हिन्दी, हिंदी: Unlocked Dynamic Bible - Hindi

Updated ? hours ago # views See on DCS

यशायाह

Chapter 1

1 आमोस के पुत्र यशायाह का दर्शन, जो यहोवा ने यहूदा के राजाओं उज्जियाह, योताम, आहाज और हिजकिय्याह के वर्षों में यहूदा और यरूशलेम के विषय में उसे दिखाया।

2 हे आकाश, सुनो, हे पृथ्‍वी, कान लगाओ, क्योंकि यहोवा ने यही कहा है:

     “जब से इन लोगों का जन्म हुआ, मैंने उनका पालन पोषण किया है,

         परन्तु इन्होंने मुझसे विद्रोह किया है।

     3 बैल अपने स्वामी को जानते हैं,

         और गधे जानते हैं कि उन्हें कौन खिलाता है,

     परन्तु इस्राएल नहीं जानता;

         इस्राएल नहीं समझता है।”

     4 इस पापी राष्ट्र के साथ भयानक घटनाएँ होंगी, यह जाति अपने पापों के भार से दब गई है,

         उन लोगों की ये संतानें जो बुराई करते हैं,

     ये पुत्र जो अन्यायपूर्ण हैं।

     उन्होंने यहोवा को,

         इस्राएल के एकमात्र पवित्र को छोड़ दिया है।

         वे उनसे दूर हो गए हैं।

     5 तुम ऐसा कार्य क्यों करते हो कि यहोवा तुम्हें उनका दण्ड देंगे?

         तुम उनसे विद्रोह क्यों करते रहते हो?

     तुम किसी ऐसे व्यक्ति के समान हो

         जिसका पूरा मन और हृदय बीमार हैं।

     6 जो पैर के तलवे से सिर की चोटी तक,

         कुछ भी स्वस्थ नहीं है।

     जिसके ऐसे खुले घाव, मार से कटा माँस, और पीड़ा दायक फोड़े हैं

         जिन्हें साफ नहीं किया गया या पट्टी नहीं बाँधी गई,

     और किसी ने भी उन्हें स्वस्थ करने के लिए उन पर तेल नहीं लगाया है।

     7 शत्रुओं ने तुम्हारे देश को उजाड़ दिया है;

         उन्होंने तुम्हारे नगरों को जला दिया है, और वहाँ कोई भी नहीं बचा है।

     तुम्हारे देखते-देखते विदेशी लोग तुम्हारे खेतों में फसलों को लूटते हैं;

         वे जो कुछ भी देखते हैं उन सबको नष्ट कर देते हैं।

     8 यरूशलेम का शहर चरवाहे की झोपड़ी के समान छोटा हो गया है।

         वह एक दाख की बारी में एक झोपड़ी के समान है;

     यह एक खरबूजे के खेत में एक पहरेदार की झोपड़ी के समान है।

         यह एक शहर है जो शत्रुओं से घिरा हुआ है जो उस पर आक्रमण करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

     9 यदि स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने अपने कुछ लोगों को जीवित रहने न दिया,

         तो हम सब नष्ट हो गए होते,

         जैसे सदोम और अमोरा के शहर नष्ट हो गए थे।

     10 हे सदोम के शासकों, यहोवा तुमसे क्या कहना चाहते हैं, उसे सुनो!

         हे अमोरा के लोगों, हमारे परमेश्वर के नियम सुनो!

     11 यहोवा कहते हैं; “तुम्हारे बहुत से बलिदान मेरे लिए क्या अर्थ रखते हैं?”

         “मैं अब किसी और भेड़ों की होम-बलि या बैलों की चर्बी नहीं चाहता हूँ।

     बैलों का, मेम्नों का, या बकरों का लहू मुझे प्रसन्न नहीं करता है।

     12 जब तुम मेरी आराधना करने के लिए मेरे मन्दिर में आते हो,

         जब तुम संस्कार पूर्ति करते हो तो किसने कहा कि मेरे आँगन को रौंदो?

     13 भेंटों को मेरे पास लाना बन्द करो, क्योंकि वे मेरे लिए निकम्मी हैं;

         मैं उस धूप से घृणा करता हूँ जो याजक जलाते हैं!

     और हर महीने के नए चँद्रमा के और तुम्हारे सब्त के दिनों के और तुम्हारे अन्य पर्वों के उत्सवों से में घृणा करता हूँ -

         जिसका कारण है तुम्हारे दुष्टता के कार्य!

     14 तुम्हारे नए चँद्रमा के उत्सव और तुम्हारे अन्य सभी पर्वों के उत्सवों से मैं घृणा करता हूँ।

         वे एक भारी बोझ के समान हैं जिसे उठाते-उठाते मैं थक गया हूँ।

     15 इसलिए जब तुम अपने हाथों को उठा कर मुझसे प्रार्थना करते हो,

         तब मैं तुमको नहीं देखूँगा।

     भले ही तुम मुझसे बार-बार प्रार्थना करो,

     मैं तुम्हारी नहीं सुनूँगा,

         क्योंकि ऐसा लगता है कि मानों तुम्हारे हाथ उन लोगों के लहू से सने हुए हैं जिन्हें तुमने मार डाला है।

         16 अपने मन को धो लो और साफ हो जाओ!

     अपने बुरे व्यवहार से छुटकारा पाओ!

         अनुचित कार्यों को करना बन्द करो!

     17 भले कार्य करना सीखो और

         लोगों से भी न्याय के कार्य करवाने का प्रयास करो।

     लोगों को दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करने से रोको,

         और अनाथों और विधवाओं की रक्षा करो जब लोग उन्हें अदालत में ले जाते हैं।”

     18 यहोवा कहते हैं, “जो तुम करते हो उसके विषय में तुमको विचार करना चाहिए।

         तुम्हारे पाप चाहे गहरे लाल रंग के भी हों,

     वे बर्फ के समान सफेद हो जाएँगे;

         चाहे तुम्हारे पाप गहरे लाल रंग के समान हों,

     वे भेड़ की ऊन के समान सफेद हो जाएँगे।

     19 यदि तुम मेरी आज्ञा मानने की इच्छा रखते हो,

         तो तुम इस देश से मिलने वाला अच्छा भोजन खाओगे।

     20 परन्तु यदि तुम मुझे अस्वीकार करो और मुझसे विद्रोह करते हो,

         तुम्हारे शत्रु तुमको मार देंगे।”

     ऐसा अवश्य होगा क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।

     21 एक समय था कि तुम यरूशलेम के लोगों ने सच्चे मन से केवल यहोवा की आराधना की थी,

         परन्तु अब तुम वेश्याओं के समान बन गए हो जो किसी भी पति के प्रति विश्वासयोग्य नहीं हैं।

     वहाँ के लोग सदा न्यायसंगत और धर्म के कार्य करते थे,

         परन्तु अब तुम्हारा शहर हत्यारों से भरा है।

     22 तुम्हारी चाँदी अब शुद्ध नहीं है,

         और तुम्हारे दाखरस में पानी मिल गया है।

     23 तुम्हारे अगुवे विद्रोही हैं;

         वे चोरों के मित्र हैं।

     वे सबके सब पैसे के लालची हैं

         और अदालतों में मामलों का निर्णय उनके पक्ष में करने के लिए वे दूसरों को उन्हें उपहार देने के लिए विवश करते हैं।

     वे अदालत में अनाथों का बचाव नहीं करते हैं,

         और वे विधवाओं की सहायता नहीं करते कि उन्हें उनके अधिकार प्राप्त हो।

     24 इस कारण इस्राएल के सर्वशक्तिमान परमेश्वर, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, कहते हैं,

     “मैं उन लोगों से बदला लूँगा जो मेरे विरुद्ध हैं,

         और अपने शत्रुओं से स्वयं बदला लूँगा।

     25 मैं तुम पर प्रहार करने के लिए अपना हाथ उठाऊँगा,

         और मैं तुमको गम्भीर दण्ड दूँगा,

         जैसे कि तुम चाँदी थे और मुझे तुमको पिघलाने और अशुद्धियों से छुटकारा देने के लिए तुमको बहुत गर्म करने की आवश्यकता थी।

     26 ऐसा होने के बाद, मैं तुमको पहले के जैसे अच्छे न्यायधीश दूँगा।

         तुम्हारे पास बुद्धिमान परामर्शदाता होंगे जैसे बहुत पहले तुम्हारे पास थे।

     तब लोग तुम्हारे शहर को एक ऐसा शहर कहेंगे जहाँ लोग न्यायसंगत कार्य करते हैं,

         एक धर्मी शहर।”

     27 क्योंकि यरूशलेम के लोग उचित कार्य करेंगे,

         इसलिए यहोवा उनके शहर का उद्धार करेंगे,

     और वह पश्चाताप करने वालों को

         उनकी धार्मिकता के कारण बचाएँगे।

     28 परन्तु वह विद्रोहियों और पापियों को कुचल देंगे,

         और जो उनको त्याग देते हैं वे लोप हो जाएँगे।

     29 “तुम लज्जित होगे क्योंकि तुमने बांज वृक्षों के नीचे उन मूर्तियों की आराधना की थी जिन्हें तुम पवित्र समझते थे,

         और तुमको अपमानित किया जाएगा क्योंकि तुमने बगीचों में उन मूर्तियों की आराधना की थी जिन्हें तुम बहुत पसन्द करते थे।

     30 तुम एक ऐसे बांज वृक्ष के समान होगे जिसकी पत्तियाँ सूखी हुई हैं,

         तुम एक ऐसे बगीचे के समान होगे जो सूख गया है क्योंकि उसे पानी नहीं मिला।

     31 तुम में से जो बहुत बलवन्त हैं वे सूखी लकड़ी के समान हो जाएँगे,

         और वे जो कार्य करते हैं वह एक चिंगारी के समान होगा।

     वे और जो बुरे कार्य वे करते हैं दोनों जल जाएँगे,

         और कोई भी उस आग बुझाने में सक्षम नहीं होगा।”

Chapter 2

1 यह एक सन्देश है जिसे यहोवा ने यहूदा और यरूशलेम के विषय में आमोस के पुत्र यशायाह को एक दर्शन में दिया था।

     2 जिस पहाड़ी पर यहोवा का मन्दिर बनाया गया है

         भविष्य में, वह पृथ्‍वी का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होगा।

         वह ऐसा होगा जैसे मानों यह सर्वोच्च पर्वत है,

     जैसे कि यह अन्य सब पहाड़ियों से ऊपर उठाया गया है,

         और संसार भर के लोग वहाँ आएँगे।

3 अनेक जातियों के लोग एक-दूसरे से कहेंगे,

     “आओ, हम ऊपर पहाड़ी पर चलें,

         यहोवा के भवन में,

         उन परमेश्वर की आराधना करने के लिए जाएँ जिनकी याकूब ने आराधना की थी।

     वह हमें वहाँ सिखाएँगे कि वह क्या चाहते हैं कि हमें जानें,

         जिससे कि हमारे व्यवहार उन्हें प्रसन्न कर सकें।”

     वे हमें यरूशलेम में सिखाएँगे;

         जो यहोवा हमें बताना चाहते हैं वह हम वहाँ सीखेंगे।

     4 यहोवा राष्ट्रों के बीच होने वाले मतभेदों को सुनेंगे,

         और वह उनके झगड़ों को मिटाएँगे।

     फिर, एक-दूसरे के विरुद्ध लड़ने की अपेक्षा, वे अपनी तलवारों को हथौड़े से पीट-पीट कर हल का फल बना देंगे,

         और वे अपने भालों को हथौड़े से पीट-पीट कर हँसिया बना देंगे।

     तब एक जाती की सेना दूसरी के विरुद्ध युद्ध नहीं करेगी,

         और वे युद्धों में लड़ने के लिए पुरुषों को प्रशिक्षण भी नहीं देंगे।

     5 हे याकूब के वंशजों, तुम,

         आओ, हम ऐसा व्यवहार करें जैसा हमें करना चाहिए क्योंकि यहोवा हमारे साथ हैं!

     6 हे यहोवा, आपने हमें, अपने लोगों को, त्याग दिया है

         हम जो याकूब के वंशज हैं,

     क्योंकि हर स्थान में आपके लोग इस्राएल के पूर्व में रहने वाले लोगों के रिवाजों का पालन करते हैं।

         वे यह पता लगाने के लिए अनुष्ठान भी करते हैं कि भविष्य में क्या होगा, जैसे कि पलिश्ती लोग करते हैं।

         वे उन विदेशियों के साथ समझौते करते हैं जो आप, यहोवा को नहीं जानते हैं।

     7 इस्राएल चाँदी और सोने से भरा है;

         यहाँ बहुत सारे भण्डार हैं।

     देश युद्ध के घोड़ों से

         और युद्ध के रथों से भरा है

     8 परन्तु देश मूर्तियों से भी भरा है;

         लोग अपने हाथों से बनाई हुई वस्तुओं की आराधना करते हैं।

     9 इसलिए अब उन्हें दिन बनाया जाएगा;

         यहोवा उन्हें अपमानित करेंगे।

         हे यहोवा, आप उन्हें क्षमा न करना!

     10 तुम सबको खड़ी चट्टानों की गुफाओं में रेंग कर घुस जाना चाहिए!

         तुमको भूमि के गड्ढों में छिप जाना चाहिए

         क्योंकि तुम यहोवा से

         और उनकी महिमामय और भयानक शक्ति से डरोगे।

     11 यहोवा अब तुम लोगों को घमण्डी बना नहीं रहने देंगे

         और वह तुमको अभिमानी होने से रोक देगा।

     उस दिन लोग केवल यहोवा की स्तुति करेंगे और उनका सम्मान करेंगे।

     12 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने एक दिन चुना है

         जब वह घमण्डियों का न्याय करेंगे, हर एक का जो अहंकार करते हैं,

         और वह उन्हें विनम्र बनाएँगे।

     13 वह उन सबसे छुटकारा पाएँगे जो सोचते हैं कि लबानोन के लम्बे देवदार के पेड़ों के समान,

         और बाशान क्षेत्र के सब विशाल बांज वृक्षों के समान उनकी प्रशंसा करनी चाहिए।

     14 वह उन सबसे छुटकारा पाएँगे जो सोचते हैं कि वे ऊँचे पर्वतों के समान महान हैं,

         ऊँचे पर्वतों के समान महान हैं।

     15 वह उन सबसे छुटकारा पाएँगे जो सोचते हैं कि वे ऊँची मीनारों

         और ऊँची दृढ़ दीवारों के समान हैं जिनके भीतर वे सुरक्षित हैं।

     16 वह उन सबको नष्ट कर देंगे जो धनवान हैं क्योंकि वे बड़े जहाजों के स्वामी हैं जो अन्य देशों को माल ले जाते हैं

         और वे ऐसे जहाजों के स्वामी भी हैं जो सुन्दर हैं।

     17 वह अब लोगों को घमण्डी नहीं बना रहने देंगे,

         और वह उनके अहंकार को तोड़ देंगे।

         उस दिन लोग केवल यहोवा की स्तुति करेंगे और उसका सम्मान करेंगे।

         18 तब सब मूर्तियाँ नष्ट हो जाएँगी।

     19 जब यहोवा पृथ्‍वी पर लोगों को डराने के लिए आते हैं,

         वे खड़ी चट्टानों की गुफाओं में

     और भूमि के गड्ढों में छिपने के लिए दौड़ेंगे,

         क्योंकि वे यहोवा से

         और उसकी महिमामय और भयानक शक्ति से डरते हैं।

     20 उस दिन, लोग अपनी सब सोने और चाँदी की मूर्तियों से छुटकारा पाएँगे

         जिनको उन्होंने पूजा करने के लिए बनाया,

     और वे उन्हें चमगादड़ों और चूहों के आगे फेंक देंगे।

     21 तब वे गुफाओं में रेंग कर घुसेंगे

         और चट्टानों के छेदों में छिपेंगे।

     वे यहोवा से बचने का प्रयास करेंगे, जो उन्हें दण्ड देने के लिए आ रहे हैं;

         जो वह करेंगे उससे वे डरेंगे क्योंकि वह महिमामय और भयानक हैं,

         जब वह पृथ्‍वी पर लोगों को डराने के लिए आते हैं।

     22 इसलिए मनुष्यों की सुरक्षा पर भरोसा मत करो,

         क्योंकि वे मनुष्य की साँस के समान शक्तिहीन हैं।

     मनुष्य निश्चय ही तुम्हारी सहायता नहीं कर सकते हैं!

