोचते थे क्योंकि उनकी समझ में मृत्यु केवल शारीरिक मृत्यु थी। अब्राहम और भविष्यद्वक्ता भी तो मर गए थे (शरीर से)।

John 8:56-59

यीशु कौन से कथन के द्वारा प्रकट करता है कि अब्राहम अब भी जीवित है और यीशु उससे बड़ा है?

यीशु ने कहा, "तुम्हारा पिता अब्राहम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था और उसने देखा और आनन्द किया"। और "मैं तुमसे सच सच कहता हूँ, पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ"। (यीशु के इस कथन का अर्थ है कि अब्राहम जीवित है और मसीह यीशु उससे बड़ा है)

John 9

John 9:2

उस मनुष्य के जन्म से अंधे होने का कारण शिष्यों की कल्पना में क्या था?

शिष्यों के विचार में या तो उस अंधे ने पाप किया था या उसके माता-पिता ने।

John 9:3-5

उसके अंधे होने का कारण यीशु ने क्या बताया?

यीशु ने कहा कि उसके अंधे होने का कारण था कि परमेश्वर के काम उसमें प्रकट हों।

John 9:6

यीशु ने उस अंधे के साथ क्या किया और उससे क्या कहा?

यीशु ने मिट्टी में थूक कर उसे गीला किया और उसकी आँखों पर लगाई और उससे कहा कि वह जाकर शीलोम के कुण्ड में धो ले।

John 9:7-8

शीलोम के कुण्ड में आंखें धोने के बाद उसका क्या हुआ?

वह लौटा तो वह देखता था।

John 9:9-12

जब यह विवाद चल रहा था कि यही वह अंधा मनुष्य है जो बैठ कर भीख मांगता था तब उस दृष्टि प्राप्त मनुष्य ने क्या गवाही दी?

उस मनुष्य ने गवाही दी कि वह अंधा भिखारी ही है।

John 9:13

इस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य के साथियों ने क्या किया?

वे उस व्यक्ति को फरीसियों के पास ले गए।

John 9:14-15

उसकी चंगाई किस दिन हुई थी?

उस अंधे मनुष्य की चंगाई सब्त के दिन हुई थी।

John 9:16

फरीसियों में मतभेद का कारण क्या था?

कुछ फरीसियों ने कहा कि यीशु परमेश्वर की ओर से नहीं है, क्योंकि वह सब्त का पालन नहीं करता है (उसने सब्त के दिन चंगाई का काम किया है) अन्य फरीसियों ने कहा कि ऐसा पापी मनुष्य चिन्ह कैसे दिखा सकता है?

John 9:17

पूछने पर उस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य ने क्या उत्तर दिया?

उस पूर्वकालिक अंधे ने कहा, "वह एक भविष्यद्वक्ता है।"

John 9:18-19

यहूदियों ने उस अंधे मनुष्य के माता-पिता को क्यों बुलवाया?

उन्होंने उसके माता-पिता को बुलवाया क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह मनुष्य पहले से अंधा था।

John 9:20

उसके माता-पिता ने उसके बारे में क्या गवाही दी?

उसके माता पिता ने कहा कि वह निश्चय ही उनका पुत्र है और वह अन्धा ही जन्मा था।

John 9:21

उसके माता-पिता ने कैसी अनभिज्ञता प्रकट की?

उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि वह कैसे देख सकता है और उसे किसने दृष्टि दान दिया है?

John 9:22-23

उसके माता-पिता ने क्यों कहा, "वह सयाना है, उसी से पूछ लो"?

उन्होंने इसलिए ऐसा कहा क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे क्योंकि यहूदियों ने यह निर्णय लिया था, कि यीशु को मसीह कहने वाले को आराधनालय से बाहर कर दिया जायेगा।

John 9:24

जब फरीसियों ने उस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य को दूसरी बार भीतर बुलवाया तब उससे क्या कहा?

उन्होंने उससे कहा, "परमेश्वर की स्तुति कर। हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है।"

John 9:25

फरीसियों ने यीशु को पापी कहा तो उस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य की प्रतिक्रिया कैसे थी?

उसने कहा, "मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं; मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखता हूँ"।

John 9:26-29

फरीसियों ने उस पूर्वकालिक अंधे का ठट्ठा क्यों किया?

फरीसियों ने उसका ठट्ठा किया क्योंकि उसने कहा था, "मैं तुमसे कह चुका हूँ और तुमने नहीं सुना, अब दूसरी बार क्यों सुनना चाहते हो? क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो?"

John 9:30-33

फरीसियों द्वारा ठट्ठा करने पर उस व्यक्ति ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

उसने कहा, "यह तो आश्चर्य की बात है कि तुम नहीं जानते कि वह कहाँ का है, तौभी उसने मेरी आँखें खोल दीं। हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता, परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो और उसकी इच्छा पर चलता है, तो वह उसकी सुनता है, जगत के आरंभ से यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने जन्म के अंधे की आँखे खोली हों। यदि यह व्यक्ति परमेश्वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता"।

John 9:34

फरीसियों ने उस पूर्वकालिक अंधे की प्रतिक्रिया पर उसके साथ कैसा व्यवहार किया?

उन्होंने उससे कहा, तू तो बिल्कुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है? और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।

John 9:35-37

जब यीशु ने सुना कि वह मनुष्य आराधनालय के बाहर कर दिया गया है तब यीशु ने क्या किया?

यीशु ने उसको खोजा और उसे पा लिया।

यीशु ने जब उसे खोज लिया तब उससे क्या कहा?

यीशु ने उससे पूछा कि क्या वह मनुष्य के पुत्र में विश्वास करता है और फिर उससे कहा कि वही (यीशु) मनुष्य का पुत्र है।

John 9:38-40

यह जानकर कि यीशु ही मनुष्य का पुत्र है उस पूर्वकालिक अंधे ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

उस पूर्वकालिक अंधे मनुष्य ने यीशु से कहा, "हे प्रभु मैं विश्वास करता हूँ" और उसे दण्डवत किया।

John 9:41

यीशु ने फरीसियों के पापों के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने उनसे कहा, "यदि तुम अंधे होते तो पापी न ठहरतेः परन्तु अब कहते हो कि हम देखते हैं, इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है।

John 10

John 10:1

यीशु के अनुसार चोर और डाकू कौन है?

जो भेड़शाला में द्वार से प्रवेश नहीं करता परन्तु किसी दूसरी ओर से चढ़ जाता है तो वह चोर और डाकू है।

John 10:2

भेड़शाला में द्वार से प्रवेश करने वाला कौन है?

जो द्वार से भेड़शाला में प्रवेश करे वह उन भेड़ों का चरवाहा है।

John 10:3-4

पुकारने पर भेड़ें चरवाहे के पीछे क्यों जाती हैं?

भेड़ें चरवाहे के पीछे जाती हैं क्योंकि वह उसका शब्द पहचानती हैं।

John 10:5-6

क्या भेड़ें पराये के पीछे जाती हैं?

नहीं, भेड़ें पराये के पीछे नहीं जाती हैं।

John 10:7-8

यीशु से पहले आने वाले सब लोग क्या थे?

जो यीशु से पहले आए वे सब चोर और डाकू थे और भेड़ों ने उनकी न सुनी।

John 10:9-10

यीशु ने कहा "द्वार मैं हूँ" द्वार से प्रवेश करने वालों का क्या होगा?

जो यीशु रूपी द्वार से प्रवेश करते हैं वे उद्धार पाएंगे और भीतर बाहर आया जाया करेंगे और चारा पाएंगे।

John 10:11-15

यीशु एक अच्छे चरवाहे ने भेड़ों के लिए क्या करना चाहा और किया भी?

अच्छे चरवाहे यीशु अपनी भेड़ों के लिए जान देने को तैयार है।

John 10:16

क्या यीशु की और भी भेड़ें हैं, उनका क्या होगा?

यीशु ने कहा कि उसकी और भी भेड़ें हैं जो उस भेड़शाला की नहीं हैं, उनका लाना भी उसके लिए आवश्यक है कि एक ही भेड़शाला हो और एक ही चरवाहा हो।

John 10:17

परमेश्वर पिता यीशु से प्रेम क्यों करता है?

परमेश्वर पिता यीशु से प्रेम करता है क्योंकि यीशु अपनी जान देता है वरन उसे फिर ले लेने का अधिकार भी उसे है।

John 10:18

क्या कोई यीशु से जान छीन सकता है?

