हिन्दी, हिंदी: Unlocked Dynamic Bible - Hindi

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यिर्मयाह

Chapter 1

1 यह हिल्किय्याह के पुत्र यिर्मयाह का सन्देश है, जिसने यह लिखा था। वह बिन्यामीन के गोत्र के क्षेत्र में अनातोत शहर से एक याजक था। 2 यहोवा ने उसे सन्देश देना आरम्भ कर दिया जब योशिय्याह लगभग तेरह वर्षों तक यहूदा पर शासन कर चुका था। 3 जब योशिय्याह का पुत्र यहोयाकीम राजा था, और जब सिदकिय्याह लगभग ग्यारह वर्ष तक यहूदा का राजा रहा तब तक यहोवा उसे सन्देश देते रहे। उस वर्ष के पाँचवें महीने में यरूशलेम के लोगों को बाबेल की बन्धुआई में ले जाया गया था। 4 एक दिन यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया,

     5 “मैं तुझे तेरी माँ के गर्भ में रचने से पहले जानता था।

         मैंने तेरे जन्म से पहले ही तुझे अपने सम्मान के लिए अलग कर दिया,

         और मैंने तुझे सब राष्ट्रों के लिए मेरा भविष्यद्वक्ता नियुक्त किया।”

6 मैंने उत्तर दिया, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, क्या आप नहीं देखते कि मैं आपके लिए बोलने के योग्य नहीं हूँ? मैं कम उम्र का हूँ!” 7 यहोवा ने उत्तर दिया, “यह मत कह कि तू बहुत छोटा है, क्योंकि तुझे उन सबके पास जाना होगा जिनके पास मैं तुझे भेजूँगा, और तुझे उन सब बातों को बताना होगा जो मैं तुझे कहने की आज्ञा दूँगा। 8 और जिन लोगों को तू वचन सुनाएगा उनसे मत डरना, क्योंकि मैं तुझे उनके द्वारा हानि पहुँचाए जाने से बचाऊँगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।” 9 तब ऐसा हुआ कि यहोवा ने मेरे मुँह को छुआ और कहा, “मेरी बात सुन! मैंने अपना सन्देश तेरे मुँह में डाल दिया है। 10 आज मैं तुझे राष्ट्रों और साम्राज्यों को चेतावनी देने के लिए नियुक्त कर रहा हूँ। तू उन्हें बताएगा कि मैं उनमें से कुछ को पूरी तरह से नष्ट करूँगा और मैं दूसरों को स्थापित और उन्हें समृद्ध करूँगा।” 11 तब यहोवा ने मुझे कुछ दिखाया, और कहा, “यिर्मयाह, तू क्या देखता है?”

मैंने उत्तर दिया, “मैं एक बादाम के पेड़ की एक शाखा देखता हूँ।”

12 यहोवा ने कहा, “यह सही है। और क्योंकि ‘बादाम’ के लिए जो शब्द है वह ‘देखने’ के शब्द जैसा है, इसका अर्थ है कि मैं देख रहा हूँ कि क्या होगा, और मैं निश्चित कर दूँगा कि मैंने राष्ट्रों को नष्ट करने के विषय में तुझसे जो कहा है, वह होगा।” 13 तब यहोवा ने मुझसे फिर से बात की और कहा, “अब तू क्या देखता है?”

मैंने उत्तर दिया, “मुझे उबलते पानी से भरा एक बर्तन दिखाई देता है। यह उत्तर में है, और मेरी ओर झुका हुआ है।”

14 यहोवा ने उत्तर दिया, “हाँ! इसका अर्थ है कि उत्तर से बड़ी पीड़ा इस भूमि पर फैल जाएगी, जैसे उबलता पानी किसी बर्तन से गिर रहा है।

     15 जो मैं कहता हूँ उसे सुन:

         मैं यहूदा के उत्तर के राज्यों की सेनाओं को यरूशलेम बुला रहा हूँ।

     उनके राजा इस नगर के द्वार पर अपने सिंहासन स्थापित करेंगे जिससे यह संकेत मिले कि वे अब यहूदा के राजा हैं।

         उनकी सेनाएँ इस शहर की दीवारों पर आक्रमण करेंगी और दीवारों को तोड़ देंगी, और वे यहूदा के अन्य सब नगरों के साथ भी ऐसा ही करेंगी।

     16 मैं अपने लोगों को उनके सब अनुचित कार्यों का दण्ड दूँगा जो उन्होंने किए हैं;

     उन्होंने मुझे त्याग दिया है और वे झूठे देवताओं की पूजा में भेंट चढ़ाई हैं।

         वे अपने हाथों से बनाई हुई मूर्तियों की पूजा करते हैं!

17 अतः उठ, अपने कपड़े पहन कर तैयार हो! तब यहूदा के लोगों के पास जा और उनको सब कुछ बता जो मैं तुझे कहने के लिए आदेश देता हूँ। उनसे डर मत, क्योंकि यदि तू उनसे डरेगा, तो मैं तुझे उनके सामने एक उदाहरण के रूप में दण्ड दूँगा! 18 परन्तु सुन! मैं तुझे दृढ़ करूँगा जैसे किसी शहर की ठोस दीवारें। तू लोहे के खम्भे या पीतल की दीवार के समान दृढ़ होगा। यहाँ तक कि राजसी अधिकारी, याजक और सामान्य लोग भी तुझे पराजित नहीं कर पाएँगे। 19 वे तेरा विरोध करेंगे, परन्तु वे तुझे पराजित नहीं कर पाएँगे, क्योंकि मैं तेरे साथ रहूँगा और तेरी रक्षा करूँगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैंने, यहोवा ने यह कहा है।”

Chapter 2

1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया 2 यरूशलेम में सबको सुनाने के लिए। उन्होंने कहा कि मैं सबको यह सन्देश सुनाऊँ,

     “मैं, यहोवा, तुम्हारे पक्ष में स्मरण रखता हूँ कि तुमने मेरे पीछे चलकर बहुत पहले हमारी वाचा पर भरोसा रखा।

         तुमने मुझे प्रसन्न करने का प्रयास किया जैसे दुल्हन अपने पति को प्रसन्न करने का प्रयास करती है;

     तुमने मुझसे प्रेम किया,

         और तुमने रेगिस्तान से होकर मेरा पीछा किया।

     3 उस समय तुम इस्राएली मेरे लिए अलग किए गए;

         उपज के पहले भाग के समान तुम मेरे थे।

     मैंने उन सबको दण्ड देने की प्रतिज्ञा की जिन्होंने तुमको, जो मेरे हो, हानि पहुँचाई,

         और उन पर विपत्तियाँ डालीं।

         ऐसा सदा ही होता रहेगा क्योंकि मुझ, यहोवा ने कहा कि ऐसा होगा।”

     4 इस्राएल के सब लोग, याकूब के वंशजों सुनो कि, यहोवा क्या कहते हैं। यहोवा जो कहते हैं उसे सुनना तुम्हारे लिए अनिवार्य है।

5 वह कहते हैं,

         “मैंने क्या पाप किया कि तुम्हारे पूर्वज मुझसे दूर हो गए थे?

     उन्होंने निकम्मी मूर्तियों की पूजा की,

         और वे स्वयं निकम्मे हो गए।

     6 उन्हें कहना चाहिए था,

         ‘हमें यहोवा की आवश्यकता है, उन्होंने ही हमें मिस्र से सुरक्षित निकाला था

     और रेगिस्तानी मैदान में हमारी अगुवाई की थी, जहाँ बहुत सारे गड्ढे थे।

         हमें यहोवा ही चाहिए जिन्होंने हमारा नेतृत्व किया

     जहाँ पानी नहीं था और जहाँ बहुत खतरे थे,

         ऐसी भूमि से होकर जहाँ कोई नहीं रहते यहाँ तक कि यात्रा भी नहीं करते है।’

     7 परन्तु जब मैं, यहोवा, तुम्हें एक उपजाऊ भूमि में लाया,

         कि तुम सब फलों और अन्य सब अच्छी वस्तुओं का आनन्द ले सको जो यहाँ उपजेंगी,

     तुमने मेरी प्रतिज्ञाओं के देश को मेरे लिए अयोग्य बना दिया है

         और तुम मेरे लिए घृणित हो गए हो।

     8 तुम्हारे याजकों ने भी नहीं पूछा

         कि मैं क्या अब भी उनके साथ था।

     जो लोग यहोवा के नियम सिखाते हैं वे स्वयं मेरे प्रति सच्चे नहीं हैं!

         और तुम्हारे अगुवों ने मुझसे विद्रोह किया है।

     तुम्हारे भविष्यद्वक्ताओं ने उनके बाल देवता के सन्देश तुम्हें सुनाए,

         और वे निकम्मी मूर्तियों की पूजा करते हैं।

     9 इसलिए मैं, यहोवा, तुम्हें अदालत में दोष दूँगा।

     और भविष्य में, मैं तुम्हारी सन्तान और तुम्हारे नाती-पोतों पर मुकद्दमा चलाऊँगा!

     ऐसा होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने कहा है कि ऐसा होगा।

     10 यदि तुम पश्चिम में साइप्रस द्वीप जाओ,

         या यदि तुम केदार भूमि के पूर्व में जाओ,

     और यदि तुम उन स्थानों में लोगों से पूछो,

         वे तुम्हें बताएँगे कि उनके देशों में कभी भी किसी ने ऐसे दुष्ट कार्य नहीं किए जैसे तुम लोगों ने किए हैं!

     11 किसी भी जाती के किसी भी व्यक्ति ने कभी भी अपने देवताओं को नहीं त्यागा है, जिन्हें वे महान समझते थे

         और उन देवताओं की पूजा करना आरम्भ किया जो वास्तव में देवता नहीं हैं,

     परन्तु तुम लोगों ने मुझे, अपने गौरवशाली परमेश्वर को त्याग दिया है,

         और देवताओं की पूजा कर रहे हो जो निकम्मे हैं।

     12 ऐसा लगता है कि तुम्हारे कार्यों से आकाश में सब कुछ निराश है;

         ऐसा लगता है जैसे वे थरथराते हैं और बहुत भयभीत होते हैं। मैं, यहोवा, देखता हूँ और तुम्हारे लिए यह घोषणा करता हूँ।

     13 तुम, मेरे लोगों ने दो अनुचित कार्य किए हैं:

     तुमने मुझे अस्वीकार कर दिया है, वह जो ऐसे सोते के समान है जहाँ तुम ताजा पानी प्राप्त कर सकते हो,

         और तुम देवताओं की पूजा कर रहे हो जो भूमि में गड्ढे के समान हैं

         जिनमें दरार हैं और जो पानी को रोकने में सक्षम नहीं हैं।

     14 तुम इस्राएली लोग, निश्चय ही जन्म से दास नहीं थे;

         तो तुम पर तुम्हारे शत्रुओं ने क्यों अधिकार कर लिया?

     15 तुम्हारे शत्रु सिंह के समान गरजे,

         और उन्होंने तुम्हारा देश नष्ट कर दिया।

     और अब तुम्हारे नगरों को जला दिया गया है,

         और उनमें कोई भी नहीं रहता है।

     16 मिस्र के नोप और तहपन्हेस के सैनिकों ने तुम्हें पराजित किया है

         और तुम्हारे सिरों को मुँड़वा दिया कि उनके दास दिखाई दो।

     17 इसका कारण है कि तुमने मुझे, अपने परमेश्वर यहोवा को त्याग दिया है,

         मैं तो तुम्हें सुरक्षा में ही लिए चल रहा था।

     18 तो तुम मिस्र में सीहोर के शासकों के साथ गठबन्धन करने का प्रयास क्यों कर रहे हो?

         तुम अश्शूर के शासकों के साथ गठबन्धन करने का प्रयास क्यों कर रहे हैं जो फरात नदी के पास रहते हैं?

     19 तुम बहुत दुष्ट हो इसलिए मैं तुम्हें दण्ड दूँगा।

         तुमने मुझसे मुँह मोड़ लिया है इसलिए मैं तुम्हें दोषी ठहराता हूँ।

     जब मैं ऐसा करूँगा, तब तुम्हें समझ में आएगा कि मुझे, तुम्हारे यहोवा, परमेश्वर को त्यागने का परिणाम कड़वा और बुरा होगा,

         और अब तुम्हारे मन में मेरा भय और सम्मान नहीं है।

     यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा, स्वर्ग के स्वर्गदूतों का प्रधान, ने यह कहा है।

     20 तुमने बहुत पहले से ही मेरी आज्ञाओं का पालन करना त्याग दिया है, और मेरी अगुवाई को स्वीकार नहीं किया है।

         मैंने तुम्हें दास होने से बचाया परन्तु तुमने मेरी आराधना करने से मना कर दिया।

     इसकी अपेक्षा, तुम हर एक पहाड़ी की चोटी पर पेड़ों के नीचे मूर्तियों की पूजा करते हो।

         तुम मेरी अपेक्षा उन मूर्तियों से प्रेम करते हो और पूजा करते हो जैसे एक विश्वासघाती व्यक्ति अपनी पत्नी की अपेक्षा वेश्या से प्रेम करता है।

     21 तुम तो मेरे द्वारा लगाई गई दाखलता थे जिन्हें मैं लगा सकता था,

         जो एक अच्छी दाखलता की कलम थी।

     अतः जब तुम निकम्मी और सड़ी हुई दाखलता हो गए हो तो यह घृणित है?

     22 तुम्हारे पापों का दोष कपड़े पर बहुत बुरे दाग के समान है,

         और तुम अच्छे से अच्छे साबुन का उपयोग करके भी उन दागों से छुटकारा नहीं पा सकते हो।

     यह सच है क्योंकि मैंने, यहोवा ने यह कहा है।

     23 तुम कहते हो कि तुमने पाप नहीं किया है।

     परमेश्वर को तुम ग्रहणयोग्य होने का दावा करते हो

         और कि तुमने बाल की मूर्तियों की पूजा नहीं की है।

     परन्तु उन घृणित कार्यों के विषय में सोचो जो तुम यरूशलेम के बाहर हिन्नोम घाटी में बहुत उत्सुकता से करते हो।

         तुम उन मादा ऊँटों के सामान हो जो नर ऊँटों के लिए उत्सुक होकर भागती फिरती हैं।

     24 तुम रेगिस्तान में रहने वाली जंगली गधी के समान हो।

         जो गधे की खोज में वायु को सूँघती है,

         उन्हें कोई नहीं रोक सकता।

     उनके चाहने वाले गधे उन्हें खोजते-खोजते थकते नहीं हैं;

         क्योंकि सम्भोग के समय वे उन्हें सरलता से खोज लेते हैं।

     25 पूजा करने के लिए मूर्तियों की खोज में तुम निरन्तर यहाँ से वहाँ भागते हो, जिसके परिणामस्वरूप तुम्हारे जूते फट गए हैं,

         और तुम्हारे गले सूख गए हैं।

     मैंने तुमसे कहा ऐसा मत करो परन्तु तुमने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता,

         और तुमने कहा कि तुम उन विदेशी देवताओं से प्रेम करते हो

         और तुम्हें उनकी पूजा करनी पड़ी!

     26 लुटेरा पकड़े जाने पर लज्जित होता है।

         और तुम, तुम्हारे राजाओं और याजकों और भविष्यद्वक्ताओं समेत, लज्जित होते हो।

     27 लकड़ी का एक टुकड़ा जिसे खोद कर मूर्ति तैयार की गई, उसे तुम अपना ‘पिता’ कहते हो

         और एक पत्थर जिसे तुमने खड़ा किया उसे तुम अपनी ‘माता’ कहते हो।

     तुमने मुझे त्याग दिया है

         परन्तु जब तुम संकट में होते हो,

     तुम मुझे पुकारते हो कि तुम्हें बचाऊँ!

     28 तुमने जो देवता बनाए हैं, उनके सामने क्यों नहीं चिल्लाते?

         बचाव के लिए उनसे विनती क्यों नहीं करते

         जब तुम पर विपत्तियाँ आती हैं?

     क्योंकि तुम्हारे पास इतने देवता हैं जितने यहूदा के नगर और कस्बे हैं!

     29 तुम शिकायत करते हो कि तुम्हें बचाना मेरे लिए यह गलत था,

         परन्तु तुमने मुझसे, यहोवा से जो इस समय तुमसे बात कर रहा है, विद्रोह किया है।

     30 मैंने तुम में से कुछ को दण्ड दिया,

         परन्तु तुमने मेरे इस कार्य से कुछ भी नहीं सीखा।

     इसकी अपेक्षा तुमने कई भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला जिन्हें मैंने तुम्हारे पास भेजा था,

         जैसे क्रूर शेर अन्य पशुओं को मार डालते हैं।

31 हे इस्राएल के लोगों, जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दो।

     यह तो निश्चय है कि मैंने तुम्हें रेगिस्तान में कभी नहीं छोड़ा था;

         मैंने तुम्हें किसी अन्धकार के देश में कभी नहीं छोड़ा।

     तो तुम, मेरे लोग क्यों कहते हो कि तुम मेरे नियंत्रण से मुक्त हो

         और यह कि तुम मेरी आराधना करने के लिए वापस नहीं आओगे?

     32 एक युवती गहने पहनना कभी नहीं भूलती,

         और एक दुल्हन अपनी विवाह की पोशाक पहनना कभी नहीं भूलती,

     परन्तु तुम मेरे लोग, मुझे कई वर्षों से त्याग चुके हो।

     33 तुम जानते हो कि अन्य देशों के देवताओं को सरलता से कैसे ढूँढें जिन्हें तुम प्रेम कर सकते हैं।

         वेश्याओं को सोने के लिए पुरुषों को ढूँढ़ना उतना सरल नहीं जितना तुम्हारे लिए अन्य देवताओं को ढूँढ़ना सरल है। तुम उसे विश्वासघात करना सिखा सकते हो!

     34 तुम्हारे कपड़ों पर गरीब लोगों का खून है; जिन लोगों की तुमने हत्या कर दी है;

         जो लोग निर्दोष थे! तुमने उन्हें चोरी करते नहीं पकड़ा था! परन्तु तुमने उनके साथ दुष्टता का व्यवहार किया

     35 और तुम कहते हो, ‘मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है!

         मुझे विश्वास है कि यहोवा मुझसे अधिक समय तक क्रोधित नहीं रहेंगे।’

     परन्तु मैं तुम्हें गम्भीर दण्ड दूँगा

         जो यह दावा करने के लिए होगा कि तुमने पाप नहीं किया है।

     36 पहले तुमने अश्शूरों की सेना से अपनी सहायता करने का अनुरोध किया था,

         परन्तु वे तुम्हारी सहायता करने में सक्षम नहीं थे।

     अब तुमने मिस्र की सेना से अपनी सहायता करने का अनुरोध किया है,

         परन्तु वे तुम्हारी सहायता करने में सक्षम नहीं होंगे, या तो।

     37 वे तुम्हें पकड़ लेंगे, और तुम उनके बन्दी होगे,

         और अपने सिरों पर हाथों को रख कर लज्जा से ले जाए जाओगे।

     ऐसा होगा क्योंकि यहोवा ने उन राष्ट्रों को त्याग दिया है जिन पर तुम भरोसा कर रहे हो,

         और वे तुम्हारी सहायता करने में सक्षम नहीं होंगे।”

Chapter 3

    

1 “लोग जानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को त्याग दे और फिर वह किसी और पुरुष से विवाह करती है,

         तो उसके पहले पति को निश्चय ही उसे फिर से अपनी पत्नी स्वीकार नहीं करना चाहिए।

     वह औपचारिक रूप से अशुद्ध होगी और उसने यहोवा के नियम को तोड़ दिया है।

     यह देश उस स्त्री के समान है।

     परन्तु वेश्याओं की तुलना में तुम्हारे पास उन पुरुषों से अधिक देवता हैं, जिनके साथ वह सोई है!

         अतः, तुम यदि मेरे पास वापस आते हो तो मैं तुम्हें क्यों स्वीकार करूँ? यह यहोवा हैं जो यह कहते हैं।

     2 “बंजर पहाड़ी की चोटी को देखो।

         हर एक पहाड़ी की चोटी पर तुमने स्वयं को मूर्तियों को दे दिया है

         जैसे एक वेश्या अपने आपको प्रेमी के हाथों में दे देती है।

     तुम एक अरबी बंजारे के समान सड़कों के किनारे पर बैठे हो, जो किसी के आने की प्रतीक्षा कर रहा है;

         परन्तु तुम उन लोगों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने की प्रतीक्षा कर रहे हो जो वहाँ आएँ।

     तुम्हारा यह विश्वासघात मूर्तियों की पूजा के कारण है,

         और तुम्हारी वेश्यावृत्ति तुम्हारी मूर्ति पूजा के समान है।

     सम्पूर्ण देश यहोवा के लिए अस्वीकार्य कर दिया गया है,

         और मूर्तिपूजा तुम्हारी वेश्यावृत्ति है और तुम्हारी दुष्टता ही है जो तुमको अशुद्ध बनाती है।

     3 यही कारण है कि मैंने वर्ष के उचित समय तुम्हें वर्षा नहीं दी, जब तुम्हें उसकी आवश्यकता थी।

     परन्तु तुम वेश्याओं के समान हो

         जो अपने कुकर्मों के लिए लज्जित नहीं हैं।

     4 अब तुम में से प्रत्येक जन मुझसे कहता है, ‘आप मेरे पिता हैं!

         जब मैं युवा था आपने मुझसे प्रेम किया है!

     5 अतः निश्चय ही आप मुझसे सदा क्रोधित नहीं रहेंगे!

     तुमने शपथ खाई कि मेरा आज्ञापालन नहीं करोगे और तुमने ऐसा ही किया!

         और तुमने बार-बार पाप किया!

     परन्तु तुम पाप करना नहीं छोड़ोगे।”

6 एक दिन जब योशिय्याह यहूदा का राजा था, तब यहोवा ने मुझसे कहा, “क्या तू ने देखा कि इस्राएल के लोगों ने क्या किया है? वे मुझसे दूर हो गए हैं, एक स्त्री जिसने अपने पति को त्याग दिया है और दूसरे पुरुषों के साथ सोती है वे हर एक पहाड़ी की चोटी पर और हर छायादार पेड़ के नीचे गए और वहाँ मूर्तियों की पूजा की। 7 मैंने सोचा कि वे मेरे पास वापस आ जाएँगे, परन्तु वे नहीं आए। और उनके भाई, यहूदा के लोग, ये सब देख रहे थे। 8 इसलिए मैंने इस्राएल के लोगों को दूसरे देशों में भेज दिया, जैसे कोई व्यक्ति एक पत्र लिख कर अपनी पत्नी को त्याग देता है और फिर उसे भेज देता है क्योंकि उसने व्यभिचार किया है। यहूदा के लोगों ने देखा कि उनके साथ क्या किया है परन्तु वे भी ठीक वैसे ही हैं जैसे इस्राएली लोग, उन्हें भय नहीं कि मैं उनके समय क्या करूँगा वे भी मुझसे दूर हो गए और मूर्तियों की पूजा करने लगे, जैसे कि स्त्रियाँ जो अपने पतियों को छोड़ कर दूसरे पुरुषों के पास जाती हैं। 9 उन्होंने चिन्ता नहीं की कि मूर्तियों की पूजा मुझे अप्रसन्न करती है, इसलिए उन्होंने लकड़ी और पत्थर की मूर्तियों की पूजा करके पूरे देश को अस्वीकार्य बना दिया है। 10 यहूदा के लोगों ने मेरे पास लौटने का ढोंग किया है, वे मन के सच्चे नहीं हैं। यह सच है क्योंकि मैंने, यहोवा ने यह कहा है।”

11 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, इस्राएल के लोग मुझसे दूर हो गए हैं, परन्तु यहूदा के लोगों ने क्या किया है। 12 तो जा और इस्राएल के लोगों को यह बता,

     ‘यहोवा इस्राएलियों से यह कहते हैं जो उनसे दूर हो गए हैं:

     मैं दयालु हूँ।

         मैं सदा तुमसे क्रोधित नहीं रहूँगा।

         इसलिए मेरे पास वापस आ जाओ।

     13 परन्तु तुमको यह स्वीकार करना होगा कि तुम दोषी हो,

         और तुमने मुझसे, तुम्हारे परमेश्वर से, विद्रोह किया है,

     कि तुमने हर एक स्थान में बड़े पेड़ों के नीचे मूर्तियों की पूजा की है,

         और तुमने मेरा आज्ञापालन नहीं किया है।

तुम मुझसे दूर हो गए हो।

     14 परन्तु तुम मेरे हो,

         तो मेरे पास वापस आओ, मेरे बच्चों!

         यदि तुम ऐसा करो, तो मैं तुमको प्रत्येक शहर में से एक और प्रत्येक गोत्र से दो को ले कर,

         वापस यरूशलेम ले आऊँगा।

     15 यदि तुम ऐसा करो, तो मैं तुम्हारे लिए ऐसे अगुवे नियुक्त करूँगा, जिनसे में प्रसन्न हूँ

         वे तुम्हारी उचित अगुवाई करेंगे वे जानेंगे और समझेंगे कि मैं क्या चाहता हूँ।

     16 और जब तुम अपने देश में असंख्य हो जाओगे,

         तब तुम्हें मेरे पवित्र सन्दूक जिसमें दस आज्ञाएँ हैं, उनके विषय में चर्चा करने की आवश्यकता नहीं होगी।

     तुम इसके विषय में सोचोगे भी नहीं,

         और तुम उसे नया बनाना नहीं चाहोगे।’

     17 उस समय लोग कहेंगे कि मेरा सिंहासन यरूशलेम में है।

     सब राष्ट्रों के लोग मेरी उपासना करने के लिए वहाँ आएँगे,

         और वे अहंकार की कामना के दुष्ट कर्मों से हठ धर कर फिर कभी नहीं करेंगे।

     18 उस समय तुम इस्राएल और यहूदा के लोग उत्तर के देशों में बन्धुआई से वापस आ जाएँगे।

         तुम उस देश में वापस आ जाओगे जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को सदा के लिए दिया था।

19 हे इस्राएलियों, मैं तुम्हें अपने बच्चों के रूप में स्वीकार करना चाहता था।

     मैं तुम्हें यह रमणीय देश देना चाहता था।

         यह किसी अन्य देश की भूमि से अधिक मनपसन्द भूमि है!

     मैं चाहता था कि तुम मुझे अपना पिता कहकर बुलाओ,

         और मैं चाहता था कि तुम मुझसे कभी दूर न जाओ।

     20 परन्तु तुमने मुझे ऐसे त्याग दिया है जैसे अपने पतियों को त्याग देने वाली स्त्रियाँ।”

         यहोवा ने यही कहा, और मैंने इसे इस्राएल के लोगों से कहा।

     21 तब परमेश्वर ने कहा, “लोग बंजर पहाड़ियों की चोटी पर शोर सुनेंगे।

         यह शोर उन लोगों द्वारा होगा जो रो रहे हैं और परमेश्वर की दया की याचना कर रहे हैं।

     वे यह स्वीकार करेंगे कि वे अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गए हैं,

         और उन्होंने परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप व्यवहार करना छोड़ दिया है।

     22 हे इस्राएली लोगों, मेरे पास वापस आओ!

         यदि तुम ऐसा करो, तो मैं तुमको फिर कभी मुझसे दूर नहीं होने दूँगा।”

     लोग कहेंगे, “हम आपके पास लौट रहे हैं,

         क्योंकि आप यहोवा, हमारे परमेश्वर हो।

     23 जब हमने पर्वतों पर मूर्तियों की पूजा की, तो हमें कोई सहायता नहीं मिली।

         हमें वहाँ चीख पुकार मचाने से कोई सहायता नहीं मिली, अब हम समझ गए हैं कि हमारा परमेश्वर यहोवा ही इस्राएल की रक्षा का एकमात्र मार्ग है।

     24 हमारी युवावस्था से ही निर्ल्लज बाल देवता हमारे पूर्वजों के कठोर परिश्रम से प्राप्त हमारा सब कुछ लूट रहा है।

         उसने उनकी भेड़ों और बकरियों, उनके पुत्रों और उनकी पुत्रियों को भी ले लिया है।

     25 अतः अब हमें बहुत लज्जित होना चाहिए,

         क्योंकि हमने और हमारे पूर्वजों ने हमारे परमेश्वर यहोवा के विरूद्ध पाप किया है,

     और हमने कभी उनका आज्ञापालन नहीं किया है।”

Chapter 4

    

1 यहोवा कहते हैं, “तुम इस्राएली लोग, यदि किसी के पास वापस आते हो, तो मेरे ही पास आना।

         यदि तुम उन घृणित मूर्तियों से छुटकारा पाओ,

         यदि तुम मुझसे फिर दूर न जाओ,

     2 और यदि तुम घोषणा करते हो, ‘जैसे निश्चय ही यहोवा जीवित हैं,’

     वह जो कहते हैं, सच और न्यायसंगत है,

         और वह धार्मिकता कर जीवन की शिक्षा देते हैं,

     तब पृथ्‍वी के अन्य देशों के लोग

     मुझसे विनती करेंगे कि मैं उन्हें भी आशीष दूँ जैसे मैंने तुम्हें आशीष दी है,

     और वे सब आकर मेरा सम्मान करेंगे।”

3 यहोवा यरूशलेम और यहूदा के अन्य शहरों के लोगों से यही कहते हैं,

     “अपने मन को मेरे सन्देश ग्रहण करने के लिए तैयार करो

         जैसे कि किसान कठोर भूमि को हल से जोतते हैं कि उसमें बीज बो सकें।

     जैसे कि किसान कंटीली झाड़ियों में बीज डाल कर अच्छे बीज नष्ट नहीं करते हैं,

         मैं अपने सन्देश को व्यर्थ नहीं करना चाहता हूँ कि यदि तुम उन्हें ग्रहण करने के लिए तैयार नहीं हो।

     4 दिखाओ कि तुम्हारा मन-मस्तिष्क मुझे समर्पित है।

         यदि तुम ऐसा नहीं करते हो, तो मैं

         तुम्हारे द्वारा किए गए पापों के कारण तुमसे क्रोधित रहूँगा

         जो ऐसी आग के समान होगा जिसे बुझाना असम्भव होगा।

     5 यरूशलेम और यहूदिया के सब लोगों को यह घोषित करो;

         लोगों को चेतावनी देने के लिए देश के हर स्थान में तुरही बजाओ।

     उन्हें बताओ कि उन्हें भाग कर

         उन शहरों में जाना है जिनके चारों ओर ऊँची दीवारें हैं।

     6 यरूशलेम के लोगों के लिए चिल्लाओ

     और तुरन्त भागो। देर मत करें,

         क्योंकि मैं तुम पर एक भयानक विपत्ति लाने वाला हूँ

         जो उत्तर से आएगी।

     7 एक सेना जिसने कई राष्ट्रों को नष्ट कर दिया है, तुम पर आक्रमण करेगी

         एक सिंह के समान जो अन्य पशुओं पर आक्रमण करने के लिए अपनी गुफा से बाहर आता है।

     उस सेना के सैनिक

         पहले से ही तुम्हारे देश की ओर बढ़ रहे हैं।

         वे तुम्हारे शहरों को नष्ट कर देंगे और उन्हें निर्जन छोड़ देंगे।

8 अतः, टाट के वस्त्र पहन कर

     रोओ और अपनी छातियाँ पीटो

         जिससे प्रकट हो कि तुम अपने कार्यों से दुखी हो,

         क्योंकि यहोवा अभी भी हमसे क्रोधित हैं।

     9 यहोवा ने घोषणा की है कि जब वह तुम्हें दण्ड देंगे, तब यहूदा के राजा और उसके सब अधिकारी बहुत डरेंगे।

         याजक और भविष्यद्वक्ता भयभीत होंगे।”

10 तब मैंने उत्तर दिया, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, आपने उन लोगों को यह कहकर धोखा दिया है कि यरूशलेम में शान्ति होगी, परन्तु अब हमारे शत्रु हमें तलवार से मारने के लिए तैयार हैं!”

11 जब ऐसा होता है, तो यहोवा यरूशलेम के लोगों से कहते हैं,

     “तुम पर आक्रमण करने के लिए एक बड़ी सेना आएगी।

         वे एक हल्की सी हवा के समान नहीं होंगे जो गेहूँ को भूसी से अलग करती है।

     वे रेगिस्तान से उड़ने वाली बहुत गर्म हवा के समान होंगे।

     12 वे एक प्रबल धमाके के समान होंगे जो मैं भेजूँगा।

         अब मैं घोषणा कर रहा हूँ कि मैं तुम्हें दण्ड दूँगा।”

     13 और यरूशलेम के लोग कहेंगे, “हमारे शत्रु हम पर टूट पड़ने को हैं, उनके रथ बवण्डर के समान हैं।

         उनके घोड़े उकाबों से भी अधिक तेज हैं।

     यह हमारे लिए भयानक होगा!

     14 तुम, यरूशलेम के लोगों अपने मन को शुद्ध करो,

         कि यहोवा तुम्हें बचाएँ।

     तुम कब तक बुराई करने के विषय में सोचते रहोगे?

     15 दूर उत्तर में दान के नगर से एप्रैम की पहाड़ियों तक यरूशलेम के कुछ मील उत्तर में सन्देशवाहक घोषणा कर रहे हैं कि विपत्तियाँ आ रही हैं।”

     16 इसलिए मैंने यह अन्य देशों के लोगों से कहा,

         और यरूशलेम में भी इसकी घोषणा की,

     “यहोवा कहता है कि यरूशलेम में एक सेना बहुत दूर से आ रही है;

         वे यहूदा के नगरों के विरुद्ध एक युद्ध की ललकार करेंगे।

     17 वे यरूशलेम के चारों ओर तम्बू स्थापित करेंगे जैसे लोग फसल के समय मैदान के चारों ओर अस्थाई आश्रय स्थापित करते हैं।

         ऐसा होगा क्योंकि यहूदा के लोगों ने मुझसे विद्रोह किया है।

     18 तुम्हें बहुत गम्भीर दण्ड दिया जाएगा;

         यह ऐसा होगा जैसे तलवार ने तुम्हारे हृदय को छेद दिया है।

     परन्तु तुम ही अपने साथ ऐसा होने का कारण बने हो

         तुम्हारे बुरे कार्यों के कारण।”

     19 तब मैंने स्वयं से कहा, “मैं बहुत पीड़ा से पीड़ित हूँ;

         मेरे मन का दर्द बहुत गम्भीर है।

         मेरा हृदय जोर-जोर से धड़कता है!

     परन्तु मैं चुप नहीं रह सकता

         क्योंकि मैंने अपने शत्रुओं को तुरही बजाते हुए सुना है

         यह घोषणा करने के लिए कि यहूदा के विरुद्ध युद्ध तुरन्त आरम्भ होने वाला है!

     20 विपत्तियाँ एक के बाद एक आती रहेंगी

         जब तक पूरा देश नष्ट नहीं हो जाता है।

     हमारे तम्बू अकस्मात ही नष्ट हो जाएँगे;

         तम्बू के भीतर पर्दे भी फाड़ दिए जाएँगे।

     21 यह युद्ध कब तक जारी रहेगा?

         मैं शत्रु के युद्ध झण्डे कब तक देखता रहूँगा

         और उनकी तुरही बजाए जाने की आवाज कब तक सुनता रहूँगा?

     22 यहोवा कहते हैं: मेरे लोग बहुत मूर्ख हैं!

         उनके साथ मेरा सम्बन्ध नहीं है।

     वे मूर्ख बच्चों के समान हैं

         वे कुछ भी नहीं समझते हैं।

     वे बहुत चालाकी से अनुचित कार्य करते हैं,

         परन्तु वे नहीं जानते कि भले कार्य कैसे करना है।

     23 परमेश्वर ने मुझे एक दर्शन दिया है जिसमें मैंने देखा

         कि पृथ्‍वी बंजर और बेडोल है।

     मैंने आकाश को देखा,

         और वहाँ प्रकाश नहीं था।

     24 मैंने पर्वतों और पहाड़ियों को देखा,

         और वे हिल-हिल कर डोल रहे थे।

     25 मैंने सब स्थानों में देखा कि लोग नहीं थे

         और सब पक्षी भी उड़ गए थे।

     26 मैंने देखा कि खेत जो पहले उपजाऊ थे, अब रेगिस्तान बन गए थे।

     शहर सब उजाड़ हो गए थे;

         वे सब यहोवा ने नष्ट कर दिए थे क्योंकि वह बहुत क्रोधित थे।”

27 यहोवा यही कह रहे हैं,

     “यहूदा का सम्पूर्ण देश नष्ट हो जाएगा,

         परन्तु मैं इसका सर्वनाश नहीं करूँगा।

     28 मैं अपने लोगों के साथ वही करूँगा जो मैंने कहा था कि मैं करूँगा,

         और मैं अपना विचार नहीं बदलूँगा।

     अतः जब ऐसा होगा, तो पृथ्‍वी शोक करेगी

         और आकाश में बहुत अन्धकार छा जाएगा।

     29 जब लोग शत्रु के घुड़सवारों और धनुर्धारियों की आवाज सुनेंगे,

         तब वे भयभीत होकर अपने शहरों से भागेंगे।

     उनमें से कुछ को झाड़ियों में छिपने का स्थान मिल जाएगा,

         और अन्य अपने शत्रुओं द्वारा मारे जाने से बचने के लिए खदानों की ओर भागेंगे।

     यहूदा के सब नगर खाली हो जाएँगे;

         उनमें एक भी मनुष्य नहीं रहेगा।

     30 अतः तुम निश्चय ही नष्ट हो जाओगे,

         तब तुम क्या करोगे?

         भले ही तुमने सुन्दर कपड़े और गहने पहने हों

         और अपनी आँखों में काजल लगाया हो,

     उनसे तुम्हें सहायता नहीं मिलेगी,

         क्योंकि अन्य देशों के लोग जिनके लिए तुम सोचते हो कि वे तुमसे प्रेम करते हैं, वे वास्तव में तुम्हें तुच्छ समझते हैं,

         और वे तुम्हें मारने का प्रयास करेंगे।

     31 ऐसा लगता है कि मैं यरूशलेम में लोगों को जोर-जोर से रोते हुए सुन रहा हूँ,

         जैसे एक स्त्री अपने पहले बच्चे को जन्म देते समय रोटी है;

     वह साँस लेने के लिए हाँफती है और किसी से सहायता की भीख माँगती है

         और वह चिल्लाती है, ‘मेरे साथ कुछ भयानक हो रहा है; वे मुझे मारने वाले हैं!’”

Chapter 5

    

1 मुझ यहोवा ने यरूशलेम के लोगों से कहा, “सड़कों पर इधर-उधर जाओ।

         बाजारों में उन लोगों को ढूँढ़ो जो उचित कार्य करते हैं,

         जो मेरे प्रति निष्ठावान होने का प्रयास करते हैं।

     यदि तुम्हें ऐसा कोई भी व्यक्ति मिल जाए,

         तो मैं यरूशलेम के लोगों को क्षमा कर दूँगा और अपने शहर को नष्ट नहीं करूँगा।

     2 परन्तु जब लोग यहोवा के जीवन की आधिकारिक शपथ खाते हैं,

     तब वे झूठ बोलते हैं।”

     3 इसलिए मैंने प्रार्थना की, “हे यहोवा, आप निश्चय ही उन लोगों की खोज कर रहे हैं जो आपके प्रति निष्ठावान हैं।

         आपने अपने लोगों को दण्ड दिया, परन्तु उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।

     आपने उन्हें कुचल दिया, परन्तु उन्होंने वह नहीं किया जो आपने उन्हें करने के लिए बोला।

     उनके मन बहुत कठोर हैं

         उन्होंने आपके पास लौट आने से मना कर दिया है।”

     4 तब मैंने सोचा, “हम इन लोगों से धार्मिकता के कार्य करने की आशा नहीं रख सकते, क्योंकि वे गरीब हैं;

         इनमें समझ नहीं है।

     ये नहीं जानते कि यहोवा उनसे कैसा जीवन चाहते हैं;

         ये नहीं जानते कि परमेश्वर उनसे क्या करने की अपेक्षा करते हैं।

     5 अतः, मैं जाऊँगा और उनके अगुवों से बात करूँगा,

         क्योंकि वे निश्चय ही जानते हैं कि परमेश्वर उनसे कैसा जीवन चाहते हैं।”

     परन्तु उन्होंने भी यहोवा का आज्ञापालन करना बन्द कर दिया है,

         और वे उसे उनकी अगुवाई नहीं करने देंगे।

     6 इसी कारण, शेर जंगल से निकल आएँगे और उन्हें मार डालेंगे; रेगिस्तान से

         भेड़िये उन पर आक्रमण करेंगे;

         तेन्दुए जो उनके शहरों के बाहर छिपे हुए हैं, वे शहरों के बाहर चलने वाले व्यक्तियों को मार देंगे।

     यह सब इसलिए होगा कि इन लोगों ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किए हैं

         और बार-बार उनसे दूर हो गए हैं।

     7 यहोवा कहते हैं, “मैं इन लोगों को क्षमा नहीं कर सकता;

         यहाँ तक कि उनके बच्चों ने मुझे छोड़ दिया है।

     जब वे गम्भीर घोषणा करते हैं, तब वे अपने देवताओं से यह कहते हैं कि वे जो कुछ भी कहते हैं उसे वे सच सिद्ध करें।

     मैंने अपने लोगों को वह सब कुछ दिया जो उन्हें चाहिए था,

         परन्तु वे पहाड़ियों पर ऊँचे स्थानों पर गए, जहाँ उन्होंने अपनी मूर्तियों की पूजा की और वहाँ व्यभिचार किया।

     8 जैसे अच्छी तरह से खिलाए गए घोड़े, मादा घोड़ों के साथ सम्भोग करना चाहते हैं,

         प्रत्येक पुरुष अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ सोना चाहता है।

     9 क्या मैं उन्हें इसका दण्ड नहीं दूँ?

         मैं निश्चय ही इस देश से बदला लूँगा जिसके लोग ऐसा व्यवहार करते हैं!

     10 यहूदा और इस्राएल के लोग अँगूर के बाग के समान हैं।

     उनकी दाख की बारियों में पंक्तियों के साथ चलो

     और अधिकांश लोगों से छुटकारा पाओ,

         परन्तु उन सबको मत मारो।

     ये लोग मेरे नहीं हैं,

     अतः उनका नाश कर दो,

         जैसे माली दाखलता से शाखाओं को काट देता है।

     11 इस्राएल और यहूदा के लोग पूरी तरह से मुझसे दूर हो गए हैं।

     12 उन्होंने मेरे विषय में झूठ बोला और कहा,

         ‘वह हमारी सहायता करने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते!

         वह हमें दण्ड नहीं देंगे!

         वह हमारे ऊपर कोई विपत्ति नहीं भेजेंगे!

         हमारे यहाँ न तो युद्ध होगा, न ही अकाल पड़ेगा!

     13 परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता जो कहते हैं वह हवा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं!

         उनके पास परमेश्वर का सन्देश नहीं हैं!

         अतः क्योंकि उन्होंने मुझ पर विश्वास नहीं किया है, इसलिए उनके साथ यह सब होगा!’”

14 अतः, स्वर्ग में स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा ने मुझसे यही कहा है,

     “कि मेरे लोग ऐसा कह रहे हैं,

         मैं तुझे उनके लिए एक सन्देश दूँगा जो आग के समान होगा,

         और ये लोग लकड़ी के समान होंगे जिसे आग पूरी तरह जला देगी!

     15 हे इस्राएल के लोगों, यहोवा की घोषणा सुनों:

     मैं दूर के देश से सेना लाऊँगा कि तुम पर आक्रमण करे।

         वह एक बहुत ही शक्तिशाली राष्ट्र है जो लम्बे समय से अस्तित्व में है।

     तुम उनकी भाषा नहीं समझते हो,

         और जिसे समझने में तुम सक्षम भी नहीं होगे।

     16 उनके सब सैनिक बहुत बलवन्त हैं,

         और उनके तरकश से तीर यहूदा के अनेक पुरुषों को उनकी कब्रों में भेज देंगे।

     17 वे तुम्हारे खेतों की फसल से भोजन करेंगे,

         जबकि तुम्हारे बच्चों को तुम्हारी रोटी खाना चाहिए।

     वे तुम्हारी भेड़ों को और बकरियों को मार देंगे।

         वे तुम्हारे अँगूर और अंजीर खाएँगे।

     वे तुम्हारे शहरों को भी नष्ट कर देंगे जिनके चारों ओर ऊँची दीवारें हैं

         और लोगों को अपनी तलवार से मार डालेंगे।

18 परन्तु इन सब बातों के होने पर भी मैं तुम्हारा अन्त नहीं करूँगा।

     19 और जब लोग पूछते हैं, ‘यहोवा हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं?’

         तब तुम उनसे कहना, तुमने उनको त्याग दिया और अपनी भूमि में विदेशी देवताओं की पूजा की,

         इसलिए अब तुम ऐसे देश में विदेशियों के दास बन जाओगे जो तुम्हारा देश नहीं हैं।’”

     20 यहोवा ने मुझे यह सन्देश इस्राएल और यहूदा के लोगों को सुनाने का आदेश दिया,

     21 “सुनो, तुम लोग जो मूर्ख और निर्बुद्धि हो!

         तुम्हारे पास आँखें हैं, परन्तु तुम देख नहीं सकते हो।

     हाँ, तुम्हारे कान हैं, परन्तु तुम कुछ भी सुन नहीं सकते हो।

     22 तुम्हारे मन में मेरा भय और सम्मान क्यों नहीं हैं?

         मेरी उपस्थिति में तुम्हें थरथराना चाहिए!

     मैं, यहोवा ही वह हूँ जिसने तटों की सीमा बाँधी है

         कि समुद्र का पानी इसे पार न कर सकें और भूमि बाढ़ ग्रस्त न हो।

     लहरें उठती हैं और गर्जना करती हैं, परन्तु वे उस सीमा को पर नहीं कर सकती हैं।

     23 परन्तु तुम लोग उन लहरों के समान नहीं हो जो मेरी आज्ञा मानती हैं।

         तुम लोग बहुत हठीले और विद्रोही हो,

         और निरन्तर मुझसे दूर होते रहे हो।

     24 तुम यह मत कहो,

         ‘आओ हम अपने परमेश्वर यहोवा का भय माने और उनका सम्मान करें,

         वह आवश्यकता के समय वर्षा भेजते हैं,

         और कटनी के समय अनाज को पकने देते हैं।’

     25 तुम्हारे बुरे कार्यों के कारण ही ये सब भले कार्य नहीं हुए।

         यह तुम्हारे पापों के कारण है जो तुमने किए हैं कि तुम इन आशीषों से चुक गये हो।

     26 मेरे लोगों में से दुष्ट लोग हैं जो लोगों पर आक्रमण करने के लिए सड़कों पर छिपते हैं

         जैसे शिकारी पक्षियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाते हैं।

     27 जैसे शिकारी का पिंजरा पकड़े हुए पक्षियों से भरा रहता है,

         वैसे ही उनके घर उन वस्तुओं से भरे हुए हैं जो उन्होंने लोगों से छल करके ली हैं

     इसलिए अब वे बहुत समृद्ध और शक्तिशाली हैं।

     28 वे बड़े और मोटे हैं

         क्योंकि वे समृद्ध भोजन खाते हैं, और उनके बुरे कर्मों की कोई सीमा नहीं है।

         अदालत में, वे न्यायधीशों के समक्ष निष्पक्ष निर्णय में साधारण लोगों की सहायता नहीं करते हैं, और वे अनाथों की रक्षा करने का प्रयास नहीं करते हैं।

         वे अदालत में उन्हें सुनना भी नहीं चाहते हैं।

     29 इसलिए मैं निश्चय ही ऐसे कार्यों का उन्हें दण्ड दूँगा।

         मैं, यहोवा, यह घोषणा करता हूँ कि मैं निश्चय ही उनके देश से बदला लूँगा।

     30 इस देश में बहुत ही भयानक बातें हो रही हैं:

     31 भविष्यद्वक्ता केवल झूठ बोलते हैं

     और याजक अपने अधिकार से शासन करते हैं,

         फिर भी तुम इसे पसन्द करते हो!

     परन्तु जब तुम पर विपत्ति आ पड़ेगी, तब तुम क्या करोगे?

Chapter 6

    

1 तुम लोग जो बिन्यामीन के गोत्र से यरूशलेम में हो,

         इस शहर से भागो!

     यरूशलेम के दक्षिण में तकोआ शहर में तुरही फूँको!

     बेथक्केरेम शहर में धुएँ का संकेत भेजो की लोगों को आने वाले खतरे की चेतावनी मिले

     उत्तर से तुम्हारे विरुद्ध एक शक्तिशाली सेना आएगी,

         और वह महा-विनाश का कारण बनेगी।

     2 यरूशलेम एक सुन्दर स्त्री के समान है,

         परन्तु शीघ्र ही इसे नष्ट कर दिया जाएगा।

     3 शत्रु राजा, विदेशी जातियों के चरवाहे, अपनी सेनाओं के साथ आएँगे और शहर के चारों ओर अपने तम्बू स्थापित करेंगे,

         और प्रत्येक राजा अपने सैनिकों के लिए शहर का एक भाग चुनेगा की वे उसे नष्ट करें जैसे चरवाहे अपनी भेड़ों के लिए चारागाह को विभाजित करते हैं।

     4 राजा अपने सैनिकों से कहेंगे,

         ‘युद्ध के लिए तैयार होने के लिए आवश्यक बलिदान करो।

         हमें दोपहर से पहले उन पर आक्रमण करना होगा,

     परन्तु हम यदि दोपहर बाद भी वहाँ पहुँचे,

     5 तो हम रात को उन पर आक्रमण करेंगे

         और उनके किलों को ढा देंगे।’”

6 स्वर्ग में स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा कहते हैं,

     “मैं उन सैनिकों को यरूशलेम के बाहर के पेड़ों को काटने का

         और शहर की दीवारों तक ढलान बनाने का आदेश दूँगा!

     इस शहर को दण्ड दिया जाना चाहिए

         क्योंकि वहाँ हर कोई दूसरों का निरन्तर शोषण करता है।

     7 इसके लोग दुष्टता के कार्य करते रहते हैं,

         जैसे एक कुआँ निरन्तर पानी देता रहता है।

     हिंसक और विनाशकारी कार्य करने वाले लोगों का शोर हर स्थान में सुना जाता है।

         मैं निरन्तर उन लोगों को देखता हूँ जो पीड़ित और घायल हैं।

     8 सुनो कि मैं, तुम यरूशलेम के लोगों को क्या चेतावनी दे रहा हूँ,

         क्योंकि यदि आप नहीं सुनते, तो मैं तुम्हें अस्वीकार कर दूँगा

     और तुम्हारे देश को उजड़ जाने दूँगा,

         एक निर्जन स्थान बनने दूँगा।”

9 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा यह कहते हैं,

         “तुम्हारे शत्रु तुम्हारे देश को ऐसे उजाड़ देंगे जैसे दाख के बाग में हर एक दाखलता से सब अँगूर तोड़ लिए गए हैं।

     उन लोगों को बन्धुआई में ले जाने के बाद इस्राएल में जो लोग बचे रहेंगे सैनिक उनकी सम्पत्ति लूट लेंगे

         जैसे कि किसान जा कर दाखलताओं से बचे हुए अँगूर भी चुन लेता है।

     10 मैं, यिर्मयाह, किससे कहूँ कि इस्राएलियों को चेतावनी दे, मेरी बात कौन सुनेगा?

         यह ऐसा है जैसे कि उनके कण बन्द हैं।

     जिसके कारण वे सुन नहीं सकते हैं।

         वे मेरे सन्देशों का उपहास करते हैं, वे उन्हें सुनना ही नहीं चाहते हैं!”

     11 यह सुनने के बाद मैं बहुत क्रोधित हो गया,

         जैसे यहोवा क्रोधित हैं, और मैं अपने आपको रोक नहीं पाया।

     तो यहोवा ने मुझसे कहा,

         “सड़कों पर बच्चों को जो एकत्र होते हैं, उनसे कहा लोगों को बताओ।

     पुरुषों और उनकी पत्नियों से कह;

         वृद्ध लोगों से भी कह।

     12 पुरुषों से कह कि मैं उनके घरों को उनके शत्रुओं को दे दूँगा,

         और मैं उनकी सम्पत्ति और उनकी पत्नियों को भी उन्हें दे दूँगा,

     जब मैं इस देश में रहने वालों को दण्ड दूँगा!

     13 हर कोई दूसरों को धोखा दे कर पैसा पाने का प्रयास कर रहा है,

         महत्वहीन लोगों से ले कर सबसे महत्वपूर्ण लोगों तक।

     यहाँ तक कि मेरे भविष्यद्वक्ता और याजक भी पैसों के लिए लोगों को धोखा दे रहे हैं।

     14 उनका व्यवहार ऐसा है जैसे कि मेरे लोगों के पाप छोटे घावों जैसे हैं जिनका वे सरलता से उपचार कर सकते हैं।

     वे लोगों को निरन्तर शान्ति देते रहते हैं, वे कहते हैं, मैं आशा करता हूँ कि तुम्हारा कल्याण हो रहा है। 15 उन्हें अपने घृणित कार्यों के लिए लज्जित होना चाहिए, परन्तु वे लज्जित नहीं हैं। उनके चेहरों पर लज्जा नहीं है।

     अतः, वे भी उन लोगों में होंगे जो मारे जाएँगे। जब मैं उन्हें दण्ड दूँगा तब वे नष्ट हो जाएँगे।”

16 यहोवा ने इस्राएलियों से यह भी कहा,

     “चौराहों पर खड़े हो जाओ और आने-जाने वालों को देखो।

         उनसे पूछो कि पूर्व काल में उनके पूर्वजों का व्यवहार कैसा था।

     और जब वे तुम्हें बताएँ, तो वैसा ही व्यवहार करो।

         यदि तुम ऐसा करोगे, तो विश्राम पाओगे।

     परन्तु तुमने कहा कि तुम ऐसा नहीं करना चाहते थे!

     17 मैंने अपने भविष्यद्वक्ताओं को भेजा जो पहरेदारों के समान थे।

         उन्होंने तुमसे कहा कि सावधानी से तुरहियों की आवाज सुनो कि शत्रुओं के आने कि चेतावनी है,

         परन्तु तुम सुनना नहीं चाहते थे।

     18 इसलिए, अन्य राष्ट्रों के लोगों इसे सुनो:

         ध्यान दो कि इस्राएली लोगों के साथ क्या होने जा रहा है।

     19 तुम सब सुनो!