Chapter 3

    

1 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यरूशलेम और यहूदा के अन्य स्थानों से उन सब वस्तुओं को दूर करने पर हैं

         जिन सब पर तुम निर्भर रहते हो—

         भोजन और पानी को दूर करने वाले हैं।

     2 वह वीरों और सैनिकों को,

         न्यायधीशों और भविष्यद्वक्ताओं को,

         उन लोगों को जो भविष्य की बातें जानने के लिए अनुष्ठान करते हैं और पुरनियों को,

     3 सेना के अधिकारियों और अन्य महत्वपूर्ण लोगों को,

         सलाहकारों, कुशल कारीगरों को, और उनको जो तन्त्र मन्त्र करते हैं ले जाएँगे।

     4 यहोवा कहते हैं, “मैं लड़कों को अगुवे बनने के लिए नियुक्त करूँगा;

         बच्चे शासन करेंगे।

     5 लोग एक-दूसरे के साथ क्रूरता का व्यवहार करेंगे:

         लोग अपने पड़ोसियों से लड़ेंगे।

     युवा लोग वृद्ध लोगों के विरुद्ध अपमान करेंगे,

         और असभ्य लोग उन लोगों पर हँसेंगे जिनका अन्य लोग सम्मान करते हैं।

     6 उस समय, कोई अपने पिता के घर में अपने भाइयों में से एक को पकड़ लेगा और उससे कहेगा,

         ‘तेरे पास अभी भी एक कुर्ता है; इसके लिए लोग तेरा सम्मान करते हैं।

     इसलिए तू हमारा अगुवा बन!

         तू इस शहर पर शासन कर, जो अब खण्डहरों का एक ढेर है।’

     7 परन्तु उसका भाई उत्तर देगा,

         ‘नहीं, मैं तेरी सहायता नहीं कर सकता,

     क्योंकि मेरे पास इस घर में कोई अतिरिक्त भोजन या कपड़े नहीं हैं।

         इसलिए मुझे अपना अगुवा मत बनाओ।’”

     8 यरूशलेम में रहने वाले लोगों ने और यहूदा के अन्य नगरों में रहने वाले लोगों ने परमेश्वर की बातों को नहीं माना है,

         क्योंकि वहाँ रहने वाले लोग जो कुछ भी करते हैं और कहते हैं वह यहोवा का विरोध करता है,

         उनका जो शक्तिशाली और गौरवशाली हैं,

     और वे उनकी बातों का पालन करने से मना करते हैं।

         वे उनसे विद्रोह करते हैं।

     9 वे अपने चेहरे पर भी दिखाते हैं कि वे यहोवा का विरोध करते हैं।

     उन्हें अपने पापों पर घमण्ड है,

         जैसे बहुत पहले सदोम के लोगों को था;

     वे अपने पापों को छिपाने का प्रयास भी नहीं करते हैं; वे उनके विषय में बात करते हैं।

     उनके पापों के कारण, उनके साथ निश्चय ही भयानक घटनाएँ होंगी।

     10 आवश्यक है कि तुम धर्मी लोगों को यह बताओ कि उनकी भलाई होंगी;

         वे उन आशीषों का आनन्द लेंगे जिन्हें वे अपने भले कार्यों के कारण प्राप्त करेंगे।

     11 परन्तु दुष्ट लोगों के साथ भयानक घटनाएँ होंगी;

         यहोवा उन्हें उन बुरे कार्यों का जो उन्होंने किए हैं, बदला देंगे।

     12 युवा जो अगुवे बन गए हैं वे मेरे लोगों के साथ क्रूरता का व्यवहार करते हैं,

         और स्त्रियाँ मेरे लोगों पर शासन करती हैं।

     हे मेरे लोगों, तुम्हारे अगुवे तुमको भटका रहे हैं;

         वे तुमको सब प्रकार के बुरे कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

     13 ऐसा लगता है कि मानों यहोवा ने अदालत में अपना स्थान ग्रहण किया

         और अपने लोगों का न्याय करने के लिए तैयार हैं।

     14 वह यह घोषणा करने के लिए खड़े होंगे कि उनकी प्रजा के पुरनियों और शासकों को क्यों दण्डित करना चाहिए;

     वह कहते हैं, “इस्राएल के लोग एक दाख की बारी के समान हैं जिसको मैंने लगाया था,

         परन्तु तुम अगुवों ने इसको उजाड़ दिया है।

         तुम्हारे घर उन वस्तुओं से भरे हुए हैं जिन्हें तुमने गरीबों से लूटा है।

     15 तुमको मेरे लोगों पर अत्याचार करना बन्द कर देना चाहिए।

         ऐसा लगता है कि तुम गरीब लोगों को भूमि पर रौंद रहे हो।”

     स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यही कहते हैं।

16 यहोवा यह कहते हैं:

     “यरूशलेम की स्त्रियाँ घमण्डी हैं;

         वे अपनी ठुड्डियों को निकाले हुए चारों ओर घूमती हैं,

         और अपनी आँखों से पुरुषों के साथ छेड़खानी करती हैं।

     वे छोटे-छोटे कदमों से

         पैरों में छनछनाते हुए घुँघरू पहने हुए ठुमक-ठुमक कर चलती हैं।”

     17 इसलिए यहोवा उनके सिरों पर घावों को उत्पन्न करेंगे,

         और वह यरूशलेम में रहने वाली उन सुन्दर स्त्रियों को गन्जा बना देंगे।

18 जब यहोवा ऐसा करते हैं, तब वह यरूशलेम की स्त्रियों से सब सौन्दर्य प्रसाधनों को छीन लेंगे जिनका उपयोग वे करती हैं–उनकी पायल और उनके सिर के गहने, उनके चन्द्राकार हार, 19 उनकी बालियाँ और कंगन और घूँघट, 20 उनके दुपट्टे और पैरों की पाजेब और कमरबन्द, उनके इत्र और आकर्षण को दूर ले जाने देंगे। 21 वह दूसरों को स्त्रियों की अँगूठियों और नाक की नथों को, 22 उनके अच्छे वस्त्र और टोपी और कुर्तियों और बटुए, 23 उनके दर्पणों को और अच्छे सनी के कपड़ों को, उनके सिर के लिए गहनों को, और दुशालों को उतरवा देंगे।

     24 इत्र से अच्छी सुगन्ध की अपेक्षा, उनसे दुर्गन्ध आएगी;

         सुन्दर कमरबन्द की अपेक्षा, उनकी कमर पर रस्सी होगी।

     बालों को श्रृंगार के साथ गूँथने की अपेक्षा, वे गन्जी हो जाएँगी।

         अलग-अलग प्रकार के कपड़ों की अपेक्षा, वे खुरदरे टाट का वस्त्र पहनेंगी,

         सुन्दरता की अपेक्षा, उन पर दाग होंगे।

     25 तुम्हारे पुरुष अपने शत्रुओं की तलवारों से मारे जाएँगे,

         और तुम्हारे सैनिक भी युद्ध में मर जाएँगे।

     26 शहर के फाटकों पर लोग शोक करेंगे और रोएँगे।

         शहर एक ऐसी स्त्री के समान होगा जो भूमि पर बैठी है क्योंकि उसके सब साथियों ने उसे छोड़ दिया है।

Chapter 4

    

1 जब ऐसा होता है, तब वहाँ अविवाहित पुरुष बहुत कम होंगे।

         इसलिए सात अविवाहित स्त्रियाँ एक पुरुष को पकड़ लेंगी और कहेंगी,

     “हम सबको तुमसे विवाह करने दो!

         हम अपने भोजन और कपड़े का प्रबन्ध स्वयं करेंगी।

     जो हम चाहते हैं वह यह है कि विवाह नहीं होने के कारण अब हम अपमानित न हों।” 2 परन्तु एक दिन, इस्राएल बहुत सुन्दर और महान होगा। इस्राएल के लोग जो अभी भी वहाँ होंगे, उन्हें उनकी भूमि में बढ़ने वाली अद्भुत फसलों पर बहुत गर्व होगा। 3 जो लोग यरूशलेम में रहेंगे, जो शत्रु द्वारा यरूशलेम को नष्ट करते समय मर नहीं गए थे, वे परमेश्वर के होंगे - वे सब जिनके नाम वहाँ रहने वाले लोगों के बीच लिखे हुए हैं। 4 ऐसा होगा जब परमेश्वर यरूशलेम की स्त्रियों के अपराध को दूर कर देंगे, और जब वह यरूशलेम के लोगों को दण्ड दे कर यरूशलेम की सड़कों पर हिंसा रोकेंगे। जब वह ऐसा करते हैं, तब वह ऐसी आग के समान होगा जो सब अशुद्ध वस्तुओं को जला देती है। 5 तब यहोवा उन दिनों के समय बादल का और रात के समय धधकती आग को भेजेंगे, कि यरूशलेम और उन सबको जो वहाँ एकत्र होते हैं, ढाँक ले; यह शहर में परमेश्वर की महिमामय उपस्थिति के एक मण्डप के समान होगा। 6 यह दिन के समय लोगों को सूर्य से आश्रय देगा और जब तूफान और वर्षा होती है तब यह उनकी रक्षा करेगा।

Chapter 5

    

1 अब मैं मेरे प्रिय मित्र यहोवा के विषय में,

         और उनकी दाख की बारी के विषय में एक गीत गाऊँगा।

         वह दाख की बारी एक उपजाऊ पहाड़ी पर थी।

     2 मेरे मित्र ने भूमि पर हल चलाया और पत्थरों को निकाला।

         फिर उन्होंने उस भूमि में बहुत अच्छी दाखलताएँ लगाई।

     दाख की बारी के बीच में, उन्होंने पहरे के लिए एक गुम्मट बनाया,

         और उन्होंने दाखरस का एक कुंड भी खोदा।

     फिर वह कुछ अच्छे अँगूरों की फसल पाने के लिए प्रतिवर्ष प्रतीक्षा करते रहे,

         परन्तु दाखलताओं ने केवल खट्टे अँगूर उत्पन्न किए।

     3 अब मेरे मित्र यहोवा यह कहते हैं:

         “तुम हे यरूशलेम और यहूदा के अन्य स्थानों के लोगों,

     तुम मेरी दाख की बारी के समान हो;

         इसलिए तुम ही न्याय करो कि हम में से किसने वह किया है जो सही है।

     4 मैं तुम्हारे लिए और अधिक क्या कर सकता था

         जो मैंने पहले से किया उससे अधिक?

     मैंने तुमसे भले कार्यों की आशा की,

         इसलिए यह घृणित है कि तुम केवल बुरे कार्य ही करते रहे

         उस दाख की बारी के समान जो खट्टे अँगूरों का ही उत्पादन करती है!

     5 इसलिए, अब मैं तुमको बताऊँगा कि मैं यहूदा के साथ क्या करूँगा, वह स्थान जो मेरी दाख की बारी के समान है।

     मैं उसके बाड़ों को तोड़ दूँगा,

         और मेरी दाख की बारी एक चारागाह बन जाएगी।

     मैं शहरों की दीवारों को तोड़ डालूँगा

         और जंगली जानवरों को देश को रौंदने दूँगा।

     6 मैं इसे बंजर भूमि बना दूँगा

         जहाँ दाखलताओं को छाँटा नहीं जाता है और भूमि खोदी नहीं जाती है।

     यह एक ऐसा स्थान होगा जहाँ झाड़ियाँ और ऊँटकटारे उगेंगे।

         और मैं आदेश दूँगा कि उस भूमि पर वर्षा नहीं हो।”

     7 इस्राएल का राष्ट्र यहोवा की दाख की बारी के समान है जो स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान हैं।

         यहूदा के लोग ऐसे बगीचे के समान हैं जो उनके लिए मनभावना था।

     उन्होंने उनसे ऐसे कार्य करने की अपेक्षा की जो न्यायपूर्ण हैं,

         परन्तु इसकी अपेक्षा, उन्होंने देखा कि वे लोग दूसरों की हत्या कर रहे थे।

     उसने अपेक्षा की कि वे धार्मिकता के कार्य करेंगे,

         परन्तु इसकी अपेक्षा, उन्होंने लोगों की पुकार सुनी, जिन पर हिंसक आक्रमण किया जा रहा था।

     8 उन लोगों के साथ भयानक घटनाएँ होंगी जो घरों और खेतों को अन्याय से अपने अधिकार में ले रहे हैं

     तुम एक के बाद एक परिवार को घर छोड़ने पर विवश करते हो।

     जब तक कि तुम अकेले ही देश में न रह जाओ।

9 परन्तु मैंने स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, को गम्भीरता से यह घोषणा करते सुना:

     “एक दिन, वे बड़े-बड़े घर खाली हो जाएँगे,

         उन सुन्दर इमारतों में कोई नहीं रहेगा।

     10 दस एकड़ भूमि में जो दाखलताएँ हैं उनसे बाईस लीटर दाखरस के लिए भी अँगूर प्राप्त नहीं होंगे और दस टोकरे बीज से केवल एक टोकरी अन्न उत्पन्न होगा।”

     11 उन लोगों के साथ भयानक घटनाएँ होंगी जो प्रतिदिन सुबह उठ कर दाखमधु पीना आरम्भ कर देते है,

     और जो बहुत अधिक दाखमधु पीने के लिए देर रात तक जागते रहते हैं,

         जब तक वे पूरी तरह से नशे में धुत नहीं हो जाते हैं।

     12 वे बड़े-बड़े समारोहों का आयोजन करते हैं और बहुत सारी दाखमधु उपलब्ध कराते हैं।

         उनके समारोहों में, वीणा और सारंगी और ढफ और बाँसुरी बजाने वाले लोग होते हैं,

     परन्तु जो यहोवा करते हैं वे उसके विषय में कभी नहीं सोचते हैं

         या जो उन्होंने बनाया है उसकी सराहना नहीं करते हैं।

     13 इसलिए मेरे लोग दूर बन्धुआई में जाएँगे

         क्योंकि वे मेरे विषय में नहीं जानते हैं।

     जो लोग इस समय बहुत महत्वपूर्ण और सम्मानित हैं वे भूखे मरेंगे,

         और अन्य लोग प्यास से मर जाएँगे।

     14 वह ऐसा होगा कि जैसे वह स्थान जहाँ मरे हुए लोग हैं उत्सुकता से अधिक इस्राएली लोगों की खोज में हैं,

         उन्हें निगलने के लिए उन्होंने अपना मुँह खोला हुआ है,

     और लोगों को बड़ी संख्या में उस स्थान पर फेंक दिया जाएगा,

         उनके अगुवों के साथ-साथ शोर मचाने वाली लोगों की भीड़ को भी जो यरूशलेम में जीवन का आनन्द लेती हैं।

     15 यहोवा हर एक को नम्र करेंगे;

         वह घमण्ड करने वाले हर एक को विनम्र करेंगे।

     16 परन्तु स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, एकमात्र पवित्र, यहोवा की स्तुति होगी, क्योंकि उन्होंने न्यायपूर्वक कार्य किए हैं।

         परमेश्वर दिखाएँगे कि वह धार्मिकता के कार्यों को करने के कारण पवित्र हैं।

     17 तब भेड़ और मेम्ने खाने के लिए अच्छी घास पा सकेंगे;

         वे घास खाने के लिए उजड़े स्थानों से होकर चलेंगे।

     18 कुछ लोग जो पाप करने के लिए कठोर परिश्रम कर रहे हैं,

         वे ऐसा कठोर परिश्रम कर रहे हैं जैसे कि वे उन गलत और व्यर्थ वस्तुओं को अपने पीछे खींच रहे हैं।

     उनके साथ भयानक घटनाएँ होगी!

