भजन संहिता
Chapter 1
पहला भाग
1 कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो दुष्टों द्वारा दिए गए सुझावों का अनुपालन नहीं करते हैं,
जो पापी लोगों के व्यवहार अनुकरण नहीं करते हैं,
और जो उन लोगों के साथ सहभागी नहीं होते हैं जो परमेश्वर का उपहास करते हैं।
2 इसकी अपेक्षा, जिन लोगों से यहोवा प्रसन्न हैं, वे उनकी शिक्षाओं को समझने में आनन्द लेते हैं।
वे हर दिन और हर रात यहोवा की शिक्षाओं को पढ़ते हैं और उनके विषय में सोचते रहते हैं कि यहोवा क्या सिखाते हैं।
3 वे निरन्तर ऐसे कार्य करते रहते हैं जिनसे परमेश्वर प्रसन्न होते हैं,
जैसे कि एक पानी के सोते के किनारे पर लगाए फलों के पेड़ हैं, हर वर्ष सही समय पर फल देते हैं।
ऐसे पेड़ों के समान जो कभी नहीं सूखते,
वे अपने सब कार्यों में सफल होते हैं।
4 परन्तु दुष्ट लोग ऐसे नहीं हैं!
दुष्ट लोग भूसी के समान निकम्मे हैं
जो हवा से उड़ाई जाती है।
5 इसलिए, जब परमेश्वर सब मनुष्यों का न्याय करेंगे, तब वह दुष्टों को दण्ड देंगे।
इसके अतिरिक्त, जब यहोवा सब धर्मी लोगों को एकत्र करेंगे तब दुष्ट उनके साथ उपस्थित नहीं होंगे।
6 क्योंकि यहोवा धर्मी लोगों का मार्गदर्शन करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं,
परन्तु जिस मार्ग पर दुष्ट चलते हैं, वह मार्ग उनको वहाँ ले जाता है जहाँ परमेश्वर उन्हें सदा के लिए नष्ट कर देंगे।
Chapter 2
1 सब राष्ट्रों के प्रधानों ने यहोवा के विरुद्ध उग्रता क्यों दिखाई है?
लोग उनके विरुद्ध विद्रोह करने की योजना क्यों बनाते हैं, चाहे वह व्यर्थ ही हो?
2 पृथ्वी के राष्ट्रों के राजा विद्रोह करने के लिए तैयारी कर रहे हैं;
शासकों ने यहोवा के विरुद्ध और उनके अभिषिक्त के विरुद्ध युद्ध करने का षड्यन्त्र रचा है।
3 वे चिल्लाते हैं, “हमें उनकी अधीनता से मुक्त होना चाहिए;
हमें अब उन्हें हमारे ऊपर शासन करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए!”
4 परन्तु जो स्वर्ग में अपने सिंहासन पर बैठते हैं, वह उन पर हँसते हैं;
परमेश्वर उन शासकों का उपहास करते हैं।
5 तब, वह अपने क्रोध में उन्हें झिड़केंगे।
वह उन्हें भयभीत कर देते हैं जब उन्हें समझ में आता है कि वह उन्हें कठोर दण्ड देंगे।
6 यहोवा कहते हैं, “मैंने यरूशलेम में, अपने पवित्र पर्वत सिय्योन पर अपने राजा को सिंहासन में बैठाया है।”
7 उनका राजा कहता है, “मैं यहोवा के आदेश की घोषणा करूँगा।
उन्होंने मुझसे कहा, ‘तू मेरा पुत्र है;
आज मैं तेरा पिता हो गया हूँ।
8 मुझसे अनुरोध करे कि मैं राष्ट्रों को तुझे दे दूँ
कि वे तेरी सदा की सम्पत्ति हों,
और मैं उन्हें तुझे दूँगा।
यहाँ तक कि सबसे दूर के राष्ट्र भी तेरे होंगे।
9 तू लोहे की छड़ी से उन्हें मारेगा;
जैसे कुम्हार अपने बर्तन को भूमि पर पटक कर टुकड़े-टुकड़े कर देता है,
उसी प्रकार तू उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर देगा।
10 तो इसलिए, हे पृथ्वी के राजाओं और अन्य शासकों, बुद्धिमानी से कार्य करो!
यहोवा की चेतावनी को सुनो!
11 यहोवा की उपासना करो; उत्साह से उनका सम्मान करो।
उनके कार्यों पर आनन्द करो, परन्तु उनके सामने काँपते रहो!
12 उनके पुत्र के सामने नम्रता से झुको!
यदि तुम ऐसा नहीं करोगे, तो वह क्रोधित हो जाएँगे,
और वह अकस्मात ही तुम्हें मार देंगे।
यह मत भूलो कि वह एक पल में दिखा सकते हैं कि वह बहुत क्रोधित हैं!
परन्तु वे सब कैसे भाग्यशाली हैं जो अपनी रक्षा के लिए उनसे अनुरोध करते हैं।
Chapter 3
दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन जब वह अपने पुत्र अबशालोम से भाग रहा था
1 हे यहोवा, मेरे कई शत्रु हैं!
ऐसे कई लोग हैं जो मेरा विरोध करते हैं।
2 बहुत से लोग मेरे विषय में कह रहे हैं,
“परमेश्वर निश्चय ही उसकी सहायता नहीं करेंगे।”
3 परन्तु हे यहोवा, आप उस ढाल के समान हैं जो मेरी रक्षा करती है।
आप मुझे बहुत सम्मानित करते हैं, और आप मुझे प्रोत्साहित करते हैं।
4 हे यहोवा, मैं आपको पुकारता हूँ,
और आप मुझे अपने पवित्र पर्वत सिय्योन से उत्तर देते हैं।
5 रात में मैं लेट गया और सो गया, और मैं सुबह उठ गया
क्योंकि हे यहोवा, आपने पूरी रात मेरा ध्यान रखा।
6 मुझे घेरने वाले शत्रु के हजारों सैनिक हो सकते हैं,
परन्तु मुझे डर नहीं है।
7 हे यहोवा, उठो!
हे मेरे परमेश्वर, आकर मुझे फिर से बचा लो!
आप मेरे शत्रुओं को उनके गालों पर थप्पड़ मार कर अपमानित करेंगे;
जब आप उन्हें मारेंगे, तब आप उनकी शक्ति को नष्ट कर देंगे,
जिसका परिणाम होगा कि वे किसी को चोट नहीं पहुँचा पाएँगे।
8 हे यहोवा, आप ही वह है जो अपने लोगों को उनके शत्रुओं से बचाते हैं।
हे यहोवा, अपने लोगों को आशीष दें!
Chapter 4
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन; तार वाले वाद्य यन्त्र बजाने वाले लोगों के साथ गाने वाला एक भजन
1 हे परमेश्वर, जब मैं आप से प्रार्थना करता हूँ तो मुझे उत्तर दें।
आप ही वह हैं जो लोगों को दिखाते हैं कि मेरा आप पर भरोसा करना सही है।
जब मैं बड़ी परेशानी में था तब आपने मुझे बचाया।
मेरे लिए दया के कार्य करें और जब मैं प्रार्थना करूँ तब मेरी सुनें।
2 मुझे सम्मानित करने की अपेक्षा तुम लोग मुझे कब तक लज्जित करोगे?
तुम लोग मुझ पर झूठा दोष लगाने से प्रसन्न हो।
3 जो यहोवा का सम्मान करते हैं—
उन सबको यहोवा ने अपने लिए चुना है।
जब मैं उनसे प्रार्थना करता हूँ तो यहोवा मेरी बात सुनते हैं।
4 तुम्हें यहोवा से डरना चाहिए, परन्तु अपने डर को पाप करने की अनुमति मत देना।
जब तुम अपने बिस्तर पर लेटते हो,
चुप चाप जाँच करो कि तुम अपने मन में क्या सोच रहे हो।
5 और यहोवा को उचित बलि चढ़ाओ
और उन पर भरोसा करते रहो।
6 कुछ लोग पूछते हैं, “क्या कोई हमारे लिए अच्छी वस्तुएँ लाएगा?”
परन्तु मैं कहता हूँ, “हे यहोवा, हमारे लिए दया के कार्य करते रहें।
7 आपने मुझे बहुत आनन्दित किया है;
मैं उन सब लोगों की तुलना में अधिक आनन्दित हूँ जिन्होंने बड़ी मात्रा में अनाज और अँगूर की कटाई की है।
8 मैं रात को शान्ति और सुरक्षा में लेट जाऊँगा और गहरी नींद में सो जाऊँगा
क्योंकि मैं जानता हूँ कि हे यहोवा, केवल आप ही हैं, जो मुझे सुरक्षित रखेंगे।”
Chapter 5
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन; इस भजन के साथ बाँसुरी बजाई जाए
1 हे यहोवा, जब मैं प्रार्थना करता हूँ तब मेरी सुनें!
जब मैं कराहता हूँ तो मेरी ओर ध्यान दें क्योंकि मुझे बहुत पीड़ा है।
2 आप मेरे राजा और मेरे परमेश्वर हैं।
जब मैं आप से सहायता के लिए अनुरोध की पुकार करता हूँ, तो सुन लें
क्योंकि आप ही हैं जिनसे मैं प्रार्थना करता हूँ।
3 जब मैं प्रतिदिन सुबह प्रार्थना करता हूँ तो आप मेरी प्रार्थना सुनते हैं,
और मैं आपके उत्तर की प्रतीक्षा करता हूँ।
4 आप ऐसे परमेश्वर नहीं हैं, जो दुष्ट लोगों से प्रसन्न होते हैं;
आप बुराई करने वालों का स्वागत कभी नहीं करेंगे।
5 आप घमण्डी लोगों को आराधना करने के लिए आपके पास आने की अनुमति नहीं देते हैं।
आप उन सबसे घृणा करते हैं जो बुरे कार्य करते हैं।
6 आप झूठे लोगों का नाश करते हैं,
और आप दूसरों की हत्या करने वालों से और दूसरों को धोखा देने वालों से घृणा करते हैं।
7 हे यहोवा, क्योंकि आप मुझसे बहुत अधिक और सच्चा प्रेम करते हैं,
इसलिए मैं आपके मन्दिर में आया हूँ।
मेरे मन में आपके लिए श्रद्धा और महान सम्मान है
और मैं आपके पवित्र मन्दिर में आराधना करने के लिए सिर झुकाऊँगा।
8 हे यहोवा, क्योंकि आप मेरे साथ सच्चाई से कार्य करते हैं,
मुझे दिखाएँ कि मेरे लिए क्या करना उचित है।
क्योंकि मेरे कई शत्रु हैं,
इसलिए मुझे स्पष्ट दिखाएँ कि मुझे कैसे उचित जीवन जीना है।
9 मेरे शत्रु कभी सच्ची बात नहीं करते हैं;
अपने मन ही मन वे दूसरों को नष्ट करना चाहते हैं।
वे हिंसा और मृत्यु की धमकी देते हैं।
वे लोगों को प्रसन्न करने के लिए अच्छी-अच्छी बातें कहने के लिए अपनी जीभ का उपयोग करते हैं।
10 हे परमेश्वर, घोषणा करें कि वे दोषी हैं और उन्हें दण्ड दें।
उन्हें उन्हीं कष्टों का अनुभव कराएँ जो वे दूसरों को देने की योजना बनाते हैं।
उन्हें नष्ट करें क्योंकि उन्होंने कई पाप किए हैं,
और उन्होंने आपके विरुद्ध विद्रोह किया है।
11 परन्तु जो लोग आपके पास सुरक्षित होने के लिए जाते हैं, उन्हें आनन्द प्रदान करें;
वे सदा के लिए आनन्द से गाते रहें।
उन लोगों की रक्षा करें जो आप से प्रेम करते हैं;
वे आपके कार्यों के कारण वास्तव में आनन्दित हैं।
12 हे यहोवा, आप उन लोगों को सदा आशीष देते हैं जो धार्मिकता का कार्य करते हैं;
आप उनकी ऐसे रक्षा करते हैं, जैसे एक सैनिक अपनी ढाल से अपनी रक्षा करता है।
Chapter 6
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के अगुवे के लिए लिखा गया एक भजन, जिसे तार वाले वाद्य यन्त्र बजाने वाले लोगों के साथ गाना चाहिए
1 हे यहोवा, जब आप मुझसे क्रोधित हों तो मुझे दण्ड न दें;
जब आप अप्रसन्न हों, तब मेरी ताड़ना न करें।
2 हे यहोवा, मेरे लिए दया के कार्य करें और मुझे स्वस्थ करें क्योंकि मैं दुर्बल हो गया हूँ।
मेरा शरीर काँपता है क्योंकि मैं बहुत अधिक दुख उठाता हूँ।
3 हे यहोवा, मैं अपने मन में बहुत परेशान हूँ।
मुझे यह कब तक सहन करना पड़ेगा?
4 हे यहोवा, कृपया आकर मुझे बचाएँ।
मुझे बचाएँ क्योंकि आप सदा अपनी वाचा की प्रतिज्ञा को निभाते हैं।
5 मरने के बाद मैं आपकी स्तुति नहीं कर पाऊँगा;
मरे हुओं के स्थान में कोई भी आपकी स्तुति नहीं करता है।
6 मैं अपनी पीड़ा के कारण थक चुका हूँ।
मैं पूरी रात रोता हूँ जिससे मेरा बिस्तर और मेरा तकिया मेरे आँसुओं से भीग जाता है।
7 क्योंकि मैं बहुत रोता हूँ, मैं अच्छी तरह से नहीं देख सकता।
मेरी आँखें दुर्बल हो गई हैं क्योंकि मैं अपने शत्रुओं के डर से रोता रहता हूँ।
8 तुम लोग जो बुरे कार्य करते हो, मुझसे दूर हो जाओ,
क्योंकि जब मैं रो रहा था तब यहोवा ने मुझे सुना!
9 यहोवा ने मुझे सुना जब मैंने उन्हें मेरी सहायता करने के लिए पुकारा,
और वह मेरी प्रार्थना का उत्तर देंगे।
10 जब ऐसा होगा, तब मेरे सब शत्रु लज्जित होंगे;
वे भयभीत होंगे।
वे मुझसे दूर हो जाएँगे और अकस्मात ही मुझे छोड़ देंगे
क्योंकि वे अपमानित होंगे।
Chapter 7
एक भजन जो दाऊद ने कूश नाम के बिन्यामीनी के कारण यहोवा के लिए गाया था।
1 हे मेरे परमेश्वर, मैं अपनी रक्षा के लिए आपके पास आया हूँ।
मुझे बचाएँ, मुझे उन सब लोगों से बचाएँ जो मुझे हानि पहुँचाने के लिए मेरे पीछे आ रहे हैं।
2 यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो वे मुझे फाड़ कर टुकड़े-टुकड़े कर देंगे
जैसे शेर करता है जब वह जानवरों पर आक्रमण करता है जिन्हें वह मारना चाहता है;
मुझे उनसे कोई नहीं बचाएगा।
3 हे मेरे परमेश्वर, यदि मैंने कुछ भी गलत किया है,
4 या मैंने किसी मित्र का बुरा किया है,
या किसी उचित कारण के बिना, मैंने अपने शत्रुओं को हानि पहुँचाई है।
5 तब मेरे शत्रुओं को मेरा पीछा करने और मुझे पकड़ने दें।
उन्हें मुझे भूमि में रौंदने दें
और मुझे मिट्टी में मरा हुआ छोड़ने दें।
6 हे यहोवा, क्योंकि आप मेरा पीछा करने वालों से बहुत क्रोधित हैं;
उठकर मुझ पर आक्रमण करने वालों पर आक्रमण कर दें!
उन लोगों के साथ वह करें जो आपने कहा है कि न्यायोचित है!
7 सब राष्ट्रों के लोग आप पर आक्रमण करने के लिए एकत्र होते हैं,
परन्तु आप अपने स्वर्ग के स्थान से उन पर शासन करेंगे।
8 हे यहोवा, सब राष्ट्रों के लोगों का न्याय करो!
हे यहोवा, दिखा दो कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
9 हे परमेश्वर, आप जानते हैं कि मनुष्य अपने मन में क्या सोच रहे हैं
और क्योंकि आप धर्मी हैं, आप सदैव वही करते हैं जो न्यायोचित है।
तो अब दुष्टों को उनके दुष्ट कर्म करने से रोकें,
और हम सबकी रक्षा करें जो धर्मी हैं!
10 हे परमेश्वर, आप मेरी रक्षा करते हैं जैसे ढाल सैनिकों की रक्षा करती है;
आप उन सबको बचाते हैं, जो अपने मन में धर्मी हैं।
11 आप सबका उचित न्याय करते हैं,
और आप प्रतिदिन दुष्ट लोगों को दण्ड देते हैं, उन्हें जो आपकी व्यवस्था का अपमान करते हैं।
12 जब आपके शत्रु पश्चाताप नहीं करते हैं,
तब ऐसा प्रतीत होता है कि आप अपनी तलवार को तेज करते हैं और उन्हें मारने के लिए अपने धनुष पर एक तीर चढ़ाते हैं।
13 आप जिन लोगों पर आक्रमण करते हैं उन्हें मारने के लिए अपने हथियारों को तैयार कर रहे हैं;
जो तीर आप मारते हैं, वे जलते हुए हैं।
14 दुष्ट लोग अपने झूठ और बुरे कार्यों का षड्यन्त्र रचते हैं,
जैसे एक गर्भवती स्त्री जन्म देने की योजना बनाती है, वैसे ही वे लोग योजना बनाते हैं और अपने विचारों पर आनन्द करते हैं।
15 वे दूसरों को फँसाने के लिए गहरे गड्ढे तो खोदते हैं,
परन्तु वे स्वयं ही उनमें गिर जाएँगे।
16 वे स्वयं ही उन परेशानियों से घिर जाएँगे जिन्हें वे दूसरों के लिए उत्पन्न करना चाहते हैं;
वे अपनी हिंसा का स्वयं ही शिकार हो जाएँगे, जो वे दूसरों के साथ करना चाहते हैं।
17 मैं यहोवा की स्तुति करता हूँ क्योंकि वह सदा धार्मिकता से कार्य करते हैं;
मैं यहोवा की स्तुति करने के लिए गाता हूँ, वह जो सब अन्य देवताओं से बहुत महान हैं।
Chapter 8
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन, जिसे तार वाले वाद्य यन्त्र के साथ गाना चाहिए
1 हे यहोवा हमारे परमेश्वर, पृथ्वी के सब लोग जानते हैं कि आप बहुत महान हैं!
हम जब भी स्वर्ग की ओर देखते हैं, तब हम आपकी महानता देखते हैं!
2 आपने बच्चों और दूध पीते बच्चे को आपकी स्तुति करना सिखाया हैं;
वे आपके शत्रुओं को और जो आप से बदला लेने का प्रयास करते हैं, उन्हें चुप करा देते हैं।
3 मैं रात में आकाश को देखता हूँ
और आपके द्वारा रची गई वस्तुओं को देखता हूँ।
चँद्रमा और तारे जिन्हें आपने उनके स्थान में रखा है।
4 यह मेरे लिए आश्चर्य की बात है कि आप लोगों के विषय में सोचते हैं,
कि आप हम मनुष्यों के विषय में चिन्ता करते हैं!
5 आपने स्वर्ग में स्वर्गदूतों को केवल हमसे थोड़ा अधिक महत्वपूर्ण बनाया है;
आपने हमें राजाओं के समान बनाया है!
6 जो कुछ भी आपने बनाया है उसका आपने हमें प्रभारी बना दिया है;
आपने हमें सब वस्तुओं पर अधिकार दिया—
7 भेड़ और मवेशी,
और यहाँ तक कि जंगली जानवरों,
8 पक्षियों, मछली,
और समुद्र में तैरने वाले हर प्राणी पर अधिकार दिया।
9 हे यहोवा हमारे परमेश्वर,
सम्पूर्ण पृथ्वी के लोग जानते हैं कि आप बहुत महान हैं!
Chapter 9
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन, जो ‘मेरे पुत्र की मृत्यु’ की धुन पर गाना चाहिए
1 हे यहोवा, मैं अपने पूरे मन से आपकी स्तुति करूँगा।
मैं दूसरों को उन सब अद्भुत कार्यों के विषय में बताऊँगा जो आपने किए हैं।
2 आप सब देवताओं से बहुत अधिक महान हैं, मैं आपके कार्यों का उत्सव मनाने के लिए गीत गाऊँगा।
3 जब मेरे शत्रुओं को आपकी महान शक्ति का एहसास होता है,
तब वे लड़खड़ाते हैं, और फिर मारे जाते हैं।
4 आप लोगों का न्याय करने के लिए अपने सिंहासन पर बैठते हैं,
और आपने मेरे विषय में निष्पक्ष न्याय किया है।
5 आपने अन्य राष्ट्रों के लोगों को दण्ड दिया,
और दुष्ट लोगों को नष्ट कर दिया है;
आपने उनके नाम सदा के लिए मिटा दिए हैं।
6 हमारे शत्रु मिट गए हैं;
आपने उनके शहरों को नष्ट कर दिया,
और लोग अब उन्हें स्मरण भी नहीं करते हैं।
7 परन्तु यहोवा सदैव शासन करते हैं।
वह अपने सिंहासन पर बैठ कर लोगों का न्याय करते हैं।
8 वह सम्पूर्ण पृथ्वी पर सब लोगों का न्याय करेंगे;
जब वह हर देश के लोगों का न्याय करेंगे, तब वह पक्षपात नहीं करेंगे।
9 यहोवा पीड़ित लोगों के लिए शरणस्थान होंगे;
जब वे परेशानी में होते हैं तब वह उनके लिए आश्रय के समान होंगे।
10 जो लोग यहोवा को जानते हैं वे उन पर भरोसा करते हैं;
वह उन लोगों को कभी नहीं छोड़ते है, जो सहायता के लिए उनके पास आते हैं।
11 यहोवा सिय्योन पर्वत पर से शासन करते हैं;
उनकी स्तुति करें और उनके लिए गीत गाएँ।
सभी राष्ट्रों के लोगों में उनके आश्चर्यजनक कार्यों का वर्णन करो जो उन्होंने किए हैं।
12 वह हत्या करने वालों को दण्ड देना नहीं भूलते हैं;
वह उन्हें अवश्य दण्ड देंगे,
और वह कष्ट में दबे रोने वाले लोगों को अनदेखा नहीं करेंगे।
13 हे यहोवा, मेरे प्रति दया के कार्य करो!
देखो कि मेरे शत्रुओं ने मुझे कैसे घायल कर दिया है।
इन घावों के कारण मुझे मरने न दें।
14 मैं जीना चाहता हूँ जिससे कि मैं यरूशलेम के फाटकों पर आपकी स्तुति कर सकूँ
और आनन्द करूँ क्योंकि आपने मुझे बचाया है।
15 अन्य राष्ट्रों के दुष्ट लोगों ने मुझे गिराने के लिए एक गड्ढ़ा खोदा है,
परन्तु उस गड्ढे में वे ही गिर गए हैं।
उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए जाल सा फैलाया है,
परन्तु उस जाल में उन्हीं के पाँव फँस गए हैं।
16 आपने जो कार्य किए हैं, उसके कारण लोग जानते हैं कि आप न्याय करते हैं;
आप दुष्ट लोगों को उन ही बुरी चालों में फँसने देते हैं जो वे स्वयं चलते हैं।
17 दुष्ट लोग मर जाएँगे और अपनी कब्रों में दफनाए जाएँगे;
उनकी आत्माएँ उन लोगों के साथ रहने के लिए चली जाएँगी जो आपके विषय में भूल गए हैं।
18 परन्तु आप उन लोगों को नहीं भूलेंगे जो आवश्यकताओं से घिरे हुए हैं;
जो आत्मविश्वास से आशा बाँधते हैं वे निराश नहीं होंगे।
19 हे यहोवा, हमारे शत्रुओं को हम पर विजयी होने न दें
केवल इसलिए कि वे बलवन्त हैं;
आप देखते हैं कि लोग क्या करते हैं और आप उन सबका न्याय करते हैं।
20 हे यहोवा, उन्हें सिखाएँ कि उन्हें आप से डरना चाहिए और आपका आदर करना चाहिए।
उन्हें विवश करें कि वे जानें कि वे केवल मनुष्य हैं।
Chapter 10
1 हे यहोवा, आप हमसे स्वयं को क्यों दूर रखते हैं?
जब हमें परेशानी होती है तो आप ध्यान क्यों नहीं देते हैं?
2 घमण्डी, दुष्ट लोगों के अन्दर गरीब लोगों को पीड़ित करने के लिए एक भयानक इच्छा है।
हे परमेश्वर, उन्हें अपने स्वयं के जाल में फँसा दें, कि वे दूसरों के साथ जो करते हैं, वो उनके साथ हो!
3 दुष्ट व्यक्ति उस बुरे कार्यों के विषय में घमण्ड करता है जो वह करना चाहता है।
वह उन चीजों को पाना चाहता है जो दूसरों के पास हैं, और वह नहीं चाहते हैं कि उनके पास उसके तुलना में अधिक चीजें हों।
वह अपने सभी वस्तुओं के विषय में घमण्ड करता है, जब हे यहोवा वह आपको श्राप देता है।
4 दुष्ट व्यक्ति बहुत घमण्डी है
वह कभी परमेश्वर की खोज नहीं करता है
और यदि उसने परमेश्वर की खोज की, तो भी वह उन्हें नहीं ढूँढ़ पाएगा।
वह इतना घमण्डी है कि परमेश्वर के विषय में भी नहीं सोचता।
5 परन्तु दुष्ट मनुष्य के जीवन को देखते हुए,
ऐसा लगता है कि वह जो भी करता है वह सफल होता है।
हे परमेश्वर, वह आपके आदेशों को भी समझ नहीं सकता,
और फिर वह अपने शत्रुओं का उपहास करता है।
6 उसके मन में वह सोचता है, “मेरे साथ कुछ भी बुरा नहीं हो सकता!
जब तक मैं रहता हूँ, मुझे कभी परेशानी नहीं होगी।”
7 जब वह बोलता है तो वह सदा श्राप देता है और झूठ बोलता है,
और वह दूसरों के विरुद्ध धमकी देता है।
जब वह बात करता है, तो वह केवल अन्य लोगों को चोट पहुँचाने या नष्ट करने के विषय में बोलता है।
8 वह गाँवों में रहने वाले लोगों पर आक्रमण करने की योजना बनाता है, जिन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
वह छिपने के लिए उपयुक्त स्थानों पर प्रतीक्षा करता है
जबकि वह और लोगों पर आक्रमण करने की खोज में रहता है,
ऐसे लोग जो स्वयं का बचाव नहीं कर सकते हैं।
9 वह अपने पीड़ितों के लिए एक शेर के समान घात लगाए प्रतीक्षा करता है,
और शेर की तरह, वह झाड़ियों में छिपता है।
वह शिकारी के समान है जो जाल फैलाता है
कि वह असहाय लोगों को पकड़ सके और उन्हें खींच कर दूर ले जा सके।
10 असहाय लोग दुष्ट व्यक्ति की योजनाओं और उसके सभी कार्यों के कारण
कुचल दिया जाते हैं।
वह शक्तिशाली है, और जब वह असहाय लोगों का विरोध करता है,
वह सदा जो कुछ भी चाहता है वो उनसे ले लेता है।
11 दुष्ट व्यक्ति कहता है, “मैं जो कुछ भी करता हूँ परमेश्वर को वह स्मरण नहीं हैं।
उनकी आँखें ढकी हुई हैं, और वह कुछ भी नहीं देख सकते जो मैंने किया है।”
12 हे यहोवा, उठो! हे परमेश्वर, उसे मारो!
पीड़ित लोगों को न भूलें!
13 हे परमेश्वर, सबसे दुष्ट व्यक्ति क्यों आपको श्राप देता हैं और क्यों आप से दूर हो जाता है?
वह क्यों सोचता है, “परमेश्वर मुझे कभी दण्डित नहीं कर सकते”?
14 हे परमेश्वर, आप उस परेशानी और संकट को देखते हैं जो दुष्ट व्यक्ति करता है।
और आप दुष्ट मनुष्य को मारेंगे और जो कुछ भी वह करता है उसके लिए उसे दण्डित करेंगे।
15 हे परमेश्वर, उस व्यक्ति की शक्ति को नष्ट करें जो दुष्ट और बुरा है!
उसे उन बुरी चीजों के लिए पलटा दें जो उसने किया था,
वे चीजें जिन्हें उसने सोचा था कि परमेश्वर को उसके विषय में नहीं पता चलेगा।
16 यहोवा सदा के लिए राजा हैं!
वह विदेशी लोगों को अपनी भूमि से निकाल देंगे।
17 हे यहोवा, जब पीड़ित लोग आपको पुकारते हैं, तब आप सुनते हैं।
जब वे प्रार्थना करते हैं तो आप उन्हें सुनते हैं और आप उन्हें प्रोत्साहित करते हैं।
18 आप अनाथों और पीड़ित लोगों की रक्षा करते हैं
जब मजबूत और दुष्ट उन्हें हानि पहुँचाने के लिए कार्य करते हैं।
और इसलिए, किसी को भी चिन्ता करने या डरने की आवश्यकता नहीं है।
Chapter 11
दाऊद द्वारा गाना बजाने वाले निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 मुझे भरोसा है कि यहोवा मेरी रक्षा करेंगे।
इसलिए मैं पक्षियों के समान पर्वतों पर उड़ नहीं जाता हूँ।
2 यह सच है कि दुष्ट लोग अँधेरे में छिपे हुए हैं,
कि उन्होंने अपने धनुष खींच लिए है और अपने तीरों को लक्ष्य पर साधा है
कि उन लोगों पर चलाएँ जो यहोवा का सम्मान करते हैं।
3 जब दुष्ट लोग व्यवस्था की अवज्ञा करने के लिए पीड़ित नहीं होते हैं,
धर्मी लोग क्या कर सकते हैं?
4 परन्तु यहोवा अपने सिंहासन पर स्वर्ग में अपने पवित्र मन्दिर में बैठे हैं,
और वह सब कुछ देखते हैं जो लोग करते हैं।
5 यहोवा यह जाँचते हैं कि धर्मी लोग क्या करते हैं और दुष्ट लोग क्या करते हैं,
और वह उन लोगों से घृणा करते हैं जो दूसरों को चोट पहुँचाना पसन्द करते हैं।
6 वह आकाश से दुष्टों पर जलते हुए कोयले और जलते हुए गन्धक भेजेंगे;
वह उन्हें दण्डित करने के लिए गर्म हवाओं को भेजेंगे।
7 यहोवा जो कुछ भी सही है, वही करते हैं, और वह उन लोगों से प्रेम करते हैं जो सही कार्य करते हैं;
ऐसे लोग उनकी उपस्थिति में आएँगे।
Chapter 12
दाऊद द्वारा गाना बजाने वाले निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 हे यहोवा, हमारी सहायता करें! ऐसा लगता है कि जो लोग आपका सम्मान करते हैं वे अब और नहीं रहे हैं,
कि जो लोग आपके प्रति निष्ठावान हैं वे सभी गायब हो गए हैं।
2 हर कोई अन्य लोगों से झूठ बोलता है;
वे दूसरों को चापलूसी करके धोखा देते हैं, परन्तु वे झूठ बोलते हैं।
3 हे यहोवा, हम चाहते हैं कि आप उनकी जीभ काट दें
कि वे घमण्ड करना जारी न रख सकें।
4 वे कहते हैं, “झूठ बोल कर हम जो चाहते हैं वह प्राप्त करेंगे;
हम जो कहते हैं उसे हम नियंत्रित करते हैं, इसलिए कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या करना चाहिए।”
5 परन्तु यहोवा ने उत्तर दिया, “मैंने उन हिंसक चीजों को देखा हैं जो उन्होंने असहाय लोगों के साथ किए हैं;
मैंने उन लोगों के कराहने को सुना है,
इसलिए मैं उठकर उन लोगों को बचाऊँगा जो चाहते हैं कि मैं उनकी सहायता करूँ।”
6 हे यहोवा, आप सदा ऐसा ही करते हैं जैसा आपने करने की प्रतिज्ञा की है;
जो आपने प्रतिज्ञा की है वह चाँदी के समान बहुमूल्य और शुद्ध है
जो सभी अशुद्धता से छुटकारा पाने के लिए भट्ठी में सात बार ताया गया है।
7 हे यहोवा, हम जानते हैं कि आपका सम्मान करने वाले हम लोगों की आप रक्षा करेंगे
उन दुष्ट लोगों से
8 जो गर्व से घूमते हैं,
जबकि लोग बुरा कर्म करने के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं।
Chapter 13
दाऊद द्वारा गाना बजाने वाले निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 हे यहोवा, आप कब तक मेरे विषय में भूले रहोगे?
क्या आप अपने आपको सदा मुझे से छिपाएँगे?
2 मुझे अपने अन्दर कितनी देर तक पीड़ा सहन करनी होगी?
क्या मुझे हर दिन दुखी होना होगा?
मेरे शत्रु कब तक मुझे पराजित करते रहेंगे?
3 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरी ओर देख कर मुझे उत्तर दें।
मेरी शक्ति पुनर्स्थापित करें, नहीं तो मैं मर जाऊँगा।
4 मेरे शत्रुओं को घमण्ड करने और यह कहने की अनुमति न दें, “हमने उसे पराजित किया है!”
उन्हें मुझे पराजित करने की अनुमति न दें,
जिसके परिणामस्वरूप वे इसके विषय में आनन्दित होंगे!
5 परन्तु मुझे विश्वास है कि आप निष्ठापूर्वक मुझसे प्रेम करेंगे;
जब आप मुझे बचाएँगे तब मैं आनन्दित रहूँगा।
6 हे यहोवा, आपने मेरे लिए भलाई की हैं,
इसलिए मैं आपके लिए गीत गाऊँगा।
Chapter 14
दाऊद द्वारा गाना बजाने वाले निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 केवल मूर्ख लोग स्वयं से कहते हैं, “कोई परमेश्वर नहीं है!”
जो लोग इन चीजों को कहते हैं, वे केवल भ्रष्ट कर्म करते हैं;
उनमें से कोई भी नहीं है जो अच्छा करता है।
2 स्वर्ग से यहोवा हर किसी को देखते हैं;
वह देखते हैं कि कोई भी बहुत बुद्धिमान है,
इतना बुद्धिमान की उन्हें जानने की इच्छा रखता हो।
3 हर कोई यहोवा से दूर हो जाता है। वे भ्रष्ट हैं और घृणित, गन्दे कार्य करते हैं।
कोई भी अच्छा कार्य नहीं करता है।
4 क्या वे दुष्ट लोग कभी नहीं सीखेंगे कि परमेश्वर उन्हें दण्डित करने के लिए क्या करेंगे?
वे यहोवा के लोगों के प्रति हिंसक कार्य करते हैं और उन्हें खाने की इच्छा रखते है, जैसे लोग भोजन खाते हैं,
और वे कभी यहोवा से प्रार्थना नहीं करते हैं।
5 परन्तु किसी दिन वे बहुत डरेंगे
क्योंकि परमेश्वर उन लोगों की सहायता करते हैं जो धार्मिकता से कार्य करते हैं और उन्हें दण्डित करेंगे जो परमेश्वर को अस्वीकार करते हैं।
6 जो लोग बुरा करते हैं वे असहाय लोगों को ऐसा करने से रोक सकते हैं जो वे करने की योजना बनाते हैं,
परन्तु यहोवा उनकी रक्षा करते हैं।
7 सिय्योन से यहोवा आकर इस्राएलियों को बचाएँगे!
वह अपने लोगों को फिर से मुक्त कर देंगे और उन्हें अपने घर वापस लाएँगे।
उस दिन हम सभी इस्राएली लोग आनन्दित होंगे, और हम, जिन्हें याकूब के वंशज भी कहा जाता है, आनन्दित होंगे।
Chapter 15
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, किन लोगों को आपके पवित्र-तम्बू में प्रवेश करने की अनुमति हैं?
आपके पवित्र पर्वत पर रहने की अनुमति किन लोगों को हैं?
2 केवल वे जो सदा सही करते हैं और पाप नहीं करते हैं,
जो सदा सच बोलते हैं।
3 वे दूसरों की निन्दा नहीं करते हैं।
वे दूसरों के प्रति गलत कार्य नहीं करते हैं,
और वे किसी के विषय में बुरी बातें नहीं कहते हैं।
4 जो लोग परमेश्वर का सम्मान करते हैं वे उनसे घृणा करते हैं जिन्हें परमेश्वर ने अस्वीकार कर दिया है,
परन्तु वे उन लोगों का सम्मान करते हैं जो यहोवा का अद्भुत सम्मान करते हैं।
वे वैसा ही करते हैं जैसा उन्होंने करने की प्रतिज्ञा की है
भले ही यह उन्हें ऐसा करने में परेशानी उठानी पड़े।
5 वे ब्याज के बिना दूसरों को पैसे उधार देते हैं,
और वे उन लोगों के विषय में झूठ बोलने के लिए रिश्वत स्वीकार नहीं करते जिन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
जो लोग इन चीजों को करते हैं वे सदा सुरक्षा में रहेंगे।
Chapter 16
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे परमेश्वर, मेरी रक्षा करें
क्योंकि मैं सुरक्षित रहने के लिए आपके पास जाता हूँ!
2 मैंने यहोवा से कहा, “आप मेरे परमेश्वर हो;
वे सभी अच्छी चीजें जो मेरी हैं, वे आप से आई हैं।”
3 जो लोग पवित्र होने का प्रयास करते हैं जो इस देश में रहते हैं वे अद्भुत हैं;
मुझे उनके साथ रहने में प्रसन्नता है।
4 जो लोग अन्य देवताओं की उपासना करने को चुनते हैं, उनके पास कई चीजें होती हैं जो उन्हें दुखी करती हैं।
जब वे अपने देवताओं को बलिदान देते हैं तो मैं उनका साथ नहीं दूँगा;
मैं उनके देवताओं के नाम बोलने में भी उनका साथ नहीं दूँगा।
5 हे यहोवा, आप ही को मैंने चुना है,
और आप मुझे महान आशीष देते हैं।
आप मेरी रक्षा करते हैं और मेरे साथ जो होता है उसे नियंत्रित करते हैं।
6 यहोवा ने मुझे रहने के लिए एक अद्भुत जगह दी हैं;
मुझे उन सभी चीजों से प्रसन्नता है जो उन्होंने मुझे दिए हैं।
7 मैं यहोवा की स्तुति करूँगा, जो मुझे सिखाते हैं;
यहाँ तक कि रात में वह मेरे हृदय को बताते हैं कि मेरे लिए क्या सही है।
8 मुझे पता है कि यहोवा सदा मेरे साथ रहते हैं।
कुछ भी मुझे उनके पक्ष से नहीं हटा सकता है।
9 इसलिए मैं आनन्दित हूँ; मैं उनकी स्तुति करने के लिए सम्मानित हूँ,
और मैं सुरक्षित रूप से आराम कर सकता हूँ
10 क्योंकि आप, हे यहोवा, मुझे उस स्थान पर रहने की अनुमति नहीं देंगे जहाँ मृत लोग हैं,
और आप मुझे जो आपकी वाचा के प्रति निष्ठावान रहा है, वहाँ रहने की अनुमति नहीं देंगे।
11 आप मुझे वह रास्ता दिखाएँगे जहाँ मुझे अनन्त जीवन प्राप्त होता है,
और जब मैं आपके साथ हूँ तो आप मुझे आनन्दित कर देंगे।
जब मैं आपके दाहिने हाथ पर हूँ तो मुझे सदा के लिए प्रसन्नता होगी।
Chapter 17
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, मेरी बात सुनें, जब मैं आप से न्याय करने के लिए विनती करता हूँ।
मुझे सुनें जब मैं आपको मेरी सहायता करने के लिए पुकारता हूँ।
जब मैं प्रार्थना करता हूँ तब जो मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दें
क्योंकि मैं सच्चाई से बोल रहा हूँ।
2 आप ही वह हैं, जो घोषित कर सकते हैं कि मैं निर्दोष हूँ;
कृपया मेरे लिए न्याय करने के लिए सहमत हों।
3 यदि आप रात में मेरे सोच को जाँचने के लिए मेरे पास आते हैं,
यदि आप देखते हैं कि मैं अपने हृदय में क्या सोचता हूँ,
तो आप जानेंगे कि मैंने कभी भी झूठ न बोलने का दृढ़ संकल्प किया है; आप पाएँगे कि मैं बुरी बातें नहीं सोचता हूँ।
4 मैंने उन लोगों के समान कार्य नहीं किया है जो आपको सम्मान नहीं देते;
मैंने सदा आपने जो निर्देश दिया है उसकी शक्ति में कार्य किया है;
मैंने उन लोगों के समान कार्य नहीं किया है जो आपके नियमों को नहीं जानते हैं।
5 मैंने सदा ऐसा किया है जैसा आपने मुझे करने के लिए कहा था;
मैं उन चीजों को करने में कभी असफल नहीं रहा हूँ।
6 हे परमेश्वर, मैं आप से प्रार्थना कर रहा हूँ क्योंकि आप मुझे उत्तर देते हैं;
कृपया जो मैं कह रहा हूँ उसे सुनें।
7 मुझे अपना प्रेम दिखाना जारी रखें जैसा आपने प्रतिज्ञा की थी कि आप करेंगे।
अपनी महान शक्ति से आप उन सभी की रक्षा करते हैं जो आप पर भरोसा करते हैं; आप उन्हें उनके शत्रुओं से सुरक्षित रखते हैं।
8 मुझे सावधानी से सुरक्षित रखें जैसे लोग अपनी आँखों की रक्षा करते हैं;
मेरी रक्षा करें जैसे पक्षी अपने पंखों के नीचे अपने बच्चों की रक्षा करते हैं।
9 दुष्ट लोगों को मुझ पर आक्रमण करने की अनुमति न दें,
मेरे वो शत्रु जो चारों ओर से मुझे घेरे हुए हैं और मुझे मारना चाहते हैं।
10 उन्हें अपने धन और सफलता पर गर्व है,
परन्तु उन्हें किसी पर कोई दया नहीं है।
11 उन्होंने मेरा शिकार किया है और मुझे पाया है।
वे मुझे घेरते हैं, कि मुझे भूमि पर फेंकने और मुझे मारने का अवसर मिले।
12 वे शेर के समान हैं जो जानवरों को फाड़ डालने के लिए तैयार हैं;
वे युवा शेरों के समान हैं जो छिपे रहते हैं और अपने शिकार पर कूदने की प्रतीक्षा करते हैं।
13 हे यहोवा, उठें, मेरे शत्रुओं पर आक्रमण करें, और उन्हें पराजित करें!
अपनी तलवार से मुझे उन दुष्ट लोगों से बचाएँ!
14 हे यहोवा, आपकी शक्ति से मुझे उन लोगों से बचाएँ जो केवल इस संसार की वस्तुओं में रूचि रखते हैं।
परन्तु आप उन लोगों के लिए बहुत सारे भोजन प्रदान करते हैं जिन्हें आप प्रेम करते हैं;
उनके बच्चों के पास भी कई चीजें हैं जो उनके नाती-पोते विरासत में पाएँगे।
15 हे यहोवा, क्योंकि मैं सही रीति से कार्य करता हूँ, मैं आपके साथ एक दिन रहूँगा।
जब मैं मरने के बाद जागता हूँ, तो मैं आपको आमने-सामने देखूँगा, और फिर मैं आनन्दित रहूँगा।
Chapter 18
परमेश्वर के दास दाऊद के द्वारा लिखा गया एक भजन। उसने इसे शाऊल और उसके अन्य शत्रुओं से बचाए जाने के बाद गाया।
1 मुझे बल देने वाले यहोवा, मैं आप से प्रेम करता हूँ।
2 यहोवा एक विशाल चट्टान के समान हैं; जब मैं इसके ऊपर हूँ, तो मेरे शत्रु मेरे पास नहीं पहुँच सकते हैं। वह एक दृढ़ किले के समान हैं; मैं सुरक्षित होने के लिए उसमें भागता हूँ।
वह मुझे बचाते हैं जैसे ढाल एक सैनिक की रक्षा करती है; वही हैं जिन पर मैं भरोसा रखता हूँ, कि वह मुझे सुरक्षित रखेंगे; वह मुझे अपनी महान शक्ति से बचाएँगे!
3 मैंने यहोवा को पुकारा, वह मेरी स्तुति के योग्य हैं, और उन्होंने मुझे मेरे शत्रुओं से बचा लिया।
4 मेरे चारों ओर संकटमय परिस्थितियाँ थीं जिनमें मैं मर सकता था; ऐसा लगता था कि वहाँ बड़ी लहरें थीं जो मुझे लगभग डुबा रही थीं और मैं मरने पर था।
5 यह ऐसा था कि मृत लोगों के पास रस्सियाँ थीं जो मेरे चारों ओर लपेटी गई थीं, या ऐसा लगता था कि एक जाल था जो मुझे पकड़ कर मार डालेगा।
6 परन्तु जब मैं बहुत परेशान था, तब मैंने यहोवा को पुकारा, और बहुत दूर अपने मन्दिर में उन्होंने मुझे सुना।
जब मैंने सहायता के लिए पुकारा तो उन्होंने मेरी बात सुनी।
7 तब यहोवा क्रोधित हो गए, और धरती काँप उठी, और पर्वत अपनी नींवों तक हिल गए!
8 वह इतने क्रोधित थे कि ऐसा लगता था जैसे धुआँ उनके नाक से निकला, जैसे उनके मुँह से जलते हुए कोयले निकले!
9 वह आकाश को खोल कर अपने पैरों के नीचे एक काले बादल के साथ नीचे उतर आए।
10 वह एक दूत के ऊपर सवार होकर तेजी से उड़े, जिनके साथ हवा भी बह रही थी।
11 अंधेरा उनके चारों ओर एक कंबल के समान था; काले बादल, पानी से भरे हुए बादल, उन्हें ढाँके हुए थे।
12 ओले और बिजली की चमक उनके चारों ओर थी; ओले और जलते हुए कोयले आकाश से गिरे।
13 तब यहोवा आकाश से अपने शत्रुओं पर जोर से चिल्लाए, यह गर्जन के समान लग रहा था। सर्वोच्च परमेश्वर यहोवा ने उन पर ओले बरसाए और उनके विरुद्ध बिजली चमकाई।
14 उन्होंने अपने तीर उन पर चलाए और उन्हें तितर-बितर कर दिया; उनकी बिजली की चमक ने उन्हें बहुत उलझन में डाल दिया।
15 जब यहोवा ने अपने शत्रुओं को दण्ड दिया, तब महासागर के निचले भाग दिखाई दिए, और धरती की नींव प्रकट हुई
उनकी साँस के द्वारा जो उनके क्रोध से निकली थी!
16 ऐसा लगता था कि उन्होंने स्वर्ग से हाथ बढ़ाया और मुझे पकड़ लिया और मुझे गहरे महासागर से बाहर खींच लिया।
17 उन्होंने मुझे मेरे शत्रुओं से बचाया जो मुझसे घृणा करते थे; वे बहुत शक्तिशाली थे, मैं उन्हें स्वयं पराजित नहीं कर सकता था।
18 जब मैं परेशान था, उन्होंने मुझ पर आक्रमण किया, परन्तु यहोवा ने मुझे बचाया।
19 उन्होंने मुझे पूरी तरह से सुरक्षित कर दिया; उन्होंने मुझे बचाया क्योंकि वह मुझसे प्रसन्न थे।
20 यहोवा ने मुझे प्रतिफल दिया क्योंकि मैं उचित कार्य करता हूँ; उन्होंने मुझे आशीष दिया क्योंकि मैं निर्दोष हूँ।
21 मैंने यहोवा के नियमों का पालन किया है; मैंने उन्हें त्याग नहीं दिया है।
22 मैंने उनके नियमों का पालन किया है; मैंने उनका पालन करना नहीं त्यागा है।
23 वह जानते हैं कि मैंने गलत कार्य नहीं किए हैं और पाप करने से स्वयं को रोक दिया है।
24 इसलिए वह मुझे प्रतिफल देते हैं क्योंकि मैं सही करता हूँ; वह जानते हैं कि मैंने पाप नहीं किए हैं।
25 हे यहोवा, आप उन लोगों के प्रति विश्वासयोग्य हैं जो सच्चे मन से आपकी वाचा का पालन करते हैं; आप सदा उन लोगों की भलाई करते हैं जो बुराई नहीं करते हैं।
26 आप उन लोगों के प्रति दयालु हैं जो दूसरों के प्रति सच्चे हैं, परन्तु आप उन लोगों के लिए बुद्धिमानी से कार्य करते हैं जो अधर्म के कार्य करते हैं।
27 आप नम्र लोगों को बचाते हैं, परन्तु आप उन लोगों को अपमानित करते हैं जो गर्व करते हैं।
28 आप मुझे जीवित रखते हैं, और आप ऐसा करते रहेंगे।
29 आप मुझे बलवन्त होने में सक्षम बनाते हैं, कि मैं शत्रु सैनिकों की पंक्ति पर आक्रमण करके उन्हें पराजित कर सकूँ; आपकी सहायता से मैं दीवारों को पार कर सकता हूँ, जो मेरे शत्रुओं के शहरों को चारों ओर से घेरे हुए हैं।
30 जो कुछ भी मेरे परमेश्वर यहोवा करते हैं वह सब उचित है। हम उन पर निर्भर हो सकते हैं कि वह अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेंगे।
वह सब शरण लेने वालों की रक्षा करने के लिए एक ढाल के समान हैं।
31 यहोवा ही एकमात्र परमेश्वर हैं; केवल वह एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर हम सुरक्षित रह सकते हैं।
32 परमेश्वर ही मुझे बलवन्त होने में सक्षम बनाते हैं और जिस मार्ग पर मैं चलता हूँ, उस पर मुझे सुरक्षित रखते हैं।
33 वह मुझे बिना ठोकर खाए तेजी से चलने में योग्य बनाते हैं, जैसे हिरन पर्वतों पर चलते हैं।
34 वह मुझे एक दृढ़ धनुष का उपयोग करना सिखाते हैं कि मैं युद्ध करने के लिए इसका उपयोग कर सकूँ।
35 हे यहोवा, आप अपनी ढाल से मेरी रक्षा करें और मुझे बचाएँ; आप बलवन्त हैं और इसलिए मुझे सुरक्षित रखते हैं। मैं दृढ़ हो गया हूँ क्योंकि आपने मेरी सहायता की है।
36 आपने मेरे लिए एक सुरक्षित मार्ग बनाया है, जिसका परिणाम है कि अब मैं फिसलता नहीं हूँ।
37 मैंने अपने शत्रुओं का पीछा किया और उन्हें पकड़ लिया; मैं तब तक नहीं रुका जब तक कि मैंने उन सबको पराजित नहीं किया।
38 जब मैं उन्हें मारता हूँ, वे फिर से उठ नहीं सकते हैं; वे पराजित होकर भूमि पर गिरते हैं।
39 आपने मुझे बलवन्त होने में सक्षम बनाया है कि मैं युद्ध कर सकूँ और अपने शत्रुओं को पराजित कर सकूँ।
40 आपने मेरे शत्रुओं को मेरे पास पहुँचाया, कि मैं उनकी गर्दन काट दूँ। मैंने उन सबसे छुटकारा पा लिया है जो मुझसे घृणा करते हैं।
41 उन्होंने किसी को उनकी सहायता करने के लिए पुकारा, परन्तु कोई भी उन्हें बचा नहीं पाया। उन्होंने यहोवा को पुकारा, परन्तु उन्होंने उनकी सहायता नहीं की।
42 मैंने उन्हें कुचल दिया, और वे धूल के समान बन गए जो हवा में उड़ती है; मैंने उन्हें बाहर फेंक दिया जैसे लोग सड़कों पर गन्दगी फेंक देते हैं।
43 आपने मुझे मेरे शत्रुओं को पराजित करने में योग्य किया और मुझे कई राष्ट्रों का शासक बनने के लिए नियुक्त किया; जिन्हें मैं पहले नहीं जानता था वे अब मेरे राज्य में दास हैं।
44 जब विदेशी मेरे विषय में सुनते हैं, तो वे डर के मारे झुक जाते हैं और वे मेरी आज्ञा मानते हैं।
45 वे अब साहसी नहीं हैं, और वे उन गड्ढों से जहाँ वे छिप रहे थे मेरे पास थरथराते हुए आते हैं।
46 यहोवा जीवित हैं! उनकी स्तुति करें जो एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर मैं सुरक्षित हूँ! परमेश्वर को सराहो जो मुझे बचाते हैं!
47 वह मुझे मेरे शत्रुओं से बदला लेने में सक्षम बनाते हैं; वह मुझे सब राष्ट्रों को पराजित करने देते हैं और उन पर शासन करने देते हैं।
48 यहोवा ही मुझे मेरे शत्रुओं से बचाते हैं। उन्होंने मुझे ऊँचा उठाया है कि हिंसक पुरुष मेरे पास न पहुँच सकें और मुझे हानि पहुँचा न सकें।
49 इसलिए मैं उनकी स्तुति करता हूँ, और मैं सब राष्ट्रों को उन महान कार्यों के विषय में बताता हूँ जो उन्होंने किए हैं।
50 उन्होंने मुझे अर्थात् अपने चुने हुए राजा को शत्रुओं पर शक्तिशाली विजय के योग्य किया है; वह मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं जैसी उन्होंने अपनी वाचा में प्रतिज्ञा की है।
वह मुझ दाऊद से प्रेम करते हैं, जिसे उन्होंने राजा बनने के लिए चुना है, और वह मेरे वंशजों से भी सदा सच्चा प्रेम करेंगे।
Chapter 19
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 जब लोग आकाश में परमेश्वर की रचना को देखते हैं, तो वे देख सकते हैं कि परमेश्वर बहुत महान हैं;
वे उन महान वस्तुओं को देख सकते हैं जिन्हें उन्होंने बनाया है।
2 दिन प्रतिदिन ऐसा लगता है जैसे सूर्य परमेश्वर की महिमा का प्रचार कर रहा है,
और प्रति रात ऐसा लगता है कि चँद्रमा और तारे कहते हैं कि वे जानते हैं कि परमेश्वर ने उन्हें बनाया है।
3 वे वास्तव में बात नहीं करते हैं;
वे कोई शब्द नहीं बोलते हैं।
किसी को सुनाने के लिए उनके पास वाणी नहीं है।
4 परन्तु वे परमेश्वर के विषय में जो घोषणा करते हैं वह सम्पूर्ण संसार में सुनी जाती है,
और पृथ्वी के सबसे दूर के स्थानों में रहने वाले लोग भी इसे जान सकते हैं।
सूर्य आकाश में वहीं हैं जहाँ परमेश्वर ने उसे रखा है;
5 यह हर सुबह एक दूल्हे के समान उगता है जो अपने विवाह के बाद अपने शयन कक्ष से बाहर आते समय प्रसन्न दिखाई देता है।
यह एक बलवन्त खिलाड़ी के समान है जो दौड़ में दौड़ना आरम्भ करने के लिए उत्सुक है।
6 सूरज आकाश में एक ओर उगता है और आकाश में दूसरी ओर अस्त होता है;
उसकी गर्मी से कुछ भी नहीं छिप सकता है।
7 यहोवा ने हमें जो निर्देश दिए हैं वे उचित हैं;
वे हमें नया जीवन देते हैं।
हम यह निश्चित जान लें कि यहोवा ने हमें जो कुछ बताया है वह कभी नहीं बदलेगा,
और उन्हें सीख कर बुद्धिहीन लोग बुद्धिमान बन जाते हैं।
8 यहोवा के नियम उचित हैं;
जब हम उनका पालन करते हैं, हम आनन्दित हो जाते हैं।
यहोवा के आदेश स्पष्ट हैं,
और उन्हें पढ़ कर हम समझना आरम्भ करते हैं कि परमेश्वर हमसे कैसा व्यवहार करवाना चाहते हैं।
9 लोगों के लिए यहोवा का आदर करना अच्छा है;
यह ऐसा है जिसे वह सदा के लिए करेंगे।
यहोवा ने जो भी आदेश दिए हैं वे उचित हैं,
और सदा उचित ही हैं।
10 जिन बातों का परमेश्वर ने निर्णय लिया हैं वे सोने की तुलना में अधिक मूल्यवान हैं,
उत्तम सोने से भी अधिक मूल्यवान हैं।
वे शहद से अधिक मीठे हैं
छत्ते से टपकने वाले मधु से भी अधिक मीठे हैं।
11 इसके अतिरिक्त, उन्हें पढ़ कर मैं सीखता हूँ कि क्या करना भला है और क्या करना बुरा है,
और वे उनका पालन करने वाले हम लोगों के लिए
एक महान प्रतिफल की प्रतिज्ञा करते हैं।
12 परन्तु यहाँ कोई भी नहीं है जो अपनी गलतियों को जान सके;
इसलिए हे यहोवा, मुझे इन कार्यों के लिए क्षमा करें जो मैं करता हूँ क्योंकि मैं नहीं जानता कि वे गलत हैं।
13 मुझे उन कार्यों को करने से रोकें जिन्हें मैं जानता हूँ कि गलत हैं;
मुझे उन बुरे कार्यों को न करने दें जो मैं करना चाहता हूँ।
यदि आप ऐसा करते हैं, तो मैं पाप करने का दोषी नहीं रहूँगा,
और मैं आपके विरुद्ध विद्रोह करने का महान पाप नहीं करूँगा।
14 हे यहोवा, आप एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर मैं सुरक्षित रह सकता हूँ; आप ही मेरी रक्षा करते हैं।
मैं आशा करता हूँ कि जो बातें मैं कहता हूँ और जो मैं सोचता हूँ वह सदा आपको प्रसन्न करें।
Chapter 20
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 हम चाहते हैं कि जब तुम परेशान हो और यहोवा को सहायता के लिए पुकारो तो यहोवा तुम्हारी सुनें!
हम चाहते हैं कि परमेश्वर, जिनका हमारे पूर्वज याकूब सम्मान करते थे, तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं से सुरक्षित रखें।
2 हम चाहते हैं कि वह अपने पवित्र मन्दिर से हाथ बढ़ाकर तुम्हारी सहायता करें
और सिय्योन पर्वत पर से जहाँ वह रहते हैं, वहाँ से तुम्हारी सहायता करें।
3 हम चाहते हैं कि वह उन सब भेंटों को स्वीकार करें जिन्हें तुम वेदी पर जलाने के लिए उन्हें देते हो,
और तुम्हारी अन्य सब भेंटों को भी स्वीकार करें।
4 हम चाहते हैं कि वह तुम्हारे हृदय की इच्छा के अनुसार तुम्हें दें,
और यह कि तुम जो भी करना चाहते हैं उसे पूरा करने में समर्थ हो सको।
5 जब तुम अपने शत्रुओं को पराजित करते हो, तब हम आनन्द से चिल्लाएँगे।
हम एक झण्डा उठाएँगे जिससे यह घोषित होगा कि परमेश्वर ही ने तुम्हारी सहायता की है।
यहोवा तुम्हारे लिए वह सब करें, जो तुम उनसे करने का अनुरोध करते हो।
6 अब मैं जानता हूँ कि यहोवा मुझे बचाते हैं, जिसे उन्होंने राजा होने के लिए चुना था।
स्वर्ग में अपने पवित्रस्थान से वह मुझे उत्तर देंगे,
और वह मुझे अपनी महान शक्ति से बचाएँगे।
7 कुछ राजा भरोसा करते हैं क्योंकि उनके पास रथ हैं, वे अपने शत्रुओं को हराने में समर्थ होंगे,
और कुछ भरोसा करते हैं कि उनके घोड़े उन्हें शत्रुओं को हराने में समर्थ बनाएँगे,
परन्तु हम अपने परमेश्वर यहोवा की शक्ति में भरोसा करेंगे।
8 कुछ ठोकर खा कर गिर जाएँगे,
परन्तु हम दृढ़ होंगे और हिलाए नहीं जाएँगे।
9 हे यहोवा, शत्रुओं को पराजित करने में हमारे राजा की सहायता करें!
जब हम आपको हमारी सहायता करने के लिए पुकारते हैं तब हमें उत्तर दें!
Chapter 21
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 हे यहोवा, जिस मनुष्य को आपने राजा बनाया, वह आनन्दित है क्योंकि आपने उसे शक्तिशाली बना दिया है।
वह प्रसन्न है क्योंकि आपने उसे उसके शत्रुओं को पराजित करने में समर्थ बनाया है।
2 आपने उसे वह सब कुछ दिया है जिसकी वह सबसे अधिक इच्छा करता है,
और आपने उसके अनुरोध से इन्कार नहीं किया है।
3 आपने उसके लिए बहुत से अद्भुत कार्य किए हैं।
आपने उसके सिर पर एक सोने का मुकुट रखा है।
4 उसने लम्बे समय तक जीवित रहने के लिए विनती की,
और आपने उसे लम्बे समय तक जीवित रहने योग्य किया है।
5 राजा के रूप में उसकी शक्ति बहुत महान है क्योंकि आपने उसे उसके शत्रुओं पर विजय प्रदान की है।
6 आप उसे सदा के लिए आशीष देंगे,
और आपने उसे आपकी उपस्थिति में आनन्दित किया है।
7 हे यहोवा, आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं,
और राजा आप पर भरोसा करता है।
क्योंकि आप उससे सच्चा प्रेम करते हैं,
विनाशकारी बातें उसके साथ कभी नहीं होतीं।
8 आप उसे अपने सभी शत्रुओं को मारने में समर्थ करेंगे,
उन सबको, जो उससे घृणा करते हैं।
9 जब आप प्रकट होते हैं, तो आप उन्हें आग की भट्ठी में फेंक देंगे।
क्योंकि आप उनसे क्रोधित हैं, आप उन्हें निगल जाएँगे;
आग उन्हें जला देगी।
10 आप उनकी सन्तान को इस धरती पर से मिटा देंगे;
उनके सभी वंशज लोप हो जाएँगे।
11 वे आपको हानि पहुँचाना चाहते थे,
परन्तु वे जो योजना बनाते हैं वह कभी सफल नहीं होंगे।
12 आप उन पर तीर मार कर
उन्हें भगा देंगे।
13 हे यहोवा, हमें दिखाएँ कि आप अति शक्तिमान हैं!
जब आप ऐसा करते हैं, तो हम आपके लिए गाएँगे और आपकी स्तुति करेंगे क्योंकि आप बहुत शक्तिशाली हैं।
Chapter 22
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन, ‘भोर की हरिणी’
1 हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, आपने मुझे क्यों छोड़ दिया है?
आप मुझसे इतने दूर क्यों हैं,
और आप मेरी बात क्यों नहीं सुनते हैं?
जब मैं पीड़ित होता हूँ और कराहता हूँ तो आप मुझे क्यों नहीं सुनते हैं?
2 हे मेरे परमेश्वर, मैं प्रतिदिन आपको दिन के समय पुकारता हूँ, परन्तु आप मुझे उत्तर नहीं देते हैं।
मैं रात के समय आपको पुकारता हूँ; मैं कभी चुप नहीं रहता हूँ।
3 परन्तु आप पवित्र हैं।
आप राजा के रूप में अपने सिंहासन पर बैठते हैं, और हम इस्राएल के लोग आपकी स्तुति करते हैं।
4 हमारे पूर्वजों ने आप पर भरोसा किया।
क्योंकि वे आप पर भरोसा करते हैं, आपने उन्हें बचाया।
5 जब उन्होंने सहायता के लिए आपको पुकारा, तो आपने उन्हें बचाया।
उन्होंने आप पर भरोसा किया, और वे निराश नहीं हुए।
6 परन्तु आपने मुझे नहीं बचाया है!
लोग मुझे तुच्छ समझते हैं वरन् मनुष्य भी नहीं मानते हैं;
वे सोचते हैं कि मैं एक कीड़ा हूँ!
हर कोई मुझसे घृणा करता है और मुझे तुच्छ जानता है।
7 जो मुझे देखता है वह मेरा उपहास करता है।
वे मेरा उपहास करते हैं और अपने सिर हिला कर मेरा अपमान करते हैं जैसे कि मैं एक दुष्ट व्यक्ति था।
वे कहते हैं,
8 “वह यहोवा पर भरोसा करता है,
तो यहोवा को उसे बचाना चाहिए!
वह कहता है कि यहोवा उससे बहुत प्रसन्न हैं;
यदि ऐसा है, तो यहोवा को उसे बचाना चाहिए!”
9 आप, हे परमेश्वर, मेरी माँ के गर्भ से मेरे साथ रहे हैं,
और जब से मैं दूध-पीता बच्चा था तब से आपने मुझे आप पर भरोसा करना सिखाया है।
10 ऐसा लगता है कि जैसे ही मैं पैदा हुआ तब आपने मुझे गोद ले कर अपनाया।
जब से मेरा जन्म हुआ तब से आप मेरे परमेश्वर हैं।
11 तो अब मुझसे दूर मत रहो
क्योंकि शत्रु जो मुझे बहुत परेशान करते है, वे मेरे पास हैं,
और कोई नहीं है जो मेरी सहायता कर सकता है।
12 मेरे शत्रु जंगली बैल के झुण्ड के समान मुझे घेरते हैं।
बाशान के क्षेत्र में पहाड़ियों पर चरने वाले बैलों के जैसे भयंकर लोग, मेरे चारों ओर घूमते हैं।
13 वे ऐसे शेरों के समान हैं जो पशुओं पर आक्रमण कर रहे हैं जिन्हें वे खाना चाहते हैं;
वे मुझे मारने के लिए मेरी ओर भागते हैं;
वे शेरों के समान हैं जिनके मुँह खुले हैं कि अपने शिकार को टुकड़ों में चबा जाएँ।
14 मैं पूरी तरह से थक गया हूँ,
और मेरी सभी हड्डियाँ जोड़ों से बाहर निकल आई हैं।
अब मुझे आशा नहीं है कि परमेश्वर मुझे बचाएँगे;
मैं बहुत निराश हूँ।
15 मेरी शक्ति समाप्त हो गई है
एक मिट्टी के बर्तन के टूटे टुकड़ों के समान जो धूप में सूख गया है।
मैं इतना प्यासा हूँ कि मेरी जीभ मेरे मुँह के तालू से चिपक जाती है।
हे परमेश्वर, मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि आप मेरे शरीर को मरने देंगे कि वह धूल हो जाए!