         मैं इस्राएली लोगों पर विपत्ति ले आऊँगा।

         उनके साथ ऐसा ही होगा क्योंकि उन्होंने मेरी बात सुनने से मना कर दिया है।

         उन्होंने मेरे नियमों का पालन करने से मना कर दिया है।

     20 तुम इस्राएली लोग, जब शेबा से आए हुए लोबान को जलाते हो

         और जब तुम दूर से आया सुगन्धित अभिषेक का तेल चढ़ाते हो,

         मैं तुम्हारे चढ़ावों से प्रसन्न नहीं होऊँगा।

     मैं उन बलिदानों को स्वीकार नहीं करूँगा जो वेदी पर पूरी तरह जलाई जाती हैं;

         मैं तुम्हारी किसी भी बलि से प्रसन्न नहीं हूँ।

21 इसलिए, मैं उन सड़कों पर बाधा डालूँगा जिन पर से मेरे लोग यात्रा करेंगे।

         पुरुष और उनके पुत्र और लोगों के पड़ोसी और मित्र उन बाधाओं से ठोकर खा कर गिरेंगे;

     सब मर जाएँगे।”

22 यहोवा यह भी कहते हैं,

     “तुम देखोगे कि उत्तर दिशा से एक विशाल सेना तुम्हारी ओर बढ़ रही है।

         दूर के एक महान देश की सेना तुम पर आक्रमण करने की तैयारी कर रही है।

     23 उनके पास धनुष और तीर और भाले हैं;

         वे बहुत क्रूर हैं, और किसी पर दया नहीं करते हैं।

     जब वे अपने घोड़ों पर सवारी करते हैं,

         तब उनके घोड़ों की टाप समुद्र की लहरों की गर्जन के समान सुनाई देती हैं;

     वे युद्ध के लिए व्यवस्थित होकर सवारी कर रहे हैं

         कि तुम, यरूशलेम के लोगों पर आक्रमण करें।”

     24 यरूशलेम के लोग एक-दूसरे से कहते हैं,

     “हमने शत्रु के विषय में समाचार सुना है;

         इसलिए हम बहुत डरे हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप हम दुर्बल हो गए हैं।

     हम बहुत डरे हुए हैं, और चिन्तित हैं,

         ऐसी स्त्री के समान जो बच्चों को जन्म देने वाली है।

     25 अतः, बाहर खेतों में मत जाओ! सड़कों पर मत जाओ,

     क्योंकि शत्रु के सैनिकों के हाथों में तलवारें हैं और वे हर स्थान में हैं;

         वे सब दिशाओं से आ रहे हैं, और हम बहुत डरे हुए हैं।”

     26 इसलिए मैं, यिर्मयाह, तुमसे कहता हूँ,

     “मेरे प्रिय लोगों, टाट के वस्त्र पहन कर राख में बैठो

     कि अपने पापों के लिए दुख प्रकट करो।

     विलाप करो और बहुत रोओ,

         जैसे एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर माँ रोती है।

     तुम्हारे शत्रु बहुत निकट हैं,

         और वे सब कुछ नष्ट करने जा रहे हैं।”

27 तब यहोवा ने मुझसे कहा,

     “यिर्मयाह, मैंने तुझे ऐसा व्यक्ति बनाया है जो धातु को इतना गर्म करता है कि उसकी अशुद्धियाँ समाप्त हो जाएँ।

         तू मेरे लोगों के व्यवहार की जाँच करेगा।

     28 तू देखेगा कि वे हठीले विद्रोही हैं:

         वे सदा दूसरों की निन्दा करते हैं।

     उनके मन पीतल या लोहे जैसे कठोर है;

         वे सब दूसरों को निरन्तर धोखा देते रहते हैं।

     29 धातु का कार्य करने वाला आग को तेज करने के लिए धौंकनी को बहुत तेजी से चलाता है कि धातु की अशुद्धियाँ जल जाएँ।

     परन्तु जैसे आग सब अशुद्धियों को निकाल नहीं पाती है,

         वैसे ही लोगों को उनके दुष्ट कर्मों से अलग करना असम्भव है।

     30 मुझ यहोवा, ने उन्हें त्याग दिया है;

         मैं कहता हूँ कि वे निकम्मी चाँदी के समान हैं।”

Chapter 7

1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने मुझसे कहा, 2 “मेरे भवन के प्रवेश द्वार पर जा और लोगों को यह सन्देश दे: यहूदा के लोगों तुम जो यहाँ आराधना करते हो, यहोवा से इस सन्देश को सुनों। 3 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, तुमसे कहते हैं: ‘यदि तुम अपनी जीवन-शैली सुधारते हो और सही कार्य करना आरम्भ करते हो, तो मैं तुम्हें तुम्हारे देश में रहने दूँगा। 4 परन्तु कुछ लोग बार-बार तुमसे कह रहे हैं, ‘यहोवा का भवन यहाँ है, इसलिए हम सुरक्षित रहेंगे; वह हमें और आराधनालय को नष्ट होने नहीं देंगे।’ परन्तु वे जो कहते हैं उस पर ध्यान न दें, क्योंकि वे तुम्हें धोखा दे रहे हैं। 5 यदि तुम अपना व्यवहार बदलो और बुराई का त्याग करो, और दूसरों के प्रति निष्पक्ष कार्य करो, 6 और यदि तुम अपने देश में रहने वाले परदेशियों और अनाथों और विधवाओं पर अत्याचार करना बन्द कर दो, और यदि तुम लोगों की हत्या करना और अन्य देवताओं की पूजा करना बन्द कर देते हो तो मैं तुम पर दया करूँगा। 7 यदि तुम वही करो जो मैं कहता हूँ, तो मैं तुमको इस देश में रहने दूँगा जिसकी मैंने तुम्हारे पूर्वजों से प्रतिज्ञा की थी कि यह देश उनके और उनके वंशजों के लिए सदा के लिए होगा।

8 लोग बार-बार तुमसे कह रहे हैं, ‘आराधनालय यहाँ है, इसलिए हम सुरक्षित हैं,’ और तुम उनकी बातों पर विश्वास कर रहे हो कि वे जो कह रहे हैं वह सच है। परन्तु वे लोग तुम्हें धोखा दे रहे हैं; वे जो कहते हैं व्यर्थ है। 9 तुम सोचते हो कि तुम चोरी कर सकते हो, लोगों की हत्या कर सकते हो, व्यभिचार कर सकते हो, अदालत में झूठ बोल सकते हो, और बाल और सब देवताओं की पूजा कर सकते हो जिन्हें तुम पहले नहीं जानते थे। 10 और फिर सोचते हो कि तुम यहाँ आकर इस आराधनालय के सामने खड़े हो सकते हैं, जो मेरा भवन है, और कहो ‘हमारे साथ कुछ भी बुरा नहीं होगा!’, जबकि तुम उन सब घृणित कार्यों को करते रहते हो। 11 संभव है कि तुम नहीं जानते कि तुमने मेरे इस भवन को एक गुफा के समान बना दिया है जहाँ चोर छिपते हैं। परन्तु मैं, यहोवा, तुमसे कहता हूँ कि मैंने इन सब बातों को देखा है!

12 बहुत पहले मैंने शीलो में अपना पवित्र-तम्बू रखा, कि लोगों के लिए मेरी आराधना करने का एक स्थान हो। इस विषय में सोचो कि मैंने इसे कैसे नष्ट कर दिया क्योंकि मेरे इस्राएली लोगों ने वहाँ कई दुष्टता के कार्य किए थे। 13 इसलिए मैंने उसे नष्ट कर दिया था, इस पर विचार करो और तुम निरन्तर दुष्टता के उन्हीं कार्यों को कर रहे हो जिसके विषय में मैंने तुम्हें बार-बार चिताया परन्तु तुमने सुनने से मना कर दिया। मैंने तुमको पुकारा, परन्तु तुमने उत्तर देने से मना कर दिया। 14 इसलिए, जैसे मैंने शीलो को नष्ट कर दिया, अब मैं इस आराधनालय को भी नष्ट कर दूँगा जो लोगों द्वारा मेरी आराधना करने के लिए बनाया गया था, इस आराधनालय को जिस पर तुम भरोसा करते हो, इस स्थान को मैंने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। 15 और मैं तुम्हें इस देश से निकाल दूँगा और तुम्हें अपने से दूर के अन्य देशों को भेजूँगा, जैसा कि मैंने तुम्हारे सम्बन्धी, इस्राएल के लोगों के साथ किया था।”

16 यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, इन लोगों के लिए अब और प्रार्थना मत कर। उनकी सहायता करने के लिए मुझसे प्रार्थना मत कर या मुझसे प्रार्थना मत कर, क्योंकि मैं तेरी प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दूँगा। 17 क्या तू उन दुष्ट कार्यों को देखता है जो वे यरूशलेम की सड़कों पर और यहूदा के अन्य नगरों में कर रहे हैं? 18 बच्चे लकड़ियाँ इकट्ठा करते हैं और उनके पिता बलिदान जलाने के लिए वेदियों पर आग जलाते हैं। स्त्रियाँ रोटियाँ पकाने के लिए आटा गुँधती हैं कि स्वर्ग की रानी कहलाने वाली अशेरा को भेंट चढ़ाएँ। और उनकी वेदियों पर वे अपनी दूसरी मूर्तियों को दाखमधु चढ़ाते हैं। ये सब बातें मुझे बहुत क्रोधित करती हैं! 19 परन्तु मैं वह नहीं जिसे वे चोट पहुँचा रहे हैं; वे वास्तव में इन कार्यों को करके स्वयं को चोट पहुँचा रहे हैं जिसके लिए उन्हें बहुत लज्जित होना पड़ेगा।” 20 इसलिए प्रभु यहोवा यह कहते हैं: “क्योंकि इस स्थान पर जो कुछ भी हो रहा है उससे मैं बहुत क्रोधित हूँ, मैं इन लोगों को गम्भीर दण्ड दूँगा; मेरा क्रोधित होना, वह अग्नि के समान होगा जो बुझाई नहीं जाएगी और मैं लोगों को उनके पशुओं को, उनके फल के पेड़ों को और उनकी फसलों को नष्ट कर दूँगा।”

21 इसलिए, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान यह कहते हैं: “अपनी भेंटों को जिन्हें वेदी पर पूरा जलाने के लिए लाते हो और अन्य बलिदान मुझे मत दो; उन्हें स्वयं खाओ! 22 जब मैंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाला था तब मैंने न तो वेदी पर जलाई जाने वाली बलियाँ माँगी और न ही अन्य भेंटें माँगी थी। 23 मैंने उनसे कहा था, ‘मेरा आज्ञापालन करो; यदि तुम ऐसा करते हो, तो मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा और तुम मेरे लोग होगे। यदि तुम उन कार्यों को करते हो जिन्हें मैं चाहता हूँ, तो तुम्हारा कल्याण होगा।’ 24 परन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मुझ पर कोई ध्यान नहीं दिया। वे उन बुरे कार्यों को करते रहे जिन्हें वे करना चाहते थे, जो उनके हठीले मन की इच्छा होती थी। मेरे निकट आने की अपेक्षा, वे मुझसे दूर चले गए। 25 जिस दिन से तुम्हारे पूर्वजों ने मिस्र छोड़ा था, तब से ले कर आज तक मैं अपने भविष्यद्वक्ताओं को बार-बार भेजता रहा। 26 परन्तु तुम, मेरे लोगों ने मेरी बात नहीं सुनी है या मैंने जो कहा उस पर ध्यान नहीं दिया है; तुम हठीले हो, और तुमने अपने पूर्वजों की तुलना में अधिक दुष्टता के कार्य किये हैं।”

27 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “जब तू मेरे लोगों से यह सब कहेगा, तो वे तेरी बात नहीं सुनेंगे। जब तू उन्हें पुकारेगा, तो वे उत्तर नहीं देंगे। 28 उनसे कहना, ‘तुम यहूदा के लोगों ने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा नहीं मानी है; जब उन्होंने तुम्हें सुधारने का प्रयास किया तो तुमने इसे स्वीकार नहीं किया। तुम में से कोई भी सत्यवादी नहीं है; तुम कभी सच नहीं बोलते हो; तुम केवल झूठ बोलते हो।’ 29 इसलिए, उन्हें सिर मुँड़ा कर दुख प्रकट करने; उन्हें बंजर पहाड़ियों में जाने और एक विलाप का गीत गाने को कह,

     क्योंकि मैंने इस पीढ़ी के लोगों को पूर्णतः त्याग दिया है जिन्होंने मुझे क्रोध दिलाया है।” 30 यहोवा कहते हैं: “यहूदा के लोगों ने बहुत सी बातें की हैं जो मैं कहता हूँ बुराई है। उन्होंने मेरे आराधनालय में अपनी घृणित मूर्तियाँ स्थापित की हैं, जिससे वह स्थान मेरी आराधना करने के लिए अस्वीकार्य स्थान हो गया है। 31 उन्होंने यरूशलेम के बाहर हिन्नोम की घाटी में तोपेत में वेदियों का निर्माण किया है, और वे अपने पुत्रों और पुत्रियों को उन वेदियों पर जला देते हैं। मैंने उन्हें ऐसा करने का आदेश कभी नहीं दिया; यह मेरे विचारों में भी नहीं था! 32 तो उन्हें सावधान रहना चाहिए! ऐसा समय आएगा जब उस स्थान को तोपेत या हिन्नोम की घाटी नहीं कहा जाएगा; इसकी अपेक्षा, इसे वध की घाटी कहा जाएगा। वहाँ बड़ी संख्या में लोग होंगे जिन्हें वहाँ दफनाया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप अधिक शवों को दफनाने का कोई स्थान नहीं होगा। 33 मेरे लोगों के शव जिन्हें दफनाया नहीं जाएगा और भूमि पर छोड़ दिया जाएगा, वे गिद्धों और जंगली पशुओं द्वारा खाए जाएँगे, और उन्हें भगाने के लिए कोई भी नहीं होगा। 34 यरूशलेम की सड़कों पर अब न तो कोई गीतों को गाएगा और न ही हसेगा; यहूदा में दूल्हे और दुल्हन का आनन्द नहीं होगा, क्योंकि पूरा का पूरा देश नष्ट हो जाएगा।”

Chapter 8

1 यहोवा कहते हैं, “तुम्हारे शत्रु जब तुम्हें नष्ट कर चुके होंगे, तब वे तुम्हारे राजाओं और यहूदा के अन्य अधिकारियों, और तुम्हारे याजकों और भविष्यद्वक्ताओं और वहाँ रहने वाले अन्य लोगों की कब्रों को खोदेंगे। 2 वे उनकी हड्डियों को कब्रों से निकालेंगे और उन्हें सूर्य और चँद्रमा और सितारों के नीचे भूमि पर बिखरा कर अपमानित करेंगे—क्योंकि यही तो वे देवता हैं जिन्हें मेरे लोग प्रेम करते थे और पूजा करते थे। उनकी हड्डियों को एकत्र करने वाला और उन्हें फिर से दफन करने वाला कोई नहीं होगा; वे खाद के समान भूमि पर बिखरे रहेंगे। 3 और इस दुष्ट राष्ट्र के लोग जो अभी भी जीवित हैं और जिन्हें मैंने दूसरे देशों की बन्धुआई में भेज दिया है, वे कहेंगे, ‘हम इन देशों में जीवित रहने की अपेक्षा मरना पसन्द करेंगे।’ यह सच होगा क्योंकि मैं, यहोवा यही कहता हूँ।”

4 यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, इन लोगों से कह कि मैं यहोवा, उनसे यह कह रहा हूँ: ‘जब लोग गिर जाते हैं, तो वे फिर उठते हैं, क्या वे नहीं उठते हैं?

     जब लोग सड़क पर चलते हैं और वे देखते हैं कि वे गलत सड़क पर चल रहे हैं, तो वे वापस जाते हैं और सही सड़क ढूँढ़ते हैं, क्या वे ऐसा नहीं करते? 5 हाँ, वे ऐसा ही करते हैं, तो यहूदा के इन लोगों ने उन मूर्तियों पर भरोसा क्यों किया है जिन्होंने उन्हें धोखा दिया है?

     वे मुझसे दूर होते जा रहे हैं और मेरी वाचा के साथ विश्वासघात कर रहे हैं, जबकि मैंने उन्हें चेतावनी दी है कि क्या होगा। 6 मैंने उनकी बातों को सावधानी से सुना है, परन्तु उन्हें जो कहना है वे नहीं कहते हैं। उनमें से किसी को भी अपने पापों का पछतावा नहीं है।

     कोई भी नहीं कहता है, “मैंने दुष्टता की हैं।” वे पाप कर रहे हैं और जो चाहते हैं वो कर रहे हैं;

     जैसे घोड़े बड़े उत्साह के साथ युद्ध के लिए दौड़ते हैं वैसे ही ये लोग पाप करने के लिए बड़े उत्साह से आगे बढ़ते हैं। 7 यहाँ तक कि सारस भी जानता है कि मौसम कब बदलता है,

     और पिण्डुकी, सूपाबेनी, और बगुला भी अपने प्रवासन के समय को समझते हैं!

     परन्तु मेरे लोग नहीं जानते कि मैं, यहोवा, उनसे क्या चाहता हूँ। 8 तुम्हारे शिक्षक मूसा द्वारा लिखी गयी व्यवस्था के नियमों की गलत व्याख्या करते हैं।

     तो, वे क्यों कहते रहते हैं, “हम बहुत बुद्धिमान हैं क्योंकि हमारे पास यहोवा के नियम हैं”? 9 वे शिक्षक, जो सोचते हैं कि वे बुद्धिमान हैं, उन्हें लज्जित और निराश किया जाएगा जब उनके शत्रु उन्हें पराए देश में ले जाएँगे

     क्योंकि उन्होंने मेरी बातों को अस्वीकार करके पाप किया है। ऐसा करना क्या उनकी बुद्धिमानी थी? कभी नहीं! 10 इसलिए, मैं उनकी पत्नियों को अन्य पुरुषों को दूँगा; मैं उनके खेतों को उन शत्रु सैनिकों को दूँगा जो उन्हें जीतते हैं।

     सब लोग, अत्याधिक महत्वपूर्ण या महत्वहीन, वरन् भविष्यद्वक्ता या याजक, सबके सब सम्पत्ति पाने के लिए धोखा देते हैं। 11 उनका व्यवहार ऐसा है जैसे कि मेरे लोगों के पाप छोटे घावों के समान हैं जिन्हें साफ करके पट्टी बाँधने की आवश्यकता नहीं है।

     वे लोगों से कहते हैं कि उनके साथ सब कुछ अच्छा होगा, परन्तु यह सच नहीं है; उनके साथ कुछ भी अच्छा नहीं होगा। 12 जब वे घृणित कार्य करते हैं तो उन्हें लज्जित होना चाहिए, परन्तु वे यह भी नहीं जानते कि अपने चेहरों पर लज्जा का भाव कैसे दिखाएँ कि वे अपने पापों से पछताते हैं।

     अतः, वे मारे जाएँगे। अतः उनके शव उन लोगों के शवों के बीच पड़े रहेंगे जिन्हें शत्रुओं ने मार डाला है। तो जब मैं उन्हें दण्ड दूँगा तब वे मार डाले जाएँगे। 13 उनकी अँगूर और अंजीर की फसलों को मैं उनके शत्रुओं के हाथों में कर दूँगा। उनके फलों के पेड़ सूख जाएँगे।

     मैंने उनके लिए जो आशीषें रखी हैं, उन्हें वे प्राप्त नहीं कर पाएँगे। ऐसा निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।’” 14 तब लोग कहेंगे, “हम इन छोटे नगरों में क्यों रुके रहें? हमें उन शहरों में जाना चाहिए जिनके चारों ओर ऊँची दीवारें हैं, परन्तु यदि हम ऐसा करते हैं तो हम वहाँ मारे जाएँगे,

     क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा ने निर्णय लिया है कि हमें नष्ट किया जाएँ; यह ऐसा है जैसे कि उन्होंने हमें पीने के लिए विष दिया है, क्योंकि हमने उनके विरुद्ध पाप किया है। 15 हमने आशा की थी कि हमारा कल्याण होगा, परन्तु नहीं हुआ।

     हम आशा करते थे कि हम फिर से ठीक हो जाएँगे और बलवन्त होंगे, परन्तु हमारे साथ वही हो रहा है जिसका हमें भय था। 16 दूर उत्तर में, इस्राएली शहर दान में, लोगों को आक्रमण करने वालों के घोड़ों का हिनहिनाना सुनाई दे रहा है। यह ऐसा है जैसे उनकी सेना के चलने से पूरी धरती हिल रही है;

     वे हमारे देश और इसमें का सब कुछ, लोगों और शहरों को नष्ट करने के लिए आ रहे हैं।” 17 यहोवा कहते हैं, “मैं उन शत्रु सैनिकों को यहूदा भेजूँगा, और वे तुम्हारे बीच विषैले साँपों के समान होंगे।

     उन्हें आक्रमण करने से रोकने में कोई भी सक्षम नहीं होगा; वे साँपों के समान डसेंगे, और तुम्हें मार डालेंगे।” 18 यहूदा के लोगों के लिए मेरे दुख ने आनन्द का सत्यानाश कर दिया है, मेरा मन दुख से भर गया है। 19 सम्पूर्ण देश के लोग पूछते हैं, “क्या यहोवा ने यरूशलेम को त्याग दिया है?

     क्या वह, हमारे शहर के राजा, अब वहाँ नहीं है? “यहोवा ने उत्तर दिया,” यदि वे चाहते हैं कि मैं यरूशलेम में रहूँ, तो वे मूर्तियों और विदेशी देवताओं की पूजा क्यों करते हैं?” 20 लोग कहते हैं, “फसल का मौसम समाप्त हो गया है, गर्मी भी समाप्त हो गई है, परन्तु यहोवा ने अब तक हमें अपने शत्रुओं से बचाया नहीं है।” 21 मैं रोता हूँ क्योंकि मेरे लोगों को कुचल दिया गया है। मैं शोक करता हूँ, और मैं पूरी तरह से निराश हूँ। 22 मैं पूछता हूँ, “गिलाद में निश्चय ही औषधी है! निश्चय ही वहाँ वैद्य हैं!”

     परन्तु मेरे लोगों की आत्मा घायल है उनका उपचार हो ही नहीं सकता है।

Chapter 9

1 “अच्छा होता कि मेरा सिर पानी के सोते के समान आँसू बहाता, और मेरी आँखें आँसू के झरने के समान हो जाती,

     क्योंकि मैं शत्रुओं द्वारा मारे गए मेरे लोगों के लिए रात और दिन रोता हूँ। 2 मैं चाहता हूँ कि मैं अपने लोगों को छोड़ दूँ और उन्हें भूल जाऊँ, और जा कर रेगिस्तान में एक झोपड़ी में रहूँ,

     क्योंकि वे यहोवा के प्रति निष्ठावान नहीं रहे हैं; वे उन लोगों की भीड़ है जो दूसरों को धोखा देते हैं। 3 वे झूठ बोलने के लिए अपनी जीभ का ऐसा उपयोग करते हैं जैसे लोग धनुष से तीर चलाते हैं।

     वे प्रभावशाली हैं, परन्तु इसलिए नहीं कि वे निष्ठावान हैं, परन्तु वे दुष्टता के कार्य करते हैं। यहोवा कहते हैं, “वे मुझे नहीं जानते।” 4 अपने पड़ोसियों और यहाँ तक कि अपने भाइयों पर भरोसा मत करो! याकूब के समान सब धोखेबाज हैं।

     वे एक-दूसरे की निन्दा करते हैं और एक दूसरे के विषय में झूठ बोलते हैं। 5 वे अपने मित्रों को धोखा देते हैं और कभी सच्चाई नहीं बताते हैं।

     वे निरन्तर झूठ बोलते हैं और, इस कारण, वे झूठ में निपुर्ण हो गए हैं; वे अत्याचार पर अत्याचार करते हैं, जब तक कि वे पाप करते-करते थक नहीं जाते हैं। 6 यिर्मयाह, तेरे चारों ओर रहने वाले धोखेबाज हैं। उनमें से कोई भी स्वीकार नहीं करेगा कि मैं परमेश्वर हूँ। 7 इसलिए मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यह कहता हूँ:

     सावधानी से सुनो कि मैं क्या कहता हूँ: मैं अपने लोगों को परखूँगा, जैसे धातु का कार्य करने वाला धातु को धधकती आग में डाल देता है कि उसकी अशुद्धता को पूरी तरह से जला दिया जा सके।

     मेरे लोगों द्वारा किए गए सब बुरे कार्यों के कारण, मैं कुछ भी नहीं कर सकता हूँ। 8 वे जो कहते हैं उससे लोगों को ऐसी चोट पहुँचती है जैसे विषैले तीरों का वार।

     वे अपने पड़ोसियों से कहते हैं, ‘तुम्हारा भला हो परन्तु योजना बनाते हैं कि उन्हें कैसे घात किया जाए। 9 उनके ऐसे कार्यों के लिए क्या मैं उन्हें दण्ड न दूँ?

     हाँ, मुझे निश्चय ही ऐसे कार्य करने वाले देशवासियों को बदला देना चाहिए!” 10 इसलिए, मैं पर्वतों और चारागाहों में रहने वालों के लिए रोऊँगा,

     क्योंकि वे स्थान उजाड़ हो जाएँगे, और कोई भी वहाँ नहीं रहेगा।

     एक दूसरे को पुकारने के लिए वहाँ कोई मवेशी भी नहीं होगा,

     और सब पक्षी और जंगली पशु अन्य स्थानों में भाग गए होंगे। 11 यहोवा यह भी कहते हैं, “मैं यरूशलेम को खण्डहरों का ढेर बना दूँगा,

     और केवल सियार ही वहाँ रहेंगे।

     मैं यहूदा के नगरों को नष्ट कर दूँगा, वे पूरी तरह से निर्जन हो जाएँगे;

     वहाँ कोई नहीं रहेगा।” 12 मैंने कहा, “केवल वे लोग जो बहुत बुद्धिमान हैं इन बातों को समझ सकते हैं।

     केवल वे लोग जो यहोवा द्वारा सिखाए गए हैं, इन बातों को दूसरों को समझा सकते हैं।

     बुद्धिमान लोग ही समझा सकते हैं कि देश पूरी तरह नष्ट क्यों होगा

     परिणाम यह होगा कि उसमें से होकर यात्रा करने से हर कोई डरेगा।”

13 यहोवा ने उत्तर दिया, “ऐसी घटनाएँ होंगी क्योंकि मेरे लोगों ने मेरे द्वारा दिए गये नियमों को त्याग दिया है; उन्होंने न तो मेरा आज्ञापालन किया, न ही मेरे निर्देशों का पालन किया है। 14 इसकी अपेक्षा, उन्होंने हठ करके उन कार्यों को किया है जो वे अपने मन से करना चाहते थे। उन्होंने उन मूर्तियों की पूजा की है जो बाल देवता का रूप हैं, जैसा उनके पूर्वजों ने किया था। 15 तो अब सुनो, कि मैं, इस्राएलियों का परमेश्वर, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, क्या कहता हूँ: मैं जो करूँगा वह यह है कि मैं इन लोगों को खाने के लिए कड़वी वस्तुएँ और पीने के लिए विष दूँगा: 16 मैं उन्हें कई राष्ट्रों में तितर-बितर करूँगा, जिनके विषय में न तो वे और न ही उनके पूर्वजों ने कभी कुछ जाना होगा; मैं उनके शत्रुओं की तलवार से उन्हें नष्ट करवा दूँगा।” 17 यह वही है जो यहोवा स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान कहते हैं:

     “जो हो रहा है उसके विषय में सोचो,

     फिर उन स्त्रियों को बुलाओ जो किसी की मृत्यु हो जाने पर विलाप करती हैं। 18 उनसे कहो कि शीघ्र आएँ और विलाप करना आरम्भ करें,

     परिणामस्वरूप तुम्हारी आँखों से आँसू बहने लगे। 19 यरूशलेम के लोगों की पुकार को सुनो जो कहती है,

     ‘हम नाश हो गए हैं!

     हम पर भयानक विनाश आ पड़ा है!

     अब हम बहुत लज्जित हैं,

     क्योंकि हमारे घर हमारे शत्रुओं द्वारा नष्ट कर दिए गए हैं, और हमें अपना देश छोड़ने के लिए विवश किया जा रहा है।’ 20 तुम स्त्रियों, सुनों कि यहोवा क्या कहते हैं।

     उनके शब्दों पर ध्यान दो।

     अपनी पुत्रियों को विलाप करना सिखाओ।

     एक दूसरे को सिखाओ कि विलाप का गीत कैसे गाते हैं। 21 क्योंकि तुम्हारे घरों में और महलों में लोग मरेंगे।

     सड़कों में कोई भी बच्चा नहीं खेलेगा,

     शहर के चौकों पर एकत्र होने के लिए युवक नहीं होंगे। 22 खेतों में शव ऐसे बिखरे होंगे जैसे खाद;

     उनके शव वहाँ ऐसे पड़े होंगे जैसे कटनी करने वालों द्वारा काटा गया अनाज,

     और उन्हें दफनाने के लिए कोई भी जीवित नहीं होगा। 23 यहोवा यह कहते हैं:

     “बुद्धिमान पुरुष अपनी बुद्धिमानी पर गर्व न करे,

     बलवन्त पुरुष अपने बल पर गर्व न करे;

     और धनवान अपने धन पर गर्व न करे। 24 इसकी अपेक्षा, जो लोग गर्व करना चाहते हैं वे मुझे जानने का

     और समझने का कि मैं यहोवा हूँ, गर्व करें,

     और कि मैं दयालु हूँ और करुणामय और धर्मी हूँ,

     कि मैं निष्ठापूर्वक लोगों से प्रेम करता हूँ,

     और ऐसे कार्य करने वालों से मैं प्रसन्न रहता हूँ।

25-26 ऐसा समय आएगा जब मैं उन सब लोगों को दण्ड दूँगा जिन्होंने खतना करके अपने शरीर को तो बदल दिया है, परन्तु अपने मन को नहीं बदला है: जैसे मिस्र, मोआब, एदोम और अम्मोन जातियों के लोग, जो यहूदा से दूर रेगिस्तानी क्षेत्र के निकट रहते हैं। मैं इस्राएल के लोगों को भी दण्ड दूँगा क्योंकि वे केवल बाहरी, शारीरिक रूप से खतना किए हुए हैं, भीतरी रूप से, अपने मन से नहीं।”

Chapter 10

1 हे इस्राएल के लोगों, सुनो की यहोवा क्या कहते हैं:

     2 “अन्य जातियों के समान कार्य मत करो, और आकाश में जो विचित्र चिन्हों को देखते हो, उनसे मत डरो,

         चाहे वे अन्य राष्ट्रों के लोगों को भयभीत करें।

     3 अन्य राष्ट्रों के लोगों के रीति-रिवाज व्यर्थ हैं। उदाहरण के लिए, उन्होंने जंगल में एक पेड़ काटा।

         फिर एक कुशल कारीगर इसके एक टुकड़े को काटता है और अपनी छेनी से उस टुकड़े को काट कर मूर्ति बनाता है।

     4 तब लोग उस मूर्ति को चाँदी और सोने से सजाते हैं।

         फिर वे कीलें ठोंक कर उसे सुरक्षित खड़ा करते हैं कि वह लुढ़क न जाए।

     5 तब मूर्ति खीरे के खेत में खड़े एक पुतले के समान खड़ी रहती है।

         वह बात नहीं कर सकती,

     और लोगों को इसे उठा कर ले जाना होता है,

         क्योंकि वह चल नहीं सकती है।

     मूर्तियों से मत डरो,

         क्योंकि वे किसी को हानि नहीं पहुँचा सकती हैं,

         और वे किसी की सहायता करने के लिए कुछ भी अच्छा नहीं कर सकती हैं।”

     6 हे यहोवा, आपके जैसा कोई नहीं है।

         आप महान हैं, और आप बहुत शक्तिशाली हैं।

     7 आप सब जातियों के राजा हो!

         सबको आपका सम्मान करना और भय मानना चाहिए,

         क्योंकि आप इसके योग्य हैं।

     पृथ्‍वी के सब बुद्धिमान लोगों में

         और उन सब साम्राज्यों में जहाँ वे रहते हैं,

         आपके जैसा कोई नहीं है।

     8 वे लोग जो सोचते हैं कि वे बहुत बुद्धिमान हैं मूर्ख और निर्बुद्धि हैं।

         वे मूर्तियों की पूजा करते हैं जो केवल लकड़ी से बने होते हैं!

         वे निश्चय ही उन्हें कुछ नहीं सिखा सकती हैं।

     9 लोग तर्शीश से पत्तर बनाई हुई चाँदी और ऊफाज से सोना लाते हैं,

         और फिर वे मूर्तियों पर चढ़ाने के लिए कुशल कारीगरों को वह चाँदी और सोने के पत्तर देते हैं।

     फिर वे कुशल कारीगरों द्वारा बनाई गई उन मूर्तियों को महँगा बैंगनी वस्त्र पहनाते हैं।

     10 परन्तु यहोवा ही एकमात्र सच्चे परमेश्वर हैं;

         वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं,

         राजा हैं, जो सदा के लिए शासन करते हैं।

     जब वह क्रोधित होते हैं, तो सारी पृथ्‍वी हिल जाती है;

         और देश-देश के लोगों से जब वह क्रोधित होते हैं तो वे लोग इसे सहन नहीं कर सकते हैं।

11 तुम इस्राएली लोग, उन लोगों को यह कहो: “उन मूर्तियों ने आकाश और पृथ्‍वी नहीं बनाई, और वे पृथ्‍वी पर से नष्ट हो जाएँगी।”

     12 परन्तु यहोवा ने सारी पृथ्‍वी को अपनी शक्ति से बनाया;

         अपनी बुद्धि से उन्होंने खड़े होने के लिए ठोस भूमि बनाई है

         और अपनी समझ से आकाश को फैलाया।

     13 जब वह ऊँचे शब्द से बोलते हैं, आकाश में गर्जन होती है;

         वह बादलों को पृथ्‍वी के हर भाग में बनने का कारण बनते हैं।

     वह वर्षा के साथ बिजली चमकाते हैं,

         और अपने भण्डार से हवाओं को चलाते हैं।

     14 लोग पशुओं के समान मूर्ख हैं और परमेश्वर की इच्छाओं के विषय में कुछ भी नहीं जानते!

     जो मूर्तियाँ बनाते हैं वे सदा निराश होते हैं

         क्योंकि उनकी मूर्तियाँ उनके लिए कुछ भी नहीं करती हैं।

     वे जो प्रतिमाएँ बनाते हैं वे वास्तविक देवता नहीं हैं;

         वे निर्जीव हैं।

     15 मूर्तियाँ निकम्मी हैं; वे सच्चे परमेश्वर का उपहास करने की वस्तुएँ हैं;

         एक ऐसा समय आएगा जब वे सब नष्ट हो जाएँगी।

     16 परन्तु जिस परमेश्वर की हम इस्राएली लोग आराधना करते हैं वह उन मूर्तियों के समान नहीं हैं;

         उन्होंने ही सब कुछ बनाया है;

     हम, इस्राएल के गोत्र, उनके हैं;

         वह स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान हैं।

     17 यहोवा यरूशलेम के लोगों से यह कहते हैं:

     “तुम्हारे शत्रुओं की सेना तुम्हारे शहर को घेर रही है,

         अतः अपनी सम्पत्ति इकट्ठा करो और शहर छोड़ने के लिए तैयार हो जाओ।

     18 मैं शीघ्र ही तुम्हें इस देश से बाहर फेंक दूँगा

         और तुमको घोर संकट का सामना करना पड़ेगा,

         परिणामस्वरूप तुम फिर से मेरा स्मरण करोगे।”

     19 लोगों ने उत्तर दिया, “यह ऐसा है जैसे कि हम बुरी तरह से घायल हो गए हैं,

         और हम बहुत दुखी हैं;

     यह ऐसा है जैसे हमें गम्भीर रोग लग गया है,

         और हमें पीड़ा सहन करनी होगी।

     20 यह तो ऐसा है जैसे कि हमारा महान तम्बू नष्ट हो गया है;

         इसकी रस्सियाँ काट दी गई हैं;

     हमारे बच्चे हमारे पास से चले गए हैं और वापस नहीं आएँगे;

         हमारे महान तम्बू के पुनर्निर्माण के लिए कोई भी नहीं छोड़ा गया है।

     21 हमारे अगुवे पशुओं के समान बन गए हैं;

         वे अब मार्गदर्शन करने के लिए यहोवा से नहीं कहते हैं,

     तो वे अब समृद्ध नहीं होंगे,

         और जिनके ऊपर वे शासन करते हैं वे सब तितर-बितर कर दिए जाएँगे।

     22 सुनो! उत्तर दिशा में हमारे शत्रु की सेनाएँ हमारी ओर बढ़ते हुए बहुत शोर कर रही हैं।

     यहूदा के नगरों को नष्ट कर दिया जाएगा,

         और वे सियारों के रहने का स्थान बन जाएँगे।”

     23 हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि मनुष्य का भविष्य उसके वश में नहीं है;

         होने वाली घटनाओं को निर्देशित करना किसी के वश में नहीं होता है।

     24 अतः हमें सुधारें, परन्तु धीरे-धीरे।

         क्रोध में आकर हमारा सुधार न करें,

         यदि आप ऐसा करेंगे तो हम अवश्य मर जाएँगे।

     25 उन सब जातियों को दण्ड दें जो स्वीकार नहीं करती कि आप ही परमेश्वर हैं;

         उन सब जातियों को दण्ड दें जो आपकी आराधना नहीं करती है,

     क्योंकि वे हमें, इस्राएल के लोगों को, पूरी तरह नष्ट कर रहे हैं

         और वे हमारी भूमि को शीघ्र ही बंजर बना देंगे।

Chapter 11

1 यह एक और सन्देश है जिसे यहोवा ने मुझे दिया था: 2 “उस वाचा को सुनो जो मैंने यरूशलेम और यहूदा के अन्य शहरों के पूर्वजों के साथ बाँधी थी। उन्हें फिर से उस वाचा की बातें सुनाओ। 3 तब उनसे कहो कि मैं, यहोवा, जिनकी इस्राएल के लोग आराधना करते हैं, कहता हूँ कि मैं उन सबको श्राप दूँगा जो उस वाचा की बातों का पालन नहीं करते हैं। 4 यह वही वाचा है जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों के साथ बाँधी थी जब मैं उन्हें मिस्र से बाहर लाया था। मिस्र में उनके साथ जो हुआ वह भयानक था; जैसे कि वे एक गर्म भट्ठी में रह रहे थे। जब मैं उन्हें मिस्र से बाहर लाया, तब मैंने उनसे मेरी आज्ञा मानने के लिए कहा, और सब आज्ञाओं को मानने का आदेश दिया था। मैंने उनसे यह भी कहा कि यदि उन्होंने मेरी आज्ञा मानी, तो वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा। 5 अब इन लोगों से कह कि यदि वे मेरी आज्ञा मानते हैं, तो मैं वही करूँगा जो मैंने तुम्हारे पूर्वजों से प्रतिज्ञा की थी। मैं उन्हें इस उपजाऊ भूमि में रहने दूँगा जिसमें वे अब रहते हैं।”

मैंने उत्तर दिया, “हे यहोवा, मैं आप पर भरोसा करता हूँ कि आपने जो कहा है वह होगा।”

6 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “यरूशलेम की सड़कों पर और यहूदा के अन्य नगरों में जा। लोगों को मेरा सन्देश सुना। उन्हें अपने पूर्वजों के साथ बाँधी गई वाचा को सुनने और उसका पालन करने के लिए कह। 7 जब मैं तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर लाया, तो मैंने विनम्रतापूर्वक उनसे विनती की कि वे मेरी आज्ञा मानें, और अब भी मैं उनके साथ विनती कर रहा हूँ। 8 परन्तु उन्होंने मेरी आज्ञा नहीं मानी यहाँ तक कि मुझ पर कोई ध्यान नहीं दिया। हर कोई हठीला बना रहा और निरन्तर उन कार्यों को करता रहा जो वे करना चाहते थे। मैंने उन्हें आदेश दिया था कि वाचा में जो लिखा था, उसे करें, परन्तु उन्होंने मना कर दिया। इसलिए मैंने उन्हें अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार सब दण्ड दिए।”

9 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “यरूशलेम और यहूदा के अन्य नगरों के लोग मुझसे विद्रोह कर रहे हैं। 10 उनके पूर्वजों से मैंने जो कहा था, उन्होंने वह करने से मना कर दिया, और अब ये लोग अपने पूर्वजों के पापों को करने के लिए लौट आए हैं। वे अन्य देवताओं की पूजा कर रहे हैं। इस्राएल के लोगों ने अपने पूर्वजों के साथ बाँधी गई वाचा की अवज्ञा की, और अब यहूदा के लोगों ने भी यही कार्य किए हैं। 11 इसलिए अब मैं, यहोवा, उन्हें चेतावनी दे रहा हूँ कि मैं उन पर विपत्तियाँ डालूँगा, और वे बच नहीं पाएँगे। और जब वे मेरी सहायता पाने के लिए मुझे पुकारेंगे, तब मैं ध्यान नहीं दूँगा। 12 जब ऐसा होता है, तब यरूशलेम और यहूदा के अन्य नगरों के लोग बलि चढ़ाएँगे और अपने देवताओं के लिए धूप जलाएँगे और उनसे सहायता माँगेंगे, परन्तु उनके देवता उनको बचाने में सक्षम नहीं होंगे जब उन पर विपत्तियाँ आती हैं। 13 यहूदा में अब इतने देवता हैं जितने यहूदा में कस्बे हैं; यरूशलेम के लोगों ने उन देवताओं के लिए धूप जलाने को इतनी वेदियाँ बना ली हैं जितनी यरूशलेम में सड़कें हैं।

14 यिर्मयाह, इन लोगों के लिए प्रार्थना मत कर, और उन्हें बचाने के लिए मुझसे विनती मत कर। यदि तू मुझसे विनती करेगा, तो भी मैं ध्यान नहीं दूँगा; और वे संकट में सहायता के लिए मुझे पुकारेंगे, तो मैं उनकी प्रार्थना नहीं सुनूँगा।”

15 तब यहोवा ने कहा,

     “यहूदा के लोग जिन्हें मैं निश्चय ही प्रेम करता हूँ, उन्हें अब मेरे आराधनालय में आने का अधिकार नहीं है,

         क्योंकि वे निरन्तर कई बुरे कार्य करते हैं।

     वे सोचते हैं कि निरन्तर मेरे लिए माँस का बलिदान करने से निश्चय ही विपत्तियों से उनकी रक्षा होगी,

         और वे आनन्दित होंगे।

     16 मैंने पहले कहा था कि वे हरे पत्तों से भरे एक जैतून के पेड़ के समान थे

         जिसमें बहुत से अच्छे जैतून लगे हैं,

     परन्तु अब मैं अपने शत्रुओं को उन पर आक्रमण करने के लिए भेजूँगा;

         यह ऐसा होगा जैसे मैं उसकी शाखाओं को तोड़ दूँगा, और उनका शहर आग से नष्ट हो जाएगा। 17 यह ऐसा होगा कि यहूदा और इस्राएल के लोग एक सुन्दर जैतून के पेड़ हैं, जिसे मैं, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा ने लगाया था,

         परन्तु अब, अपने बाल देवता को धूप जलाने से, उन्होंने मुझे बहुत क्रोधित कर दिया है।

     अतः अब मैंने उन्हें नष्ट करने का निर्णय लिया है।”

18 यहोवा ने मुझ पर प्रकट किया कि मेरे शत्रु मुझे मारने की योजना बना रहे थे। 19 इससे पहले, तो मैं वध होने वाले भेड़ के बच्चे के समान था; मुझे नहीं पता था कि वे क्या करने की योजना बना रहे हैं। मुझे नहीं पता था कि वे कह रहे हैं, “आओ हम इस पेड़ और उसके फलों को नष्ट कर दें,” इसलिए मुझे नहीं पता था कि वे मेरी हत्या करने का विचार कर रहे हैं कि कोई मुझे स्मरण न करे।

     20 तब मैंने प्रार्थना की, “हे यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, आप लोगों का उचित न्याय करते हैं,

         और आप हमारे विचारों को जाँचते हैं।

     मेरी हत्या की इच्छा रखने वालों से बदला लें और मुझे देखने दें,

         क्योंकि मुझे भरोसा है कि आप मेरे लिए जो करेंगे वह उचित होगा।”

21 यह मेरा अपना नगर अनातोत था, जो मुझे मारना चाहता था, और उन्होंने मुझे कहा कि यदि मैंने यहोवा की भविष्यद्वाणी सुनाना बन्द नहीं किया तो वे मुझे मार डालेंगे। 22 तब स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा ने मुझसे कहा, “मैं उन्हें दण्ड दूँगा। उनके युवा लोग युद्ध में मारे जाएँगे, और उनके बच्चे मर जाएँगे क्योंकि उनके पास भोजन नहीं होगा। 23 मैंने एक समय निर्धारित किया है जब मैं अनातोत के लोगों पर विपत्तियाँ लाऊँगा, और जब ऐसा होगा, तब उनमें से कोई भी जीवित नहीं रहेगा।”

Chapter 12

    

1 हे यहोवा, मैं जब भी आप से कहता हूँ कि मेरे साथ जो हो रहा है, उससे में अप्रसन्न हूँ,

         आप सदा न्याय करते हैं।

     अतः अब मुझे एक और बात पूछने की अनुमति दें जिसे मैं समझ नहीं पा रहा हूँ:

         अधिकतर दुष्ट लोग समृद्ध क्यों होते हैं?

         विश्वासघाती लोगों के साथ भलाई क्यों होती हैं?

     2 आप उन्हें समृद्ध होने देते हैं

         जैसे पेड़ बढ़कर बहुत फल लाते हैं।

     वे आपके विषय में सदा अच्छी बातें कहते हैं,

         परन्तु उनके मन में, वे वास्तव में आप से बहुत दूर हैं।

     3 परन्तु यहोवा, आप मेरे मन को भलि-भाँति जानते हैं।

         आप मेरे कार्यों को देखते हैं और आप मेरे विचारों को पढ़ सकते हैं।

     उन्हें पकड़ कर अलग करें जैसे वध की जाने वाली भेड़ें झुण्ड से अलग की जाती है।

     4 यह भूमि बहुत सूख रही है और घास भी सूख रही है।

     यहाँ तक कि जंगली पशुओं और पक्षियों की भी मृत्यु हो गई है

         क्योंकि जो लोग इस देश में रहते हैं वे बहुत दुष्ट हैं।

     यह सब इसलिए हुआ है कि लोगों ने कहा,

         “यहोवा नहीं जानता कि हम क्या कर रहें हैं!”

5 तब मुझे यह दिखाने के लिए कि मुझे और भी अधिक कठिनाइयों को सहन करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है, यहोवा ने मुझसे कहा,

     “ऐसा लगता है कि तू पुरुषों के साथ दौड़ कर थक गया;

         तो घोड़ों के साथ कैसे दौड़ पाएगा?

     यदि तू केवल खुले मैदान पर दौड़ने की तैयारी करता है,

         तो तेरा क्या होगा जब तू यरदन के जंगल में दौड़ लगाएगा?

     6 तेरे भाई और तेरे परिवार के अन्य सदस्य तेरा विरोध करते हैं।

         वे तेरे विरुद्ध षड्यन्त्र रच रहें हैं और तेरे विरुद्ध बुरी बातें कहते हैं, अतः यदि वे तेरे विषय में अच्छी बातें कहें।

     तो उन पर भरोसा मत करना!

     7 मैंने अपने इस्राएली लोगों को त्याग दिया है,

         जिन्हें मैंने अपना होने के लिए चुना था।

     मैंने अपने प्रिय लोगों को शत्रु के हाथों में कर दिया है कि उन्हें जीत लें।

     8 मेरे लोग मेरे लिए जंगल के शेर के समान हो गए हैं।

         ऐसा लगता है जैसे वे मुझ पर सिंह के समान गरजते हैं,

         तो अब मैं उनसे घृणा करता हूँ।

     9 मेरे चुने हुए लोग चित्ती वाले शिकारी पक्षी के समान बन गए हैं

         जो गिद्धों से घिरे हुए हैं, कि वे मारें तो उनका माँस खाएँ।

     सब जंगली पशुओं से कह कि आएँ

         और उनके शवों का माँस खाएँ।

     10 अन्य देशों के कई शासकों ने अपनी सेनाओं के साथ आकर मेरे लोगों को नष्ट कर दिया है

         जिनको मैंने ऐसे सम्भाला जैसे किसान अपनी दाख के बाग को सम्भालता है।

     उन्होंने मेरे मनोहर देश को रेगिस्तान बना दिया है, जहाँ कोई भी नहीं रहता है।

     11 उन्होंने इसे पूरी तरह से खाली कर दिया है;

         तो अब ऐसा हो गया है कि जैसे मैं किसी प्रिय जन की मृत्यु पर शोक कर रहा हूँ।

     पूरा देश उजाड़ हो गया है,

         और कोई भी इसके विषय में चिन्तित नहीं है।

     12 हमारे शत्रुओं के सैनिकों ने सब बंजर पहाड़ियों पर चढ़ाई की है।

     परन्तु मैं, यहोवा, तेरे देश को एक भाग से दूसरे भाग तक दण्ड देने के लिए शत्रु की सेना को कार्य में ले रहा हूँ,

         और कोई भी बच नहीं पाएगा।

     13 ऐसा लगता है जैसे मेरे लोगों ने गेहूँ उगाया,

         परन्तु अब वे काँटों की कटाई कर रहे हैं।

     वे कठोर परिश्रम के कारण बहुत थके हुए हैं,

         परन्तु उन्हें उस कार्य से कुछ भी लाभ नहीं हुआ।

     वे बहुत निराश होंगे क्योंकि उनकी उपज बहुत कम होगी,

         और ऐसा होगा क्योंकि मैं, यहोवा, उनसे बहुत क्रोधित हूँ।”

14 यहोवा ने मुझसे यह भी कहा था: “मैं अपने आस-पास के उन दुष्ट राज्यों को भी दण्ड दूँगा जो मेरे द्वारा मेरे इस्राएली लोगों को दी गई भूमि को लेने का प्रयास कर रहे हैं। मैं उन्हें उनकी ही भूमि छोड़ने के लिए विवश करूँगा। परन्तु मैं यहूदा के लोगों को अपनी भूमि से बाहर फेंक दूँगा। 15 परन्तु बाद में मैं उन राष्ट्रों को दया दिखाऊँगा और मैं उन्हें फिर से उनके अपने देश में ले आऊँगा। प्रत्येक अपनी भूमि पर वापस आ जाएगा। 16 और यदि उन अन्य राष्ट्रों के लोग जिनकी सेनाओं ने इस्राएल पर आक्रमण किया है, वे मेरे लोगों के धार्मिक रीति-रिवाजों को सीखते हैं, और यदि वे सीख लेते हैं कि मैं सुन रहा हूँ जब वे कुछ करने की शपथ वैसे ही खाते हैं जैसे उन्होंने मेरे लोगों को बाल देवता की शपथ खाना सिखाया तो मैं उन्हें समृद्धि प्रदान करूँगा और वे भी मेरे लोग होंगे। 17 परन्तु मैं उस जाति को देश से निकाल दूँगा जिसके लोग मेरी आज्ञा मानने से मना करते हैं, और मैं उस देश और उसके लोगों को नष्ट कर दूँगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

Chapter 13

1 एक दिन यहोवा ने मुझसे कहा, “जा और एक सनी की कमरबन्द मोल ले। परन्तु उसे धोना मत।” 2 इसलिए मैंने एक बहुत अच्छा कमरबन्द मोल लिया, जैसा यहोवा ने मुझसे कहा था, और मैंने इसे रखा।

3 बाद में यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। 4 उन्होंने कहा, “फरात नदी पर जा और चट्टानों की दरार में उस कमरबन्द को छिपा दे।” 5 इसलिए मैं नदी के पास गया और यहोवा की आज्ञा के अनुसार ही किया।

6 बहुत समय बाद, यहोवा ने मुझसे कहा, “नदी पर वापस जा और उस कमरबन्द को वहाँ से निकाल जिसे मैंने तुझे छिपाने के लिए कहा था।” 7 तब मैं फरात नदी के पास गया और कमरबन्द को जिसे मैंने चट्टानों की दरार में छिपाया था, खोद कर निकाल लिया। परन्तु वह नष्ट हो गया था और किसी कार्य का नहीं था।

8 तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया: 9 “तेरे कमरबन्द से जो हुआ, वह यह दिखाता है कि मैं यरूशलेम और यहूदा के अन्य नगरों के लोगों की उन वस्तुओं को नष्ट कर दूँगा जिन पर वे बहुत गर्व करते हैं। 10 वे दुष्ट लोग मेरी बातों पर ध्यान देने से मना करते हैं। वे हठ करके वही करते हैं जो वे करना चाहते हैं; वे अन्य देवताओं की पूजा करते हैं। इसलिए, वे पूरी तरह से निकम्मे हो जाएँगे, जैसे तेरा कमरबन्द। 11 जैसे कमरबन्द किसी की कमर पर लिपटा रहता है, वैसे ही मैं चाहता था कि इस्राएल और यहूदा के लोग मुझसे लिपटे रहें। मैं चाहता था कि वे मेरे लोग हों, जो मेरी स्तुति करें और मेरा सम्मान करें। परन्तु वे मुझ पर ध्यान नहीं देंगे।

12 इसलिए, उनसे यह कह: जिस परमेश्वर यहोवा की तुम इस्राएली लोग आराधना करते हो, वह कहते हैं, कि हर एक मशक दाखमधु से भरी जाए।’ और जब तू उनसे यह कहेगा, तो वे उत्तर देंगे, ‘निश्चय ही हम जानते हैं कि मशकों को दाखमधु से भरा जाना चाहिए!’ 13 और फिर तुझे उनको बताना होगा, ‘नहीं, यहोवा के कहने का अर्थ यह नहीं है। उन्होंने जो कहा उसका अर्थ है कि वह इस देश को शराबियों से भर देंगे। इसमें तुम सब सम्मिलित होंगे—दाऊद के सिंहासन पर बैठने वाला राजा, याजक और भविष्यद्वक्ता और यहाँ तक कि यरूशलेम के साधारण लोग भी थे।’ 14 वह कह रहे हैं, ‘मैं तुम्हारे बीच विवाद पैदा करूँगा। यहाँ तक कि माता-पिता भी अपने बच्चों के साथ झगड़ा करेंगे। मैं तुम पर दया नहीं करूँगा न ही सहानुभूति दिखाऊँगा; तुम्हें सहानुभूति दिखाने का अर्थ यह नहीं कि तुम्हारा नाश नहीं करूँगा।’”

     15 हे यहूदा के लोगों, बहुत सावधानी से सुनो।

         गर्व मत करो, कि यहोवा ने तुमसे बात की है।

     16 यह ऐसा है कि जैसे वह तुम पर अंधेरा लाने के लिए तैयार है

         और जब तुम अंधेरा होते समय पहाड़ियों पर चलो तो वह ऐसा करेंगे कि तुम ठोकर खा कर गिर जाओगे।

     अतः ऐसा होने से पहले अपने परमेश्वर यहोवा की स्तुति करो।

     यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो तुम प्रकाश की खोज करोगे,

         परन्तु तुम्हें केवल अंधेरा और उदासी ही दिखाई देगी।

     17 और यदि तुम अब भी उनकी बातों पर ध्यान देने से मना करते हो,

         तो गर्व होने के कारण तुम्हारे साथ जो होगा वह मेरे लिए अकेले में रोने का कारण होगा।

     मेरी आँखें आँसुओं से भर जाएँगी

         क्योंकि तुम, यहोवा के लोग,

         जिनको वह ऐसे सम्भालते हैं जैसे चरवाहा अपनी भेड़ों को सम्भालता है,

         अपने शत्रुओं द्वारा बन्दी बना लिए जाओगे और अन्य देशों में ले जाए जाओगे।

     18 यहूदा के लोगों, राजा और उसकी माता से कहो,

     “अपने सिंहासन पर से नीचे आओ

         और नम्रता से धूल में बैठो,

         क्योंकि तुम्हारे शत्रु शीघ्र ही तुम्हारे सिर से गौरवशाली मुकुट छीन लेंगे।”

     19 दक्षिणी यहूदा के जंगल के नगर शत्रुओं द्वारा घेर लिए जाएँगे,

         उनकी पाँति पार करके वहाँ के लोगों को कोई नहीं बचा पाएगा।

     यहूदा के लोग बन्दी बना लिए जाएँगे और ले जाए जाएँगे;

         तुम सबको बन्धुआई में ले जाया जाएगा।

     20 हे यरूशलेम के अगुवों, अपनी आँखें खोलो और देखो:

     शत्रु सेना उत्तर से आने के लिए तैयार हैं।

     जब ऐसा होगा, तो यहूदा के लोगों के साथ क्या होगा जो भेड़ के एक सुन्दर झुण्ड के समान हैं,

         उन लोगों को तुम्हारी देखभाल में रखा गया था?

