1 Corinthians
1 Corinthians 1
1 Corinthians 1:1-2
पौलुस को किसने बुलाया और किस काम के लिए बुलाया?
मसीह यीशु ने पौलुस को प्रेरित होने के लिए बुलाया था।
1 Corinthians 1:3-4
पौलुस कुरिन्थ नगर की कलीसिया के लिए पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह से क्या कामना करता है?
पौलुस कामना करता है कि हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से इस कलीसिया को अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।
1 Corinthians 1:5-6
परमेश्वर ने कुरिन्थ की कलीसिया को कैसा धनी बनाया है?
परमेश्वर ने उन्हें सारे वचन और सारे ज्ञान में धनी बनाया है।
1 Corinthians 1:7
कुरिन्थ की कलीसिया में किस बात की घटी नहीं थी?
उन्हें किसी भी आत्मिक वरदान में घटी नहीं थी।
1 Corinthians 1:8-9
परमेश्वर कुरिन्थ की कलीसिया को अन्त तक दृढ़ क्यों करेगा?
वह तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेगा, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो।
1 Corinthians 1:10
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से क्या अनुग्रह करता है?
पौलुस उनसे आग्रह करता है कि वे सब एक मन और एकमत होकर रहें और उनमें फूट न हो और एक चित्त तथा एक ही उद्देश्य के निमित्त संगठित होकर रहें।
1 Corinthians 1:11
खलोए के परिजनों ने कुरिन्थ की कलीसिया के बारे में पौलुस को क्या समाचार सुनाया था?
खलोए के घराने के लोगों ने पौलुस को समाचार दिया था कि उनमें झगड़े हो रहे थे।
1 Corinthians 1:12-13
फूट से पौलुस का क्या अर्थ था?
पौलुस के कहने का अर्थ था कि उनमें से कुछ लोग कहते थे कि वे पौलुस के दल के हैं; कुछ कहते थे कि वे अपुल्लोस के दल के हैं, तो कुछ कैफा के दल के तो कुछ मसीह के हैं।
1 Corinthians 1:14-16
पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद क्यों करता है कि उसने क्रिस्पुस और गयुस को छोड़ और किसी को बपतिस्मा नहीं दिया?
पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद करता है कि ऐसा समय नहीं आया कि कोई कहे कि उसने पौलुस के नाम में बपतिस्मा लिया है।
1 Corinthians 1:17
मसीह ने पौलुस को वहां क्या करने भेजा था?
मसीह ने पौलुस को सुसमाचार सुनाने भेजा था।
1 Corinthians 1:18-19
नाश होने वालों के लिए क्रूस का सन्देश कैसा है?
क्रूस का सन्देश नाश होने वालों के लिए मूर्खता है।
उद्धार पाने वालों के लिए क्रूस का सन्देश क्या है?
यह उद्धार पाने वालों के लिए परमेश्वर का सामर्थ्य है।
1 Corinthians 1:20
परमेश्वर ने सांसारिक ज्ञान को क्या बना दिया है?
परमेश्वर ने सांसारिक ज्ञान को मूर्खता बना दिया है।
1 Corinthians 1:21-25
जो प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करते हैं उससे परमेश्वर क्यों प्रसन्न है?
परमेश्वर इससे प्रसन्न हुआ क्योंकि संसार ने अपने ज्ञान के कारण परमेश्वर को नहीं जाना।
1 Corinthians 1:26
शरीर के अनुसार ज्ञानवानों, सामर्थियों और कुलीन जनों में से कितनों को परमेश्वर ने बुलाया है?
परमेश्वर ने ऐसे अनेकों को नहीं बुलाया है।
1 Corinthians 1:27
परमेश्वर ने मूर्खों और निर्बलों को क्यों चुना?
परमेश्वर ने ऐसा इसलिये किया कि ज्ञानवान और बलवानों को लज्जित करे।
1 Corinthians 1:28-29
परमेश्वर ने ऐसा क्या किया कि उसके समक्ष किसी के पास गर्व करने का कारण न हो?
परमेश्वर ने नीचों और तुच्छों को वरन् जो हैं भी नहीं उनको भी चुन लिया।
1 Corinthians 1:30
विश्वासी मसीह में क्यों थे?
वे मसीह में थे क्योंकि परमेश्वर ने ऐसा किया।
मसीह यीशु हमारे लिए क्या बन गया?
मसीह परमेश्वर की ओर से हमारे लिए ज्ञान ठहरा अर्थात धार्मिकता, और पवित्रता और छुटकारा।
1 Corinthians 1:31
यदि हम घमण्ड करें तो किसमें घमण्ड करें?
जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।
1 Corinthians 2
1 Corinthians 2:1
परमेश्वर के सत्य के भेद को सुनाने के लिए पौलुस किस क्षमता में कुरिन्थ आया था?
पौलुस परमेश्वर का भेद सुनाने के लिए शब्दों और ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया था।
1 Corinthians 2:2-3
भण्डारियों के लिए एक अनिवार्यता क्या है?
भण्डारियों को विश्वास योग्य होना चाहिये।
1 Corinthians 2:4-6
पौलुस के वचन और उसका प्रचार ज्ञान के द्वारा प्रेरित करने की अपेक्षा आत्मा और सामर्थ्य पर निर्भर क्यों था?
यह इसलिए कि उनका विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं परन्तु परमेश्वर के सामर्थ्य पर निर्भर हो।
1 Corinthians 2:7
पौलुस और उसके साथियों ने कौन सा ज्ञान बताया था?
उन्होंने गुप्त सत्यों में निहित परमेश्वर के ज्ञान को भेद की नीति पर बताया। गुप्त ज्ञान जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया।
1 Corinthians 2:8-9
यदि पौलुस के युग के हाकिम परमेश्वर के उस ज्ञान को जानते तो वे क्या नहीं करते?
यदि हाकिम उस ज्ञान को जान पाते तो वे तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।
1 Corinthians 2:10
पौलुस और उसके साथियों ने परमेश्वर के उस ज्ञान को कैसे पाया था?
परमेश्वर ने आत्मा के द्वारा उन पर यह प्रकट किया था।
1 Corinthians 2:11
परमेश्वर की गूढ़ बातें कौन जांचता है?
आत्मा परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।
1 Corinthians 2:12-13
पौलुस और उसके साथियों ने परमेश्वर से आत्मा क्यों पाया था?
उन्होंने आत्मा पाया जो परमेश्वर की ओर से है जिससे कि वे उन बातों को समझें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।
1 Corinthians 2:14-15
शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण क्यों नहीं कर पाता है या समझ क्यों नहीं पाता है?
शारीरिक मनुष्य परमेश्वर की आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता है क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जांच आत्मिक रीति से होती है।
1 Corinthians 2:16
पौलुस के अनुसार यीशु में विश्वास करने वालों में किसका मन है?
पौलुस कहता है कि उनमें मसीह का मन है।
1 Corinthians 3
1 Corinthians 3:1-4
पौलुस क्यों कहता है कि वह कुरिन्थ के विश्वासियों के साथ आत्मिक मनुष्यों की नाईं बातें नहीं कर सकता था?
पौलुस उनसे आत्मिक मनुष्यों की नाईं बातें नहीं कर सकता था क्योंकि वे शारीरिक थे, उनमें डाह और झगड़े थे।
1 Corinthians 3:5-6
पौलुस कौन था और अपुल्लोस कौन था?
जिनके माध्यम से कुरिन्थ की कलीसिया ने मसीह में विश्वास किया वे परमेश्वर के सहकर्मी और सेवक थे।
1 Corinthians 3:7-10
बढ़ाने वाला कौन है?
परमेश्वर बढ़ाता है।
1 Corinthians 3:11
नींव क्या है?