     19 वे परमेश्वर का उपहास करते हैं और उनसे कहते हैं,

         “हमें दण्डित करने के लिए शीघ्र कुछ करो!

         हम देखना चाहते हैं कि आप क्या करोगे।

     आप, इस्राएल के एकमात्र पवित्र, को वह करना चाहिए जो आप करने की योजना बना रहे हैं,

         क्योंकि हम जानना चाहते हैं कि यह क्या है।”

     20 उन लोगों के साथ भयानक घटनाएँ होंगी जो कहते हैं

         कि बुराई अच्छी है, और यह कि अच्छाई बुरी है,

     कि अन्धकार प्रकाश है और यह कि प्रकाश अन्धकार है,

         कि जो कड़वा है वह मीठा है और यह कि जो मीठा है वह कड़वा है।

     21 उन लोगों के साथ भयानक घटनाएँ होंगी जो सोचते हैं कि वे बुद्धिमान हैं

         और कि वे बहुत चालाक हैं।

     22 उन लोगों के साथ भयानक घटनाएँ होंगी जो सोचते हैं कि वे वीर हैं

         क्योंकि वे बहुत दाखमधु पी सकते हैं,

         और जो अच्छे नशीले पेय को मिलाने में सक्षम होने के विषय में घमण्ड करते हैं।

     23 यदि लोग इन भ्रष्ट न्यायधीशों को इसलिए पैसे देते हैं कि वे दुष्टों को दण्ड न दें,

         तो वे उस पैसे को स्वीकार कर लेते हैं।

         और वे निर्दोष को दण्ड का भागी बनाते हैं।

     24 इसलिए, जैसे आग खूँटी को जला देती है

         और सूखी घास मुर्झा जाती है और आग में अति शीघ्र जल जाती है,

     यह ऐसा होगा जैसे कि उन लोगों की जड़ें सड़ जाएँगी

         और उसके फूल हैं सूख जाएँगे।

     ऐसा होगा क्योंकि उन्होंने स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा के नियमों को अस्वीकार कर दिया है;

         उन्होंने इस्राएल के एकमात्र पवित्र परमेश्वर के सन्देशों को तुच्छ जाना है।

     25 यही कारण है कि यहोवा अपने लोगों से बहुत क्रोधित हैं;

         ऐसा लगता है कि उनका हाथ उठ गया है और वह उन्हें तोड़ डालने के लिए तैयार हैं।

     जब वह ऐसा करते हैं, तब पर्वत हिल जाएँगे,

         और लोगों के शव खाद के समान सड़कों में बिखरे रहेंगे।

     परन्तु जब ऐसा होगा, तब भी यहोवा बहुत क्रोधित रहेंगे;

         वह फिर से अपने लोगों को दण्ड देने के लिए तैयार रहेंगे।

     26 यहोवा दूर राष्ट्रों की सेनाओं को बुलाने के लिए संकेत भेजेंगे;

         ऐसा लगता है कि मानों वह उन सैनिकों के लिए सीटी बजाएँगे जो पृथ्‍वी पर बहुत दूर के स्थानों में हैं।

     वे यरूशलेम की ओर बहुत वेग से आएँगे।

     27 वे थकेंगे नहीं और वे ठोकर नहीं खाएँगे।

         वे विश्राम करने के लिए या सोने के लिए नहीं रुकेंगे।

     उनमें से किसी का भी पटुका ढीला नहीं होगा,

     और उनमें से किसी की भी जूतियाँ टूटी पट्टियों वाली नहीं होगी,

         इसलिए वे युद्ध के लिए पूरी रीति से तैयार होंगे।

     28 उनके तीर नोकीले होंगे,

         और युद्ध में उन तीरों को चलाने के लिए उनके धनुष तैयार होंगे।

     क्योंकि उनके घोड़े रथों को तेजी से खींचते हैं, उनके खुरों से चिंगारियाँ निकलेंगी,

         और रथों के पहिए बवण्डर के समान घूमेंगे।

     29 वे भयंकर शेर के समान दहाड़ेंगे

         जो गरजते हैं और फिर उन जानवरों पर झपटते हैं जिन्हें वे मारना चाहते हैं;

     वे उन्हें उठा कर ले जाएँगे,

         और कोई भी उन्हें बचाने में सक्षम नहीं होगा।

     30 इसी प्रकार, तुम्हारे शत्रु उन लोगों पर दहाड़ेंगे जिनको वे मारने वाले हैं,

         जिस प्रकार से समुद्र गरजता है।

     उस दिन, यदि कोई देश भर में देखता है,

         तो वह केवल उन लोगों को देखेगा जो अँधेरे और संकट में हैं;

         यह ऐसा होगा कि मानों जैसे सूरज का प्रकाश भी काले बादलों से छिपा हुआ है।

Chapter 6

1 जिस वर्ष राजा उज्जियाह की मृत्यु हुई, यहोवा ने मुझे एक दर्शन दिखाया। दर्शन में, मैंने देखा कि यहोवा सबसे ऊँचे सिंहासन पर बैठे हुए हैं। वह एक बहुत लम्बा वस्त्र पहने हुए हैं जिससे मन्दिर का फर्श ढाँके हुआ हैं। 2 उनके ऊपर पंख वाले कई प्राणी मण्डरा रहे हैं। उनमें से प्रत्येक में छः पंख हैं। उन्होंने अपने चेहरों को अपने दो पंखों से ढका हुआ था, उन्होंने अपने पैरों को अपने दो पंखों से ढाँके हुआ था, और अपने दो पंखों का उपयोग करके वे उड़ते थे। 3 वे एक-दूसरे को पुकार रहे थे और कह रहे थे,

     “स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, पवित्र हैं;

         वह पूरी तरह से पवित्र हैं!

     पूरी पृथ्‍वी उनकी महिमा से भर गई है।” 4 जब उन्होंने बात की, तो उनकी आवाज ने भवन के द्वारों को हिला कर रख दिया, और परमेश्वर का भवन धुएँ से भर गया।

5 तब मैंने कहा, “मेरे साथ भयानक घटनाएँ होंगी, क्योंकि जो कुछ मैं कहता हूँ वह पापपूर्ण है, और मैं उन लोगों के बीच रहता हूँ जो निरन्तर पापमय बातें कहते हैं। मैं नष्ट हो जाऊँगा क्योंकि मैंने स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, को देखा है!”

6 तब पंखों वाले प्राणियों में से एक ने पंखों की एक जोड़ी का उपयोग करके वेदी से एक गर्म कोयले को लिया। वह मेरे पास उड़ कर आया 7 और कोयले से मेरे होंठों को छुआ। तब उसने कहा, “देखो, इस कोयले ने तुम्हारे होंठों को छुआ है। अब तुम्हारा अपराध समाप्त हो गया है, और तुम्हारे पाप क्षमा हो गए हैं।”

8 तब मैंने यहोवा को यह कहते सुना, “मैं अपने लोगों के लिए एक सन्देशवाहक होने के लिए किसको भेजूँ? कौन जा कर हमारे लिए बात करेगा?” मैंने उत्तर दिया, “मैं यहाँ हूँ। मुझे भेजिए!”

9 फिर उन्होंने कहा,

     “तू जाएगा और इस्राएल के लोगों से कहेगा,

         ‘मैं जो कहता हूँ उसे ध्यान से सुन, परन्तु तू इसे समझ नहीं पाएगा।

     तुम बहुत सावधानी से देखोगे,

         परन्तु तुम समझ नहीं पाओगे।’

     10 मैं तुम इन लोगों से जो कहोगे वह उन्हें हठीला बना देगा;

         वह उन्हें सुनने और देखने योग्य नहीं रहने देगा,

         इसका परिणाम यह होगा कि मैं जो चाहता हूँ वे देखे, वे नहीं देख पाएँगे या मैं जो चाहता हूँ की वे सुनें, वे नहीं सुन पाएँगे।

     और वे मन से समझ नहीं पाएँगे,

         और वे मेरी ओर नहीं फिरेंगे,

         कि मैं उन्हें बचा लूँ और दण्ड न दूँ।”

11 तब मैंने कहा, “आप कब तक चाहते हैं कि मैं ऐसा करता रहूँ?”

     उन्होंने उत्तर दिया, “ऐसा तब तक करते रहो जब तक कि उनके शहर उनके शत्रुओं द्वारा नष्ट नहीं हो जाते हैं,

         जब तक कि उनके घरों में कोई भी नहीं रह जाता है,

     ऐसा तब तक करते रहो जब तक कि उनके खेतों की सब फसलें चोरी न हो जाए

         और खेत उजाड़ न दिए जाएँ।

     12 ऐसा करते रहो जब तक कि यहोवा हर एक को दूर बन्धुआई में न भेज दें,

         और इस्राएल देश निर्जन न हो जाए।

     13 यदि यहाँ तक कि जब दस प्रतिशत लोग बच जाते हैं और वहाँ रहते हैं,

         उनके शत्रु फिर से देश पर आक्रमण करेंगे और सब कुछ जला देंगे।

     परन्तु जिस प्रकार एक बांज वृक्ष को काट दिया जाता है और एक ठूँठ को छोड़ दिया था, और उससे नई कोपलें निकलती हैं,

         जो लोग इस देश में बचे रहते हैं वे एक ऐसा समूह हो जाएँगे जो मेरे लिए अलग हैं।”

Chapter 7

1 आहाज योताम का पुत्र और उज्जियाह का पोता था। उस समय जब आहाज यहूदा का राजा था, तब अराम का राजा रसीन और इस्राएल का राजा पेकह यरूशलेम पर आक्रमण करने के लिए अपनी सेनाओं के साथ निकले। परन्तु वे इसे जीत नहीं सके।

2 उनके आक्रमण करने से पहले, यरूशलेम के महल में रहने वाले हर जन ने यह समाचार सुना कि अराम और इस्राएल अब मित्र राष्ट्र हैं। इसलिए राजा आहाज और जिन लोगों पर वह शासन किया करता था, वे बहुत डर गए; वे ऐसे काँप रहे थे जैसे तूफान में पेड़ काँपते हैं।

3 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “अपने पुत्र शार्याशूब को ले कर राजा आहाज के साथ बात करने के लिए जाओ। वह उस नहर के छोर पर है जो ऊपरी जलाशय में पानी लाती है, उस स्थान के निकट वाली सड़क पर जहाँ स्त्रियाँ वस्त्र धोती हैं। 4 आहाज से कहना कि वह चिन्ता न करे। उससे कहना कि उसे उन दो राजाओं, रसीन और पेकह से डरने की आवश्यकता नहीं है। वे यहूदा से बहुत क्रोधित हैं, परन्तु वे उसके देश को हानि पहुँचाने में ऐसे असमर्थ हैं, जैसे पूरी तरह से जलाया गया कोयला उन्हें हानि पहुँचाने में असमर्थ होता है। 5 हाँ, वे उसके विरुद्ध योजना बना रहे हैं और कह रहे हैं, 6 ‘हम यहूदा पर आक्रमण करेंगे और इसे जीत लेंगे। तब हम ताबेल के पुत्र को यहूदा का राजा होने के लिए नियुक्त करेंगे।’ 7 परन्तु यहोवा, परमेश्वर यही कहते हैं:

     ‘ऐसा नहीं होगा;

         वे यरूशलेम को जीत नहीं पाएँगे!

     8 अराम की राजधानी दमिश्क है,

         परन्तु दमिश्क केवल अपने महत्वहीन राजा रसीन द्वारा शासित है।

     और इस्राएल के लिए, पैंसठ वर्षों के भीतर इसे जीत लिया जाएगा और पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा।

     9 इस्राएल की राजधानी सामरिया है, और सामरिया केवल अपने महत्वहीन राजा पेकह द्वारा शासित है।

         इसलिए तुमको उन दोनों देशों से डरने की आवश्यकता नहीं है!

     परन्तु तुमको मुझ पर भरोसा करना होगा, क्योंकि यदि तुम मुझ पर दृढ़ता से भरोसा नहीं करते हो,

         तो तुम हार जाओगे।’”

10 बाद में, यहोवा ने मुझे राजा आहाज को बताने के लिए एक और सन्देश दिया। 11 उन्होंने उससे कहने के लिए मुझसे कहा, “मुझसे, अर्थात् तुम्हारे परमेश्वर यहोवा, से ऐसा कुछ करने के लिए अनुरोध करो, जो तुमको यह सुनिश्चित करने में सक्षम करे कि मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। तुम जो अनुरोध करते हो वह उस स्थान पर हो सकता है जो आकाश जितना ऊँचा हो या उस स्थान के जितना नीचे जहाँ मरे हुए लोग हैं।”

12 परन्तु जब मैंने राजा से यह कहा, तो उसने मना कर दिया। उसने कहा, “नहीं, मैं यहोवा से यह सिद्ध करने के लिए कि वह हमारी सहायता करेंगे कुछ करने को नहीं कहूँगा।”

13 तब मैंने उससे कहा, “तुम लोग जो राजा दाऊद के वंशज हो, सुनो! तुम मुझे धीरज रखने से थक जाने के लिए विवश कर रहे हो। क्या तुम मेरे परमेश्वर को भी तुम्हारे विषय धीरज रखने से रुक जाने के लिए विवश कर रहे हो? 14 यहोवा यह सिद्ध करने के लिए स्वयं कुछ करेंगे कि वह तुम्हारी सहायता करेंगे। इसे सुनो: एक युवा स्त्री गर्भवती होगी और पुत्र को जन्म देगी। वह उसे इम्मानुएल नाम देगी, जिसका अर्थ है ‘परमेश्वर हमारे साथ है।’ 15 जब वह बच्चा दही और शहद खाने की आयु तक बढ़ जाएगा, तब वह बुराई को अस्वीकार करने और अच्छाई को चुनने में सक्षम होगा। 16 और इससे पहले कि वह बच्चा ऐसा करने की आयु तक बढ़ जाए, उन दो राजाओं के देश जिनसे तुम बहुत डरते हो, निर्जन हो जाएँगे। 17 परन्तु तब यहोवा तुमको और तुम्हारे परिवार और पूरे देश को भयानक विपत्तियों का अनुभव करने देंगे। वे विपत्तियाँ इस्राएल देश के यहूदा से अलग होने के बाद से हुई किसी भी विपत्ति से भी अधिक बुरी होंगी। यहोवा अश्शूर के राजा की सेना को तुम पर आक्रमण करने देंगे!”