नहीं, वह स्वयं ही जान देता है।

यीशु को जान देने और उसे फिर से लेने का अधिकार कहाँ से मिला?

यीशु ने यह आज्ञा परमेश्वर पिता से प्राप्त की थी।

John 10:19-23

यीशु की बातों के बारे में यहूदी क्या कहते थे?

अनेक लोग कहने लगे, "उसमें दुष्टात्मा है और वह पागल है उसकी क्यों सुनते हो?" अन्यों ने कहा, "ये बातें ऐसे मनुष्य की नहीं जिसमें दुष्टात्मा हो, क्या दुष्टात्मा अंधों की आंखे खोल सकती हैं?"

John 10:24

सुलैमान के ओसारे में मन्दिर में उसे घेर कर यहूदियों ने यीशु से क्या कहा?

उन्होंने कहा, "तू हमारे मन को कब तक दुविधा में रखेगा? यदि तू मसीह है तो हमसे साफ-साफ कह दे।"

John 10:25-27

सुलैमान के ओसारे में यीशु ने यहूदियों से क्या कहा था?

यीशु ने कहा कि उसने तो पहले ही कह दिया था (कि वह मसीह है) परन्तु उन्होंने विश्वास नहीं किया क्योंकि वे उसकी भेड़ें नहीं थे।

John 10:28

यीशु अपनी भेड़ों की देखरेख और सुरक्षा के बारे में क्या कहता है?

यीशु ने कहा कि वह अपनी भेड़ों को अनन्त जीवन देता है, वे कभी नष्ट नहीं होंगी और उन्हें उसके हाथ से कोई छीन नहीं सकता।

John 10:29

यीशु को भेड़ें किसने दी थी?

पिता परमेश्वर ने यीशु को भेड़ें दी थी।

क्या पिता परमेश्वर से बड़ा भी कोई है?

परमेश्वर पिता सबसे महान है।

John 10:30-33

यीशु ने कहा, "मैं और मेरा पिता एक हैं"। तब यहूदियों ने उसे पत्थरवाह करने के लिए पत्थर क्यों उठाए थे?

क्योंकि उनका मानना था कि यीशु ईश्वर की निंदा कर रहा था और स्वयं को परमेश्वर के बराबर बताता था जबकि वह मात्र एक मनुष्य था।

John 10:34-36

ईशनिन्दा के आक्षेप का यीशु का प्रतिवाद क्या था?

यीशु स्वयं की रक्षा में कहता है, "क्या तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है, मैंने कहा, तुम ईश्वर हो? यदि उसने उन्हें ईश्वर कहा जिनके पास परमेश्वर का वचन पहुंचा और पवित्रशास्त्र की बात असत्य नहीं हो सकती, तो जिसे पिता ने पवित्र ठहरा कर जगत में भेजा है, तुम उससे कहते हो, "तू निन्दा करता है“ इसलिए कि मैंने कहा, "मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ"?

John 10:37

यीशु यहूदियों से क्या कहता है कि उसमें विश्वास करने या न करने के लिए उन्हें क्या करना होगा?

यीशु ने यहूदियों से कहा कि वे उसके कामों को देखें, यदि यीशु अपने पिता के काम नहीं कर रहा है तो उस पर विश्वास नहीं करें। यदि वह अपने पिता के काम कर रहा है तो उस पर विश्वास करें।

John 10:38

यीशु ने यहूदियों से क्या कहा कि वे समझेंगे और जानेंगे भी यदि वे यीशु के कामों में विश्वास करें?

यीशु ने कहा कि वे जान सकते हैं और समझ सकते हैं कि पिता परमेश्वर यीशु में है और यीशु परमेश्वर में है।

John 10:39

यीशु की बातों की यहूदियों में क्या प्रतिक्रिया हुई जब उसने कहा कि वह पिता में है और पिता उसमें है?

यहूदियों ने फिर उसे पकड़ने का प्रयत्न किया।

John 10:40

इस घटना के बाद यीशु कहाँ चला गया?

यीशु फिर यरदन पार उस स्थान में चला गया जहाँ यूहन्ना पहले बपतिस्मा देता था।

John 10:41-42

बहुत से लोग जो यीशु के पास आए उन्होंने क्या कहा और किया?

लोग उसके पास आकर कहते थे, "यूहन्ना ने तो कोई चिन्ह नहीं दिखाया, परन्तु जो कुछ यूहन्ना ने इसके विषय में कहा था, वह सब सच था"। अनेक मनुष्यों ने वहाँ यीशु में विश्वास किया।

John 11

John 11:1-3

लाजर कौन था?

लाजर बैतनिय्याह का निवासी था। मार्था और मरियम उसकी बहनें थी। यह वहीं मरियम थी जिसने यीशु पर इत्र डालकर अपने बालों से उसके पांव पोंछे थे।

John 11:4-5

लाजर की रोगावस्था के बारे में सुनकर यीशु ने लाजर और उसके रोग के बारे में क्या कहा था?

यीशु ने कहा, "यह बीमारी मृत्यु की नहीं; परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिए है कि आपके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो"।

John 11:6-7

लाजर के रोगाव्यस्था के बारे में सुनकर यीशु ने क्या कहा?

यीशु जहां था वहीं दो दिन और रूक गया।

John 11:8

यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, "आओ, हम फिर यहूदिया को चलें" तो उन्होंने क्या उत्तर दिया?

शिष्यों ने यीशु से कहा, "हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझ पर पत्थरवाह करना चाहते थे, और क्या तू फिर वहीं जाना चाहता है"?

John 11:9-10

दिन और रात में चलने के बारे में यीशु ने क्या कहा था?

यीशु ने कहा यदि कोई दिन के उजियाले में चले तो ठोकर नहीं खाता है क्योंकि वह इस जगत का उजाला देखता है, परन्तु यदि कोई रात में चले तो ठोकर खाता है क्योंकि उसमें उजाला नहीं।

John 11:11-12

यीशु ने कहा कि लाजर सो गया है और वह उसे जगाने जाता है तो शिष्यों ने उसका क्या अर्थ समझा?

शिष्यों ने सोचा कि वह प्राकृतिक नींद के बारे में कह रहा है क्योंकि उन्होंने कहा, "हे प्रभु, यदि वह सो गया है तो वह स्वस्थ हो जायेगा"।

John 11:13-14

यीशु ने कहा, लाजर सो गया है, तो उसके कहने का अर्थ क्या था?

यीशु ने कहा, लाजर सो गया है तो उसके कहने का अर्थ था कि वह मर गया है।

John 11:15

यीशु ने क्यों कहा, कि वह आनन्दित है कि लाजर की मृत्यु के समय वहाँ नहीं था क्यों?

यीशु ने कहा, "मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो"।

John 11:16

थोमा के विचार में यदि वे वहाँ गए तो क्या होगा?

थोमा ने सोचा था कि वे सब मारे जायेंगे।

John 11:17-19

यीशु के आगमन पर लाजर को कितने दिन हो गए थे?

लाजर को कब्र में रखे चार दिन हो गए थे।

John 11:20-21

यीशु के आगमन का समाचार सुनकर मार्था ने क्या किया?

यीशु के आगमन का समाचार सुनकर मार्था उससे भेंट करने निकली।

John 11:22-23

मार्था क्या सोचती थी की परमेश्वर, यीशु के लिए क्या कर सकता था?

मार्था ने कहा, "मैं जानती हूँ कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा"।

John 11:24

जब यीशु ने मार्था से कहा "तेरा भाई फिर जी उठेगा" तो उसकी प्रतिक्रिया क्या थी?

उसने यीशु से कहा, "मैं जानती हूँ कि अन्तिम दिन पुनरूत्थान के समय वह फिर जी उठेगा"।

John 11:25-26

यीशु के कथनानुसार उसमें विश्वास करने वालों का क्या होगा?

यीशु ने कहा कि जो कोई उसमें विश्वास करेगा वह मर भी जाए तौभी जीएगा और जो कोई जीवित है और उसमें विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा।

John 11:27-28

यीशु के बारे में मार्था की क्या गवाही थी?

मार्था ने यीशु से कहा, "मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आने वाला था, वह तू ही है"।

John 11:29-30

मरियम कहाँ जा रही थी?

मरियम यीशु से भेंट करने जा रही थी।

John 11:31-32

मरियम को तुरन्त जाते देख वहाँ उपस्थित यहूदियों ने क्या सोचा और क्या किया?