मसीह यीशु नींव है।
1 Corinthians 3:12
नींव जो मसीह यीशु है उस पर निर्माण करने वाले के कामों का क्या होगा?
उसके काम दिन के प्रकाश में और आग से प्रकट होंगे।
1 Corinthians 3:13
मनुष्य के काम को आग क्या करेगी?
आग हर एक के कामों की गुणकारिता प्रकट करेगी।
1 Corinthians 3:14
किसी का काम आग में से बच कर निकले तो क्या होगा?
वह प्रतिफल पायेगा।
1 Corinthians 3:15
जिस मनुष्य के काम आग में भस्म हो जायेंगे उसका क्या होगा?
वह मनुष्य हानि तो उठाएगा पर वह आप बच जायेगा परन्तु जलते-जलते।
1 Corinthians 3:16
हम, मसीह के विश्वासी क्या है और हम में कौन अन्तर्वास करता है?
हम परमेश्वर के मन्दिर हैं और परमेश्वर का आत्मा हममें वास करता है।
1 Corinthians 3:17
परमेश्वर के मंदिर को नष्ट करने वाले का क्या होगा?
परमेश्वर के मंदिर को नष्ट करने वालों को परमेश्वर नष्ट करेगा।
1 Corinthians 3:18-19
जो इस युग में स्वयं को ज्ञानवान समझता है उससे पौलुस क्या कहता है?
पौलुस कहता है, मनुष्य ".....मूर्ख बने कि ज्ञानी हो जाये।"
1 Corinthians 3:20
प्रभु ज्ञानियों के विचारों को क्या समझता है?
प्रभु ज्ञानियों के विचारों को जानता है कि वे व्यर्थ हैं।
1 Corinthians 3:21-23
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से क्यों कहता है कि वे घमण्ड करना त्याग दें?
उसने उनसे कहा कि घमण्ड करना छोड़ दें, "क्योंकि सब कुछ तुम्हारा है" क्योंकि "तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का है"।
1 Corinthians 4
1 Corinthians 4:1-3
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को उन्हें क्या समझने को कहा?
वे उन्हें सेवक और परमेश्वर के भेद के भण्डारी समझें।
1 Corinthians 4:4
पौलुस किसे अपना न्यायकर्ता मानता है?
पौलुस कहता है कि प्रभु उसका न्याय करता है।
1 Corinthians 4:5
प्रभु आयेगा तब क्या करेगा?
वह अंधकार की बातों को प्रकाश में लाकर मन के उद्देश्यों को उजागर करेगा।
1 Corinthians 4:6-7
पौलुस ने स्वयं के लिए और अपुल्लोस के लिए इन सिद्धान्तों को लागू क्यों किया था?
पौलुस ने कुरिन्थ के विश्वासियों के लिए यह उदाहरण दिया कि वे उनसे सीखें कि लिखे हुए से आगे नहीं बढ़ना चाहिये, कि एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करें।
1 Corinthians 4:8-9
पौलुस ने ऐसी कामना क्यों की कि कुरिन्थ के विश्वासी राज्य करें?
पौलुस कहता है, "भला होता कि राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते।"
1 Corinthians 4:10
पौलुस कौन सी तीन बातों में अपनी और अपने साथियों की तुलना कुरिन्थ की कलीसिया से करता है?
पौलुस कहता है, "हम मसीह के लिए मूर्ख हैं परन्तु तुम मसीह में बुद्धिमान हो, हम निर्बल हैं परन्तु तुम बलवान हो, तुम आदर पाते हो परन्तु हम निरादर होते हैं।"
1 Corinthians 4:11
पौलुस ने प्रेरितों की शारीरिक दशा का कैसे वर्णन किया?
पौलुस ने कहा कि वे भूखे, प्यासे और नंगे रहे, घूसे खाते रहे और मारे-मारे फिरते रहे।
1 Corinthians 4:12-13
पौलुस और उसके साथियों की प्रतिक्रिया दुर्व्यवहार में कैसी थी?
जब उनकी निन्दा की गई तो उन्होंने आशिष दी, उन्हें सताया गया तो उन्होंने सहन किया, उन्हें बदनाम किया गया तो उन्होंने विनती की।
1 Corinthians 4:14-15
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को ये बातें क्यों लिखीं?
उसने उन्हें प्रिय बालकों की नाईं सुधारने के लिए यह पत्र लिखा।
1 Corinthians 4:16
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को कैसी चाल चलने के लिए कहता है?
पौलुस उनसे कहता है कि उसकी सी चाल चलें।
1 Corinthians 4:17
पौलुस ने तीमुथियुस को कुरिन्थ किस बात पर उन्हें स्मरण करवाने के लिए भेजा?
पौलुस ने तीमुथियुस को कुरिन्थ भेजा कि उन्हें मसीह में पौलुस का जो चरित्र है उसका स्मरण कराए।
1 Corinthians 4:18-19
कुरिन्थ की कलीसिया के कुछ विश्वासियों का व्यवहार कैसा था?
उनमें से कुछ तो ऐसे घमण्डी हो गए थे कि मानो पौलुस वहाँ कभी नहीं जाएगा।
1 Corinthians 4:20-21
परमेश्वर का राज्य किसमें है?
परमेश्वर का राज्य सामर्थ्य में है।
1 Corinthians 5
1 Corinthians 5:1
पौलुस को कुरिन्थ की कलीसिया का क्या समाचार मिला था?
पौलुस को समाचार मिला था कि वहां व्यभिचार था, एक मनुष्य ने अपने पिता की पत्नी को रखा था।
1 Corinthians 5:2-3
पिता की पत्नी के साथ पाप करने वाले के लिए पौलुस ने क्या कहा?
उसने अपने पिता की पत्नी के साथ पाप किया उसे कलीसिया से निकाल दिया जाए।
1 Corinthians 5:4-7
पिता की पत्नी के साथ पाप करने वाले उस मनुष्य को कैसे और क्यों निकाला जाए?
जब कुरिन्थ की कलीसिया प्रभु यीशु के नाम में एकत्र हो तब वे उस पाप करने वाले मनुष्य को देह के विनाश हेतु शैतान को सौंप दें जिससे कि प्रभु के दिन के लिए उसकी आत्मा बच जाए।
1 Corinthians 5:8
दुष्कर्म और दुष्टता की तुलना पौलुस किससे करता है?
पौलुस उनकी तुलना खमीर से करता है।
पौलुस विश्वासयोग्यता और सत्य की उपमा किससे देता है?
पौलुस अखमीरी रोटी को विश्वासयोग्यता और सत्य की उपमा स्वरूप काम में लेता है।
1 Corinthians 5:9
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को लिखा कि वे किसके साथ संबन्ध नहीं रखें?
पौलुस ने उन्हें लिखा कि व्यभिचारियों से संबन्ध न रखें।
1 Corinthians 5:10-11
क्या पौलुस के कहने का अर्थ यह था कि वे संसार में व्यभिचारियों से संबन्ध न रखें?
पौलुस का अभिप्राय संसार के भौतिक लोगों से नहीं था क्योंकि ऐसे में तो उन्हें संसार से बाहर चले जाना होगा।
??
पौलुस के कहने का अर्थ क्या था कि कुरिन्थ के विश्वासी किसकी संगति न करें।
1 Corinthians 5:12
विश्वासियों से न्याय करने की अपेक्षा क्यों की जाती है?
उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे कलीसिया के सदस्यों का न्याय करें।
1 Corinthians 5:13
कलीसिया से बाहर वालों का न्याय कौन करता है?
बाहर वालों का न्याय परमेश्वर करता है।
1 Corinthians 6
1 Corinthians 6:1
पौलुस के अनुसार कुरिन्थ के विश्वासियों को किसका न्याय करने योग्य होना चाहिए?
