हिन्दी, हिंदी: Unlocked Dynamic Bible - Hindi

Updated ? hours ago # views See on DCS

नीतिवचन

Chapter 1

1 दाऊद के पुत्र, इस्राएल के राजा सुलैमान के नीतिवचन हैं, जो उदाहरणों की आपस में तुलना करके नैतिकता के पाठ सिखाने और लोगों को बुद्धिमान बनाने के लिए हैं।

     2 इन नीतिवचनों का उद्देश्य ज्ञान के अर्थ को सिखाना

         और नैतिक निर्देश के उदाहरण देना है, जिससे कि बुद्धि की शिक्षा तुम्हारा मार्गदर्शन कर सके।

     3 यह नीतिवचन सुधार करते हैं जिससे कि तुम ज्ञान स जीवन जी सको।

         सिधाई है, न्याय है और निष्पक्षता की सीमा में ज्ञानवान

     4 जिनको जीवन का अनुभव नहीं है, उन्हें इनसे बुद्धि की शिक्षा मिलती है; और जिन्हें सदाचारी जीवन जीने की समझ नहीं, उन्हें निर्देश मिलते हैं,

     और यह युवाओं को आवश्यक ज्ञान प्रदान करने और उनमे समझदारी की कमी को दूर करने की शिक्षा हेतु है-

     5 जिससे कि बुद्धिमान इन नीतिवचनों को सुने और अपने स्थान में वृद्धि करें,

         और जिनमें समझ है, वे ज्ञान की शिक्षा के अनुसार जीने के और अधिक मार्गों को प्राप्त करें।

     6 वे नीतिवचनों की शिक्षा और दृष्टांतों के अर्थ को समझने की खोज करते हैं।

         यह बुद्धिमान के वचन और उनकी वे बातें हैं जिन्हें सरलता से समझना कठिन हैं।

     7 तुम्हें यहोवा का सम्मान करके और उनका आदर करके ज्ञान की खोज आरम्भ करना चाहिए;

         एक मूर्ख जो स्वयं को अपमानित करता है, वह ज्ञान से घृणा करता है और सुधारने वाले व्यक्ति से झगड़ा करता है।

     8 हे मेरे पुत्र, जब तेरा पिता तुझे शिक्षा देता है तो उसकी सुन;

         और अपनी माँ के द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन न कर।

     9 उनकी शिक्षा तेरे सिर पर एक फूलों का मुकुट,

         और तेरे गले के चारों ओर सुंदर हार के समान है,

         वे तेरे माता-पिता की ओर से अनमोल उपहार हैं।

     10 हे मेरे पुत्र, जब पापी लोग तुझे मीठी-मीठी, चिकनी बातों से और चापलूसी से अपने पाप में आकर्षित करने का प्रयास करते हैं,

         तब उनकी बात नहीं सुनना और न ही उनके पीछे जाना।

     11 वे कहेंगे, "हमारे साथ आ! हम से जुड़ जा!

         हम छिप कर प्रतीक्षा करेंगे और हम उस व्यक्ति की ह्त्या करेंगे जो यहाँ से गुजरेगा।

         हम छिप कर उस व्यक्ति पर आक्रमण करेंगे जिसने हमारा बुरा नही किया है- यह हमारा खेल होगा।

     12 जैसे कब्र एक स्वस्थ व्यक्ति को भी मरे हुओं के स्थान पर खींच कर ले जाती है, वैसे ही हम उनकी जान ले लेंगे।

         हम उन्हें उन लोगों के समान बना देंगे जो उस स्थान में गिर जाते हैं जहाँ बचने की कोई आशा नहीं है।

     13 हमें कई मूल्यवान और महंगी वस्तुएँ मिलेंगी,

         और हम अपने घरों को उन वस्तुओं से भर देंगे जिन्हें हमने उनसे चुरा लिया है!

     14 इसलिए आ, हमारे दल का सदस्य बन!

         हम अपनी चुराई हुई वस्तुओं को बराबर भागों में विभाजित करेंगे, और अपने दल के प्रत्येक सदस्य को देंगे।"

     15 हे मेरे पुत्र, उनके साथ उस मार्ग पर मत चल!

         अपने पैर को भी उस मार्ग पर मत रखना जिस पर वे चलते हैं!

         16 वे ऐसे स्थानों की ओर दौड़ते हैं जहाँ वे भयानक काम करते हैं,

         वे शीघ्रता करते हैं जिससे कि वे हत्या कर सकें।

     17 पक्षी के देखते हुए, उसे फँसाने के लिए जाल डालना व्यर्थ है।

     18 ये लोग ऐसी योजनाएँ बनाते हैं जो पलट कर उन्ही की हत्या का कारण हो जाती हैं।

         वे जाल लगाते हैं और उस जाल में वे ही फँस जाते हैं।

     19 यह उन सभी के मार्ग हैं जो चोरी और छल के माध्यम से अपनी संपत्ति जोड़ते हैं;

         जिन वस्तुओं को उन्होंने चुराया हैं, वे उन चोरों के जीवन को नष्ट कर देती है जो उनसे लिपटे रहते हैं।

     20 बुद्धि एक ऐसी स्त्री के समान है जो मार्गों में ऊँचे स्वर से पुकारती है।

         बुद्धि चौकों में लोगों को पुकारती है।

     21 व्यस्त मार्गों के चौराहे पर

         और शहर के फाटकों के प्रवेश स्थान पर वह ऊँचे स्वर से पुकारती है।

     22 वह ऊँचे स्वर से पुकारती है, "तुम, जिन्होंने कुछ नहीं सीखा है, कब तक हानि पहुँचाने वाले काम करने के बहकावे से लगाव रखोगे?

         तुम जो अपने आप को बुद्धिमानों से आधिक ज्ञानवान समझते हो, कब तक अपने थोड़े से ज्ञान में आनन्दित रहोगे?

         कब तक तुम मुर्ख लोग शिक्षा से मना करते रहोगे?

     23 यदि तुम मुझ पर ध्यान दो जब मैं तुमको सुधारती हूँ,

         तो मैं तुमको सब कुछ जो मैं सोच रही हूँ बताऊँगी।

         मेरी बातों को समझने में मैं तुम्हारी सहायता करूँगी।

     24 लेकिन जब मैंने तुमको बुलाया, तो तुमने सुनने से मना कर दिया।

         मैंने तुमको संकेत करके बुलाया और अपने हाथों को तुम्हारी ओर बढ़ाया,

     लेकिन किसी ने भी कोई ध्यान नहीं दिया।

     25 तुमने मेरी सलाह को सुनने से मना कर दिया

     और जब मैंने तुम्हें सुधारा तब तुमने नहीं सुना।

     26 जब तुम परेशानियों में होंगे, तो मैं तुम पर हंसूँगी,

         जब तुम बहुत डरोगे,

         तब मैं तुम पर दया नहीं करूँगी और तुम्हें तुच्छ समझूँगी।

     27 जब परेशानियाँ तुम पर एक शक्तिशाली तूफान के समान आ पड़ेंगी,

         और आपदाएँ तुम पर हिंसक आँधी के समान आएँगी,

         जब तुम विपत्तियों से घिर जाओगे और तुम कठिनाइयों में पड़ जाओगे,

         तब मैं तुमसे घृणा करूँगी।

     28 जब लोग सहायता के लिए मुझे पुकारेंगे,

         पर मैं उनको उत्तर नहीं दूँगी।

         वे मेरी सहायता पाने के लिए कुछ भी करेंगे, और मुझे सब स्थानों में खोजेंगे,

         लेकिन वे मुझे नहीं पाएँगे।

     29 जो मैं कहती हूँ उसे वे अस्वीकार करते हैं और वे मेरे ज्ञान से घृणा करते हैं,

     और उन्होंने यहोवा का सम्मान न करने का चुनाव किया है।

     30 जो कुछ मैंने करने के लिए कहा था, वे उसका पालन नहीं करते,

     और जब मैंने उन्हें सुधारने का प्रयास किया तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया। 31 इसलिए वे अपने कार्यों के फलों को भोगेंगे

         जब वे अपनी योजनाएँ पूरी करते हैं।

     32 जिन्हें ज्ञान नहीं सिखाया गया, वे मूर्ख हैं।

         मूर्ख किसी भी बात के बारे में निर्णय न लेने का चुनाव करता हैं, परन्तु इस बारे में सुनिश्चित रहें: निर्णय लेने में उनकी विफलता उनके जीवन को नष्ट कर देगी।

     33 परन्तु जो मुझ पर ध्यान देते हैं वे शान्ति और सुरक्षा में रहेंगे,

         और वे विश्राम करेंगे और आने वाली किसी भी आपदा से नहीं डरेंगे।"

Chapter 2

     1 हे मेरे पुत्र, मेरी बात सुन,

         और मेरे आदेशों को एक खजाने के समान मूल्यवान समझ।

     2 ज्ञान पर ध्यान दे;

         और ज्ञान को समझने के लिए कठिन परिश्रम कर।

     3 बुद्धि प्राप्त करने के लिए यहोवा को पुकार,

         उनसे अनुरोध कर कि वह तुझको जो कुछ जानना चाहिए उसे अधिक समझने में सहायता करें।

     4 उत्सुकता से ज्ञान की खोज कर, जैसे तू चाँदी की खोज करता है-

         जैसे कि तू किसी खजाने की खोज करता है; जिसे किसी ने छिपाया है।

     5 यदि तू ऐसा करता है, तो तू समझेगा कि यहोवा को उनके योग्य सम्मान कैसे देना चाहिए,

         और तू परमेश्वर को जानने में सफल होगा।

     6 वह यहोवा ही हैं जो हमें ज्ञान देते हैं।

         वही हैं जो हमें उन बातों को बताते हैं जिन्हें हमें जानने और समझने की आवश्यकता है।

     7 वह अच्छे परामर्श का भण्डार रखते हैं जिससे कि वह उन्हें उन लोगों को दें जो अपने जीवन से उनका सम्मान करते हैं।

         वह उन लोगों की रक्षा करते हैं जो अपने जीवन में वही करते हैं जो वे अपने होंठों से कहते हैं।

     8 वह न्याय की रक्षा करते हैं और उसे पूरा होते देखने के लिए काम करते हैं,

         और वह उन लोगों को सुरक्षित रखते हैं जो उनके प्रति वफादार हैं।

     9 तू समझेगा कि यहोवा जो देखते हैं वह सही है और जो यहोवा करने के लिए निर्धारित करते हैं वह न्यायोचित है,

         और वह तुझे जीने का सबसे अच्छा मार्ग दिखायेंगे।

     10 ज्ञान तेरे जीवन को भर देगा;

         उन बातों को जानकर जो यहोवा तुझे बताना चाहते हैं, तुझे खुशी होगी।

     11 तू सही और गलत में अंतर करना सीकहेगा;

     और यह तुझे सुरक्षित रखेंगा।

     12 तुम ऐसा कोई काम न करना जो यहोवा तुझे करने के लिए मना करते हैं,

         और तू उन लोगों से दूर रहना जो भयानक बातों की कल्पना करते हैं और उनके बारे में बात करते हैं।

     13 वे गलत मार्गों पर जाते हैं,

         और वहाँ चलते हैं जहाँ कोई प्रकाश नहीं है।

     14 वे प्रसन्न होते हैं जब वे कुछ गलत करते हैं,

         वे अच्छी बातों को बुराई में बदल देते हैं और जो गलत है, जानकर भी उसे करके आनंन्दित होते हैं।

     15 वे सच्चाई को बिगाड़ देते हैं और धोखे से जीते हैं

         और उनके झूठ उनके किए गए कामों को छिपाते हैं।

     16 ज्ञान तुझे व्यभिचारी स्त्री से सुरक्षित रखेगा,

         और जब एक अजनबी स्त्री तुझे अपने साथ रहने के लिए आमंत्रित करती है, तो तू ध्यान नहीं देगा।

     17 उन स्त्रियों ने अपने पतियों को छोड़ दिया जिनसे उन्होंने अपनी जवानी में विवाह किया था,

         वे परमेश्वर से की गई अपनी प्रतिज्ञा को भूल गईं कि वे केवल उनसे ही प्रेम करेंगी जिनसे उन्होंने विवाह किया है।

     18 जो लोग उसके घर में प्रवेश करते हैं वे अपनी मृत्यु के लिए गए हैं,

         क्योंकि उसके घर का मार्ग उन्हें मृत लोगों को दफनाने के स्थान पर ले जाता है।

     19 जो उसके साथ सोने के लिए उसके पास जाते हैं, उनके पास उस घर से बाहर निकलने का कोई मार्ग नहीं है,

         वे ऐसे खो जाएँगे कि वे कभी भी जीवन के मार्ग पर वापस नहीं आ पाएँगे।

     20 तुझे अपने जीवन को वैसे ही जीना है जैसे अच्छे पुरुष जी रहे हैं।

         तुझे वही काम करने चाहिए जो उचित काम करने वाले करते हैं।

     21 जो उचित काम करते हैं वे भूमि को यहोवा से एक उपहार के रूप में प्राप्त करेंगे,

         और केवल वे लोग जो की गई प्रतिज्ञाओं को पूरा करते हैं, लंबे समय तक उस देश में रहेंगे।

     22 जो लोग बुरे काम करते हैं, उनका इस देश पर कोई दावा नहीं होगा,

         और जो लोग दूसरों से अनुचित लाभ उठाते हैं और अपना वचन नहीं निभाते हैं, उनके पास भूमि का एक छोटा सा भाग भी कभी नहीं होगा।

Chapter 3

     1 हे मेरे पुत्र, मैंने जो बातें तुझे सिखाई हैं उसे मत भूलना;

     मेरे आदेशों को अपने जीवन आचरण के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन के रूप में अपने मन में बसा ले,

     2 क्योंकि वे तुझे लंबा जीवन जीने में सहायता करेंगे, जो दिनों या वर्षों में मापा जाता है,

     और वे तुझे सिखाए गए सभी बातों के अतिरिक्त तुझे शान्ति भी देंगे।

     3 दूसरों के साथ कोमलता का व्यवहार कर और हमेशा उनसे सच बोल।

         कोमलता और सच्चाई प्रत्येक सम्बंध में तेरा मार्गदर्शन करें,

         जैसे कि वे दोनों तेरे गले के हार में जड़ी हुई हैं, एक ऐसा हार जो हर काम में तेरा मार्गदर्शन करता है।

     4 तब तू परमेश्वर की प्रसन्नता का अनुभव करेगा,

         और लोग भी तुझे अपनी स्वीकृति देंगे।

     5 यहोवा पर अपना पूरा भरोसा रख,

         और कोई काम इसलिए न कर क्योंकि तूने अपना मन बना लिया है कि तुझे क्या करना चाहिए।

     6 परन्तु हर एक चुनाव और निर्णय में, यहोवा की ओर देख,

         और वह तुझे दिखायेंगे कि तुझे कैसा जीवन जीना है।

     7 ऐसा मत सोच कि तू अपने जीवन को निर्देशित करने के लिए पर्याप्त बुद्धिमान है,

         यहोवा को वह भय-पूर्वक सम्मान दे जिसके वे योग्य हैं,

         और जब बुराई तुझे आमंत्रित करती है, तो उससे अलग हो जा।

     8 यहोवा का आदर करने से तेरा शरीर स्वस्थ रहेगा

         और उससे तेरी हड्डियों को पुष्ट रहेंगी।

     9 जब तू पैसे कमाता है, तो उसका दसवा-अंश देकर यहोवा का आदर करना;

         जो तुझे मिला है उसका पहला भाग उन्हें दे, जिससे कि याद रहे कि यह सब उनसे प्राप्त हुआ था।

     10 यदि तू यहोवा का आदर करेगा, तो तेरे खत्ते इतने भरे होंगे कि वे उमण्ड पड़ेंगे,

         और तेरे रसकुण्ड तेरे द्वारा बनाई गई दाखमधु से भरपूर रहेंगे।

     11 हे मेरे पुत्र, जब यहोवा सुधारें तो घृणा मत करना,

         और जब वे तुझे दंडित करते हैं, तो बुरा नहीं मानना,

     12 क्योंकि यहोवा केवल उन लोगों को सुधारते हैं जिनसे वह प्रेम करते हैं,

         जैसे माता-पिता अपने बच्चों को सुधारते हैं जिनसे वे प्रेम करते हैं।

     13 जो ज्ञान प्राप्त करते हैं वे धन्य हैं;

     उसके साथ उन्हें समझ भी प्राप्त होती है।

     14 ज्ञान तुझे चाँदी की प्राप्ति से भी अधिक लाभ देता है,

         और वह तुझको सोने से भी अधिक मूल्यवान प्रतिफल देगी।

     15 बुद्धिमान होना रत्नों से अधिक कीमती है

         और तेरी लालसा की कोई भी वस्तु ज्ञान से अधिक मूल्यवान नहीं है।

     16 बुद्धि की शिक्षा पर चलने से तेरा जीवन लम्बा होगा;

         वह तुझे धनवान बनाने और अन्य लोगों को तुझे सम्मान देने के लिए प्रेरित करती है।

     17 बुद्धि अपनी दया से जानी जाती है,

         और वह तुम्हें सदैव उस स्थान पर लेकर जाएगी जहाँ तुम्हें शान्ति मिलेगी।

     18 बुद्धि एक पेड़ के समान है जिसका फल उन लोगों को जीवन देता है जो इसे पकड़े रहते हैं,

         और यहोवा उन लोगों को आनंद देते हैं जो इसे पकड़े रहते हैं।

     19 अपनी बुद्धि से यहोवा ने आदि में पृथ्वी की नींव रखी,

         और अपनी समझ से उन्होंने आकाश में हर चीज को अपने उचित स्थान पर रखा।

     20 महासागरों के गहरे भाग यहोवा की योजना के अनुसार फूट निकले,

         और उसी प्रकार, उन्होंने ओस को बनाया जिससे कि वह ऊपर बादलों से गिरे।

     21 हे मेरे पुत्र, अपने द्वारा किए गए निर्णयों में अच्छी समझ को पकड़े रखना,

         और उनसे अपनी आँखें न हटाना।

     22 वे तेरे लिए जीवन लाएँगे,

         और तेरे जीवन पर यहोवा के आशीष का चिन्ह होगा

         जिसे लोग तुम्हारे अच्छे निर्णय से देख सकेंगे।

     23 तेरे अच्छे निर्णय तुझे वहाँ सुरक्षित ले जाएँगे, जहाँ तू जा रहा है,

         और वे मार्ग में गलत कदम उठाने से तुझे रोकेंगे।

     24 जब तू सोने के लिए लेटता है, तो तुझे कोई डर नहीं होगा,

         और तेरी नींद ताजगी भरी होगी।

     25 आपदा तुझे भयभीत न करे,

         और दुष्ट तुझे भयभीत न करें; तेरे निकट आता है तो वे।

     26 यहोवा तेरी रक्षा करने के लिए तेरी ओर हैं,

         वे तुझे किसी भी जाल में फँसने नहीं देंगे।

     27 उन लोगों को अच्छे उपहार दो जो उसके योग्य हैं,

         जब तू, उनकी सहायता कर सकता है।

     28 अपने पड़ोसी से मत कह, "बाद में आना;

         सम्भव है कि मैं कल तेरी सहायता करूँगा,"

         जबकी तेरे पास पैसे हैं उनकी सहायता कर सकते है।

     29 जिन्हें तू जानता है, उन्हें नुकसान पहुँचाने की योजना न बना,

     विशेष रूप से उन्हें जो तेरे निकट रहते हैं और तुझ पर भरोसा करते हैं।

     30 यदि किसी व्यक्ति ने तेरे विरुद्ध कुछ भी नहीं किया है,

         तो उसके साथ विवाद न कर या यह न कह कि उसने तेरे साथ कुछ किया है, जबकि उसने नहीं किया है।

     31 किसी ऐसे व्यक्ति से ईर्ष्या न कर जो दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करता है,

         और वह जो भी करता है वह न कर।

     32 यहोवा झूठ बोलने वाले व्यक्ति से घृणा करते हैं,

         परन्तु धार्मिकता से रहने वाले व्यक्ति के लिए यहोवा एक निकटतम मित्र हैं।

     33 यहोवा उन लोगों के परिवारों पर दण्ड की प्रतिज्ञा करते हैं जो भी बुरे काम करते हैं।

         परन्तु वह अच्छे लोगों के परिवारों को प्रसन्न रखते हैं।

     34 यहोवा उन लोगों को मूर्ख मानते हैं जो दूसरों से अपमान का व्यवहार करते हैं,

         परन्तु वह नम्र लोगों पर अपनी दया दर्शाते हैं।

     35 जो बुद्धिमान हैं उन्हें सम्मानित किया जाएगा,

         परन्तु मूर्ख लोग अपने अपमान के लिए भलीभांति जाने जाएँगे।

Chapter 4

     1 हे बालकों सुनो, जो मैं तुमको सिखा रहा हूँ, उसे सुनो।

         यदि तुम ध्यान देते हो, तो तुम समझ का अर्थ समझोगे।

     2 जो शिक्षा मैं तुमको देता हूँ वह अच्छी शिक्षा है, जो क्रम में दी जाती है।

         इसलिए मैं तुमको जो शिक्षा देता हूँ उसे सीखने से मना न करो।

     3 मैं अपने पिता का लड़का था,

     और मेरी माँ का एकलौता बच्चा था,

     4 मेरे पिता ने मुझे कहा था, "मेरी बातों को अपने भीतर गहराई में रखना,

     मेरे आदेशों का पालन कर,

         तो तुझे जीवन प्राप्त होगा।

     5 ज्ञान पर और जो भी तुझे समझने में सहायता करते हैं उनको थामे रहना,

     और मेरी शिक्षाओं को मत भूलना और जो समझ की बातें मैंने तुझसे की है उनका त्याग मत करना।

     6 जो बातें ज्ञानी लोग तुझे सिखाते हैं, उनसे दूर मत भाग,

         क्योंकि यदि तू ज्ञानी हो जाए, तो ज्ञान तुझे सुरक्षित रखेगा।

     ज्ञान से प्रेम कर तो वह तेरे जीवन की रक्षा करेगा।

     7 सबसे महत्वपूर्ण बात जो तू कर सकता है, वह यह है कि ज्ञान के सिद्धांतों का अध्ययन कर;

         और समझ में अधिकाधिक बढ़ने के लिए अपना सब कुछ लगा दे।

     8 ज्ञान को किसी भी मूल्यवान वस्तु से अधिक प्रिय मान, और वह तुझको उच्च पद पर ले जाएगा-

         और ज्ञान तुझको सम्मान देगा जब तू दिखाएगा कि तू इसे कितना प्रेम करता है।

     9 जब तू ज्ञान प्राप्त कर चुका हो, तो वह तेरे सिर पर सम्मान का खूबसूरत फूल के मुकुट जैसा होगा;

         वह तुझे एक सुंदर ताज देगा।"

     10 सुन, हे मेरे पुत्र, कान लगा और समझ कि मैं तुझ से क्या कहता हूँ-

     ऐसा कर, तो तू एक लंबा जीवन जीएगा।

     11 मैंने तुझे जीवन के मार्ग के जो निर्देश दिये हैं और सिखाए गए ज्ञान को कैसे उपयोग करना चाहिए, उसके लिए तुझे निर्देशित किया;

         मैंने हाथ पकड़कर तुझे उन मार्गो पर चलने के लिए प्रेरित किया जो मार्ग तेरे लिए उचित है। 12 यदि तू बुद्धिमानी से जीवन जीता है; तो तुझ पर दोष लगाने के लिए कोई भी नहीं होगा,

         जब तू अपने सभी प्रयासों का उपयोग करता है, तो तू सफल होगा।

     13 उन शिक्षाओं को स्मरण रख जिन्हें अनुशासन ने तुझे सिखाया था,

         और उन्हें भूल न जाना।

     उसकी रक्षा कर; क्योंकि वे तेरे जीवन का आधार होंगी।

     14 जो दुष्ट लोग करते हैं, वह काम न कर और न उनके साथ रह;

     उन लोगों के साथ न रह जो बुरे काम करते हैं।

     15 उन मार्गों से दूर रह;

         अन्य किसी मार्ग पर मुड़ जा और किसी दूसरे मार्ग पर जा।

     16 दुष्ट लोग तब तक विश्राम नहीं करते जब तक कि वो ऐसा कुछ नहीं करते जो यहोवा ने उन्हें करने के लिए मना किया हो।

         वे जब तक कि किसी को गिरा न दें तब तक उन्हें विश्राम नही मिलता, वह जो उनके आने से पहले भलाई करता था।

     17 अनुचित काम करना उनका भोजन है, और इससे उन्हें शक्ति प्राप्त होती है;

     और किसी को हानि पहुँचा कर उन्हें नशा होता है; उसके द्वारा वे नशे में आते हैं।

     18 जो लोग उचित काम करते हैं, उनके द्वारा लिया गया मार्ग सुबह को उगते सूरज के समान उज्ज्वल से उज्ज्वल होता जाता है,

         और वह उज्ज्वल होकर चमकता है जब तक कि यह दिन के प्रकाश के समान पूर्ण न हो जाए।

     19 दुष्टों के कर्म अंधकार के समान हैं-

         वे ठोकर खाते हैं क्योंकि वे नहीं देख सकते कि उन्हें क्या गिराता है।

     20 हे मेरे पुत्र, मैं जो कह रहा हूँ उस पर ध्यान दे।

         इन शिक्षाओं पर ध्यान दे जो मैं तुझे सिखा रहा हूँ।

     21 उन्हें पढ़ना जारी रख,

     और उन्हें अपने मन में बसा ले।

         22 क्योंकि मेरे वचन उन लोगों के लिए जीवन का संदेश लाते हैं जो उन पर ध्यान देते हैं,

     और उनका संदेश शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक है।

     23 अपने दिल को अपनी सारी सामर्थ से सुरक्षित रख और जिससे तू प्रेम करता है उसकी रक्षा कर;