16 मेरे शत्रु मेरे चारों ओर जंगली कुत्तों के समान हैं।
दुष्टों के एक समूह ने मुझे घेर लिया है, वे मुझ पर आक्रमण करने के लिए तैयार है।
उन्होंने मेरे हाथों और मेरे पाँवों को छेदा है।
17 मैं इतना दुर्बल और पतला हूँ कि मैं अपनी सब हड्डियों को गिन सकता हूँ।
मेरे शत्रु मुझको घूरते हैं और मेरे साथ जो हुआ है उसका वर्णन करते हैं।
18 वे मेरे पहने हुए कपड़ों को देखते हैं
और चिट्ठियाँ डाल कर निर्णय लेते हैं कि किसको कौन सा टुकड़ा मिलेगा।
19 हे यहोवा, मेरी चिन्ता करो!
आप जो मेरी शक्ति का स्रोत हैं,
शीघ्र आएँ और मेरी सहायता करें!
20 उन लोगों से मुझे बचाएँ जो अपनी तलवार से मुझे मारना चाहते हैं।
उन लोगों की शक्ति से मुझे बचाएँ जो जंगली कुत्तों के समान हैं।
21 मुझे मेरे शत्रुओं से छीन कर दूर कर दें, जिनके जबड़े शेरों के समान खुले हैं और मुझे चबाने के लिए तैयार हैं!
मुझे पकड़ कर उन लोगों से दूर कर दें, जो जंगली बैल के समान हैं जो अपने सींगों से दूसरे पशुओं पर आक्रमण करते हैं!
22 यदि आप मुझे उनसे बचाएँगे, तो मैं अपने साथी इस्राएलियों को बताऊँगा कि आप कितने महान हैं।
मैं आपकी आराधना के लिए एकत्र हुए लोगों के समूह में आपकी स्तुति करूँगा।
23 तुम लोग जो यहोवा का महान सम्मान करते हो, उनकी स्तुति करो!
हे याकूब वंशियों, सब यहोवा का सम्मान करो!
हे इस्राएली लोगों, उन्हें सम्मानित करो!
24 वह पीड़ित लोगों को तुच्छ या अनदेखा नहीं करते हैं;
वह उनसे अपना चेहरा नहीं छिपाते हैं।
जब उन्होंने सहायता के लिए उन्हें पुकारा तब उन्होंने उनकी बात सुनी।
25 हे यहोवा, आपके लोगों की बड़ी सभा में, जो कुछ अपने किया है, उसके लिए मैं आपकी स्तुति करूँगा।
उन लोगों की उपस्थिति में, जो आपका बहुत सम्मान करते हैं, मैं उन बलिदानों को चढ़ाऊँगा, जिनकी मैंने प्रतिज्ञा की है।
26 जिन गरीब लोगों को मैंने भोज में आमन्त्रित किया है, वे जितना चाहेंगे उतना खाएँगे।
जो लोग यहोवा की आराधना करने आएँगे, वे उनकी स्तुति करेंगे।
मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर आप सबको लम्बा और समृद्ध जीवन जीने में योग्य बनाएँ!
27 मैं प्रार्थना करता हूँ कि सब राष्ट्रों में, यहाँ तक कि दूर के स्थानों में भी लोग यहोवा के विषय में विचार करें और उनके पास आएँ,
और संसार के सब कुलों के लोग उनके सामने झुकें।
28 क्योंकि यहोवा राजा हैं!
वह सब राष्ट्रों पर शासन करते हैं।
29 पृथ्वी के सब समृद्ध लोग उनके सामने उत्सव मनाएँगे और झुकेंगे।
एक दिन वे मर जाएँगे, क्योंकि वे इससे बच नहीं सकते हैं,
परन्तु वे परमेश्वर की उपस्थिति में भूमि पर दण्डवत् करेंगे।
30 भविष्य की पीढ़ियों के लोग भी यहोवा की सेवा करेंगे।
वे अपनी सन्तान को बताएँगे कि यहोवा ने क्या किया है।
31 जो लोग अब तक पैदा नहीं हुए हैं, जो भविष्य में जीएँगे, वे सीखेंगे कि यहोवा ने अपने लोगों को कैसे बचाया।
लोग उन्हें बताएँगे, “यहोवा ने यह किया है!”
Chapter 23
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, आप मेरी देखभाल करते हैं जैसे चरवाहे अपनी भेड़ों की देखभाल करते हैं,
इसलिए मेरे पास सब कुछ है, जो मुझे चाहिए।
2 आप मुझे शान्ति में आराम करने में समर्थ बनाते हैं
जैसे एक चरवाहा अपनी भेड़ों को उन स्थानों पर ले जाता है जहाँ उनके खाने के लिए बहुत हरी घास होती है,
जैसे वह उन्हें उन धाराओं के पास में लेटाता है जहाँ पानी धीरे-धीरे बहता है।
3 आप मेरी शक्ति को नया करते हैं।
आप मुझे दिखाते हैं कि उचित जीवन कैसे जीना है,
कि मैं आपको सम्मान दे सकूँ।
4 यहाँ तक कि जब मैं बहुत संकटमय स्थानों में चलता हूँ
जहाँ मैं मर भी सकता हूँ,
मैं किसी भी वस्तु से नहीं डरूँगा
क्योंकि आप मेरे साथ हैं।
आप मेरी रक्षा करते हैं जैसे चरवाहे अपनी भेड़ों की रक्षा करते हैं।
5 आप मेरे लिए ऐसी जगह पर, एक महान दावत तैयार करते हैं
जहाँ मेरे शत्रु मुझे देख सकते हैं।
आप मेरा एक सम्मानित अतिथि के जैसा स्वागत करते हैं।
आपने मुझे बहुत आशीष दिए हैं!
6 मुझे विश्वास है कि आप मेरे प्रति भले रहेंगे
और मेरे प्रति दयालु कार्य करेंगे
जब तक मैं जीवित रहूँगा;
फिर हे यहोवा, मैं आपके घर में सदा के लिए निवास करूँगा।
Chapter 24
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 पृथ्वी और जो कुछ उसमें है यहोवा ही के हैं;
संसार के सब लोग भी उनके हैं;
2 उन्होंने पानी पर भूमि को बनाया,
नीचे के गहरे पानी के ऊपर उसको बनाया।
3 यरूशलेम में सिय्योन पर्वत पर जाने की अनुमति किसको मिलेगी,
कि यहोवा के पवित्र मन्दिर में खड़े होकर उनकी आराधना करें?
4 केवल वे लोग जिनके कार्य और विचार शुद्ध हैं,
जिन्होंने मूर्तियों की पूजा नहीं की है,
और जो झूठ नहीं बोलते हैं जब उन्होंने सच बोलने की शपथ खाई है।
5 यहोवा उन्हें आशीष देंगे।
जब परमेश्वर उनका न्याय करते हैं, तब वह उन्हें बचाएँगे और कहेंगे कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
6 यही वे लोग हैं जो परमेश्वर के पास आते हैं,
यही हैं वे जो परमेश्वर की आराधना करना चाहते हैं,
और याकूब के परमेश्वर की सेवा करते हैं।
7 मन्दिर के द्वार खोलें
कि हमारे गौरवशाली राजा प्रवेश कर सकें!
8 क्या आप जानते हैं कि गौरवशाली राजा कौन है?
यह यहोवा हैं, वह जो बहुत शक्तिशाली हैं;
यह यहोवा हैं, जो युद्ध में अपने सब शत्रुओं को पराजित करते हैं!
9 मन्दिर के द्वार खोलें
कि हमारे गौरवशाली राजा प्रवेश कर सकें!
10 क्या आप जानते हैं कि गौरवशाली राजा कौन है?
यह यहोवा हैं, जो स्वर्गदूतों की सेनाओं के सेनापति हैं;
वही हमारे गौरवशाली राजा हैं!
Chapter 25
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, मैं स्वयं को आपको देता हूँ।
2 हे मेरे परमेश्वर, मैं आप पर भरोसा करता हूँ।
मेरे शत्रुओं को मुझे पराजित करने
और मुझे लज्जित करने न दें।
मेरे शत्रुओं को मुझे पराजित करने,
और आनन्द मनाने न दें।
3 आप पर भरोसा रखने वालों में से किसी को भी, लज्जित होने न दें।
उन लोगों को लज्जित कर दें, जो दूसरों से विश्वासघात करते हैं।
4 हे यहोवा, मुझ पर प्रकट करें मुझे अपने जीवन को कैसे जीना चाहिए,
मुझे सिखाएँ कि आपकी इच्छा के अनुसार कैसे कार्य करना है।
5 मुझे सिखाएँ कि आपकी सच्चाई का पालन करके अपना जीवन कैसे जीना है
क्योंकि आप मेरे परमेश्वर हैं, जो मुझे बचाते हैं।
पूरे दिन मैं आप पर भरोसा करता हूँ।
6 हे यहोवा, यह न भूलें कि आपने कैसे मेरे प्रति दयालु कार्य किए हैं और आपकी वाचा के कारण मुझसे सच्चा प्रेम किया है;
इसी रीति से आपने बहुत समय से मेरे लिए कार्य किया है।
7 उन सब पापपूर्ण बातों के लिए और उन मार्गों के लिए जिन पर चलकर मैंने जवानी में आपके विरुद्ध विद्रोह किया;
मैं यह अनुरोध करता हूँ क्योंकि आप अपने लोगों से सच्चा प्रेम करते हैं और उनके लिए भलाई करते हैं, जैसी आपने अपनी वाचा में प्रतिज्ञा की है।
हे यहोवा, मुझे न भूलें!
8 यहोवा भले और निष्पक्ष हैं,
इसलिए वह पापियों को दिखाते हैं कि उन्हें कैसा जीवन जीना है।
9 वह विनम्र लोगों को दिखाते हैं कि उनके लिए क्या उचित है
और उन्हें सिखाते हैं कि वह उनसे क्या कराना चाहते हैं।
10 वह सदैव हमसे सच्चा प्रेम करते हैं और उन्होंने जो प्रतिज्ञा की है, उसे पूरा करते हैं।
उन लोगों के लिए जो उनकी वाचा का पालन करते हैं और जो वह चाहते हैं उसे करते हैं।
11 हे यहोवा, मुझे मेरे सब पापों के लिए क्षमा करें, जो बहुत हैं,
कि मैं आपको सम्मान दे सकूँ।
12 उन सबको जो आपका महान सम्मान करते हैं,
आप जीवन जीने का उचित मार्ग दिखाते हैं।
13 वे सदा समृद्ध होंगे,
और उनके वंशज इस देश में निवास करते रहेंगे।
14 यहोवा उन लोगों के मित्र हैं, जो उनका बहुत सम्मान करते हैं,
और वह उन्हें अपनी वाचा की शिक्षा देते हैं।
15 मैं सहायता के लिए यहोवा से सदा अनुरोध करता हूँ,
और वह मुझे संकट से बचाते हैं।
16 हे यहोवा, मुझ पर ध्यान दें और मेरे प्रति दयालु रहें क्योंकि मैं अकेला हूँ,
और मैं बहुत परेशान हूँ क्योंकि मैं पीड़ित हूँ।
17 मुझे कई परेशानियाँ हैं जिनसे मैं डरता हूँ;
मुझे उनसे बचाएँ।
18 ध्यान दें कि मैं व्याकुल और परेशान हूँ,
मुझे मेरे सब पापों के लिए क्षमा करें।
19 ध्यान दें कि मेरे कई शत्रु हैं;
आप देखते हैं कि वे मुझसे बहुत घृणा करते हैं।
20 मेरी रक्षा करें और मुझे उनसे बचाएँ;
उन्हें मुझे पराजित करने न दें
जिसके कारण मैं लज्जित हो जाऊँगा;
मैं शरण पाने के लिए आपके पास आया हूँ।
21 मेरी रक्षा करें क्योंकि मैं भला और सच्चा हूँ
और क्योंकि मैं आप पर भरोसा करता हूँ।
22 परमेश्वर, हम इस्राएली लोगों को हमारी सब परेशानियों से बचाएँ!
Chapter 26
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 यहोवा, दिखाएँ कि मैं निर्दोष हूँ।
मैं सदा उचित कार्य करता हूँ;
मैंने आप पर भरोसा किया है और कभी सन्देह नहीं किया है कि आप मेरी सहायता करेंगे।
2 हे यहोवा, मैंने जो किया है उसकी जाँच करें और मेरी परीक्षा करें;
मेरे मन में जो भी मैं सोचता हूँ उसका पूरा मूल्यांकन करें।
3 मैं कभी नहीं भूलता कि आप अपनी वाचा के प्रति सच्चे हैं और मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं;
मैं आपकी विश्वासयोग्यता के अनुसार अपने जीवन को जीता हूँ।
4 मैं झूठ बोलने वालों के साथ अपना समय नहीं बिताता हूँ,
और मैं ढोंगियों से दूर रहता हूँ।
5 मुझे बुरे लोगों के साथ रहना पसन्द नहीं है,
और मैं दुष्ट लोगों से बचता हूँ।
6 हे यहोवा, मैं यह दिखाने के लिए अपने हाथ धोता हूँ कि मैं निर्दोष हूँ।
जब मैं आपकी वेदी के चारों ओर घूमने वाले लोगों के साथ जुड़ता हूँ,
7 तब हम आपको धन्यवाद देने के लिए गाने गाते हैं,
और हम दूसरों को उन अद्भुत बातों के विषय में बताते हैं जो आपने किए हैं।
8 हे यहोवा, मैं उस घर में रहना पसन्द करता हूँ जहाँ आप रहते हैं,
उस स्थान पर जहाँ आपकी महिमा प्रकट होती है।
9 मुझसे छुटकारा न पाएँ जैसे आप पापियों से छुटकारा पाते हैं;
मेरे मरने का कारण न बनें जैसे आप लोगों की हत्या करने वालों को मारते हैं,
10 लोग जो दुष्ट कार्य करने के लिए तैयार हैं
और वे जो सदा घूँस लेते हैं।
11 परन्तु मैं सदा उचित कार्य करने का प्रयास करता हूँ।
इसलिए कृपया मेरे प्रति दयालु कार्य करें और मुझे बचाएँ।
12 मैं उन स्थानों में खड़ा हूँ जहाँ मैं सुरक्षित हूँ,
और जब आपके लोग एक साथ एकत्र होते हैं, तब मैं आपकी स्तुति करता हूँ।
Chapter 27
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 यहोवा ही वह है जो मुझे जीवन देते हैं और जो मुझे बचाते हैं,
इसलिए मुझे किसी से डरने की आवश्यकता नहीं है।
यहोवा वह हैं जिनके पास मैं शरण के लिए जाता हूँ,
इसलिए मैं कभी नहीं डरूँगा।
2 जब बुराई करने वाले लोग मुझे नष्ट करने के लिए मेरे पास आते हैं,
वे ठोकर खा कर गिर जाते हैं।
3 भले ही एक सेना मुझे चारों ओर घेर ले,
मुझे डर नहीं होगा।
भले ही वे मुझ पर आक्रमण करते हैं,
मैं परमेश्वर पर भरोसा रखूँगा।
4 एक बात है जिसका मैंने यहोवा से अनुरोध किया है;
यही एक बात है जो मैं चाहता हूँ:
कि मैं अपने जीवन के हर दिन यहोवा के घर में आराधना कर सकूँ,
कि मैं देख सकूँ कि यहोवा कैसे अद्भुत हैं,
और मैं उनसे पूछ सकूँ कि वह मुझसे क्या कराना चाहते हैं।
5 जब मुझे परेशानी होती है तब वह मेरी रक्षा करेंगे;
वह मुझे अपने पवित्र-तम्बू में सुरक्षित रखेंगे।
वह मुझे एक ऊँची चट्टान पर सुरक्षित खड़ा करेंगे।
6 तब मैं अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करूँगा।
मैं प्रसन्नता से चिल्लाऊँगा जब मैं उनके पवित्र-तम्बू में बलि चढ़ाऊँगा,
और जब मैं गाता हूँ तब मैं यहोवा की स्तुति करूँगा।
7 हे यहोवा, जब मैं आपको पुकारता हूँ, तब मेरी बात सुनें।
कृपया मेरे प्रति दयालु कार्य करें और मेरी प्रार्थना का उत्तर दें।
8 मैं अपने मन में आपकी आराधना करना चाहता हूँ,
इसलिए, हे यहोवा, मैं आप से प्रार्थना करने के लिए आपके मन्दिर में आता हूँ।
9 मैं आपका दास हूँ;
मुझसे क्रोधित न हो, या मुझसे दूर न हो।
आपने सदा मेरी सहायता की है।
आप ही हैं जिन्होंने मुझे बचाया है,
इसलिए अब मुझे न त्यागें।
10 भले ही मेरे पिता और माता मुझे छोड़ दें,
यहोवा सदा मेरा ध्यान रखते हैं।
11 हे यहोवा, मुझे वह करना सिखाएँ जो आप मुझसे कराना चाहते हैं,
और मुझे एक सुरक्षित पथ पर ले जाएँ
क्योंकि मेरे कई शत्रु हैं।
12 मेरे शत्रुओं को जो कुछ वे चाहते वह मेरे साथ करने न दें;
वे मेरे विषय में कई झूठी बातें कहते हैं और मेरे साथ हिंसक कार्य करने की धमकी देते हैं।
13 यदि मैं आप पर भरोसा नहीं रखता कि आप मेरे जीवन भर मेरे प्रति भले रहेंगे,
तो मैं मर जाता।
14 इसलिए यहोवा पर भरोसा रखो!
दृढ़ और साहसी बनो,
और तुम्हारी सहायता करने के लिए आशा के साथ उनकी प्रतीक्षा करो!
Chapter 28
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, मैं आपको पुकारता हूँ;
आप एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर मैं सुरक्षित हूँ।
मुझे उत्तर देने से इन्कार न करें
क्योंकि यदि आप चुप रहेंगे, तो मैं अति शीघ्र ही उन लोगों के साथ रहूँगा जो कब्रों में हैं।
2 मेरी पुकार सुन लें, जब मैं आपको सहायता के लिए पुकारता हूँ,
जब मैं अपने हाथ उठा कर आपके पवित्र-तम्बू में आपके पवित्रस्थान की ओर देखता हूँ।
3 मुझे दुष्ट लोगों के साथ न घसीटें,
जो कुकर्म करते हैं,
उन लोगों के साथ भी जो दूसरों के साथ शान्तिपूर्वक कार्य करने का ढोंग करते हैं
जबकि मन में, वे उनसे घृणा करते हैं।
4 उन लोगों को उनके द्वारा किए गए कार्यों के अनुसार दण्ड दें, वे इसी योग्य हैं;
उन्हें उनके बुरे कर्मों के लिए दण्ड दें।
5 हे यहोवा, वे आपके अद्भुत कार्यों और आपकी सृष्टि पर ध्यान नहीं देते हैं;
इसलिए उनसे सदा के लिए छुटकारा पाएँ और उन्हें फिर से दिखाई देने न दें!
6 यहोवा की स्तुति करो
क्योंकि उन्होंने मुझे सुना है जब मैंने सहायता के लिए उन्हें पुकारा था!
7 यहोवा मुझे दृढ़ बनाते हैं और मुझे ढाल के समान बचाते हैं;
मैं उन पर भरोसा रखता हूँ, और वह मेरी सहायता करते हैं।
इसलिए मैं अपने मन में आनन्दित हूँ,
और मैं गीत गाते समय मन से उनकी स्तुति करता हूँ।
8 यहोवा हमें दृढ़ करते हैं और हमारी रक्षा करते हैं;
वह मुझे बचाते हैं, जिसे उन्होंने राजा बनाने के लिए नियुक्त किया है।
9 हे यहोवा, अपने लोगों को बचाएँ;
उन लोगों को आशीष दें जो आपके हैं।
उनका ध्यान रखें जैसे चरवाहे अपनी भेड़ों का ध्यान रखते हैं;
उनका सदा ध्यान रखें।
Chapter 29
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे शक्तिमान लोगों, यहोवा की स्तुति करो!
उनकी स्तुति करो क्योंकि वह बहुत गौरवशाली और शक्तिशाली हैं।
2 उनके नाम की महिमा के अनुसार उनकी स्तुति करो।
झुक कर यहोवा की उपासना करो क्योंकि वह पवित्र हैं और उनकी पवित्रता अद्भुत सौन्दर्य के साथ चमकती है।
3 महासागरों के ऊपर यहोवा की वाणी सुनी जाती हैं;
गौरवशाली परमेश्वर गरजते हैं।
वह विशाल महासागरों पर दिखाई देते हैं।
4 उनकी वाणी शक्तिशाली और महिमामय हैं।
5 यहोवा की वाणी महान देवदार के पेड़ों को तोड़ती हैं,
लबानोन में बढ़ने वाले देवदारों को।
6 जैसे युवा बछड़ा कूदता है वैसे वह लबानोन के क्षेत्र को भूकम्प से हिलाते हैं;
वह हेर्मोन पर्वत को ऐसे हिलाते हैं, जैसे एक युवा बैल कूदता है।
7 यहोवा की वाणी बिजली को चमकने की आज्ञा देती है।
8 उनकी वाणी रेगिस्तान को हिलाती हैं;
वह कादेश के जंगल को हिलाते हैं।
9 यहोवा की वाणी बड़े पेड़ों को हिलाती हैं,
और पत्तियों को गिरा देती हैं
जब मन्दिर में लोग चिल्लाते हैं, “परमेश्वर की स्तुति करो!”
10 यहोवा धरती को ढाँकने वाली बाढ़ पर शासन करते हैं;
वह हमारे राजा हैं जो सदा के लिए शासन करेंगे।
11 यहोवा अपने लोगों को दृढ़ होने योग्य करते हैं,
और वह उनकी भलाई करके उन्हें आशीष देते हैं।
Chapter 30
एक भजन जो दाऊद ने मन्दिर के समर्पण के लिए लिखा था
1 हे यहोवा, मैं आपकी स्तुति करता हूँ क्योंकि आपने मुझे बचा लिया है। आपने मुझे मरने या मेरे शत्रुओं को मुझ पर आनन्द करने नहीं दिया है।
2 हे यहोवा, जब मैं घायल हो गया था, तब मैंने सहायता के लिए आप से प्रार्थना की, और आपने मुझे स्वस्थ किया।
3 आपने मुझे मरने से बचाया। मैं लगभग मर चुका था, परन्तु आपने मुझे स्वस्थ कर दिया है।
4 तुम सब जो यहोवा के साथ बाँधी वाचा के प्रति सच्चे हो, उनकी स्तुति करने के लिए गाओ! स्मरण रखें परमेश्वर, जो पवित्र हैं, उन्होंने क्या-क्या किया है और उन्हें धन्यवाद दें!
5 जब वह क्रोधित हो जाते हैं, तो वह केवल बहुत ही कम समय के लिए क्रोधित होते हैं, परन्तु वह हमारे पूरे जीवनकाल में हमारे लिए भले हैं।
हम रात के समय रो सकते हैं, परन्तु अगली सुबह हम आनन्दित होंगे।
6 मैं शान्त था जब मैंने स्वयं से कहा, “कोई भी मुझे पराजित नहीं करेगा!”
7 हे यहोवा, क्योंकि आप मेरे लिए भले थे, इसलिए पहले आपने मुझे सुरक्षित किया जैसे कि मैं एक ऊँचे पर्वत पर था।
परन्तु फिर मैंने सोचा कि आप मुझसे दूर हो गए थे, और मैं डर गया।
8 इसलिए मैंने आपको पुकारा, और मैंने सहायता के लिए आप से अनुरोध किया।
9 मैंने कहा, “हे यहोवा, यदि मैं मर जाऊँ तो आपको क्या लाभ होगा?
यदि मैं उस स्थान पर जाता हूँ जहाँ मरे हुए लोग हैं तो इससे आपको क्या लाभ होगा?
जब मैं मर जाऊँगा तो मैं निश्चय ही आपकी स्तुति नहीं कर पाऊँगा, और मैं दूसरों को बताने नहीं पाऊँगा कि आप भरोसा रखने योग्य हैं!
10 हे यहोवा, मेरी बात सुनें, और मुझ पर दया करें! हे यहोवा, मेरी सहायता करो!”
11 परन्तु अब आपने मुझे स्वस्थ किया है, और आपने मुझे उदास होने के बदले आनन्द से नृत्य करने दिया है।
आपने वे कपड़े हटा दिए हैं जो दिखाते हैं कि मैं बहुत दुखी था और मुझे वे कपड़े दिए जो दिखाते थे कि मैं बहुत आनन्दित था।
12 इसलिए मैं चुप नहीं रहूँगा; मैं गाऊँगा और आपकी स्तुति करूँगा।
हे यहोवा, आप मेरे परमेश्वर हैं, और मैं सदा के लिए आपको धन्यवाद दूँगा।
Chapter 31
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 हे यहोवा, मैं आपके पास सुरक्षित होने आया हूँ;
मुझे पराजित और अपमानित होने न दें।
क्योंकि आप सदा निष्पक्ष हैं,
इसलिए मुझे बचाएँ!
2 मेरी बात सुनें, और अभी मुझे बचाएँ!
मेरे लिए एक विशाल चट्टान के समान बनें, जिस पर मैं सुरक्षित हो सकता हूँ
और एक दृढ़ किले के समान जिसमें मैं सुरक्षित रहूँगा।
3 हाँ, आप मेरे लिए विशाल चट्टान और किले के समान हैं;
मेरा मार्गदर्शन करें और मुझे ले कर चलें क्योंकि मैं आपकी आराधना करता हूँ।
4 आप ही मेरी रक्षा करते हैं,
इसलिए मुझे छिपे हुए जाल में फँसने से रोकें जो मेरे शत्रुओं ने मेरे लिए बिछाया है।
5 हे यहोवा, आप ही एकमात्र परमेश्वर हैं, जिन पर मैं भरोसा रख सकता हूँ,
इसलिए मैंने अपने आपको आपकी देखभाल में रखा है
क्योंकि आप मुझे बचाएँगे।
6 हे यहोवा, मैं उन लोगों से घृणा करता हूँ जो व्यर्थ मूर्तियों की पूजा करते हैं,
परन्तु मैं आप पर भरोसा करता हूँ।
7 मैं बहुत आनन्दित हूँ क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं।
जब मैं पीड़ित होता हूँ तब आप मुझे देखते हैं,
और जब मुझे परेशानी होती है तब आप जानते हैं।
8 आपने मेरे शत्रुओं को मुझे पकड़ने नहीं दिया है;
इसकी अपेक्षा, आपने मुझे खतरे से बचा लिया है।
9 परन्तु अब, हे यहोवा, मुझ पर दया करें
क्योंकि मैं परेशान हूँ।
मैं इतना अधिक रोता हूँ, कि मैं साफ नहीं देख सकता हूँ,
और मैं पूरी तरह से थक चुका हूँ।
10 मैं बहुत दुर्बल हो गया हूँ क्योंकि मैं बहुत दुखी हूँ;
मेरा जीवन छोटा हो रहा है।
मेरी सारी परेशानियों के कारण मैं दुर्बल हो गया हूँ;
यहाँ तक कि मेरी हड्डियाँ दुर्बल हो रही हैं।
11 मेरे सभी शत्रु मेरा उपहास करते हैं,
और यहाँ तक कि मेरे पड़ोसी भी मुझे तुच्छ समझते हैं।
यहाँ तक कि मेरे मित्र भी मुझसे डरते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि आप मुझे दण्ड दे रहे हैं।
जब वे मुझे सड़कों पर देखते हैं, तो वे भाग जाते हैं।
12 लोग मुझे भूल गए हैं जैसे वे मरे हुए लोगों को भूल जाते हैं।
वे सोचते हैं कि मैं एक टूटे हुए बर्तन के समान निकम्मा हूँ।
13 मैंने लोगों को मेरी निन्दा करते हुए सुना है,
और उन्होंने मुझे डरा दिया है।
मेरे शत्रु मुझे मारने की
योजना बना रहे हैं।
14 परन्तु यहोवा, मैं आप पर भरोसा रखता हूँ।
मैं आत्मविश्वास के साथ कहता हूँ कि आप परमेश्वर हैं जिनकी मैं आराधना करता हूँ।
15 मेरा पूरा जीवन आपके हाथों में है;
मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँ,
जो मेरा पीछा करते हैं।
16 कृपया मुझ पर दया करें
और मुझे बचाएँ क्योंकि आप सदा मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं।
17 हे यहोवा, मैं आपको पुकारता हूँ,
इसलिए दूसरों को मुझे अपमानित करने न दें।
मेरी इच्छा है कि दुष्ट लोगों को अपमानित किया जाए;
मेरी इच्छा है कि वे उस स्थान पर जाएँ जहाँ लोग चुप हैं और मरे हुए हैं।
18 मेरी इच्छा है कि आप उन लोगों को बोलने में असमर्थ करें जो झूठ बोलते हैं।
उन लोगों के साथ ऐसा करें, जो गर्व करते हैं और जो दूसरों पर गर्व से आरोप लगाते हैं।
19 आपने उन लोगों के लिए बहुत महान और अच्छी वस्तुएँ रखीं हैं जो आपका बहुत सम्मान करते हैं।
आप उन लोगों की भलाई करते हैं जो सुरक्षित होने के लिए आपके पास जाते हैं;
हर कोई आपको ऐसा करते देखता है।
20 आप लोगों को अपनी उपस्थिति में छिपाते हैं जहाँ सुरक्षा है,
और आप उन्हें उन लोगों से बचाते हैं जो उन्हें मारने की योजना बनाते हैं।
आप उन्हें सुरक्षित स्थानों में छिपाते हैं जहाँ उनके शत्रु उनकी बुराई नहीं कर सकते हैं।
21 यहोवा की स्तुति करो!
जब मेरे शत्रु उस शहर को घेरे हुए थे जिसमें मैं रहता था,
उन्होंने मुझे अद्भुत रीति से दिखाया कि वह मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं।
22 मैं डर गया और तुरन्त रोने लगा कि, “मैं यहोवा से अलग हो गया हूँ!”
परन्तु आपने मुझे सुना और सहायता के लिए मेरी पुकार का उत्तर दिया।
23 तुम लोग जो यहोवा के हो, उससे प्रेम करो!
वह उन लोगों की रक्षा करते हैं जो उनके प्रति सच्चे हैं,
परन्तु वह घमण्ड करने वालों को दण्ड देते हैं; वह उन्हें गम्भीर दण्ड देते हैं क्योंकि वे उसी के योग्य हैं।
24 तुम जो आत्मविश्वास के साथ यहोवा से अपने लिए महान कार्य करने की आशा रखते हो,
दृढ़ हों और साहसी बनो!
Chapter 32
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन, जो लोगों को बुद्धिमान होने में सहायता करेगा
1 जिन्हें परमेश्वर ने उनके विरुद्ध विद्रोह के लिए क्षमा किया है
और जिनके पाप परमेश्वर नहीं देखते हैं,
वे लोग ही वास्तव में भाग्यशाली हैं!
2 जिनके पापों के दोष को यहोवा ने मिटा दिया है
और वे जो अब छल नहीं करते हैं,
वे लोग ही वास्तव में भाग्यशाली हैं!
3 जब मैंने अपने पापों को स्वीकार नहीं किया,
मेरा शरीर बहुत दुर्बल और बीमार हो गया था,
और मैं पूरे दिन कराहता रहा।
4 हे यहोवा, दिन और रात आपने मुझे गम्भीर दण्ड दिया।
मेरी शक्ति पानी के समान हो गई जो गर्मी के दिनों में भाप के समान उड़ जाती है।
5 तब मैंने अपने पापों को स्वीकार किया;
मैंने उन्हें छिपाने का प्रयास करना छोड़ दिया।
मैंने स्वयं से कहा,
“मैं यहोवा से अपने गलत कार्यों का वर्णन करूँगा जो मैंने किए हैं।”
जब मैंने उन्हें स्वीकार किया, तब आपने मुझे क्षमा कर दिया,
इसलिए अब मैं अपने पापों के लिए दोषी नहीं हूँ।
6 इसलिए जो लोग आपका सम्मान करते हैं, उन्हें आप से प्रार्थना करनी चाहिए
जब वे बड़ी परेशानी में होते हैं।
यदि वे ऐसा करते हैं, तो कठिनाइयाँ उन पर बड़ी बाढ़ के समान नहीं आएँगी।
7 आप ऐसे स्थान के समान हैं, जहाँ मैं अपने शत्रुओं से छिप सकता हूँ;
आप मुझे परेशानियों से बचाते हैं
और मुझे मेरे शत्रुओं से बचाने के लिए, आपकी स्तुति और जयजयकार करने के लिए मुझे समर्थ करें।
8 यहोवा मुझसे कहते हैं, “मैं तुझे बताऊँगा कि तुझे कैसा जीवन जीना है।
मैं तुझे सिखाऊँगा और तेरी देख-रेख करूँगा।
9 घोड़ों और खच्चरों के समान मत बनो जो कुछ भी नहीं समझते हैं;
उन्हें लगाम की आवश्यकता है
कि वे उस दिशा में जाएँ जहाँ तू उन्हें ले जाना चाहता है।”
10 दुष्ट लोगों को कई परेशानी होगी जो उन्हें दुख देंगी,
परन्तु जो लोग यहोवा पर भरोसा रखते हैं, यहोवा उन्हें सदैव सच्चा प्रेम करते हैं।
11 इसलिए, हे सब धर्मी लोगों, जो यहोवा ने तुम्हारे लिए किया है, उसके विषय में आनन्दित रहो;
तुम लोग जिनका मन शुद्ध है, आनन्द मनाओ और हर्ष के साथ जयजयकार करो!
Chapter 33
1 हे धर्मी लोगों, तुम्हें यहोवा के लिए हर्ष के साथ जयजयकार करना चाहिए
क्योंकि वह इसके योग्य हैं।
2 यहोवा की स्तुति करो जब तुम वीणा पर गाने बजाते हो।
उनकी स्तुति करो जब तुम दस तार वाली सारंगी बजाते हो।
3 उनके लिए एक नया गीत गाओ;
उन वाद्य-यन्त्रों को अच्छी तरह से बजाओ, और जब तुम उन्हें बजाते हो तब हर्ष के साथ जयजयकार करो।
4 यहोवा सदा वही करते हैं जो वह कहते हैं;
हम भरोसा कर सकते हैं कि वह जो भी करते हैं वह उचित है।
5 वह हमारे सब न्याय के और उचित कार्यों से प्रेम करते हैं, जो कि न्यायपूर्ण और सही है।
यहोवा पृथ्वी पर लोगों की सहायता करते हैं क्योंकि वह सदा उनसे प्रेम करते हैं।
6 यहोवा ने आज्ञा दे कर आकाश में सब कुछ बनाया।
उन्होंने आज्ञा दी, तो उससे सब तारे प्रकट हुए।
7 उन्होंने सारे पानी को एक विशाल ढेर के समान एकत्र किया
जैसे कोई एक बर्तन में पानी भरता है।
8 पृथ्वी पर सबको यहोवा का सम्मान करना चाहिए;
पृथ्वी पर सबको उनका सम्मान करना चाहिए।
9 जब उन्होंने कहा, तो संसार बन गया।
उन्होंने आज्ञा दी तो सब कुछ अस्तित्व में आना आरम्भ हो गया।
10 यहोवा अन्य जातियों को वे बातें करने से रोकते हैं जो वे करना चाहते हैं।
वह उन्हें बुरी बातों से रोकते हैं जिनकी वे योजना बनाते हैं।
11 परन्तु यहोवा जो करने का निर्णय करते हैं वह सदा काल के लिए होगा।
वह जो करने की योजना बनाते हैं वह कभी नहीं बदलेगी।
12 यहोवा हमारे देश को आशीष देते हैं, हम जो उनकी आराधना करते हैं;
हम कितने भाग्यशाली हैं, हमारा देश जो सदा के लिए यहोवा का है!
13 यहोवा स्वर्ग से नीचे दृष्टि करते हैं और सब लोगों को देखते हैं।
14 जहाँ से वह शासन करते हैं, वहाँ से वह धरती पर रहने वाले सब लोगों को देखते हैं।
15 वह हमारे भीतरी मनुष्य को बनाते हैं,
और हम जो कुछ भी करते हैं उसे वह देखते हैं।
16 एक राजा अपनी महान सेना के कारण युद्ध जीतने में सक्षम नहीं है,
और एक सैनिक अपनी शक्ति के कारण अपने शत्रु को पराजित करने में सक्षम नहीं होता।
17 यह सोचना मूर्खता की बात है कि घोड़े बहुत शक्तिशाली हैं,
वे एक लड़ाई जीतने और अपने सवारों को बचाने में सफल हो जाएँगे।
18 यह मत भूलना कि यहोवा उन लोगों को देखते हैं जो उन्हें सम्मान देते हैं,
जो आत्मविश्वास के साथ आशा करते हैं, कि वह उनसे सच्चा प्रेम करते रहेंगे।
19 वह उन्हें समय से पहले मरने से बचाते हैं;
वह अकाल होने पर उन्हें सम्भालते हैं।
20 हम भरोसा रखते हैं कि यहोवा हमारी सहायता करेंगे;
वह हमें बचाते हैं जैसे एक ढाल एक सैनिक की रक्षा करती है।
21 जो कुछ उन्होंने हमारे लिए किया है, उसके कारण हम आनन्दित हैं;
हम उन पर भरोसा रखते हैं क्योंकि वह पवित्र हैं।
22 हे यहोवा, हम प्रार्थना करते हैं कि आप हमसे सदा सच्चा प्रेम करें
जब हम आत्मविश्वास के साथ आशा रखते हैं कि आप हमारे लिए महान कार्य करेंगे।
Chapter 34
एक भजन जो दाऊद ने लिखा जब उसने राजा अबीमेलेक के सामने पागल होने का ढोंग किया कि राजा उसे छोड़ दे
1 मैं सदा यहोवा का धन्यवाद करूँगा;
मैं निरन्तर उनकी स्तुति करूँगा।
2 उन्होंने जो किया है उसके लिए मैं यहोवा की स्तुति करूँगा।
जो लोग पीड़ित हैं उन्हें मेरी बात सुननी चाहिए और आनन्दित होना चाहिए।
3 दूसरों को बताने के लिए मेरे साथ जुड़ें कि यहोवा महान हैं!
तुम और मैं एक साथ यह घोषणा करेंगे कि वह कितने महिमामय हैं!
4 मैंने यहोवा से प्रार्थना की, और उन्होंने मेरी प्रार्थना का उत्तर दिया;
उन्होंने मुझे उन सबसे बचाया जिन्होंने मुझे डराया।
5 जो लोग भरोसा रखते हैं कि वह उनकी सहायता करेंगे, वे आनन्दित होंगे;
उन्हें अपमानित होकर कभी भी आँखें नीची नहीं करनी पड़ेंगी।
6 मैं दुखी था, परन्तु मैंने यहोवा को पुकारा, और उन्होंने मेरी सुन ली।
उन्होंने मुझे मेरी सब परेशानियों से बचा लिया।
7 यहोवा का दूत उन लोगों की रक्षा करता है जो उनका बहुत सम्मान करते हैं,
और स्वर्गदूत उन्हें बचाते हैं।
8 स्वयं परख कर देखो, और तुम अनुभव करोगे कि यहोवा तुम्हारे लिए भले हैं!
कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो उन्हें बचाने के लिए यहोवा पर भरोसा रखते हैं।
9 तुम सब जो उनके हो, तुम्हें उनका एक महान सम्मान करना चाहिए!
जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें सदा वह वस्तुएँ मिलती हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है।
10 शेर आमतौर पर बहुत शक्तिशाली होते हैं, परन्तु कभी-कभी युवा शेर भूखे होते हैं और दुर्बल हो जाते हैं।
परन्तु, जो लोग यहोवा पर भरोसा रखते हैं, उनके पास वह सब होगा जो उन्हें चाहिए।
11 तुम जो मेरे शिष्य हो, आओ और मेरी बात सुनो,
और मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि यहोवा का सम्मान कैसे करना है।
12 यदि तुम में से कोई भी जीवन का आनन्द लेना चाहता है
और एक अच्छा लम्बा जीवन चाहता है,
13 तो बुरा मत बोलो!
झूठ मत बोलो!
14 बुराई करने से इन्कार करो; और, जो अच्छा है वही करो!
लोगों को एक-दूसरे के साथ शान्ति से रहने योग्य बनाने के लिए सदा कड़ा परिश्रम करो!
15 यहोवा उन लोगों को ध्यान से देखते हैं जो धार्मिक कार्य करते हैं;
जब वह सहायता के लिए उन्हें पुकारते हैं तब वह सदा उन्हें उत्तर देते हैं।
16 परन्तु यहोवा उन लोगों के विरुद्ध कार्य करते हैं जो बुराई करते हैं।
मरने के बाद, पृथ्वी के लोग उन्हें पूरी तरह से भूल जाएँगे।
17 जब धर्मी लोग यहोवा को पुकारते हैं, तो यहोवा उनकी सुनते हैं;
वह उन्हें उनकी सब परेशानियों से बचाते हैं।
18 यहोवा निराश लोगों की सहायता करने के लिए सदा तैयार रहते हैं;
वह उन लोगों को बचाते हैं जिनके पास कोई भलाई की आशा नहीं है।
19 धर्मी लोगों को कई परेशानी हो सकती है,
परन्तु यहोवा उन्हें उन सब परेशानियों से बचाते हैं।
20 जब उनके शत्रु उन पर आक्रमण करते हैं;
तब यहोवा उन्हें हानि से बचाते हैं,
वे उन धर्मी लोगों की एक भी हड्डी को नहीं तोड़ पाएँगे।
21 विपत्तियाँ दुष्ट लोगों को मार डालेंगी,
और यहोवा उन लोगों को दण्ड देंगे जो धर्मी लोगों का विरोध करते हैं।
22 यहोवा उनको बचाएँगे जो उनकी सेवा करते हैं।
वह उन लोगों पर दोष नहीं लगाएँगे, जो उन पर भरोसा रखते हैं।
Chapter 35
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, उन लोगों के विरुद्ध लड़ें जो मेरे विरुद्ध लड़ते हैं!
जब वे मुझसे लड़ते हैं तब आप उनसे लड़ें!
2 मेरी रक्षा करने के लिए ढाल बन जाएँ
और मेरी सहायता करने के लिए आएँ!
3 अपने भाले को उठाएँ और उन पर फेंक दें जो मेरा पीछा करते हैं!
मुझसे प्रतिज्ञा करें कि आप मेरे शत्रुओं को पराजित करने में मुझे समर्थ करेंगे।
4 जो मुझे मारने का प्रयास करते हैं—दूसरों से उन्हें अपमानित और लज्जित करवाएँ।
उन लोगों को पीछे धकेल दें और भ्रमित कर दें जो मेरी बुराई करने की योजना बना रहे हैं।
5 अपने दूत को उनका पीछा करने के लिए भेजें
और हवा में उड़ाई गई भूसी के समान उनका नाम मिटा दें।
6 जब आपका दूत उनका पीछा करता है
तब जिस मार्ग पर वे दौड़ते हैं, उसे अंधेरा और फिसलने वाला बना दें!
7 मैंने उनके साथ कुछ भी गलत नहीं किया है,
परन्तु उन्होंने मेरे गिरने के लिए एक गहरा गड्ढ़ा खोदा;
उन्होंने एक जाल छिपाया जिसमें वे मुझे पकड़ लेंगे।
8 उन्हें अकस्मात ही विपत्ति का सामना करने दें!
उन्हें अपने जाल में स्वयं फँसने दें।
उन्हें उन गड्ढों में गिरने दें जो उन्होंने मेरे लिए खोदे हैं, और उन्हें उसमें मरने दें!
9 हे यहोवा, तब अापने मेरे लिए जो किया है, उसके कारण मैं आनन्दित होऊँगा;
मुझे प्रसन्नता होगी कि आपने मुझे बचा लिया है।
10 मैं अपने पूरे मन से कहूँगा,
“यहोवा के जैसा कोई नहीं है!
असहाय लोगों को शक्तिशाली लोगों से कोई और नहीं बचा सकता है।
और दुर्बल और आवश्यकता में पड़े लोगों को उनके लूटने वालों से कोई नहीं बचा सकता है।”
11 जो झूठ बोलते हैं वे अदालत में खड़े होकर
उन बातों के विषय में मुझ पर आरोप लगाते हैं, जिन्हें मैं जानता भी नहीं।
12 मेरी अच्छाई के बदले में, वे मेरे साथ बुरा करते हैं,
इस कारण मुझे लगता है कि मैं अकेला हूँ।
13 जब वे बीमार थे, तब मैंने दुख प्रकट किया था।
मैंने खाना नहीं खाया, और सिर झुका कर उनके लिए प्रार्थना की थी।
14 मैंने शोक किया और सिर झुका कर उनके लिए प्रार्थना की
जैसे कि वह मेरा मित्र या मेरी माँ था जिसके लिए मैं दुखी हूँ।
15 परन्तु जब मुझ पर परेशानियाँ आईं, तो वे सब आनन्द करते थे।
वे मेरा उपहास करने के लिए अकस्मात ही एकत्र हुए।
अपरिचित लोग मुझे मारते रहे;
वे नहीं रुके।
16 लोग जो किसी का सम्मान नहीं करते, उन्होंने मेरा उपहास किया
और मुझ पर गरजते हैं।
17 हे परमेश्वर, आप कब तक उन्हें ऐसा करते हुए देखते रहेंगे?
मुझे उनके आक्रमण से बचाएँ;
मुझ पर आक्रमण करने वाले लोगों के हाथों मरने से मुझे बचाएँ
जैसे शेर अन्य पशुओं पर आक्रमण करते हैं!
18 फिर, जब आपके कई लोग एकत्र होंगे,
मैं आपकी स्तुति करूँगा,
और मैं उन सबके सामने आपको धन्यवाद दूँगा।
19 मेरे शत्रुओं को जो मेरे विषय में झूठ बोलते हैं, मुझे पराजित करने
और आनन्द करने न दें!
उन लोगों को जो मुझसे बिना कारण घृणा करते हैं
उन्हें मेरे दुख पर हँसने न दें!
20 वे लोगों से शान्ति के साथ बात नहीं करते;
इसकी अपेक्षा, वे हमारे देश की हानि न करने वाले लोगों के विषय में झूठ बोलने के मार्ग खोजते हैं।
21 वे मुझ पर आरोप लगाने के लिए मुझ पर चिल्लाते हैं;
वे कहते हैं, “हमने उन गलत कार्यों को देखा जो तुमने किए थे!”
22 हे यहोवा, आपने इन बातों को देखा है, इसलिए चुप न रहें!
मुझसे दूर न रहें!
23 हे मेरे परमेश्वर, उठकर अदालत में मेरा मुकद्दमा लड़ें,
और सफलतापूर्वक मुझे बचाएँ!
24 हे यहोवा, हे मेरे परमेश्वर, क्योंकि आप धर्मी हैं,
इसलिए सिद्ध करें कि मैं निर्दोष हूँ
कि मेरे शत्रु मेरा उपहास करने में सफल न हों कि मुझे दोषी ठहराया गया है।
25 उन्हें अपने मन में कहने न दें,
“हाँ, हमने उससे छुटकारा पा लिया है जैसा हम चाहते थे!”
26 जो मेरे दुर्भाग्य पर आनन्दित होते हैं
उन्हें पूरी तरह उलझन में डालें और अपमानित करें;
जो लोग दावा करते हैं कि वे मुझसे अधिक महत्वपूर्ण हैं
उन्हें लज्जित और अपमानित करें!
27 परन्तु जो लोग चाहते हैं कि आप मुझे निर्दोष घोषित करें
उन्हें आनन्दित होने दें और आनन्द से जयजयकार करने दें;
उन्हें सदा कहने दें कि, “यहोवा महान हैं!
वह अपनी सेवा करने वालों की भलाई का कारण होने में प्रसन्न होते हैं।”
28 तब मैं घोषणा करूँगा कि आप उचित रीति से कार्य करते हैं,
और मैं हर समय आपकी स्तुति करूँगा।
Chapter 36
परमेश्वर की सच्ची सेवा करने वाले दाऊद के द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 दुष्ट लोगों के मन में निरन्तर पाप करने की इच्छा होती है।
उनका मानना है कि उन्हें परमेश्वर का सम्मान करने की आवश्यकता नहीं है।
2 क्योंकि वे अपने लिए अच्छी वस्तुओं पर विश्वास करना चाहते हैं,
वे नहीं सोचते कि परमेश्वर उनके पापों को जानते हैं और उनसे घृणा करते हैं।
3 जो कुछ भी वे कहते हैं वह छल और झूठ से भरा है;
वे कोई अच्छा कार्य नहीं करते हैं
और अब बुद्धिमान नहीं हैं।
4 जब वे अपने बिस्तरों पर लेटते हैं, तब वे दूसरों को हानि पहुँचाने के लिए कार्य करने की योजना बनाते हैं;
वे उन कार्यों को करने के लिए दृढ़ हैं जो अच्छे नहीं हैं,
और वे बुराई करने से कभी इन्कार नहीं करते हैं।
5 हे यहोवा, हमारे लिए आपका विश्वासयोग्य प्रेम स्वर्ग जितना ऊँचा है;
प्रतिज्ञा पूरी करने में आपकी विश्वासयोग्यता बादलों तक फैली हुई है।
6 आपका धर्मी व्यवहार उच्चतम् पर्वतों के समान स्थायी है;
आपका न्यायपूर्ण व्यवहार तब तक बना रहेगा जब तक गहरे महासागर बने रहेंगे।
आप लोगों का ध्यान रखते हैं और आप पशुओं का ध्यान रखते हैं।
7 हे परमेश्वर, हमारे लिए आपका विश्वासयोग्य प्रेम बहुत मूल्यवान है।
आप हमारी रक्षा करते हैं जैसे पक्षी अपने पंखों के नीचे अपने बच्चों की रक्षा करते हैं।
8 आप अपने भण्डार से बड़ी मात्रा में भरपूर भोजन प्रदान करते हैं;
आपके महान उपकार हमारे लिए नदी के समान बहते हैं।
9 आप ही वह हैं जो सबको जीवन देते हैं;
आपकी ज्योति ने हमें आपके विषय में सच्चाई जानने में समर्थ बनाया है।
10 उन लोगों से सच्चा प्रेम करते रहें जो आपके प्रति सच्चे हैं,
और उन लोगों की रक्षा करें जो धर्म के कार्य करते हैं।
11 गर्व करने वाले लोगों को मुझ पर आक्रमण करने न दें,
या दुष्ट लोगों को मेरा पीछा करने न दें।
12 देखो बुरे लोग भूमि पर कहाँ गिरे पड़े हैं, वे पराजित हुए;
वे नीचे फेंक दिए गए, वे फिर कभी नहीं उठेंगे।
Chapter 37
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 दुष्ट लोगों के कार्यों के कारण परेशान न हों।
उन वस्तुओं की इच्छा न करें जो गलत कार्य करने वालों के पास हैं,
2 क्योंकि वे सूरज की गर्मी से शीघ्र मुर्झाने और सूखने वाली घास के समान मिट जाएँगे।
जैसे कुछ हरे पौधे उगते हैं परन्तु गर्मी के समय मर जाते हैं,
बुरे लोग भी शीघ्र ही मर जाएँगे।
3 यहोवा पर भरोसा रखो और जो अच्छा है वही करो।
यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम उस भूमि में सुरक्षित रहोगे जो परमेश्वर ने तुमको दी हैं,
और वह भूमि एक ऐसा स्थान होगा जहाँ तुम अपने पूरे जीवन में परमेश्वर के प्रति सच्चे रहोगे।
4 जो कुछ यहोवा तुम्हारे लिए करते हैं, उससे प्रसन्न रहो;
यदि तुम ऐसा करते हो, तो वह तुमको वह सब वस्तुएँ देंगे जो तुम चाहते हो।
5 अपने सब कार्यों की योजना परमेश्वर को समर्पित कर दो;
उस पर भरोसा रखो,
और वह तुम्हारी सहायता करने के लिए जो भी आवश्यक है वह करेंगे।
6 वह सूर्य के प्रकाश के जैसे स्पष्ट रूप से दिखाएँगे कि तुम निर्दोष हो;
वह दोपहर के सूर्य के समान स्पष्ट रूप से दिखाएँगे
कि तुमने जो निर्णय लिए हैं, सब न्यायोचित हैं।
7 यहोवा की उपस्थिति में चुप रहो और जो तुम उससे चाहते हो कि वह करें, उसकी धीरज पूर्वक प्रतीक्षा करें।
परेशान न हों जब दुष्टों के कार्य सफल होते हैं,
जब वे अपनी योजना के अनुसार उन दुष्ट कार्यों को करने में समर्थ होते हैं।
8 दुष्टों के कार्यों से क्रोधित न हों।
उन्हें स्वयं दण्ड देने की इच्छा न करो।
ऐसे लोगों से ईर्ष्या मत करो
क्योंकि यदि तुम ऐसा करने का प्रयास करते हो तो तुम स्वयं को ही हानि पहुँचाओगे।
9 एक दिन यहोवा दुष्ट लोगों से छुटकारा पाएँगे,
परन्तु जो लोग उन पर भरोसा रखते हैं वे उस देश में सुरक्षित रहेंगे जो उन्होंने उन्हें दिया है।
10 शीघ्र ही दुष्ट गायब हो जाएँगे।
तुम उन्हें ढूँढ़ोगे, परन्तु वे रहेंगे ही नहीं।
11 परन्तु जो विनम्र हैं वे अपनी भूमि में सुरक्षित रहेंगे।
वे शान्ति के जीवन का आनन्द लेंगे और यहोवा की दी हुई भली वस्तुओं से तृप्त होंगे।
12 दुष्ट लोग धर्मियों को हानि पहुँचाने की योजना बनाते हैं;
वे जंगली पशुओं के समान उन पर गुर्राते हैं।
13 परन्तु यहोवा उन पर हँसते हैं
क्योंकि वह जानते हैं कि एक दिन वह दुष्ट लोगों का न्याय करेंगे और उन्हें दण्ड देंगे।
14 दुष्ट लोग अपनी तलवार खींचते हैं
और वे अपने धनुष पर तीर चढ़ाते हैं,
वे गरीब लोगों को मारने के लिए,
और धर्मियों का संहार करने के लिए तैयार रहते हैं।
15 परन्तु वे अपनी ही तलवार से मारे जाएँगे,
और उनके धनुष टूट जाएँगे।
16 बहुत सम्पत्ति होने से धर्मी होना अधिक अच्छा है,
परन्तु धनवान होकर दुष्ट होना बुरा है
17 क्योंकि यहोवा दुष्ट लोगों की शक्ति को पूरा तोड़ देंगे,
परन्तु वह उन लोगों को सम्भालेंगे जो धार्मिकता से रहते हैं।
18 दिन-प्रतिदिन यहोवा उन लोगों की रक्षा करते हैं जिन्होंने कोई बुराई नहीं की हैं;
जो वस्तुएँ यहोवा उन्हें देते हैं वह सदा के लिए स्थिर रहेंगी।
19 जब विपत्तियाँ आएँगी तब वे जीवित रहेंगे;
जब अकाल पड़ेंगे, तब भी उनके पास खाने के लिए बहुत कुछ होगा।
20 परन्तु दुष्ट लोग मर जाएँगे;
जैसे खेतों में सुन्दर जंगली फूल सूरज की गर्मी के नीचे मर जाते हैं और धुएँ के समान गायब हो जाते हैं,
यहोवा अपने शत्रुओं को अकस्मात मिटा देंगे।
21 दुष्ट लोग पैसे उधार लेते हैं, परन्तु वे इसे चुकाने में समर्थ नहीं हैं;
इसके विपरीत, धर्मी लोगों के पास दूसरों को उदारता से देने के लिए पर्याप्त धन हैं।
22 जिन्हें यहोवा ने आशीष दिया है, वे उस देश में सुरक्षित रहेंगे जो उन्होंने उन्हें दिया है,
परन्तु वह उन लोगों से छुटकारा पाएँगे जिन्हें उन्होंने श्राप दिया है।
23 यहोवा उन लोगों की रक्षा करते हैं जो उन्हें प्रसन्न करने के कार्य करते हैं,
और वे जहाँ भी जाएँ यहोवा उन्हें आत्मविश्वास से चलने में समर्थ करते हैं;
24 चाहे वे ठोकर खाएँ, तो भी वे नहीं गिरेंगे
क्योंकि यहोवा उन्हें अपने हाथ से पकड़े रहते हैं।
25 मैं पहले युवा था, और अब मैं बूढ़ा हूँ,
परन्तु उन सब वर्षों में, मैंने कभी नहीं देखा है कि धर्मी लोगों को यहोवा ने त्याग दिया है,
और न ही मैंने देखा है कि उनकी सन्तान को भोजन माँगने की आवश्यकता हुई है।
26 धर्मी लोग उदार होते हैं और हर्ष से दूसरों को पैसे उधार देते हैं,
और उनकी सन्तान उनके लिए आशीष है।
27 बुराई करने से दूर हो जाओ, और जो अच्छा है वह करो।
यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम और तुम्हारे वंशज सदा के लिए तुम्हारे देश में रहेंगे।
28 ऐसा इसलिए होगा कि यहोवा को न्याय के कार्य करने वाले लोग पसन्द हैं,
और वह कभी भी धर्मी लोगों को त्याग नहीं देंगे।
वह सदा के लिए उनकी रक्षा करेंगे;
परन्तु वह दुष्ट लोगों की सन्तान को भी नष्ट करेंगे।
29 धर्मी लोग उस देश के स्वामी होंगे जो यहोवा ने उन्हें देने की प्रतिज्ञा की है,
और वे सदा के लिए वहाँ रहेंगे।
30 धर्मी लोग दूसरों को बुद्धिमानी का परामर्श देते हैं,
और वे अन्य लोगों को न्याय का जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
31 वे अपने मन को परमेश्वर के नियमों से भरते हैं;
वे परमेश्वर के मार्ग पर चलने से नहीं भटकते हैं।
32 जो लोग बुरे हैं, वे धर्मी लोगों पर आक्रमण करने के लिए घात लगाते हैं
कि उन्हें मार्ग में मार डाले।
33 परन्तु यहोवा धर्मी लोगों को नहीं त्यागेंगे
और न उन्हें उनके शत्रुओं के हाथों में पड़ने देंगे।
वह धर्मी लोगों को दोषी ठहराने नहीं देंगे
जब उन्हें मुकद्दमा चलाने के लिए न्यायधीश के पास ले जाया जाए।
34 धीरज रखो और भरोसा रखो कि यहोवा तुम्हारी सहायता करेंगे,
और उनके मार्ग पर चलते रहो।
यदि तुम ऐसा करते हो, तो वह तुम्हें वह देश दे कर सम्मानित करेंगे जिसकी उन्होंने प्रतिज्ञा की है,
और जब वह दुष्टों से छुटकारा पाते हैं, तो तुम इसे देखोगे।
35 मैंने देखा है कि दुष्ट लोग जो तानाशाह के समान कार्य करते हैं, वे कभी-कभी उपजाऊ मिट्टी में लगे पेड़ों के समान फूलते फलते हैं,
36 परन्तु जब मैंने बाद में देखा, तो वे वहाँ नहीं थे!
मैंने उनको खोजा, परन्तु यहोवा ने उन्हें मिटा दिया था।
37 उन लोगों पर ध्यान दें जिन्होंने बुरे कार्य नहीं किए है, जो धर्म के कार्य करते हैं;
उनके वंशजों को अपने मन की शान्ति मिलेगी।
38 परन्तु यहोवा दुष्टों से छुटकारा पाएँगे;
वह उनके वंशजों से भी छुटकारा पाएँगे।
39 यहोवा धर्मी लोगों को बचाते हैं;
संकट के समय में वह उनकी रक्षा करते हैं।
40 यहोवा उनकी सहायता करते हैं और उन्हें बचाते हैं;
वह उन्हें दुष्ट लोगों के आक्रमण से बचाते हैं
क्योंकि वे सुरक्षित होने के लिए उनके पास जाते हैं।
Chapter 38
दाऊद के द्वारा लिखा गया एक भजन, जिसमें परमेश्वर से उसे न भूलना की प्रार्थना है
1 हे यहोवा, जब आप मुझसे क्रोधित होते हैं,
तब मुझे न डाँटें और मुझे दण्ड न दें!
2 अब ऐसा लगता है कि आपने मुझ पर अपने तीर मारे हैं और मुझे घायल कर दिया है;
ऐसा लगता है कि आपने मुझे मारा है और मुझे नीचे गिराया है।
3 क्योंकि आप मुझसे क्रोधित हो गए हो,
मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मेरे पाप के कारण,
मेरा पूरा शरीर रोग ग्रस्त हो गया है।
4 मेरे सारे पाप बाढ़ के समान हैं जो मेरे सिर के ऊपर से बहते हैं;
वे एक बोझ के समान हैं जो बहुत भारी है; मैं उन्हें उठा नहीं सकता।
5 क्योंकि मैंने मूर्खता की बातें की हैं,
मेरे घाव बहुत बुरे हो गए हैं, और उनमें से दुर्गन्ध आ रही हैं।
6 कभी-कभी मैं झुकता हूँ, और कभी-कभी मैं मुँह के बल लेटता हूँ;
मैं पूरे दिन शोक करता हूँ।
7 मेरा शरीर बुखार से जल रहा है,
और मैं बहुत बीमार हूँ।
8 मैं पूरी तरह से थक गया हूँ, और मुझमें शक्ति नहीं है।
मैं अपने अन्दर बहुत परेशान हूँ, और मैं दर्द से चिल्लाता हूँ।
9 हे यहोवा, आप जानते हैं कि मैं चाहता हूँ कि आप मुझे स्वस्थ करें;
जब मैं कराहता हूँ तो आप मुझे सुनते हैं।
10 मेरा हृदय जोर से धड़कता है, और मेरी शक्ति समाप्त हो जाती है।
मैं अब देखने में भी समर्थ नहीं हूँ।
11 मेरे मित्र और पड़ोसी मेरे घावों के कारण मुझसे दूर रहते हैं;
यहाँ तक कि मेरा अपना परिवार भी मुझसे दूर रहता है।
12 जो मुझे मारना चाहते हैं वे मुझे पकड़ने के लिए जाल फैलाते हैं;
जो मुझे हानि पहुँचाना चाहते हैं, वे उन उपायों की चर्चा करते हैं जिनके द्वारा वे मुझसे छुटकारा पा सकते हैं;
वे पूरे दिन मेरे विरुद्ध षड्यन्त्र रचते हैं।
13 अब मैं एक बहरे आदमी के समान कार्य करता हूँ और उनकी कोई बात नहीं सुनता हूँ।
मैं ऐसे व्यक्ति के समान कार्य करता हूँ जो बात नहीं कर सकता, और मैं उन्हें उत्तर देने के लिए कुछ भी नहीं कहता।
14 मैं ऐसे व्यक्ति के समान कार्य करता हूँ जो लोगों को बात करते समय उत्तर नहीं देता है
क्योंकि वह कुछ भी सुन नहीं सकता है।
15 परन्तु यहोवा, मैं आप पर भरोसा रखता हूँ।
मेरे प्रभु परमेश्वर, आप मुझे उत्तर देंगे।
16 मैंने आप से कहा, “मुझे मरने न दें कि मेरे शत्रु आनन्दित हों!
यदि परेशानियाँ मुझ पर प्रबल हो जाएँ, तो मेरे शत्रु मेरे साथ बहुत बुरा करेंगे!”
17 मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ क्योंकि मैं गिरने वाला हूँ,
और मुझे निरन्तर पीड़ा होती रहती है।
18 मैं उन गलत कार्यों को स्वीकार करता हूँ जो मैंने किए हैं;
मैंने जो पाप किए हैं, उनके लिए मुझे बहुत खेद है।
19 मेरे शत्रु स्वस्थ और बलवन्त हैं;
ऐसे कई लोग हैं जो बिना किसी कारण मुझसे घृणा करते हैं।
20 जो मेरे लिए अच्छाई के बदले बुरा करते हैं
वे मेरा विरोध करते हैं क्योंकि मैं सही कार्य करने का प्रयास करता हूँ।
21 हे यहोवा, मुझे न छोड़ें!
हे मेरे परमेश्वर, मुझसे दूर न रहें!
22 हे प्रभु, आप ही मुझे बचाएँगे
शीघ्र आएँ और मेरी सहायता करें!
Chapter 39
गायन मण्डली के निर्देशक यदूतून के लिए दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन
1 मैंने स्वयं से कहा, “मैं अपने मुँह की बातों से पाप न करने के लिए सावधान रहूँगा।
जब दुष्ट लोग मेरे पास हैं और मुझे सुन सकते हैं
तब मैं आप से शिकायत करने के लिए कुछ भी नहीं कहूँगा।”
2 इसलिए मैं पूर्णतः चुप था, और मैंने भली बातों की भी चर्चा नहीं की;
परन्तु यह व्यर्थ था क्योंकि मेरी पीड़ा और भी बढ़ गई।
3 मैं अपने भीतर बहुत चिन्तित हो गया।
जब मैंने अपनी परेशानियों के विषय में सोचा, तब मैं और अधिक चिन्तित हो गया।
फिर अन्त में मैंने यह कहा:
4 “हे यहोवा, मुझ पर प्रकट करें कि मैं कब तक जीवित रहूँगा।
मुझे बताएँ कि मैं कब मर जाऊँगा।
मुझे बताएँ कि मैं कितने वर्ष जीवित रहूँगा!
5 ऐसा लगता है कि आपने मुझे केवल थोड़े समय तक जीने की अनुमति दी हैं;
मेरा जीवनकाल आपके लिए कुछ भी नहीं है।
हम सब मनुष्यों के जीवन का समय हवा की एक फूँक के समान छोटा है।
6 तब हम एक छाया के समान मिट जाते हैं।
ऐसा लगता है कि हम जो कुछ भी करते हैं वह सब कुछ व्यर्थ है।
हमें कभी-कभी बहुत पैसा मिलता है, परन्तु हम यह भी नहीं जानते कि मरने के बाद इसे कौन प्राप्त करेगा।
7 इसलिए अब, हे यहोवा, मैं किसी और से कुछ भी प्राप्त करने की आशा नहीं रखता हूँ।
केवल आप ही हैं जिनसे मैं आशीष प्राप्त करने की आत्मविश्वास से अपेक्षा करता हूँ।
8 मैंने जो पाप किए हैं, उनसे मुझे बचाएँ।
मूर्ख लोगों को मेरा उपहास करने न दें।
9 जब आपने मुझे दण्ड दिया तो मैंने कुछ भी नहीं कहा
क्योंकि मुझे पता था कि आप ही ने मुझे पीड़ित किया।
10 परन्तु अब, कृपया मुझे दण्ड देना बन्द करें!