पौलुस कहता है कि उन्हें आपसी झगड़े बाहर नहीं ले जाने चाहिए स्वयं ही न्याय करें।
1 Corinthians 6:2-5
पवित्र जन किसका न्याय करेंगे?
पवित्र जन जगत का और स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे।
1 Corinthians 6:6
कुरिन्थ के विश्वासी आपसी झगड़ों को कैसे निपटाते है?
विश्वासी विश्वासी के विरूद्ध न्यायलय में जाता है, वहां एक अविश्वासी न्यायधीश है।
1 Corinthians 6:7-8
कुरिन्थ के विश्वासियों में झगड़े किस बात का संकेत देते हैं?
यह उनकी पराजय का संकेत है।
1 Corinthians 6:9-10
परमेश्वर के राज्य के वारिस कौन नहीं होंगे?
अधर्मी; वेश्यागामी, मूर्तिपूजक, परस्त्रीगामी, लुच्चे, पुरूषगामी, चोर, लोभी, पियक्कड़, गाली देने वाले, अन्धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं होंगे।
1 Corinthians 6:11
कुरिन्थ के विश्वासियों में जो पहले अधर्मी थे उनके साथ क्या हुआ?
वे यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।
1 Corinthians 6:12-14
पौलुस कौन सी बातों के अधीन नहीं होगा?
पौलुस कहता है कि वह भोजन और यौनाचार के अधीन नहीं होगा।
1 Corinthians 6:15
विश्वासियों की देह किसके अंग हैं?
विश्वासियों की देह मसीह के अंग हैं।
विश्वासी क्या वैश्याओं से संबन्ध बनाएं?
नहीं कदापि नहीं।
1 Corinthians 6:16
वैश्या से संबन्ध बनाने पर क्या होता है?
वह आपके साथ एक तन हो जाता है।
1 Corinthians 6:17
प्रभु के साथ संबन्ध बनाने पर क्या होता है?
वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।
1 Corinthians 6:18
व्यभिचार करने वाला किसके विरूद्ध पाप करता है?
व्यभिचार अपनी ही देह के विरूद्ध पाप है।
1 Corinthians 6:19-20
विश्वासियों को अपनी देह से परमेश्वर की महिमा क्यों प्रकट करनी है?
अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो क्योंकि वह पवित्र आत्मा का मन्दिर है और हम दाम देकर मोल लिए गए हैं।
1 Corinthians 7
1 Corinthians 7:2-3
प्रत्येक पुरूष की अपनी पत्नी और प्रत्येक स्त्री का अपना पति होना क्यों आवश्यक है?
व्यभिचार के डर से प्रत्येक पुरूष की अपनी पत्नी हो और प्रत्येक स्त्री का अपना पुरूष हो।
1 Corinthians 7:4
पति या पत्नी को क्या अपनी देह पर अधिकार है?
नहीं, पति को अपनी पत्नी की देह पर अधिकार है और पत्नी को अपने पति की देह पर अधिकार है।
1 Corinthians 7:5-7
पति-पत्नी के लिए एक दूसरे को शारीरिक संबन्ध से वंचित करना कब उचित है?
उचित तो यह है कि पति-पत्नी आपसी सहमति से निश्चित समय निकाल कर केवल प्रार्थना के लिए एक दूसरे से अलग हों।
1 Corinthians 7:8
विधवाओं और अविवाहितों के लिए पौलुस क्या उचित बताता है?
पौलुस कहता है कि अविवाहित रहना उचित है।
1 Corinthians 7:9
अविवाहितों और विधवाओं को किस परिस्थिति में विवाह कर लेना चाहिए?
यदि वे संयम न रख पायें और कामातुर हो तो विवाह करना ही उचित है।
1 Corinthians 7:10-11
प्रभु विवाहितों को क्या आज्ञा देता है?
पत्नी पति से अलग न हो, यदि पत्नी अलग हो तो या तो वह पुनः विवाह न करे और यदि करना चाहे तो अपने ही पति से मेल कर ले। पति भी अपनी पत्नी को तलाक न दे।
1 Corinthians 7:12-14
विश्वासी पति/पत्नी अपने जीवन साथी को क्या तलाक दे?
यदि अविश्वासी पति या पत्नी अपने जीवन साथी के साथ रहने से सन्तुष्ट है तो विश्वासी पक्ष अविश्वासी को तलाक न दे।
1 Corinthians 7:15-16
यदि अविश्वासी जीवन साथी अलग होना चाहे तो क्या करें?
विश्वासी अविश्वासी जीवन साथी को जाने दे।
1 Corinthians 7:17
पौलुस हर एक कलीसिया के लिए कौन सा नियम निर्धारित किया था?
नियम यह हैः प्रत्येक जीवन परमेश्वर प्रदत्त जीवन जीए, जैसी परमेश्वर की बुलाहट है।
1 Corinthians 7:18-20
पौलुस खतना वालों और खतनारहितों को क्या परामर्श देता है?
जो खतना किया हुआ बुलाया गया है वह खतनारहित न बने और जो खतनारहित बुलाया गया है वह खतना न कराए।
1 Corinthians 7:21-25
पौलुस दासों के लिए क्या कहता है?
यदि परमेश्वर ने किसी दास को बुलाया है तो वह चिन्ता न करे, परन्तु यदि वह स्वतंत्र हो सके तो ऐसा ही करे क्योंकि दास परमेश्वर के लिए स्वतंत्र है, उन्हें मनुष्य का दास नहीं होना है।
1 Corinthians 7:26
पौलुस क्यों सोचता था कि जिस पुरूष ने विवाह नहीं किया है वह उसके जैसा अविवाहित रहे?
पौलुस के अपने विचार में आनेवाले क्लेश के कारण मनुष्य के लिए अविवाहित रहना ही उचित है।
1 Corinthians 7:27
विवाह की शपथ में बंधे हुए विश्वासी पुरूषों को क्या करना चाहिए?
विवाहित पुरूषों को पत्नी से अलग होने का यत्न नहीं करना है।
1 Corinthians 7:28-30
??
पौलुस अविवाहितों और पत्नीरहितों से क्यों कहता है, "पत्नी की खोज न कर"?उसने ऐसा इसलिए कहा कि वह उन्हें उन अनेक समस्याओं से बचाना चाहता था जो विवाहितों पर आती हैं।
1 Corinthians 7:31-32
संसार में निर्वाह करनेवालों को ऐसा व्यवहार क्यों करना है कि मानों उन्हें संसार से कोई सरोकार नहीं?
उन्हें ऐसा व्यवहार करना है क्योंकि इस संसार का तौर तरीका समाप्त हो जाता है।
1 Corinthians 7:33-37
विवाहितों के लिए प्रभु की अखंड भक्ति में रहना कठिन क्यों है?
यह कठिन है क्योंकि विश्वासी पति या पत्नी सांसारिक चिन्ता में लगे रहते हैं कि अपनी पत्नी या अपने पति को प्रसन्न कैसे करें।
1 Corinthians 7:38
अपनी मंगेतर से विवाह करने वाले से अधिक अच्छा कौन करता है?
जो अविवाहित रहने का चुनाव करे वह और भी अच्छा काम करता है।
1 Corinthians 7:39-40
कोई स्त्री कब तक अपने पति से बंधी रहती है?
वह जब तक जीवित है अपने पति से बंधी है।
??
यदि एक विश्वासी स्त्री का पति मर जाए तो वह किससे पुनः विवाह कर सकती है?वह जिससे चाहे विवाह कर सकती है परन्तु केवल उससे जो प्रभु में विश्वास रखता है।
1 Corinthians 8
1 Corinthians 8:1-3
अध्याय में पौलुस का चर्चा का विषय क्या है?