     21 जब यहोवा दूसरे देशों के लोगों को जिन्हें तुमने मित्र समझने की भूल की तुम पर शासन करने के लिए नियुक्त करेंगे तब तुम क्या कहोगे?

     तुम्हारी पीड़ा असहनीय होगी,

         उस स्त्री के समान जो बच्चे को जन्म देने वाली है।

     22 तुम स्वयं से पूछोगे, “हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?”

         मैं उत्तर दूँगा कि यह तुम्हारे पापों के कारण है।

     इसलिए शत्रुओं की सेनाओं के सैनिक तुम्हारी स्त्रियों के वस्त्र उतारेंगे और उनका बलात्कार करेंगे।

     23 इथियोपिया का व्यक्ति निश्चय ही अपनी काली त्वचा का रंग नहीं बदल सकता है,

         और तेन्दुआ निश्चय ही अपने धब्बे नहीं बदल सकता है।

     इसी प्रकार, तुम भी भले कार्य करना आरम्भ नहीं कर सकते हो,

         क्योंकि तुमने सदा बुराई की है।

     24 यहोवा कहते हैं, “मैं तुम्हें भूसी के समान बिखरा दूँगा

         जो रेगिस्तान से हवा से उड़ाई जाती है।

     25 तुम्हारे साथ निश्चय ही ऐसा होगा,

         जिन बातों का मैंने निश्चय कर लिया है, वे तुम्हारे साथ अवश्य होंगी,

         क्योंकि तुम मुझे भूल गए हो,

         और तुम झूठे देवताओं पर भरोसा कर रहे हो।

     26 यह ऐसा होगा जैसे मैंने तुम्हारे वस्त्रों को तुम्हारे चेहरों तक उठा दिया है

         और तुमको बहुत लज्जित कर दूँगा क्योंकि हर कोई तुम्हारे गुप्तांगों को देख पाएगा।

     27 मैंने देखा है कि तुम ऐसे पुरुषों के समान व्यवहार करते हो जो व्यभिचार करने के लिए कार्य करते हैं जो व्यभिचार करने के इच्छुक हैं;

         तुम घोड़ों के समान हो जो मादा घोड़े के साथ मिलने के लिए हिनहिनाते हो।

     मैंने देखा है कि तुम खेतों और पहाड़ियों पर घृणित मूर्तियों की पूजा करते हो।

     हे यरूशलेम के लोगों, तुम्हारे साथ भयानक घटनाएँ होंगी क्योंकि तुम आज्ञाकारी नहीं रहे और न भलाई का जीवन जीए!

         मेरे ग्रहणयोग्य होने में तुम्हें कितना समय लगेगा?”

Chapter 14

1 यहूदा में लम्बे समय तक वर्षा नहीं हुई, तब यहोवा ने यिर्मयाह को यह सन्देश दिया:

     2 यहूदा में लोग बहुत उदास हैं;

         लोग भूमि पर बैठ कर शोक करते हैं;

     यरूशलेम में सब लोग ऊँचे शब्द से रो रहे हैं।

     3 धनवान लोग अपने सेवकों को पानी के लिए कुएँ पर भेजते हैं,

         परन्तु सब कुएँ सूखे हैं।

     दास खाली पात्रों के साथ वापस आते हैं;

     वे अपने सिर को ढाँकते हैं

         क्योंकि वे लज्जित और अपमानित हैं।

     4 भूमि अत्याधिक शुष्क है और इसमें दरारें पड़ गई हैं

         क्योंकि वर्षा नहीं हुई है।

     किसान लज्जित हैं क्योंकि वे फसल नहीं उपजा सकते हैं,

         इसलिए वे भी अपने सिर ढकते हैं।

     5 यहाँ तक कि हिरनी अपने नवजात बच्चों को छोड़ देती है,

         क्योंकि खाने के लिए खेतों में घास नहीं है।

     6 जंगली गधे बंजर पहाड़ियों पर खड़े हैं, प्यासे सियार के समान

         वे हाँफते हैं।

     वे अंधे हो जाते हैं

         क्योंकि खाने के लिए घास नहीं है।

     7 लोग कहते हैं, “हे यहोवा, हम आप से दूर हो गए हैं और कई बार पाप किया है,

         अब हम जानते हैं कि हमें हमारे पापों के कारण दण्ड दिया जा रहा है!

     कृपया हमारी सहायता करें

         कि सब लोग देख सकें कि आप बहुत महान हैं और अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करते हैं।

     8 आप ही तो वह हो जिनसे हम इस्राएली लोग आत्मविश्वास के साथ अपेक्षा कर सकते हैं कि

         जब हम पर विपत्ति आती है।

     तो, आप हमारी सहायता क्यों नहीं करते?

         आप ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कि आप हमारे देश में अजनबी हैं,

         जैसे आप रात भर के अतिथि हैं।

     9 क्या आप भी हमारे साथ होने वाली इन भयानक घटनाओं से अचम्भित हैं?

         आप ऐसा क्यों करते हैं जैसे आप किसी को बचाने में असमर्थ हैं, जबकि आप एक शक्तिशाली योद्धा हों?

     हे यहोवा, आप यहाँ हमारे बीच में हो,

         और लोग जानते हैं कि हम आपके हैं,

         अतः हमें मत छोड़ो।”

10 और यहोवा उन लोगों से यह कहते हैं:

     “तुम्हें मुझसे दूर रहना अच्छा लगता है;

         तुम एक मूर्ति से दूसरी मूर्ति के पीछे भागते हो।

     इसलिए, अब मैं तुम्हें स्वीकार नहीं करूँगा,

         और मैं तुम्हें तुम्हारे पापों के लिए दण्ड दूँगा।”

11 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “इन लोगों के लिए अब प्रार्थना मत कर। 12 जब वे उपवास रखते हैं, तो मैं कोई ध्यान नहीं दूँगा। जब वे मेरे पास पशुओं की भेंटों को और मैदे को वेदी पर पूरी तरह जलाने के लिए लाते हैं, तब मैं उन्हें स्वीकार नहीं करूँगा। इसकी अपेक्षा, मैं उन्हें युद्ध, अकाल और बीमारियों से नाश कर दूँगा।”

13 तब मैंने उनसे कहा, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, उनके भविष्यद्वक्ताओं ने लोगों से यह कहा है कि वे युद्ध या अकाल का अनुभव नहीं करेंगे। वे लोगों से कहते हैं कि आप निश्चय ही हमें कई वर्षों तक अपने देश में शान्ति से रहने देंगे।”

14 यहोवा ने मुझे उत्तर दिया, “वे भविष्यद्वक्ता कहते हैं कि वे जो कह रहे हैं वह मेरा वचन है, परन्तु वे झूठ बोल रहे हैं। मैंने उन्हें नहीं भेजा, इसलिए वे जो कह रहे हैं वह सब झूठ है। वे कहते हैं कि उन्हें मुझसे दर्शन प्राप्त हुए हैं और वे जो कहते हैं वह मैंने उन पर प्रकट किया है, परन्तु यह सच नहीं है। वे मूर्खता की बातें कह रहे हैं जो उनके अपने विचार हैं। 15 भविष्यद्वाणी करने वाले भविष्यद्वक्ता कहते हैं कि मैंने उनसे कहा है कि इस्राएली युद्ध में या अकाल में नहीं मरेंगे, परन्तु मैंने उन्हें नहीं भेजा है वे स्वयं ही युद्ध में या अकाल में मर जाएँगे। 16 और जिन लोगों के लिए इन बातों की भविष्यद्वाणी कर रहे हैं, वे और उनकी पत्नियाँ, उनके पुत्र और पुत्रियाँ भी युद्धों या अकाल से मर जाएँगी। उनके शव यरूशलेम की सड़कों पर फेंक दिए जाएँगे, और उन्हें दफनाने के लिए कोई भी नहीं होगा। मैं उन्हें दण्ड दूँगा जिसके वे योग्य हैं।

17 इसलिए, यिर्मयाह, उन्हें अपने विषय में बता:

     ‘दिन और रात मेरी आँखें आँसुओं से भरी रहती है।

         मैं रोना बन्द नहीं कर सकता।

     मैं अपने लोगों के लिए रोता हूँ,

         जो मेरे लिए बहुत मूल्यवान हैं, जैसे कि वे मेरी पुत्रियाँ हो।

         मैं उनके लिए रोता हूँ क्योंकि वे गम्भीर रूप से घायल हुईं हैं;

         और वे इस गम्भीर घाव से स्वस्थ नहीं होंगी।

     18 यदि मैं खेतों में जाता हूँ,

         तो मैं उन लोगों के शवों को देखता हूँ जिन्हें हमारे शत्रुओं द्वारा वध किया गया है।

     यदि मैं शहर की सड़कों पर चलता हूँ,

         मैं भूख से मरने वाले लोगों के शवों को देखता हूँ।

     भविष्यद्वक्ता और याजक देश की यात्रा करते हैं, लोगों में प्रचार करते हैं,

         परन्तु वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।’”

19 तब मैंने यह प्रार्थना की:

     “हे यहोवा, क्या आपने यहूदा के लोगों को पूरी तरह से त्याग दिया है?

         क्या आप वास्तव में यरूशलेम के लोगों से घृणा करते हैं?

     आपने हमें ऐसा बुरा घायल क्यों किया है,

         कि हम कभी भी ठीक नहीं होंगे?

     हमें आशा थी कि हमें शान्ति मिलेगी,

         परन्तु कोई शान्ति नहीं थी।

     हमने आशा की थी कि एक ऐसा समय होगा जब हम ठीक हो जाएँगे,

         परन्तु जो मिला वह भयानक घटनाएँ ही थीं।

     20 हे यहोवा, हम मानते हैं कि हम दुष्ट लोग हैं,

         और हमारे पूर्वजों ने भी दुष्टता के कार्य किए थे।

     हमने आपके विरुद्ध पाप किया है।

     21 परन्तु हे यहोवा, हम आपको सम्मान दे सकें,

         इसलिए हमें तुच्छ न समझें।

     उस शहर का अपमान न करें जहाँ आपका गौरवशाली सिंहासन है।

     कृपया हमें न भूलें,

         और हमारे साथ अपनी वाचा को न तोड़ें।

     22 अन्य राष्ट्रों से लाई गई मूर्तियाँ, निश्चय ही वर्षा नहीं ला सकती हैं,

         और आकाश निश्चय ही वर्षा गिरने का कारण उत्पन्न नहीं कर सकता है।

     हे हमारे परमेश्वर यहोवा, आप ही एकमात्र हैं जो ऐसे कार्य कर सकते हैं।

         अतः हम आत्मविश्वास के साथ आप से सहायता की आशा करते हैं।”

Chapter 15

1 तब यहोवा ने मुझसे यह कहा: “यदि मूसा और शमूएल अपनी कब्रों से वापस आ सकें और मेरे सामने खड़े होकर इन इस्राएली लोगों के लिए मुझसे विनती करें, तो भी मैं इन लोगों पर दया नहीं करूँगा। मैं तुझसे कहता हूँ कि इन्हें मेरे सामने से दूर कर दे। इन्हें चले जाने के लिए कह दे! 2 और यदि वे तुझसे पूछें, ‘हम कहाँ जाएँगे?’, तो उनसे कह, ‘यहोवा यही कहते हैं:

     जिनके लिए मैं कहता हूँ कि उन्हें मरना होगा, वे मर जाएँगे:

     जिनके लिए मैं कहता हूँ वे युद्धों में मर जाएँगे, वे युद्धों में मारे जाएँगे।

     जिनके लिए मैं कहता हूँ कि भूख से मरेंगे, वे भूख से मर जाएँगे।

     जिनके लिए मैं कहता हूँ कि उन्हें बन्दी बना कर और अन्य देशों में ले जाना चाहिए, उन्हें बन्दी बना कर दूसरे देशों में ले जाया जाएगा।

3 मैं चार विपत्तियाँ भेजूँगा जो उनका नाश करेंगी: मैं उन्हें तलवारों से मारने के लिए शत्रु सैनिक भेजूँगा। मैं जंगली कुत्तों को भेजूँगा कि उनके शवों को घसीट कर ले जाएँ। मैं उनके शव खाने के लिए गिद्ध भेजूँगा। और मैं जंगली पशुओं को भेजूँगा कि उनके शवों के बचे अंश खाएँ। 4 राजा मनश्शे ने यरूशलेम में जो दुष्टता के कार्य किए हैं उनके कारण, मैं पृथ्‍वी के सब राज्यों में लोगों को मेरे यहूदा के लोगों की दशा से भयभीत करूँगा।

     5 तुम यरूशलेम के लोगों, कोई भी तुम्हारे लिए दुख नहीं करेगा।

         कोई भी तुम्हारे लिए नहीं रोएगा।

         कोई भी नहीं चाहेगा कि तुम्हें चोट न पहुँचे।

     6 तुम लोगों ने मुझे त्याग दिया है;

         तुम मुझसे दूर होते रहे।

     अतः, मैं तुम्हें कुचलने के लिए अपना हाथ उठाऊँगा;

         मैं तुम्हारे साथ दया का व्यवहार करते-करते थक गया हूँ।

     7 तुम्हारे नगरों के द्वारों पर, मैं तुम्हें ऐसे बिखरा दूँगा जैसे किसान भूसी को गेहूँ से अलग करके उड़ाता है।

         हे मेरे लोगों, तुमने अपने बुरे व्यवहार से मन फिराने से मना कर दिया है।

     इसलिए मैं तुम्हारा नाश कर दूँगा,

         और मैं तुम्हारे बच्चों को भी मरवा दूँगा।

     8 मैं यहूदा में विधवाओं की संख्या को

         समुद्र की रेत के किनकों से भी अधिक कर दूँगा

     मैं तुम्हारे लिए एक शत्रु सेना लाऊँगा

         जो तुम्हारे युवा पुरुषों को नष्ट कर देगी और उनकी माताओं के लिए रोने का कारण उत्पन्न करेगी।

     मैं तुमको अकस्मात ही बड़ी पीड़ा दे कर डराऊँगा।

     9 एक स्त्री जिसके सात बच्चे हैं, वे मूर्छित हो जाएँगे और साँस लेने के लिए हिचकियाँ लेंगे;

         ऐसा होगा जैसे दिन का प्रकाश उसके लिए अंधेरा हो गया,

     क्योंकि उसके अधिकांश बच्चे मर जाएँगे,

         और वह लज्जित और अपमानित होगी।

     और उसके बच्चे जो अभी भी जीवित हैं, उन्हें मैं तुम्हारे शत्रुओं के हाथों से मरवा दूँगा।

         यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।’”

10 मैंने अपनी माँ से कहा, “मैं बहुत दुखी हूँ;

     मेरी इच्छा है कि तू ने मुझे जन्म न दिया होता;

         इस देश में हर कोई मेरा विरोध करता है और मेरे साथ झगड़ा करता है।

     मैंने उधार दे कर या उधार ले कर झगड़ा नहीं किया कि किसी के क्रोध का कारण बनूँ,

         परन्तु फिर भी मुझे हर कोई श्राप देता है।”

11 परन्तु यहोवा ने मुझे उत्तर दिया,

     “यिर्मयाह, मैं तेरा ध्यान रखूँगा।

     और जब कभी तू बहुत अधिक संकट में होगा,

         मैं तेरे लिए आकर तुझे तेरे शत्रु से भी बचाऊँगा।

     12 परन्तु यहूदा के शत्रु जो लोहे या पीतल जैसे कठोर हैं, उत्तर दिशा से यहूदा पर आक्रमण करेंगे,

         और उन्हें कोई रोक नहीं पाएगा।

     13 मैं तेरे लोगों की सब मूल्यवान सम्पत्तियों को तेरे शत्रुओं को दे दूँगा,

         बिना किसी मोल के।

     तेरे लोग मूल्यवान वस्तुओं से वंचित हो जाएँगे

         जिसका कारण होगा देश भर में किये गए अनेक पाप।

     14 मैं तुम्हारे शत्रुओं से कहूँगा कि उन्हें बन्दी होने के लिए विवश करो,

         कि उन्हें अन्य देशों में ले जाएँ जिसका उन्हें अनुभव नहीं है,

         और उन्हें अपने दास बनने के लिए विवश करो।

     ऐसा होगा क्योंकि मैं तुम लोगों से बहुत क्रोधित हूँ;

         मेरा क्रोध जलती हुई आग के समान है।”

     15 तब मैंने कहा, “हे यहोवा, आप जानते हैं कि मेरे साथ क्या हो रहा है।

         कृपया आएँ और मेरी सहायता करें।

         मेरे सताने वालों को दण्ड दें।

     कृपया उनके साथ धीरज धरे रहें

         और मुझे इस समय मरने न दें।

     आपके कारण ही मैं पीड़ित हूँ।

     16 हे मेरे परमेश्वर, यहोवा आप स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान हैं;

     जब आपने मुझसे बात की,

         मैं आपके सन्देश से प्रसन्न हो गया, वह मेरे लिए आनन्द का कारण हुआ

     और मैंने आपकी बातों को उत्सुकतापूर्वक स्वीकार किया

         क्योंकि मैं आपका हूँ।

     17 जब लोग दाखमधु पान का उत्सव मना रहे थे,

         मैं कभी उनके साथ सहभागी नहीं हुआ;

     मैं अकेला बैठा, क्योंकि आप ही हैं जो मेरे कार्यों को नियंत्रित करते हैं।

         उनके पापों के कारण मैं उन लोगों से बहुत क्रोधित था।

     18 अतः, आप मुझे निरन्तर पीड़ित क्यों होने देते हो?

         ऐसा लगता है कि मेरे घावों को ठीक नहीं किया जा सकता है।

     कभी-कभी आप मेरी सहायता करते हैं, कभी-कभी आप मेरी सहायता नहीं करते हैं।

         ऐसा लगता है कि आप एक झील के समान निर्भय करने योग्य नहीं हैं जिसमें ऋतुओं में ही पानी होता है;

         आप एक सूखे सोते के समान हैं।”

19 तब यहोवा ने मुझसे यह कहा:

     “यदि तू मुझ पर फिर से विश्वास करना आरम्भ कर दे तो मैं,

     तेरा उद्धार करूँगा,

         जिससे कि तू मेरी सेवा करता रहे।

     यदि तू अच्छे सन्देश सुनाता रहे, निकम्मे नहीं,

         तो तू मेरे मुँह की बातें कहने वाला बना रहेगा।

     तुझे अपनी बातें सुनाने के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित करना होगा;

         ना कि उनकी बातों पर ध्यान देना होगा।

     20 वे तेरे विरुद्ध लड़ेंगे,

         परन्तु मैं तेरी रक्षा करूँगा, जैसे लोग पीतल की दीवार के पीछे सुरक्षित रहते हैं।

     वे तुझे पराजित नहीं करेंगे,

         क्योंकि मैं तेरे साथ रहूँगा,

         और मैं तुझे बचाऊँगा और तेरा उद्धार करूँगा।

     21 मैं सच में तुझे उन दुष्ट लोगों से सुरक्षित रखूँगा,

         जब तू क्रूर लोगों द्वारा पकड़ा जाएगा तब मैं तुझे बचाऊँगा।

     ऐसा होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

Chapter 16

1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने मुझसे कहा, 2 “विवाह मत कर और इस देश में सन्तान उत्पन्न मत कर, 3 क्योंकि मैं, यहोवा इस नगर में जन्में बच्चों और उनके माता और पिता के विषय में यह कहता हूँ: 4 उनमें से कई भयानक बीमारियों से मर जाएँगे। और उनके लिए कोई भी शोक नहीं करेगा। उनके शवों को कोई भी दफन नहीं करेगा; शव भूमि पर खाद के समान बिखरे हुए पड़े रहेंगे। अन्य युद्धों में मारे जाएँगे या भूख से मर जाएँगे, और फिर उनके शव गिद्धों और जंगली पशुओं के लिए भोजन बन जाएँगे।”

5 यहोवा ने मुझसे यह भी कहा: “शोक करने के लिए अंतिम संस्कार में मत जाना या मरने वालों के सम्बन्धियों के पास दुख मनाने मत जाना, क्योंकि मैंने ही ऐसा किया है कि उनका कल्याण न हो। मैंने उनसे सच्चा प्रेम करना और उन पर दया करना बन्द कर दिया है। 6 इस देश में बहुत से लोग मर जाएँगे, जिनमें महत्वपूर्ण और जो महत्वहीन हैं। उनके लिए कोई शोक नहीं करेगा, या उनके शवों को भी दफन नहीं करेगा। कोई भी अपना शरीर नहीं काटेगा और न सिर मुँड़ाएगा कि उनके लिए दुख प्रकट करे। 7 कोई भी शोक करने वालों को शान्ति देने के लिए भोजन नहीं लाएगा, भले ही उनके पिता या उनकी माँ शोक करते हों। कोई उन्हें सांत्वना देने के लिए उन्हें दाखमधु नहीं देगा।

8 और उन घरों में मत जाओ जहाँ लोग त्यौहार मना रहे हैं। उनके साथ कुछ भी नहीं खाना-पीना। 9 मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसा करो क्योंकि यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, मैं यही कहता हूँ: ‘जबकि तू अभी भी जीवित हैं और ऐसा होते हुए देखता है, कि मैं इस देश में गाने और हँसने का शब्द समाप्त कर दूँगा। दूल्हे और दुल्हन के आनन्द का शब्द भी नहीं होगा।’

10 जब तू लोगों को ये बातें सुनाएगा, तब वे पूछेंगे, ‘यहोवा ने ऐसी घोषणा क्यों की है कि ये भयानक घटनाएँ हमारे साथ होंगी? हमने क्या किया है जिसके लिए हम इस प्रकार के दण्ड के योग्य हैं? हमने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध क्या पाप किया है?

11 तब तू उनसे कहना कि मेरा उत्तर यह है: ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम्हारे पूर्वज मुझसे दूर हो गये थे। और उन्होंने अन्य देवताओं की पूजा की और उनकी सेवा की। उन्होंने मुझे छोड़ दिया और मेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। 12 परन्तु जो अब जीवित हैं, उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों की तुलना में अधिक दुष्ट कार्य किए हैं! तुम में से प्रत्येक जन हठ करके वह बुरे कार्य करता है जो वह चाहता है और मुझ पर ध्यान देने से मना कर देता है। 13 इसलिए, मैं तुम्हें इस देश से बाहर फेंक दूँगा, और मैं तुम्हें उस देश में भेजूँगा जिसे तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं जाना है। वहाँ तुम दिन और रात अन्य देवताओं की पूजा करोगे। और मैं तुम पर दया नहीं करूँगा।’

14 परन्तु ऐसा समय आएगा जब लोग जो कुछ करने की प्रतिज्ञा करते हैं, वे अब यह नहीं कहेंगे, ‘हमें मिस्र से निकालने वाले यहोवा के जीवन की निश्चयता से मैं ऐसा ही करूँगा।’ 15 इसकी अपेक्षा, वे कहेंगे, ‘उत्तर दिशा के देशों से अन्य देशों से जहाँ हमें यहोवा ने बन्धुआई में भेज दिया था फिर से अपने देश ले आने वाले यहोवा के जीवन की निश्चयता से मैं यह करूँगा, वे ऐसा कह पाएँगे क्योंकि एक दिन मैं तुम्हारे वंशजों को इस देश में वापस लाऊँगा जो मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था।

16 परन्तु इस समय मैं तुम्हारे शत्रुओं को बुला रहा हूँ जो उन्हें ऐसे पकड़ेंगे जैसे मछुआरे मछली पकड़ते हैं। मैं उन लोगों को बुला रहा हूँ जो हर पर्वत और पहाड़ी पर और हर गुफा में उनको ऐसे खोजेंगे जैसे शिकारी शिकार की खोज करते हैं। 17 मैं उन्हें सावधानी से देख रहा हूँ। मैं उनके द्वारा किए गए हर पाप को देखता हूँ। वे मुझसे छिप नहीं पाएँगे। 18 उन सब दुष्ट कार्यों के लिए जो उन्होंने किए हैं, मैं उन्हें अन्य लोगों से दो गुणा अधिक दण्ड दूँगा। मैं ऐसा इसलिए करूँगा क्योंकि उन्होंने घृणित देवताओं की, निर्जीव मूर्तियों की पूजा करने के कारण मेरे अपने देश को अस्वीकार्य कर दिया है, और इसलिए भी कि उन्होंने अपने देश को अन्य बुरे कार्यों से भर दिया है।”

     19 तब मैंने प्रार्थना की, “हे यहोवा, आप ही वह हैं जो मुझे बल देते हैं और मेरी रक्षा करते हैं;

         आप वह हैं जिनके पास में संकटों में जाता हूँ।

     एक दिन संसार के सब राष्ट्रों के लोग आपके पास आकर कहेंगे,

         ‘हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए ऐसा कुछ छोड़ दिया जो झूठा था;

     उन्होंने मूर्तियों की पूजा की जो निकम्मी हैं।

     20 कोई भी अपने देवताओं को नहीं बना सकता;

         जो देवता वे बनाते हैं वे केवल मूर्तियाँ हैं; वे सच्चे देवता नहीं हैं।’”

     21 तब यहोवा ने कहा, “अब मैं यहूदा के लोगों को अपनी शक्ति दिखाऊँगा;

         मैं उन्हें दिखाऊँगा कि मैं वास्तव में बहुत शक्तिशाली हूँ।

         फिर, अन्त में, वे जान जाएँगे कि मैं, यहोवा ही सच्चा परमेश्वर हूँ।”

Chapter 17

    

1 यहोवा ने कहा, “ऐसा लगता है कि यहूदा के लोगों द्वारा किए गए पापों की एक सूची लोहे की छेनी से खोदी गई है, या एक बहुत कठोर पत्थर की नोक का उपयोग करके खोदी गई है,

         उनके मनों में और वेदियों पर जहाँ वे अपनी मूर्तियों की पूजा करते हैं।

     2 यहाँ तक कि उनके बच्चों को भी स्मरण है जब उनके माता पिता अपने देवताओं की वेदियों और देवी अशेरा की लाठों के पास जाते थे,

         और वहाँ उन्होंने सब बड़े पेड़ के नीचे

         और सब ऊँची पहाड़ियों पर पूजा की।

     3 उनके बच्चों को पर्वतों के ये स्थान स्मरण हैं। इसलिए मैं तुम्हारे

         पर्वतों को जहाँ तुम पूजा करते हो और उनके आस-पास के क्षेत्रों को उनके अधिकार में कर दूँगा।

     साथ ही तुम्हारी सब धन-सम्पत्ति भी लूट लेने दूँगा यह उनके लिए युद्ध की लूट के समान होगी।

         क्योंकि तुमने अपनी सारी भूमि में यहोवा के विरुद्ध पाप किया है, और वे तुम्हें मार डालेंगे।

     4 जो अद्भुत देश मैंने तुम्हें दिया है वह अब तुम्हारा नहीं रहेगा।

     मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हें उस देश में ले जाने के लिए कहूँगा जिसे तुम नहीं जानते,

         और तुम उनके दास बन जाओगे।

     मैं ऐसा करूँगा क्योंकि मैं तुमसे बहुत क्रोधित हूँ;

         मेरा क्रोधित होना आग के समान है जो सदा के लिए जलती रहेगी।”

5 यहोवा यह भी कहते हैं:

     “जो लोग सहायता के लिए मनुष्यों पर भरोसा रखते हैं,

         जो अपनी शक्ति पर भरोसा रखते हैं

         और जो मन से मेरा त्याग करते हैं, वे श्रापित हैं।

     6 वे रेगिस्तान की शुष्क झाड़ियों के समान हैं,

         वे लोग किसी भी भलाई का अनुभव नहीं करेंगे।

     वे लोग बंजर रेगिस्तान में रहेंगे

         एक खारे क्षेत्र में, जहाँ कोई भी सुरक्षित रूप से नहीं रह सकता है।

     7 परन्तु यहोवा उनसे प्रसन्न रहते हैं जो उन पर भरोसा रखते हैं,

         और जो आत्मविश्वास के साथ उनसे आशा रखते हैं कि उनकी सुधि लें।

     8 वे लोग उन फलों के पेड़ों के समान हैं जो नदी के किनारे लगाए गए हैं,

         ऐसे पेड़ जिनकी जड़ें पानी के निकट में गीली भूमि में जाती हैं।

     वे ऐसे पेड़ हैं जिनके पत्ते गर्मी में भी हरे रहते हैं,

         ऐसे पेड़ जो महीनों फल उत्पन्न करते रहते हैं।

     9 मनुष्य का मन अत्याधिक भ्रष्ट हैं,

         और हम इसे बदल नहीं सकते हैं।

         किसी के लिए इसे समझना भी पूर्णतः असम्भव है।

     10 परन्तु मैं, यहोवा, हर एक के मन को जाँचता हूँ कि उसमें क्या है,

         और मैं जाँचता हूँ कि वे क्या सोच रहे हैं।

     मैं सब लोगों को प्रतिफल या दण्ड दूँगा,

         उनके कार्यों के अनुसार।”

     11 मैं उन लोगों को जानता हूँ जो अन्यायपूर्ण कार्यों को करके धनवान बन जाते हैं।

         वे उन पक्षियों के समान हैं जो उन अण्डों को सेते हैं जिन्हें उन्होंने नहीं रखा।

     इसलिए, वे लोग अपने अपेक्षा किये हुए जीवन के केवल आधे वर्षों तक ही जीवित रह कर लोप हो जाएँगे।

         तब अन्य लोगों को समझ में आएगा कि वे लोग मूर्ख थे।

     12 हे यहोवा, आपका भवन एक महिमामय सिंहासन के समान है

         वह जब से बनाया गया तब से ही ऊँचे पर्वत पर स्थित है।

     13 आप ही एकमात्र हैं जिनसे आशीष पाने की हम इस्राएली लोग आत्मविश्वास के साथ आशा करते हैं,

         और जो लोग आप से दूर हो जाते हैं वे अपमानित होंगे और उन्हें समझ में आएगा कि आप से अलग होना कैसा होता है,

         क्योंकि उन्होंने आपको त्याग दिया है, जो एक सोते के समान हैं जहाँ लोग ताजा पानी प्राप्त करते हैं।

     14 हे यहोवा, कृपया मुझे स्वस्थ करें, क्योंकि यदि आप मुझे स्वस्थ करते हैं, तो मैं सचमुच स्वस्थ हो जाऊँगा।

         यदि आप मुझे बचाते हैं, तो मैं वास्तव में सुरक्षित रहूँगा, क्योंकि आप ही एकमात्र हैं जिनकी मैं स्तुति करता हूँ।

     15 लोग बार-बार मेरा उपहास करके कहते हैं,

     “तू हमें सन्देश देता जिसके लिए कहता है कि यह यहोवा की ओर से आया है,

         परन्तु तेरी भविष्यद्वाणी की बातें पूरी क्यों नहीं हुईं?

     16 हे यहोवा, आपने मुझे अपने लोगों की देखभाल करने के लिए नियुक्त किया है जैसे चरवाहे अपनी भेड़ों का ध्यान रखता है; मैंने उस कार्य को त्याग नहीं दिया है,

         और आप जानते हैं कि मैं मेरा उपहास करने वाले इन लोगों पर विपत्ति आने के इस समय को पहले ही से नहीं चाहता था।

     और आप वह सब कुछ जानते हैं जो मैंने आपके लोगों से कहा है।

     17 मुझे भयभीत मत होने दो!

         विपत्ति के समय आप ही तो हैं जिनके पास मैं सुरक्षा के लिए जाऊँगा।

     18 इसलिए अब जो मुझे सताते हैं उन्हें लज्जित और विस्मित करें,

         परन्तु मेरे साथ ऐसा न करें कि मैं लज्जित और विस्मित हो जाऊँ।

     उन्हें भयभीत होने का कारण उत्पन्न कर दें!

         उनके साथ बहुत से ऐसे कार्य करें जिनसे वे पूर्णतः नष्ट हो जाएँ!

19 यहोवा ने मुझसे यह कहा: “यरूशलेम में नगर के फाटकों पर जा। पहले उस फाटक पर जा जहाँ से यहूदा के राजा नगर में आते और बाहर जाते हैं, और फिर दूसरे फाटकों में से होकर एक पर जा। 20 प्रत्येक फाटक पर लोगों से कह, ‘हे यहूदा के राजा और यरूशलेम में रहने वाले हर कोई और यहूदा के अन्य सब लोगों जो इन फाटकों में प्रवेश करते हो, इस सन्देश को यहोवा से सुनों! 21 वह कहते हैं, “यदि तुम जीना चाहते हो तो इस चेतावनी को ध्यान से सुनों! सब्त के दिनों में कार्य करना बन्द करो! उन दिनों में इन फाटकों से बोझ उठा कर आना जाना बन्द करो! 22 अपने घरों से भी बोझ उठा कर न लाओ या सब्त के दिनों में कोई अन्य कार्य न करो! इसकी अपेक्षा, सब्त के दिन को पवित्र रखो। मैंने तुम्हारे पूर्वजों को ऐसा करने का आदेश दिया, 23 परन्तु उन्होंने न तो मेरी बात सुनी न ही मेरी आज्ञा मानी। जब मैंने उन्हें सुधारने के कार्य किए तो उन्होंने हठ करके मेरी बातों को अनसुना किया या उसे स्वीकार नहीं किया। 24 परन्तु मैं कहता हूँ कि यदि तुम मेरी आज्ञा मानोगे, और यदि तुम सब्त के दिनों में इन फाटकों से बोझ उठा कर नहीं लाते या सब्त के दिनों में कोई अन्य कार्य नहीं करते हो, और यदि तुम सब्त के दिनों को मेरे लिए समर्पित करते हो, 25 तो यहूदा के राजा और उनके अधिकारी इन फाटकों में से आते जाते रहेंगे। वहाँ सदा राजा दाऊद के वंश का कोई होगा जो यरूशलेम में राज करेगा। राजा और उसके अधिकारी रथों और घोड़ों पर सवार इन फाटकों में से आते जाते रहेंगे, और इस शहर में सदा लोग रहेंगे। 26 और लोग वेदी पर जलाए जाने वाली बलियाँ तथा अन्य भेंटों को ले कर यरूशलेम आएँगे। वे आराधनालय में अन्न-बलि और धूप और मुझे धन्यवाद देने की भेंटें लाएँगे। लोग इन भेंटों को यहूदा के नगरों और यरूशलेम के पास के गाँवों और उस क्षेत्र से लाएँगे जहाँ बिन्यामीन का गोत्र रहता है और पश्चिमी तलहटी से और दक्षिणी यहूदिया के जंगल से आएँगे। 27 परन्तु यदि तुम मेरी बातों पर ध्यान नहीं देते, और यदि तुम सब्त के दिनों को मेरे लिए समर्पित करने से मना करते हो, और यदि तुम इन फाटकों से सब्त के दिनों में शहर में बोझ उठा कर लाते रहे, तो मैं इन फाटकों को पूरी तरह जला दूँगा। आग महलों में फैल जाएगी, और कोई भी उस आग को बुझा नहीं पाएगा।”

Chapter 18

1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उसने कहा, 2 “उस व्यक्ति की दुकान पर जा जो मिट्टी के बर्तन बनाता है। वहाँ मैं तुझे एक सन्देश दूँगा।” 3 तो मैं उस दुकान में गया, और मैंने उस व्यक्ति को देखा जो बर्तन बनाता है। वह चाक पर कार्य कर रहा था जिसे वह बर्तन बनाने के लिए उपयोग करता है। 4 परन्तु जब उसने एक पात्र बनाया, तो वह उतना अच्छा नहीं था जितना कि वह आशा करता था। तो, उसने मिट्टी ली और एक और पात्र बनाया, जिसे उसने अपनी इच्छा के अनुसार आकार दिया।

5 तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया: 6 “सम्भवतः इस्राएल के लोग सोचते हैं कि मैं उन लोगों के साथ ऐसा नहीं कर सकता जैसा इस बर्तन बनाने वाले ने अपने पात्र के साथ किया है। परन्तु जो भी वे सोचते हैं वह गलत है। मैं नियंत्रित कर सकता हूँ कि उनके साथ क्या होगा जैसे कि यह व्यक्ति नियंत्रित करता है कि वह अपने हाथ की मिट्टी के साथ क्या करता है। 7 ऐसा समय हो सकता है जब मैं यह कहूँ कि मैं किसी राष्ट्र या साम्राज्य का नाश कर दूँगा, जैसे कोई किसी पौधे को उसकी जड़ों के साथ उखाड़ देता है, और उसे तोड़ देता है, और इसे नष्ट कर देता है। 8 परन्तु यदि इस देश के लोग बुरे कार्य करने से पश्चाताप करते हैं, तो मैं उन विपत्तियों को नहीं भेजूँगा जिन्हें मैंने भेजने की योजना बनाई थी। 9 और ऐसा समय हो सकता है जब मैं यह घोषणा करूँ कि मैं एक राष्ट्र या राज्य स्थापित करूँगा और उसे दृढ़ बना दूँगा। 10 परन्तु यदि उस देश के लोग बुरे कार्य करना आरम्भ करते हैं और मेरी आज्ञा नहीं मानते हैं, तो मैं उन्हें आशीष नहीं दूँगा जैसा मैंने कहा था कि मैं करूँगा।

11 इसलिए, यिर्मयाह, यरूशलेम में और यहूदा के अन्य स्थानों में सब लोगों को चेतावनी दे। उनसे कह, ‘यहोवा यह कहते हैं: मैं तुम पर एक विपत्ति भेजने की योजना बना रहा हूँ। अतः, तुम में से प्रत्येक जन को अपने बुरे व्यवहार से मन फिराना चाहिए और सही कार्य करना आरम्भ करना चाहिए, कि तुम्हारा कल्याण हो!’

12 परन्तु लोग तुझसे कहेंगे, ‘हमसे यह सब बातें करना व्यर्थ है। हम हठीले ही रहेंगे और जितना चाहें उतना बुरा व्यवहार करेंगे।’”

13 इसलिए यहोवा ने प्रतिक्रिया में कहा:

     “उन लोगों से पूछ जो अन्य देशों में रहते हैं यदि उन्होंने कभी ऐसी बात सुनी है।

         मेरे इस्राएली लोग, जो कुँवारी के समान शुद्ध हैं, उन्होंने एक भयानक कार्य किया है!

     14 बर्फ निश्चय ही लबानोन के पर्वतों की चट्टानी ढलानों से पूरी तरह से लोप नहीं होता है।

         उन दूर के पर्वतों से बह कर आने वाली ठण्डे पानी की धाराओं का बहना कभी बन्द नहीं होता।

     15 परन्तु मेरे लोग उन धाराओं के जैसे विश्वसनीय नहीं हैं:

         उन्होंने मुझे छोड़ दिया है।

     वे निकम्मी मूर्तियों का सम्मान करने के लिए धूप जलाते हैं।

     ऐसा लगता है जैसे कि वे परिचित एवं विश्वासयोग्य मार्गों में चलते हुए भी ठोकर खा चुके हैं

         इसकी अपेक्षा, वे अब कच्चे मार्गों पर चल रहे हैं।

     16 इसलिए, उनका देश उजाड़ हो जाएगा,

         और जो लोग इसे देखते हैं, वे अब से इस पर हँस कर इसका उपहास करेंगे।

     जो लोग निकट से निकलते हैं वे डर जाएँगे;

         वे यह दिखाने के लिए अपना सिर हिलाएँगे।

     17 जब उनके शत्रु उन पर आक्रमण करेंगे तब मैं उन लोगों को तितर-बितर कर दूँगा

         जैसे पूर्वी हवा से धूल बिखर जाती है।

     और जब उन पर यह सब विपत्तियाँ आ पड़ेंगी,

         तब मैं उन्हें पीठ दिखाऊँगा और उनकी सहायता करने से मना कर दूँगा।”

18 तब लोगों ने कहा, “आओ, हम यिर्मयाह पर आक्रमण करने की योजना बनाएँ। हमारे पास कई याजक हैं जो हमें परमेश्वर के नियम सिखाते हैं, बुद्धिमान पुरुष जो हमें अच्छी सलाह देते हैं, और भविष्यद्वक्ता जो हमें बताते हैं कि क्या होगा। हमें यिर्मयाह की आवश्यकता नहीं है, हमें उसकी निन्दा करनी चाहिए और वह जो भी कहता है उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए।”

19 तब मैंने प्रार्थना की, “हे यहोवा, कृपया मेरी बात सुनें!

         और मेरे शत्रु मेरे विषय में क्या कह रहे हैं सुनें।

     20 मैं भले कार्य कर रहा हूँ,

         इसलिए यह घृणित है कि वे बुराई करके मुझे बदला दे

     ऐसा लगता है कि उन्होंने मुझे गिराने और मारने के लिए एक गड्ढ़ा खोदा है।

         यह मत भूलना कि एक बार मैं आपके सामने खड़ा था और सहायता करने के लिए आप से अनुरोध किया था,

         और मैंने प्रयास किया था कि आपको उन्हें दण्ड देने से रोक दूँ, भले ही आप उनसे बहुत क्रोधित थे।

     21 तो अब, उनके बच्चों को भूख से मरने दें!

         या उन्हें शत्रुओं की तलवार से मरने का कारण उत्पन्न कर दें!

     उनकी पत्नियों को विधवा हो जाने दें, जिनके बच्चे मर चुके हैं!

         युद्ध में उनके पतियों के मरने का कारण उत्पन्न कर दें!

     22 उनके घरों में रोना चिल्लाना सुनाई दे

         जब शत्रु के सैनिक अकस्मात ही उनके अपने घरों में घुस जाएँ!

     इन सब बातों को उनके साथ होने दें क्योंकि वे मुझे मारना चाहते हैं।

     ऐसा लगता है कि उन्होंने मुझे गिराने के लिए एक गड्ढ़ा खोदा है,

         और उन्होंने मेरे मार्गों में फन्दे बिछाए हैं।

     23 हे यहोवा, आप उन सब बातों को जानते हैं जिनकी वे मुझे मारने के लिए करने की योजना बना रहे हैं।

     उनके अपराधों के लिए आप उन्हें क्षमा न करें

         या उनके पापों के लेखे को मिटा न दें।

     उन्हें नष्ट कर दें;

         उन्हें दण्ड दें क्योंकि आप उनसे क्रोधित हैं!”

Chapter 19

1 यह एक और सन्देश है जिसे यहोवा ने मुझे दिया: “जा और मिट्टी के बर्तन बनाने वाले से एक बर्तन मोल ले। फिर इन लोगों के कुछ वृद्धों और याजकों के प्रधानों को साथ ले। 2 और टूटे हुए बर्तनों के फाटक से होकर शहर से बाहर निकल, जो हिन्नोम की घाटी में टूटे मिट्टी के बर्तनों को फेंकने के स्थान के सामने है। फिर उन्हें एक सन्देश दे। 3 उनसे कह, ‘यह सन्देश तुम्हारे लिए, यहूदा के राजाओं और यरूशलेम के अन्य लोगों के लिए है। सुनों कि यहोवा क्या कह रहे हैं! इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, कहते हैं कि वह यरूशलेम पर एक भयानक विपत्ति लाएँगे। जो लोग इसके विषय में सुनेंगे वे डर जाएँगे। 4 ऐसा इसलिए होगा क्योंकि तुम इस्राएली लोगों ने मेरी आराधना करना बन्द कर दिया है, और इस स्थान को ऐसा बना दिया है जहाँ तुम विदेशी देवताओं की पूजा करते हो। तुम ऐसे देवताओं के लिए बलि चढ़ाते हो जिनके विषय में न तो तुमने और न ही तुम्हारे पूर्वजों ने और न ही यहूदा के राजाओं ने कभी सुना है। और तुमने इस स्थान को निर्दोष लोगों के खून से भर दिया है जिन्हें तुमने मारा है। 5 तुमने अपने बाल देवता का सम्मान करने के लिए कई पहाड़ियों की चोटियों पर वेदी बनाई है, और वहाँ पर तुमने अपने बच्चों को मार डाला है और बाल को उनकी बलि चढ़ाई। मैंने तुम्हें ऐसा करने का आदेश कभी नहीं दिया, मैंने ऐसा करने के विषय में कभी बात नहीं की, और कभी भी इसे अनुमति देने पर विचार नहीं किया! 6 इसलिए, सावधान रहो, क्योंकि मैं, यहोवा, कहता हूँ कि ऐसा समय होगा जब इस कूड़े के ढेर को तोपेत या हिन्नोम की घाटी नहीं कहा जाएगा; इसे वध की घाटी कहा जाएगा। 7 इस स्थान में मैं यरूशलेम और यहूदा के अन्य स्थानों में रहने वाले तुम लोगों की योजनाओं को नाश कर दूँगा। मैं तुम्हारे शत्रुओं को जो तुम्हें मारना चाहते हैं, उनकी तलवारों से कई को मारने दूँगा। तब मैं उनके शवों को गिद्धों और जंगली पशुओं का भोजन होने के लिए भूमि पर पड़े रहने दूँगा। 8 मैं यरूशलेम को पूरी तरह से नष्ट कर दूँगा और इसे खण्डहरों का ढेर बना दूँगा जिसे लोग तुच्छ मानेंगे। आने जाने वाले डर जाएँगे, और जब वे देखेंगे कि शहर नष्ट हो गया है तो वे चौंक जाएँगे। 9 मैं तुम्हारे शत्रुओं को जो तुम्हें मारना चाहते हैं, लम्बे समय तक तुम्हारे शहर को चारों ओर घेरने दूँगा। तब भोजन समाप्त हो जाएगा, और तुम लोग बहुत भूखे हो जाओगे, जिसके परिणामस्वरूप तुम शहर के लोग अपने बच्चों और अपने पड़ोसियों के बच्चों का माँस खाओगे।’

10 यिर्मयाह, जब तू उनसे यह कह चुके, तब तेरे साथ उपस्थित लोगों के देखते हुए उस बर्तन को जिसे तू लाया है, उसे तोड़ देना। 11 तब उनसे कहना, ‘यहोवा स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यही कहते हैं, जिस प्रकार इस बर्तन को तोड़ दिया गया है और सुधारा नहीं जा सकता है, मैं यरूशलेम के इस शहर और यहूदा के अन्य स्थानों को तोड़ दूँगा। तुम कूड़े के इस ढेर में शवों को यहाँ दफन करोगे कि शव दफनाने के लिए कोई और स्थान न रहे। 12 यही है जो मैं इस शहर और यहाँ रहने वाले लोगों के साथ करूँगा। मैं तुम्हें मेरी आराधना के लिए अयोग्य कर दूँगा, और यह शहर तुम्हारे जैसा ही होगा, जैसे तोपेत है। 13 यरूशलेम में घर और यहूदा के राजाओं के महल अयोग्य होंगे, जैसा यह स्थान होगा। वे सब घर जहाँ तुमने छतों पर सितारों के लिए धूप जलाया था और जहाँ तुमने अपने देवताओं के लिए भेंट के रूप में, दाखमधु डाली थी, उन सबके रहने के लिए अयोग्य हो जाएँगे जो मेरी आराधना करते हैं।’”

14 तब मैं कूड़े के उस ढेर से लौट आया जहाँ यहोवा ने मुझे यह सन्देश सुनाने के लिए भेजा था, और मैं यहोवा के भवन के आँगन में खड़ा हुआ और वहाँ उपस्थित सब लोगों से यह कहा: 15 “स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान यहोवा जो कहते हैं, वह यह है ‘मैं इस नगर और उसके आस-पास के गाँवों के लिए एक विपत्ति लाऊँगा जिसकी मैंने प्रतिज्ञा की है, क्योंकि तुम लोगों ने हठ करके मेरी बातों पर ध्यान देने से मना कर दिया है।’”

Chapter 20

1 इम्मेर का पुत्र पशहूर एक याजक था जो आराधनालय के सुरक्षाकर्मियों का प्रधान था। उसने इन चीजों को सुना जो मैंने भविष्यद्वाणी की थी। 2 तो उसने मुझे बन्दी बना लिया। तब उसने सुरक्षाकर्मियों को आज्ञा दी कि वे मुझे कोड़े से मारें और यहोवा के भवन के ऊपर बिन्यामीन के फाटक के पास मेरे पैरों को काठ में ठुकवा दिया। 3 अगले दिन, जब पशहूर ने मुझे छोड़ दिया, तब मैंने उससे कहा, “पशहूर, यहोवा तुझे एक नया नाम दे रहे हैं। अब से, तेरा नाम ‘भय से घिरा हुआ’ होगा 4 क्योंकि यहोवा तुझसे कहते हैं: ‘मैं तुझे और तेरे प्रिय जनों को भयभीत कर दूँगा। तू उन्हें अपने शत्रुओं की तलवार से मरते हुए देखेगा। मैं यहूदा के लोगों को बन्दी बनाने के लिए बाबेल के राजा की सेना को सक्षम करूँगा। वे सैनिक कुछ लोगों को बाबेल में ले जाएँगे, और वे दूसरों को अपनी तलवारों से मार देंगे। 5 और मैं उन सैनिकों को यरूशलेम में अन्य वस्तुओं को उठा ले जाने में सक्षम करूँगा: तुम्हारी सारी सम्पत्ति और तुम्हारे कठोर परिश्रम का उत्पादन। वे तुम्हारे राजाओं की सब मूल्यवान वस्तुएँ बाबेल ले जाएँगे। 6 और जहाँ तक तेरी बात हैं, पशहूर, वे तुझे और तेरे परिवार को बाबेल ले जाएँगे। तू और तेरा परिवार और तेरे सब मित्र, जिन्होंने झूठी बोलने वाली चीजों की भविष्यद्वाणी की है वहाँ मर जाएँगे और वहाँ दफनाए जाएँगे।’”

7 एक दिन मैंने यहोवा से कहा:

     “हे यहोवा, जब आपने मुझे भविष्यद्वक्ता बनने के लिए चुना, तो आपने मुझे धोखा दिया कि मैं इस कार्य को करने के लिए सहमत हो जाऊँ।

         आपने मुझे एक भविष्यद्वक्ता होने के लिए विवश किया।

     परन्तु अब हर कोई मेरा उपहास करता है।

         वे पूरे दिन मेरा उपहास करते हैं।

     8 जब मैं लोगों को आपके सन्देश सुनाता हूँ, तो मैं चिल्ला कर कहता हूँ,

         ‘यहोवा तुम्हें हिंसा और विनाश का अनुभव कराने जा रहे हैं!’

     इसलिए क्योंकि मैं उन्हें उन सन्देशों को बताता हूँ,

         इसलिए वे मेरा अपमान करते हैं और पूरे दिन मेरा उपहास करते हैं।

     9 परन्तु यदि मैं कहूँ, ‘मैं कभी यहोवा की चर्चा नहीं करूँगा या उसके विषय में कुछ नहीं कहूँगा,’

         ऐसा होगा जैसे आपका सन्देश आग के समान मेरे अन्दर जल जाएगा;

         यह मेरी हड्डियों में आग के समान होगा।

     कभी-कभी मैं चुप रहने का प्रयास किया करता हूँ और आपके सन्देशों का प्रचार नहीं करता हूँ,

         परन्तु मैं ऐसा कर नहीं पाता।

     10 मैं कई लोगों को मेरे विषय में फुसफुसाते हुए सुनता हूँ,

         वे कहते हैं कि ‘यही वह व्यक्ति है जो यह घोषणा करता है कि ऐसी घटनाएँ होंगी जो हमें हर स्थान पर डराएँगी।

         हमें अधिकारियों को यह बताना होगा कि वह क्या कह रहा है! हमें उसकी निन्दा करनी चाहिए!