मार्था के घर में उपस्थित यहूदियों ने सोचा कि मरियम कब्र पर रोने जा रही है तो वे उसके साथ चल पड़े।

John 11:33-35

यीशु के आत्मा में उदास और व्याकुल होकर रोने का कारण क्या था?

यीशु ने मरियम और अन्य यहूदियों को रोते देखा तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ और यीशु रोया।

John 11:36-38

यीशु को रोता देख यहूदियों ने क्या निष्कर्ष निकाला?

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यीशु लाजर से प्रेम रखता था।

John 11:39

यीशु द्वारा दी गई गुफा से पत्थर हटाने की आज्ञा सुन मार्था ने क्या कहा?

मार्था ने कहा, "हे प्रभु, उसमें से अब तो दुर्गन्ध आती होगी क्योंकि उसे मरे अब चार दिन हो गए हैं"।

John 11:40

मार्था ने कब्र पर से पत्थर हटाने का विरोध किया तो यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने मार्था से कहा, "क्या मैंने तुम से नहीं कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी"?

John 11:41

जब कब्र से पत्थर हटाया गया तब यीशु ने तुरन्त क्या किया?

यीशु ने स्वर्ग की ओर आंखें उठाकर अपने पिता से प्रार्थना की।

John 11:42-43

यीशु ने अपने पिता से जो कहा उसे ऊंचे शब्द में कहने का कारण क्या था?

उसने ऊंचे शब्दों में प्रार्थना की कि वहाँ उपस्थित जन विश्वास करें कि परमेश्वर ने उसे भेजा है।

John 11:44

जब यीशु ने पुकार कर कहा, "हे लाजर निकल आ" तो क्या हुआ?

वह कफ़न से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था।

John 11:45-49

लाज़र को कब्र से बाहर आता देख यहूदियों की क्या प्रतिक्रिया थी?

अनेक यहूदियों ने यीशु का यह काम देखकर उसमें विश्वास किया परन्तु कुछ ने जाकर फरीसियों को यीशु के इस काम का समाचार सुनाया।

John 11:50-52

महायाजकों और फरीसियों की सभा में कैफा ने क्या भविष्यद्वाणी की?

महायाजक कैफा ने कहा, "तुम्हारे लिए यह भला है कि हमारे लोगों के लिए एक मनुष्य मरे और सारी जाति नष्ट न हो"।

John 11:53

उस दिन से महासभा ने क्या योजना बनाई?

उन्होंने यीशु की हत्या की योजना बनाई।

John 11:54-56

लाजर को जीवित करने के बाद यीशु ने क्या किया?

यीशु अब यहूदियों में प्रकट होकर नहीं रहा, वह बैतनिय्याह से निकल कर पास के जंगल के इफ्राईम नाम एक नगर को चला गया और अपने शिष्यों के साथ वहीं रहने लगा।

John 11:57

महायाजकों और फरीसियों ने क्या आज्ञा दी?

उन्होंने यह उपदेश दिया कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहाँ है तो बताए ताकि वे उसे पकड़ें।

John 12

John 12:1-2

यीशु फिर बैतनिय्याह कब लौटा?

फसह के पर्व के छः दिन पूर्व वह बैतनिय्याह आया।

John 12:3

यीशु के लिए बनाए गए भोज के समय मरियम ने क्या किया?

मरियम ने जटामांसी का आधा सेर इत्र लेकर यीशु के पावों पर डाला और अपने बालों से उसके पांव पोंछे।

John 12:4-6

यीशु के शिष्यों में से एक यहूदा ने क्यों शिकायत की कि वह इत्र बेचकर कंगालों में पैसा बांटा जा सकता था?

यहूदा ने इसलिए नहीं कहा कि उसे गरीबों की चिन्ता थी परन्तु इसलिए कि वह चोर था, उसके पास उनकी थैली रहती थी और जो कुछ उसमें डाला जाता था, वह निकाल लेता था।

John 12:7-8

यीशु ने जटामांसी का इत्र डालने के लिए मरियम का पक्ष कैसे लिया?

यीशु ने कहा, "उसे रहने दो। उसे यह मेरे गाड़े जाने के दिन के लिए रखने दो। कंगाल तो सदैव तुम्हारे साथ रहेंगे परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा नहीं रहूंगा।"

John 12:9

बैतनिय्याह में भीड़ क्यों लग गई थी?

यीशु की वहाँ उपस्थिति का समाचार सुनकर यहूदियों की बड़ी भीड़ यीशु को ही नहीं लाजर को भी देखने आई जिसे यीशु ने जीवित किया था।

John 12:10-12

महायाजक लाजर को क्यों मार डालना चाहते थे?

वे लाजर को मार डालना चाहते थे क्योंकि उसके कारण अनेक यहूदी यीशु में विश्वास करने लगे थे।

John 12:13-16

यीशु के आगमन का समाचार सुनकर पर्व में आने वालों की भीड़ ने क्या किया?

उन्होंने खजूर की डालियां लीं और यह पुकारते हुए उससे भेंट करने निकले, "होशाना! धन्य इस्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है"।

यीशु के शिष्यों को जो बात पहले समझ में नहीं आई थी परन्तु यीशु की महिमा प्रकट होने पर उन्हें स्मरण आया कि उसके बारे में ऐसा ही लिखा है और लोगों ने उसके साथ वैसा ही व्यवहार किया था। वह बात क्या थी?

शिष्यों को स्मरण हुआ कि यीशु के बारे में लिखा है, "हे सिय्योन की बेटी, मत डर, देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।"

John 12:17

पर्व में आने वाले यीशु से भेंट करने क्यों निकले?

वे यीशु से भेंट करने निकले क्योंकि उन्होंने सुना था कि यीशु ने लाजर को जिलाया था।

John 12:18-22

यीशु ने प्रार्थना की, "हे पिता अपने आप की महिमाकर" तब क्या हुआ?

तब यह आकाशवाणी हुई, "मैंने उसकी महिमा की है और फिर भी करूंगा"।

John 12:23

जब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा कि कुछ यूनानी उससे भेंट करना चाहते हैं तो यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, "वह समय आ गया हे कि मनुष्य के पुत्र की महिमा हो"।

John 12:24

यीशु के अनुसार गेहूं का दाना भूमि में गिरकर मर जाता है तब क्या होता है?

यीशु ने कहा कि मरने के बाद वह बहुत फल लाता है।

John 12:25

जो इस संसार में अपने प्राण से प्रेम करे और जो उससे घृणा करे उनका क्या होगा?

यीशु ने कहा कि जो अपने प्राण से प्रेम रखेगा वह उसे खोएगा और जो इस संसार में अपने जीवन से घृणा करेगा वह अनन्त जीवन के लिए होगा।

John 12:26-29

यीशु की सेवा करने वाले का क्या होगा?

पिता परमेश्वर उसका आदर करेगा।

John 12:30

यीशु ने उस आकाशवाणी का कारण क्या बताया?

यीशु ने कहा, "यह शब्द मेरे लिए नहीं परन्तु तुम्हारे लिए आया है"।

John 12:31-32

यीशु के अनुसार क्या होने वाला था?

यीशु ने कहा, "अब संसार का न्याय होता है, अब इस संसार का सरदार निकाल दिया जायेगा"।

John 12:33-34

यीशु ने क्यों कहा, "मैं यदि पृथ्वी पर से ऊंचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सबको अपने पास खींचूगा।"

यीशु ने कहा कि यह उसकी मृत्यु के बारे में है कि वह कैसी होगी।

John 12:35

लोगों ने उससे पूछा, "तू क्यों कहता है कि मनुष्य के पुत्र को ऊंचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?" क्या यीशु ने इस प्रश्न का उन्हें सीधा उत्तर दिया था?

नहीं, उसने उनके प्रश्नों का सीधा उत्तर नहीं दिया।

John 12:36-38

यीशु ने ज्योति के विषय में क्या कहा?

यीशु ने कहा, "ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है चले चलो," ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे.... "ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति की सन्तान बनो"।

John 12:39-40

वे यीशु में विश्वास करने योग्य क्यों नहीं थे?

वे विश्वास करने योग्य नहीं थे क्योंकि यशायाह ने कहा था, "उसने उनकी आंखें अंधी और उनका मन कठोर कर दिया है, कहीं ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें और मन से समझें, और फिरें और मैं उन्हें चंगा करूं"।

John 12:41

यशायाह ने ऐसा क्यों कहा था?

उसने यह कहा क्योंकि उसने यीशु की महिमा देखी थी।

John 12:42-43

यीशु में विश्वास करने वाले अधिकारी उसका अंगीकार क्यों नहीं करते थे?