पौलुस मूर्तियों को चढ़ाए हुए भोजन के बारे में कहता है।
ज्ञान और प्रेम के परिणाम क्या होते हैं?
ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है परन्तु प्रेम से उन्नति होती है।
1 Corinthians 8:4-5
क्या मूर्ति परमेश्वर हो सकती है?
नहीं, मूर्ति जगत में कोई वस्तु नहीं, एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।
1 Corinthians 8:6
एकमात्र परमेश्वर कौन है?
केवल एक ही परमेश्वर पिता है, उसी से सब कुछ है और हम उसी के लिए हैं।
एकमात्र प्रभु कौन है?
एक ही प्रभु है अर्थात यीशु मसीह, जिसके द्वारा सब कुछ अस्तित्व में है और हम भी उसी के द्वारा हैं।
1 Corinthians 8:7
जब कोई मूर्ति मान कर उसको चढ़ाई हुई वस्तुओं को कुछ समझ कर खाता है तो क्या होता है?
उनका विवेक निर्बल होने के कारण अशुद्ध हो जाता है।
1 Corinthians 8:8
क्या भोजन हमें परमेश्वर के समक्ष उचित तथा अनुचित ठहराता है?
भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता है, यदि हम नहीं खाएं तो कोई हानि नहीं और यदि खाएं तो कोई लाभ नहीं।
1 Corinthians 8:9
हमें किस बात से सावधान रहना है कि हमारी स्वतंत्रता से ऐसा न हो?
हमें सावधान अवश्य रहना है कि हमारी स्वतंत्रता विश्वास में दुर्बल जन के लिए ठोकर का कारण न हो।
1 Corinthians 8:10
मूर्तियों को चढ़ाए हुए भोजन के प्रति दुर्बल विवेक के भाई या बहन हमें देखकर मूर्तियों को चढ़ाया हुआ भोजन खाएं तो क्या होगा?
हमारी स्वतंत्रता विश्वास में दुर्बल भाई या बहन के लिए विनाशक होती है।
1 Corinthians 8:11-12
अपने भाई या बहन के दुर्बल विवेक के लिए ठोकर का कारण होकर हम किसके विरूद्ध अपराध करते हैं?
हमारे कारण भाई या बहन ठोकर खाए तो हम उनके विरूद्ध अपराध करते हैं और मसीह के विरूद्ध अपराधी ठहरते है।
1 Corinthians 8:13
यदि भोजन उसके भाई बहन के लिए ठोकर का कारण हो तो पौलुस क्या नहीं करेगा?
पौलुस कहता है कि यदि उसका मांसाहारी होना भाई या बहन के लिए ठोकर का कारण हो तो वह कभी मांस नहीं खाएगा।
1 Corinthians 9
1 Corinthians 9:1-3
पौलुस अपनी प्रेरिताई का प्रमाण किसको कहता है?
पौलुस कहता है कि कुरिन्थ के विश्वासी प्रभु में उसके बनाए हुए हैं और वे प्रभु में उसकी प्रेरिताई पर छाप है।
1 Corinthians 9:4-6
पौलुस ने प्रेरितों, प्रभु के भाईयों और कैफा के अधिकारों की सूची में क्या व्यक्त किया है?
पौलुस कहता है कि उन्हें खाने-पीने का और विश्वासी पत्नी ब्याहने का अधिकार है।
1 Corinthians 9:7-8
काम की मजदूरी पाने वालों में पौलुस किसका उदाहरण देता है?
मजदूरी पाने के उदाहरणों में पौलुस सैनिकों, किसानों तथा चरवाहों का उदाहरण देता है।
1 Corinthians 9:9-10
पौलुस ने काम की मजदूरी पाने के लिए मूसा की व्यवस्था से कौन सा उदाहरण प्रस्तुत किया था?
पौलुस एक आज्ञा का उदहारण देता है कि अपने विवाद का पक्षपोषण करे, "दांवते समय चलते हुए बैल का मुंह न बांधना"।
1 Corinthians 9:11-13
यद्यपि पौलुस और उसके सहकर्मियों ने किसी भी अधिकार का दावा नहीं किया, उन्हें कुरिन्थ की कलीसिया में क्या अधिकार था?
पौलुस और उसके सहकर्मियों को कुरिन्थ की कलीसिया से शारीरिक वस्तुओं की फसल काटने का अधिकार है क्योंकि उन्होंने उनके लिए आत्मिक वस्तुएं बोई थी।
1 Corinthians 9:14-15
सुसमाचार प्रचारकों के लिए प्रभु की क्या आज्ञा है?
प्रभु ने आज्ञा दी है कि सुसमाचार प्रचारकों को सुसमाचार से ही जीविका चलाना है।
1 Corinthians 9:16-18
पौलुस को किस बात का घमण्ड नहीं करना है, उसे घमण्ड क्यों नहीं करना है?
पौलुस कहता है कि सुसमाचार सुनाना उसके लिए घमण्ड की बात नहीं है, वह तो उसके लिए अनिवार्य है।
1 Corinthians 9:19
पौलुस सबका सेवक क्यों बना?
पौलुस सबका सेवक बना कि अधिकाधिक मनुष्यों को परमेश्वर के पास खींच लाए।
1 Corinthians 9:20-22
अधिकाधिक मनुष्यों को उद्धार कराने के लिए पौलुस क्या-क्या बना?
पौलुस यहूदियों के लिए यहूदी बना, व्यवस्था के अधीन होने वालों के लिए वह व्यवस्था के अधीन हुआ, व्यवस्था से बाहर वालों के लिए वह व्यवस्थाहीन सा बना कि सब मनुष्यों के लिए सब कुछ बनकर बहुतों का उद्धार कराए।
1 Corinthians 9:23
पौलुस ने सुसमाचार के लिए सब कुछ क्यों किया?
उसने ऐसा इसलिए किया कि वह सुसमाचार की आशिषों का भागी हो।
1 Corinthians 9:24
पौलुस ने कैसी दौड़ दौड़ने के लिए कहा?
पौलुस ने कहा कि जीतने के लिए दौड़ो।
1 Corinthians 9:25-26
पौलुस कैसा मुकुट पाने के लिए दौड़ रहा था?
पौलुस दौड़ रहा था कि अविनाशी मुकुट पाए।
1 Corinthians 9:27
पौलुस ने अपनी देह को वश में क्यों रखा था?
पौलुस इसलिए ऐसा करता था कि औरों को प्रचार करके स्वयं निकम्मा न ठहरे।
1 Corinthians 10
1 Corinthians 10:1-3
मूसा के समय बाप दादों का कौन सा अनुभव सर्वनिष्ठ था?
सब बाप दादे बादल के नीचे थे सबके सब समुद्र के बीच से पार हो गए, सबने बादल में और समुद्र में मूसा का बपतिस्मा लिया और सबने एक ही आत्मिक भोजन किया, और सबने एक ही आत्मिक जल पीया।
1 Corinthians 10:4
उनके बाप दादों के साथ चलनेवाली आत्मिक चट्टान कौन थी?
जो चट्टान उनके साथ चलती थी वह मसीह था।
1 Corinthians 10:5
उनके बाप दादों को दण्ड देने के लिए परमेश्वर ने क्या किया?
वे अनेक कारणों द्वारा मारे गए, कुछ सांपों के काटने से, कुछ नष्ट करने वाले मृत्यु के दूत से, उनके शव जंगल में बिखराए गए।
1 Corinthians 10:6-7
मूसा के समय परमेश्वर उनके बाप दादों से प्रसन्न क्यों नहीं था?
परमेश्वर उनसे प्रसन्न नहीं हुआ क्योंकि उन्होंने लालच किया, व्यभिचार किया, उन्होंने प्रभु को परखा और कुड़कुड़ाए।
1 Corinthians 10:8-10
उनके बाप दादों को दण्ड देने के लिए परमेश्वर ने क्या किया?