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपके दण्ड की पीड़ा के कारण में मैं मरने वाला हूँ।
11 जब आप किसी को डाँटते हैं और उसके द्वारा किए गए पाप के लिए उसे दण्ड देते हैं,
आप उन वस्तुओं को नष्ट कर देते हैं जिनसे वह लगाव रखता है जैसे कि कीड़े कपड़ों को खा कर नष्ट करते हैं।
हमारा जीवन हवा की एक फूँक के समान समाप्त हो जाता है।
12 हे यहोवा, जब मैं प्रार्थना करता हूँ तो मेरी बात सुनें;
जब मैं आपके सामने रोता हूँ तो मुझ पर ध्यान दें।
जब मैं पुकारता हूँ तब मेरी सहायता करें।
मैं अपने सब पूर्वजों के समान,
पृथ्वी पर केवल थोड़े समय के लिए हूँ।
13 अब मुझे अकेले रहने की अनुमति दें और अब मुझे दण्ड न दें
कि मैं मरने से पहले कुछ समय के लिए मुस्कुरा सकूँ और आनन्दित रह सकूँ।”
Chapter 40
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 मैं यहोवा की सहायता के लिए धीरज के साथ प्रतीक्षा कर रहा था,
और जब मैंने उन्हें पुकारा तो उन्होंने मेरी बात सुनी।
2 जब मुझ पर कई परेशानियाँ आईं, तो ऐसा लगता था कि मैं गहरे गड्ढे में हूँ।
परन्तु उन्होंने मुझे उस गड्ढे की मिट्टी और कीचड़ से बाहर निकाल लिया;
उन्होंने मेरे पैरों को एक ठोस चट्टान पर खड़ा किया
और मुझे सुरक्षित चलने में योग्य किया।
3 उन्होंने मुझे गाने के लिए एक नया गीत दिया है,
एक गीत जो हमारे परमेश्वर की स्तुति का है।
बहुत से लोग यह जानेंगे कि उन्होंने मेरे लिए क्या किया है,
और वे उनका सम्मान करेंगे और उन पर भरोसा रखेंगे।
4 कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो भरोसा रखते हैं कि यहोवा उनकी रक्षा करेंगे,
जो मूर्तियों पर भरोसा नहीं रखते हैं
या उन झूठे देवताओं की उपासना करने वालों के साथ सहभागी नहीं होते हैं।
5 हे यहोवा, हे मेरे परमेश्वर, आपने कई अद्भुत कार्य किए हैं!
कोई भी उन सभी अद्भुत कार्यों की सूची नहीं बना सकता है जिनकी आपने हमारे लिए योजना बनाई है।
यदि मैंने उन सब अद्भुत कार्यों के विषय में दूसरों को बताने का प्रयास किया,
तो मैं उन्हें बता नहीं पाऊँगा
क्योंकि वे उल्लेख करने के लिए बहुत सारे हैं।
6 बलिदान और भेंटें आपको सबसे अधिक प्रसन्न करते हैं।
परन्तु आपने मुझे अपने आदेश सुनने के लिए समर्थ किया है।
हमारे पापों के लिए वेदी पर जलाए गए पशु और अन्य बलियाँ, आपको नहीं चाहिएँ।
7 इसलिए मैंने आप से कहा, “हे यहोवा,
पुस्तक में लिखे गए नियमों का पालन करने के लिए मैं यहाँ हूँ,
वे बातें जो आप मुझसे कराना चाहते हैं।”
8 हे मेरे परमेश्वर, जो आप चाहते हैं, उसे करने का मैं आनन्द लेता हूँ;
मैं सदा अपने भीतर आपके नियमों के विषय में सोचता हूँ।
9 जब आपके सब लोग एक साथ एकत्र हुए थे,
मैंने उनसे कहा कि आप कैसे उचित रीति से कार्य करते हैं और आप हमें कैसे बचाते हैं।
हे यहोवा, आप जानते हैं कि मैंने उन्हें बताने से इन्कार नहीं किया है।
10 मैंने अपने भीतर यह समाचार छिपा कर नहीं रखा है कि आप सदा न्याय से कार्य करते हैं;
जब आपके कई लोग आपकी आराधना करने के लिए एकत्र हुए,
तब मैंने उनसे कहा कि आप हमारे साथ विश्वासयोग्य हैं और हमें बचाते हैं।
मैंने छिपाया नहीं है कि आप हमसे सच्चा प्रेम करते हैं और हमारे साथ विश्वासयोग्य कार्य करते हैं।
11 हे यहोवा, मुझ पर दया करना बन्द न करें।
क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं और मेरे साथ विश्वासयोग्य हैं, इसलिए सदा मुझे बचाएँ।
12 मुझे कई परेशानियाँ हैं; मैं उन्हें गिन नहीं सकता।
मैं अब उन बातों से पीड़ित हूँ जो मेरे पाप के कारण हुई हैं।
मैं अब अपने आँसुओं के कारण नहीं देख सकता।
मैंने जो पाप किए हैं, वे मेरे सिर के बालों से अधिक हैं।
मैं बहुत निराश हूँ।
13 हे यहोवा, कृपया मुझे बचाएँ!
मेरी सहायता करने के लिए शीघ्र आएँ!
14 उन लोगों को लज्जित करें जो मेरी परेशानियों से आनन्दित हैं, और उन्हें अपमानित करें।
उन लोगों को दूर करें जो मुझसे छुटकारा पाने का प्रयास कर रहे हैं।
15 मुझे आशा है कि जो लोग मेरा उपहास करते हैं
आपके द्वारा पराजित किए जाने पर निराश हो जाएँगे।
16 परन्तु मुझे आशा है कि जो लोग आपकी आराधना करने के लिए जाते हैं वे बहुत आनन्दित होंगे।
मुझे आशा है कि जो लोग आप से प्रेम करते हैं क्योंकि आपने उन्हें बचाया है वे बार-बार जयजयकार करके कहेंगे,
“यहोवा महान हैं!”
17 मैं गरीब हूँ और आवश्यकता में हूँ,
परन्तु मैं जानता हूँ कि परमेश्वर मुझे भूले नहीं हैं।
हे मेरे परमेश्वर, आप ही हैं जो मुझे बचाते हैं और मेरी सहायता करते हैं,
इसलिए कृपया शीघ्र आएँ और मेरी सहायता करें!
Chapter 41
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन
1 कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो गरीबों की सुधि लेते हैं;
जब उन्हें परेशानी होगी, तब यहोवा उन लोगों को बचाएँगे।
2 यहोवा उनकी रक्षा करेंगे और उन्हें लम्बे समय तक जीने देंगे।
वह उन्हें इस्राएल की भूमि में आनन्द के योग्य बनाएँगे
और उन्हें उनके शत्रुओं से बचाएँगे।
3 जब वे बीमार होते हैं, तो यहोवा उन्हें बलवन्त करेंगे
और उन्हें स्वस्थ करेंगे।
4 जब मैं बीमार था, मैंने कहा, “हे यहोवा, मुझ पर दया करें और मुझे स्वस्थ करें;
मुझे पता है कि मैं बीमार हूँ क्योंकि मैंने आपके विरुद्ध पाप किया है।”
5 मेरे शत्रु मेरे विषय में क्रूरता की बातें कहते हैं;
वे कहते हैं, “वह शीघ्र ही मर जाएगा, और फिर सब उसके विषय में भूल जाएँगे?”
6 जब मेरे शत्रु मेरे पास आते हैं, तो वे मेरे विषय में चिन्तित होने का ढोंग करते हैं।
वे उत्सुकता से मेरे विषय में सब बुरे समाचार को सुनते हैं।
फिर वे चले जाते हैं और सबको बताते हैं कि मेरे साथ क्या हो रहा है।
7 जो लोग मुझसे घृणा करते हैं वे मेरे विषय में दूसरों के कानों में फुसफुसाते हैं,
और वे आशा करते हैं कि मेरे साथ बहुत बुरा हों।
8 वे कहते हैं, “वह बीमार होने के कारण शीघ्र ही मर जाएगा;
वह मरने से पहले कभी अपने बिस्तर से उठ नहीं पाएगा।”
9 यहाँ तक कि मेरा एक बहुत घनिष्ठ मित्र, जिस पर मैंने बहुत भरोसा किया,
जो अधिकतर मेरे साथ खाता था,
उसने मुझे धोखा दिया है।
10 परन्तु यहोवा, मेरे प्रति दयालु हैं, और मुझे स्वस्थ करते हैं।
जब आप ऐसा करते हैं, तो मैं अपने शत्रुओं से पलटा लेने में समर्थ होऊँगा।
11 यदि आप मुझे ऐसा करने में समर्थ करते हैं, तो मेरे शत्रु मुझे पराजित नहीं करते हैं,
तब मैं जानूँगा कि आप मुझसे प्रसन्न हैं।
12 मैं जानूँगा कि आपने मेरी सहायता इसलिए की है कि मैंने वही किया है जो उचित है,
और मैं जानूँगा कि आप मुझे सदा अपने साथ रहने योग्य करेंगे।
13 यहोवा की स्तुति करो, उस परमेश्वर की जिनकी हम इस्राएली आराधना करते हैं;
सदा के लिए उनकी स्तुति करो!
आमीन! मेरी इच्छा है कि ऐसा ही हो!
दूसरा भाग
Chapter 42
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन
1 हे परमेश्वर, मुझे आपकी बहुत आवश्यकता है जैसे एक हिरन को ठण्डे सोते से पानी पीने की आवश्यकता होती है।
2 हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर मैं आपके साथ रहना चाहता हूँ।
मैं स्वयं से कहता हूँ, “मैं इस्राएल के मन्दिर कब वापस जाऊँगा
और फिर से आपकी उपस्थिति में आराधना करूँगा?”
3 हर दिन और हर रात मैं रोता हूँ;
मेरे पास पीने के लिए केवल मेरे आँसू हैं;
और जब मैं ऐसा करता हूँ, तब मेरे शत्रु सदा मुझसे पूछते हैं,
“तेरे परमेश्वर तेरी सहायता क्यों नहीं करते हैं?”
4 मैं परमेश्वर से सच्चे हृदय से प्रार्थना करता हूँ
जब मुझे स्मरण आता है कि मैं यरूशलेम के मन्दिर में लोगों की भीड़ के साथ जाता था।
मैं उनकी अगुवाई करता था जब हम साथ चलते थे;
हम सब आनन्द से जयजयकार करते थे और परमेश्वर ने जो किया हैं उसके लिए उनका धन्यवाद करते थे;
हम आनन्द मनाने वालों का एक बड़ा समूह था।
5 इसलिए अब मैं स्वयं से कहता हूँ, “मैं व्याकुल क्यों हूँ?
मैं आत्मविश्वास के साथ आशा करता हूँ कि परमेश्वर मुझे आशीष देंगे,
और मैं फिर उनकी स्तुति करूँगा,
मेरे परमेश्वर की जो मुझे बचाते हैं।”
6 परन्तु अब, हे यहोवा, मैं घबरा रहा था,
इसलिए मैं आपके विषय में सोचता हूँ।
आप इस्राएल में हैं जहाँ यरदन नदी हेर्मोन पर्वत और मिसगार पर्वत के नीचे से बहती है।
7 परन्तु यहाँ, मुझे लगता है कि जो महान दुख मुझे हो रहा है वह पानी के समान है जिसे आप भेजते हैं;
यह एक झरने के समान है जो गिरता है और मेरे ऊपर आता है।
8 मैं चाहता हूँ कि यहोवा मुझे हर दिन दिखाएँ कि वह मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं,
जिससे कि हर रात मैं उनके लिए गा सकूँ
और उनसे प्रार्थना करूँ, वह परमेश्वर जो मुझे जीवन देते हैं।
9 मैं परमेश्वर से कहता हूँ, जो एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर मैं सुरक्षित हूँ,
“आप मुझे क्यों भूल गए? आप उन कठिनाइयों को जानते हो जो मेरे शत्रु मुझ पर लाते हैं।”
10 वे सदा मेरा उपहास करते हैं;
वे पूछते रहते हैं, “तेरे परमेश्वर तेरी सहायता क्यों नहीं करते हैं?”
जब वे मेरा अपमान करते हैं,
तो वह घावों के समान है जो मेरी हड्डियों को तोड़ देते हैं।
11 परन्तु मैं स्वयं से कहता हूँ,
“मैं व्याकुल क्यों हूँ?
मैं विश्वास से आशा करता हूँ कि परमेश्वर मुझे आशीष देंगे,
और मैं उनकी स्तुति करूँगा,
मेरे परमेश्वर की जो मुझे बचाते हैं।”
Chapter 43
1 परमेश्वर, यह घोषणा करें कि मैं निर्दोष हूँ।
जब वे लोग जो आपको सम्मान नहीं देते, मेरे विरुद्ध बातें करते हैं तो मुझे बचाएँ!
उन लोगों से मुझे बचाएँ जो मुझे धोखा देते हैं और मेरे विषय में ऐसी बातें करते हैं जो सच नहीं हैं।
2 आप परमेश्वर हैं जो मेरी रक्षा करते हैं;
आपने मुझे क्यों छोड़ा है?
यह सही प्रतीत नहीं होता है कि मेरे शत्रु मेरे साथ क्रूरता के कार्य करते हैं
इस कारण मुझे सदा उदास होना पड़ता है।
3 सच्चे शब्दों को बोलें जो जीने में मेरी सहायता करते हैं।
एक आदेश दें जो मुझे यरूशलेम में आपकी पवित्र पहाड़ी सिय्योन में,
और आपके मन्दिर में वापस ले जाएगा जहाँ आप रहते हैं।
4 जब आप ऐसा करेंगे, तब मैं आपकी वेदी पर
आपकी आराधना करने के लिए जाऊँगा, मेरे परमेश्वर, जो मुझे बहुत आनन्द देते हैं।
वहाँ मैं आपकी स्तुति करूँगा, उस परमेश्वर की जिसकी मैं आराधना करता हूँ, और मैं अपनी वीणा बजाऊँगा।
5 तो मैं उदास और निराश क्यों हूँ?
मैं विश्वास के साथ परमेश्वर से आशा करता हूँ कि वह मुझे आशीष देंगे,
और मैं फिर उनकी स्तुति करूँगा,
मेरे परमेश्वर की जो मुझे बचाते हैं।
Chapter 44
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन।
1 हे परमेश्वर, हमने स्वयं ही सुना है
जो हमारे माता-पिता और दादा-दादियों ने हमें बताया था।
उन्होंने हमें उन चमत्कारों के विषय में बताया
जो आपने बहुत पहले किए थे।
2 उन्होंने हमें बताया कि आपने अधर्मियों को कैसे निकाल दिया था
और हमें उनके देश में रहने योग्य किया।
उन्होंने हमें बताया कि आपने उन अधर्मियों को दण्ड दिया
और अपने लोगों को उस देश पर अधिकार करने योग्य किया।
3 उन्होंने अपनी तलवारों का उपयोग करके उस देश में रहने वाले लोगों पर विजय प्राप्त नहीं की,
और वे उनकी अपनी शक्ति से विजयी नहीं हुए थे;
उन्होंने उन कार्यों को केवल आपकी शक्ति से किया;
और वे निश्चित थे कि आप उनके साथ हैं,
और प्रकट कर रहे थे कि आप उनसे प्रसन्न थे।
4 आप मेरे राजा और मेरे परमेश्वर हैं;
हमें अर्थात् आपके लोगों को, हमारे शत्रुओं को पराजित करने योग्य करें।
5 यह आपकी शक्ति से है कि हम अपने शत्रुओं को गिरा कर उन्हें रौंदते हैं।
6 मुझे भरोसा नहीं है कि मैं धनुष और तीर और मेरी तलवार का उपयोग करके
स्वयं को बचा सकता हूँ।
7 नहीं, यह आप ही हैं जिन्होंने हमें हमारे शत्रुओं से बचा लिया है;
यह आप ही हैं जिन्होंने हमसे घृणा करने वालों को लज्जित किया है क्योंकि वे पराजित हुए थे।
8 हम सदैव हमारे लिए परमेश्वर द्वारा किए गए कार्यों पर गर्व करते हैं,
और हम सदा उन्हें धन्यवाद देंगे।
9 परन्तु अब आपने हमें त्याग दिया है और हमें अपमानित किया है;
जब हमारी सेनाएँ युद्ध करने के लिए बाहर निकलती हैं, तो आप उनके साथ नहीं जाते।
10 आपने हमारे शत्रुओं के सामने से हमारे लिए भागने का कारण उत्पन्न कर दिया है,
इसका परिणाम यह हुआ है कि उन्होंने उन सब वस्तुओं पर अधिकार कर लिया जो हमारी थीं।
11 आपने हमें उन भेड़ों के समान होने दिया है जो वध किए जाने के लिए तैयार है;
आपने हमें अन्य देशों के बीच में बिखरा दिया है।
12 ऐसा लगता है कि आपने हमें अर्थात् अपने लोगों को, हमारे शत्रुओं के हाथों बहुत कम मोल में बेच दिया है,
परन्तु हमें बेचने से आपको कोई लाभ नहीं हुआ!
13 जो लोग हमारे आस-पास के राष्ट्रों में रहते हैं वे हमारा उपहास करते हैं;
वे हमारे ऊपर हँसते हैं और हमें ताना मारते हैं।
14 वे हमारे देश के नाम का उपयोग करके चुटकुले बनाते हैं,
वे सिर हिला कर संकेत देते हैं कि वे हमें तुच्छ मानते हैं।
15 पूरे दिन मैं अपमानित होता हूँ;
मेरा चेहरा देखने से लोगों को पता होता है कि मैं लज्जित हूँ।
16 मैं सुनता हूँ कि जो मेरा उपहास करते हैं और मुझे गाली देते हैं;
वे कहते हैं, मैं अपने शत्रुओं के और जो मुझे हानि पहुँचाना चाहते हैं, उनके सामने लज्जित हूँ।
17 ये सभी बातें हमारे साथ हुई हैं
भले ही हम आपको नहीं भूल गए हैं,
और हम ऐसे नहीं हैं जिन्होंने हमारे पूर्वजों के साथ बाँधी गई वाचा का उल्लंघन किया हो।
18 हम आपके प्रति विश्वासयोग्यता से नहीं फिरे हैं,
और जो आप हमसे कराना चाहते हैं, हमने वह करना बन्द नहीं किया है।
19 परन्तु ऐसा लगता है कि आपने हमें जंगली पशुओं के बीच असहाय होने दिया है
और आपने हमें एक गहरी अँधेरी घाटी में छोड़ दिया है।
20 यदि हम अपने परमेश्वर की आराधना करना भूल जाते,
या यदि हम एक विदेशी ईश्वर की उपासना करने के लिए अपने हाथ फैलाते,
21 आप निश्चय ही यह जान लेते
क्योंकि आप यह भी जानते हैं कि हम गुप्त में क्या सोचते हैं।
22 परन्तु यह इसलिए है कि हम आपके हैं
कि हमारे शत्रु निरन्तर हमें मार रहे हैं।
वे हमारे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कि हम केवल भेड़ हैं जिन्हें वे वध करने जा रहे हैं।
23 इसलिए हे यहोवा, उठें! आप सो क्यों रहे हैं?
उठें! सदा के लिए हमारा तिरस्कार न करें!
24 आप हमें क्यों नहीं देख रहे हैं?
आप क्यों भूल रहे हैं कि हम पीड़ित हैं, कि हमारे शत्रु हम पर अत्याचार कर रहे हैं?
25 हम पूरे भयभीत हैं;
हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं; हम मरे हुओं के समान हो गए हैं।
26 कुछ करें! आएँ और हमारी सहायता करें!
हमें बचाएँ क्योंकि आप हमसे प्रेम करते हैं जैसी आपने प्रतिज्ञा की है।
Chapter 45
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक प्रेम गीत, जो “लिली” की राग में गाया जाता है।
1 मेरे मन में, मुझे किसी सुन्दर बात से लिखने की प्रेरणा मिली है,
एक गीत जिसे मैं राजा के लिए गाऊँगा।
इस गीत के शब्द मेरे द्वारा अर्थात् एक कुशल लेखक द्वारा लिखे जाएँगे।
2 हे राजा, आप इस संसार में सबसे अधिक रूपवान व्यक्ति हैं,
और आप सदा मधुर वचन बोलते हैं!
इसलिए हम जानते हैं कि परमेश्वर ने सदा आपको आशीषित किया है।
3 आप जो एक शक्तिशाली योद्धा हो, अपनी तलवार उठा लो!
आप गौरवशाली और महिमामय हो।
4 एक महान राजा के समान सवारी करो कि
उस सच की और जो आप बोलते हो
उन निष्पक्ष निर्णयों की जो आप लेते हो रक्षा करो!
क्योंकि आप कई युद्धों में लड़ते हो,
आप उन कर्मों को करना सीखेंगे जिससे आपके शत्रु डरेंगे।
5 आपके तीर तेज हैं,
और वे आपके शत्रुओं के हृदय को छेदते हैं।
कई जातियों के सैनिक आपके पाँवों में गिर जाएँगे।
6 वह राज्य जो परमेश्वर आपको देंगे वह सदा के लिए रहेगा।
आप लोगों पर न्याय से राज करते हैं।
7 आप उचित कर्मों से प्रेम करते हैं,
और आप बुरे कर्मों से घृणा करते हैं।
इसलिए परमेश्वर, आपके परमेश्वर, ने आपको राजा बनने के लिए चुना है
और आपके लिए अन्य किसी भी राजा की तुलना में अधिक आनन्दित होने का कारण उत्पन्न किया है।
8 विभिन्न मसालों से बना इत्र आपके वस्त्रों पर है।
संगीतकार तार वाले वाद्य-यन्त्रों को बजा कर
हाथी दाँत के महलों में आपका मनोरन्जन करते हैं।
9 आपकी पत्नियों में अन्य राजाओं की पुत्रियाँ हैं।
आपके दाहिने हाथ पर आपकी दुल्हन, आपकी रानी, ओपीर से आने वाले सोने के सुन्दर गहने पहने हुए खड़ी हैं।
10 अब मैं आपकी दुल्हन को कुछ कहूँगा:
“ध्यान से मेरी बात सुन!
उन लोगों को भूल जा जो आपके घर में रहते हैं,
अपने सम्बन्धियों को भूल जाओ!
11 क्योंकि तुम बहुत सुन्दर हो,
राजा तुम्हारे साथ रहने की इच्छा रखेंगे।
वह तुम्हारे स्वामी हैं, इसलिए तुम्हें उसकी आज्ञा का पालन करना होगा।
12 सोर शहर के लोग तुम्हारे लिए भेंट ले कर आएँगे;
उनके धनवान लोग उन पर कृपा करने के लिए तुम्हें प्रसन्न करने का प्रयास करेंगे।
13 हे राजा की दुल्हन, सोने के धागे से बने सुन्दर कपड़े पहन कर,
महल में प्रवेश करो।”
14 हे राजा, जबकि वह अनेक रंगों से भरे वस्त्र पहने हुए हैं,
तब उनकी दासियाँ उसे तुम्हारे पास ले आएँगी।
उसके पास कई अन्य युवा महिलाएँ होंगी जो उसके साथ होंगी।
15 वे बहुत प्रसन्न होंगे
जब तुम्हारे महल में प्रवेश करने में उनका नेतृत्व किया जाता हैं।
16 किसी दिन, तुम्हारे पुत्र और तुम्हारे पोते राजा बन जाएँगे,
जैसे तुम्हारे पूर्वज थे।
तुम उन्हें कई जातियों पर शासक बनने योग्य बनाओगे।
17 और मैं हर पीढ़ी में लोगों को उन महान कार्यों को स्मरण रखने में समर्थ करूँगा जो तुमने किए हैं,
और लोग सदा आपकी प्रशंसा करेंगे।
Chapter 46
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन।
1 परमेश्वर ही हैं जो हमारी रक्षा करते हैं और हमें दृढ़ करते हैं;
जब हमें परेशानी होती है तो वह सदा हमारी सहायता करने के लिए तैयार रहते हैं।
2 तो, भले ही धरती हिल जाए,
हम नहीं डरेंगे।
यहाँ तक कि यदि पर्वत समुद्र के बीच में गिर जाएँ,
3 और यदि समुद्र में पानी गरजे और फेन उठाए,
और यदि पहाड़ियाँ बहुत हिलें,
हम नहीं डरेंगे!
4 परमेश्वर से आने वाली आशीषें एक नदी के समान हैं जो उस शहर में हर एक जन को प्रसन्न करती है, जहाँ हम उनकी आराधना करते हैं।
यह वह शहर है जहाँ परमेश्वर का मन्दिर है, वह परमेश्वर जो किसी भी देवता से महान है।
5 परमेश्वर इस शहर में हैं, और यह कभी नष्ट नहीं होगा;
वह प्रतिदिन सुबह उस शहर के लोगों की सहायता करने के लिए आएँगे।
6 कभी-कभी कई राष्ट्रों के लोग भयभीत होते हैं;
साम्राज्यों को उखाड़ फेंक दिया जाता है;
परमेश्वर बिजली के समान ऊँचे शब्द से गरजते हैं,
और पृथ्वी पिघल जाती हैं।
7 परन्तु यहोवा स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान हमारे साथ हैं;
वह परमेश्वर जिनकी याकूब ने आराधना की, वह हमारे शरणस्थान हैं।
8 आओ और उन कार्यों को देखो जो यहोवा करते हैं!
आओ और उन वस्तुओं को देखो जो उन्होंने पूरी पृथ्वी पर नष्ट की हैं।
9 वह पूरी पृथ्वी में युद्ध को रोकते हैं;
वह धनुष और तीर तोड़ते हैं;
वह भाले को नष्ट कर देते हैं;
वह ढाल जला देते हैं।
10 परमेश्वर कहते हैं, “चुप रहो और स्मरण रखो कि मैं परमेश्वर हूँ!
सब राष्ट्रों के लोग मुझे सम्मान देंगे।
पृथ्वी के सब लोग मुझे सम्मान देंगे।”
11 इसलिए कभी न भूलें कि यहोवा स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान हमारे साथ है;
वह परमेश्वर जिनकी याकूब ने आराधना की, वह हमारे शरणस्थान हैं।
Chapter 47
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन
1 हे पृथ्वी के लोगों, तालियाँ बजाओ!
परमेश्वर की स्तुति करने के लिए आनन्द से चिल्लाओ!
2 यहोवा, जो किसी भी देवता से बहुत महान हैं, वह अद्भुत हैं;
वह एक राजा हैं जो पूरी पृथ्वी पर शासन करते हैं!
3 उन्होंने हमें कनान में रहने वाले लोगों के समूहों की सेनाओं को हराने में समर्थ किया।
4 उन्होंने हमारे लिए यह देश चुना जहाँ हम अब रहते हैं;
हम इस्राएली लोग, जिनसे वह प्रेम करते हैं, हम गर्व करते है कि हम इस देश के अधिकारी हैं।
5 परमेश्वर अपने मन्दिर में चले गए हैं।
जब वह जाते हैं, तब लोग आनन्द से जयजयकार करते और तुरही बजाते हैं।
6 हमारे परमेश्वर की स्तुति करने के लिए गाने गाओ।
उनकी स्तुति करने के लिए गाओ।
परमेश्वर हमारे राजा, के लिए गाओ।
7 परमेश्वर वह हैं जो संसार पर शासन करते हैं;
उनके लिए एक भजन गाओ।
8 परमेश्वर अपने पवित्र सिंहासन पर बैठते हैं
वह सब जातियों के लोगों पर शासन करते हैं।
9 उन लोगों के शासक परमेश्वर के लोगों के सामने एकत्र हुए, लोग जो अब्राहम के वंशज हैं।
परमेश्वर के पास पृथ्वी पर सब राजाओं के हथियारों की तुलना में अधिक शक्ति है;
वह महान हैं, और हर स्थान में सब लोग उनका सम्मान करेंगे।
Chapter 48
कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन
1 यहोवा महान हैं, और वह अपने निवास के शहर में बहुत स्तुति के योग्य हैं,
जो उनकी पवित्र पहाड़ी सिय्योन पर बनाया गया है।
2 ऊँची पहाड़ी पर बना वह शहर सुन्दर है;
यह वह शहर है जहाँ सच्चे परमेश्वर, महान राजा, रहते हैं,
और जब लोग इसे देखते हैं तो यह पूरी पृथ्वी पर लोगों के लिए आनन्द का कारण हो जाता है।
3 परमेश्वर वहाँ उसके दृढ़ मीनारों में हैं,
और वह दिखाते हैं कि वह उस शहर के लोगों की रक्षा करते हैं।
4 कई राजा अपनी सेनाओं के साथ एकत्र हुए कि वे हमारे शहर पर आक्रमण करें,
5 परन्तु जब उन्होंने इसे देखा, तो वे चकित हुए;
वे डर गए, और भाग गए।
6 क्योंकि वे बहुत डरते थे, वे थरथराते थे
एक ऐसी स्त्री के समान जो बच्चे को जन्म देने जा रही है।
7 जैसे एक तेज हवा के कारण तर्शीश के जहाज हिलते हैं, वैसे वे भी काँपते हैं।
8 हमने सुना था कि यह शहर गौरवशाली है,
और अब हमने देखा है कि यह ऐसा ही है।
यह वही शहर है जिसमें स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान परमेश्वर यहोवा रहते हैं।
यह वही शहर है जिसे परमेश्वर सदा के लिए संरक्षित रखेंगे।
9 हे परमेश्वर, यहाँ आपके मन्दिर में, हम सोचते हैं कि आप हमसे कैसा प्रेम करते हैं, जैसी आपने प्रतिज्ञा की है।
10 सारी पृथ्वी पर लोग आपकी स्तुति करेंगे
क्योंकि आपका शासन शक्तिशाली है और न्याय का है।
11 जो लोग सिय्योन पर्वत पर रहते हैं, उन्हें आनन्दित होना चाहिए!
यहूदा के सब नगरों के लोगों को आनन्दित होना चाहिए
क्योंकि आप लोगों का उचित न्याय करते हैं।
12 हे इस्राएलियों तुम्हें सिय्योन पर्वत के चारों ओर घूमना चाहिए
और उसके मीनारों की गिनती करनी चाहिए;
13 वहाँ उसकी दीवारों को देखो और उसके सबसे दृढ़ भागों की जाँच करो
कि तुम अपनी सन्तान को उनके विषय में बता सको।
14 अपनी सन्तानों से कहो, “यह हमारे परमेश्वर का शहर है, हमारे परमेश्वर जो सदा के हैं;
वह हमारे पूरे जीवन हमारा मार्गदर्शन करेंगे।”
Chapter 49
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन।
1 हे सब जातियों के लोगों, सुनो!
हे पृथ्वी के सब लोगों, सुनो
2 महत्वपूर्ण लोगों और महत्वहीन लोगों,
धनवानों और गरीब लोगों,
सब लोगों, मैं जो कह रहा हूँ उसे सुनो।
3 जो मैं सोच रहा हूँ वह समझ की बात है,
और जो मैं कहता हूँ वह तुमको बुद्धिमान बनने में समर्थ बनाता है।
4 मैं तुमको सुनाने के लिए बुद्धिमानी के वचनों के विषय में सोचता हूँ,
और जब मैं अपनी वीणा बजाता हूँ, तब मैं तुम्हें उन वचनों का अर्थ समझाता हूँ।
5 जब मैं परेशानी में होता हूँ तो मैं चिन्ता नहीं करता हूँ,
अर्थात् जब मैं अपने शत्रुओं से घिरा होता हूँ।
6 बुरे लोग सोचते हैं कि वे धनवान हैं इसलिए वे अपनी धन सम्पदा पर भरोसा रखते हैं कि उनके लिए सदैव भला होता रहेगा
और वे बहुत धनवान होने पर घमण्ड करते हैं।
7 वे धनवान हो सकते हैं, परन्तु कोई भी परमेश्वर को पैसे नहीं दे सकता है
कि वह सदा के लिए जीवित रह सके!
कोई भी परमेश्वर को पर्याप्त भुगतान नहीं कर सकता कि परमेश्वर उसे सदा जीने दें
8 क्योंकि उसका मूल्य बहुत अधिक है,
और वह पैसा दे तो वह कभी भी पूरा नहीं पड़ेगा।
9 कोई भी परमेश्वर को सदा के जीवन के लिए पैसा नहीं दे सकता है
कि कभी न मरे और दफन किए जाए!
10 हम देखते हैं कि मूर्ख और बुद्धिहीन लोग मर जाते हैं,
परन्तु हम यह भी देखते हैं कि बुद्धिमान लोग भी मर जाते हैं;
वे सब अपनी सम्पत्ति छोड़ जाते हैं, और दूसरे लोग उसे प्राप्त करते हैं।
11 एक समय उनकी अपनी भूमि पर घर थे,
परन्तु अब उनकी कब्र सदा के लिए उनके घर हैं,
जहाँ वे सदा के लिए रहेंगे!
12 भले ही लोग महान हों, परन्तु मरने से वह भी उन्हें बचा नहीं सकता है;
सब लोग जानवरों के समान ही मर जाते हैं।
13 यही उन लोगों के साथ होता है जो मूर्खता से अपने कार्यों पर भरोसा रखते हैं,
वे लोग जो अपनी सम्पत्ति पर आनन्दित होते हैं।
14 वे उन भेड़ों के समान मरने के लिए निश्चित किए गए हैं
जिन्हें चरवाहा वध करने के लिए ले जाता है।
सुबह धर्मी लोग उन पर शासन करेंगे,
और फिर वो धनवान लोग मर जाएँगे और उनके शरीर शीघ्र ही कब्रों में सड़ जाएँगे;
वे अपने घरों से बहुत दूर, वहाँ होंगे जहाँ मरे हुए लोग हैं।
15 परन्तु यह निश्चित है कि परमेश्वर मुझे बचाएँगे कि मैं मरे हुओं के स्थान पर पड़ा न रहूँ;
वह मुझे अपने पास ले जाएँगे।
16 इसलिए जब कोई धनवान हो तो निराश न हों
और जब उनके घर, जहाँ वे रहते हैं, अधिक से अधिक सुख-विलास के हो जाते हैं;
17 क्योंकि जब वह मर जाएगा, तो वह अपने साथ कुछ नहीं ले जाएगा;
उसकी सम्पत्ति उसके साथ नहीं जाएगी।
18 एक धनवान व्यक्ति जब जीवित रहता है, तब वह स्वयं को धन्य कहता है,
और लोग उसकी सफलता के लिए उसकी प्रशंसा करते हैं,
19 परन्तु वह मर जाएगा और अपने पूर्वजों से जुड़ जाएगा,
और दिन के उजियाले को कभी नहीं देख पाएगा।
20 कोई महान हो, तो भी वह उसे मरने से नहीं रोक सकता है;
वह जानवरों के समान ही मर जाएगा।
Chapter 50
आसाप द्वारा लिखित एक भजन
1 सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं;
पूर्व से पश्चिम तक,
वह सब लोगों को बुलाते हैं।
2 उनकी महिमा यरूशलेम में सिय्योन पर्वत से चमकती है,
यरूशलेम से जो एक सर्व सुन्दर शहर है।
3 हमारे परमेश्वर हमारे पास आते हैं,
और वह चुप नहीं है।
उनके सामने एक बड़ी आग है,
और एक तूफान उनके चारों ओर है।
4 वह अपने लोगों का न्याय करने के लिए आते हैं।
वह स्वर्ग के स्वर्गदूतों को
और पृथ्वी पर लोगों को पुकारते हैं।
5 वह कहते हैं, “उन लोगों को बुलाओ जो निष्ठापूर्वक मेरी आराधना करते हैं,
जिन्होंने बलिदान चढ़ाने के द्वारा मेरे साथ एक वाचा बाँधी है।”
6 स्वर्ग में स्वर्गदूत घोषणा करते हैं,
“परमेश्वर धर्मी हैं,
और वह सर्वोच्च न्यायी हैं।”
7 परमेश्वर कहते हैं, “मेरे लोगों, सुनो!
हे इस्राएली लोगों, सुनो,
जब मैं, तुम्हारा परमेश्वर, कहता हूँ कि तुमने जो किया है वह गलत है।
8 मैं तुम्हें मेरे लिए बलिदान चढ़ाने के लिए डाँट नहीं रहा हूँ,
उन भेंटों के लिए जिन्हें तुम सदा मेरे लिए वेदी पर जलाते हो।
9 परन्तु मुझे वास्तव में तुम्हारे पशुशालाओं से बैलों की आवश्यकता नहीं है
और तुम्हारे भेड़शालाओं से बकरे नहीं चाहिए जिन्हें तुम बलिदान करते हो,
10 क्योंकि जंगल के सब जानवर मेरे हैं,
और हजारों पहाड़ियों के सब पशु भी मेरे हैं।
11 मैं पर्वतों के सब पक्षियों को जानता हूँ और उनका स्वामी हूँ,
और सब जीव जो खेतों में घूमते हैं, वे मेरे हैं।
12 इसलिए यदि मैं भूखा होता, तो मैं तुम्हें मेरे लिए भोजन लाने के लिए नहीं कहता
क्योंकि संसार का सब कुछ मेरा है!
13 मैं तुम्हारे चढ़ाए जाने वाली बलि के बैलों का माँस नहीं खाता,
और मैं उन बकरियों का खून नहीं पीता जो तुम मुझे देते हो।
14 जिस बलिदान को मैं वास्तव में चाहता हूँ वह यह है कि तुम मुझे धन्यवाद दो
और वह सब करो जो तुमने करने की प्रतिज्ञा की है।
15 जब तुमको परेशानी होती है तो मुझसे प्रार्थना करो।
यदि तुम ऐसा करते हो, तो मैं तुमको बचाऊँगा, और फिर तुम मेरी स्तुति करोगे।
16 परन्तु मैं दुष्ट लोगों से यह कहता हूँ:
तुम मेरे आदेशों को क्यों पढ़ते हो
या मेरे साथ बाँधी गई वाचा के विषय में क्यों बात करते हो?
17 क्योंकि तुमने मेरे अनुशासन को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है,
और मैंने तुम्हें करने के लिए जो कहा उसे अस्वीकार कर दिया है।
18 हर बार जब तुम एक चोर को देखते हो, तो तुम उसके मित्र बन जाते हो,
और तुम व्यभिचार करने वालों के साथ बहुत समय बिताते हो।
19 तुम सदा दुष्ट कार्य करने के विषय में बातें करते हो,
और तुम सदा लोगों को धोखा देने का प्रयास करते हो।
20 तुम सदा अपने परिवार के सदस्यों पर दोष लगाते हो
और उनकी निन्दा करते हो।
21 तुमने उन सब कार्यों को किया, और मैंने तुम्हें कुछ नहीं कहा,
तो तुमने सोचा कि मैं तुम्हारे जैसा पापी हूँ।
परन्तु अब मैं तुमको डाँटता हूँ और तुम्हारे सामने तुम पर दोष लगाता हूँ।
22 इसलिए, तुम सब जिन्होंने मुझे अनदेखा किया है, इस बात पर ध्यान दो,
क्योंकि यदि तुम ध्यान न दो, तो मैं तुम्हें फाड़ कर टुकड़े-टुकड़े कर दूँगा,
और तुमको बचाने के लिए कोई भी नहीं होगा।
23 जो बलिदान सचमुच मुझे सम्मानित करते हैं, वह यह हैं कि तुम मेरे कार्यों के लिए मुझे धन्यवाद दो;
और मैं उन लोगों को बचाऊँगा जो सदा उन कार्यों को करते हैं जिन्हें मैं चाहता हूँ।”
Chapter 51
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन, जब भविष्यद्वक्ता नातान ने बतशेबा के साथ व्यभिचार करने के बाद दाऊद को डाँटा था।
1 हे परमेश्वर, मुझ पर दया करें
क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं;
क्योंकि आप बहुत दयालु हैं,
इसलिए मेरी अवज्ञा को भूल जाएँ!
2 यद्दपि मैंने अनुचित कार्य किया है, मुझे फिर से अपने लिए ग्रहणयोग्य बनाएँ;
मेरे पाप के दोष को क्षमा करें और मुझे स्वीकार करें।
3 मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ कि मैं अवज्ञा के अपने कार्य को जानता हूँ;
मैं उन्हें नहीं भूल सकता हूँ।
4 आप, केवल आप ही हैं, जिनके विरुद्ध वास्तव में मैंने पाप किया है,
और आपने उस बुरे कार्य को देखा है, जो मैंने किया है।
जब आप कहते हैं कि मैं दोषी हूँ, तो आप सही कहते हैं,
और जब आप मेरा न्याय करते हैं, तो आप न्यायपूर्वक कहते हैं कि मैं दण्ड के योग्य हूँ।
5 मैं उस दिन से एक पापी रहा हूँ जब से मेरा जन्म हुआ था;
वास्तव में, मैं अपनी माता के गर्भ से ऐसा पापी हूँ।
6 आप जो चाहते हैं वह यह है कि मैं अपने मन से सच को चाहूँ
कि आप मुझे मेरे मन में बुद्धिमानी से कार्य करने के रीति के विषय में सिखा सकें।
7 मेरे पापों के दोष को क्षमा करें, और उसके बाद, मैं आपके लिए पूरी तरह स्वीकार्य हो जाऊँगा;
यदि आप मुझे क्षमा कर देते हैं, तो मैं आपके साथ बिलकुल सही हो जाऊँगा।
8 मुझे दोबारा आनन्दित होने दें;
आपने मुझे बहुत अधिक उदास कर दिया है,
परन्तु अब मुझे फिर से आनन्दित होने दें।
9 मैंने जो पाप किए हैं, उन्हें सदा स्मरण न रखें;
मैंने जो बुरा कार्य किया है उसे भूल जाएँ।
10 हे परमेश्वर, मुझे उन कार्यों को करने में सहायता करें जिन्हें आप स्वीकार करते हैं।
मुझे केवल वही करने की इच्छा दें जो उचित है।
11 मुझे अपने लोगों में से एक के समान अस्वीकार न करें,
और अपने पवित्र-आत्मा को मुझसे अलग न कर।
12 मुझे मेरे पाप के दोष से बचा कर मुझे फिर से आनन्द प्रदान करें,
और सच्चे मन से आपकी आज्ञा का पालन करने की इच्छा दे कर सदा मेरी सहायता करें।
13 यदि आप ऐसा करते हैं, तो मैं अन्य पापियों को सिखाऊँगा कि आप उनसे क्या कराना चाहते हैं;
वे पश्चाताप करेंगे और आपकी आज्ञा का पालन करेंगे।
14 हे परमेश्वर, आप ही मुझे बचाते हैं;
मुझे किसी ऐसे व्यक्ति को मारने के दोषी होने के लिए क्षमा करें, जो मेरा शत्रु नहीं था।
जब आप ऐसा करते हैं, तो मैं आपके अच्छे और धर्मी होने के विषय में आनन्द से गाऊँगा।
15 हे यहोवा, बोलने में मेरी सहायता करें
कि मैं आपकी स्तुति कर सकूँ।
16 लोगों द्वारा चढ़ाई गई बलियाँ ही आपको प्रसन्न नहीं करती हैं।
यदि वह आपको प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त होती, तो मैं वही करता।
परन्तु आप होम-बलि से प्रसन्न नहीं होते।
17 जो बलिदान आप वास्तव में चाहते हैं वह है कि लोग पाप करने के लिए खेद प्रकट करें और दीन बनें।
हे परमेश्वर, आप ऐसे बलिदान का इन्कार नहीं करेंगे।
18 हे परमेश्वर, उन लोगों के प्रति भले हों जो यरूशलेम में रहते हैं;
उन्हें शहर की दीवारों का पुनर्निर्माण करने में समर्थ करें।
19 ऐसा होने पर वे आपके लिए उचित बलिदान लाएँगे:
पशुओं की बलि और जलाई जाने वाली बलि।
वे युवा बैल को आपकी वेदी पर जला देंगे,
और आप प्रसन्न होंगे।
Chapter 52
एक भजन जो दाऊद ने गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा था, जब दोएग शाऊल के पास गया और कहा, “दाऊद महायाजक अहीमेलेक से बात करने गया है।”
1 हे घमण्डी पुरुष, तू क्या सोचता है कि तू बलवन्त है;
तू मनुष्यों के लिए परेशानी उत्पन्न करके घमण्ड करता है,
परन्तु परमेश्वर अपनी विश्वासयोग्यता में उनकी रक्षा करते हैं।
2 तू पूरे दिन दूसरों को नाश करने की योजना बनाता है;
जो तू कहता है वह धार लगाई हुई तलवार के समान है,
और तू सदा दूसरों को धोखा देता है।
3 तुझे भलाई से अधिक बुराई करना भाता है,
और तू सच से अधिक झूठ बोलना अच्छा समझता है।
4 हे मनुष्य, तू लोगों को धोखा देने की बातें करता है,
तुझे ऐसी बातें करना अच्छा लगता है जो लोगों को चोट पहुँचाती हैं!
5 परन्तु परमेश्वर सदा के लिए तुझे नष्ट कर देंगे;
वह तुझे पकड़ कर तेरे घर से घसीट कर
तुझे जीवित लोगों के इस संसार से दूर ले जाएँगे।
6 जब धर्मी लोग इसे देखेंगे, तो वे अचम्भित होंगे,
और वे तेरे साथ होने वाली इस घटना पर हँसेंगे, और कहेंगे,
7 “देखो उस मनुष्य के साथ क्या हुआ है, वह परमेश्वर से उसकी रक्षा करने के लिए नहीं कहता था;
उसने भरोसा किया कि उसकी महान सम्पत्ति उसे बचाएगी;
वह दुष्टता से अन्य लोगों को चोट पहुँचा कर अधिक शक्तिशाली बन गया था।”
8 परन्तु मैं सुरक्षित हूँ क्योंकि मैं परमेश्वर के मन्दिर में आराधना करता हूँ;
मैं एक दृढ़ हरे जैतून के पेड़ के समान हूँ।
मैं परमेश्वर पर भरोसा करता हूँ, जो सच्चे मन से हमसे सदा का प्रेम करते हैं।
9 हे परमेश्वर, आपने जो कुछ भी किया है, उसके लिए मैं सदा आपको धन्यवाद दूँगा।
विशेष करके जब मैं आपके विश्वासयोग्य लोगों के सामने खड़ा होता हूँ,
तब मैं धीरज धर कर प्रतीक्षा करूँगा क्योंकि आप बहुत भले हैं।
Chapter 53
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन, जिसे “महलत” नामक धुन का उपयोग करके गाया जाता है।
1 केवल मूर्ख लोग ही कहते हैं, “कोई परमेश्वर नहीं है!”
जो लोग ऐसा कहते हैं वे भ्रष्ट हैं; वे भयानक पाप करते हैं;
उनमें से कोई भी नहीं है जो अच्छा करता है।
2 परमेश्वर स्वर्ग से नीचे देखते हैं और मनुष्यों को देखते हैं;
वह देखते हैं कि कोई बहुत बुद्धिमान मनुष्य है या नहीं
जो परमेश्वर को जानना चाहता है।
3 परन्तु हर एक जन परमेश्वर से दूर हो गया है। वे भ्रष्ट हैं और घृणित और गन्दे कार्य करते हैं।
कोई भी भलाई नहीं करता है।
4 क्या ये दुष्ट लोग कभी नहीं सीखेंगे कि परमेश्वर उनके साथ क्या करेंगे?
उन्होंने यहोवा के लोगों को भयानक हिंसा से चोट पहुँचाई। उनमें अपने कार्यों का अपराध-बोध नहीं है। उनके चेहरों से ऐसा प्रकट होता है कि उन्होंने रात को भोजन किया है।
और इससे भी अधिक बुरा यह है कि उन्होंने यहोवा से कभी प्रार्थना नहीं की।
5 परन्तु एक दिन वे लोग बहुत डर जाएँगे,
जबकि उनके पास डरने का कोई कारण नहीं है।
क्योंकि परमेश्वर उन लोगों को नष्ट करेंगे जो तुम पर आक्रमण करते हैं,
और वह उनकी हड्डियों को तितर-बितर करेंगे।
उन्होंने परमेश्वर का तिरस्कार कर दिया है,
इसलिए वह उन्हें पराजित करेंगे और पूरी तरह से अपमानित करेंगे।
6 मेरी इच्छा है कि परमेश्वर आएँ और इस्राएली लोगों को बचाएँ!
हे परमेश्वर, जब आप अपने लोगों को दोबारा आशीष देंगे,
तब सब इस्राएली लोग, याकूब के सब वंशज, आनन्दित होंगे।
Chapter 54
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन, जो तार वाले बाजों के साथ गाया जाए; यह तब लिखा गया जब जीप के लोग शाऊल के पास गए और उसे बताया कि दाऊद उनके क्षेत्र में छिपा हुआ है।
1 हे परमेश्वर, अपनी शक्ति से मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँ,
और लोगों को दिखाएँ कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है!
2 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुनें;
जो मैं आप से कहता हूँ उसे सुनें
3 क्योंकि अपरिचित लोग मुझ पर आक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं;
घमण्डी लोग मुझे मारना चाहते हैं,
ऐसे लोग जो आपका कोई सम्मान नहीं करते हैं।
4 परन्तु परमेश्वर ही हैं जो मेरी सहायता करते हैं’;
यहोवा ने मेरे शत्रुओं से मुझे बचाया।
5 परमेश्वर उन बुरे कार्यों को, जो वे लोग मेरे साथ करना चाहते हैं, उनके साथ करेंगे;
क्योंकि आप वही करते हैं जो आपने मुझसे करने की प्रतिज्ञा की है, उन्हें नष्ट कर दें।
6 हे यहोवा, मैं आनन्द से आपको एक भेंट चढ़ाऊँगा क्योंकि मैं चाहता हूँ,
और मैं आपको धन्यवाद दूँगा, क्योंकि आप मेरे साथ भले हैं;
7 आपने मुझे मेरी सारी परेशानियों से बचा लिया है,
और मैंने देखा है कि आपने मेरे शत्रुओं को पराजित किया है।
Chapter 55
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया दाऊद का एक भजन, जो तार वाले बाजों के साथ गाना चाहिए
1 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुनें,
और जब मैं आप से विनती करता हूँ तो मुझसे दूर न हो।
2 मेरी बात सुनें और मुझे उत्तर दें
क्योंकि मैं अपनी सब परेशानियों से घिरा हुआ हूँ।
3 मेरे शत्रु मुझे डराते हैं;
दुष्ट लोग मुझे पीड़ित करते हैं।
वे मुझे बड़ी परेशानी देते हैं;
वे मुझसे क्रोधित हैं, और वे मुझसे घृणा करते हैं।
4 मैं डर गया हूँ,
और मुझे बहुत डर है कि मैं मर जाऊँगा।
5 मैं बहुत भयभीत हूँ और मैं काँपता हूँ;
मैं पूरी तरह से डरा हुआ हूँ।
6 मैंने कहा, “मेरी इच्छा है कि मेरे पास कबूतर के समान पंख होते!
यदि मेरे पंख होते, तो मैं उड़ जाता और विश्राम करने के लिए एक स्थान खोजता।
7 मैं बहुत दूर उड़ जाता
और जंगल में रहता।
8 मैं शीघ्र ही एक सुरक्षित स्थान ढूँढ़ लेता
जहाँ मेरे शत्रु मुझ पर तेज हवा और वर्षा के समान आक्रमण नहीं करते।”
9 हे प्रभु, मेरे शत्रुओं में उलझन डाल दें और उनकी योजनाओं को असफल करें।
मैंने उन्हें दूसरों को उनकी हिंसा से चोट पहुँचाते हुए और पूरे शहर में उपद्रव करते हुए देखा है।
10 प्रतिदिन और रात में वे उसकी दीवारों के ऊपर,
अपराध करते और परेशानी उत्पन्न करते हुए चारों ओर घूमते हैं।
11 सब स्थानों में विनाश करते हैं।
वे लोगों पर अत्याचार करते हैं और बाजारों में लोगों को धोखा देते हैं।
12 यदि कोई शत्रु मेरी निन्दा करता,
तो मैं उसे सहन कर सकता था।
यदि कोई मुझसे घृणा करता और मुझे तुच्छ समझता,
तो मैं उससे छिप सकता था।
13 परन्तु यह तो मेरे जैसा है, मेरा साथी है,
परन्तु यह तो मेरा मित्र था, जो मेरे साथ ऐसा कर रहा है।
14 हम पहले कई अच्छी-अच्छी बातें करते थे;
हम परमेश्वर के मन्दिर में एक साथ घूमते थे।
15 मैं चाहता हूँ कि मेरे शत्रु जीवित ही पृथ्वी के नीचे चले जाएँ
उस स्थान पर जहाँ मरे हुए लोग हैं।
मैं ऐसा इसलिए चाहता हूँ कि वे अपने घरों में दुष्टता के कार्य करते हैं।
16 परन्तु मैं यहोवा को, मेरे परमेश्वर को मेरी सहायता करने के लिए कहूँगा,
और वह मुझे बचाएँगे।
17 हर सुबह, दोपहर, और शाम मैं उनसे कहता हूँ कि मैं किस विषय में चिन्तित हूँ, और मैं कराहता हूँ,
और वह मेरी आवाज सुनते हैं।
18 जब मैं अपने शत्रुओं के साथ भयानक युद्ध कर रहा हूँ
तब वह मेरी जान बचाते हैं और मुझे सुरक्षित करते हैं।
मेरे विरुद्ध लड़ने के लिए कई शत्रु आ रहे हैं!
19 परमेश्वर वह है जिन्होंने सदा के लिए सब पर शासन किया है,
और वह उन लोगों को उनका स्थान दिखाएँगे जिन्होंने मेरे विरुद्ध लड़ाई की थी।
वह मेरे शत्रुओं को पराजित और अपमानित करेंगे
क्योंकि वे अपने बुरे व्यवहार को नहीं बदलते हैं
और क्योंकि वह परमेश्वर का कोई सम्मान नहीं करते हैं।
20 मेरा साथी, जिसका मैंने पहले उल्लेख किया था, उसने अपने मित्रों को धोखा दिया
और उसने उनके साथ किए गए समझौते को तोड़ दिया।
21 उसने जो कहा वह सुनने के लिए सरल था जैसे मक्खन निगलने के लिए सरल होता है,
परन्तु वह अपने मन में लोगों से घृणा करता था;
उसके शब्द जैतून के तेल के समान सुखदायक थे,
परन्तु उनसे लोगों को तेज तलवार के समान चोट पहुँची।
22 अपनी परेशानियों को यहोवा के हाथों में रखो,
और वह तुम्हारा ध्यान रखेंगे;
वे धर्मी लोगों को विपत्ति में नष्ट होने नहीं देंगे।
23 हे परमेश्वर, आप हत्यारों और झूठे लोगों को उनके जीवन के आधे समय से पहले मार डालेंगे;
परन्तु मैं आप पर भरोसा रखूँगा।
Chapter 56
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया दाऊद का एक भजन; जिसमें उस समय का वर्णन किया गया है, जब पलिश्तियों ने उसको गत नगर में पकड़ा था, जिसे “दूर बांज पेड़ पर बैठे पिण्डुकी” के राग का उपयोग करके गाया जाना चाहिए।”
1 हे परमेश्वर, मेरे प्रति दया के कार्य करें क्योंकि लोग मुझ पर आक्रमण कर रहे हैं!
पूरे दिन शत्रु मेरे निकट और निकट आते जाते हैं क्योंकि वे मेरा जीवन लेना चाहते हैं।
2 पूरे दिन मेरे शत्रु मेरे जीवन को कुचलने का प्रयास करते हैं,
कई शत्रु हैं जो मुझ पर आक्रमण कर रहे हैं!
3 परन्तु जब भी मैं डरता हूँ,
मैं आप पर भरोसा रखता हूँ।
4 हे परमेश्वर, मैं आपकी स्तुति करता हूँ क्योंकि आप जो प्रतिज्ञा करते हैं उसे पूरी करते हैं;
मैं आप पर भरोसा रखता हूँ, और फिर मुझे डर नहीं लगता है।
साधारण मनुष्य निश्चित रूप से मुझे हानि नहीं पहुँचा सकते हैं!
5 पूरे दिन मेरे शत्रु दावा करते हैं कि मैंने उन बातों को कहा जो मैंने नहीं कही;
वे सदा मुझे हानि पहुँचाने के उपाय सोचते रहते हैं।
6 मेरे लिए परेशानी पैदा करने के लिए, वे छिपते हैं
और जो कुछ मैं करता हूँ उसे देखते हैं,
मुझे मारने के अवसर की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
7 इसलिए, हे परमेश्वर, उन्हें उनके दुष्टता के कार्यों के लिए दण्ड दें जो वे कर रहे हैं;
उन लोगों को पराजित करके उन्हें दिखाएँ कि आप क्रोधित हैं!
8 आप मेरे अकेले इधर-उधर फिरने की गिनती करते हैं;
ऐसा लगता है कि आपने मेरे सभी आँसू एक पात्र में डाल दिए हैं
कि आप देख सकें कि मैं कितना रोया हूँ।
आपने मेरे आँसू गिने हैं और अपनी पुस्तक में उसकी संख्या लिखी हैं।
9 हे मेरे परमेश्वर, जब मैं आपको पुकारता हूँ, तब मेरे शत्रु पराजित किए जाएँगे;
मुझे पता है कि ऐसा होगा क्योंकि आप मेरे लिए युद्ध कर रहे हैं।
10 मैं आपकी स्तुति करता हूँ क्योंकि आपने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की है;
हे यहोवा, मैं सदा इसके लिए आपकी स्तुति करूँगा।
11 मैं आप पर भरोसा करता हूँ, और मैं नहीं डरूँगा।
मुझे पता है कि मनुष्य वास्तव में मुझे हानि नहीं पहुँचा सकते हैं!
12 मैं आपके लिए उस भेंट को लाऊँगा जिसकी मैंने प्रतिज्ञा की है;
मैं आपको धन्यवाद देने के लिए एक भेंट लाऊँगा
13 क्योंकि आपने मुझे मरने से बचा लिया है;
आपने मुझे ठोकर खाने से बचाया है।
और इसलिए मैं हर दिन परमेश्वर के साथ रहूँगा
उनके प्रकाश में जो मुझे जीवन देता हैं।
Chapter 57
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया दाऊद का एक भजन, जब दाऊद शाऊल से बचने के लिए एक गुफा में गया; “नष्ट मत करो” धुन का उपयोग करके गाया जाना चाहिए।
1 हे परमेश्वर, मेरे प्रति दया के कार्य करे!
मेरे प्रति दया के कार्य करें क्योंकि मैं अपनी रक्षा के लिए आपके पास आ रहा हूँ।
मुझे बचाने के लिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ जैसे छोटे पक्षियों को उनकी माँ के पंखों के नीचे संरक्षित किया जाता है
जब तक तूफान समाप्त न हो।
2 परमेश्वर, आप सभी अन्य देवताओं से अधिक महान हैं,
मैं आपको पुकारता हूँ, आप जो मुझे आपकी इच्छा के अनुसार बनने में समर्थ करता है।
3 आप मुझे स्वर्ग से उत्तर देंगे और मुझे बचाएँगे,
परन्तु आप उन लोगों को पराजित और अपमानित करेंगे जो मेरा दमन करते हैं!
परमेश्वर सदैव मुझसे प्रेम करते हैं क्योंकि उन्होंने मुझसे प्रतिज्ञा की है।
4 कभी-कभी मैं अपने शत्रुओं से घिरा होता हूँ, जो मुझे मारने के लिए तैयार हैं जैसे शेर लोगों को मारने के लिए तैयार होते हैं;
वे शेरों के समान हैं जो उन पशुओं को चबाते हैं, जिनका उन्होंने शिकार किया है।
परन्तु मेरे शत्रु मनुष्य हैं, और उनके पास भाले और तीर हैं, दाँत नहीं;
वे मेरे विषय में झूठी बातें कहते हैं।
5 हे परमेश्वर, स्वर्ग में दिखाएँ कि आप बहुत महान हैं!
अपनी महिमा पृथ्वी के लोगों को दिखाएँ!
6 ऐसा लगता है मेरे शत्रुओं ने मुझे पकड़ने के लिए एक जाल फैलाया है,
और मैं बहुत परेशान हो गया।
ऐसा लगता है जैसे उन्होंने रास्ते पर जहाँ मैं चलता हूँ, एक गहरा गड्ढ़ा खोदा है,
परन्तु वे स्वयं उसमें गिर गए!
7 हे परमेश्वर, मैं आप पर बहुत विश्वास करता हूँ।
मैं आपके लिए गाऊँगा,
और जब मैं गाता हूँ तो मैं आपकी स्तुति करूँगा।
8 सुबह जाग कर आपकी स्तुति करना एक सम्मान है।
सूर्य के उगने से पहले मैं उठता हूँ
और मैं वीणा या सारंगी बजा कर आपकी स्तुति करता हूँ।
9 हे परमेश्वर, मैं सब लोगों के बीच आपको धन्यवाद दूँगा;
और मैं आपके लिए कई लोगों के समूहों में स्तुति के गीत गाऊँगा।
10 क्योंकि हमारे लिए आपका प्रेम पृथ्वी से आकाश तक की ऊँचाई जितना महान है,
और हमारे लिए आपकी विश्वासयोग्यता बादलों तक जाती है।
11 हे परमेश्वर, स्वर्ग में दिखाएँ कि आप बहुत महान हैं!
अपनी महिमा सारी पृथ्वी के लोगों को दिखाएँ!
Chapter 58
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन, जिसे “नष्ट न करें” धुन का उपयोग करके गाया जाता है।
1 हे शासकों जब तुम बोलते हो, तो तुम कभी सच नहीं कहते हो;
तुम लोग कभी विवादों का न्याय सही से नहीं करते हैं।
2 नहीं, तुम अपने मन में केवल गलत कार्य करने के विषय में सोचते हो,
और तुम इस्राएल की इस भूमि में सब स्थानों में हिंसक अपराध करते हो।
3 दुष्ट लोग गलत कार्य करते हैं और जन्म के समय से झूठ बोलते हैं।
4 दुष्ट लोग जो कहते हैं उससे लोगों को साँप के विष के समान हानि पहुँचती है।
वे आदेशों को सुनने से इन्कार करते हैं; ऐसा लगता है कि वे बहरे साँप हैं।
5 परिणामस्वरूप, जैसे एक साँप कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है जब एक सपेरा बाँसुरी बजाता है या जब कोई मन्त्र पढ़े,
वैसे ही जब लोग उन्हें डाँटते हैं तो वे ध्यान नहीं देते हैं।
6 हे परमेश्वर, इन शत्रुओं के लिए जो मुझ पर युवा शेरों के समान आक्रमण करना चाहते हैं,
उनके दाँतों को उनके मुँह में तोड़ दें!
7 उन्हें गायब कर दें जैसे सूखी भूमि में पानी गायब हो जाता है!
उन तीरों को रोकें जिन्हें वे चलाते हैं!
8 उन्हें कीचड़ में गायब होने वाले घोंघे के समान बना दें;
उन्हें मृत पैदा हुए बच्चे के समान बना दें!
9 मुझे आशा है कि आप उनसे शीघ्र ही छुटकारा पाएँगे,
जितनी शीघ्र ही कि कंटीली झाड़ियाँ काटे जाने के बाद राख हो जाती हैं।
10 जो लोग उचित कार्य करते हैं, वे आनन्दित होंगे जब परमेश्वर दुष्ट लोगों को दण्ड देंगे;
वे दुष्टों के खून में अपने पाँवों को धोएँगे।
11 तब लोग कहेंगे, “यह सच है कि धर्मी लोगों के लिए प्रतिफल है;
और वास्तव में परमेश्वर हैं जो धरती पर लोगों का न्याय करते हैं!”
Chapter 59
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा दाऊद का भजन, जब शाऊल दाऊद को मारना चाहता था, तो उसने दाऊद के घर पर देखरेख रखने के लिए पुरुषों को भेजा।
1 हे परमेश्वर, मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँ!
उन लोगों से मुझे बचाएँ जो मुझ पर आक्रमण करना चाहते हैं!
2 उन लोगों से मुझे सुरक्षित रखें जो दुष्ट कार्य करना चाहते हैं,
और हत्यारों से मुझे सुरक्षित रखें!
3 देखो! वे मुझे मारने की प्रतीक्षा कर रहे हैं!
भयानक पुरुष मुझ पर आक्रमण करने के लिए एकत्र हुए हैं।
हे यहोवा, वे ऐसा करते हैं जबकि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है!
4 ऐसा इसलिए नहीं है कि मैंने उनके विरुद्ध कोई अपराध किया है
कि वे दौड़ते हैं और मुझ पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो जाते हैं। कृपया मेरी स्थिति देखें और मेरी सहायता करें।
5 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, जिनकी हम इस्राएली आराधना करते हैं,
उठें और उन सब राष्ट्रों के लोगों को दण्ड दें जो आपको सम्मान नहीं देते हैं;
उन दुष्ट लोगों के प्रति दया के कार्य न करें जिन्होंने हमसे विश्वासघात किया है।
6 वे हर शाम लौटते हैं,
और कुत्ते के समान वे शहर के चारों ओर गुर्राते हुए घूमते हैं।
7 वे ऊँचे शब्द में भयानक बातें कहते हैं;
वे ऐसी बातें कहते हैं जो तलवारों के समान नष्ट करती हैं,
क्योंकि वे कहते हैं, “कोई भी हमें नहीं सुन पाएगा!”
8 परन्तु हे यहोवा, आप उन पर हँसते हैं।
आप मूर्तिपूजक राष्ट्रों के लोगों का उपहास करते हैं।
9 हे परमेश्वर, मुझे आप पर भरोसा है क्योंकि आप बहुत शक्तिशाली हैं;
आप मेरे शरणस्थान हैं।
10 क्योंकि आप मुझसे प्रेम करते हैं, आप मुझे बचाने आएँगे जैसा आपने प्रतिज्ञा की है;
आप मेरे शत्रुओं को पराजित करते समय मुझे देखने देंगे।
11 परन्तु उन्हें तुरन्त न मारें;
यह उचित होगा कि मेरे लोग न भूलें कि आपने उन्हें कैसे दण्ड दिया है!