18 उस समय, ऐसा होगा कि मानों यहोवा दक्षिणी मिस्र की सेना के साथ-साथ अश्शूर की सेना को बुलाने के लिए सीटी बजाएँगे। वे आएँगे और तुम्हारे देश को मक्खियों और मधुमक्खियों के समान घेर लेंगे। 19 वे सब आकर चारों ओर बस जाएँगे – खड़ी चट्टानों की संकरी घाटियों में और गुफाओं में, उस भूमि पर जहाँ कंटीली झाड़ियाँ हैं, उसके साथ-साथ उपजाऊ भूमि पर भी। 20 उस समय यहोवा अश्शूर के राजा को परात नदी के पूर्व से अपनी सेना के साथ आने के लिए किराए पर लेंगे। वे तुम्हारे देश में सब कुछ से – फसलों से और लोगों से छुटकारा पाएँगे। वे सब कुछ पूरी तरह से नष्ट कर देंगे; यह कुछ इस प्रकार से होगा जैसे कि एक नाई न केवल एक व्यक्ति के बाल बल्कि उसकी दाढ़ी और पैरों के बालों को भी मूँड़ दे। 21 जब ऐसा होगा, तब एक किसान केवल एक युवा गाय और दो बकरियों को जीवित रखने में सक्षम होगा। 22 परन्तु, वे पशु बहुत सारा दूध देंगे, जिसके परिणामस्वरूप किसान को खाने के लिए दही मिलेगा। और क्योंकि देश में बहुत से लोग नहीं होंगे, वहाँ रहने वाले सब लोगों के पास बहुत दूध और शहद होगा। 23 अब ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ दाख की बारियाँ हैं जिनका मूल्य चाँदी के एक हजार टुकड़े हैं, परन्तु उस समय उन क्षेत्रों में केवल झाड़ियाँ और काँटे होंगे। 24 सारे देश में केवल झाड़ियाँ और काँटे होंगे, और जंगली जानवर भी, जिसके परिणामस्वरूप पुरुष अपने धनुष और तीर लेंगे और जानवरों का शिकार करने और उनको मारने के लिए वहाँ जाएँगे। 25 कोई भी वहाँ नहीं जाएगा जहाँ पहाड़ियों पर पहले उपजाऊ बगीचे थे, क्योंकि झाड़ियाँ और काँटे उन पहाड़ियों को ढाँप लेंगे। वे ऐसे क्षेत्र होंगे जहाँ केवल कुछ मवेशी और भेड़ और बकरियाँ कुछ खाने के लिए खोज करती घूमती हैं।

Chapter 8

1 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “एक बड़ी सूचना पट्ट बना। और उस पर स्पष्ट रूप से लिख, ‘महेर्शालाल्हाशबज’ जिसका अर्थ है ‘शीघ्रता से लूटना और चोरी करना’।” 2 इसलिए मैंने ऊरिय्याह महायाजक और जेबेरेक्याह के पुत्र जकर्याह से, जो पुरुष सच्चे गवाह थे, मुझे देखने के लिए अनुरोध किया जब मैं ऐसा कर रहा था।

3 तब मैं अपनी पत्नी के साथ सो गया, जो एक भविष्यद्वक्तिनी थी, और वह गर्भवती हो गई और फिर एक पुत्र को जन्म दिया। तब यहोवा ने मुझसे कहा, “उसे महेर्शालाल्हाशबज नाम दो, 4 क्योंकि उसके ‘पिता’ या ‘माँ’ कहने की आयु तक बढ़ जाने से पहले, अश्शूर का राजा अपनी सेना के साथ आएगा और दमिश्क में और सामरिया में पाई जाने वाली सब मूल्यवान वस्तुएँ ले जाएगा।”

5 फिर से यहोवा ने मुझसे बात की और कहा, “यहूदा के लोगों से कह:

     6 मैंने तुम लोगों की अच्छी देखभाल की है,

         परन्तु तुमने इसे अस्वीकार कर दिया है, यह सोच कर कि मेरी सहायता बहुत छोटी थी,

     उस छोटी नहर की ओर, जिसके माध्यम से गीहोन के सोते से यरूशलेम में पानी बहता है।

         इसकी अपेक्षा, तुम राजा रसीन और राजा पेकह से सहायता का अनुरोध करने में प्रसन्न हो।

     7 इसलिए, मैं, प्रभु, शीघ्र ही अश्शूर के राजा की शक्तिशाली सेना को, यहूदा के लोगों पर आक्रमण करने के लिए उकसाऊँगा जो परात नदी से एक बड़ी बाढ़ के समान होगी।

         उनके सैनिक तुम्हारे देश में हर स्थान में होंगे, एक नदी के समान जो अपने किनारों से ऊपर बहती है।

     8 वे सैनिक पूरे यहूदा में जाएँगे,

         एक नदी के समान जिसका पानी किसी व्यक्ति की गर्दन तक ऊँचा हो जाता है।

     उनकी सेना एक उकाब के समान देश में अति शीघ्र फैल जाएगी,

         और वे तुम्हारे सम्पूर्ण देश को ढाँप लेंगे!

     परन्तु मैं, तुम्हारा परमेश्वर, तुम्हारे साथ रहूँगा!”

     9 तुम, हे दूर देशों में रहने वाले सब लोगों, सुनो!

         तुम यहूदा पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो सकते हो।

     तुम युद्ध के लिए तैयार हो सकते हो, और ऊँचे स्वर में युद्ध की ललकार कर सकते हो,

         परन्तु तुम्हारी सेना कुचल दी जाएगी!

     10 यहूदा पर आक्रमण करने के लिए तुम क्या करोगे, तुम इसकी तैयारी कर सकते हो,

         परन्तु तुम जो करने की योजना बना रहे हो वह व्यर्थ हो जाएगी!

     तुम सफल नहीं होगे,

         क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ हैं!

11 यहोवा ने दृढ़ता से मुझे चेतावनी दी कि यहूदा में रहने वाले अन्य लोगों के समान कार्य न करूँ। उन्होंने मुझसे कहा,

     12 “यह मत कहो कि लोग जो कुछ भी करते हैं वह सरकार के विरुद्ध षड्यन्त्र हैं,

         जैसे अन्य लोग कहते हैं,

     और उनसे मत डरो जिनसे अन्य लोग डरते हैं।

     13 मैं, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा, ही हूँ जिसे तुमको पवित्र मानना चाहिए।

         वह मैं ही हूँ जिससे तुमको डरना चाहिए,

         वही हैं जिसे तुमको लेखा देना होगा।

     14 यहोवा तुम्हारी रक्षा करेंगे।

     परन्तु इस्राएल और यहूदा में रहने वाले अन्य लोगों के लिए,

         यहोवा एक पत्थर के समान होंगे जिससे लोग ठोकर खाएँगे,

         एक चट्टान के समान जिससे वे नीचे गिर जाएँगे।

     और यरूशलेम के लोगों के लिए,

         वह एक जाल या एक फन्दे के समान होंगे।

     15 बहुत से लोग ठोकर खाएँगे और गिर पड़ेंगे

         और फिर कभी नहीं उठेंगे।

     वे बड़े संकटों का अनुभव करेंगे;

         वे अपने शत्रुओं द्वारा बन्धक बना लिए जाएँगे।”

     16 इसलिए मैं तुमसे जो मेरे शिष्य हो कहता हूँ, इस पुस्तक को मुहरबन्द करो

         जिस पर मैंने उन सन्देशों को लिखा है जिन्हें परमेश्वर ने मुझे दिया है,

     और उन अन्यों को उसके निर्देश दो जो मेरे साथ हैं।

     17 मैं प्रतीक्षा करूँगा कि देखूँ यहोवा क्या करेंगे।

     उन्होंने याकूब के वंशजों को अस्वीकार कर दिया है,

         परन्तु मैं विश्वास के साथ आशा करता करूँगा कि वह मेरी सहायता करें।

     18 मैं और मेरे बच्चे जिन्हें यहोवा ने मुझे दिया है, वे इस्राएल के लोगों को चेतावनी देने के संकेत हैं;

         हम स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा की ओर से चेतावनियाँ हैं,

         वही जो यरूशलेम में सिय्योन पर्वत पर अपने भवन में रहते हैं।

19 कुछ लोग तुमसे उन लोगों से परामर्श लेने का आग्रह कर सकते हैं जो मरे हुए लोगों की आत्माओं से बात करते हैं या जो कहते हैं कि उन्हें उन आत्माओं से सन्देश प्राप्त होते हैं। हमें भविष्य में क्या करना चाहिए इसके विषय में वे फुसफुसाते और बुड़बुड़ाते हैं। परन्तु परमेश्वर ही हैं जिनसे हमें हमारा मार्गदर्शन करने के लिए कहना चाहिए! यह उन लोगों के लिए मूर्खता की बात है जो जीवित हैं परन्तु मरे हुए लोगों की आत्माओं से अनुरोध करते हैं कि हमें बताएँ कि क्या करना चाहिए! 20 परमेश्वर के निर्देशों और शिक्षा पर ध्यान दो! यदि लोग ऐसी बातें नहीं कहते हैं जो परमेश्वर हमें सिखाते हैं, तो जो वे कहते हैं, वह निकम्मी बातें है। ऐसा लगता है कि मानों वे लोग अँधेरे में हैं। 21 वे चिन्तित और भूखे पूरे देश में भटकेंगे। और जब वे बहुत भूखे हो जाते हैं, तब वे बहुत क्रोधित हो जाएँगे। वे स्वर्ग की ओर देखेंगे और परमेश्वर को श्राप देंगे और अपने राजा को भी श्राप देंगे। 22 वे देश में चारों ओर देखेंगे और केवल संकट और अन्धकार और ऐसी वस्तुएँ ही देखेंगे जो उन्हें निराश करती हैं। और फिर उन्हें बहुत गहरे अन्धकार में फेंक दिया जाएगा।

Chapter 9

1 हालाँकि, यहूदा में रहने वाले जो निराश थे, वे कष्टों से घिरे नहीं रहेंगे। पहले, यहोवा ने उस देश में रहने वाले लोगों को नम्र किया जहाँ जबूलून और नप्ताली के गोत्र रहते थे। परन्तु भविष्य में वह उन लोगों का सम्मान करेंगे जो गलील के क्षेत्र में रहते हैं, यरदन नदी और भूमध्य सागर के बीच की सड़क के आस-पास, जहाँ कई विदेशी रहते हैं।

     2 भविष्य में एक दिन, ऐसा होगा जैसे कि अँधेरे में चलने वाले लोगों ने एक उज्जवल प्रकाश देखा है।

         हाँ, उन लोगों पर एक उज्जवल प्रकाश चमक जाएगा जो एक ऐसे देश में रहते हैं जहाँ उन्हें संकट घेरे हुए है।

     3 हे यहोवा, आप इस्राएल में रहने वाले हम लोगों के लिए आनन्द का कारण उत्पन्न करेंगे;

         हम बहुत आनन्दित हो जाएँगे।

     आपने जो किया है उसके विषय में हम आनन्दित होंगे

         जैसे कि लोग अपनी फसलों की कटाई करते समय आनन्दित होते हैं,

     या जैसे सैनिक आनन्दित होते हैं

         जब वे उन वस्तुओं को अपने बीच में बाँटते हैं जिन्हें उन्होंने युद्ध में लूटा।

     4 अब आप हमें उन लोगों के दास बने नहीं रहने देंगे जिन्होंने हमें बन्दी बना लिया था;

         आप हमारे कंधों पर से भारी बोझों को हटा देंगे।

     यह ऐसा होगा जैसे आपने उन लोगों के हथियारों को तोड़ दिया है जिन्होंने हम पर अत्याचार किया,

         जैसा आपने तब किया जब मिद्यानी लोगों की सेना को नष्ट कर दिया था।

     5 वे जूते जो शत्रु के सैनिकों ने पहने हुए थे

         और उनके कपड़े जिन पर लहू के दाग हैं

     सब जला दिए जाएँगे;

         वे एक बड़ी आग के लिए ईंधन होंगे।

     6 एक और कारण जिसके लिए हम आनन्दित होंगे वह यह है कि एक विशेष बालक हमारे लिए जन्म लेंगे,

         एक स्त्री एक पुत्र को जन्म देगी,

         और वह हमारे शासक होंगे।

     और उनका नाम होगा ‘अद्भुत परामर्शदाता’, ‘पराक्रमी परमेश्वर,’ ‘हमारे अनन्त पिता’ और ‘राजा जो हमें शान्ति प्रदान करते हैं।’

     7 उनका शासन और जो शान्ति वह लाते हैं वे कभी समाप्त नहीं होंगे।

         वह निष्पक्षतापूर्ण और न्यायपूर्वक शासन करेंगे,

     जैसे उनके पूर्वज राजा दाऊद ने किया था।

         ऐसा इसलिए होगा क्योंकि स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, बहुत इच्छा रखते हैं कि ऐसा हो।

     8 परमेश्वर ने याकूब के वंशजों को चेतावनी दी है;

         उन्होंने कहा है कि वह इस्राएल को दण्ड देंगे।

     9-10 और सामरिया में रहने वाले और इस्राएल के अन्य स्थानों में रहने वाले सब लोग यह जान जाएँगे,

         परन्तु इस समय वे बहुत घमण्डी और अहंकारी हैं।

     उन्होंने कहा, “हमारा शहर नष्ट हो गया है,

         परन्तु हम खण्डहरों से टूटी हुई ईंटें निकाल देंगे

         और सावधानीपूर्वक काटे हुए पत्थर उनके स्थान में चुनेंगे।

     हमारे गूलर और अंजीर के पेड़ों को हमारे शत्रुओं द्वारा काट दिया गया है,

         परन्तु हम उनके स्थान पर देवदार के पेड़ लगाएँगे।”

     11 परन्तु यहोवा इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने के लिए अराम के राजा रसीन के शत्रु अश्शूर की सेना को लाएँगे

         और इस्राएल पर आक्रमण करने के लिए अन्य जातियों को उत्तेजित करेंगे।

     12 अराम की सेना पूर्व से आएगी,

         और पलिश्तियों की सेना पश्चिम से आएगी,

     और वे इस्राएल को नष्ट कर देंगे

         जैसे एक जंगली जानवर किसी अन्य जानवर को फाड़ डालता है और उसे खा जाता है।

     परन्तु ऐसा होने के बाद, यहोवा उनसे बहुत क्रोधित रहेंगे।

         वह अपने घूँसे से उन पर आक्रमण करने के लिए फिर से तैयार हो जाएँगे।

     13 परन्तु यहोवा भले ही अपने लोगों को इस प्रकार दण्ड दें,

         वे तब भी उसके पास वापस नहीं आएँगे और उनकी आराधना नहीं करेंगे।

     इसके उपरान्त वे उनकी सहायता करने के लिए, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा से विनती नहीं करेंगे।

     14 इसलिए, एक ही दिन में यहोवा उन लोगों से छुटकारा पाएँगे जो इस्राएल के सिर के समान हैं और वे जो उसकी पूँछ के समान हैं;

         वे लोग जो खजूर के पेड़ के शीर्ष के समान हैं और वे जो उसके तले के समान हैं।

     15 इस्राएल के अगुवे सिर हैं,

         और झूठ बोलने वाले भविष्यद्वक्ता पूँछ हैं।

     16 उन लोगों के अगुवों ने उन्हें भटकाया है;

         उन्होंने उन लोगों को जिन पर वे शासन कर रहे हैं भ्रमित कर दिया है।

     17 यही कारण है कि, यहोवा इस्राएल के युवा पुरुषों से प्रसन्न नहीं हैं,

         और वह विधवाओं और अनाथों के प्रति दया नहीं दिखाते हैं,

     क्योंकि वे सब अधर्मी और दुष्ट हैं,

         और वे सब मूर्खता की बातें करते हैं।

     परन्तु यहोवा अभी भी उनसे क्रोधित हैं;

         वह उन पर फिर से अपने घूँसे का वार करने के लिए तैयार हैं।

     18 जब लोग दुष्टता के कार्य करते हैं,

         तो वह झाड़ियों की आग के समान है जो तेजी से फैलती है।

     यह न केवल झाड़ियों और काँटों को जलाती है;

     यह जंगल में एक बड़ी आग को आरम्भ करती है

         जिससे धुएँ के बादल उठेंगे।

     19 ऐसा लगता है कि मानों पूरा देश जल कर काला हो गया है

         क्योंकि स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, इस्राएलियों से बहुत क्रोधित हैं।

     वे उस धधकती आग के लिए ईंधन के समान बन जाएँगे,

         और यहाँ तक कि उस आग से कोई अपने भाई को भी बचाने का प्रयास नहीं करेगा।

     20 इस्राएली लोग अपने पड़ोसियों पर आक्रमण करेंगे जो उनसे भोजन पाने के अधिकार में घरों में रहते हैं,

         परन्तु वे अभी भी भूखे होंगे।

     वे उन लोगों को मार कर उनके माँस को खाएँगे जो बचे हुए घरों में रहते हैं,

         परन्तु उनके पेट अभी भी नहीं भरेंगे।

         21 मनश्शे और एप्रैम के गोत्रों के इस्राएली एक-दूसरे पर आक्रमण करेंगे,

         और फिर वे दोनों यहूदा के लोगों पर आक्रमण करेंगे।

     परन्तु ऐसा होने के बाद भी, यहोवा अब भी उनके साथ बहुत क्रोधित होंगे;

         फिर से वह अपने घूँसे से उन पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो जाएँगे।

Chapter 10

    

1 तुम न्यायधीशों के साथ भयानक बातें होंगी जो अनुचित हैं

         और जो अनुचित कानून बनाते हैं।

     2 तुम गरीब लोगों की सहायता करने से मना करते हो,

         और तुम उन्हें उन वस्तुओं को प्राप्त करने की अनुमति नहीं देते जिन्हें उन्हें प्राप्त करना चाहिए।

     तुम लोगों को विधवाओं से चीजों को चुरा लेने की अनुमति देते हो

         और बिना पिता के बच्चों के साथ अनुचित कार्य करते हो।

     3 जब मैं दूर के देशों के लोगों को

         तुम पर विपत्तियाँ डाल कर तुमको दण्डित करने के लिए भेजता हूँ,

     तो तुम सहायता पाने के लिए किसके पास भागेंगे?