वे अनेक कारणों द्वारा मारे गए, कुछ सांपों के काटने से, कुछ नष्ट करने वाले मृत्यु के दूत से, उनके शव जंगल में बिखराए गए।
1 Corinthians 10:11-12
यह सब क्यों हुआ और वह लिखी क्यों गई?
यह सब हमारे लिए दृष्टान्त की रीति पर और हमारी चेतावनी के लिये लिखी गईं हैं।
1 Corinthians 10:13
क्या हम पर कोई अद्वैत परीक्षा आई है?
हम पर ऐसी कोई परीक्षा नहीं आई है जो सहने से बाहर मनुष्य के लिए असाधारण है।
परमेश्वर ने क्या किया कि हम परीक्षा सह सकें?
उसने परीक्षा से बचने का मार्ग भी उपलब्ध करवाया है कि हम परीक्षा का सामना कर सकें।
1 Corinthians 10:14-15
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पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को किससे बचने की चेतावनी देता है।
1 Corinthians 10:16-19
धन्यवाद का कटोरा और रोटी जिसे विश्वासी तोड़ते हैं वे क्या हैं?
कटोरा मसीह के लहू और रोटी मसीही की देह की सहभागिता है।
1 Corinthians 10:20-21
अन्यजातियां किसे बलिदान चढ़ाती हैं?
वे दुष्टात्माओं के लिए बलिदान चढ़ाते हैं परमेश्वर के लिए नहीं।
पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों द्वारा दुष्टात्माओं की सहभागिता नहीं चाहता था इसलिए वह उन्हें किस काम को करने से मना करता है?
पौलुस उनसे कहता है कि वे प्रभु के कटोरे और दुष्टात्माओं के कटोरे से एक साथ पी नहीं सकते और प्रभु की मेज और दुष्टात्माओं की मेज के एक साथ साझी नहीं हो सकते।
1 Corinthians 10:22-23
यदि हम विश्वासी होने के कारण दुष्टात्माओं की सहभागिता करें तो हम कैसे जोखिम उठाते हैं?
हम प्रभु को क्रोध दिलाने का जोखिम उठाते हैं।
1 Corinthians 10:24-26
क्या हमें अपना ही स्वार्थ सिद्ध करना है?
नहीं, हर एक को अपने पड़ोसी की भलाई की खोज में रहना है।
1 Corinthians 10:27
यदि कोई अविश्वासी भोजन हेतु आमंत्रित करे और आप उसके घर जाएं तो क्या करें?
विवेक के कारण कुछ न पूछो बस खा लो।
1 Corinthians 10:28-30
यदि आपका अविश्वासी अतिथ्य करने वाला कहे कि भोजन मूर्ति को चढ़ाया हुआ है तो उसे खाना उचित क्यों नहीं?
यदि वह कहे कि वह भोजन मूर्ति को चढ़ाया हुआ है तो उसके कारण और विवेक के कारण मत खाओ।
1 Corinthians 10:31
हमें परमेश्वर की महिमा के निमित्त क्या करना है?
हमें सब काम, खाना-पीना भी परमेश्वर की महिमा के निमित्त करना है।
1 Corinthians 10:32-33
हमें यहूदियों, यूनानियों या परमेश्वर की कलीसिया के लिए ठोकर का कारण क्यों नहीं होना है?
कलीसिया के लिए ठोकर का कारण न बनो कि वे उद्धार पाएं।
1 Corinthians 11
1 Corinthians 11:1
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया से किसका अनुकरण करने के लिए कहा?
पौलुस ने उनसे कहा कि वे उसकी सी चाल चलें।
पौलुस किसकी सी चाल चलता था?
पौलुस मसीह की सी चाल चलता था।
1 Corinthians 11:2
पौलुस ने कुरिन्थ के विश्वासियों की प्रशंसा क्यों की?
पौलुस उनकी प्रशंसा करता है कि वे सब बातों में उसे स्मरण करते थे और जो परम्पराएं उसने उन्हें सौंपी थी उनका ज्यों का त्यों दृढता से पालन कर रहे थे।
1 Corinthians 11:3
मसीह का सिर कौन है?
परमेश्वर मसीह का सिर है।
पुरूष का सिर कौन है?
मसीह हर एक पुरूष का सिर है।
स्त्री का सिर कौन है?
पुरूष स्त्री का सिर है।
1 Corinthians 11:4
पुरूष सिर ढांक कर प्रार्थना करे तो क्या होता है?
यदि वह सिर ढांक कर प्रार्थना करे तो वह अपने सिर का अपमान करता है।
1 Corinthians 11:5-6
स्त्री सिर ढांके बिना प्रार्थना करे तो क्या होता है?
स्त्री सिर ढांके बिना प्रार्थना करती है तो वह अपने सिर का अपमान करती है ।
1 Corinthians 11:7-8
पुरुष के लिए सिर ढांकना उचित क्यों नहीं है?
पुरूष को सिर ढांकना उचित नहीं क्योंकि वह परमेश्वर का स्वरूप और महिमा है।
1 Corinthians 11:9
स्त्री किसके लिए सृजी गई है?
स्त्री पुरूष के लिए सृजी गई है।
1 Corinthians 11:10
स्त्रियों द्वारा प्रार्थना करने में पौलुस उसके साथियों और परमेश्वर की कलीसियाओं का अभ्यास क्या था?
उनका पारम्परिक अभ्यास था कि स्त्री सिर ढांक कर प्रार्थना करे।
1 Corinthians 11:11-18
स्त्री और पुरूष एक दूसरे पर निर्भर क्यों हैं?
स्त्री पुरूष से है तो पुरूष स्त्री के द्वारा है ।
1 Corinthians 11:19-20
कुरिन्थ के विश्वासियों में विभाजन क्यों था?
उनमें विभाजन रहा होगा, जो खरे हैं वे प्रकट हो जाएं, उनमें पहचाने जाएं।
1 Corinthians 11:21-22
कुरिन्थ की कलीसिया जब भोज के लिए एकत्र होती थी तब क्या होता था?
वे खाने के समय एक दूसरे से पहले भोजन खा लेते थे, इस कारण कोई तो भूखा रहता था और कोई मतवाला हो जाता था।
1 Corinthians 11:23-24
जिस रात प्रभु यीशु पकड़वाया गया उस रात उसने रोटी तोड़कर क्या कहा?
यीशु ने कहा, "यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए है, मेरे स्मरण के लिए यही किया करो"।
1 Corinthians 11:25
भोजन के बाद कटोरा लेकर यीशु ने क्या कहा था?
यीशु ने कहा, "यह कटोरा मेरे लहू में नई वाचा है जब कभी पीओ तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो"।
1 Corinthians 11:26
रोटी खाते समय और कटोरा पीते समय तुम क्या करते हो?
तुम प्रभु के आने तक उसकी मृत्यु का प्रचार करते हो।
1 Corinthians 11:27-29
प्रभु की रोटी और उसके कटोरे की अनुचित सहभागिता क्यों नहीं करना है?
अनुचित रीति से प्रभु भोज की रोटी खाना और उसके कटोरे में से पीना प्रभु की देह और उसके लहू का अपराध है।
1 Corinthians 11:30-32
उचित रीति से प्रभु भोज की रोटी खाने और कटोरे से पीने के कारण अनेक कुरिन्थ विश्वासियों का क्या हुआ था?
उनमें से अनेक निर्बल और रोगी थे और बहुत से मर भी गए थे।
1 Corinthians 11:33-34
कुरिन्थ के विश्वासी जन भोजन के लिए एकत्र हों तो पौलुस उन्हें क्या करने के लिए कहता है?