इसकी अपेक्षा, हे प्रभु, आप ढाल के समान हैं जो हमारी रक्षा करते हैं,
उन्हें अपनी शक्ति से तितर-बितर करें, और फिर उन्हें पराजित करें।
12 क्योंकि वे जो कहते हैं वह पापपूर्ण है,
उन्हें उनके घमण्ड के कारण फँसने दें।
क्योंकि वे सदा श्राप देते हैं और झूठ बोलते हैं,
13 क्योंकि आप क्रोधित हैं, उनसे छुटकारा पाएँ;
उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दें
कि लोग जान सकें कि आप हम इस्राएली लोगों पर शासन करते हैं,
और आप पूरी धरती पर भी शासन करते हैं।
14 वे हर शाम लौटते हैं,
और कुत्ते के समान गुर्राते हैं जब वे शहर के चारों ओर घूमते हैं।
15 वे भोजन की खोज में चारों ओर घूमते हैं
और यदि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है, तो वे कुत्तों के समान गुर्राते हैं।
16 परन्तु मैं आपकी शक्ति के विषय में गाऊँगा;
प्रतिदिन सुबह मैं आपके सच्चे प्रेम के विषय में आनन्द से गाऊँगा।
मैं गाऊँगा कि जब मैं बहुत परेशान था तो आपने मुझे कैसे सुरक्षित किया।
17 हे परमेश्वर, आप ही वह हैं जो मुझे दृढ़ होने में समर्थ बनाते हैं;
आप मेरे शरणस्थान हैं;
आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं, जैसी आपने अपनी वाचा में प्रतिज्ञा की है।
Chapter 60
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन, शिक्षण के लिए एक भजन, “प्रतिज्ञा की लिली” धुन का उपयोग करके गाया जाता है। दाऊद ने उत्तरी सीरिया में युद्धों के समय लिखा था, और जब योआब की सेना ने युद्ध से लौटने के बाद नमक की घाटी में एदोमी लोगों के समूह के बारह हजार लोगों की हत्या कर दी थी।
1 मैंने प्रार्थना की, “हे परमेश्वर, आपने हम इस्राएलियों को त्याग दिया है!
क्योंकि आप हमसे क्रोधित हैं,
इसलिए आपने हमारे शत्रुओं को हमारी सेना को तोड़ने में समर्थ बनाया है।
कृपया हमें फिर से दृढ़ बनने में समर्थ करें!
2 ऐसा लगता था कि आपने एक बड़ा भूकम्प भेजा था जिससे धरती खुल गई।
इसलिए अब, हमें फिर से दृढ़ बनाएँ,
क्योंकि ऐसा लगता है कि हमारा देश डगमगा रहा है।
3 आपने हमें अर्थात् आपके लोगों को बहुत पीड़ित किया है;
ऐसा लगता है कि आपने हमें दाखमधु पिला कर हमारी शक्ति ले ली है।
4 परन्तु आपने उन लोगों के लिए युद्ध का झण्डा उठाया है जो आपको सम्मान देते हैं।
वे शत्रु के तीरों का सामना करते समय आपके झण्डे को दिखाएँगे।
5 हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दें और हमें हमारे शत्रुओं को हराने के लिए अपनी शक्ति से समर्थ करें
कि हम, जिन्हें आप चाहते हैं, बचाए जाएँ।”
6 तब परमेश्वर ने मेरी प्रार्थना का उत्तर दिया और अपने मन्दिर से बात की और कहा,
“क्योंकि मैंने तुम्हारे शत्रुओं पर विजय प्राप्त की है, इसलिए मैं शेकेम शहर को विभाजित करूँगा,
और मैं अपने लोगों के बीच सुक्कोत की घाटी के देश को बाँट दूँगा।
7 गिलाद का क्षेत्र मेरा है;
मनश्शे के गोत्र के लोग मेरे हैं;
एप्रैम का गोत्र मेरे टोप के समान है;
और यहूदा का गोत्र मेरे राजदण्ड के समान है जिसके साथ मैं शासन करता हूँ।
8 मोआब का क्षेत्र मेरे धोने के पात्र के समान है;
मैंने अपने जूतों को एदोम के क्षेत्र पर फेंक दिया कि यह दिखाया जा सके कि वह मेरा है;
मैं जयजयकार करता हूँ क्योंकि मैंने पलिश्त के सब क्षेत्रों के लोगों को पराजित किया है।
9 क्योंकि मैं एदोम के लोगों को पराजित करना चाहता हूँ,
कौन मेरी सेना को उनकी राजधानी में ले जाएगा, जिसके चारों ओर दृढ़ दीवारें हैं?”
10 हे परमेश्वर, ऐसा लगता है कि आपने वास्तव में हमें त्याग दिया है;
ऐसा लगता है कि जब हमारी सेनाएँ हमारे शत्रुओं से युद्ध करने के लिए बाहर निकलती हैं तो आप हमारे साथ नहीं जाते हैं।
11 जब हम अपने शत्रुओं से युद्ध करते हैं तो हमें आपकी सहायता की आवश्यकता होती है
क्योंकि मनुष्य हमारी सहायता करें तो, व्यर्थ है।
12 परन्तु आपकी सहायता से, हम विजयी होंगे;
आप हमारे शत्रुओं को पराजित करने में हमें समर्थ करेंगे।
Chapter 61
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन, जिसे वाद्य-यन्त्र के साथ गाया जाना चाहिए।
1 हे परमेश्वर, मेरी बात सुनें
और मेरी प्रार्थना का उत्तर दें।
2 जब मैं निराश होता हूँ और अपने घर से दूर हूँ,
मैं आपको पुकारता हूँ।
मुझे ऐसे स्थान पर ले जाएँ जो एक ऊँची चट्टान के समान होगा
जिस पर मैं सुरक्षित रहूँगा।
3 आप मेरा शरणस्थान हैं;
आप एक दृढ़ मीनार के समान हैं
जिसमें मेरे शत्रु मुझ पर आक्रमण नहीं कर सकते हैं।
4 मुझे मेरे जीवन में अपने पवित्र-तम्बू के निकट रहने दें!
मुझे सुरक्षित होने दें जैसे एक छोटा सा पक्षी अपनी माँ के पंखों के नीचे सुरक्षित रहता है।
5 हे परमेश्वर, आपने मुझे सुना जब मैंने गम्भीरता से आपको भेंट देने की प्रतिज्ञा की थी;
आपने ऐसे आशीष दिए हैं जो आपका महान सम्मान करने वालों के लिए हैं।
6 मैं इस्राएल का राजा हूँ;
कृपया मुझे कई वर्षों तक जीने और शासन करने योग्य कर दें,
और मेरे वंशजों को भी शासन करने योग्य करें।
7 हमें आपकी देखरेख में सदा के लिए शासन करने दें;
हमारी देख-रेख करें, क्योंकि आप हमसे सच्चा प्रेम करते हैं और अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार, हमारे लिए कार्य करते हैं।
8 यदि आप ऐसा करते हैं, तो मैं सदा आपकी स्तुति करने के लिए गाऊँगा
जब मैं आपको प्रतिदिन बलि चढ़ाता हूँ जिसकी मैंने आपको देने की प्रतिज्ञा की है।
Chapter 62
एक भजन जो दाऊद ने गायन मण्डली के अगुवे यदूतून के लिए लिखा
1 परमेश्वर ही एकमात्र है जो मुझे मेरे मन की शान्ति प्रदान करते हैं,
और वही हैं जो मुझे मेरे शत्रुओं से बचाते हैं।
2 केवल वही एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर मैं सुरक्षित रह सकता हूँ;
वह एक ऊँचे किले के समान हैं जिस पर मेरे शत्रु चढ़ नहीं सकते हैं।
3 हे मेरे शत्रुओं, तुम कब तक मुझ पर आक्रमण करते रहोगे?
मुझे लगता है कि मैं झुकी हुई दीवार या टूटे हुए बाड़े के समान तुम्हारे सामने दुर्बल हूँ।
4 मेरे शत्रु मुझे महत्वपूर्ण पद से हटाने की योजना बना रहे हैं कि लोग अब मेरा सम्मान न करें।
वे झूठ बोलने में प्रसन्न हैं।
वे अपनी बातों में लोगों को आशीष देते हैं,
परन्तु उनके मन में वे उन लोगों को श्राप देते हैं।
5 परमेश्वर ही एकमात्र है जो मुझे मेरे मन में शान्ति देते हैं;
वही है जिनसे मैं भरोसे से मेरी सहायता करने की आशा करता हूँ।
6 केवल वह एक विशाल चट्टान के समान है जिस पर मैं सुरक्षित रह सकता हूँ;
वह एक आश्रय के समान है; वहाँ मेरे शत्रु कभी मेरे पास नहीं पहुँच सकते हैं।
7 परमेश्वर ही मुझे बचाते हैं और मुझे सम्मान देते हैं।
वह एक विशाल दृढ़ चट्टान के समान हैं, जिस पर मैं आश्रय पा सकता हूँ।
8 हे मेरे लोगों, सदा उन पर भरोसा करते रहो।
उन्हें अपनी सब परेशानी बताओ
क्योंकि हम सुरक्षा के लिए उनके पास जाते हैं।
9 जो लोग महत्वहीन माने जाते हैं वे हवा की फूँक के समान अविश्वसनीय हैं;
और जिन लोगों को महत्वपूर्ण माना जाता है, वास्तव में कुछ भी नहीं है।
यदि आप उन्हें तराजू पर रखते हैं, तो ऐसा होगा जैसे उनका वजन हवा की एक फूँक से कम हैं।
10 दूसरों से बलपूर्वक लूटे हुए धन पर भरोसा न रखें;
दूसरों को लूट कर कुछ प्राप्त करने का प्रयास मत करो।
यदि तुम धनवान हो, तो अपने पैसे पर भरोसा न रखें।
11 मैंने परमेश्वर को एक से अधिक बार कहते सुना है कि वही हैं जिनके पास वास्तव में शक्ति है,
12 और वही हैं जो हमसे सच्चा प्रेम करते हैं, जैसे कि उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
वह हमारे कार्यों के अनुसार हम में से प्रत्येक को प्रतिफल देते हैं।
Chapter 63
दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन, जब वह यहूदा के जंगल में था।
1 हे परमेश्वर, आप ही वह परमेश्वर हैं जिनकी मैं आराधना करता हूँ।
मैं आपके साथ रहने की बहुत इच्छा रखता हूँ
जैसे एक सूखे गर्म जंगल में एक व्यक्ति पानी की बहुत इच्छा करता है।
2 मैं आपके साथ आपके भवन में गया हूँ
यह देखने के लिए कि आप प्रिय और शक्तिशाली हैं।
3 आप सदा मुझसे प्रेम करते हैं, जैसा कि आपने अपनी वाचा में प्रतिज्ञा की है; यह मेरे पूरे जीवन से अधिक मूल्यवान है,
इसलिए मैं सदा आपकी स्तुति करूँगा।
4 मैं हर समय आपकी स्तुति करूँगा;
प्रार्थना करते समय मैं अपने हाथ उठाऊँगा।
5 आप मुझे परिपूर्ण रखते हैं और आप मेरी हर एक आवश्यकता को पूरा करते हैं।
आपके प्रति मेरी प्रतिक्रिया ऐसी है जैसे मैं समृद्ध और स्वादिष्ट भोजन खाता हूँ
और भोजन मुझे तृप्त करता है।
जब मैं आपके विषय में बोलता हूँ और अपने शब्दों से आपकी स्तुति करता हूँ तो मुझे बहुत आनन्द मिलता है।
6 जब मैं अपने बिस्तर पर लेटता हूँ, मैं आपके विषय में सोचता हूँ।
मैं पूरी रात आपके विषय में सोचता हूँ।
7 क्योंकि आपने सदा मेरी सहायता की है,
और मैं प्रसन्नता से गाता हूँ क्योंकि मैं जानता हूँ कि आप मेरी रक्षा करते हैं
जैसे एक पक्षी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे सुरक्षित रखता है।
8 मैं ध्यान से आपकी आज्ञा का पालन करता हूँ,
और आपका हाथ मेरी रक्षा करता है।
9 परन्तु जो लोग मुझे मारने का प्रयास कर रहे हैं
वे मर जाएँगे और मरे हुओं के स्थान में उतर जाएँगे;
10 वे युद्ध में मारे जाएँगे
और उनकी लाश कुत्तों द्वारा खाई जाएगी।
11 परन्तु मैं, इस्राएल का राजा, परमेश्वर के कार्यों के कारण आनन्दित रहूँगा;
और जो कोई परमेश्वर से उनके वचन की पुष्टि करने के लिए कहते हैं, वे उनकी स्तुति करेंगे,
परन्तु वह झूठे लोगों को कुछ भी कहने नहीं देंगे।
Chapter 64
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन।
1 हे परमेश्वर, मेरी बात सुनें जब मैं अपनी चिन्ताओं की चर्चा आप से करता हूँ।
मैं अपने शत्रुओं से डरता हूँ; कृपया मुझे उनसे बचाएँ।
2 मुझे दुष्टों की योजनाओं से बचाएँ;
और उन लोगों के समूह से मुझे बचाएँ जो बुराई करते हैं।
3 वे जो विरोधी बातें कहते हैं वे तेज तलवार के समान हैं;
उनके क्रूर शब्द तीरों के समान हैं।
4 वे किसी से डरते नहीं हैं; वे लोगों के विषय में झूठ बोलते हैं और उन लोगों की निन्दा करते हैं जिन्होंने कोई गलती नहीं की है।
वे उस मनुष्य के समान हैं जो अपने छिपने के स्थान से निकल कर अचानक अपने शत्रुओं पर तीर चलाता है।
5 वे एक दूसरे को उन बुरे कार्य को करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिनकी वे योजना बना रहे हैं;
वे एक दूसरे के साथ बात करते हैं कि वे लोगों को पकड़ने के लिए कहाँ जाल फैला सकते हैं।
वे कहते हैं, “कोई भी नहीं देख पाएगा कि हम क्या कर रहे हैं
6 क्योंकि हमने उन कार्यों की बहुत अच्छी योजना बनाई है जिन्हें हम करने जा रहे हैं।”
लोग अपने मन में जो सोचते हैं और जो योजना बनाते हैं वे वास्तव में कितनी अद्भुत हैं!
7 परन्तु ऐसा होगा जैसे कि परमेश्वर उन पर तीर चलाएँगे,
और वे अकस्मात ही घायल हो जाएँगे।
8 क्योंकि वे जो कहते हैं, उससे सिद्ध होता है कि वे दोषी हैं, परमेश्वर उनसे छुटकारा पाएँगे।
हर कोई जो देखता है कि उनके साथ क्या हुआ है, वे अपने सिरों को हिला कर उनकी निन्दा करेंगे।
9 तब हर कोई पाप के परिणाम के कारण पाप करने से डरेंगे;
वे दूसरों को बताएँगे कि परमेश्वर ने क्या किया है,
और वे स्वयं इसके विषय में बहुत सोचेंगे।
10 यहोवा ने जो कुछ किया है, उसके कारण धर्मी लोगों को आनन्दित होना चाहिए;
उन्हें शरण पाने के लिए उनके पास जाना चाहिए;
और जो लोग उनका सम्मान करते हैं वे उनकी स्तुति करेंगे।
Chapter 65
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन।
1 हे परमेश्वर, यरूशलेम में आपकी स्तुति करना हमारे लिए उचित है
और जो हमने आप से प्रतिज्ञा की है उसे पूरा करना उचित है
2 क्योंकि आप हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं।
इसलिए हर जगह के लोग आपके पास आएँगे
3 हमारे पाप हमारे लिए बहुत भारी बोझ के समान हैं,
परन्तु आप हमें क्षमा कर देते हैं।
4 वे कितने भाग्यशाली हैं जिन्हें आपने चुना है
कि सदा आपके भवन के आँगनों में रहें।
हम आपके आशीर्वादों से संतुष्ट होंगे क्योंकि हम आपके पवित्र भवन में आपकी आराधना करते हैं।
5 हे परमेश्वर, हम आप से प्रार्थना करते हैं, तो आप हमें उत्तर देते हैं और अद्भुत कार्य करके हमें बचाते हैं;
आप ही हमें बचाते हैं;
जो लोग पृथ्वी पर दूर के स्थानों और महासागरों के दूसरी ओर रहते हैं, वे आप पर भरोसा रखते हैं।
6 आप ही ने पर्वतों को उनके स्थान पर रखा,
और यह दिखाया कि आप बहुत शक्तिशाली हैं।
7 आप ही समुद्र को शान्त करते हैं, जब वह गरजता है,
और लहरों को किनारे पर प्रहार करने से रोकते हैं;
और लोग बहुत परेशानी उत्पन्न करते हैं तो आप उनको भी शान्त करते हैं।
8 लोग जो पृथ्वी पर बहुत दूर के स्थानों में रहते हैं
वे आपके द्वारा किए गए चमत्कारों से चकित हैं;
आपके कार्यों के कारण,
लोग जो दूर पश्चिम में और दूर पूर्व में रहते हैं, वे आनन्द से जयजयकार करते हैं।
9 आप मिट्टी का ध्यान रखते हैं और वर्षा भेजते हैं,
और इस प्रकार कई अच्छी वस्तुओं को उगाते हैं;
आप धाराओं को पानी से भरते हैं
और अनाज को उगाते हैं।
आपने यही करना निर्धारित किया है।
10 आप जुते हुए खेतों पर बहुत वर्षा भेजते हैं,
और आप पानी से रेघारियों को भरते हैं।
वर्षा से आप मिट्टी के कठिन ढेलों को नरम करते हैं,
और आप पौधों को विकसित करके मिट्टी को आशीषित करते हैं।
11 क्योंकि आप मिट्टी को आशीष देते हैं, इसलिए कटनी के समय बहुत अच्छी फसल होती हैं;
आप जहाँ भी जाते हैं, अच्छी फसलें बहुत प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होती हैं।
12 जंगल में चारागाह सुबह की ओस से गीली होती है,
ऐसा लगता है कि पहाड़ियाँ सुखद गाने गा रही हैं।
13 चराइयाँ भेड़ और बकरियों से ढकी हुई हैं,
और घाटियाँ अनाज से भरी हुई हैं;
ऐसा लगता है कि वे भी गाती हैं और आनन्द से जयजयकार करती हैं।
Chapter 66
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए एक भजन।
1 पृथ्वी पर सबको सुनाओ
कि उन्हें आनन्द से परमेश्वर की स्तुति करने के लिए गाना चाहिए!
2 उन्हें गीत गाना चाहिए जिनसे प्रकट होता है कि परमेश्वर बहुत महान हैं,
और उन्हें सबको बताना चाहिए कि वह बहुत गौरवशाली हैं!
3 उन्हें परमेश्वर से कहना चाहिए, “जो कार्य आप करते हैं वे बहुत ही अद्भुत हैं!
आपकी शक्ति बहुत महान हैं,
जिसके कारण आपके शत्रु आपकी चापलूसी करते हैं।”
4 पृथ्वी पर सब परमेश्वर की आराधना करेंगे,
उनकी स्तुति करने के लिए गाएँगे,
और उन्हें सम्मानित करेंगे।
5 आओ और परमेश्वर के कार्य के विषय में सोचो!
उन्होंने लोगों के बीच जो अद्भुत कार्य किए हैं, उनके विषय में सोचो।
6 उन्होंने समुद्र को सूखी भूमि बना दिया,
जिससे कि हमारे पूर्वज उस पर चलने में समर्थ थे।
वहाँ हमने उनके कार्यों के कारण आनन्द किया।
7 वह सदा ही अपनी शक्ति से शासन करते हैं,
और वह सब राष्ट्रों पर दृष्टि रखते हैं कि देख सकें वे क्या बुरी बातें करते हैं।
जो राष्ट्र उनके विरुद्ध विद्रोह करना चाहता हैं उन्हें घमण्ड नहीं करना चाहिए।
8 हे सब राष्ट्रों के लोगों, हमारे परमेश्वर की स्तुति करो!
ऊँचे शब्द से उनकी स्तुति करो कि लोग सुनें जब तुम उनकी स्तुति करते हो।
9 उन्होंने हमें जीवित रखा है,
और उन्होंने हमें विपत्तियों में पड़ने नहीं दिया है।
10 हे परमेश्वर, आपने हमें जाँचा है;
आपने हमारे जीवन को शुद्ध बनाने के लिए हमें बड़ी कठिनाइयों का अनुभव करवाया है
जैसे लोग बहुमूल्य धातु को गर्म आग में डाल कर जलाते हैं कि उसकी अशुद्धता निकल जाएँ।
11 ऐसा लगता है कि आपने हमें जाल में गिरने दिया है,
और आपने हमें उन कठिन बातों को सहन करने के लिए विवश किया जो हमारी पीठ पर भारी बोझ के समान थीं।
12 आपने हमारे शत्रुओं को हमें रौंदने दिया है;
हमें आग और बाढ़ के माध्यम से चलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा,
परन्तु अब आपने हमें सुरक्षित किया है।
13 मैं आपके भवन की भेंटों को लाऊँगा जो वेदी पर पूरी तरह जलाए जाएँगे;
मैं आपके लिए भेंट चढ़ाऊँगा जिसकी मैंने प्रतिज्ञा की है।
14 जब मुझे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा, तो मैंने कहा कि यदि आप मुझे बचाएँगे तो मैं आपको भेंट चढ़ाऊँगा;
और आपने मुझे बचाया, इसलिए मैंने जो भी प्रतिज्ञा की है, उसे मैं आपके पास लाऊँगा।
15 मैं वेदी पर जलाने के किए भेड़ों को लाऊँगा,
और मैं बैल और बकरियों को भी लाऊँगा;
जब वे जल रहे होंगे, और उनका धुआँ आप तक उठेगा।
16 हे सब लोगों जो परमेश्वर के प्रति आदरणीय सम्मान करते हो, आओ और सुनो,
और मैं तुमको बताऊँगा कि उन्होंने मेरे लिए क्या किया है।
17 मैंने उन्हें मेरी सहायता करने के लिए बुलाया,
और जब मैं उनसे बातें कर रहा था तब मैंने उनकी स्तुति की।
18 यदि मैंने अपने पापों को अनदेखा कर दिया होता,
तो परमेश्वर ने मुझ पर कोई ध्यान नहीं दिया होता।
19 परन्तु क्योंकि मैंने अपने पापों को मान लिया, इसलिए परमेश्वर ने मेरी बात सुनी है
और मेरी प्रार्थनाओं पर ध्यान दिया है।
20 मैं परमेश्वर की स्तुति करता हूँ
क्योंकि उन्होंने मेरी प्रार्थनाओं को अनसुना नहीं किया है;
वह मुझसे प्रेम करते रहते हैं उन्होंने अपनी वाचा में जैसी प्रतिज्ञा की है, वैसा ही प्रेम।
Chapter 67
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए एक भजन, तार वाले बाजों के साथ गाने के लिए।
1 हे परमेश्वर, हमारे प्रति दया के कार्य करें और हमें आशीष दें;
कृपया हमारे प्रति दया के कार्य करें।
2 ऐसा इसलिए करें कि संसार में सब जान लें कि आप उनसे क्या कराना चाहते हैं,
और सब राष्ट्रों के लोग यह जान सकें कि आप में उन्हें बचाने की शक्ति है।
3 हे परमेश्वर, मैं चाहता हूँ कि जातियाँ आपकी स्तुति करें;
मैं चाहता हूँ कि वे सब आपकी स्तुति करें!
4 मैं चाहता हूँ कि सब राष्ट्रों के लोग आनन्दित हों और आनन्द से गाएँ
क्योंकि आप सब जातियों का निष्पक्ष न्याय करते हैं,
और आप पृथ्वी के सब राष्ट्रों का मार्गदर्शन करते हैं।
5 हे परमेश्वर, मैं चाहता हूँ कि सब देशों के लोग आपकी स्तुति कर सकें;
मैं चाहता हूँ कि वे सब आपको धन्यवाद दें!
6 हमारी भूमि पर अच्छी फसल उगी हैं;
परमेश्वर, हमारे परमेश्वर ने हमें आशीष दिया है।
7 क्योंकि परमेश्वर ने हमें आशीष दिया है,
इसलिए मैं चाहता हूँ कि धरती पर हर जगह सब लोग उनका महान सम्मान कर सकें।
Chapter 68
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन।
1 हे परमेश्वर, उठें और अपने शत्रुओं को तितर-बितर करें,
और जो लोग आप से घृणा करते हैं उन्हें भगा दें।
2 जैसे हवा धुएँ को उड़ा देती है,
आप अपने शत्रुओं का पीछा करके उन्हें भगा दें।
जब मोम आग के पास होता है तो मोम पिघला जाता है,
उसी प्रकार आप दुष्ट लोगों को नष्ट कर दें।
3 परन्तु धर्मी लोग आनन्दित हों;
जब वे परमेश्वर की उपस्थिति में होते हैं तो वे आनन्दित हो सकें;
वे मगन और बहुत आनन्दित हो सकें।
4 परमेश्वर के लिए गीत गाओ; उनकी स्तुति करने के लिए भजन गाओ;
रेगिस्तानी मैदानों में सवारी करने वाले परमेश्वर के लिए एक गीत गाओ;
उनका नाम यहोवा है; जब तुम उनकी उपस्थिति में हों तो आनन्दित रहो।
5 परमेश्वर जो अपने पवित्र मन्दिर में रहते हैं, वह अनाथों के लिए एक पिता के समान हैं,
और वही विधवाओं की रक्षा करते हैं।
6 वह उन लोगों के लिए परिवार बसाते हैं जिनके साथ रहने के लिए कोई नहीं है।
वह बन्दियों को मुक्त करते हैं और उन्हें सफल होने में समर्थ बनाते हैं,
परन्तु जो लोग उनके विरुद्ध विद्रोह करेंगे उन्हें बहुत गर्म और सूखी भूमि में रहने के लिए विवश किया जाएगा।
7 हे परमेश्वर, आपने अपने लोगों को मिस्र से बाहर निकाला,
और फिर आप रेगिस्तान के मार्ग से उनके साथ चलें।
8 ऐसा करने के बाद,
जब आप अपने लोगों के सामने प्रकट हुए, तो सीनै पर्वत पर धरती हिल गई,
और आकाश से वर्षा हुई, और आपके लोगों ने आपकी आराधना की।
9 आपने जंगल में बहुत वर्षा भेजी,
और इस प्रकार आपने उस भूमि पर, जो आपने हम इस्राएलियों को दी अच्छी फसलों को उगाया।
10 आपके लोगों ने वहाँ घर बनाए;
क्योंकि आप उनके लिए अच्छे थे, आपने उन लोगों के लिए जो गरीब थे, भोजन दिया।
11 परमेश्वर ने यह सन्देश सुनाया,
और कई लोगों ने उनके सन्देश को अन्य स्थानों में पहुँचाया।
12-13 उन्होंने घोषणा की, “कई राजा और उनकी सेना हमारी सेना के सामने से भाग रहे हैं!”
जब हमारी सेना अपने घरों में उन वस्तुओं को लाई जिन्हें उन्होंने लूट लिया था,
तब घर में रहने वाली स्त्रियों ने अपने और अपने परिवारों के बीच उन वस्तुओं को बाँट लिया।
उन्हें कबूतरों की मूर्तियाँ मिलीं जिनके पंख चाँदी से ढके थे
और जिनके पंख शुद्ध पीले सोने से ढके गए थे। परन्तु कुछ लोग भेड़ों के साथ रहे और युद्ध में लड़ने के लिए नहीं गए। तुम क्यों नहीं गए?
14 जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने शत्रु राजाओं और उनकी सेनाओं को तितर-बितर कर दिया,
तो यह मुझे सल्मोन पर्वत की बर्फबारी की स्मरण दिलाता है!
15 बाशान पहाड़ियों में एक बहुत ऊँचा पर्वत है,
एक पर्वत जिसमें कई चोटियाँ हैं।
16 परन्तु जो लोग उस पर्वत के पास रहते हैं उन्हें उन लोगों से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए जो सिय्योन पर्वत के पास रहते हैं,
जिस पर्वत पर परमेश्वर ने निवास करने का निर्णय लिया है!
यहोवा सदा के लिए वहाँ रहेंगे!
17 हमें अपने सब शत्रुओं को पराजित करने के बाद,
ऐसा लगता था कि परमेश्वर हजारों रथों से घिरे हुए सीनै पर्वत से उतरे हैं
और यरूशलेम में पवित्र मन्दिर में आए।
18 वह पवित्र पर्वत पर चढ़ गए जहाँ उनका मन्दिर है
और वे अपने साथ कई लोगों को ले गए जो लड़ाई में पकड़े गए थे;
उन्हें उन शत्रुओं से उपहार प्राप्त हुए जिन्हें उन्होंने पराजित किया था।
उन्हें उन लोगों से भी उपहार प्राप्त हुए जिन्होंने उनके विरुद्ध विद्रोह किया था,
और यहोवा, हमारे परमेश्वर सदा के लिए वहाँ अपने पवित्र मन्दिर में रहेंगे।
19 यहोवा की स्तुति करो, जो हर दिन हमारे भारी बोझ को उठाने में हमारी सहायता करते हैं;
वही हैं जो हमें बचाते हैं।
20 हमारे परमेश्वर ही परमेश्वर हैं जो हमें बचाते हैं;
वह यहोवा हैं, हमारे प्रभु, जो हमें युद्धों में मरने से बचाते हैं।
21 परन्तु परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर तोड़ देंगे,
उन लोगों की लम्बी बालों वाली खोपड़ी जो पापपूर्ण व्यवहार करते रहते हैं।
22 यहोवा ने कहा, “मैं बाशान में मारे गए मेरे शत्रुओं की लाश वापस लाऊँगा,
और मैं उन लोगों को वापस लाऊँगा जो गहरे समुद्र में डूब कर मर गए।
23 मैं ऐसा करूँगा कि तुम अपने पाँवों को उनके खून में धो सको,
और तुम्हारे कुत्ते भी तुम्हारे शत्रुओं के रक्त को चाट सकते हैं।”
24 हे परमेश्वर, बहुत से लोग देखते हैं कि आप अपने पवित्र मन्दिर में विजयी के साथ आते हैं,
यह उत्सव मनाते हुए कि आपने अपने शत्रुओं को होरिया है।
आप राजा के समान आते हैं, और एक बड़ी भीड़ आपके साथ चलती है।
25 गायक सबसे आगे हैं, और जो लोग तारों वाले बाजे बजाते हैं वे पीछे की ओर हैं,
और युवा महिलाएँ जो अपने डफ बजा रही हैं, उनके बीच में हैं।
26 वे सब गा रहे हैं, “हे इस्राएली लोगों, जब तुम एक साथ इकट्ठे होते हो तो परमेश्वर की स्तुति करो;
हे याकूब के वंशजों, यहोवा की स्तुति करो!”
27 सबसे पहले बिन्यामीन के गोत्र के लोग आते हैं, जो सबसे छोटा गोत्र है,
और उनके पीछे यहूदा के गोत्र के अगुवे और उनके लोग आते हैं,
और उनके पीछे जबूलून और नप्ताली के गोत्रों के अगुवे आते हैं।
28 हे इस्राएल के लोगों, परमेश्वर ने हमारे गोत्रों को बहुत दृढ़ बना दिया है।
हे परमेश्वर, अपनी शक्ति से हमारी सहायता करें जैसे आपने अतीत में हमारी सहायता की थी।
29 यरूशलेम में अपने मन्दिर में हमें दिखाएँ कि आप शक्तिशाली हैं;
वहाँ राजा आपके लिए उपहार लाते हैं।
30 जब आप अपने शत्रुओं को पराजित करते हैं जैसे कि मिस्र के लोग, जो कि सरकण्डों के बीच में रहने वाले जंगली पशुओं के समान हैं, तब वे जयजयकार करें।
जब आप शक्तिशाली राष्ट्रों को पराजित करते हैं, जो बैलों के झुण्ड के समान हैं, तब वे जयजयकार करें।
उन्हें लज्जित करें; उन्हें झुकाएँ कि वे आपको उपहार दें।
उन लोगों के समूह को तितर-बितर करें जो अन्य देशों पर आक्रमण करना पसन्द करते हैं।
31 तब मिस्र के अगुवे आपके लिए उपहार लाएँगे।
तब इथियोपिया के लोग आपकी स्तुति करने के लिए अपने हाथ उठाएँगे।
32 हे संसार भर के साम्राज्यों के सब नागरिकों, परमेश्वर के लिए गाओ!
यहोवा की स्तुति गाओ!
33 परमेश्वर के लिए गाओ, जो आकाश में सवारी करते हैं,
उस आकाश पर जिसे उन्होंने बहुत पहले बनाया था।
जब वह शक्तिशाली आवाज़ के साथ पुकारते हैं, तो उनकी सुनो।
34 घोषणा करो कि परमेश्वर बहुत शक्तिशाली हैं;
वह राजा है जो इस्राएल पर शासन करते हैं,
और आकाश में भी वह यह दिखाते हैं कि वह शक्तिशाली हैं।
35 परमेश्वर जब अपने पवित्र मन्दिर से बाहर आते हैं, तब वह बहुत अद्भुत हैं;
वही परमेश्वर हैं जिनकी हम इस्राएली लोग आराधना करते हैं।
वह अपने लोगों को शक्ति और बल देते हैं।
परमेश्वर की स्तुति करो!
Chapter 69
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन।
1 हे परमेश्वर, मुझे बचाएँ
क्योंकि मैं बहुत खतरे में हूँ।
ऐसा लगता है जैसे बाढ़ का पानी मेरी गर्दन तक है, और मैं डूबने वाला हूँ।
2 मैं दलदल में डूब रहा हूँ,
और मेरे लिए खड़े होने के लिए कोई ठोस भूमि नहीं है।
मैं गहरे पानी में हूँ,
और बाढ़ का पानी मेरे चारों ओर बढ़ रहा है।
3 मैं सहायता के लिए पुकारते-पुकारते थक गया हूँ;
मेरा गला बहुत सूख गया है।
क्योंकि मैं बहुत रोया हूँ जब मैं परमेश्वर की सहायता के लिए प्रतीक्षा कर रहा था,
इसलिए मेरी आँखें आँसुओं के कारण सूज गई हैं।
4 जो मुझसे अकारण घृणा करते हैं,
वे मेरे सिर पर बालों की संख्या से अधिक हैं!
जो लोग मुझसे छुटकारा पाना चाहते हैं वे बलवन्त हैं,
और वे मेरे विषय में झूठ बोलते हैं।
वे माँग करते हैं कि मैं उन वस्तुओं को लौटा दूँ जिनकी मैंने चोरी नहीं की थी!
5 हे परमेश्वर, मैंने जो पाप किए हैं, उन्हें आप देखते हैं।
आप जानते हैं कि मैंने मूर्खतापूर्वक आपके नियमों का उल्लंघन किया है।
6 हे यहोवा परमेश्वर, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान,
मैंने जो गलत कार्य किया है उसके कारण
उन लोगों को निराश होने न दें जो आप पर भरोसा करते हैं।
हे परमेश्वर, जिनकी हम इस्राएली लोग आराधना करते हैं,
मुझे उनके लिए लज्जा का कारण होने न दें।
7 लोगों ने मुझे अपमानित किया है क्योंकि मैं आपको समर्पित हूँ।
उन्होंने मेरा बहुत अपमान किया है।
8 यहाँ तक कि मेरे बड़े भाई भी ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वे मुझे नहीं जानते;
वे मुझसे एक विदेशी का सा व्यवहार करते हैं।
9 कुछ लोगों ने आपके मन्दिर को तुच्छ जाना है;
परन्तु मैंने आपके मन्दिर को पवित्र रखने का प्रयास किया है, इसलिए लोगों ने मेरे लिए परेशानी उत्पन्न की है।
ऐसा लगता है कि जो लोग आपका अपमान कर रहे हैं वे भी मेरा अपमान कर रहे हैं।
10 जब मैंने स्वयं को नम्र किया और उपवास किया
कि आपके मन्दिर में किए गए अपमानजनक कार्यों के विषय में अपनी उदासी दिखाऊँ,
तो उससे मेरा अपमान ही हुआ है।
11 जब मैंने टाट का वस्त्र पहना, यह दिखाने के लिए कि मैं उदास हूँ,
वे मुझ पर हँसते हैं।
12 यहाँ तक कि शहर के वृद्ध भी मेरे विषय में बुरी बातें कहते हैं।
शहर के शराबी मेरे विषय में घृणित गीत गाते हैं।
13 परन्तु यहोवा, मैं आप से प्रार्थना करता रहूँगा।
अपने चुने हुए समय में, मुझे उत्तर दें और मुझे बचाएँ
क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं, जिसकी आपने प्रतिज्ञा की है।
14 मुझे दलदल में धँस जाने न दें।
उन लोगों से मुझे बचाएँ जो मुझसे घृणा करते हैं!
मुझे गहरे पानी से बाहर निकालें!
15 बाढ़ को मुझे चारों ओर से घेरने न दें;
दलदल को मुझे निगलने न दें;
मुझे मृत्यु के गड्ढे में डूबने से बचाएँ।
16 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना का उत्तर दें और मेरी सहायता करें
क्योंकि आप भले हैं
मैं आपके प्रेम पर निर्भर हो सकता हूँ।
आपने मुझे उतना दण्ड नहीं दिया है, जिसके मैं योग्य था।
मुझे पता है आप मेरी बात सुनेंगे!
17 अपने आपको मुझसे न छिपाएँ;
मुझे शीघ्र उत्तर दें
क्योंकि मैं बड़ी परेशानी में हूँ।
18 मेरे पास आएँ और मुझे बचाएँ;
मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँ।
19 आप जानते हैं कि मेरा अपमान हुआ है
और लोग मुझे लज्जित और अपमानित करते हैं;
आप जानते हैं कि मेरे शत्रु कौन हैं।
20 उनके अपमान ने मुझे गहरा दुख दिया है,
और मैं असहाय हूँ।
मैंने किसी ऐसे व्यक्ति की खोज की जो मुझ पर दया करे,
परन्तु कोई नहीं था।
मैं चाहता था कि कोई मुझे प्रोत्साहित करे,
परन्तु कोई नहीं था।
21 इसकी अपेक्षा, उन्होंने मुझे खाने के लिए जो भोजन दिया वह स्वाद में विष के समान लगा,
और जब मैं प्यासा था, उन्होंने मुझे पीने के लिए खट्टा दाखरस दिया।
22 मुझे आशा है कि उनका अपना भोजन उन्हें मार डालेगा;
मुझे आशा है कि ऐसा तब होगा जब वे सोचेंगे कि वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
23 मुझे आशा है कि उनकी आँखें मन्द हो जाएँगी जिसके कारण वे कुछ भी देख न सकेंगे
और उनकी पीठ कमजोर से और कमजोर हो जाएगी।
24 उन्हें दिखाएँ कि आप उनके साथ बहुत क्रोधित हैं!
अपने महान क्रोध के कारण, उनका पीछा करें और उन्हें पकड़ें।
25 उनके नगरों को उजाड़ दें;
उनके तम्बू में रहने के लिए कोई भी न हो।
26 ऐसा इसलिए करें कि वे उन लोगों को पीड़ित करते हैं जिन्हें आपने दण्ड दिया है,
वे देखते हैं कि जिन लोगों को आपने दण्ड दिया है, वे कैसे पीड़ित हैं, और वे दूसरों को इसके विषय में बताते हैं।
27 उनके सब पापों का लेखा रखें,
उन बुरे कार्यों के लिए उन्हें दण्ड देने में असफल न हों जो उन्होंने किए हैं।
28 उन पुस्तकों से उनके नाम मिटाएँ जिनमें अनन्त जीवन पाने वालों के नाम हैं;
उन्हें धर्मी लोगों की सूची में न रखें।
29 मुझे तो दर्द है और मैं पीड़ित हूँ।
हे परमेश्वर, मेरी रक्षा करें और मुझे बचाएँ।
30 जब परमेश्वर ऐसा करते हैं, और जब मैं परमेश्वर की स्तुति करता हूँ, तब मैं गाऊँगा,
और मैं उनको धन्यवाद दे कर उनका सम्मान करूँगा।
31 मेरा ऐसा करना, यहोवा को बैलों की बलि से अधिक प्रसन्न करेगा,
हष्ट-पुष्ट बैल की बलि चढ़ाने से अधिक।
32 पीड़ित लोग देखेंगे कि परमेश्वर ने मुझे बचा लिया है,
और वे आनन्दित होंगे।
मैं चाहता हूँ कि जो लोग उनकी सहायता करने के लिए परमेश्वर से अनुरोध करते हैं वे प्रोत्साहित हों।
33 यहोवा उन लोगों की सुनते हैं जो आवश्यकता में हैं;
वह उन लोगों को अनदेखा नहीं करते हैं जो उनके लिए पीड़ित होते हैं।
34 मैं चाहता हूँ कि सब परमेश्वर की स्तुति करें—
स्वर्ग और पृथ्वी पर और समुद्र में रहने वाले सब प्राणी।
35 परमेश्वर यरूशलेम के लोगों को उनके शत्रुओं से बचाएँगे,
और वह यहूदा के नगरों का पुनर्निर्माण करेंगे।
उनके लोग वहाँ फिर से रहेंगे और फिर उस भूमि पर अधिकार करेंगे।
36 उनके लोगों के वंशज इसके वारिस होंगे,
और जो लोग उनसे प्रेम करते हैं वे वहाँ सुरक्षित रहेंगे।
Chapter 70
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया दाऊद का एक भजन, दाऊद की सहायता करने के लिए परमेश्वर से निवेदन किया गया है।
1 हे परमेश्वर, कृपया मुझे बचाएँ!
हे यहोवा, मेरी सहायता करने के लिए शीघ्र आएँ!
2 उन लोगों को अपमानित करें जो मेरी परेशानियों से प्रसन्न होते हैं, जो मुझे मारने का प्रयास कर रहे हैं।
उनका पीछा करें; सब लोग उन्हें लज्जित करें, क्योंकि वे मुझे पीड़ित होता देखना चाहते हैं।
3 मैं आशा करता हूँ कि आप उन्हें निराश और लज्जित करेंगे
क्योंकि वे मेरी परेशानियों के विषय में प्रसन्न हैं।
4 परन्तु मुझे आशा है कि जो आप से प्रार्थना करते हैं वह आपके कारण प्रसन्न होंगे।
मुझे आशा है कि हर कोई जो उन्हें बचाने के लिए आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, वे कहेंगे,
“परमेश्वर महान हैं!”
5 मैं तो गरीब हूँ और आवश्यकता में घिरा हूँ;
इसलिए परमेश्वर, मेरी सहायता करने के लिए शीघ्र आएँ!
हे यहोवा, आप ही मुझे बचाते हैं और मेरी सहायता करते हैं,
इसलिए कृपया शीघ्र आएँ!
Chapter 71
1 हे यहोवा, मैं सुरक्षा के लिए आपके पास आया हूँ;
मुझे लज्जित होने न दें।
2 क्योंकि आप सदा वही करते हैं जो उचित हैं, इसलिए मेरी सहायता करें और मुझे बचाएँ;
मेरी बात सुनें, और मुझे बचाएँ!
3 मेरे लिए एक विशाल चट्टान के समान बनें जिसके ऊपर मैं सुरक्षित रह सकता हूँ;
मेरे लिए एक दृढ़ किले के समान हों जिसमें मैं सुरक्षित रहूँ।
आपने अपने स्वर्गदूतों को मुझे बचाने के लिए आदेश दिया है।
4 हे परमेश्वर, मुझे दुष्ट लोगों से बचाएँ,
अन्यायपूर्ण और बुरे पुरुषों की शक्ति से बचाएँ।
5 हे यहोवा, हे मेरे प्रभु, आप ही वह हैं जिनसे मैं विश्वास के साथ आशा करता हूँ कि आप मेरी सहायता करेंगे;
जब से मैं युवा था तब से मैंने आप पर भरोसा किया है।
6 मैं अपने पूरे जीवन आप पर निर्भर रहा हूँ;
जिस दिन मेरा जन्म हुआ था, उस दिन से आपने मेरा ध्यान रखा है,
इसलिए मैं सदा आपकी स्तुति करूँगा।
7 जिस प्रकार आपने मुझे बचाया है वह कई लोगों के लिए एक उदाहरण रहा है
क्योंकि वे देख सकते हैं कि आप मेरे सामर्थी रक्षक हैं।
8 मैं पूरे दिन आपकी स्तुति करता हूँ,
और मैं घोषणा करता हूँ कि आप गौरवशाली हैं।
9 अब जब मैं बूढ़ा हो गया हूँ, तो मुझे अस्वीकार न करें;
अब मुझे छोड़ न दें जब मैं अब दुर्बल हूँ।
10 मेरे शत्रु कहते हैं कि वे मुझे मारना चाहते हैं;
वे एक साथ बात करते हैं और योजना बनाते हैं कि वे ऐसा कैसे कर सकते हैं।
11 वे कहते हैं, “परमेश्वर ने उसे त्याग दिया है;
तो अब हम उसका पीछा कर सकते हैं और उसे पकड़ सकते हैं
क्योंकि कोई भी नहीं है जो उसे बचाएगा।”
12 हे परमेश्वर, मुझसे दूर न रहें;
मेरी सहायता करने के लिए शीघ्रता करें!
13 जो मुझ पर आरोप लगाते हैं, उन्हें पराजित और नष्ट करें;
वे लोग जो मुझे हानि पहुँचाना चाहते हैं, उन्हें लज्जित करें और अपमानित करें।
14 परन्तु, मैं आत्मविश्वास से सदा आशा करता हूँ कि आप मेरे लिए महान कार्य करेंगे,
और मैं आपकी अधिक से अधिक स्तुति करूँगा।
15 मैं लोगों को बताऊँगा कि आप जो सदैव उचित कार्य करते हैं;
दिन में मैं लोगों को बताऊँगा कि आपने मुझे कैसे बचाया है,
यद्दपि आपने जो कार्य किए हैं उन्हें समझने में मैं असमर्थ हूँ, क्योंकि वे बहुत अधिक हैं।
16 हे यहोवा, हे मेरे प्रभु, मैं आपके पराक्रमी कर्मों के लिए आपकी स्तुति करूँगा;
मैं घोषणा करूँगा कि केवल आप ही सदा न्याय के कार्य करते हैं।
17 हे परमेश्वर, जब से मैं युवा था, आपने मुझे बहुत बातें सिखाई हैं,
और मैं अभी भी लोगों को आपके अद्भुत कर्मों के विषय में बताता हूँ।
18 अब, हे परमेश्वर, जब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और मेरे बाल सफेद हैं,
मुझे छोड़ न दें।
मेरे साथ रहें जबकि मैं अपने बच्चों और नाती-पोतों में प्रचार करता हूँ।
19 हे परमेश्वर, आप कई धर्म के कार्य करते हैं;
ऐसा लगता है कि वे आकाश तक फैले हुए हैं।
आपने महान कार्य किए हैं;
आपके जैसा कोई नहीं है।
20 आपने हमें अनेक परेशानियाँ और बहुत पीड़ाएँ दीं हैं,
परन्तु आप हमें फिर से दृढ़ बनाएँगे;
जब मैं लगभग मर चुका हूँ, तो आप मुझे जीवित रखेंगे।
21 आप मेरे लिए सम्मानित होने का कारण बनेंगे,
और आप मुझे फिर से प्रोत्साहित करेंगे।
22 जब मैं अपनी वीणा बजाता हूँ, तब मैं आपकी स्तुति करूँगा;
मैं परमेश्वर की स्तुति करूँगा, क्योंकि आपने सच्चाई से वही किया है, जिसे करने की आपने प्रतिज्ञा की है।
हे पवित्र परमेश्वर जिनकी हम इस्राएली आराधना करते हैं, मैं आपकी स्तुति करने के लिए भजन गाऊँगा।
23 मैं गाते हुए आनन्द से चिल्लाऊँगा;
मैं अपने पूरे मन से गाऊँगा
क्योंकि आपने मुझे बचा लिया है।
24 दिन में मैं लोगों को बताऊँगा कि आप धर्म से कार्य करते हैं
क्योंकि जो लोग मुझे हानि पहुँचाना चाहते थे वे हार गए और अपमानित हो गए हैं।
Chapter 72
सुलैमान द्वारा लिखित एक भजन।
1 हे परमेश्वर, जिस राजा को आपने इस्राएल में नियुक्त किया है उसे न्याय करने के योग्य करें।
उसे दिखाएँ कि न्याय कैसे करना है
2 जिससे कि वह आपके लोगों का न्याय कर सके
और वह आपके पीड़ित लोगों को न्याय से नियंत्रित कर सके।
3 मैं चाहता हूँ कि पूरे देश में—पहाड़ियों और पर्वतों पर भी—
लोग शान्ति और धर्म से रहें।
4 गरीबों की रक्षा करने के लिए अपने राजा की सहायता करें
और आवश्यकता में पड़े लोगों को बचाने में और उन लोगों को पराजित करने के लिए सहायता करें, जो उन्हें दण्ड देते हैं।
5 मैं चाहता हूँ कि आपका राजा सदा के लिए जीवित रहे, जब तक सूर्य चमकता है,
और जब तक चँद्रमा चमकता है।
6 मैं चाहता हूँ कि उसके शासन का आनन्द लोग ले सकें
जैसे वे बढ़ती फसलों पर वर्षा का आनन्द लेते हैं,
जैसे वे भूमि पर गिरने वाले बौछार का आनन्द लेते हैं।
7 मुझे आशा है कि उसके शासन में लोग धार्मिक रूप से रह सकें
और जब तक चँद्रमा चमकता है तब तक लोग शान्तिपूर्वक और समृद्ध रह सकें।
8 मुझे आशा है कि इस्राएल का राजा लोगों पर शासन करे,
पूर्व में समुद्र से ले कर पश्चिम में दूसरे समुद्र तक के पूरे क्षेत्र में
और फरात नदी से पृथ्वी पर सबसे दूर के स्थानों तक शासन करे।
9 मुझे आशा है कि जो लोग जंगल में रहते हैं वे उसके सामने झुकें
और उसके शत्रु हमारे राजा के अधीन होकर उसके सामने भूमि पर गिर पड़ें।
10 मुझे आशा है कि तर्शीश देश के राजा और समुद्र के द्वीपों के राजा इस्राएल के राजा को कर का भुगतान करें।
मुझे आशा है कि दक्षिण में शेबा का राजा और दक्षिण-पश्चिम में सबा का राजा उसे उपहार दें।
11 मुझे आशा है कि संसार के अन्य सब राजा इस्राएल के राजा के सामने झुकें
और सब राष्ट्रों के लोग हमारे राजा की सेवा करें।
12 जब गरीब लोग सहायता के लिए रोते हैं तो वह उन्हें बचाता है,
और वह उन लोगों की सहायता करता है जो आवश्यकता में हैं और जिनके पास सहायता करने के लिए कोई नहीं है।
13 वह दुर्बलों और आवश्यकता में घिरे हुओं पर दया करता है;
वह लोगों के जीवन को बचाता है।
14 हमारा राजा लोगों को पीड़ित होने और उनके साथ क्रूरता से व्यवहार होने से बचाता है
क्योंकि उनके जीवन हमारे राजा के लिए बहुमूल्य हैं।
15 मुझे आशा है कि हमारा राजा लम्बे समय तक जीवित रहे!
मुझे आशा है कि उसे शेबा से सोना दिया जाए।
मैं चाहता हूँ कि लोग सदा हमारे राजा के लिए प्रार्थना करें
और दिन के हर समय उसकी प्रशंसा करें।
16 मुझे आशा है कि हर स्थान में खेत बहुत अनाज का उत्पादन करे, यहाँ तक कि उस देश में पहाड़ियों की चोटियों पर भी अनाज का उत्पादन हो, जहाँ वह शासन करता है,
उस अनाज के समान जो लबानोन की पहाड़ियों पर उगते हैं।
मुझे आशा है कि इस्राएल के शहर लोगों से भरे रहें
जैसे खेत घास से भरे हुए हैं।
17 मैं चाहता हूँ कि राजा का नाम कभी भुलाया न जाए।
मुझे आशा है कि जब तक सूर्य चमकता है तब तक लोग उसे स्मरण रखें।
मुझे आशा है कि सब लोग इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की स्तुति करें,
जैसे उन्होंने इस्राएल के राजा को आशीष दिया है।
18 यहोवा की स्तुति करें, जिनकी हम इस्राएली आराधना करते हैं;
केवल वही अद्भुत कार्य करते हैं।
19 उनकी सदा के लिए स्तुति करें!
मैं चाहता हूँ कि उनकी महिमा पूरे संसार को भर दें!
आमीन! ऐसा ही हो!
20 यह यिशै के पुत्र दाऊद के द्वारा लिखी गई प्रार्थनाओं का अन्त है।
Chapter 73
तीसरा भाग
आसाप द्वारा लिखित एक भजन
1 परमेश्वर वास्तव में हम इस्राएली लोगों के लिए भले हैं,
उन लोगों के लिए, जो अपने पूरे मन से उनकी इच्छा के अनुसार सब कुछ करना चाहते हैं।
2 मैंने लगभग परमेश्वर में भरोसा करना त्याग दिया था;
मैं उनके विरुद्ध एक बड़ा पाप करने का लगभग दोषी था
3 क्योंकि मैंने उन लोगों को देखा जो गर्व से कहते थे कि उन्हें परमेश्वर की आवश्यकता नहीं थी, और मैं उनके जैसे बनना चाहता था।
मैंने देखा कि भले ही वे दुष्ट थे फिर भी वे धनवान बन गए थे।
4 वे लोग बीमारी से पीड़ित नहीं हैं;
वे सदा बलवन्त और स्वस्थ होते हैं।
5 उन्हें अन्य लोगों के समान परेशानी नहीं है;
उन्हें समस्याएँ नहीं हैं जैसे अन्य लोगों को होती है।
6 इसलिए वे घमण्डी हैं, एक सुन्दर हार पहनी स्त्री के समान वे घमण्डी हैं।
वे अपने हिंसक कार्यों पर गर्व करते हैं जैसे कुछ लोग अपने सुन्दर वस्त्रों पर गर्व करते हैं।
7 उनके मन में बुरे कर्म उपजते हैं,
और अपने मन में वे सदा और अधिक बुराई करने के विषय में सोचते हैं।
8 वे अन्य लोगों का उपहास करते हैं, और वे उनके साथ बुराई करने के विषय में बात करते हैं;
वे घमण्ड करते हैं जबकि वे दूसरों का दमन करने की योजना बनाते हैं।
9 वे स्वर्ग के परमेश्वर के विषय में बुरी बातें कहते हैं,
और वे पृथ्वी पर किए गए उनके कार्यों के विषय में गर्व से बात करते हैं।
10 परिणाम यह है कि लोग उन पर ध्यान देते हैं
और वे जो कुछ भी कहते हैं उसे सुनते हैं।
11 दुष्ट लोग स्वयं से कहते हैं, “परमेश्वर निश्चित रूप से नहीं जानते हैं कि हमने क्या किया है;
लोग कहते हैं कि वह किसी अन्य देवता से महान हैं, परन्तु वह ढूँढ़ नहीं सकते हैं।”
12 दुष्ट लोग ऐसे ही हैं;
वे किसी भी बात के विषय में चिन्ता नहीं करते हैं, और वे सदा धनवान बन रहे हैं।
13 इसलिए, हे परमेश्वर, मुझे लगता है कि यह व्यर्थ है कि मैंने सदा वही किया है जो आप चाहते हैं
और यह व्यर्थ है कि मैंने पाप नहीं किए।
14 प्रतिदिन मुझे समस्याएँ होती हैं,
और हर सुबह आप मुझे दण्ड देते हैं।
15 परन्तु यदि मैंने इन बातों को दूसरों के सामने ऊँचे शब्द से कहा होता,
तो मैं आपके लोगों के विरुद्ध पाप कर रहा होता।
16 जब मैंने इन बातों के विषय में सोचने का प्रयास किया,
मेरे लिए उन्हें समझना बहुत कठिन था।
17 परन्तु जब मैं आपके मन्दिर गया, तो आपने मुझसे बात की,
और मैं समझ गया कि दुष्ट लोगों के मरने के बाद उनके साथ क्या होगा।
18 अब मुझे पता है कि आपने निश्चित रूप से उन्हें खतरनाक स्थानों में रखा है
जहाँ वे गिरेंगे और मर जाएँगे।
19 वे तुरन्त नष्ट हो जाएँगे;
वे भयानक रीति से मर जाएँगे।
20 जिस प्रकार जब कोई व्यक्ति सुबह को जागता है तो उसके स्वप्न मिट जाते हैं, उसी प्रकार वे शीघ्र ही मिट जाएँगे;
हे प्रभु, जब आप उठेंगे, तो आप उन्हें मिटा देंगे।
21 जब मैं अपने मन में दुखी था
और मेरी भावनाओं को चोट लगी थी,
22 मैं मूर्ख और अज्ञानी था,
और मैंने आपके प्रति पशु का सा व्यवहार किया।
23 परन्तु मैं सदा आपके निकट हूँ,
और आप मेरा हाथ पकड़ते हैं।
24 आप मुझे सिखा कर मेरा मार्गदर्शन करते हैं,
और मेरे जीवन के अन्त में, आप मुझे स्वीकार करेंगे और मुझे सम्मान देंगे।
25 आप स्वर्ग में हैं, और मैं आपका हूँ;
इस धरती पर कुछ भी नहीं है जो मैं इससे अधिक चाहता हूँ।
26 मेरा शरीर और मेरा मन बहुत दुर्बल हो सकता है,
परन्तु, हे परमेश्वर, आप मुझे बलवन्त होने में समर्थ बनाते हैं;
मैं सदा के लिए आपका हूँ।
27 जो लोग आप से दूर रहते हैं वे नष्ट हो जाएँगे;
आप उन लोगों से छुटकारा पाएँगे जो आपको त्याग देते हैं।
28 परन्तु मेरे लिए परमेश्वर के निकट होना
और यहोवा मेरे रक्षक होना
और दूसरों को घोषित करना कि जो उन्होंने मेरे लिए किया है, वह अद्भुत है।
Chapter 74
आसाप द्वारा लिखित एक भजन
1 परमेश्वर, आपने हमें क्यों छोड़ दिया है?
क्या आप सदा के लिए हमें अस्वीकार करेंगे?
आप हमारे साथ क्रोधित क्यों हैं
क्योंकि हम आपकी चारागाह में भेड़ों के समान हैं और आप हमारे चरवाहे के समान हैं?
2 अपने लोगों को न भूलें जिन्हें आपने बहुत पहले चुना था,
जिन लोगों को आपने मिस्र में दास होने से मुक्त करके अपनी जाति बना लिया।
यरूशलेम को न भूलें, जो इस धरती पर आपका घर है।
3 चलकर देखें कि सब कुछ पूरी तरह से नष्ट हो गया है;
हमारे शत्रुओं ने पवित्र मन्दिर में सब कुछ नष्ट कर दिया है।
4 आपके शत्रु इस पवित्रस्थान में जयजयकार कर रहे हैं;
उन्होंने अपने झण्डे लगाए कि यह दिखाया जा सके कि उन्होंने हमें पराजित किया है।
5 उन्होंने मन्दिर में खुदी हुई सब वस्तुओं को काट दिया जैसे लकड़हारे पेड़ों को काटते थे।
6 तब उन्होंने नक्काशीदार सब लकड़ियों को अपनी कुल्हाड़ियों और हथौड़ों से तोड़ दिया।
7 उन्होंने आपके पवित्रस्थान को जला दिया;
उन्होंने उस स्थान को जहाँ आपकी आराधना होती थी, लोगों की आराधना के लिए अयोग्य कर दिया है।
8 उन्होंने स्वयं से कहा, “हम पूरी तरह से इस्राएलियों को नष्ट कर देंगे,”
और उन्होंने उन सब स्थानों को भी जला दिया जहाँ हम आपकी आराधना करने के लिए एकत्र होते थे।
9 हमारे सब पवित्र प्रतीक नष्ट हो गए हैं;
अब कोई भविष्यद्वक्ता नहीं हैं,
और कोई भी नहीं जानता कि यह स्थिति कितनी देर तक रहेगी।
10 हे परमेश्वर, हमारे शत्रु कितने समय तक आपका उपहास करेंगे?
क्या वे आपका अपमान करेंगे?
11 आप हमारी सहायता करने से इन्कार क्यों करते हैं?
आप अपने शत्रुओं को नष्ट करने के लिए अपने हाथों का उपयोग करने की अपेक्षा अपने कपड़ों में क्यों रखते हैं?
12 हे परमेश्वर, हमारे मिस्र से निकलने के बाद सदा के लिए आप हमारे राजा रहे हैं,
और आपने हमें इस्राएल की भूमि में हमारे शत्रुओं को हराने के लिए समर्थ किया है।
13 अपनी शक्ति से आपने समुद्र को विभाजित कर दिया;
ऐसा लगता था कि आपने मिस्र के शासकों के सिर तोड़ दिए थे जो विशाल समुद्री अजगर के समान थे।
14 ऐसा लगता था कि आपने मिस्र के राजा के सिर को कुचल दिया था
और उसके शरीर को रेगिस्तान के पशुओं को खाने के लिए दिया।
15 आपने सोते और धाराओं को बहने का कारण बना दिया,
और आपने उन नदियों को भी सुखा दिया जो पहले कभी भी सूखी नहीं थी।
16 आपने दिन और रात बनाएँ,
और आपने सूर्य और चँद्रमा को उनके स्थानों में रखा है।
17 आपने निर्धारित किया कि महासागर कहाँ समाप्त होते हैं और भूमि का आरम्भ कहाँ से है,
और आपने ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु का निर्माण किया।
18 हे यहोवा, यह न भूलें कि आपके शत्रु आप पर हँसते हैं
और यह मूर्ख लोग हैं जो आपको तुच्छ मानते हैं।
19 अपने असहाय लोगों को उनके क्रूर शत्रुओं के हाथों में न छोड़ें;
अपने पीड़ित लोगों को न भूलें।
20 हमारे साथ बाँधी गई वाचा के विषय में सोचते रहें;
स्मरण रखें कि धरती पर हर अँधेरे स्थान पर हिंसक लोग हैं।
21 अपने पीड़ित लोगों को अपमानित न होने दें;
उन गरीब और आवश्यकता में घिरे लोगों की सहायता करें कि वे फिर से आपकी स्तुति कर सकें।
22 हे परमेश्वर, उठकर अपने लोगों की रक्षा करके स्वयं का बचाव करें!
यह न भूलें कि मूर्ख लोग दिन भर आप पर हँसते हैं!
23 न भूलें कि आपके शत्रु क्रोधित होकर आप पर चिल्लाते हैं;
जब वे आपका विरोध करते हैं, तब जो उथल-पुथल वे करते हैं उसका कोई अन्त नहीं है।
Chapter 75
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए आसाप द्वारा लिखित एक भजन, ‘नष्ट न करें’ की धुन का उपयोग करके गाया जाना चाहिए
1 हम आपको धन्यवाद देते हैं;
हमारे परमेश्वर, हम आपका धन्यवाद करते हैं।
आप हमारे निकट हैं,
और हम दूसरों को उन अद्भुत कार्यों का वर्णन करते हैं जो आपने हमारे लिए किए हैं।
2 आपने कहा है, “मैंने एक समय नियुक्त किया है जब मैं लोगों का न्याय करूँगा,
और मैं हर किसी का न्याय धर्म से करूँगा।
3 जब धरती हिलती है
और धरती के सब प्राणी काँपते हैं,
मैं ही उनकी नींव स्थिर रखता हूँ।
4 मैं उन लोगों से कहता हूँ जो घमण्ड करते हैं, ‘डींग मारना बन्द करो!’
और मैं दुष्ट लोगों से कहता हूँ, ‘यह दिखाने के लिए गर्व से कार्य न करो कि तुम कितने महान हो!’”
5 घमण्डी मत बनो,
और गर्व से बात मत करो!
6 जो व्यक्ति लोगों का न्याय करते हैं वे पूर्व या पश्चिम से नहीं आते हैं,
और वह रेगिस्तान से नहीं आते हैं।
7 परमेश्वर ही लोगों का न्याय करते हैं;
वह कुछ को लज्जित करते हैं और दण्ड देते हैं, और वह दूसरों को सम्मानित करते हैं।
8 ऐसा लगता है कि यहोवा ने अपने हाथ में एक कटोरा रखा था;
यह दाखरस से भरा हुआ है जिसमें मसाले मिलाए गए हैं कि उसे पीने वालों को नशा चढ़े;
और जब यहोवा इसे उण्डेलते हैं, तब वह सब दुष्ट लोगों को उसे पीने के लिए विवश करेंगे;
वे इसकी हर एक बूँद पीएँगे; हाँ, वह उन्हें पूरी तरह से दण्ड देंगे।
9 परन्तु मैं कभी वर्णन करना नहीं त्यागूँगा कि जिन परमेश्वर की याकूब आराधना करता था, उन्होंने क्या-क्या कार्य किए हैं;
मैं कभी भी उनकी स्तुति के गाने को बन्द नहीं करूँगा।
10 वह यह प्रतिज्ञा करते हैं: “मैं दुष्ट लोगों की शक्ति को नष्ट कर दूँगा,
परन्तु मैं धर्मी लोगों की शक्ति में वृद्धि करूँगा।”
Chapter 76
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए आसाप द्वारा लिखा गया एक भजन, जो तार वाले बाजों के साथ गाया जाए
1 परमेश्वर ने उन्हें जानने के लिए यहूदा में लोगों को अवसर दिया है;
इस्राएली लोग उनका सम्मान करते हैं।
2 यरूशलेम में वह रहते हैं;
वह सिय्योन पर्वत पर रहते हैं।
3 वहाँ उन्होंने जलते हुए तीरों को तोड़ दिया जो उनके शत्रुओं ने चलाए थे,
और उन्होंने उनकी ढाल और तलवारें और अन्य हथियारों को भी तोड़ दिया जो उन्होंने युद्ध में उपयोग किए थे।
4 हे परमेश्वर, आप शक्तिशाली हैं! आप एक महान राजा हैं
जब आप पर्वतों से लौटते हैं जहाँ आपने अपने शत्रुओं को होरिया था।
5 उनके वीर सैनिक मारे गए, और फिर उन लोगों को मार डालने वालों ने उन सब सैनिकों की वस्तुएँ ले लीं।
उन शत्रुओं की मृत्यु हो गई;
वास्तव में, उनमें से कोई भी अब और लड़ने में समर्थ नहीं थे।
6 जब परमेश्वर जिनकी याकूब ने आराधना की, आपने अपने शत्रुओं को दण्ड दिया,
उनके घोड़े और उनके सवार नीचे गिर कर मर गए।
7 वास्तव में, आपने सबको डरा दिया है।
जब आप क्रोधित होते हैं और आप लोगों को दण्ड देते हैं, तो कोई भी इसे सहन नहीं कर सकता है।
8 स्वर्ग से आपने घोषणा की कि आप लोगों का न्याय करेंगे,
और फिर पृथ्वी पर हर कोई डर गया और कुछ नहीं कहा
9 जब आप यह घोषणा करने के लिए उठे कि आप दुष्ट लोगों को दण्ड देंगे
और उन सबको बचाएँगे जिनका उन्होंने दमन किया था।
10 जब आप उन लोगों को दण्ड देते हैं जिनके साथ आप क्रोधित हैं, तो आपके लोग आपकी स्तुति करेंगे,
और आपके शत्रु जो जीवित होंगे, वे आपके पर्व के दिनों में आपकी आराधना करेंगे।
11 इसलिए महान यहोवा को वह भेंट चढ़ाओ जो तुमने उन्हें देने की प्रतिज्ञा की थी;
आस-पास के लोगों के समूहों के सब लोगों को भी उनके लिए, उपहार भेजना चाहिए।
12 वह अगुवों को नम्र करते हैं,
और राजाओं को डराते हैं।
Chapter 77
यदूतून नामक गायन मण्डली के निर्देशक के लिए आसाप द्वारा लिखित एक भजन
1 मैं परमेश्वर को पुकारूँगा;
मैं उन्हें ऊँचे शब्द से पुकारूँगा, और वह मेरी बात सुनेंगे।
2 जिस समय मुझे परेशानी थी, मैंने यहोवा से प्रार्थना की;
रात के समय मैंने अपने हाथों को उठा कर प्रार्थना की थी,
परन्तु मुझे किसी से भी विश्राम नहीं मिला।
3 जब मैंने परमेश्वर के विषय में सोचा, तो मैं निराश हुआ;
जब मैंने उनके विषय में ध्यान किया, तो मैं निराश हो गया।
4 रात में उन्होंने मुझे सोने से रोका;
मैं इतना चिन्तित था कि मुझे पता नहीं था कि क्या कहना है।
5 मैंने उन दिनों के विषय में सोचा जो बीत गए थे;
मुझे स्मरण आया कि पिछले वर्षों में क्या हुआ था।
6 मैंने सारी रात इन बातों के विषय में सोचने में बिताई;
मैंने ध्यान किया, और मैंने स्वयं से पूछा:
7 “क्या यहोवा सदा के लिए मुझे अस्वीकार कर देंगे?