     यहाँ तक कि मेरे सबसे अच्छे मित्र मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि मैं कोई गलत बात कहूँ।

     वे कह रहे हैं, ‘संभव है कि हम उससे कोई गलत बात बुलवा पाएँ,

         और यदि वह ऐसा करता है, तो हम उसे हराने में सक्षम होंगे।’

     11 परन्तु आप, हे यहोवा, एक शक्तिशाली योद्धा के समान मेरी सहायता कर रहे हैं,

         ऐसा लगता है कि वह मेरे सताने वालों के लिए ठोकर का कारण बन जाएँगे, और वे मुझे पराजित नहीं कर पाएँगे।

     वे पूरी तरह से अपमानित होंगे, क्योंकि वे मुझसे अनुचित लाभ उठाने में समर्थ नहीं हो पाएँगे;

         और लोग कभी नहीं भूलेंगे कि वे अपमानित किए गए।

     12 हे यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान,

     आप उन सबकी जाँच करते हैं जो धर्मी हैं;

         आप उन सबके मन की बातों को जानते हैं और उनके विचारों को भी जानते हैं।

     मुझे हानि पहुँचाने वालों से आप बदला लें तो मुझे देखने दें,

         क्योंकि मैं आपके पास सही के लिए अपना मुकद्दमा देने आया था।”

     13 यहोवा के लिए गाओ!

         यहोवा की स्तुति करो!

     वह गरीब और आवश्यकता में पड़े लोगों को बचाते हैं, दुष्टों से

         बचाते हैं।

     14 परन्तु मुझे आशा है कि जिस दिन मेरा जन्म हुआ वह श्रापित होगा।

         मैं नहीं चाहता कि उस दिन कोई उत्सव मनाए जिस दिन मेरी माँ ने मुझे जन्म दिया।

     15 और उस व्यक्ति के लिए जिसने मेरे पिता को समाचार सुनाया,

         और उसे यह कहकर बहुत आनन्दित किया था

         “तेरी पत्नी ने तेरे लिए एक पुत्र को जन्म दिया है,”

     मुझे आशा है कि वह भी श्रापित होगा।

     16 उसे उन नगरों के समान नाश होने दें जिन्हें यहोवा ने बहुत पहले नष्ट किया था,

         उन पर दया नहीं की थी।

     उस व्यक्ति को सुबह लोगों का विलाप सुनने दें,

         और शत्रु के सैनिकों की युद्ध की ललकार दोपहर में सुनने दें।

     17 मैं चाहता हूँ कि उसके साथ ऐसा ही हो क्योंकि जब मेरा जन्म हुआ था तब उसने मुझे मार नहीं डाला था।

         मेरी इच्छा है कि मैं अपनी माँ के गर्भ में मर गया होता,

         और यह कि मेरी माँ का शरीर मेरी कब्र के समान होता।

     18 मैंने निरन्तर बहुत संकट और दुख का अनुभव किया है,

         और जब मैं मरने वाला हूँ तो अब मैं अपमानित हूँ;

     मेरे लिए जन्म लेना क्यों आवश्यक था?

Chapter 21

1 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया जब यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने मल्किय्याह के पुत्र पशहूर और मासेयाह के पुत्र सपन्याह नाम के एक याजक को मुझसे बात करने के लिए भेजा। उन्होंने मुझसे विनती की, और कहा, 2 “बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर की सेना यहूदा पर आक्रमण कर रही है। कृपया हमारे लिए यहोवा से बात कर। उनसे पूछ कि क्या वह हमारी सहायता करेंगे। संभव है कि वह हमारे लिए कोई चमत्कार करके नबूकदनेस्सर की सेना को चले जाने के लिए विवश करेंगे, जैसे उन्होंने पहले चमत्कार किए हैं।”

3 मैंने उन्हें उत्तर दिया, “राजा सिदकिय्याह के पास जाओ। उसे बताओ, 4 ‘परमेश्वर यहोवा जिनकी हम इस्राएली लोग आराधना करते हैं, कहते हैं: “मैं बाबेल के राजा और उसकी सेना जो यरूशलेम की दीवारों के बाहर है, आक्रमण करती है उसके सामने तुम्हारे हथियारों को व्यर्थ कर दूँगा। मैं उन्हें इस शहर के बीच में प्रवेश करने में सक्षम करूँगा। 5 मैं तुम्हारी सेना के विरुद्ध अपनी महान शक्ति से युद्ध करूँगा, क्योंकि मैं तुमसे बहुत क्रोधित हूँ। 6 मैं इस शहर के लोगों और उनके घरेलू पशुओं पर एक बहुत ही भयानक महामारी भेजूँगा, और उनमें से कई मर जाएँगे।” 7 और यहोवा कहते हैं कि इस शहर में बहुत से लोग हैं जो तुझे मारना चाहते हैं। इसलिए, वह बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर की सेना को और इस नगर के अन्य लोगों को तुझे हे, सिदकिय्याह और तेरे अधिकारियों और उन सब लोगों को जो महामारी से मर नहीं पाए, उन्हें बन्धक बनाने में सक्षम करेंगे। उनकी सेना तेरे सैनिकों को मार डालेगी; वे तुझ पर दया नहीं करेंगे या सहानुभूति नहीं दिखाएँगे।’

8 और सब लोगों से यह कह: ‘यहोवा कहते हैं कि तुम्हें निर्णय लेना होगा कि तुम मरना चाहते हो या जीवित रहना चाहते हो। 9 जो कोई यरूशलेम में रहता है वह मर जाएगा। वे युद्धों में मारे जाएँगे या भूख से या बीमारियों से मर जाएँगे। परन्तु जो लोग तुम्हारे शहर का घेराव करने वाली बाबेल की सेना को आत्मसमर्पण करते हैं वे जीवित रहेंगे। वे मरने से बचेंगे। 10 ऐसा इसलिए होगा कि मैं ने, यहोवा ने इस शहर पर विपत्तियाँ डालने का निर्णय लिया है, न कि कुछ अच्छा करने का। बाबेल के राजा की सेना इस नगर पर अधिकार कर लेगी और इसे आग से पूरी तरह नष्ट कर देगी।’”

11 यहोवा ने मुझे यहूदा के राजा के परिवार से यह कहने के लिए भी कहा: “यहोवा से यह सन्देश सुन! 12 राजा दाऊद के वंशजों से वह यही कहते हैं:

     ‘जिन लोगों का तुम न्याय करते हो उनके लिए प्रतिदिन उचित निर्णय लो।

         उन लोगों की सहायता करो जो लूट गए हैं।

         उन्हें लुटेरों और दुर्व्यवहार करने वालों से बचाओ।

     यदि तुम ऐसा नहीं करते,

         तो मैं क्रोधित हो जाऊँगा और तुमको ऐसी आग से दण्ड दूँगा जिसे बुझाना असम्भव होगा,

         तुम्हारे द्वारा किए गए सब पापों के कारण।

     13 यरूशलेम के लोगों, मैं तुम्हारे विरुद्ध युद्ध करूँगा,

         तुम जो घाटी के ऊपर चट्टानी पहाड़ी की चोटी पर रहते हो।

     मैं उन लोगों के विरुद्ध युद्ध करूँगा जो दावा करते हैं,

         “हम पर कोई भी आक्रमण नहीं कर सकता और न ही हमारी सुरक्षा को तोड़ सकता है।”

     14 मैं तुम्हें तुम्हारे दुष्ट कर्मों के लिए वही दण्ड दूँगा जिसके योग्य तुम हो;

     ऐसा होगा जैसे मैं तुम्हारे जंगलों में आग लगा दूँगा

         जो तुम्हारे चारों ओर सब कुछ जला देगी।’”

Chapter 22

1 यह एक और सन्देश है जो यहोवा ने मुझे दिया: “यहूदा के राजा के महल के पास जा और उससे यह कह: 2 ‘तू यहूदा का राजा है जैसे राजा दाऊद था। तू और तेरे अधिकारियों और तेरे लोगों को सुनना चाहिए 3 कि यहोवा क्या कहते हैं: “उचित और न्यायसंगत कार्य करो। जो सही है, वह करो। उन लोगों की सहायता करो जो लूट गए हैं। अत्याचार करने वालों से लोगों को बचाओ। बुरे कार्य करना छोड़ दो। उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार न करो जो यहाँ दूसरे देशों से आए हैं, और अनाथों और विधवाओं के साथ दुर्व्यवहार मत करो। यहाँ यरूशलेम में हत्या करना बन्द करो। 4 यदि तुम इन आदेशों का ध्यानपूर्वक पालन करते हो, तो यरूशलेम में राज करने के लिए राजा दाऊद के वंशज सदा रहेंगे। राजा और उसके अधिकारी और अन्य लोग रथों और घोड़ों पर शहर के फाटकों से आना जाना करते रहेंगे। 5 परन्तु यदि तुम इन आदेशों पर ध्यान देने से मना करते हो, तो मैं, यहोवा, गम्भीर घोषणा करता हूँ कि यह महल मलबे का ढेर बन जाएगा।”

6 और यहूदा के राजा के घराने के विषय में यहोवा यही कहते हैं:

     “मुझे यह महल पसन्द है, जैसे मुझे गिलाद के क्षेत्र में जंगल पसन्द है

         और लबानोन में पर्वत।

     परन्तु मैं इस महल को रेगिस्तान बनने का कारण उत्पन्न करूँगा,

         ऐसा स्थान जहाँ कोई भी नहीं रहता है।

     7 मैं ऐसे सैनिकों का चयन करूँगा जो इस महल को नष्ट कर देंगे;

         प्रत्येक सैनिक इस इमारत को तोड़ने के लिए अपने स्वयं के हथियारों का उपयोग करेगा।

     वे देवदार के इन बड़े सुन्दर लट्ठों को काट कर टुकड़े-टुकड़े कर देंगे

         और उन्हें आग में डाल देंगे।”

8 कई राष्ट्रों के लोग जब इस शहर के पास से निकलेंगे और एक दूसरे से कहेंगे, “यहोवा ने इस नगर को जो बहुत महान था क्यों नष्ट कर दिया?” 9 और अन्य लोग उत्तर देंगे, “उन्होंने ऐसा किया क्योंकि उनके लोगों ने अपने परमेश्वर यहोवा के साथ बाँधी गई वाचा का पालन करना बन्द कर दिया था। इसकी अपेक्षा, उन्होंने अन्य देवताओं की पूजा की।”

     10 यहोवा यह भी कहते हैं, “राजा योशिय्याह के लिए शोक मत करो;

         रोओ मत क्योंकि वह मर गया है।

     इसकी अपेक्षा, राजा यहोआहाज, उसके पुत्र के लिए शोक करो,

         क्योंकि वह बन्दी बना लिया जाएगा और दूसरे देश में ले जाया जाएगा,

     और वह कभी भी अपने देश, यहूदा को फिर से देखने के लिए वापस नहीं आएगा।” 11 यहोआहाज अपने पिता राजा योशिय्याह के सामने राजा बन गया, परन्तु यहोआहाज को पकड़ लिया गया और बाबेल ले जाया गया। और यहोवा ने उसके विषय में यही कहा: “वह कभी यहूदा नहीं लौटेगा। 12 वह उस देश में मर जाएगा जहाँ उन्होंने उसे बन्दी बना लिया है और अपना देश कभी नहीं देख पाएगा।”

     13 और यहोवा ने मुझसे कहा, “राजा यहोआहाज के भाई राजा यहोयाकीम के साथ भयानक बातें होंगी।

     उसने अन्यायपूर्वक अपना महल बनाने के लिए पुरुषों को विवश किया।

         ऊपरी स्तर के कमरे उन पुरुषों द्वारा बनाए गए थे जिन्हें उस कार्य को करने के लिए अन्याय से विवश किया गया था;

     उसने अपने पड़ोसियों को बिना मजदूरी दिए कार्य करने के लिए विवश किया;

         उसने उन्हें कुछ भी नहीं दिया।

     14 उसने कहा, ‘मैं अपने मजदूरों को एक विशाल सुन्दर महल बनाने के लिए विवश करूँगा

         जिसमें बहुत बड़े कमरे और कई खिड़कियाँ होंगी।

     वे देवदार के सुगन्धित तख्तों से दीवारों को ढाँकेंगे

         और उन्हें चमकदार लाल रंग से रंगेंगे।’”

     15 परन्तु निश्चय ही एक सुन्दर देवदार महल राजा को महान नहीं बनाता है!

     यहोयाकीम के पिता, योशिय्याह के पास खाने और पीने के लिए बहुत सी वस्तुएँ थीं।

         परन्तु योशिय्याह ने सदा वही कार्य किए जो उचित थे,

         और यही कारण है कि परमेश्वर ने उसे आशीष दी थी।

     16 योशिय्याह ने न्याय किया और गरीब और आवश्यकता में पड़े लोगों की सहायता की,

         इसलिए उसका भला होता रहा।

     यहोवा कहते हैं, “इसी प्रकार मुझे जानने वाले व्यक्ति का व्यवहार होना चाहिए।

     17 पर यहोयाकीम, तू लालची है और केवल छल-कपट से कार्य करके वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा रखता है।

         तू निर्दोष लोगों की हत्या करता है,

     तू गरीब लोगों पर दमन करता है,

         और तू लोगों के साथ क्रूर और हिंसक व्यवहार करता है।”

18 इस कारण, योशिय्याह के पुत्र यहोयाकीम के विषय में यहोवा यही कहते हैं:

     “जब वह मर जाएगा, तो लोग उसके लिए शोक नहीं करेंगे।

         वे एक दूसरे से नहीं कहेंगे, ‘हम बहुत दुखी है; हमें बहुत खेद है!’

     जिन लोगों पर उसने शासन किया, वे उसके लिए शोक करके नहीं कहेंगे,

         ‘हमें दुख हैं कि हमारा राजा मर गया है; हमें बहुत खेद है कि उसके राजा होने के समय की अद्भुत बातें समाप्त हो गईं।’

     19 जब वह मरे, तब लोग उसके शव के साथ वैसा ही करेंगे जैसा वे एक मरे हुए गधे के साथ करते हैं;

         उसके शव को खींच कर यरूशलेम के बाहर ले जाया जाएगा और फाटकों के बाहर फेंक दिया जाएगा!

     20 यहूदा के लोगों, लबानोन के पर्वतों पर जाओ और रोओ,

         बाशान क्षेत्र के पर्वतों में चिल्लाओ,

     शोक करते हुए मोआब के पर्वतों में पुकारो,

         क्योंकि उन क्षेत्रों में तुम्हारे सब मित्रों को नष्ट कर दिया गया है।

     21 जब तुम समृद्ध थे, तब मैंने तुम्हें चेतावनी दी,

         परन्तु तुमने उत्तर दिया, ‘तू जो कहता है उस पर हम ध्यान नहीं देंगे।’

     तुम युवा अवस्था से ही ऐसा व्यवहार करते आ रहे हो;

         तुमने मेरी आज्ञा कभी नहीं मानी है।

     22 तो, अब मैं तुम्हारे सब अगुवों को दण्ड दूँगा;

         ऐसा होगा जैसे वे हवा से उड़ा दिए गए हैं।

     तुम्हारे शत्रु उन्हें बन्दी बना कर दूसरे देश में ले जाएँगे।

     जब ऐसा होगा, तब तुम वास्तव में लज्जित और अपमानित हो जाओगे

         तुम्हारे द्वारा किए गए सब बुरे कार्यों के कारण।

     23 अब, तुम्हारा राजा अपने महल में देवदार के कमरे में रहने का आनन्द लेता है,

         परन्तु शीघ्र ही उसे दण्ड दिया जाएगा,

     और फिर वह चिल्लाएगा

         एक ऐसी स्त्री के समान जो बच्चे को जन्म दे रही है।”

24 यहोवा यह कहते हैं: “यहूदा के राजा यहोयाकीम के पुत्र यहोयाकीन, जैसा कि मैं जीवित हूँ, मैं तुझे दण्ड दूँगा। भले ही तू मेरी उँगली पर अंगूठी हो, जो दिखाती है कि मैं राजा हूँ, मैं तुझे खींच कर उतार दूँगा। 25 तू बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर और उसकी विशाल सेना से डरता है, क्योंकि वे तुझे मारना चाहते हैं। तुझे बन्दी बनाने में मैं उन्हें सक्षम करूँगा। 26 मैं तुझे और तेरी माँ को इस देश से निकाल दूँगा, और तू दूसरे देश में ले जाया जाएगा। तुम में से कोई भी वहाँ जन्मा नहीं था, परन्तु तुम दोनों वहाँ मर जाओगे। 27 तुम कभी भी इस देश में वापस नहीं आओगे जहाँ लौट आने की तुम्हारी बड़ी इच्छा होगी।”

     28 किसी ने कहा, “यहोयाकीन एक टूटे हुए बर्तन के समान होगा

         जो तुच्छ है और जिसे कोई भी नहीं चाहता है।

     वह और उसके बच्चों को निकाल कर एक विदेशी भूमि में ले जाया जाएगा।

     29 मैं चाहता हूँ कि इस देश में लोग यहोवा के इस सन्देश को ध्यान से सुनें।

     30 यहोवा यही कहते हैं:

     “यहूदा के राजाओं के विषय में अभिलेख में, लिखो कि ऐसा होगा जैसे की इस मनुष्य यहोयाकीन के बच्चे नहीं थे,

         और वह अपने जीवन में सफल नहीं हुआ था,

     क्योंकि उसकी कोई भी सन्तान कभी राजा नहीं बन पाएगी

         कि यहूदा के लोगों पर शासन करे।”

Chapter 23

1 यहोवा घोषणा करते हैं, “मेरे लोगों के अगुवों के साथ भयानक घटनाएँ होंगी—क्योंकि वे मेरी भेड़ों जैसे मेरे लोगों के चरवाहों के समान हैं—क्योंकि उन्होंने मेरे लोगों को तितर-बितर कर दिया है और उन्हें दूर भेज दिया है, और उनकी देखभाल नहीं की है। 2 इसलिए, मैं यहोवा, जिसकी आराधना इस्राएली करते हैं, उन अगुवों से कहता हूँ: ‘मेरे लोगों की देखभाल करने और उन्हें उन स्थानों में ले जाने के लिए जहाँ वे सुरक्षित रहें, जैसा चरवाहे अपनी भेड़ों के साथ करते हैं, इसकी अपेक्षा तुमने उन्हें तितर-बितर कर दिया। इसलिए जो बुरे कार्य तुमने किए हैं, उसके लिए मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। 3 परन्तु बाद में मैं उन लोगों को जो जीवित हैं, उन देशों से निकाल कर एकत्र करूँगा जहाँ मैंने उन्हें जाने के लिए विवश किया है। मैं उन्हें अपने देश में वापस लाऊँगा, जहाँ उनके कई बच्चे होंगे, और उनकी संख्या बढ़ेगी। 4 तब मैं अपने लोगों के लिए अन्य अगुवों की नियुक्ति करूँगा, जो उनकी देखभाल करेंगे और मेरे लोग कभी भी किसी से भी नहीं डरेंगे, और उनमें से कोई भी खोई हुई भेड़ों के समान नहीं होगा जो उसके चरवाहे द्वारा खो गई है।’”

5 यहोवा यह भी कहते हैं,

     “एक दिन मैं तुम्हारे लिए एक धर्मी व्यक्ति नियुक्त करूँगा

         जो राजा दाऊद के वंश का होगा।

     राजा के रूप में, वह देश के सब लोगों के लिए न्यायसंगत और उचित कार्य करेगा।

     6 उस समय, वह सब इस्राएली लोगों को अपने शत्रुओं से बचाएगा,

         और वे सुरक्षित रहेंगे।

     और उसका नाम होगा

         ‘यहोवा, जो हमारे लिए उचित कार्य करते हैं।’”

7 यहोवा यह भी कहते हैं कि उस समय, जो लोग निष्ठापूर्वक कुछ करने की शपथ खाते हैं, वे अब नहीं कहेंगे, “मैं निश्चय ही ऐसा करूँगा जैसे यहोवा जीवित हैं, जिन्होंने मिस्र से इस्राएलियों को बचाया।” 8 इसकी अपेक्षा, वे कहेंगे, “मैं निश्चय ही ऐसा करूँगा जैसा यहोवा रहता है, जिसने हम इस्राएली लोगों को भूमि से पूर्वोत्तर तक और अन्य सब देशों से वापस ले लिया, जिस पर उसने हमें निर्वासित किया था।” और वे फिर से अपने देश में रहेंगे।

9 यहोवा ने झूठे भविष्यद्वक्ताओं के लिए जो पवित्र सन्देश दिया उसके कारण मेरा मन बहुत दुखी है कि उनके साथ क्या होगा;

     ऐसा लगता है कि मेरी सब हड्डियाँ थरथराती हैं।

         मैं उस व्यक्ति के समान लड़खड़ाता हूँ जिसने बहुत सी दाखमधु पी रखी हो

     10 देश उन लोगों से भरा है जो व्यभिचार करते हैं;

         और यहोवा ने भूमि को श्राप दिया है।

     यहाँ तक कि रेगिस्तान में सब चारागाह सूख गए हैं,

         क्योंकि लोग बुरे कार्य करते हैं,

         और झूठे भविष्यद्वक्ताओं ने उन कार्यों को करने के लिए अपने अधिकार का उपयोग किया जो उचित नहीं हैं।

     11 यहोवा कहते हैं, “यहाँ तक कि याजक और भविष्यद्वक्ता भी अधर्मी हैं;

         वे मेरे भवन में भी दुष्ट कार्य करते हैं।

     12 इसलिए, ऐसा होगा कि जैसे उनके चलने के मार्ग फिसलन के हैं।

         ऐसा होगा जैसे कि अँधेरे में उनका पीछा किया जा रहा है,

         और वहाँ वे गिर जाएँगे,

     क्योंकि मैं उन पर विपत्तियाँ डालूँगा

         उस समय मैं उन्हें दण्ड दूँगा।

         यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

     13 पहले मैंने देखा कि सामरिया में भविष्यद्वक्ता कुछ ऐसा कर रहे थे जो गलत था;

         वे भविष्यद्वाणी कर रहे थे, कि बाल ने उन्हें सन्देश दिए है जिनकी वे घोषणा कर रहे थे,

     और वे मेरे लोगों को धोखा दे रहे थे।

     14 और अब मैंने भविष्यद्वक्ताओं को यरूशलेम में भयानक कार्य करते हुए देखा है।

         वे व्यभिचार करते हैं

         और स्वभाव से ही झूठ बोलते हैं।

     वे दुष्ट लोगों को दुष्टता के कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं,

         परिणामस्वरूप लोग पाप करना बन्द नहीं करते हैं।

     ये भविष्यद्वक्ता दुष्ट हैं जैसे सदोम और गमोरा के लोग थे।

15 इसलिए, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान यहोवा, उन झूठे भविष्यद्वक्ताओं के विषय में कहते हैं:

     “मैं उन भविष्यद्वक्ताओं को कड़वा भोजन खाने के लिए दूँगा

         और पीने के लिए विष दूँगा,

     क्योंकि उनके कारण ही यह देश उन लोगों से भरा हुआ है जो दुष्ट कर्म करते हैं।”

16 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान यहोवा कहते हैं:

     “उन झूठे भविष्यद्वक्ताओं ने जो कहा है, उस पर ध्यान मत दो,

         क्योंकि वे केवल तुम्हें मूर्ख बना रहे हैं।

     वे तुम्हें जिन दर्शनों की बातें सुनाते हैं वे केवल उनके मन के विचार हैं,

         उन दर्शनों के विषय में नहीं जो मैंने उन्हें दिए हैं।

     17 उन लोगों का स्वभाव ही हो गया है कि मुझसे घृणा करने वालों से कहें,

         ‘यहोवा कहते हैं कि तुम्हें शान्ति मिलेगी।’

     और वे उन लोगों से कहते हैं जो अपनी इच्छा पूरी करने में हठ करते हैं,

         ‘तुम ऐसे कार्य करते हो तो तुम्हारा कुछ भी बुरा नहीं होगा।’

     18 परन्तु उनमें से कोई भी स्वर्ग में की परिषद की बैठक में कभी नहीं रहा है

         कि मेरे द्वारा दिया गया सन्देश सुने।

         उनमें से किसी ने भी ध्यान नहीं दिया जो भी यहोवा ने कहा है।

     19 इसलिए, यहोवा उन्हें दण्ड देंगे; यह एक भयानक आँधी के समान होगा;

         यह एक बवण्डर के समान नीचे आएगा जो उन दुष्टों के सिरों के चारों ओर घूमेगा।

     20 यहोवा का क्रोध शान्त नहीं होगा

         जब तक कि वह अपनी योजना को पूरी न कर लें।

         भविष्य में, तुम इस बात को स्पष्ट रूप से समझोगे।”

     21 यहोवा यह भी कहते हैं, “मैंने उन भविष्यद्वक्ताओं को नियुक्त नहीं किया है,

         परन्तु वे लोगों को अपने ही सन्देश सुनाते फिरते हैं।

     मैंने उनसे बात नहीं की,

         परन्तु वे भविष्यद्वाणी करते रहते हैं।

     22 यदि वे मेरी परिषद की बैठकों में थे,

         तो वे मेरे सन्देश सुनाने में सक्षम होते,

     और वे लोगों को बुरे कार्य न करने के लिए प्रेरित करते।”

     23 यहोवा यह भी कहते हैं, “क्या मैं वह परमेश्वर हूँ जो केवल पास में है?

         नहीं, मैं वह परमेश्वर हूँ जो बहुत दूर भी है।

     24 तो, कोई भी गुप्त स्थान में छिप नहीं सकता है

         कि मैं उसे नहीं देख सकता।

         मैं स्वर्ग में और पृथ्‍वी पर हर स्थान में हूँ!

     यही है जो मैं यहोवा, कहता हूँ!

25 मैंने उन भविष्यद्वक्ताओं को झूठी भविष्यद्वाणी करते सुना है कि वे मुझसे प्राप्त सन्देश सुना रहे हैं। वे कहते हैं, ‘मेरी बात सुनो मैंने कल रात परमेश्वर की ओर से एक स्वप्न देखा! मैंने वास्तव में यह स्वप्न देखा है! 26 वे ऐसा कब तक करते रहेंगे? वे झूठ बोलने वाले भविष्यद्वक्ता कब तक अपने मन से भविष्यद्वाणी करते रहेंगे? 27 वे सोचते हैं कि वे एक-दूसरे को जो स्वप्न सुनाते हैं उनके कारण लोग मुझे भूल जाएँगे, जैसे कि उनके पूर्वज मुझे भूल गए जब उन्होंने बाल की पूजा करना आरम्भ की थी। 28 उन झूठे भविष्यद्वक्ताओं को अपने स्वप्न लोगों को बताने दे, परन्तु जिनके पास वास्तव में वे सन्देश हैं जो मेरे पास ले आते है तो वे उन सन्देशों को निष्ठापूर्वक घोषित करें। मैं, यहोवा, कहता हूँ कि भूसे और अनाज के समान निश्चय ही मेरे सन्देश उन झूठे भविष्यद्वक्ताओं के सन्देश से बहुत अलग हैं। 29 मेरे सन्देश आग के समान जलते हैं और एक हथौड़ा के समान है जो चट्टानों को टुकड़े-टुकड़े कर देता है जब यह किसी के हृदय पर प्रभाव डालते हैं।

30 इसलिए, मैं यहोवा, उन सब भविष्यद्वक्ताओं का विरोध करता हूँ जो एक-दूसरे से सन्देश चुराते हैं और दावा करते हैं कि वे सन्देश मुझसे आए हैं। 31 मैं उन भविष्यद्वक्ताओं का विरोध करता हूँ जो अपने सन्देश बोलते हैं परन्तु दावा करते हैं कि वे सन्देश मुझसे आए हैं। 32 मैं उन भविष्यद्वक्ताओं का विरोध करता हूँ जो झूठी बात करते हैं कि मैंने उन्हें दर्शन में कुछ बताया, परन्तु वे केवल झूठ बोल रहे हैं जिनके कारण मेरे लोग पाप करने की प्रेरणा पाते हैं। मैंने उन भविष्यद्वक्ताओं को नहीं भेजा। मैंने उन्हें भविष्यद्वक्ता भी नियुक्त नहीं किया है। और उनके पास कोई सन्देश नहीं है जो मेरे लोगों को कभी लाभ पहुँचाएगा। यही वह है जो मैं, यहोवा, घोषित करता हूँ।”

33 यहोवा ने मुझसे कहा, “यदि उन भविष्यद्वक्ताओं या याजकों में से कोई या अन्य लोगों में से कोई तुमसे पूछता है, ‘यहोवा ने तुझे अब क्या समस्या बताई है?’, तो तू उन्हें उत्तर देना, ‘तुम्हारे लिए उन्होंने मुझे कुछ भी नहीं कहा है! इसकी अपेक्षा, यहोवा कहते हैं कि वह तुम्हें त्याग देंगे! 34 और यदि कोई भविष्यद्वक्ता या याजक या कोई और झूठ कहता है, ‘मेरे पास यहोवा से प्राप्त एक भविष्यद्वाणी है,’ तो मैं उस व्यक्ति और उसके परिवार को दण्ड दूँगा। 35 तुम्हें निरन्तर एक दूसरे से पूछते रहना चाहिए, ‘जब तुमने यहोवा से बात की, तो उन्होंने क्या उत्तर दिया? वह हमसे क्या कह रहे हैं? 36 परन्तु इसकी अपेक्षा तुम्हें केवल अपने विचारों की और सच्चे परमेश्वर, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा जिनकी हम आराधना करते हैं उनके सच्चे सन्देश को बिगाड़ रहे हो। 37 यही आपको प्रत्येक भविष्यद्वक्ता से पूछना चाहिए: ‘जब तुमने उनसे बात की तो यहोवा ने क्या उत्तर दिया? वह हमसे क्या कह रहे हैं? 38 यदि वह उत्तर देता है, ‘मैंने जो कहा है, वह यहोवा की भविष्यद्वाणी है’ तो उससे कहना, कि मैं उसे दण्ड दूँगा, क्योंकि मैंने अपने सच्चे भविष्यद्वक्ताओं से कहा था कि अभी इन लोगों को कोई सन्देश न दें। 39 इसलिए मैं, यहोवा, तुम झूठे भविष्यद्वक्ताओं से छुटकारा पाऊँगा। मैं तुम्हें अपनी उपस्थिति से निकाल दूँगा। और मैं इस नगर को नाश कर दूँगा जिसे मैंने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। 40 मैं सदा के लिए तुम्हें लोगों के लिए ठट्ठा करने का कारण बना दूँगा। लोग कभी नहीं भूलेंगे कि तुम अपमानित किए गए थे।”

Chapter 24

1 बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर की सेना ने यहूदा के राजा यहोयाकीम के पुत्र यहोयाकीन को और उसके अधिकारियों और उसके सब कुशल श्रमिकों को पकड़ लिया और उन्हें बाबेल ले गया। उसके बाद, यहोवा ने मुझे एक दर्शन दिया। दर्शन में मैंने अंजीर की दो टोकरियाँ देखी जो मन्दिर के सामने रखी गई थीं। 2 एक टोकरी अच्छे अंजीर से भरी थी, जैसे कि पहली उपज के पके हुए। दूसरी टोकरी ऐसे अंजीर से भरी थी जो खराब थे, जिसके कारण उन्हें नहीं खाया जा सकता था।

3 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, तू क्या देखता है?”

मैंने उत्तर दिया, “मैं कुछ अंजीर देखता हूँ। कुछ बहुत अच्छे हैं, परन्तु कुछ बहुत बुरे हैं, इसलिए उन्हें कोई भी नहीं खाएगा।”

4 तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया: 5 “मैं यहोवा, जिसकी इस्राएली लोग आराधना करते हैं, यह कहता हूँ: अच्छे अंजीर यहूदा के उन लोगों का दर्शाते हैं जिन्हें मैंने बाबेल में निर्वासित किया था। मैंने उन्हें उनके स्वयं के अच्छे के लिए भेजा। 6 और मैं उन्हें फिर से निर्वासित नहीं करूँगा, वरन् मैं उन्हें इस देश में वापस लाऊँगा और उन्हें फिर से घरों और शहरों का निर्माण करने दूँगा। वे पौधे के समान होंगे जो बढ़ते हैं और समृद्ध होते हैं और कभी काटे नहीं जाते हैं। 7 मैं उन्हें इस योग्य करूँगा कि उनके मन में मुझ यहोवा को जानने की गहरी इच्छा उत्पन्न हो। वे मेरे लोग होंगे, और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा, क्योंकि वे निष्ठापूर्वक मेरे पास लौट आएँगे।

8 परन्तु मैं, यहोवा यह भी कहता हूँ कि खराब अंजीर उन लोगों को दर्शाते हैं जो यहूदा के राजा सिदकिय्याह और उसके अधिकारियों और अन्य सब लोग जो यरूशलेम में रहते हैं, और जो मिस्र गए हैं। मैं उन लोगों के साथ वैसा ही करूँगा जैसा लोग सड़े हुए अंजीरों के साथ करते हैं। 9 मैं उन पर विपत्तियाँ डालूँगा, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्‍वी पर हर देश में लोग भयभीत होंगे, और उनसे घृणा करेंगे क्योंकि वे दुष्ट लोग हैं। जहाँ भी मैं उन्हें तितर-बितर करता हूँ, लोग उनका उपहास करेंगे, और कहेंगे कि वे अपमानित लोग हैं, और उन्हें तुच्छ समझेंगे और उन्हें श्राप देंगे। 10 और मैं उन्हें युद्ध, अकाल और बीमारियों का अनुभव करने का कारण दूँगा, जब तक कि वे इस्राएल से लोप न हो जाएँ, इस भूमि से जिसे मैंने उन्हें और उनके पूर्वजों को दी थी।”

Chapter 25

1 यहोयाकीम लगभग चार वर्षों तक यहूदा पर शासन कर चुका तब, यहोवा ने मुझे यहूदा के सब लोगों के लिए यह सन्देश दिया। यह वह वर्ष था जब राजा नबूकदनेस्सर ने बाबेल पर शासन करना आरम्भ किया था। 2 यिर्मयाह ने यरूशलेम और यहूदा के अन्य स्थानों के सब लोगों को यह सन्देश सुनाया: 3 “यहोवा मुझे तेईस वर्ष से सन्देश दे रहे हैं। उन्होंने मुझे सन्देश देना आरम्भ किया था जब आमोन के पुत्र योशिय्याह ने तेरह वर्ष तक यहूदा पर शासन किया था। और मैंने उन सन्देशों को विश्वासपूर्वक तुम्हें सुनाया है, परन्तु तुमने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया।

4 कई बार यहोवा ने उन भविष्यद्वक्ताओं को भेजा जिन्होंने उनकी सेवा की, परन्तु तुमने उनकी बात नहीं सुनी या उन्होंने जो कहा है, उस पर ध्यान नहीं दिया। 5 हर बार उनका सन्देश यह था: ‘अपने बुरे व्यवहार से, उन सब बुरे कार्यों से मन फिराओ जो तुम निरन्तर कर रहे हो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम इस देश में रह सकोगे जिसे यहोवा ने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को सदा के लिए दिया है। 6 अपने हाथों से बनाई गई मूर्तियों की सेवा और पूजा करके यहोवा के क्रोध का कारण न बनों। यदि तुम उन्हें क्रोधित नहीं करते हो, तो वह तुम्हें दण्ड नहीं देंगे।’

7 और यहोवा कहते हैं, ‘परन्तु तुमने उन भविष्यद्वक्ताओं को दिए गए मेरे सन्देशों पर ध्यान नहीं दिया। तुमने मुझे पूजा की मूर्तियों से बहुत क्रोध दिलाया है जिन्हें तुमने अपने हाथों से बनाया है। इसके परिणामस्वरूप तुम्हें दण्ड देना मेरे लिए आवश्यक हो गया है।

8 तो अब, मैं स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा कहता हूँ कि मैंने जो कहा उस पर तुमने ध्यान नहीं दिया है, 9 मैं उन सब जातियों की सेनाओं को एकत्र करूँगा जो पूर्वोत्तर से आएँगी। और उनकी अगुवाई करने के लिए बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को नियुक्त किया है। मैंने उसे नियुक्त किया है कि वह मेरे लिए कार्य करे। मैं उन सेनाओं को इस देश पर आक्रमण करने के लिए लाऊँगा, इसमें रहने वाले सब लोग और यहाँ तक कि आस-पास की जातियाँ भी। मैं उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दूँगा, और उन स्थानों को ऐसा कर दूँगा कि लोग उनसे भयभीत हो और लोग उपहास करेंगे, वह स्थान सदा के लिए नष्ट हो जाएँगे। 10 मैं तुम्हारे देश में आनन्द के गीत और हँसना समाप्त कर दूँगा। दूल्हे और दुल्हन के आनन्द को समाप्त कर दूँगा। लोगों द्वारा चक्की पर अनाज पीसने का शब्द भी नहीं होगा। तुम्हारे घरों में दीपक नहीं जलाए जाएँगे। 11 यह सारी भूमि एक रेगिस्तान बन जाएगी जहाँ कोई भी जीवित नहीं रहेगा। और इस्राएल और आस-पास के देशों के लोग बाबेल में ले जाए जाएँगे और सत्तर वर्षों तक बाबेल के राजाओं के लिए कार्य करेंगे।

12 फिर, सत्तर वर्षों तक बाबेल में रहने के बाद, मैं बाबेल के राजा और उसके लोगों को उनके पापों के लिए दण्ड दूँगा। मैं बाबेल को सदा के लिए एक बंजर भूमि बना दूँगा। 13 मैं उनके लिए उन सब भयानक बातों के अनुभव करने का कारण उत्पन्न करूँगा जिनके विषय में यिर्मयाह ने लिखा है—वे सब दण्ड जिनकी उसने भविष्यद्वाणी की है, उन सब राष्ट्रों के साथ होगी। 14 कई राष्ट्रों के अगुवे बाबेल के लोगों को अपने दास बनाएँगे, जैसे बाबेल के लोगों ने मेरे लोगों को दास बनाया है। मेरे लोगों को कष्ट देने के कारण मैं उन्हें उनके योग्य दण्ड दूँगा।’”

15 तब इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मुझे एक दर्शन दिया। उस दर्शन में वह दाखमधु का कटोरा पकड़े हुए थे। उन्होंने कहा, “मेरे हाथ से दण्ड का प्रतीक यह दाखमधु का कटोरा ले। मैं उन जातियों के अगुवों को इस कटोरे में से थोड़ा-थोड़ा दाखमधु पिलाऊँगा, जहाँ-जहाँ मैं तुझे भेजूँगा। 16 जब वे इस दाखमधु को पीएँगे तब वे लड़खड़ाएँगे और पागल लोगों के समान कार्य करेंगे।”

17 इसलिए, मैंने उस दर्शन में यहोवा के हाथ से वह दाखमधु से भरा कटोरा लिया, और मैं उन सब जातियों में गया जहाँ उन्होंने मुझे भेजा और उन जातियों के अगुओं को उस दाखमधु में से थोड़ा-थोड़ा पिला दिया। 18 मैं यरूशलेम और यहूदा के अन्य नगरों में गया, और राजा और अन्य अधिकारियों ने उस कटोरे से थोड़ा-थोड़ा दाखमधु पी लिया। और उस दिन से, उन सबको अधिकार प्राप्त करने से अंततः हटा दिए गए, और वे लोगों के लिए ठट्ठे, घृणा और श्राप के पात्र बन गए। 19 उस दर्शन में मिस्र को दाखमधु पीनी पड़ी, जिसमें राजा और उसके अधिकारियों और उनके कई लोग 20 और वहाँ रहने वाले विदेशी लोग भी सम्मिलित थे। दर्शन में ऊस देश और उसके नगरों और अश्कलोन के राजाओं, गाजा, एक्रोन और अश्दोद देश के लोगों को भी थोड़ा-थोड़ा दाखमधु पीना पड़ा। 21 तब उस दर्शन में एदोम, मोआब और अम्मोनियों के राजाओं। 22 तब भूमध्य सागर के पार सोर और सीदोन के नगरों के राजाओं को भी थोड़ा-थोड़ा दाखमधु पीना पड़ा। 23 फिर दर्शन में ददान, तेमान और बूज के नगरों के धार्मिक अगुवों, जो अरब और अन्य दूर के स्थानों में थे, उन्हें थोड़ा-थोड़ा दाखमधु पीना पड़ा। 24 उस दर्शन में अरब के अन्य स्थान और रेगिस्तान में जनजातियों के राजाओं 25 और जिम्री, एलाम और मादै के लोग, 26 और उत्तर में देशों के राजा जो इस्राएल के पास हैं और उन देशों के जो इस्राएल से दूर हैं, एक दूसरे के बाद - संसार के सब साम्राज्यों को पीना पड़ा और अन्त में बाबेल के राजा को भी वह दाखमधु पीना पड़ा।

27 तब दर्शन में यहोवा ने मुझसे कहा, “उनको बता कि यहोवा इस्राएल के परमेश्वर, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान कहते हैं, ‘इस कटोरे से कुछ दाखमधु पीओ जो मेरे दण्ड का प्रतीक है जो मैं तुम्हें दूँगा। बहुत पी लो और नशे में हो जाओ और उल्टी करो। तुम गिर जाओगे और फिर उठ नहीं पाओगे, क्योंकि मैं तुम्हें युद्धों में मरवाऊँगा, जो मैं तुम पर भेजूँगा। 28 यदि वे तेरे द्वारा दी गई इस दाखमधु को पीने से मना कर देते हैं, तो उनसे कहना कि स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा कहते हैं कि उन्हें इसे पीना होगा। 29 मैं अपने लोगों पर विपत्तियाँ लाना आरम्भ कर रहा हूँ। उन्हें दण्ड से मुक्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि मैं पृथ्‍वी पर सब राष्ट्रों के लिए युद्ध भेज रहा हूँ। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा ने यह कहा है।’

30 अब उन सब बातों को बता जो मैंने कहीं हैं, और यह भी उनसे कह:

     ‘यहोवा स्वर्ग में अपने निवासस्थान से उन पर चिल्लाएँगे और वह शेर की गर्जन के समान सुनाई देगा!

         वह अपने पवित्रस्थान से जहाँ वह रहते हैं ऐसे चिल्लाएँगे जैसे लोग दाखमधु बनाने के लिए अँगूरों को रौंदते समय चिल्लाते हैं!

     वह अपने पापों के कारण अपने लोगों के विरुद्ध सिंह के समान गरजेंगे! वह पृथ्‍वी पर के प्रत्येक जन के लिए चिल्लाएँगे की वह सुने!

     31 यहाँ तक कि पृथ्‍वी के चारों ओर बहुत दूर के स्थानों में भी लोग उन्हें चिल्लाते हुए सुनेंगे,

         क्योंकि वह कहेंगे कि वह सब जातियों का न्याय क्यों करेंगे और उन्हें दण्ड क्यों देंगे।

     वह दुष्ट लोगों को तलवार से मार देंगे।

         यह निश्चय ही होगा क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।’

32 तब उन्हें बता कि स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यहोवा यही कहते हैं:

     ‘इसे सुनो!

         एक के बाद एक जातियों पर विपत्तियाँ आएँगी।

     मेरा दण्ड एक बड़ी आँधी के समान उठेगा

         पृथ्‍वी पर सबसे दूर के स्थानों से आएगा।

     33 जब ऐसा होगा, उन लोगों के शव जिन्हें मैंने वध किया है, पृथ्‍वी को पूर्व से पश्चिम तक भर देंगे।

         और कोई भी उनके लिए शोक नहीं करेगा, और कोई भी उनके शवों को दफनाने के लिए एकत्र नहीं करेगा। वे खाद के समान भूमि पर बिखरे हुए होंगे।

     34 हे दुष्ट अगुवों, रोओ और विलाप करो!

         तुम जो मेरे लोगों स्वयं को बहुत शक्तिशाली समझते थे, गिर कर मिट्टी में लोटो।

     अब तुम्हारे मरने का समय है!

         जब तुम भूमि पर गिर कर ऐसे बिखर जाओगे जैसे एक फूलदान गिर कर टूट जाता है।

     35 तुम्हें छिपने के लिए कोई स्थान नहीं मिलेगा, जहाँ तुम बच कर जा सको;

     36 तुम जो मेरे लोगों की देखभाल करते हो अब सहायता के लिए पुकार रहे हो और जो मेरे लोगों के अगुवे थे वे रोते और सहायता माँगते हैं।

         जब मैं, यहोवा, तुम्हारे देश को नष्ट कर रहा हूँ।

     37 तुम्हारे शान्तिपूर्ण चारागाह एक बंजर भूमि बन जाएँगे

         क्योंकि यहोवा इसे गम्भीर दण्ड देंगे।

     38 यहोवा अपने घर को इस प्रकार छोड़ेंगे जिस प्रकार शेर पशुओं पर आक्रमण करने के लिए अपनी गुफा को छोड़ देता है,

         और वह तुम्हारे देश के उजड़ने का कारण बन जाएँगे।

     वह तुमसे बहुत क्रोधित हैं और वह तुम्हारे शत्रुओं को भी तुम पर क्रोधित करेंगे।’”

Chapter 26

1 योशिय्याह के पुत्र यहोयाकीम के, यहूदा का राजा बन जाने के तुरन्त बाद, यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया: 2 “मैं यहोवा, तुझसे कह रहा हूँ: मेरे भवन के सामने आँगन में खड़ा हो जा और मेरी आराधना के लिए यहूदा के विभिन्न नगरों से आने वाले सब लोगों से यह कह। मैं जो तुझे कहता हूँ वह उन्हें बता दे; कुछ भी मत छोड़ना। 3 यदि तू उन्हें वह सब कुछ बताता है, तो संभव है कि वे ध्यान दें और उनमें से प्रत्येक जन अपने दुष्ट व्यवहार से दूर हो जाए। तब मैं अपना मन बदलूँगा और उन विपत्तियों को नहीं लाऊँगा जिन्हें मैं उनके बुरे कार्यों के कारण लाने की योजना बना रहा था। 4-5 उनसे कह, ‘यहोवा कहते हैं: मैंने तुम्हारे पास उन भविष्यद्वक्ताओं को भेजा जो मेरी सेवा करते हैं, यह बताने के लिए कि तुम्हें क्या करना चाहिए। मैंने उन्हें कई बार भेजा, परन्तु उन्होंने जो कहा उस पर तुमने ध्यान नहीं दिया। यदि तुम मेरी बात पर जो मैं कहता हूँ उस पर ध्यान नहीं दोगे और जो सन्देश मैंने तुम्हें दिया है उसका पालन नहीं करोगे और यदि तुम भविष्यद्वक्ताओं के कहने पर ध्यान नहीं दोगे, 6 तो मैं इस भवन को नष्ट कर दूँगा जैसे मैंने शीलो को नष्ट कर दिया, वह स्थान जहाँ पवित्र-तम्बू रखा गया था। और मैं यरूशलेम को ऐसा स्थान बना दूँगा जिसका नाम ले कर धरती के हर देश में लोग किसी को श्राप देंगे।’ ”

7 यिर्मयाह ने वही किया जो यहोवा ने उसे करने के लिए कहा था। याजकों, झूठे भविष्यद्वक्ताओं, और कई अन्य लोगों ने उनकी बात सुनी क्योंकि उसने उन्हें आराधनालय के बाहर सन्देश सुनाया था। 8 परन्तु जैसे ही यिर्मयाह ने वह सब उन्हें सुना दिया जिसकी आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी, वैसे ही उन सब ने उसे पकड़ लिया और कहा, “तुझे मार डाला जाना चाहिए! 9 तू ऐसी भविष्यद्वाणी क्यों कर रहा है कि इस आराधनालय को नष्ट कर दिया जाएगा जैसे शीलो नष्ट हो गया था? तू क्यों कह रहा है कि यह शहर नष्ट किया जाएगा और कोई भी यहाँ नहीं रहेगा? सब लोगों ने यिर्मयाह को घेर रखा था क्योंकि वह आराधनालय के सामने खड़ा था।

10 जब यहूदा के अधिकारियों ने यह सब सुना जो हो रहा था, तो वे महल से भाग कर आ गए और यिर्मयाह के मुकद्दमे का न्याय करने के लिए नए फाटक नामक आराधनालय के द्वार पर बैठे। 11 याजकों और भविष्यद्वक्ताओं ने अधिकारियों और अन्य लोगों को बताया, “इस मनुष्य को मार डाला जाना चाहिए, क्योंकि इसने भविष्यद्वाणी की है कि यह शहर नष्ट हो जाएगा, और तुमने स्वयं उसे सुना है!”

12 तब यिर्मयाह ने अधिकारियों और अन्य लोगों को उत्तर दिया। उसने उनसे कहा, “यहोवा ने मुझे इन सब बातों की भविष्यद्वाणी करने के लिए भेजा है जिन्हें आपने सुना है कि इस आराधनालय और इस शहर के साथ क्या होगा। 13 परन्तु यदि तुम अपना व्यवहार बदलते हो और पाप करना बन्द कर देते हो, और हमारे परमेश्वर यहोवा की आज्ञा मानना आरम्भ करते हो, तो वह अपना मन बदल देंगे और तुम पर वह विपत्ति नहीं भेजेंगे जो उन्होंने कहा था कि वह भेज देंगे। 14 जहाँ तक मेरी बात है, मैं तुम लोगों की पकड़ से निकल नहीं सकता हूँ। अतः तुम लोग जो भी चाहते हो वह मेरे साथ करो। 15 परन्तु तुमको यह जानने की आवश्यकता है कि यदि तुम मुझे मार देते हो, तो तुम एक निर्दोष व्यक्ति को मार दोगे। और तुम और इस नगर में हर कोई दोषी होगा, क्योंकि सच्चाई यह है कि यह वह यहोवा हैं जिन्होंने मुझे हर शब्द बोलने के लिए भेजा जो तुमने मुझे सुने हैं।”

16 तब अधिकारियों और अन्य लोगों ने याजक और झूठे भविष्यद्वक्ताओं से कहा, “यह मनुष्य मृत्यु दण्ड के योग्य नहीं है, क्योंकि इसने हमें वही सन्देश सुनाया है जो यहोवा ने उसे दिया है!”

17 तब कुछ बुजुर्ग खड़े हुए और वहाँ एकत्र हुए सब लोगों से बात की। 18 उन्होंने कहा, “याद रखो कि मोरेशेत के भविष्यद्वक्ता मीका ने यहूदा के राजा हिजकिय्याह के समय भविष्यद्वाणी की थी। उसने यहूदा के लोगों से यह कहा था:

     ‘स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा कहते हैं:

         एक दिन सिय्योन पर्वत खेतों के समान जोता जाएगा;

         यरूशलेम खण्डहरों का ढेर बन जाएगा।

     पहाड़ी के ऊपर भवन के स्थान में पेड़ उगेंगे।’ 19 परन्तु यहूदा में क्या हिजकिय्याह ने या किसी और ने ऐसा कहने के कारण मीका को मार डाला? नहीं! इसकी अपेक्षा, हिजकिय्याह ने यहोवा का आदर किया, और अनुरोध किया कि वह उस पर दया करें। इसलिए, यहोवा ने उन पर भयानक विपत्ति लाने से अपना मन बदल दिया, जिसे उन्होंने कहा था कि वह लाएँगे। और अब यदि हम यिर्मयाह को मार देते हैं, तो हम स्वयं पर भी अधिक भयानक विपत्ति लाने जा रहे हैं!”