पौलुस उनसे कहता है कि वे एक दूसरे की प्रतीक्षा करें।
1 Corinthians 12
1 Corinthians 12:1-2
पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को किस बात के प्रति सचेत करना चाहता था?
पौलुस चाहता है कि वे आत्मिक वरदानों के बारे में अनजान न रहें।
1 Corinthians 12:3
जो परमेश्वर के आत्मा की अगुवाई में बोलता है तो वह क्या नहीं कहेगा?
वह नहीं कहता कि यीशु श्रापित है।
कोई प्रभु यीशु को प्रभु कैसे कह सकता है?
यह भी कि पवित्र आत्मा के बिना कोई नहीं कह सकता कि यीशु प्रभु है।
1 Corinthians 12:4-6
परमेश्वर विश्वासियों में कैसे प्रभाव उत्पन्न करता है?
वह विश्वासियों को विभिन्न वरदान, विभिन्न सेवाएं और कई प्रकार के प्रभावशाली कार्य देता है।
1 Corinthians 12:7
आत्मा को बाहरी प्रदर्शन क्यों दिया जाता है?
सबको लाभ पहुंचाने के लिए हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है।
1 Corinthians 12:8-10
पवित्र आत्मा के कुछ वरदान क्या हैं?
किसी को आत्मा के द्वारा बुद्धि की बातें, किसी को ज्ञान की बातें, किसी को विश्वास, किसी को चंगा करने का वरदान, किसी को सामर्थ्य के काम करने की शक्ति, किसी को भविष्यद्वाणी, किसी को आत्माओं की परख, किसी को अनेक प्रकार की भाषा और किसी को भाषाओं का अर्थ बताने का वरदान है।
1 Corinthians 12:11-12
वरदान देने का चुनाव कौन करता है?
पवित्र आत्मा जिसे जो वरदान देना चाहता है, वह बांट देता है।
1 Corinthians 12:13-17
सब विश्वासियों का बपतिस्मा किस में हुआ है?
सबसे एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिए बपतिस्मा लिया है और सबको एक ही आत्मा पिलाया गया है।
1 Corinthians 12:18-21
देह के प्रत्येक अंग को बनाकर यथास्थान किसने रखा है?
परमेश्वर ने देह के अंगों को जैसा बनाया है वैसा ही उसे अपने स्थान में रखा है।
1 Corinthians 12:22-23
क्या हम दुर्बल अंगों के बिना निर्वाह कर सकते हैं?
नहीं, देह के वे अंग जो दूसरों से निर्बल प्रतीत होते हैं बहुत ही आवश्यक हैं।
1 Corinthians 12:24
परमेश्वर ने देह के अंगों के लिए, दुर्बल अंगों के लिए भी क्या किया है?
परमेश्वर ने देह को ऐसा बनाया है कि जिस अंग का आदर कम था उसी को अधिक आदर मिले।
1 Corinthians 12:25-27
परमेश्वर ने आदर की घटी वाले अंगों को अधिक आदर क्यों दिया?
उसने ऐसा इसलिए किया कि देह में फूट न पड़े परन्तु अंग एक दूसरे के लिए अनुराग सहित बराबर चिन्ता करें।
1 Corinthians 12:28-30
परमेश्वर ने कलीसिया में किस को नियुक्त किया है?
कलीसिया में परमेश्वर ने पहले प्रेरित, फिर भविष्यद्वक्ता, फिर शिक्षक नियुक्त किए, फिर सामर्थ्य के काम करने वाले, फिर चंगा करने वाले और उपकार करनेवाले और प्रबन्ध करने वाले, और नाना प्रकार की भाषा बोलने वाले।
1 Corinthians 12:31
पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को किसकी खोज का परामर्श देता है?
वह उनसे आग्रह करता है कि वे बड़े से बड़े वरदान की धुन में रहें।
पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को क्या बताने के लिए कहता है?
वह कहता है कि वह उन्हें और भी सबसे उत्तम मार्ग बताएगा।
1 Corinthians 13
1 Corinthians 13:1
पौलुस कहता है कि यदि वह मनुष्यों और स्वर्गदूतों की बोलियां बोले और प्रेम न रखे तो क्या है?
वह ठनठनाता हुआ पीतल और झनझनाती हुई झांझ है।
1 Corinthians 13:2
यदि वह भविष्यद्वाणी करे और पहाड़ों को हटा देने का दृढ़ विश्वास हो, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझे परन्तु प्रेम न रखे तो वह क्या है?
वह कुछ भी नहीं।
1 Corinthians 13:3
पौलुस अपनी संपूर्ण संपत्ति कंगालों में बांट दे और अपनी देह जलाने के लिए दे दे और फिर भी उसे कोई लाभ न हो तो इसका कारण क्या है?
यदि वह प्रेम न रखे तो उसे कुछ भी लाभ नहीं चाहे उसने अन्य सब परोपकार किए हों।
1 Corinthians 13:4-7
प्रेम के कुछ लक्षण क्या हैं?
प्रेम धीरजवन्त है, कृपालु है, प्रेम डाह नहीं करता, प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं, वह अनरीति नहीं चलता, वह भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता, कुकर्म से आनन्दित नहीं होता परन्तु सत्य से आनन्दित होता है, वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
1 Corinthians 13:8-10
मिट जाने वाली और समाप्त होने वाली बातें क्या हैं?
भविष्यद्वाणियां समाप्त हो जायेंगी, भाषाएं जाती रहेंगी, ज्ञान मिट जायेगा, क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है और हमारी भविष्यद्वाणियां अधूरी हैं।
कभी न टलने वाला क्या है?
प्रेम कभी टलता नहीं।
1 Corinthians 13:11-12
पौलुस ने व्यस्क होने पर क्या त्याग दिया?
पौलुस कहता है कि जब वह व्यस्क हो गया तब उसने बालकों की बातें छोड़ दीं।
1 Corinthians 13:13
कौन सी तीन बातें स्थायी हैं और इनमें सबसे बड़ा क्या है?
विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थायी हैं, पर इनमें सबसे बड़ा प्रेम है।
1 Corinthians 14
1 Corinthians 14:1
पौलुस ने किस आत्मिक वरदान की धुन में रहने का प्रोत्साहन दिया है?
पौलुस ने कहा कि हमें विशेष करके भविष्यद्वाणी की धुन में रहना है।
1 Corinthians 14:2
अन्य भाषा बोलनेवाला किससे बातें करता है?
वह परमेश्वर से बातें करता है।
1 Corinthians 14:3-6
भविष्यद्वाणी करने वाला अन्य भाषा बोलने वाले से महान क्यों है?
अन्य भाषा बोलने वाला अपनी ही उन्नति करता है परन्तु भविष्यद्वाणी करने वाला कलीसिया की उन्नति करता है, इस कारण भविष्यद्वाणी करने वाला अधिक महान है।
1 Corinthians 14:7-11
पौलुस समझ में न आनेवाली भाषा की तुलना किससे करता है?
वह अन्य भाषा की तुलना बांसुरी या बीन से करता है जिनके स्वर स्पष्ट न हों और तुरही से भी जिसका शब्द निश्चित न हो।
1 Corinthians 14:12
पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को किस बात की लालसा करने को कहता है?
पौलुस कहता है कि उन्हें कलीसिया की उन्नति की लालसा करना है।
1 Corinthians 14:13
अन्य भाषा बोलने वाला क्या प्रार्थना करे?
अन्य भाषा बोलने वाला प्रार्थना करे कि उसकी भाषा का अनुवाद किया जाए।
1 Corinthians 14:14
पौलुस कहता है कि अन्य भाषा बोलने में उसकी आत्मा क्या करती है और उसकी बुद्धि कैसी होती है?