क्या वह कभी मुझसे प्रसन्न नहीं होंगे?
8 क्या उन्होंने मुझसे सच्चा प्रेम करना छोड़ दिया है?
क्या वह मेरे लिए वह नहीं करेंगे जिसकी उन्होंने प्रतिज्ञा की है?
9 परमेश्वर ने मुझ पर दया के कार्य करने की प्रतिज्ञा की है; क्या वह इसे भूल गए हैं?
क्योंकि वह मुझसे क्रोधित हैं, इसलिए क्या उन्होंने मुझ पर दयालु न होने का निर्णय लिया है?”
10 मैंने कहा, “मेरे अत्याधिक दुखी होने का कारण यह है कि
ऐसा लगता है कि परमेश्वर, जो कि किसी अन्य देवता से महान हैं, अब हमारे लिए अपनी शक्ति का उपयोग नहीं कर रहे हैं।”
11 परन्तु हे यहोवा, मैं आपके महान कर्मों को स्मरण करता हूँ;
मुझे वे अद्भुत बातें स्मरण हैं जो आपने अतीत में की थीं।
12 जो कुछ आपने किया है मैं उस पर ध्यान करता हूँ,
और मैं आपके शक्तिशाली कार्यों के विषय में सोचता हूँ।
13 हे परमेश्वर, जो कुछ भी आप करते हैं वह अद्भुत है;
निश्चित रूप से कोई परमेश्वर नहीं है जो आपके जैसा महान है!
14 आप परमेश्वर हैं, जो चमत्कार करते हैं;
आपने कई लोगों के समूहों को दिखाया है कि आप शक्तिशाली हैं।
15 अपनी शक्ति से आपने अपने लोगों को मिस्र से बचा लिया;
आपने उन लोगों को बचाया जो याकूब और उसके पुत्र यूसुफ के वंशज थे।
16 ऐसा लगता था जैसे पानी ने आपको देखा और बहुत डर गया,
और यहाँ तक कि पानी के गहरे भाग काँप उठे।
17 बादलों से वर्षा हुई;
बहुत जोर से गर्जन का शब्द हुआ,
और बिजली सब दिशाओं में चमकी।
18 बवण्डर में गरजने का शब्द हुआ जो आपकी वाणी थी!
बिजली चमकी,
और पृथ्वी हिल गई।
19 तब आप समुद्र के माध्यम से चले
उस पथ से जिसे आपने गहरे पानी में बनाया था,
परन्तु आपके पाँवों के चिन्ह नहीं दिखाई दिए।
20 जब मूसा और हारून आपके लोगों के अगुवे थे,
आपने अपने लोगों का नेतृत्व किया जैसे एक चरवाहा भेड़ों के झुण्ड की अगुवाई करता है।
Chapter 78
आसाप द्वारा लिखित एक भजन
1 हे मेरे मित्रों, जो मैं तुम्हें सिखाने जा रहा हूँ उसे सुनो;
मैं जो कहूँगा उस पर सावधानीपूर्वक ध्यान दें।
2 मैं तुम्हें कुछ बातें बताने जा रहा हूँ जो बुद्धिमान लोगों ने कही हैं।
वे उन कार्यों के विषय में बताते हैं, जो बहुत पहले हुए थे,
वे बातें जिन्हें समझना कठिन था।
3 ये वह बातें हैं जिन्हें हमने पहले सुना और जान लिया है,
वे बातें जिन्हें हमारे माता-पिता और दादा-दादी ने हमें बताया था।
4 हम इन बातों को हमारी संतानों को बताएँगे,
परन्तु हम यहोवा की शक्ति और उसके द्वारा किए गए महान कार्यों के विषय में
अपने पोतों को भी बताएँगे।
5 उन्होंने इस्राएलियों को व्यवस्था और आज्ञाएँ दीं,
जो याकूब के वंशज हैं,
और उन्होंने हमारे पूर्वजों को इन्हें अपनी संतानों को सिखाने के लिए कहा।
6 उन्होंने यह आज्ञा इसलिए दी कि उनकी सन्तान भी उन्हें जान सकें
कि वे उन्हें अपनी सन्तानों को सिखा सकें।
7 इस प्रकार, वे भी परमेश्वर पर भरोसा रखेंगे
और उन कार्यों को नहीं भूलेंगे जो उन्होंने किए हैं;
इसके अतिरिक्त, वे उनके आदेशों का पालन करेंगे।
8 वे अपने पूर्वजों के समान नहीं होंगे,
जो बहुत हठीले थे और परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करते थे;
उन्होंने दृढ़ता से परमेश्वर में भरोसा नहीं रखा,
और उन्होंने केवल उनकी आराधना नहीं की।
9 एप्रैम के गोत्र के सैनिकों के पास धनुष और तीर थे,
परन्तु वे अपने शत्रुओं से लड़ने के दिन अपने शत्रुओं से दूर भाग गए।
10 उन्होंने वह नहीं किया जो उन्होंने परमेश्वर के साथ सहमति की थी कि वे करेंगे;
उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करने से मना कर दिया।
11 वे भूल गए कि उन्होंने क्या किया था;
वे उन चमत्कारों के विषय में भी भूल गए जो उन्होंने देखे थे।
12 जबकि हमारे पूर्वज देख रहे थे,
परमेश्वर ने मिस्र में सोअन शहर के आस-पास के क्षेत्र में चमत्कार किए।
13 फिर उन्होंने लाल सागर को विभाजित कर दिया,
जिससे पानी दीवार के समान दोनों ओर खड़ा हो गया,
परिणामस्वरूप हमारे पूर्वज उसके बीच से सूखी भूमि पर चले।
14 उन्होंने दिन के समय एक उज्ज्वल बादल से
और रात के समय एक प्रज्वलित रोशनी से उनका नेतृत्व किया।
15 उन्होंने जंगल में चट्टानों को विभाजित करके खोल दिया
और हमारे पूर्वजों को धरती की गहराई में से भरपूर पानी दिया।
16 उन्होंने चट्टान से पानी की एक धारा निकाली;
पानी एक नदी के समान बहा।
17 परन्तु हमारे पूर्वज परमेश्वर के विरुद्ध पाप करते रहे;
जंगल में उन्होंने उनके विरुद्ध विद्रोह किया जो किसी भी देवता से बड़े हैं।
18 यह माँग करके कि परमेश्वर उन्हें वह भोजन दें जो वे चाहते थे,
उन्होंने यह पता लगाने का प्रयास किया कि क्या वह सदा उन्हें वह देंगे जो वे उनसे माँगेंगे।
19 उन्होंने यह कहते हुए परमेश्वर का अपमान किया, “क्या परमेश्वर यहाँ इस रेगिस्तान में हमें भोजन दे सकते हैं?
20 यह सच है कि उन्होंने चट्टान पर मारा,
जिसके परिणामस्वरूप पानी निकल गया,
परन्तु क्या वह हमारे लिए, जो उनके लोग हैं, रोटी और माँस भी दे सकते हैं?”
21 जब यहोवा ने यह सुना, तो वह बहुत क्रोधित हो गए,
और उन्होंने कुछ इस्राएली लोगों को जलाने के लिए अपनी आग भेजी।
22 उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन लोगों ने उन पर भरोसा नहीं रखा था,
और उन्होंने विश्वास नहीं किया कि वह उन्हें छुड़ाएँगे।
23 परन्तु परमेश्वर ने आकाश से उनसे बातें की
और उसे द्वार के समान खुलने का आदेश दिया,
24 और फिर भोजन वर्षा के समान गिरा,
वह भोजन जिसे उन्होंने “मन्ना” नाम दिया।
परमेश्वर ने उन्हें स्वर्ग से अन्न दिया।
25 इस प्रकार लोगों ने स्वर्गदूतों का भोजन खाया,
और परमेश्वर ने उन्हें उतना मन्ना दिया जितना वे चाहते थे।
26 बाद में, उन्होंने हवा को पूर्व से चला दिया,
और अपनी शक्ति से उन्होंने दक्षिण से भी हवा भेजी,
27 और हवाएँ पक्षियों को लाई
जो समुद्र के किनारे रेत के कणों के समान असंख्य थे।
28 परमेश्वर ने उन पक्षियों को उनके छावनी के बीच में गिराया।
उनके तम्बू के चारों ओर पक्षी थे।
29 तब लोगों ने पक्षियों को पकाया और माँस खा लिया; उनके पेट भर गए थे
क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें वह दिया जो वे चाहते थे।
30 परन्तु उन्होंने अभी तक वह सब कुछ नहीं खाया था जो वे चाहते थे।
31 उस समय, परमेश्वर अब भी उनसे बहुत क्रोधित थे,
और उन्होंने उनके सबसे बलवन्त पुरुषों को मार डाला;
उन्होंने इस्राएली पुरुषों में से अच्छे युवाओं को नष्ट कर दिया।
32 इन सबके उपरान्त भी, लोग पाप करते रहे;
परमेश्वर के किए गए सब चमत्कारों के उपरान्त भी,
वे भरोसा नहीं करते थे कि वह उनकी सुधि लेंगे।
33 इसलिए उन्होंने उन्हें सम्पूर्ण जीवन भयभीत किया;
उन्होंने उन्हें युवा अवस्था में मार दिया।
34 जब परमेश्वर ने कुछ इस्राएलियों को मार डाला,
तब अन्य लोग पश्चाताप करने लगते थे;
वे क्षमा माँगते और बचने के लिए गम्भीरता से परमेश्वर से निवेदन करते थे।
35 वे स्मरण करते थे कि परमेश्वर एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर वे सुरक्षित होंगे,
और वह, जो अन्य देवताओं से बड़े हैं, वही उनकी रक्षा करते हैं।
36 परन्तु उन्होंने जो कुछ कहा, उसके द्वारा उन्होंने परमेश्वर को धोखा देने का प्रयास किया;
उनके शब्द भी झूठ थे।
37 वे लोग उनके प्रति निष्ठावान नहीं थे;
उन लोगों ने उस वाचा को अनदेखा किया जो उन्होंने उनके साथ बाँधी थी।
38 परन्तु परमेश्वर ने अपने लोगों के प्रति दया के कार्य किए।
उन्होंने उनके पापों को क्षमा कर दिया
और उन्हें नष्ट नहीं किया।
कई बार वह उन पर क्रोध करने से रुके रहे
और उन्हें दण्ड देने से स्वयं को रोक दिया।
39 उन्होंने स्मरण किया कि वे केवल मनुष्य हैं जो मर जाते हैं,
मनुष्य जो हवा के समान शीघ्र ही लोप हो जाते हैं जो बहती है और फिर चली जाती है।
40 कई बार हमारे पूर्वजों ने जंगल में परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया था
और उन्हें बहुत दुखी किया था।
41 कई बार उन्होंने यह जानने के लिए बुरे कार्य किये कि क्या वे उन कार्यों का परमेश्वर से दण्ड पाए बिना रह सकते हैं या नहीं।
उन्होंने बार-बार इस्राएल के पवित्र परमेश्वर को क्रोधित किया।
42 वे परमेश्वर की महान शक्ति के विषय में भूल गए,
और वे उस समय को भूल गए जब परमेश्वर ने उन्हें उनके शत्रुओं से बचाया था।
43 वे उस समय को भूल गए जब उन्होंने मिस्र में सोअन शहर के पास के क्षेत्र में
कई चमत्कार किए।
44 उन्होंने नील नदी को रक्त के समान लाल बना दिया
कि मिस्रियों के लिए पीने का पानी न हो।
45 उन्होंने मिस्र के लोगों के बीच में मक्खियों को भेजा जो उन्हें काटती थी,
और उन्होंने मेंढ़कों को भेजा जो सब कुछ खा गए।
46 उन्होंने उनकी फसलों और खेतों को
नष्ट करने के लिए टिड्डियाँ भेजीं।
47 उन्होंने ओले गिरा कर अँगूर की बेलों को नष्ट कर दिया,
और उन्होंने और ओले गिरा कर गूलर के पेड़ों को नष्ट कर दिया।
48 उन्होंने ओलों से उनके पशुओं को मार डाला
और बिजली से उनकी भेड़ों और गायों को मार डाला।
49 क्योंकि मिस्र के लोगों से परमेश्वर बहुत क्रोधित थे,
इसलिए उन्होंने उन्हें बहुत दुखी किया।
उन पर आने वाली विपत्तियाँ स्वर्गदूतों के समूह के समान थीं जो सब कुछ नष्ट कर देते थे।
50 उन्होंने उन पर अपने क्रोध को कम नहीं किया,
और उन्होंने उनके जीवन को नहीं छोड़ा;
उन्होंने एक मरी भेजी जिसने उनमें से कई लोगों को मार डाला।
51 उस मरी में उन्होंने मिस्र के सब लोगों के ज्येष्ठ पुत्रों को मार डाला।
52 फिर उन्होंने अपने लोगों को मिस्र से बाहर निकाला जैसे एक चरवाहा अपनी भेड़ों की अगुवाई करता है,
और जंगल के मार्ग से चलते समय उनकी अगुवाई की।
53 उन्होंने उनकी अगुवाई सुरक्षित रूप से की और उन्हें डर नहीं था,
परन्तु उनके शत्रु समुद्र में डूब गए थे।
54 बाद में वह उन्हें कनान, अपनी पवित्र भूमि में
सिय्योन पर्वत पर लाए,
और अपनी शक्ति से उन्होंने उन्हें वहाँ रहने वाले लोगों को जीतने में समर्थ किया।
55 उन्होंने इस्राएली लोगों के आगे बढ़ते समय वहाँ की जातियों को बाहर निकाल दिया;
उन्होंने प्रत्येक गोत्र को भूमि का एक भाग दिया,
और उन्होंने वहाँ के लोगों के घरों को इस्राएलियों को दे दिया।
56 हालाँकि, इस्राएलियों ने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया,
और उन्होंने यह देखने के लिए कई बुरे कार्य किये कि क्या वे उन कार्यों का परमेश्वर से दण्ड पाए बिना रह सकते हैं या नहीं;
उन्होंने उनके आदेशों का पालन नहीं किया।
57 इसके अतिरिक्त, जैसा उनके पूर्वजों ने किया था, उन्होंने भी परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया और वे उनके प्रति विश्वासयोग्य नहीं थे;
वे उस धनुष के समान अविश्वसनीय थे जो तीर चलाते समय टूट जाता है।
58 क्योंकि उन्होंने पहाड़ियों की चोटी पर देवताओं की गढ़ी हुई मूर्तियों की उपासना की,
उन्होंने परमेश्वर को क्रोधित होने का कारण दिया।
59 परमेश्वर ने देखा कि वे क्या कर रहे थे और बहुत क्रोधित हो गए,
तो उन्होंने इस्राएली लोगों का तिरस्कार कर दिया।
60 वह अब शीलो में उनके सामने प्रकट नहीं हुए
जहाँ वह पवित्र-तम्बू में उनके बीच रहते थे।
61 उन्होंने उनके शत्रुओं को पवित्र सन्दूक छीन लेने की अनुमति दी,
जो उनकी शक्ति और उनकी महिमा का प्रतीक था।
62 क्योंकि वह अपने लोगों से क्रोधित थे,
उन्होंने उनके शत्रुओं को उन्हें मारने की अनुमति दीं।
63 युद्ध में युवा पुरुष मारे गए,
इसका परिणाम यह हुआ कि उनकी युवा स्त्रियों से विवाह करने के लिए कोई नहीं था।
64 कई याजकों को उनके शत्रुओं की तलवार से मारा गया,
और लोगों ने याजकों की विधवाओं को शोक करने नहीं दिया।
65 बाद में, ऐसा लगा जैसे परमेश्वर नींद से जाग गए;
वह एक ऐसे शक्तिशाली व्यक्ति के समान थे जो क्रोधित हो गया हो क्योंकि उसने बहुत दाखरस पी ली थी।
66 उन्होंने उनके शत्रुओं को पीछे धकेल दिया
और उन्हें लम्बे समय तक बहुत लज्जित होना पड़ा
क्योंकि वे हार गए थे।
67 परन्तु उन्होंने अपना तम्बू वहाँ नहीं बनाया जहाँ एप्रैम के गोत्र के लोग रहते थे;
उन्होंने ऐसा करने के लिए उनके क्षेत्र का चयन नहीं किया।
68 इसके विपरीत उन्होंने उस क्षेत्र को चुना जहाँ यहूदा के गोत्र रहते थे;
उन्होंने सिय्योन पर्वत को चुना, जिससे वह प्रेम करते हैं।
69 उन्होंने अपने मन्दिर को स्वर्ग में अपने घर के समान ऊँचे पर बनाने का निर्णय लिया;
उन्होंने उसे पृथ्वी के समान दृढ़ किया,
और विचार किया कि उनका मन्दिर सदा के लिए स्थिर रहेगा।
70 उन्होंने दाऊद को चुना, जिसने सच्चाई से उनकी सेवा की,
और उसे चारागाहों से उठाया
71 जहाँ वह अपने पिता की भेड़ों की देखभाल कर रहा था,
और उसे इस्राएलियों का अगुवा नियुक्त किया,
वे लोग जो सदा परमेश्वर के लोग होंगे।
72 दाऊद ने इस्राएली लोगों की सच्चाई से और पूरे हृदय से देखभाल की,
और उसने कुशलतापूर्वक उनकी अगुवाई की।
Chapter 79
आसाप द्वारा लिखित एक भजन
1 हे परमेश्वर, अन्य लोगों के समूहों ने आपकी भूमि पर आक्रमण किया है।
उन्होंने आपके मन्दिर को अशुद्ध किया है,
और उन्होंने यरूशलेम में सब इमारतों को नष्ट कर दिया है।
2 आपके लोगों के शवों को जिन्हें उन्होंने मारा दफनाने की अपेक्षा,
उन्होंने गिद्धों को उन शवों का माँस खाने दिया,
और उन्होंने जंगली पशुओं को भी आपके लोगों के शव खाने दिया।
3 जब उन्होंने आपके लोगों को मार डाला,
तब यरूशलेम की सड़कों पर आपके लोगों का खून पानी के समान बहा,
और उनके शव को दफनाने के लिए लगभग कोई भी नहीं बचा था।
4 हमारी भूमि के आस-पास के देशों में रहने वाले लोगों के समूह हमें अपमानित करते हैं;
वे हमारे ऊपर हँसते हैं और हमारा उपहास करते हैं।
5 हे यहोवा, यह कब तक होता रहेगा?
क्या आप हमसे सदा क्रोधित रहेंगे?
क्या आपका क्रोध आपके भीतर जलने वाली आग के समान होगा?
6 हमसे क्रोधित होने की अपेक्षा,
उन लोगों के समूह से क्रोधित हों, जो आपको नहीं जानते हैं!
उन साम्राज्यों से क्रोधित हों जिनके लोग आप से प्रार्थना नहीं करते हैं
7 क्योंकि उन्होंने इस्राएली लोगों को मारा है
और उन्होंने आपके देश को उजाड़ दिया है।
8 हमारे पूर्वजों के किए हुए पापों के कारण हमें दण्ड न दें!
अब हमारे प्रति दया के कार्य करें
क्योंकि हम बहुत निराश हैं।
9 हे परमेश्वर, आपने हमें कई बार बचाया है,
इसलिए अब भी हमारी सहायता करें;
हमें बचाएँ और जो पाप किए हैं उनसे हमें क्षमा करें
कि अन्य लोग आपको सम्मानित करें।
10 यह सही नहीं है जो कि अन्य लोगों के समूह हमारे विषय में कहते हैं,
“यदि उनका परमेश्वर बहुत शक्तिशाली हैं, तो वह उनकी सहायता क्यों नहीं करते हैं?”
हमारा रक्त बहाने और हम में से कई लोगों को मार डालने के बदले में
अन्य देशों के लोगों को आप दण्ड दें, और उसे देखने की हमें अनुमति दें।
11 आपके लोग जब बन्दीगृह में रहते हुए पुकारें, तब उनकी सुनें,
और अपनी महान शक्ति से, उन लोगों को मुक्त करें जिन्हें हमारे शत्रु कहते हैं कि वे निश्चित ही मारे जाएँ।
12 उनके द्वारा आपको कई बार अपमानित करने के बदले में,
उन्हें सात गुणा अधिक दण्ड दें!
13 ऐसा करने के बाद, हम जिनकी आप एक चरवाहे के समान सुधि लेते हैं, आपकी स्तुति करते रहेंगे;
हम पीढ़ी से पीढ़ी तक आपकी स्तुति सदा करते रहेंगे।
Chapter 80
गाना बजाने वालों के निर्देशक के लिए आसाप द्वारा लिखा गया एक भजन जिसे ‘वाचा के लिली’ के धुन में गाना चाहिए
1 हे यहोवा, जैसे चरवाहा भेड़ों के झुण्ड की अगुवाई करता है, वैसे आप हमारी अगुवाई करते हैं,
आप जो आराधनालय में बहुत पवित्रस्थान में अपने सिंहासन पर पंख वाले प्राणियों पर विराजमान हैं,
आएँ और हम इस्राएली लोगों के लिए शक्तिशाली कार्य करें।
2 एप्रैम और बिन्यामीन और मनश्शे के गोत्रों के लोगों पर स्वयं को प्रकट करें!
हमें दिखाएँ कि आप शक्तिशाली हैं
और आकर हमें बचाएँ।
3 हे परमेश्वर, हमारे देश को पहले के समान फिर से दृढ़ बना दें;
कृपया हम पर दया करें कि हम अपने शत्रुओं से बच सकें।
4 हे यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के सेनापति,
जब हम आप से प्रार्थना करते हैं, तो आप हमसे कितने समय क्रोधित रहेंगे?
5 ऐसा लगता है कि आपने हमें खाने और पीने के लिए केवल एक ही वस्तु दी है और वह हमारे आँसुओं से भरा हुआ कटोरा है।
6 आपने हमारे आस-पास के लोगों के समूह को एक दूसरे के साथ विचार करने योग्य किया है कि यह निर्णय ले सके कि हमारी भूमि का कौन सा भाग किसको मिलेगा;
वे हम पर हँसते हैं।
7 हे परमेश्वर, स्वर्गदूतों की सेनाओं के सेनापति,
हमारे देश को पहले के समान फिर से दृढ़ बना दें!
कृपया हमारे प्रति दया के कार्य करें कि हम बचाए जा सकें!
8 हमारे पूर्वज एक दाखलता के समान थे जिसे आप मिस्र से बाहर लाए थे;
आपने इस भूमि से अन्य लोगों के समूहों को बाहर निकाला,
और आपने अपने लोगों को उनकी भूमि में रखा।
9 जैसे लोग अँगूर लगाने के लिए भूमि तैयार करते हैं,
आपने उन लोगों को बाहर कर दिया जो इस देश में रहते थे, कि हम यहाँ रह सकें।
जैसे एक अँगूर की जड़ें भूमि में गहरी हो जाती हैं और फैलती हैं,
वैसे ही आपने हमारे पूर्वजों को समृद्ध होने और इस देश के नगरों में रहने में सक्षम किया।
10 जैसे विशाल अँगूर पहाड़ियों को उनकी छाया से ढकते हैं
और क्योंकि उनकी शाखाएँ बड़े देवदार के पेड़ों से भी लम्बी हैं,
11 आपके लोगों ने पश्चिम में भूमध्य सागर से ले कर पूर्व में फरात नदी तक पूरे कनान में शासन किया।
12 तो आपने हमें क्यों त्याग दिया है
और हमारे शत्रुओं को हमारी दीवारें तोड़ने दीं?
आप किसी ऐसे व्यक्ति के समान हैं जो अपनी दाख की बारी के चारों ओर बाड़ को तोड़ता है,
कि सब लोग जो वहाँ से यात्रा करते हैं अँगूर चुरा सकें;
13 और जंगली सूअर दाखलताओं को कुचल सकें,
और जंगली पशु भी अँगूरों को खाएँ।
14 हे स्वर्गदूतों की सेनाओं के सेनापति, हमारी ओर फिरें!
स्वर्ग से नीचे दृष्टि करके देखें कि हमारे साथ क्या हो रहा है!
आकर हमें बचाएँ जो आपकी दाखलता के समान हैं,
15 जो युवा दाखलता के समान हैं जिसे आपने लगाया और वह बढ़ने लगी!
16 हमारे शत्रुओं ने हमारी भूमि में सब कुछ तोड़ा और जला दिया है;
उन्हें क्रोध से देखें और उनसे छुटकारा पाएँ!
17 परन्तु हम लोगों को दृढ़ करें, जिन्हें आपने चुना है,
हम इस्राएली लोगों को, जिन्हें आपने पहले बहुत शक्तिशाली बनाया था।
18 जब आप ऐसा करें तो, हम कभी भी आप से दूर नहीं होंगे;
हमें पुनर्जीवित करें, तब हम आपकी स्तुति करेंगे।
19 हे यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के सेनापति, हमारा उद्धार करें;
कृपया हमारे प्रति दया के कार्य करें और हमें हमारे शत्रुओं से बचाएँ।
Chapter 81
गायन मण्डली के निर्देशक के लिए आसाप द्वारा लिखित एक भजन
1 परमेश्वर की स्तुति करने के लिए गीत गाओ, जो हमें अपने शत्रुओं से लड़ने के लिए शक्तिशाली बनाते हैं;
परमेश्वर के लिए आनन्द से चिल्लाओ, जिनकी हम, याकूब के वंशज आराधना करते हैं!
2 संगीत बजाना आरम्भ करो, और डफ बजाओ;
वीणा और सारंगी पर अच्छा संगीत बजाओ।
3 प्रत्येक नए चँद्रमा का उत्सव मनाने के पर्व के समय तुरही फूँको,
प्रत्येक पूर्ण चँद्रमा के दिन, और हमारे अन्य पर्वों के समय तुरही फूँको।
4 ऐसा करो क्योंकि यह हम इस्राएली लोगों के लिए एक नियम है;
यह एक आज्ञा है जिसे परमेश्वर ने याकूब के वंशजों को दी थी।
5 उन्होंने उस समय इसे एक नियम बना दिया जब परमेश्वर ने यूसुफ के वंशजों को मिस्र देश से बाहर निकला था।
मैंने एक वाणी सुनी जिसे मैंने पहचाना नहीं, और कहा:
6 “मिस्र के शासकों ने तुम इस्राएलियों को दासों के रूप में कार्य करने के लिए विवश किया,
मैंने उन भारी बोझों को तुम्हारी पीठ पर से उतार दिया है,
और मैंने तुमको ईंटों के भारी टोकरियों को जिन्हें तुम उठाते थे, छोड़ने में सक्षम किया है।
7 जब तुम बहुत दुखी थे, तुमने मुझे पुकारा, और मैंने तुम्हें बचा लिया;
मैंने गरजते बादल में से तुम्हें उत्तर दिया।
बाद में मैंने परीक्षा की कि क्या तुम मुझ पर भरोसा रखोगे, कि मैं रेगिस्तान में मरीबा में तुम्हें पानी दे सकता हूँ।
8 तुम मेरे लोग हो, सुनो, मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ!
मैं चाहता हूँ कि तुम इस्राएली लोग मैं तुमसे जो कहता हूँ उस पर ध्यान दो!
9 तुम्हारे बीच अन्य देवताओं की कोई मूर्ति नहीं होनी चाहिए;
तुम्हें कभी भी उनमें से किसी की पूजा करने के लिए झुकना नहीं चाहिए!
10 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ;
उन देवताओं में से कोई तुम्हें मिस्र से बाहर नहीं लाया था;
मैं वह हूँ जिसने ऐसा किया!
इसलिए मुझसे विनती करो तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए करूँ और मैं वह करूँगा।
11 परन्तु मेरे लोग मेरी बात नहीं सुनते;
वे मेरी आज्ञा का पालन नहीं करेंगे।
12 इसलिए क्योंकि वे बहुत हठीले थे,
मैंने उन्हें उनकी इच्छा के अनुसार करने की अनुमति दी।
13 मेरी इच्छा है कि मेरे लोग मेरी बात सुनें,
कि इस्राएली लोग जैसा मैं चाहता हूँ, वैसा व्यवहार करें।
14 यदि उन्होंने ऐसा किया, तो मैं शीघ्र ही उनके शत्रुओं को पराजित करूँगा;
मैं उन लोगों को मार डालूँगा जो उनको दुख दे रहे हैं।
15 तब जो लोग मुझसे घृणा करते हैं वे मेरे सामने दण्डवत् करेंगे,
और फिर मैं उन्हें सदा के लिए दण्ड दूँगा।
16 परन्तु मैं तुम इस्राएली लोगों को बहुत अच्छा गेहूँ दूँगा,
और मैं तुम्हारे पेट को जंगली शहद से भर दूँगा।”
Chapter 82
आसाप द्वारा लिखित एक भजन
1 परमेश्वर स्वर्ग में उन सब आत्माओं की बैठक में खड़े हैं, जिन्हें उन्होंने अपनी सृष्टि के ऊपर अधिकार दिया है।
वह उन्हें बताते हैं कि उन्होंने यह निर्णय लिया है:
2 “तुम लोगों को अनुचित ढंग से न्याय करना बन्द कर देना चाहिए;
तुम्हें अब ऐसे निर्णय नहीं लेने चाहिए जो दुष्ट लोगों के पक्ष में हों!
3 तुम्हें उन लोगों की रक्षा करनी चाहिए जो गरीब और अनाथ हैं;
तुम्हें उन लोगों के लिए न्यायपूर्ण कार्य करना चाहिए जो दीन-गरीब हैं और जिनके पास उनकी सहायता करने के लिए कोई नहीं है।
4 दुष्ट लोगों की शक्ति से उन्हें बचाओ।”
5 वे शासक कुछ भी नहीं जानते या समझते हैं!
वे बहुत भ्रष्ट हैं,
और उनके भ्रष्ट व्यवहार के कारण,
ऐसा लगता है कि पृथ्वी की नींव हिल रही है!
6 मैंने पहले उनसे कहा था, “तुम सोचते हो कि तुम ईश्वर हो!
ऐसा लगता है जैसे कि तुम सब मेरे पुत्र हो,
7 परन्तु जैसे लोग मरते हैं, तुम भी मरोगे;
तुम्हारा जीवन समाप्त हो जाएगा जैसे सब शासकों के जीवन समाप्त हो जाते हैं।”
8 हे परमेश्वर, उठें और पृथ्वी पर सबका न्याय करें
क्योंकि सब लोगों के समूह आपके हैं!
Chapter 83
एक भजन जो आसाप द्वारा लिखित एक गीत है
1 हे परमेश्वर, चुप न रहें!
चुप न रहें और शान्त न रहें
2 क्योंकि आपके शत्रु आपके विरुद्ध उपद्रव कर रहे हैं;
जो आप से घृणा करते हैं वे आपके विरुद्ध विद्रोह कर रहे हैं!
3 वे गुप्त रूप से हमें अर्थात् आपके लोगों को हानि पहुँचाने की योजना बना रहे हैं;
जिन लोगों की आप रक्षा करते हैं उनके विरुद्ध वे षड्यन्त्र कर रहे हैं।
4 वे कहते हैं, “आओ, हमें उनके देश को नष्ट करना होगा
कि कोई भी स्मरण न रख सके कि इस्राएल कभी अस्तित्व में था!”
5 वे इस बात पर सहमत हुए हैं कि उन्हें इस्राएल को नष्ट करने के लिए क्या करना चाहिए,
और वे आप पर आक्रमण करने के लिए सहमत हुए हैं।
6 आपके शत्रु वे लोग हैं जो एदोम के तम्बुओं में रहते हैं—
इश्माएली, मोआबी और हग्री लोग, एक साथ मिलकर कार्य करते हैं 7 गबाली, अम्मोनी, अमालेकी लोग,
और पलिश्ती, और सोर शहर के लोग।
8 अश्शूर के लोग उनसे जुड़ गए हैं;
वे मोआब और अम्मोन लोगों के समूह के शक्तिशाली सहयोगी हैं, जो अब्राहम के भतीजे लूत के वंशज हैं।
9 हे परमेश्वर, उन लोगों के साथ वैसा ही करें जैसा आपने मिद्यानियों के साथ किया था,
जैसा कि आपने कीशोन नदी पर सीसरा और याबीन के साथ किया था।
10 आपने उन्हें एनदोर शहर में नष्ट कर दिया,
और उनकी लाश भूमि पर पड़े-पड़े सड़ गई।
11 उन लोगों के साथ वैसा ही करें जैसा राजा ओरेब और जेब के साथ किया था;
उनके अगुओं को पराजित जैसे आपने जेबह और सलमुन्ना को किया था,
12 जिन्होंने कहा, “हम अपने लिए वह भूमि ले लेंगे जो इस्राएली कहते हैं की उनके परमेश्वर की है!”
13 हे मेरे परमेश्वर, उन्हें बवण्डर की धूल के समान शीघ्र उड़ा दें,
जैसे भूसी हवा से उड़ जाती हैं!
14 जैसे आग जंगल को पूरा जला देती है
और जैसे पर्वतों में आग लगती है,
15 उन्हें अपने तूफान से बाहर निकाल दें
और उन्हें अपने बड़े तूफान से डराएँ!
16 उन्हें बहुत लज्जित करें
कि वे स्वीकार करें कि आप बहुत शक्तिशाली हैं।
17 उन्हें सदा के लिए अपमानित होने दें क्योंकि वे पराजित किए गए है,
और उन्हें अपमान के कारण मरने दें।
18 क्योंकि उन्हें यह जानने दें कि आप जिनका नाम यहोवा है,
पृथ्वी पर जो कुछ भी है उस पर सर्वोच्च शासक हैं।
Chapter 84
गाना बजाने वालों के निर्देशक के लिए कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान,
आपका मन्दिर बहुत सुन्दर है!
2 मैं वहाँ रहना चाहता हूँ;
हे यहोवा, मैं इसे बहुत चाहता हूँ।
मैं अपने मन से शक्तिशाली परमेश्वर के लिए आनन्द से गाता हूँ।
3 यहाँ तक कि गौरैया और शूपाबेनी ने भी आपके भवन के पास घोंसले बनाए हैं;
वे वेदियों के पास अपने छोटे बच्चों को सम्भाल कर रखते हैं जहाँ लोग आपके लिए बलिदान चढ़ाते हैं,
हे स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, हे मेरे राजा और मेरे परमेश्वर।
4 कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो सदा आपके मन्दिर में रहते हैं,
वे निरन्तर आपकी स्तुति करने के लिए गाते हैं।
5 कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जिन्हें आप दृढ़ करते हैं,
जो लोग सिय्योन पर्वत पर यात्रा करने की बहुत इच्छा रखते हैं।
6 जबकि वे आँसुओं की सूखी घाटी से यात्रा करते हैं,
आप इसे ऐसा स्थान बनाते हैं जैसे पानी के झरने होते हैं,
जहाँ शरद ऋतु में वर्षा घाटी को पानी से भरती है, जो आपकी ओर से आशीष है।
7 परिणामस्वरूप, जो लोग वहाँ से यात्रा करते हैं वे बलवन्त हो जाते हैं
यह जान कर कि वे सिय्योन पर्वत पर आपकी उपस्थिति में दिखाई देंगे।
8 हे यहोवा, स्वर्गदूतों के सेना के सेनापति, मेरी प्रार्थना सुनें;
हे परमेश्वर, जिनकी हम याकूब के वंशज आराधना करते हैं, सुनें कि जो मैं कह रहा हूँ!
9 हे परमेश्वर, कृपया हमारे राजा के प्रति दया के कार्य करें, जो हमारी रक्षा करता हैं,
जिसे आपने हम पर शासन करने के लिए चुना है।
10 मेरे लिए आपके मन्दिर में एक दिन बिताना
कहीं और हजारों दिन बिताने से उत्तम है;
भीतर जाने के लिए आपके मन्दिर के प्रवेश द्वार पर तैयार खड़ा होना,
उन तम्बुओं में रहने से उत्तम है जहाँ दुष्ट लोग रहते हैं।
11 यहोवा हमारे परमेश्वर, सूरज के समान हैं जो हमारे ऊपर चमकते हैं और ढाल के समान हैं जो हमारी रक्षा करते हैं;
वह हमारे प्रति कृपापूर्वक कार्य करते हैं और हमें सम्मान देते हैं।
यहोवा उन लोगों को कोई भली वस्तु देने से मना नहीं करते हैं जो उचित कार्य करते हैं।
12 हे यहोवा, स्वर्गदूतों के सेना के सेनापति,
कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो आप पर भरोसा रखते हैं!
Chapter 85
गाना बजाने वालों के निर्देशक के लिए कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, आपने हमारे लोगों के प्रति जो इस देश में रहते हैं दया का कार्य किया है;
आपने हम इस्राएली लोगों को फिर से समृद्ध होने के योग्य किया है।
2 आपने हमारे पापों के लिए हमें, आपके लोगों को, क्षमा किया है;
आपने हमें हमारे सब पापों के लिए क्षमा कर दिया।
3 आपने हमसे क्रोधित होना त्याग दिया है
और हमें गम्भीर रूप से दण्ड देने से दूर हो गए हो।
4 अब, एकमात्र परमेश्वर, जो हमें बचा सकते हैं, हमसे क्रोधित न रहें
और हमारी सहायता करें।
5 क्या आप सदा हमसे क्रोधित रहेंगे?
6 कृपया हमें फिर से समृद्ध होने के योग्य बनाएँ
कि हम आपके लोग, जो कुछ भी आपने हमारे लिए किया हैं, उसके विषय में आनन्द करें।
7 हे यहोवा, हमें हमारी परेशानियों से बचा कर
हमें दिखाएँ कि आप हमसे सच्चा प्रेम करते हैं।
8 मैं सुनना चाहता हूँ कि हमारे परमेश्वर यहोवा क्या कहते हैं
क्योंकि वह प्रतिज्ञा करते हैं कि हमें, उनके लोगों को शान्तिपूर्वक रहने योग्य करेंगे
यदि हम मूर्खता के कार्यों को करने के लिए वापस नहीं जाते हैं।
9 वह निश्चित रूप से उन लोगों को बचाने के लिए तैयार है जो उनका बड़ा सम्मान करते हैं,
कि उनकी महिमा हमारी भूमि में बनी रहे।
10 जब ऐसा होता है, तब वह हमसे सच्चा प्रेम करेंगे और हमारे लिए वही करेंगे जिसकी उन्होंने प्रतिज्ञा की है;
हम धर्म के कार्य करेंगे, और वह हमें शान्ति देंगे,
जो एक चुम्बन के समान होगा जो वह हमें देते हैं।
11 धरती पर, हम परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहेंगे,
और स्वर्ग से, परमेश्वर हमारा न्याय करेंगे।
12 हाँ, यहोवा हमारे लिए अच्छे कार्य करेंगे,
और हमारी भूमि में बहुत बड़ी उपज होगी।
13 यहोवा सदा धार्मिकता से कार्य करते हैं;
वह जहाँ भी जाते हैं वहाँ वह धार्मिकता से कार्य करते हैं।
Chapter 86
दाऊद द्वारा लिखी गई एक प्रार्थना
1 हे यहोवा, मेरी बात सुनें और मुझे उत्तर दें
क्योंकि मैं दुर्बल और आवश्यकता में घिरा हूँ।
2 मुझे मरने से रोकें क्योंकि मैं आपके प्रति सच्चा हूँ;
हे मेरे परमेश्वर, मुझे बचाएँ क्योंकि मैं आपकी सेवा करता हूँ और मैं आप पर भरोसा रखता हूँ।
3 हे परमेश्वर, कृपया मेरे प्रति दया के कार्य करें
क्योंकि मैं दिन भर आपको पुकारता हूँ।
4 हे प्रभु, मुझे आनन्दित करें,
क्योंकि मैं आप से प्रार्थना करता हूँ।
5 हे प्रभु, आप हमारे लिए भले हैं, और आप हमें क्षमा करते हैं;
आप उन सबसे सच्चा प्रेम करते हैं जो आप से प्रार्थना करते हैं।
6 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुनें;
मुझे सुनें जब मैं आपकी सहायता के लिए रोता हूँ।
7 जब मुझे कोई दुख होता है, तो मैं आपको बुलाता हूँ
क्योंकि आप मुझे उत्तर देते हैं।
8 हे प्रभु, उन सब देवताओं में से, जिनकी अन्य जाति के लोग उपासना करते हैं,
आपके जैसा कोई नहीं है;
उनमें से एक ने भी आपके द्वारा किये गए महान कार्यों के समान कुछ नहीं किया है।
9 हे प्रभु, एक दिन हर जाति के लोग जिनको आपने बनाया है, आपके पास आएँगे और आपके सामने झुकेंगे,
और वे आपकी स्तुति करेंगे।
10 आप महान हैं, और आप अद्भुत कार्य करते हैं;
केवल आप ही परमेश्वर हैं।
11 हे यहोवा, मुझे सिखाएँ कि आप मुझसे क्या कराना चाहते हैं
कि मैं आपके कहने के अनुसार अपने जीवन का संचालन कर सकूँ, जो उचित है।
मुझे अपने सम्पूर्ण मन से आपका महान सम्मान करने योग्य बना दें।
12 हे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर, मैं अपने पूरे मन से आपका धन्यवाद करूँगा,
और मैं सदा के लिए आपकी स्तुति करूँगा।
13 आपने मुझसे बहुत प्रेम किया है जैसी आपने प्रतिज्ञा की है;
आपने मुझे मरने से और उस स्थान पर जाने से रोक दिया है जहाँ मृतक लोग हैं।
14 परन्तु परमेश्वर, अभिमानी लोग मुझ पर आक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं;
क्रूर पुरुषों का झुण्ड मुझे मारना चाहता है;
वे ऐसे पुरुष हैं जो आपका सम्मान नहीं करते हैं।
15 परन्तु परमेश्वर, आप सदा दया से और कृपापूर्वक कार्य करते हैं;
आप शीघ्र क्रोधित नहीं होते हैं;
आप सच्चाई से हमें बहुत प्रेम करते हैं
और हमारे लिए सदा वह करते हैं जिसकी आपने प्रतिज्ञा की है।
16 मेरी ओर देखें और मुझ पर दया करें;
मुझे, जो अपनी माँ के समान सच्चाई से आपकी सेवा करता हूँ,
मुझे बलवन्त बनाएँ और मुझे बचाएँ।
17 हे यहोवा, मुझ पर अपनी भलाई प्रकट करने के लिए कुछ करें
कि जो मुझसे घृणा करते हैं, वे देखें कि आपने मुझे प्रोत्साहित किया है और मेरी सहायता की है;
परिणामस्वरूप वे लज्जित होंगे।
Chapter 87
कोरह के वंशजों में से एक के द्वारा लिखित एक भजन
1 शहर उनके पवित्र पर्वत पर स्थापित है।
2 यहोवा इस्राएल में किसी अन्य स्थान से अधिक, यरूशलेम नगर से प्रेम करते हैं।
3 हे यरूशलेम के लोगों,
अन्य लोग तुम्हारे शहर के विषय में अद्भुत बातें कहते हैं।
4 और यहोवा ने कहा, “मैं रहब और बाबेल और वहाँ के लोग जो मुझे जानते हैं,
उनके विषय में बात करूँगा।
मिस्र और बाबेल के लोगों के बीच ऐसे कुछ लोग हैं जो मुझे जानते हैं,
और वे पलिश्ती और सोर और इथियोपिया की भूमि में रहते हैं,
और वे कहेंगे, ‘हमारा घर यरूशलेम है और हमारी भूमि सिय्योन है।’”
5 सिय्योन के विषय में, लोग कहेंगे,
“ऐसे लोग भी जिनका जन्म बहुत दूर हुआ था,
वे यरूशलेम को अपना घर कहते हैं,
और सर्वशक्तिमान परमेश्वर उस शहर को दृढ़ बनाए रखेंगे।”
6 यहोवा उन विभिन्न समूहों के लोगों के नामों की एक सूची लिखेंगे जो उनके हैं,
और वह कहेंगे कि वह उन सबको यरूशलेम के नागरिक मानते हैं।
7 वे सब नृत्य करेंगे और गाएँगे और कहेंगे,
“यरूशलेम हमारे सब आशीर्वादों का स्रोत हैं।”
Chapter 88
जेरह के पुत्र हेमान, जो कोरह के वंशजों में से एक था, उसके द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया है, एक भजन जो दुख को व्यक्त करता है
1 हे यहोवा परमेश्वर, मुझे बचाने वाले, मैं प्रतिदिन मेरी सहायता के लिए आपको पुकारता हूँ,
और मैं रात के समय भी आपको पुकारता हूँ।
2 मेरी प्रार्थना सुनें
जब मैं मेरी सहायता के लिए आपको पुकारता हूँ!
3 मैंने कई क्लेशों का अनुभव किया है,
और मैं मरने वाला हूँ और मृतक लोक में जाने वाला हूँ।
4 क्योंकि मुझमें अब और शक्ति नहीं है,
अन्य लोग मानते हैं कि मैं शीघ्र ही मर जाऊँगा।
5 मैं उस शव के समान हूँ जिसे छोड़ दिया गया है;
मैं उन मृत लोगों के समान हूँ जो अपनी कब्रों में पड़े हैं,
लोग जिन्हें पूरी तरह से भूला दिया गया है
क्योंकि आप अब उनकी सुधि नहीं लेते हैं।
6 ऐसा लगता है कि आपने मुझे एक गहरे, अँधेरे गड्ढे में फेंक दिया है,
उस स्थान पर जहाँ वे लाशें फेंकते हैं।
7 ऐसा लगता है जैसे आप मुझसे बहुत क्रोधित हैं,
और ऐसा लगता है कि आपने मुझे कुचल दिया है, जैसे लोगों को समुद्र की लहरें लगती हैं।
8 आपने मेरे मित्रों को भी मुझसे दूर रहने के लिए प्रेरित किया है;
मैं उनके लिए घृणित हो गया हूँ।
ऐसा लगता है कि मैं बन्दीगृह में हूँ और बच नहीं सकता हूँ।
9 मेरी आँखें सही से नहीं देख सकतीं हैं क्योंकि मैं बहुत रोता हूँ।
हे यहोवा, हर दिन मैं मेरी सहायता के लिए आपको पुकारता हूँ;
जब मैं प्रार्थना करता हूँ तो मैं अपने हाथ उठाता हूँ।
10 यह तो निश्चय है कि आप मृत लोगों के लिए चमत्कार नहीं करते हैं!
उनकी आत्माएँ आपकी स्तुति करने के लिए नहीं उठती हैं!
11 निश्चित रूप से कब्र में पड़ी शव हमें आपके सच्चे प्रेम के विषय में नहीं बताती हैं,
और उस स्थान पर जहाँ लोग अंततः नष्ट हो जाते हैं,
कोई भी आपके विषय में नहीं बताता हैं कि आप हमारे लिए विश्वासयोग्य होकर क्या-क्या करते हैं।
12 गहरे अँधेरे गड्ढे में कोई भी आपके द्वारा किए जाने वाले चमत्कारों को नहीं देखते हैं,
और उस स्थान पर जहाँ लोग पूरी तरह से भुलाए गए हैं, कोई भी नहीं जो बताए कि आप हमारे लिए कितने अच्छे हैं।
13 परन्तु हे यहोवा, मैं मेरी सहायता के लिए आपको पुकारता हूँ;
हर सुबह मैं आप से प्रार्थना करता हूँ।
14 हे यहोवा, आपने मुझे क्यों त्याग दिया है?
आप मुझसे क्यों दूर हो गए हैं?
15 जब से मैं बच्चा था, हर समय मैं पीड़ित हूँ और मैं लगभग मर गया था;
मैं उन भयानक बातों को सहने के कारण, जो आपने मेरे साथ किए हैं निराशा में हूँ।
16 मुझे लगता है कि आपने मुझे कुचल दिया है, क्योंकि आप मुझसे क्रोधित हैं;
भयानक बातें जो आप मेरे साथ कर रहे हैं वे लगभग मुझे नष्ट कर रही हैं।
17 ऐसा लगता है कि वे मुझे बाढ़ के समान घेरे हुए हैं;
वे चारों ओर से मुझे घेर रही हैं।
18 आपने मेरे मित्रों और अन्य लोगों को जिनसे मैं प्रेम करता हूँ, मुझसे दूर होने का कारण बना दिया है,
और ऐसा लगता है कि मेरा एकमात्र मित्र अन्धकार है।
Chapter 89
एज्रा के वंशज एतान द्वारा लिखित एक गीत
1 हे यहोवा, मैं उन रीतियों के विषय में सदा के लिए गाऊँगा जिनसे आप मुझसे प्रेम करते हैं;
लोग जो अभी तक पैदा नहीं हुए हैं, वे यह सुनेंगे कि आप जो प्रतिज्ञा करते हैं वह सच्चाई से करते हैं।
2 मैं लोगों को बताऊँगा कि आप सदा हमसे प्रेम करेंगे,
और यह कि आपकी प्रतिज्ञा को पूरा करने की सच्चाई आकाश के समान स्थायी है।
3 यहोवा ने कहा, “मैंने दाऊद के साथ जिसे मैंने अपनी सेवा करने के लिए चुना है, एक वाचा बाँधी है।
मैंने उसके साथ एक गम्भीर वाचा बाँधी है:
4 ‘मैं तेरे वंशजों को सदा राजा बनने में सक्षम करूँगा;
तुझसे निकलने वाले राजाओं की पीढ़ी कभी नाश नहीं होगी।’”
5 हे यहोवा, मैं चाहता हूँ कि स्वर्ग में रहने वाले सब प्राणी आपके द्वारा किए जाने वाले अद्भुत कार्यों के लिए आपकी प्रशंसा करें,
और यह कि आपके सब पवित्र स्वर्गदूत इस विषय में गाएँ कि आप जो वचन देते हैं वह सच्चाई से करते हैं।
6 स्वर्ग में कोई भी नहीं है जिसकी तुलना यहोवा से की जा सकती हैं।
स्वर्ग में कोई स्वर्गदूत नहीं जो आपके बराबर हो।
7 जब आपके पवित्र स्वर्गदूत एकत्र होते हैं,
वे घोषणा करते हैं कि आपको सम्मानित किया जाना चाहिए;
वे कहते हैं कि आप अपने सिंहासन के चारों ओर के सब स्वर्गदूतों की तुलना में अधिक अद्भुत हैं!
8 हे यहोवा परमेश्वर, दूतों की सेनाओं के प्रधान, कोई भी नहीं है जो आपके जैसा शक्तिशाली है;
आपकी प्रतिज्ञा पूरी करने की सच्चाई कपड़ों के समान है जो सदा आपके चारों ओर रहता है।
9 आप शक्तिशाली समुद्रों पर शासन करते हैं;
जब उनकी लहरें बढ़ती हैं, तो आप उन्हें शान्त करते हैं।
10 आप ही ने राहाब नामक महान समुद्री राक्षस को कुचल दिया और मार डाला।
आपने अपने शत्रुओं को अपनी महान शक्ति से पराजित किया और तितर-बितर किया।
11 आकाश आपका हैं, और पृथ्वी भी आपकी हैं;
पृथ्वी पर जो है सब कुछ आपका है क्योंकि आपने उन सबको बनाया हैं।
12 आपने उत्तर से दक्षिण तक सब कुछ बनाया हैं।
ताबोर पर्वत और हेर्मोन पर्वत आनन्द से आपकी प्रशंसा करते हैं।
13 आप बहुत शक्तिशाली हैं;
आप बहुत दृढ़ हैं।
14 आप लोगों पर उचित रूप से और न्याय से शासन करते हैं;
आप सदा हमसे सच्चा प्रेम करते हैं और आपने जो भी प्रतिज्ञा की है उसे पूरा करते हैं।
15 हे यहोवा, कितने भाग्यशाली हैं वे जो पर्वों में आनन्द से चिल्लाते हुए आपकी आराधना करते हैं,
जो यह जान कर जीते हैं कि आप उन्हें सदा देखते रहते हैं।
16 हर दिन, पूरे दिन, वे आपके कार्यों के कारण आनन्दित होते हैं,
और उनके प्रति बहुत भले होने के लिए वे आपकी प्रशंसा करते हैं।
17 आप हमें अपनी महिमामय शक्ति देते हैं;
क्योंकि आप हमारे पक्ष में कार्य करते हैं, इसलिए हम अपने शत्रुओं को पराजित करते हैं।
18 हे यहोवा, आपने हमें वह व्यक्ति दिया जो हमारी रक्षा करता है;
आप, पवित्र परमेश्वर जिनकी हम इस्राएली आराधना करते हैं, उन्होंने हमें अपना राजा दिया।
19 बहुत पहले आपने अपने एक दास से दर्शन में बात की, और कहा,
“मैंने एक प्रसिद्ध सैनिक को मुकुट पहनाया है;
मैंने उसे सब लोगों में से राजा बनने के लिए चुना है।
20 वह व्यक्ति दाऊद है, वह जो मेरी सच्ची सेवा करेगा,
और मैंने राजा बनाने के लिए उसका पवित्र जैतून के तेल से अभिषेक किया।
21 मेरी शक्ति सदा उसके साथ रहेगी;
मेरी शक्ति से मैं उसे दृढ़ बना दूँगा।
22 उसके शत्रु उसे पराजित करने के उपाय कभी ढूँढ़ नहीं पाएँगे,
और दुष्ट लोग उसे कभी पराजित नहीं करेंगे।
23 मैं उसके शत्रुओं को उसके सामने कुचल दूँगा
और उन्हें नष्ट करूँगा जो उससे घृणा करते हैं।
24 मैं सदा उसके प्रति सच्चा रहूँगा और उससे सच्चा प्रेम करूँगा
और उसे उसके शत्रुओं को हराने में सक्षम बनाऊँगा।
25 मैं उसके राज्य में भूमध्य सागर से ले कर फरात नदी तक की सारी भूमि को सम्मिलित करूँगा।
26 वह मुझसे कहेगा, ‘आप मेरे पिता हैं,
मेरे परमेश्वर, वह जो मुझे सुरक्षित करते और बचाते हैं।’
27 मैं उसे अपने ज्येष्ठ पुत्र के रूप में अधिकार दूँगा;
वह पृथ्वी पर सबसे बड़ा राजा होगा।
28 मैं उसके प्रति सदा सच्चा रहूँगा,
और उसे आशीष देने की मेरी वाचा सदा के लिए स्थिर रहेगी।
29 मैं उसके वंशजों की पीढ़ी स्थापित करूँगा जो कभी समाप्त नहीं होंगी,
उसके वंशजों के विभिन्न लोग सदा राजा होंगे।
30 परन्तु यदि उसके वंशज मेरे नियमों का उल्लंघन करते हैं
और मेरे आदेशों के अनुकूल व्यवहार न करें जैसा कि उन्हें करना चाहिए,
31 यदि वे मेरी चितौनियों को अनदेखा करते हैं
और उचित कार्य न करें जिन्हें मैंने उन्हें करने के लिए कहा है,
32 तो मैं उन्हें गम्भीर रूप से दण्ड दूँगा
और उन्हें अनुचित कार्य करने के कारण पीड़ित होना पड़ेगा।
33 परन्तु मैं दाऊद से सच्चा प्रेम करता रहूँगा,
और मैं सदा वह करूँगा जो करने की मैंने उससे प्रतिज्ञा की थी।
34 मैं उस वाचा को नहीं तोड़ूँगा जो मैंने उसके साथ बाँधी थी;
मैं एक शब्द को भी नहीं बदलूँगा जो मैंने उससे कहा है।
35 एक बार मैंने दाऊद को एक गम्भीर वचन दिया है, और वह कभी नहीं बदलेगा;
क्योंकि मैं परमेश्वर हूँ, मैं कभी दाऊद से झूठ नहीं बोलूँगा।
36 मैंने प्रतिज्ञा की है कि उसके द्वारा निकले राजाओं की पीढ़ी सदा के लिए रहेगी;
जब तक सूरज चमकता है तब तक वह स्थिर रहेगा।
37 वह पीढ़ी चँद्रमा के समान स्थायी होंगी
धरती पर जो सब कुछ होता है, उसे सदा देखता रहता है।”
38 परन्तु यहोवा, अब आपने उसे त्याग दिया है!
आपने जिस राजा को नियुक्त किया हैं उससे आप बहुत क्रोधित हैं।
39 ऐसा लगता है कि आपने अपने दास दाऊद के साथ बाँधी वाचा को तोड़ दिया है;
ऐसा प्रतीत होता है जैसे आपने उसका मुकुट धूल में फेंक दिया है।
40 आपने उन दीवारों को तोड़ दिए हैं जो उसके शहर की रक्षा करती हैं
और उसके सब किलों को खण्डहर होने के लिए छोड़ दिया है।
41 जो लोग वहाँ से आते जाते हैं, वे उसकी सम्पत्ति लूटते हैं;
उसके पड़ोसी उस पर हँसते हैं।
42 आपने उसके शत्रुओं को उसे पराजित करने में सक्षम बनाया है;
आपने उन सबको प्रसन्न किया है।
43 आपने उसकी तलवार को व्यर्थ कर दिया,
और आपने युद्ध में उसकी सहायता नहीं की है।
44 आपने उसकी महिमा समाप्त कर दी है
और उसके सिंहासन को भूमि पर गिरा दिया है।
45 आपने उसको जवानी में ही बूढ़ा बना दिया है
और उसे बहुत लज्जित होना पड़ा।
46 हे यहोवा, ऐसा कब तक होता रहेगा?
क्या आप अपने आपको सदा छिपाए रहेंगे?
हमारे विरुद्ध आपका क्रोध कब तक आग के समान जलेगा?
47 मत भूले कि जीवन बहुत छोटा है;
यह मत भूले कि आपने हम सबको व्यर्थ ही मरने के लिए बनाया है।
48 कोई भी सदा के लिए जीवित नहीं रह सकता कि कभी न मरे;
कोई भी स्वयं को मृतकों के स्थान से वापस नहीं ला सकता है।
49 हे यहोवा, आपने बहुत पहले प्रतिज्ञा की थी
कि आप मुझसे सच्चा प्रेम करेंगे;
आप ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं?
आपने गम्भीरता से दाऊद को यह वचन दिया था!
50 हे यहोवा, यह न भूलें कि लोग हमारा अपमान करते हैं!
अन्य जाति के लोग मुझे श्राप देते हैं!
51 हे यहोवा, आपके शत्रु आपके चुने हुए राजा का अपमान करते हैं!
जहाँ भी वह जाता है वहाँ वे उसका अपमान करते हैं।
52 मैं आशा करता हूँ कि यहोवा की स्तुति सदा की जाएगी!
आमीन! ऐसा ही हो!
Chapter 90
चौथा भाग
भविष्यद्वक्ता मूसा द्वारा की गई एक प्रार्थना
1 प्रभु, आप हमारे लिए सदा एक घर के समान रहे हैं।
2 इससे पहले कि आपने पर्वतों को बनाया,
इससे पहले कि आपने पृथ्वी और जो कुछ उसमें है सबको भी बनाया,
आप सदा से परमेश्वर थे,
और आप सदा के लिए परमेश्वर रहेंगे।
3 जब लोग मर जाते हैं, तो आप उनकी लाशों को वापस मिट्टी बना देते हैं;
आप उनकी लाशों को मिट्टी में बदल देते हैं, जिससे पहले मनुष्य को बनाया गया था।
4 जब आप समय पर विचार करते हैं,
तो एक हजार वर्ष एक दिन के समान छोटे हो जाते हैं;
आप उन्हें रात के कुछ घंटों के समान कम मानते हैं।
5 आप लोगों के लिए अचानक मरने का कारण उत्पन्न कर देते हैं;
वे केवल थोड़े समय के लिए जीवित रहते हैं जैसे एक स्वप्न केवल थोड़े समय तक रहता है।
वे घास के समान हैं जो बढ़ती है।
6 सुबह घास अंकुरित होकर अच्छी तरह से बढ़ती है,
परन्तु शाम को यह सूख जाती है और पूरी तरह से मुर्झा जाती है।
7 इसी प्रकार, हमारे द्वारा किए गए पापों के कारण, आप हमारे साथ क्रोधित हो जाते हैं;
आप हमें डराते हैं और फिर आप हमें नष्ट कर देते हैं।
8 ऐसा लगता है कि आप हमारे पापों को अपने सामने रखते हैं;
आप हमारे गुप्त पापों को भी सामने रखते हैं जहाँ आप उन्हें देख सकते हैं।
9 क्योंकि आप हमारे साथ क्रोधित हैं, आप हमारे जीवन को समाप्त कर देते हैं;
जितने वर्ष हम जीवित रहते हैं वे एक श्वास के समान शीघ्र ही बीत जाते हैं।
10 लोग केवल सत्तर वर्षों तक जीवित रहते हैं;
यदि वे बलवन्त हैं, तो उनमें से कुछ अस्सी वर्षों तक जीवित रहते हैं।
परन्तु अच्छे वर्षों के समय भी हमें बहुत कष्ट और दुख होता है;
हमारा जीवन शीघ्र समाप्त हो जाता है, और हम मर जाते हैं।
11 किसी ने वास्तव में उन शक्तिशाली कार्यों का अनुभव नहीं किया है जो आप क्रोध में उनके साथ कर सकते हैं,
और लोग डरते नहीं हैं कि आप उन्हें दण्डित करेंगे, क्योंकि आप उनसे क्रोधित हैं।
12 इसलिए हमें यह समझने की शिक्षा दें कि हम केवल थोड़े समय के लिए जीते हैं
कि हम समझदारी से हमारे समय का उपयोग कर सकें।
13 हे यहोवा, आप कब तक क्रोधित होंगे?
हम पर दया करें जो आपकी सेवा करते हैं।
14 हर सुबह, हम पर प्रकट करें कि आप अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार हमसे प्रेम करते हैं और यह हमारे लिए पर्याप्त है।
हमें यह दिखाएँ कि हम आनन्द से चिल्ला सकें और हमारे पूरे जीवन में आनन्दित रहें।
15 अब हमें उतने ही वर्षों तक आनन्द दें, जितने वर्षों के लिए आपने हमें पीड़ित किया और हमें कष्टों का सामना करना पड़ा था।
16 हमें उन महान कार्यों को देखने योग्य करें जो आपने किये हैं,
और हमारे वंशजों को भी आपकी महिमामय शक्ति को देखने में सक्षम करें।
17 हे प्रभु, हमारे परमेश्वर, हमें अपना आशीष दें
और हमें सफल होने के योग्य करें;
हाँ, हम जो कुछ भी करते हैं उसमें हमें सफलता प्रदान करें!
Chapter 91
1 जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर की सुरक्षा में रहते हैं,
वे इस योग्य होंगे कि उनकी देखभाल में सुरक्षित रूप से विश्राम करें।
2 मैं यहोवा से कहूँगा,
“आप मेरी रक्षा करते हैं;
आप एक किले के समान हैं जिसमें मैं सुरक्षित हूँ।
आप मेरे परमेश्वर हैं, जिन पर मैं भरोसा रखता हूँ।”
3 वह तुझे सब छिपे हुए जालों से बचाएँगे
और तुझे घातक बीमारियों से बचाएँगे।
4 वह तेरा बचाव ऐसे करेंगे जैसे एक पक्षी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे सुरक्षित रखती है।
तू उनकी देखभाल में सुरक्षित रहेगा।
उनकी प्रतिज्ञा को पूरी सच्चाई से पूरा करना तुम्हारे लिए ढाल के समान है जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
5 तू उन बातों से नहीं डरेगा जो रात में होती हैं जो तुझे भयभीत कर सकती हैं
या उन तीरों से जो तेरे शत्रु दिन में तुझ पर चलाते हैं।
6 तू उन विपत्तियों से नहीं डरेगा जो दुष्टात्माएँ रात में लोगों पर आक्रमण करके फैलाती हैं
या अन्य बुरी शक्तियों से जो दोपहर में लोगों को मार देती हैं।
7 भले ही एक हजार लोग तेरे निकट मर जाएँ,
भले ही दस हजार लोग तेरे चारों और मर जाएँ,
तुझे हानि नहीं पहुँचेगी।
8 आँख उठा कर देख
कि दुष्ट लोगों को दण्ड दिया जा रहा है!
9 यहोवा मेरी रक्षा करते हैं;
सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर भरोसा रख कि वह तुझे भी सुरक्षा प्रदान करें।
10 यदि तू ऐसा करता है, तो तेरे साथ कोई बुराई नहीं होगी;
तेरे घर के पास कोई विपत्ति नहीं आएगी
11 क्योंकि यहोवा अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देंगे
कि तू जो कुछ भी कर रहा है उसमें तेरी रक्षा करें।
12 वे तुझे अपने हाथों से उठा लेंगे
कि तेरे पैर को बड़े पत्थर से चोट न पहुँचे।
13 तुझे तेरे शत्रुओं द्वारा हानि पहुँचाने से सुरक्षित रखा जाएगा;
ऐसा होगा जैसे कि तू ने शक्तिशाली शेरों और विषैले साँपों को कुचल कर मार दिया है!