उन्होंने यीशु में विश्वास का अंगीकार नहीं किया क्योंकि वे फरीसियों से डरते थे कि उन्हें आराधनालय से बहिष्कृत न कर दें, वे परमेश्वर की अपेक्षा मनुष्यों की प्रशंसा चाहते थे।

John 12:44-46

यीशु अपने और अपने पिता के बारे क्या कहता है?

यीशु ने कहा, "जो मुझ पर विश्वास करता है वह मुझ पर नहीं वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है, जो मुझे देखता है वह मेरे भेजने वाले को देखता है।"

John 12:47

यीशु संसार के लिए क्या करने आया था?

यीशु ने कहा कि वह संसार का उद्धार करने आया है।

John 12:48

जो यीशु का त्याग करते और उसके वचनों को ग्रहण नहीं करते उनका क्या होगा?

यीशु के द्वारा कहा गया वचन अस्वीकार करने वालों का अन्तिम दिन में न्याय किया जायेगा।

John 12:49

क्या यीशु अपने आप ही बोलता था?

नहीं, पिता जिसने यीशु को भेजा उसी ने उसे आज्ञा दी कि क्या करे और क्या बोले।

John 12:50

यीशु क्यों ठीक वहीं कहता था जो पिता ने उसे आज्ञा दी थी?

यीशु ने वह सब किया क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता की आज्ञा अनन्त जीवन है।

John 13

John 13:1

यीशु ने कब तक अपनों से प्रेम रखा?

वह अन्त तक अपने लोगों से आरंभ का सा ही प्रेम रखता रहा।

John 13:2

शैतान ने यहूदा इस्करियोती के मन में क्या डाल दिया था?

शैतान ने यहूदा इस्करियोती के मन में डाला कि वह यीशु को पकड़वाए।

John 13:3

पिता परमेश्वर ने यीशु के हाथ में क्या कुछ दे दिया था?

पिता परमेश्वर ने यीशु के हाथ में सब कुछ कर दिया था।

यीशु कहाँ से आया था और कहाँ जा रहा था?

यीशु परमेश्वर के पास से आया था और वही लौट कर जा रहा था।

John 13:4-7

भोजन से उठने के बाद यीशु ने क्या किया?

यीशु ने अपने ऊपरी वस्त्र उतार दिए और अंगोछा लेकर अपनी कमर बांधी। तब बर्तन में पानी लेकर शिष्यों के पांव धोने और जिस अंगोछे से कमरकस रखी थी उससे पोंछने लगा।

John 13:8-10

पतरस के इन्कार करने पर यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने कहा, "यदि मैं तुझे न धोऊं तो मेरे साथ तेरा कुछ भी सांझा नहीं"।

John 13:11-13

यीशु ने अपने शिष्यों से क्यों कहा, "तुम शुद्ध हो परन्तु सब के सब नहीं"?

यीशु ने इसलिए पूछा कि वह जानता था कौन उसे पकड़वाएगा।

John 13:14-15

यीशु ने अपने शिष्यों के पांव क्यों धोए?

यीशु ने अपने शिष्यों के पांव धोए कि उनके लिए एक उदाहरण हो कि वे भी ऐसा ही करें।

John 13:16-17

क्या सेवक अपने स्वामी की और भेजा गया अपने भेजने वाले से बड़ा होता है?

सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता और जो भेजा गया वह भेजनेवाले से बड़ा नहीं होता है।

John 13:18

यीशु के साथ विश्वासघात किसने किया?

जिसने यीशु की रोटी खाई उसी ने विश्वासघात किया।

John 13:19

यीशु ने शिष्यों से क्यों कहा कि उनमें से सब शुद्ध नहीं और कि "जो मेरे साथ रोटी खाता है उसने मुझ पर लात उठाई"?

यीशु ने होने से पहले उन्हें बता दिया था कि वे विश्वास करें कि यीशु "मैं हूँ" है।

John 13:20-23

यदि कोई यीशु को ग्रहण करता है वह किसे ग्रहण करता है?

यीशु ने कहा जो मेरे भेजे हुए को ग्रहण करता है वह मुझे ग्रहण करता है; और जो मुझे ग्रहण करता है वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है।

John 13:24

जब यीशु ने कहा कि शिष्यों में से एक उसे पकड़वाएगा तब पतरस ने क्या किया?

शमौन पतरस ने यीशु के प्रिय शिष्य की ओर संकेत करके पूछा, "बता तो वह किसके विषय में कहता है"?

John 13:25-26

जब यीशु के प्रिय शिष्य ने उससे पूछा कि कौन उसे पकड़वाएगा तब यीशु ने क्या किया?

यीशु ने कहा, "जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा डुबोकर दूंगा वही है।" उस ने टुकड़ा डुबोकर शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती को दिया।

John 13:27-30

यीशु ने यहूदा को रोटी दी तब उसमें क्या हुआ और उसने क्या किया?

रोटी खाते ही यहूदा में शैतान समा गया और वह तुरन्त चला गया।

John 13:31-33

परमेश्वर का महिमान्वन कैसे होने वाला था?

मनुष्य के पुत्र में परमेश्वर की महिमा होने वाली थी। जब मनुष्य के पुत्र का महिमान्वन हुआ तो वह परमेश्वर का महिमान्वन था।

John 13:34

यीशु ने अपने शिष्यों को कौन सी नई आज्ञा दी थी?

नई आज्ञा यह थी कि वे आपस में प्रेम रखें जैसे यीशु ने उनसे प्रेम किया था।

John 13:35

यीशु के अनुसार यदि शिष्य आपस में यीशु का सा प्रेम रखेंगे तो क्या होगा?

यीशु ने कहा कि यदि वे आपस में प्रेम रखेंगे तो सब जानेंगे कि वे उसके शिष्य हैं।

John 13:36-37

यीशु ने उससे कहा, जहां मैं जाता हूँ वहाँ तू अभी मेरे पीछे आ नहीं सकता", तो क्या पतरस समझ पाया था?

नहीं, शमौन पतरस नहीं समझा था क्योंकि उसने यीशु से पूछा था, "हे प्रभु तू कहाँ जाता है"?

John 13:38

पतरस ने यीशु से कहा, "मैं तो तेरे लिए अपना प्राण भी दे दूंगा", तब यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने कहा, "क्या तू मेरे लिए अपना प्राण देगा? मैं तुझसे सच-सच कहता हूँ कि मुर्ग बांग न देगा जब तक कि तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा"।

John 14

John 14:1

शिष्यों का मन व्याकुल क्यों नहीं होना था?

उनका मन व्याकुल न होना था क्योंकि यीशु उनके लिए जगह तैयार करने जा रहा था और वह आकर उन्हें अपने यहां ले जायेगा कि जहां वह रहे वहाँ वे भी रहें।

John 14:2

पिता के घर में क्या है?

मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं।

John 14:3-5

यीशु शिष्यों के लिए क्या करने जा रहा था?

यीशु उनके लिए जगह तैयार करने जा रहा था।

John 14:6-7

पिता के पास आने का एकमात्र मार्ग क्या है?

पिता के पास आने का एकमात्र मार्ग यीशु है।

John 14:8-9

फिलिप्पुस ने यीशु से क्या करने को कहा जो शिष्यों के लिए बहुत होगा?

फिलिप्पुस ने यीशु से कहा, "हे प्रभु पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिए बहुत है"।

John 14:10

क्या यीशु शिष्यों से अपनी ओर से कुछ कहता था?

यीशु ने कहाँ, जो वह कहता है वह अपनी ओर से नहीं कहता परन्तु पिता उसमें रहकर अपने काम करता है।

John 14:11

यीशु ने क्यों कहा कि शिष्य विश्वास क्यों करें कि वह पिता में है और पिता उसमें है?

यीशु ने उनसे कहा कि वे इस बात में विश्वास करें कुछ नहीं तो उसके कामों पर ही विश्वास करें।

John 14:12

यीशु ने क्यों कहा कि शिष्य उससे भी बड़े काम करेंगे?

यीशु ने कहा कि शिष्य उससे भी महान कार्य करेंगे क्योंकि वह पिता के पास जा रहा है।

John 14:13-14

क्या कारण है कि शिष्य यीशु के नाम से जो कुछ मांगेगे वह देगा?

यीशु ऐसा करेगा जिससे कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।

John 14:15-16

यीशु ने कहा कि हम उससे प्रेम करेंगे तो हम क्या करेंगे?