         उसकी रक्षा कर, क्योंकि यह जीवन से उमड़ने वाला एक सोता बन जाता है।

     24 किसी भी झूठी बातों से दूर रहने को लक्ष्य बना,

         और छल की बात को अपने से दूर रख।

     25 सीधा आगे देख क्योंकि तेरा ध्यान अच्छी और उचित बात पर केंद्रित है,

         और दाईं ओर या बाईं ओर न फिर।

     26 इस बात पर ध्यान दे कि तू कहाँ जाता है, और यह सुनिश्चित कर कि वह मार्ग सुरक्षित है;

         तब तू जान लेगा कि मार्ग में क्या आशा करनी है।

     27 बाएँ या दाएँ मुड़कर सीधा मार्ग न छोड़,

     और जो मार्ग बुराई की ओर जाता है उसका पीछा न कर।

Chapter 5

     1 हे मेरे पुत्र, जो शिक्षा मैं तुझे ज्ञान के बारे में देता हूँ उसे सीख।

         मुझे इसकी बहुत समझ है, अतः मेरी बातों को जो मैं बताता हूँ उसे बहुत सावधानी से सुन।

     2 यदि तू ऐसा करता है, तो तू महत्वपूर्ण और महत्वहीन के बीच अंतर कर पाएगा,

         और जब तू बोलता है तो तेरे ज्ञान में गलतियाँ नहीं होंगी।

     3 वह स्त्री जो व्यभिचार करने की इच्छा रखती है वह मीठे शब्द बोलती हैं,

         और उसके चुंबन तेल से भी चिकने हैं,

     4 लेकिन अंत में, वह इतनी कड़वी है तू इसका स्वाद ले सकता है,

         और वह तुझे एक धारदार तलवार के समान काटती है।

     5 वह मृत्यु के मार्ग पर चली जाती है;

         यदि तू उसके पीछे जाता है, तो वह तुझे कब्र में ले जाएगी।

     6 वह लम्बे जीवन का मार्ग नहीं अपनाती है।

     वह यहाँ और वहाँ जाती है, लेकिन वह नहीं जानती कि वह कहाँ जा रही है।

     7 इसलिए अब, हे मेरे पुत्र, जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान देना,

     और जो निर्देश मैं तुझको दे रहा हूँ उसे न भूल और न उसकी अवज्ञा कर।

     8 चरित्रहीन स्त्री से बहुत दूर रह;

         उसके घर के दरवाजे के पास भी मत जा।

     9 यदि तू उसके पास जाता है तो तू अपना सम्मान खो देगा,

         और तू अपना जीवन किसी ऐसे व्यक्ति को सौंप देगा जो तुझ पर दया नहीं करेगा।

     10 ऐसा भी हो सकता है कि दूसरे तेरे द्वारा कमाया हुआ सारा धन ले लेंगे,

         और यह उन लोगों के घरों में जाता है जिन्हें तू नहीं जानता।

     11 और जब तेरे मरने का समय आ जाएगा,

     तब तू पीड़ा से कराहेगा; क्योंकि तेरा माँस और तेरा शरीर नष्ट हो रहा है।

     12 तब तू कहेगा, "जब गलत काम के लिए मुझे दण्ड दिया गया था तब मैंने उससे घृणा की;

         मैंने उन लोगों को तुच्छ जाना जिन्होंने मुझे बताया कि उचित जीवन कैसे जीना है।

     13 मैंने अपने शिक्षकों का आज्ञापालन नहीं किया

         और मैंने उन लोगों पर ध्यान नहीं दिया जो मुझे शिक्षा देते थे।

     14 मैं उन बुरी बातों से लगभग नष्ट हो गया जो मेरे साथ हुईं;

         और यह उन सभी लोगों को मालूम हो गया था जो यहोवा की उपासना करने के लिए एकत्र हुए थे।"

     15 जैसे तू अपने स्वयं के कुंड से पानी पीता है, वैसे ही अपनी पत्नी के प्रति विश्वासयोग्य रह।

     16 तू अपना पानी सड़क पर डाल कर नष्ट नहीं करेगा,

         या अपने पानी को सार्वजनिक स्थानों में बहने नहीं देगा।

     17 अपना पानी और अपनी पत्नी दोनों को केवल अपने ही आनन्द के लिए रहने दे,

         और दूसरों के साथ बाँटने के लिए नहीं है।

     18 तेरा सोता आशीषित हो;

     अपनी युवावस्था में ब्याही गई स्त्री से प्रसन्न रह।

     19 वह एक प्रिय हिरनी के समान सुंदर है और एक युवा साम्भरनी के समान सुंदर है।

         उसके स्तन हमेशा तेरी इच्छाओं को पूरा करें,

         जिससे कि तू हमेशा उसके प्रेम से अत्यंत प्रसन्न रहे।

     20 हे मेरे पुत्र, तू व्यभिचारिणी की बाँहों में क्यों जाए?

         किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी के स्तनों को तू क्यों सहलाए?

     21 जो कुछ भी हम करते हैं यहोवा उसे देखते हैं; उनसे कुछ भी छिपा नहीं है।

         वह हमारे हर एक मार्ग को देखते हैं; जहाँ कहीं भी हम जाते हैं, वे जानते हैं।

     22 एक दुष्ट व्यक्ति की पापी इच्छाएँ उसे जकड़ लेती हैं;

         उसके पाप एक जाल के समान हैं जो उसे फँसा लेते हैं।

     23 दुष्ट मनुष्य मर जाएगा क्योंकि वह अपनी इच्छाओं से मना नहीं कर सकता था;

         वह खो जाता है क्योंकि उसकी मूर्खता की कोई सीमा नहीं है।

Chapter 6

     1 हे मेरे पुत्र, यदि तू अपने पड़ोसी के लिए जमानत देता है जो ऋण लेता है,

         या यदि तू किसी अनजान व्यक्ति के ऋण को लौटाने का वादा करता है,

     2 तूने वादा करके अपने लिए जाल बिछाया है,

         और तू किसी अनजान व्यक्ति के अनुबंध से सहमत होकर फँस गए हो।

     3 हे मेरे पुत्र, ऐसा कर, और इस कठिनाई से स्वयं को बचा:

     नम्रता से अपने पड़ोसी के पास जा और अपने समझौते को रद्द करने के लिए उससे विनती कर।

     4 न तो सोना,

         और न ही विश्राम करना जब तक कि तू उससे बात न कर ले।

     5 स्वयं को बचा,

         जैसे हिरण जो शिकारी से बच कर भाग जाता है;

         या एक पक्षी के समान जो पक्षियों का शिकार करने वाले के हाथ से उड़ जाता है।

     6 हे आलसी व्यक्ति, चींटियों पर ध्यान देकर कुछ सीख।

         बुद्धिमान बन और देख कि वे क्या करतीं हैं।

     7 चींटी का कोई सरदार, अधिकारी, या शासक नहीं होता है, जो उन्हें बताए कि क्या करना है,

     8 लेकिन गर्मी के समय वे कठिन परिश्रम करती हैं,

         कि सर्दियों के समय के लिए भोजन एकत्र करके भंडारण करें।

     9 लेकिन हे आलसी व्यक्ति, तू कब तक सोता रहेगा?

         तू कब उठेगा और काम पर जाएगा?

     10 तू थोड़ी देर के लिए सोता है, और फिर तुम कहते हो, "थोड़ी और नींद, बिस्तर में थोड़ा और विश्राम,

         एक झपकी लेने के लिए हाथों को थोड़ी देर और बाँध कर रखना।"

     11 अकस्मात ही गरीबी तेरे जीवन में चोर के समान आ जाएगी जो तेरा सब-कुछ चुरा ले जाएगी।

     12 निकम्मा व्यक्ति - एक ऐसा व्यक्ति है जो दूसरों के साथ बुरा करता है - वह दूसरों से झूठ बोल कर जीवित रहता है।

         13 वह अपनी आँखों को झपका कर किस्से सुनाता है और अपने पैरों को हिलाकर संकेत देते हैं, और अपनी उंगलियों से इशारा करके योजना बनाते हैं।

     14 जो बुरे काम करता है वह अपने मन में योजनाएँ बनाता है;

         वह जहाँ भी जाता है झगड़े करवाता रहता है।

     15 उसका विनाश पल भर में उस पर आ जाएगा;

         वह ऐसा कुचल दिया जाएगा कि कभी स्वस्थ नहीं किया जा सकता है।

     16 छः चीजें हैं, वरन् सात हैं, जिनसे यहोवा घृणा करते हैं।

             17 यहोवा घमंडी की आँखों से घृणा करते हैं, ऐसी जीभ जो झूठ बोलती है,

     ऐसे हाथ जो निर्दोषों के खून बहाते हैं, 18 एक मन जो दूसरों से बुरा व्यवहार करने की योजना बनाता है,

             19 ऐसा साक्षी जो गवाही देते समय अपने मुँह से झूठ बोलता है,

             और ऐसा व्यक्ति जो एक ही परिवार के सदस्यों के बीच झगड़े करता है।

     20 हे मेरे पुत्र, अपने पिता की आज्ञा मान,

         और तेरी माँ ने तुझे जो सिखाया उससे दूर मत जा।

     21 इन शिक्षाओं को अपने हिस्से की तरह अपने मन में बाँध ले;

         उन्हें अपनी गर्दन के चारों ओर बाँध ले कि तुझे स्मरण रहे कि वे तेरे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

     22 जब तू चले, तो वे तेरा मार्गदर्शन करेंगी।

         जब तू सोता है, तो वे तेरी चौकसी करेंगी और तेरी रक्षा करेंगे।

     जब तू सुबह उठे, तो वे तुझे शिक्षा देंगे।

     23 ये आज्ञाएँ तेरे लिए दीपक के समान हैं, और जो हम तुझे सिखाते हैं वह तेरा मार्गदर्शन करने के लिए एक प्रकाश के समान है।

     जब लोग तेरा सुधार करते हैं तो वह तुझे निरंतर उचित जीवन जीने का मार्ग सिखाते हैं।

     24 यह शिक्षाएँ तुझे भ्रष्ट चरित्रहीन स्त्री से बचाती हैं,

         वे तुझको उसके मोहक शब्दों के बारे में बताते हैं और तुझको सतर्क रहने की चेतावनी देते हैं।

     25 ऐसी स्त्री के पीछे न लग, न ही तुझे उसकी सुंदरता की चाह करनी चाहिए;

     जिस प्रकार से वह तुझको देखती है उसे तुझे सम्मोहित न करने दे।

     26 एक वेश्या के साथ सोना केवल एक रोटी की कीमत के जितना हो सकता है,

         परन्तु यदि तू किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी के साथ सोता है, तो इसकी कीमत तेरी जान भी हो सकती है।

     27 क्या तू अपनी जेब में गर्म कोयले रख कर जलने से बच सकता है?

     28 क्या तू जलते हुए कोयलों पर चल सकता है और तेरे पैर नहीं झुलसेंगे?

     29 इसलिए यदि कोई भी जो किसी और की पत्नी के साथ सोता है - वह उस काम की पीड़ा भोगेगा।

         यह निश्चित है कि उसे गंभीर रूप से दण्ड दिया जाएगा।

     30 हम एक चोर को तब तुच्छ नहीं मानते यदि वह भोजन इसलिए चुराता है क्योंकि वह बहुत भूखा है।

     31 परन्तु वह चोरी करके पकड़ा जाता है,

     तो जितना उसने चुराया था उसका सात गुना भुगतान करना होगा,

     चाहे उसे घर का सब सामान बेच कर चुकाने के लिए धन का प्रबन्ध करना पड़े।

     32 परन्तु व्यभिचार करने वाला व्यक्ति निर्बुद्धि होता है

         क्योंकि वह स्वयं को ही नष्ट कर रहा है।

     33 उस पर घाव लगेंगे और उसे लज्जित होना पड़ेगा;

     वह कभी नहीं भूलेगा कि उसके काम के लिए उसे कैसे अपमानित किया गया था।

     34 क्योंकि उस स्त्री का पति ईर्ष्या करेगा, वह क्रोधित हो जाएगा,

         और जब वह बदला लेगा तब वह उस व्यक्ति पर दया नहीं करेगा।

     35 और उसे कैसी भी रिश्वत दी जाए वह नहीं रुकेगा।

Chapter 7

     1 हे मेरे पुत्र, जो वचन मैं तुझ से कहता हूँ उसका पालन कर;

         मेरी सभी आज्ञाओं को याद रख।

     2 यदि तू मेरे आदेशों का पालन करता है, तो तू जीवित रहेगा।

     मेरे आदेशों को सबसे अधिक मूल्यवान धरोहर समझ और उनका पालन कर।

     3 मेरे आदेशों को लिख ले और स्मरण रखने के लिए अपनी अंगुलियों में बाँध ले;

         वह ऐसे हो जैसे कि तुम्हारे मन में लिखे गए हैं।

     4 ज्ञान के बारे में सोच की जैसे वह कोई स्त्री है,तेरी अपनी बहन के समान," जिससे तू प्रेम करता है;

         समझ को अपने ही परिवार के सदस्य की तरह सोच," जिसके प्रति तू विश्वासयोग्य है।

     5 यदि तू ऐसा करता है, तो तू उन स्त्रियों से दूर रह पाएगा जिनकी संगती में रहना तेरे लिए उचित नहीं,

         कोई भी स्त्री जो तुझ से अच्छी बातें करती है ताकि तू उनके साथ पाप करे।

     6 मेरे घर में खड़े होकर, मैंने खिड़की से बाहर देखा,

         लकड़ी के छज्जे के नीचे से,

     7 और मैंने कुछ युवा पुरुषों को देखा जिन्होंने अभी तक बुद्धिमानी से जीने के बारे में नहीं सीखा था।

         विशेष करके वहाँ एक युवक को देखा जो निर्बुद्धि था।

     8 वह सड़क के कोने पर घर के पास से गली में चला गया,

         और वह व्यभिचारिणी के घर की ओर चला गया।

     9 यह दिन का वह समय था जब रात और अंधेरा होने वाला था।

     10 वहाँ एक स्त्री जो संबंध खोज रही थी वह उस युवक से मिली, और उसने उसका अभिवादन किया।

         उसने वेश्याओं जैसे मनमोहक और आकर्षक वस्त्र पहने हुए थे, और उसके पास गुप्त योजनाएँ थीं।

     11 वह कोलाहलपूर्ण और चंचलता से ध्यान आकर्षित कर रही थी।

         वह अपने घर में नहीं टिकती थी।

     12 एक दिन वह मार्गों में पुरुष को खोजती; किसी और दिन वह पुरुष को खोजने के लिए बाजार में खड़ी होती थी।

         मार्ग के किसी भी कोने में वह किसी ऐसे पुरुष की प्रतीक्षा करती थी जो उसके साथ पाप करे।

     13 जब उसने उस जवान पुरुष को देखा, तो उसने मजबूती से उसे पकड़ लिया, और फिर उसने उसे चूमा।

         बिना किसी लज्जा के और बड़े साहस के साथ, उसने कहा,

     14 "आज मेरे घर में माँस है, क्योंकि मैंने यहोवा के साथ मेल करने के लिए आराधनालय में बलिदान किया है।

         इस प्रकार मैंने यहोवा के साथ अपनी शपथ पूरी की है,

     15 और अब मैं तुझ से मिलने के लिए यहाँ आई हूँ।

         मैं तेरे ही खोज में थी, और अब मैंने तुझको पाया है।

     16 मैंने मिस्र की बेहतरीन रंगीन सनी के कपड़े वाली चादरें मेरे बिस्तर पर बिछाई हैं।

     17 मैंने अपने बिस्तर पर इत्र -

         गंधरस, अगर, और दालचीनी छिड़क दिया है ।

     18 आ! चल हम सारी रात प्रेम करते हैं, जब तक कि सुबह न हो जाए।

         चल, हम प्रेम करने की अनेक विधियों का आनंन्द लें, जितना हम चाहें।

     19 मेरा पति घर पर नहीं है;

         वह एक लंबी यात्रा पर गया है।

     20 वह पैसों से भरा एक थैला अपने साथ ले गया है;

         वह महीने के मध्य तक वापस नहीं आएगा।"

     21 इसलिए उसने उस जवान पुरुष को अपने विश्वास जनक शब्दों से आश्वस्त किया;

         उसकी चिकनी और विश्वास जनक बातों के कारण वह उसकी बातों में आ गया।

     22 उसने अकस्मात ही उसके साथ भीतर आने का निर्णय लिया।

         वह एक बैल के समान उस स्थान पर जाने के लिए उसके पीछे गया जहाँ उसका मालिक उसे मार डालेगा,

         या जैसे कि एक हिरण के समान

         23 जो जाल में पकड़ा गया, जहाँ शिकारी उसके भीतरी अंगों को अपने तीरों से बेध देगा।

     वह एक पक्षी के समान था जो उडकर सीधा जाल में आता है

         और जनता नहीं कि यहाँ उसकी मृत्यु है।

     24 हे मेरे पुत्र, मेरी बात सुन,

         और जो मैं तुझसे कहता हूँ उस पर सावधानीपूर्वक ध्यान दे।

     25 अपने मन की गहराई से उसका विरोध कर। अपनी इच्छा पूरी करने का निर्णय न लेना और उसके पीछे न जाना।

         तुझे यह निर्णय लेना होगा कि उसके पीछे कभी न जाए।

     26 उसने कई पुरुषों को नष्ट कर दिया है;

         यह सच है कि उसके द्वारा उजाड़े गए पुरुषों को कोई नहीं गिन सकता - गिनने के लिए वे असंख्य हैं।

     27 उसके घर का मार्ग कब्र की राह है;

         वह उस स्थान को जाता है जहाँ मरे हुओं को रखा जाता है।

Chapter 8

     1 बुद्धि की पुकार सुनो; उसकी आवाज़ एक ऐसी स्त्री के समान लगती है जो सार्वजनिक चौकों में पुकारती है।

     समझ ऊँचे स्वर से पुकारती है; वह एक ऐसी स्त्री के समान सुनाई देती है जो सुनने के लिए पुकारती है।

     2 पहाड़ियों की चोटी पर और मार्गों के चौराहों पर,

     बुद्धि खड़ी होती है।

     3 बुद्धि शहर के प्रवेश के फाटकों पर भी खड़ी होती है, और वह ऊँची आवाज से पुकारती है। बुद्धि कहती है:

     4 "मैं सभी को बुला रही हूँ;

         मैं सभी लोगों को पुकार रही हूँ!

     5 तुम लोग जिनके पास कोई प्रशिक्षण नहीं है, तुमको सिखाए जाने की आवश्यकता है कि कैसे जीवन जीना है;

         तुमको सीखना है कि तुम पूरी तरह से समझ सको।

     6 मेरी बात सुनो, क्योंकि मैं तुमको कुछ अतिउत्तम बातें समझाऊँगी।

         मैं तुमको उचित बातों की शिक्षा दूँगी-

     7 क्योंकि मैं सच बोलती हूँ;

         मैं बुरी बातों से बहुत घृणा करती हूँ, मुझे उनके बारे में बात करने से भी घृणा है।

     8 जो कुछ भी मैं कहती हूँ वह उचित है;

         मैं ऐसा कुछ भी नहीं कहती जो अच्छी बातों का अर्थ बदल दे या जो लोगों को उससे दूर ले जाए।

     9 मेरे वचन उस व्यक्ति को अच्छा परामर्श देते हैं जो मेरी कही बातों का अर्थ समझता है;

         जिन लोगों ने अच्छाई और बुराई में अंतर पहचानना सिख लिया है, वे सरलता से पता लगा सकते हैं कि मेरे वचन उचित हैं।

     10 मेरी शिक्षा को चुनों,

         अधिक चाँदी पाने का प्रयास करने की अपेक्षा उसे चुनें;

     और जो ज्ञान मैं तुम्हें दूँगी उसे चुनो, क्योंकि यह सोने से अधिक मूल्यवान है।

         11 क्योंकि मैं, बुद्धि, रत्नों से भी अधिक मूल्यवान हूँ;

         तुम्हारे लिए कुछ भी उतना मूल्यवान नहीं है जितनी मैं हूँ।

     12 मैं, बुद्धि, व्यावहारिक समझ के साथ रहती हूँ; हम एक ही घर में रहने वाले दो लोगों के समान हैं।

     मुझे कई बातें पता हैं, और मैं सावधानीपूर्वक कार्य करती हूँ।

     13 जो मनुष्य यहोवा का सम्मान करता है, वह बुराई से घृणा करता है।

         मैं बुद्धि हूँ, और मुझे घमंदियों से घृणा है, जब लोग स्वयं को अन्य लोगों से अधिक महत्वपूर्ण समझते हैं।

         बुरे काम करने वालों से और झूठ बोलने वालों से मैं घृणा करती हूँ।

     14 मैं अच्छा परामर्श देती हूँ और मेरे पास सबसे अच्छा ज्ञान है;

         मुझे किसी की प्रकृति के बारे में सही समझ है, और मेरे पास बहुत शक्ति है।

     15 बुद्धिमान राजा उचित शासन करते हैं;

         बुद्धिमान शासक न्याय के नियम बनाते हैं।

     16 मेरे द्वारा राजकुमार, कुलीन जन, और सब शासक न्याय से शासन करते हैं।

     17 मैं बुद्धि हूँ, और मैं उन सभी से प्रेम करती हूँ जो मुझसे प्रेम करते हैं;

         जो मुझे ढूँढ़ने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं वे मुझे पाएँगे।

     18 उनके पास स्थायी धन होगा, और वे धार्मिकता से जीयेंगे,

         क्योंकि मेरे पास समृधि और सम्मान हैं।

     19 जो मैं लोगों को दे सकती हूँ वह चोखे सोने और उत्तम चाँदी से अधिक मूल्यवान है।

     20 मैं हमेशा धर्म और न्याय के काम करती हूँ।

     21 मैं उन लोगों को धन देती हूँ जो मुझसे प्रेम करते हैं,

         और मैं उनके खजाने को भरती हूँ।

     22 मुझ, बुद्धि, को यहोवा ने बनाया; उन्होंने मुझे बनाया जब उन्होंने संसार को बनाना आरम्भ किया था;

         सबसे पहले उन्होंने जिसे बनाया वह मैं थी।

     23 उन्होंने मुझे बहुत पहले बनाया - बहुत पहले, पृथ्वी के आरम्भ से भी पहले।

     24 महासागरों के निर्माण से पहले मेरा जन्म हुआ था,

         जब पानी का कोई झरना नहीं था।

     25 पहाड़ों और पहाड़ियों की उत्पति से पहले मैं उत्पन्न हुई थी।

     26 मैं बुद्धि हूँ और इससे पहले कि यहोवा पृथ्वी को बनाते मैं अस्तित्व में आ गयी थी,

         पृथ्वी में धूल के छोटे कणों को बनाने से पहले, मैं वहाँ थी।

     27 जब यहोवा ने आकाश को अपने स्थान में रखा तब मैं वहाँ थी,

         जिस दिन उन्होंने सागर की सतह पर चिन्ह डाला कि वहाँ से कोई हर दिशा में कितना दूर देख सकता है।

     28 मैं वहाँ थी जब यहोवा ने बादलों को धरती से ऊपर रखा,

         और जब उन्होंने महासागरों को पानी देने के लिए समुद्र के तल में झरनों को बनाया।

     29 मैं वहाँ थी जब उन्होंने समुद्र के लिए सीमा निर्धारित किया,

         जिससे कि समुद्र का पानी उन सीमाओं के पार न जाए,

     और जब उन्होंने सूखी भूमि की सीमाओं को अंकित किया।

         30 मैं यहोवा के साथ उनके कुशल शिल्पकार के रूप में थी;

     मैंने उन्हें प्रतिदिन प्रसन्न किया, और जब मैं उनके साथ थी तब मैंने हमेशा आनन्द किया।

     31 मैं उनके द्वारा बनाए गए पूरे संसार से प्रसन्न थी;

         मैं उन लोगों से भी खुश थी जिनको वह अस्तित्व में लाये थे।

     32 इसलिए, तुम जो मेरे बच्चे हो, मेरी बात सुनो।

         वे कितने धन्य हैं वे जो मेरे जैसा जीवन जीते हैं।

     33 जो मैं तुम्हें सिखाती हूँ उसे सुनो और तुम बुद्धिमान बन जाओगे।

         जो मैंने तुम्हें सिखाया है उस का त्याग मत करो।

     34 वे कितने धन्य हैं वे जो मेरी बात सुनते हैं,

         जो मेरे घर के बाहर प्रतिदिन मेरी प्रतीक्षा करते हैं।

     35 जो मुझे पा लेते हैं वे जीवन पाएँगे,

         और यहोवा उनसे प्रसन्न होंगे।

     36 परन्तु जो मुझे नहीं पाते, वे स्वयं को चोट पहुँचाते हैं।

         जो मुझसे घृणा करते हैं वे सब मृत्यु से प्रेम करते हैं।"

Chapter 9

     1 बुद्धि अपने घर का निर्माण करती है, एक ऐसी स्त्री के समान जिसने अपना घर बनाया है;

         उसने अपने घर की छत को सहारा देने के लिए सात खंभे बनाए।

     2 उसने भोजन तैयार किया और अपनी मेज व्यवस्थित की;

     उसने पशुओं का माँस तैयार किया और रात के खाने के लिए उन्हें पकाया,

     और अपने मेहमानों के लिए उसने दाखरस तैयार किया।

     3 एक ऐसी स्त्री के समान जो अपनी दासियों को अपने मेहमानों को निमंत्रण देने के लिए भेजती है, बुद्धि शहर के ऊँचे स्थान से सब को पुकारती है, और कहती है:

     4 "यदि तू अभी भी निर्बुद्धि हो, तो यहाँ आ,"

     और वह उन लोगों को निमंत्रण देती है जो निर्बुद्धि हैं।

     5 वह कहती है, "आओ और वह भोजन जो मैंने तैयार किया है, खाओ,"