14 यहोवा कहते हैं, “मैं उनको बचाऊँगा जो मुझसे प्रेम करते हैं;
मैं उनकी रक्षा करूँगा क्योंकि वे स्वीकार करते हैं कि मैं यहोवा हूँ।
15 जब वे मुझे पुकारते हैं, तो मैं उनको उत्तर दूँगा।
जब वे संकट का सामना कर रहे हैं तो मैं उनकी सहायता करूँगा;
मैं उन्हें बचाऊँगा और उनका सम्मान करूँगा।
16 मैं उन्हें लम्बे समय तक जीने में सक्षम बना कर उन्हें इनाम दूँगा,
और मैं उन्हें बचाऊँगा।”
Chapter 92
एक भजन जो सब्त के दिनों में गाया जाता है।
1 हे यहोवा, आपको धन्यवाद देना लोगों के लिए अच्छा है
और आपकी स्तुति करने के लिए गाना, जो किसी अन्य ईश्वर से अधिक महान हैं।
2 हर सुबह यह प्रचार करना अच्छा होता है कि आप हमें सच्चा प्रेम करते हैं
और हर रात गीत गाना अच्छा हैं जो यह घोषणा करते हैं कि आप सदा वही करते हैं जो आपने करने की प्रतिज्ञा की है,
3 संगीतकारों के साथ दास तार वाली वीणा बजाते हुए,
और सारंगी की ध्वनि के साथ गीत गाना अच्छा हैं।
4 हे यहोवा, आपने मुझे आनन्दित किया है;
मैं आपके कार्यों के कारण आनन्द से गाता हूँ।
5 हे यहोवा, जो कार्य आप करते हैं वह महान हैं!
परन्तु आपके विचारों को समझना कठिन है।
6 आप जो करते हैं उन्हें मूर्ख लोग जान नहीं सकते हैं,
ऐसे कार्य जिन्हें मूर्ख लोग समझ नहीं सकते हैं।
7 वे नहीं समझते कि यद्दपि दुष्ट लोगों की संख्या घास के समान बढ़ जाए
और जो लोग बुराई करते हैं, वे समृद्ध हो जाएँ,
वे पूरी तरह नष्ट हो जाएँगे।
8 परन्तु हे यहोवा, आप सदा के लिए राजा रहेंगे।
9 हे यहोवा, आपके शत्रु निश्चय मर जाएँगे,
और जो लोग बुरे कार्य करते हैं वे पराजित होंगे।
10 परन्तु आपने मुझे जंगली बैल के तरह बलवन्त बना दिया है;
आपने मुझे बहुत आनन्दित किया है।
11 मैंने देखा है कि आप मेरे शत्रुओं को पराजित करते हैं,
और मैंने उन बुरे लोगों का चिल्लाना सुना है जब उनका वध किया जा रहा था।
12 परन्तु धर्मी लोग खजूर के पेड़ों की तरह,
लबानोन में बढ़ने वाले देवदार के पेड़ के समान समृद्ध होंगे जो अच्छी तरह से बढ़ते हैं।
13 वे उन पेड़ों के समान हैं जो लोग यरूशलेम में यहोवा के भवन में लगाते हैं,
पेड़ जो हमारे परमेश्वर के भवन के आँगन के निकट हैं।
14 धर्मी लोग वृद्ध होने पर भी, वे कार्य करते हैं जो परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं।
वे शक्ति और ऊर्जा से भरे रहते हैं, रस से भरे हुए पेड़ों के समान।
15 इससे पता चलता है कि यहोवा न्यायी हैं;
वह एक विशाल चट्टान के समान है जिस पर मैं सुरक्षित हूँ,
और वह कभी भी बुराई नहीं करते हैं।
Chapter 93
1 हे यहोवा, आप राजा बन गए हैं!
आपके पास महिमा और शक्ति है जो एक राजा के द्वारा पहनने वाले वस्त्र के समान है।
आपने संसार को दृढ़ता से उसके स्थान पर रखा है, और वह कभी भी अपने स्थान से हटाया नहीं जाएगा।
2 आपने बहुत लम्बे समय पहले से राजा के रूप में शासन करना आरम्भ कर दिया;
आप सदा से हैं।
3 हे यहोवा, जब आपने संसार बनाया, तो आपने अस्तव्यस्त तत्वों को पानी से अलग किया और महासागरों का निर्माण किया,
और उन महासागरों के पानी की लहरें अभी भी गरजती हैं,
4 परन्तु आप उन महासागरों की गर्जना से अधिक महान हैं,
समुद्री लहरों की तुलना में अधिक शक्तिशाली हैं!
आप यहोवा हैं, जो किसी अन्य देवता से अधिक महान हैं!
5 हे यहोवा, आपके नियम कभी नहीं बदलते हैं,
और आपका भवन सदा पवित्र रहा है।
यह सदा के लिए सच होगा।
Chapter 94
1 हे यहोवा, आप अपने शत्रुओं से बदला लेने में सक्षम हैं।
इसलिए उन्हें दिखाएँ कि आप उन्हें दण्ड देने वाले हैं!
2 आप ही वह हैं जो पृथ्वी पर सब लोगों का न्याय करते हैं;
इसलिए उठकर उन्हें बदला दें जिसके वे योग्य हैं।
3 हे यहोवा, कब तक ये दुष्ट लोग आनन्दित रहेंगे?
यह सही नहीं है कि वे आनन्द मनाते हैं!
4 वे बुरे कार्य करते हैं, और वे उन्हें करने के विषय में घमण्ड करते हैं;
उन्हें ऐसा करने की कब तक अनुमति दी जाएगी?
5 हे यहोवा, ऐसा लगता है कि वे दुष्ट लोग हमें अर्थात् आपके लोगों को कुचल रहे थे;
वे आपके द्वारा बनाए गए देश का जो केवल आपका है, दमन करते हैं।
6 वे विधवाओं और अनाथों की
और अन्य देशों के लोगों की हत्या करते हैं, जो सोचते हैं कि हमारी भूमि रहने के लिए सुरक्षित है।
7 वे दुष्ट लोग कहते हैं, “यहोवा कुछ नहीं देखते हैं;
जिस परमेश्वर की आराधना इस्राएली करते हैं, वह उन बुरे कार्यों को नहीं देखते हैं जो हम करते हैं।”
8 हे दुष्ट लोगों, जो इस्राएल पर शासन करते हो, तुम मूढ़ और मूर्ख हो;
तुम बुद्धिमान कब होगे?
9 परमेश्वर ने हमारे कान बनाएँ हैं;
क्या तुम यह सोचते हो कि तुम जो भी कहते हो वह सुन नहीं सकते हैं?
उन्होंने हमारी आँखें बनाईं हैं;
क्या तुम्हें लगता है कि तुम जो बुरे कार्य करते हो, वह उन्हें नहीं देख सकते हैं?
10 वह अन्य राष्ट्रों के अगुओं को सुधारते हैं;
क्या तुम्हें लगता है कि वह तुमको दण्डित नहीं करेंगे?
वही हैं जो सब कुछ जानते हैं;
तुम ऐसा क्यों सोचते हो कि वह नहीं जानते हैं कि तुम क्या करते हो?
11 यहोवा सब कुछ जानते हैं कि लोग क्या सोच रहे हैं;
वह जानते हैं कि वे जो सोचते हैं वह बुरा और व्यर्थ है।
12 हे यहोवा, कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जिसे आप अनुशासन में रखते हैं,
वे लोग जो चाहते हैं कि आप उन्हें अपनी व्यवस्था सिखाएँ।
13 जब उन लोगों को कष्ट होता है, तब आप उन कष्टों को समाप्त कर देते हैं,
और एक दिन ऐसा होगा जैसे आप दुष्ट लोगों के लिए गड्ढे खोदेंगे,
और वे उन गड्ढे में गिर जाएँगे और मर जाएँगे।
14 यहोवा अपने लोगों को त्याग नहीं देंगे;
वह उन लोगों को त्याग नहीं देंगे जो उनके हैं।
15 एक दिन न्यायधीश लोगों के कार्यों का निर्णय सच्चाई से करेंगे,
और सब सच्चे लोग इसके विषय में प्रसन्न होंगे।
16 परन्तु जब दुष्ट लोगों ने मुझ पर अत्याचार किया,
मुझे किसी ने नहीं बचाया!
कोई भी उन दुष्ट लोगों के विरुद्ध मेरे लिए गवाही देने के लिए खड़ा नहीं था।
17 यदि उस समय यहोवा ने मेरी सहायता नहीं की होती,
तो मुझे मृत्यु दण्ड मिल गया होता;
मेरा जीवन उस स्थान पर चला जाता जहाँ मृत लोग कुछ भी नहीं बोलते।
18 मैंने कहा, “मैं विपत्ति में पड़ रहा हूँ,”
परन्तु, हे यहोवा, आपने मुझसे सच्चा प्रेम करके मुझे पकड़ कर उठा लिया।
19 जब भी मैं बहुत चिन्तित होता हूँ,
आप मुझे सांत्वना देते हैं और मुझे आनन्दित करते हैं।
20 आप दुष्ट न्यायियों से कोई सम्बन्ध नहीं रखते हैं,
जो लोग ऐसे कानून बनाते हैं जो लोगों को बुरे कार्य करने की अनुमति देते हैं।
21 वे धर्मी लोगों को मारने की योजना बनाते हैं,
और वे घोषणा करते हैं कि निर्दोष लोगों को मार दिया जाना चाहिए।
22 परन्तु यहोवा मेरे लिए किले के समान बन गए हैं;
मेरा परमेश्वर एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर मैं संरक्षित हूँ।
23 वह उन दुष्ट अगुओं को उनके द्वारा किए गए कार्यों के बदले दण्डित करेंगे;
वह उन पापों के कारण उनसे छुटकारा पाएँगे जो उन्होंने किए हैं;
हाँ, हमारे परमेश्वर यहोवा उन्हें मिटा देंगे।
Chapter 95
1 आओ, यहोवा के लिए गाएँ;
आनन्द से उनके लिए गाएँ, जो हमारी रक्षा करते हैं और हमें बचाते हैं!
2 हमें उनका धन्यवाद करना चाहिए जब हम उनके सामने आते हैं
और आनन्द के गीत गाने चाहिए जब हम उनकी स्तुति करते हैं।
3 क्योंकि यहोवा एक महान परमेश्वर हैं,
वह एक महान राजा हैं जो अन्य सब देवताओं पर शासन करते हैं।
4 वह पूरी धरती पर शासन करते हैं
गहरे स्थानों से ऊँचे पर्वतों तक।
5 समुद्र उनके हैं क्योंकि उन्होंने उन्हें बनाया है।
वही हैं जिन्होंने सूखी भूमि बनाई है।
6 हमें उनके सामने आना चाहिए और झुक कर उनकी आराधना करनी चाहिए।
हमें यहोवा के सामने घुटने टेकना चाहिए, जिन्होंने हमें बनाया है।
7 वह हमारे परमेश्वर हैं,
और हम वे लोग हैं जिन्हें वह सुरक्षित रखते हैं,
जैसे चरवाहा भेड़ों की देखभाल करता है।
मैं चाहता हूँ कि आज तुम सुन सको कि यहोवा तुमसे क्या कह रहे हैं।
8 वह कहते हैं, “हठीले मत बनो जैसे तुम्हारे पूर्वजों ने मरीबा में किया था,
और जैसा कि उन्होंने जंगल में मस्सा में किया था।
9 वहाँ तुम्हारे पूर्वज देखना चाहते थे कि क्या वे मुझसे दण्ड पाए बिना बुरे कार्य कर सकते हैं।
उन्होंने मुझे कई चमत्कार करते हुए देखा था, तो भी उन्होंने परीक्षा की कि मैं उनके साथ धीरज रखता रहूँगा या नहीं।
10 चालीस वर्षों तक मैं उन लोगों से क्रोधित था,
और मैंने कहा, ‘वे लोग विश्वासयोग्य नहीं हैं।
वे मेरे आदेशों का पालन करने से मना करते हैं।’
11 इसलिए क्योंकि मैं बहुत क्रोधित था; मैंने उनके विषय में गम्भीरता से कहा,
‘वे कनान देश में कभी प्रवेश नहीं करेंगे जहाँ मैं उन्हें विश्राम करने की अनुमति देता!’”
Chapter 96
1 यहोवा के लिए एक नया गीत गाओ!
हे पृथ्वी के लोगों, यहोवा के लिए गाओ!
2 यहोवा के लिए गाओ और उनकी स्तुति करो!
हर दिन दूसरों में यह प्रचार करो कि उन्होंने हमें बचा लिया है।
3 सब लोगों के समूहों को उनकी महिमा के विषय में बताओ;
सब लोगों के समूहों को उन आश्चर्यजनक कार्यों के विषय में बताओ जो उन्होंने किए हैं।
4 यहोवा महान हैं, और वह बहुत स्तुति के योग्य हैं;
उन्हें सब देवताओं से अधिक सम्मानित किया जाना चाहिए।
5 सब देवता जिनकी दूसरे लोग उपासना करते हैं, वे केवल मूर्तियाँ हैं,
परन्तु यहोवा वास्तव में महान है; उन्होंने आकाश को बनाया हैं!
6 परमेश्वर अपनी महिमा और वैभव दिखाते हैं’; वे उनके शासन करने के स्थान से चमकते हैं।
शक्ति और सौन्दर्य उनके पवित्र घर में हैं।
7 हे पृथ्वी के सब राष्ट्रों के लोगों, यहोवा की स्तुति करो!
उनकी महिमामय शक्ति के लिए यहोवा की स्तुति करो!
8 यहोवा की स्तुति करो जिस स्तुति के वे योग्य हैं;
भेंट ले कर उनके भवन में आओ।
9 यहोवा के सामने झुको क्योंकि उनकी पवित्रता उनकी अद्भुत सुन्दरता में से निकलती हैं’।
पृथ्वी पर हर किसी को उनकी उपस्थिति में बहुत डरना चाहिए, क्योंकि वह अच्छे और शक्तिशाली हैं, और हमसे पूरी तरह अलग हैं।
10 सब लोगों के समूहों से कहो, “यहोवा राजा हैं!
उन्होंने संसार को उसके स्थान पर रखा हैं, और कोई भी इसे हटा नहीं सकता है।
वह सब लोगों के समूहों का न्याय धर्म से करेंगे।”
11 स्वर्ग में रहने वाले सब प्राणियों को प्रसन्न होना चाहिए, और पृथ्वी पर सब लोगों को आनन्दित होना चाहिए।
महासागरों और उसमें रहने वाले सब प्राणियों को यहोवा की स्तुति करने के लिए गर्जना चाहिए।
12 खेतो को और जो कुछ भी उसमें उगता है, उन्हें आनन्दित होना चाहिए।
जब वे ऐसा करते हैं, तो ऐसा होगा जैसे जंगलों में सब पेड़ यहोवा के सामने
13 आनन्द से गा रहे हैं।
ऐसा तब होगा जब वह पृथ्वी पर सबका न्याय करने के लिए आएँगे।
वह सब लोगों का न्याय उस सच्चाई से जिसे वह जानते हैं उसके अनुसार करेंगे।
Chapter 97
1 यहोवा राजा हैं!
मैं चाहता हूँ कि पृथ्वी पर हर कोई आनन्दित हो
और जो लोग महासागरों के द्वीपों पर रहते हैं, वे भी इसके विषय में आनन्दित हो!
2 उनके चारों ओर बहुत काले बादल हैं;
वह पूरी तरह से, न्यायसंगत, और धर्म से शासन करते हैं।
3 वह अपने आगे आग भेजते हैं,
और वह उस आग में अपने सब शत्रुओं को जला कर भस्म कर देते हैं।
4 संसार भर में वह बिजली चमकाते हैं;
पृथ्वी पर लोग इसे देखते हैं, और इससे वे डरते और काँपते हैं।
5 पर्वत यहोवा के सामने मोम के समान पिघल गए,
उनके सामने वो प्रभु हैं, जो सारी धरती पर शासन करते हैं।
6 स्वर्ग में स्वर्गदूतों ने घोषणा की कि वह धर्म से कार्य करते हैं,
और सब लोगों के समूह उनकी महिमा देखते हैं।
7 जो लोग मूर्तियों की पूजा करते हैं उन्हें लज्जित होना चाहिए;
जो लोग अपने झूठे देवताओं पर गर्व करते हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि उनके देवता निकम्मे हैं।
वे देवता यहोवा की उपासना करने के लिए झुकेंगे।
8 यरूशलेम के लोगों ने सुना कि परमेश्वर न्यायी हैं, और वे आनन्दित हुए;
यहूदा के अन्य शहरों के लोग भी आनन्दित हुए
क्योंकि यहोवा न्याय करते हैं और दुष्ट लोगों को दण्ड देते हैं।
9 यहोवा सारी पृथ्वी पर सर्वोच्च राजा हैं;
उनके पास बहुत बड़ी शक्ति है, और अन्य किसी भी देवता में शक्ति नहीं है।
10 यहोवा उन लोगों से प्रेम करते हैं जो बुरा करने वाले लोगों से घृणा करते हैं;
वह अपने लोगों के जीवन की रक्षा करते हैं,
और जब दुष्ट लोग उन्हें हानि पहुँचाने का प्रयास करते हैं तो वह उन्हें बचाते हैं।
11 वह धर्मी लोगों को सच में जीवित रखते हैं;
वह उन लोगों को जो धर्मी हैं, उनके मनों में आनन्दित करते हैं।
12 हे धर्मी लोगों, यहोवा ने जो किया है, उसके विषय में आनन्दित रहो,
और हमारे पवित्र परमेश्वर का धन्यवाद करो!
Chapter 98
एक भजन।
1 यहोवा के लिए एक नया गीत गाओ
क्योंकि उन्होंने अद्भुत कार्य किए हैं!
अपनी शक्ति से उन्होंने अपने शत्रुओं को पराजित कर दिया है।
2 यहोवा ने लोगों को यह घोषित किया है कि उन्होंने अपने शत्रुओं को पराजित किया है;
उन्होंने प्रकट किया है कि उन्होंने अपने शत्रुओं को दण्डित किया है,
और संसार भर के लोगों ने देखा है कि उन्होंने इसे किया है।
3 जो प्रतिज्ञा उन्होंने हम इस्राएली लोगों से की थी,
उन्होंने हमसे सच्चा प्रेम किया है और हमारे प्रति विश्वासयोग्य रहे हैं।
जो लोग पूरी पृथ्वी पर बहुत दूर-दूर के स्थानों में रहते हैं
उन लोगों ने देखा है कि हमारे परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को पराजित कर दिया है।
4 हर स्थान के सब लोगों को आनन्द से यहोवा के लिए गीत गाना चाहिए;
जब तुम गाते और आनन्द से चिल्लाते हो तो तुम्हें उनकी प्रशंसा करनी चाहिए!
5 जब तुम सारंगी बजाते हो तो मधुर संगीत बजा कर,
यहोवा की स्तुति करो।
6 तुम में से कुछ लोगों को तुरही और अन्य नरसिंगे फूँकने चाहिए
जबकि दूसरे लोग हमारे राजा यहोवा के लिए आनन्द से जयजयकार करते हैं।
7 महासागरों और उनमें रहने वाले सब प्राणियों को यहोवा की स्तुति करने के लिए गर्जना चाहिए।
पृथ्वी पर हर व्यक्ति को गाना चाहिए!
8 ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि नदियाँ यहोवा की स्तुति करने के लिए ताली बजा रही हैं
और पर्वत यहोवा के सामने आनन्द से गा रहे हैं
9 क्योंकि वह पृथ्वी पर हर किसी का न्याय करने आएँगे!
वह पृथ्वी के सब लोगों के समूहों का न्यायपूर्वक और निष्पक्षता से न्याय करेंगे।
Chapter 99
1 यहोवा सर्वोच्च राजा हैं,
इसलिए सब लोगों के समूहों को उनकी उपस्थिति में काँपना चाहिए!
वह पंख वाले प्राणियों के ऊपर आराधनालय में अपने सिंहासन पर विराजमान हैं,
इसलिए पृथ्वी को काँपना चाहिए!
2 यहोवा यरूशलेम में एक शक्तिशाली राजा हैं;
वह सब लोगों के समूहों के सर्वोच्च शासक भी हैं।
3 उन्हें उनकी स्तुति करनी चाहिए क्योंकि वह बहुत महान हैं;
वह पवित्र हैं!
4 वह एक शक्तिशाली राजा हैं जो न्याय से प्रेम करते हैं;
उन्होंने इस्राएल में न्याय के और निष्पक्षता के कार्य किये हैं।
5 हमारे परमेश्वर यहोवा की स्तुति करो!
उनके चरणों की चौकी के सामने, उनके मन्दिर में पवित्र सन्दूक के सामने उनकी आराधना करें,
जहाँ वह लोगों पर शासन करते हैं।
वह पवित्र हैं!
6 मूसा और हारून उनके दो याजक थे;
शमूएल भी उनसे प्रार्थना करने वालों में से एक था।
उन तीनों ने अपनी सहायता के लिए यहोवा को पुकारा,
और उन्होंने उन्हें उत्तर दिया।
7 उन्होंने बादल के विशाल खम्भे से मूसा और हारून से बातें की;
उन्होंने उन सब नियमों और आज्ञाओं का पालन किया जो उन्होंने उन्हें दिए थे।
8 हे यहोवा, हे हमारे परमेश्वर, आपने अपने लोगों का उत्तर दिया
जब उन्होंने आपको सहायता के लिए पुकारा;
आप वह परमेश्वर हैं जिन्होंने उन्हें उनके पापों के लिए क्षमा किया,
भले ही आपने उनके गलत कार्यों के लिए उन्हें दण्डित किया।
9 हमारे परमेश्वर यहोवा की स्तुति करो,
और उनकी पवित्र पहाड़ी पर मन्दिर में उनकी आराधना करो;
ऐसा करना उचित है क्योंकि यहोवा हमारे परमेश्वर पवित्र हैं!
Chapter 100
धन्यवाद का भजन
1 पृथ्वी के सब लोगों को यहोवा के लिए आनन्द से जयजयकार करना चाहिए!
2 हमें आनन्द से यहोवा की उपासना करनी चाहिए!
हमें आनन्द से गीत गाते हुए उनके सामने आना चाहिए।
3 हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि यहोवा ही परमेश्वर हैं;
उन्होंने ही हमें बनाया है, और इसलिए हम उनके हैं।
हम वे लोग हैं जिनकी वह देखभाल करते हैं;
हम उन भेड़ों के समान हैं जिनकी देखभाल उनका चरवाहा करता है।
4 उनके भवन के द्वार में उनका धन्यवाद करते हुए प्रवेश करो;
भवन के आँगन में उनके लिए स्तुति के गीत गाते हुए प्रवेश करें!
उनको धन्यवाद दें और उनकी स्तुति करें
5 क्योंकि यहोवा सदा हमारे लिए अच्छे कार्य करते हैं।
वह हमसे सच्चा प्रेम करते हैं क्योंकि उन्होंने हमसे प्रतिज्ञा की है,
और वह विश्वासयोग्य हैं।
Chapter 101
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, मैं आपके लिए गाऊँगा!
मैं आपकी विश्वासयोग्यता और हमारे प्रति खराई के विषय में गाऊँगा।
2 मैं प्रतीक्षा करता हूँ कि जब मैं लोगों पर शासन करता हूँ,
मैं ऐसा व्यवहार करूँगा कि कोई भी मेरी निन्दा करने में सक्षम नहीं होगा।
हे यहोवा, आप मेरी सहायता करने के लिए कब आएँगे?
मैं ऐसे कार्य करूँगा जो उचित हैं।
3 मैं ऐसे किसी व्यक्ति को अपने पास आने नहीं दूँगा जो बुराई करता है।
मैं उन लोगों के कार्यों से घृणा करता हूँ जो आप से दूर हो जाते हैं;
मैं उन लोगों से पूरी तरह से बचा रहूँगा।
4 मैं कपटी नहीं बनूँगा,
और बुराई के साथ मेरा कोई सम्बन्ध नहीं होगा।
5 मैं उस हर एक व्यक्ति का सत्यानाश करूँगा जो गुप्त में किसी और की निन्दा करता है,
और मैं ऐसे किसी व्यक्ति को अपने पास आने नहीं दूँगा जो घमण्डी और अभिमानी है।
6 मैं इस देश में उन लोगों को ही आने दूँगा जो परमेश्वर के प्रति सच्चे हैं,
और मैं उन्हें मेरे साथ रहने की अनुमति दूँगा।
मैं उन लोगों को मेरी सेवा करने की अनुमति दूँगा जिनके व्यवहार की निन्दा कोई नहीं कर सकता।
7 मैं ऐसे किसी व्यक्ति को अपने महल में कार्य करने की अनुमति नहीं दूँगा जो दूसरों को धोखा दे,
और जो भी झूठ बोलता है उसे मेरे लिए कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
8 प्रतिदिन मैं इस देश के सब दुष्ट लोगों का सत्यानाश करने का प्रयास करूँगा;
मैं उन्हें इस नगर से निकाल दूँगा, जो यहोवा का शहर है।
Chapter 102
ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखी गई प्रार्थना जो पीड़ित था, जब वह निराश हो गया और यहोवा से सहायता करने के लिए विनती की।
1 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना को सुनें;
मुझे सुनें जब मैं पुकारता हूँ!
2 मुँह न मोड़ें!
मेरी बात सुनें,
और जब मैं आपको पुकारूँ तो मुझे तुरन्त उत्तर दें!
3 मेरा जीवन धुएँ के समान है जो लुप्त हो जाता है, समाप्त हो रहा है;
मुझे बहुत बुखार है जो मेरे शरीर को आग के समान जलाता है।
4 मुझे लगता है कि मैं कटी हुई घास के समान सूख रहा हूँ,
और मैं भोजन खाने के विषय में भी नहीं सोचता।
5 मैं ऊँचे शब्द से कराहता हूँ,
और मेरी हड्डियाँ मेरी त्वचा के नीचे दिखाई देती हैं क्योंकि मैं बहुत पतला हो गया हूँ।
6 मैं रेगिस्तान में अकेले और तुच्छ गिद्ध के समान हूँ,
मैं एक खण्डहर में अकेले बैठे उल्लू के समान हूँ।
7 मैं रात में जागता हूँ;
क्योंकि मुझे सांत्वना देने के लिए कोई नहीं है,
मैं छत पर बैठे अकेले पक्षी के समान हूँ।
8 प्रतिदिन मेरे शत्रु मेरा अपमान करते हैं;
जो मेरा उपहास उड़ाते हैं वे मेरा नाम लेते हैं
और जब वे लोगों को श्राप देते हैं तो कहते हैं, “तुम उसके जैसे हो जाओ”।
9-10 क्योंकि आप मुझसे बहुत क्रोधित हैं,
जब मैं पीड़ित होता हूँ तो मैं राख में बैठ जाता हूँ;
वह राख उस रोटी पर गिरती है, जो मैं खाता हूँ,
और जो मैं पीता हूँ उसमें मेरे आँसू मिले होते हैं।
यह ऐसा है जैसे आपने मुझे उठाया और दूर फेंक दिया है!
11 मेरे जीवित रहने का समय कम है
शाम की छाया के समान जो शीघ्र ही चली जाएगी।
गर्म सूरज से घास जैसे सूखती हैं, वैसे मैं भी सूख रहा हूँ।
12 परन्तु हे यहोवा, आप हमारे राजा हैं जो सदैव शासन करते हैं;
लोग जो अभी तक पैदा भी नहीं हुए हैं, वे आपको स्मरण करेंगे।
13 आप उठकर यरूशलेम के लोगों के प्रति दया के कार्य करेंगे;
अब आपके लिए ऐसा करने का समय है;
यही वह समय है कि आप उन पर दया करें।
14 भले ही शहर नष्ट हो गया है,
हम जो आपकी सेवा करते हैं, वे अभी भी उन पत्थरों से प्रेम करते हैं जो पहले शहर की दीवारों में थे;
क्योंकि अब हर जगह मलबा है,
हम, आपके लोग, जब इसे देखते हैं तो बहुत दुखी होते हैं।
15 हे यहोवा, किसी दिन अन्य राष्ट्रों के लोग आपका बहुत आदर करेंगे;
पृथ्वी के सब राजा देखेंगे कि आप बहुत तेजस्वी हैं।
16 आप यरूशलेम का पुनर्निर्माण करेंगे,
और आप अपनी महिमा के साथ वहाँ दिखाई देंगे।
17 आप अपने लोगों की प्रार्थना सुनेंगे, जो बेघर हैं,
जब वे अपनी सहायता के लिए आप से अनुरोध करते हैं
तब आप उन्हें अनदेखा नहीं करेंगे।
18 हे यहोवा, मैं इन शब्दों को लिखना चाहता हूँ
कि भविष्य में लोग जान सकें कि आपने क्या-क्या किया हैं,
कि वे लोग जो अभी तक पैदा भी नहीं हुए हैं, आपकी स्तुति करें।
19 वे जान जाएँगे कि आपने अपने स्थान स्वर्ग में से नीचे देखा है
और देखा कि पृथ्वी पर क्या हो रहा था।
20 वे जान जाएँगे कि आपने बन्दियों का चिल्लाना सुना हैं
और यह कि आप उन लोगों को मुक्त कर देंगे जिनसे कह दिया है, “तुमको मार डाला जाएगा।”
21 परिणामस्वरूप, जो कुछ भी आपने किया है उसके लिए यरूशलेम के लोग आपकी स्तुति करेंगे।
22 अन्य जातियों के कई लोग और अन्य साम्राज्यों के नागरिक, आपकी आराधना करने के लिए एकत्र होंगे।
23 परन्तु अब आपने मुझे निर्बल बना दिया हैं जबकि मैं अभी भी युवा हूँ;
मुझे लगता है कि मैं बहुत लम्बे समय तक जीवित नहीं रहूँगा।
24 मैं आप से कहता हूँ, “हे मेरे परमेश्वर, मेरे बूढ़ा हो जाने से पहले,
मुझे इस पृथ्वी से दूर मत ले जाओ!
परन्तु, आप सदा के लिए जीवित हैं!
25 आपने बहुत पहले पृथ्वी बनाई है,
और आपने स्वर्ग को अपने हाथों से बनाया है।
26 पृथ्वी और आकाश चले जाएँगे, परन्तु आप बने रहेंगे।
कपड़ों के समान वे पुराने हो जाएँगे।
आप उनसे छुटकारा पाएँगे जैसे लोग पुराने कपड़े से छुटकारा पाते हैं,
और वे अस्तित्व में नहीं होंगे।
27 परन्तु आप आपके द्वारा बनाई हुई वस्तुओं के समान नहीं हैं,
क्योंकि आप सदा एक समान रहते हैं;
आप कभी नहीं मरते हैं।
28 एक दिन हमारी सन्तान यरूशलेम में सुरक्षित रहेंगे,
और उनके वंशज आपकी उपस्थिति में रहने के कारण सुरक्षित होंगे।”
Chapter 103
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन।
1 मैं स्वयं से कहता हूँ कि मुझे यहोवा की स्तुति करनी चाहिए।
मैं उनकी स्तुति करूँगा क्योंकि वह पवित्र हैं।
2 मैं स्वयं से कहता हूँ कि मुझे यहोवा की स्तुति करनी चाहिए
और मेरे लिए किए गए उनके सब प्रकार के कार्यों को कभी न भूलूँ।
3 वह मेरे सब पापों को क्षमा करते हैं,
और वह मुझे मेरी सब बीमारियों से स्वस्थ करते हैं;
4 वह मुझे मरने से बचाते हैं,
और वह मुझसे सच्चा प्रेम करके और अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मुझ पर दया करके मुझे आशीष देते हैं।
5 वह मुझे मेरे पूरे जीवन भर अच्छी वस्तुएँ देते हैं।
वह मुझे उकाब के समान युवा और शक्तिशाली अनुभव कराते हैं।
6 यहोवा उन सबका उचित न्याय करते हैं जिनके साथ अन्याय किया गया है।
7 बहुत पहले उन्होंने मूसा को बताया कि उन्होंने क्या करने की योजना बनाई है;
उन्होंने हम इस्राएलियों के पूर्वजों को उन शक्तिशाली कार्यों को दिखाया जिन्हें करने में वे समर्थ थे।
8 यहोवा के कार्य दया से और अनुग्रह से पूर्ण हैं;
जब हम पाप करते हैं तो वह शीघ्र क्रोधित नहीं होते हैं;
वह सदा हमें दिखाते हैं कि वह हमसे सच्चा प्रेम करते हैं।
9 वह हमें सदैव डाँटते नहीं रहेंगे,
और वह सदा के लिए क्रोधित नहीं रहेंगे।
10 उन्होंने हमें हमारे पापों के अनुसार दण्डित नहीं किया है जिसके हम योग्य थे।
11 आकाश पृथ्वी से बहुत ऊपर हैं,
और उन सबके लिए जो यहोवा का सम्मान करते हैं, उनके लिए यहोवा का सच्चा प्रेम उतना ही महान है।
12 उन्होंने हमारे पापों के दोष को मिटा दिया है
और इसे हमसे इतना दूर कर दिया है जितना पूर्व पश्चिम से दूर है।
13 जैसे माता-पिता अपनी संतानों के प्रति दया के कार्य करते हैं,
यहोवा उन लोगों पर दया करते है जो उनका आदर करते हैं।
14 वह जानते हैं कि हमारे शरीर कैसे बने हैं;
उन्हें स्मरण है कि उन्होंने हमें मिट्टी से बनाया है
और इसलिए हम वह करने में शीघ्र ही असफल हो जाते हैं जो उन्हें प्रसन्न करता है।
15 हम मनुष्य सदा के लिए नहीं रहते हैं;
हम घास के समान हैं जो सूखती है और नाश हो जाती है।
हम जंगली फूलों के समान हैं जो थोड़ी ही देर के लिए खिलते हैं;
16 परन्तु फिर गर्म हवा उन पर लगती है, और वे नाश हो जाते हैं;
कोई भी उन्हें फिर नहीं देखता है।
17 परन्तु यहोवा सदा के लिए सच्चा प्रेम करते रहेंगे
उन सबसे जो उन्हें सम्मान देते हैं, जैसा कि उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
वह हमारी सन्तान और उनकी सन्तान के लिए न्याय के कार्य करेंगे;
18 वह उन सब लोगों को जो उनकी वाचा का पालन करते हैं उनके लिए इस प्रकार से कार्य करेंगे, कि वे आशीषित हों यदि वे उनके आदेशों के अनुसार कार्य करें,
उन सबके लिए जो उनकी आज्ञा का पालन करते हैं।
19 यहोवा ने स्वर्ग में अपना स्थान लिया है जहाँ वह राजा के रूप में शासन करते हैं;
वहाँ से वह सब पर शासन करते हैं।
20 हे स्वर्गदूतों, तुम जो यहोवा के हो, उनकी स्तुति करो!
तुम शक्तिशाली प्राणी हो जो वह करते हो जिसकी आज्ञा वह तुम्हें देते हैं;
वह जो आज्ञा देते हैं तुम उसका पालन करते हो।
21 हे स्वर्गदूतों की सेनाओं, तुम जो उनकी सेवा करते हो और जो वह चाहते हैं वही करते हो, यहोवा की स्तुति करो।
22 हे यहोवा की सारी सृष्टि, तुम सब उनकी स्तुति करो;
हर उन स्थानों में उनकी स्तुति करो जहाँ वह शासन करते हैं, हर एक स्थान में!
मैं भी यहोवा की स्तुति करूँगा!
Chapter 104
1 मैं स्वयं से कहता हूँ कि मुझे यहोवा की स्तुति करनी चाहिए।
हे यहोवा, हे परमेश्वर, आप बहुत महान हैं!
जैसे एक राजा अपने राजसी वस्त्रों को पहने रहता हैं,
वैसे आपके चारों ओर सम्मान और महिमा हैं!
2 आपने प्रकाश बनाया और आप इसके पीछे छिप गए।
आपने पूरे आकाश को फैलाया जैसे कोई तम्बू स्थापित करता है।
3 आपने बादलों पर अपना महल बनाया है।
आपने बादलों को आपकी सवारी के लिए रथों के समान बनाया है।
4 आपने हवाओं को अपने दूतों के समान बनाया,
और अग्नि की ज्वाला को आपके दासों के समान बनाया हैं।
5 आपने पृथ्वी को दृढ़ता से उसकी नींव पर रखा है
कि वह कभी भी अपने स्थान से हटाई न जा सके।
6 बाद में, आपने धरती को बाढ़ से ढाँक दिया, जैसे एक कंबल से ढाँकते हैं;
और पानी ने पर्वतों को ढाँक दिया।
7 परन्तु जब आपने पानी को डाँटा, तो महासागर पीछे हट गए’;
आपकी वाणी गर्जन के समान बात करती हैं,
और फिर पानी दूर चला गया।
8 पर्वत पानी से ऊपर उठ गए,
और घाटियाँ उन स्तरों तक नीचे हो गईं
जिन्हें आपने उनके लिए निर्धारित किया था।
9 तब आपने महासागरों के लिए एक सीमा निर्धारित की, एक सीमा जिसे वे पार नहीं कर सकते;
उनका पानी फिर कभी भी पूरी धरती को नहीं ढाँकेगा।
10 आप घाटियों में पानी के लिए सोते बनाते हैं;
उनका पानी पर्वतों के बीच बहता है।
11 वे धाराएँ सब पशुओं को पीने के लिए पानी देती हैं;
जंगली गधे पानी पीते हैं और अब प्यासे नहीं रहते हैं।
12 पक्षी धाराओं के पास अपने घोंसले बनाते हैं,
और वे पेड़ों की शाखाओं में गाते हैं।
13 आकाश से आप पर्वतों पर वर्षा भेजते हैं,
और आप पृथ्वी को कई अच्छी वस्तुओं से भरते हैं जिनकी आप सृष्टि करते हैं।
14 आप पशुओं के खाने के लिए घास उगाते हैं,
और आप पौधों को लोगों के लिए बढ़ाते हैं।
इस प्रकार, पशुओं और लोगों को भूमि की ऊपज से अपना खाना मिलता है।
15 हमें पीने के लिए और हमें आनन्द करने के लिए अँगूरों से दाखरस मिलता हैं;
हमारे चेहरे को चमकाने के लिए जैतून प्राप्त होता है,
और हमें शक्ति देने के लिए अनाज से हमें रोटी मिलती है।
16 हे यहोवा, आप अपने पेड़ों को पानी देने के लिए बहुत वर्षा भेजते हैं,
लबानोन में लगाए गए देवदार के पेड़ों के लिए।
17 पक्षी उन पेड़ों में अपने घोंसले बनाते हैं,
और सारस सनोवर के पेड़ों में अपने घोंसले बनाते हैं।
18 ऊँचे पर्वतों में जंगली बकरियाँ रहती हैं,
और चट्टानों में शापान रहते हैं।
19 हे यहोवा, आपने चँद्रमा को हमारे पर्वों के लिए समय का संकेत देने के लिए बनाया है,
और आपने सूर्य बनाया जो जानता है कि कब अस्त होना है।
20 आप अंधेरा लाते हैं, और रात हो जाती हैं
जब जंगल में सब जानवर भोजन की खोज में घूमते हैं।
21 रात में युवा शेरों का गर्जन होता है क्योंकि वे अपने शिकार की खोज करते हैं,
परन्तु वे अपना भोजन पाने के लिए आप पर निर्भर रहते हैं।
22 सुबह को, वे अपनी मांदों में वापस जाते हैं और लेट जाते हैं।
23 दिन के समय, लोग अपने कार्य पर जाते हैं;
वे शाम तक कार्य करते हैं।
24 हे यहोवा, आपने कई अलग-अलग वस्तुएँ बनाई हैं!
आपने बुद्धिमानी से सब कुछ बनाया।
धरती आपके द्वारा बनाए गए प्राणियों से भरी हैं।
25 हम समुद्र को देखते हैं जो बहुत विशाल है!
वह कई प्रकार के जीवित प्राणियों से भरा है,
बड़े और छोटे प्राणी।
26 हम उन जहाजों को देखते हैं जो जल में यात्रा करते हैं!
हम विशाल समुद्री राक्षस देखते हैं जिसे आपने समुद्र में चारों ओर खेलने के लिए बनाया था।
27 ये सब प्राणी अपना भोजन पाने के लिए जो उन्हें चाहिए,
आप पर निर्भर करते हैं।
28 जब आप उन्हें वह भोजन देते हैं जो उन्हें चाहिए,
वे उसे एकत्र करते हैं।
आप उन्हें वो देते हैं, जो आपके हाथ में हैं,
और वे इसे खाते हैं और संतुष्ट होते हैं।
29 परन्तु यदि आप उन्हें भोजन देने से मना करते हैं,
तो वे डर जाते हैं।
जब आप उन्हें साँस लेने से रोकते हैं, तो वे मर जाते हैं;
उनके शरीर नाश हो जाते हैं और फिर मिट्टी बन जाते हैं।
30 जब आप नवजात प्राणियों को साँस देते हैं,
वे जीना आरम्भ करते हैं;
आप पृथ्वी के सब जीवित प्राणियों को नया जीवन देते हैं।
31 यहोवा की महिमा सदा के लिए स्थिर रहे।
वह अपने द्वारा बनाई गई सब वस्तुओं के लिए आनन्द करें।
32 उनके देखने से पृथ्वी हिल जाती है!
केवल पर्वतों को छू कर वह उनमें से आग और धुआँ निकालते हैं!
33 जब तक मैं जीवित हूँ तब तक मैं यहोवा के लिए गाऊँगा।
जब तक मैं मर न जाऊँ तब तक मैं अपने परमेश्वर की स्तुति करूँगा।
34 इन सब सोच-विचारों से जो मैंने उनके विषय में सोचा है, यहोवा प्रसन्न हो जाएँ
क्योंकि मैं उन्हें जानने से आनन्दित हूँ।
35 परन्तु, पापी धरती से मिट जाएँ;
कोई और दुष्ट लोग न हों!
परन्तु, मैं यहोवा की स्तुति करूँगा!
उनकी स्तुति करो!
Chapter 105
1 यहोवा का धन्यवाद करो; उनकी अराधना करो और उनसे प्रार्थना करो।
पृथ्वी के सब लोगों को बताओ कि उन्होंने क्या किया हैं!
2 उनके लिए गाओ; जब तुम गाते हो तो उनकी स्तुति करो;
दूसरों को उनके अद्भुत चमत्कारों के विषय में बताओ।
3 यहोवा पर गर्व करो, जो एकमात्र परमेश्वर हैं।
तुम लोग जो यहोवा की उपासना करते हो, आनन्द करो!
4 यहोवा से तुम्हारी सहायता करने और तुम्हें अपनी शक्ति देने के लिए कहो,
और सदा उनके साथ रहने की खोज में रहो!
5-6 तुम लोग जो परमेश्वर के दास, अब्राहम के वंशज हो,
तुम जो याकूब के वंशज हो, जिन लोगों को परमेश्वर ने चुना है,
उन्होंने जो अद्भुत कार्य किए हैं उनके विषय में सोचो;
उन्होंने चमत्कार किए और उन्होंने हमारे सब शत्रुओं को दण्डित किया।
7 वह यहोवा हैं, हमारे परमेश्वर हैं।
वह पृथ्वी के लोगों पर शासन करते हैं और न्याय करते हैं।
8 वह अपनी वाचा को कभी नहीं भूलते हैं;
उन्होंने प्रतिज्ञा की है जो एक हजार पीढ़ियों तक रहेगी।
9 ये वह वाचा है जिसे उन्होंने अब्राहम के साथ बाँधी थी,
और उन्होंने इस वाचा को इसहाक के साथ दोहराया।
10 बाद में उन्होंने याकूब के साथ इसकी पुष्टि की
जो इस्राएल के लोगों के लिए एक सदा की वाचा होगी।
11 उन्होंने जो कहा वह यह था, “मैं तुम्हें कनान का क्षेत्र दूँगा;
यह तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के लिए सदा के लिए होगा।”
12 उन्होंने उनसे यह तब कहा था जब उनमें से केवल कुछ ही थे,
उन लोगों का एक छोटा सा समूह था जो अजनबियों के समान उस देश में रह रहे थे।
13 वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहे,
एक राज्य से दूसरे राज्य में।
14 परन्तु उन्होंने किसी को उन पर अत्याचार करने की अनुमति नहीं दी।
उन्होंने उन राजाओं को चेतावनी दी,
15 “जिन लोगों को मैंने चुना है उन्हें हानि न पहुँचाना!
मेरे भविष्यद्वक्ताओं को हानि न पहुँचाना।”
16 उन्होंने कनान में अकाल भेजा, और परिणामस्वरूप लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं था।
17 इसलिए उनके लोग मिस्र में गए, परन्तु परमेश्वर ने पहले ही वहाँ किसी को भेज दिया था।
उन्होंने यूसुफ को भेजा, जिसे दास होने के लिए बेचा गया था।
18 बाद में, जब यूसुफ मिस्र के बन्दीगृह में था,
उन्होंने उसके पैरों को बेड़ियों में डाल दिया जिससे उसके पैरों को चोट पहुँचती थी,
और उन्होंने उसकी गर्दन के चारों ओर एक लोहे का पट्टा लगाया।
19 यूसुफ उस समय तक बन्दीगृह में था
जब तक वे घटनाएँ पूरी न हुई जिनकी उसने भविष्यद्वाणी की थी।
इस प्रकार यहोवा ने यूसुफ को परखा।
20 मिस्र के राजा ने दासों को भेजा, जिन्होंने उसे मुक्त किया;
इस शासक ने यूसुफ को बन्दीगृह से निकाल दिया।
21 फिर उसने उसे राजा के घर की देखभाल करने के लिए नियुक्त किया,
कि राजा की सारी सम्पत्ति की देखभाल करे।
22 यूसुफ को राजा के महत्वपूर्ण सेवकों को आदेश देने की अनुमति थी
कि वे वह कार्य करें जो यूसुफ चाहता था,
और यहाँ तक कि राजा के सलाहकारों को भी यह बताए कि उन्हें मिस्र के लोगों के लिए क्या करना चाहिए।
23 बाद में, यूसुफ के पिता याकूब मिस्र पहुँचे।
वह उस भूमि में एक विदेशी के समान रहता था जो हाम के वंशजों की थी।
24 वर्षों बाद यहोवा ने याकूब के वंशजों को बहुत असंख्य बना दिया।
परिणामस्वरूप, उनके शत्रु मिस्र के लोग, यह मानते थे कि इस्राएली बहुत शक्तिशाली हैं।
25 तब यहोवा ने मिस्र के शासकों को इस्राएलियों के विरुद्ध कर दिया,
और उन्होंने उनके लोगों पर अत्याचार करना आरम्भ कर दिया।
26 परन्तु फिर यहोवा ने अपने दास मूसा को
उसके बड़े भाई हारून के साथ भेजा, जिसे यहोवा ने अपना दास होने के लिए चुना था।
27 उन दोनों ने मिस्र के लोगों के बीच अद्भुत चमत्कार किए
उस देश में जहाँ हाम के वंशज रहते थे।
28 यहोवा ने अंधेरा भेजा कि मिस्र के लोग कुछ भी न देख सकें,
परन्तु मिस्र के शासकों ने आज्ञा मानने से मना कर दिया जब मूसा और हारून ने उन्हें इस्राएलियों को मिस्र छोड़ने की अनुमति देने की आज्ञा दी।
29 यहोवा ने मिस्र में सारे पानी को रक्त बना दिया,
और उनके इस कार्य से सब मछलियाँ मर गई।
30 तब उन्होंने भूमि को मेंढ़कों से भर दिया;
राजा और उसके अधिकारियों के शयन कक्षों में भी मेंढ़क थे।
31 तब यहोवा ने मक्खियों को आने की आज्ञा दी, और मिस्र के लोगों पर उनके झुण्ड उतरे,
और कुटकियाँ भी पूरे देश में छा गई।
32 यहोवा ने वर्षा भेजी, जो उन पर ओले बन कर गिरी,
और उन्होंने धधकती आग भेजी जिसने उनकी भूमि को जला दिया।
33 ओलों ने उनके अँगूर और अंजीर के पेड़ों को नष्ट कर दिया
और सब अन्य पेड़ बिखर गए।
34 उन्होंने टिड्डियों को आने का आदेश दिया, और दल के दल आ गए;
इतने सारे आए कि उन्हें गिना नहीं जा सका।
35 टिड्डियों ने भूमि के हर हरे पौधे को खा लिया,
जिससे सब फसलें नष्ट हो गई।
36 फिर यहोवा ने मिस्र के लोगों के हर घर के ज्येष्ठ पुत्रों को मारा।
37 तब वह इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाए;
वे चाँदी और सोने से बने भारी गहने उठाए हुए थे जो कि मिस्र के लोगों ने उन्हें दिए थे।
बीमार होने के कारण कोई भी पीछे नहीं छोड़ा गया था।
38 जब इस्राएली लोग चले गए, तब मिस्र के लोग आनन्दित हुए
क्योंकि वे इस्राएलियों से बहुत डर गए थे।
39 तब यहोवा ने इस्राएलियों को ढाँकने के लिए बादल फैलाया;
जो रात में उन्हें प्रकाश देने के लिए आकाश में एक बड़ी आग बन गया।
40 बाद में इस्राएलियों ने खाने के लिए माँस माँगा,
और यहोवा ने उनके लिए बटेरें भेजीं,
और उन्होंने उन्हें खाने के लिए हर सुबह आकाश से मन्ना दिया।
41 एक दिन उन्होंने एक चट्टान को खोला, और पीने के लिए पानी निकल गया;
यह रेगिस्तान में बहने वाली एक नदी के समान था।
42 उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अपने दास अब्राहम को दी गई पवित्र प्रतिज्ञा के विषय में सोच रहे थे।
43 इसलिए उनके लोग आनन्दित थे क्योंकि वह उन्हें मिस्र से बाहर लाए थे;
ये लोग जिन्हें उन्होंने चुना था, वे चलते हुए आनन्द से जयजयकार कर रहे थे।
44 उन्होंने उन्हें वह देश दिया जो कनान में रहने वाले लोगों के समूह का था,
और इस्राएलियों ने उनकी सारी सम्पत्ति ले लीं।
45 यहोवा ने इन सब कार्यों को किया
कि उनके लोग उन सब कार्यों को करें जो उन्होंने करने का उन्हें आदेश दिया।
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 106
1 यहोवा की स्तुति करो!
यहोवा की स्तुति करो क्योंकि वह जो कुछ भी करते हैं वह भला है;
वह सदा हमसे सच्चा प्रेम करते हैं जैसी उन्होंने हमसे प्रतिज्ञा की है!
2 क्योंकि यहोवा ने बहुत से महान कार्य किए हैं,
कोई भी उन सब महान कार्यों को नहीं बता सकता जो यहोवा ने किए हैं,
और कोई भी उनकी पर्याप्त स्तुति नहीं कर सकता।
3 कितने भाग्यशाली हैं वे जो न्याय से कार्य करते हैं,
जो सदा वही करते हैं जो उचित हैं।
4 हे यहोवा, जब आप अपने लोगों की सहायता करते हैं, तब मुझ पर दया करें;
जब आप उन्हें बचाते हैं तो मेरी भी सहायता करें।
5 मुझे आपके लोगों को दोबारा समृद्ध बनते देखने दे
और आपके देश इस्राएल के सब लोगों को फिर से आनन्दित देखने दें;
मुझे उनके साथ आनन्दित होने दें!
मैं उन सब लोगों के साथ जो आपके हैं, आपकी स्तुति करना चाहता हूँ।
6 हमने और हमारे पूर्वजों ने पाप किया है;
हमने जो किया है वह दुष्ट और बुरा है।
7 जब हमारे पूर्वज मिस्र में थे,
उन्होंने यहोवा के अद्भुत कार्यों पर ध्यान नहीं दिया;
वे उन समयों को भूल गए जब परमेश्वर ने दिखाया कि वह उन्हें सच्चा प्रेम करते थे।
इसकी अपेक्षा, जब वे लाल सागर में थे,
उन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया, जो किसी अन्य देवता से बड़े हैं।
8 परन्तु उन्होंने उन्हें अपनी प्रतिष्ठा के निमित्त बचाया
कि वह दिखा सकें कि वह बहुत शक्तिशाली हैं।
9 उन्होंने लाल सागर को डाँटा और वह सूख गया,
और फिर जब उन्होंने हमारे पूर्वजों की अगुवाई की,
वे लाल सागर के बीच से चले गए जैसे कि वह एक सूखे रेगिस्तान में चल रहे थे।
10 इस प्रकार उन्होंने उन्हें उनके शत्रुओं की शक्ति से बचाया।
11 तब उनके शत्रु लाल सागर के पानी में डूब गए;
उनमें से एक भी नहीं बचा।
12 जब ऐसा हुआ, तो हमारे पूर्वजों ने विश्वास किया कि यहोवा ने उन लोगों के लिए वास्तव में वह किया था जो करने की उन्होंने प्रतिज्ञा की थी,
और उन्होंने उनकी स्तुति करने के लिए गीत गाया।
13 परन्तु वे शीघ्र ही भूल गए कि उन्होंने उनके लिए क्या-क्या कार्य किए थे;
उन्होंने यहोवा की इच्छा जानने के लिए प्रतीक्षा नहीं की कि वह उनसे क्या कराना चाहते थे।
14 उन्होंने मिस्र में जैसा भोजन खाया था उन्होंने वैसे भोजन की लालसा कीं।
उन्होंने यह जानने के लिए बुरे कार्य किए कि क्या परमेश्वर उन्हें दण्ड देंगे या नहीं।
15 इसलिए उन्होंने उन्हें जो कुछ भी उन्होंने माँगा वह उन्हें दिया,
परन्तु उन्होंने उन पर एक भयानक बीमारी भेजी।
16 बाद में जब कुछ लोग मूसा से
और उसके बड़े भाई हारून से ईर्ष्या करने लगे, जो याजक के रूप में यहोवा की सेवा करने के लिए समर्पित था,
17 भूमि खुल गई और दातान को निगल गई
और अबीराम और उसके परिवार को भी दफन कर दिया।
18 परमेश्वर ने स्वर्ग से आग भेजी
जिसने उन सब दुष्ट लोगों को जला दिया जिन्होंने उनका समर्थन दिया।
19 फिर इस्राएली अगुओं ने सीनै पर्वत पर एक बछड़े की सोने की मूर्ति बनाई
और उसकी उपासना की।
20 हमारे गौरवशाली परमेश्वर की आराधना करने की अपेक्षा,
उन्होंने एक बैल की मूर्ति की उपासना करना आरम्भ किया जो घास खाता है!
21 वे परमेश्वर के विषय में भूल गए, जिन्होंने मिस्र में किए गए महान चमत्कारों से उन्हें बचा लिया था।
22 वे मिस्र में उनके लिए परमेश्वर के किए गए अद्भुत कार्यों के विषय में भूल गए
और उन अद्भुत कार्यों को भी भूल गए जो उन्होंने लाल सागर में उनके लिए किए थे।
23 इस कारण से, परमेश्वर ने कहा कि वह इस्राएलियों से छुटकारा पाएँगे;
परन्तु मूसा, जिसे परमेश्वर ने उनकी सेवा करने के लिए चुना था, परमेश्वर को ऐसा न करने के लिए मनाने को खड़ा हुआ।
परिणामस्वरूप, परमेश्वर ने उन्हें नष्ट नहीं किया।
24 बाद में, हमारे पूर्वजों ने कनान की सुन्दर भूमि में प्रवेश करने से मना कर दिया
क्योंकि वे इस बात पर विश्वास नहीं करते थे कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार कर सकते हैं और उन्हें वहाँ रहने वाले लोगों से भूमि लेने में समर्थ करेंगे।
25 वे अपने तम्बुओं में रह कर कुड़कुड़ाने लगे
और यहोवा ने उन्हें जो करने को कहा था उस पर ध्यान नहीं दिया।
26 इसलिए उन्होंने गम्भीरता से उनसे कहा
कि वह उन्हें जंगल में मार डालेंगे,
27 कि वह उनके वंशजों को अन्य राष्ट्रों और जातियों के बीच तितर-बितर करेंगे जो उन पर विश्वास नहीं करते थे,
और वह उन्हें उन देशों में मरने देंगे।
28 बाद में इस्राएली लोगों ने पोर पर्वत में बाल की मूर्ति की पूजा करना आरम्भ कर दिया,
और उन्होंने वह माँस खाया जो बाल और उन अन्य निर्जीव देवताओं को बलिदान दिया गया था।
29 उन्होंने जो कुछ किया था, उसके कारण यहोवा बहुत क्रोधित हो गए,
उन्होंने उन पर आक्रमण करने के लिए एक भयानक बीमारी भेजी।
30 परन्तु पीनहास खड़ा हुआ और उन लोगों को दण्डित किया जिन्होंने बड़ा पाप किया था,
और परिणामस्वरूप मरी समाप्त हो गई।
31 पीनहास ने जो धर्म का कार्य किया था लोगों ने उसे स्मरण किया,
और भविष्य में लोग इसे स्मरण करेंगे।
32 फिर मरीबा के झरनों पर हमारे पूर्वजों ने यहोवा को फिर से क्रोधित कर दिया,
और परिणामस्वरूप मूसा को हानि हुई।
33 उन्होंने मूसा को बहुत क्रोधित कर दिया,
और उसने उन बातों को कहा जो मूर्खता की थी।
34 हमारे पूर्वजों ने अन्य लोगों के समूहों को नष्ट नहीं किया
जैसा कि यहोवा ने उन्हें करने के लिए कहा था।
35 इसकी अपेक्षा, पुरुषों ने उन लोगों के समूहों से स्त्रियों को ले लिया,
और उन्होंने उन बुरे कार्यों को करना आरम्भ कर दिया जो वे लोग करते थे।
36 हमारे पूर्वजों ने उन लोगों की मूर्तियों की उपासना की,
जिसके परिणामस्वरूप वे नष्ट हो गए।
37 कुछ इस्राएलियों ने अपने पुत्रों और पुत्रियों को पिशाचों के लिए बलिदान किया जिनका प्रतिनिधित्व वे मूर्तियाँ करती थी।
38 उन्होंने उन बच्चों को मार डाला जिन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था,
और उन्हें कनान की मूर्तियों के लिए बलिदान के रूप में पेश किया।
परिणामस्वरूप, कनान की भूमि उन हत्याओं द्वारा प्रदूषित हो गई।
39 इसलिए उनके कर्मों से उन्होंने परमेश्वर को उन्हें स्वीकार करना असम्भव बना दिया;
क्योंकि उन्होंने सच्चे मन से केवल परमेश्वर की आराधना नहीं की थी,
वे ऐसी स्त्रियों के समान हो गए जो अपने पतियों के साथ सोने की अपेक्षा अन्य पुरुषों के साथ सोती हैं।
40 तब यहोवा अपने लोगों से बहुत क्रोधित हो गए;
वह पूरी तरह से उनसे घृणा करने लगे।
41 परिणामस्वरूप, उन्होंने उन लोगों के समूहों को, जो उन पर विश्वास नहीं करते थे, अनुमति दी कि इस्राएलियों पर विजय पाए,
इसलिए जो हमारे पूर्वजों से घृणा करते थे वे लोग उन पर शासन करने लगे।
42 उनके शत्रुओं ने उन्हें दण्डित किया
और पूरी तरह से उन पर अधिकार किया।
43 कई बार यहोवा ने अपने लोगों को बचा लिया,
परन्तु वे उनके विरुद्ध विद्रोह करते रहे,
और अन्त में वे अपने किए गए पापों के कारण नष्ट हो गए।
44 यद्दपि, जब उन्होंने परमेश्वर को पुकारा, तब उन्होंने सदा उनको सुना,
और जब वे कष्ट में थे तब उन्होंने उनकी बात सुनी।
45 उनके लिए, उन्होंने उस वाचा को स्मरण किया जो उन्होंने उन्हें आशीष देने के लिए उनसे बाँधी थी;
क्योंकि उन्होंने कभी उन्हें बहुत प्रेम करना बन्द नहीं किया था,
इसलिए उन्होंने उन्हें और अधिक दण्डित करने के विषय में अपना मन बदल दिया।
46 उन्होंने उन सबको दुख का अनुभव करवाया, जो इस्राएलियों को बाबेल ले गए थे।
47 हे हमारे परमेश्वर यहोवा, हमें बचाएँ
और हमें उन लोगों के समूह से इस्राएल वापस लाएँ
कि हम आपको धन्यवाद दे सकें
और आनन्द से आपकी स्तुति कर सकें।
48 यहोवा की स्तुति करो, जिस परमेश्वर की हम इस्राएली आराधना करते हैं,
अब और सदा के लिए उनकी स्तुति करो!
सब लोगों को सहमत होना चाहिए!
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 107
पाँचवाँ भाग
1 यहोवा का धन्यवाद करो क्योंकि वह सदा हमारे लिए भले कार्य करते हैं!
हमारे लिए उनका सच्चा प्रेम सदा के लिए रहता है, जैसा कि उन्होंने हमसे प्रतिज्ञा की है!
2 जिन्हें यहोवा ने बचाया है, उन्हें दूसरों को बताना चाहिए
कि परमेश्वर ने उन्हें उनके शत्रुओं से बचा लिया है।
3 उन्होंने उन लोगों को एकत्र किया है जिन्हें कई देशों में निर्वासित किया गया था;
उन्होंने तुम्हें पूर्व और पश्चिम से,
उत्तर और दक्षिण से एक साथ एकत्र किया है।
4 उनमें से कुछ जो उन देशों में वापस आए थे, वे रेगिस्तान में घूमते थे;
वे खो गए थे और रहने के लिए उनके पास कोई घर नहीं था।
5 वे भूखे और प्यासे थे,
और वे थक कर गिर भी गए।
6 जब वे संकट में थे, तो उन्होंने यहोवा को पुकारा,
और यहोवा ने उन्हें दुखी होने से बचाया।
7 वे उन्हें सीधे मार्ग पर ले गए जहाँ वे सुरक्षित होकर चले
कनान के शहरों में जहाँ वे रह सकते थे।
8 उनसे सच्चा प्रेम करने के लिए उन्हें यहोवा की स्तुति करनी चाहिए
और उन अद्भुत कार्यों के लिए भी जो वह लोगों के लिए करते हैं।
9 वह प्यासों को पीने के लिए बहुत पानी देते हैं,
और वह भूखे लोगों को खाने के लिए अच्छी वस्तुएँ प्रदान करते हैं।
10 उनमें से कुछ बहुत ही अँधेरे बन्दीगृहों में थे;
वे बन्दी थे और उनके हाथों और पैरों की बेड़ियों के कारण पीड़ित थे।
11 वे बन्दीगृह में थे क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के सन्देश के विरुद्ध विद्रोह किया था;
वे वहाँ थे क्योंकि उन्होंने उन परमेश्वर के मार्गदर्शन को तुच्छ जाना था,
जो अन्य सब देवताओं से महान हैं।
12 यही कारण है कि परमेश्वर ने उन्हें कठिनाइयों का सामना करवाया कि वे अब घमण्ड न करें;
जब उन्हें कष्ट हुआ, तब उनकी सहायता करने के लिए कोई भी नहीं था।
13 जब वे संकट में थे, तो उन्होंने यहोवा को पुकारा,
और उन्होंने उन्हें कष्टों से निकाला।
14 उन्होंने उनकी बेड़ियों को तोड़ दिया जो उनके हाथों और पैरों पर थी
और उन्हें उन अँधेरे बन्दीगृहों से बाहर लाए।
15-16 उन्होंने बन्दीगृह के द्वार तोड़ दिए जो पीतल से बने थे;
उन्होंने लोहे से बनी बन्दीगृह की सलाखों को काट डाला।
उनसे सच्चा प्रेम करने के लिए, उन्हें यहोवा की स्तुति करनी चाहिए
और उन अद्भुत कार्यों के लिए जो वह लोगों के लिए करते हैं।
17 उनमें से कुछ ने मूर्खतापूर्वक परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया,
इसलिए वे अपने पापों के कारण पीड़ित हुए।
18 वे कोई खाना नहीं खाना चाहते थे,
और वे लगभग मर ही गए थे।
19 जब वे संकट में थे, तो उन्होंने यहोवा को पुकारा,
और उन्होंने उन्हें संकटों से निकाला।
20 जब उन्होंने आज्ञा दी कि वे स्वस्थ हो जाएँ, तो वे स्वस्थ हो गए;
उन्होंने उन्हें मरने से बचाया।
21 उनसे सच्चा प्रेम करने के लिए, उन्हें यहोवा की स्तुति करनी चाहिए
और उन अद्भुत कार्यों के लिए जो वह लोगों के लिए करते हैं।
22 उन्हें यह दिखाने के लिए भेंट चढ़ाना चाहिए कि वे आभारी हैं,
और यहोवा के किए गए चमत्कारों के विषय में आनन्द से गाना चाहिए।
23 उनमें से कुछ लोगों ने जहाजों में यात्रा की;
वे दूर शहरों में व्यापार कर रहे थे।
24 जब वे जलयात्रा कर रहे थे, तब उन्होंने उन चमत्कारों को भी देखा जो यहोवा ने किए थे,
अद्भुत कार्य जो उन्होंने किए जब वे लोग बहुत गहरे समुद्र में थे।
25 उन्होंने हवाओं को आदेश दिया, और वह दृढ़ हो गई
और उच्च लहरों को उकसाया।
26 जिन जहाजों में वे जलयात्रा कर रहे थे वे हवा में ऊँचे उछाले जाते थे,
और फिर वे उच्च लहरों के बीच गहराई में डुबाए गए;
तब वे यात्री संकट से डर गए थे।
27 वे मतवाले पुरुषों के समान इधर-उधर लड़खड़ाए,
और उन्हें पता नहीं था कि क्या करना है।
28 जब वे संकट में थे, तब उन्होंने यहोवा को पुकारा,
और उन्होंने उन्हें संकट से निकाला।
29 उन्होंने तूफान को शान्त कर दिया
और उन्होंने लहरों को भी शान्त कर दिया।
30 जब वह शान्त हो गए तो वे बहुत आनन्दित थे;
और यहोवा उन्हें बन्दरगाह में सुरक्षित रूप से लाए जैसा वे चाहते थे।
31 उनसे सच्चा प्रेम करने के लिए, उन्हें यहोवा की स्तुति करनी चाहिए
और उन अद्भुत कार्यों के लिए जो वह लोगों के लिए करते हैं।
32 जब वे इकट्ठे होते हैं, तो उन्हें इस्राएलियों के बीच यहोवा की स्तुति करनी चाहिए,
और उन्हें देश के अगुओं के सामने यहोवा की प्रशंसा करनी चाहिए।
33 कभी-कभी यहोवा नदियों को सूखा देते हैं,
जिसके परिणामस्वरूप भूमि बंजर हो जाती है,
और पानी के झरने सूखी भूमि बन जाते हैं।
34 कभी-कभी वह उस भूमि को जिसमें बहुत सारी फसल उगती है, उसे बंजर भूमि बना देते हैं,
जिसके परिणामस्वरूप भूमि फसलों का उत्पादन नहीं करती हैं।
वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वहाँ रहने वाले लोग बहुत दुष्ट हैं।
35 परन्तु कभी-कभी वह रेगिस्तान में पानी के ताल बनाते हैं,
और वह बहुत शुष्क भूमि में सोतों को बहाते हैं।
36 वह भूखे लोगों को उस देश में लाते हैं, कि वहाँ रहें और शहरों का निर्माण करें।
37 वे अपने खेतों में बीज बोते हैं,
और वे अँगूर के पौधे लगाते हैं जो अँगूर की बहुत फसल उत्पन्न करती हैं।
38 यहोवा लोगों को आशीष देते हैं, और स्त्रियाँ कई बच्चों को जन्म देती हैं,
और उनके पास मवेशियों के बहुत झुण्ड हो जाते हैं।
39 जब लोगों की संख्या कम हो गई और उन्हें अपने शत्रुओं द्वारा अपमानित किया गया
उन्हें पीड़ित किया गया और दुखित किया गया,
40 यहोवा ने उन अगुओं के प्रति घृणा दिखाई जो उन्हें पीड़ित करते हैं,
और उन्हें जंगल में भटकने दिया, जहाँ सड़कें नहीं हैं।
41 परन्तु वह गरीब लोगों को दुखी होने से बचाते हैं
और उनके परिवारों को भेड़ के झुण्ड के समान संख्या में बड़ाते हैं।
42 जो लोग उचित जीवन जीते हैं, वे परमेश्वर को इन कार्यों को करते देखते हैं, और वे आनन्दित होते हैं;
दुष्ट लोग भी इन कार्यों के विषय में सुनते हैं,
परन्तु उनके पास यहोवा के विरुद्ध कुछ भी कहने के लिए कोई उत्तर नहीं है।
43 जो बुद्धिमान हैं उन्हें इन बातों के विषय में सावधानी से सोचना चाहिए;
उन्हें यहोवा के सब कार्यों पर विचार करना चाहिए जिन्हें यहोवा ने दिखाया हैं कि वह उन्हें सच्चा प्रेम करते हैं।
Chapter 108
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे परमेश्वर, मुझे आप पर बहुत भरोसा है।
मैं आपकी स्तुति करने के लिए गाऊँगा।
जागते ही आपकी स्तुति करना एक सम्मान की बात है।
2 सूरज उगने से पहले मैं उठूँगा,
और जब मैं अपनी सारंगी और वीणा को बजाऊँगा तो मैं आपकी स्तुति करूँगा।
3 मैंने प्रार्थना की, “हे यहोवा, मैं सब जातियों के बीच धन्यवाद करूँगा;
मैं राष्ट्रों के बीच आपकी प्रशंसा करने के लिए गाऊँगा
4 क्योंकि हमारे लिए आपका सच्चा प्रेम स्वर्ग तक पहुँचता है,
और आप अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करने में सच्चे हैं जैसे बादल पृथ्वी से ऊपर हैं।
5 हे यहोवा, आकाश में दिखाएँ कि आप बहुत महान हैं!