यीशु ने कहा कि उसकी आज्ञाओं को मानने का अर्थ है कि हम उससे प्रेम करते हैं।

John 14:17-20

यीशु ने उस सहायक को क्या कहा जो पिता उसके शिष्यों को देगा कि सदा उसके साथ रहे?

यीशु उसे सत्य का आत्मा कहता है।

संसार सत्य के आत्मा को ग्रहण क्यों नहीं कर सकता है?

संसार सत्य के आत्मा को ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि वह न तो उसे देख सकता है और न ही उसे जान सकता है।

यीशु ने सत्य के आत्मा का अन्तर्वास किस मे बताया?

यीशु ने कहा कि उसके शिष्यों में सत्य का आत्मा होगा।

John 14:21-25

जो यीशु की आज्ञाओं को मानकर उन पर चले तो उसके साथ क्या होगा?

यीशु ने कहा, जो मुझसे प्रेम रखता है, उससे मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उससे प्रेम रखूंगा और अपने आपको उस पर प्रकट करूंगा।

John 14:26-27

जब पिता पवित्र आत्मा को भेजेगा तब वह क्या करेगा?

वह सहायक, पवित्र आत्मा शिष्यों को सब कुछ बातें सिखाएगा और यीशु ने जो कुछ कहा है सब स्मरण कराएगा।

John 14:28-29

यीशु के चले जाने पर शिष्यों को आनन्दित क्यों होना है?

यीशु ने कहा कि उन्हें आनन्दित होना है क्योंकि यीशु पिता के पास जा रहा है और पिता यीशु से बड़ा है।

John 14:30-31

शिष्यों से और भी अधिक बातें न करने का कारण यीशु ने क्या बताया था?

यीशु ने कहा कि इसका कारण है कि इस संसार का सरदार आता है।

John 15

John 15:1

सच्ची दाखलता कौन है?

सच्ची दाखलता यीशु है।

किसान कौन है?

पिता परमेश्वर किसान है।

John 15:2

जो डालियां मसीह में हैं उनके साथ पिता क्या करता है?

जो डाली यीशु में है और नहीं फलती उसे वह काट डालता है और जो फलती है उसे वह छांटता है ताकि और फले।

John 15:3

शिष्य शुद्ध क्यों हैं?

वे यीशु के वचन के द्वारा शुद्ध हैं।

John 15:4

फल लाने के लिए हमें क्या करना है?

फल लाने के लिए हमें यीशु में बने रहना है।

John 15:5

डालियां कौन हैं?

हम डालियां हैं।

John 15:6

यदि आप यीशु में बने न रहें तो क्या होगा?

जो यीशु में बना नहीं रहता तो वह डाली के समान फेंक दिया जाता है।

John 15:7

हम जो भी मांगे वह पूरा हो तो हमें उसके लिए क्या करना होगा?

हमें यीशु में और उसके वचन को हममे बने रहना है। तब हम जो भी चाहें मांग सकते हैं और वह हमें दिया जायेगा।

John 15:8-9

पिता की महिमा प्रकट करने की दो विधियां क्या हैं?

हम बहुत फल लाते हैं तो वह पिता की महिमा है और हम यीशु के शिष्य हैं।

John 15:10-12

यीशु के प्रेम में बने रहने के लिए हमें क्या करना है?

हमें उसकी आज्ञाएं मानना है।

John 15:13

मनुष्य के लिए सबसे बड़ा प्रेम क्या है?

इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्र के लिए प्राण दे।

John 15:14

हम कैसे जानेंगे कि हम यीशु के मित्र हैं?

यदि हम वह करें जो यीशु ने आज्ञा दी है तो हम यीशु के मित्र हैं।

John 15:15-18

यीशु ने अपने शिष्यों को मित्र क्यों कहा था?

उसने उन्हें मित्र कहा क्योंकि उसने उन्हें वह सब बता दिया जो उसने पिता से सुना था।

John 15:19-21

यीशु के अनुयायियों से संसार क्यों घृणा करता है?

संसार यीशु के अनुयायियों से घृणा करता है क्योंकि वे इस संसार के नहीं है क्योंकि यीशु ने उन्हें उस संसार में से चुन लिया है।

John 15:22-23

संसार के पास पाप के लिए बहाना क्यों नहीं है?

उनके पास पाप के लिए कोई बहाना नहीं है क्योंकि यीशु ने उनसे बातें की हैं और उनके मध्य ऐसे काम किए जो अन्य कोई नहीं कर सकता है।

John 15:24-25

संसार के पास पाप के लिए बहाना क्यों नहीं है?

उनके पास पाप के लिए कोई बहाना नहीं है क्योंकि यीशु ने उनसे बातें की हैं और उनके मध्य ऐसे काम किए जो अन्य कोई नहीं कर सकता है।

John 15:26

यीशु की गवाही कौन देगा?

सहायक अर्थात सत्य का आत्मा और यीशु के शिष्य उसकी गवाही देंगे।

John 15:27

शिष्य यीशु की गवाही क्यों देंगे?

वे यीशु के गवाह होंगे क्योंकि वे आरंभ ही से यीशु के साथ रहे थे।

John 16

John 16:1-2

यीशु ने शिष्यों से यह सब बातें क्यों कहीं थी?

यीशु ने उनसे ये बातें इसलिए कहीं कि वे ठोकर न खाएँ।

John 16:3

लोग यीशु के शिष्यों का आराधनालयों से क्यों निकालेंगे और कुछ को मार भी डालेंगे?

वे ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि उन्होंने न तो पिता को और न ही यीशु को जाना है।

John 16:4-6

यीशु ये बातें आरंभ में शिष्यों से क्यों नहीं कही थी?

यीशु ने उनसे आरंभ ये बातें नहीं कही थी क्योंकि वह उनके साथ था।

John 16:7

यीशु का जाना क्यों अच्छा था?

यीशु का जाना शिष्यों के लिए अच्छा था क्योंकि यदि वह नहीं जायेगा तो सहायक उनके पास नहीं आयेगा।

John 16:8-12

सहायक संसार को कौन सी बातों ने निरूत्तर करेगा?

सहायक आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।

John 16:13

सत्य का आत्मा जब आयेगा तब वह शिष्यों के लिए क्या करेगा?

वह शिष्यों को पूर्ण सत्य में लेकर चलेगा क्योंकि वह अपनी ओर से नहीं कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा और आनेवाली बातें बताएगा।

John 16:14

सत्य का आत्मा यीशु की महिमा कैसे प्रकट करेगा?

वह यीशु की बातें शिष्यों को बताएगा।

John 16:15

सत्य का आत्मा यीशु की कौन सी बातें बतायेगा?

सत्य का आत्मा पिता की सब बातें बतायेगा, पिता का सब कुछ यीशु का है।

John 16:16-19

यीशु की कौन सी बातें शिष्यों के समझ में नहीं आई थी?

शिष्यों को समझ में नहीं आया जब यीशु ने कहा, "थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे" और "यह इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूं"।

John 16:20-21

शिष्यों के दुःख का क्या होगा?

आनन्द में बदल जायेगा।

John 16:22-23

शिष्यों के आनन्द का कारण क्या होगा?

वे यीशु को फिर से देखेंगे और उनका मन प्रफुल्लित होगा।

John 16:24-26

यीशु ने शिष्यों से क्यों कहा कि मांगो और पाओ?

यीशु ने कहा मांगोगे तो तुम्हारा आनन्द पूरा हो जायेगा।

John 16:27

क्या कारण था कि पिता यीशु के शिष्यों से प्रेम करता था?

पिता शिष्यों से प्रेम करता है क्योंकि शिष्यों ने यीशु से प्रेम किया और विश्वास किया कि वह पिता के पास से आया था।

John 16:28-31

यीशु कहाँ से आया था और कहाँ जा रहा था?

यीशु पिता के पास से संसार में आया था और अब वह संसार को छोड़ कर पिता के पास जा रहा था।

John 16:32

यीशु ने शिष्यों के बारे में क्या कहा था कि वे उस समय करेंगे?

यीशु ने कहा कि शिष्य तितर-बितर होकर अपना-अपना मार्ग लेंगे और यीशु को अकेला छोड़ देंगे।

शिष्यों के तितर-बितर होने के बाद भी यीशु के साथ कौन होगा?

पिता तब भी यीशु के साथ होगा।

John 16:33

संसार में क्लेश भोगने के उपरान्त भी यीशु ने शिष्यों को ढाढ़स बांधने के लिए क्यों कहा था?