         तुम्हारी बहुमूल्य सम्पत्तियाँ निश्चित रूप से कहीं भी सुरक्षित नहीं होंगी।

     4 तुम केवल तभी ठोकर खा सकोगे जब तुम्हारे शत्रु तुमको अन्य बन्दियों के साथ ले जाएँगे,

         या फिर तुम्हारी लाशें भूमि पर अन्य मार डाले गए लोगों के साथ पड़ी रहेंगी।

     परन्तु ऐसा होने के बाद भी,

         यहोवा अभी भी तुम्हारे साथ बहुत क्रोधित होंगे।

     फिर से वह अपने घूँसे से तुम पर आक्रमण करने के लिए अभी भी तैयार होंगे।

     5 यहोवा कहते हैं, “अश्शूर के साथ भयानक बातें होगी।

         यह सच है कि उनकी सेना एक छड़ी या लाठी के समान है जिससे मैं अन्य राष्ट्रों को दण्डित करता हूँ

         क्योंकि मैं उन राष्ट्रों से बहुत क्रोधित हूँ।

     6 कभी-कभी मैं अश्शूरियों को एक नास्तिक राष्ट्र पर आक्रमण करने के लिए भेजता हूँ,

         उन लोगों के विरुद्ध लड़ने के लिए जिन्होंने मुझे क्रोधित किया है।

     मैं उन्हें लोगों को पकड़ने और बन्धक बनाने और उनकी सम्पत्ति ले लेने के लिए,

         और उनको इस तरह से कुचलने के लिए भेजता हूँ जैसे लोग सड़कों की मिट्टी पर चलते हैं।

     7 परन्तु अश्शूर के राजा को समझ में नहीं आता;

         वह नहीं जानता है कि वह मेरे हाथ में केवल एक हथियार के समान है।

     वह केवल लोगों को,

         कई देशों से छुटकारा पाने के लिए नष्ट करना चाहता है।

     8 वह कहता है, ‘मेरी सेना के सारे सरदार शीघ्र ही इन राष्ट्रों के राजा बनेंगे जिन्हें मैं जीत लेता हूँ!

         9 हमने कलनो शहर को नष्ट कर दिया जैसे हमने कर्कमीश शहर को नष्ट कर दिया था।

     हमने हमात शहर को नष्ट कर दिया जैसे हमने अर्पाद शहर को नष्ट कर दिया था;

         हमने सामरिया को नष्ट कर दिया जैसे हमने दमिश्क को नष्ट कर दिया था।

     10 हम उन सब साम्राज्यों को नष्ट करने में सक्षम थे जो उनके देवताओं की प्रतिमाओं से भरे हुए थे,

         ऐसे साम्राज्य जिनके देवता यरूशलेम और सामरिया के देवताओं से अधिक मजबूत थे।

     11 इसलिए हम यरूशलेम को पराजित करेंगे और वहाँ उपस्थित देवताओं की प्रतिमाओं को नष्ट कर देंगे,

         जैसे हमने सामरिया को और वहाँ की प्रतिमाओं को नष्ट कर दिया था!’

12 परन्तु मैं यहोवा हूँ, और जब यरूशलेम में लोगों को दण्डित करने के लिए मैं जो करना चाहता हूँ, उसे पूरा करने के लिए अश्शूर का उपयोग करने के बाद, मैं अश्शूर के राजा को दण्ड दूँगा क्योंकि वह बहुत घमण्डी और अभिमानी है।

     13 वह कहता है, ‘अपनी महान शक्ति से मैंने इन कार्यों को किया है।

         मैं उन्हें करने में सक्षम हो पाया हूँ क्योंकि मैं बहुत बुद्धिमान और बहुत चतुर हूँ।

     मेरी सेना ने राष्ट्रों की सीमाओं पर बाधाओं को हटा दिया

         और उनकी सब मूल्यवान चीजें दूर ले गए।

     मेरी शक्तिशाली सेना ने उनके सब लोगों को अपमानित किया है।

     14 जिस तरह कोई जन जो अंडे को ले लेने के लिए चिड़िया के घोंसले में पहुँचता है,

         हमने दूसरे देशों के खजाने को ले लिया है।

     वे लोग पक्षियों के समान नहीं थे जो अपने अंडों को चुराए जाने के विरोध में अपने पंख फड़फड़ाते थे या जोर से चहचहाते थे;

         उन लोगों ने चोरी किए जाने वाले उनके खजाने का बिलकुल विरोध नहीं किया।’

     15 परन्तु मैं यहोवा हूँ, और मैं कहता हूँ कि एक कुल्हाड़ी निश्चित रूप से उस व्यक्ति से अधिक मजबूत होने के विषय में दावा नहीं कर सकती जो इसका उपयोग करता है,

         और एक आरी उस व्यक्ति से बड़ी नहीं है जो इसका उपयोग करता है।

     एक छड़ी इसे पकड़ने वाले व्यक्ति को नियंत्रित नहीं कर सकती है,

         और एक लकड़ी का डंडा एक व्यक्ति को उठा नहीं सकता है।

     इसलिए अश्शूर के राजा को यह दावा नहीं करना चाहिए कि उसने इन कार्यों को अपने ज्ञान और शक्ति से किया है।

     16 मैं स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा परमेश्वर हूँ, जो अश्शूर के सर्वश्रेष्ठ सैनिकों के बीच एक महामारी भेजूँगा;

         यह आग के समान होगी जो उन्हें मार डालेगी और उनकी महिमा से छुटकारा पाएगी।

     17 यहोवा एक आग के समान इस्राएल के लोगों के लिए प्रकाश के समान हैं;

         वह एकमात्र पवित्र जो इस्राएल का शासन करते हैं ज्वाला के समान हैं।

     अश्शूर के सैनिक काँटों और झाड़ियों के समान हैं,

         और यहोवा उन्हें एक दिन में जला देंगे।

     18 अश्शूर में महिमामय जंगल और उपजाऊ खेत हैं, परन्तु यहोवा उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर देंगे;

         वे एक ऐसे बहुत बीमार व्यक्ति के समान होंगे जो कँपकँपाता है और फिर मर जाता है।

     19 उन जंगलों में बहुत कम पेड़ छोड़े जाएँगे;

         यहाँ तक कि एक बच्चा भी उन्हें गिनने में सक्षम होगा।”

     20 भविष्य में इस्राएल में केवल कुछ लोग ही बचेंगे;

         याकूब के बहुत से वंशज अभी भी जीवित नहीं होंगे।

     परन्तु वे अब अश्शूर के राजा पर भरोसा नहीं करेंगे,

         उस राष्ट्र के राजा पर जिसने उन्हें नष्ट करने का प्रयास की।

     इसके बजाए, वे सच्चे मन से उस एकमात्र पवित्र परमेश्वर पर भरोसा रखेंगे, जो इस्राएल पर शासन करते हैं।

     21 वे इस्राएली अपने शक्तिशाली परमेश्वर के पास वापस आ जाएँगे।

     22 अब, इस्राएल के लोग समुद्र के किनारे की रेत के किनकों जितने असंख्य हैं,

         परन्तु उनमें से केवल कुछ ही उन देशों से वापस आ पाएँगे जिनमें उन्हें बन्धुआ किया जाएगा।

     यहोवा ने अधिकांश इस्राएली लोगों को नष्ट करने का निर्णय किया है,

         और यही है जो उसे करना चाहिए क्योंकि वह पूरी तरह से धर्मी है।

     23 हाँ, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा परमेश्वर ने पहले ही इस्राएल की सम्पूर्ण देश को नष्ट करने का निर्णय किया है।

24 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा यही कहते हैं:

     “हे यरूशलेम में रहने वाले मेरे लोगों, अश्शूर की सेना से मत डरो, जब वे तुमको छड़ों और डण्डों से मारते हैं,

         जैसे बहुत पहले मिस्र के पुरुषों ने तुम्हारे पूर्वजों के साथ किया था।

     25 शीघ्र ही मैं अब तुमसे क्रोधित नहीं रहूँगा,

         और फिर मैं अश्शूर के लोगों से क्रोधित हो जाऊँगा और उन्हें नष्ट कर दूँगा!”

     26 स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, उन्हें अपने चाबुक से मारेंगे।

         वह उनके साथ वैसा ही करेंगे जैसा उन्होंने मिद्यानी लोगों के समूह की सेना को हराने के समय किया था,

         और जैसा उन्होंने तब किया जब उन्होंने मिस्र की सेना को लाल समुद्र में डुबा दिया था।

     27 भविष्य में एक दिन, यहोवा अश्शूर की सेना को तुम, उसके अपने लोगों पर अत्याचार करना बन्द करवा देंगे;

         वह तुम्हारी पीड़ा को और अश्शूर के लोगों के लिए तुम्हारे दासत्व को समाप्त कर देंगे;

     तुम उनके प्रति बहुत मजबूत हो जाओगे।

     28 भविष्य में एक दिन यह स्थिति होगी: अश्शूर की सेना अय्यात के पास उत्तरी यहूदा में प्रवेश कर चुकी है;

         वे मिग्रोन के माध्यम से चले गए हैं

         और यरूशलेम के उत्तर में मिकमाश में अपनी आपूर्ति को इकट्ठा किया है।

     29 वे एक पहाड़ी मार्ग से पार हो गए हैं

         और गिबा में अपने तम्बू स्थापित किए हैं।

     रामा में रहने वाले लोग थरथराएँगे क्योंकि वे डरे हुए हैं।

         गिबा के सब लोग, जहाँ राजा शाऊल पैदा हुआ था, भाग गए हैं।

     30 तुम गैलीम के लोग सहायता के लिए पुकारोगे!

         वे यरूशलेम के पास लैश नगर के लोगों को चेतावनी देने के लिए चिल्लाएँगे!

         अनातोत के लोग बहुत पीड़ित होंगे।

     31 यरूशलेम के उत्तर में मदमेना के सब लोग भाग रहे हैं,

         और यरूशलेम के निकट गेबीम के लोग छिपने का प्रयास कर रहे हैं।

     32 अश्शूर के सैनिक यरूशलेम के बाहर नोब शहर में रुकेंगे।

         वे अपनी मुट्ठियाँ हिलाएँगे

         जब वे यरूशलेम के सिय्योन पर्वत पर रहने वाले लोगों को धमकी देते हैं।

     33 परन्तु यह सुनो! स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा,

         अपनी महान शक्ति से अश्शूर की शक्तिशाली सेना को नष्ट कर देंगे।

     ऐसा लगता है कि मानों वे एक विशाल पेड़ हैं जिसे वह काट डालेंगे।

     34 वह अश्शूर के सैनिकों को नष्ट कर देंगे

         जैसे लबानोन के जंगलों में लम्बे पेड़ों को काटने के लिए पुरुष बड़ी कुल्हाड़ियों का उपयोग करते हैं।

Chapter 11

    

1 जिस तरह अक्सर एक नई शाखा एक पेड़ के ठूँठ से बढ़ती है,

         वैसे ही राजा दाऊद का एक वंशज होगा जो एक नए राजा होंगे।

     2 यहोवा का आत्मा सदा उसके साथ रहेंगे।

         आत्मा उसे बुद्धिमान और कई चीजों को समझने में सक्षम करेंगे;

         आत्मा उसे यह तय करने में सक्षम करेंगे कि क्या करना अच्छा है और उसे महान शक्ति देंगे।

         आत्मा उसे यहोवा को जानने और उसे सम्मानित करने में सक्षम करेंगे।

     3 वह यहोवा की आज्ञा मानने में प्रसन्न होंगे।

     वह केवल यह देख कर कि वह व्यक्ति कैसा दिखता है तय नहीं करेंगे कि कोई धार्मिक है या नहीं,

         या दूसरों से सुन कर कि वे उस व्यक्ति के विषय में क्या कहते हैं।

     4 वह अभावग्रस्त लोगों के मामलों का न्याय निष्पक्षता से करेंगे;

         और वह गरीब लोगों के प्रति न्यायपूर्वक कार्य करेंगे।

     वह निर्णय लेने के परिणामस्वरूप बुरे लोगों को दण्डित करेंगे;

         जो बुरे कार्य उन्होंने किए हैं उसके कारण वह दुष्ट लोगों से छुटकारा पाएँगे।

     5 वह सदा धार्मिक रूप से कार्य करेंगे;

         जो अच्छे कार्य वह करते हैं वह उसके कमर के चारों ओर एक पटुके के समान होंगे।

     वह सदा सच बोलेंगे;

         जो सच्चे शब्द वह बोलते हैं वह उसके कमर के चारों ओर एक कमरबन्द के समान होंगे।

     6 जब वह राजा बन जाते हैं, तब भेड़िए और मेम्ने एक साथ शान्ति से रहेंगे;

     तेन्दुए, बकरियों के बच्चों की हत्या करने के बजाए,

         उनके साथ लेटे रहेंगे।

     इसी प्रकार, मोटे, स्वस्थ बछड़े और शेर एक साथ भोजन खाएँगे;

         और एक छोटा बच्चा उनकी देखभाल करेगा।

     7 गाय और भालू एक साथ चरेंगे;

         भालू के शावक और बछड़े एक साथ लेटे रहेंगे।

     शेर अन्य जानवरों को नहीं खाएँगे;

         इसके बजाए, वे गायों के समान घास खाएँगे।

     8 बच्चे उन बिलों के पास सुरक्षित रूप से खेलेंगे जहाँ कोबरा साँप रहते हैं;