अपनी महिमा सारी पृथ्वी के लोगों को दिखाएँ!
6 हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दें और अपनी शक्ति के द्वारा हमें अपने शत्रुओं को हराने में सहायता करें
कि हम, जो लोग आप से प्रेम करते हैं, वे बचाए जा सकें।”
7 यहोवा ने हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया और अपने भवन से बात की, “क्योंकि मैंने तुम्हारे शत्रुओं पर विजय प्राप्त की है, इसलिए मैं सहर्ष से शेकेम शहर को विभाजित करूँगा,
और मैं सुक्कोत की घाटी की भूमि अपने लोगों के बीच में बाँट दूँगा।
8 गिलाद का क्षेत्र मेरा है;
मनश्शे के गोत्र के लोग मेरे हैं;
और यहूदा का गोत्र मेरे राजदण्ड के समान है।
9 मोआब का क्षेत्र मेरे धोने के पात्र के समान है;
मैंने एदोम के क्षेत्र में अपना जूता फेंक दिया कि यह दिखाया जा सके कि वह मेरा है;
मैं जयजयकार करता हूँ क्योंकि मैंने पलिश्त के लोगों को पराजित किया है।”
10 क्योंकि हम एदोम के लोगों पर आक्रमण करना चाहते हैं,
कौन मेरी सेना को उनकी राजधानी में ले जाएगा जिसके चारों ओर दृढ़ दीवारें हैं?
11 हे परमेश्वर, हम नहीं चाहते हैं कि आप हमें त्याग दें;
हम चाहते हैं कि आप हमारे साथ चलें जब हमारी सेना हमारे शत्रुओं से लड़ने के लिए बाहर निकलती है।
12 जब हम अपने शत्रुओं के विरुद्ध लड़ते हैं तब हमें आपकी सहायता की आवश्यकता होती है
क्योंकि मनुष्य जो सहायता हमें दे सकते हैं वह व्यर्थ है।
13 परन्तु आपकी सहायता से, हम जीतेंगे;
हमारे शत्रुओं को हराने में आप हमें समर्थ बनाएँगे।
Chapter 109
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन।
1 हे परमेश्वर, आप ही की मैं स्तुति करता हूँ,
इसलिए कृपया मेरी प्रार्थना का उत्तर दें
2 क्योंकि दुष्ट लोग मेरी निन्दा करते हैं
और मेरे विषय में झूठ बोलते हैं।
3 वे निरन्तर कह रहे हैं कि वे मुझसे घृणा करते हैं,
और वे बिना किसी कारण मुझे हानि पहुँचाते हैं।
4 मैं उन्हें दिखाता हूँ कि मैं उनसे प्रेम करता हूँ
और मैं उनके लिए प्रार्थना करता हूँ,
परन्तु मेरे प्रति दयालु होने की अपेक्षा, वे कहते हैं कि मैंने बुरे कार्य किए हैं।
5 उनकी भलाई करने और उनसे प्रेम करने के बदले में,
वे मेरे लिए बुरे कार्य करते हैं और मुझसे घृणा करते हैं।
6 अतः एक दुष्ट न्यायधीश की नियुक्ति करें जो मेरे शत्रु का न्याय करे,
और उनके शत्रुओं में से एक को लाएँ जो खड़ा होकर उन पर आरोप लगाए।
7 जब परीक्षण समाप्त होता है,
तब न्यायधीश के द्वारा उसे दोषी ठहराए
और दया के लिए उसकी प्रार्थना भी पाप मानी जाए।
8 फिर वह शीघ्र ही मर जाए;
और कोई और उसका पद ले ले।
9 उसके बच्चों का अब कोई पिता न हो,
और उसकी पत्नी विधवा हो जाए।
10 उसके बच्चों को उन उजड़े हुए घरों को छोड़ना पड़े, जहाँ वे रह रहे थे
और भोजन के लिए वे घूम-घूम कर भीख माँगे।
11 वे सब लोग जिनको उसे पैसे देने थे, वे उसकी सम्पत्ति पर अधिकार कर लें;
अपरिचित लोग वह सब कुछ लूट कर ले जाएँ जिसे प्राप्त करने के लिए उसने कार्य किया था।
12 सुनिश्चित करें कि आपकी वाचा के कारण, उसके स्मरण के लिए कोई भी भक्ति न दिखाए;
सुनिश्चित करो कि कोई भी उसके बच्चों को करुणा न दिखाए।
13 उसके सब बच्चे मर जाएँ,
कि उसका वंश चलाने के लिए कोई भी जीवित न रहे।
14 हे यहोवा, स्मरण करके उसके पूर्वजों को उन बुरे कार्यों के लिए क्षमा न करें जो उन्होंने किए थे,
और उन पापों को भी क्षमा न करें जो उसकी माँ ने किया था।
15 निरन्तर उसके पापों के विषय में सोचें,
परन्तु हर एक जीवित जन उसे भूल जाए कि वह कौन था।
16 मैं इन बातों के लिए प्रार्थना करता हूँ क्योंकि उस व्यक्ति ने, मेरे शत्रु ने कभी भी किसी के प्रति वह कार्य नहीं किया जो आपकी वाचा कहती है;
उसने गरीब और आवश्यकता में पड़े लोगों को सताया
और असहाय लोगों को भी मार डाला।
17 लोगों को श्राप देना उसे अच्छा लगता है।
तो उन भयानक कार्यों को जिन्हें उसने दूसरों पर होने का अनुरोध किया - उन्हें उसके साथ ही होने दें!
वह दूसरों को आशीष नहीं देना चाहता था,
अतः सुनिश्चित करें कि कोई भी उसे आशीष न दे!
18 वह प्रायः अन्य लोगों को भी श्राप देता है;
उन भयानक बातों को जो वह दूसरों के साथ होने के लिए चाहता था वो उसके साथ ही हों और पानी के समान उसके शरीर में प्रवेश करे,
जैसे जैतून का तेल किसी व्यक्ति की हड्डियों में समा जाता है जब वह अपनी त्वचा पर लगाया जाता है।
19 उन भयानक कार्यों को कपड़ों के समान उसके साथ चिपकने का कारण बना दें
और फेंटे के समान उसके कमर के चारों ओर रहें जो वह हर दिन पहनता है।
20 हे यहोवा, मैं चाहता हूँ कि आप मेरे सारे शत्रुओं को इस प्रकार दण्डित करें,
जो मेरे विषय में बुरी बातें कहते हैं।
21 परन्तु हे मेरे परमेश्वर, मेरे लिए भले कार्य करें
कि मैं आपको सम्मान दे सकूँ;
मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँ
क्योंकि आपने मुझसे सच्चा प्रेम किया जैसी आपने प्रतिज्ञा की थी।
22 मैं आप से ऐसा करने का अनुरोध करता हूँ क्योंकि मैं गरीब और गरीब हूँ
और मेरा मन दर्द से भरा है।
23 मुझे लगता है कि जीवित रहने का मेरा समय कम है
शाम की छाया के समान, जो शीघ्र ही लोप हो जाएगी।
हवा से टिड्डियाँ उड़ा दी जाती है, वैसे मुझे भी उड़ा दिया जाएगा।
24 मेरे घुटने निर्बल हैं क्योंकि मैंने बहुत बार उपवास किया है,
और मेरा शरीर बहुत पतला हो गया है।
25 जो लोग मुझ पर दोष लगाते हैं वे मेरा उपहास उड़ाते हैं;
जब वे मुझे देखते हैं, तब वे मुझ पर अपना सिर हिला कर मेरा अपमान करते हैं।
26 हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता करें!
क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं, इसलिए मुझे बचाएँ!
27 जब आप मुझे बचाते हैं,
तब मेरे शत्रुओं को यह जानने दें कि आप ही हैं जिन्होंने यह किया है!
28 वे मुझे श्राप दे सकते हैं, परन्तु मैं विनती करता हूँ कि आप मुझे आशीष दें।
उन लोगों को जो मुझे सताते हैं, उन्हें पराजित और अपमानित होना पड़े,
परन्तु मेरे लिए आनन्दित होने का कारण उत्पन्न करें!
29 जो लोग मुझ पर आरोप लगाते हैं, वे पूरी तरह से अपमानित हों;
जैसे लोग अपने पहने हुए कपड़ों को देख सकते है, वैसे ही अन्य लोगों को यह देखने दें कि वे लोग कैसे अपमानित किए गए हैं!
30 परन्तु मैं यहोवा का बहुत धन्यवाद करूँगा;
मैं उनकी स्तुति करूँगा जब मैं उन लोगों की भीड़ में हूँ जो उनकी आराधना करते हैं।
31 मैं ऐसा इसलिए करूँगा क्योंकि वह मेरे जैसे गरीब लोगों की रक्षा करते हैं
और क्योंकि वह हमें उन लोगों से बचाते हैं जिन्होंने कहा है कि हमें मर जाना चाहिए।
Chapter 110
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन।
1 यहोवा ने मेरे प्रभु राजा से कहा,
“यहाँ मेरे पास सर्वोच्च सम्मान के स्थान पर बैठ
जब तक मैं तेरे शत्रुओं को पराजित करके
उन्हें तेरे पैरों की चौकी न बना दूँ।”
2 यहोवा राजा के रूप में तेरी शक्ति का विस्तार करेंगे
यरूशलेम से अन्य भूमि तक;
तू अपने सब शत्रुओं पर शासन करेगा।
3 जिस दिन तू अपनी सेनाओं को युद्ध में ले जाएगा,
उस दिन तेरी प्रजा के कई लोग तेरी सेना में सम्मिलित होने के लिए स्वयं आगे आएँगे।
तेरी युवा शक्ति तेरे लिए वैसे ही कार्य करेगी जैसे ओस सुबह के समय पृथ्वी को भीगाती है।”
4 यहोवा ने एक गम्भीर वचन दिया है
और वह कभी भी अपना मन नहीं बदलेंगे;
उन्होंने राजा से कहा है, “तू सदा के लिए मलिकिसिदक के समान याजक होगा।”
5 परमेश्वर तेरी दाहिनी ओर खड़े हैं;
जब वह क्रोधित हो जाएँगे, तब वह अनेक राजाओं को पराजित करेंगे।
6 वह अनेक राष्ट्रों के लोगों का न्याय करेंगे और दण्ड देंगे;
मारे गए कई शत्रु सैनिकों के शव भूमि पर पड़े होंगे।
वह सम्पूर्ण पृथ्वी के राजाओं को कुचल देंगे।
7 परन्तु राजा मार्ग के किनारे की धारा से जल पीएगा;
वह अपने शत्रुओं को पराजित करने के बाद ताजा हो जाएगा।
Chapter 111
1 यहोवा की स्तुति करो!
मैं अपने सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूँगा
जब उचित कार्य करने वाले लोग एकत्र होते हैं।
2 यहोवा ने जो कार्य किए हैं वह अद्भुत हैं!
वे सब जो उन कार्यों से प्रसन्न रहते हैं
वे उनका अध्ययन करने की इच्छा रखते है।
3 क्योंकि वह महान राजा हैं और अद्भुत कार्य करते हैं,
लोग उनका बहुत सम्मान और आदर करते हैं;
वह जो धर्म कार्य करते हैं वह सदा के लिए होंगे।
4 उन्होंने अद्भुत कार्य किये हैं जिन्हें लोग सदा स्मरण रखेंगे;
यहोवा सदा दया के और अनुग्रह के कार्य करते हैं।
5 वह उन लोगों के लिए भोजन प्रदान करते हैं जो उनका बहुत सम्मान करते हैं;
वह हमारे पूर्वजों के साथ बाँधी गई वाचा को कभी नहीं भूलते हैं।
6 अपने लोगों को अन्य जातियों के देश पर अधिकार करने में समर्थ बना कर,
उन्होंने हमें, उनके लोगों को, यह दिखाया है कि वह बहुत शक्तिशाली हैं।
7 वह सब कुछ न्यायपूर्ण रीति से करते हैं, जैसा कि उन्होंने प्रतिज्ञा की है,
और जब वह हमें कुछ करने के लिए आदेश देते हैं तब हम सहायता के लिए उन पर निर्भर हो सकते हैं।
8 उनकी आज्ञाओं को सदा मानना चाहिए;
और उन्होंने सच्चे और उचित रीति से कार्य किया जब उन्होंने हमें ये आदेश दिए थे।
9 उन्होंने हमें, उनके लोगों को मिस्र में दास होने से बचाया,
और उन्होंने हमारे साथ एक वाचा बाँधी जो सदा के लिए होगी।
वह पवित्र और भययोग्य हैं!
10 यहोवा का महान सम्मान करना बुद्धिमान होने का मार्ग है।
जो लोग उनके आदेशों का पालन करते हैं उन्हें पता चलेगा कि उनके लिए क्या करना उचित है।
हमें सदा उनकी स्तुति करनी चाहिए!
Chapter 112
1 यहोवा की स्तुति करो!
वे लोग कितने भाग्यशाली हैं जो उनका महान सम्मान करते हैं,
जो आनन्द से उनके आदेशों का पालन करते हैं।
2 उनके बच्चे उनकी भूमि में समृद्ध होंगे;
परमेश्वर उनके वंशजों को आशीष देंगे।
3 उनके परिवार धनवान होंगे,
और उनके धर्म के कार्य सदा के लिए स्थिर रहेंगे।
4 उन लोगों के लिए जो परमेश्वर का सम्मान करते हैं, ऐसा लगता है जैसे अँधेरे में उनके ऊपर एक प्रकाश चमक रहा था,
उन लोगों पर जो दयालु, कृपालु और धर्मी हैं।
5 जो दूसरों को उदारता से पैसा देते हैं उनके लिए सब कुछ अच्छा होता रहेगा
और उनके लिए भी जो निष्ठापूर्वक अपने व्यवसाय का संचालन करते हैं।
6 धर्मी लोग अपनी हानियों के कारण व्याकुल नहीं होंगे;
अन्य लोग सदा उनको स्मरण रखेंगे।
7 बुरे समाचार को सुन कर वे डरते नहीं हैं;
वे विश्वास के साथ यहोवा पर भरोसा रखते हैं।
8 उनमें विश्वास हैं और वे डरते नहीं हैं
क्योंकि वे जानते हैं कि परमेश्वर उनके शत्रुओं को पराजित करेंगे और वे देखेंगे।
9 वे गरीबों को उदारता से देते हैं;
उनके दया के कर्म सदा के लिए स्मरण रहेंगे,
और उन्हें ऊँचा उठाया जाएगा और सम्मानित किया जाएगा।
10 दुष्ट लोग उन बातों को देखते हैं और क्रोधित होते हैं;
वे क्रोध में अपने दाँत पीसते हैं,
परन्तु वे गायब हो जाएँगे और मर जाएँगे।
वे जो दुष्टता करना चाहते हैं वो कभी नहीं होगी।
Chapter 113
1 यहोवा की स्तुति करो!
तुम जो यहोवा की सेवा करते हो, उनकी स्तुति करो!
उनकी स्तुति करो!
2 प्रत्येक को अब और सदा के लिए यहोवा की स्तुति करनी चाहिए!
3 जो लोग पूर्व में रहते हैं और जो लोग पश्चिम में रहते हैं,
सबको, यहोवा की स्तुति करनी चाहिए!
4 यहोवा सब जातियों पर शासन करते हैं,
और वह ऊँचे आकाश में दिखाते हैं कि उनकी महिमा बहुत महान है।
5 कोई भी नहीं है जो यहोवा, हमारे परमेश्वर के समान हैं,
जो सर्वोच्च स्वर्ग में रहते हैं
6 और वह स्वर्ग से नीचे दृष्टि करते हैं और पृथ्वी के लोगों को देखते हैं।
7 वह गरीब लोगों को ऊपर उठाते हैं कि वे गन्दगी में न रहें;
वह गरीब लोगों को ऊपर उठाते हैं कि वे अब राख के ढेर पर न बैठें
8 और उन्हें प्रधानों के पास में बैठा कर सम्मानित करते हैं,
उन प्रधानों को जो अपने लोगों पर शासन करते हैं।
9 वह उन स्त्रियों को जिनके कोई सन्तान नहीं है अपने घरों में ऐसे रहने योग्य करते हैं,
जैसे संतानों वाली माताएँ प्रसन्न रहती हैं।
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 114
1 जब इस्राएली लोगों ने मिस्र छोड़ दिया,
जब याकूब के वंशजों ने उन लोगों को छोड़ दिया जो विदेशी भाषा बोलते थे,
2 यहूदा की भूमि वह स्थान बन गई जहाँ लोगों ने परमेश्वर की आराधना की;
और इस्राएल वह भूमि बन गई जिस पर उन्होंने शासन किया था।
3 जब वे लाल सागर के पास आए,
ऐसा लगता था जैसे कि पानी ने उन्हें देखा और भाग गया!
जब वे यरदन नदी में आए,
तब नदी का पानी बहना बन्द हो गया कि इस्राएली उसे पार कर सकें।
4 जब वे सीनै पर्वत पर आए और वहाँ एक बड़ा भूकम्प आया,
तब ऐसा लगता था जैसे पर्वत बकरियों के समान उछल रहे हैं
और पहाड़ियाँ भेड़ के बच्चों के समान चारों ओर कूद रही हैं।
5 यदि कोई पूछता है, “लाल सागर में क्या हुआ जिससे पानी भाग गया?
ऐसा क्या हुआ जिसके कारण यरदन नदी में पानी बहना बन्द हो गया?
6 ऐसा क्या हुआ जिससे पर्वत बकरियों के समान उछलने लगे
और पहाड़ियाँ भेड़ के बच्चों के समान चारों ओर कूदने लगी?”
7 निःसन्देह, सारी धरती परमेश्वर के सामने थरथराएगी!
हर कोई परमेश्वर की उपस्थिति में डर जाएगा, जिनकी याकूब ने आराधना की थी!
8 वही हैं जिन्होंने इस्राएली लोगों के पीने के लिए चट्टान से पानी के ताल को बहाया,
और वही हैं जिन्होंने ठोस चट्टान से पानी का सोता बहाया!
Chapter 115
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन
1 हे यहोवा, लोगों को केवल आपकी स्तुति करनी चाहिए;
उन्हें हमारी नहीं, आपकी स्तुति करनी चाहिए,
क्योंकि आप हमसे सच्चा प्रेम करते हैं और सदा अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करते हैं।
2 यह सही नहीं है कि अन्य लोगों के समूह हमारे विषय में कहें, कि
“वे दावा करते हैं कि उनके परमेश्वर बहुत शक्तिशाली हैं,
यदि यह सच है, तो वह उनकी सहायता क्यों नहीं करते हैं?”
3 हमारे परमेश्वर स्वर्ग में हैं,
और वह जो कुछ भी चाहते हैं वह करते हैं!
4 परन्तु उनकी मूर्तियाँ केवल चाँदी और सोने से बने मूर्तियाँ हैं,
जिन्हें मनुष्यों ने बनाया है।
5 उनकी मूर्तियों के मुँह तो हैं, परन्तु वे कुछ भी नहीं कह सकती हैं;
उनके पास आँखें हैं, परन्तु वे कुछ भी नहीं देख सकती हैं।
6 उनके कान हैं, परन्तु वे कुछ भी नहीं सुन सकती हैं;
उनके पास नाक हैं, परन्तु वे कुछ भी सूँघ नहीं सकती हैं।
7 उनके हाथ हैं, परन्तु वे कुछ भी अनुभव नहीं कर सकती हैं;
उनके पास पैर हैं, परन्तु वे नहीं चल सकती हैं,
और वे अपने गले से कोई आवाज नहीं निकाल सकती हैं!
8 जो लोग मूर्तियों को बनाते हैं वे भी मूर्तियों के समान शक्तिहीन होते हैं,
और जो लोग उन मूर्तियों पर भरोसा करते हैं, वे अपनी मूर्तियों के समान कुछ भी नहीं कर सकते हैं!
9 हे मेरे साथी इस्राएली लोगों, यहोवा पर भरोसा रखो!
वही हैं जो तुम्हारी सहायता करते हैं और ढाल के समान बचाते हैं।
10 हे याजकों, हारून के वंशजों, यहोवा पर भरोसा रखो!
वही हैं जो तुम्हारी सहायता करते हैं और ढाल के समान बचाते हैं।
11 तुम सब जो यहोवा के लिए भय और सम्मान रखते हो, उन पर भरोसा रखो!
वही हैं जो तुम्हारी सहायता करते हैं और ढाल के समान बचाते हैं।
12 यहोवा हमें भूल नहीं गए हैं;
वह हम इस्राएली लोगों को आशीष देंगे!
वह याजकों को आशीष देंगे,
13 और वह उन सबको आशीष देंगे जो उनका भय के साथ सम्मान करते हैं;
वह महत्वपूर्ण लोगों और उन लोगों को जिन्हें महत्वहीन माना जाता है, सबको आशीष देंगे!
14 मेरी इच्छा है कि यहोवा तुम्हें मेरे साथी इस्राएली लोगों, अनेक सन्तान दें
और तुम्हारे वंशजों को भी।
15 मैं चाहता हूँ कि यहोवा, जिन्होंने स्वर्ग और पृथ्वी बनाया है, तुम सबको आशीष दें!
16 सर्वोच्च स्वर्ग यहोवा के हैं,
परन्तु उन्होंने हम लोगों को पृथ्वी पर जो कुछ भी है वह सब दिया है।
17 मृत लोग यहोवा की स्तुति करने योग्य नहीं हैं;
जब वे उस स्थान पर आते हैं जहाँ मृत लोग हैं,
तब वे बोलने में असमर्थ होते हैं और उनकी स्तुति नहीं कर सकते हैं।
18 परन्तु हम जो जीवित हैं, वे उन्हें धन्यवाद देंगे,
अब और सदा के लिए।
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 116
1 मैं यहोवा से प्रेम करता हूँ
क्योंकि जब मैं सहायता के लिए उन्हें पुकारता हूँ तो वह मेरी सुनते हैं।
2 वह मेरी बात सुनते हैं,
इसलिए मैं अपने पूरे जीवन उनको पुकारूँगा।
3 मेरे आस-पास की हर एक वस्तु ने मुझे सोचने पर विवश किया कि मैं मर जाऊँगा;
मुझे बहुत डर था कि मैं मर जाऊँगा और उस स्थान पर जाऊँगा जहाँ मृत लोग हैं।
मैं बहुत चिन्तित हुआ और डर गया था।
4 परन्तु फिर मैंने यहोवा को पुकारा,
“हे यहोवा, मैं आप से विनती करता हूँ कि मुझे बचाएँ!”
5 यहोवा दयालु हैं और जो सही होता है वही करते हैं;
वह हमारे परमेश्वर हैं, और वह हम पर दया करते हैं।
6 वह उन लोगों की रक्षा करते हैं जो असहाय हैं;
जब मैंने सोचा कि मैं मर जाऊँगा, तब उन्होंने मुझे बचाया।
7 मुझे स्वयं को प्रोत्साहित करना चाहिए
क्योंकि यहोवा ने मेरे लिए बहुत अच्छे कार्य किये हैं।
8 यहोवा ने मुझे मरने से बचा लिया है
और मुझे उन चिन्ताओं से निकाला है जो मेरे रोने का कारण बन सकती थी।
उन्होंने मुझे विपत्तियों से बचाया है।
9 अतः मैं यहाँ धरती पर रहता हूँ, जहाँ लोग अभी भी जीवित हैं,
यह जानते हुए कि यहोवा मुझे निर्देशित कर रहे हैं।
10 मैं यहोवा पर विश्वास करता रहा,
तब भी जब मैंने कहा, “मैं बहुत पीड़ित हूँ।”
11 यहाँ तक कि जब मैं चिन्तित था और कहा, “मैं किसी पर भरोसा नहीं कर सकता,”
तब भी मैंने यहोवा पर भरोसा रखा।
12 इसलिए अब मैं तुम्हें बताऊँगा कि मैं यहोवा को क्या भेंट चढ़ाऊँगा
उन सब अच्छे कार्यों के कारण जो उन्होंने मेरे लिए किए हैं।
13 मैं उन्हें एक कटोरा दाखरस भेंट करूँगा
जो मुझे बचाने के लिए उनका धन्यवाद करने के लिए होगा।
14 जब मैं यहोवा के बहुत से लोगों के साथ होता हूँ,
तब मैं उन्हें वे भेंटें चढ़ाऊँगा जिनकी मैंने प्रतिज्ञा की है।
15 यहोवा बहुत दुखी होते हैं जब उनके लोगों में से किसी की मृत्यु हो जाती है।
16 मैं उन लोगों में से एक हूँ जो यहोवा की सेवा करते हैं;
मैं उनकी सेवा करता हूँ जैसे मेरी माता ने सेवा की थी।
उन्होंने मेरी चिन्ताओं को दूर कर दिया है।
17 इसलिए मैं उन्हें धन्यवाद देने के लिए बलिदान चढ़ाऊँगा,
और मैं उनसे प्रार्थना करूँगा।
18-19 जब मैं यहोवा के बहुत से लोगों के साथ होता हूँ
यरूशलेम में उनके मन्दिर के बाहर आँगन में,
तब मैं उन भेंटों को चढ़ाऊँगा जिनकी मैंने प्रतिज्ञा की है।
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 117
1 हे सब जातियों के लोगों, यहोवा की स्तुति करो!
हे सब लोगों के समूहों, उनकी स्तुति करो
2 क्योंकि वह हमसे सच्चा प्रेम करते हैं जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है,
और वह हमारे लिए सदैव अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेंगे।
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 118
1 यहोवा को बताओ कि तुम उनके किए गए अच्छे कार्यों के लिए उनका बहुत धन्यवाद करते हो!
वह हमसे अर्थात् उनके लोगों को, सदा सच्चा प्रेम करते हैं।
2 हे इस्राएली लोगों तुम्हें बार-बार ऊँचे शब्दों से कहना चाहिए,
“वह हमसे अर्थात् उनके लोगों को, सदा के लिए सच्चा प्रेम करते हैं!”
3 हे याजकों जो हारून के वंशज हैं, उन्हें बार-बार ऊँचे शब्दों से कहना चाहिए,
“वह हमसे अर्थात् उनके लोगों को, सदा के लिए सच्चा प्रेम करते हैं!”
4 तुम सब जो उनका आदर करते हो, बार-बार ऊँचे शब्दों से कहना चाहिए,
“वह हमसे अर्थात् उनके लोगों को, सदा के लिए सच्चा प्रेम करते हैं!”
5 जब मैं चिन्तित था, मैंने यहोवा को पुकारा,
और उन्होंने मुझे उत्तर दिया और मुझे मेरी चिन्ताओं से मुक्त कर दिया।
6 यहोवा मेरी ओर हैं,
मैं किसी से भी नहीं डरूँगा।
कोई भी ऐसा कुछ नहीं कर सकता कि परमेश्वर को मुझे सदा के लिए आशीष देने से रोक दे।
7 हाँ, यहोवा मेरी ओर हैं,
इसलिए जब वह उन्हें पराजित करते हैं तो मैं अपने शत्रुओं को विजयी होकर देखूँगा।
8 लोगों पर निर्भर होने से यहोवा पर भरोसा रखना अधिक उत्तम है।
9 हमारी रक्षा करने के लिए प्रभावशाली लोगों पर भरोसा रखने से
हमारी रक्षा करने के लिए यहोवा पर भरोसा करना अधिक उत्तम है।
10 कई राष्ट्रों की सेनाओं ने हमें घेर लिया,
परन्तु यहोवा ने हमें अपनी शक्ति से उन्हें पराजित करने योग्य किया।
11 उन्होंने पूरी तरह से हमें घेर लिया,
परन्तु हमने उन सबको यहोवा की शक्ति से पराजित किया।
12 उन्होंने क्रोध में आकर मुझे मधुमक्खियों के समान घेर लिया;
वे एक कंटीली झाड़ी में लगी आग के समान थे,
परन्तु हमने उन्हें यहोवा की शक्ति से पराजित किया।
13 हमारे शत्रुओं ने हम पर भयानक आक्रमण किया और लगभग हमें पराजित कर दिया,
परन्तु यहोवा ने हमारी सहायता की।
14 यहोवा ही वह हैं जो मुझे दृढ़ करते हैं,
और वही हैं जिनके विषय में मैं सदा गाता हूँ;
उन्होंने हमें हमारे शत्रुओं से बचा लिया है।
15 उन लोगों के तम्बुओं में गाए जाने वाले आनन्द के गीतों को सुनें जो परमेश्वर का सम्मान करते हैं!
वे गाते हैं, “यहोवा ने हमारे शत्रुओं को अपनी महान शक्ति से पराजित किया है;
16 उन्होंने अपने बलवन्त दाहिने हाथ को उठाया है कि वह दिखा सकें कि वह अपने शत्रुओं को पराजित करने से प्रसन्न हैं।
यहोवा ने उन्हें पूरी तरह से पराजित कर दिया है।”
17 मैं युद्ध में नहीं मारा जाऊँगा;
मैं यहोवा के महान कार्यों का प्रचार करने के लिए जीवित रहूँगा।
18 यहोवा ने मुझे गम्भीर दण्ड दिया है,
परन्तु उन्होंने मुझे मरने की अनुमति नहीं दी हैं।
19 हे द्वारपालों, मेरे लिए मन्दिर के द्वार खोलो
कि मैं प्रवेश कर सकूँ और यहोवा का धन्यवाद कर सकूँ।
20 वे द्वार हैं जिनसे होकर हम यहोवा की आराधना करने के लिए मन्दिर में प्रवेश करते हैं;
जो परमेश्वर का सम्मान करते हैं वे लोग उन द्वारों से प्रवेश करते हैं।
21 हे यहोवा, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ क्योंकि आपने मेरी प्रार्थना का उत्तर दिया
और आपने मुझे मेरे शत्रुओं से बचाया।
22 यहोवा का चुना हुआ राजा उस पत्थर के समान हैं जिसका मिस्त्रियों ने तिरस्कार कर दिया था
जब वे भवन बना रहे थे,
परन्तु वह पत्थर नींव का पत्थर बन गया।
23 यह यहोवा ने किया था,
और यह हमारी दृष्टि में एक अद्भुत बात है।
24 आज वह दिन है जिसमें हम स्मरण करते हैं कि यहोवा ने हमारे शत्रुओं को पराजित करने के लिए शक्तिशाली कार्य किये थे;
हम आज प्रसन्न होंगे और आनन्द मनाएँगे।
25 हे यहोवा, हम आप से विनती करते हैं, कि आप हमारे शत्रुओं से हमें बचाते रहें।
हे यहोवा, कृपया हमारे कार्यों को, जो हम करना चाहते हैं उन्हें पूरा करने में हमारी सहायता करें।
26 हे यहोवा, उसको आशीष दें जो आपकी शक्ति के साथ आएगा।
आराधनालय से हम आप सबको आशीष देते हैं।
27 यहोवा परमेश्वर हैं,
और उन्होंने अपना प्रकाश हम पर आने दिया है।
आओ, बलिदान के पशु ले आओ और उसे वेदी के सींगों से बाँध दो।
28 हे यहोवा, आप ही परमेश्वर हैं जिनकी मैं आराधना करता हूँ, और मैं आपकी स्तुति करूँगा!
आप मेरे परमेश्वर हैं, और मैं सबको बताऊँगा कि आप महान हैं!
29 यहोवा का धन्यवाद करो क्योंकि वह हमारे लिए अच्छे कार्य करते हैं!
वह हमसे सदा सच्चा प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
Chapter 119
1 वे लोग कितने भाग्यशाली हैं जिनके विषय में कोई भी यह नहीं कह सकता कि उन्होंने गलत कार्य किये हैं,
जो सदा यहोवा की व्यवस्था का पालन करते हैं।
2 वे लोग कितने भाग्यशाली हैं जो उनके भारी आदेशों का पालन करते हैं,
जो लोग अपने सम्पूर्ण मन से ऐसा करने में सहायता करने के लिए उनसे अनुरोध करते हैं।
3 वे गलत कार्य नहीं करते हैं;
वे उस प्रकार व्यवहार करते हैं जैसा यहोवा चाहते हैं।
4 हे यहोवा, आपने हमें व्यवहार करने के आपके सिद्धान्त दिए हैं,
और आपने हमें विश्वासपूर्वक उनका पालन करने के लिए कहा।
5 मैं आपकी हर एक आज्ञा का सच्चे मन से पालन करने की बहुत इच्छा रखता हूँ।
6 यदि मैंने ऐसा किया, तो जब मैं आपकी आज्ञाओं के विषय में सोचता हूँ
तब मैं लज्जित नहीं होऊँगा।
7 जब मैं आपके सब धार्मिकता से नियमों को सीखता हूँ,
मैं शुद्ध मन से आपकी स्तुति करूँगा।
8 मैं आपकी सब विधियों का पालन करूँगा;
मुझे त्याग न दें!
9 मैं जानता हूँ कि एक युवा व्यक्ति शुद्ध कैसे रह सकता है;
यह आपकी आज्ञाओं का पालन करने से होता है।
10 मैं अपने सम्पूर्ण मन से आपकी सेवा करने का प्रयास करता हूँ;
जो आज्ञाएँ आपने दी हैं उनसे मुझे भटकने न दें।
11 मैंने आपकी आज्ञाओं को स्मरण किया है
कि मैं आपके विरुद्ध पाप न करूँ।
12 हे यहोवा, मैं आपकी स्तुति करता हूँ;
मुझे अपनी विधियाँ सिखाएँ।
13 आपने हमें जो भी आज्ञाएँ दी हैं, उनका मैंने सब लोगों में प्रचार किया है।
14 मैं आपकी चितौनियों का पालन करने में प्रसन्न हूँ;
मैं बहुत धनवान होने से अधिक उससे आनन्दित हूँ।
15 मैं आपके द्वारा दी गई सब आज्ञाओं का अध्ययन करूँगा,
और मैं आपके द्वारा दिखाए गए जीवन के मार्ग पर ध्यान दूँगा।
16 मुझे आपकी विधियों का पालन करने में प्रसन्नता होगी,
और मैं आपके वचनों को नहीं भूलूँगा।
17 मैं जो आपकी सेवा करता हूँ, मेरा भला करें,
कि मैं अपने पूरे जीवन में आपके वचनों का पालन करता रहूँ।
18 मुझे मेरी बुद्धि से समझने में सहायता करें,
कि मैं आपकी व्यवस्था में लिखी हुई अद्भुत बातों को जान सकूँ।
19 मैं पृथ्वी पर केवल थोड़े समय के लिए हूँ;
मुझे समझ से दूर न होने दें।
20 मैं अपने मन की गहराई से दृढ़ता के साथ आपके नियमों को जानने की इच्छा रखता हूँ।
21 आप घमण्डी लोगों को दण्डित करते हैं;
आप उन लोगों को श्राप देते हैं जो आपके आदेशों का उल्लंघन करते हैं।
22 उन्हें मुझे अपमानित करने और मेरी निन्दा करने न दें;
मैं इसका अनुरोध इसलिए करता हूँ क्योंकि मैंने आपकी चितौनियों का पालन किया है।
23 शासक एक साथ इकट्ठे होते हैं और मुझे हानि पहुँचाने की योजना बनाते हैं,
परन्तु मैं आपकी आज्ञाओं पर ध्यान दूँगा।
24 मैं आपकी चितौनियों से प्रसन्न हूँ;
यह ऐसा है जैसे कि यह मेरी सलाहकार थीं।
25 मुझे लगता है कि मैं शीघ्र ही मर जाऊँगा;
मेरे जीवन को बचाओ जैसी आपने मुझसे प्रतिज्ञा की है कि आप करेंगे।
26 जब मैंने आपको जो कुछ मैंने किया उसके विषय में बताया, तो आपने मुझे उत्तर दिया;
मुझे अपने विधियाँ सिखाएँ।
27 मुझे समझने में सहायता करें कि आप मुझसे कैसे व्यवहार करवाना चाहते हैं,
और फिर मैं आपके अद्भुत निर्देशों पर ध्यान दूँगा।
28 मैं बहुत दुखी हूँ, जिसके परिणामस्वरूप मुझमें कोई शक्ति नहीं है;
मुझे फिर से बलवन्त होने में सक्षम करें जैसी आपने मुझसे प्रतिज्ञा की थी कि आप करेंगे।
29 मुझे झूठ बोलने से रोकें,
और मुझे अपनी व्यवस्था सिखा कर मुझ पर दया करें।
30 मैंने निर्णय लिया है कि मैं सच्चे मन से आपकी आज्ञा का पालन करूँगा;
मैं आपके आदेशों का पालन करने का दृढ़ संकल्प लेता हूँ।
31 हे यहोवा, मैं सावधानी से आपकी चितौनियों को पकड़े रहने का प्रयास करता हूँ;
मुझे छोड़ न दें या मुझे अपमानित न होने दें।
32 मैं उत्सुकता से आपकी आज्ञाओं का पालन करूँगा
क्योंकि आपने मुझे उत्तम रीति से समझने में सहायता की है कि आप मुझसे क्या करवाना चाहते हैं।
33 हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का अर्थ सिखाएँ,
और तब मैं पूरी तरह से उनका पालन करूँगा।
34 आपकी व्यवस्था को समझने में मेरी सहायता करें
कि मैं अपने सम्पूर्ण मन से उनका पालन कर सकूँ।
35 मैं आपकी आज्ञाओं से प्रसन्न हूँ,
तो मुझे उन मार्गों में ले चलें जिन्हें आपने मेरे लिए चुना है।
36 आपकी आज्ञाओं को पूरा करने की इच्छा मुझे दें
ना कि धनवान बनने की इच्छा।
37 मुझे उन कार्यों को देखने की अनुमति न दें जो व्यर्थ हैं;
मुझे उस प्रकार जीने में सक्षम बनाएँ जैसे आप मुझसे चाहते हैं।
38 क्योंकि मैं आपकी सेवा करता हूँ, इसलिए जो कुछ आपने मेरे लिए करने की प्रतिज्ञा की है उसे करें,
आपने उन सबके लिए यह करने की प्रतिज्ञा की हैं जो आपका सम्मान करते हैं।
39 जब मेरे शत्रु मेरा अपमान करते हैं, तो मैं डर जाता हूँ;
उन्हें रोकें!
परन्तु जब आप मेरे शत्रुओं को दण्ड देते हैं तब आप सही होते हैं।
40 मैं व्यवहार करने के आपके सिद्धान्तों का पालन करने की बहुत इच्छा रखता हूँ;
क्योंकि आप धर्मी हैं, मुझे जीवित रहने दें।
41 हे यहोवा, मुझे दिखाएँ कि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं,
और मुझे बचाएँ जैसी आपने प्रतिज्ञा की थी कि आप करेंगे।
42 आपके ऐसा करने के बाद, मैं उन लोगों को उत्तर दे सकूँगा जो मेरा अपमान करते हैं
क्योंकि मैं आपके वचनों पर भरोसा रखता हूँ।
43 मुझे आपकी सच्चाई बोलने से कभी न रोकें
क्योंकि मुझे आपके नियमों पर विश्वास है।
44 मैं सदा आपकी व्यवस्था का पालन करूँगा
सदा और सदा के लिए।
45 मैं सदा सुरक्षित रहूँगा
क्योंकि मैंने व्यवहार करने के आपके सिद्धान्तों का पालन करने का प्रयास किया हैं।
46 मैं राजाओं को बताऊँगा कि आपकी क्या इच्छाएँ हैं,
और क्योंकि वे मुझे गलत सिद्ध करने में असमर्थ हैं, इसलिए वे मुझे लज्जित नहीं करेंगे।
47 मुझे आपकी आज्ञाओं का पालन करने में प्रसन्नता होती है,
और मैं उनसे प्रेम करता हूँ।
48 मैं आपके आदेशों का सम्मान करता हूँ,
और मैं उनसे प्रेम करता हूँ;
मैं आपकी सब चितौनियों पर ध्यान करूँगा।
49 आपने मेरे लिए, जो आपकी सेवा करता हूँ जो करने की प्रतिज्ञा की है, उसे न भूलें,
क्योंकि आपने जो कहा है, उससे मुझे आप से भलाई की आशा हैं।
50 जब मैं पीड़ित हुआ, तब आपने मुझे सांत्वना दीं;
आपने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की, और मुझे जीवित रखा।
51 घमण्डी सदा मेरा उपहास उड़ाते हैं,
परन्तु मैं आपकी व्यवस्था का पालन करने से पीछे नहीं हटा।
52 यहोवा, जब मैं आपके नियमों के विषय में सोचता हूँ जो आपने हमें बहुत पहले दिए थे,
मुझे सांत्वना मिलती है।
53 जब मैं दुष्ट लोगों को आपकी व्यवस्था का अपमान करते देखता हूँ,
मैं बहुत क्रोधित हो जाता हूँ।
54 जबकि मैं थोड़ी देर के लिए यहाँ पृथ्वी पर रहता हूँ,
मैंने आपके नियमों के विषय में गीत लिखे हैं।
55 यहोवा, रात के समय मैं आपके विषय में सोचता हूँ,
और इसलिए मैं आपकी व्यवस्था का पालन करता हूँ।
56 मैंने व्यवहार करने के आपके सिद्धान्तों का सदा पालन किया है।
57 हे यहोवा, आपको ही मैंने चुना है,
और मैं आपके वचनों का पालन करने की प्रतिज्ञा करता हूँ।
58 मैं आप से मेरे प्रति भला होने के लिए अपने सम्पूर्ण मन से विनती करता हूँ;
कृपया मेरे साथ दया का व्यवहार करें जैसी आपने प्रतिज्ञा की थी कि आप करेंगे।
59 मैंने अपने व्यवहार के विषय में सोचा है,
और मैंने आपकी चितौनियों का पालन करने के लिए लौट आने का निर्णय लिया है।
60 मैं आपके आदेशों का पालन करने के लिए शीघ्रता करता हूँ;
मैं कभी देरी नहीं करता हूँ।
61 दुष्ट लोगों ने मुझे पकड़ने का प्रयास किया है जैसे शिकारी किसी पशु को जाल से पकड़ने का प्रयास करता है,
परन्तु मैं आपकी व्यवस्था को नहीं भूलता।
62 रात के मध्य में मैं जागता हूँ,
और मैं आपकी आज्ञाओं के लिए आपकी स्तुति करता हूँ
क्योंकि वे अनुकूल हैं।
63 मैं उन सबका मित्र हूँ जो आपका बहुत सम्मान करते हैं,
जो व्यवहार करने के आपके सिद्धान्तों का पालन करते हैं।
64 हे यहोवा, आप पूरी पृथ्वी के लोगों से सच्चा प्रेम करते हैं;
मुझे अपने विधियाँ सिखाएँ।
65 हे यहोवा, आपने मेरे लिए भले कार्य किए हैं
जैसी आपने प्रतिज्ञा की थी कि आप करेंगे।
66 मुझे क्या करना है उसका निर्णय लेने से पहले सावधानी से सोचना सिखाएँ,
और मुझे अन्य शिक्षाएँ दें जिन्हें मुझे जानना आवश्यक है
क्योंकि मेरा मानना है कि आपकी आज्ञाओं का पालन करना हमारे लिए उचित है।
67 आपके द्वारा मुझे पीड़ा देने से पहले, मैंने उन कार्यों को किया जो गलत थे,
परन्तु अब मैं आपके वचनों का पालन करता हूँ।
68 आप बहुत अच्छे हैं, और आप जो करते हैं वह अच्छा है;
मुझे अपनी विधियाँ सिखाएँ।
69 घमण्डी लोगों ने मेरे विषय में कई झूठ बोला है,
परन्तु, मैं व्यवहार करने के आपके सिद्धान्तों का पालन करता हूँ।
70 वे लोग हठीले हैं,
परन्तु मैं आपकी व्यवस्था से प्रसन्न हूँ।
71 यह मेरे लिए भला था कि आपने मुझे पीड़ा दी
क्योंकि इसका परिणाम यह हुआ कि मैंने आपकी विधियों को सीखा।
72 जो व्यवस्था आप हमें देते हैं वह मेरे लिए सोने की तुलना में बहुत उपयोगी है,
सोने और चाँदी के हजारों टुकड़ों से भी अधिक मूल्यवान हैं।
73 आपने मुझे बनाया और मेरे शरीर को रचा;
बुद्धिमान होने में मेरी सहायता करें कि मैं आपकी आज्ञाओं को सीख सकूँ।
74 जो आपका सम्मान करते हैं, वे देखेंगे कि आपने मेरे लिए क्या किया है,
क्योंकि उन्हें आपके वचन की प्रतिज्ञाओं में विश्वास है।
75 हे यहोवा, मुझे पता है कि आपके नियम उचित हैं
और आपने मुझे पीड़ा दी हैं क्योंकि आप मुझसे अनन्त प्रेम करते हैं।
76 अपने सच्चे प्रेम को प्रकट करके मुझे शक्ति प्रदान करें
जैसे कि आपने मुझसे कहा था कि आप करेंगे।
77 मेरे प्रति दया का व्यवहार करें कि मैं जीवित रह सकूँ
क्योंकि मैं आपकी व्यवस्था से प्रसन्न हूँ।
78 उन घमण्डी लोगों को लज्जित करें जो मुझ पर झूठे आरोप लगाते हैं;
परन्तु मैं आपकी आज्ञाओं पर मनन करता रहूँगा।
79 जिनके मन में आपका भय और सम्मान है, उन्हें मेरे पास लौट आने दें
कि वे सीख सकें कि आप क्या आज्ञा देते हैं।
80 मुझे आपकी विधियों को पूरी तरह से पालन करने में सक्षम करें
जिससे की ऐसा न करने के कारण मुझे लज्जित न होना पड़े।
81 मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ कि आप मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँगे;
मैं विश्वास के साथ आशा करता हूँ कि आप मुझे बताएँगे कि आप क्या करेंगे।
82 मेरी आँखें आपकी प्रतिज्ञा को पूरा करने की प्रतीक्षा करते-करते थक गई हैं, जो आपने करने के लिए, कहा था कि आप करेंगे,
और मैं पूछता हूँ, “आप मेरी सहायता कब करेंगे?”
83 मैं एक दाखमधु रखने की थैली के समान निकम्मा हो गया हूँ, जो एक घर में लम्बे समय से धुएँ में रखने के कारण सिकुड़ गई है,
परन्तु मैं आपकी विधियों को नहीं भूला हूँ।
84 मुझे कब तक प्रतीक्षा करनी होगी?
आप कब मेरे सताने वालों को दण्ड देंगे?
85 ऐसा लगता है कि घमण्डी लोग, जो आपके व्यवस्था का पालन नहीं करते हैं, उन्होंने मेरे लिए गहरे गड्ढे खोदें हैं। 86 आपकी सब आज्ञाएँ विश्वासयोग्य हैं;
परन्तु लोग मेरे विषय में झूठ बोल-बोल कर मुझे सता रहे हैं, इसलिए कृपया मेरी सहायता करें।
87 उन लोगों ने तो मुझे लगभग मार डाला है,
परन्तु मैंने व्यवहार करने के आपके सिद्धान्तों का पालन करना नहीं त्यागा है।
88 क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं, इसलिए मुझे जीवित रहने दें
कि मैं आपकी चितौनियों का पालन करता रहूँ।
89 हे यहोवा, आपका वचन सदा के लिए है;
वह स्वर्ग में दृढ़ता से स्थिर है।
90 जो अभी तक जन्में नहीं हैं उनके लिए भी आप विश्वासयोग्य कार्य करते रहेंगे;
आपने पृथ्वी को उसके स्थान में रखा है, और वह वहाँ दृढ़ता से स्थित है।
91 आज तक, पृथ्वी पर सब कुछ स्थिर है क्योंकि आपने निर्णय लिया है कि उन्हें ऐसा रहना चाहिए;
पृथ्वी का सब कुछ आपकी सेवा में हैं।
92 यदि मैं आपकी व्यवस्था का पालन करने में प्रसन्न नहीं होता,
तो मैं अपनी पीड़ा के कारण मर जाता।
93 मैं व्यवहार करने के आपके नियमों को कभी नहीं भूलूँगा
क्योंकि उनका पालन करने के कारण, आपने मुझे जीवित रखा है।
94 मैं आपका हूँ; मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँ
क्योंकि मैंने व्यवहार करने के आपके नियमों का पालन करने का प्रयास किया है।
95 दुष्ट जन मुझे मारने की प्रतीक्षा कर रहे हैं,
परन्तु मैं आपकी चितौनियों के विषय में सोचूँगा।
96 मैंने सीखा है कि सबकी एक सीमा है,
परन्तु आपके आदेशों की कोई सीमा नहीं है।
97 मैं आपकी व्यवस्था से बहुत प्रेम करता हूँ।
मैं दिन के समय उन पर ध्यान करता हूँ।
98 क्योंकि मैं आपके आदेशों को जानता हूँ
और क्योंकि मैं उनके विषय में हर समय सोचता हूँ,
इसलिए मैं अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान हो गया हूँ।
99 मैं अपने शिक्षकों से अधिक समझता हूँ
क्योंकि मैं आपकी आज्ञाओं पर ध्यान देता हूँ।
100 मैं कई बुजुर्गों से आधिक समझ रखता हूँ
क्योंकि मैं व्यवहार करने के आपके नियमों का पालन करता हूँ।
101 मैं सब बुरे व्यवहार से बचा रहा हूँ
कि मैं आपके वचनों का पालन कर सकूँ।
102 मैंने उनका पालन करने से मना नहीं किया है
क्योंकि आपने मुझे शिक्षा दी जब मैं उन्हें पढ़ रहा था।
103 जब मैं आपके वचनों को पढ़ता हूँ,
वे शहद के समान हैं जिसे मैं खाता हूँ;
हाँ, वे शहद से भी अधिक मीठे हैं।
104 क्योंकि मैंने व्यवहार करने के आपके नियमों को सीखा है,
मैं कई बातों को समझने में सक्षम हूँ;
इसलिए मैं उन सब बुरी बातों से घृणा करता हूँ जो लोग करते हैं।
105 आपके वचन मेरा मार्गदर्शन करने के लिए एक दीपक है;
वह एक प्रकाश के समान है जो मुझे दिखाता है कि कहाँ चलना है।
106 मैंने गम्भीरता से प्रतिज्ञा की है, और मैं फिर से प्रतिज्ञा करता हूँ,
कि मैं सदा आपके नियमों का पालन करूँगा;
वे सब न्यायोचित हैं।
107 हे यहोवा, मैं बहुत पीड़ित हूँ;
अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मुझे फिर से बलवन्त कर दें।
108 हे यहोवा, जब मैं प्रार्थना करता हूँ, तब मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, जो आपके लिए बलिदान के समान है;
कृपया इसे स्वीकार करें,
और मुझे अपने नियम सिखाएँ।
109 मेरे शत्रु प्रायः मुझे मारने का प्रयास करते हैं,
परन्तु मैं आपकी व्यवस्था को नहीं भूलता।
110 दुष्ट लोगों ने मुझे पकड़ने का प्रयास किया है जैसे शिकारी एक जाल से छोटे पशुओं को पकड़ने का प्रयास करता है,
परन्तु मैंने व्यवहार करने के आपके नियमों का उल्लंघन नहीं किया है।
111 मेरे पास आपकी चितौनियाँ सदा के लिए हैं;
उनके कारण, मैं अपने मन में प्रसन्न हूँ।
112 मैंने आपकी आज्ञाओं, में से हर एक का सदा पालन करने का निर्णय लिया है।
113 मैं उन लोगों से घृणा करता हूँ जो केवल यह कहते हैं कि वे आपको प्रेम करते हैं,
परन्तु मुझे आपकी व्यवस्था से प्रेम है।
114 आप ऐसे स्थान के समान हैं जहाँ मैं अपने शत्रुओं से छिप सकता हूँ,
और आप एक ढाल के समान हैं जिसके पीछे मैं उनसे सुरक्षित हूँ;
मैं आपकी प्रतिज्ञाओं पर भरोसा रखता हूँ।
115 हे दुष्ट लोगों, मुझसे दूर जाओ
जिससे कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन कर सकूँ!
116 मुझे अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार बलवन्त होने योग्य करें,
कि मैं जीवित रह सकूँ।
मैं विश्वास के साथ आशा बाँधे हुए हूँ कि आप मेरा उद्धार करेंगे;
मुझे निराश न करें।
117 मुझे पकड़े रखें कि मैं सुरक्षित रहूँ
और सदा आपकी आज्ञाओं पर ध्यान दें सकूँ।
118 आप उन सबको अस्वीकार करते हैं जो आपके नियमों का उल्लंघन करते हैं;
क्योंकि वे धोखाधड़ी की योजना बनाते हैं और वे अपनी प्रतिज्ञाएँ पूरी नहीं करते हैं।
119 आप पृथ्वी पर से सब दुष्ट लोगों को नष्ट करेंगे जैसे लोग कूड़े को दूर करते हैं;
इसलिए मुझे आपके चितौनियों से प्रेम है।
120 मैं थरथराता हूँ क्योंकि मैं आप से डरता हूँ;
मुझे डर है क्योंकि आप उन लोगों को दण्ड देते हैं जो आपके नियमों का पालन नहीं करते हैं।
121 परन्तु मैंने वही किया है, जो सही और न्यायोचित हैं;
इसलिए लोगों को मुझ पर अत्याचार करने न दें।
122 मेरे लिए भले कार्य करने के लिए उत्तरदायी रहें,
और घमण्डी लोगों को मुझे दण्ड देने न दें।
123 आपके बचाव की प्रतीक्षा करते-करते मेरी आँखें थक गई हैं,
जैसी आपने प्रतिज्ञा की थी कि आप मुझे बचाएँगे।
124 आप यह दिखाने के लिए कुछ ऐसा करें कि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं,
और मुझे अपनी विधियाँ सिखाएँ।
125 मैं आपकी सेवा करता हूँ;
मुझे यह समझने के योग्य बनाएँ कि आप मुझसे क्या चाहते हैं
जिससे कि मैं आपकी चितौनियों को सीख सकूँ।
126 हे यहोवा, अब समय है कि आप लोगों को दण्ड दें
क्योंकि उन्होंने आपकी व्यवस्था का उल्लंघन किया है।
127 सचमुच, मैं सोने से अधिक आपके नियमों से प्रेम करता हूँ;
मैं उन्हें शुद्ध सोने से भी अधिक प्रेम करता हूँ।
128 इसलिए मैं व्यवहार करने के आपके नियमों के अनुसार ही अपना जीवन जीता हूँ,
और मैं उन सब बुरी बातों से घृणा करता हूँ जो कुछ भी लोग करते हैं।
129 आपकी चितौनियाँ अद्भुत हैं,
इसलिए मैं उन्हें अपने पूरे मन से मानता हूँ।
130 जब कोई आपके वचनों को समझाता है,
तब ऐसा लगता है कि वे एक प्रकाश को प्रकाशित कर रहे हैं;
वे जो कहते हैं उनसे ऐसे लोग भी बुद्धिमान बन जाते हैं, जिन्होंने आपकी व्यवस्था को कभी नहीं सीखा हैं।
131 मैं उत्सुकता से आपके नियमों को जानना चाहता हूँ
जैसे कुत्ता खिलाए जाने के लिए अपना मुँह खोल कर हाँफता है।
132 मेरी बात सुनें और कृपया मुझ पर दया के कार्य करें
जैसा आप उन सबके साथ करते हैं जो आप से प्रेम करते हैं।
133 अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मेरा मार्गदर्शन करें;
दुष्ट लोगों को मेरे कार्यों पर नियंत्रण करने न दें।
134 मुझे उन आत्याचारी लोगों से बचाएँ
जिससे कि मैं व्यवहार करने के आपके नियमों का पालन कर सकूँ।
135 कृपया मेरे प्रति दया दिखाएँ
और मुझे अपनी विधियाँ सिखाएँ।
136 मैं बहुत रोता हूँ
क्योंकि बहुत से लोग आपकी व्यवस्था का पालन नहीं करते हैं।
137 हे यहोवा, आप धर्मी हैं
और आपके नियम न्यायोचित हैं।
138 जब आपने हमें अपनी व्यवस्था के नियम दिए, तब आपने जो किया वह उचित था,
और आप पर भरोसा किया जा सकता है जब आपने हमसे वो प्रतिज्ञाएँ की थीं।
139 मैं क्रोधित हूँ
क्योंकि मेरे शत्रु आपके वचनों का अपमान करते हैं।
140 मैंने देखा है कि आपकी प्रतिज्ञाएँ विश्वासयोग्य हैं,
और मैं उनसे प्रेम करता हूँ।
141 मैं महत्वपूर्ण नहीं हूँ, और लोग मुझे तुच्छ मानते हैं,
परन्तु मैं व्यवहार करने के आपके नियमों को नहीं भूलता।
142 आप धर्मी हैं और आप सदा के लिए धर्मी रहेंगे,
और आपकी व्यवस्था कभी नहीं बदली जाएगी।
143 मुझे निरन्तर चिन्ता होती है और मैं चिन्तित हूँ,
परन्तु आपके आदेश मेरी प्रसन्नता का कारण बनते हैं।
144 आपकी चितौनियाँ सदा न्यायोचित होती हैं;
उन्हें समझने में मेरी सहायता करें कि मैं जीवित रह सकूँ।
145 हे यहोवा, मैं अपने सम्पूर्ण मन से आपको पुकारता हूँ;
मुझे उत्तर दें और मैं आपके नियमों का पालन करूँगा।
146 मैं आपको पुकारता हूँ,
“मुझे बचाएँ, और मैं आपकी आज्ञाओं का पालन करूँगा।”
147 हर सुबह मैं भोर से पहले उठता हूँ और अपनी सहायता के लिए आपको पुकारता हूँ;
मैं विश्वास के साथ आशा करता हूँ कि आपने जो प्रतिज्ञा की है उसे आप पूरा करेंगे।
148 रात के समय मैं जागता रहता हूँ,
और मैं आपकी आज्ञाओं और आपकी प्रतिज्ञाओं पर ध्यान करता हूँ।
149 हे यहोवा, क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं,
इसलिए जब मैं प्रार्थना करता हूँ तब मेरी बात सुनें;
मुझे सुरक्षित रखें क्योंकि मैं आपके नियमों को मानता हूँ।
150 जो दुष्ट लोग मुझ पर अत्याचार करते हैं वे मेरे निकट आ रहे हैं;
वे आपकी व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं देते हैं।
151 परन्तु हे यहोवा, आप मेरे निकट हैं,
और मुझे पता है कि आपके नियम कभी नहीं बदले जाएँगे।
152 बहुत पहले मुझे आपकी चितौनियों के विषय में पता चला,
और मुझे पता है कि आप उन्हें सदा के लिए स्थिर रखने की इच्छा रखते हैं।
153 मेरी ओर देखें, देखें कि मैं बहुत पीड़ित हूँ, और मुझे स्वस्थ कर दें
क्योंकि मैं आपकी व्यवस्था को नहीं भूलता।
154 जब लोग मुझ पर दोष लगाते हैं तब मेरा मुकद्दमा लड़ कर मुझे उनसे बचा लें;
अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मुझे जीवित रहने दें।
155 दुष्ट लोग आपकी विधियों का पालन नहीं करते हैं,
इसलिए निश्चय ही आप उन्हें नहीं बचाएँगे।
156 हे यहोवा, आपने अनेक प्रकार से मेरी सहायता करके दया की हैं;
मुझे जीवित रहने दें जैसे आपने अभी तक किया है।
157 बहुत से लोग मेरे शत्रु हैं; कई लोग मुझे पीड़ित करते हैं,
परन्तु मैं आपके नियमों का अपमान नहीं करता हूँ।
158 जब मैं उन लोगों को देखता हूँ जो आपके प्रति विश्वासयोग्य नहीं हैं, तो मुझे घृणा आती है
क्योंकि वे आपकी चितौनियों का पालन नहीं करते हैं।
159 हे यहोवा, देखें कि मैं व्यवहार करने के आपके नियमों से प्रेम करता हूँ;
क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं, इसलिए मुझे जीवित रहने दें।
160 जो कुछ भी आपने कहा है उस पर मैं भरोसा करता हूँ;
आपके सब नियम सदा के लिए स्थिर रहेंगे।
161 शासक बिना कारण के मुझे सताते हैं,
परन्तु मेरे मन में आपके वचनों के लिए अद्भुत सम्मान हैं।
162 मैं आपके वचनों के विषय में प्रसन्न हूँ,
मैं किसी ऐसे व्यक्ति के समान प्रसन्न हूँ जिसने एक बड़ा खजाना पाया है।
163 मैं झूठ से घृणा करता हूँ
परन्तु मैं आपकी व्यवस्था से प्रेम करता हूँ।
164 मैं दिन में सात बार आपकी आज्ञाओं के लिए आपकी स्तुति करता हूँ
क्योंकि वे सब न्यायोचित हैं।
165 उन लोगों के लिए सब अच्छा होता हैं जो आपकी व्यवस्था से प्रेम करते हैं;
आपकी व्यवस्था से उन्हें कोई दूर नहीं कर सकता।
166 हे यहोवा, मैं विश्वास के साथ आशा करता हूँ कि आप मुझे मेरे संकटों से बचाएँगे,
और मैं आपकी आज्ञाओं का पालन करता हूँ।
167 मैं आपकी चितौनियों को मानता हूँ;
मैं उनसे बहुत प्रेम करता हूँ।
168 मैं व्यवहार करने के आपके नियमों का पालन करता हूँ,
और जो कुछ भी मैं करता हूँ उसे आप देखते हैं।
169 हे यहोवा, जब मेरी सहायता करने के लिए मैं आप से प्रार्थना करता हूँ; तब आप सुन लें
अपने वचनों को समझने में मेरी सहायता करें।
170 जब मैं प्रार्थना करता हूँ तब मेरी सुनें,
और मुझे बचाएँ जैसे आपने कहा था कि आप करेंगे।
171 मैं सदा आपकी स्तुति करूँगा
क्योंकि आप मुझे अपने नियम सिखाते हैं।
172 मैं आपके वचनों के विषय में गाऊँगा
क्योंकि आपके सब आज्ञाएँ न्यायोचित हैं।
173 मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि मेरी सहायता के लिए सदा तैयार रहें
क्योंकि मैंने व्यवहार करने के आपके नियमों का पालन करने का चुनाव किया है।
174 हे यहोवा, मैं उत्सुकता से चाहता हूँ कि आप मेरे शत्रुओं से मुझे बचाएँ;
मैं आपकी व्यवस्था से प्रसन्न हूँ।
175 मुझे जीवित रहने दें कि मैं आपकी स्तुति करता रहूँ
जिससे कि आपके नियम मेरी सहायता कर सकें।
176 मैंने पाप किया है और आप से दूर हो गया हूँ, जैसे एक भेड़ झुण्ड से भटक गई है;
मुझे खोज लें क्योंकि मैं आपकी आज्ञाओं को नहीं भूला हूँ।
Chapter 120
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन
1 जब मैं चिन्तित था, मैंने यहोवा को पुकारा
और उन्होंने मुझे उत्तर दिया।
2 मैंने प्रार्थना की,
“हे यहोवा, मुझे उन लोगों से बचाएँ जो मुझसे झूठ बोलते हैं और मुझे धोखा देने का प्रयास करते हैं!”