         "और जो अच्छा दाखरस मैंने मिश्रित किया है उसे पीओ।

     6 अपने अनियंत्रित जीवनशैली को छोड़ दो, और जीवित रहो,

         और मैं तुमको सिखाऊँगी कि समझ के मार्ग में कैसे चले।

     7 यदि तू किसी ऐसे व्यक्ति को डांटता है जो अन्य लोगों के बारे में अपमानजनक बातें कहता है, तो वह तेरा भी अपमान करेगा।

     यदि तू किसी दुष्ट व्यक्ति को सुधारता है, तो वह तुझको चोट पहुँचाएगा।

     8 दूसरों का अपमान करने वाले व्यक्ति को यदि तू रोकता है तो वह तुझ से घृणा करेगा।

         परन्तु यदि तू एक बुद्धिमान व्यक्ति को डाँटता है, तो वह तेरा मित्र बन जाएगा।

     9 यदि तू एक बुद्धिमान व्यक्ति को निर्देश देता है, तो वह और भी अधिक बुद्धिमान बन जाएगा।

         और यदि तू एक व्यक्ति को सिखाता है जो सही कार्य करता है, तो वह और भी अधिक सीखेगा।

     10 बुद्धि पाने का पहला चरण यह है कि यहोवा को उनके योग्य सम्मान दिया जाए,

         और एकमात्र पवित्र, यहोवा को जानना ही समझ प्राप्ति का स्त्रोत है।

     11 यदि तू बुद्धिमान है, तो तेरे दिन भरपूर होंगे,

         और तेरे जीवन के वर्ष बढ़ जाएंगे।

     12 यदि तू बुद्धिमान है, तो तू इससे कई लाभ प्राप्त करेगा;

         यदि तू लोगों का उपहास करता है, तो तू स्वयं ही पीड़ित होगा।"

     13 एक मूर्ख स्त्री ऊँचे शब्द में बात करती है;

         वह ज्ञान के विषयों में अशिक्षित है और वह बहुत कम जानती है।

     14 वह अपने घर के द्वार पर

         या नगर में ऊँचे स्थान पर बैठती है,

     15 और वह उन पुरुषों को बुलाती है जो आ-जा रहे हैं,

         वह सड़क पर आने जाने वालों के लिए केवल इस बारे में चिंतित है कि वे कहाँ जा रहे हैं।

     16 "तुम में से कोई भी जिसके पास अनुभव नहीं है, यहाँ आए,"

         वह उन लोगों से कहती है जो निर्बुद्धि हैं।

     17 "यदि तू मेरे साथ सोता है, तो यह तेरे द्वारा चुराए गए पीने के पानी के समान मीठा होगा,

         या अकेले ही स्वादिष्ट भोजन खाने जैसा होगा।"

     18 जो पुरुष उसके निमंत्रण को स्वीकार करता है वह नहीं जनता कि उसके घर में मृतक हैं,

         अर्थात जो लोग उसका निमंत्रण स्वीकार करते हैं और उसके घर जाते हैं वे अब मृतकों के संसार में हैं।

Chapter 10

1 यह सुलैमान के नीतिवचन हैं:

     बुद्धिमानी के अनुसार जीवन व्यतीत करने वाला बच्चा अपने पिता को खुश करता है;

         लेकिन यदि कोई बच्चा मूर्खतापूर्ण काम करता है, तो वह अपनी माँ को बहुत दुःखी करता है।

     2 बेईमानी से प्राप्त समृधि का कोई मूल्य नहीं होगा;

         परन्तु जब तू सही कार्य करता है, तो तुझको मृत्यु से सुरक्षित किया जाएगा।

     3 यहोवा उन लोगों को भूखा नहीं रखते जो धर्म के काम करते हैं,

         लेकिन वह दुष्ट लोगों को जो वे चाहते हैं वह प्राप्त करना असंभव कर देंगे।

     4 आलसी व्यक्ति जो काम नहीं करेगा वह गरीब हो जाता है;

         जो कठिन परिश्रम करते हैं वे धनवान बन जाते हैं।

     5 कटनी के लिए तैयार फसल को एकत्र करने वाला बुद्धिमान होता है;

         परन्तु जब लोग फसल काटते हैं तब उसका सोना लज्जा की बात है।

     6 जो धर्म के काम करते हैं उन्हें परमेश्वर से बहुत से अच्छे उपहार मिलेंगे;

         लेकिन जो लोग दुष्टता के काम करते हैं वे अपने अनर्थ को ढाँपते हैं जिससे कि उन्हें देखा न जा सके।

     7 जब हम उन लोगों को याद करते हैं जो धर्म के काम करते हैं, तो हमें यहोवा से आशीष मिलती है;

         लेकिन हम दुष्टों के नाम याद नहीं रख सकते हैं।

     8 बुद्धिमान लोग अच्छे निर्देशों का पालन करते हैं,

         परन्तु मूर्ख जो बहुत अधिक बात करता है वह असफल हो जाएगा।

     9 ईमानदार व्यक्ति अपना जीवन जीता है और छिपाने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं है;

         लेकिन जो बेईमान है - उसका झूठ पकड़ा जाएगा।

     10 जो अपनी आँखों को झपकाकर दूसरों की सहायता करता है, वह अनुचित काम करता है,

         और मूर्ख इसलिए नष्ट हो जाएगा क्योंकि वह बहुत अधिक बात करता है।

     11 जो व्यक्ति धर्म के काम करता है वह एक सोते के समान है जो जीवन बचाने वाला पानी देता है;

         परन्तु दुष्ट अपनी क्रूरता को शब्दों के पीछे छिपाता है।

     12 घृणा में विवादों को आरम्भ करने की शक्ति होती है;

     लेकिन प्रेम हमें चोट पहुँचाने वाली ऐसी किसी भी बात को ढाँप देता है।

     13 जिनके पास अच्छी समझ है वे बुद्धिमानी की बातें कहते हैं,

         लेकिन जो निर्बुद्धि हैं उन्हें दंडित किया जाएगा।

     14 बुद्धिमान लोग जितना हो सके उतना सीखते रहते हैं,

         परन्तु मूर्ख जब बोलते हैं, तो वे शीघ्र ही विनाश का अनुभव करेंगे।

     15 धनवानों का धन उनकी ऐसी रक्षा करता है जैसे किसी शहर के चारों ओर की दृढ दीवार से रक्षा होती है,

         लेकिन जो लोग गरीब हैं, उनके पास उनकी सहायता करने के लिए कुछ नहीं है।

     16 यदि तू सही कार्य करता है, तो तेरा प्रतिफल तुझे जीवन की ओर ले जाएगा,

         लेकिन पापी लोग और अधिक पाप करने की क्षमता प्राप्त करते हैं।

     17 अनुशासन द्वारा प्रशिक्षित व्यक्ति जीवन प्राप्त करता है;

         लेकिन जो सुधार को ग्रहण नहीं करता है वह दूर भटकता जाता है।

     18 जो लोग दूसरों के प्रति अपनी घृणा को छिपाते हैं, उन्हें उसे ढाँपने के लिए झूठ बोलना पड़ता है।

         और जो लोग बार-बार झूठी निंदा करते हैं वे मूर्ख हैं।

     19 जब लोग बहुत बात करते हैं, तो पाप का आना निश्चित है;

         यदि तुम बुद्धिमान हो, तो अपने शब्दों के प्रति सावधान रहोगे।

     20 जो उचित काम करता है

     वह शुद्ध चाँदी के समान है;

     जो दुष्टता के काम करता है उसका मन बहुत हल्का होता है।

     21 जो लोग धर्म के काम करते हैं उनकी बातों से कई लोगों को लाभ होता है,

         लेकिन मूर्ख लोग मर जाते हैं क्योंकि उनके पास अच्छी समझ नहीं होती है।

     22 यहोवा अच्छे प्रतिफल देते हैं जिनसे कुछ लोग धनवान बन जाते हैं,

         और वह उन्हें इसके लिए दुःख नहीं देते हैं।

     23 मूर्ख लोग जब गलत करते हैं तो वह उनके लिए खेल होता हैं,

         लेकिन समझ रखने वाले लोग ज्ञान का आनंद लेते हैं।

     24 दुष्ट के साथ वही होगा जिससे वह डरता है;

     जो धर्म के काम करते हैं उन्हें वह मिलेगा जिसकी उन्होंने आशा की थी।

     25 दुष्ट लोग तूफान के समान हैं जो आता है और फिर चला जाता है।

         लेकिन जो धर्म के काम करते हैं वे एक नींव के समान हैं जो हमेशा के लिए रहती है।

     26 जैसे कि हमारे मुँह में सिरका या हमारी आँखों में धुआँ,

     वैसे ही आलसी पुरुष उस व्यक्ति के लिए है जो उसे भाड़े पर लाता है। 27 यदि तू यहोवा को वह सम्मान देता है जिसके वह योग्य हैं, तो तू लंबे समय तक जीवित रहेगा;

         लेकिन दुष्ट लोग बूढ़े होने से पहले मर जाते हैं।

     28 जो लोग धर्म का काम करते हैं, वे अपनी खुशी में आशा रखते हैं,

         लेकिन दुष्ट अपने जीवन के कम होने की ही आशा कर सकते हैं।

     29 यहोवा के पीछे चलना प्रतिज्ञाओं को पूरी करने वालों को सुरक्षित रखता है;

         परन्तु जो लोग उनका अनुसरण नहीं करते, तो वह बुराई करने वाले लोगों को नष्ट कर देते हैं।

     30 जो धर्म के काम करते हैं वे कभी पराजित नहीं होंगे,

         लेकिन दुष्ट लोगों के पास घर नहीं होगा।

     31 बुद्धि एक प्रकार का फल है जो उचित काम करने वाले उत्पन्न करते हैं,

         परन्तु यहोवा धोखा देने वाली जीभ को काट देंगे।

     32 जो लोग धर्म के काम करते हैं वे उन वचनों को जानते हैं जो यहोवा उन्हें बोलने की अनुमति देते हैं,

         लेकिन दुष्ट लोग वह बोलते हैं जिसके लिए यहोवा ने मना किया है।

Chapter 11

     1 जब लोग ऐसे मापों का उपयोग करते हैं जो सही नहीं हैं;

     यहोवा क्रोधित होते हैं कि वे अपने ग्राहकों से चोरी कर रहे हैं;

         वे उन लोगों से प्रसन्न होते हैं जो तराजू पर सही वजन का उपयोग करते हैं।

     2 जो लोग गर्व करते हैं वे इस प्रकार से जीते हैं जो हमेशा अपमान में समाप्त होते हैं;

         जो विनम्र हैं वे ही अकेले हैं जो ज्ञान के बारे में सीख सकते हैं।

     3 जो लोग अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करते हैं वे ऐसे विकल्प भी चुनते हैं जो उन्हें सही मार्गों से ले जाते हैं;

         जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है वे अपनी बेईमानी से नष्ट हो जाते हैं।

     4 जिस दिन यहोवा संसार का न्याय करेंगे, उस दिन तेरा पैसा तेरी सहायता नहीं करेगा;

         लेकिन यदि तू धर्म के काम करता है, तो तुझको कई खतरों, यहाँ तक कि मृत्यु से भी सुरक्षित रखा जाएगा।

     5 जब लोग ईमानदार और अच्छे होते हैं, तो वे जानते हैं कि उन्हें कहाँ जाना चाहिए और उन्हें क्या करना चाहिए;

         परन्तु जो बुराई करते हैं वे पाते हैं कि उनकी दुष्टता उन्हें नष्ट कर देगी।

     6 परमेश्वर उन लोगों को बचाते हैं जो धर्म के काम करते हैं,

         लेकिन जो लोग बुराई करते हैं वे अपनी इच्छाओं के दास बन जाते हैं।

     7 जब दुष्ट व्यक्ति मर जाता है, तो जो कुछ भी वह भविष्य के लिए आशा करता था वह खो जाता है;

         अपनी ताकत से जो वह हासिल करना चाहता था, कभी नहीं प्राप्त कर सकेगा।

     8 जो धर्म के काम करता है, उसे यहोवा संकट से बचाते हैं;

         और यहोवा दुष्टों को वह परेशानी देते हैं।

     9 एक व्यक्ति जिसके पास किसी प्रकार का धार्मिक विश्वास नहीं है, अपने पड़ोसी को नष्ट करने के लिए अपने शब्दों का उपयोग करता है;

         लेकिन जो लोग धर्म के काम करते हैं उन्हें उनके द्वारा एकत्र किए गए ज्ञान से बचाया जाएगा।

     10 जब धर्म के काम करने वालों के साथ सही बातें होती हैं, उनके शहर में रहने वाले लोग खुश होते हैं,

         और जब दुष्ट लोग मरते हैं तो खुशी का शोर सुनाई पड़ता है।

     11 जब शहर में ऐसे लोग पाए जाते हैं जो परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं और वे दूसरों को अच्छे उपहार देते हैं, तो वह शहर महान हो जाता है;

         लेकिन दुष्टों द्वारा बोले जाने वाले शब्द शहर को फाड़ डालते हैं।

     12 जो अपने मित्र के साथ अवमानना का व्यवहार करता है, वह निर्बुद्धि मनुष्य है;

         एक व्यक्ति जिसने सीखा हुआ है कि क्या महत्वपूर्ण है वह कुछ भी नहीं कहता है।

     13 बकवाद फैलाने वाले लोग दूसरों को रहस्य बताते हैं,

         लेकिन ऐसा व्यक्ति जिस पर तुम भरोसा कर सकते हो उसके बारे में बातें नहीं करेगा।

     14 राष्ट्र नष्ट हो जाएगा यदि उसके पास ऐसे अगुवे नहीं हैं जो बुद्धिमानी से मार्गदर्शन करते हैं;

         लेकिन जब राष्ट्र कई सलाहकारों की सुनता है तो देश को जीत हासिल होगी।

     15 यदि तू अजनबी द्वारा लिया गया ऋण चुकाने का वादा करता है, तो तू अपना पैसा खो देगा।

         यदि तू किसी और के ऋण का भुगतान करने के लिए किसी प्रकार का समझौता करने से मना करता है तो तू सुरक्षित रहेगा।

     16 एक दयालु स्त्री सम्मान कमाती है;

         लेकिन हिंसक लोग धन को पकड़ लेते हैं।

     17 दूसरों के प्रति दया से लोग स्वयं को अच्छे उपहार देते हैं,

         लेकिन जो क्रूर है वह अपने क्रूरता से स्वयं को दर्द देता है।

     18 दुष्ट लोग अधिक पैसा बनाने के लिए झूठ बोलते हैं,

         लेकिन जो लोग धर्म का काम करते हैं उन्हें और भी भुगतान किया जाएगा क्योंकि उन्होंने इसे अर्जित किया था।

     19 जो लोग धर्म के काम करते हैं वे जीवित रहेंगे,

         लेकिन जो लोग गलत करते हैं वे मर जाएँगे।

     20 यहोवा उन लोगों से घृणा करते हैं जो अच्छी चीजें लेते हैं और वे उन्हें उल्टा मोड़ देते हैं और वे उनके साथ बुरी चीजें करते हैं,

         लेकिन वह उन लोगों से प्रसन्न है जो हमेशा उचित काम करते हैं।

     21 यह निश्चित है कि दुष्ट लोग अपनी सजा से बच नहीं पाएँगे।

         और धर्म के काम करने वाले लोगों के बच्चे सुरक्षित रखे जाएँगे।

     22 यदि तुम सुअर की नाक में सोने की बाली देखते हो,

         तो यह बिलकुल ऐसी सुंदर स्त्री के समान है जो अच्छी समझ नहीं रखती है।

     23 धर्म के काम करने वाले लोग ऐसी बातों की इच्छा करते हैं जिनका अच्छा परिणाम मिलता है,

         लेकिन दुष्टों का प्रतिफल यह है कि वे यहोवा के क्रोध का सामना करेंगे।

     24 यदि कोई व्यक्ति बीज बोता है, तो वह फसल काटने की आशा कर सकता है;

     उसके थोड़े से बीज उसे बहुत अधिक देंगे;

     दूसरा व्यक्ति फसल नहीं लगाता है, और वह गरीब हो जाता है।

     25 जो दूसरों को उदारता से देते हैं वे समृद्ध होंगे;

         यदि तुम अपना पानी अन्य लोगों के साथ साझा करते हो, तो तुम्हारे पास स्वयं के लिए भी पर्याप्त होगा।

     26 लोग उस व्यापारी को शाप देंगे जो उन्हें अनाज नहीं बेचेगा,

         लेकिन वे बेचने वाले की प्रशंसा करते हैं।

     27 यदि तू कठिन परिश्रम करता है और अच्छाई को ढूँढ़ने के लिए बाहर जाता है, तो तुझे अच्छाई मिल जाएगी।

         लेकिन यदि तू बुराई की तलाश करता है, तो तुझे वह मिल जाएगी।

     28 जो लोग अपने पैसे पर भरोसा करते हैं वे गिर जाएँगे,

         लेकिन जो धर्म के काम करते हैं वे एक स्वस्थ पेड़ के समान बढ़ेंगे।

     29 जो अपने परिवारों पर परेशानियाँ लाते हैं उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा,

         और जो मूर्खतापूर्ण काम करते हैं वे बुद्धिमान के दास बन जाएँगे।

     30 जो धर्म के काम करते हैं वे जीवन देने वाले पेड़ के समान होंगे,

         लेकिन हिंसा के कार्य जीवन को ले लेते हैं।

     31 यह सुनिश्चित है कि जो लोग धर्म के काम करते हैं वे वही प्राप्त करेंगे जिसके वे वास्तव में योग्य हैं;

         लेकिन इससे भी अधिक, वह व्यक्ति जो बुरे काम करता है

     और वह जो यहोवा के विरुद्ध पाप करता है,

     निश्चित रूप से वह प्राप्त करेंगे जिसके वे योग्य हैं।

Chapter 12

     1 जो सीखना चाहता है वह स्वागत करेगा।

         लेकिन वह जो सुधार किया जाना नहीं चाहता वह बेवकूफ रहेगा।

     2 यहोवा उन लोगों की प्रशंसा करते हैं जो अच्छे हैं,

         लेकिन वे उन लोगों की निंदा करते हैं जो बुरी योजना बनाते हैं।

     3 किसी व्यक्ति के जीवन के लिए दुष्टता एक बुरी नींव है।

         जो भलाई करते हैं वे गहरी जड़ों वाले पेड़ के रूप में स्थिर होते हैं।

     4 एक अच्छी पत्नी अपने पति के लिए प्रशंसा लाती है,

         लेकिन घर पर लज्जा की बात लाने वाली एक पत्नी ऐसी बीमारी के समान है जो उसकी हड्डियों को नष्ट कर देती है।

     5 सही काम करने वाले लोग ऐसी योजनाएँ बनाते हैं जो उचित और न्यायसंगत हैं।

         लेकिन दुष्ट लोगों द्वारा दी गई सलाह झूठ से भरी होती हैं।

     6 दुष्ट लोग जो कहते हैं वह हत्या करने की योजना बनाते समय गुप्त हमले के समान है;

         लेकिन जब यहोवा को खुश करने वाले लोग बातें करते हैं, तो उनके शब्द उन्हें खतरे से दूर रखते हैं।

     7 दुष्ट लोग सत्ता से बाहर कर दिए गए हैं, और वे जा चुके हैं,

         लेकिन जो धर्म के काम करते हैं उनकी कई पीढ़ियाँ होंगी और वह परिवार लंबे समय तक जारी रहेगा।

     8 किसी व्यक्ति की प्रशंसा इस बात के अनुसार की जाएगी कि उसके पास कितनी बुद्धि है;

         लेकिन जो अच्छी चीजें लेता है और उन्हें बुरी चीजों में बदल डालता है, उससे घृणा की जाएगी।

     9 नम्र व्यक्ति बनकर, दूसरों के दास के रूप में जीवन जीना;

         दूसरों को यह बताने से उत्तम है कि तू कितना महत्वपूर्ण है, लेकिन तेरे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है।

     10 सही कार्य करने वाले लोग अपने पशुओं के भोजन और स्वास्थ्य की सही देखभाल करते हैं,

         लेकिन जब दुष्ट अपने पशुओं के लिए कुछ भी करने का प्रयास करता है, तो यह क्रूरता का कार्य बन जाता है।

     11 खेत में कठिन परिश्रम करने वाले किसान के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन होगा,

         लेकिन जो निर्बुद्धि हैं वे उन परियोजनाओं को लेते हैं जिनसे उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होता।

     12 दुष्ट लोग उन चीजों की इच्छा रखते हैं जो बुरे लोगों के पास हैं – ऐसी चीजें जिन्हें उन्होंने दूसरों से चुरा लिया है।

         लेकिन जो लोग धर्म के काम करते हैं उनके पास वही होता है जो उन्होंने अर्जित किया है; यह उनका इनाम है।

     13 बुरा व्यक्ति उन बुरी बातों में फँस जाता है जो वह कहता है,

         लेकिन जो धर्म के काम करते हैं वे बहुत सी परेशानियों से दूर रहते हैं।

     14 किसी व्यक्ति द्वारा बोले गए अच्छे शब्द उसके जीवन को अच्छी चीजों से भरते हैं,

         जैसे उसका कठिन परिश्रम उसके लिए प्रतिफल लाता है।

     15 मूर्ख लोग सोचते हैं कि जो वे कर रहे हैं वह हमेशा सही है;

         लेकिन बुद्धिमान लोग सलाह सुनना चाहते हैं।

     16 मूर्ख व्यक्ति जल्दी से दिखाता है कि वह कितना गुस्से में है;

         लेकिन अच्छी समझ रखने वालों का जब कोई अपमान करता है तो वे उसे अनदेखा करते हैं।

     17 सत्य बोलना वैसा ही है जैसे वह कहना जो सही है,

         लेकिन बेईमान व्यक्ति झूठ बोलता है।

     18 जब कोई व्यक्ति बिना सोचे बोलता है, तो ऐसा लगता है कि वे तलवार से तुम्हारे ऊपर प्रहार कर रहा है;

         लेकिन बुद्धिमान लोग जो बोलते हैं वह दर्द को ठीक करने में सहायता करता है।

     19 सत्य बोलना कभी भी पक्ष से बाहर नहीं होगा,

         लेकिन झूठ एक पल में समाप्त हो जाता है।

     20 जब बुराई की योजना बनाई जाती है तो उन लोगों के भीतर झूठ होना चाहिए जो इसे कार्यान्वित करते हैं;

         लेकिन जो मेल कराने वाली सलाह देते हैं, वे सलाहकार आनन्द मनाएँगे।

     21 बुरी बातें उन लोगों के साथ नहीं होती जो धर्म के काम करते हैं,

         लेकिन दुष्ट लोगों के जीवन परेशानियों से भरे हुए हैं।

     22 यहोवा उन लोगों से घृणा करते हैं जो झूठ बोलते हैं,

         लेकिन वे उन लोगों से प्रसन्न है जो ईमानदारी से जीवन जीते हैं।

     23 अच्छी समझ वाले लोग जो कुछ भी जानते हैं उसे प्रकट नहीं करते हैं,

         लेकिन मूर्ख लोग अपनी मूर्खतापूर्ण सोच को चिल्ला कर बताते हैं।

     24 जो अपने कठिन परिश्रम के लिए प्रसिद्ध हैं वे दूसरों पर अधिकार प्राप्त करेंगे,

         लेकिन जो आलसी हैं उन्हें काम करने के लिए विवश किया जाएगा, भले ही वे इससे घृणा करते हों।

     25 जब कोई व्यक्ति चिंतित होता है, तो ऐसा लगता है कि मानो वह भारी भार उठाए ले जा रहा है,

         लेकिन एक अच्छी बात उसे उत्तम अनुभव करवाती है।

     26 जो धर्म के काम करता है वह अपने मित्र के लिए एक अच्छा मार्गदर्शक होगा,

         लेकिन दुष्ट लोग हमेशा खो जाते हैं।

     27 आलसी लोग पकड़े गए जानवर को भी नहीं पकाते हैं,

         लेकिन जो कठिन परिश्रम करते हैं वे ऐसा धन प्राप्त करेंगे जो संरक्षण के लिए अच्छा है।

     28 जो लोग सही मार्गों में चलते हैं वे जीवन पाते हैं

         और उस मार्ग पर कोई मृत्यु नहीं है।

Chapter 13

     1 बुद्धिमान पुत्र उन शिक्षाओं पर ध्यान देता है जो उसका पिता उसे देता है;

         लेकिन जिद्दी पुत्र सुधार की बात सुनने से मना कर देता है।

     2 अच्छी बातें उस परिणाम के समान आती हैं जो कोई व्यक्ति बतलाता है,

         लेकिन धोखा देने वाले की इच्छा अधिक से अधिक हिंसा करना है।

     3 वह व्यक्ति जो अपनी बातों के विषय में बहुत सावधान है, वह अपने जीवन को बरकरार रखता है;

         जो बहुत अधिक बातें करता है वह सब कुछ नष्ट करता है।

     4 जो लोग आलसी हैं वे हर चीज के लिए भूखे हैं, लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा।

         जो लोग कठिन परिश्रम करते हैं वे इच्छा से अधिक प्राप्त करेंगे।

     5 कोई भी जो धर्म के काम करता है, उसे इससे घृणा है जब दूसरे झूठ बोलते हैं,

         लेकिन दुष्ट व्यक्ति स्वयं पर अपमान लाता है।

     6 जो व्यक्ति धर्म के काम करता है वह हमेशा सम्मानित तरीकों से कार्य करता है,

         परन्तु जो यहोवा द्वारा मना किए गए काम करता है, वह अपने दुष्ट जीवन को ही नष्ट कर देता है।

     7 कुछ लोगों के पास कई संपत्तियाँ हैं, लेकिन उनका मूल्य कुछ भी नहीं है;