     छोटे बच्चे भी विषैले साँपों के घोंसलों में अपने हाथ डाल देंगे,

         और साँप उन्हें हानि नहीं पहुँचाएँगे।

     9 मेरी पवित्र पहाड़ी, सिय्योन पर्वत पर कोई प्राणी अन्य प्राणियों को हानि नहीं पहुँचाएगा या मार नहीं डालेगा;

     और पृथ्‍वी उन लोगों से भर जाएगी जो मुझे जानते हैं,

         जिस प्रकार समुद्र पानी से भरे हुए हैं।

10 उस समय, राजा दाऊद के वंशज एक झण्डा पकड़ेंगे

         सब लोगों के समूहों के लोगों को संकेत देने के लिए कि उन्हें उसके चारों ओर इकट्ठा होना चाहिए;

     वे उसकी सलाह लेने के लिए उसके पास आएँगे,

         और वह स्थान तेजस्वी होगा जहाँ वह रहते हैं।

     11 उस समय, यहोवा अपने हाथों के बढ़ाएँगे जैसा उसने बहुत पहले किया था;

     वह उन लोगों को जिन्हें इस्राएल से बन्धुआई में ले जाया गया था,

         अश्शूर से, उत्तरी मिस्र से, दक्षिणी मिस्र से,

         इथियोपिया से, एलाम से, बाबेल से, हमात से, और समुद्र के पास के सब दूर के देशों से घर लौटने में सक्षम करेंगे।

     12 यहोवा सब लोगों के समूहों के बीच अपना झण्डा उठाएँगे,

         और वह इस्राएल के लोगों को इकट्ठा करेंगे जो बहुत पहले निर्वासित थे।

     वह पृथ्‍वी पर बहुत दूर स्थानों से इकट्ठा होंगे

         यहूदा के लोग जिन्हें वह उन स्थानों पर बिखरा हुआ था।

     13 तब, इस्राएल के लोग और यहूदा के लोग अब एक-दूसरे से ईर्ष्या नहीं करेंगे,

         और वे अब एक-दूसरे के शत्रु नहीं होंगे।

     14 उनकी सेनाएँ पश्चिम में पलिश्ती लोगों पर आक्रमण करने के लिए एक साथ मिलेंगी।

         और वे पूर्वी राष्ट्रों पर एक साथ आक्रमण करेंगे;

     वे उन राष्ट्रों को पराजित करेंगे और उनकी सारी मूल्यवान सम्पत्तियों को ले जाएँगे।

     वे एदोम और मोआब के क्षेत्रों पर अधिकार कर लेंगे,

         और वे अम्मोनी लोगों के समूह के लोगों पर शासन करेंगे।

     15 यहोवा मिस्र के पास समुद्र के माध्यम से एक सूखी सड़क बना देंगे।

     यह ऐसा होगा जैसे मानों वह परात नदी पर अपना हाथ लहराएँगे

         और उसे सात धाराओं में विभाजित करने के लिए एक प्रचण्ड हवा भेजेंगे,

         जिसके परिणामस्वरूप लोग उन धाराओं के पार चले जाने में सक्षम होंगे।

     16 क्योंकि वह अश्शूर में रहने वाले अपने लोगों के लिए राजमार्ग बनाएँगे,

         वे अपने देश में लौट आने में सक्षम होंगे,

     जिस प्रकार बहुत पहले उसने इस्राएल के लोगों के लिए रास्ता बनाया था

         कि वे पानी से होकर जा सकें

         जब उन्होंने मिस्र छोड़ा था।

Chapter 12

1 उस समय, तुम यरूशलेम के लोग इस गीत को गाओगे:

     “हे यहोवा, हम आपकी प्रशंसा करते हैं!

         पहले, आप हमसे क्रोध थे,

     परन्तु अब आप क्रोध में नहीं हैं

         और आपने हमें सांत्वना दी है।

     2 आश्चर्यजनक रूप से, आप हमें बचाने के लिए आए हैं,

         इसलिए हम आप पर भरोसा करेंगे और डरेंगे नहीं।

     हे यहोवा हमारे परमेश्वर, आप हमें दृढ़ होने में सक्षम बनाते हैं;

         आप ही हैं जिसके विषय में हम गाते हैं;

         आपने हमें हमारे शत्रुओं से बचा लिया है।”

     3 तुम, उसके लोग बहुत प्रसन्न होओगे क्योंकि उसने तुमको बचा लिया है,

         जैसे तुम एक झरने से पीने के पानी का आनन्द लेते हो।

4 उस समय तुम कहोगे,

     “हमें यहोवा को धन्यवाद देना चाहिए! हमें उनकी स्तुति करनी चाहिए!

         हमें सारे जाति समूह के लोगों को बताना चाहिए जो उन्होंने किया है;

         हमें उन्हें यह जानने में सक्षम करना चाहिए कि वह बहुत महान हैं!

     5 हमें यहोवा के लिए गाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने अद्भुत कार्य किए हैं।

         हमें संसार में हर किसी को यह जानने में सक्षम करना चाहिए!

     6 तुम हे यरूशलेम के लोगों, यहोवा की स्तुति करने के लिए प्रसन्नता से चिल्लाओ,

         क्योंकि वही महान एकमात्र पवित्र है जिसकी हम इस्राएली लोग आराधना करते हैं,

         और वह हमारे बीच रहते हैं!”

Chapter 13

1 मैं, आमोस के पुत्र यशायाह ने, बाबेल शहर के विषय में इस सन्देश को यहोवा से पाया है:

     2 एक पहाड़ी के नंगे शीर्ष पर एक झण्डे को ऊँचा उठाओ,

         यह संकेत करने के लिए कि बाबेल पर आक्रमण करने के लिए एक सेना को आना चाहिए।

     उनके लिए चिल्लाओ और उन्हें संकेत देने के लिए अपने हाथ को लहराओ

         कि उन्हें शहर के फाटकों से निकल कर बाबेल के घमण्डी शासकों के महलों में चले जाना चाहिए!

     3 यहोवा कहते हैं, “मैंने उन लोगों को आज्ञा दी है जो मेरे लिए यह कार्य करने के लिए अलग हैं—

         मैंने उन योद्धाओं को बुलाया है जिन्हें मैंने बाबेल के लोगों को दण्डित करने के लिए चुना है क्योंकि मैं उनसे बहुत क्रोधित हूँ,

         और जब वे ऐसा करते हैं तो उन सैनिकों को बहुत गर्व होगा।”

     4 पर्वतों पर शोर को सुनो,

         जो एक विशाल सेना के चलने का शोर है!

     यह शोर कई जातिसमूहों के चिल्लाते हुए लोगों द्वारा किया जाता है।

         स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने इस सेना को एक साथ इकट्ठा होने के लिए बुलाया है।

     5 वे उन देशों से आते हैं जो बहुत दूर हैं,

         पृथ्‍वी पर सबसे दूर के स्थानों से।

     वे उन हथियारों के समान हैं जिन्हें यहोवा उन लोगों को दण्डित करने के लिए जिनसे वह बहुत क्रोध हैं,

         और बाबेल के पूरे देश को नष्ट करने के लिए उपयोग करेंगे।

     6 तुम बाबेल के लोग चिल्लाओगे क्योंकि तुम भयभीत हो जाओगे,

         क्योंकि यह वह समय होगा जिसे यहोवा ने निर्धारित किया है,

         सर्वशक्तिमान परमेश्वर के लिए तुम्हारे शहर को नष्ट करने का समय।

     7 क्योंकि ऐसा होगा, इसलिए तुम्हारे सब लोग बहुत डर जाएँगे,

         जिसके परिणामस्वरूप वे अपनी बाँहों को उठाने में भी असमर्थ होंगे।

     8 तुम सबके सब भयभीत होगे।

         तुमको गम्भीर पीड़ाएँ होंगी

         जिस प्रकार एक स्त्री को होती है जब वह एक बच्चे को जन्म दे रही है।

     तुम असहाय रूप से एक दूसरे को देखोगे,

         और यह तुम्हारे चेहरे पर दिखाई देगा कि तुम अत्यन्त भय में हो।

     9 तुम हे बाबेल के लोगों, इस बात को सुनो: जिस दिन को यहोवा ने कार्य करने के लिए चुना है, वह निकट है,

         वह दिन जिसमें वह उग्रतापूर्वक और भयंकर रूप से तुमको दण्डित करेंगे क्योंकि वह तुमसे बहुत क्रोधित हैं।

     वह तुम्हारे देश बाबेल को उजाड़ कर देंगे,

         और वह इसमें रहने वाले सभी पापियों को नष्ट कर देंगे।

     10 जब ऐसा होता है, तो कोई भी सितारा नहीं चमकेगा।

         जब सूर्य उगता है, तो अन्धकार होगा,

     और रात में चँद्रमा से कोई प्रकाश नहीं होगा।

     11 यहोवा कहते हैं, “मैं उन सब बुरे कार्यों के लिए जो वे करते हैं संसार में हर किसी को दण्ड दूँगा;

         मैं दुष्ट लोगों को उनके द्वारा किए गए पापों के लिए दण्ड दूँगा।

     मैं हठीले लोगों को घमण्डी होने से रोकूँगा,

         और मैं क्रूर लोगों को बहुत हठीला होने से रोकूँगा।

     12 और क्योंकि मैं अधिकतर लोगों को मर जाने दूँगा,

         सोने की तुलना में लोगों को ढूँढ़ना कठिन होगा,

     अरब के ओपीर में चोखा सोना ढूँढ़ने की तुलना में कठिन।

     13 मैं आकाश को हिला दूँगा,

         और पृथ्‍वी भी इसके स्थान से हट जाएगी।

     ऐसा होगा जब मैं, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा, दुष्ट लोगों को दण्डित करूँगा,

         जब मैं उन्हें दिखाता हूँ कि मैं उनसे बहुत क्रोधित हूँ।

     14 बाबेल में रहने वाले सभी विदेशी लोग के समान इधर उधर ऐसे दौड़ेंगे जैसे हिरन जिसका शिकार किया जा रहा है,

         जैसे भेड़ जिसका कोई चरवाहा नहीं है।

     वे अपने देशों के अन्य लोगों को ढूँढ़ने की प्रयास करेंगे,

         और फिर वे बाबेल से बच कर निकल जाएँगे और अपने देशों को लौट जाएँगे।

     15 कोई भी जिसे बाबेल में बन्धक बना लिया गया है

         वह उनके शत्रुओं की तलवारों से मारा जाएगा।

     16 उनके माता-पिता के देखते-देखते उनके छोटे बच्चे चट्टानों पर टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे;

         उनके शत्रु उनके घरों से सब कुछ मूल्यवान चुरा लेंगे और उनकी पत्नियों को अपने साथ सोने के लिए विवश करेंगे।

     17 देखो! मैं बाबेल पर आक्रमण करने के लिए मादी लोगों को उत्तेजित करने जा रहा हूँ।

         मादी सेना बाबेल पर आक्रमण करेगी, भले ही उन्हें चाँदी या सोने की पेशकश की जाए, कि यदि वे इस पर आक्रमण नहीं करने का प्रतिज्ञा करते हैं।

     18 अपने तीरों से, मादी सैनिक बाबेल के जवानों को मार देंगे;

         यहाँ तक कि वे दूध पीते बच्चे या बच्चों के प्रति भी दया से कार्य नहीं करेंगे!”

     19 बाबेल एक बहुत ही सुन्दर शहर रहा है;

         बाबेल के सभी लोगों को बाबेल, उनकी राजधानी के शहर पर बहुत गर्व है;

     परन्तु परमेश्वर बाबेल को नष्ट कर देंगे,

         जैसे उसने सदोम और अमोरा को नष्ट कर दिया था।

     20 कोई भी फिर कभी बाबेल में नहीं रहेगा।

         इसे सदा के लिए त्याग दिया जाएगा।

     घुमक्कड़ वहाँ अपने तम्बू स्थापित करने से मना कर देंगे;

         चरवाहे वहाँ आराम करने के लिए अपने भेड़ों के झुण्ड को नहीं लाएँगे।

     21 रेगिस्तान में रहने वाले पशु वहाँ होंगे;

         घरों के खण्डहरों में सियार रहेंगे।

     खण्डहरों में उल्लू रहेंगे,

         और शुतुर्मुर्ग और जंगली बकरियाँ चारों ओर घूमती रहेंगी।

     22 नष्ट मीनारों में लकड़बग्घे बोला करेंगे,

         और महलों के खण्डहरों में जो पहले बहुत सुन्दर थे, सियार अपनी मांद बना लेंगे।

     वह समय जब बाबेल नष्ट हो जाएगा, बहुत निकट है;

         बाबेल बहुत समय अस्तित्व में नहीं रहेगा।

Chapter 14

1 परन्तु यहोवा इस्राएलियों के प्रति दया से कार्य करेंगे; वह इस्राएल के लोगों को फिर से अपने लोग होने के लिए चुन लेंगे, और वह उन्हें यहाँ वापस लौटने और अपने देश में फिर से रहने की अनुमति देंगे। तब कई अन्य देशों के लोग यहाँ आएँगे और इस्राएली लोगों के साथ मिल जाएँगे। 2 अन्य राष्ट्रों के लोग उन्हें अपने देश में लौटने में सहायता करेंगे, और जो दूसरे देशों से आएँगे वे इस्राएली लोगों के लिए कार्य करेंगे। जिन लोग द्वारा इस्राएल के लोगों को बन्धक बनाया गया हैं उन्हें इस्राएली सैनिकों द्वारा बन्धक बनाया जाएगा, और इस्राएल के लोग उन लोगों पर शासन करेंगे जिन्होंने पहले उन पर अत्याचार किया था।

3 किसी दिन यहोवा तुम इस्राएली लोगों को पीड़ा और परेशानी से और डरने से, और दासों के रूप में क्रूरतापूर्वक व्यवहार किए जाने से स्वतन्त्र करेंगे। 4 जब ऐसा होता है, तो तुम इस तरह के गीत गा कर बाबेल के राजा का ठट्ठा करोगे:

     “तुमने हमसे क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया, परन्तु यह समाप्त हो गया है!

         तुमने दूसरों का अपमान किया और उन्हें पीड़ा दी, परन्तु अब तुम इसे नहीं कर सकते!

     5 तुम हे दुष्ट शासक, यहोवा ने तुम्हारी शक्ति को नष्ट कर दिया है,

         और अब तुम लोगों पर अत्याचार नहीं करेंगे!

     6 तुमने कई बार लोगों पर आक्रमण किया

         क्योंकि तुम उनसे बहुत क्रोधित थे,

     और तुमने अन्य देशों को

         बिना रुके उन्हें पीड़ित करने के द्वारा अपने अधीन कर लिया।

     7 परन्तु शीघ्र ही पृथ्‍वी पर सब कुछ व्यवस्थित और शान्तिपूर्ण होगा।

         हर कोई फिर से गाएगा!

     8 यह ऐसा होगा जैसे मानों जंगलों में पेड़ प्रसन्नता से इस गीत को गाएँगे,

         साइप्रस के पेड़ और लबानोन में देवदार के पेड़ इसे गाएँगे:

     ‘तुमको उखाड़ कर फेंक दिया गया है,

         और अब कोई भी हमें काटने के लिए नहीं आता है।’

     9 मरे हुए सब लोग तुम्हारा उस जगह पर जाने के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं जहाँ वे हैं।

     संसार के अगुवों की आत्माएँ

         तुम्हारा स्वागत करके प्रसन्न होंगी;

     जो लोग मरने से पहले कई राष्ट्रों के राजा थे

         तुम्हारा स्वागत करने के लिए खड़े हो जाएँगे।

     10 वे सब तुम पर एक साथ चिल्लाएँगे,

         ‘अब तुम उतने ही निर्बल हो जितने हम हैं!’