यीशु ने उनसे कहा कि वे ढाढ़स बांधे क्योंकि उसने संसार को जीत लिया है।

John 17

John 17:2

पिता परमेश्वर ने यीशु को सब प्राणियों पर अधिकार क्यों दिया था?

पिता ने यह इसलिए किया कि यीशु उन सबको अनन्त जीवन दे जिन्हें परमेश्वर ने यीशु को सौंपा है।

John 17:3

अनन्त जीवन क्या है?

अनन्त जीवन यह है कि वे एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को जिसे परमेश्वर ने भेजा है जानें।

John 17:4

यीशु ने परमेश्वर की महिमा पृथ्वी पर कैसे प्रकट की?

उसने पिता द्वारा सौंपे गए काम को पूरा करके यह किया।

John 17:5

यीशु कैसी महिमा चाहता था?

यीशु चाहता था कि परमेश्वर उसकी वही महिमा प्रकट करे जो जगत की सृष्टि से पहले उसके साथ उसकी थी।

John 17:6-7

यीशु ने पिता का नाम किस पर प्रकट किया था?

पिता ने इस संसार में से जितने लोग यीशु को दिए थे उन पर उसने पिता का नाम प्रकट किया था।

John 17:8

पिता ने यीशु को जो लोग दिए थे उन्होंने यीशु के वचनों पर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई थी?

उन्होंने यीशु के वचनों को ग्रहण किया और सच में जाना कि यीशु पिता के पास से आया था और उन्होंने विश्वास किया कि पिता ने यीशु को भेजा।

John 17:9-10

यीशु ने कहा कि वह किसके लिए विनती नहीं करता है?

यीशु ने कहा कि वह संसार के लिए विनती नहीं करता है।

John 17:11

संक्षेप में यीशु ने उन लोगों के लिए क्या मांगा जिन्हें पिता ने यीशु को सौंपा था?

यीशु पिता से प्रार्थना करता है कि वह अपने नाम से उनकी रक्षा करे कि वे एक हों और पिता उन्हें उस दुष्ट से बचाए और सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र करे, वे पिता और पुत्र दोनों में बने रहें और जहां यीशु है वहाँ वे भी उसके साथ रहें।

John 17:12-18

जब यीशु संसार में था तब उसने उन लोगों के साथ क्या किया था जिन्हें पिता ने उसे सौंपा था?

यीशु ने उनकी रक्षा की थी।

John 17:19

यीशु ने स्वयं को पवित्र क्यों किया था?

यीशु ने स्वयं को पवित्र किया कि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किए जाएं।

John 17:20-22

यीशु ने और किसके लिए भी विनती की थी?

यीशु ने उनके लिए भी विनती की जो उसके शिष्यों के वचनों के द्वारा उसमें विश्वास करेंगे।

John 17:23-25

पिता उनसे कैसा प्रेम करता है जिन्हें उसने यीशु को सौंपा है?

पिता उनसे भी वैसा ही प्रेम करता है जैसा वह यीशु से प्रेम करता है।

John 17:26

पिता ने जिन्हें यीशु को सौंपा है उन पर यीशु ने पिता का नाम क्यों प्रकट किया और करेगा?

यीशु ने प्रकट किया और करेगा भी कि जिस प्रेम से पिता ने यीशु को प्रेम किया वह उनमें हो और यीशु उनमें हों।

John 18

John 18:1

इन बातों को कहने के बाद यीशु कहाँ गया था?

ये बातें कह कर यीशु अपने शिष्यों के साथ किद्रोन के नाले के पार एक वाटिका में गया।

John 18:2

यहूदा को उस वाटिका की जानकारी कैसे थी?

यह स्थान यीशु का परिचित था क्योंकि वह शिष्यों के साथ प्रायः वहाँ जाता था।

John 18:3-5

दीपकों और मशालों और हथियारों को लेकर वहाँ कौन आया?

यहूदा सैनिकों के एक दल और प्रधान याजकों और फरीसियों की ओर से प्यादों को लेकर वहाँ आया।

John 18:6-7

उन लोगों ने कहा कि वे यीशु नासरी को खोजते हैं तब यीशु ने कहा, "मैं हूँ" तो उनका क्या हुआ?

उनके साथ सैनिक पीछे हटकर भूमि पर गिर पड़े।

John 18:8-9

यीशु ने क्यों कहा, "मैं तुम से कह चुका हूँ कि मैं हूँ, यदि मुझे ढूंढ़ते हो, तो इन्हें जाने दो"?

यह इसलिए हुआ कि वह वचन पूरा हो जो उसने कहा था; "जिन्हें तूने मुझे दिया था उनमें से मैंने एक को भी न खोया"।

John 18:10-12

पतरस ने तलवार चलाकर महायाजक के दास का कान काट दिया तो यीशु ने उससे क्या कहा था?

यीशु ने पतरस से कहा, "अपनी तलवार म्यान में रख। जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है, क्या मैं उसे न पीऊं?"

John 18:13-15

सैनिक और सूबेदार और महायाजक के प्यादों ने यीशु को बांध कर किसके सामने खड़ा किया?

वे पहले यीशु को हन्ना के पास ले गए।

हन्ना कौन था?

हन्ना उस वर्ष के महायाजक काइफा का ससुर था।

John 18:16

पतरस महायाजक के परिसर में कैसा गया?

एक शिष्य महायाजक का परिचित था वह द्वारपालिन से कह कर पतरस को भीतर ले आया।

John 18:17-18

पतरस से किसने पूछा कि वह यीशु के साथ था या उसका शिष्य था?

एक स्त्री परिसर के द्वार की चौकसी कर रही थी और दास और प्यादे कोयले जलाकर आग ताप रहे थे और महायाजक के उस दास का एक परिजन जिसका कान पतरस ने काट दिया था, सबने पूछा कि क्या पतरस भी यीशु के साथ था या उसका शिष्य तो नहीं।

John 18:19-23

महायाजक ने यीशु से उसके शिष्यों और उसके आदेशों के बारे में पूछा तो यीशु ने उसे क्या उत्तर दिया?

यीशु ने महायाजक को उत्तर दिया "मैंने संसार में खुलकर बातें की, सुनने वालों से पूछ कि मैंने उनसे क्या कहा?"

John 18:24-26

यीशु से प्रश्न पूछने के बाद हन्ना ने उसे कहाँ भेज दिया?

हन्ना ने यीशु को महायाजक काइफा के पास भेज दिया।

John 18:27

जब पतरस ने तीसरी बार यीशु का इन्कार किया तब क्या हुआ?

पतरस ने जब तीसरी बार यीशु का इन्कार किया तब तुरन्त ही मुर्ग ने बांग दी।

John 18:28

जो लोग यीशु को किले में ले गए थे उन्होंने भीतर प्रवेश क्यों नहीं किया?

वे किले के भीतर नहीं गए कि अशुद्ध न हों और फसह खा सकें।

John 18:29-30

पिलातुस ने पूछा, "तुम इस मनुष्य पर किस बात का आरोप लगाते हो"? तो यीशु पर दोष लगाने वालों ने क्या उत्तर दिया?

उन्होंने पिलातुस को उत्तर दिया, "यदि वह कुकर्मी न होता तो हम उसे तेरे हाथ न सौंपेते"।

John 18:31-32

यीशु को स्वयं दण्ड देने की अपेक्षा वे उसे पिलातुस के पास क्यों ले गए?

यहूदी यीशु को मार डालना चाहते थे परन्तु रोमी राज्य की अनुमति के बिना वे ऐसा नहीं कर सकते थे।

John 18:33-34

पिलातुस ने यीशु से क्या पूछा?

पिलातुस ने यीशु से पूछा कि क्या वह यहूदियों का राजा है, उसने यीशु से यह भी पूछा कि उसने क्या किया है।

John 18:35

पिलातुस ने यीशु से क्या पूछा?

पिलातुस ने यीशु से पूछा कि क्या वह यहूदियों का राजा है, उसने यीशु से यह भी पूछा कि उसने क्या किया है।

John 18:36

यीशु ने पिलातुस को अपने राज्य के बारे में क्या कहा?

यीशु ने उत्तर दिया, "मेरा राज्य इस संसार का नहीं।" और न ही यहाँ का है।

John 18:37

यीशु का जन्म क्यों हुआ था?

यीशु का जन्म राजा होने के लिए हुआ था।

John 18:38

यीशु से प्रश्न पूछने के बाद पिलातुस ने क्या निर्णय लिया?