         लेकिन अन्य लोग उनके पास जो कुछ भी है दे देते हैं, और फिर भी उनके पास सबसे अच्छे प्रकार के धन हैं।

     8 एक अमीर व्यक्ति को, अपने जीवन को, एक अपराधी से वापस खरीदने के लिए, अपनी संपत्ति का उपयोग करना पड़ सकता है जो उसे बंधक बना कर रखता है,

         लेकिन गरीब व्यक्ति तब भी नहीं सुनता है जब उसे धमकी दी जाती है।

     9 जो धर्म के काम करता है वह खुशी देने वाले प्रकाश के समान चमकता है,

         परन्तु दुष्ट लोग ऐसे दीपक के समान हैं जो बुझा दिये जाएंगे।

     10 अहंकार एक व्यक्ति के भीतर काम करता है और इसके परिणाम संघर्ष और तर्क होते हैं,

         लेकिन जो लोग अच्छी सलाह सुनते हैं उन्हें वह ज्ञान मिलता है जिसकी उन्हें आवश्यकता है।

     11 जो लोग स्वयं के लिए बहुत अधिक सोचते हैं वे अपने सारे पैसे खर्च करेंगे;

         वह व्यक्ति जो अपने हाथों से काम करके पैसा कमाता है, उसे अपना पैसा बढ़ाने के तरीके मिलेंगे।

     12 जब भविष्य की आशा में विलम्भ होता है, तो यह तुझको बीमार बनाती है - तुझे लगता है कि तू जो भी चाहता है उसे कभी प्राप्त नहीं करेगा,

         परन्तु यदि तू जो चाहता है उसे प्राप्त कर लेता है, तो वह एक जीवन देने वाले पेड़ के समान होगा।

     13 जो अच्छी सलाह को तुच्छ मानते हैं वे स्वयं पर अनाज्ञाकारिता करने की सजा लाते हैं;

         जो निर्देश पर ध्यान देता है वह सम्मान प्राप्त करेगा।

     14 बुद्धिमान द्वारा सिखाई गई शिक्षा झरने के समान है, जो उसमें से पीनेवालों को जीवन देता है;

         और वे तेरे आस-पास के सभी घातक खतरों के विषय में तुझको सूचित करते हैं।

     15 एक ऐसा मन होना जो सही और गलत समझता है, तेरे लिए सम्मान लाता है,

         लेकिन वह जो बुरे उद्देश्यों के लिए अच्छे उपहारों को बदल देता है - वह कभी भी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँचता है।

     16 जिनके पास अच्छी समझ है वे हमेशा उसी से कार्रवाई करते हैं जो वे जानते हैं;

         एक मूर्ख व्यक्ति साबित करता है कि उसके निर्णय मुर्खता के हैं, और हर कोई इसे देखता है।

     17 दुष्ट संदेशवाहक संदेश नहीं पहुँचाएगा,

         लेकिन कड़वे दुश्मन एक साथ मिल जाते हैं

         संदेशों को भरोसेमंद संदेशवाहक द्वारा वितरित किया जाता है।

     18 जो अनुशासन की शिक्षा नहीं लेता वह गरीब होगा, और वह लज्जित होगा,

         लेकिन वह जो अनुशासन की शिक्षा लेता है और उनसे सीखता है,

         सम्मान उसे ढूँढ़ लेगा।

     19 जब लालसा सच होती है,

     यह आकांक्षा करने वाले व्यक्ति के लिए मधुर खुशी है;

         जो मूर्ख हैं वे बार-बार बुराई की ओर मुड़ते रहते हैं।

     20 यदि तू बुद्धिमान लोगों के साथ समय बिताता है,

     तो वे अपने जीवन के द्वारा तुझे दिखाएँगे कि तू उनके जैसे बुद्धिमान कैसे बन सकता है।

     21 पापी भाग गए और आपदाओं ने उनका पीछा किया,

         लेकिन जो लोग धर्म के काम करते हैं वे पाते हैं उनका प्रतिफल भलाई है।

     22 एक अच्छा व्यक्ति मरने के समय अपने पोते को देने के लिए पैसे अलग करता है,

         लेकिन पापी व्यक्ति अपनी संपत्ति को संग्रहित करेगा, यह जाने बिना कि इसे धर्म के काम करने वाले व्यक्ति को दिया जा सकता है।

     23 गरीब व्यक्ति के स्वामित्व वाले क्षेत्र में अधिक भोजन पैदा हो सकता है,

         लेकिन अमीरों से अधिक गरीब अन्याय से पीड़ित हैं,

         और फसल नहीं लगाई गयी है।

     24 माता-पिता जो अपने बच्चे को प्रशिक्षित नहीं करते हैं कि उसे कैसा जीवन जीना चाहिए वे उसे कोई प्रेम नहीं दिखाते हैं,

         लेकिन वे जो बच्चे को प्रशिक्षित करने में सावधान है कि उसे कैसा जीवन जीना चाहिए, वे अपने महान प्रेम को दिखाते हैं।

     25 जो धर्म के काम करते हैं वे अपनी भूख को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त भोजन खाते हैं,

         लेकिन दुष्ट शिकायत करते हैं कि वे हमेशा भूखे हैं।

Chapter 14

     1 बुद्धिमान स्त्री अपने परिवार को एक साथ रखती है,

         लेकिन मूर्ख स्त्री उन मूर्खतापूर्ण बातों से उसे फाड़ कर दो भागों में अलग करती है जो काम वह करती है।

     2 वह जो अपने जीवन जीने के तरीके के द्वारा यहोवा का सम्मान करता है, वह यहोवा को वह सम्मान देता है जिसके वह योग्य है;

         बेईमान व्यक्ति अपना अपमान दिखाता है, और वह यहोवा को तुच्छ जानता है।

     3 अहंकार मूर्खों के मुँह से ऐसे चिल्लाता है, जैसे पेड़ से शाखाएँ निकलती हैं;

         लेकिन बुद्धिमान जो बोलते हैं उससे उनका जीवन बरकरार रहता है।

     4 जिस खलिहान में किसी मवेशी को भोजन नहीं दिया जाता, वहाँ चराई वाली नाँद साफ होती है;

         यदि एक किसान के पास केवल एक ही बैल है, फिर भी वह बहुत बड़ी फसल उगा सकता है।

     5 तुम बता सकते हो कि गवाह विश्वसनीय है, अगर वह सच कहता है,

         लेकिन जब गवाह एक झूठ बोलने के बाद फिर झूठ बोलता है, तो वह एक झूठा गवाह है और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

     6 जो सोचता है कि वह दूसरों से उत्तम है, वह ज्ञान की तलाश कर सकता है, लेकिन उसे वह नहीं मिलेगा,

         लेकिन जो ज्ञान में बढ़ाया गया है वह सरलता से और अधिक सीख सकता है।

     7 मूर्ख व्यक्ति के निकट न रहो: उससे दूर चले जाओ।

         उससे कोई ज्ञान सिखा नहीं जा सकता।

     8 जिसने बहुत ज्ञान प्राप्त किया है वह उसे अपने जीवन पर लागू करता है; यह बुद्धिमानी है।

         सारी मूर्खता की नींव झूठ है।

     9 मूर्ख मंदिर में चढ़ाई जा रही दोषबलि की भेंट को देखते हैं, और इसका मजाक उड़ाते हैं,

         परन्तु जो यहोवा को प्रसन्न करते हैं, वे कृपा को साझा करने में प्रसन्न हैं।

     10 व्यक्ति अपनी सारी कड़वाहट और निराशा को अपने भीतर बंद रखता है;

         कोई अजनबी इसमें शामिल सारी खुशी को कभी भी नहीं जान पाएगा।

     11 दुष्टों का परिवार नष्ट हो जाएगा,

         लेकिन एक छोटा तम्बू जहाँ सीधे लोग रहते हैं बढ़ेगा, जैसे एक पेड़ बढ़ कर कैसा भव्य हो जाता है।

     12 व्यक्ति एक रास्ते को देखता है, और यह उसके लिए जाने का सही रास्ता प्रतीत होता है,

         लेकिन वह नहीं जानता कि यह केवल मृत्यु की ओर जाता है।

     13 कोई व्यक्ति बहुत दर्द में हो सकता है और फिर भी हँसने में सक्षम हो सकता है;

         बहुत खुशी का समय दुःख में समाप्त हो सकता है।

     14 विश्वासहीन मनुष्य यहोवा से वह प्राप्त करेगा जिसके वह योग्य है;

         लेकिन यहोवा एक भले व्यक्ति को वह देगा जो उसका है।

     15 जिनके पास कोई निर्देश नहीं है, वे बताई गई सारी बातों पर भरोसा करते हैं,

         लेकिन जिस व्यक्ति ने कुछ ज्ञान सीखा है वह इस के विषय में सोचता है कि वह क्या करेगा।

     16 बुद्धिमान व्यक्ति बुराई देखता है और इससे डरता है, और वह इससे दूर हो जाता है;

         मूर्ख व्यक्ति साहसपूर्वक हर चेतावनी को एक ओर फेंक देता है।

     17 जो जल्दी क्रोधित हो जाते हैं वे मूर्खतापूर्ण काम करते हैं;

         लोग उन से घृणा करते हैं जो बुरी योजनाएँ बनाते हैं।

     18 जिन्हें निर्देश नहीं दिया गया है, उन्हें मूर्खता सौंपी गई है;

         जिन्होंने थोड़ा ज्ञान सीखा है, वे इससे घिरे हुए हैं।

     19 बुरे लोग उनके सामने झुकेंगे जो अच्छे हैं,

         और धर्म के काम करने वाले लोगों के द्वार पर दुष्ट लोग झुकेंगे।

     20 गरीब से उसके साथी भी घृणा करते हैं,

         लेकिन अमीर के पास कई मित्र होते हैं।

     21 अपने पड़ोसियों की अवमानना करना पापपूर्ण है;

         लेकिन वे लोग कितने धन्य हैं जो गरीबों के लिए दया का काम करते हैं।

     22 जो दुष्ट योजनाओं के साथ साजिश करते हैं, क्या वे भटक नहीं जाते?

         लेकिन जो लोग अच्छाई के लिए योजना बनाते हैं वे प्रेम और विश्वास प्राप्त करेंगे।

     23 यदि तुम कठिन परिश्रम करते हैं, तो तुम कुछ पैसे कमाओगे,

         लेकिन जहाँ केवल बातें होती हैं, तो यह गरीबी की ओर ले जाता है।

     24 बुद्धिमानों का प्रतिफल वह धन है जो उनके पास है,

         लेकिन मूर्खों की मूर्खता केवल उनके लिए और अधिक मूर्खता लाती है।

     25 सत्य बोलने वाली गवाही, निर्दोष के जीवन को बचाती है;

         झूठ बोलने वाला गवाह धोखे से भरा हुआ है।

     26 जो यहोवा को उनके योग्य सम्मान देते हैं

         उनको उनके ऊपर बहुत भरोसा होता है;

         यहोवा को सम्मान देने से तुम्हारे बच्चों की भी रक्षा होगी।

     27 यहोवा को वह सम्मान देना जिसके वे हकदार हैं जीवन देने वाले झरने के समान है;

         जिससे कि तू मौत द्वारा फँसाए जाने से दूर रह सकें।

     28 राजा अपनी महिमा को उसके राज्य में लोगों की संख्या से मापता है,

         लेकिन अगर राजकुमार के पास लोग नहीं होते, तो उसे नष्ट कर दिया जाता है।

     29 जो लोग जल्दी नाराज नहीं होते उनमें बहुत समझ हैं;

         जल्दी नाराज होने वाला मूर्खता की प्रशंसा करता है।

     30 शांत होना पूरे शरीर के लिए अच्छा है,

         लेकिन भीतर बुराई होने के कारण, हड्डियाँ सड़ जाती हैं।

     31 जो गरीब व्यक्ति पर अत्याचार करता है वह यहोवा को शाप देता है जिन्होंने उसे बनाया है,

         परन्तु जो गरीब व्यक्ति पर कृपा करते हैं, वे यहोवा का सम्मान करते हैं।

     32 दुष्ट व्यक्ति को उसके बुरे कर्मों से नीचे लाया जाता है,

         लेकिन जो धर्म के काम करते हैं वे मृत्यु में भी एक सुरक्षित घर में होते हैं।

     33 बुद्धि किसी ऐसे व्यक्ति में विश्राम करने की जगह पाती है जिसके पास सूझबूझ है,

         लेकिन मूर्खों के बीच भी ज्ञान स्वयं का अनुभव करा देता है।

     34 जब एक जाति धर्म के काम करती है, तो राष्ट्र अच्छा करता है,

         लेकिन पाप किसी भी जाति पर अपमान लाता है।

     35 राजा ऐसे सेवक से प्रसन्न होता है जो अपने काम को बुद्धिमानी से करता है,

         लेकिन राजा ऐसे किसी भी दास से अप्रसन्न होता है जो उसके लिए अपमान लाता है।

Chapter 15

     1 सभ्य उत्तर से गुस्सा दूर हो जाता है,

     लेकिन कठोर जवाब क्रोध को और भी अधिक भड़काता है।

     2 जब बुद्धिमान बोलते हैं, तो वे ज्ञान के मूल्य की स्तुति करते हैं;

         मूर्ख लोग लगातार मूर्खता की बातें कहते हैं।

     3 जो कुछ हो रहा है यहोवा उसे देखते हैं;

         वे बुराई और अच्छाई का खाता रखते हैं।

     4 एक व्यक्ति जो अपनी बातों से उपचार दे सकता है वह जीवन देने वाले पेड़ के समान है;

         जब कोई तुम से झूठ बोलता है, तो यह ऐसा अनुभव हो सकता है कि उन्होंने तुम्हें कुचल दिया है।

     5 एक मूर्ख ने अपने पिता की अवमानना की है जब पिता उसे अनुशासित करता है,

         लेकिन जो सुधार से सीखता है उसके पास अंतर्दृष्टि है।

     6 जो लोग धर्म के काम करते हैं उनके परिवारों में बड़े खजाने हैं,

         लेकिन दुष्टों के पास जो धन है वह उन्हें अधिक परेशानियाँ देता है।

     7 जैसे किसान अपने बीज को छितराता है बुद्धिमान अपने ज्ञान को छितराता है,

         लेकिन मूर्खों के दिल इतने उदार नहीं होते।

     8 जब दुष्ट बलि चढ़ाता है, यहोवा इससे घृणा करते हैं,

         लेकिन जब उसे प्रसन्न करने वाले लोग उससे प्रार्थना करते हैं, तो वे खुश होते हैं।

     9 दुष्टों के जीवन जीने के तरीकों से यहोवा घृणा करते हैं,

         लेकिन वे उस व्यक्ति से प्रेम करते हैं जो अच्छाई के पीछे चलता है।

     10 यहोवा उन को अनुशासित करेंगे जो अपना रास्ता खो देते हैं,

         और जो सुधार से घृणा करते हैं वे मर जाएँगे।

     11 मृत्यु और विनाश के स्थान यहोवा को मालूम हैं;

         मनुष्य जिसे यहोवा ने बनाया है, उसके मन की भीतरी बातों को वे कितना जानते हैं?

     12 जो व्यक्ति सोचता है कि वह अन्य किसी से भी उत्तम है, वह किसी के द्वारा सुधार किए जाने से मना करता है;

         वह सोचता है कि वह बहुत चतुर है, वह किसी बुद्धिमान व्यक्ति से कभी बातें नहीं करेगा।

     13 जब लोग खुश होते हैं, तो उनके चेहरों पर मुस्कुराहटें होती हैं,

         लेकिन उदासी इतनी मजबूत है कि वह व्यक्ति को कुचल देती है।

     14 बुद्धिमान व्यक्ति की लालसा अधिक ज्ञान हासिल करना है,

         लेकिन मूर्ख लोग केवल मूर्खता की बातें कहते हैं।

     15 अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति का हर दिन उसके लिए दुःखद है,

         लेकिन जिनके पास प्रसन्न दिल है, उनके लिए जीवन एक कभी समाप्त न होने वाला उत्सव है।

     16 केवल थोड़ा धन होना और यहोवा को वह सम्मान देना जिसके वे योग्य है, यह बहुत उत्तम है

         बजाय इसके, घबराहट के साथ रखा हुआ बहुत धन का होना।

     17 घर में प्रेम है तो सब्जियों के साथ साधारण भोजन करना उत्तम होता है,

         बजाय इसके कि उन लोगों के द्वारा परोसा जाने वाला स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेना जो तुम से घृणा करते हैं।

     18 जब कोई व्यक्ति क्रोधित होता है, तो वह अधिक झगड़ा करता है,

         लेकिन वह जो जल्दी क्रोधित नहीं होता, वह झगड़े को रोकने और शान्ति बनाने में सक्षम है।

     19 आलसी व्यक्ति का जीवन किसी ऐसे व्यक्ति के समान है जो काँटों के बाड़े के माध्यम से चलने का प्रयास कर रहा है,

         परन्तु जो यहोवा को प्रसन्न करने वाले काम करते हैं वे समतल राजमार्ग पर चल रहे लोगों के समान हैं।

     20 बुद्धिमान बच्चा अपने पिता के लिए खुशियाँ लाता है,

         लेकिन वह मूर्ख व्यक्ति है जो अपनी माँ को तुच्छ जानता है।

     21 मूर्ख लोग अपनी मूर्खता का आनंद लेते हैं;

         जिनके पास अंतर्दृष्टि है, वे एक अच्छा जीवन जीते हैं।

     22 जब कोई सलाह नहीं दे रहा है, तो योजना गलत हो जाती है,

         लेकिन कई सलाहकारों के साथ, वे सफल होंगे।

     23 लोग खुश होते हैं जब वे एक अच्छा उत्तर देते हैं,

         और सही समय पर बोला जाने वाला सही शब्द कितना अच्छा होता है।

     24 जीवन की अगुवाई करने वाला मार्ग, मृत्यु से दूर ऊपर की ओर जाता है;

         वह उस मार्ग पर चलता है और मृतकों के स्थान से दूर हो जाता है।

     25 यहोवा घमंडी लोगों की पीढ़ियों को नष्ट कर देते हैं,

         लेकिन वे विधवा के स्वामित्व वाली थोड़ी सम्पत्ति की भी रक्षा करते हैं।

     26 जिसके बारे में दुष्ट लोग सोच रहे हैं यहोवा उनसे घृणा करते हैं,

         लेकिन जब लोग दया की बातें कहते हैं, तो वे शुद्ध हैं।

     27 चोर अपने परिवार पर कई परेशानियाँ लाता है,

         लेकिन जो रिश्वत स्वीकार नहीं करता है वह जीवित रहेगा।

     28 जो लोग धर्म के काम करते हैं वे जवाब देने से पहले सावधानी से सोचते हैं;

         जब दुष्ट बात करते हैं तो यह ऐसा है कि वे अपने मुँह से सभी प्रकार की बुराई उगल देते हैं।

     29 यहोवा दुष्ट लोगों से बहुत दूर हैं,

         लेकिन वे उन लोगों की प्रार्थना सुनते हैं जो उचित काम करते हैं।

     30 जब लोग मुस्कुराते हैं, तो यह उन्हें खुश करता है,

         और अच्छी खबर शरीर के लिए चंगाई लाती है।

     31 जब कोई तुम को सुधारता है तब यदि तुम ध्यान देते हो,

         तो तुम उनके बीच ठहरोगे जो बुद्धिमान हैं।

     32 जो अनुशासन का पालन करने से मना करता है, वह स्वयं को तुच्छ जानता है;

         लेकिन जो सुधार को ग्रहण करता है वह अपनी समझ को भी बढ़ाता है।

     33 यहोवा के ग्रहण योग्य सम्मान वह शिक्षा है जो तुमको ज्ञान सिखाएगा,

         और फिर सम्मान से पहले विनम्रता आती है।

Chapter 16

     1 लोग अपने भीतर की गहरी इच्छाओं से योजना बनाते हैं,

         लेकिन यह यहोवा है जो उसे बताते हैं कि क्या होगा।

     2 एक व्यक्ति जो कुछ करता है उसमें कुछ भी गलत नहीं पाता;

         परन्तु यहोवा अपने उद्देश्यों के अनुसार उसके हर भाग को मापते हैं।

     3 जब तू काम करता है, तो अपने सभी विचारों और श्रम को यहोवा को सौंप दे,

         और तेरी योजनाएँ सफल होंगी।

     4 जब यहोवा ने सब-कुछ बनाया, तो उन्होंने उन्हें इसलिए बनाया जिससे कि वे सब उनके लिए किसी काम को पूरा करेंगे।

         उन्होंने दुष्ट को भी उस बड़ी परेशानी के दिन के लिए बनाया है।

     5 यहोवा उन लोगों से घृणा करते हैं जिनका अहंकार उनके भीतर की गहराई से आता है।

         लेकिन तुम इस बारे में सुनिश्चित हो सकते हो: कि उन्हें अभी भी उनके अहंकार के लिए दंडित किया जाएगा।

     6 प्रेम और विश्वासयोग्यता पाप को ढाँक लेंगे और पाप को क्षमा करेंगे।

         जब लोग यहोवा को उनके योग्य सम्मान देते हैं,

         वे बुराई करने से दूर हो पाने में सक्षम करेंगे।

     7 जब कोई व्यक्ति अपने जीवन जीने के तरीके से यहोवा को प्रसन्न करता है,

         वे उस व्यक्ति के दुश्मनों के साथ उसका मेल करा देते हैं।

     8 थोड़ा पैसा रखना और धर्म का पीछा करना उत्तम है,

         बजाय इसके कि बड़ी मात्रा में धन रखना और अन्याय फैलाते हुए जीवन जीना।

     9 कोई व्यक्ति योजनाएँ बनाता है वह उसके भीतर की गहराई से आती है,

         परन्तु यहोवा उस व्यक्ति के हर कदम में उसकी अगुवाई करते हैं।

     10 एक राजा प्रेरणाप्राप्त फैसले से बातें कर सकता है;

         और जब वह निर्णय करता है, तो यह अच्छा और सत्य होता है।

     11 ईमानदार तराजू यहोवा की ओर से आते हैं;

         वे हैं जिन्होंने निर्णय किया कि प्रत्येक इकाई का वजन कितना होना चाहिए।

     12 जब राजा दुष्टता का काम करते हैं, तो हमें इससे घृणा करनी चाहिए,

         जब राजा उचित काम करता है तो सिंहासन मजबूत नींव पर स्थापित होता है।

     13 एक राजा खुश होता है जब वह धर्म की बातें बोलने वाले किसी को सुनता है;

         और वह उस व्यक्ति से प्रेम करता है जो बोलते समय सीधी बातें करता है।

     14 यदि कोई राजा क्रोधित हो जाता है, तो उसका क्रोध ऐसा खतरा है जो मार सकता है;

         इसलिए बुद्धिमान लोग उसे शांत करने का प्रयास करते हैं जिससे कि वह बहुत नाराज न हो।

     15 राजा की मुस्कुराहट में जीवन है;

         जब वह खुश होता है, वह झमाझम बरसात लाने वाले बादल के समान है।

     16 बुद्धिमान बनना सोना पाने से उत्तम है;

         अच्छी समझ प्राप्त करना चाँदी पाने से उत्तम है।

     17 जो सही तरीके से जीवन जीता है वह बुराई करने से दूर रहेगा;

         जो इस विषय में सावधान है कि वह अपने जीवन को कैसे जीता है

         वह अपने जीवन को सुरक्षित रखेगा।

     18 पहले किसी में अहंकार आता है, और फिर वह नष्ट हो जाता है।

         अगर कोई सोचता है कि वह दूसरों की तुलना में उत्तम है,

         तो वह भयानक ठोकर खाएगा।

     19 नम्र होना और गरीबों के बीच रहना उत्तम है

         बजाय इसके कि जो कुछ घमंडी लोगों ने बलपूर्वक ले लिया है उसका भाग प्राप्त करना।

     20 जो उस पर विचार करते हैं जो उन्हें सिखाया गया है

         वे सबक में कई अच्छी चीजें पाते हैं;

         वे लोग कितने धन्य हैं जो यहोवा पर भरोसा रखते हैं।

     21 जिसके भीतर की गहराई में ज्ञान है उसे "समझदार" शीर्षक दिया गया है,

         और जो लोग इस तरह से बातें करते हैं जिसे समझा जा सकता है

         और अपने सुनने वालों को प्रेरित कर सकते हैं, वे अच्छी तरह से सिखाते हैं।

     22 जब तू समझ जाता है, तो वह ऐसा है जैसे कि तूझे अपने भीतर जीवन का झरना मिला है;

         लेकिन मूर्खों को उनकी सजा मिलती है जब उनकी मूर्खता उनके पास वापस आती है।

     23 भीतर की गहराई से, बुद्धिमान व्यक्ति उस अंतर्दृष्टि से बोलता है जो उसने सीखी है;

         और इसलिए जब वह बोलता है तो उसके पास दूसरों को समझाने की शक्ति होती है।

     24 दया शब्द मधु के छत्ते के समान है;

         वे हमारे ग्रहण करने में मीठे हैं,

         और वे हमारे शरीरों को स्वस्थ कर देते हैं।

     25 व्यक्ति अपना जीवन जीता है और सोचता है कि वह धर्म के काम कर रहा है,

         लेकिन जब वह अपने जीवन के अंत में आता है, तो वह मृत्यु ही पाता है।

     26 एक मजदूर की भूख उसे कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित करती है,

         उसकी भूख उसे काम करते रहने का आग्रह करती है।

     27 निकम्मा व्यक्ति खुदाई करता है और तब तक खोदता है जब तक कि उसे कुछ ऐसा नहीं मिलता

         जिसे वह किसी को लज्जित करने और परेशान करने के लिए उपयोग कर सकता है;

         और उनके विषय में वह जो कहता है वह खेत को जला देने वाली आग के समान है।

     28 एक व्यक्ति जिसके पास कोई नैतिकता नहीं है, लोगों के बीच झगड़े करवाता है;