     11 तुम बहुत घमण्डी और शक्तिशाली थे,

         परन्तु जब तुम मर गए तो वह सब,

         तुम्हारे महल में बजाई जा रही वीणा की आवाजों के साथ समाप्त हो गया।

     अब तुम्हारी कब्र में कीड़े तुम्हारे नीचे एक चादर के समान होंगे,

         और केंचुए तुमको एक कंबल के समान ढाँप लेंगे।’

     12 तुम आकाश से गिरे हुए एक सितारे के समान पृथ्‍वी से गायब हो गए हो;

     तुम बहुत प्रसिद्ध थे,

         जैसे सुबह का सितारा हर किसी द्वारा देखा जाता है;

     तुमने कई राष्ट्रों को नष्ट कर दिया,

         परन्तु अब तुम नष्ट हो गए हैं।

     13 तुमने गर्व से कहा, ‘मैं अपने सिंहासन पर परमेश्वर के सितारों के ऊपर स्वर्ग पर चढ़ जाऊँगा।

         मैं दूर उत्तर में उस पर्वत पर शासन करूँगा जहाँ सारे देवता एक साथ इकट्ठा होते हैं।

     14 मैं बादलों से ऊपर चढ़ जाऊँगा और परमेश्वर के समान बन जाऊँगा!

         15 परन्तु तुम ऐसा करने में सक्षम नहीं थे;

     इसके बजाए, तुमको तुम्हारी कब्र पर ले जाया गया था,

         और तुम उस स्थान पर गए जहाँ मरे हुए लोग हैं।

     16 वहाँ अन्य मरे हुए लोग तुमको घूरते हैं;

         वे आश्चर्य करते हैं जो तुम्हारे साथ हुआ।

     वे कहते हैं, ‘क्या यह वही व्यक्ति है जिसने पृथ्‍वी को हिला दिया था

         और कई साम्राज्यों के लोगों को डरा दिया था?

     17 क्या यह वही व्यक्ति है जिसने संसार को रेगिस्तान बनाने का प्रयास किया था,

         जिसने उसके शहरों पर विजय प्राप्त की और उन लोगों को अपने घर लौटने की अनुमति नहीं दी जिन्हें उसने बन्धक बना लिया था?’

     18 पृथ्‍वी के सब राजाओं को उनकी मृत्यु होने पर दफनाते समय बड़ा सम्मानित किया गया था।

     19 कोई तुमको एक ओर फेंक देगा, जैसे कि वे एक शाखा को फेंक देते हैं, परन्तु एक कब्र में नहीं।

     मरे हुए लोग जिनको तलवार से बेधा गया है, एक वस्त्र के समान तुमको ढाँप लेते हैं, जो उनमें से एक होने के लिए नीचे जाते हैं जहाँ मरे हुए आराम करते हैं।

     20 तुम्हारा मरा हुए शरीर उनके साथ दफन नहीं किया जाएगा

     क्योंकि तुमने अपने देश को नष्ट कर दिया है

         और तुम्हारे अपने लोगों को मरने दिया है।

     तुम्हारे जैसे दुष्ट लोगों के वंशज फिर कभी भी बात नहीं करेंगे।”

     21 लोग कहेंगे, “इस व्यक्ति के बच्चों को

         उन पापों के कारण जो उनके पूर्वजों ने किए थे मार डालो!

     उन्हें शासक बनने की, और संसार के सब राष्ट्रों को जीतने की,

         और जिन पर वे शासन करते हैं संसार को उन शहरों से भरने की अनुमति मत दो!”

     22 यहोवा यही कहते हैं:

         “मैं स्वयं बाबेल को जीत लिया जाने दूँगा।

     मैं बाबेल और उसके लोगों और उनके वंशजों से छुटकारा पाऊँगा।

     23 मैं बाबेल को ऐसा स्थान बन जाने दूँगा जहाँ उल्लू रहते हैं,

         दलदल से भरी एक जगह;

     मैं इसे पूरी तरह से नष्ट कर दूँगा

         जैसे कि मानों मैं इसे झाड़ू से बुहार रहा था।

     मैं, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा, यही कहता हूँ।”

24 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने गम्भीरता से यह प्रतिज्ञा भी किया है:

     “जिन बातों की योजना मैंने बनाई है वह निश्चित रूप से होंगी।

     25 जब अश्शूर की सेना मेरे देश इस्राएल में है,

     मैं उन्हें कुचल दूँगा।

         यह ऐसा होगा जैसे मानों मैंने उन्हें अपने पर्वतों पर रौंद दिया था।

     मेरे लोग अब अश्शूर के लोगों के दास नहीं रहेंगे;

         यह ऐसा होगा जैसे मानों मैंने उनके कंधों का बोझ दूर कर दिया है।

     26 पृथ्‍वी पर हर किसी के लिए एक योजना है,

         सभी राष्ट्रों को दण्डित करने के लिए यहोवा की शक्ति दिखाने की योजना।

     27 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने कहा है,

         और कोई भी उसका मन नहीं बदल सकता है।

     जब यहोवा अश्शूर को मारने के लिए अपना घूँसा उठाते हैं,

         तो कोई भी उसे रोकने में सक्षम नहीं होंगे।”

28 राजा आहाज की मृत्यु के वर्ष में यह सन्देश मुझे यहोवा की ओर से मिला:

     29 तुम हे पलिश्त के सब लोगों, आनन्दित मत हो, कि जिस शत्रु सेना ने तुम पर आक्रमण किया है, वह पराजित हो गया है

         और यह कि उनका राजा मर चुका है।

     वह एक साँप के जैसे खतरनाक था,

         परन्तु एक और राजा होगा,

     जो कोबरा साँप से भी अधिक खतरनाक होगा;

         वह तेजी से दौड़ने वाले एक विषैले साँप के समान होगा।

     30 मेरे वे लोग जो बहुत गरीब हैं, अपने भेड़ों के झुण्ड की देखभाल करेंगे,

         और अभावग्रस्त लोग सुरक्षित रूप से लेटे रहेंगे,

     परन्तु मैं तुम पलिश्त के लोगों को जो अभी भी जीवित हैं

         अकाल से मर जाने दूँगा।

     31 इसलिए, तुम हे पलिश्त के लोगों, अपने शहरों के फाटकों पर विलाप करो!

         तुमको अत्यन्त डरना चाहिए,

     क्योंकि एक बहुत शक्तिशाली सेना तुम पर आक्रमण करने के लिए उत्तर से आएगी;

         उनके रथ धुएँ के बादल के समान धूल को भड़का देंगे।

     उनका प्रत्येक सैनिक लड़ने के लिए तैयार है।

     32 यदि पलिश्त के दूत हम इस्राएली लोगों के पास आते हैं,

         तो हमें उनसे यही कहना है:

     “यहोवा ने यरूशलेम की रचना की है, पलिश्त की नहीं,

         और उसके लोग जो पीड़ित हैं, यरूशलेम की दीवारों के भीतर सुरक्षित रहेंगे।”

Chapter 15

1 यशायाह ने मोआबी लोगों के समूह के विषय में यहोवा से यह सन्देश प्राप्त किया:

     एक रात में मोआब के दो महत्वपूर्ण शहर, आर और कीर नष्ट हो जाएँगे।

     2 राजधानी के शहर, दीबोन के लोग, शोक करने के लिए अपने मन्दिर जाएँगे;

         वे पहाड़ियों पर स्थित अपने ऊँचे स्थानों पर जाएँगे, और वहाँ वे रोएँगे।

     वे दक्षिण के नबो और मेदेबा के साथ जो हुआ उसके कारण वे विलाप करेंगे;

         यह दिखाने के लिए वे सब अपने सिर के बालों को मूँड़ देंगे, और पुरुष अपनी दाढ़ी को काट देंगे कि वे शोक मना रहे हैं।

     3 सड़कों पर लोग खुरदरे टाट का वस्त्र पहने हुए होंगे,

         और सब लोग उनकी समतल छतों पर और शहर के चौकों में

     उनके चेहरे से नीचे गिरते हुए आँसुओं के साथ विलाप करेंगे।

     4 हेशबोन शहर और मोआब के उत्तर में एलाले नगर के लोग पुकारेंगे;

         दक्षिण में जहाज नगर जितनी दूर तक लोग उन्हें विलाप करते सुनेंगे।

     इसलिए मोआब के सैनिक थरथराएँगे और पुकारेंगे,

         और वे बहुत डरेंगे।

     5 यहोवा मोआब के लोगों के लिए बहुत खेद करते हैं;

         वे दूर दक्षिण में सोअर और एग्लत शलीशिया के नगरों में भाग जाएँगे।

         वे लूहीत शहर की ओर बढ़ते हुए रोएँगे।

     होरोनैम नगर जाने वाली सड़क पर सब लोग शोक करेंगे

         क्योंकि उनका देश नष्ट हो गया है।

     6 निम्रीम की घाटी में पानी सूख जाएगा।

         वहाँ की घास सूख जाएगी;

     सारे हरे पौधे मुर्झा जाएँगे,

         और वहाँ कुछ भी हरा नहीं बचेगा।

     7 लोग अपनी सम्पत्तियों को बाँध लेंगे

         और उन्हें उठा कर मजनू वृक्षों के नालों के पार ले जाएँगे।

     8 सम्पूर्ण मोआब देश में लोग रोएँगे;

         दूर दक्षिण में एगलैम तक और उत्तर में बेरेलीम तक लोग उन्हें विलाप करते सुनेंगे।

     9 मारे गए लोगों के लहू से दीबोन के निकट के सोते लाल हो जाएँगे,

         परन्तु मैं मोआब के लोगों को और भी परेशानी का अनुभव करने दूँगा:

     जो मोआब से बच कर भागने का प्रयास कर रहे हैं उन लोगों पर शेर आक्रमण करेंगे

         और उस देश में रहने वाले लोगों पर भी आक्रमण करेंगे।

Chapter 16

1 मोआब के शासक एक-दूसरे से कहेंगे,

     “हमें सेला शहर से यहूदा के शासक को उपहार के रूप में कुछ मेम्ने इस बात के लिए राजी करने को भेजने चाहिए कि वह अपनी सेना को अब हम पर आक्रमण करने की अनुमति न दे।

         हमें उन्हें रेगिस्तान के माध्यम से यरूशलेम में राजा के पास भेजना चाहिए।”

     2 मोआब की स्त्रियों को अर्नोन नदी के मैदानों में अकेला छोड़ दिया जाएगा;

         वे उन चिड़ियों के समान होंगी जिनको उनके घोंसलों से बाहर धकेल दिया गया है।

     3 वे रोएँगी, “हमारी सहायता करो!

         हमें बताओ कि हमें क्या करना चाहिए!

     हमें पूरी तरह से सुरक्षित करो,

         हम जो हमारे शत्रुओं से दूर भाग रही हैं,

     और हमें धोखा मत दो।

     4 हम में से उनको तुम्हारे साथ रहने की अनुमति दो जो मोआब से भाग रही हैं;

         हमें हमारे शत्रुओं से छिपा लो जो हमें नष्ट करना चाहते हैं!

     किसी दिन हम पर अत्याचार करने के लिए कोई नहीं होगा,

         और हमारे शत्रु हमारे देश को नष्ट करना बन्द कर देंगे।”

     5 तब यहोवा किसी को राजा बनने के लिए नियुक्त करेंगे

         जो राजा दाऊद के एक वंशज होंगे।

         जब यह व्यक्ति शासन करते हैं, वह दयालु और सच्चा होंगे।

     वह सदा वही करेंगे जो उचित है

         और शीघ्र ही से वह करेंगे जो धार्मिक है।

     6 हम यहूदा के लोगों ने मोआब के लोगों के विषय में सुना है;

         हमने सुना है कि वे बहुत घमण्डी और अभिमानी हैं;

     वे असभ्य हैं,

         परन्तु जो वे अपने विषय में कहते हैं वह सच नहीं है।

     7 किसी दिन मोआब में रहने वाले सब लोग रोएँगे।

         वे सब शोक करेंगे,

     क्योंकि कीरहरासत शहर में और किशमिश की टिकिया नहीं होंगी।

         परन्तु टिकिया से अधिक, वे वहाँ रहने वाले लोगों के लिए शोक करते हैं, जो सभी मारे गए थे।

     8 हेशबोन के खेतों में फसलें सूख जाएँगी,

         और सिबमा की दाख की बारियाँ भी सूख जाएँगी।

     अन्य राष्ट्रों की सेनाएँ मोआब को नष्ट कर देंगी,

         जो कि एक सुन्दर दाखलता के समान है

     जिसकी शाखाएँ उत्तर में याजेर तक,

         और पूर्व रेगिस्तान तक फैली हुई हैं।

     इसकी शाखाएँ पश्चिम में बहुत दूर,

         मृत सागर के पश्चिमी ओर तक फैली हुई हैं।

     9 इसलिए मैं याजेर के लिए

         और सिबमा की दाखलताओं के लिए रोऊँगा।

     मैं तुम सबके लिए आँसू बहाऊँगा।

     मैं रोऊँगा क्योंकि अब लोग प्रसन्नता से नहीं चिल्लाएँगे, जैसे वे आमतौर पर करते हैं

         जब वे उस फल और अन्य फसलों को इकट्ठा करते हैं जो गर्मी में उगती है।

     10 अब लोग कटनी के समय में आनन्दित नहीं होंगे।

         दाख की बारियों में कोई भी नहीं गाएगा;

     कोई भी प्रसन्नता से नहीं चिल्लाएगा।

         कोई भी दाखमधु के लिए अँगूर का रस पाने के लिए अँगूरों पर नहीं चलेगा;

         वहाँ ऐसा कुछ भी नहीं होगा जिसके लिए प्रसन्नता से चिल्लाया जाए।

     11 मैं मोआब के लिए अपने भीतरी मन में रोता हूँ;

         मेरा कराहना वीणा पर बजाए जाने वाले एक दुखद गीत के समान है।

     कीरहरासत के लिए मैं मेरे अंतर्मन में दुखी हूँ।

     12 मोआब के लोग अपने ऊँचे स्थानों पर जा कर प्रार्थना करेंगे,

         परन्तु इससे उनकी सहायता नहीं होगी।

     वे अपने देवताओं के सम्मुख अपने मन्दिरों में रोएँगे,

         परन्तु कोई भी उन्हें बचाने में सक्षम नहीं होगा।

13 यहोवा ने मोआब के विषय में उन बातों को पहले ही कहा है। 14 परन्तु अब वह कहते हैं कि अब से ठीक तीन वर्ष में, वह उन सब चीजों को नष्ट कर देंगे जिन पर मोआब के लोगों को गर्व है। भले ही अभी मोआब में उनके पास बड़ी संख्या में लोग हैं, केवल कुछ ही लोग जीवित रहेंगे, और वे निर्बल हो जाएँगे।

Chapter 17

1 यशायाह ने इस सन्देश को अराम की राजधानी दमिश्क के विषय में यहोवा से प्राप्त किया:

     “ध्यान से सुनो! दमिश्क अब एक शहर नहीं होगा;

         यह केवल खण्डहरों का ढेर होगा!