पौलुस कहता है कि अन्य भाषा बोलने में उसकी आत्मा प्रार्थना करता है परन्तु उसकी बुद्धि काम नहीं करती है।
1 Corinthians 14:15-18
पौलुस प्रार्थना करने और भजन गाने के लिए क्या कहता है?
पौलुस कहता है कि वह आत्मा से प्रार्थना करेगा और भजन गायेगा परन्तु सुबोधता के साथ।
1 Corinthians 14:19-21
पौलुस कहता है कि दस हजार शब्दों की अपेक्षा क्या कहना उत्तम है?
पौलुस कहता है दूसरों को सिखाने के लिए पांच ही बातें कहना उत्तम है।
1 Corinthians 14:22
अन्य भाषा और भविष्यद्वाणी किस-किस के लिए चिन्ह हैं?
अन्य भाषा अविश्वासियों के लिए चिन्ह है परन्तु भविष्यद्वाणी विश्वासियों के लिए चिन्ह है।
1 Corinthians 14:23
यदि पूरी कलीसिया अन्य भाषा बोल रही हो और अविश्वासी वहां आ जाएं तो क्या कहेंगे?
वे कहेंगे कि विश्वासी पागल हैं।
1 Corinthians 14:24
यदि पूरी कलीसिया भविष्यद्वाणी कर रही हो और अविश्वासी या बाहरी जन प्रवेश करे तो क्या होगा?
पौलुस कहता है कि अविश्वासी या बाहरी मनुष्य सुनकर दोषी ठहरेगा ओर जो कुछ कहा गया है उससे उसका न्याय होगा।
1 Corinthians 14:25-26
यदि भविष्यद्वाणी करने वाले आगन्तुक अविश्वासी या बाहरी जन के मन का भेद प्रकट कर दें तो वह क्या करेगा?
वह मुंह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत करेगा और मान लेगा कि सच में परमेश्वर वहां उपस्थित है।
1 Corinthians 14:27-28
जब विश्वासी एकत्र हों तो अन्य भाषा बोलने वाले के लिए पौलुस के निर्देश क्या हैं?
पौलुस कहता है कि यदि अन्य भाषा बोलना हो तो दो या अधिक से अधिक तीन जन बारी-बारी से बोलें और एक व्यक्ति अनुवाद करे यदि अनुवादक न हो तो अन्य भाषा बोलने वाला कलीसिया में शान्त रहे।
1 Corinthians 14:29-32
कलीसिया जब एकत्र हो तो भविष्यद्वक्ताओं के लिए पौलुस क्या निर्देश देता है?
पौलुस कहता है कि भविष्यवक्ताओं में से दो या तीन बोलें और शेष लोग उनके वचन को परखें और यदि किसी और पर ईश्वरीय प्रकाश हो तो पहला चुप हो जाए क्योंकि भविष्यद्वाणी एक-एक करके की जा सकती है।
1 Corinthians 14:33-34
पौलुस के अनुसार कौन सी कलीसियाओं में स्त्रियों को चुप रहना है?
पौलुस कहता है कि जैसा पवित्र लोगों की सब कलीसियाओं में है स्त्रियां कलीसिया की सभा में चुप रहें।
1 Corinthians 14:35-36
पौलुस जिज्ञासु स्त्रियों को क्या परामर्श देता है?
पौलुस कहता है कि वे घर में अपने पति से पूछें।
कलीसिया में बोलने वाली स्त्री को लोग क्या समझते हैं?
कलीसिया में बातें करना लज्जा की बात है।
1 Corinthians 14:37-39
जो स्वयं को भविष्यद्वक्ता या आत्मिक जन समझते हैं उन्हे किस बात को स्वीकार करना है?
पौलुस कहता है कि जो बातें वह कुरिन्थ की कलीसिया को लिखता है उन्हें वे प्रभु की आज्ञाएं मानें।
1 Corinthians 14:40
कलीसिया में सब बातें कैसे की जाएं?
सब बातें शालीनता और व्यवस्थित रूप से की जाएं।
1 Corinthians 15
1 Corinthians 15:1
पौलुस भाइयों और बहनों को क्या स्मरण करवाता है?
पौलुस उन्हें उसी सुसमाचार का स्मरण करवाता है जो उसने उन्हें पहले सुनाया था।
1 Corinthians 15:2
यदि कुरिन्थ के विश्वासी पौलुस द्वारा सुनाए गए सुसमाचार से उद्धार पाना चाहते हैं तो उनके लिए किस शर्त को मानना आवश्यक है?
पौलुस ने उन्हें लिखा कि यदि वे उसके द्वारा प्रचार किए गए वचन पर दृढ़ता से स्थिर रहें तो उनका उद्धार निश्चित है।
1 Corinthians 15:3-7
सुसमाचार के कौन से अंश प्राथमिक महत्त्व के हैं?
पहली बात तो यह है कि पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिए मर गया और गाड़ा गया, और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा।
1 Corinthians 15:8
पुनरूत्थान के बाद मसीह किसको दिखाई दिया था?
पुनरूत्थान के बाद मसीह कैफा को और तब बारहों को दिखाई दिया, फिर वह पांच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, फिर याकूब को तब सब प्रेरितों को ओर अन्त में पौलुस को।
1 Corinthians 15:9-11
पौलुस क्यों कहता है कि वहा प्रेरितों में सबसे छोटा है, वह ऐसा क्यों चाहता है?
क्योंकि उसने परमेश्वर की कलीसिया को सताया था।
1 Corinthians 15:12
पौलुस के अभिप्रेत अर्थ में कुरिन्थ के कुछ विश्वासियों की अवधारणा क्या थी?
पौलुस के शब्दों में निहितार्थ है कि कुछ लोगों का कहना था कि पुनरुत्थान नहीं है।
1 Corinthians 15:13-17
यदि मृतकों का पुनरुत्थान नहीं है तो पौलुस के अनुसार फिर क्या सत्य है?
पौलुस कहता है कि ऐसा है तो मसीह भी मृतकों में से जी नहीं उठा तो पौलुस उसके अन्य साथी प्रचारकों का सुसमाचार व्यर्थ है और कुरिन्थ की कलीसिया का विश्वास भी व्यर्थ है।
1 Corinthians 15:18
यदि मसीह मृतकों में से जी नहीं उठा तो जो मर गए उनका क्या हुआ?
वे नष्ट हुए।
1 Corinthians 15:19
यदि हम इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो पौलुस किस बात को सच कहता है?
यदि ऐसा है तो पौलुस कहता है कि हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं।
1 Corinthians 15:20
पौलुस मसीह से क्या कहता है?
पौलुस मसीह को कहता है "जो सो गए है उनमें वह पहला फल हुआ"।
1 Corinthians 15:21-22
किस मनुष्य के द्वारा संसार में मृत्यु आई और किसके द्वारा मृतकों का पुनरूत्थान आया?
आदम संसार में मृत्यु लाया तो मसीह के द्वारा सब जिलाए जायेंगे, पुनरूत्थान होगा।
1 Corinthians 15:23
मसीह के विश्वासी कब जिलाए जायेंगे?
ऐसा मसीह के पुनः आगमन पर होगा।
1 Corinthians 15:24
अन्त में क्या होगा?
मसीह पिता परमेश्वर के हाथ में राज्य सौप देगा, उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ्य का अन्त कर देगा।
1 Corinthians 15:25
मसीह को कब तक राज्य करना अवश्य है?
जब तक वह अपने बैरियों को अपने पावों तले न ले आए तब तक उसका राज्य करना अवश्य है।
1 Corinthians 15:26
वह अन्तिम बैरी जिसको नष्ट किया जायेगा वह कौन है?