20 उस समय, किर्यत्यारीम शहर से शमायाह का पुत्र ऊरिय्याह भी यहोवा की ओर से भविष्यद्वाणी कर रहा था। वह भविष्यद्वाणी कर रहा था कि वह शहर और बाकी का देश उन्हीं विपत्तियों का अनुभव करेगा जो यिर्मयाह भविष्यद्वाणी कर रहा था। 21 जब राजा यहोयाकीम और उसके सेना के अधिकारियों और अन्य अधिकारियों ने सुना कि ऊरिय्याह क्या कह रहा था, तो राजा ने ऊरिय्याह को मारने के लिए किसी को भेजा। परन्तु ऊरिय्याह ने इसके विषय में सुना, और बहुत डर गया, और वह मिस्र को बच निकला। 22 तब राजा यहोयाकीम ने अकबोर के पुत्र एलनातान को कई अन्य मनुष्यों के साथ मिस्र भेजा। 23 उन्होंने ऊरिय्याह को पकड़ लिया और उसे राजा यहोयाकीम के पास यरूशलेम वापस ले गया। तब राजा ने एक सैनिक को तलवार से ऊरिय्याह को मारने का आदेश दिया। तब उन्होंने उसके शव को ऐसे स्थान पर दफनाया जहाँ गरीब लोगों को दफनाया जाता था। 24 परन्तु, शापान के पुत्र अहीकाम ने मुझे बचाया, और अधिकारियों को राजी किया कि भीड़ को यिर्मयाह की हत्या करने की अनुमति न दें।

Chapter 27

1 योशिय्याह के पुत्र सिदकिय्याह के यहूदा का राजा बनने के बाद, यहोवा ने मुझे एक सन्देश दिया। 2 उन्होंने मुझसे जो कहा वह यह है: “एक जुआ और बन्धन बना, फिर उन्हें अपनी गर्दन के पर रख। 3 तब उन्हें एदोम, मोआब, अम्मोन, सोर और सीदोन के राजाओं को भेजने के लिए सन्देश दिए और उन्हें उन देशों के राजदूतों को देने की आज्ञा दी जो राजा सिदकिय्याह से बात करने के लिए यरूशलेम आए हैं। 4 उन्हें यह सन्देश उनके राजाओं को देने के लिए कह: स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान यहोवा, जिनकी इस्राएली आराधना करते हैं: 5 ‘मेरी महान शक्ति से मैंने पृथ्‍वी और पृथ्‍वी पर लोगों और पशुओं को बनाया और मैं उन सबको उन लोगों को दे सकता हूँ जिन्हें मैं देना चाहता हूँ। 6 और अब मैं बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को, जो वही करता है जो मैं चाहता हूँ, सक्षम करने जा रहा हूँ, कि वह अपने देशों को नियंत्रण में रखें। मैं उसे सब कुछ, यहाँ तक कि जंगली पशुओं पर शासन करने में सक्षम बनाने जा रहा हूँ। 7 सब जातियों के लोग उसके लिए कार्य करेंगे, और बाद में उसके पुत्र के लिए, और बाद में उसके पोते के लिए भी जब तक की उनका शासन करने का समय समाप्त न हो जाए। तब कई राष्ट्रों के कई महान राजाओं की सेनाएँ बाबेल को जीत लेंगी।’

8 परन्तु अब मैं तुमसे कहता हूँ कि बाबेल का राजा तुमसे जो करवाना चाहता है, वह तुम्हें करना होगा, जैसे बैल की गर्दन पर जुआ होता है तो उसे वही करना होता है जो उसका स्वामी चाहता है। जो देश ऐसा करने से मना करे उसे मैं दण्ड दूँगा। मैं उन लोगों को युद्ध और अकाल और बीमारियों का अनुभव करने का कारण उत्पन्न करूँगा, जब तक कि बाबेल की सेना उस देश पर विजय प्राप्त न कर ले। 9 इसलिए, अपने झूठे भविष्यद्वक्ताओं और भावी कहने वालों और तन्त्र मन्त्र करके भविष्य बताने वाले और मरे हुओं की आत्माओं से बात करने वालों की बातों पर ध्यान न दो। वे कहते हैं कि उनकी सेवा न करो क्योंकि बाबेल का राजा तुम्हारे देश को जीत नहीं पाएगा। 10 वे लोग सब झूठे हैं। यदि तुम उनकी बातों पर विश्वास करते हो तो इसका परिणाम तुम्हारे देश से तुम्हारा बन्धुआई में जाना होगा। मैं तुम्हें तुम्हारे देश से निकलवा दूँगा और तुम बहुत दूर मर जाओगे। 11 परन्तु जिस देश के लोग बाबेल के राजा का कहा मानते हैं, वे अपने ही देश में रहेंगे और अपनी फसलों को सदा के समान उगाने में सक्षम होंगे। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मुझ, यहोवा ने यह कहा है।”

12 जब मैंने उन राजदूतों को यह सन्देश दिया, तो मैंने यहूदा के राजा सिदकिय्याह को भी यही सन्देश दिया। मैंने उससे कहा, “यदि तू जीवित रहना चाहता है, तो बाबेल के राजा और उसके अधिकारी क्या करवाना चाहते हैं। 13 तुम्हारे लिए ऐसा न करना मूर्खता होगी, क्योंकि इसका परिणाम यह होगा कि तू और तेरे लोग अपने शत्रुओं के तलवारों से या अकाल से या बीमारियों से मर जाएँगे, जो यहोवा किसी भी देश पर डालेंगे जो उन पर बाबेल के राजा के शासन से मना करेंगे। 14 उन भविष्यद्वक्ताओं पर ध्यान न दें जो तुमसे कहते हैं, ‘बाबेल के राजा का आज्ञापालन न करो क्योंकि वह तुम्हारे देश को जीत नहीं पाएगा।’ वे झूठे हैं। 15 यहोवा यही कहते हैं: ‘मैंने उन भविष्यद्वक्ताओं को नियुक्त नहीं किया है। वे कह रहे हैं कि मैंने उन्हें सन्देश दिए, परन्तु वे झूठ बोल रहे हैं। इसलिए, यदि तू उन पर विश्वास करता है, तो मैं तुझे इस भूमि से निकाल दूँगा। और तू और वे सब भविष्यद्वक्ता बाबेल में मर जाएँगे!’”

16 तब मैंने याजकों और अन्य लोगों से बात की, और मैंने कहा, “यहोवा यही कहते हैं: ‘अपने भविष्यद्वक्ताओं पर विश्वास न करें जो तुमसे कहते हैं कि बाबेल के सैनिकों द्वारा मेरे भवन से ली गई सब सोने की वस्तुएँ शीघ्र ही बाबेल से लौट आएँगी, क्योंकि वे जो भविष्यद्वाणी कर रहे हैं वह झूठ है। 17 वे जो कहते हैं उस पर ध्यान न दो। बाबेल के राजा के निमित्त समर्पण कर दो यदि तुम ऐसा करते हैं, तो तुम जीवित रहोगे। यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो यह पूरा शहर नष्ट हो जाएगा। 18 यदि वे सचमुच भविष्यद्वक्ता हैं जो मेरे सन्देश बोलते हैं, तो उनसे कहो, कि मुझसे, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा से विनती करो, कि बाबेल के सैनिक भवन और राजमहल और यरूशलेम के अन्य महलों में से उन मूल्यवान वस्तुओं को बाबेल में ले जाने पाएँ जो अभी बची हुई हैं। 19 मैं यह कहता हूँ क्योंकि आराधनालय के सामने विशाल खम्भे और बड़ा हौद है जिसे “सागर” कहा जाता है और दस पानी के गाड़ियाँ और बलि चढ़ाने के लिए उपयोग की जाने वाली अन्य सब वस्तुएँ अभी भी इस शहर में हैं। 20 बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने उन वस्तुओं को यहाँ छोड़ दिया था जब वह यहूदा के राजा यहोयाकीम के पुत्र यहोयाकीन को बाबेल में और यरूशलेम के अन्य सब अगुवों और यहूदा के अन्य स्थानों के अगुवों को बन्दी बना कर ले गया था। 21 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, उन सब मूल्यवान वस्तुओं के विषय में कहते हैं जो अभी भी आराधनालय के बाहर और यहूदा के राजा के महल में हैं: 22 वे सब बाबेल को ले जाई जाएँगी। और जब तक मैं न कहूँ कि उन्हें यरूशलेम वापस लाया जाना चाहिए, तब तक वे वहाँ रहेंगे। फिर वे यहाँ वापस लाई जाएँगी। मैं यहोवा यही कहता हूँ।’”

Chapter 28

1 ये बातें तब हुई जब सिदकिय्याह यहूदा का राजा होकर अपना शासन आरम्भ कर रहा था। यह उसके शासन के चौथे वर्ष के पाँचवें महीने में हुआ, कि गिबोन शहर के एक भविष्यद्वक्ता अज्जूर के पुत्र हनन्याह ने यिर्मयाह से यहोवा के भवन के आँगन में बात की, जब सब याजक और अन्य लोग सुन रहे थे। उसने कहा, 2 “स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा जिनकी इस्राएली आराधना करते हैं, कहते हैं: ‘मैं तुम पर बाबेल के राजा का शासन करना बन्द करवा दूँगा। 3 दो वर्ष के भीतर, मैं इस आराधनालय में उन सब वस्तुओं को वापस लाने का कारण उत्पन्न करूँगा जिन्हें नबूकदनेस्सर के सैनिकों ने इस मन्दिर से लिया था और बाबेल ले गए। 4 और मैं इस स्थान पर यहोयाकीन, जो यहूदा के राजा यहोयाकीम का पुत्र है और अन्य सब लोग जिन्हें बन्दी बना कर बाबेल में ले जाया गया है, लौटा लाऊँगा। बाबेल के राजा ने तुम्हें विवश करके वह करवाया जो वह चाहता है, जैसे किसी ने बैल की गर्दन पर जुआ डाल दिया है कि वह ऐसा करने के लिए विवश हो सके जो वह करवाना चाहता है। परन्तु मैं इसका अन्त कर दूँगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि मैंने, यहोवा ने यह कहा है।’ ”

5 यिर्मयाह ने हनन्याह को उन सब याजकों और अन्य लोगों के सामने उत्तर दिया जो आराधनालय के बाहर खड़े थे। 6 उसने कहा, “मैं चाहता हूँ कि यह सच हो! मैं चाहता हूँ कि तू ने जो भविष्यद्वाणी की है, वैसा ही हो जाए! मुझे आशा है कि वह इस आराधनालय की सब मूल्यवान वस्तुओं को जो बाबेल ले जाई गई है, बाबेल के पुरुषों के हाथ वापस भिजवा दे। 7 परन्तु अब मैं जो कुछ कहता हूँ उसे सुन, जबकि ये सब लोग भी सुन रहे हैं। 8 कई वर्ष पहले, जो लोग तेरे और मेरे भविष्यद्वक्ता होने से पहले भविष्यद्वक्ता थे, उन्होंने अनेक राष्ट्रों और महान साम्राज्यों के विषय में सन्देश सुनाए थे। उन्होंने भविष्यद्वाणी की कि उन राष्ट्रों में युद्ध और विपत्तियाँ और महामारियाँ होंगी। 9 तो अब तू या अन्य कोई भविष्यद्वक्ता भविष्यद्वाणी करता है कि हमारे लिए सब भला होगा तो तुझे यह दिखाना होगा कि तेरा सन्देश सही है। केवल यदि तेरी भविष्यद्वाणी वास्तव में पूरी होती है, तो हम जानेंगे कि तू वास्तव में यहोवा द्वारा नियुक्त किया गया था।”

10 तब हनन्याह ने मेरी गर्दन से जुआ लिया और उसे तोड़ दिया। 11 तब उसने उन सब लोगों से यह कहा: “यहोवा यही कहते हैं: ‘जैसे हनन्याह ने इस जूए को तोड़ा है, दो वर्ष के भीतर मैं बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर का लोगों से बलपूर्वक कार्य करवाना बन्द करवा दूँगा, जो उन सबकी गर्दनों पर भारी जूए के समान है।’ ‘जब हनन्याह यह कह चुका तब यिर्मयाह आराधनालय से चला गया।

12 हनन्याह द्वारा यिर्मयाह की गर्दन पर रखे जूए के तोड़े जाने के तुरन्त बाद, यहोवा ने यह सन्देश मुझे दिया: 13 “जा और हनन्याह से यह कह: ‘स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा जिनकी इस्राएली आराधना करते हैं, कहते हैं कि तू ने लकड़ी के जूए को तोड़ दिया है, परन्तु वह इसे लोहे के जूए से बदल देंगे। 14 मैंने इन सब राष्ट्रों के लोगों को बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के दास बनने के लिए विवश किया है। यह उनकी गर्दन पर एक लोहे के जूए के समान है। मैंने उसके नियंत्रण में सब कुछ, जंगली पशु भी रखे हैं।’ ”

15 तब यिर्मयाह हनन्याह के पास गया और उससे कहा, “हनन्याह, यह सुन: यहोवा ने तुझे नियुक्त नहीं किया है, तू ने अपने लोगों से झूठ बोला है, और उन्होंने तेरे झूठ पर विश्वास किया है। 16 इस कारण, यहोवा यही कहते हैं: ‘तू शीघ्र ही मर जाएगा। इस वर्ष के अन्त से पहले, तू मर जाएगा, क्योंकि तू ने लोगों को यहोवा के विरुद्ध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”

17 हनन्याह दो महीने बाद मर गया।

Chapter 29

1-2 राजा यहोयाकीन, उसकी माता, उसके महल के अधिकारी, यहूदा और यरूशलेम के अन्य अधिकारियों के बाद, और विभिन्न प्रकार के कारीगरों को बाबेल में निर्वासित कर दिया गया, तब यिर्मयाह ने वृद्धों, याजकों, भविष्यद्वक्ताओं और अन्य सब लोगों को, जिन्हें नबूकदनेस्सर के सैनिक यरूशलेम से बाबेल ले गए थे, एक पत्र लिखा। 3 उसने शापान के पुत्र एलासा और हिल्किय्याह के पुत्र गमर्याह को यह पत्र दिया, जब वे राजा सिदकिय्याह के राजदूत होकर राजा नबूकदनेस्सर के पास बाबेल जाने वाले थे। यिर्मयाह ने उस पत्र में जो लिखा था, वह यह था।

4 स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा जिनकी इस्राएली लोग आराधना करते हैं, उन सब लोगों से जिन्हें यरूशलेम से बन्दी बना कर बाबेल ले जाया गया है, कहते हैं: 5 “वहाँ घरों का निर्माण करो, और वहाँ रहने की योजना बनाओ क्योंकि तुम वहाँ कई वर्षों तक रहोगे। बाग बगीचे लगाओ और बगीचे में उत्पन्न भोजन खाओ। 6 विवाह करके बच्चों को जन्म दो। तब जब वे बड़े हो जाते हैं, तब अपने पुत्रों के लिए पत्नियाँ चुनों, और अपनी पुत्रियों के लिए पति चुनों, कि उनके भी बच्चे हो। इस प्रकार, तुम्हारे लोगों की संख्या में वृद्धि होगी, कमी नहीं होगी। 7 इसके अतिरिक्त, ऐसे कार्य करो जिनसे शहर में अन्य लोगों के लिए भलाई हो जहाँ मैंने तुमको भेजा है। प्रार्थना करो कि उस शहर के लोगों के लिए सब कुछ अच्छा होता रहे, क्योंकि यदि उनका भला होगा तो तुम्हारा भी भला होगा।”

8 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा जिनकी इस्राएली आराधना करते हैं, कहते हैं: “तुम्हारे बीच झूठे भविष्यद्वक्ता और भावी कहने वाले हैं। उन्हें अपने आपको धोखा देने न दो। जब वे तुम्हें अपने स्वप्न सुनाते हैं तो उन पर ध्यान न दो, 9 क्योंकि वे झूठ बोल रहे हैं, वे कह रहे हैं कि मैंने उन्हें वे सन्देश दिए हैं जो वे तुम्हें बता रहे हैं। परन्तु, मैंने उन्हें नियुक्त नहीं किया है।”

10 यह वही है जो यहोवा कहते हैं: “तुम और तुम्हारे बच्चे जब सत्तर वर्षों तक बाबेल में रह चुके होंगे, तब मैं तुम्हारी सहायता करूँगा और जो प्रतिज्ञा मैंने की है उसके अनुसार मैं करूँगा और मैं तुम्हें यहाँ यरूशलेम लौटने में सक्षम करूँगा। 11 मैं यहोवा, जानता हूँ कि मैंने तुम्हारे लिए क्या योजना बनाई है। मैं तुम्हारी भलाई की योजना बना रहा हूँ, न कि तुम पर विपत्तियाँ लाने की। मैं तुम्हें कई वस्तुएँ देने की योजना बना रहा हूँ जिन्हें तुम भविष्य में प्राप्त करने की आशा कर सकते हो जिन्हें देखने के लिए तुम्हारे लोग जीवित रहेंगे। 12 उस समय, जब तुम मेरी आराधना करने के लिए जाओगे और प्रार्थना में मेरा नाम पुकारोगे, तब मैं तुम्हारी प्रार्थना सुनूँगा। 13 यदि तुम मुझसे आशीष पाने की इच्छा रखते हो, तो तुम देखोगे कि मैं तुम्हें उत्तर दूँगा। 14 मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। मैं तुम्हें बाबेल में दास नहीं बना रहने दूँगा। मैं तुम्हें उन सब जातियों के बीच से एकत्र करूँगा जिनमें मैंने तुम्हें निर्वासित किया है और मैं तुम्हें यहाँ, तुम्हारे अपने देश में ले आऊँगा, उसी स्थान में जहाँ से तुम ले जाए गए थे।”

15 तुम में से कुछ लोग कहते हैं कि यहोवा ने बाबेल में तुम्हारे लिए भविष्यद्वक्ताओं को नियुक्त किया है। 16 परन्तु यहोवा यरूशलेम के राजा के विषय में और यहाँ पर रहने वाले अन्य सब लोगों के विषय में अर्थात् - तुम्हारे सम्बन्धियों के विषय जिन्हें तुम्हारे साथ बाबेल नहीं ले जाया गया है, कहते हैं। 17 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यह कहते हैं: “मैं उन पर युद्ध, अकाल और बीमारियाँ लाऊँगा। मैं उन्हें बुरे अंजीर के समान कर दूँगा जो सड़ गये हैं जिन्हें कोई नहीं खा सकता है। 18 मैं उन्हें युद्ध और अकाल और बीमारियों का अनुभव करने से नहीं रोकूँगा। और मैं उन्हें सम्पूर्ण पृथ्‍वी पर तितर-बितर कर दूँगा। हर देश में जहाँ मैं उन्हें ले जाने लिए विवश कर दूँगा, मैं उन्हें ऐसे लोगों के रूप में जन्म दूँगा जिन्हें लोग श्राप देते हैं और जिनसे लोग डरते हैं और जिनका लोग उपहास करते हैं। 19 ऐसा इसलिए होगा कि उन्होंने मेरे सन्देशों पर ध्यान देने से मना कर दिया है, जो सन्देश मैंने उन भविष्यद्वक्ताओं को दिया जिन्हें मैंने भेजा था। और जो लोग बाबेल में निर्वासित हुए हैं, उन्होंने उन पर ध्यान नहीं दिया है, “यहोवा यही कहते हैं।

20 इसलिए, तुम लोग जो यरूशलेम से बाबेल में निर्वासित हो गए हो, इस सन्देश को यहोवा से सुनो। 21 स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिनकी इस्राएली लोग आराधना करते हैं, वह कहते हैं, कोलायाह का पुत्र अहाब और मासेयाह का पुत्र सिदकिय्याह तुमसे झूठ कह रहें हैं कि वे मुझसे प्राप्त सन्देश सुना रहे हैं: “उन्हें बन्दी बना लिया जाएगा और राजा नबूकदनेस्सर के पास ले जाया जाएगा, तुम्हारी आँखों के सामने उन्हें मृत्यु दण्ड दिया जाएगा। 22 उनके साथ जो होगा, उसके कारण तुम सब लोग जिन्हें यहूदा से बाबेल ले जाया गया है, वे किसी को श्राप देते समय कहेंगे, ‘मैं आशा करता हूँ कि यहोवा तुम्हारे साथ वही करें जो उन्होंने सिदकिय्याह और अहाब के साथ किया था, जिन्हें बाबेल के राजा ने आग में जला कर मरवा दिया था।’ 23 उन्होंने मेरे इस्राएली लोगों के साथ भयानक कार्य किए हैं। उन्होंने अपने पड़ोसियों की पत्नियों के साथ व्यभिचार किया है, और उन्होंने झूठ बोला है, और कहा है कि वे मुझसे सन्देश पाते थे। उन्होंने उन बातों को कहा है जिन्हें मैंने उन्हें बताने के लिए नहीं कहा था, और मैंने, यहोवा ने उन बातों को सुना है।”

24 यहोवा ने मुझे यह सन्देश शमायाह को भेजने के लिए कहा, जो नेहेलाम का एक व्यक्ति था जो बाबेल में रह रहा था: 25 “स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिनकी आराधना इस्राएल करता है, कहते हैं: “तू ने एक पत्र लिखा है जिसे लिखने के लिए किसी ने तुझसे नहीं कहा है। तू ने इसे मासेयाह के पुत्र सपन्याह को भेजा, और तू ने यरूशलेम में अन्य याजकों और अन्य सब लोगों को उसकी नकल भेज दी। वह है जो तू ने उसे लिखा:

26 ‘सपन्याह, यहोवा ने तुझे यहोयादा के स्थान पर याजक बनने के लिए नियुक्त किया है, कि मन्दिर में कार्य करने वाले लोगों की देख-रेख करे। कोई भी जो पागल आदमी के समान कार्य करे और जो दावा करता है कि वह एक भविष्यद्वक्ता है, तू उसकी बाहों और पैरों को और सिर को काठ में जकड़ देना। 27 तो तू ने अनातोत के व्यक्ति यिर्मयाह को रोकने के लिए कुछ भी क्यों नहीं किया, जो दिखाता है कि वह तुम्हारे बीच एक भविष्यद्वक्ता है? 28 उसने हमें, जो यहाँ बाबेल में हैं, एक पत्र भेजा है जिसमें वह कहता है कि हम यहाँ लम्बे समय तक रहेंगे। उसने कहा कि इसलिए हमें घरों का निर्माण करना चाहिए और यहाँ रहने के लिए योजना बनाना चाहिए, और बगीचे लगाना चाहिए, और बगीचों में उत्पन्न भोजन खाए।”

29 परन्तु जब सपन्याह याजक ने तुमसे पत्र प्राप्त किया, तो वह उसे मेरे पास लाया और मुझे पढ़ कर सुनाया। 30 तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया: 31 “इस सन्देश को बाबेल में रहने वाले यहूदा के सब लोगों को भेज: कि नेहेलाम के शमायाह के विषय में यहोवा यही कहते हैं: ‘मैंने उसे नियुक्त नहीं किया, उसने तुम्हें धोखा दिया है और तुम्हें उन झूठी भविष्यद्वाणियों पर विश्वास करवाया। 32 अतः, मैं उसे और उसके परिवार को दण्ड दूँगा। उसने तुमको विद्रोह करने के लिए उकसाया है। उसके कारण, उसके सब वंशज शीघ्र ही मर जाएँगे। मैं तुम्हारे लिए जो मेरे लोग हो बहुत सी भली बाते करूँगा, परन्तु वह और उसके वंशज उन बातों को नहीं देख पाएँगे, क्योंकि वे मर जाएँगे। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैंने, यहोवा ने यह कहा है!’ ”

Chapter 30

1 यहोवा ने यिर्मयाह को एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा, 2 “मैं यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर तुझे वह सब कुछ लिखने के लिए कह रहा हूँ जो मैंने तुझसे कहा है। 3 मैं चाहता हूँ कि तू जान ले कि एक दिन मैं अपने लोगों, इस्राएलियों और यहूदा के लोगों को बाबेल में दास होने से मुक्त कर दूँगा। मैं उन्हें इस देश में लौटा लाऊँगा जिसे मैंने उनके पूर्वजों को दिया था, और यह देश फिर से उनका होगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

4 यहोवा ने मुझे इस्राएल और यहूदा के लोगों से सम्बन्धित एक और सन्देश दिया। 5 यही वह है जो उन्होंने कहा:

     “मैं लोगों का चिल्लाना सुनता हूँ क्योंकि वे डरते हैं;

         देश में कोई शान्ति नहीं है।

     6 परन्तु इसके विषय में सोचो:

     पुरुष निश्चय ही बच्चों को जन्म नहीं देते हैं।

     इसलिए, बलवन्त लोग वहाँ क्यों खड़े हैं,

         उनके चेहरों का रंग उड़ा हुआ है,

     वे अपने हाथ उनके पेट से चिपकाए हुए हैं,

         ऐसी स्त्रियों के समान जो बच्चों को जन्म देने वाली हैं?

     7 शीघ्र ही भयानक घटनाएँ होंगी;

         वह एक भयानक दिन होगा!

         ऐसा समय कभी नहीं रहा है।

     यह एक ऐसा समय होगा जब मेरे इस्राएली लोगों के लिए संकट का समय होगा,

         परन्तु अन्त में वे अपने दुखों से बचाए जाएँगे।”

     8 स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, यह कहते हैं:

     “उस समय ऐसा होगा जैसे मैंने अपने लोगों के चारों ओर की रस्सियों को तोड़ दिया है,

         और मैं उन्हें दास होने से मुक्त कर दूँगा।

     अन्य देशों के लोग अब उन्हें दास नहीं बनाएँगे।

     9 मेरे लोग फिर से मेरी सेवा करेंगे, यहोवा, उनके परमेश्वर की,

         और वे एक राजा की सेवा करेंगे जो राजा दाऊद के वंशज हैं;

         और मैं उनके लिए इस राजा को नियुक्त करूँगा।

     10 तो, तुम इस्राएल के लोग जो मेरी सेवा करते हो,

         अब निराश न हों,

     क्योंकि एक दिन मैं तुम्हें दूर के स्थानों से वापस लाऊँगा;

         मैं तुम्हारे वंशजों को उस देश से वापस घर लाऊँगा जहाँ उन्हें निर्वासित किया गया था।

     तब तुम इस्राएली लोग फिर से शान्तिपूर्वक और सुरक्षित रहोगे,

         और ऐसा कोई देश नहीं होगा जो तुम्हें भयभीत कर देगा।

     11 मैं यहोवा, कहता हूँ कि मैं तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हें बचाऊँगा;

         मैं उन राष्ट्रों को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा जिनमें मैंने तुम्हें तितर-बितर किया है।

         परन्तु मैं तुम्हें पूरी तरह से नष्ट नहीं करूँगा।

     मैं तुम्हें तुम्हारे कई पापों के लिए दण्ड दूँगा, परन्तु मैं तुम्हें उतना ही दण्ड दूँगा जिसके तुम योग्य हो:

         यदि मैं तुम्हें बिलकुल दण्ड नहीं दूँ तो मैं गलत करूँगा।”

12 यहोवा यह भी कहते हैं:

     “तुमने बहुत कष्ट उठाए हैं;

         ऐसा लगता है कि तुम्हें भयानक घाव लगा है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है।

     13 तुम्हारी सहायता करने के लिए कोई नहीं है,

         तुम्हारे घाव पर एक पट्टी बाँधने के लिए कोई नहीं।

         कोई दवा नहीं है जो तुम्हें ठीक करेगी।

     14 तुम्हारे सब सहयोगियों ने तुम्हें छोड़ दिया है

         और वे अब तुम्हारी सहायता करना नहीं चाहते हैं।

     यह सच है कि मैंने तुम्हें कठोर दण्ड दिया है,

         जैसे तुम्हारे शत्रु तुम्हें घायल करें,

     क्योंकि तुमने कई पाप किए हैं

         और तुम बहुत दोषी हो।

     15 क्योंकि यह सच है, तुम मुझसे दण्ड पाने का विरोध क्यों करते हैं,

         जैसे कि मैंने एक घाव दिया जिसे ठीक नहीं किया जा सकता?

     मेरे लिए तुम्हें दण्ड देना आवश्यक था,

         क्योंकि तुमने कई पाप किए हैं

         और तुम बहुत दोषी थे।

     16 परन्तु एक दिन वे लोग जो तुम्हें नाश करने का प्रयास कर रहे हैं वे नष्ट हो जाएँगे;

         तुम्हारे सब शत्रुओं को अन्य राष्ट्रों में निर्वासित किया जाएगा।

     वे सब जिन्होंने तुम्हारी वस्तुएँ चुरा ली हैं

         उनकी बहुमूल्य सम्पत्ति चोरी हो जाएगी,

     और जो लोग तुम पर आक्रमण करेंगे उन पर आक्रमण किया जाएगा।

     17 हर कोई कहता है कि तुम ठुकराए हुए हो,

         और यह कि तुम यरूशलेम में रहते हो, एक ऐसा शहर जिसकी चिन्ता किसी को नहीं है।”

परन्तु यहोवा कहते हैं,

     “मैं तुम्हारे घावों को ठीक करूँगा

         और तुम्हें स्वस्थ कर दूँगा।”

18 यहोवा यही कहते हैं:

     “मैं इस्राएल के लोगों को उन देशों से लौटा लाऊँगा जहाँ उन्हें ले जाया गया था

         और उन्हें अपने देश और अपने घरों में फिर से रखने में सक्षम बनाता है।

     जब ऐसा होगा, तब यरूशलेम को उसके खण्डहरों पर पुनर्निर्माण किया जाएगा,

         और राजा का महल न्याय के स्थान के रूप में पुनर्निर्माण किया जाएगा।

     19 लोग फिर से मेरा धन्यवाद करने के लिए आनन्द से गाएँगे,

         और मैं यरूशलेम में लोगों की संख्या बढ़ा दूँगा कम नहीं होने दूँगा;

         मैं उन्हें सम्मानित करूँगा, तुच्छ नहीं समझने दूँगा।

     20 उनके बच्चे समृद्ध होंगे जैसे वे पहले थे।

         मैं उन्हें मेरी आराधना करने वाले लोगों का एक समूह बनाऊँगा,

         और मैं उस हर एक देश को दण्ड दूँगा जो उनका दमन करते हैं।

     21 उनके अपने लोगों में से उनका एक राजा होगा,

         और मैं उसे आमन्त्रित करूँगा कि मेरे पास आकर मेरी आराधना करे,

     क्योंकि कोई भी मेरे निकट आने का साहस नहीं करेगा

         यदि मैं उसे आमन्त्रित नहीं करूँगा।

     22 तुम इस्राएली लोग मेरे लोग होगे,

         और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।”

     23 यहोवा तुम्हारे शत्रुओं को दण्ड देंगे;

         यह एक बड़ी आँधी के समान होगा;

         यह दुष्ट लोगों के सिर के चारों ओर घूमते हुए एक बवण्डर के समान नीचे आएगा।

     24 उनका क्रोध शान्त नहीं होगा

         जब तक कि वह अपनी योजनाओं को पूरा नहीं कर लेते।

         भविष्य में, तुम यह सब स्पष्ट रूप से समझ सकोगे।

Chapter 31

1 यहोवा कहते हैं कि उस समय, वह परमेश्वर होंगे जिनकी आराधना इस्राएल के सब कुलों द्वारा की जाएगी, और वे उनके लोग होंगे।

2 यहोवा यही कहते हैं:

     “वे लोग जो जीवित रहेंगे और अपने शत्रुओं की तलवारों से नहीं मारे जाएँगे,

         रेगिस्तान में भी मुझसे आशीष पाएँगे;

         जहाँ वे बच गए हैं।

3 बहुत पहले, मुझ यहोवा, ने तुम्हारे पूर्वजों, इस्राएली लोगों से कहा था,

     ‘मैंने तुमसे प्रेम किया है और मैं सदा के लिए तुमसे प्रेम करता रहूँगा।

         निष्ठापूर्वक तुमसे प्रेम करके मैं तुम्हें अपने निकट लाया हूँ।’

     4 और अब मैं तुमसे, मेरे इस्राएली लोगों से कहता हूँ जिन्हें मैं शुद्ध स्त्री के समान समझता हूँ, कि मैं तुम्हें फिर से एक देश बनाऊँगा।

     तुम अपने झाँझ बजा कर आनन्द से नाचोगे।

     5 तुम तब शोमरोन के पर्वतों पर अपनी दाख की बारी लगाओगे,

         और तुम वहाँ उगने वाले अँगूर खाओगे।

     6 ऐसा समय होगा जब पहरेदार शोमरोन की पहाड़ियों से पुकारेंगे,

     ‘आओ, चलो यरूशलेम चलें

         हमारे परमेश्वर! यहोवा की उपासना करने के लिए,’”

7 और अब यहोवा यह भी कहते हैं:

     “इस्राएल के लोगों के लिए मैंने जो किया है उसके विषय में आनन्द से गाओ!

     अपने देश, सबसे महान राष्ट्र के विषय में चिल्लाओ!

         आनन्द से चिल्लाओ, मेरी स्तुति करो और कहो,

         ‘यहोवा ने अपने लोगों को बचा लिया है,

         वे जो अभी भी जीवित थे!’

     8 ऐसा करो क्योंकि मैं उन्हें पूर्वोत्तर से वापस लाऊँगा,

         पृथ्‍वी पर सबसे दूर के स्थानों से।

     उनमें अंधे लोग और लंगड़े लोग होंगे,

         स्त्रियाँ जो गर्भवती हैं और जिन स्त्रियों को प्रसव पीड़ा होती है।

         उन लोगों का एक बड़ा समूह होगा!

     9 वे लौटते समय रोएँगे,

         और वे मुझसे प्रार्थना करेंगे।

     मैं उन्हें पानी की धाराओं के साथ-साथ ले कर चलूँगा,

         समतल मार्गों में जहाँ वे ठोकर नहीं खाएँगे।

     मैं ऐसा इसलिए करूँगा क्योंकि मैं इस्राएली लोगों के पिता के समान हूँ;

         जैसे कि इस्राएल मेरा सबसे बड़ा पुत्र है।”

     10 संसार के राष्ट्रों के लोगों, यहोवा से यह सन्देश सुनो।

         तब उन लोगों को सुनाओ जो दूर के तटों पर रहते हैं।

     यहोवा ने अपने लोगों को तितर-बितर किया, परन्तु वह उन्हें फिर से एकत्र करेंगे और एक चरवाहे के समान उनका ध्यान रखेंगे

         जैसे वह अपनी भेड़ों का ध्यान रखता है।

     11 यहोवा अपने इस्राएली लोगों को उन लोगों में से वापस ले आएँगे

         जिन्होंने उन्हें जीत लिया था क्योंकि वे उनके लोगों की तुलना में अधिक शक्तिशाली थे।

     12 यहोवा के लोग यरूशलेम लौट आएँगे

         और सिय्योन पर्वत के ढलानों पर आनन्द से चिल्लाएँगे।

     वे उन वस्तुओं के विषय में आनन्दित होंगे जिन्हें यहोवा ने उन्हें बहुतायत से दिया है—

         अनाज और नई दाखमधु और जैतून का तेल

         और युवा भेड़ और मवेशी।

     वे स्वयं एक भलि-भाँति सींचे गये बगीचे के समान होंगे,

         और अब उन्हें थकान नहीं होगी।

     13 युवा स्त्रियाँ आनन्द से नृत्य करेंगे,

         और सब पुरुष, युवा और बूढ़े लोग उनके साथ सहभागी होंगे।

     मैं उन्हें शोक की अपेक्षा आनन्दित करूँगा;

         मैं उन्हें सांत्वना दूँगा और उदास होने की अपेक्षा उन्हें आनन्दित करूँगा।

     14 याजकों के पास खाने और पीने के लिए बहुत सारी वस्तुएँ होंगी,

         और मेरे सारे लोग अच्छी वस्तुओं से भरे रहेंगे जो मैं उन्हें देता हूँ।

     यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

15 यहोवा यह भी कहते हैं:

     “इस्राएल और यहूदा के बीच की सीमा पर रामा में स्त्रियाँ रो रही थीं;

         वे शोक कर रहीं हैं और बहुत जोर से रो रही हैं।

     वे याकूब की पत्नी राहेल के दो पोते एप्रैम और मनश्शे के वंशज थे, वे बच्चों के विषय में रोती हैं,

         और कोई भी उन्हें सांत्वना नहीं दे सकता है

         क्योंकि उनके बच्चे सब मर गए हैं।

16 परन्तु अब यहोवा यह कहते हैं:

     ‘अब और मत रोओ,

         क्योंकि मैं तुम्हें अपने बच्चों के लिए किए गए अच्छे कार्यों का फल दूँगा।

     तुम्हारे बच्चे उस देश से वापस आ जाएँगे जहाँ उनके शत्रु उन्हें ले गये हैं।

     17 मैं यहोवा, तुम्हें बता रहा हूँ कि यह ऐसी बातें हैं जिन्हें तुम विश्वास से भविष्य में मेरे द्वारा किए जाने की आशा कर सकते हो।

         तुम्हारे बच्चे अपने देश में वापस आ जाएँगे।’

     18 मैंने सुना है कि इस्राएल के लोग बहुत दुखी हैं और मुझसे कह रहे हैं,

         ‘आपने हमें कठोर दण्ड दिया है,

         जैसे बछड़े को उसके स्वामी द्वारा हल खींचने के लिए प्रशिक्षित करने के लिए पीटा जाता है।

     अतः हमें फिर से ले आएँ कि हम आपका पालन करें,

         क्योंकि हम आपके पास वापस आने के लिए तैयार हैं,

     क्योंकि आप अकेले ही हमारे परमेश्वर यहोवा हो।

     19 हम आप से दूर हो गए,

         परन्तु हमने पश्चाताप किया;

     इसके बाद आपने हमें यह बोध करवाया कि हम दोषी थे।

         हमने अपने पैरों पर अपने हाथों को मारा कि यह दिखाया जा सके कि हम अपनी जवानी के उन पापों से बहुत लज्जित हैं।’

     20 परन्तु मैं, यहोवा, यह कहता हूँ:

         इस्राएली लोग निश्चय ही अभी भी मेरे प्रिय बच्चे हैं।

     मेरे लिए उन्हें दण्ड देने की धमकी देना प्रायः आवश्यक है,

         परन्तु मैं अभी भी उनसे प्रेम करता हूँ।

     यही कारण है कि मैं उन्हें नहीं भूला हूँ,

         और मैं निश्चय ही उनको दया दिखाऊँगा।

     21 तुम इस्राएली लोग, सड़क के चिन्ह स्थापित करो;

         सड़कों पर खम्भों को रखो

         जिस सड़क पर तुम चलकर यरूशलेम से गए थे, उस सड़क को चिह्नित करो।

     मेरे बहुमूल्य इस्राएली लोग,

         यहाँ अपने नगरों में वापस आओ।

     22 तुम लोग जो उन पुत्रियों के समान हो जिन्होंने अपने माता-पिता को त्याग दिया है,

         कितने समय तक तुम मुझसे दूर भटकते रहोगे?

     मैं, यहोवा, पृथ्‍वी पर कुछ ऐसा करूँगा जो नया है:

         इस्राएल की स्त्रियाँ अपने पतियों की रक्षा करेंगी जब वे यहाँ वापस आने की यात्रा करेंगे!”

23 स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिनकी आराधना इस्राएल करता है, वह कहते हैं: “जब मैं उन्हें उन देशों से वापस लाऊँगा जिनमें वे निर्वासित कर दिए गये हैं, तो यहूदा के नगरों के सब लोग फिर से कहेंगे, ‘मुझे आशा है कि यहोवा मेरे इस घर को आशीष देंगे, वह पवित्रस्थान जहाँ धर्मी लोग रहेंगे!’ 24 यहूदा के लोग जो कि किसानों और चरवाहों समेत नगरों में रहते हैं, सब शान्तिपूर्वक साथ रहेंगे। 25 मैं थके हुए लोगों को पानी पिला कर ताजा करूँगा और उन लोगों को जो थक कर चूर हो गये हैं फिर से शक्ति दूँगा।”

26 मैं, यिर्मयाह, उन सब बातों का सपना देखने के बाद जाग गया और मैंने चारों ओर देखा। मैं बहुत मीठी नींद सोया हुआ था!

27 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “ऐसा समय आएगा जब मैं इस्राएलियों और यहूदा में लोगों की संख्या और पशुओं की संख्या में बहुत वृद्धि करूँगा। 28 पहले, मैंने उनके शत्रुओं को उनके देश से उन्हें हटाने दिया और उनके देश को नष्ट करने और इसके लिए अनेक विपत्तियाँ लाने के लिए प्रेरित किया। परन्तु भविष्य में, मैं उन्हें घर बनाने और इस्राएल में फिर से फसल लगाने के लिए सक्षम कर दूँगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं ने, यहोवा ने यह कहा है। 29 पहले लोग कहा करते थे, ‘माता-पिता ने खट्टे अँगूर खाए हैं, परन्तु बच्चों के दाँत खट्टे है।’ उनके कहने का मतलब था कि उनके पूर्वजों के पापों के लिए उन्हें दण्ड देना उचित नहीं था। परन्तु जब मैं उन्हें उनके देश में वापस लाऊँगा, तब ऐसा नहीं कहेंगे। 30 परन्तु अब लोग अपने ही पापों के कारण मरेंगे जो उन्होंने स्वयं किए हैं। अब ऐसा होगा ‘जो व्यक्ति खट्टे अँगूर खाता है उसके ही दाँतों में दर्द होगा।’ 31 मैं यहोवा, यह कहता हूँ: ‘ऐसा समय होगा जब मैं इस्राएलियों और यहूदा के लोगों के साथ नई वाचा बाँधूँगा। 32 यह नई वाचा उस वाचा के समान नहीं होगी जो मैंने उनके पूर्वजों के साथ बाँधी थी जब मैं उन्हें हाथ पकड़ कर मिस्र से बाहर ले आया था। उन्होंने उस वाचा की अवज्ञा की, भले ही मैं उनसे प्रेम करता था जैसे पति अपनी पत्नियों से प्रेम करते हैं।’ 33 मैं यहोवा, यह कहता हूँ: ‘यह नई वाचा है जिसे मैं एक दिन इस्राएल के लोगों के साथ बाँधूँगा: मैं अपने नियम उनके मन में रखूँगा और उसे उनके मन में लिखूँगा। मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे लोग होंगे। 34 और यह आवश्यक नहीं होगा कि वे अपने पड़ोसियों या अपने सम्बन्धियों को सिखाने के लिए कहें, “तुम्हें यहोवा को जानना आवश्यक है,” क्योंकि सब लोग, महत्वहीन लोग और महत्वपूर्ण लोग मुझे पहले से ही जानते होंगे। और मैं उन्हें बहुत बुरा होने के लिए क्षमा कर दूँगा, और मैं उन पापों के विषय में कभी नहीं सोचूँगा जो उन्होंने किए हैं।’”

35 यहोवा ही वह हैं जो दिन में सूरज को प्रकाश देने का कारण होते हैं,

         और चँद्रमा और सितारों को रात के समय प्रकाश देने का कारण होते हैं।

     वह समुद्र को हिलाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लहरें गरजती हैं।

     उनका नाम स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा है

         और वह यह कहते हैं:

     36 “मैं अपने इस्राएली लोगों को स्थायी रूप से अस्वीकार नहीं करूँगा

         इससे अधिक कि मैं ब्रह्माण्ड को नियंत्रित करने वाले नियमों का त्याग करूँ।

37 और यही वह है जो मैं कहता हूँ:

     ‘कोई भी आकाश को नहीं माप सकता है

         और कोई भी यह नहीं ढूँढ़ सकता कि पृथ्‍वी किस पर टिकी हुई है।

     इसी प्रकार, मैं याकूब के वंशजों को अस्वीकार नहीं कर सकता

         उन सब बुरे कार्यों के कारण जो उन्होंने किए हैं।’

     यह निश्चित है, क्योंकि मैंने, यहोवा ने यह कहा है!

38 मैं यहोवा, यह भी कहता हूँ कि ऐसा समय होगा जब यरूशलेम में सब कुछ मेरे लिए बनाया जाएगा, पूर्वोत्तर कोने में हननेल के गुम्मट से, पश्चिम में कोने के फाटक तक। 39 श्रमिक गारेब पहाड़ी पर दक्षिण-पश्चिम में गोआ तक एक मापने वाली रस्सी रखेंगे। 40 और वह पूरा क्षेत्र, जिसमें शवों और राख को फेंका जाता है किद्रोन घाटी और घोड़ा फाटक तक पूर्व के सब खेत, सब मेरे लिए अलग कर दिए जाएँगे। और यरूशलेम शहर पर कभी भी न तो अधिकार किया जाएगा और न ही नष्ट किया जाएगा।”

Chapter 32

1 सिदकिय्याह के लगभग दस वर्षों तक यहूदा पर शासन करने के बाद, यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया, उस समय जब नबूकदनेस्सर लगभग अठारह वर्षों से बाबेल पर शासन कर रहा था। 2 उसकी सेना ने यरूशलेम को घेर लिया था, और यिर्मयाह आँगन के एक बन्दीगृह क्षेत्र में था जहाँ राजा के महल के रक्षक रहते थे। 3 राजा सिदकिय्याह ने मुझे वहाँ रखा था। मैंने वहाँ होने वाली घटनाओं की भविष्यद्वाणी करता रहा। मैं कहता गया, “यहोवा कहते हैं कि वह इस शहर को जितने के लिए बाबेल के राजा की सेना को लाने वाले हैं। 4 और बाबेल के सैनिक निश्चय ही राजा सिदकिय्याह को पकड़ लेंगे और बाबेल के राजा के सामने ले जाएँगे। 5 तब उसके सैनिक सिदकिय्याह को बाबेल ले जाएँगे और जब तक मैं उसे दण्ड देने की व्यवस्था नहीं करता तब तक वह वहाँ रहेगा। और यदि वह बाबेल के सैनिकों से युद्ध करने का प्रयास करेगा, तो वह सफल नहीं होगा।” राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से पूछा कि वह ऐसा क्यों कहता रहता है, परन्तु यहोवा ने कहा था कि ऐसा ही होगा।

6 उस समय, यहोवा ने यिर्मयाह को एक और सन्देश दिया। उसने कहा, 7 “तेरे चचेरे भाई हनमेल, तेरे चाचा शल्लूम का पुत्र, तेरे पास आएगा। वह तुझसे कहेगा, ‘अपने गृहनगर अनातोत में मेरा खेत मोल ले ले। क्योंकि तू मेरा निकट सम्बन्धी है, यह हमारे कानूनों में लिखा गया है इससे पहले कि मैं पूछूँ कि कोई और इसे मोल लेना चाहता है, उससे पहले इसे मोल लेने का अधिकार तुझे है।’”

8 और जैसा यहोवा ने भविष्यद्वाणी की थी, मेरा चचेरा भाई हनमेल मुझे महल के आँगन में देखने आया। उसने कहा, “कृपया अनातोत में मेरा खेत मोल ले-ले, जहाँ बिन्यामीन के वंशज रहते हैं। यह हमारे कानूनों में लिखा गया है कि इससे पहले कि मैं किसी ओर से उसे मोल लेने को कहूँ उसे मोल लेने का अधिकार तेरा है।” जब उसने ऐसा कहा, मुझे पता था कि जो सन्देश मैंने प्राप्त किया वह वास्तव में यहोवा से था।

9 इसलिए, मैंने अनातोत में खेत मोल लिया। मैंने हनमेल को इसके लिए लगभग दो सौ ग्राम चाँदी का भुगतान किया। 10 मैंने उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए जिस पर यह लिखा गया था कि मैं इसे मोल ले रहा था, जबकि लोग देख रहे थे। तब मैंने चाँदी का वजन किया और उसे दिया। 11 तब मैंने दस्तावेजों की दो प्रतियाँ लीं। एक को मुहरबन्द कर दिया और दूसरी को मुहरबन्द नहीं किया गया था। उन दोनों पर मोल ले की कीमत और शर्तें लिखी गई थीं। मैंने दोनों प्रतियाँ लीं 12 और मैंने उन्हें नेरिय्याह के पुत्र बारूक को जो महसेयाह का पोता था, दिया। मैंने यह किया, जबकि मेरे चचेरे भाई हनमेल, अन्य गवाहों ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे, और यहूदा के अन्य पुरुष जो आँगन में थे, देख रहे थे।

13 जब वे सब सुन रहे थे, तब मैंने बारूक से कहा, 14 “स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिनकी इस्राएल आराधना करता है, कहते हैं: ‘इस दस्तावेज की दोनों प्रतियाँ ले और उन्हें मिट्टी के पात्र में रख दे, कि उन्हें लम्बे समय तक बचाया जा सके। 15 ऐसा इसलिए कर क्योंकि मैं यहोवा, जो स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान हूँ, वह ईश्वर जिनकी इस्राएली आराधना करते हैं, कहता हूँ: एक दिन लोग फिर से इस देश में सम्पत्ति के स्वामी बनेंगे, और वे घरों और दाख के बागों और खेतों को मोल लेंगे और बेचेंगे।’”

16 जब मैंने बारूक को वह दस्तावेज दिए, तो मैंने यह कहकर यहोवा से प्रार्थना की: 17 “हे यहोवा, आप मेरे परमेश्वर हैं! आपने आकाश और पृथ्‍वी को अपनी महान शक्ति से बनाया है। आपके लिए कुछ भी कठिन नहीं है। 18 आप हजारों लोगों को दिखाते हैं कि आप सदा उनके साथ अपनी वाचा के प्रति निष्ठावान रहेंगे, परन्तु लोग अपने माता-पिता के पापों के परिणामों को भोग रहें हैं। आप महान और शक्तिशाली परमेश्वर हैं। आप स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा हैं। 19 आप बुद्धिमान योजना बनाते हैं और आप शक्तिशाली कार्य करते हैं। आप देखते हैं कि लोग कैसे व्यवहार करते हैं, और आप उनके साथ जो करते हैं वे उसके योग्य हैं। 20 आपने मिस्र में कई चमत्कार किए और आप यहाँ इस्राएल और संसार में हर स्थान में चमत्कार करते रहेंगे। आपने जो किया है उसके कारण, आप बहुत प्रसिद्ध हो गए हैं। 21 आप हम इस्राएलियों के पूर्वजों को अनेक चमत्कारों और अपनी महाशक्तियों द्वारा मिस्र से बाहर लाए, जिससे हमारे शत्रुओं को भयभीत किया। 22 आपने हम इस्राएली लोगों को यह देश दिया था जिसे देने की आपने हमारे पूर्वजों से सच्ची प्रतिज्ञा की थी, यह देश जो बहुत उपजाऊ है। 23 हमारे पूर्वजों ने यहाँ आकर इस देश पर विजय प्राप्त की और इसमें रहने लगे, परन्तु उन्होंने आपकी आज्ञा मानने से मना कर दिया या जो करने के लिए आपने उन्हें आज्ञा दी थी। इसके कारण, आपने उन्हें इन सब विपत्तियों का सामना करने के लिए विवश किया है।

24 और अब, बाबेल की सेना ने हमारे शहर पर आक्रमण करने के लिए हमारे शहर की दीवारों पर पुश्ते बनाएँ हैं। हमारे शत्रुओं की तलवारों और अकाल और बीमारियों के कारण, वे इसे सरलता से जीत पाएँगे। जो आपने कहा वह अब हो गया है। 25 और यह स्पष्ट है कि बाबेल की सेना शीघ्र ही इस शहर को जीत लेगी। तो अब, मुझे समझ में नहीं आ रहा कि आपने मुझे इस खेत को चाँदी से मोल लेने के लिए क्यों कहा, जबकि लोग देख रहे थे। ऐसा लगता है कि मैं ऐसा करके अपना पैसा नष्ट कर रहा हूँ।”

26 तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया: 27 “मैं यहोवा हूँ, वह परमेश्वर जो संसार में हर जीवित प्राणियों पर शासन करता है। ऐसा कुछ भी नहीं है जो मेरे लिए करना कठिन हो। 28 तो, मैं यही कहता हूँ: यह सच है कि मैं इस शहर को जीतने के लिए बाबेल की सेना और राजा नबूकदनेस्सर को सक्षम करूँगा। 29 बाबेल के सैनिक जो अब शहर के चारों ओर की दीवारों के बाहर हैं, इस शहर में प्रवेश करेंगे और इसे जला देंगे। वे उन सब घरों को जला देंगे जहाँ लोगों ने अपने घरों की छतों पर बाल के सम्मान में धूप जलाई और अन्य देवताओं के लिए दाखमधु चढ़ा कर मुझे क्रोधित किया है।

30 इस्राएल और यहूदा के एक ही राष्ट्र बनने के समय से लोगों ने निरन्तर बुरे कार्य किए हैं। उन्होंने अपने सब बुरे कर्मों से मुझे बहुत क्रोधित किया है। 31 जब से यह शहर बनाया गया था, तब से अब तक इस शहर के लोगों ने केवल उन्हीं कार्यों को किया है जिनसे मुझे बहुत क्रोध आता है। तो अब मैं इसे नष्ट कर दूँगा। 32 इस्राएल और यहूदा के लोग, जिनमें उनके राजा, उनके अधिकारी, याजक, झूठे भविष्यद्वक्ताओं और यरूशलेम के अन्य सब लोग है उन्होंने कई पाप किए हैं, जिससे मैं क्रोधित हो गया हूँ। 33 मेरे लोग मुझसे दूर हो गए हैं और मेरे पास लौटने से मना कर दिया है। भले ही मैंने उन्हें कई बार सिखाया, परन्तु मैंने उन्हें जो कुछ सिखाया, उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया और वे मेरा आज्ञापालन नहीं करेंगे। 34 उन्होंने अपनी घृणित मूर्तियों को मेरे भवन में भी स्थापित किया है और इसे अशुद्ध कर दिया है। 35 उन्होंने यरूशलेम के बाहर हिन्नोम घाटी में बाल की पूजा करने के लिए पहाड़ियों के ऊँचे स्थानों पर बाल के स्थल बनाए हैं, और वहाँ वे अपने पुत्र और पुत्रियों को उनके देवता मोलेक के लिए त्याग करते हैं। मैंने उन्हें ऐसा भयानक कार्य करने का आदेश नहीं दिया। मैंने कभी ऐसी भयानक बात का आदेश नहीं दिया। और ऐसा करके उन्होंने यहूदा के सब लोगों को पाप करने का दोषी ठहराया है।”

36 “परन्तु अब मैं इस नगर के विषय में कुछ और कहूँगा। तुम यरूशलेम के लोग कह रहे हो, ‘बाबेल के राजा की सेना इसे तलवारों से या अकाल या बीमारियों के कारण जीत जाएगी।’ परन्तु मैं इस्राएल का परमेश्वर यह कहता हूँ: 37 ‘मैं निश्चय ही उन सब देशों से अपने लोगों को वापस लाऊँगा, जिनमें जाने के लिए मैं उन्हें विवश करूँगा क्योंकि मैं उनसे बहुत क्रोधित हूँ। मैं उन्हें वापस इस शहर में लाऊँगा और उन्हें सुरक्षित रूप से यहाँ रहने दूँगा। 38 वे मेरे लोग होंगे, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा। 39 मैं उन्हें सोचने और व्यवहार करने की एक विधि दूँगा, कि वे अपने और अपने वंश के भले के लिए मेरा सम्मान कर सकें। 40 मैं उनके साथ एक वाचा बाँधूँगा जो सदा के लिए होगी: मैं उनकी भलाई करना बन्द नहीं करूँगा और वे सदा मेरा सम्मान करेंगे; वे मेरी आराधना करना कभी बन्द नहीं करेंगे। 41 मैं उनकी भलाई करने में प्रसन्न हूँ, और मैं निश्चय ही उन्हें इस देश में लौटने और यहाँ रहने में सक्षम करूँगा; मैं अपने सम्पूर्ण मन और मेरी सारी शक्ति के साथ ऐसा करूँगा।’

42 और यह भी है जो मैं, यहोवा, कहता हूँ: ‘मैंने उन्हें इन सब विपत्तियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया है। इसी प्रकार, एक दिन मैं उनके लिए वह सब भलाई करूँगा जिसकी मैंने प्रतिज्ञा की है। 43 यिर्मयाह तू ने यह खेत मोल ले कर भविष्यद्वाणी की है कि एक दिन लोग इस देश में खेतों को मोल लेंगे और बेचेंगे, जिसके विषय में तुम यरूशलेम के लोग अब कहते हो, “बाबेल के सैनिकों ने इसे नष्ट कर दिया है। अब यह उजाड़ हो गया है। यह एक देश है जहाँ अब एक भी लोग या पशु नहीं हैं।” 44 परन्तु एक दिन लोग फिर से खेतों को मोल लेंगे और बेचेंगे। लोग उन क्षेत्रों को मोल लेने के विषय में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करेंगे, और अन्य लोग उनके ऐसा करने के साक्षी होंगे। उस देश में जहाँ बिन्यामीन के वंशज यरूशलेम के पास के गाँवों में, यहूदा के अन्य नगरों में, पहाड़ी देश में और पश्चिम की तलहटी में और दक्षिणी यहूदिया जंगल में रहते हैं, ऐसा ही होगा। एक दिन मैं उन्हें फिर से समृद्ध कर दूँगा। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।’”