         और जो अफवाहें फैलाते हैं वे मित्रों को अलग करते हैं।

     29 हिंसक व्यक्ति अपने मित्र से झूठ बोलता है,

         और वह उसे एक ऐसे मार्ग से ले जाता है जिसमें कभी भी कुछ अच्छा नहीं मिलेगा।

     30 जो आँखों को झपका कर दूसरों को संकेत दे रहा है यह उनकी भयानक साजिश शुरू करने का समय है;

         जो अपने होंठ एक साथ दबाते हैं, वे बुरे काम करते हैं।

     31 पके बाल गौरवशाली मुकुट के समान हैं;

         यह उन लोगों को दिया जाता है जो अपना जीवन जी लेते हैं

         ऐसे काम करके जो उचित हैं।

     32 जो क्रोधित होने में धीमा है वह योद्धा से भी मजबूत है;

         जो आत्मनियंत्रित है वह एक ऐसे व्यक्ति से शक्तिशाली है जो बलपूर्वक शहर को जीतता है।

     33 पत्थरों द्वारा "चिट्ठी" को किसी व्यक्ति की गोद में फेंक दिया जाता है,

         परन्तु यहोवा निर्णय लेते हैं कि किस किनारे से पत्थरों का लुढकना बंद होगा।

Chapter 17

     1 रोटी का एक सूखा टुकड़ा खाना और झगड़ा नहीं करना उत्तम है

         बजाय इसके कि ऐसे घर में रहना जहाँ झगड़ा नियमित रूप से पर्व के समान होता है।

     2 एक दास जो बुद्धिमानी से काम करता है, वह अपने स्वामी के पुत्र पर शासन करेगा

         यदि वह पुत्र लज्जा के काम करता है।

         वह दास विरासत का हिस्सा प्राप्त करेगा और उसके स्वामी के पुत्रों में से एक के समान माना जाएगा।

     3 चाँदी को परिष्कृत करने के लिए कुठाली में रखा जाता है, और सोने को भट्ठी में शुद्ध किया जाता है,

         लेकिन यहोवा ही हैं जो लोगों को शुद्ध बनाते हैं।

     4 जो बुराई करते है वे उस व्यक्ति पर ध्यान देते हैं जो दुष्ट तरीके से बात करता है,

         और झूठ बोलने वाले उन लोगों की सुनते हैं जो परेशानी पैदा करने के लिए बोलते हैं।

     5 वह जो गरीब लोगों का मजाक उड़ाता है, वह यहोवा को अपमानित करता है जिन्होंने उनको बनाया है;

         यहोवा उन लोगों को दंडित करेंगे जो किसी और को परेशानी में पड़े देख खुश होते हैं।

     6 वृद्धजनों के लिए नाती-पोते सम्मान और आदर लाते हैं,

         और माता-पिता अपने बच्चों के लिए सम्मान लाते हैं।

     7 एक मूर्ख उत्तम भाषण देने में सक्षम नहीं है;

         और इससे भी अधिक शाही पद वाले किसी से झूठ बोलना गलत है।

     8 रिश्वत देने वाले व्यक्ति के लिए रिश्वत जादू के समान काम करती है;

         रिश्वत देकर वह जो कुछ करने का प्रयास करता है उसमें वह सफल होता है।

     9 यह सिख की, जिस व्यक्ति से तू प्रेम करता है उससे नाराज न हो,

         लेकिन यदि तू कोई बात जो चोट पहुँचाती है, उसे बार-बार अपने मित्र से करता है;

         तो वह सबसे अच्छे दोस्तों को भी अलग कर देगा।

     10 समझ के साथ किसी को डाँटना उसके अंदर गहराई में जाता है

         बजाय इसके कि छड़ी से सौ बार मारकर मूर्ख को सिखाने का प्रयास करना।

     11 दुष्ट व्यक्ति केवल नियमों का उल्लंघन करने में रूचि रखता है;

         वह उस संदेश का हकदार है जो उसके लिए क्रूर होगा।

     12 तुम्हारा एक ऐसी रीछनी से मिलना उत्तम होगा जिसके शावकों को लूट लिया गया है

         बजाय इसके कि ऐसे मूर्ख से मिलने के जो मूर्खता में डूबा हुआ है।

     13 यदि कोई किसी की दी गई अच्छाई के लिए बुराई वापस देता है,

         तो बुराई उसके परिवार में बनी रहेगी।

     14 झगड़ा शुरू करना पानी छोड़ने और इसे हर जगह जाने देने के समान है;

         इसके शुरू होने से पहले ही इससे दूर चले जाना उत्तम होता है।

     15 जब एक अदालत दुष्टों को मुक्त करती है और धर्म के काम करने वालों को अपराधी ठहराती है,

         यहोवा इन दोनों कार्यों से घृणा करते हैं।

     16 मूर्ख के लिए कोई फायदा नहीं होता है जब वह ज्ञान के बारे में जानने के लिए पैसे देता है;

         इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितना प्रयास करता है, वह ज्ञान के बारे में सीखने में सक्षम नहीं होगा।

     17 एक मित्र तुझे हर समय प्रेम करता है,

         और जब तू परेशानी में होता है, तो तेरी सहायता करने के लिए वह एक भाई से उत्तम है।

     18 जो निर्बुद्धि है वह ऐसा अनुबंध करेगा जिसका वह भुगतान नहीं कर सकता है,

         और वह अपने पड़ोसी के उधार के पैसों का भुगतान करने का वादा भी कर देगा।

     19 जो व्यक्ति तर्क करने से प्रेम करता है, वह उस पाप से भी प्रेम करता है जो झगड़े के पीछे है;

         एक चीज दूसरे की ओर ले जाती है: वह जो अपने दरवाजे की सीमा को बहुत ऊँचा बनाता है, यह सुनिश्चित करता है कि कोई व्यक्ति अपने पैर की हड्डियों को तोड़ दे।

     20 एक व्यक्ति जो अपनी भीतरी बातों की वजह से बेईमान है, वह कभी भी अच्छाई को नहीं पाएगा,

         और जो झूठ बोलता है वह संकट में पड़ जाएगा।

     21 जो पिता मूर्ख को जन्म देता है, वह अपने जीवन में उदासी लाता है;

         मूर्ख का पिता खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है।

     22 हँसमुख होना दवा के समान है जो तुझे अच्छा महसूस कराती है,

         लेकिन जब तू उदासी से कुचल दिया जाता है, तो ऐसा लगता है कि तेरे भीतर हर हड्डी केवल स्पर्श से टूट सकती है।

     23 दुष्ट व्यक्ति इस तरह से रिश्वत स्वीकार करता है कि कोई उसे देख नहीं पाए,

         इसलिए वह रिश्वत उसके पक्ष में निर्णय बदल देगी।

     24 जिसने समझना शुरू कर दिया है, वह जानता है कि उसे अब भी ज्ञान के पीछे जाना चाहिए।

         हालाँकि, मूर्ख व्यक्ति के पास साहसी योजनाएँ और असंभव सपने होते हैं,

         और वह उन्हें देखता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितने दूर हैं।

     25 मूर्ख बच्चा पिता को बहुत दुःख देता है,

         और उस माँ को खेद है जिसने उसे जन्म दिया था।

     26 धर्म के काम करने वाले किसी को भी दंडित करना अच्छा नहीं हो सकता,

         और यदि नैतिक चरित्र वाले अच्छे व्यक्ति को कानून द्वारा दंडित किया जाता है, तो यह कभी भी अच्छा नहीं हो सकता है।

     27 जिसने ज्ञान सीखा है, उसने कुछ शब्दों का उपयोग करके अच्छी तरह से बातें करना सीखा है,

         और जिसके पास समझ है, वह अपना आपा नहीं खोता है।

     28 जब कोई मूर्ख चुप रहता है, तो कुछ लोग सोच सकते हैं कि वह बहुत बुद्धिमान है;

         जब वह अपना मुँह बंद रखता है, तब यहाँ तक कि मूर्ख भी सुबोध दिखता है।

Chapter 18

     1 वह जो स्वयं को अन्य लोगों से दूर रखता है केवल अपनी इच्छाओं के लिए ही जीवित रहेगा,

         और वह कभी भी बुद्धिमानी के साथ काम नहीं करता है।

     2 मूर्ख व्यक्ति कुछ भी समझने का आनंद नहीं लेता है;

         वह केवल दूसरों को यह बताना चाहता है कि वह क्या सोचता है।

     3 जब दुष्ट व्यक्ति आता है, तो उसके साथ तिरस्कार भी आता है जो तिरस्कार उसके पास अन्य लोगों के लिए है-

         और उसके पीछे पीछे लज्जा और अपमान आते हैं।

     4 व्यक्ति जो शब्द बोलता है वह समुद्र के गहरे पानी के समान होते हैं

         या एक झरने के समान है जो ज्ञान के साथ बहता है।

     5 जब दुष्टों से विशेष सम्मान के साथ व्यवहार किया जाता है, यह अच्छा नहीं होता है,

         और उन लोगों को न्याय देने से मना करना अच्छा नहीं है जो उचित काम करते हैं।

     6 मूर्ख व्यक्ति ऐसी बातें कहता है जो झगड़े शुरू कराती हैं;

         वह ऐसी बातें कहता है जो अन्य लोगों को उसे छड़ी से मारने के लिए प्रेरित करती हैं।

     7 मूर्ख व्यक्ति जो बातें कहता है, उससे वह स्वयं को नष्ट कर देता है;

         उसके बहुत सारे शब्द जाल बिछाते हैं जिसमें वह फँस जाएगा।

     8 जब कोई व्यक्ति गपशप करता है, तो उसके शब्द अन्य लोगों के लिए ऐसे मधुर होते हैं जैसे उनके मुँह में मिठाई है,

         और वे उन्हें सुनना पसंद करते हैं।

     9 वह व्यक्ति जो काम करते समय आलस करता है

         वह सब कुछ नष्ट कर देने वाले का रिश्तेदार है।

     10 यहोवा का नाम एक ऐसे किले के समान है जो कभी नष्ट नहीं हो सकता है;

         धर्म के काम करने वाले लोग सुरक्षा के लिए भाग कर वहाँ जाते हैं, और उनके नाम के किले में, वे सुरक्षित हैं।

     11 अमीर व्यक्ति अपनी संपत्ति पर निर्भर करता है जैसे कोई शहर अपनी किलेबंदी पर निर्भर करता है;

         वह सोचता है कि यह एक ऊँची दीवार के समान उसकी रक्षा करती है।

     12 जब कोई व्यक्ति नष्ट होने वाला होता है, तो वह उसका घमंडी मन है जो उसका विनाश लाता है,

         लेकिन इससे पहले कि कोई व्यक्ति महान सम्मान प्राप्त कर सके, उसे पहले विनम्र बनना सीखना चाहिए।

     13 एक व्यक्ति जो तुझे सुनने से पहले ही तुझे उत्तर देता है-

         इससे अधिक कुछ मूर्खता नहीं है

         और ऐसा कुछ भी नहीं जो उसे और अधिक लज्जित करता है।

     14 व्यक्ति अपने शरीर में भयानक बीमारी से बच सकता है,

         लेकिन अगर वह अनुभव करता है कि उसका अंतर्मन कुचला गया है, तो वह कैसे जीवित रह सकता है?

     15 बुद्धिमान लोगों को अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा है,

         और बुद्धिमान लोग उन्हें और अधिक ज्ञान सिखाने वाले किसी को भी ढूँढ़ लेंगे।

     16 यदि तू किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के लिए उपहार ले जाता है, तो तू उसके साथ बातें करने के रास्ते खोल देगा।

     17 न्यायाधीश के समक्ष अपना मामला पेश करने वाला पहला व्यक्ति सही लगता है

         जब तक दूसरी तरफ से कोई नहीं आता है और उससे सवाल नहीं करता है।

     18 जब दो मजबूत लोगों में विवाद होता है,

         तो चिट्ठियाँ डालने से विवाद को सुलझाने में सहायता मिल सकती है।

     19 यदि तुम अपने भाई को नाराज करते हो, तो फिर से उसके साथ शान्ति पाने का रास्ता खोजना

         एक शहर जीतने के लिए लड़ाई जीतने से कठिन हो सकता है।

         और विजयी होने के लिए तर्क देना

         एक महल के सलाखों को तोड़ने से और अधिक कठिन है।

     20 व्यक्ति जो शब्द बोलता है वह उसके स्वयं के लिए संतुष्टि ला सकते हैं,

         जैसे कि वह जो भोजन खाता है वह उसके पेट को संतुष्ट करता है।

     21 लोग जो कहते हैं उसके माध्यम से वे दूसरों को मारने और उन्हें जीवित रखने में सक्षम होते हैं।

         और उन लोगों के लिए खतरा है जो अपनी बोलने की शक्ति से प्रेम करते हैं।

     22 जो पत्नी प्राप्त करता है, वह कुछ ऐसी बहुत अच्छी चीज पाता है जो उसके जीवन को आशीषित करने के लिए उपहार है,

         और यह यहोवा है जो उसे यह अद्भुत उपहार देते हैं।

     23 एक गरीब व्यक्ति दया के लिए गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करता है, लेकिन एक अमीर व्यक्ति जवाब देते समय कठोर होता है।

     24 एक व्यक्ति कहता है कि उसके पास बहुत से मित्र हैं, लेकिन उसका जीवन उनके द्वारा नष्ट हो गया है;

         लेकिन एक ऐसा मित्र है जो हर एक परिस्थिति में हमारे साथ खड़ा है,

         और वह हमेशा हमारे निकट रहता है, यहाँ तक कि एक भाई से भी अधिक निकट।

Chapter 19

     1 गरीब व्यक्ति जो अपनी प्रतिज्ञाओं को मानता है,

         उसकी तुलना एक मूर्ख के साथ करें जो झूठ से भरा है।

     2 और सोचों, ज्ञान के बिना इच्छा रखना

         इतनी तेजी से भागने जैसा है कि जो मार्ग तुझे लेना है उससे तू चुक जाए।

     3 मूर्ख की मूर्खता उसके जीवन को नष्ट कर देती है,

         लेकिन वह अपनी परेशानियों के लिए यहोवा से क्रोधित हो जाता है।

     4 जो अमीर हैं वे सरलता से कई मित्र बना लेतें हैं, लेकिन एक गरीब व्यक्ति को पता चलेगा कि उसकी गरीबी उसे उसके एक मित्र से भी अलग करती है।

     5 एक व्यक्ति जो मित्र बनने के लिए झूठ बोलता है उसे लाभ लेने के लिए दंडित किया जाएगा,

         जिस तरह से वह जिसका बोला जाने वाला हर शब्द झूठ है, वह बच नहीं पाएगा।

     6 जब कोई व्यक्ति अपने उपहारों के साथ उदार होता है, तो बहुत से लोग उसकी कृपा चाहेंगे,

         ऐसा लगता है कि कई उपहार देने वाले उस व्यक्ति का हर कोई मित्र है।

     7 जो गरीब है, उसके सभी भाई उससे घृणा करते हैं;

         और इससे भी अधिक उसके मित्र उससे घृणा करते हैं, और वे उससे दूर जाते हैं;

         वह उन्हें पुकारता है, लेकिन वे चले गए हैं।

     8 जो ज्ञान के विषय में जानने के लिए हर संभव प्रयास करता है, वह स्वयं से प्रेम करता है;

         समझ रखने से तुम्हें पता चलता है कि क्या अच्छा है और क्या अच्छा नहीं है।

     9 जो लोग गवाही देते समय झूठ बोलते हैं, वे दंडित किए जाएँगे,

         लेकिन जिसका हर शब्द एक झूठ है, वह मर जाएगा।

     10 जब कोई मूर्ख विलासिता में जीवन जीता है – तो यह सही नहीं है,

         और दास के लिए राजकुमारों पर शासन करना भी बदतर है।

     11 अच्छी समझ वाला व्यक्ति क्रोधित होने में धीमा होता है,

         और यह उसके सम्मान के लिए है कि जब कोई उसके साथ गलत करता है तो वह उसे अनदेखा करता है।

     12 राजा का क्रोध किसके समान है? यह जवान शेर की गर्जन के समान है,

         लेकिन उसकी दया घास पर ओस के समान है।

     13 मूर्ख पुत्र पिता को नष्ट कर देगा।

         पत्नी जो हमेशा झगड़ा करती है वह लगातार टपकने वाले पानी के समान अपने पति को परेशान करेगी।

     14 हम अपने माता-पिता से घर और धन को विरासत में प्राप्त कर सकते हैं,

         लेकिन समझदार पत्नी यहोवा की ओर से मिलती है।

     15 जो आलसी है वह देखता है कि नींद उसे सरलता से आती है,

         लेकिन जो काम करने से मना करता है वह भूखा रहेगा।

     16 जो दिये गए आदेश का पालन करता है वह अपने जीवन पर कवच रखता है,

         लेकिन वह मर जाएगा, जो इसके विषय में नहीं सोचता कि वह अपने जीवन को कैसे जीता है।

     17 जो गरीबों के प्रति दयालु है, यह ऐसा है जैसे वह यहोवा को उधार दे रहा है;

         और जो कुछ उसने किया उसके लिए यहोवा उसे भुगतान करेंगे।

     18 अपने बच्चों को प्रशिक्षित कर और उन्हें अनुशासन सिखा, जब तक उन्हें बचाना संभव है;

         लेकिन उन्हें तू इतना अपमानित न करने दे कि तू स्वयं उनके जीवन को समाप्त करने पर विचार करे।

     19 क्रोधित स्वभाव वाला व्यक्ति अपने क्रोध के लिए कीमत चुकाएगा;

         यदि तू उसके गुस्से के फुट जाने के बाद उसे बचाता है, तो तुझे ऐसा बार-बार करना होगा।

     20 अच्छे मार्गदर्शन पर ध्यान दे और दूसरों को तुझे सिखाने दे;

         जिससे कि तू अपने जीवन के अंत तक बुद्धिमान बन सके।

     21 एक व्यक्ति की कई योजनाएँ होती हैं जो उसके भीतर से आती हैं,

         परन्तु यहोवा की अपनी योजना है, और वह उन्हें बाहर ले जाएंगे।

     22 एक व्यक्ति वफादारी चाहता है,

         और एक गरीब व्यक्ति झूठ बोलने वाले से उत्तम है।

     23 जो कोई यहोवा का सम्मान करता है वह लंबा जीवन जीएगा;

         वह व्यक्ति संतुष्ट होगा, जिसमें यहोवा के प्रति ऐसा सम्मान है,

         और उसका कोई नुकसान नहीं होगा।

     24 आलसी व्यक्ति खाने के लिए बर्तन में अपना हाथ डालता है;

         वह खाने के लिए अपने मुँह तक अपना हाथ उठाने में सक्षम नहीं है।

     25 यदि तू किसी ऐसे को दंडित करता है जो दूसरों का उपहास करता है,

         तो एक अनिर्देशित व्यक्ति सीखेगा कि समझदार कैसे बनना चाहिए।

         यदि तू किसी समझदार व्यक्ति को सुधारता है,

         तो वह अधिक ज्ञान प्राप्त करेगा।

     26 कोई भी जो अपने पिता से चोरी करता है और अपनी माँ को पराया करता है

         वह स्वयं पर लज्जा और अपमान लाता है।

     27 हे मेरे पुत्र, यदि तू शिक्षा को नहीं सुनगा,

         तो तू ज्ञान के वचनों से दूर भटक जाएगा।

     28 झूठ बोलने वाला गवाह किसी भी न्यायपूर्ण तरीके से काम करने वाले पर हँसता है,

         और दुष्ट लोग भोजन करने के समान सरलता से पाप करते हैं।

     29 यहोवा उन लोगों को दंडित करने के लिए तैयार हैं जो स्वयं को अन्य लोगों से अलग करके उत्तम ठहराते हैं,

         और वे मूर्खों की पीठ पर कोड़े मारने के लिए तैयार हैं।

Chapter 20

     1 दाखरस तुझको हल्ला मचाने वाला बनाती है, और मदिरा तुझे मूर्ख बनाती है;

         जो मदिरा को उन्हें उस स्थान पर ले जाने देता है जहाँ वे खो जाते हैं, वह बुद्धिमान नहीं है।

     2 राजा का क्रोध लोगों को ऐसे डराता है जैसे कि वे गरजते जवान शेर का सामना कर रहे थे;

         जो राजा को क्रोधित करता है वह व्यक्ति अपना जीवन छोड़ रहा है।

     3 झगड़े से बाहर रहना एक सम्मान है,

         लेकिन हर मूर्ख झगड़े में शामिल होने के लिए तैयार है।

     4 आलसी व्यक्ति शरद ऋतु में फिर से अपने खेतों की जुताई के लिए तैयार नहीं है,

         और जब कटाई का समय आता है, तो वह देखता है, उसके खेत में कुछ भी नहीं बढ़ रहा है।

     5 किसी व्यक्ति के जीवन के भीतरी उद्देश्य गहरे कुएँ में पानी के समान हैं,

         लेकिन समझदार व्यक्ति उन्हें बाहर निकालने में सक्षम है।

     6 बहुत से लोग यह घोषणा करते हैं कि वे जो भी वादा करते हैं, उसे करने के लिए उन पर भरोसा किया जा सकता है,

         लेकिन किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ना बहुत कठिन है जिस पर वास्तव में भरोसा किया जा सकता है।

     7 वह व्यक्ति जो हमेशा धर्म के काम करता है-

         उसका अनुसरण करने वाले उसके बच्चे कितने धन्य होंगे।

     8 एक राजा जो न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के लिए अपने सिंहासन पर बैठता है

         वह अपने सामने सभी प्रकार की बुराइयों के बीच केवल उन्हें देखकर ही अंतर कर सकता है।

     9 कोई भी सही नहीं कह सकता है, "मैंने अपना दिल शुद्ध रखा है, और मैं अपने पापों से मुक्त हूँ।"

     10 घटते बढ़ते बटखरे, अनुचित निशान, और असमान माप, जो बेचने वाले व्यक्ति को लाभ देते हैं,

         उन दोनों से यहोवा घृणा करते हैं।

     11 इसके अलावा, यहाँ तक कि एक युवा भी अपने कामों से पहचाना जाता है,

         यह स्पष्ट है कि वह जो करता है वह शुद्ध और सम्मानजनक है या नहीं।

     12 कान जो सुनते हैं और आँखें जो देखती हैं-

         यहोवा ने उन दोनों को बनाया है।

     13 यदि तू हर समय सोना पसंद करता है, तो तू गरीब हो जाएगा;

         जागते रह जब तू काम पर होता है और तेरे पास खाने के लिए बहुत कुछ होगा।

     14 "यह अच्छा नहीं है," खरीदार कहता है कि जब वह कीमत के विषय में तुम्हारे साथ मोलभाव कर रहा है।

         लेकिन इसे खरीद लेने के बाद, वह जाता है और अपने दोस्तों से बड़ाई करता है कि उसने इसे कितनी अच्छी कीमत पर खरीदा है।

     15 सोना और कई महंगे गहनों के मूल्यों पर विचार करो,

         लेकिन ज्ञान रखने वाले के वचन बहुमूल्य गहनों के समान हैं।

     16 उस व्यक्ति का महंगा कुर्ता ले लो जो एक अजनबी के ऋण का आश्वासन देता है, जिससे कि यदि ऋण का भुगतान नहीं किया जाता है तो इसे बेचा जा सकता है।

         और यदि वह एक अनैतिक स्त्री के लिए प्रतिज्ञा करता है, तो उसके कुर्ते को उसके द्वारा लिए गए ऋण के आश्वासन के रूप में रख लो।

     17 झूठ बोलकर प्राप्त रोटी, स्वाद में मीठी लग सकती है,

         लेकिन बाद में उसका मुँह उसके झूठ के कारण ऐसा लगेगा जैसे कि वह कंकड़ से भरा हुआ था।

     18 अच्छे सलाहकारों के परामर्श से अच्छी योजनाएँ बनाई जाती हैं,

         और केवल बुद्धिमान सलाहकारों की सलाह लेकर ही किसी को युद्ध में जाना चाहिए।

     19 एक बकवाद रहस्य बताती है,

         इसलिए उन लोगों से दूर रहें जो बहुत अधिक बातें करते हैं।

     20 यदि कोई व्यक्ति अपने पिता या अपनी माँ को शाप देता है,

         उसका जीवन एक बुझे हुए दिये के समान बाहर रखा जाएगा।

     21 एक विरासत जो किसी व्यक्ति के पास जल्दी आती है, आरम्भ में कुछ अच्छा कर सकती है,

         लेकिन बाद में यह प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिए कम अच्छा करेगी।

     22 मत कह, "मेरे साथ तूने जो गलत किया है, उसके लिए मैं तुझे बदला दूंगा।"

         यहोवा की प्रतीक्षा कर वह इस मामले का ख्याल रखेंगे।

     23 यहोवा उन लोगों से घृणा करता है जो बेईमान पैमाने का इस्तेमाल करते हैं

         और ऐसे बटखरों का जो सटीक नहीं हैं।

     24 वह यहोवा ही है जो उस मार्ग को निर्देशित करता है जिस पर कोई व्यक्ति जाएगा।

         तो फिर, कोई कैसे समझ सकता है कि वह कहाँ जा रहा है?