सबसे अन्तिम बैरी जो नष्ट किया जायेगा वह मृत्यु है।
1 Corinthians 15:27
जब वह कहता है, "उसने सब कुछ उसके पावों तले कर दिया" तो उसमें कौन नहीं है?
जिसने सब कुछ पुत्र (स्वयं) के अधीन कर दिया वह पुत्र के अधीन होने वालों में नहीं हैं।
1 Corinthians 15:28-33
पुत्र क्या करेगा कि पिता परमेश्वर ही सब कुछ हो?
पुत्र स्वयं उसके अधीन होगा जिसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया है।
1 Corinthians 15:34
पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को क्या आज्ञा देता है?
पौलुस उन्हें आज्ञा देता है कि वे धोखा न खाएं, धर्म के लिए जाग उठें और पाप न करें।
पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों को लज्जित करने के लिए क्या कहता है?
पौलुस कहता है कि उनमें से कुछ परमेश्वर को नहीं जानते।
1 Corinthians 15:35
पौलुस मृतकों के पुनरूत्थान की तुलना किससे करता है?
वह बीज से तुलना करता है।
1 Corinthians 15:36
उगने से पहले बीज का क्या होता है?
उसे मरना पड़ता है।
1 Corinthians 15:37-38
क्या बीज उस देह के सदृश्य होता है जो उगती है?
जो बोया जाता है वह उत्पन्न होने वाली देह नहीं है।
1 Corinthians 15:39
क्या सबके शरीर एक समान हैं?
सबकी देह एक जैसी नहीं है, मनुष्य का शरीर, पशुओं का शरीर, पक्षियों का शरीर, मछलियों का शरीर सब अलग-अलग हैं।
1 Corinthians 15:40
क्या देह के और भी प्रकार हैं?
स्वर्गीय देह और पार्थिव देह भी हैं।
1 Corinthians 15:41
सूर्य, चांद और सितारे क्या सब एक ही सा तेज रखते हैं?
सूर्य का तेज और है, चांद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है। (एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)।
1 Corinthians 15:42-44
हमारी नाशवान देह कैसे बोई जाती है?
शरीर नाशमान दशा में अनादर और निर्बलता में बोया जाता है।
हमारे पुनरूत्थान में हमारी दशा कैसी होती है?
जो जी उठता है वह अविनाशी आत्मिक देह होती है, वह महिमा और सामर्थ्य में होती है।
1 Corinthians 15:45-46
प्रथम मनुष्य आदम क्या बना?
वह जीवत प्राणी बना।
अन्तिम आदम क्या बना?
वह जीवनदायक आत्मा बना।
1 Corinthians 15:47-48
प्रथम आदम और दूसरा आदम कहां से आए थे?
प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात मिट्टी का था। दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है।
1 Corinthians 15:49
हमने किसका रूप धारण किया है और हम किसका रूप धारण करेंगे?
जैसे हम ने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।
1 Corinthians 15:50
परमेश्वर के राज्य के अधिकारी कौन नहीं हो सकते?
मांस और लहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते।
1 Corinthians 15:51
हम सबका क्या होगा?
हम सब बदल जायेंगे।
1 Corinthians 15:52-53
हम कब और कितने समय में बदल जायेंगे?
वह क्षण भर में पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूंकते ही होगा।
1 Corinthians 15:54-55
जब यह नाशवान देह अविनाशी देह पहन ले और यह मरनसार देह अमरण देह को पहन ले तब क्या होगा?
जय मृत्यु को निगल लेगी।
1 Corinthians 15:56
मृत्यु का डंक पाप है और पाप का बल क्या है?
मृत्यु का डंक पाप है और पाप का बल व्यवस्था है।
1 Corinthians 15:57
परमेश्वर हमें किसके द्वारा विजय दिलाता है?
परमेश्वर हमें प्रभु यीशु मसीह के द्वारा विजय दिलाता है।
1 Corinthians 15:58
कुरिन्थ के भाई-बहन को दृढ़ और अटल रहने तथा प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाने का प्रोत्साहन देने का कारण पौलुस क्या मानता है?
पौलुस उनसे ऐसा आग्रह करता है क्योंकि वे स्वयं जानते हैं कि प्रभु में उनका परिश्रम व्यर्थ नहीं है।
1 Corinthians 16
1 Corinthians 16:1
पवित्र जनों के लिए मेरे एकत्र करने के बारे में पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया के तुल्य और किसको प्रोत्साहित किया?
पौलुस ने गलातिया की कलीसियाओं को भी ऐसे ही प्रोत्साहित किया था जैसे कुरिन्थ की कलीसिया को।
वह दान किसके पास पहुंचना था?
वह यरूशलेम के पवित्र जनों के लिए था।
1 Corinthians 16:2-4
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को दान एकत्र करने के बारे में क्या निर्देश दिया था?
पौलुस ने उन्हें निर्देश दिया कि सप्ताह के पहले दिन उनमें से हर एक अपनी आमदनी के अनुसार कुछ अपने पास रख छोड़ा करे कि पौलुस की उपस्थिति में चन्दा न करना पड़े।
1 Corinthians 16:5
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से कब भेंट करने की योजना बना रहा था?
पौलुस ने उनसे कहा कि मकिदुनिया से होकर जाते समय वह उनसे भेंट करेगा।
1 Corinthians 16:6-7
क्या कारण था कि पौलुस तत्काल ही कुरिन्थ की कलीसिया के पास कुछ ही समय के लिए आना नहीं चाहता था?
पौलुस उनके पास बहुत समय ठहरना चाहता था, संभवतः पूरी शरद ऋतु।
1 Corinthians 16:8-9
पौलुस इफिसुस में पिन्तेकुस्त तक क्यों रुकना चाहता था?
पौलुस इफिसुस की कलीसिया में रूक गया था क्योंकि वहां उसके लिए एक बड़ा और उपयोगी द्वार खुला था और उसके विरोधी भी वहां अनेक थे।
1 Corinthians 16:10-11
तीमुथियुस क्या करता था?
वह तो पौलुस के जैसे ही सेवा कर रहा था।
पौलुस ने उन्हें तीमुथियुस के साथ कैसा व्यवहार करने का निर्देश दिया था?
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि तीमुथियुस उनके मध्य निडर रहे और वे उसे तुच्छ न जाने तथा उसे सकुशल उसके पास पहुंचा दे।
1 Corinthians 16:12-14
पौलुस ने अपुल्लोस से किस बात का आग्रह किया था?
पौलुस ने अपुल्लोस से भी बहुत आग्रह किया कि कुरिन्थ के पवित्र जनों के पास जाए।
1 Corinthians 16:15
कुरिन्थ के विश्वासियों में पवित्र जनों की सेवा में कौन समर्पित था?
स्तिफनास का घराना पवित्र जनों की सेवा में समर्पित था।
1 Corinthians 16:16
पौलुस ने स्तिफनास के घराने के लिए कुरिन्थ के विश्वासियों से क्या करने के लिए कहा?
पौलुस ने उनसे कहा कि ऐसे सेवकों के अधीन रहें।
1 Corinthians 16:17-18
स्तिफनास फूरतूनातुस और अखइकुस ने पौलुस के लिए क्या किया था?
उन्होंने कुरिन्थ के विश्वासियों की घटी को पूरा करके पौलुस को आनन्दित किया था।
1 Corinthians 16:19-21
कुरिन्थ की कलीसिया को किसने नमस्कार भेजा था?
आसिया की कलीसियाओं का, अक्विला और प्रिस्का तथा सब भाई बहन उन्हें नमस्कार कहते हैं।
1 Corinthians 16:22-24
जो प्रभु से प्रेम नहीं रखते उनके लिए पौलुस ने क्या कहा?
पौलुस ने कहा, "यदि कोई प्रभु से प्रेम न करे तो वह शापित हो"।