पिलातुस ने यहूदियों से कहा, "मैं तो उसमें कुछ दोष नहीं पाता"।

John 18:39-40

पिलातुस ने यीशु को मुक्त करने का प्रस्ताव दिया तो यहूदियों ने चिल्लाकर क्या कहा?

यहूदियों ने चिल्लाकर कहा, "इसे नहीं, परन्तु हमारे लिए बरअब्बा को छोड़ दे"।

John 19

John 19:2-3

पिलातुस ने यीशु को कोड़े लगवाए फिर सैनिकों ने उसके साथ क्या किया?

सैनिकों ने कांटों का मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा और उसे बैंजनी वस्त्र पहनाया और उसके पास आकर कहने लगे, "हे यहूदियों के राजा, प्रणाम"। और उसे थप्पड़ भी मारे।

John 19:4

पिलातुस यीशु को सबके सामने क्यों लाया था?

पिलातुस यीशु को बाहर लाया कि लोगों पर प्रकट हो कि पिलातुस ने उसमें कोई दोष नहीं पाया।

John 19:5

पिलातुस उसे बाहर लाया तब वह क्या पहने हुए था?

यीशु कांटों का मुकुट और बैंजनी वस्त्र धारण किए हुए था।

John 19:6

यीशु को देखकर महायाजकों और उसके प्यादों ने चिल्लाकर क्या कहा?

उन्होंने चिल्लाकर कहा "उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर"।

John 19:7-8

यहूदियों की किस बात से पिलातुस और भी डर गया?

यहूदियों ने पिलातुस से कहा, "हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उसने अपने आपको परमेश्वर का पुत्र बताया"।

John 19:9-10

पिलातुस ने यीशु से पूछा कि वह कहाँ का है तो यीशु ने क्या उत्तर दिया?

यीशु ने उत्तर नहीं दिया।

John 19:11

यीशु के शब्दों में पिलातुस को किसने अधिकार दिया था?

यीशु ने कहा, "यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता तो तेरा मुझ पर कोई अधिकार न होता"।

John 19:12-14

पिलातुस यीशु को छोड़ना चाहता था परन्तु यहूदियों की किस बात ने उसे ऐसा करने से रोका?

यहूदी नारा लगा रहे थे, "यदि तू इसको छोड़ देगा तो तेरी भक्ति कैसर की ओर नहीं। जो कोई अपने आपको राजा बताता है वह कैसर का सामना करता है"।

John 19:15-16

इससे पहले कि पिलातुस यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिए उनके हाथों में देता, महायाजकों ने अन्तिम बात क्या कही?

महायाजकों ने कहा, "कैसर को छोड़ हमारा और कोई राजा नहीं"।

John 19:17

उन्होंने यीशु को कहाँ क्रूस पर चढ़ाया?

उन्होंने यीशु को गुलगुता अर्थात खोपड़ी का स्थान में क्रूस पर चढ़ाया।

John 19:18

क्या उस दिन केवल यीशु ही क्रूस पर चढ़ाया गया था?

नहीं यीशु के साथ दो और अपराधी उसके दहिनी और बाई ओर क्रूस पर चढ़ाए गये।

John 19:19

पिलातुस ने यीशु के क्रूस लगाने वाले दोष पत्र पर क्या लिखा था?

उसके दोष पत्र पर लिखा था, "यीशु नासरी यहूदियों का राजा"।

John 19:20-22

यीशु का दोष पत्र कौन-कौन सी भाषाओं में लिखा था?

वह दोष इब्रानी, लतीनी और यूनानी में लिखा था।

John 19:23-24

यीशु के वस्त्रों के साथ सैनिकों ने क्या किया?

सैनिकों ने यीशु के वस्त्रों को चार भागों में बांट लिया, हर एक सैनिक के लिए एक भाग, परन्तु उन्होंने उसका बागा जो ऊपर से नीचे तक बिना जोड़ का था उसे फाड़ा नहीं, उस पर चिट्ठी डाली।

यीशु के वस्त्रों के साथ सैनिकों ने जो किया वह क्यों हुआ?

ऐसा इसलिए हुआ कि धर्मशास्त्र की बात पूरी हो, "उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बांट लिए और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली"।

John 19:25

यीशु के क्रूस के पास कौन खड़ा था?

यीशु की माता और उसकी माता की बहन और क्लोपास की पत्नी मरियम, मरियम मगदलीनी और वह शिष्य जिसे यीशु प्रेम करता था क्रूस के पास खड़े थे।

John 19:26

यीशु ने अपनी माता और प्रिय शिष्य को निकट खड़ा देखकर क्या कहा?

यीशु ने कहा, "हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है"।

John 19:27

यीशु ने अपने प्रिय शिष्य से कहा, "यह तेरी माता है", तब उसने क्या किया?

उसी समय से वह चेला उसे अपने घर ले गया।

John 19:28

यीशु ने क्यों कहा, "मैं प्यासा हूं"।

यीशु ने यह धर्मशास्त्र की पूर्ति के निमित्त कहा था।

John 19:29-30

उसके मुंह के निकट लाए गए सिरके को पीकर यीशु ने क्या किया?

सिरका लेकर यीशु ने कहा, "पूरा हुआ", और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिया।

John 19:31-32

यहूदियों ने पिलातुस से क्यों निवेदन किया कि दण्डित अपराधियों की टांगे तोड़ दी जाएं?

वह तैयारी का दिन था और सब्त के दिन पार्थिव देह क्रूस पर न रहे, यहूदियों ने पिलातुस से निवेदन किया कि अपराधियों की टांगे तोड़ कर उन्हें उतार लिया जाए।

John 19:33

सैनिकों ने यीशु की टांगे क्यों नहीं तोड़ी?

यीशु की टांगे नहीं तोड़ी गई क्योंकि वह मर चुका था।

John 19:34

यीशु को मृतक जानने के बाद भी एक सैनिक ने क्या किया?

एक सैनिक ने यीशु की पसलियों में भाला मारा।

John 19:35

यीशु के क्रूसीकरण की संपूर्ण घटना को जिसने देखा उसने क्यों गवाही दी?

जिस ने यह देखा, उसी ने गवाही दी है, और उस की गवाही सच्ची है कि तुम विश्वास करो।

John 19:36-37

यीशु की टांगे क्यों नहीं तोड़ी गई थी और उसे क्यों बेधा गया था?

यह सब इसलिए हुआ कि धर्मशास्त्र की बात पूरी हो, "उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी" और यह भी लिखा है, "जिसे उन्होंने बेधा है उस पर वे दृष्टि करेंगे"।

John 19:38

यीशु के शव को ले जाने का निवदेन किसने किया था?

अरमतियाह के यूसुफ ने पिलातुस से निवदेन किया कि वह यीशु के शव को ले जाना चाहता है।

John 19:39-42

यीशु का शव लेने के लिए यूसुफ के साथ कौन आया था?

नीकुदेमुस भी अरमतियाह के यूसुफ के साथ आया था।

यीशु के शव के साथ अरमतियाह के यूसुफ और नीकुदेमुस ने क्या किया?

उन्होंने यीशु के शव को पचास सेर के लगभग गन्धरस और एल्वा लगाकर कपड़े में लपेट दिया और वहाँ निकट स्थित एक बारी की कब्र में रखा।

John 20

John 20:1

मरियम मगदलीनी यीशु की कब्र पर कब आई?

वह सप्ताह के पहले दिन यीशु की कब्र पर आई।

कब्र पर पहुंचकर मरियम मगदलीनी ने क्या देखा?

उसने देखा कि कब्र पर से पत्थर हटा हुआ है।

John 20:2

मरियम मगदलीनी ने उन दोनों शिष्यों से क्या कहा?

उसने कहा "वे प्रभु को कब्र से निकाल ले गए और हम नहीं जानते कि उसे कहाँ रखा है।"

John 20:3-4

मरियम मगदलीनी की बात पर पतरस और दूसरे चेले ने क्या किया?

वे दोनों भाग कर कब्र पर आए।

John 20:5-7

शमौन पतरस और उस दूसरे शिष्य ने कब्र में क्या देखा?

उन्होंने कपड़े वहाँ पड़े हुए देखे और जो अंगोछा सिर पर बंधा था वह अलग एक जगह लिपटा हुआ रखा देखा।

John 20:8-11

कब्र में उन्होंने जो देखा उस पर दूसरे शिष्य की क्या प्रतिक्रिया थी?

उसने देखा और विश्वास किया।

John 20:12

मरियम ने कब्र में झांक कर क्या देखा?