     25 यह घोषणा करना खतरनाक है कि कोई चीज यहोवा के लिए पवित्र है,

         और शपथ लेने के बाद पवित्रता के अर्थ के बारे में सोचना बुरा होता है।

     26 जो राजा बुद्धिमान है, वह दुष्टों को अपने लोगों के बीच से अलग करेगा;

         फिर वह उन दुष्ट लोगों को गंभीर रूप से दंडित करेगा।

     27 मनुष्य के भीतर जीवन देने वाला आत्मा हमारे भीतर यहोवा की ओर से चमकने वाला प्रकाश है,

         यह हमारी भीतरी गहराई में चमकता है और दिखाता है कि हमारी अंदरूनी गहराई में क्या छिपा हुआ है।

     28 प्रेम और विश्वासयोग्यता राजा के जीवन को संरक्षित करती है;

         उसका सिंहासन दृढ़ प्रेम द्वारा मजबूत बनाया गया है।

     29 युवा लोगों का सम्मान इसमें देखा जाता है कि वे कितने मजबूत हैं,

         लेकिन वृद्ध लोगों का वैभव उनके पके बाल है।

     30 जब हमें पीटा जाता है, तो उससे मिले घाव का परिणाम शायद बुराई को दूर करे,

         और पिटाई हमारे स्वयं के भीतरी अस्तित्व को स्वच्छ बनाती है।

Chapter 21

     1 राजा के उद्देश्य यहोवा द्वारा पानी की धारा के समान निर्देशित होते हैं;

         जैसे वह पानी के प्रवाह को निर्देशित करते हैं, वैसे ही जिस किसी मार्ग पर वह चाहते हैं वह राजा के मन को मोड़ देते हैं।

     2 जब कोई व्यक्ति अपने जीवन को देखता है, तो जो कुछ भी वह करता है वह उसको सही प्रतीत होता है,

         लेकिन यह मायने रखता है कि जो वह करता है उसके बारे में यहोवा क्या सोचते हैं।

     3 धर्म और न्याय के काम यहोवा के लिए अधिक स्वीकार्य हैं

         बजाय इसके कि उसके लिए बलिदान चढ़ाना।

     4 जब तू लोगों को दिखाता है कि तू उनसे बहतर है,

         और साथ ही तेरे अन्दर घमंड है - यह प्रकाश के समान चमकता है और दूसरों को बताता है कि तू एक दुष्ट व्यक्ति है-

         वे पाप के उदाहरण हैं।

     5 जो कठिन परिश्रम करते हैं और जो अपनी योजनाओं को लागु करते हैं वे सफल होंगे,

         लेकिन जो बहुत जल्दबाजी में और कम योजनाबद्ध रूप से कार्रवाई करता है, स्वयं को गरीब बनाता है।

     6 जब कोई झूठ बोलने के कारण अमीर हो जाता है,

         धुंध के समान उसका वह धन अदृश्य हो जाता है; वह धन उसे मार डालेगा।

     7 जब दुष्ट लोग हिंसा के कार्य करते हैं, तो वे अपनी ही हिंसा से नष्ट हो जाते हैं,

         क्योंकि वे उचित काम करने से मना करते हैं।

     8 दोषी व्यक्ति झूठ से ढँके रास्ते पर जाता है,

         लेकिन निर्दोष उचित काम करने का चुनाव करता है।

     9 घर की छत के कोने में अकेले रहना उत्तम है

         बजाय इसके कि एक घर के अंदर एक ऐसी पत्नी के साथ रहना जो हमेशा आपके साथ बहस करना चाहती है।

     10 दुष्ट मनुष्य किसी भी चीज़ से बढ़ कर बुराई को चाहता है;

         और जब वह अपने पड़ोसी को देखता है,

         तो दुष्ट व्यक्ति की आँखें प्रकट करती हैं

         कि वह अपने पड़ोसी के प्रति दयालु नहीं होने वाला है।

     11 जब कोई ऐसा व्यक्ति दंडित किया जाता है जो इस प्रकार का व्यवहार करता है कि वह अन्य लोगों की तुलना में उत्तम है,

         तो जो साधारण है – जो सही और गलत के बारे में नहीं जानता – उसे महत्वपूर्ण सबक सिखाया जाता है,

         और यदि तू बुद्धिमान व्यक्ति को सिखाता है, तो वह और भी अधिक सीख सकते हैं।

     12 जो धर्म के काम करता है वह उस घर को देखता है जहाँ दुष्ट लोग रहते हैं,

         और वह उनकी दुष्टता का सामना करता है और उन्हें न्याय के अंतर्गत लाता है।

     13 जब गरीब सहायता के लिए रोए, तो एक व्यक्ति था जिसने उनका रोना सुनने से मना कर दिया,

         लेकिन जब वह रोया, क्योंकि उसने अपने कानों को उनके रोते समय ढँक लिया था, किसी ने भी उसका रोना नहीं सुना।

     14 किसी ऐसे व्यक्ति को उपहार दे जो तुझ से गुस्सा है, और यह उसका क्रोध दूर कर सकता है;

         एक गुप्त उपहार उस व्यक्ति को शांत करने में सहायता कर सकता है जो तुझ से गुस्सा है।

     15 जब न्याय होता है, भले कामों से प्रेम करने वाले लोग खुश होते हैं,

         लेकिन जब न्याय होता है, तो यह उन लोगों को बहुत डराता है जो बुरे काम करते हैं।

     16 एक व्यक्ति जो सही और गलत नहीं समझता है, वह निर्णय लेने का प्रयास करते समय खो जाएगा,

         जब वह मर जाएगा केवल तब ही उसे विश्राम मिलेगा।

     17 भोग विलास से प्रेम करना तुझे गरीब बना देगा;

         तू मदिरा पीकर और महंगा भोजन खाकर धनवान नहीं हो सकता।

     18 जो व्यक्ति धर्म के काम करता है उसे दुष्ट व्यक्ति से अधिक सम्मानित किया जाता है,

         और एक भला पुरुष उस व्यक्ति से अधिक मूल्यवान होता है जो कभी भी अपना वादा पूरा नहीं करता है।

     19 रेगिस्तान में अकेले रहना उत्तम है

         बजाय इसके कि एक ऐसी पत्नी के साथ रहना जो हमेशा झगड़ा करती है और कभी शिकायत करना बंद नहीं करती है।

     20 बुद्धिमानों के पास बहुत ही मूल्यवान खजाने होते हैं और वे बहुत अच्छी तरह जीवन जीते हैं,

         लेकिन मूर्ख लोग अपने पास का सब कुछ नष्ट कर देते हैं।

     21 एक व्यक्ति जो धर्म के काम करता है और दयालु है,

         वह एक अच्छा जीवन जीता है, बुद्धिमानी भरे निर्णय लेता है, और दूसरों से सम्मान प्राप्त करता है।

     22 जब एक बुद्धिमान अगुवा शक्तिशाली योद्धाओं के एक शहर के विरुद्ध चला जाता है,

         वह जानता है कि शहर की सुरक्षा को कैसे तोड़ना है और वह इसे जीत लेता है।

     23 सावधान रहे, अगर तू अपने मुँह और जीभ से निकलने वाले शब्दों पर ध्यान देने के लिए कवच रख सकता है,

         तो तू बहुत सारी परेशानियों से दूर रहेगा।

     24 ठठ्ठा करने वाला सोचता है कि वह अन्य लोगों की तुलना में उत्तम है,

         और उसके कार्य उसके घमंड और उसके अहंकार से आते हैं।

     25 आलसी व्यक्ति जिन कामों को करने का चुनाव करता है वह उसे मार डालेंगे;

         वह काम करने से मना कर देता है।

     26 पूरे दिन वह चीजों की इच्छा रखता है – वह और चीजों की इच्छा नहीं कर सकता –

         लेकिन जो धर्म के काम करता है वह दूसरों को उपहार देता है, और वह किसी भी अच्छी चीज को पकड़ कर नहीं रखता है।

     27 जब दुष्ट व्यक्ति यहोवा को भेंट देने का निर्णय करता है, तो यहोवा इससे घृणा करता है,

         और यहोवा इससे और भी अधिक घृणा करता है, जब दुष्ट व्यक्ति कुछ पाने के लिए यहोवा की उपासना करने आता है।

     28 जो व्यक्ति अन्य लोगों के विषय झूठ बोलते हैं, वे मर जाएँगे,

         लेकिन वह जो सुनने के लिए समय लेता है – जब वह कुछ कहता है, तो लोग इसे याद रखेंगे।

     29 दुष्ट मनुष्य ऐसे व्यवहार करता है जैसे कि वह मजबूत था,

         लेकिन एक ईमानदार व्यक्ति के पास किए जाने वाले काम के विषय एक सोच है और वह इसके विषय में निश्चित है।

     30 क्या कोई बुद्धि, कोई समझ, या कोई सलाह यहोवा से अधिक बुद्धिमान है?

     31 सह्सवार युद्ध के दिन घोड़े को तैयार करता है,

         लेकिन युद्ध का परिणाम, विजेता या हारने वाला, यहोवा द्वारा निर्धारित किया जाता है।

Chapter 22

     1 मनुष्य होने के नाते जो अपना वचन पूरा करता है वह बहुत धनी होने से अधिक महत्वपूर्ण है,

         और मनुष्य होने के नाते जिसका हर कोई यदि धर्म के काम करने के लिए सम्मान करता है, वह चाँदी और सोने की तुलना में उत्तम है।

     2 जो अमीर हैं और जो गरीब हैं उनमें कम से कम एक बात आम हैं-

         दोनों को यहोवा ने बनाया है।

     3 जिसके पास अच्छी समझ है वह आने वाली परेशानी को देखकर स्वयं को ढँक लेता है,

         लेकिन जिसके पास कोई अनुभव या ज्ञान नहीं है, वह खतरे की ओर बढ़ जाता है।

     4 जब कोई व्यक्ति विनम्र होता है और यहोवा को वह सम्मान देता है जिसके वह योग्य है,

         धन, और सम्मान, और जीवन – ये उसके पुरस्कार हैं।

     5 जहाँ टेढ़े मनुष्य चलते हैं, उनका रास्ता काँटों से ढँकी सड़क के समान है, और उसमें हर कदम पर जाल हैं।

         जब तू बुराई से अपने जीवन की रक्षा करता है, तो तू इन सभी खतरों से दूर रहेगा।

     6 एक बच्चे को जीवन जीने का रास्ता और जिस दिशा में उसे जाना है दिखाया जाना चाहिए,

         और जब वह बुढ़ापे तक पहुँचता है, वह उसी रास्ते पर रहेगा।

     7 यह सत्य है कि गरीबों के ऊपर अक्सर अमीर लोग प्रभुता करते हैं,

         और जो धन उधार लेता है वह लगभग उस मनुष्य के दास के समान होता है जो उसे पैसे देता है।

     8 यदि तू दुष्टता के बीज लगाता है, तो तू परेशानी की फसल की आशा कर सकता है,

         और जब तू अपने बच्चे को अनुशासित करने के लिए डंडे का उपयोग करता है,

         लेकिन तू इसका उपयोग तब करता है, जब तू क्रोधित होता है, तो इससे कुछ भला नहीं होगा।

     9 जो व्यक्ति लोगों की सहायता करने की सोचता है, उसे यहोवा कई अच्छे उपहार देंगे,

         क्योंकि उसने गरीबों के साथ अपना भोजन साझा करना महत्वपूर्ण माना है।

     10 यदि तू उपहास करने वाले व्यक्ति को बाहर फेंक देता है, तो उसके साथ सभी प्रकार के झगड़े भी बाहर चले जाएँगे।

         जब वह जा चुका है तो कोई भी किसी से झगड़ा नहीं करेगा या किसी का अपमान नहीं करेगा।

     11 जब कोई व्यक्ति न्यायसंगत कार्य करने से प्रेम करता है क्योंकि वह भला और धर्म का काम करना चाहता है-

         वह ईमानदार है, और उसकी बातें दया से भरी हैं

         राजा उसका मित्र होगा।

     12 यहोवा ज्ञान को सुरक्षित रखने के लिए इसे सुरक्षा प्रदान करता है,

         बिलकुल वैसे ही जैसे निश्चित रूप से वह धोखेबाज के झूठे वादों को विफल करता है।

     13 आलसी व्यक्ति कहता है, "सड़क पर एक शेर है! अगर मैं बाहर जाऊँगा, तो मैं मारा जाऊंगा!"

     14 व्यभिचारियों द्वारा बोले जाने वाले शब्द तुझे आकर्षित करेंगे, और यह ऐसा होगा जैसे तू गहरे और खतरनाक गड्ढे में गिर गया है।

         जो लोग उस गड्ढे में गिरते हैं वे परेशानी में होंगे,

         लेकिन इससे भी बुरा, जो कुछ भी उन्होंने किया है, उसके लिए वे यहोवा के क्रोध का अनुभव करेंगे।

     15 मुर्खता और मूढ़ता के काम बच्चे के भीतर बँधे हुए हैं,

         और वे मूर्खता में बाहर आते हैं;

         लेकिन बच्चे को अनुशासनपूर्वक सुधारने से मूर्खता दूर हो जाती है।

     16 वह जो गरीबों का लाभ उठाकर,

         या अमीरों को अधिक पैसा देकर अपना पैसा कमाता है,

         यहोवा उसे गरीबी में ले जाएंगे।

     17 अब सुन जो बुद्धिमानों ने कहा है;

         अपना पूरा ध्यान इस पर लगा और उस ज्ञान को सीख जिसकी तुझे आवश्यकता होगी यदि तुझको बुद्धिमान बनना है।

     18 तेरे लिए यह अच्छा होगा कि तू उनको अपने जीवन जीने के मार्गदर्शक सिद्धांत बना,

         और उन सभी को दूसरों पर दोहराने में सक्षम बनें।

     19 तेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तू यहोवा पर भरोसा कर,

         और इसलिए मैं तुझे यह सिखा रहा हूँ, हाँ, तुझे ही।

     20 मैंने तेरे सीखने के लिए इन तीस नीतिवचनों को लिखा है;

         ऐसे नीतिवचन जो तुझे सलाह देने के लिए हैं और तुझको उन बातों को सिखाने के लिए हैं जिनको तू नहीं जानता।

     21 यह शिक्षा तुझे दिखाती है कि सच क्या है और वे तुझे विश्वासयोग्यता की शिक्षा देती हैं,

         जिससे कि तू उन लोगों को विश्वसनीय और सही उत्तर दे सके जिन्होंने तुझे भेजा है।

     22 गरीब व्यक्ति को कोई भी लूट सकता है। ऐसा मत करो।

         और उनको चोट न दो जो शहर के फाटक पर भीख माँग रहे हैं,

     23 क्योंकि यहोवा उनका बचाव करते हैं,

         और वह उन लोगों का जीवन ले लेगा जिन्होंने गरीबों का सामान चुरा लिया है।

     24 किसी ऐसे व्यक्ति के मित्र न बनों जिसके जीवन को उसके क्रोध से नियंत्रित किया जाता है,

         और किसी ऐसे व्यक्ति के साथी न बनो जो अपने भयानक क्रोध में उत्पात करता हो,

     25 या तू उसके जैसे बनना सीखेगा,

         और तेरा गुस्सा एक जाल के समान बन जाएगा, एक ऐसा जाल जो तेरे जीवन का नियंत्रण करेगा।

     26 सावधान रह कि तू हाथों को न हिलाए और दूसरों के कर्ज के लिए भुगतान करने का वादा न कर,

         और प्रतिज्ञा या हस्ताक्षर न कर जिससे कि कोई अन्य व्यक्ति कर्ज ले सके।

     27 क्योंकि यदि तू इसे वापस भुगतान नहीं कर पाएगा,

         वे निश्चित रूप से आएँगे और तेरा सब-कुछ छीन कर ले जाएँगे, यहाँ तक कि तेरा बिस्तर भी जिस पर तू सोता है।

     28 सीमा पर लगे प्राचीन पत्थर दिखाते हैं कि संपत्ति का सीमाना कहाँ हैं। उन्हें हटाना नहीं या उन्हें स्थानांतरित नहीं करना। तेरे पूर्वजों ने उन्हें वहाँ रखा था। उन्हें वैसा ही छोड़ दे।

     29 जो व्यापार सीखता है और उसमें कुशल बनता है वह राजाओं का सेवक बन जाएगा।

         उसकी उपलब्धियों के कारण वह केवल साधारण लोगों की सेवा नहीं करेगा।

Chapter 23

     1 जब तू किसी देश के शासक के साथ भोजन के लिए बैठता है,

         सावधानी से सोच कि तेरे सामने क्या है।

     2 ऐसा कहा जाता है, कि यदि तू बहुत सारा भोजन खाने के बारे में सोचता है, तो "अपने गले में चाकू रख ले"

         क्योंकि इस तरह के महत्वपूर्ण अवसर पर बहुत अधिक खाना मूर्खता का काम होगा।

     3 शासक द्वारा आनंद लिए जाने वाले विशेष और महंगे भोजन की लालसा न करे;

         भोजन तुझे धोखा देगा।

     4 इतना काम न कर कि तू हमेशा थका रहे, जिससे कि तू अमीर बन सके;

         बुद्धिमान बन और जान कि तुझे कब रुकना चाहिए और विश्राम करना चाहिए।

     5 जैसे ही तू पैसों की ओर देखेगा, वह गायब हो जाएगा;

         यह ऐसा होगा जैसे मानो इसके अचानक पंख लग गए है,

         और ऊपर आकाश में उकाब के समान उड़ गए।

     6 दुष्ट मनुष्य के साथ मत भोजन कर – वह तेरे भोजन पर लंबे समय तक नजर रखेगा -

         उसके अच्छे भोजन की इच्छा न कर,

     7 क्योंकि वह इस के विषय में सोचेगा कि तेरे भोजन उसे कितने मूल्य का पड़ा,

         और वह तुझे कहेगा, "खा और पीय,"

         लेकिन वास्तव में वह यह नही सोच रहा होगा।

     8 जब तू जान जाता है कि वह वास्तव में क्या सोच रहा है, तो तू जो भी खा चुका है उसे उल्टी करना चाहेगा;

         और तुने बनाए गए अच्छे भोजन के विषय में की गई सभी प्रशंसाओं को बर्बाद कर दिया होगा।

     9 एक मूर्ख से बात करने में समय नष्ट न कर;

         वह उन बुद्धि की बातों को तू कहता है; तुच्छ जानेगा।

     10 फिर से, सीमाओं के प्राचीन पत्थर मत हटाओ। यह संपत्ति के सीमांतों के लिए एक चिन्ह है;

         और उस भूमि पर दावा न करो जो अनाथों के काम करने के लिए अलग की गई है,

     11 क्योंकि जो उन्हें छुड़ाता है वह मजबूत है,

         और वह तुम्हारे विरुद्ध उनके मामले की वकालत करेगा।

     12 जो तू सीख रहा है उस पर ध्यान दे,

         और ज्ञान के शब्दों को सुन।

     13 अपने बच्चों को अनुशासित करने से मना न कर;

         यदि तू उन्हें दंडित करता है, तो वे मर नहीं जाएँगे,

     14 और यदि तू उन्हें अनुशासन की छड़ी से मारता है,

         तो तू उनके जीवन को मृत्यु से बचा सकता है।

     15 हे मेरे पुत्र, यदि तुने अपने अन्दर गहरा ज्ञान ले लिया है,

         तो मैं बहुत खुश होऊँगा,

     16 और मैं ईमानदारी से खुश होऊँगा

         जब तू उचित बातें कहता है।

     17 पापी लोगों से ईर्ष्या न कर;

         परन्तु पूरे दिन यहोवा को वह सम्मान दे जिसके वे योग्य हैं।

     18 यदि तू उनका सम्मान करता है, तो भविष्य में तेरे पास जीवन होगा,

         और यहोवा निश्चित रूप से तेरे लिए वह करेंगे जो तू आत्मविश्वास से उनसे करने की आशा कर रहा है।

     19 हे मेरे पुत्र, मेरी बात सुन जिससे कि तू बुद्धिमान हो जाए,

         और जिस प्रकार से तू अपना जीवन जीता है उसके बारे में सोच।

     20 उन लोगों के साथ न रहना जो शराब पीकर नशे में धुत हो जाते हैं,

         या उन लोगों का साथ न रखना जो बहुत अधिक खाना खाते हैं,

     21 क्योंकि शराबी और खाऊ गरीब बन जाएँगे;

         और वे इतना सोएँगे कि उनके पास पहनने के लिए चिथड़ों के अलावा कुछ भी नहीं होगा।

     22 अपने पिता की ओर ध्यान दे जिसके कारण तू संसार में आया,

         और अपनी माँ से घृणा न कर जब वह बूढ़ी हो जाए।

     23 जब तू ज्ञान का अध्ययन करता है, तो उसे सत्य को खरीदने जैसा मान, लेकिन इसे कभी भी बेचना नहीं;

         और इसी प्रकार से ज्ञान के लि, और अनुशासन के साथ, और समझ के साथ भी;

         ऐसा होने दे जैसे कि तू उन्हें इसलिए खरीद रहा था जिससे कि तू उन्हें अपने बाकी जीवन के लिए रख सके।

     24 सही कार्य करने वाले बच्चे का पिता बहुत खुश होगा;

         कोई भी व्यक्ति जिसके पास बुद्धिमान पुत्र है, उसके कारण बहुत खुश होगा।

     25 तेरे पिता और माता को तुझ पर गर्व हो,

         और तेरी माँ को आनन्दित होने दे।

     26 हे मेरे पुत्र, जो कुछ मैं कहता हूँ उसे ले ले और अपने मन के अन्दर रख,

         और जिस प्रकार से मैं जीता हूँ उस पर ध्यान दे।

     27 वेश्या बहुत गहरे गड्ढे के समान है, जिसमें गिरना आसान है, लेकिन बाहर निकलना मुश्किल है;

         किसी और व्यक्ति की पत्नी संकीर्ण गड्ढा है; एक गहरे लेकिन एक अलग प्रकार के गड्ढे के समान खतरनाक।

     28 वह अनैतिक स्त्री तुम्हारी प्रतीक्षा ऐसे कर रही है, जैसे एक डाकू अपने शिकार के लिए प्रतीक्षा करता है;

         और वे उनसे प्रेम करने वाले कई पुरुषों को झूठा और गद्दार बना देती हैं।

     29 ये कौन हैं जो परेशानी में हैं? जो दुःखी हैं? जो संघर्ष और लड़ाइयों में हैं?

         जो झगड़े में हैं? जो बिना किसी कारण घायल हुए हैं?

         जिनकी आँखें हमेशा लाल हैं क्योंकि उन्होंने बहुत अधिक पी ली है या बहुत अधिक खा लिया है?

     30 ये वही हैं जो बहुत अधिक शराब पीते हैं

         और जो मसाला मिली हुई शराब पीते हैं।

     31 लाल शराब की ओर खुशी से न देख जब यह प्याले में चमकती है,

         और यह गले से नीचे सरलता से चली जाती है।

     32 लेकिन, अंत में, यह तुम्हें एक जहरीले साँप के समान काटती है।

     33 यह तुझे अजीब चीजे दिखाएगी,

         और तू अपने अन्दर की भ्रष्ट बातों को कहता है, जब तू नशे में होता है।

     34 तू सोचेगा कि तू एक ऐसे जहाज पर है जो समुद्र में हिचकोले खा रहा है;

         तू किसी ऐसे व्यक्ति के समान होगा जो नाव के सामान पर सोने का प्रयास कर रहा है।

     35 तू कहेगा, "मुझे लगता है कि किसी ने मुझे मारा, लेकिन उसने मुझे चोट नहीं पहुँचाई;

         उन्होंने मुझे मारा, लेकिन मुझे यह अनुभव नहीं हुआ।

     मैं कब उठूँगा

         जिससे कि मैं थोड़ी और शराब पी सकूँ?"

Chapter 24

     1 उन चीजों की चाह मत करना जो बुरे लोगों के पास है;

         उनकी दोस्ती की इच्छा मत करना,

     2 क्योंकि वे हिंसा की योजना बना रहे हैं;

         वे परेशानी पैदा करने के बारे में बातें करते हैं।

     3 घर बनाने के लिए बुद्धि चाहिए,

         और समझ के द्वारा बनाने वाला अपनी कारीगरी का काम करता है, और एक घर उसकी मजबूत नींव पर बनाया जाता है।

     4 घर के कमरों को सुंदर और महंगी सजावट के सभी सामान से भरने के लिए

         ज्ञान चाहिए।

     5 एक व्यक्ति जिसके पास ज्ञान है उसके पास सामर्थ है,

         और मजबूत व्यक्ति की तुलना में ज्ञान रखने वाला व्यक्ति शक्तिशाली है,

     6 क्योंकि बुद्धि के मार्गदर्शन से तू एक युद्ध में सफल और विजयी हो सकता है,

         और कई सलाहकारों की सलाह से जीत प्राप्त होगी।

     7 बुद्धि ऐसी चीज है जिसे मूर्ख समझ नहीं सकता;

         फाटक पर जहाँ बुजुर्ग इकट्ठे होते हैं, मूर्ख के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है।

     8 एक ऐसा व्यक्ति है जो बुरा करता है और योजनाएँ बनाता है - उसे योजनाओं का स्वामी कहा जाता है।

     9 एक मूर्ख की योजना केवल मूर्खता नहीं है, यह पाप है;

         जब लोग सच्चाई बताते हैं, तो वे उन लोगों से घृणा करते हैं जो अभिमानी हैं और हर किसी का मज़ाक उड़ाते हैं।

     10 जब परेशानी आती है, तू डरपोक के समान डर जाता है,

         तो तेरा बल कम है।

     11 उनको बचाओ जिन्हें वध के लिए ले जाया जा रहा है;

         वे लड़खड़ाकर गिर पड़ते हैं - उनको उससे छुड़ा लो जो उन्हें मार देगा।

     12 यदि तू कहता है, "मुझे नहीं पता था कि उन लोगों को किसी भी सहायता की आवश्यकता है," तो इसके बारे में सोच:

         परमेश्वर जानते हैं कि हम सबकुछ क्यों करते हैं, इसलिए वह यह भी जानते हैं कि तुने क्यों कहा कि उन लोगों को किसी सहायता की आवश्यकता नहीं है।

         इस जीवन में जो कुछ भी तू करता है, परमेश्वर उसे देखते हैं, इसलिए वह निश्चित रूप से समझते हैं कि तुने उन लोगों के विषय में ऐसा क्यों कहा था।

         वह निश्चित रूप से तुझे वापस भुगतान करेंगे – और हर एक को भी, उनके द्वारा किए गए हानि के लिए।

     13 हे मेरे पुत्र, शहद खा, क्योंकि यह अच्छा स्वाद देता है;

         शहद का छत्ता मीठा है।

     14 बुद्धि शहद के छत्ते के समान है, यदि तू इसे पा सकता है तो यह तेरे जीवन को भोजन देती है।

         यदि तू इसे पा सकता है, तो तेरे पास भविष्य होगा,

         और तू आशा के साथ भविष्य में आ जाएगा जो कम नही किया जाएगा।

     15 दुष्ट लोगों के समान मत बन जो छिप कर बैठते हैं और उचित काम करने वालों के घर पर हमला करने की प्रतीक्षा करते हैं।

         उस स्थान पर हिंसक हमला न करना जहाँ अच्छा व्यक्ति रहता है!