Chapter 33

1 जब यिर्मयाह को महल के आँगन में अभी भी बन्द किया हुआ था, तब यहोवा ने उसे यह दूसरा सन्देश दिया: 2 “मैं, जिसने पृथ्‍वी बनाई, जिसने इसे बनाया और उसे उसके स्थान पर रखा, यरूशलेम के लोगों से कहता हूँ: ‘मेरा नाम यहोवा है। 3 मुझे पुकारो और तब मैं तुम्हें वे महान और अद्भुत बातें बताऊँगा जिन्हें तुम पहले नहीं जानते थे।’ 4 इस्राएल के परमेश्वर यहोवा यही कहते हैं, ‘इस नगर के लोगों ने अपने घरों, और राजा के महल के कुछ भागों को तोड़ दिया है, जिससे कि शहर के चारों ओर दीवारों को दृढ़ करने के लिए सामग्री मिल सके, कि बाबेल के सैनिक दीवारों पर बने पुश्तों पर चढ़ने के बाद दीवारों को तोड़ने में सक्षम न हों और निवासियों को अपनी तलवारों से मार न डालें। 5 तुम बाबेल की सेना से युद्ध करने की आशा कर रहे हो, परन्तु होगा यह कि इस शहर के घर इस शहर के लोगों के शवों से भरे जाएँगे जिन्हें मैं मारने की अनुमति दूँगा क्योंकि मैं उनसे बहुत क्रोधित हूँ। मैंने उन सब दुष्ट कार्यों के कारण उन्हें त्याग दिया है जो उन्होंने किए हैं।

6 परन्तु, ऐसा समय आएगा जब मैं इस शहर के लोगों को स्वस्थ और बलवन्त बना दूँगा। मैं उन्हें समृद्ध और शान्ति प्राप्त करने योग्य कर दूँगा। 7 मैं यहूदा और इस्राएल के लोगों को उन देशों से वापस लाऊँगा जिनमें उन्हें निर्वासित किया गया है। मैं उन्हें अपने नगरों का पुनर्निर्माण करने में सक्षम करूँगा। 8 उन्होंने मेरे विरुद्ध जितने भी पाप किये हैं उनके सब पापों को भूल जाऊँगा और मेरा विद्रोह करने के उनके पाप को क्षमा करूँगा। 9 जब ऐसा होता है, तब संसार के सब देश आनन्दित होंगे और वे मेरी स्तुति करेंगे और मेरा सम्मान करेंगे। वे इस शहर के लिए किए गए सब अच्छे कार्यों के विषय में सुनेंगे और इसके कारण, वे मुझे सम्मान देंगे, और वे थरथराएँगे क्योंकि मैंने इस शहर के लोगों को शान्ति और समृद्धि प्रदान की है।’

10 मैं, यहोवा, कहता हूँ: ‘तुमने कहा है कि यह एक ऐसा देश है जहाँ अब एक भी जन या पशु नहीं हैं। परन्तु यरूशलेम और यहूदा के अन्य नगरों की सड़कों में जो अब पूरी तरह खाली हैं, 11 एक दिन लोग फिर से आनन्दित होंगे और हँसेंगे। दूल्हा और दुल्हन फिर से आनन्द के गीत गाएँगे। और कई अन्य लोग भी आनन्द से गाएँगे जब वे उनके लिए किये गये मेरे कार्यों के कारण धन्यवाद देने के लिए मुझे भेंट चढ़ाने आएँगे। वे इस गीत को गाएँगे:

     “हम आपको धन्यवाद देते हैं, हे यहोवा स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान,

         क्योंकि आप हमारे लिए भले हैं।

         आप सदा के लिए अपनी वाचा को निष्ठापूर्वक पकड़े रहें।”

वे गाएँगे क्योंकि मैं इस देश के लोगों को समृद्ध कर दूँगा जैसे वे पहले थे।’

12 यह भूमि अब उजाड़ हो गई है। यहाँ रहने वाले कोई भी लोग या पशु नहीं हैं। परन्तु मैं, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यहोवा, यह कहता हूँ: ‘इस देश में फिर चारागाहें होंगी जहाँ चरवाहे अपनी भेड़ों की अगुवाई करेंगे 13 चरवाहे फिर से अपनी भेड़ों को गिनेंगे, जब उनकी भेड़ें नगरों के बाहर, पश्चिमी तलहटी में, दक्षिणी यहूदा के जंगल में, जहाँ बिन्यामीन के वंशज रहते हैं, यरूशलेम के आस-पास और सबके बाहर यहूदा के सब नगरों के बाहर, पहाड़ी क्षेत्रों में चलेंगी।’ यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैंने, यहोवा ने यह कहा है।

14 इसे सुनो! मैं यहोवा, यह कहता हूँ कि ऐसा समय आएगा जब मैं इस्राएलियों और यहूदा के लोगों के लिए उन सब भले कार्यों को करूँगा जो मैंने उनके लिए करने की प्रतिज्ञा की है।

     15 उस समय मैं एक धर्मी व्यक्ति की नियुक्ति करूँगा जो राजा दाऊद का वंशज होगा।

         पूरे देश में, वह वही करेगा जो भला और उचित है।

     16 उस समय, यहूदा के लोगों को उनके शत्रुओं से बचाया जाएगा,

         और यरूशलेम के लोग सुरक्षित रहेंगे।

     और लोग कहेंगे कि शहर का नाम होगा ‘यहोवा ही वह है जो हमारे लिए उचित करते हैं।’ 17 और मैं, यहोवा, यह भी कहता हूँ: ‘राजा दाऊद के वंशज इस्राएल के लिए सदा के लिए शासन करेंगे। 18 और ऐसे याजक होंगे जो लेवी के वंशज होंगे जो मेरे सामने खड़े होंगे और वेदी पर जलाए जाने वाले बलिदान चढ़ाएँगे।”

19 तब यहोवा ने यिर्मयाह को यह सन्देश दिया: 20 “मैं यहोवा, यही कहता हूँ: ‘तू निश्चय ही मेरी इस प्रतिज्ञा को रद्द नहीं कर सकता कि रात के बाद दिन आएगा। 21 इसी प्रकार, तू राजा दाऊद के साथ की गयी प्रतिज्ञा को रद्द नहीं कर सकता, जिसने मेरी उत्तम सेवा की थी, कि यहूदा पर शासन करने के लिए सदा ही उसके वंशज होंगे। लेवी के वंशज जो याजक हैं और मेरी सेवा करते हैं, उनके साथ भी मेरी वाचा के लिए भी यह सच है। 22 कोई भी आकाश में सितारों की गिनती नहीं कर सकता, और कोई भी समुद्र के किनारे रेत के किनकों को गिन नहीं सकता। इसी प्रकार, मैं दाऊद के वंशजों और लेवी के वंशजों की संख्या को बहुत कर दूँगा जो मेरे लिए कार्य करेंगे।”

23 यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा, 24 “निश्चय ही तू जानता है कि कुछ लोग कह रहे हैं, ‘यहोवा ने दो समूहों, यहूदा के लोगों और इस्राएल के लोगों को चुना, और बाद में उन्हें त्याग दिया।’ जो लोग यह कह रहे हैं वे मेरे लोगों को तुच्छ मान रहे हैं; वे कह रहे हैं कि इस्राएल अब एक राष्ट्र माना जाने योग्य नहीं है। 25 परन्तु मैं यह कहता हूँ: ‘मैं अपने लोगों को अति शीघ्र वैसे ही नहीं त्याग सकता जैसे मैं दिन और रात, आकाश और पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले नियमों को नहीं त्याग सकता। 26 इसी प्रकार, मैं कभी दाऊद के वंशज या याकूब के अन्य वंशजों को त्याग नहीं दूँगा, और मैं सदा दाऊद के वंशजों को अब्राहम, इसहाक और याकूब के वंशजों पर सदा के लिए शासन करने की अनुमति दूँगा। मैं उन्हें अपने देश में वापस लाऊँगा, और मैं उन पर दया करूँगा।’”

Chapter 34

1 बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर उन सब साम्राज्यों की सेनाओं के साथ आया जिन पर वह शासन करता था और यरूशलेम और यहूदा के अन्य नगरों के विरुद्ध युद्ध किया। उस समय, यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया: 2 “यहूदा के राजा सिदकिय्याह के पास जा, और उससे कह, ‘इस्राएल के परमेश्वर यहोवा यही कहते हैं: “मैं इस नगर को जीतने के लिए बाबेल के राजा की सेना को सक्षम करने वाला हूँ, और वे इसे जला देंगे। 3 तू उनसे बच नहीं पाएगा; वे तुझे पकड़ लेंगे और बाबेल के राजा के पास ले जाएँगे। तू उससे मिलेगा और उसके साथ आमने-सामने बात करेगा; तब वे तुझे बाबेल ले जाएँगे।”

4 परन्तु राजा सिदकिय्याह, सुन कि यहोवा ने क्या प्रतिज्ञा की है: “तू युद्ध में नहीं मारा जाएगा; 5 तू शान्ति से मरेगा। जब तू मर जाएगा, तो लोग तुझे सम्मानित करने के लिए धूप जलाएँगे जैसे उन्होंने तेरे पूर्वजों के लिए किया था जो राजा बनने से पहले राजा थे। वे तेरे लिए शोक करेंगे, और कहेंगे, ‘हम बहुत दुखी हैं कि हमारा राजा मर चुका है!’ मैं, यहोवा, प्रतिज्ञा करता हूँ कि यह होगा।” ’”

6 इसलिए मैंने यह सन्देश राजा सिदकिय्याह को दे दिया। 7 उस समय बाबेल की सेना ने यरूशलेम और लाकीश और अजेका को घेरे हुई थी वे यहूदा के एकमात्र तीन शहर थे जिनके चारों ओर ऊँची दीवारें थीं जिन्हें अभी भी जीता नहीं गया था।

8 राजा सिदकिय्याह ने यह आदेश दिया था कि लोगों को अपने दासों को मुक्त करना होगा। 9 उसने आदेश दिया कि लोगों को अपने इब्री दासों, पुरुष और स्त्री दोनों को मुक्त करना होगा। किसी भी यहूदी व्यक्ति को अपने दास होने के लिए विवश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 10 अधिकारियों और बाकी लोगों ने राजा के आदेशों का पालन किया था, 11 परन्तु बाद में उन्होंने अपना मन बदल दिया। उन्होंने उन पुरुषों और स्त्रियों को विवश किया जिन्हें उन्होंने अपने दास होने से मुक्त कर दिया था।

12 तब यहोवा ने उनसे कहने के लिए मुझे यह सन्देश दिया: 13 “इस्राएल के परमेश्वर मुझ यहोवा ने बहुत पहले तुम्हारे पूर्वजों के साथ एक प्रतिज्ञा की थी, जब मैंने उन्हें मिस्र में दासत्व से मुक्ति दिलाई थी। 14 मैंने उनसे कहा था कि अपने इब्री दासों से छः वर्षों तक कार्य करवाने के बाद उन्हें अपने सब इब्री दासों को मुक्त करना होगा। परन्तु मैंने जो कहा था उस पर तुम्हारे पूर्वजों ने कोई ध्यान नहीं दिया। 15 हाल ही में, तुमने मेरे आदेश का पालन किया और वह गलत करना बन्द कर दिया और सही किया। तुमने मेरे भवन में एक गम्भीर प्रतिज्ञा की है कि तुम अपने दासों को मुक्त करोगे, और फिर तुम उन्हें मुक्त कर दिया। 16 परन्तु अब तुमने जो गम्भीर प्रतिज्ञा की थी उसका मान नहीं रखा है और तुमने जिन स्त्रियों और पुरुषों को मुक्त किया था, उन्हें वापस ला कर मैंने जो कहा था, उसकी अवमानना की है और कहा कि वे जहाँ चाहें वहाँ रह सकते हैं। अब तुमने उन्हें अपने दास बनने के लिए विवश किया है।

17 इस कारण, मैं यहोवा, यही कहता हूँ: ‘क्योंकि तुमने अपने साथी इस्राएलियों को मुक्त करने की मेरी आज्ञा नहीं मानी है, इसलिए मैं तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं की तलवारों और अकाल और बीमारियों से नष्ट कर दूँगा। पृथ्‍वी के सब राष्ट्र भयभीत होंगे कि तुम्हारे साथ क्या होता है। 18-19 क्योंकि तुम्हारे साथ अपनी प्रतिज्ञा में जो मैंने कहा है, उसकी तुमने उपेक्षा की है, मैं तुम्हारे साथ वैसा ही करूँगा जैसा तुमने बछड़ों को आधा-आधा काट कर किया था, तुमने यह दिखाने के लिए ऐसा किया था कि तुम निश्चय ही अपनी गम्भीर प्रतिज्ञा के अनुसार करोगे। मैं तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं के टुकड़े-टुकड़े करने के लिए सक्षम करूँगा, वे यहूदा के अधिकारियों और तुम यरूशलेम के अधिकारियों, और महल के अधिकारी, और तुम याजकों और सब सामान्य लोगों को मार डालेंगे। मैं ऐसा इसलिए करूँगा कि तुमने इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है कि तुमने अपने दासों को मुक्त करने की प्रतिज्ञा की है। 20 मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हें बन्दी बनाने में सक्षम करूँगा, और वे तुम्हें मार डालेंगे। और तुम्हारे शरीर गिद्धों और जंगली पशुओं के लिए भोजन होंगे।

21 मैं राजा सिदकिय्याह और उसके अधिकारियों को पकड़ने के लिए बाबेल के राजा की सेना को सक्षम करूँगा। यद्दपि बाबेल के राजा और उसकी सेना ने यरूशलेम को थोड़े समय के लिए छोड़ दिया है, 22 मैं उन्हें फिर से बुलाऊँगा। इस बार, वे इस शहर के विरुद्ध लड़ेंगे और इसे जीत लेंगे और इसे जला देंगे। मैं यह सुनिश्चित कर दूँगा कि यहूदा के सब नगर नष्ट हो जाएँ, जिसके परिणामस्वरूप कोई भी वहाँ नहीं रहेगा।’”

Chapter 35

1 कई वर्ष पहले, जब योशिय्याह का पुत्र यहोयाकीम यहूदा का राजा था, तब यहोवा ने मुझे यह सन्देश दिया: 2 “उस स्थान पर जा जहाँ रेकाब के वंशजों के परिवार रहते हैं। उन्हें अपने यहोवा के भवन में आमन्त्रित कर। जब वे आते हैं, उन्हें भीतरी कमरे में से एक में ले जा और उन्हें कुछ दाखरस दे।”

3 इसलिए मैं याजन्याह और उसके सब भाइयों और पुत्रों को देखने गया जो रेकाब वंश का प्रतिनिधित्व करते थे। याजन्याह यिर्मयाह नाम के किसी अन्य व्यक्ति का पुत्र था, जो हबस्सिन्याह का पोता था। 4 मैं उन्हें आराधनालय में ले गया, और हम उस कमरे में गए जहाँ यिग्दल्याह का पुत्र हानान का पुत्र जो एक भविष्यद्वक्ता था, रहता था। वह कमरा उस कमरे के बगल में था जो मन्दिर के प्रवेश द्वार के प्रभारी पुरुषों द्वारा उपयोग किया जाता था। यह उस कमरे से ऊपर था जो शल्लूम का पुत्र मासेयाह था, जो मन्दिर का द्वारपाल और शल्लूम का पुत्र था।

5 मैंने उनके सामने दाखरस के पात्र और कटोरे रख दिए और पीने के लिए आग्रह किया, 6 परन्तु उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा, “हम दाखरस नहीं पीते, क्योंकि हमारे पूर्वजों रेकाब के पुत्र योनादाब ने हमें आज्ञा दी थी, ‘तुम और तुम्हारे वंशजों को कभी दाखरस नहीं पीनी चाहिए। 7 और तुम्हें घरों का निर्माण नहीं करना चाहिए या दाख के बाग या अन्य फसलें नहीं उगाना चाहिए। इसकी अपेक्षा, तुम्हें सदा तम्बू में रहना होगा। यदि तुम उन आदेशों का पालन करोगे, तो तुम सब इस देश में कई वर्षों तक रहोगे।’ 8 इसलिए हम उन सब बातों में उनका पालन करते हैं। हमने कभी दाखरस नहीं पीया है। हमारी पत्नियाँ और हमारे पुत्र और पुत्रियों ने भी कभी दाखरस नहीं पीया है। 9 हमने घरों को भी नहीं बनाया या बागों या अन्य फसलों को नहीं लगाया है या खेतों में कार्य नहीं किया है। 10 हम तम्बू में रहते हैं। हमने उन सब आज्ञाओं का पालन किया है जो हमारे पूर्वज योनादाब ने हमें दी हैं। 11 परन्तु जब राजा नबूकदनेस्सर की सेना ने इस देश पर आक्रमण किया, तो हमने कहा, ‘हमें बाबेल और अराम की सेनाओं से बचने के लिए यरूशलेम जाना होगा।’ तो, हम यरूशलेम आए और हम यहाँ रह रहे हैं।”

12 तब यहोवा ने यह सन्देश मुझे दिया: 13 “मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, जिसकी इस्राएली आराधना करते है, यह कहता हूँ: ‘जा और यरूशलेम के और यहूदा के अन्य स्थानों में लोगों से यह कह: “तुम मेरी बात क्यों नहीं सुनते या मेरी आज्ञा मानने के विषय में क्यों नहीं सीखते हो? 14 रेकाब के वंशज में अभी भी कोई दाखमधु नहीं पीता है, क्योंकि उनके पूर्वज योनादाब ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था। इसके विपरीत, मैंने तुमसे कई बार बात की है, परन्तु तुमने मुझे अनसुना कर दिया और मेरी आज्ञा मानने से मना कर दिया। 15 कई बार मैंने तुम्हारे लिए भविष्यद्वक्ताओं को भेजा। उन्होंने तुमसे कहा, ‘अपने दुष्ट व्यवहार से दूर हो जाओ, और उन कार्यों को करो जो तुम्हें करने चाहिए। अन्य देवताओं की उपासना करना बन्द करो, जिससे कि तुम इस देश में शान्तिपूर्वक रह सको जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को दिया था।’ परन्तु तुम मेरी बातों पर ध्यान नहीं देते और न ही मेरा आज्ञापालन करते। 16 योनादाब के वंशजों ने अपने पूर्वजों का आज्ञापालन किया है, परन्तु मैंने जो कहा है उस पर ध्यान देने से तुमने मना कर दिया है।

17 इस कारण, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिस परमेश्वर की इस्राएल आराधना करता है, कहते हैं: ‘तुमने मेरी बात सुनने से मना कर दिया है और जब मैंने तुम्हें पुकारा तो तुमने उत्तर नहीं दिया। इसलिए, मैं यरूशलेम और यहूदा के अन्य स्थानों में सब लोगों पर विपत्तियाँ डालूँगा जिनके लिए मैंने कहा है कि मैं करूँगा।’ ”

18 तब यिर्मयाह रेकाब वंश की ओर मुड़ा और कहा, “हे यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, जिनकी इस्राएल आराधना करता है, यह कहते हैं: ‘तुमने अपने पूर्वज योनादाब से जो कहा है उसका पालन किया है। तुमने उसके सब निर्देशों का पालन किया है। 19 इसलिए, यहोवा यही कहते हैं: “योनादाब के वंशज होंगे जो सदा मेरे लिए कार्य करेंगे।”

Chapter 36

1 जब योशिय्याह का पुत्र यहोयाकीम लगभग चार वर्षों तक यहूदा का राजा रहा, तब यहोवा ने यह सन्देश मुझे दिया: 2 “एक लपेटा हुआ पत्र ले और उसमें उन सब सन्देशों को लिख ले जो मैं इस्राएल, यहूदा और अन्य राष्ट्रों के विषय में तुझे तब से देता आ रहा हूँ। उन सब सन्देशों को लिख ले जो मैंने सबसे पहले दिया था जब योशिय्याह राजा था और अब तक दे रहा हूँ। 3 जब यहूदा के लोग उन सब विपत्तियों के विषय में फिर से सुनें जिन्हें मैं उन पर डालने की योजना बना रहा हूँ, तो संभव है कि उनमें से प्रत्येक जन पश्चाताप करे। यदि वे ऐसा करते हैं, तो मैं उनके द्वारा किये गये दुष्ट कार्यों के लिए उन्हें क्षमा कर पाऊँगा।”

4 तब यिर्मयाह ने नेरिय्याह के पुत्र बारूक को बुलाया। तब, जैसा कि यिर्मयाह ने उन सब सन्देशों को निर्देशित किया जिन्हें यहोवा ने उससे कहा था, उसने उन्हें एक लपेटा हुआ पत्र पर लिख दिया। 5 तब यिर्मयाह ने उससे कहा, “मुझे यहाँ से निकल कर यहोवा के भवन में जाने की अनुमति नहीं है। 6 इसलिए, उपवास के दिन तू भवन में जाना और उन सन्देशों को जिन्हें तू ने लिखा है, अर्थात् मैंने लिखवाया है। उन सब लोगों के लिए यहोवा के उन सन्देशों को पढ़ कर सुनाना, वहाँ जितने भी लोग, यहूदा के नगरों से आने वाले लोग भी आए हैं, उन्हें ऊँचे शब्द से पढ़ कर सुना देना। 7 संभव है कि वे अपने बुरे व्यवहार से दूर हो जाएँ और यहोवा से उनके प्रति दया का कार्य करने का अनुरोध करें। उन्हें ऐसा करना चाहिए, क्योंकि यहोवा उनके साथ बहुत क्रोधित हैं और उन्हें कठोर दण्ड देने की धमकी दी है।”

8 बारूक ने वही किया जिसे करने के लिए यिर्मयाह ने कहा था। वह आराधनालय गया और यहोवा के सब सन्देशों को पढ़ कर उन्हें सुना दिया। 9 उसने नौवे महीने में ऐसा किया, जिस दिन उनके अगुवों ने यह घोषणा की थी कि यरूशलेम के सब लोग और यहूदा के अन्य नगरों से वहाँ आए लोग यहोवा को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखें। ऐसा तब हुआ जब यहोयाकीम लगभग पाँच वर्ष तक राजा रह चुका था। 10 बारूक ने सब लोगों के लिए लपेटे हुए पत्र पर लिखे सन्देशों को पढ़ा। जब वह आराधनालय में था, गमर्याह जिस कमरे में ठहरा हुआ था, तब उसने उन सन्देशों को पढ़ा। गमर्याह शापान का पुत्र था, जो पहले राजा का सचिव था। वह कमरा आराधनालय के प्रवेश द्वार के पास, ऊपरी आँगन के समीप था जिसे नया फाटक कहा जाता है।

11 जब शापान के पोते और गमर्याह के पुत्र मीकायाह ने इन सन्देशों को यहोवा से सुना, 12 वह महल में सचिव के कमरे में गया, जहाँ राजा के सब अधिकारी बैठक कर रहे थे। एलीशामा राजा का सचिव वहाँ था। शमायाह का पुत्र दलायाह, अकबोर का पुत्र एलनातान, गमर्याह, हनन्याह का पुत्र सिदकिय्याह और राजा के अन्य सब अधिकारी भी थे। 13 जब मीकायाह ने उन सन्देशों के विषय में बताया जो बारूक ने लोगों को पढ़ कर सुनाया था, 14 अधिकारियों ने नतन्याह के पुत्र शेलेम्याह के पोते और कूशी के परपोते को भेजा, कि बारूक से कहे की आकर उन्हें भी सन्देश पढ़ कर सुनाए। अतः बारूक ने लपेटा हुआ पत्र लिया और उनके पास गया। 15 उन्होंने उससे कहा, “कृपया बैठ जा और इसे हमें पढ़ कर सुना।” तो बारूक ने उनके आग्रह के अनुसार किया।

16 उन सब सन्देशों को सुन कर वे डर गए थे। उन्होंने एक-दूसरे को देखा और फिर उन्होंने कहा, “हमें इन सन्देशों के विषय में राजा को बताना होगा!” 17 तब उन्होंने बारूक से पूछा, “तुमने यह लपेटा हुआ पत्र कैसे प्राप्त किया? क्या यिर्मयाह ने तुम्हें इस पर सब सन्देश लिखवाएँ हैं?”

18 बारूक ने उत्तर दिया, “हाँ, यिर्मयाह ने मुझे लिखवाया है और मैंने उन्हें इस पर स्याही से लिखा।”

19 तब अधिकारियों ने बारूक से कहा, “तुझे और यिर्मयाह दोनों को छिप जाना चाहिए। किसी को मत बताओ तुम कहाँ हो!”

20 उन्होंने राजा के सचिव एलीशामा के कमरे में लपेटा हुआ पत्र रख दिया। तब वे राजा के पास गए, जो आँगन में था और उन सब बातों को उसे सुनाया जो बारूक ने उन्हें पढ़ कर सुनाई थी।

21 तब राजा ने वह लपेटा हुआ पत्र लाने के लिए यहूदी को भेजा। यहूदी उसे एलीशामा के कमरे से ले आया और राजा को पढ़ कर सुनाया, जब राजा के सब अधिकारी वहाँ खड़े थे। 22 यह ठण्ड के मौसम में था, और राजा महल के एक भाग में था जहाँ वह ठण्ड के मौसम में रहता था। वह गर्म होने के लिए आग के सामने बैठा था। 23 हर बार जब यहूदी तीन या चार स्तम्भ पढ़ लेता, तब राजा चाकू से उतना भाग काट देता और उसे आग में डाल देता। वह खण्ड के बाद खण्ड के साथ ऐसा ही करता जब तक कि वह लपेटा हुआ पत्र जला न दिया। 24 न तो राजा और न ही उसके अधिकारियों ने दिखाया कि वे डरते थे कि परमेश्वर उन्हें दण्ड देंगे। उन्होंने यह दिखाने के लिए अपने कपड़े भी नहीं फाड़े कि उन्होंने जो किया है उसके लिए उन्हें खेद है। 25 एलनातान, दलायाह और गमर्याह ने राजा से विनती भी की कि वह उस लपेटे हुए पत्र को न जलाए, परन्तु उसने कोई ध्यान नहीं दिया। 26 तब राजा ने अपने पुत्र यरहमेल, अज्रीएल का पुत्र सरायाह और अब्देल के पुत्र शेलेम्याह को आज्ञा दी कि बारूक और मुझको बन्दी बना लिया जाए। परन्तु वे ऐसा करने में असमर्थ रहे क्योंकि यहोवा ने हमें छिपा दिया था।

27 राजा ने उस पुस्तक को जला दिया था जिस पर मैंने बारूक को सन्देश लिखाए थे, तब यहोवा ने मुझसे यह कहा: 28 “एक और लपेटा हुआ पत्र ले और बारूक से कह कि उस पर फिर से सब कुछ लिखे, वही सब सन्देश जो उसने पहले वाले पत्र पर लिखे थे, जिन्हें राजा यहोयाकीम ने जला दिया था। 29 तब राजा के पास जा और उससे कह, ‘यहोवा यह कहते हैं: तुमने लपेटा हुआ पत्र जला दिया क्योंकि उस पर जो लिखा था वह तुम्हें अच्छा नहीं लगा, कि बाबेल का राजा निश्चय ही अपनी सेना के साथ आएगा और इस देश को नष्ट करेगा और सब लोगों और पशुओं का नाश कर देगा। 30 अब मैं यहोवा, तेरे विषय में कहता हूँ, यहोयाकीम: तेरा कोई भी वंशज इस देश पर शासन नहीं करेगा। तेरा शव भूमि पर फेंक दिया जाएगा और दफनाया नहीं जाएगा; वह दिनों के समय गर्म सूरज के नीचे होगा और रात के समय ठण्ड से मारा जाएगा। 31 मैं तुझे और तेरे परिवार और तेरे अधिकारियों को उनके पापों के लिए दण्ड दूँगा। और मैं यरूशलेम के लोगों और यहूदा के अन्य नगरों के लोगों पर वह सब विपत्तियाँ लाऊँगा जिनकी मैंने प्रतिज्ञा की है क्योंकि तुम सब मेरी बातों पर ध्यान नहीं देते हो।”

32 तब यिर्मयाह ने एक और लपेटा हुआ पत्र लिया और उसने बारूक को फिर से वे सब सन्देश लिखवाए। उसने वह सब लिखा जो पहले वाले पत्र में लिखा था जिसे राजा यहोयाकीम ने आग में जला दिया था। परन्तु इस बार, यिर्मयाह ने उसमें और भी सन्देश जोड़े।

Chapter 37

1 यहोयाकीम की मृत्यु के बाद, उसका पुत्र यहोयाकीन राजा बना परन्तु तीन महीने तक ही रहा, उसके बाद राजा योशिय्याह का पुत्र सिदकिय्याह यहूदा का राजा बन गया। बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने उसे नया राजा नियुक्त किया। 2 परन्तु राजा सिदकिय्याह और उसके महल के अधिकारियों और देश के अन्य लोगों ने उन सन्देशों पर ध्यान नहीं दिया जिन्हें यहोवा ने मुझे दिया था।

3 हालाँकि, एक दिन राजा सिदकिय्याह ने शेलेम्याह के पुत्र यहूकल और मासेयाह के पुत्र सपन्याह को मेरे पास भेजा। उन्होंने मुझसे निवेदन किया कि हमारे देश के लिए हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करूँ।

4 उस समय यिर्मयाह को बन्दीगृह में नहीं डाला गया था, इसलिए वह कहीं भी और जब भी वह चाहता था, बिना बाधा आ जा सकता था।

5 उस समय, मिस्र के राजा होफरा की सेना यहूदा के दक्षिणी सीमा पर आई। जब बाबेल की सेना ने इसके विषय में सुना, तो उन्होंने यरूशलेम से अपना घेराव हटा कर मिस्र की सेना से युद्ध करने गई।

6 तब यहोवा ने यह सन्देश मुझे दिया: 7 “मैं इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, यह कहता हूँ: यहूदा के राजा ने मुझे यह पूछने के लिए दूत भेजे हैं कि क्या होने जा रहा है। राजा से कह कि यद्दपि मिस्र के राजा की सेना उसकी सहायता करने के लिए आई है वह मिस्र लौटने वाली है। 8 तब बाबेल की सेना यहाँ वापस आ जाएगी, इस शहर को जीत लेगी, और इसमें सब कुछ जला देगी।

9 अतः यिर्मयाह ने तुम इस्राएलियों से कहा था: ‘तुम्हें यह सोच कर स्वयं को धोखा नहीं देना चाहिए, कि बाबेल की सेना चली गई है और वापस नहीं आएगी। वह सच नहीं है। 10 और यहाँ तक कि यदि तेरे सैनिक तुम पर आक्रमण करने वाले बाबेल के सब सैनिकों को नष्ट कर पाएँ और केवल घायल सैनिकों को तम्बुओं में छोड़ दें तो वे घायल सैनिक अपने तम्बू से बाहर आ जाएँगे और इस शहर को जला देंगे।’”

11 जब बाबेल की सेना ने यरूशलेम छोड़ दिया क्योंकि मिस्र की सेना निकट आ रही थी, 12 यिर्मयाह ने शहर छोड़ना आरम्भ कर दिया। उसने उस क्षेत्र में जाने का विचार किया जहाँ बिन्यामीन के वंशज रहते हैं, कि मेरे परिवार से सम्पत्ति के मेरे भाग को लिया जा सके। 13 परन्तु जब वह बिन्यामीन फाटक से बाहर निकल रहा था, तब रक्षकों के सरदार ने यिर्मयाह को पकड़ लिया और कहा, “तू हमें छोड़ कर बाबेल के सैनिकों के पास जा रहा है!” जिस व्यक्ति ने उसे पकड़ लिया वह शेलेम्याह का पुत्र और हनन्याह का पोता यिरिय्याह था।

14 परन्तु यिर्मयाह ने विरोध किया और कहा, “यह सच नहीं है! मैं ऐसा करने का विचार नहीं कर रहा था!” परन्तु यिरिय्याह ने यिर्मयाह ने जो कहा, उस पर ध्यान नहीं दिया। वह यिर्मयाह को राजा के अधिकारियों के पास ले गया। 15 वे उससे बहुत क्रोधित थे। उन्होंने रक्षकों को आज्ञा दी कि यिर्मयाह को मारें और फिर उसे उस घर में रख दें जहाँ राजा का सचिव योनातान रहता था। उन्होंने योनातान के घर को बन्दीगृह में बदल दिया था।

16 उन्होंने यिर्मयाह को उस बन्दीगृह की एक बन्दीगृह में रखा, और वह कई दिनों तक वहाँ रहा। 17 तब राजा सिदकिय्याह ने गुप्त रूप से एक सेवक भेजा, वह यिर्मयाह को महल में ले गया। वहाँ राजा ने उससे पूछा, “क्या तेरे पास यहोवा से कोई सन्देश है?” यिर्मयाह ने उत्तर दिया, “हाँ, सन्देश यह है कि तुझे बाबेल के राजा के हाथों में कर दिया जाएगा।”

18 तब यिर्मयाह ने राजा से पूछा, “मैंने तेरे विरुद्ध या तेरे अधिकारियों के विरुद्ध या इस्राएलियों के विरुद्ध क्या अपराध किया है, जिसके परिणामस्वरूप तू ने आदेश दिया है कि मुझे बन्दीगृह में रखा जाए? 19 तेरे भविष्यद्वक्ताओं ने भविष्यद्वाणी की थी कि बाबेल के राजा की सेना तुझ पर या इस देश पर आक्रमण नहीं करेगी। उनके सन्देश क्यों पूरे नहीं हुए? 20 हे महामहिम, मैं तुझसे विनती करता हूँ कि मेरा निवेदन सुन ले। मुझे योनातान सचिव के घर में उस बन्दीगृह में वापस न भेज, क्योंकि यदि तू ऐसा करेगा, तो मैं वहाँ मर जाऊँगा।”

21 तब राजा सिदकिय्याह ने आज्ञा दी कि यिर्मयाह को वापस बन्दीगृह में नहीं डाला जाए। इसकी अपेक्षा, उसे महल के आँगन में रक्षकों की देखरेख में रखने की अनुमति दी। राजा ने यह भी आदेश दिया कि उसे प्रतिदिन ताजी रोटी दी जाए, जब तक कि शहर में कोई रोटी नहीं रह जाती है। इसलिए उन्होंने यिर्मयाह को उस आँगन में रखा और वह वहाँ रहा।

Chapter 38

1 चार अधिकारी, मत्तान के पुत्र शपत्याह, पशहूर के पुत्र गदल्याह, शेलेम्याह के पुत्र यूकल और मल्किय्याह के पुत्र पशहूर ने सुना कि यिर्मयाह सब लोगों को क्या कह रहा था। 2 वह उन्हें वह बता रहा था जो यहोवा कह रहे थे, “जो कोई यरूशलेम में रहता है वह मर जाएगा। वे अपने शत्रुओं की तलवारों से या अकाल से या बीमारियों से मारे जाएँगे। परन्तु जो लोग बाबेल की सेना को आत्मसमर्पण करते हैं वे जीवित रहेंगे। वे भाग जाएँगे, वे मारे नहीं जाएँगे। 3 यहोवा यह भी कहते हैं कि बाबेल के राजा की सेना निश्चय ही इस नगर को जीत लेगी।”

4 तब वे अधिकारी राजा के पास गए और कहा, “यह मनुष्य, यिर्मयाह मार डाला जाना चाहिए! वह जो कह रहा है, उससे हमारे सैनिकों का साहस टूट रहा है जो शहर में रहते हैं। वह लोगों का साहस भी तोड़ रहा है। वह ऐसी बातें नहीं कह रहा है जिनसे हमारी सहायता हो; वह ऐसी बातें कह रहा है जो हमें पराजित करवाएँगी।”

5 राजा सिदकिय्याह ने कहा, “ठीक है, जो कुछ तुम चाहते हो उसके साथ करो; मेरे पास तुम्हें रोकने का अधिकार नहीं है।”

6 इसलिए उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को उसकी कोठरी से निकाला और उसे रस्सियों से आँगन में एक गड्ढे में उतार दिया। वह गड्ढ़ा मल्किय्याह का था, जो राजा का पुत्र था। उस गड्ढे में पानी नहीं था, परन्तु बहुत सी गीली मिट्टी थी, तो वह मिट्टी में गहरा डूब गया।

7 परन्तु इथियोपिया के एक महल अधिकारी एबेदमेलेक ने किसी से सुना कि यिर्मयाह गड्ढे में है। उस समय राजा बिन्यामीन फाटक में लोगों के मामलों का निर्णय कर रहा था। 8 एबेदमेलेक महल से बाहर गया और राजा से कहा, 9 “हे महामहिम, उन मनुष्यों ने बहुत बुरा कार्य किया है। उन्होंने यिर्मयाह को गड्ढे में डाल दिया है। शहर में लगभग सारा भोजन समाप्त हो गया है, इसलिए कोई भी उसे भोजन नहीं दे पाएगा और जैसा परिणाम यह होगा कि वह भूख से मर जाएगा।”

10 तब राजा ने एबेदमेलेक से कहा, “अपने साथ मेरे तीस लोगों को ले और यिर्मयाह को गड्ढे से बाहर खींच, कि वह मर न जाए!”

11 तब एबेदमेलेक ने उन तीस पुरुषों को लिया; वे महल के उस कमरे के नीचे के कमरे में गए जहाँ लोगों ने वस्तुएँ संग्रहित की थीं। वहाँ उन्होंने कुछ पुराने कपड़ों के चिथड़ों को लिया। और गड्ढे के पास चले गए। उन्होंने उन्हें रस्सी में रखा और रस्सी को मेरे पास उतार दिया। 12 तब एबेदमेलेक ने मुझे पुकार कर कहा, “रस्सी से घायल होने से बचाने के लिए, अपनी बगल के नीचे इन चिथड़ों को रख!” तो यिर्मयाह ने ऐसा ही किया। 13 तब उन्होंने उसे गड्ढे से बाहर खींच लिया। तो वह आँगन में रहा जहाँ महल के सुरक्षाकर्मी थे।

14 एक दिन राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह को बुलाया और उसे राजा के पास लाया गया, जो मन्दिर के प्रवेश द्वार पर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। उसने यिर्मयाह से कहा, “मैं तुझसे कुछ पूछना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि तू मुझसे सच कहे और कुछ भी मत छिपाना।”

15 यिर्मयाह ने उत्तर दिया, “यदि मैं तुझे सच बताता हूँ, तो तू मुझे मार डालने की आज्ञा देगा। और यदि मैं तुझे अच्छी सलाह देता हूँ, तो तू मेरी बात पर ध्यान नहीं देगा।”

16 परन्तु राजा सिदकिय्याह ने गुप्त रूप से उससे प्रतिज्ञा की, “मुझे सच बता! और जैसा निश्चय ही यहोवा जीवित हैं, मैं तुझे मृत्यु दण्ड नहीं दूँगा और उन लोगों के हाथ में भी नहीं डालूँगा जो तुझे मारना चाहते हैं।”

17 तब यिर्मयाह ने सिदकिय्याह से कहा, “स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिनकी इस्राएल आराधना करता है, यह कहते हैं: ‘यदि तू बाबेल के राजा के अधिकारियों को आत्मसमर्पण कर दे, तू और तेरा परिवार को बचाया जाएगा और यह शहर जलाया नहीं जाएगा। 18 परन्तु यदि तू उन्हें आत्मसमर्पण करने से मना करे, तो तू भाग नहीं पाएगा। और बाबेल की सेना इस शहर को जीत लेगी और इसे पूरी तरह जला देगी।’”

19 राजा ने उत्तर दिया, “परन्तु मैं बाबेल के सैनिकों को आत्मसमर्पण करने से डरता हूँ, क्योंकि उनके अधिकारी मुझे यहूदा के लोगों के हाथों में दे सकते हैं जो पहले से ही बाबेल के सैनिकों के साथ हो चुके हैं, और यहूदा के लोग मेरे साथ दुर्व्यवहार करेंगे।”

20 यिर्मयाह ने उत्तर दिया, “यदि तू मेरी बातों को मान कर यहोवा का आज्ञापालन करे, तो वे तुझे हमारे लोगों के हाथों में नहीं देंगे। तेरा भला ही होगा और तू जीवित रहेगा। 21 परन्तु यदि तू आत्मसमर्पण करने से मना करे, तो मैं तुझे बताऊँगा कि यहोवा ने मुझे क्या बताया है। 22 तेरे महल में रहने वाली सब स्त्रियों को बाहर लाया जाएगा और बाबेल के राजा के अधिकारियों को दिया जाएगा। तब वे स्त्रियाँ तुझसे कहेंगी:

     ‘तेरे मित्र थे जिन पर तू ने सोचा था कि तू भरोसा कर सकता है,

         परन्तु उन्होंने तुझे धोखा दिया है और तुझे गलत निर्णय लेने का कारण बना दिया है।

     अब ऐसा लगता है कि तू मिट्टी में फँस गया है,

         और तेरे मित्रों ने तुझे त्याग दिया है।’

23 शहर में से तेरी सब पत्नियों और बच्चों को बाबेल के सैनिकों के पास ले जाया जाएगा, और तू भी बच नहीं पाएगा। बाबेल के राजा के सैनिक तुझे पकड़ लेंगे और वे इस शहर को जला देंगे।”

24 तब सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “किसी को मत बताना कि तू ने मुझे क्या कहा है, यदि तू किसी को बताएगा, तो राजा के अधिकारी तुझे मार सकते हैं। 25 यदि मेरे अधिकारियों को पता चलता है कि मैंने तुझसे बात की है, तो संभव है कि वे तेरे पास आएँगे और कहेंगे, ‘हमें बता कि तू और राजा किस विषय में बात कर रहे थे। यदि तू हमें नहीं बताएगा, तो हम तुझे मार देंगे।’ 26 यदि ऐसा होता है, तो बस उनसे कहना कि तू ने मुझसे विनती की है कि तुझे वापस योनातान के घर में अँधेरे में न भेजे, क्योंकि तू डर गया था कि यदि तू वहाँ फिर से रखा गया तो मर जाएगा।”

27 और यही हुआ। राजा के अधिकारी यिर्मयाह के पास आए और पूछा कि राजा ने उसे क्यों बुलाया था। परन्तु उसने उनसे वही कहा जो राजा ने बताने के लिए कहा था। इसलिए उन्होंने यिर्मयाह से और प्रश्न नहीं पूछा, क्योंकि किसी ने भी नहीं सुना था कि राजा और यिर्मयाह ने एक-दूसरे से क्या बातें की थीं।

28 यिर्मयाह तब तक महल के आँगन में ही रहा, जब तक कि बाबेल की सेना ने यरूशलेम पर अधिकार नहीं कर लिया।

Chapter 39

1 राजा सिदकिय्याह द्वारा लगभग नौ वर्षों तक यहूदा पर शासन करने के बाद राजा नबूकदनेस्सर उस वर्ष के दसवें महीने में अपनी सेना के साथ आया, और उन्होंने यरूशलेम को घेर लिया। 2 डेढ़ वर्ष बाद, सिदकिय्याह के ग्यारहवें वर्ष के चौथे महीने में, बाबेल के सैनिकों ने शहर की दीवार को तोड़ दिया। और शीघ्रता से प्रवेश करके शहर पर अधिकार कर लिया। 3 तब बाबेल के राजा के सब अधिकारी भीतर आए और बीच के फाटक में बैठे कि निर्णय लें कि वे शहर के साथ क्या करेंगे। इनमें राजा का मंत्री नेर्गलसरेसेर, समगर्नबो, सर्सकीम मुख्य प्रशासनिक अधिकारी और अन्य अनेक अधिकारी थे।

4 जब राजा सिदकिय्याह और उसके सब सैनिकों ने देखा कि बाबेल की सेना शहर में घुस गई थी, तो वे भाग गए। वे अंधेरा होने तक प्रतीक्षा करते रहे। तब वे राजा के बगीचे की दो दीवारों के बीच के फाटक से होकर शहर से बाहर चले गए। तब उन्होंने यरदन के किनारे-किनारे मैदान की ओर दौड़ना आरम्भ कर दिया।

5 परन्तु बाबेल के सैनिकों ने राजा का पीछा किया और उन्होंने उसे यरीहो के पास मैदानों में पकड़ लिया। वे उसे बाबेल के राजा के पास ले गए, जो हमात में रिबला में था। वहाँ नबूकदनेस्सर ने अपने सैनिकों से कहा कि उन्हें सिदकिय्याह को दण्ड देने के लिए क्या करना चाहिए। 6 उन्होंने सिदकिय्याह को विवश किया कि देखे जब वे उसके पुत्रों और यहूदा के सब अधिकारियों को मार रहे हैं। 7 तब उन्होंने सिदकिय्याह की आँखों को फोड़ दिया। और उसे पीतल की जंजीरों से बाँध कर बाबेल ले गए।

8 इस बीच, बाबेल की सेना ने महल और यरूशलेम की अन्य सब इमारतों को जला दिया। और उन्होंने शहर की दीवारों को तोड़ दिया। 9 तब राजा के अंगरक्षकों के प्रधानकप्तान नबूजरदान ने उन अन्य लोगों को बाबेल जाने के लिए विवश किया जो शहर में रहते थे और उन यहूदियों को भी जो बाबेल के सैनिकों के साथ हो गये थे। 10 परन्तु उसने बहुत से गरीब लोगों को यहूदा में रहने की अनुमति दी और उन्होंने उन्हें दाख की बारी करने के लिए दाख की बारियाँ और खेत दिए कि उनकी देखभाल करें।

11 राजा नबूकदनेस्सर ने पहले यिर्मयाह को खोजने के लिए रक्षकों के प्रधान, नबूजरदान से कहा। उसने कहा, 12 “सुनिश्चित कर कि कोई भी उसे हानि न पहुँचाए। उसका ध्यान रख और जो भी वह तुझे करने के लिए अनुरोध करता है उसके लिए कर।” 13 इसलिए वह और नबूसजबान, जो उनके मुख्य अधिकारियों में से एक था और राजा के सलाहकार नेर्गलसरेसेर और बाबेल के राजा के अन्य अधिकारियों 14 ने कुछ लोगों को यिर्मयाह को महल के बाहर के आँगन से लाने के लिए भेजा। वे उसे गदल्याह के पास ले गए जो अहीकाम का पुत्र था और शापान का पोता था। तब गदल्याह यिर्मयाह को अपने घर ले गया और वह यहूदा में अपने लोगों के बीच रहा जिन्हें वहाँ रहने की अनुमति थी।

15 परन्तु जब यिर्मयाह को महल के आँगन में अभी भी देखरेख में रखा गया था, तब यहोवा ने उसे यह सन्देश दिया: 16 “इथियोपिया के अधिकारी एबेदमेलेक से यह कह: ‘स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिसकी इस्राएल आराधना करता है, कहते हैं: मैं इस शहर से वह सब करूँगा जिसके लिए मैंने कहा था कि मैं करूँगा मैं लोगों को समृद्धि के योग्य नहीं होने दूँगा, मैं उन पर विपत्तियाँ आने दूँगा और तू यरूशलेम को नष्ट होते देखेगा। 17 परन्तु मैं तुझे उन लोगों से बचाऊँगा जिनसे तू डरता है। मैं यहोवा, तुझसे यह प्रतिज्ञा करता हूँ! 18 तू ने मुझ पर भरोसा किया, इसलिए मैं तुझे बचाऊँगा। तू अपने शत्रुओं की तलवार से नहीं मारा जाएगा। तू जीवित रहेगा। यह निश्चय ही होगा, क्योंकि मैंने, यहोवा ने यह कहा है।’ ”

Chapter 40

1 बाबेल के सैनिकों ने यरूशलेम और यहूदा के अन्य स्थानों से यिर्मयाह और कई अन्य लोगों को पकड़ा। उन्होंने उन्हें बाबेल में ले जाने की योजना बनाई। इसलिए उन्होंने उसकी कलाई को जंजीरों से बाँधा और यरूशलेम के उत्तर में एक शहर रामा ले गए। जब वे वहाँ थे, यिर्मयाह को मुक्त कर दिया गया। और यह ऐसे हुआ है: 2 राजा के रक्षक के प्रधानकप्तान नबूजरदान ने पाया कि यिर्मयाह वहाँ था। उसने यिर्मयाह को बुलाया और उससे कहा, “तेरे परमेश्वर यहोवा ने कहा है कि वह इस देश पर विपत्तियाँ डालेंगे। 3 और अब उन्होंने ऐसा होने का कारण उत्पन्न कर दिया है। उन्होंने वही किया है जो उन्होंने कहा था कि वह करेंगे, क्योंकि तुम लोगों ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया और उनका आज्ञापालन करने से मना कर दिया। 4 परन्तु आज मैं तेरी कलाई से जंजीर खोलने जा रहा हूँ और तुझे छोड़ दूँगा। यदि तू मेरे साथ बाबेल आना चाहता है, तो यह ठीक होगा। मैं तेरी देख-भाल करूँगा। परन्तु यदि तू मेरे साथ नहीं आना चाहता, तो मत आ। यहाँ रह। देख, पूरा देश तेरे सामने है; तू जहाँ भी जाना चाहता है, उस भाग को चुन सकता है। जहाँ भी तू सोचता है कि वह सबसे अच्छा है, तू जा सकता है।” फिर उसने यिर्मयाह की कलाई से जंजीरें खोल दी। 5 उसने कहा, “यदि तू यहाँ रहने का निर्णय लेता है, तो गदल्याह के पास जा। बाबेल के राजा ने उसे यहूदा के अधिकारी के रूप में नियुक्त किया। तुझे उन लोगों के साथ रहने की अनुमति दी जाएगी जो शासन के अधीन है। परन्तु तू जो चाहता है कर सकता है।”

तब नबूजरदान ने यिर्मयाह को कुछ खाना और कुछ पैसे दिए और उसने उसे जाने की अनुमति दी।

6 वह मिस्पा में गदल्याह के पास लौट आया, और वह यहूदा में उन लोगों के साथ रहा जो अभी भी देश में बसे हुए थे।

7 इस्राएली सैनिक जिन्होंने बाबेल की सेना को आत्मसमर्पण नहीं किया था, वे ग्रामीण क्षेत्रों में घूम रहे थे। तब उनके अगुवों ने किसी को यह कहते हुए सुना कि बाबेल के राजा ने गदल्याह को उन गरीब लोगों का अधिकारी नियुक्त किया था जो अभी भी यहूदा में हैं, जिन्हें बाबेल नहीं ले जाया गया है। 8 तब वे मिस्पा में गदल्याह से बात करने गए। इन लोगों में थे; नतन्याह का पुत्र इश्माएल, कनान का पुत्र योहानान और योनातान, तन्हूमेत का पुत्र सरायाह, नतोपावासी एपै के पुत्र और माका के याजन्याह और उनके साथ रहने वाले सैनिक भी थे। 9 गदल्याह ने निष्ठापूर्वक प्रतिज्ञा की कि बाबेल के सैनिक उन्हें हानि नहीं पहुँचाएँगे। उसने कहा, “उनके लिए कार्य करने से डरो मत। इस देश में रहो और बाबेल के राजा के लिए कार्य करो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम्हारा भला ही होगा। 10 जहाँ तक मेरी बात है, मैं यहाँ मिस्पा में रहूँगा और बाबेल के अधिकारियों के लिए तुम्हारा प्रतिनिधि होऊँगा जो हमारे साथ बात करने आएँगे। परन्तु तुमको अपने नगरों में वापस जाना चाहिए, और अपनी भूमि पर उत्पादित वस्तुएँ खाओ। अँगूर और गर्मियों के फल और जैतून को तोड़ो, दाखरस और जैतून का तेल बनाओ और उन्हें भर कर रखो।”

11 तब जो यहूदी लोग मोआब, अम्मोन, एदोम और अन्य आस-पास के देशों से भाग गए थे, उन्होंने लोगों से सुना कि बाबेल के राजा ने कुछ लोगों को यहूदा में रहने की अनुमति दी है और उसने गदल्याह को उनका अधिकारी नियुक्त किया था। 12 इसलिए वे यहूदा लौटने लगे। वे मिस्पा में गदल्याह से बात करने के लिए रुके। तब वे यहूदिया के विभिन्न स्थानों पर गए, और उन्होंने अँगूर और गर्मियों के फलों की एक बड़ी मात्रा में कटाई की।

13 कुछ समय बाद, योहानान और इस्राएली सैनिकों के अन्य सब अगुवों ने जिन्होंने बाबेल की सेना को आत्मसमर्पण नहीं किया था मिस्पा में गदल्याह के पास आए। 14 उन्होंने उससे कहा, “क्या तू जानता है कि अम्मोनियों के राजा बालीस ने नतन्याह के पुत्र इश्माएल को तुझे मारने के लिए भेजा है?” परन्तु गदल्याह ने उनकी बातों पर विश्वास नहीं किया।

15 बाद में योहानान ने गदल्याह से निजी तौर पर बात की। उसने कहा, “मुझे इश्माएल को गुप्त रूप से मारने की अनुमति दे। यह अच्छा नहीं होगा कि उसे यहाँ आने की अनुमति दी जाए और वह तेरी हत्या कर दे, यदि तू मारा गया तो उन सब यहूदियों का क्या होगा जो यहाँ लौट आए हैं? वे बिखर जाएँगे और यहूदा में रहने वाले अन्य लोग मारे जाएँगे!”