3 तुम जो मुझसे झूठ बोलते हो, मैं तुमको बताऊँगा कि परमेश्वर तुम्हारे साथ क्या करेंगे
और वह तुम्हें दण्ड देने के लिए क्या करेंगे।
4 जब सैनिक तुम पर नोकीले तीर चलाते हैं तब वह तुम्हें दण्डित करेंगे;
तीर जो एक झाऊ के पेड़ की लकड़ी के कोयलों पर,
कठोर और नोकीले बनाए गये थे।
5 क्रूर लोगों के बीच रहना मेरे लिए भयानक है,
उन लोगों के समान जो मेशेक या केदार के क्षेत्रों में रहते हैं।
6 मैं उन लोगों के बीच लम्बे समय से रहता हूँ जो दूसरों के साथ शान्ति से रहने से घृणा करते हैं।
7 हर बार जब मैं शान्तिपूर्वक साथ रहने के विषय में बात करता हूँ,
वे युद्ध आरम्भ करने के विषय में बात करते हैं।
Chapter 121
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन
1 जब हम यरूशलेम की ओर यात्रा करते हैं,
मैं पहाड़ियों की ओर देखता हूँ और मैं स्वयं से पूछता हूँ, “मेरी सहायता कौन करेगा?”
2 मेरा उत्तर यह है कि यहोवा ही मेरी सहायता करते हैं;
वही हैं जिन्होंने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया हैं।
3 वह हमें गिरने नहीं देंगे;
परमेश्वर, जो हमारी रक्षा करते हैं, वह नहीं सोएँगे।
4 वह जो हम इस्राएली लोगों की रक्षा करते हैं
वह न तो कभी ऊँघते है न वह कभी सोते हैं।
5 यहोवा हमारे ऊपर दृष्टि रखते हैं;
वह आड़ के समान है जो हमें सूर्य से बचाती है।
6 वह दिन के समय सूरज से हमें हानि नहीं होने देंगे,
और वह रात के समय चँद्रमा को हमें हानि पहुँचाने नहीं देंगे।
7 यहोवा हमें किसी भी तरह से हानि होने से बचाएँगे;
वह हमें सुरक्षित रखेंगे।
8 वह हमारे घर से निकलने के समय से ले कर शाम को लौटने तक हमारी रक्षा करेंगे;
वह हमारी अब और सदा के लिए रक्षा करेंगे।
Chapter 122
दाऊद द्वारा आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन।
1 मैं प्रसन्न हुआ जब लोगों ने मुझसे कहा,
“हमें यरूशलेम में यहोवा के भवन में जाना चाहिए!”
2 और अब हम यहाँ,
यरूशलेम के द्वार के भीतर खड़े है।
3 हम देख सकते हैं कि यरूशलेम एक सावधानीपूर्वक बनाया गया एक शहर था।
शहर के भीतरी भाग को
एक दूसरे के साथ उपयुक्त रीति से जोड़ कर बनाया गया था।
4 हम इस्राएल के गोत्रों के लोग
जो यहोवा के हैं, अब वहाँ जा सकते हैं,
जैसी कि यहोवा ने आज्ञा दी थी कि हमें करना चाहिए,
कि हम उनको धन्यवाद दे सकें।
5 वहाँ सिंहासन हैं,
सिंहासन जहाँ इस्राएल के राजा बैठे थे
जब उन्होंने इस्राएल पर शासन किया।
ये राजा दाऊद के वंशजों के सिंहासन हैं।
6 प्रार्थना करो कि यरूशलेम में शान्ति हों!
“मैं प्रार्थना करता हूँ कि जो लोग यरूशलेम से प्रेम करते हैं वे जीवन में सफल हों।
7 मैं प्रार्थना करता हूँ कि शहर की दीवारों के भीतर शान्ति हों
और जो लोग महल के भीतर हैं वे सुरक्षित हों।”
8 मेरे सम्बन्धियों और मित्रों के लिए,
“मैं प्रार्थना करता हूँ कि लोग यरूशलेम के भीतर शान्तिपूर्वक रहें।”
9 और क्योंकि मैं अपने परमेश्वर यहोवा के मन्दिर से प्रेम करता हूँ,
“इसलिए मैं प्रार्थना करता हूँ कि यरूशलेम में रहने वाले लोगों का भला हो।”
Chapter 123
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन
1 हे यहोवा, मैं आपकी ओर देखता हूँ,
स्वर्ग की ओर, जहाँ से आप शासन करते हैं।
2 जैसे दास अपने स्वामी से अपनी आवश्यकता के लिए माँगते हैं
और दासी अपनी स्वामिनी से अपनी आवश्यकता के लिए माँगती हैं,
वैसे हम हमारी आवश्यकताओं के लिए आप से माँगते हैं, हे हमारे परमेश्वर यहोवा,
जब तक आप हमारे प्रति दया के कार्य नहीं करते हैं।
3 हे यहोवा, हम पर दया करें
क्योंकि हमारे शत्रुओं ने हमारा बहुत अपमान किया है।
4 अभिमानी लोगों ने लम्बे समय तक उपहास किया है,
और घमण्डी लोगों ने हमारा दमन किया है और हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया है जैसे कि हमारा कोई मूल्य नहीं है।
Chapter 124
दाऊद द्वारा लिखा गया आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए एक भजन।
1 हे इस्राएली लोगों, इस प्रश्न का उत्तर दो:
यदि यहोवा हमारी सहायता नहीं कर रहे होते तो हमारे साथ क्या हुआ होता?
2 जब हमारे शत्रुओं ने हम पर आक्रमण किया,
यदि यहोवा हमारे लिए नहीं लड़ रहे होते,
3 तो हम सब मारे गए होते
क्योंकि वे हमसे बहुत क्रोधित थे!
4 वे हमें पानी से बहा ले जाने वाली बाढ़ के समान होते;
ऐसा होता जैसे कि पानी ने हमें ढाँक दिया था,
5 और हम सब बाढ़ में डूब गए होते।
6 परन्तु हम यहोवा की स्तुति करते हैं
क्योंकि उन्होंने हमारे शत्रुओं को हमें नष्ट करने की अनुमति नहीं दी है।
7 हम अपने शत्रुओं से ऐसे बच निकले हैं जैसे शिकारियों के जाल से पक्षी बच निकले हैं;
ऐसा लगता है कि हमारे शत्रुओं ने हमारे लिए जो जाल फैलाया था वह टूट गया
और हम इससे बच निकले हैं!
8 यहोवा ही वह हैं जो हमारी सहायता करते हैं;
वही हैं जिन्होंने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया है।
Chapter 125
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन।
1 जो यहोवा पर भरोसा करते हैं वे सिय्योन पर्वत के समान हैं,
जिसे हिलाया या हटाया नहीं जा सकता है।
2 जैसे यरूशलेम के चारों ओर की पहाड़ियाँ उसकी रक्षा करती हैं,
वैसे ही यहोवा हमारी, अर्थात् उनके लोगों की रक्षा करते हैं,
और वह सदा हमारी रक्षा करेंगे।
3 दुष्ट लोगों को उस देश पर शासन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जहाँ धर्मी लोग रहते हैं।
यदि उन्होंने ऐसा किया, तो धर्मी लोग भी गलत करने के विषय में सोचेंगे।
4 हे यहोवा, उन लोगों की भलाई करें जो दूसरों की भलाई करते हैं
और जो सच्चे मन से आपके आदेशों का पालन करते हैं।
5 परन्तु जब आप उन इस्राएली लोगों को दण्ड देते हैं जो अब आपकी आज्ञा का पालन नहीं करते हैं,
तब आप उन्हें भी अन्य बुरे कार्य करने वालों के समान ही दण्ड देंगे।
मेरी इच्छा है कि इस्राएल में लोगों का भला हो जाएँ!
Chapter 126
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन।
1 जब यहोवा ने फिर से यरूशलेम को समृद्ध किया,
यह अद्भुत था;
ऐसा प्रतीत होता था जैसे हम सपने देख रहे थे।
2 हम अत्याधिक प्रसन्न थे,
और हम आनन्द से जयजयकार कर रहे थे।
तब जाति-जाति के लोगों ने हमारे विषय में कहा,
“यहोवा ने उनके लिए महान कार्य किए हैं!”
3 हमने कहा, “हाँ, यहोवा ने वास्तव में हमारे लिए महान कार्य किए हैं,
और हम बहुत आनन्दित हैं।”
4 हे यहोवा, हमारा फिर से उद्धार करें, जैसे वर्षा दक्षिणी यहूदिया के जंगल के नालों को भरती हैं।
हमारे देश को फिर से वैसा ही महान होने योग्य कर दें जैसा कि वह पहले था।
5 जब हमने बीज बोए तब हम रो रहे थे क्योंकि इस मिट्टी को, जिसे कई वर्षों से जोता नहीं गया था; तैयार करना कठिन कार्य था
अब हम आनन्द से जयजयकार करते हैं क्योंकि हम एक बड़ी फसल इकट्ठा कर रहे हैं।
6 जो लोग रोते हुए खेतों में बीज लाते थे, वे आनन्द से जयजयकार करेंगे
जब वे कटनी के समय अपने घरों में फसल लाते हैं।
Chapter 127
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए सुलैमान द्वारा लिखा गया एक भजन।
1 यदि लोग यहोवा की सहायता के बिना घर बना रहे हैं,
तो वे इसे व्यर्थ में बना रहे हैं।
इसी प्रकार, यदि यहोवा किसी शहर की रक्षा नहीं करते हैं,
तो रक्षकों का रात में जागना व्यर्थ है।
2 बहुत शीघ्र उठना और रात में देर से सोना भी व्यर्थ है
कि तुम भोजन मोल लेने के लिए पैसे कमाने के लिए पूरे दिन कठोर परिश्रम कर सको
क्योंकि यहोवा उन लोगों को सोते समय भोजन देते हैं, जिनसे वह प्रेम करते हैं।
3 सन्तान एक वरदान हैं जो यहोवा से माता-पिता को मिलता हैं;
वे उनकी ओर से उपहार हैं।
4 यदि किसी पुरुष की जवानी में पुत्र हों,
तो बड़े होकर अपने परिवार की रक्षा करने में उसकी सहायता कर सकेंगे
जैसे एक सैनिक स्वयं को बचा सकता है यदि उसके हाथ में धनुष और तीर है।
5 वह व्यक्ति कितना सौभाग्यशाली है जिसके कई पुत्र हैं;
वह एक सैनिक के समान है जिसके तरकश में कई तीर हैं।
यदि किसी व्यक्ति को जिसके अनेक पुत्र हैं, उसका शत्रु उस स्थान पर ले जाता है जहाँ वे मामलों का निर्णय लेते हैं, तो उसके शत्रु उस व्यक्ति को कभी भी पराजित नहीं कर पाएँगे
क्योंकि उसके पुत्र उसकी रक्षा करने में सहायता करेंगे।
Chapter 128
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन।
1 तुम कितने भाग्यशाली हो जो उनका महान सम्मान करते हो
और उनकी इच्छा पूरी करते हो।
2 तुम अपने द्वारा लाए गए भोजन का आनन्द लेने में सक्षम होगे;
तुम भाग्यशाली और समृद्ध होगे।
3 तुम्हारी पत्नी एक दाखलता के समान होगी जो कई अँगूर उपजाती है;
वह कई बच्चों को जन्म देगी।
तुम्हारे बच्चे जो तुम्हारी मेज के चारों ओर बैठते हैं;
तुम एक जैतून के दृढ़ पेड़ के समान होगे जिसके चारों ओर कई टहनियाँ बढ़ती हैं।
4 इस प्रकार, यहोवा हर एक व्यक्ति को आशीष देंगे जो उनका बहुत सम्मान करता है।
5 मेरी इच्छा है कि सिय्योन पर्वत पर अपने भवन में से परमेश्वर तुम्हारी बहुत सहायता करें,
और तुम यरूशलेम के लोगों को अपने जीवन में प्रतिदिन समृद्ध होते देखो!
6 मेरी इच्छा है कि तुम कई वर्षों तक जीवित रहो
और तुम्हारे पास पोते-पोतियाँ हों और तुम उन्हें देख सको।
मेरी इच्छा है कि इस्राएल में लोगों का कल्याण हो जाएँ!
Chapter 129
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन।
1 मैं कहता हूँ कि जब से मैं युवा था तब से मेरे शत्रुओं ने मुझे पीड़ा दी है।
अब मैं तुमसे कहता हूँ, मेरे साथी इस्राएली, उन्हीं शब्दों को दोहराओ:
2 “हमारे शत्रुओं ने हमें पीड़ा दी है जब से हमारे देश का आरम्भ हुआ है,
परन्तु उन्होंने हमें पराजित नहीं किया है!
3 हमारे शत्रुओं ने हमें चाबुकों से मारा जिससे हमारी पीठ कट गई
जैसे एक किसान भूमि में गहरी रेखाएँ बनाने के लिए हल का उपयोग करके उसे जोतता है।”
4 परन्तु यहोवा धर्मी हैं,
और उन्होंने हमें दुष्ट लोगों के दास होने से मुक्त कर दिया है।
5 मेरी इच्छा है कि वे सब लज्जित हों क्योंकि हम यरूशलेम के सब शत्रुओं को पराजित कर देंगे।
6 मुझे आशा है कि घरों की छत पर उगने वाली घास के समान उनका कोई मूल्य न हो,
जो सूख जाती है और बढ़ती नहीं है;
7 कोई भी उसे काट कर पूले बना कर ले जाना नहीं चाहता है।
8 आने जाने वाले लोग उन पुरुषों को कटाई करते देखते हैं, तो वे उन्हें यह कहकर नमस्कार करते हैं,
“हम चाहते हैं कि यहोवा तुम्हें आशीष दें!”
परन्तु इस्राएल के शत्रुओं के साथ ऐसा नहीं होगा।
हम, यहोवा के प्रतिनिधियों के तौर पर, तुम्हें अर्थात् हमारे साथी इस्राएलियों को आशीष देते हैं!
Chapter 130
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन।
1 हे यहोवा, मैं बड़े संकट में हूँ, इसलिए मैं आपको पुकारता हूँ।
2 हे यहोवा, मेरी बात सुनें
जब मैं आपको मुझ पर दया करने के लिए पुकारता हूँ!
3 हे यहोवा, यदि आपने हमारे पापों का लेखा रखा होता, जो हमने किए हैं,
तो हम में से कोई भी निन्दित और दण्डित होने से बच नहीं पाता!
4 परन्तु आप हमें क्षमा करते हैं,
जिसके परिणामस्वरूप हम आपका महान सम्मान करते हैं।
5 यहोवा ने कहा है कि वह मेरी सहायता करेंगे;
उन्होंने जो कहा है उस पर मुझे भरोसा है, और मैं उनके ऐसा करने के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा करता हूँ।
6 जैसे चौकीदार सुबह होने की प्रतीक्षा करते हैं;
उससे अधिक मैं यहोवा से सहायता की प्रतीक्षा करता हूँ;
हाँ, मैं उनसे भी अधिक उत्सुकता से प्रतीक्षा करता हूँ!
7 हे मेरे साथी इस्राएलियों, विश्वास के साथ आशा रखो कि यहोवा हमें आशीष देंगे।
वह हमें आशीष देंगे क्योंकि वह हम पर दया करते हैं,
और वह हमें बचाने के लिए अति इच्छुक हैं।
8 वही हैं जो हम इस्राएली लोगों को, हमारे सब पापों के दण्ड से बचाएँगे।
Chapter 131
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए दाऊद द्वारा लिखा गया एक भजन।
1 हे यहोवा, मैं घमण्डी नहीं हूँ;
मैं जीवन में प्रभावशाली वस्तुएँ को प्राप्त करने के योग्य नहीं हूँ।
मैं उन समस्याओं के विषय में चिन्ता नहीं करता जिनका समाधान करना मेरे लिए कठिन है।
2 इसकी अपेक्षा, मैं अपने मन में शान्त और चिन्ता मुक्त हूँ
एक छोटे बच्चे के समान जो अब माँ का दूध नहीं पीता है परन्तु अपनी माँ के साथ रहने में प्रसन्न है।
इसी प्रकार, मैं अपने मन में शान्तिपूर्ण हूँ।
3 हे मेरे साथी इस्राएलियों, विश्वास के साथ आशा रखो कि यहोवा तुम्हारे लिए भले कार्य करेंगे
अब और सदा के लिए!
Chapter 132
यरूशलेम के मार्ग में जाते समय गाने के लिए एक गीत।
1 हे यहोवा, राजा दाऊद को
और उन सब कठिनाइयों को न भूलें जो उसने सहन की हैं!
2 उसने आपको एक गम्भीर वचन दिया,
उन सर्वशक्तिमान परमेश्वर को जिनकी हमारे पूर्वज याकूब ने आराधना की थी।
3 उसने कहा, “मैं घर नहीं जाऊँगा,
मैं अपने बिस्तर पर विश्राम नहीं करूँगा,
4 और मैं नहीं सोऊँगा
5 जब तक मैं यहोवा के लिए कोई स्थान,
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के लिए एक घर नहीं बनाता, जिनकी याकूब ने आराधना की थी।”
6 एप्राता में हमने सुना जहाँ पवित्र सन्दूक रखा था।
इसलिए हम गए और किर्यत्यारीम शहर के पास उसे पाया, और हम इसे यरूशलेम ले गए।
7 बाद में हमने कहा, “चलो यरूशलेम में यहोवा के पवित्र-तम्बू में जाएँ;
आओ हम वहाँ सिंहासन के सामने आराधना करते हैं, जहाँ वह बैठे हैं।”
8 हे यहोवा, उस स्थान पर आओ जहाँ आप सदा रहते हैं,
उस स्थान पर जहाँ आपका पवित्र सन्दूक है,
उस स्थान पर जो दिखाता है कि आप बहुत शक्तिशाली हैं।
9 मैं चाहता हूँ कि आपके याजकों का धार्मिक व्यवहार सदा प्रकट होता रहे,
और यह कि आपके लोग सदा आनन्द से जयजयकार करें।
10 आपने दाऊद को इस्राएल के राजा के रूप में सेवा करने के लिए चुना है;
उसे अस्वीकार न करें!
11 हे यहोवा, आपने दाऊद को एक गम्भीर वचन दिया है,
एक प्रतिज्ञा जिसे आप नहीं तोड़ेंगे।
आपने कहा, “मैं तेरे वंशजों को तेरे ही समान राजा का शासन कराऊँगा।
12 यदि वे उनके साथ बाँधी गई मेरी वाचा का पालन करें
और उन सब आज्ञाओं का पालन करें जो मैं उन्हें दूँगा,
तो तुझसे निकलने वाले राजाओं का वंश कभी समाप्त नहीं होगा।”
13 यहोवा ने यरूशलेम को चुना है;
यही वह स्थान है जहाँ से वह शासन करना चाहते हैं।
14 उन्होंने कहा, “यह वह शहर है जहाँ मैं सदा के लिए रहूँगा;
यही वह स्थान है जहाँ मैं रहना चाहता हूँ।
15 मैं यरूशलेम के लोगों को, वह सब कुछ दूँगा जो उन्हें चाहिए;
मैं वहाँ के गरीब लोगों को भी संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त भोजन दूँगा।
16 मैं याजकों को छुड़ाए हुए लोगों के समान व्यवहार करने के लिए प्रेरित करूँगा;
और वहाँ रहने वाले मेरे सब लोग आनन्द से जयजयकार करेंगे।
17 यरूशलेम में, मैं दाऊद के वंशजों में से एक को राजा बनाऊँगा;
वह मेरा चुना हुआ राजा भी होगा,
वहीं मैं दाऊद से निकले वंश को बनाऊँगा।
18 मैं उसके शत्रुओं को पराजित करूँगा और उन्हें बहुत लज्जित करूँगा;
परन्तु मेरा राजा जो मुकुट पहनता है वह सदा चमकता रहेगा।”
Chapter 133
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन।
1 परमेश्वर के लोगों का एक साथ शान्ति में इकट्ठा होना
यह बहुत अच्छी और बहुत सुखद बात है।
2 यह उस बहुमूल्य तेल के समान सुखद है
जो महायाजक हारून के सिर से दाढ़ी तक बह गया, जब मूसा ने उसका अभिषेक किया,
जो उसके वस्त्रों के छोर पर बह गया।
3 शान्ति में एक साथ इकट्ठा होना, हेर्मोन पर्वत पर गिरने वाली ओस के समान सुखद है
और सिय्योन पर्वत पर गिरने वाली ओस के समान है।
यहोवा ने उनके देश को सदा के लिए स्थिर बना कर,
यरूशलेम में अपने लोगों को आशीष देने की प्रतिज्ञा की है।
Chapter 134
आराधना करने के लिए मन्दिर जाने वाले लोगों के लिए लिखा गया एक भजन।
1 तुम सब लोग जो यहोवा की सेवा करते हो,
जो रात में खड़े होकर उनके भवन में उनकी सेवा करते हो,
आओ और उनकी प्रशंसा करो!
2 उनसे प्रार्थना करने के लिए मन्दिर में अपने हाथ ऊपर उठाओ
और उनकी स्तुति करो!
3 मैं आशा करता हूँ कि यहोवा, जिन्होंने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया है,
वह सिय्योन पर्वत पर स्थित अपने निवास के भवन में से तुम्हें आशीष दें!
Chapter 135
1 यहोवा की स्तुति करो!
तुम जो यहोवा की आराधना करते हो,
उनकी स्तुति करो!
2 तुम जो हमारे परमेश्वर यहोवा के भवन के आँगनों में उनकी सेवा करने के लिए तैयार होकर खड़े हो,
उनकी स्तुति करो!
3 यहोवा की स्तुति करो क्योंकि वह हमारे लिए भले कार्य करते हैं;
उनके लिए गाओ क्योंकि ऐसा करना एक मनोहर बात है।
4 उन्होंने हमें, याकूब के वंशजों को चुना है;
उन्होंने हम इस्राएलियों को अपने लिए चुना है।
5 मैं ये बातें कहता हूँ क्योंकि मुझे पता है कि यहोवा महान हैं;
वह सब देवताओं से बड़े हैं।
6 यहोवा जो कुछ भी करना चाहते हैं वह करते हैं
स्वर्ग में, पृथ्वी पर,
और समुद्रों में, समुद्रों के नीचे तक।
7 वही हैं जो पृथ्वी पर दूर-दूर के स्थानों से बादलों को उठाते हैं;
वह वर्षा के साथ बिजली चमकाते हैं,
और वह उन स्थानों से हवाओं को लाते हैं जहाँ वह उन्हें एकत्र करते हैं।
8 वही हैं जिन्होंने मिस्र में सब पहलौठे पुरुषों को मार डाला,
मनुष्यों और पशुओं के पहलौठों को।
9 वहाँ उन्होंने कई प्रकार के चमत्कार किए
उनके राजा और उसके सब अधिकारियों को दण्ड देंने के लिए।
10 उन्होंने कई राष्ट्रों पर आक्रमण किया
और शक्तिशाली राजाओं को मार डाला जिन्होंने उन पर शासन किया:
11 एमोरियों के समूह के राजा सीहोन,
बाशान के राजा, ओग
और कनान देश में अन्य सब राजाओं को मार डाला।
12 यहोवा ने हमें उनकी भूमि दीं,
कि यह हम इस्राएली लोगों की सदा के लिए हो।
13 हे यहोवा, आपका नाम सदैव स्थिर रहेगा,
और जो लोग अभी तक पैदा नहीं हुए हैं वे आपके द्वारा किए गए महान कार्यों को स्मरण रखेंगे।
14 यहोवा ने घोषणा की कि हम, उनके लोग निर्दोष हैं,
और वह हमारे प्रति दया के कार्य करते हैं।
15 परन्तु जिन मूर्तियों की अन्य लोग उपासना करते हैं वे केवल चाँदी और सोने से बनी मूर्तियाँ हैं,
जो वस्तुएँ मनुष्यों ने बनाई हैं।
16 उनकी मूर्तियों के मुँह होते हैं, परन्तु वे कुछ भी नहीं कह सकती हैं;
उनके पास आँखें हैं, परन्तु वे कुछ भी नहीं देख सकती हैं।
17 उनके कान हैं, परन्तु वे कुछ भी नहीं सुन सकती हैं,
और वे साँस लेने में भी सक्षम नहीं हैं।
18 जो लोग मूर्तियों को बनाते हैं वे मूर्तियों के समान शक्तिहीन होते हैं,
और जो मूर्तियों पर भरोसा करते हैं वे अपनी मूर्तियों से अधिक कुछ नहीं कर सकते हैं!
19 मेरे साथी इस्राएलियों, यहोवा की स्तुति करो!
हे याजकों जो हारून से निकले हो, यहोवा की स्तुति करो!
20 हे लेवी के वंशजों, तुम जो याजकों की सहायता करते हो, यहोवा की स्तुति करो!
तुम सब जो यहोवा का महान सम्मान करते हो, उनकी स्तुति करो!
21 यरूशलेम में सिय्योन पर्वत पर मन्दिर में यहोवा की स्तुति करो
जहाँ वह रहते हैं!
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 136
1 यहोवा का धन्यवाद करो क्योंकि वह हमारे लिए भले कार्य करते हैं;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
2 परमेश्वर का धन्यवाद हो, वह जो अन्य सब देवताओं से महान हैं;
वह सदा के लिए हमें प्रेम करेंगे जैसा उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
3 यहोवा का धन्यवाद हो, जो अन्य सब देवताओं से महान हैं;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
4 केवल वही हैं जो महान चमत्कार करते हैं;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
5 वही हैं जिन्होंने बहुत बुद्धिमान होने के कारण स्वर्ग बनाया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
6 वही हैं जिन्होंने भूमि को गहरे पानी में से ऊपर उठाया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
7 वही हैं जिन्होंने आकाश में बड़ी ज्योतियाँ बनाई;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
8 उन्होंने दिन में चमकने के लिए सूर्य बनाया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
9 उन्होंने रात के समय चमकने के लिए चँद्रमा और तारों को बनाया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
10 वही हैं जिन्होंने मिस्र में पहलौठे पुरुषों को मार डाला;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
11 उन्होंने इस्राएलियों को मिस्र से बाहर निकला;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
12 अपने शक्तिशाली हाथ से उन्होंने उन्हें बाहर निकाला;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
13 वही हैं जिन्होंने लाल सागर को विभाजित किया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
14 उन्होंने इस्राएलियों को सूखी भूमि पर चलने में सक्षम बनाया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
15 परन्तु उन्होंने मिस्र के राजा और उसकी सेना को डुबा दिया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
16 वही हैं जिन्होंने अपने लोगों का जंगल के माध्यम से सुरक्षित रूप से नेतृत्व किया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
17 उन्होंने शक्तिशाली राजाओं को मारा;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
18 उन्होंने उन राजाओं को मार डाला जो प्रसिद्ध थे;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
19 उन्होंने एमोर लोगों के समूह के राजा सीहोन को मार डाला;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
20 उन्होंने बाशान के क्षेत्र के राजा ओग को मार डाला;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
21 उन्होंने उनकी भूमि हमें, अर्थात् अपने लोगों को दीं;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
22 उन्होंने उस भूमि को इस्राएल के लोगों को दिया, जो उनकी सेवा करते हैं;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
23 वही हैं जो हमें नहीं भूलें जब हमारे शत्रुओं ने हमें पराजित किया था;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
24 उन्होंने हमें हमारे शत्रुओं से बचा लिया;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
25 वही हैं जो सब जीवित प्राणियों को भोजन देते हैं;
वह सदा के लिए हमसे प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
26 इसलिए परमेश्वर का धन्यवाद करो, जो स्वर्ग में रहते हैं
क्योंकि वह सदा के लिए हमें प्रेम करेंगे जैसी उन्होंने प्रतिज्ञा की है।
Chapter 137
1 जब हमें यरूशलेम से दूर बाबेल ले जाया गया था,
तब हम वहाँ नदियों के पास बैठ गए,
और जब हमने यरूशलेम में सिय्योन पर्वत पर मन्दिर के विषय में सोचा तो हम रो पड़े।
2 नदियों के पास के मजनू वृक्षों पर हमने अपनी वीणाओं को टाँग दिया
क्योंकि हम उन्हें नहीं बजाना चाहते थे और क्योंकि हम बहुत दुखी थे।
3 जिन सैनिकों ने हमें पकड़ लिया था और हमें बाबेल ले गए, उन्होंने हमें उनके लिए गाने को विवश किया;
उन्होंने हमें उनका मनोरन्जन करने के लिए कहा; उन्होंने कहा,
“हमारे लिए उन गीतों में से एक गीत गाओ जो तुम पहले यरूशलेम में गाते थे!”
4 परन्तु हमने मन में सोचा,
“हम दुखी हैं क्योंकि हमें यहोवा ने दण्ड दिया है और इस विदेशी देश में लाए हैं;
हम यहाँ रहते हुए यहोवा के विषय में गाना नहीं गा सकते हैं!”
5 यदि मैं यरूशलेम के विषय में भूल जाता हूँ, तो मैं चाहता हूँ कि मेरा दाहिना हाथ सूख जाए
कि मैं अपनी वीणा न बजा सकूँ!
6 मैं चाहता हूँ कि मैं फिर से नहीं गा पाऊँ
यदि मैं यरूशलेम के विषय में भूल जाऊँ,
यदि मैं यह नहीं मानता कि यरूशलेम मुझे किसी और वस्तु से अधिक आनन्द देता है।
7 हे यहोवा, एदोम के लोगों को दण्ड दें
क्योंकि उन्होंने उस दिन जो किया जब बाबेल की सेना ने यरूशलेम पर अधिकार कर लिया था।
उन्होंने जो कहा था उसे न भूलें,
“सब इमारतों को तोड़ दो! उन्हें पूरी तरह से नष्ट करो! केवल नींव छोड़ दो!”
8 हे बाबेल के लोगों, तुम निश्चय ही नष्ट हो जाओगे!
कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो हमारे साथ हुए अत्याचार के लिए तुम्हें दण्ड देंगे;
9 कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो तुम्हारे बच्चों को ले लेते हैं
और चट्टानों पर मार कर उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं।
Chapter 138
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन।
1 हे यहोवा, मैं अपने पूरे मन से आपका धन्यवाद करता हूँ।
मैं आपकी स्तुति करने के लिए गाता हूँ, भले ही कई लोग मूर्तियों की पूजा करते हैं।
2 जब मैं आपके पवित्र भवन की ओर देखता हूँ, तो मैं झुकता हूँ
और आपका धन्यवाद करता हूँ क्योंकि आप हमसे सच्चा प्रेम करते हैं और जो आपने प्रतिज्ञा की है उसे पूरा करते हैं।
आपने लोगों को हर एक स्थान में आपका सम्मान करने का कारण दिया है और आपने जो कुछ भी कहा है उसे सबसे अधिक महत्व दिया है।
3 जब मैंने आपको पुकारा, तो आपने मुझे उत्तर दिया;
आपने मुझे शक्तिशाली और वीर होने में सक्षम बनाया।
4 हे यहोवा, किसी दिन इस धरती के सब राजा आपकी स्तुति करेंगे
क्योंकि आपने जो कहा उसे वे सुनेंगे।
5 वे आपके द्वारा किए गए कार्यों के विषय में गाएँगे;
वे गाएँगे और कहेंगे कि आप बहुत महान हैं।
6 हे यहोवा, आप सर्वोच्च हैं,
आप उन लोगों की देखभाल करते हैं जिन्हें महत्वहीन माना जाता है।
परन्तु, आप घमण्डी लोगों को अपनी विश्वासयोग्यता नहीं दिखाते हैं।
7 जब मैं संकटों के बीच में रहूँ,
तब आप मुझे बचाएँगे।
अपने हाथ से आप मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँगे जो मुझ पर क्रोधित हैं।
8 हे यहोवा, आप मेरे लिए वह सब करेंगे जिसकी आपने प्रतिज्ञा की है;
आप हमसे सदा सच्चा प्रेम करते हैं।
आपने हमारे लिए अर्थात् अपने इस्राएली लोगों के लिए जो आरम्भ किया है, उसे पूरा करें!
Chapter 139
दाऊद द्वारा गायन मण्डली के निर्देशक के लिए लिखा गया एक भजन।
1 हे यहोवा, आपने मेरे मन को जाँच लिया है,
और आप मेरे विषय में सब जानते हैं।
2 आप जानते हैं कि मैं कब बैठता हूँ और कब खड़ा होता हूँ।
भले ही आप मुझसे दूर हैं,
आप जानते हैं कि मैं क्या सोच रहा हूँ।
3 मेरे सुबह जागने से ले कर रात को सोने तक,
मैं जो कुछ भी करता हूँ उसे आप जानते हैं।
4 हे यहोवा, मेरे कुछ भी कहने से पहले,
आप वह सब जानते हैं जो मैं कहने जा रहा हूँ!
5 आप मुझे चारों ओर से बचाते हैं;
आप अपनी शक्ति से मुझे बचाने के लिए अपना हाथ मुझ पर रखते हैं।
6 मैं समझ नहीं पाता हूँ कि आप मेरे विषय में सब कुछ जानते हैं।
वास्तव में, मेरे लिए यह समझना बहुत कठिन है।
7 मैं आपके आत्मा से बचने के लिए कहाँ जा सकता हूँ?
मैं आप से दूर जाने के लिए कहाँ जा सकता हूँ?
8 यदि मैं स्वर्ग तक जाता हूँ, तो आप वहाँ हैं।
यदि मैं उस स्थान पर लेट जाता हूँ जहाँ मृत लोग हैं, तो आप वहाँ हैं।
9 यदि सूर्य मुझे आकाश के पार ले जा सकता,
यदि मैं पश्चिम में उड़ जाता और समुद्र में किसी द्वीप पर रहने के लिए स्थान बनाता,
10 आप वहाँ भी अपने हाथ से मेरी अगुवाई करने के लिए होंगे,
और आप मेरी सहायता करेंगे।
11 मैं इच्छा करूँ कि अन्धकार मुझे छिपा ले,
या मैं इच्छा करूँ कि मेरे चारों ओर का प्रकाश अंधेरा हो जाए।
12 परन्तु यदि ऐसा हो जाए, तो भी आप मुझे देखेंगे।
आपके लिए रात दिन के समान उज्ज्वल है,
क्योंकि उजियाला और अंधियारा आपके लिए अलग नहीं है।
13 आपने मेरे शरीर के सब भागों को बनाया है;
जब मैं अपनी माँ के गर्भ में था तब आपने मेरे शरीर के अंगों को एक साथ जोड़ा।
14 मैं आपकी स्तुति करता हूँ क्योंकि आपने मेरे शरीर को बहुत ही अद्भुत और विचित्र रीति से बनाया है।
जो कुछ भी आप करते हैं वह अद्भुत है!
मैं निश्चय ही इसे भली भाँति जानता हूँ।
15 जब मेरा शरीर बन रहा था,
जब इसे एक साथ जोड़ा जा रहा था, जहाँ कोई और इसे देख नहीं सकता था,
आपने इसे देखा!
16 आपने मेरा जन्म होने से पहले मुझे देखा था।
आपने अपनी पुस्तक में उन दिनों की संख्या लिखी है जिन्हें आपने मेरे इस पृथ्वी के जीवन के लिए रखा है।
उन दिनों में से किसी भी दिन के आरम्भ होने से पहले आपने ऐसा किया था!
17 हे परमेश्वर, आप जो मेरे विषय में सोचते हैं वह बहुत मूल्यवान है।
आप जिन बातों के विषय में सोचते हैं वे बहुत अधिक है।
18 यदि मैं उन्हें गिन सकता, तो मैं देखता हूँ कि वे समुद्र के किनारे की रेत के कणों से अधिक हैं।
जब मैं जागता हूँ, मैं तब भी आपके साथ हूँ।
19 हे परमेश्वर, मेरी इच्छा है कि आप दुष्ट लोगों को मार डालें!
मेरी इच्छा है कि हिंसक पुरुष मुझे छोड़ दें।
20 वे आपके विषय में बुरी बातें कहते हैं;
वे आपके नाम की निन्दा करते हैं।
21 हे यहोवा, मैं उनसे घृणा करता हूँ जो आप से घृणा करते हैं!
मैं उन लोगों को तुच्छ जानता हूँ जो आपके विरुद्ध विद्रोह करते हैं।
22 मैं उनसे पूरी तरह से घृणा करता हूँ,
और मैं उन्हें अपना शत्रु मानता हूँ।
23 हे परमेश्वर, मेरे मन को खोजें;
पता करें कि मैं क्या सोच रहा हूँ!
24 पता करें कि मेरे भीतर कोई बुराई है या नहीं,
और मुझे उस मार्ग पर ले जाएँ जो सदा आपके साथ रहने के लिए मेरी अगुवाई करे।
Chapter 140
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन।
1 हे यहोवा, मुझे दुष्टों से बचाएँ;
और हिंसक लोगों से मुझे सुरक्षित रखें।
2 वे सदा बुराई करने की योजना बनाते हैं,
और वे सदा लोगों को झगड़ा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
3 वे जो कहते हैं, उससे वे लोगों को विषैले साँपों के समान चोट पहुँचाते हैं।
4 हे यहोवा, दुष्ट लोगों की शक्ति से मेरी रक्षा करें।
मुझे हिंसक पुरुषों से सुरक्षित रखें जो मुझे नष्ट करने की योजना बना रहे हैं।
5 ऐसा लगता है कि घमण्डी लोगों ने मेरे लिए एक जाल बिछाया है;
ऐसा लगता है कि उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए अपना जाल फैलाया है;
ऐसा लगता है कि उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए इनको मार्ग में रखा है।
6 मैं आप से कहता हूँ, “हे यहोवा, आप मेरे परमेश्वर हैं।
जब मैं आपको मेरी सहायता करने के लिए पुकारता हूँ, तब मेरी पुकार सुन लें।”
7 हे यहोवा, हे मेरे प्रभु, आप ही वह हैं जो दृढ़ता से मेरा बचाव करते हैं;
आपने युद्ध के समय मुझे संरक्षित किया है जैसे कि आपने मेरे सिर पर टोप रखा था।
8 हे यहोवा, दुष्टों को वे वस्तुएँ न दें जो वे चाहते हैं,
और उन्हें उन बुरे कार्यों को करने की अनुमति न दें जिन्हें वे करने की योजना बना रहे हैं।
9 मेरे शत्रुओं को गर्व करने की अनुमति न दें;
बुरे कार्य जो वे कहते हैं कि वे मेरे साथ करेंगे, वो उनके साथ हो जाएँ।
10 उनके सिर पर जलते हुए कोयले गिरें!
उन्हें गहरे गड्ढे में फेंक दें जहाँ से वे बाहर न आ सकें!
11 उन लोगों को सफल होने न दें जो दूसरों की निन्दा करते हैं;
हिंसक पुरुषों के साथ हिंसक कार्य को होने दें और उन्हें नष्ट करें!
12 हे यहोवा, मुझे पता है कि आप उन लोगों की रक्षा करेंगे जो पीड़ित हैं,
और यह कि आप केवल न्यायपूर्ण कार्य करेंगे।
13 धर्मी लोग निश्चय ही आपको धन्यवाद देंगे,
और वे आपकी उपस्थिति में रहेंगे।
Chapter 141
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन।
1 हे यहोवा, मैं आपको पुकारता हूँ;
कृपया मेरी शीघ्र सहायता करें!
जब मैं आपको पुकारता हूँ तो मेरी सुनें।
2 मेरी प्रार्थना स्वीकार करें जैसे कि यह आपके लिए जलाए गए धूप के समान हो।
मुझे स्वीकार करें जब मैं अपने हाथों को प्रार्थना करने के लिए उठाता हूँ,
जैसे आप शाम को चढ़ाने वाले बलिदानों को स्वीकार करते हैं।
3 हे यहोवा, मुझे उन बातों को कहने की अनुमति न दें जो गलत हैं;
जैसे एक सैनिक द्वार की रखवाली करता है, वैसे मेरी भी चौकसी करें।
4 मुझे कोई भी गलत कार्य करने की इच्छा करने से रोकें
और दुष्ट पुरुषों के साथ जुड़ने से रोकें जब वे बुरा कार्य करना चाहते हैं।
मुझे उनके साथ मनपसन्द भोजन साझा करने की भी अनुमति न दें!
5 यह सही है यदि धर्मी लोग मुझे मारें या मुझे दण्डित करें
क्योंकि वे मुझे उचित कार्य करना सिखाने के लिए दया से कार्य करने का प्रयास कर रहे हैं;
यदि वे ऐसा करते हैं, तो ऐसा होगा जैसे किसी ने जैतून के तेल से मेरे सिर का अभिषेक करके मुझे सम्मानित किया;
परन्तु मैं सदा प्रार्थना करता हूँ कि आप दुष्ट कर्मों के कारण दुष्टों को दण्डित करेंगे।
6 जब उनके शासकों को चट्टानों की चोटी से नीचे फेंक दिया जाता है,
वे जान जाएँगे कि मैं जो कह रहा हूँ वह अच्छा है।
7 वे एक दिन जान जाएँगे कि उनके शरीर मृत लोक में भूमि पर बिखरे हुए होंगे,
जैसे कि किसी के खेत में हल चलाते समय पृथ्वी के ढेले फूटते हैं।
8 परन्तु हे यहोवा परमेश्वर, मैं अनुरोध करता हूँ कि आप मेरी सहायता करते रहें।
मैं अनुरोध करता हूँ कि आप मुझे बचाएँ;
मुझे अब मरने न दें!
9 ऐसा लगता है कि लोगों ने मेरे लिए जाल बिछाए हैं;
मुझे जाल में गिरने से बचाएँ।
ऐसा लगता है कि उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए जाल फैलाया है;
मुझे जाल में पकड़े जाने से बचा कर रखें।
10 मेरी इच्छा है कि दुष्ट लोगों ने मुझे पकड़ने के लिए जो जाल बिछाया है, उसमें वे ही पड़ जाएँ
और मैं उनसे बच जाऊँ।
Chapter 142
एक भजन जिसमें दाऊद ने प्रार्थना की थी जब वह गुफा में छिपा हुआ था।
1 हे यहोवा, मैं आपको पुकारता हूँ;
मैं मेरी सहायता करने के लिए आप से अनुरोध करता हूँ।
2 मैं आपके पास अपनी सब समस्याओं को ला रहा हूँ;
मैं आपको अपनी सारी चिन्ताएँ बता रहा हूँ।
3 जब मैं बहुत निराश होता हूँ,
आप जानते हैं कि मुझे क्या करना चाहिए।
जहाँ भी मैं चलता हूँ, ऐसा लगता है कि मेरे शत्रुओं ने मुझे पकड़ने के लिए जाल बिछाया है।
4 मैं चारों ओर देखता हूँ,
परन्तु कोई भी नहीं है जो मुझे देखता है,
कोई भी नहीं है जो मेरी रक्षा करेगा,
और कोई भी नहीं है जो इस विषय में चिन्ता करता है कि मेरे साथ क्या होता है।
5 हे यहोवा, मैं मेरी सहायता करने के लिए आपको पुकारता हूँ;
आप ही हैं जो मेरी रक्षा करते हैं;
जब तक मैं जीवित हूँ, मुझे केवल आपकी आवश्यकता है।
6 मेरी पुकार सुनें, जब मैं आपको मेरी सहायता करने के लिए पुकारता हूँ
क्योंकि मैं बहुत पीड़ा में हूँ।
मुझे बचाएँ
क्योंकि जो मुझे पीड़ित करते हैं वे बहुत शक्तिशाली हैं;
मैं उनसे बच नहीं सकता हूँ।
7 मेरी पीड़ाओं से मुझे मुक्त करें
कि मैं आपको धन्यवाद दे सकूँ।
यदि आप ऐसा करते हैं, तो जब मैं दूसरों के साथ होता हूँ जो उचित रीति से जीते हैं,
मैं मेरे प्रति भलाई के लिए आपकी स्तुति करूँगा।
Chapter 143
दाऊद द्वारा लिखित एक भजन।
1 हे यहोवा, जब मैं आप से प्रार्थना करता हूँ तो मुझे सुनें!
क्योंकि आप धर्मी हैं
और क्योंकि आपने जो प्रतिज्ञा की है, उसे विश्वासयोग्यता से पूरा करते हैं
सुनें कि मैं अपने लिए क्या करने का आप से अनुरोध कर रहा हूँ।
2 मैं वही हूँ जो आपकी आराधना करता हूँ;
मुझ पर दोष न लगाएँ
क्योंकि आप किसी को पूरी तरह से निर्दोष नहीं मानते हैं।
3 मेरे शत्रुओं ने मेरा पीछा किया है;
उन्होंने मुझे पूरी तरह से होरिया है।
ऐसा लगता है कि उन्होंने मुझे बन्दीगृह के अँधेरे में डाल दिया है
जहाँ मेरे पास आशा करने के लिए कुछ भी अच्छा नहीं है।
4 इसलिए मैं अपने मन में बहुत निराश हूँ;
मैं बहुत व्याकुल हूँ।
5 मैं पिछली बातों को स्मरण करता हूँ;
मैं आपके द्वारा किए गए सब कार्यों पर ध्यान करता हूँ;
मैंने आपके द्वारा किए गए सब महान कार्यों पर विचार किया है।
6 जब मैं प्रार्थना करता हूँ, तब मैं अपने हाथ उठाता हूँ;
मैं आपके साथ होने की बहुत अधिक इच्छा करता हूँ जितना मैं एक विशाल मरुस्थल में पानी के लिए प्यासा होता हूँ।
7 हे यहोवा, मैं बहुत निराश हूँ,
तो कृपया मुझे अभी उत्तर दें!
मुझसे दूर न रहें
क्योंकि यदि आप ऐसा करते हैं, तो मैं शीघ्र ही उन लोगों में से एक हो जाऊँगा जो मृत लोक में हैं।
8 हर सुबह मुझे स्मरण दिलाएँ कि आप मुझे सच्चा प्रेम करते हैं
क्योंकि मैं आप पर भरोसा करता हूँ।
मैं आप से प्रार्थना करता हूँ;
मुझे वह दिखाएँ जो मुझे करना चाहिए।
9 हे यहोवा, मैं स्वयं को बचाने के लिए आपके पास आया हूँ,
इसलिए मुझे मेरे शत्रुओं से बचाएँ।
10 आप मेरे परमेश्वर हैं;
मुझे वह करना सिखाएँ जो आप मुझसे करवाना चाहते हैं।
मैं चाहता हूँ कि आपके भले आत्मा मुझे सही कार्य करने के लिए दिखाएँ।
11 हे यहोवा, जब मैं मरने के निकट हूँ तब अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मेरा उद्धार करें
क्योंकि आप धर्मी हैं!
12 मैं आपकी सेवा करता हूँ;
और क्योंकि आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं,
इसलिए मेरे शत्रुओं को मार डालें
और उन सबसे छुटकारा पाएँ जो मुझ पर अत्याचार करते हैं।
Chapter 144
दाऊद द्वारा लिखित भजन
1 मैं यहोवा की स्तुति करता हूँ, जो एक विशाल चट्टान के समान हैं जिस पर मैं सुरक्षित हूँ!
वह मेरे हाथों को प्रशिक्षित करते हैं कि मैं युद्ध करने में उनका उपयोग कर सकूँ;
वह मेरी उँगलियों को प्रशिक्षित करते हैं कि मैं युद्ध में तीरों को चला सकूँ।
2 वही हैं जो अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मेरी रक्षा करते हैं;
वह एक किले के समान हैं जिसमें मैं सुरक्षित हूँ,
वह मुझे बचाते हैं जैसे ढाल सैनिकों की रक्षा करती हैं,
और वह मुझे शरण देते हैं।
वह अन्य राष्ट्रों को पराजित करते हैं और फिर उन्हें मेरी शक्ति के अधीन रखते हैं।
3 हे यहोवा, हम लोग इतने महत्वहीन हैं! आप हम पर क्यों ध्यान देते हैं?
यह मेरे लिए आश्चर्यजनक है कि आप मनुष्यों पर ध्यान देते हैं।
4 हम जो समय जीते हैं वह हवा की एक फूँक के समान बहुत कम है;
हमारा जीवन का समय छाया के समान गायब हो जाता है।
5 हे यहोवा, आकाश खोल कर नीचे आएँ!
पर्वतों को स्पर्श करें कि उनसे धुआँ निकल सके!
6 बिजली कड़काकर अपने शत्रुओं को भगाएँ!
उन पर अपने तीरों को चलाएँ और उन्हें डरा कर भगा दें।
7 ऐसा लगता है कि मेरे शत्रु मेरे चारों ओर बाढ़ के समान हैं;
स्वर्ग से अपने हाथ नीचे बढ़ाएँ
और मुझे उनसे बचाएँ।
वे विदेशी पुरुष हैं
8 जो सदा झूठ बोलते हैं।
जब वे सच बोलने की शपथ खाते हैं,
तब भी वे झूठ बोलते हैं।
9 परमेश्वर, मैं आपके लिए एक नया गीत गाऊँगा,
और जब मैं आपके लिए गाता हूँ तो मैं दस तार वाली सारंगी बजाऊँगा।
10 आप राजाओं को उनके शत्रुओं को हराने के लिए सक्षम करते हैं;
आप उन लोगों को बचाते हैं जो आपकी सेवा करते हैं, जैसे मैं करता हूँ।
11 इसलिए मैं आप से कहता हूँ कि मुझे बुरे लोगों की तलवारों द्वारा मारने से बचाएँ।
विदेशी पुरुषों की शक्ति से मुझे बचाएँ
जो सदा झूठ बोलते हैं।
जब वे सच बोलने की शपथ खाते हैं,
तो भी वे झूठ बोलते हैं।
12 मेरी इच्छा है कि हमारे पुत्र पूर्ण वयस्क अवस्था को प्राप्त करें;
मेरी इच्छा है कि हमारी पुत्रियाँ सीधी और लम्बी हो जाएँ
जैसे महलों के कोनों में खड़े खम्भे होते हैं।
13 मेरी इच्छा है कि हमारे भण्डार कई अलग-अलग फसलों से भरे रहें।
मेरी इच्छा है कि हमारे खेतों में भेड़ हजारों बच्चों को जन्म दे सकें।
14 मेरी इच्छा है कि हमारे पशु कई बछड़ों को जन्म दे सकें
और जन्म के समय गर्भपात या मृत्यु न हो।
मेरी इच्छा है कि ऐसा कोई समय न हो जब हमारे मार्गों में लोग संकट में रोए
क्योंकि विदेशी सेनाएँ आक्रमण कर रही हैं।
15 यदि ऐसी बातें किसी राष्ट्र के साथ होती हैं,
तो लोग बहुत भाग्यशाली होंगे।
कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो यहोवा को परमेश्वर जान कर उनकी आराधना करते हैं!
Chapter 145
एक भजन जो दाऊद ने परमेश्वर की स्तुति करने के लिए लिखा था।
1 हे मेरे परमेश्वर और मेरे राजा, मैं यह घोषणा करूँगा कि आप बहुत महान हैं;
मैं अब और सदा के लिए आपकी स्तुति करूँगा।
2 हर दिन मैं आपकी स्तुति करूँगा;
हाँ, मैं सदा के लिए आपकी स्तुति करूँगा।
3 हे यहोवा, आप महान हैं, और आपकी बहुत स्तुति की जानी चाहिए;
हम पूरी तरह से समझ नहीं सकते कि आप कितने महान हैं।
4 माता-पिता अपने बच्चों को उन कार्यों को बताएँगे जो आपने किये हैं;
वे अपने बच्चों को आपके शक्तिशाली कार्यों के विषय में बताएँगे।
5 मैं इस विषय में सोचूँगा कि आप कितने महान और प्रतापी हैं,
और मैं आपके सब अद्भुत कर्मों पर ध्यान दूँगा।
6 लोग आपके शक्तिशाली और अद्भुत कर्मों के विषय में बात करेंगे,
और मैं घोषणा करूँगा कि आप बहुत महान हैं।
7 लोग स्मरण करेंगे और घोषणा करेंगे कि आप हमारे प्रति बहुत भले हैं,
और वे आनन्द से गाएँगे कि आप सदा न्याय करते हैं।
8 हे यहोवा, आप हमारे प्रति दया और कृपा के कार्य करते हैं;
आप शीघ्र क्रोधित नहीं होते हैं;
आप हमें सच्चा प्रेम करते हैं जैसा आपने करने की प्रतिज्ञा की है।
9 हे यहोवा, आप सबके लिए भले हैं,
और जो कुछ भी आपने बनाया है उसके प्रति आप दया के कार्य करते हैं।
10 हे यहोवा, आपके द्वारा बनाए गए सब प्राणी आपका धन्यवाद करेंगे,
और आपके सब लोग आपकी स्तुति करेंगे।
11 वे दूसरों को बताएँगे कि आप हमारे राजा होकर बड़ी महिमा से शासन करते हैं
और यह कि आप बहुत शक्तिशाली हैं।
12 वे ऐसा करेंगे कि हर कोई आपके शक्तिशाली कार्यों के विषय में जानें
और आप हम पर महिमा से शासन करें।
13 आप सदा के लिए राजा होंगे;
आप सब पीढ़ियों में शासन करेंगे।
14 हे यहोवा, आप उन सबकी सहायता करते हैं जो निराश हैं,
और आप उन सबको उठाएँगे जिन्होंने आशा खो दी है।
15 आपके द्वारा बनाए गए सब जीवों की आशा है कि आप उनको भोजन देंगे,
जब उन्हें आवश्यकता होती है, तब आप उन्हें भोजन देते हैं।
16 आप उदारता से सब जीवित प्राणियों को भोजन देते हैं,
और आप उन्हें संतुष्ट करते हैं।
17 यहोवा जो कुछ करते हैं, वह न्याय से करते हैं;
वह जो करते हैं वह दया से करते हैं।
18 यहोवा उन सबके पास आते हैं जो उन्हें पुकारते हैं,
उन लोगों को जो सच्चाई से उन्हें पुकारते हैं।
19 उन सब लोगों के लिए जो उनका महान सम्मान करते हैं, वे उनकी आवश्यकता के अनुसार उन्हें देते हैं।
वह उनकी सुनते हैं जब वे उन्हें पुकारते हैं और वह उन्हें बचाते हैं।
20 यहोवा उन सबकी रक्षा करते हैं जो उनसे प्रेम करते हैं,
परन्तु वह सब दुष्ट लोगों से छुटकारा पाएँगे।
21 मैं सदा यहोवा की स्तुति करूँगा;
मेरी इच्छा है कि हर स्थान में सब लोग सदा उनकी स्तुति करें, क्योंकि वह सब कुछ भला करते हैं।
Chapter 146
1 यहोवा की स्तुति करो।
मैं अपने पूरे मन से यहोवा की स्तुति करूँगा।
2 जब तक मैं जीवित हूँ, तब तक मैं यहोवा की स्तुति करूँगा;
मैं अपने पूरे जीवन भर अपने परमेश्वर की स्तुति करने के लिए गाऊँगा।
3 तुम लोग, अपने अगुओं पर भरोसा मत करो;
मनुष्यों पर भरोसा मत करो क्योंकि वे तुम्हें बचा नहीं सकते हैं।
4 जब वे मर जाते हैं, तब उनकी देह नष्ट हो जाती है और फिर मिट्टी बन जाती है।
मरने के बाद, वे अब उन कार्यों को नहीं कर सकते जिन्हें करने की उन्होंने योजना बनाई थी।
5 परन्तु कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जिनकी परमेश्वर सहायता करते हैं, वह परमेश्वर जिनकी याकूब ने आराधना की थी।
ये वे लोग हैं जो उनकी सहायता करने के लिए यहोवा, उनके परमेश्वर से विश्वास से अपेक्षा करते हैं।
6 वही हैं जिन्होंने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया,
महासागर और उन सब प्राणियों को जो उनमें हैं।
वह सदा वह करते हैं जो उन्होंने करने की प्रतिज्ञा की है।
7 वह उन लोगों के लिए न्यायपूर्ण व्यवहार करते हैं जिनके साथ अन्याय किया जाता है,
और वह भूखे लोगों के लिए भोजन प्रदान करते हैं।
वह बन्दीगृह में रहने वालों को मुक्त करते हैं।
8 यहोवा अंधे लोगों को फिर से देखने में सक्षम बनाते हैं।
वह उन्हें उठाते हैं, जो नीचे गिर गये है।
वह धर्मी लोगों से प्रेम करते हैं।
9 यहोवा हमारे देश में रहने वाले अन्य देशों के लोगों की सुधि रखते हैं,
और वह विधवाओं और अनाथों की सहायता करते हैं।
परन्तु वह दुष्ट लोगों को उनके कार्यों से रोक देते हैं।
10 यहोवा सदा के लिए हमारे राजा बने रहेंगे;
हे इस्राएल के लोगों, तुम्हारे परमेश्वर सदा के लिए शासन करेंगे!
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 147
1 यहोवा की स्तुति करो!
हमारे परमेश्वर की स्तुति करना अच्छा है।
यह करना एक सुखद बात है और यह उचित कार्य है।
2 यरूशलेम नष्ट हो गया था, परन्तु यहोवा हमें यरूशलेम को फिर से बनाने में सक्षम बनाते हैं।
वह उन लोगों को वापस ला रहे हैं जिन्हें अन्य देशों में ले जाया गया था।
3 वह उन लोगों को फिर से प्रोत्साहित करते हैं जो बहुत निराश थे;
ऐसा लगता है कि वह उनके घावों पर पट्टियाँ बाँधते हैं।
4 उन्होंने निर्धारित किया है कि कितने तारे होंगे
और वह उन सबको नाम देते हैं।
5 यहोवा महान और बहुत शक्तिशाली हैं,
और कोई भी उनकी समझ को माप नहीं सकता है।
6 यहोवा उन लोगों को उठाते हैं जिनका दमन किया गया है,
और वह दुष्टों को भूमि पर फेंकते हैं।
7 यहोवा का धन्यवाद करो जब तुम उनकी स्तुति के लिए गाते हों;
वीणा पर हमारे परमेश्वर के लिए संगीत बजाओ।
8 वह बादलों से आकाश को ढाँकते हैं,
और फिर वह पृथ्वी पर वर्षा भेजते हैं
और पर्वतों पर घास उगाते हैं।
9 वह पशुओं को वह भोजन देते हैं जो उन्हें चाहिए;
वह युवा कौओं को भोजन देते हैं, जब वे रोते हैं क्योंकि वे भूखे होते हैं।
10 वह बलवन्त घोड़ों से प्रभावित नहीं होते हैं
न उन पुरुषों से जो तेजी से दौड़ सकते हैं।
11 इसकी अपेक्षा, वह उनसे प्रसन्न होते हैं जो उनका महान सम्मान करते हैं,
जो विश्वास से उनसे आशा रखते हैं, कि वह उनसे प्रेम करते रहेंगे क्योंकि उन्होंने ऐसा करने की प्रतिज्ञा की थी।
12 हे यरूशलेम के लोगों, यहोवा की स्तुति करो!
अपने परमेश्वर की स्तुति करो!
13 वह इसके द्वार को दृढ़ रख कर तुम्हारे शहर की रक्षा करते हैं।
वह वहाँ रहने वाले लोगों को आशीष देते हैं।
14 वह तुम्हारे लोगों को धनवान बनाते हैं।
वह तुम्हारे खाने के लिए उत्तम गेहूँ देते हैं।
15 वह पृथ्वी पर वस्तुएँ उत्पन्न होने की आज्ञा देते हैं;
उनके शब्द शीघ्र ही उस स्थान तक पहुँच जाते हैं जहाँ वह उन्हें भेजते हैं।
16 वह एक सफेद ऊन के कंबल के समान भूमि को ढाँकने के लिए हिम भेजते हैं,
और वह भूमि पर पाला बिखेरते हैं, जैसे हवाओं से राख बिखेरी जाती है।
17 वह कंकड़ के समान ओले भेजते हैं;
जब ऐसा होता है, तो सहन करना बहुत कठिन होता है क्योंकि हवा बहुत ठण्डी हो जाती है।
18 परन्तु वह हवा को चलने का आदेश देते हैं, और वह चलती है।
फिर ओले पिघल जाते हैं और पानी धाराओं में बहने लगता हैं।
19 वह याकूब के वंशजों के लिए अपना सन्देश भेजते हैं;
वह अपने इस्राएली लोगों को उन बातों को बताते हैं जिन्हें उन्होंने करने का निर्णय लिया है।
20 उन्होंने किसी अन्य देश के लिए ऐसा नहीं किया है;
अन्य राष्ट्र उनके नियमों को नहीं जानते हैं।
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 148
1 यहोवा की स्तुति करो!
हे स्वर्ग में रहने वाले स्वर्गदूतों उनकी स्तुति करो;
हे आकाश के स्वर्गदूतों, उनकी स्तुति करो!
2 हे सब स्वर्गदूत जो उनके हैं, उनकी स्तुति करो!
तुम सब जो यहोवा की सेनाओं में हो, उनकी स्तुति करो!
3 सूर्य और चँद्रमा, तुम्हें भी उनकी स्तुति करनी चाहिए!
हे चमकते तारों, तुम उनकी स्तुति करो!
4 हे सर्वोच्च स्वर्ग, उनकी स्तुति करो!
हे आकाश के ऊपर के पानी, उनकी स्तुति करो!
5 मैं चाहता हूँ कि ये सब यहोवा की स्तुति करें
क्योंकि उनकी आज्ञा के द्वारा, उन्होंने उन्हें बनाया है।
6 उन्होंने उन्हें अपने स्थान में स्थापित किया;
उन्होंने आदेश दिया कि वे सदा के लिए स्थिर रहें।
वे उस आदेश की अवज्ञा नहीं कर सकते हैं!
7 पृथ्वी पर जो कुछ है, यहोवा की स्तुति करो!
हे विशाल जीवों और समुद्र में गहरे स्थानों के सब चीजों,
8 आग और ओले, हिम और कोहरा,
और तेज हवाएँ जो उनकी आज्ञा का पालन करती हैं,
मैं तुम सबको यहोवा की स्तुति करने के लिए कहता हूँ!
9 टीलों और पर्वतों,
फल के पेड़ और देवदार के पेड़,
10 सब जंगली पशुओं और सब घरेलू पशुओं,
सरीसृप और अन्य जन्तुओं जो भूमि पर रेंगती हैं,
और सब पक्षियों, मैं तुम सबको यहोवा की स्तुति करने के लिए कहता हूँ!
11 हे धरती के राजाओं और सब लोग जिन पर तुम शासन करते हो,
हे राजकुमारों और अन्य सब शासकों,
12 हे युवा पुरुषों और युवा स्त्रियों,
हे वृद्ध लोगों और बच्चों, हर कोई, यहोवा की स्तुति करें!
13 मैं चाहता हूँ कि वे सब यहोवा की स्तुति करें
क्योंकि वह हर किसी से महान हैं।
उनकी शक्ति पृथ्वी पर और आकाश में सब कुछ नियंत्रित करती हैं।
14 उन्होंने हमें, अर्थात् अपने लोगों को दृढ़ होने के लिए प्रेरित किया
कि हम इस्राएली लोग जो उनके लिए बहुत मूल्यवान हैं
उनकी स्तुति करें,
इसलिए यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 149
1 यहोवा की स्तुति करो!
यहोवा के लिए एक नया गीत गाओ; जब भी उनके विश्वासयोग्य लोग इकट्ठे होते हैं
तो उनकी स्तुति करो!
2 हे इस्राएली लोगों, तुम्हारे परमेश्वर ने, जिन्होंने तुम्हें बनाया है, उन्होंने तुम्हारे लिए जो किया है, उसके कारण आनन्द मनाओ!
हे यरूशलेम के लोगों, परमेश्वर तुम्हारे राजा ने तुम्हारे लिए जो किया है, उसके कारण आनन्द मनाओ!
3 नृत्य करके और डफ बजा कर यहोवा की स्तुति करो,
और उनकी स्तुति करने के लिए वीणा बजाओ!
4 यहोवा अपने लोगों से प्रसन्न हैं;
वह विनम्र लोगों को उनके शत्रुओं को पराजित करने में उनकी सहायता करके उन्हें सम्मानित करते हैं।
5 क्योंकि उन्होंने युद्ध जीता हैं, इसलिए परमेश्वर के लोगों को आनन्द मनाना चाहिए
और रात के समय आनन्द से गाना चाहिए!
6 उन्हें परमेश्वर की स्तुति करने के लिए ऊँचे शब्दों से जयजयकार करना चाहिए;
परन्तु उन्हें अपने हाथों में तेज तलवार भी पकड़नी चाहिए,
7 जिससे की इसका उपयोग करने के लिए तैयार हों, उन राष्ट्रों के सैनिकों को पराजित करने के लिए जो परमेश्वर की आराधना नहीं करते हैं
और उन राष्ट्रों के लोगों को दण्ड देने के लिए।
8 वे लोहे की जंजीरों से उनके राजाओं और अन्य अगुओं को बाँधेंगे।
9 वे उन राष्ट्रों के लोगों का न्याय करेंगे और दण्ड देंगे जैसा परमेश्वर ने लिखा था कि किया जाना चाहिए।
हर कोई ऐसा करने के लिए परमेश्वर के विश्वासयोग्य लोगों का सम्मान करेंगे!
यहोवा की स्तुति करो!
Chapter 150
1 यहोवा की स्तुति करो!
उनके भवन में परमेश्वर की स्तुति करो!
जो स्वर्ग में अपने गढ़ में हैं, उनकी स्तुति करो!
2 उनके द्वारा किए गए शक्तिशाली कर्मों के लिए उनकी स्तुति करो;
उनकी स्तुति करो क्योंकि वह बहुत महान हैं!
3 तुरहियाँ बजा कर उनकी स्तुति करो;
वीणा और छोटे तारों वाले बाजे बजा कर उनकी स्तुति करो!
4 डफ बजा कर और नृत्य करके उनकी स्तुति करो।
तारों वाले बाजे और बाँसुरी बजा कर उनकी स्तुति करो!
5 झाँझ बजा कर उनकी स्तुति करो;
झाँझ को ऊँची ध्वनि में बजा कर उनकी स्तुति करो!
6 मैं चाहता हूँ कि सब प्राणी यहोवा की स्तुति करें!
यहोवा की स्तुति करो!