     16 भले ही अच्छे लोग सात बार गिर जाएँ,

         उनको हमेशा सहारा मिलता है,

     लेकिन जब दुष्टों पर आपदा आती है,

         वे इसके द्वारा नष्ट हो जाते हैं।

     17 जब तेरा शत्रु गिरता है, तो आनन्दित मत हो,

         और जब वह ठोकर खाए, तो खुश मत हो,

     18 क्योंकि यहोवा देखेंगे कि तू अपने शत्रु से कैसे व्यवहार करता है, और यदि वह इसे अस्वीकार करते हैं कि तू उसके साथ कैसे व्यवहार करता है,

     तो यहोवा अपने क्रोध को तेरे शत्रु से हटा कर तेरे ऊपर डाल सकते हैं।

     19 उन लोगों के बारे में चिंता न कर जो बुराई करते हैं,

         और उनसे ईर्ष्या न कर,

     20 क्योंकि दुष्टों का कोई भविष्य नहीं है;

         वे एक दीपक के समान हैं जिसका प्रकाश जल्द ही बुझा दिया जाएगा।

     21 हे मेरे पुत्र, यहोवा को और राजा को वह सम्मान दे, जिसका उनमें से प्रत्येक हकदार है,

         और किसी ऐसे व्यक्ति का साथ मत दे जो यहोवा या राजा के विरूद्ध विद्रोह करता है;

     22 क्योंकि उन विद्रोहियों पर अचानक आपदाएँ आ जाएँगी,

         और कोई नहीं जानता कि वे आपदाएँ कितनी भयानक होगी जो यहोवा और राजा दोनों की ओर से आएँगी। 23 यहाँ और अधिक बातें हैं जो बुद्धिमान लोगों ने कही हैं:

     न्यायाधीशों का अनुचित तरीके से निर्णय लेना गलत है।

     24 यदि वे दोषी लोगों से कहते हैं, "तुम निर्दोष हो,"

         वे विदेशी लोगों द्वारा शापित होंगे, और राष्ट्रों से घृणा करेंगे।

     25 लेकिन यदि न्यायाधीश कहते हैं कि दोषी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए,

         तो सब बातें उन न्यायाधीशों के लिए अच्छी होंगी, और वे भलाई के उपहार प्राप्त करेंगे।

     26 ईमानदारी से जवाब देना – यह वह सबसे अच्छा काम है जो व्यक्ति कर सकता है।

     27 सबसे पहले, जिस काम को बाहर करने की आवश्यकता है, उसे कर;

         और अपने खेतों को तैयार कर;

         और उसके बाद, अपना घर बना।

     28 यदि पड़ोसी के विरुद्ध गवाही देने का कोई कारण नहीं है तो गवाही मत दे,

         और जो तू जानता है, उसे बता कर लोगों को धोखा ना दे।

     29 मत कह, "मैं उसके साथ वही करूँगा जो उसने मेरे साथ किया था;

         मैं उसे वापस भुगतान करूँगा जो उसने मेरे साथ किया था।"

     30 मैं एक आलसी व्यक्ति के खेत के पास,

         और एक ऐसे व्यक्ति की दाख की बारी के आगे से निकला जो निर्बुद्धि था।

     31 वहाँ काँटे बढ़े हुए थे और पत्थर की दीवार गिर गई थी।

     32 जब मैंने यह देखा, मैंने इसके बारे में सोचा, और मैंने यह सीखा:

     33 थोड़ी नींद, थोड़ी झपकी, विश्राम करने के लिए हाथों को थोड़ा सा बाँधना - और जब तुम विश्राम करते हो,

     34 गरीबी तुम्हारे पास चोर के समान आएगी जो तुम्हारा सामान चुराता है,

         और गरीबी एक सशस्त्र सैनिक के समान आएगी जो तुम पर हमला करता है।

Chapter 25

1 यहाँ सुलैमान की बुद्धि के वचनों से अतिरिक्त अन्य नीतिवचन हैं जो यहूदा के राजा हिजकिय्याह के लोगों ने लिखे थे।

     2 परमेश्वर स्वयं को सम्मानित करते हैं जब वह कुछ छिपाते हैं ताकि लोग उसे ना जान सकें।

         लेकिन यह राजाओं के सम्मान के लिए है कि उन बातों को जानने की खोज करें जिन्हें परमेश्वर ने छिपाया है।

     3 राजा जो सोचते हैं वह किसानों के विचार के मुकाबले ऊँचा है; वे आकाश के समान हैं, वे हम सब के ऊपर हैं;

         और सभी राजाओं के पास एक समान ही गहरे बोझ हैं जो दूसरे समझ नहीं सकते।

     4 चाँदी धातु के कारीगर द्वारा तब तक उपयोग नहीं किया जा सकता है,

         जब तक कि चाँदी गर्म न हो और मैल को उससे हटाया नहीं जाए;

     5 जिस प्रकार मैल हटा दिया जाता है, उसी प्रकार से, यदि राजाओं के दरबार से दुष्ट पुरुषों को हटा दिया जाता है,

         तो उसका सिंहासन अधिक सुरक्षित होगा, और वह धर्म के काम करने में सक्षम होगा।

     6 जब तुम राजा के सामने खड़े होते हो, तो अपने ऊपर ध्यान न आकर्षित मत करना

         और उस स्थान पर खड़े न होना जो उन लोगों के लिए अलग किया गया है जिनका राजा सम्मान कर रहा है।

     7 यह उत्तम है कि कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति तुझे यह कह कर आमंत्रित करता है, "ऊपर आ और राजा के करीब बैठ,"

         बजाय इसके कि तुझे एक महत्वपूर्ण कुलीन व्यक्ति के सामने उठा कर लज्जित करे जिससे कि तूझे राजा से दूर बैठना पड़े।

     जब तू ऐसा कुछ देखता है जो तुझे चिंतित करता है,

     8 तो तुझे इस मामले को जल्दी से परीक्षण में नहीं लाना चाहिए,

         जब तक कि तू इसके बारे में पूरी तरह से निश्चित ना हो।

         क्योंकि तुने जो देखा उसके बारे में तेरे पड़ोसी के पास एक अच्छा स्पष्टीकरण हो सकता है।

     9 यदि तू और तेरे पड़ोसी में असहमति है,

         तो इसे आपस में सुलझा ले, और जो तुने उसके बारे में जाना है उसका कोई रहस्य दूसरो को न बताना;

     10 क्योंकि दूसरे जान सकते हैं कि तुने क्या किया है,

         और तू लज्जित हो;

         और तब से, तेरी बदनामी होगी।

     11 जो तू कहना चाहता है उसे कहने के लिए सही शब्दों और वाक्यांश का प्रयोग ठीक से कर;

         यह चाँदी के कटोरे में सोने की बनावट देखने के समान आनंददायक है।

     12 जब बुद्धिमान व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को डाँटता है जो उसे सुनने का इच्छुक है,

         तो यह सोने की अंगूठी या बेहतरीन सोने से बने गहने के समान अमूल्य है।

     13 एक संदेशवाहक जो भरोसेमंद और समय का पाबंद है, वह उन लोगों को प्रसन्नता देता है जिन्होंने उसे भेजा है,

         उनके लिए वह कटाई के समय बर्फ की ठंड के समान है, जो भूमि को ताज़ा करती है।

     14 जब कोई उस उपहार के बारे में डींग मारता है जो वह देने वाला है, लेकिन कभी नहीं देता है,

         वह उन बादलों और हवा के समान है जो बारिश नहीं लाते हैं।

     15 धीरज धर कर भी एक शासक का दिमाग बदला जा सकता है,

         जिस प्रकार से नीतिवचन कहता है, 'एक नरम जीभ एक हड्डी को तोड़ सकती है।'

     16 यदि तुझे कुछ शहद मिलता है, तो थोड़ा सा खा,

         क्योंकि यदि तू बहुत अधिक खाता है, तो तू उल्टी कर सकता है।

     17 अपने पड़ोसी के घर पर निरंतर मत जा;

         वह तुझ से थक सकता है, और यदि तू नही रुकता, तो वह तुझ से घृणा भी कर सकता है।

     18 अदालत में दूसरों पर झूठा आरोप लगाना

         युद्ध में प्रयोग होने वाले डंडों, या तलवार से, या तेज तीरों से उन पर हमला करने जैसा है।

     19 मुसीबत के समय अविश्वसनीय व्यक्ति पर भरोसा करना

         खराब दाँत के समान या फिसलने वाले पैर के समान है जो तुम्हें गिरा देता है।

     20 किसी ऐसे व्यक्ति के लिए गीत गाना जो उदास अनुभव कर रहा है,

         यह बहुत ठंड के दिन में कोट उतार देने की तरह,

         या सज्जी में बुलबुले बनाने के लिए सिरका डालने के समान अनुपयोगी है।

     21 यदि तेरे शत्रु भूखे हैं, तो उन्हें खाने के लिए कुछ दे;

         अगर वे प्यासे हैं, तो उन्हें पीने के लिए कुछ दे;

     22 यह उसके सिर पर, उसे बिना कोई नुकसान पहुँचाए आग के कोयले डालने के बराबर होगा,

         और यहोवा तुझे ऐसा करने के लिए प्रतिफल देंगे।

     23 जब उत्तर से हवा बहती है, तो निश्चित रूप से बारिश होगी;

         यह बिलकुल ऐसे निश्चित है जैसे कोई जो दूसरों के बारे में रहस्य बताता है वह लोगों को नाराज कर देगा।

     24 एक घर की छत के कोने में अकेले रहना उत्तम है

         बजाय इसके कि एक घर के भीतर ऐसी पत्नी के साथ रहना जो हमेशा तेरे साथ बहस करना चाहती है।

     25 जब तू दूर देश से समाचार प्राप्त करता है,

         यह प्यासे व्यक्ति को ठंडा पानी देने जैसा है।

     26 एक अच्छा मनुष्य जो दुष्ट के सामने गिरता है,

         यह ऐसा बुरा है जैसे एक सोता जो गंदला हो जाता है या एक झरना जो प्रदूषित हो जाता है।

     27 बहुत अधिक शहद खाना अच्छा नहीं है;

         जब पहले से तेरे पास सम्मान है फिर भी अधिक सम्मान की खोज करने के जैसा है।

     28 व्यक्ति जो स्वयं को नियंत्रित नहीं कर सकता है

         वह ऐसे शहर के समान है जिसके पास दुश्मनों को बाहर रखने का कोई तरीका नहीं है; इसकी दीवारें गिर गई हैं।

Chapter 26

     1 जब गर्मियों में बर्फ गिरती है, या जब कटाई के समय में बारिश होती है,

         यह उसी के समान है जब एक मूर्ख को सम्मान मिलता है-

         उसके लिए सम्मान गलत समय, और गलत जगह पर आता है।

     2 एक गौरेया यहाँ और वहाँ फड़फड़ाती हुई उड़ती है, और एक सूपाबेनी उड़ते हुए आगे और पीछे झपटती है,

         यह ऐसा ही है जैसे कोई तेरे विरुद्ध अभिशाप बोल रहा है – लेकिन यह तेरे ऊपर नहीं आ सकता है।

     3 घोड़े को घुमाने के लिए चाबुक की आवश्यकता होती है, और गधे के मुँह में लगाम होनी चाहिए, अन्यथा उसका भार वह नहीं ले जाएगा।

         इसी प्रकार, मूर्ख से कोई भी काम कराने के लिए समझाना हो तो उसकी पीठ पर मारने की आवश्यकता होती है।

     4 मूर्ख को जवाब न दे जब वह तुझको अपनी मूर्खता में खींचने का प्रयास कर रहा हो,

         या जितना मूर्ख वह है तू भी उतना ही मूर्ख हो जाएगा।

     5 मूर्ख को वह उत्तर दे जो उसके प्रश्न के समान ही मूर्खतापूर्ण है,

         और वह उसकी आँखें खोल सकता है जिससे कि वह देख सके कि वह उतना बुद्धिमान नहीं है जितना वह सोचता है।

     6 यदि तू एक महत्वपूर्ण संदेश मूर्ख द्वारा पहुँचाए जाने के लिए सौंपता है,

         तो यह तेरे अपने पैरों को काटने, और उसके बाद जहर पीने के समान मूर्खता होगी।

     7 एक लंगड़ा व्यक्ति अपने पैरों का उपयोग नहीं कर सकता; वे नीचे लटके रहते हैं और बेकार हैं,

         ऐसे बेकार जैसे मूर्ख एक दूसरे से नीतिवचन की व्याख्या कर रहे हैं जिसे वे नहीं समझते।

     8 जब तू पत्थर को गोफन में बाँधता है जो की फेंका ना जा सके,

         यह उस व्यक्ति के जैसा है जो किसी मूर्ख को सम्मान देता है,

         इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तू उसकी कितनी प्रशंसा करता है,

         यह कभी भी उसके लिए कुछ भला नहीं करेगी।

     9 जब एक शराबी व्यक्ति काँटों से भरी झाड़ी उठाता है

         और इसे आसपास के लोगों पर घुमाना शुरू करता है,

         यह उतना ही उपयोगी है जितना एक मूर्ख का नीतिवचन की व्याख्या करना,

         लोग पीछे हट जाते हैं और उससे दूर जाने का प्रयास करते हैं।

     10 एक तीरंदाज जो अपने चारों ओर खड़े लोगों पर तीरों का लक्ष्य साधता है और मारता है,

         वह मूर्ख को काम पर रखने वाले व्यक्ति के समान खतरनाक है

         या वह इतनी कम चिंता करता है कि वह उसके पास आने वाले हर अगले व्यक्ति को काम पर रख लेता है।

     11 जब तू एक कुत्ते को उसकी उल्टी के पास वापस जाते देखता है,

         तो यह उस मूर्ख के समान है जो एक मूर्खता को बार-बार दोहराता है।

     12 क्या तू किसी ऐसे व्यक्ति को जानता है जिसका अपने बारे में यह विचार है-

         वह सोचता है कि वह एक बहुत बुद्धिमान व्यक्ति है?

         उसकी तुलना में एक मूर्ख को सिखाना आसान है।

     13 आलसी व्यक्ति के पास काम नहीं करने के कई कारण हैं-

         तू उसे यह कहते हुए सुन सकता है, " सड़क पर एक शेर है!"

         या "ओह, बाजार में एक शेर है!"

     14 जब तू एक दरवाजे को उसकी चूल पर अगल-बगल झूलता देखते हो,

         वह बिलकुल उस आलसी व्यक्ति के समान है जो अपने बिस्तर पर लेटा हुआ आगे और पीछे करवटें लेता है।

     15 जो आलसी है वह भोजन उठाने के लिए अपने हाथ को नीचे तक पहुँचा सकता है,

         लेकिन उसके पास भोजन को उसके मुँह में रखने की ऊर्जा नहीं है।

     16 जो आलसी है वह स्वयं को बहुत बुद्धिमान मानता है,

         उन सात पुरुषों से अधिक बुद्धिमान जो अपनी अंतर्दृष्टि के लिए जाने जाते हैं।

     17 कोई भी जो भूमि पर लेटे कुत्ते के समीप से गुजरता है, फिर उसके निकट जाकर उसके कान खींचता है;

         वह किसी ऐसे व्यक्ति के समान है जो समीप से गुजरते हुए झगड़े को सुनता है,

         और वह उसमें शामिल हो जाता है, और गुस्सा हो जाता है

         और फिर वह एक पक्ष लेता है और उसमें कूद पड़ता है-

         यहाँ तक कि उसका इससे कुछ लेना देना नहीं था।

     18-19 कौन पागल व्यक्ति के समान है जो हर दिशा में जलते हुए तीर मारता है?

         वह जो अपने पड़ोसी से झूठ बोलता है!

         वह अपने पड़ोसी से बहाना बनाता है और उसे बताता है,

         "मैं केवल मजाक कर रहा था;"

         लेकिन पागल व्यक्ति के तीरों की तरह,

         उसने जो कहा उसने सब कुछ में आग लगा दी है।

     20 जलावन की और लकड़ी नहीं होने पर आग बुझ जाती है;

         और इसलिए जब कोई भी कानाफूसी नहीं कर रहा हो तो झगड़ा बंद हो जाता है।

     21 जैसे जलते कोयलों में कोयला और आग में लकड़ी के लट्ठा जल सकता है;

         वैसे ही झगड़ा करने वाला क्रोध को भड़का देता है।

     22 गपशप में ऐसी कहानियाँ बताई जाती हैं जो मीठे भोजन के समान हैं;

         लोग उन्हें मिठाई के समान संतुष्ट होने तक खाते हैं।

     23 बहुत गर्माहट के साथ लगाया गया चमकदार पदार्थ, मिट्टी के बर्तन को ढाँकता है,

         और इसी प्रकार से प्रेम भरे शब्द होते हैं जो एक बुरे दिल को ढाँप देते हैं।

     24 जो व्यक्ति घृणा से भरा हुआ है, वह अपनी बातों के द्वारा अपनी सच्ची भावनाओं को छिपाता है;

         और वह स्वयं के भीतर अधिक से अधिक झूठ का भंडार करता है।

     25 वह दया के शब्द बोल सकता है, लेकिन आपको उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए,

         क्योंकि उसके अंतर्मन में वह सब कुछ है जिससे यहोवा घृणा करता है।

     26 भले ही वह अपने झूठ से अपनी घृणा को ढाँकता है,

         तब भी हर किसी को यह मालूम हो जाएगा कि वह कितना दुष्ट है।

     27 जो गड्ढे खोदता है वह उसमें ही गिर जाएगा;

         और पत्थर उसी व्यक्ति पर वापस लुड़क जाता है जिसने इसे पहाड़ी पर धक्का देने का प्रयास की थी।

     28 झूठ बोलने वाला व्यक्ति उन लोगों से घृणा करता है जिनको वह नष्ट कर देता है;

         व्यक्ति जितना अधिक चापलूसी का उपयोग करता है उतना ही वह भयंकर विनाश का कारण बनता है।

Chapter 27

     1 इस विषय में घमंड मत कर कि कल क्या होगा,

         क्योंकि तू नहीं जानता कि उस दिन के दौरान तेरे साथ क्या होगा।

     2 अपने आप की प्रशंसा मत कर; किसी और को तेरी प्रशंसा करने दे।

         यह उत्तम है कि कोई ऐसा व्यक्ति तेरी प्रशंसा करे जिसे तू नहीं जानता है,

         बजाय इसके कि अपनी प्रशंसा स्वयं करे।

     3 यदि तू यह सोचता है कि पत्थर कितना भारी हो सकता है, या रेत का वजन कितना हो सकता है-

         तब तू समझ जाएगा कि एक मूर्ख के कारण आई समस्या उन दोनों चीजों की तुलना में कठिन होती हैं।

     4 यदि तू इस बारे में सोचे कि वे लोग कितने क्रूर हो सकते हैं जो दूसरों पर उत्पात मचाते हैं, और कैसे नाराज लोग दूसरों पर बाढ़ के पानी के समान हमला कर सकते हैं,

         फिर सोचें कि कैसे ईर्ष्यावान लोग इससे भी बदतर हैं;

         कोई भी ईर्ष्यापूर्ण व्यक्ति द्वारा नुकसान पहुँचाने का विरोध नहीं कर सकता।

     5 छिपे हुए प्रेम के मुकाबले खुले में डाँटना उत्तम है।

     6 मित्र से प्राप्त घाव दुश्मन के चुंबन से उत्तम है।

     7 जब कोई व्यक्ति साथ चल रहा है और उसका पेट भरा है, तो वह शहद के छत्ते पर पैर रख सकता है क्योंकि वह भूखा नहीं है;

         लेकिन अगर उसे बहुत भूख लगी हो, तो यह भी हो सकता है कड़वी चीजें भी उसे मीठा स्वाद देंगी।

     8 जब कोई व्यक्ति अपने घर से दूर भटकता है,

         तो वह अपने घोंसले से दूर रहने वाले पक्षी के समान अभिनय कर रहा है।

     9 इत्र की सुगंध और धूप की महक व्यक्ति को खुश अनुभव करने में सहायता कर सकती है;

         और हम उन मित्रों की सबसे अधिक प्रशंसा करते हैं जो हमें अच्छी सलाह देते हैं।

     10 अपने मित्र या अपने पिता के मित्र को मत भूलना;

         और जब तुझे कोई समस्या हो और तुझे सहायता की आवश्यकता हो,

         अपने भाई के घर पर मत जा।

         जब परेशानी होती है, तो वह पड़ोसी जो निकट रहता है

         उस भाई से उत्तम है जो बहुत दूर रहता है।

     11 हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान बने, तो तू मुझे खुश करेगा;

         तब मैं किसी ऐसे को जवाब देने में सक्षम बनूँगा जो मेरे विरुद्ध विवाद करता है।

     12 जिसको अच्छी समझ है वह आने वाली परेशानी को देख कर छिप जाता है,

         लेकिन जिनके पास कोई अनुभव या ज्ञान नहीं है, वे खतरे में आगे बढ़ जाते हैं।

     13 व्यक्ति के परिधान को जमानत के रूप में लो जब वह किसी अजनबी के लिए ऋण का आश्वसन दे रहा हो।

         जब वह व्यभिचारी के लिए जमानत देता है तो अपने पैसे को खोने से बचाने के लिए शपथ में परिधान को रख लो।

     14 जो सुबह सवेरे ऊँची आवाज़ में आशीर्वाद देता है,

         वह आशीर्वाद ऐसे सुना जाएगा जैसे कि यह अभिशाप था।

     15 एक पत्नी जो लगातार अपने पति के साथ विवाद करती है वह उतनी ही कष्टप्रद है

         जितना किसी बरसात के दिन पानी का निरंतर टपकना;

     16 और उसे बहस करने से रोकना हवा को रोकने के समान,

         या हाथ में तेल को पकड़ने का प्रयास करने के समान मुश्किल होगा।

     17 जैसे लोहे के फल को धार लगाने के लिए लोहे का उपयोग किया जाता है, वैसे ही व्यक्ति अपने मित्र को उत्तम बनाता है।

     18 किसान जो अंजीर के पेड़ की देखभाल करता है, पकने पर वह उस फल का आनंद उठाएगा।

         उसी प्रकार से जो अपने गुरु की रक्षा करता है, वह अपने गुरु से सम्मान प्राप्त करेगा।

     19 जब कोई व्यक्ति पानी में देखता है, तो वह अपना ही चेहरा देखता है;

         इसी प्रकार जब हम देखते हैं कि एक व्यक्ति किस चीज से प्रेम करता है, तो हम जानते हैं कि उसका अंतर्मन कैसा है।

     20 तुम जानते होकि मृतकों के और विनाशकों के स्थान कभी संतुष्ट नहीं होता है;

         और लोग भी कभी संतुष्ट नहीं होते हैं और हमेशा अधिक की चाह करते हैं।

     21 चाँदी को एक कुठाली में परिष्कृत किया जाता है, और सोने को भट्ठी में रखा जाता है जिससे कि शुद्ध किया जा सके;

         और एक व्यक्ति उसे दी गई प्रशंसा का जवाब कैसे देता है

         तुम्हें यह बताएगा कि वह किस प्रकार का व्यक्ति है।

     22 यद्यपि तू मूर्ख को ऐसे पीसे जैसे कि तू अनाज पीसता है,

         तू उसकी मूर्खता उससे बाहर नहीं निकाल पाएँगा।

     23 अच्छा चरवाहा अपनी सारी भेड़ों की दशा जान लेगा और वह हर दिन उनकी जाँच करेगा।

         24 धन हमेशा के लिए नहीं रहता है।

         क्या राजा का मुकुट पीढ़ी से पीढ़ी तक रहता है?