16 परन्तु गदल्याह ने योहानान से कहा, “नहीं, मैं तुझे ऐसा करने की अनुमति नहीं दूँगा। मुझे लगता है कि तू इश्माएल के विषय में झूठ बोल रहा है।”

Chapter 41

1 नतन्याह का पुत्र इश्माएल राजा के परिवार का सदस्य था। वह राजा सिदकिय्याह के महत्वपूर्ण अधिकारियों में से एक था। उस वर्ष के सातवें महीने में, वह मिस्पा के पास दस अन्य लोगों के साथ गदल्याह से बात करने के लिए गया। जबकि वे एक साथ खा रहे थे, 2 इश्माएल और अन्य दस लोग कूद गए, और अपनी तलवारों से उन्होंने गदल्याह को मार डाला—वह व्यक्ति जिसे बाबेल के राजा ने अपना अधिकारी नियुक्त किया था! 3 इश्माएल और अन्य मनुष्यों ने उन सब यहूदियों और बाबेल के लोगों को भी मार डाला, जिनके सैनिक मिस्पा में गदल्याह के साथ पाए गए थे।

4 अगले दिन, इससे पहले कि किसी को पता चले कि गदल्याह की हत्या कर दी गई है, 5 शेकेम, शीलो और सामरिया के अस्सी पुरुष मिस्पा में यहोवा के भवन में आराधना करने आए। उन्होंने अपने दाढ़ी मुड़ा दी थी और अपने कपड़े फाड़े और स्वयं को काट दिया कि वे शोक कर रहे थे। वे वेदी पर जलाने के लिए अन्न-बलि और धूप लाए थे। 6 नतन्याह का पुत्र इश्माएल उनसे मिलने के लिए रोता हुआ शहर से बाहर गया। जब वह उन तक पहुँचा, तो उसने कहा, “आओ और देखें कि गदल्याह के साथ क्या हुआ है!”

7 परन्तु जैसे ही उन सब ने शहर में प्रवेश किया, वैसे ही इश्माएल और उसके लोगों ने उनमें से अधिकांश को मार डाला और उनके शवों को गड्ढे में फेंक दिया। 8 उनमें से केवल दस ही थे जिन्हें उन्होंने बचाया था। वे मारे नहीं गए थे क्योंकि उन्होंने इश्माएल से प्रतिज्ञा की थी कि यदि उन्हें जीवित रहने की अनुमति दी जाती है, तो वे उन्हें बहुत सारा गेहूँ और जौ और जैतून का तेल और शहद ला कर देंगे जिसे उन्होंने छिपा कर रखा है। 9 जहाँ इश्माएल के पुरुषों ने उन लोगों के शवों को फेंक दिया था जिनकी उन्होंने हत्या कर दी थी, वह गहरा था जिसे राजा आसा के पुरुषों ने खोदा था कि यदि इस्राएल के राजा बाशा की सेना उन्हें घेर ले तो उन्हें शहर में पानी मिलेगा। इश्माएल के पुरुषों ने उस कुएँ को शवों से भर दिया।

10 तब इश्माएल और उसके लोगों ने राजा की पुत्रियों और कुछ अन्य लोगों को पकड़ लिया जो मिस्पा में रक्षकों के सरदार नबूजरदान द्वारा छोड़े गए थे कि गदल्याह उनकी देखभाल करे। इश्माएल और उसके पुरुषों ने उन लोगों को लिया और अम्मोन क्षेत्र की ओर वापस जाना आरम्भ कर दिया।

11 परन्तु कारेह के पुत्र योहानान और इस्राएली सैनिकों के अन्य सब अगुवे जिन्होंने बाबेल की सेना को आत्मसमर्पण नहीं किया था, इस विषय में सुना कि नतन्याह के पुत्र इश्माएल और उसके लोगों ने क्या किया है। 12 इसलिए वे तुरन्त उन्हें रोकने के लिए अपने सब पुरुषों के साथ गए। उन्होंने गिबोन शहर के पास बड़े कुंड पर उन्हें पकड़ा। 13 जब इश्माएल और उसके पुरुषों द्वारा पकड़े गए, उन सब लोगों ने योहानान और उसके साथ रहने वाले सैनिकों को देखा, तो आनन्द से चिल्लाए। 14 इसलिए मिस्पा में पकड़े गए सब लोग बच निकले, और उन्होंने योहानान की सहायता करना आरम्भ कर दिया। 15 परन्तु नतन्याह का पुत्र इश्माएल और उसके आठ पुरुष भागे और अम्मोन क्षेत्र में चले गए। 16 तब कारेह के पुत्र योहानान और उसके साथ रहने वाले लोगों ने उन सब लोगों को एकत्र किया जिन्हें उन्होंने गिबोन में बचाया था। उनमें सैनिकों और स्त्रियों और बच्चों और राजा के कुछ महल अधिकारी थे। ये सब वे लोग थे जिन्हें इश्माएल और उसके लोगों ने गदल्याह को मारने के बाद पकड़ लिया था। 17 वे उन्हें बैतलहम के पास गेरुत किम्हाम गाँव में ले गए। और वे सब मिस्र जाने के लिए तैयार थे। 18 वे चिन्तित थे कि बाबेल के सैनिक उनके साथ क्या करेंगे जब उन्हें पता चलेगा कि इश्माएल ने गदल्याह को मार डाला है, जिसे बाबेल के राजा ने उनके अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था।

Chapter 42

1 तब कारेह के पुत्र योहानान और होशायाह के पुत्र याजन्याह और इस्राएलियों के सब अगुवों जिन्होंने बाबेल की सेना को आत्मसमर्पण नहीं किया था और कई अन्य लोग, जिनमें महत्वपूर्ण थे और महत्वहीन थे, मेरे पास आए। 2 उन्होंने कहा, “कृपया हमारा अनुरोध सुन और हम सबके लिए हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर। यद्दपि हम पहले बड़ी संख्या में थे, तू देख सकता है कि अब हम केवल कुछ ही लोग हैं जो बच गए हैं। 3 प्रार्थना कर कि हमारे परमेश्वर यहोवा हमें दिखाएँ कि हमें क्या करना चाहिए और हमें कहाँ जाना चाहिए।”

4 मैंने उत्तर दिया, “ठीक है, मैं हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करूँगा, जैसा कि तुमने अनुरोध किया है, और मैं तुम्हें बताऊँगा कि वह क्या कहते हैं। मैं तुम्हें सब कुछ बताऊँगा।”

5 उन्होंने मुझे उत्तर दिया, “हम जानते हैं कि हमारा परमेश्वर यहोवा हमारे विरुद्ध एक विश्वासयोग्य साक्षी होगा यदि वह जो कुछ भी करने के लिए कहते हैं, वह करने से हम मना करते हैं। 6 हम तुझसे अनुरोध करते हैं कि तू हमारे परमेश्वर यहोवा से पूछ कि हमें क्या करना चाहिए। जब वह उत्तर देते हैं, तो हम उनकी आज्ञा मानेंगे, चाहे हमें उनका कहना पसन्द हो या नहीं। हम ऐसा करेंगे क्योंकि हम जानते हैं कि यदि हम उनकी आज्ञा मानेंगे तो हमारा भला ही होगा।”

7 इसलिए मैंने यहोवा से प्रार्थना की और दस दिन बाद उन्होंने मुझे अपना उत्तर दिया। 8 इसलिए मैंने कारेह के पुत्र योहानान और अन्य सब लोगों के अगुवों को बुलाया, जिनमें महत्वपूर्ण और महत्वहीन दोनों थे। 9 मैंने उनसे कहा, “तुमने मुझे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को वह बताने के लिए कहा था जो तुम माँग रहे थे। यही वह है जो उन्होंने उत्तर दिया: 10 ‘तुम्हें इस देश में रहना होगा। यदि तुम ऐसा करते हो, तो मैं तुम्हारे देश को दृढ़ता प्रदान करूँगा और निर्बल नहीं होने दूँगा। मैं तुम्हें समृद्ध होने का कारण दूँगा और फिर निर्वासित नहीं होने दूँगा। मैं उन विपत्तियों को रोकूँगा जिन्हें मैंने तुम पर आने दी थीं। 11 परन्तु अब बाबेल के राजा से मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैं तुम्हें अपनी शक्ति से बचाऊँगा। 12 मैं उसे तुम्हारे प्रति दयालु करके तुम पर दया करूँगा। परिणामस्वरूप, वह तुम्हें अपने देश में रहने की अनुमति देगा।’

13 परन्तु यदि तुम हमारे परमेश्वर यहोवा की आज्ञा मानने से मना करते हो और यदि तुम कहते हो, ‘हम यहाँ नहीं रहेंगे; 14 इसकी अपेक्षा, हम मिस्र जाएँगे। वहाँ हमें युद्ध का अनुभव नहीं होगा, हम अपने सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए संकेत देने वाली तुरही नहीं सुनेंगे और हम भूखे नहीं रहेंगे।’ 15 अब सुनो! तुम लोग जो यहूदा में रहते हो! सुनों कि स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, जिनकी इस्राएल आराधना करता है, वह कहते हैं, ‘यदि तुम मिस्र जाने का दृढ़ संकल्प करते हो, और यदि तुम वहाँ जाते हो और वहाँ रहते हो, 16 तो तुम उन युद्धों और अकालों का अनुभव करोगे जिनसे तुम डरते हो और तुम सब मर जाओगे। 17 यह सब तुम्हारे साथ होगा जो मिस्र जाने और वहाँ रहने के लिए दृढ़ हैं। तुम में से कुछ अपने शत्रुओं की तलवारों से मारे जाएँगे और तुम में से कुछ अकाल और बीमारियों से मर जाएँगे। तुम में से कोई भी विपत्तियों से बच नहीं पाएगा जो मैं तुम पर लाऊँगा।’

18 और स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिनकी इस्राएल आराधना करता है, वह यह भी कहते हैं: ‘क्योंकि मैं बहुत क्रोधित था, इसलिए मैंने यरूशलेम के सब लोगों को कठोर दण्ड दिया। जब तुम मिस्र जाओगे तो मैं वही कार्य करूँगा। परिणाम यह होगा कि लोग तुम्हें श्राप देंगे। वे तुम्हारे साथ जो हुआ है इसके कारण भयभीत होंगे। वे तुम्हारा उपहास करेंगे और तुम इस भूमि को कभी नहीं देख पाओगे।’

19 यहूदा के लोगों का छोटा समूह जो अभी भी जीवित हैं, मेरी बात सुनो: यहोवा ने तुमसे कहा है, ‘मिस्र मत जाओ।’ तुम मत भूलना कि मैंने आज तुमको क्या चेतावनी दी है। 20 जब तुमने हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करने का मुझसे अनुरोध किया और उन्होंने जो भी कहा, उसका पालन करने के लिए तैयार होने का दावा किया, तो तुमने जीवन और मृत्यु की गलती की। 21 इसलिए आज मैंने तुम्हें बताया है कि उन्होंने क्या कहा है, परन्तु मुझे पता है कि अब तुम हमारे परमेश्वर यहोवा की आज्ञा नहीं मानोगे, जैसा कि तुमने पहले उसका पालन नहीं किया है। 22 तुम मिस्र जाना और वहाँ रहना चाहते हो। तो अब, तुम इस विषय में सुनिश्चित हो सकते हो: तुम सब वहाँ मर जाओगे। तुम में से कुछ अपने शत्रुओं की तलवार से मारे जाएँगे और अन्य लोग अकाल से या बीमारियों से मर जाएँगे।”

Chapter 43

1 अतः मैंने लोगों को हमारे परमेश्वर यहोवा का सन्देश सुना दिया। 2 परन्तु फिर कोरह के पुत्र योहानान और होशायाह के पुत्र अजर्याह और कुछ अभिमानी लोगों ने मुझसे कहा, “तू झूठ बोल रहा है! हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें यह नहीं बताया है कि हमें मिस्र नहीं जाना चाहिए! 3 हमें लगता है कि नेरिय्याह के पुत्र बारूक ने तुमसे यह कहने का आग्रह किया है कि यदि हम यहाँ रहें, तो बाबेल के सैनिक हमें पकड़ लें और हमें मार दें या हमें बाबेल ले जाएँ।”

4 तो योहानान और यहूदियों के सैनिकों के अन्य अगुवों और अन्य कई लोगों ने यहूदा में रहने के लिए यहोवा के आदेश का पालन करने से मना कर दिया। 5 योहानान और अन्य सब अगुवों ने उन सब लोगों को एकत्र किया जो अन्य देशों से लौट आए थे, जिनमें वे बिखरे हुए थे। 6 उन्होंने पुरुषों, स्त्रियों, बच्चों, राजा की पुत्रियों और उन सबको साथ लिया जिन्हें नबूजरदान ने गदल्याह के साथ छोड़ा था, और उन्होंने बारूक और मुझे भी लिया। 7 उन्होंने यहोवा की आज्ञा मानने से मना कर दिया, और वे हमें तहपन्हेस शहर तक मिस्र ले गए।

8 जब हम तहपन्हेस में थे, तब यहोवा ने मुझे एक और सन्देश दिया। उन्होंने कहा, 9 “जब यहूदा के लोग तुझे देख रहे हैं, तब कुछ बड़ी चट्टानों को ले और उन्हें तहपन्हेस में राजा के महल के प्रवेश द्वार पर ईंट के चबूतरे के नीचे गाड़ दे। 10 तब यहूदा के लोगों से कह, ‘स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यहोवा, जिसकी इस्राएल आराधना करता है, वह कहते हैं, “मैं बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को जो मेरा कार्य करता है, बुलाऊँगा, कि अपनी सेना को ले कर मिस्र आ जाए। मैं इन पत्थरों पर उसका सिंहासन स्थापित करूँगा जिन्हें गाड़ने के लिए मैंने यिर्मयाह को कहा था। और नबूकदनेस्सर यह दिखाने के लिए वहाँ अपना तम्बू स्थापित करेगा कि वह मिस्र का राजा बन गया है। 11 जब उसकी सेना आती है, तो वे मिस्र पर आक्रमण करेंगे। तब वे जिनके लिए मैंने निर्णय ले लिया है, मर जाएँगे, जिनके लिए मैंने निर्णय लिया है कि तलवारों द्वारा मारे जाएँ वे तलवारों द्वारा मारे जाएँगे। 12 नबूकदनेस्सर के सैनिक मिस्र के देवताओं के मन्दिरों को जला देंगे और उनकी मूर्तियों को स्मृति चिन्ह के रूप में ले जाएँगे। उसकी सेना मिस्र को एक चरवाहे के समान साफ कर देगी, जैसे वह अपने कपड़ों से जूँ साफ करता है और बिना हानि उठाए चली जाएगी। 13 परन्तु वे जाने से पहले, उनके सूर्य देवता के मन्दिर के खम्भे उखाड़ कर फेंक देंगे और मिस्र के झूठे देवताओं के सारे मन्दिरों को जला देंगे।”

Chapter 44

1 यह वह सन्देश है जिसे यहोवा ने मुझे यहूदियों के विषय में बताया जो उत्तरी मिस्र में रहते थे-मिग्दोल, तहपन्हेस और नोप में और दक्षिणी मिस्र के पत्रोस के क्षेत्र में: 2 “मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान जिस परमेश्वर की इस्राएल आराधना करता है, कहता हूँ: तुमने उस विपत्ति को देखा जो मैंने यरूशलेम और यहूदा के अन्य नगरों में लोगों पर डाली थी। ये नगरों अब नष्ट हो गए हैं और निर्जन हो गये 3 ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनके बहुत बुरे होने के कारण मैं उनसे बहुत क्रोधित था। उन्होंने अन्य देवताओं के लिए धूप जलाई और उनकी पूजा की। वे देवता जिन्हें तुम पहले नहीं जानते थे और तुम्हारे पूर्वजों को भी उनके विषय में पता नहीं था। 4 कई बार मैंने अपने भविष्यद्वक्ताओं को भेजा जिन्होंने मेरी सेवा की, उनसे कहने के लिए, ‘ऐसे घृणित कार्य न करो जिनसे मैं घृणा करता हूँ!’ 5 परन्तु मेरे लोगों ने जो कुछ मैंने उनसे कहा, उस पर मेरा ध्यान नहीं दिया। वे अपने दुष्ट व्यवहार से दूर नहीं हुए, या अन्य देवताओं की पूजा करने के लिए धूप जलाना बन्द नहीं किया। 6 इसलिए मैंने उन पर अपने बड़े क्रोध के परिणामों को डाला। मेरा दण्ड यरूशलेम की सड़कों पर और यहूदा के अन्य नगरों पर आग के समान गिरा। उसने उन नगरों को नष्ट कर दिया और खाली कर दिया और वे अभी भी वैसे ही हैं।

7 इसलिए अब, मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, जिन परमेश्वर की आराधना इस्राएल करता है, तुमसे पूछते हैं: आप इन विपत्तियों का अनुभव क्यों कर रहे हो? तुम समझते क्यों नहीं हो कि तुम जो कर रहे हो, उसके कारण शीघ्र ही तुम में से कोई पुरुष या स्त्री या बच्चे नहीं बचेगा जो यहूदा से मिस्र आया हैं? 8 तुम मुझे क्यों उत्तेजित कर रहे हो और मिस्र में जो मूर्तियों तुमने बनाई हैं उनके लिए धूप जलाने के द्वारा बहुत क्रोधित किया है? यदि तुम ऐसा करते रहोगे, तो तुम स्वयं को नष्ट कर दोगे और तुम स्वयं को ऐसा बना लोगे जिन्हें पृथ्‍वी पर सब जातियाँ श्राप देंगी और तुच्छ जानेंगी। 9 क्या तुम भूल गए हो कि मैंने तुम्हारे पूर्वजों को उन दुष्ट कार्यों के लिए दण्ड दिया था, जो उन्होंने किए थे और यहूदा के राजाओं और रानियों को उनके कर्मों का कैसा दण्ड दिया था और तुम्हें और तुम्हारी पत्नियों को भी उन पापों के लिए जो तुमने और यहूदा के अन्य नगरों की सड़कों पर किये थे? 10 इस दिन तक तुमने स्वयं को नम्र नहीं किया है या मुझे सम्मानित नहीं किया है। तुमने उन नियमों और आदेशों का पालन नहीं किया है जिन्हें मैंने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को दिए थे।

11 इस कारण, मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान जिनकी इस्राएल आराधना करता है, कहता हूँ: मैं तुम सबको विपत्तियों में डालूँगा और यहूदा में हर एक का नाश करने का दृढ़ संकल्प लेता हूँ। 12 तुम यहूदा के लोग बच गए जो मिस्र में आने और रहने के लिए दृढ़ थे। तो मैं यहाँ मिस्र में तुम सबको भी नाश करूँगा। तुम में से प्रत्येक जन मर जाएगा, जिसमें महत्वपूर्ण और महत्वहीन दोनों हैं। तुम में से कुछ अपने शत्रुओं की तलवारों से मारे जाएँगे, कुछ अकाल से मर जाएँगे। तुम ऐसे लोग बन जाओगे जिन्हें दूसरे लोग श्राप देंगे, भयभीत होंगे और उपहास करेंगे। 13 मैं तुम्हें यहाँ मिस्र में भी दण्ड दूँगा जैसे मैंने यरूशलेम में दूसरों को दण्ड दिया था, जिनमें से कुछ अपने शत्रुओं की तलवारों से मारे गए थे और कुछ अकाल या बीमारियों से मर गए थे। 14 तुम में से कोई भी जो यहूदा से आया है और अब मिस्र में रहता है, तुम में से कोई भी मिस्र से बचने के किसी भी प्रयास में सफल नहीं होगा, तुम मिस्र में रहते हुए संख्या में नहीं बढोगे, और तुम सक्षम नहीं होगे कि यहूदा लौट जाओ, भले ही तुम यहूदा लौटने की इच्छा रखते हो, फिर भी तुम वहाँ रहने और अपने घर बनाने के लिए वापस नहीं जा सकोगे। तुम में से कोई भी यहूदा लौटने में सक्षम नहीं होगा, केवल तुम में से बहुत कम लोग बचने और ऐसा करने में सफल होंगे।”

15 फिर उन लोगों का एक बड़ा समूह जिन्होंने उत्तरी मिस्र और दक्षिणी मिस्र में रहना आरम्भ किया था, जिसमें सब लोग जानते थे कि उनकी पत्नियाँ अन्य देवताओं के लिए धूप जला रही हैं और वहाँ उपस्थित सब स्त्रियों ने मुझसे कहा: 16 “तू कह रहा है कि यहोवा ने तुझे सन्देश दिए हैं, परन्तु हम तेरे सन्देशों पर ध्यान नहीं देंगे! 17 हम निश्चय ही वह सब कुछ करेंगे जो हमने कहा था कि हम करेंगे। हम स्वर्ग की रानी, हमारी देवी अशेरा की उपासना करने के लिए धूप जलाएँगे और हम उसके लिए दाखमधु चढ़ाएँगे, जैसे हम और हमारे पूर्वजों और हमारे राजाओं और उनके अधिकारियों ने सदा यरूशलेम और अन्य नगरों की सड़कों पर किया है यहूदा के नगरों में उस समय, हमारे पास बहुत सारा भोजन था और हम समृद्ध थे और हमें कोई चिन्ता नहीं थी। 18 परन्तु जब से हमने स्वर्ग की रानी को धूप जलाने और दाखमधु की भेंट चढ़ाना बन्द किया, तब से हम पर कई संकट आए और हमारे कुछ लोग हमारे शत्रुओं द्वारा मारे गए या भूख से मर गए।”

19 और स्त्रियों ने कहा, “इसके अतिरिक्त, हमने धूप जलाया और स्वर्ग की रानी को दाखमधु चढ़ाई और हमने उसे चढ़ाने के लिए उसकी मूर्ति के समान आटे के छोटे पुतले भी बनाए। परन्तु हमारे पति निश्चय ही जानते थे कि हम क्या कर रहे थे और उन्होंने इसको स्वीकार किया!”

20 तब मैंने उन सब पुरुषों और स्त्रियों से कहा जिन्होंने मुझे उत्तर दिया था, 21 “ऐसा मत सोचो कि यहोवा नहीं जानते थे कि तुम और तुम्हारे पूर्वज, तुम्हारे राजाओं और उनके अधिकारियों और यहूदा के अन्य सब लोग यरूशलेम और यहूदा के अन्य नगरों की सड़कों में मूर्तियों की उपासना करने के लिए धूप जला रहे थे! उन्हें इसके विषय में सब पता था! 22 ऐसा इसलिए था क्योंकि यहोवा अब तुम्हारे बुरे कर्मों और घृणित कार्यों को सहन नहीं कर सकते थे, उन्होंने तुम्हारे देश को ऐसा स्थान बना दिया जिसका नाम ले कर लोग किसी को श्राप देते हैं, एक देश जो नष्ट हो गया है और जिसमें कोई नहीं रहता है और तुम्हारा देश अभी भी ऐसा ही है। 23 ऐसा इसलिए है क्योंकि तुमने मूर्तियों की उपासना करने के लिए धूप जलाई और यहोवा के विरुद्ध अन्य पाप किए जिसके कारण तुम पर वे सब विपत्तियाँ आ पड़ी थीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तुमने उनका आज्ञापालन नहीं किया है या उनके नियमों और आदेशों और आज्ञाओं का पालन नहीं किया है।”

24 तब यिर्मयाह ने उन सबसे कहा, स्त्रियों से भी, “यहूदा के सब लोग जो मिस्र में हैं, इस सन्देश को यहोवा से सुनें। 25 स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, जिन परमेश्वर की इस्राएल आराधना करता है, वह पुरुषों से कहते हैं: ‘तुम और तुम्हारी पत्नियों ने कहा है कि तुमने जो प्रतिज्ञा है वही करते रहोगे, कि जिसे तुम स्वर्ग की रानी कहते हो, उस देवी को धूप जलाओगे और दाखमधु डालोगे और तुमने अपने कार्यों से सिद्ध कर दिया है कि तुम्हारे मन में ऐसा करते रहने की इच्छा है। अतः चलो, ऐसा करते रहो, जैसी तुमने प्रतिज्ञा की है।’

26 परन्तु अब, यहूदा के सब लोग जो अब मिस्र में रह रहे हैं, इस सन्देश को यहोवा से सुनें। वह कहते हैं, ‘मैंने अपने महान नाम को ले कर गम्भीर घोषणा की है, कि शीघ्र ही मिस्र में रहने वाले यहूदा के तुम लोगों में से कोई भी मेरा नाम नहीं लेगा। तुम में से कोई भी नहीं होगा, जब तुम गम्भीरता से कुछ करने का प्रतिज्ञा करते हो, तो कभी भी यह कहें कि, “मैं निश्चय ही ऐसा करूँगा जैसे यहोवा जीवित हैं।” 27 क्योंकि मैं देखता रहूँगा कि तुम्हारे साथ कभी अच्छा न हो वरन् तुम्हारा बुरा ही हो, तुम्हारी हानि ही हो। इस समय यहूदा के लोग जो यहाँ मिस्र में है, उनमें से हर एक जन शत्रुओं की तलवारों से या अकाल से मरेगा जब तक कि तुम सब समाप्त नहीं हो जाते हो। 28 तुम में से केवल कुछ तलवार से नहीं मारे जाएँगे और यहूदा लौट पाएँगे। जब ऐसा होगा, तब जो लोग मिस्र आए थे वे जानेंगे कि किसके शब्द सच थे, उनके या मेरे।’

29 और यहोवा यह भी कहते हैं, ‘मैं ऐसा कुछ करूँगा जो तुम्हारे लिए सिद्ध करेगा कि जो कुछ मैंने कहा है वह होगा, और मैं तुम्हें इस स्थान में दण्ड दूँगा। 30 मैं मिस्र के राजा होफरा को उसके शत्रुओं के हाथों पकड़वा दूँगा, जो उसे मारना चाहते हैं, जैसे मैंने यहूदा के राजा सिदकिय्याह को बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के सैनिकों द्वारा पकड़ा था।”

Chapter 45

1 राजा योशिय्याह के पुत्र यहोयाकीम के राज्य के लगभग चौथे वर्ष में, नेरिय्याह के पुत्र बारूक ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता द्वारा लिखाए गए सब सन्देश लिख लिए थे। यिर्मयाह ने एक सन्देश दिया और उसने कहा, 2 “इस्राएल के परमेश्वर के पास, बारूक, तेरे लिए एक सन्देश है। 3 तू ने कहा है, ‘मेरे साथ भयानक घटनाएँ हो रही हैं! मैंने पहले से ही बहुत कष्ट उठाया है। और अब यहोवा ने मुझे कष्टों के अतिरिक्त, बहुत दुखी होने का कारण भी कर दिया है। मैं अपने कराहने से थक गया हूँ और मैं विश्राम करने में असमर्थ हूँ!’

4 परन्तु बारूक, यहोवा यही कहते हैं: ‘मैं इस देश को जिसे मैंने स्थापित किया है, नष्ट कर दूँगा। यह देश एक पेड़ के समान है जिसे मैंने लगाया और अब मैं इसे जड़ समेत उखाड़ दूँगा। 5 तो, क्या तू चाहता है कि लोग तुझे विशेष सम्मान देने के लिए कार्य करें? ऐसी इच्छा मत रख। यह सच है कि मैं इन सब लोगों पर एक भयानक विपत्ति डालूँगा, परन्तु जहाँ भी तू जाएगा, मैं तेरी रक्षा करूँगा और तू मारा नहीं जाएगा।’”

Chapter 46

1 ये वे सन्देश हैं जिन्हें यहोवा ने अन्य राष्ट्रों के विषय में यिर्मयाह को दिए थे।

2 राजा योशिय्याह के पुत्र यहोयाकीम के लगभग चार वर्षों तक यहूदा पर शासन करने के बाद, मिस्र के विषय में यह सन्देश यहोवा ने मुझे दिया। यह तब हुआ जब मिस्र के राजा नको की सेना फरात नदी के किनारे कर्कमीश में बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर की सेना से पराजित हुई थी।

यही वह है जो यहोवा ने कहा: “मिस्र की सेना के अधिकारी अपने सैनिकों से कह रहे हैं,

     3 ‘अपनी छोटी और बड़ी ढाल तैयार करो

         और युद्ध में लड़ने के लिए बाहर चलो!

     4 अपने घोड़ों पर काठी कसो,

         और उनकी पीठ पर चढ़ जाओ।

     युद्ध के लिए अपनी स्थिति लो;

         अपना टोप पहनो।

     अपने भाले को तेज करो,

         और अपने कवच पहन लो!’

     5 परन्तु मैं क्या देखता हूँ?

         मैं देखता हूँ कि मिस्र के सैनिक भयभीत होकर भाग रहे हैं।

     यहाँ तक कि उनके सबसे वीर यौद्धा भी भाग रहे हैं,

         वे मुड़ कर पीछे भी नहीं देखते!

     मैं यहोवा, कहता हूँ कि उनके सैनिक चारों ओर से भयभीत होंगे!

     6 यहाँ तक कि सबसे तेज दौड़ने वाले भी भागने का प्रयास करेंगे,

         परन्तु उनके योद्धाओं में जो सबसे महान है, वह भी नहीं बचेगा।

     उत्तर में, फरात नदी के किनारे,

         वे लड़खड़ाकर गिर जाएँगे।

     7 यह कौन सा समूह है जो भूमि को ढाँक रहा है

         जैसे नील नदी का पानी बाढ़ के समय भूमि को ढाँक लेता है और उसकी लहरें उमड़ती हैं?

     8 यह मिस्र की सेना है

         जो भूमि को बढ़ती हुई बाढ़ के समान ढाँक रही होगी,

     और वे गर्व करेंगे कि वे पृथ्वी को ढाँक देंगे

         और शहरों को और उन लोगों को नष्ट कर दोगे जो उनमें रहते हैं।

     9 हे घोड़ों के सवारों, युद्ध करो!

         हे रथों के चालकों, एक पागल व्यक्ति के समान रथ दौड़ाओ!

     हे इथियोपिया और लूबी के योद्धाओं

         जो अपनी-अपनी ढाल उठाते हो,

     लूदिया के योद्धाओं

         जो तीर चलाते हो,

     तुम सब आओ!

     10 परन्तु, तुमको यह जानना होगा कि यह वह दिन है जब मैं, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यहोवा, अपने शत्रुओं से बदला लूँगा।

     मेरी तलवार से मैं अपने शत्रुओं को तब तक मारूँगा जब तक कि मैं संतुष्ट न हो जाऊँ;

         मेरी तलवार खून पीने वाले एक राक्षस के समान होगी जो पशुओं को मार कर उनका खून को पीती है जब तक कि वह और प्यासा न हो।

     शत्रु सैनिक जो उत्तर में फरात नदी के तट पर मारे जाएँगे

         वे मेरे लिए स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, प्रभु यहोवा के लिए बलिदान के समान होगा।

     11 तुम मिस्र के निर्दोष लोग,

         दवा प्राप्त करने के लिए गिलाद के क्षेत्र में जाओ;

     परन्तु यह व्यर्थ होगा कि उन सब दवाओं को लो;

         तुम ठीक नहीं होगे।

     12 अन्य राष्ट्रों में लोग सुनेंगे कि तुमको कैसे अपमानित किया गया है।

         धरती पर लोग तुम्हें विलाप करते सुनेंगे।

     तुम्हारे शक्तिशाली योद्धा एक-दूसरे से ठोकर खाते हैं

         और वे सब एक साथ गिर जाते हैं।”

13 तब यहोवा ने राजा नबूकदनेस्सर के विषय में यिर्मयाह को यह सन्देश दिया जब उसने अपनी सेना के साथ मिस्र पर आक्रमण करने की योजना बनाई:

     14 “सम्पूर्ण मिस्र में इस सन्देश को ऊँचे शब्द में सुनाओ!

         इसे मिग्दोल, नोप और तहपन्हेस के शहरों में भी घोषित कर!

     ‘युद्ध के लिए अपनी स्थिति में हो जाओ;

         अपने आपको बचाने के लिए तैयार हो जाओ,

         क्योंकि तुम्हारे आस-पास हर किसी को मार दिया जाएगा।’

     15 जिन लोगों की शक्ति पर तुम भरोसा करते हो, वे क्यों गिर गए?

     वे खड़े नहीं हो सकते हैं,

         क्योंकि यहोवा उन्हें मार गिराएँगे।

     16 अन्य देशों के सैनिक एक-दूसरे से ठोकर खा कर गिरेंगे,

         और फिर वे एक-दूसरे से कहेंगे,

     “आओ उठो और अपने ही लोगों में, अपनी भूमि पर वापस चलो।

         हम अपने शत्रुओं की तलवार से दूर हो जाएँ।”

     17 मिस्र में वे कहेंगे,

         “मिस्र का राजा जोर से बात करता है,

         परन्तु जब हमारी सेना के पास हमारे शत्रुओं को हराने का अवसर था तब वे असफल हो गए।”

     18 मैं, राजा, जिसे स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान यहोवा कहा जाता है,

         यह कहता हूँ:

     ‘निश्चय ही जैसे मैं जीवित हूँ, मिस्र की सेना के विरुद्ध लड़ने के लिए एक सेना आ रही है।

         वे बहुत ही शक्तिशाली होगी,

         जैसे कि वे ताबोर पर्वत के समान ऊँची,

         या भूमध्य सागर के समीप कर्मेल पर्वत के समान ऊँची।

     19 तुम सब लोग जो मिस्र में रहते हो,

         अपनी सम्पत्ति बाँधो और निकलने ले लिए तैयार रहो।

     नोप नष्ट हो जाएगा;

         यह खण्डहर हो जाएगा, और कोई भी लोग वहाँ नहीं रहेंगे।

     20 मिस्र एक सुन्दर युवा गाय के समान है,

         परन्तु पूर्वोत्तर से एक शक्तिशाली राजा निश्चय ही आक्रमण करने के लिए आ रहा है

         जैसे एक मक्खी गाय को काटती है।

     21 मिस्र के किराए पर रखे गए सैनिक मिस्र के पैसे के कारण मोटे बछड़ों के समान हैं;

         परन्तु वे भी मुड़ कर भाग जाते हैं;

     वे वहाँ खड़े रह कर नहीं लड़ेंगे,

         क्योंकि यह एक ऐसा दिन होगा जब मिस्र के लिए एक बड़ी विपत्ति आएगी,

         वह दिन जब उनके लोगों को बहुत दण्ड दिया जाएगा।

     22 मिस्र के सैनिक भाग जाएँगे,

         जैसे एक साँप चुप चाप से फिसल कर निकलता है।

     शत्रु की सेना आगे बढ़ेगी;

         वे अपनी कुल्हाड़ियाँ लिए हुए आगे बढ़ेंगे

         पेड़ों को काटने वाले पुरुषों के समान।

     23 मैं यहोवा, कहता हूँ कि वे मिस्र के सैनिकों को मार डालेंगे

         जैसे कि वे जंगल से पेड़ों को काट रहे थे,

         क्योंकि शत्रु सैनिक टिड्डियों के झुण्ड के समान असंख्य होंगे।

     24 मिस्र के लोगों को अपमानित किया जाएगा;

         उन पर पूर्वोत्तर के लोगों द्वारा विजय प्राप्त की जाएगी।’

25 मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, जिस परमेश्वर की आराधना इस्राएली करते हैं, यह कहता हूँ, ‘मैं आमोन को दण्ड दूँगा, जिस देवता की नगर के लोग उपासना करते हैं और मिस्र के अन्य सब देवताओं को दण्ड दूँगा। मैं मिस्र के राजा को और उन सबको जो उस पर भरोसा करते हैं, दण्ड दूँगा। 26 मैं उनको उन लोगों के हाथों पकड़वा दूँगा जो उन्हें मार डालना चाहते हैं—बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर और उसके सेना के अधिकारी। परन्तु कई वर्षों बाद, लोग मिस्र में फिर से रहेंगे। यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।’

     27 परन्तु तुम इस्राएल के लोग जो मेरी सेवा करते हो,

         इस समय निराश मत हो,

     क्योंकि एक दिन मैं तुमको दूर के स्थानों से वापस लाऊँगा;

         मैं तुम्हारे वंशजों को उस देश से लाऊँगा जहाँ उन्हें निर्वासित किया गया था।

         तब तुम इस्राएली लोग फिर से शान्तिपूर्वक और सुरक्षित रहोगे,

         और तुम्हें भयभीत करने के लिए कोई राष्ट्र नहीं होगा।

     28 मैं यहोवा, तुम इस्राएल के लोगों से कहता हूँ जो मेरी सेवा करते हैं,

     ‘डरो मत,

         क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।

     मैं उन राष्ट्रों को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा जिनके बीच मैंने तुम्हें बिखराया है,

         परन्तु मैं पूरी तरह से तुमसे छुटकारा नहीं पाऊँगा।

     मैं तुम्हें दण्ड दूँगा, परन्तु मैं तुम्हें उतना ही दण्ड दूँगा जिसके तुम योग्य हो:

         यदि मैंने तुम्हें बिलकुल दण्ड नहीं दिया तो यह गलत होगा।’ ”

Chapter 47

1 यहोवा ने पलिश्ती लोगों के विषय में यिर्मयाह को एक सन्देश दिया। यह सन्देश उस समय दिया गया था जब मिस्र की सेना ने पलिश्तियों के गाजा शहर को जीत लिया था।

2 यहोवा ने यही कहा:

     “पूर्वोत्तर से एक सेना आ रही है

         जो बाढ़ के समान भूमि को ढाँक लेगी।

     वे उस देश को और उसका सब कुछ नष्ट कर देंगे;

         वे लोगों और शहरों को नष्ट कर देंगे।

     लोग सहायता के लिए चिल्लाएँगे;

         और देश में हर कोई शोक में विलाप करेगा।

     3 वे शत्रु के घोड़ों की टापों की आवाज सुनेंगे,

         और वे अपने शत्रुओं के रथों के पहियों की गड़गड़ाहट सुनेंगे।

     पुरुष भाग जाएँगे;

         वे अपने बच्चों की सहायता करने के लिए नहीं रुकेंगे परन्तु

         पूरी तरह से निर्बल और असहाय होगा।

     4 यह पलिश्त के सब लोगों को नष्ट करने का समय होगा,

         और शेष सैनिकों को सोर और सीदोन के शहरों में रहने वाले लोगों की सहायता करने में सक्षम होने से रोकने का समय।

     मैं, यहोवा, पलिश्त के लोगों को नष्ट कर दूँगा,

         जिनके पूर्वज बहुत पहले क्रेते द्वीप से आए थे।

     5 गाजा के लोग अपमानित होंगे;

         वे अपने सिरों को मुँड़वा लेंगे कि उनकी लज्जा का संकेत हो।

     अश्कलोन शहर के लोग चुप रहेंगे क्योंकि वे शोक करेंगे।

     तुम सब जो भूमध्य सागर के तट पर रहते हो जो अभी भी जीवित हैं,

         तुम कब तक शोक के कारण शरीर को काटते पीटते रहोगे?”

     6 पलिश्ती के लोग कहते हैं, “हे यहोवा, आप हमारे शत्रुओं से कब कहेंगे कि हमें मारना बन्द करें?

         उन्हें अपनी तलवार म्यान में रखने के लिए कहें और उन्हें वहीं रहने दें!”

     7 परन्तु उनकी तलवारों के लिए वहाँ रहना सही नहीं होगा,

         क्योंकि यहोवा ने उनके शत्रुओं को आज्ञा दी है कि कुछ और भी करें;

     यहोवा अश्कलोन और समुद्र तट के अन्य शहरों में रहने वाले सब लोगों पर आक्रमण करने के लिए उनसे कहने की इच्छा रखते हैं।

Chapter 48

1 यह मोआब के विषय में एक सन्देश है। यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, जिनकी इस्राएल आराधना करता है, वह कहते हैं,

     “नबो शहर के लिए भयानक घटनाएँ होंगी;

         वह शीघ्र ही नष्ट हो जाएगा।

     किर्यातैम शहर लज्जित होगा। यह गिर गया है!

         संरक्षित किले नष्ट हो जाएँगे और इसके लोग लज्जित हो जाएँगे।

     2 कोई भी मोआब के विषय में घमण्ड नहीं करेगा;

         मोआब के शत्रु राजधानी शहर, हेशबोन को नष्ट करने की योजना बनाएँगे।

         वे कहेंगे, ‘आओ, हम मोआब को अब राष्ट्र बना रहने न दें।’

     तुम भी, मदमेन! तुम भी चुप किए जाओगे;

         शत्रु सेना तुम्हें मारने के लिए तुम्हारा पीछा करेंगी।

     3 होरोनैम के लोगों को चिल्लाते हुए सुनो;

         वे विलाप कर रहे होंगे क्योंकि उनका शहर पूरी तरह नष्ट हो गया है।

     4 मोआब पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा;

         यहाँ तक कि छोटे बच्चे भी जोर से रोएँगे।

     5 वे फूट-फूट कर रोएँगे

         जब वे लूहीत पहाड़ी पर चढ़ रहे होंगे।

     अन्य लोग होरोनैम के मार्ग पर विलाप करेंगे।

         वे बहुत दुखी थे क्योंकि उनका शहर पूरी तरह नष्ट हो गया था।

     6 कोई उन्हें कहेगा, ‘भागो!

         रेगिस्तान में छिप जाओ!’

     7 परन्तु तुमने उस पर भरोसा किया क्योंकि तुम धनवान और शक्तिशाली थे, कि तुम सुरक्षित रहोगे;

         अतः तुम बन्दी बना लिए जाओगे।

     तुम्हारा देवता कमोश और उसके सब पुजारी और अधिकारी

         दूर के देशों में ले जाए जाएँगे।

     8 मोआब के सब नगर नष्ट हो जाएँगे;

         उनमें से कोई भी नहीं बचेगा।

     घाटियों और पठार पर सब शहर नष्ट हो जाएँगे,

         क्योंकि यहोवा ने कहा है कि ऐसा होगा।

     9 किसी को मोआब के सब लोगों को भागने में सहायता करनी चाहिए,

         कि उनकी भूमि खाली हो जाए,

         कि कोई भी उसमें रह न सके।”

     10 यहोवा किसी को भी दण्ड दें जो उत्सुकता से वह नहीं करेगा जो वह चाहते हैं;

         वह मोआब में लोगों को मारने के लिए जो भी अपनी तलवार का उपयोग करने से रुकेगा उस व्यक्ति को यहोवा श्राप दें।

     11 मोआब के लोग सदा सुरक्षित अनुभव करते हैं;

         वे कभी निर्वासित नहीं किए गए हैं।

     वे दाखमधु के समान हैं जो एक अच्छे पात्र में कई दिनों तक हाथ लगाए बिना छोड़ दी गई थी कि उसका स्वाद अच्छा हो जाए,

     अतः अब उसकी सुगन्ध अच्छी है,

         और उसका स्वाद भी अच्छा है।

     12 परन्तु यहोवा कहते हैं कि ऐसा समय आएगा जब वह शत्रुओं को उस पर आक्रमण करने के लिए भेज देंगे;

     वे मोआब के लोगों को ऐसा नाश करेंगे जैसे लोग भूमि पर दाखमधु डाल देते हैं

         और फिर दाखमधु का पात्र तोड़ देते हैं।

     13 तब मोआब के लोग अपने देवता कमोश से लज्जित होंगे कि उन्होंने उस पर भरोसा किया था, क्योंकि उससे उनको सहायता नहीं मिली थी,

         जैसे इस्राएली लोग लज्जित थे क्योंकि बेतेल में उनके सोने के बछड़े की मूर्ति चूर-चूर कर दी गई थी।

     14 मोआब के सैनिकों ने पहले कहा था, “हम योद्धा हैं;

         हम युद्धों में वीरता से लड़े हैं!”

     15 परन्तु अब हमारे राजा, जिन्हें स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा कहा जाता है, कहते हैं कि मोआब देश और उसके सारे नगर नष्ट हो जाएँगे।

         उनके श्रेष्ठ युवा पुरुषों की हत्या कर दी जाएगी।

     16 मोआब शीघ्र ही नष्ट हो जाएगा।

         वे शीघ्र ही विपत्तियों से घिर जाएँगे।

     17 तुम लोग जो मोआब के पास के राष्ट्रों में रहते हो,

         जो जानते हैं कि वह बहुत प्रसिद्ध है,

     तुम्हें मोआब के लिए शोक करना चाहिए,

     और कहना चाहिए, “इसकी भव्य शक्ति पूरी तरह समाप्त हो गई है।”

     18 तुम दीबोन शहर के लोग, सम्मानित होने के कारण गर्व महसूस करते हो,

         धूल में बैठो जहाँ तुम्हें पानी के लिए प्यास लगेगी,

     क्योंकि मोआब में अन्य स्थानों को नष्ट करने वाले लोग तुम्हारे शहर पर आक्रमण करेंगे

         और तुम्हारे किले नष्ट कर देंगे।

     19 तुम अरोएर शहर के लोग,

         मार्ग पर खड़े हो जाओ और देखो।

     उन पुरुषों और स्त्रियों से चिल्ला कर पूछो, जो मोआब से भाग रहे होंगे,

         “वहाँ क्या हुआ है?”

     20 वे उत्तर देंगे,

         “मोआब नष्ट हो गया है और हम अपमानित हैं!”

     तो रोओ और विलाप करो।

         आमोन को सुनाओ कि मोआब नष्ट हो गया है।

     21 यहोवा मोआब के नगरों को दण्ड दे रहे हैं जो पठार पर हैं:

         होलोन और यहस और मेपात,

         22 दीबोन और नबो और बेतदिबलातैम,

         23 किर्यातैम और बेतगामूल और बेतमोन,

         24 करिय्योत और बोस्रा।

         वह उन शहरों को दण्ड दे रहे हैं जो एक-दूसरे के निकट हैं और एक दूसरे के निकट के शहरों से दूर हैं।

     25 यहोवा कहते हैं, “मोआब की शक्ति समाप्त हो जाएगी;

         ऐसा लगता है कि यह एक टूटी हुई भुजा होगी।

     26 तुम मोआब के लोगों ने सोचा कि तुम मुझसे विद्रोह करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली थे;

         तो अब मैं तुम्हें दाखमधु पिये हुए लोगों के समान लड़खड़ा दूँगा।

     तुम मोआब के लोग अपनी ही उल्टी में लौटोगे

         और ठट्ठे के पात्र होगे।

     27 क्या तुमने इस्राएल के लोगों का उपहास नहीं किया था?

     यद्यपि वे चोर थे, वे कभी पकड़े नहीं गए थे,

         तुमने सिर हिला-हिला कर उनका उपहास किया,

     और उन्हें तुच्छ जाना था?

     28 तुम मोआब में रहने वाले लोग,

         तुम्हें अपने नगरों को खाली करके गुफाओं में जा कर रहना होगा।

     कबूतरों के समान बनना होगा जो गुफाओं के प्रवेश द्वार में अपने घोंसले बनाते हैं।”

     29 हम सब ने सुना है कि मोआब के लोग बहुत गर्व करते हैं;

         वे बहुत घमण्डी और अभिमानी हैं।

     30 परन्तु यहोवा कहते हैं, “मैं इसके विषय में जानता हूँ,

         परन्तु उनके लिए घमण्ड करना व्यर्थ है

         क्योंकि यह कुछ भी पूरा नहीं करेगा।

     31 तो अब मैं मोआब के लिए विलाप करूँगा;

         मैं उसके सब लोगों के विषय में रोऊँगा कि वे जीवित रहने के लिए सहायता पा सकें।

         मैं मोआब की पुरानी राजधानी कीरहेरेस शहर के लोगों के लिए भी विलाप करूँगा।

     32 सिबमा शहर के लोगों, तुम्हारे पास बहुत सी दाख की बारियाँ हैं, और जब वे नष्ट हो जाएँगी तो मैं दुखी होऊँगा।

         ऐसा लगता है कि तुम्हारी दाखलताओं की शाखाएँ मृत सागर में याजेर शहर में फैली हुई हैं, परन्तु मोआब के शत्रु तुम्हारे अँगूर और दाखमधु ले लेंगे!

     33 परन्तु अब मोआब में कोई भी आनन्दित या मगन नहीं होगा;

         गर्मियों में पके हुए तुम्हारे फल और अँगूर शीघ्र ही नष्ट हो जाएँगे।

     दाख के कुंड से अँगूर का रस नहीं आएगा,

         तो कोई दाखमधु नहीं होगी।

     लोग आनन्द से नहीं चिल्लाएँगे

         जब वे अँगूरों को रौंदते हैं;

     लोग चिल्लाएँगे,

         परन्तु वे आनन्द से नहीं।

     34 इसकी अपेक्षा, उनकी चिल्लाहट का स्वर हेशबोन शहर से एलाले शहर और यहस गाँव तक जाएगी,

         सोअर शहर से होरोनैम एग्लत-शलीशिया शहर तक।

     यहाँ तक कि निम्रीम की धारा में पानी सूख जाएगा।

     35 मैं यहोवा, कहता हूँ कि मैं उन लोगों का नाश कर दूँगा,

         जो अपने देवताओं के लिए धूप जलाते हैं।

     36 मैं मोआब के लोगों और कीरहेरेस के लिए विलाप करता हूँ

         जैसे किसी ने बाँसुरी पर अंतिम संस्कार का गीत बजाया है,

         क्योंकि उनकी सारी सम्पत्ति लोप हो जाएगी।

     37 पुरुष अपने सिर और दाढ़ी मुँड़ाएँगे क्योंकि वे शोक कर रहे हैं।

         वे सब अपने हाथों को चीर लेंगे और अपने कमर पर टाट पहनेंगे।

     38 मोआब में हर घर और नगर के बाजारों में लोग शोक करेंगे,

         क्योंकि मैं मोआब को नष्ट कर दूँगा

         जैसे किसी ने एक पुराने पात्र को तोड़ दिया है जिसे कोई भी अब और नहीं चाहता है।

     39 मोआब पूरी तरह से भय के साथ बिखर जाएगा!

         और तुम लोगों को ऊँचे स्वर से विलाप करते सुनोगे!

     वे अपमानित होंगे।

         मोआब एक ऐसा राष्ट्र बन जाएगा जिसका लोग ठट्ठा करते हैं।

     आस-पास के देशों के लोग इस विषय में डरेंगे कि वहाँ क्या हुआ है।

40 यही वह है, जो मैं यहोवा कहता हूँ:

     ‘देखो! मोआब पर उसके शत्रु झपट रहे होंगे

         जैसे उकाब किसी जानवर को घात करने को झपटता है।

     41 इसके शहरों पर अधिकार कर लिया जाएगा,

         इसके किले ले लिए जाएँगे।

     यहाँ तक कि उनके योद्धा डरेंगे,

         जैसे एक ऐसी स्त्री के समान जो जन्म देने वाली है।

     42 मोआब ने मुझ, यहोवा के सामने घमण्ड किया है,

         तो वह नष्ट हो जाएगा।

     43 मैं यहोवा, कहता हूँ कि तुम, मोआब के लोग डर जाओगे और गड्ढे और जाल में गिर जाओगे।

     44 जो डरते हैं और भागने का प्रयास करते हैं वे गहरे गड्ढे में गिर जाएँगे।

         जो कोई भी गड्ढे से निकलता है वह जाल में फँस जाएगा,

     क्योंकि मैंने जो समय नियुक्त किया है, उस समय मैं उन्हें दण्ड दूँगा।’

     45 लोग हेशबोन शहर तक भाग जाएँगे,

         परन्तु वे आगे नहीं जा पाएँगे,

     क्योंकि हेशबोन में आग जलेगी,

         यह वह शहर है जहाँ राजा सीहोन बहुत पहले रहता था,

     और वह मोआब के सब लोगों को जला देगी

         जिन्होंने शोर करते हुए घमण्ड किया।

     46 तुम मोआब के लोग, भयानक घटनाएँ तुम्हारे साथ घटित होंगी!

         तुम लोग जो आपने देवता कमोश की उपासना करते हो, तुम नष्ट हो जाओगे।

     तुम्हारे पुत्र और तुम्हारी पुत्रियों को पकड़ा जाएगा और दूसरे देशों में ले जाया जाएगा।

     47 परन्तु एक दिन, मैं मोआब के लोगों को फिर से उनके देश लौटने में सक्षम करूँगा।

         यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

यिर्मयाह ने मोआब के विषय में भविष्यद्वाणी की उसका यह अन्त है।

Chapter 49

1 यह सन्देश उन लोगों के विषय में है जो अम्मोन के वंशज हैं। यहोवा यह कहते हैं:

     “बहुत सारे इस्राएली लोग चले गए हैं

         कि गाद के गोत्र की भूमि पर अधिकार करें।

     तो, मोलेक की उपासना करने वाले लोग उन शहरों में क्यों रह रहे हैं?

     2 ऐसा समय आएगा जब मैं युद्ध की पुकार करूँगा

         उनकी राजधानी रब्बा पर आक्रमण करने के लिए।

     फिर यह खण्डहरों का ढेर बन जाएगा,

         और आस-पास के सब शहरों को जला दिया जाएगा।

     तब इस्राएल के लोग फिर से उस देश पर अधिकार कर लेंगे

         जिसे अम्मोनियों ने उनसे ले लिया।

     3 तुम हेशबोन शहर के लोगों विलाप करो,

         क्योंकि आई शहर नष्ट हो जाएगा।

     रब्बा शहर की स्त्रियों, रोओ;

         टाट के कपड़े पहन कर अपना शोक प्रकट करो;

     शहर की दीवारों के भीतर कोलाहल में आगे पीछे भागो,

         क्योंकि तुमने मोलेक, उसके पुजारियों और अधिकारियों के साथ, निर्वासन में ले जाया जाएगा।

     4 तुम अपनी अत्याधिक उपजाऊ घाटियों के विषय में घमण्ड करते हो,

     परन्तु वे शीघ्र ही उजाड़ दी जाएँगी,

     तुम विद्रोही लोग, तुमने अपनी धन-सम्पत्ति पर भरोसा रखा है

     और तुमने कहा, “निश्चय ही कोई सेना हम पर आक्रमण नहीं कर पाएगी”,

     5 परन्तु यह सुनो: मैं, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यहोवा,

         तुम्हारे लिए भय का कारण उत्पन्न करूँगा

     तुम सबको अपने आस-पास के शत्रुओं के कारण अन्य देशों में भागने के लिए विवश होना पड़ेगा।

         और कोई भी तुम्हें फिर से एक साथ लाने में सक्षम नहीं होगा।

     6 परन्तु एक दिन मैं अम्मोनियों को उनके देश लौटने में सक्षम करूँगा।

         यह निश्चय ही होगा, क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

7 यह सन्देश एदोम के लोगों के विषय में है। यही वह है जो स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यहोवा, कहते हैं:

     “ऐसा लगता है कि एदोम के तेमान क्षेत्र में अब कोई भी बुद्धिमान लोग नहीं रहे हैं!

         कोई भी नहीं बचा है जो दूसरों को अच्छी सलाह दे सकता है।

         बुद्धिमान लोग नहीं रहे।

     8 तुम एदोम के दक्षिण में ददान शहर के लोग,

         मुड़ कर भागो और गहरी गुफाओं में छिप जाओ,

     क्योंकि मैं एदोम के सब लोगों पर विपत्तियाँ लाने वाला हूँ,

         मैं तुम्हें दण्ड दूँगा!