उसने वहाँ श्वेत वस्त्रों में दो स्वर्गदूत देखे एक उस स्थान के शीर्ष की ओर बैठा था और दूसरा वस्त्रों की ओर जहां यीशु का शव रखा था।

John 20:13

स्वर्गदूतों ने मरियम से क्या कहा?

उन्होंने उससे पूछा हे नारी तू क्यों रोती है?

John 20:14

मरियम ने मुड़कर देखा तो वहाँ कौन था?

उसने वहाँ यीशु को खड़ा देखा परन्तु पहचाना नहीं।

John 20:15

मरियम ने यीशु को क्या समझा?

उसने सोचा कि वह माली है।

John 20:16

मरियम ने यीशु को कब पहचाना?

उसने यीशु को तब पहचाना जब उसने उसका नाम लिया, "मरियम"।

John 20:17-18

यीशु ने मरियम को स्पर्श हेतु मना क्यों किया?

यीशु ने मरियम से कहा कि वह उसे न छूए क्योंकि वह अभी पिता के पास नहीं गया है।

यीशु ने मरियम के हाथ अपने भाइयों के लिए क्या सन्देश भेजा?

यीशु ने मरियम से कहा, "मेरे भाइयों के पास जाकर कह दे कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूं"।

John 20:19

सप्ताह के प्रथम दिन संध्या समय शिष्य एकत्र थे तब क्या हुआ?

यीशु आकर उनके मध्य खड़ा हो गया।

John 20:20

यीशु ने शिष्यों को क्या दिखाया?

उसने उन्हें अपने हाथ और पसलियां दिखाई।

John 20:21

यीशु ने अपने शिष्यों के साथ क्या किया?

यीशु ने कहा कि वह शिष्यों को वैसे ही भेज रहा है जैसे उसके पिता ने उसे भेजा था।

John 20:22-23

शिष्यों पर पवित्र आत्मा फूंकने के बाद यीशु ने अपने शिष्यों से क्या कहा?

यीशु ने उनसे कहा, "पवित्र आत्मा लो" जिनके पाप तुम क्षमा करो वे उनके लिए क्षमा किए गए है, जिनके तुम रखो, वे रखे गए हैं"।

John 20:24

जब शिष्यों के मध्य यीशु प्रकट हुआ तब एक शिष्य वहाँ नहीं था, वह कौन था?

थोमा जो दिदुमुस कहलाता है वह उस समय उनके साथ नहीं था, जब यीशु आया।

John 20:25

थोमा ने क्या कहा कि वह विश्वास करने के लिए करेगा?

थोमा ने कहा, "जब तक मैं उनके हाथों में कीलों के छेद न देख लूं और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूं और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूं तब तक मैं विश्वास न करूंगा?

John 20:26

थोमा ने यीशु को कब देखा?

आठ दिन बाद चेले फिर घर के भीतर थे और थोमा उनके साथ था तब यीशु बन्द द्वार से प्रवेश करके उनके मध्य उपस्थित हुआ।

John 20:27

यीशु ने थोमा से क्या करने को कहा?

यीशु ने थोमा से कहा, "अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो"।

John 20:28

थोमा ने यीशु से क्या कहा?

थोमा ने कहा, "हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर"।

John 20:29

यीशु ने किसको धन्य कहा?

यीशु ने कहा, "धन्य हैं वे जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया"।

John 20:30

क्या यीशु ने वे चिन्ह भी दिखाए जो इस पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

जी हां, यीशु ने शिष्यों की उपस्थिति में और भी अनेक चिन्ह दिखाए जो यूहन्ना की पुस्तक में नहीं लिखे गए हैं।

John 20:31

इस पुस्तक में चिन्हों की चर्चा क्यों की गई है?

वे इसलिए लिखे गए हैं कि तुम विश्वास करो कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है।

John 21

John 21:1

यीशु जब फिर से शिष्यों पर प्रकट हुआ तब शिष्य कहाँ थे?

शिष्य तिबिरियास की झील पर थे तब यीशु उन पर फिर प्रकट हुआ।

John 21:2

तिबिरियास की झील पर कौन-कौन थे?

शमौन पतरस, थोमा जो दिदुमुस कहलाता था और गलील के काना नगर का नतनएल और जबदी के पुत्र और उसके चेलों में से दो और तिबिरियास झील पर थे।

John 21:3-5

शिष्य क्या कर रहे थे?

वे पूरी रात व्यर्थ में मछली पकड़ते रहे।

John 21:6

यीशु ने शिष्यों से क्या करने को कहा?

यीशु ने उनसे कहा कि वे नाव की दाहिनी ओर जाल डालें तो पाएंगे।

शिष्यों ने जाल डाला तो क्या हुआ?

मछलियों की बहुतायत के कारण वे जाल को खींच नहीं पाए।

John 21:7

यीशु के प्रिय शिष्य ने कहा कि वह यीशु है तो पतरस ने क्या किया?

उसने अंगरखा कमर में बांधा और झील में कूद पड़ा।

John 21:8-9

अन्य शिष्यों ने क्या किया?

अन्य शिष्य डोंगी पर मछलियों से भरा जाल खींचते हुए आए।

John 21:10-11

यीशु ने शिष्यों से कौन से दो काम करने को कहे?

यीशु ने शिष्यों से कहा कि पकड़ी हुई मछलियों में से कुछ लेकर आएं और उसके साथ नाश्ता करें।

John 21:12-13

यीशु ने शिष्यों से कौन से दो काम करने को कहे?

यीशु ने शिष्यों से कहा कि पकड़ी हुई मछलियों में से कुछ लेकर आएं और उसके साथ नाश्ता करें।

John 21:14

पुनरूत्थान के बाद जब यीशु यहां शिष्यों पर प्रकट हुआ तो वह कितनी बार हुआ था?

पुनरूत्थान के बाद यहां तीसरी बार यीशु शिष्यों पर प्रकट हुआ था?

John 21:15-16

नाश्ते के बाद यीशु ने पतरस से क्या पूछा था?

यीशु ने पतरस से पूछा, "हे शमौन यूहन्ना के पुत्र क्या तू इनसे बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है और उसने दो बार और उससे पूछा, ”क्या तू मुझसे प्रेम रखता है"?

John 21:17

हर बार जब यीशु ने पतरस से पूछा कि वह उससे प्रेम करता है तब पतरस का उत्तर क्या था?

हर एक प्रश्न का उत्तर पतरस ने यही दिया, "हां प्रभु, तू जानता है कि मैं तुझसे प्रीति रखता हूं"।

हर बार पतरस यीशु के प्रश्न का सकारात्मक उत्तर देता है तो यीशु हर बार उससे क्या कहता है?

पहली बार यीशु ने पतरस से कहा, "मेरे मेमनों को चराए" दूसरी बार यीशु ने कहा, "मेरी भेड़ों की रखवाली करना" और तीसरी बार यीशु ने कहा, "मेरी भेड़ों को चरा"।

John 21:18

यीशु ने पतरस से क्या कहा कि उसकी वृद्धावस्था में उसके साथ होगा?

यीशु ने पतरस से कहा कि जब वह वृद्ध हो जायेगा तब वह हाथ फैलाएगा और दूसरा उसकी कमर बांधकर जहां वह नहीं चाहेगा वहाँ उसे ले जायेगा।

John 21:19

यीशु ने पतरस की वृद्धावस्था की चर्चा क्यों की थी?

इन बातों से यीशु ने संकेत दिया कि पतरस की मृत्यु कैसी होगी।

John 21:20-21

इस पुस्तक का लेखक कौन है और वह किसकी गवाही देता है?

जिस शिष्य से यीशु प्रेम रखता था उसने यह पुस्तक लिखी है और गवाही देता है कि इसमें व्यक्त सब घटनाएं सच हैं।

John 21:22-23

यीशु जिस शिष्य से प्रेम रखता था उसके बारे में पतरस ने यीशु से क्या पूछा?

पतरस ने यीशु से पूछा, "हे प्रभु इसका क्या हाल होगा"?

"हे प्रभु इसका क्या हाल होगा"? पतरस के इस प्रश्न पर यीशु ने पतरस से क्या कहा?

यीशु ने पतरस से कहा, "तू मेरे पीछे होले"।

John 21:24-25

इस पुस्तक का लेखक कौन है और वह किसकी गवाही देता है?

जिस शिष्य से यीशु प्रेम रखता था उसने यह पुस्तक लिखी है और गवाही देता है कि इसमें व्यक्त सब घटनाएं सच हैं।