     25 घास मर जाती है और फिर नई उपज बढ़ने लगती है;

         और पहाड़ों पर मवेशियों के लिए भोजन खलिहानों में ढेर करके रखा गया है।

     26 भेड़ के बच्चे तुझको गर्म कपड़े देंगे और बकरियाँ तुझको मैदान की लागत के भुगतान के लिए पर्याप्त धन देंगी।

     27 बकरियों से दूध मिलेगा जिसे तू पी सकता है - वह तेरे घर में रहने वाले हर किसी के लिए भोजन होगा -

         और यह तेरे दासियों को खिलाने के लिए भोजन भी है।

Chapter 28

     1 दुष्ट व्यक्ति तब भी भागता है जब कोई उसके पीछे नहीं आ रहा है,

         लेकिन जो धर्म के काम करते हैं वे शेर के समान बहादुर हैं।

     2 देश में जितना अधिक पाप होगा, उतने ही शासकों की संख्या होगी;

         लेकिन जब कोई ऐसा शासक आता है जिसके पास समझ और ज्ञान होता है, तो देश लंबे समय तक टिका रह सकता है।

     3 जब गरीब व्यक्ति अन्य गरीब लोगों पर अत्याचार करता है,

         तो यह भयंकर बारिश के समान है जो फसलों को नष्ट कर देती है और किसी के खाने के लिए कोई भोजन नहीं छोड़ती है।

     4 जो कानून को अस्वीकार करते हैं वे वही लोग हैं जो दुष्टों के बारे में अच्छी बातें बोलते हैं;

         लेकिन जो कानून का पालन करते हैं वे लोग दुष्टों के विरुद्ध लड़ते हैं।

     5 बुरे लोगों के लिए न्याय को समझना जितना मुश्किल है,

         उतना ही जो यहोवा को खोजना चाहते हैं, वे वह सबकुछ समझते हैं जो महत्वपूर्ण है।

     6 ईमानदार और गरीब होना उत्तम है,

         बजाय इसके कि अपने सब कामों में, और समृद्ध होने के लिए बेईमान हो।

     7 जो कानून का पालन करता है वह उस बच्चे के समान है जिसे ज्ञान के मार्गों की समझ है;

         यदि बच्चे उन मित्रों के साथ घूमते हैं जो खाने में बहुत अधिक रुचि रखते हैं, तो वे अपने पिता को लज्जित करते हैं।

     8 वह व्यक्ति जो उच्च ब्याज दर वसूल कर समृद्ध हो जाता है,

         वह नहीं जानता कि वह अपना पैसा इसलिए इकट्ठा कर रहा है कि यह किसी ऐसे को दिया जाएगा जो गरीबों की सहायता करता है और उनके प्रति दयालु है।

     9 यदि तू यह सुनने से मना करता है कि तुझे कैसे जीवन जीना चाहिए, इसके बारे में व्यवस्था क्या कहती है;

         तब यहोवा तेरी प्रार्थनाओं से नाराज होते हैं।

     10 यदि कोई चालबाजी करके ईमानदार व्यक्ति से बुरे काम करवाता है,

         जिसने ऐसा किया वह अपने ही जाल में फँस जाएगा,

         लेकिन जिन लोगों ने सही काम करने का प्रयास की है उन्हें कई अच्छी चीजें मिलेंगी।

     11 अमीर व्यक्ति स्वयं को बुद्धिमान मानने के विषय में सोच सकता है,

         लेकिन कोई भी जो गरीब है लेकिन जिसके पास अच्छी समझ है वह यह बताने में सक्षम होगा कि क्या वास्तव में वह अमीर व्यक्ति बुद्धिमान है।

     12 जब धर्म के काम करने वालों की जीत होती है, तब यह उत्सव मनाने का समय है,

         लेकिन जब दुष्ट लोग जीत जाते हैं, तो लोग दौड़ते और छिप जाते हैं।

     13 जो अपने पापों को ढाँकने का प्रयास करता है, उसका पता चल जाएगा,

         परन्तु यहोवा उनको क्षमा करेंगे जो अपने पापों को उन्हें बताते हैं, और वे उन्हें करने से दूर हो जाते हैं।

     14 कितने धन्य हैं जो हमेशा यहोवा का सम्मान करते हैं;

         लेकिन जो लोग उन्हें सुनने से मना करते हैं, जो उनसे सीखना नहीं चाहते हैं, वे परेशानी में पड़ जाएँगे।

     15 क्या तू जानता है कि एक गरजता शेर या आक्रामक भालू किसके समान है;

         वे दुष्ट शासक के समान हैं जो गरीब लोगों को फाड़ डालता है।

     16 एक राजा जिसके पास अच्छी समझ नहीं है, वह सोचता है कि वह बुद्धिमान है लेकिन जब वह क्रूर होता है तो अपने लोगों से सब कुछ छीन लेता है।

         लेकिन जो व्यक्ति कानून तोड़कर कुछ भी प्राप्त करने से घृणा करता है, वह लंबा जीवन जीएगा।

     17 यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य की हत्या का दोषी है

         वह मरने के समय तक भगोड़े के समान जीवित रहेगा;

         और कोई भी उसकी सहायता नहीं करेगा।

     18 जब कोई व्यक्ति अपना जीवन जीता है और वह निर्दोष है, तो यहोवा उसे सुरक्षित रखेंगे;

         लेकिन जो अपने झूठ के द्वारा जीवन जीता है वह अचानक नष्ट हो जाएगा।

     19 किसान जो अपने खेत में काम करता है, उसके पास खाने के लिए बहुत सारा भोजन होगा;

         लेकिन कोई भी जो बेकार सपनों को अपना समय देता है, वह बहुत गरीब होगा।

     20 यहोवा विश्वशनीय व्यक्ति को अच्छी चीजें देंगे;

         लेकिन वे निश्चित रूप से उन लोगों को दंडित करेंगे जो जल्दी ही अमीर बन जाते हैं।

     21 किसी व्यक्ति को अनुग्रह देना और दूसरे को नहीं देना बुरा है;

         कुछ लोग रोटी का केवल एक टुकड़ा पाने के लिए गलत काम करेंगे।

     22 व्यक्ति जो अपना पैसा खर्च करने से घृणा करता है वह अधिक की ओर भागेगा,

         लेकिन वह नहीं जानता कि गरीबी उसके पास आ रही है।

     23 जो व्यक्ति किसी को डाँटता है बाद में उसकी अधिक सराहना की जाएगी

         बजाय इसके कि उस व्यक्ति के जो चापलूसी करने के लिए अच्छी बातें कहता है।

     24 कोई भी जो अपने पिता या अपनी माँ से चीजें चुरा लेता है

         और कहता है "वह पापपूर्ण नहीं है,"

         वह उस व्यक्ति का मित्र है जो विनाश करता है।

     25 लालची व्यक्ति लोगों के बीच झगड़े उत्पन्न करता है;

         परन्तु जो यहोवा पर भरोसा करता है वह भलाई करेगा।

     26 जो स्वयं पर भरोसा करता है वह मूर्ख है,

         जो बुद्धि से निर्णय लेते हैं वे खतरे से बचते हैं।

     27 जो गरीबों की सहायता करने के लिए देता है, उसे कुछ भी कमी नहीं होगी,

         लेकिन जो मुड़ जाता है और उन्हें अनदेखा करता है, उस पर कई शाप आएँगे।

     28 जब दुष्ट लोग शक्ति प्राप्त करते हैं, तो पुरुष और स्त्रियाँ छिप जाते हैं;

         जब दुष्ट मर जाता है, तो उन लोगों में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो धर्म के काम करते हैं।

Chapter 29

     1 जब तू किसी ऐसे व्यक्ति को डाँटता है जिसने तेरे शब्दों को ठुकरा दिया है और जिसने तुझको सुनने से मना कर दिया है,

         उसे कुचल कर ऐसी स्थिति में कर दिया जाएगा कि वह स्वस्थ नहीं हो पाएगा।

     2 जब लोग धार्मिक तरीके से जीवन जीते हैं, वे संख्या में अधिक हो जाते हैं,

         लेकिन जब एक दुष्ट शासक शासन करना शुरू कर देता है, तो लोग चिल्लाते हैं।

     3 एक पुत्र जो ज्ञान के विषय में सीखना चाहता है, वह अपने पिता को बहुत खुश करता है;

         लेकिन ऐसा पुत्र जो वेश्याओं का साथी है, वह अपना सारा पैसा खो देगा।

     4 जब एक राजा ईमानदार नियमों और अच्छे कानूनों के साथ शासन करता है, तो वह अपने देश को मजबूत बना देता है,

         लेकिन कोई भी जो रिश्वत माँगता है वह अपने देश को नष्ट कर देता है।

     5 जो अपने पड़ोसी की प्रशंसा इसलिए करता है कि वह उससे कुछ प्राप्त करे,

         वह उसके समान है जो उसके चरणों की आहट सुनता है,

         जिससे कि वह उसे जाल में फँसा सके।

     6 बुरा व्यक्ति अपने पाप के द्वारा जाल बिछाता है; तब वही उसमें गिर जाता है;

         लेकिन जो धर्म के काम करता है वह गीतों से और खुशी से भरा होता है।

     7 जो धर्म के काम करता है वह गरीबों के लिए खड़ा होता है और उनका बचाव करता है;

         लेकिन दुष्ट लोग गरीबों के लिए खड़े होने का महत्व नहीं देखते हैं।

     8 जो लोग दूसरों को झुकाते और उनका मजाक उड़ाते हैं वे ऐसे हैं जो शहर को आग लगाते हैं;

         लेकिन जो लोगों को अपने क्रोध से छुटकारा पाने में सहायता करते हैं वे बुद्धिमान हैं।

     9 यदि एक बुद्धिमान व्यक्ति का एक मूर्ख व्यक्ति के साथ कोई झगड़ा होता है,

         तो मूर्ख व्यक्ति उसके ऊपर चिल्लाता है और फिर उस पर हँसता है, और यह कभी समाप्त नहीं होता ।

     10 एक हत्यारा उससे घृणा करता है जो हर एक काम सही करता है;

         और वे उस व्यक्ति को मार डालने की खोज में रहते हैं जिसकी अच्छी प्रतिष्ठा है।

     11 मूर्ख अपने सारे क्रोध को दिखाता है,

         लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति अपना क्रोध रोके रखता है, और वह जानता है कि स्वयं को शांत कैसे करना है।

     12 यदि कोई शासक उस झूठ पर विश्वास करता है जो उसे बताया जाता है,

         तो वह अपने सभी अधिकारियों को दुष्ट होना सिखाता है।

     13 एक गरीब व्यक्ति और जो लोगों से फायदा उठाता है, उनमें कौन सी बात समान है?

         यहोवा उन दोनों को जीवन देता है।

     14 यदि राजा सच्चाई सुनकर गरीब का न्याय करता है,

         तो वह एक ऐसा राज्य बनाएगा जो हमेशा स्थिर रहेगा।

     15 अगर किसी बच्चे को दंडित किया जाता है,

         तो उसे ज्ञान का उपहार दिया गया है;

         लेकिन जब कोई बच्चा नियंत्रण से बाहर हो जाता है,

         तो यह उसकी माँ के लिए शर्मिन्दगी लाता है।

     16 जब दुष्ट लोगों के पास अधिकार होता है, तो कानून को तोड़ना सामान्य बात होती है;

         लेकिन धर्म के काम करने वाले लोग वह दिन देखेंगे

         जब दुष्ट अपनी शक्ति खो देंगे।

     17 अपने बच्चे को अनुशासित करो और वह आपकी सहायता करेगा और आपकी सेवा करेगा;

         आप वास्तव में उसके ऊपर खुश होंगे।

     18 जब यहोवा से कोई भविष्यद्वक्ता दर्शन नहीं प्राप्त करता है, तो लोग नियंत्रण से बाहर जाते हैं,

         लेकिन जो लोग कानून का पालन करते हैं वे धन्य हैं।

     19 जितना चाहे उतना दास से बात कर,

         हालाँकि वह समझता है कि तू क्या कह रहा है, उसने सीखा है की तुझे कोई जवाब ना दे।

     20 क्या तू किसी ऐसे व्यक्ति को देखता है जो बोलने में जल्दबाजी करता है, राय देने में जल्दबाजी करता है?

         यहोवा भविष्य में सरलता से मूर्ख को अधिक सहायता दे सकते हैं, बजाय इसके कि वह उसकी सहायता करें जो बोलने में जल्दबाजी करता है।

     21 यदि किसी दास को उसकी मेहनत से क्षमा किया जाता है

         उसके लड़कपन के समय से ही उसके स्वामी द्वारा अन्य दासों से बेहतर उसका ख्याल किया जाता है;

         जब वह जवान हो जाता है,

         वह दास अपने स्वामी को परेशान करेगा।

     22 एक व्यक्ति जो अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर सकता वह कई झगड़े करता है

         और दूसरों पर शासन करने के लिए अपने क्रोध का उपयोग करता है, इसलिए वह कई पाप करता है।

     23 जो घमंडी है वह नम्र हो जाएगा;

         लेकिन जो नम्र है उसे सम्मान दिया जाएगा।

     24 व्यक्ति जो चोर की सहायता करता है, वह स्वयं से घृणा करता है;

         वह अभिशाप को सुन लेता है, लेकिन वह इसके बारे में कुछ भी नहीं कहता है।

     25 जब कोई इससे डरता है कि लोग क्या कर सकते हैं,

         यह अपने लिए एक जाल बिछाने के समान है।

         परन्तु जो यहोवा पर भरोसा करता है वह सुरक्षित है।

     26 बहुत से लोग शासक के सामने उससे सहायता लेने के लिए आना चाहते हैं,

         परन्तु यहोवा ही एकमात्र है जो उसे सच्चा न्याय देते हैं।

     27 जो धर्म के काम करते हैं वे किसी ऐसे व्यक्ति से घृणा करते हैं जो दूसरों से अनुचित तरीके से व्यवहार करता है;

         जैसे दुष्ट लोग अच्छा जीवन जीने वालों से घृणा करते हैं।

Chapter 30

1 ये बुद्धि से भरे नीतिवचन हैं, यह याके के पुत्र आगूर के नीतिवचन हैं।

     आगूर ने उन्हें ईतीएल के लिए लिखा, हाँ, ईतीएल को और उक्काल को लिखा था।

     2 मैं किसी भी मनुष्य से अधिक एक जानवर के समान हूँ!

         मुझमें उस समझ की कमी है जो किसी भी मनुष्य में होती है!

     3 मैंने ज्ञान के बारे में नहीं सीखा है;

         मैं यहोवा, जो एकमात्र पवित्र हैं उनको नहीं जानता हूँ।

     4 कौन कभी ऊपर स्वर्ग तक गया है और फिर वापस नीचे आ गया है?

         कौन अपने हाथ से हवा को पकड़ सकता है?

         पानी को एक वस्त्र में कौन इकट्ठा कर सकता है?

         किसने धरती के आकार की सीमा निर्धारित की?

         उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है?

         क्या तुम जानते हो?

     5 परमेश्वर का हर वचन परीक्षण द्वारा साबित किया गया है कि यह सच है;

         वह एक ढाल के समान है जो उन लोगों की रक्षा करता है जो उसके पास दौड़ कर आते हैं।

     6 सावधान रह यहोवा ने वचनों में जो कुछ कहा है, उसमें अधिक न जोड़ना;

         यदि तू ऐसा करता है, तो वह तुझको सही करेंगे और वह साबित करेंगे कि तुने उनकी कही बातों के विषय में झूठ बोला है।

     7 मैंने यहोवा से दो चीज़ें माँगी हैं,

         और यह कि वह मेरे मरने से पहले उन्हें मुझे दें।

     8 व्यर्थ का घमंड और झूठी बातों को मुझसे दूर रखो;

         और मुझे गरीबी या अमीरी न दो,

         बस मुझे वह भोजन दो जो मुझे हर दिन चाहिए। 9 यदि मेरे पास बहुत अधिक पैसा है,

         तो यह संभव है कि मैं अपने परमेश्वर से मना कर दूँगा और कहूँगा, "यहोवा कौन है?"

         या यह संभव है कि मैं इतना गरीब बन जाऊँगा कि मैं दूसरों का सामान चोरी करूँ

         और मेरे परमेश्वर के नाम पर अपमान लाऊँ।

     10 दास के बारे में बुरी बात न कर जब वह अपने स्वामी के सामने खड़ा हो;

         यदि तू ऐसा करता है, तो वह तुझ को शाप देगा, और तू ही जिम्मेदार होगा; तू उसे अपने ऊपर लाया है।

     11 बहुत से लोग हैं जो अपने पिता को शाप देते हैं

         और वे अपनी माता की प्रशंसा नहीं करते हैं या उनका धन्यवाद नहीं करते हैं;

     12 वे लोग सोचते हैं कि उनके द्वारा की जाने वाली हर चीज की आलोचना नहीं की जानी चाहिए,

         लेकिन वास्तव में वे कभी भी अपनी गंदगी से साफ नहीं हुए हैं।

     13 यह लोग अपनी आँखों में दिखाते हैं कि वे कितना घमंड करते हैं;

         वे लोगों को उन्हें देखने के लिए प्रेरित करते हैं और वे अपने चेहरे पर अपना गर्व दिखाते हैं!

     14 ये लोग अपने मुँह का उपयोग सबसे अधिक हानिकारक शब्दों को बोलने के लिए करते हैं, जैसे कि वे लोगों को काट रहे हैं और फाड़ रहे हैं;

     ऐसा लगता है जैसे वे पृथ्वी के गरीब लोगों को खा रहे हैं,

         और आवश्यकता मंदों की मानवता को निगल रहे हैं।

     15 वे खून चूसने वाली जोंक हैं, कल्पना कर कि उनकी दो बेटियाँ थी;

         वे कहती हैं, "हमें दे दो! हमें दे दो!

     चार चीजें हैं जो कभी संतुष्ट नहीं होती हैं-

         वे हमेशा अधिक चाहती हैं:

     16 कब्र, मृतकों का स्थान;

     एक ऐसी स्त्री का गर्भ जिसने कभी बच्चे को गर्भधारण नहीं किया;

     मिट्टी जिसे पानी की बहुत अधिक आवश्यकता है;

     और आग जो जलती है और यह कभी नहीं कहती, "यह आग पर्याप्त गर्म है!"

     17 वह जो अपने पिता का अपमान करता है,

         और जो अपनी माँ का अपमान करता है और उसकी आज्ञा नहीं मानता है।

     ऐसे व्यक्ति को मार डाला जाएगा और कौवों द्वारा उसकी आँखें निकाल ली जाएँगी,

         और गिद्धों द्वारा खाया जाएगा।

     18 तीन आश्चर्यजनक चीजें हैं जिनका मैं उल्लेख कर सकता हूँ;

         नहीं, चार हैं जो बहुत ही अद्भुत हैं और मैं उन्हें समझ नहीं सकता हूँ।

     19 आकाश में उकाब कैसे उड़ते हैं;

     साँप कैसे बड़ी चट्टान पर चले जाते हैं,

     जहाज कैसे समुद्र पर चल सकते हैं,

     और कैसे व्यक्ति एक स्त्री के प्रेम को जीतने में सक्षम है।

     20 वह स्त्री इसी के समान है जो अपने पति के प्रति वफादार नहीं है:

         वह खाती है और फिर मुँह को पोंछ लेती है,

         और वह कहती है, "मैंने जो किया है उसमें कुछ भी गलत नहीं है।"

     21 चार चीजें हैं जो पृथ्वी को कंपकंपा देती हैं:

     22 राजा बने हुए दास से पृथ्वी कांपती है;

     जब मूर्ख अपना खाना खा चुका है और उसका पेट भर गया है, पृथ्वी कांपती है;

     23 जब एक स्त्री जिससे सभी ने घृणा की थी, वह शादी कर लेती है, पृथ्वी कांपती है;

     और जब नौकरानी अपने स्वामी की पत्नी बन जाती है, पृथ्वी कांपती है।

     24 पृथ्वी पर चार प्राणी हैं जो छोटे हैं, लेकिन वे बहुत बुद्धिमान हैं।

     25 चींटियाँ मजबूत नहीं हैं,

         लेकिन वे सर्दी के दौरान खाने के लिए गर्मियों के दौरान ही भोजन जमा करती हैं।

     26 पहाड़ी बिज्जु भी मजबूत नहीं होते हैं,

         लेकिन वे अपने घर चट्टानों के बीच बनाते हैं।

     27 टिड्डियों का कोई राजा नहीं होता है,

         लेकिन सेना के सैनिकों के समान वे पंक्ति में कूच करती हैं।

     28 छिपकलियाँ बहुत छोटी हैं और तू उसे अपने हाथ में पकड़ सकता है,

         लेकिन वह राजाओं के महलों के अंदर चली जाती है।

     29 चार जानवर हैं जो बहुत गर्व से चलते हैं और वे चलते समय बहुत प्रभावशाली होते हैं।

     30 शेर, जो जंगली जानवरों के बीच सबसे मजबूत हैं

         और उनमें से किसी से डरते नहीं हैं।

     31 इठलाता मुर्गा, और बकरे,

     और वे राजा जो अपने सैनिकों के साथ खड़े हैं जो सैनिक उनकी बगल में हैं।

     32 यदि तुने स्वयं की प्रशंसा करके मूर्खता का काम किया है,

         या यदि तू कुछ बुरा करने की योजना बना रहा है,

     अपना हाथ अपने मुँह पर रख! इसे रोक!

     33 जैसे तू दूध का मंथन करता है, और मक्खन निकलता है,

         वैसे ही, यदि तू किसी के नाक पर बहुत जोर से मारता है, तो परिणाम यह होगा कि उसकी नाक से खून बहेगा;

         और, उसी प्रकार से, जब लोग क्रोधित होते हैं, तो वे बहस करते है और लड़ते है।

Chapter 31

1 यह राजा लमूएल के नीतिवचन हैं - भविष्यद्वाणी जो उसकी माँ ने उसे सिखाई।

     2 वह कहती है: तू मेरा पुत्र है; मैं तुझको अपने गर्भ में रखा;

         तू वह पुत्र है, मैंने यहोवा से तेरे लिए मन्नतें माँगी थी ।

     3 स्त्रियों को अपनी ताकत मत दे;

         और राजाओं को नष्ट करने वाली उन स्त्रियों को अपनी योजनाएँ मत बता।

     4 हे लमूएल, राजाओं को मदिरा पीने में सावधान रहना चाहिए;

         और एक राजा को कभी नहीं पूछना चाहिए, "तीव्र पेय कहाँ है?"

     5 वे पी सकते हैं लेकिन फिर वे भूल सकते हैं कि उन्हें एक राजा की तरह आदेश दिया है,

         और उन लोगों के अधिकारों का नाश कर सकते हैं जिनका फायदा उठाया गया है।

     6 तीव्र पेय उन लोगों को दो जो मर रहे हैं

         और उन लोगों को जो अपने नुकसान का दुःख मना रहे हैं। 7 जो पीता है वह भूल जाएगा कि वह गरीब है,

         और वह अपनी परेशानी को याद नहीं रखेगा।

     8 उन लोगों के लिए बोल जो स्वयं के लिए बोल नहीं सकते हैं,

         उन लोगों के लिए बोल जो मृत्यु के करीब जा रहे हैं।

     9 धर्म की बातों के अनुसार बोल और निर्णय प्रस्तुत कर;

         और गरीबों और दरिद्रों के मामलों में न्याय होने का अनुरोध कर।

     10 ऐसी पत्नी कौन पा सकता है जो कई बातों में अच्छी है?

         उसका मूल्य उसके द्वारा पहन जाने वाले गहनों से कहीं अधिक है।

     11 उसका पति पूरी तरह से उस पर भरोसा करता है,

         और उसके कारण, वह कभी गरीब नहीं होगा।

     12 वह उसके जीवन के सभी दिनों में,

         उसके लिए अच्छे काम करती है और बुराई नहीं करती।

     13 वह बाजार में ऊन और सन ढूँढ़ती है,

         और वह धागे और कपड़े बनाने के लिए कताई का आनंद लेती है।

     14 वह व्यापारी के जहाजों के समान है

         क्योंकि वह अपने घर का भोजन दूर से लाती है।

     15 वह अपने परिवार के लिए खाना तैयार करने के लिए भोर से पहले उठ जाती है,

         और वह प्रत्येक दासी को उस दिन के लिए उनके काम सौंपती है।

     16 वह बाहर जाती है और विचार करती है कि उसे कौन सा खेत खरीदना है, और वह इसे खरीद लेती है।

     अन्य उद्यमों में कमाए गए उसके पैसों से,

         वह दाख की बारी लगाती है।

     17 वह अपनी ताकत से स्वयं को तैयार करती है,

         और उसकी बाँहें मजबूत हैं, और कठिन परिश्रम करने में सक्षम हैं।

     18 वह जानती है कि उसे अपने व्यापार से अच्छा लाभ कब मिल रहा है।

     वह पूरी रात दीपक जलाए रखती है।

     19 वह धुरी पर हाथ रखती है,

         और फिर वह उस धागे को कातती है जिसका वह उपयोग करेगी।

     20 वह गरीबों की सहायता करने के लिए खुले हाथ बढ़ाती है।

     21 वह बर्फ के बारे में चिंतित नहीं है,

         क्योंकि उसके घर में हर किसी के पास सबसे अच्छा शीतकालीन परिधान है।

     22 वह बिस्तरों के लिए आवरण बनाती है।

         वह सूक्ष्म बैंगनी सनी के कपड़े पहनती है – राजसी गौरव का रंग।

     23 उसके पति को शहर के फाटक पर लोग अच्छी तरह से जानते हैं,

         और वहाँ फाटक पर वह शहर के अन्य अगुवों के साथ बैठता है।

     24 वह सनी के वस्त्र बनाती है और वह उन्हें बेचती है।

         वह दुकान मालिकों को कमरबंद बेचती है।

     25 वह अपने चरित्र में मजबूत है और सम्मानित है,

         और भविष्य में क्या होगा वह इस पर हँसती है।

     26 जब वह बोलती है, तो वह बुद्धिमानी की बातें कहती है,

         और वह दया के कानून से जीवन जीती है।

     27 वह अपने घर में किए गए हर काम पर नजर रखती है,

         और उसके कार्यों में आलस्य जैसी कोई बात नहीं होगी।

     28 उसके बच्चे उसके विषय प्रशंसा करते हैं;

         उसका पति भी उसकी प्रशंसा करता है।

     29 वह उससे कहता है, "ऐसी कई स्त्रियाँ हैं जो प्रशंसनीय काम करती हैं,

         लेकिन आप उन सभी को पीछे छोड़ देती हो!"

     30 लालित्य धोखा दे सकता है

         और किसी व्यक्ति के बारे में जितना आपको सोचना चाहिए उसके मुकाबले अधिक विचार करवाता है;

         और सौंदर्य का कोई स्थायी मूल्य नहीं है।

         लेकिन स्त्री जो यहोवा का सम्मान करती है उसकी उसके लिए प्रशंसा की जाएगी जो वह है। 31 जो कुछ उसने अर्जित किया है उसे दो,

         और उसके काम नगर के अगुओं के बीच उसकी प्रशंसा करेंगे।