     9 जो अँगूर तोड़ते हैं

         वे सदा ही दाखलताओं पर कुछ छोड़ देते हैं।

     जब चोर रात में आते हैं,

         वे निश्चय ही उतना ही चुराते हैं जितना वे चाहते हैं।

     10 परन्तु मैं एदोम में सब कुछ नष्ट कर दूँगा, और कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा,

         और लोगों को छिपाने के लिए कोई स्थान नहीं होगा।

     कई बच्चे, उनके सम्बन्धी और पड़ोसी मर जाएँगे,

         और एदोम का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

     11 अनाथों को पीछे छोड़ दो क्योंकि मैं उनका ध्यान रखूँगा,

         और विधवाएँ भी सहायता के लिए मुझ पर निर्भर रहेंगी।”

12 और यह भी है जो यहोवा कहते हैं: “यदि जो पीड़ितों के योग्य नहीं वे पीड़ित होते हैं, तो तुम एदोम के लोगों को और अधिक भुगतना करना होगा! तुम दण्ड पाने से बच नहीं पाओगे। 13 मैं यहोवा, मैं अपने नाम का उपयोग करके निष्ठापूर्वक प्रतिज्ञा करता हूँ, कि तुम्हारा मुख्य शहर बोस्रा एक ऐसा स्थान बन जाएगा जहाँ लोग भयभीत होंगे। यह खण्डहर का ढेर होगा। लोग इसका उपहास करेंगे और लोगों को श्राप देते समय इसका नाम लेंगे। पास के सब नगरों और गाँवों को सदा के लिए नष्ट कर दिया जाएगा।”

14 मैंने यह सन्देश यहोवा से सुना है:

     “मैंने कई देशों में एक राजदूत भेजा है,

         उनसे कहने के लिए कि एदोम पर आक्रमण करने के लिए इकट्ठा करने के लिए एकजुट हो जाओ।

         उन्हें युद्ध के लिए तैयार होना चाहिए!”

15 और यहोवा एदोम के लोगों से कहते हैं,

     “मैं तुम्हारे देश को अन्य देशों में बहुत ही महत्वहीन बना दूँगा।

         वे सब तुम्हारे देश को तुच्छ मानेंगे।

     16 तुमने अन्य राष्ट्रों के लोगों को भयभीत किया है,

         और तुम बहुत घमण्डी रहे हो,

         परन्तु तुमने स्वयं को धोखा दिया है।

     तुम चट्टानों की गुफाओं में रहते हो;

         तुम सोचते हो कि तुम वहाँ सुरक्षित हो क्योंकि तुम वहाँ ऊँचे पर रहते हो।

     परन्तु तुम अपने घरों को उकाब के घोंसलों जितना ऊँचा ही क्यों न बना लो,

         मैं तुम्हें गिरा कर चकना चूर कर दूँगा।

     17 एदोम एक ऐसा स्थान हो जाएगा जिसके विषय में लोग भयभीत होंगे;

         उसके पास से निकलने वाले लोग डर कर लम्बी साँसे लेंगे

         जब वे उसका विनाश देखेंगे।

     18 एदोम पूरी तरह से सदोम और गमोरा के समान नष्ट हो जाएगा और आस-पास के शहरों को बहुत पहले नष्ट कर दिया गया है।

         परिणामस्वरूप, कोई भी नहीं - एक भी व्यक्ति नहीं—जो कभी वहाँ रहेगा।

     19 मैं एदोम के पास अकस्मात ही आ जाऊँगा जैसे शेर जंगल से निकलता है

         और अच्छे चारागाहों में चर रही भेड़ों पर छलांग लगाता है।

     मैं एदोम के लोगों को शीघ्र ही उनके देश से खदेड़ दूँगा।

         और फिर मैं उनके लिए एक अगुवा नियुक्त करूँगा जिसे मैं चुनूँगा;

     मैं ऐसा कर सकता हूँ क्योंकि मेरे जैसा कोई नहीं है जो मेरे द्वारा किए गए कार्यों पर आपत्ति उठाए।

         कोई शासक मेरा विरोध नहीं कर सकता।

     20 सुनों कि मैंने तेमान और बाकी के एदोम के लोगों के साथ क्या करने की योजना बनाई है:

     यहाँ तक कि छोटे बच्चों को भी घसीट कर ले जाया जाएगा,

         और मैं वहाँ रहने वाले लोगों का सर्वनाश करूँगा।

     21 जब एदोम नष्ट होगा, तब शोर बहुत बड़ा होगा,

         परिणामस्वरूप पृथ्‍वी हिल जाएगी,

     और लोगों का विलाप लाल सागर तक सुनाई देगा।

     22 देखो! शत्रु सैनिक बोस्रा पर झपटेंगे

         एक उकाब के समान अपने पंख फैलाते हुए जब वह किसी पशु को पकड़ने के लिए झपटता है।

     उस दिन, एदोम के सबसे शक्तिशाली योद्धा भी डरेंगे

         एक ऐसी स्त्री के समान जो जन्म देने वाली है।”

23 यह सन्देश दमिश्क के विषय में है। यहोवा यही कहते हैं:

     “हमात और अर्पाद के आस-पास के शहरों में लोग लज्जित होंगे,

         क्योंकि उन्होंने दमिश्क के विषय में बुरा समाचार सुना है।

     वे बहुत चिन्तित और व्याकुल हैं,

     जैसे एक बड़े तूफान में समुद्र होता है।

     24 दमिश्क के लोग बहुत बलहीन हो गए हैं,

         और वे सब भयभीत हो गए और भय में भाग गए।

     लोग पीड़ित हैं और कष्ट में हैं

         जैसा जन्म देने वाली एक स्त्री अनुभव करती है।

     25 वह प्रसिद्ध शहर जिससे मैं पहले प्रसन्न था, मनुष्यों से रहित हो जाएगा।

     26 उसके युवा लोग मार्गों में गिरेंगे।

         इसके सैनिक सब एक ही दिन में मारे जाएँगे।

     27 और मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, दमिश्क के चारों ओर की दीवारों को जलाने के लिए आग लगाऊँगा,

         और राजा बेन्हदद के महलों को जला दिया जाएगा।”

28 यह केदार लोगों और हासोर के राज्य के विषय में एक सन्देश है कि बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर का आक्रमण होने वाला है। यहोवा ने कहा है:

     “मैं एक सेना को केदार पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ाऊँगा

         और यहूदा के पूर्व में रहने वाले लोगों को नष्ट करवा दूँगा।

     29 शत्रु उनके तम्बू और भेड़-बकरियों को पकड़ लेंगे।

         उनके तम्बुओं के पर्दे, उनके ऊँट, और उनकी सारी धन-सम्पत्ति ले ली जाएगी।

     हर जगह लोग चिल्लाएँगे,

         ‘हम भयभीत हैं क्योंकि हमारे चारों ओर भयानक घटनाएँ हो रही हैं!’

     30 इसलिए मैं, यहोवा, कहता हूँ, ‘शीघ्र भाग जाओ!

         तुम लोग जो हासोर में रहते हो, जा कर गहरी गुफाओं में छिप जाओ,

     क्योंकि बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर अपनी सेना के साथ तुम पर आक्रमण करना चाहता है;

         वह तुमको नष्ट करने की योजना बना रहा है!

     31 परन्तु मैं नबूकदनेस्सर से कहता हूँ,

     ‘जा और उस देश पर आक्रमण कर जिनके लोग सुरक्षित अनुभव करते हैं;

         उनके पास ऐसे सहयोगी नहीं हैं जो उनकी सहायता करेंगे और उनके पास सलाखों के फाटकों वाली दीवारें भी नहीं हैं।

     32 तेरे सैनिक उनके ऊँट और अन्य पशुधन ले लेंगे।

         मैं उन लोगों को हर दिशा में तितर-बितर कर दूँगा और वे बड़े शोक में होंगे।

     मैं उन पर हर दिशा से विपत्तियाँ लाऊँगा।

     33 हासोर एक ऐसा स्थान बन जाएगा जहाँ सियार रहते हैं,

         और यह सदा के लिए त्याग दिया जाएगा।

     कोई भी वहाँ फिर से नहीं रहेगा;

         वहाँ कोई भी नहीं बसेगा।’”

34 यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने यह सन्देश यहोवा से उस समय प्राप्त किया जब राजा सिदकिय्याह ने यहूदा पर शासन करना आरम्भ किया।

35 यही वह है जो यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, कहते हैं:

     “एलाम के लोग प्रसिद्ध धनुर्धारी हैं;

         इस प्रकार उन्होंने अपने देश को बहुत शक्तिशाली बना दिया है।

     परन्तु मैं उनको नाश कर दूँगा।

     36 मैं उनके शत्रुओं को हर दिशा से लाऊँगा

         और वे उन सब दिशाओं में ही एलाम के लोगों को तितर-बितर करेंगे।

     एलाम के लोग पृथ्‍वी पर हर देश में निर्वासित हो जाएँगे।

     37 क्योंकि मैं एलाम के लोगों से बहुत क्रोधित हूँ,

         मैं उनके शत्रुओं को सक्षम करूँगा कि वे एलाम को चकना चूर कर दें;

         मैं एलाम के लोगों पर बड़ी विपत्तियाँ डालूँगा।

     मैं उनके शत्रुओं को प्रेरित करूँगा, जो उन्हें मारना चाहते हैं, कि उनका पीछा करके उन्हें तलवार से मारें

         जब तक कि मैं उनका सर्वनाश न करवा दूँ।

     38 मैं यहोवा, उनका न्याय करूँगा,

         और फिर मैं उनके राजा और उसके अधिकारियों का नाश कर दूँगा।

     39 परन्तु एक दिन, मैं एलाम के लोगों को अपनी भूमि पर लौट आने में सक्षम करूँगा।

         यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

Chapter 50

1 यहोवा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को बाबेल और बाबेल देश के विषय में एक सन्देश दिया।

2 यहोवा यही कहते हैं:

     “सब राष्ट्रों के बीच एक सन्देश की घोषणा कर;

         इसमें से कुछ भी मत छिपा;

     संकेत का झण्डा उठा

         यह घोषणा करने के लिए कि बाबेल पर अधिकार कर लिया जाएगा।

     इसका मुख्य देवता मरोदक, जिसका दूसरा नाम बेल है, पूरी तरह से अपमानित होगा,

         और अन्य सब मूर्तियों और प्रतिमाओं को चकना चूर किया जाएगा।

     3 एक राष्ट्र की सेना उत्तर से आकर बाबेल पर आक्रमण करेगी

         और शहर को पूरा का पूरा नष्ट कर देगी,

     परिणाम यह होगा कि कोई भी वहाँ फिर से नहीं रहेगा।

         लोग और पशु दोनों भाग जाएँगे।”

     4 “परन्तु मैं, यहोवा, कहता हूँ कि भविष्य में, जब ऐसा होने वाला है,

         इस्राएल के लोग और यहूदा के लोग एक साथ होकर।

     रोएँगे

         और अपने परमेश्वर, मेरी आराधना करना चाहेंगे।

     5 वे यरूशलेम के मार्गों के विषय में पूछेंगे,

         और फिर वे उसकी ओर यात्रा करना आरम्भ कर देंगे।

     वे एक-दूसरे से कहेंगे,

         ‘हमें यहोवा के पास लौट जाना चाहिए!’

         वे मेरे साथ एक अनन्त वाचा बाँधेंगे जिसे वे कभी नहीं भूलेंगे।

     6 मेरे लोग खोई हुई भेड़ के समान हैं।

         उनके अगुवों ने उन्हें छोड़ दिया है

         ऐसे चरवाहों के समान जिन्होंने अपनी भेड़ों को पहाड़ियों और पर्वतों में भटकने के लिए छोड़ दिया है।

     मेरे लोग भेड़ों के समान हैं

         जो भेड़शाला लौटने का मार्ग नहीं जानती हैं।

     7 उनके सब शत्रु जिन्होंने उन्हें पाया उन पर आक्रमण किया।

         उन्होंने कहा, ‘हमने उन पर आक्रमण करके पाप नहीं किया,

     क्योंकि उन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया;

         वही तो हैं जो उनकी आवश्यकताएँ पूरी करते हैं;

     वही तो हैं जिनका उन्हें निष्ठावान बने रहना चाहिए था;

         वही तो हैं जिनसे उनके पूर्वजों ने आत्मविश्वास से सहायता करने की आशा बाँधी थी।’

     8 परन्तु अब, मैं अपने लोगों के अगुवों से कहता हूँ, ‘बाबेल से निकल जाओ!

         बाबेल देश छोड़ दो!

     उन बकरों के समान व्यवहार करो जो झुण्ड के आगे-आगे चलते हैं;

         मेरे लोगों को अपने देश में ले जाने की अगुवाई करो।

     9 ऐसा करो क्योंकि मैं बाबेल के उत्तर से महान राष्ट्रों की एक सेना एकत्र करने जा रहा हूँ।

         वे बाबेल पर आक्रमण करने के लिए एकजुट होंगी और जीत लेंगी।

     उनके तीर कुशल योद्धाओं के होंगे

         जो सदा अपने लक्ष्य पर मरते हैं।

     10 बाबेल पर विजय प्राप्त की जाएगी,

         और जो उसे जीतते हैं वे जो कुछ भी चाहते हैं उसे ले जाएँगे।

         यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।’”

     11 “तुम बाबेल के लोगों जिन्होंने मेरे चुने हुए लोगों को लूट लिया,

         इस समय तुम बहुत आनन्दित हो।

     तुम घास के मैदान में एक बछड़े के समान आनन्द से कूदते हो,

         और एक घोड़े के समान आनन्दित हो जब वह हिनहिनाता है।

     12 परन्तु शीघ्र ही तेरे लोग जीत लिए जाने के कारण बहुत अपमानित होंगे।

         तेरा देश सबसे महत्वहीन देश होगा;

         यह जंगल, शुष्क भूमि और रेगिस्तानी मैदान होगा।

     13 क्योंकि मैं यहोवा, बाबेल के लोगों से क्रोधित हूँ,

         मैं तुम्हारे शहर को पूरी तरह से निर्जन कर दूँगा।

     जो उसके पास से निकलेंगे वे भयभीत होंगे

         और उसके विनाश के कारण वे लम्बी साँसे लेंगे।

     14 बाबेल के चारों ओर की सब जातियों, तुम

         उस पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो जाओ!

     अपने धनुर्धारियों से कहो कि उनके शत्रुओं पर तीर चलाएँ;

         उन पर अपने सब तीर चलाओ, एक भी मत रोकना,

         क्योंकि बाबेल के लोगों ने मुझ यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।

     15 शहर के चारों ओर से बाबेल के लिए युद्ध की ललकार करो।

         बाबेल के सैनिक आत्मसमर्पण करेंगे;

         गुम्मटों और दीवारों को तोड़ दिया जाएगा।

     मैं यहोवा, बाबेल के लोगों से बदला ले रहा हूँ,

         और मैं बदला लेने के लिए तुम्हें कार्य में लूँगा।

         बाबेल के लोगों के साथ वही करो जो उन्होंने दूसरों के साथ किया है!

     16 फसल उगाने वालों को बाबेल से दूर ले जाओ

         और जो उपज काटते हैं उन्हें भी!

     बाबेल पर आक्रमण करने वालों के द्वारा उठाई गई तलवारों के कारण,

         अन्य देशों से बाबेल में आए लोगों को

         सबको भाग जाना चाहिए; उन्हें अपने-अपने देशों में लौट जाना चाहिए।”

     17 “इस्राएली लोग भेड़ों के समान हैं

         जो शेरों द्वारा तितर-बितर कर दी गई हैं।

     पहले अश्शूर के राजा की सेना ने उन्हें पराजित किया।

         तब बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर की सेना ने उन्हें चकना चूर कर दिया।

18 इस प्रकार मैं, यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, जिस परमेश्वर की इस्राएली आराधना करते है, कहता हूँ:

     ‘अब मैं बाबेल के राजा और उसके देश के लोगों को दण्ड दूँगा,

         जैसे मैंने अश्शूर के राजा को दण्ड दिया था।

     19 और मैं इस्राएल के लोगों को अपने देश वापस लाऊँगा

         जहाँ वे कर्मेल और बाशान के क्षेत्रों के खेतों में उगने वाली फसल को खाएँगे,

     और एप्रैम और गिलाद के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोग जितना चाहेंगे उतना भोजन पाएँगे।

     20 उस समय, इस्राएल में और यहूदा में ऐसे लोग नहीं होंगे जो पाप करने के अब भी दोषी हैं,

         क्योंकि मैं उन लोगों के छोटे समूह को क्षमा कर दूँगा जिन्हें मैं अब तक जीवित रखूँगा।’”

     21 “इसलिए, मैं यहोवा, बाबेल के शत्रुओं से कहता हूँ, ‘मरातैम के क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर

         और बाबेल के पकोद के क्षेत्र में लोगों पर आक्रमण करो।

     उन्हें मारने के लिए उनका पीछा करो और उनमें से प्रत्येक को पूरी तरह से नाश कर दो,

         जैसा कि मैंने तुम्हें करने का आदेश दिया है।

     22 पूरे देश में युद्ध की ललकार करो;

         चिल्लाओ जब तुम महान विनाश कर रहे हो।

     23 बाबेल की सेना पृथ्‍वी पर सबसे शक्तिशाली हथौड़े के समान है,

         परन्तु वह पूरी तरह से बिखर जाएगा।

     बाबेल अन्य राष्ट्रों में भाग जाएगा।’

     24 बाबेल के लोगों, सुनो,

         क्योंकि मैंने तुम्हारे जाने बिना तुम्हारे लिए फन्दा लगाया है;

     तुम उस फन्दे में पकड़े जाओगे,

         क्योंकि तुमने मेरे विरुद्ध युद्ध किया था।

     25 ऐसा लगता है कि मैंने वह स्थान खोला है जहाँ मैं हथियारों को संग्रहित करता हूँ,

         और मैंने सब हथियार निकाल लिए हैं

         उन लोगों के विरुद्ध उपयोग करने के लिए जिनके साथ मैं क्रोधित हूँ।

     मुझ, यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान के पास करने के लिए बहुत कार्य है,

         बाबेल के लोगों को दण्ड देने के लिए।

     26 अतः, तुम बाबेल के शत्रु, दूर के देशों से आओ और उस पर आक्रमण करो।

         उन स्थानों को तोड़ कर खोल दो जहाँ वे अनाज एकत्र करते हैं,

         और मलबे का ऐसा ढेर लगा दो जैसे अनाज का ढेर।

     सब कुछ पूरी तरह से नष्ट कर दो;

         ऐसा कुछ न छोड़ो जो नष्ट नहीं किया गया है।

     27 उन सब युवा योद्धाओं को नष्ट करो जो बैल के समान शक्तिशाली हैं;

         उन्हें वहाँ ले जाओ जहाँ तुम उन्हें मार दोगे।

     यह उनके लिए भयानक होगा,

         क्योंकि वह उनके दण्ड का समय होगा।

     28 उन लोगों को सुनो जो भाग गए हैं और बाबेल से बच निकले हैं

         जब वे यरूशलेम में बताते हैं कि मैं, यहोवा ने उन लोगों से बदला लिया है जिन्होंने यरूशलेम में मेरा भवन नष्ट किया था।

     29 बाबेल पर आक्रमण करने के लिए धनुर्धारियों को बुलाओ;

         शहर को घेर लो

         कि कोई भी बच कर न जाए।

     बाबेल के लोगों के साथ वही करो जो उन्होंने दूसरों के साथ किया है,

         क्योंकि उन्होंने मुझे, इस्राएली लोगों के पवित्र को अपमानित किया है।

     30 बाबेल के युवा लोग सड़कों पर गिरेंगे;

         उनके सब सैनिक एक दिन में मारे जाएँगे। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि मैंने, यहोवा ने इसे घोषित कर दिया है!

     31 मैं, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यहोवा, यह कहता हूँ:

         ‘तुम अभिमानी लोगों,

     अब समय आ गया है;

         यह वह दिन है जब मैं तुम्हें दण्ड दूँगा।

     32 तुम्हारा देश घमण्डियों से भरा है,

         परन्तु तुम ठोकर खा कर गिरोगे,

     और कोई भी तुम्हें फिर से नहीं उठाएगा।

     मैं बाबेल के शहरों में आग लगा दूँगा

         जो आस-पास की हर वस्तु को जला देगी।’

33 मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं का प्रधान, यह भी कहता हूँ:

     ‘इस्राएल और यहूदा के लोगों का दमन किया गया था;

         जिन्होंने उन्हें पकड़ लिया उन्होंने उन्हें सावधानी से चौकसी में रखा और उन्हें बाबेल छोड़ने की अनुमति नहीं दी।

     34 परन्तु यहोवा शक्तिशाली हैं, और वह उन्हें मुक्त कर देंगे।

         यहोवा स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान हैं;

     वह अपने लोगों की रक्षा करेंगे

         और उन्हें अपनी भूमि पर लौटने में सक्षम करते हैं जहाँ उन्हें शान्ति मिलेगी,

     परन्तु बाबेल के लोगों को शान्ति नहीं मिलेगी।

     35 वह बाबेल के लोगों पर आक्रमण करने के लिए तलवार चलाने वाले शत्रु सैनिक भेजेंगे;

         वे अधिकारियों और बुद्धिमान पुरुषों पर आक्रमण करेंगे

         और बाबेल में रहने वाले अन्य सब लोगों पर।

     36 वे उनके झूठे भविष्यद्वक्ताओं को तलवार से मार देंगे

         और वे मूर्ख बन जाएँगे।

     वे बाबेल के सबसे शक्तिशाली योद्धाओं पर आक्रमण करेंगे,

         और वे सब डर जाएँगे।

     37 वे उनके घोड़ों और रथों पर आक्रमण करेंगे

         और भाड़े के विदेशी सैनिक जो बाबेल की सेना में हैं,

         और वे सब स्त्रियों के समान निर्बल हो जाएँगे।

     वे बाबेल में सब मूल्यवान वस्तुएँ ले लेंगे

         और उन्हें दूर ले जाएँगे।

     38 यहोवा धाराओं को शुष्क कर देंगे।

     वह उन सब कार्यों को करेंगे क्योंकि बाबेल देश मूर्तियों से भरा है,

         और उन भयानक मूर्तियों ने उन लोगों को जो उनकी उपासना करते हैं उन्हें बुद्धिहीन कर दिया है।

     39 शीघ्र ही वहाँ केवल सियार और अन्य जंगली पशु रहेंगे;

         और वह एक ऐसा स्थान होगा जहाँ शुतुर्मुर्ग रहते हैं।

     लोग वहाँ कभी नहीं रहेंगे;

         वह मनुष्यों के निवास योग्य कभी नहीं रहेगा।

     40 यहोवा परमेश्वर बाबेल को नष्ट कर देंगे जैसे उन्होंने सदोम और गमोरा और आस-पास के नगरों को नष्ट कर दिया;

         कोई भी वहाँ कभी नहीं रहेगा।

     41 देखो! उत्तर से एक बड़ी सेना आएगी।

         बाबेल के लोगों तुम पर आक्रमण करने के लिए कई राजाओं के साथ बहुत दूर से एक महान राष्ट्र हमले की तैयारी कर रहा है।

     42 उनकी सेना के पास धनुष और तीर और भाले हैं;

         वे बहुत क्रूर हैं, और किसी पर दया नहीं करते हैं।

     जब वे अपने घोड़ों पर सवारी करते हैं,

         घोड़ों की टापों की आवाज समुद्र की लहरों की गर्जन के समान है;

     वे युद्ध गठन में सवारी कर रहे हैं

         तुम पर आक्रमण करने के लिए, तुम बाबेल के लोगों पर।

     43 बाबेल के राजा ने उनका समाचार सुना,

     “शत्रु आ रहा है।”

         तो वह डर गया और निर्बल हो गया।

     डर और पीड़ा ने उसे पकड़ लिया,

         एक ऐसी स्त्री के समान जो बच्चे को जन्म दे रही है।”

     44 मैं यहोवा, बाबेल के पास आऊँगा जैसे शेर जंगल से निकलता है

         और अच्छे चारागाह खाने में चरने वाली भेड़ों पर छलांग लगाता है।

     मैं शीघ्र ही उनके देश से बाबेल के लोगों का पीछा करूँगा।

         और फिर मैं उनके लिए एक अगुवा नियुक्त करूँगा जिसे मैं चुनूँगा;

     मैं ऐसा करूँगा क्योंकि मेरे जैसा कोई नहीं है जो कह सकता है कि मैंने जो किया है वह सही नहीं है।

         कोई शासक मेरा विरोध नहीं कर सकता।

     45 सुनों कि मैंने बाबेल शहर और शेष बाबेल के लोगों के साथ क्या करने की योजना बनाई है:

     यहाँ तक कि छोटे बच्चों को भी घसीटा जाएगा,

         और मैं वहाँ रहने वाले लोगों को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा।

     46 जब बाबेल नष्ट हो जाए, तो शोर बहुत जोर का होगा,

         परिणाम यह होगा कि पृथ्‍वी हिल जाएगी,

     और लोगों की चिल्लाहट अन्य राष्ट्रों के लोगों द्वारा सुनाई जाएगी।’”

Chapter 51

1 यहोवा यही कहते हैं:

     “मैं एक शक्तिशाली हवा के समान बाबेल को नष्ट करने के लिए एक सेना को प्रेरित करूँगा,

         और लेबकामै में बाबेल के लोगों को भी नष्ट करने के लिए।

     2 मैं बाबेल को नष्ट करने के लिए एक विदेशी सेना भेजूँगा

         एक तेज हवा के समान जो भूसी को उड़ाती है।

     विपत्ति के उस दिन

         वे हर दिशा से आक्रमण करेंगे

     3 मैं उनसे कहूँगा, ‘बाबेल के धनुर्धारियों को अपने कवच पहनने या धनुष पर तीर चढ़ाने का समय न दे।

     बाबेल के युवाओं को मत छोड़ो।

         उनकी सेना को पूरी तरह से नष्ट कर दो।’

     4 बाबेल में उनके सैनिक मर जाएँगे;

         सड़कों पर भालों से छेदे जाने के बाद वे मर जाएँगे।

     5 मुझ यहोवा ने जो स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, जिनकी आराधना इस्राएल करता है, इस्राएल और यहूदा को त्याग नहीं दिया है।

         भले ही उनका देश उन लोगों से भरा था जो इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के विरुद्ध पाप करते थे,

         मैं अब भी उनका परमेश्वर हूँ।

     6 तुम इस्राएल और यहूदा के लोगों बाबेल से भाग जाओ!

         बचने के लिए भागो!

     वहाँ मत रहो कि जब बाबेल के लोगों को दण्ड दिया जाए तो मारे न जाओ!

     वह समय होगा जब यहोवा बदला लेंगे;

         वह उन लोगों के साथ वैसा ही करेंगे जिसके वे योग्य हैं।

     7 बाबेल यहोवा के हाथ में एक सोने का कटोरा है, ऐसा कटोरा जो दाखमधु से भरा हुआ है

         जिसने पूरे पृथ्‍वी पर लोगों को नशे में कर दिया जिन्होंने उसमें से थोड़ा भी पिया।

     ऐसा लगता है कि राष्ट्रों के शासकों ने बाबेल से दाखमधु पी ली,

         और यह उनके पागल बनने का कारण हो गया।

     8 परन्तु बाबेल पर अकस्मात ही विजय प्राप्त की जाएगी।

         अपने लोगों के लिए रोओ!

     उन्हें उनके घावों के लिए दवा दो;

         संभव है कि वे ठीक हो जाएँ।”

     9 हम विदेशियों ने उन्हें ठीक करने का प्रयास किया,

         परन्तु अब वे ठीक नहीं हो सकते हैं।

     तो हम उनकी सहायता करने का प्रयास नहीं करेंगे; हम उन्हें छोड़ देंगे,

         और अपने देशों में लौट आएँगे,

     क्योंकि ऐसा लगता है कि वे जो दण्ड भोग रहे हैं वह आकाश में बादलों तक पहुँचता है;

         यह बहुत अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप कोई भी इसका आँकलन नहीं कर सकता है।

     10 यहोवा ने हमें निर्दोष ठहराया है;

         इसलिए आओ हम यरूशलेम में हमारे परमेश्वर यहोवा के उन सब कार्यों का प्रचार करें जो उन्होंने हमारे लिए किया है।

     11 तुम शत्रु के सैनिकों, अपने तीरों को पैना करो!

         युद्ध के लिए अपने तरकशों को भर लो,

     क्योंकि यहोवा ने तुम्हारे मादी और फारस के राजाओं को उकसाया है कि सेना ले कर बाबेल पर चढ़ाई करें और उसे नष्ट कर दें।

         इसी प्रकार यहोवा उन विदेशियों से इसी प्रकार बदला लेंगे जिन्होंने यरूशलेम में उनके भवन में प्रवेश करके उसे अशुद्ध कर दिया था।

     12 बाबेल की दीवारों के निकट युद्ध का झण्डा फहराओ!

         चौकसी करने वालों की संख्या बढ़ाकर दृढ़ बनों,

     और पहरेदारों को अपनी स्थिति में खड़े होने के लिए कहो!

     अकस्मात आक्रमण करने की तैयारी करो,

         क्योंकि यहोवा बाबेल के लोगों के साथ जो कुछ भी करने की योजना बना रहे हैं, उसे पूरा करने वाले हैं।

     13 बाबेल महान फरात नदी के पास एक शहर है,

         एक शहर जिसमें कई समृद्ध लोग हैं,

     परन्तु बाबेल के अन्त होने का समय है;

         शहर के अस्तित्व का समय समाप्त हो गया है।

     14 मैं यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान ने अपने नाम का उपयोग करके, निष्ठापूर्वक प्रतिज्ञा की है,

     “तुम्हारे शहर शत्रुओं से भरे जाएँगे;

         मैं उन्हें टिड्डियों के झुण्ड के समान करूँगा;

         और जब वे तुम्हारे शहर को जीतते हैं तो वे विजयी नारा लगाएँगे।”

     15 यहोवा ने अपनी शक्ति से पृथ्‍वी बनाई;

         उन्होंने इसे अपनी बुद्धि से स्थापित किया,

         और उन्होंने अपनी समझ से आकाश को फैलाया।

     16 जब वह जोर से बोलते हैं, तब आकाश में गर्जन होता है;

         वह बादलों को पृथ्‍वी के हर भाग में बनाने का कारण बनता है।

     वह वर्षा के साथ बिजली भेजते हैं

         और हवाओं को अपने भण्डारगृहों से मुक्त करते हैं।

     17 लोग एक पशु के समान मूर्ख हैं, और वे बहुत कम जानते हैं;

     जो मूर्तियाँ बनाते हैं वे सदा निराश होते हैं,

         क्योंकि उनकी मूर्तियाँ उनके लिए कुछ भी नहीं करती हैं।

     वे जो मूर्तियाँ बनाते हैं वे वास्तविक परमेश्वर नहीं हैं;

         वे निर्जीव हैं।

     18 मूर्तियाँ निकम्मी हैं; वे उपहास करने के योग्य हैं;

         एक ऐसा समय होगा जब वे सब नष्ट हो जाएँगी।

     19 परन्तु इस्राएल के परमेश्वर उन मूर्तियों के समान नहीं है;

         वह हैं जिन्होंने सब कुछ बनाया है;

     हम, इस्राएल के गोत्र, उनके हैं;

         उनका नाम यहोवा है, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान।

     20 यहोवा बाबेल की सेना के विषय में कहते हैं,

     “तुम मेरे युद्ध के हथियारों और मेरे युद्ध के योद्धाओं के समान हो;

     तेरी शक्ति से मैं राष्ट्रों को चकना चूर कर देता हूँ

         और कई साम्राज्यों को नष्ट कर देता हूँ।

     21 तेरी शक्ति से मैं अन्य राष्ट्रों की सेनाओं को बिखरा देता हूँ:

         मैं उनके घोड़ों और उनके सवारों, उनके रथों और उनके रथ चालकों को नष्ट कर देता हूँ।

     22 तेरी शक्ति से मैं पुरुषों और स्त्रियों को टुकड़े-टुकड़े कर देता हूँ,

         बूढ़े लोग और बच्चे,

         युवा पुरुषों और युवा स्त्रियों।

     23 तेरी शक्ति से मैं चरवाहों और उनके भेड़ों के झुण्ड को तोड़ देता हूँ,

         किसानों और उनके बैलों,

         राज्यपाल और उनके अधिकारियों को भी।”

24 परन्तु यहोवा यह भी कहते हैं,

     “शीघ्र ही मैं तुम बाबेल के लोगों को और शेष बाबेल के लोगों को

         यरूशलेम में किए गए तुम्हारे बुरे कार्यों का बदला दूँगा।

     25 बाबेल एक महान पर्वत के समान है

         जहाँ से डाकू पूरी पृथ्‍वी पर लोगों को लूटने के लिए आते हैं।

     परन्तु मैं, हे यहोवा, बाबेल के लोगों का शत्रु हूँ।

         मैं तुम्हें मारने के लिए अपना हाथ उठाऊँगा।

     मैं तुम्हें चट्टानों से नीचे गिराऊँगा

         और तुम्हें जले हुए मलबे का केवल एक बड़ा ढेर बना दूँगा।

     26 तुम्हारा शहर सदा के लिए त्याग दिया जाएगा;

         यहाँ तक कि तुम्हारे शहर के पत्थरों का फिर से भवनों के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।

         तुम्हारा शहर पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।”

     27 राष्ट्रों से कहो कि युद्ध का झण्डा फहराएँ!

         उन्हें युद्ध के लिए अपनी तुरही फूँकने के लिए कहो!

     बाबेल के विरुद्ध युद्ध करने के लिए अपनी सारी सेनाओं को एकत्र करो!

         राष्ट्रों को बाबेल पर आक्रमण करने के लिए तैयार करें।

         बाबेल के उत्तर से साम्राज्यों की सेनाओं को बुलाओ—अरारात, मिन्नी और अश्कनज से।

     उनके लिए एक सेनापति नियुक्त करो,

     और घोड़ों की एक बड़ी संख्या लाओ;

         घोड़ों की एक बड़ी संख्या होनी चाहिए; वह विशाल संख्या टिड्डियों के झुण्ड के समान होगी।

     28 अन्य राष्ट्रों की सेनाएँ तैयार करें,

         सेनाओं का नेतृत्व मादी और फारस के राजाओं द्वारा किया जाएगा,

         उनके राज्यपाल और उनके अधिकारी।

     29 जब वे बाबेल पर आक्रमण करते हैं, तो ऐसा होगा जैसे पृथ्‍वी हिलेगी और पीड़ा से लौटेगी,

         क्योंकि सेनाएँ सब कुछ पूरा करेंगी जिसकी यहोवा ने बाबेल के लिए करने की योजना बनाई है।

     उसका सर्वनाश करने की,

         परिणाम यह होगा कि कोई भी वहाँ फिर से नहीं रहेगा।

     30 जब उनके शत्रु आक्रमण करते हैं, तब बाबेल के सबसे शक्तिशाली योद्धा लड़ेंगे नहीं।

         वे बिना किसी शक्ति के अपने बेड़ों में ही रहेंगे।

     वे स्त्रियों के समान कायर होंगे।

         शत्रु सैनिक शहर में इमारतों को जला देंगे

     और शहर के द्वार के टुकड़ों को टुकड़ों में तोड़ देंगे।

     31 सन्देशवाहक शीघ्रता से चले जाएँगे, एक के बाद एक,

         राजा को बताने के लिए कि उसका शहर जीत लिया गया है।

     32 जिन स्थानों पर लोग शहर से बचने के लिए नदी पार कर सकते हैं उन्हें रोक दिया जाएगा।

         दलदल में शुष्क सरकण्डों में आग लगा दी जाएगी,

         और बाबेल के सैनिक भयभीत होंगे।

33 यह वही है जो यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, जिनकी इस्राएल आराधना करता है, कहते हैं;

     “बाबेल भूमि पर गेहूँ के समान है जहाँ उसकी दाँवनी की जाएगी

         पशुओं द्वारा रौंद कर।

         अति शीघ्र उनके शत्रु बाबेल के शहर को रौंदेंगे।”

     34 बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर की सेना ने आक्रमण किया और हम इस्राएलियों को कुचल दिया,

         और हम में कोई सामर्थ्य नहीं है।

     ऐसा लगता है कि उन्होंने हमें एक महान राक्षस के समान निगल लिया है

         जो अपने पेट को हमारे सब स्वादिष्ट भागों से भर देता है,

         और उसके बाद जो उसे अच्छा नहीं लगता, उसे उगल दिया।

     35 इसलिए यरूशलेम के लोग यहोवा से कहते हैं,

     “बाबेल के लोगों को पीड़ित करें

         जैसे उन्होंने हमें पीड़ित किया!

     हमारे लोगों की हत्या के लिए बाबेल के लोगों को दण्ड भोगने दें।”

36 और यहोवा यरूशलेम के लोगों से यही उत्तर देते हैं:

     “मैं तुम्हारी रक्षा करने के लिए तुम्हारा मुकद्दमा लड़ूँगा,

         और मैं तुम्हारा बदला लूँगा।

     मैं बाबेल की नदी को सुखा दूँगा

         और पानी के सब सोतों को भी।

     37 बाबेल खण्डहरों का ढेर बन जाएगा,

         एक ऐसा स्थान जहाँ सियार रहते हैं।

     यह एक ऐसा स्थान बन जाएगा जिससे लोग भयभीत होंगे और उपहास करेंगे;

         यह एक ऐसा स्थान होगा जहाँ कोई भी नहीं रहेगा।

     38 बाबेल के लोग सब शेर के समान गरजेंगे;

         वे शेरों के बच्चों के समान गुर्राएँगे।

     39 परन्तु जब वे बहुत भूखे होंगे,

         मैं उनके लिए एक अलग प्रकार की दावत तैयार करूँगा।

     मैं उन्हें दाखमधु पिलाऊँगा जब तक वे बहुत नशे में न हो जाएँ,

         परिणाम यह होगा कि वे सो जाएँगे।

     परन्तु वे नींद से कभी जाग नहीं पाएँगे!

     40 मैं उन्हें ऐसे स्थान पर लाऊँगा जहाँ उन्हें वध किया जाएगा,

         जैसे कोई भेड़ के बच्चे या भेड़ या बकरी को बलि करने के लिए वध करने के स्थान में ले जाता है।

     41 सारी धरती पर लोग अब बाबेल का सम्मान करते हैं;

         वे कहते हैं कि यह एक महान शहर है।

     परन्तु वह एक ऐसा स्थान बन जाएगा जिसके विषय में सब राष्ट्रों के लोग भयभीत हैं।

     42 बाबेल के शत्रु समुद्र की विशाल लहरों के समान शहर को ढकेंगे।

     43 बाबेल के नगर भयानक, शुष्क और रेगिस्तानी मैदान होंगे,

         और यह एक ऐसी भूमि होगी जिसमें कोई भी नहीं रहता है

         और कोई भी नहीं चलता है।

     44 और मैं बेल को दण्ड दूँगा, वह देवता जिसकी बाबेल के लोग पूजा करते हैं,

         और मैं लोगों को उन्होंने जो कुछ चोरी किया है उसे वापस देने के लिए विवश कर दूँगा।

     अन्य राष्ट्रों के लोग बेल की पूजा करने के लिए नहीं आएँगे।

         और बाबेल की दीवारें गिर जाएगी।”

     45 यहोवा यह भी कहते हैं, “मेरे लोग, बाबेल से निकल जाओ!

         बचने के लिए भागो!

         भागो, क्योंकि मैं, यहोवा, बाबेल के लोगों से बहुत क्रोधित हूँ, और मैं उनका नाश करूँगा!

     46 निराश न हों और डरो मत

         जब तुम समाचार सुनते हो की बाबेल में क्या हो रहा है।

     लोग ऐसी झूठी बातें प्रतिवर्ष सुनाएँगे,

         देश में हिंसक बातों के विषय में अफवाहें,

         और एक दूसरे के विरुद्ध लड़ने वाले अगुवों के विषय में अफवाहें।

     47 परन्तु शीघ्र ही मेरे लिए बाबेल में नक्काशीदार मूर्तियों से छुटकारा पाने का समय होगा।

     पराजित होने के कारण पूरे देश में लोग लज्जित होंगे,

         और उनके सैनिकों के शव सड़कों पर पड़े रहेंगे।

     48 तब स्वर्ग में सब स्वर्गदूत और पृथ्‍वी पर सब लोग आनन्दित होंगे,

         क्योंकि उत्तर से सेनाएँ आएँगी जो बाबेल को नष्ट कर देगी।

     49 जैसे बाबेल के सैनिकों ने इस्राएल के लोगों को मार डाला

         और संसार भर में दूसरों को भी मार डाला,

         बाबेल के लोगों को भी मार डाला जाना चाहिए।

     50 तुम इस्राएली लोग जो मारे नहीं गए, बाबेल से निकल जाओ!

         प्रतीक्षा न करो!

     भले ही आप इस्राएल से दूर एक भूमि में हैं,

         यहोवा के विषय में सोचो और यरूशलेम के विषय में सोचो!”

     51 इस्राएली लोग कहते हैं,

         “हम लज्जित हैं।

     हम पूरी तरह से अपमानित हैं,

         क्योंकि विदेशियों ने यहोवा के भवन में प्रवेश किया है और इसे अशुद्ध कर दिया है।”

     52 यहोवा ने उत्तर दिया, “यह सच है, परन्तु शीघ्र ही ऐसा समय होगा जब मैं बाबेल में नक्काशीदार मूर्तियों को नष्ट कर दूँगा,

         और पूरे बाबेल में घायल लोग होंगे जो चिल्लाएँगे।

     53 भले ही बाबेल के चारों ओर की दीवारें आकाश तक ऊँची हों,

         और यदि इसकी दीवारें अत्याधिक दृढ़ है,

     मैं सेनाएँ भेजूँगा जो शहर को नष्ट कर देंगे।

         यह निश्चय ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

     54 बाबेल के लोगों को सहायता के लिए चिल्लाते हुए सुनो!

         और बाबेल में नष्ट होने वाली वस्तुओं की आवाज सुनो!

     55 यहोवा बाबेल को नष्ट कर देंगे।

         वह शहर में कोलाहल को शान्त कर देंगे।

     56 शत्रु सेना एक महान लहर के समान शहर के विरुद्ध उछल जाएगा।

         वे शहर के शक्तिशाली सैनिकों को पकड़ लेंगे

         और उनके हथियार तोड़ो।

     ऐसा होगा क्योंकि यहोवा एक ऐसे ईश्वर है जो अपने शत्रुओं को न्यायसंगत दण्डित करते है;

         वह उन्हें दण्ड देंगे क्योंकि वे योग्य हैं।

57 यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, कहते हैं,

     “मैं शहर के अधिकारियों और बुद्धिमान पुरुषों, सेना के प्रधानों और सैनिकों को नशे में हो जाने का कारण उत्पन्न करूँगा।

         वे सो जाएँगे,

         परन्तु वे फिर कभी जाग नहीं पाएँगे।”

58 यहोवा, स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यह भी कहते हैं,

     “बाबेल के चारों ओर की मोटी दीवारें भूमि पर चपेट में आ जाएँगी।

         शहर के द्वार जला दिया जाएगा।

     अन्य देशों के लोग शहर को बचाने के लिए कठोर परिश्रम करेंगे,

         परन्तु यह व्यर्थ हो जाएगा,

         क्योंकि जो कुछ भी उन्होंने बनाया है वह आग से नष्ट हो जाएगा।”

59 नेरिय्याह के पुत्र सरायाह और महसेयाह के पोते, राजा सिदकिय्याह का एक महत्वपूर्ण सेवक था। सिदकिय्याह द्वारा लगभग चार वर्षों तक यहूदा पर शासन करने के बाद, यिर्मयाह ने उसे एक सन्देश दिया। यह तब था जब सरायाह राजा के साथ बाबेल जाने वाला था। 60 अब यिर्मयाह ने लपेटा हुए पत्र में उन सब विपत्तियों की एक सूची लिखी थी जो उन्होंने लिखा था, विपत्तियाँ जो शीघ्र ही बाबेल पर आने वाली हैं। 61 यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “जब तुम बाबेल में आओगे, तो इस लपेटा हुए पत्र पर जो कुछ भी लिखा है, उसे ऊँचे शब्द में पढ़ना। 62 तब प्रार्थना करना, ‘हे यहोवा, आपने कहा था कि आप बाबेल को पूरी तरह से नष्ट करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप लोग और पशु वहाँ नहीं रहेंगे। आपने कहा था कि यह सदा के लिए उजाड़ हो जाएगा।’ 63 फिर, जब तू लपेटा हुए पत्र पर जो लिखा है उसे पढ़ना समाप्त कर लें, तो उसे भारी पत्थरों से बाँधे और इसे फरात नदी में फेंक दें। 64 तब कहना, ‘वैसे ही, बाबेल और उसके लोग लोप हो जाएँगे और फिर कभी भी अस्तित्व में नहीं आएँगे, क्योंकि यहोवा उन विपत्तियों को लाएँगे।’”

यह यिर्मयाह के सन्देश का अन्त है।

Chapter 52

1 सिदकिय्याह बीस वर्ष का था जब वह यहूदा का राजा बन गया। उसने यरूशलेम में ग्यारह वर्षों तक शासन किया। उसकी माँ हमूतल थी, जो यिर्मयाह नाम लिब्नावासी की पुत्री थी। 2 सिदकिय्याह ने बहुत सी बातें की जो यहोवा कहते हैं कि बुरी है, जैसे उसके पिता यहोयाकीम ने किया था। 3 यहाँ वर्णित घटनाएँ हुईं क्योंकि यहोवा यरूशलेम और यहूदा के अन्य स्थानों के लोगों से क्रोधित थे, और अन्त में उन्होंने उन्हें निर्वासित कर दिया और कहा कि वह अब उनके साथ कुछ नहीं करना चाहते थे।

तब सिदकिय्याह ने बाबेल के राजा के विरुद्ध विद्रोह किया। 4 इसलिए, दसवें महीने के दसवें दिन, जब सिदकिय्याह लगभग नौ वर्षों तक शासन कर चुका था, तब बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर अपनी पूरी सेना के साथ यरूशलेम पर आक्रमण करने के लिए आया। उन्होंने शहर को घेर लिया और शहर की दीवारों के ऊपर तक मलबे के पुश्ते बनाए कि वे शहर पर आक्रमण कर सकें। 5 उन्होंने सिदकिय्याह के राज के लगभग ग्यारहवें वर्ष तक यरूशलेम को घेरे रखा।

6 जब सिदकिय्याह उस ग्यारह वर्ष तक शासन कर रहा था, उस वर्ष के चौथे महीने के नौवे दिन, शहर में अकाल बहुत गम्भीर हो गया था, और लोगों के खाने के लिए और खाना नहीं था। 7 तब बाबेल के सैनिकों ने शहर की दीवार के एक भाग को तोड़ दिया और सब इस्राएली सैनिक भाग गए। परन्तु शहर बाबेल के सैनिकों से घिरा हुआ था, इसलिए सिदकिय्याह और इस्राएली सैनिकों ने अंधेरा होने तक प्रतीक्षा की। तब उन्होंने राजा के बगीचे के पीछे दो दीवारों के बीच द्वार से होकर शहर छोड़ दिया। तब वे यरदन के किनारे-किनारे मैदान की ओर भाग गए। 8 परन्तु बाबेल के सैनिकों ने राजा सिदकिय्याह का पीछा किया, और उन्होंने यरीहो के पास मैदानों में उसे जा पकड़ा। वह अकेला था क्योंकि उसके सब साथियों ने उसे छोड़ दिया था और बिखर गये थे। 9 बाबेल के सैनिक उसे बाबेल के राजा के पास ले गए, जो हमात के क्षेत्र में रिबला में था। वहाँ बाबेल के राजा ने अपने सैनिकों से कहा कि उन्हें सिदकिय्याह को दण्ड देने के लिए क्या करना चाहिए। 10 उन्होंने सिदकिय्याह को विवश किया कि उसके पुत्रों और अन्य सब अधिकारियों की हत्या होते देखे। 11 तब उन्होंने सिदकिय्याह की आँखों को फोड़ दिया। उन्होंने उसे पीतल की जंजीरों से बाँधा और उसे बाबेल ले गए। उन्होंने उसे बन्दीगृह में डाल दिया और वह उस दिन तक बना रहा जब तक वह मर गया।

12 उस वर्ष के पाँचवें महीने के दसवें दिन, जब राजा नबूकदनेस्सर लगभग उन्नीस वर्ष तक शासन कर चुका था, तब राजा के अंगरक्षक और राजा के अधिकारियों के सरदार नबूजरदान यरूशलेम में पहुँचा। 13 उसने अपने सैनिकों को यहोवा के मन्दिर, राजा के महल और यरूशलेम के सब घरों को जलाने का आदेश दिया। उन्होंने शहर की सब महत्वपूर्ण इमारतों को भी नष्ट कर दिया। 14 तब उसने यरूशलेम के चारों ओर की दीवारों को तोड़ते समय बाबेल के सैनिकों की देखरेख की। 15 तब नबूजरदान को सबसे गरीब लोगों में से कुछ को बाबेल जाने के लिए विवश किया, उन इस्राएली लोगों को जिन्होंने कहा था कि वे बाबेल के राजा का साथ देंगे शेष कारीगर और यरूशलेम में रहने वाले अन्य लोग। 16 परन्तु नबूजरदान ने कुछ गरीब लोगों को दाख की बारियों और खेतों की देखभाल करने के लिए यहूदा में रहने दिया।

17 बाबेल के सैनिकों ने यहोवा के भवन के सामने जो पीतल के खम्भे और पीतल का हौद और दस कुर्सियों को टुकड़े-टुकड़े कर दिया और सारा पीतल बाबेल ले गए, 18 वे अपने साथ हाँडियों को जिनमें होम-बलि की राख निकाली जाती थी, राख उठाने की फावड़ियाँ, दीपकों की बत्तियाँ बुझाने की कैंचियाँ, बलि के पशुओं का खून उठाने के कटोरे, धूपदान तथा भवन में बलि के समय कार्य आने वाले सब सामान आदि सब बाबेल ले गए, 19 नबूजरदान ने अपने सैनिकों को छोटे कटोरे, धूप जलाने की थालियाँ, तसले, कटोरे, दीपदान, धूप की कटोरियाँ और दाखमधु उण्डेलने के पात्र आदि सब ले लेने का आदेश दिया उन्होंने शुद्ध सोने और चाँदी के सब सामान ले लिए।

20 दो खम्भों का पीतल, “सागर” नामक पानी का बड़ा हौद और उसके नीचे की बैल की बारह मूर्तियाँ और पानी की गाड़ियाँ, वजन करने से अधिक थीं। मन्दिर के लिए उन वस्तुओं को उस समय बनाया गया था जब सुलैमान राजा था। 21 खम्भों में से प्रत्येक 27 फूट लम्बा और 18 फूट घेरे का था। वे खोखले थे, और प्रत्येक की चादर 3 इंच मोटी थी। 22 प्रत्येक खम्भे के शीर्ष पर पीतल की कँगनी साढ़े सात फूट ऊँची थी और अनार के समान बनी पीतल की सजावट और जाली थी। 23 खम्भों के शीर्ष पर अनार कुल सौ थे, जिनमें से 96 भूमि से देखे जा सकते थे।

24 जब नबूजरदान बाबेल लौट आया, तो वह उसके साथ कैद के रूप में महायाजक सरायाह, और उसके सहायक याजक सपन्याह और अन्य तीन लोगों जो भवन के प्रवेश द्वार की रक्षा की। 25 उसने कुछ अन्य लोगों को खोजा जो शहर में छिपे हुए थे। इसलिए उनमें से उसने यहूदा की सेना के एक सरदार, राजा के सात सलाहकारों, सेना के मुख्य सचिव, सेना के लिए सैनिकों की भर्ती के प्रभारी और साठ अन्य सैनिकों के प्रभारी थे। 26 नबूजरदान उन सबको बाबेल के राजा के पास ले गया, जो अभी भी रिबला में था। 27 वहाँ हमात क्षेत्र में रिबला में, बाबेल के राजा ने आज्ञा दी कि सबको मार डाला जाए।

यहूदा के बहुत से लोगों को अपना देश छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा। 28 उन लोगों की संख्या जिन्हें बन्दी बना लिया था और उस समय बाबेल भेजा गया था 3,023 थी, जब नबूकदनेस्सर लगभग सात वर्षों तक शासन कर रहा था। 29 फिर, जब वह लगभग अठारह वर्ष तक शासन कर रहा था, तो उसके सैनिक 832 और लोगों को यरूशलेम से बाबेल ले गए। 30 जब वह लगभग बीस वर्ष तक शासन कर रहा था, तब उसने नबूजरदान को यरूशलेम भेज दिया, और वह 745 और इस्राएली लोगों को बाबेल ले गया। वह कुल 4,600 इस्राएली थे जिन्हें बाबेल ले जाया गया था।

31 यहूदा का राजा यहोयाकीन बाबेल में लगभग सैंतीस वर्ष तक बन्दीगृह में रहा, तब एवील्मरोदक बाबेल का राजा बन गया। वह यहोयाकीन के प्रति दयालु था और आदेश दिया कि उसे बन्दीगृह से मुक्त कर दिया जाए। वह उस वर्ष के बारहवें महीने के पच्चीसवें दिन था जब एवील्मरोदक राजा बना था। 32 वह सदा यहोयाकीन के प्रति दया से बात करता था और उसे अन्य सब राजाओं से अधिक सम्मानित पद दिया गया था राजा जिन्हें बाबेल में निर्वासित किया गया था। 33 बन्दीगृह में पहने हुए कपड़े बदलने के लिए, यहोयाकीन को नए कपड़े दिए गए। उसने यहोयाकीन को पूरे जीवन प्रतिदिन उसके साथ खाने की अनुमति दी। 34 हर दिन, बाबेल का राजा उसे आवश्यक वस्तुएँ मोल लेने के लिए उसे कुछ पैसे देता था। यह प्रबन्ध यहोयाकीन की मृत्यु तक बना रहा।