     2 अरोएर शहर के पास के नगरों को त्याग दिया जाएगा।

         भेड़ों के झुण्ड सड़कों में घास खाएँगे और वहाँ लेटे रहेंगे,

         और उन्हें भगा देने के लिए वहाँ कोई भी नहीं होगा।

     3 इस्राएल के शहरों में उनके चारों ओर उनकी रक्षा करने के लिए दीवारें नहीं होंगी।

         दमिश्क के राज्य की शक्ति समाप्त हो जाएगी,

         और अराम में बचे हुए कुछ लोग अपमानित होंगे जैसे इस्राएल के लोगों को अपमानित किया गया था।”

     स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यही कहते हैं।

     4 “उस समय, इस्राएल महत्वहीन हो जाएगा।

         यह एक ऐसे मोटे व्यक्ति के समान होगा जो बहुत पतला हो गया है।

     5 सम्पूर्ण देश ऐसे खेत के समान होगा जहाँ कटाई करने वालों ने सारा अनाज काट दिया हो;

         सभी फसलों की कटाई के बाद,

         रपाईम की घाटी के खेतों के समान कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा।

     6 इस्राएली लोगों में से केवल कुछ ही बचे रहेंगे,

         जैसे श्रमिकों द्वारा अन्य सब जैतूनों को हिला कर भूमि पर गिरा दिए जाने के बाद कुछ जैतून एक पेड़ के शीर्ष पर बचे रहते हैं।

     शीर्ष शाखाओं में केवल दो या तीन जैतून होंगे,

         या अन्य शाखाओं पर चार या पाँच जैतून।”

     स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यही कहते हैं।

     7 तब उस समय, तुम इस्राएल के लोग परमेश्वर, तुम्हारे निर्माता,

         इस्राएल के एकमात्र पवित्र पर भरोसा करोगे।

     8 अब तुम अपनी मूर्तियों से सहायता प्राप्त करना नहीं चाहोगे

         या उन मूर्तियों की उपासना करना नहीं चाहोगे जिन्हें तुमने अपने हाथों से बनाया है।

     तुम कभी भी उन खम्भों के सामने नहीं झुकोगे जहाँ तुमने देवी अशेरा की उपासना की थी।

         तुम मूर्तियों को धूप जलाने के लिए तुम्हारे द्वारा बनाए गए ऊँचे स्थानों पर कभी भी उपासना नहीं करोगे।

9 इस्राएल के सबसे बड़े शहरों को उस देश के समान त्याग दिया जाएगा, जिसे हिब्बी और आमोर लोगों के समूहों ने त्याग दिया था जब इस्राएलियों ने बहुत पहले उन पर आक्रमण किया था। कोई भी मनुष्य वहाँ नहीं रहेगा।

     10 ऐसा होगा क्योंकि तुमने परमेश्वर की आराधना करना बन्द कर दिया है,

         जो शीर्ष पर एक विशाल चट्टान के समान है जिससे तुम सुरक्षित हो सकते हो।

     तुम भूल गए हो कि एकमात्र वही हैं जो तुमको छिपा सकते हैं।

     इसीलिए अब तुम बहुत अच्छी दाखलताएँ लगाते हो

         और यहाँ तक कि असामान्य लोग भी जो अन्य देशों से आते हैं।

     11 परन्तु यहाँ तक कि यदि तुम्हारे उनको रोपने के दिन में ही उसमें पत्ते उग आते हैं,

         और यहाँ तक कि यदि उसी सुबह उसमें कलियाँ खिल आती हैं,

     तो कटाई के समय, तुम्हारे लिए चुनने के लिए वहाँ कोई अँगूर नहीं होगा।

         जो कुछ तुमको मिलेगा वह बहुत सन्ताप और पीड़ा है।

     12 सुनो! कई राष्ट्रों की सेनाएँ इस प्रकार गर्जन करेंगी जिस प्रकार समुद्र गर्जन करता है।

         यह उठती गिरती लहरों के शोर के समान आवाज करेंगी।

     13 परन्तु भले ही उनकी भयंकर गर्जन उठती गिरती लहरों की आवाज के समान होगी,

         जब यहोवा उन्हें डाँटते हैं, तो वे दूर भाग जाएँगे।

     वे हवा चलने पर पर्वत की भूसी के समान उड़ कर बिखर जाएँगे,

         जैसे आँधी चलने पर खरपतवार बिखर जाती है।

     14 और भले ही तुम इस्राएल के लोग भयभीत हो जाओगे,

         सुबह होने पर तुम्हारे शत्रु सभी चले जाएँगे।

     उन लोगों के साथ यही होगा जो हमारे देश पर आक्रमण करते हैं और हमारी सम्पत्ति चुराते हैं।

Chapter 18

    

1 तुम इथियोपिया के लोगों के साथ भयानक बातें घटित होंगी!

         तुम्हारे देश में नील नदी के ऊपरी भाग में कई नावें हैं।

     2 तुम्हारे शासक ऐसे राजदूतों को भेजते हैं जो सरकण्डों की नावों को नदी में बहुत शीघ्र ही चलाते हैं।

     अपने दूतों को शीघ्र ही से जाने के लिए कहो!

     उन लोगों के पास जाओ जो लम्बे हैं और जिनकी खाल चिकनी है।

         हर जगह के लोग उन लोगों से डरते हैं,

     क्योंकि वे अन्य राष्ट्रों को जीत लेते और नष्ट कर देते हैं;

         वे ऐसे देश में रहने वाले लोग हैं जो नदियों को विभाजित करता है।

     3 तुम दूतों को संसार के लोगों को बताना चाहिए,

         हर जगह में रहने वाले सब लोगों को,

     “देखो, जब पर्वत के शीर्ष पर युद्ध का झण्डा ऊँचा उठाया जाता है,

     और सुनो, जब मेढ़े के सींग को

         संकेत देने के लिए फूँका जाता है कि लड़ाई आरम्भ होने वाली है।” 4 सुनो, क्योंकि यहोवा ने मुझे यह बताया है:

         “मैं वहाँ से चुप चाप देखूँगा, जहाँ मैं रहता हूँ।

     मैं गर्मियों के दिन में उठने वाली टिमटिमाती गर्मी के समान चुप चाप देखूँगा।

         मैं गर्मी के दौरान फसल को स्थिर करने वाले धुंध के बादल के समान प्रभावी ढंग से कार्य करूँगा। 5 फसल से पहले, किसान कलियाँ बनाती दाखलताओं को और बढ़कर अँगूरों में बदलते फूलों को देखता है,

         और वह जानता है कि नई वृद्धि को और फैली हुई शाखाओं को काट डालने का यह सही समय है जो वृक्ष को मजबूत होने से रोकते हैं।

     इसी तरह से मुझे पता है कि इस देश के विरुद्ध कार्यवाही करने का समय कब सही है, और मैं इस पर आक्रमण करने के लिए एक सेना भेजूँगा।

     6 उस देश की सेना के सब सैनिक मारे जाएँगे,

         और उनकी लाशें खेतों में गिद्धों के लिए उनका माँस खाने को गर्मी में पड़ी रहेंगी।

     फिर जंगली जानवर पूरी सर्दी के दौरान उनकी हड्डियों को चबाएँगे।”

7 उस समय, उस राष्ट्र के लोग जो नदियों को विभाजित करता है, वे यरूशलेम में यहोवा के लिए उपहार ले कर आएँगे।

     वे लोग लम्बे हैं और उनकी खाल चिकनी है; हर जगह के लोग उन लोगों से डरते हैं,

         क्योंकि वे अन्य राष्ट्रों को जीत लेते और नष्ट करते हैं,

     वे यरूशलेम में उपहार ले कर आएँगे, वह शहर जहाँ स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, रहते हैं।

Chapter 19

1 यशायाह ने मिस्र के विषय में यहोवा से यह सन्देश प्राप्त किया:

     इसे सुनो! मैं, यहोवा, मिस्र की ओर,

         एक तेजी से चलने वाले बादल पर सवार होकर आ रहा हूँ।

     जब मैं प्रकट होता हूँ तो मिस्र की मूर्तियाँ डर जाएँगी,

         और मिस्र के लोग अत्यंत भयभीत होंगे।

     2 मैं मिस्र के लोगों को एक दूसरे के विरुद्ध लड़वा दूँगा:

         पुरुष अपने भाइयों के विरुद्ध लड़ेंगे,

         पड़ोसी एक दूसरे के विरुद्ध लड़ेंगे,

         एक शहर के लोग दूसरे शहर के लोगों के विरुद्ध लड़ेंगे,

         एक प्रान्त के लोग दूसरे प्रान्त के लोगों के विरुद्ध लड़ेंगे।

     3 मिस्र के लोग बहुत निराश हो जाएँगे,

         और मैं उनकी योजनाओं को सफल नहीं होने दूँगा।

     वे मूर्तियों से और जादूगरों से और मरे हुए लोगों की आत्माओं के साथ बात करने वालों से उन्हें यह बताने के लिए याचना करेंगे

         कि उन्हें क्या करना चाहिए।

     4 तब मैं किसी ऐसे व्यक्ति को उनका राजा बनने के लिए सक्षम करूँगा जो उनसे बहुत क्रूरतापूर्वक व्यवहार करेगा।

     स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यही कहते हैं।

     5 किसी दिन नील नदी का पानी सूख जाएगा,

         और नदी के ताल बहुत शुष्क हो जाएगा।

     6 नदी से निकलने वाली सब छोटी नदियाँ सूख जाएँगी।

     नदी के साथ की नहर

         मुर्झाई हुई और सड़ी हुई नरकट और सरकण्डों के कारण से डूब जाएगी।

     7 नदी के किनारे के सब पौधे और नदी के किनारे के खेतों की सारी फसलें सूख जाएँगी;

         तब उनको दूर उड़ा दिया जाएगा और वे गायब हो जाएँगे।

     8 मछुआरे नदी में बंसी डालते हैं उन पर अंकुड़े लगाएँगे और जाल फेंक देंगे,

         और फिर वे चिल्लाएँगे और बहुत निराश होंगे;

         वे उदास होंगे क्योंकि नदी में कोई मछली नहीं होगी।

     9 जो लोग करघे से कपड़े बुनवाते हैं उन्हें पता नहीं होगा कि क्या करना है

         क्योंकि उनके लिए बुनाई के लिए कोई धागा नहीं होगा।

     10 वे सब निराश होंगे

         और बहुत निरुत्साहित होंगे।

     11 उत्तरी मिस्र के सोअन शहर के अधिकारी मूर्ख हैं।

         उनके द्वारा राजा को दी गई सलाह बेकार थी।

     क्यों वे राजा को बताना जारी रखते हैं कि वे बुद्धिमान हैं,

         कि वे बुद्धिमान राजाओं के वंशज हैं जो बहुत पहले रहते थे?

     12 हे राजा, अब तुम्हारे बुद्धिमान सलाहकार कहाँ हैं?

         यदि तुम्हारे पास कोई बुद्धिमान सलाहकार थे, तो वे तुमको बता सकते थे कि स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने मिस्र के साथ क्या करने की योजना बनाई है!

     13 हाँ, सोअन के अधिकारी मूर्ख बन गए हैं,

         और उत्तरी मिस्र में मेम्फिस शहर के अगुवों ने स्वयं को धोखा दिया है।

     लोगों के सब अगुवों ने अपने लोगों को गलत कार्य करने दिए हैं।

     14 यहोवा ने उन्हें बहुत मूर्ख बना दिया है,

         जिसके परिणामस्वरूप हर एक कार्य में जो वे करते हैं, ऐसा लगता है जैसे मानों मिस्र के लोग ऐसे लड़खड़ाते हैं

         जिस प्रकार एक शराबी व्यक्ति लड़खड़ाता है और अपनी स्वयं के उल्टी में फिसल जाता है।

     15 मिस्र में ऐसा कोई भी नहीं है, चाहे धनवान या गरीब, महत्वपूर्ण या महत्वहीन, जो उनकी सहायता करने में सक्षम होगा।

16 उस समय, मिस्र के लोग स्त्रियों के समान असहाय होंगे। वे भयभीत होकर थरथराएँगे क्योंकि वे जानते हैं कि उन पर प्रहार करने के अभिप्राय से स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा ने अपना घूँसा उठाया है। 17 मिस्र के लोग यहूदा के लोगों से डरेंगे, और जो कोई यहूदा के विषय उनको में बताता है, वह उन्हें भयभीत कर देगा, क्योंकि इससे उन्हें स्मरण आएगा कि स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा उनके साथ क्या करने की योजना बना रहे हैं।

18 उस समय, मिस्र के पाँच शहरों में रहने वाले लोग गम्भीर रूप से घोषणा करेंगे कि वे यहोवा की सेवा करेंगे। वे इब्रानी भाषा बोलना सीखेंगे। उन शहरों में से एक को “सूर्य का शहर” कहा जाएगा।

19 उस समय, मिस्र के बीचों बीच यहोवा की आराधना करने के लिए एक वेदी होगी, और मिस्र और इस्राएल के बीच की सीमा पर यहोवा का सम्मान करने के लिए एक खम्भा होगा। 20 यह संकेत देने का एक चिन्ह होगा कि मिस्र देश में स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा की आराधना की जाती है। और जब लोग यहोवा को उनकी सहायता करने के लिए पुकारते हैं क्योंकि दूसरे उन पर अत्याचार कर रहे हैं, तो वह किसी को उनके पास भेजेंगे जो उनकी रक्षा करेगा और उन्हें बचाएगा। 21 यहोवा मिस्र के लोगों को यह जानने के लिए सक्षम करेंगे कि वह कौन हैं। उस समय वे स्वीकार करेंगे कि वह परमेश्वर हैं। वे उसकी आराधना करेंगे और उसके पास अन्न-बलि और अन्य बलिदान ले कर आएँगे। वे गम्भीरता से यहोवा के लिए कार्य करने का प्रतिज्ञा करेंगे, और जो भी प्रतिज्ञा वे करते हैं उसे वे करेंगे। 22 यहोवा के मिस्र को दण्डित करने के बाद, वह उनकी परेशानियों को समाप्त कर देंगे। मिस्र के लोग यहोवा के पास जाएँगे, और जब वे सहायता के लिए उससे अनुरोध करेंगे तो वह सुनेंगे, और वह उनकी परेशानियों को समाप्त कर देंगे।

23 उस समय, मिस्र और अश्शूर के बीच एक राजमार्ग होगा। जिसके परिणामस्वरूप, मिस्र के लोग अश्शूर की ओर सरलता से यात्रा करने में सक्षम होंगे, और अश्शूर के लोग मिस्र की ओर सरलता से यात्रा करने में सक्षम होंगे। और दोनों देशों के लोग यहोवा की आराधना करेंगे। 24 और इस्राएल उनका सहयोगी होगा। ये सब तीन राष्ट्र एक-दूसरे से मित्रतापूर्ण होंगे, और इस्राएल के लोग पूरे संसार के लोगों के लिए एक आशीर्वाद होंगे। 25 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, उन्हें आशीर्वाद देंगे; वह कहेंगे, “तुम मिस्र के लोग अब मेरे लोग हो। तुम हे अश्शूर के लोगों, मैंने तुम्हारा देश स्थापित किया है। तुम इस्राएल के लोग वे लोग हैं जिन्हें मेरे लोग होने के लिए मैंने चुना है।”

Chapter 20

1 जिस वर्ष अश्शूर के राजा सर्गोन ने अपनी सेना के मुख्य सरदार को अपने सैनिकों को ले जा कर पलिश्त के अश्दोद शहर पर अधिकार करने के लिए भेजा। उस समय, 2 यहोवा ने यशायाह से कहा, “जो खुरदरे टाट का वस्त्र आपने पहना हुआ है उसे उतार दो और अपनी जूतियों को उतार दो।” इसलिए यशायाह ने ऐसा किया, और फिर वह तीन वर्षों तक नंगे शरीर और नंगे पैर इधर उधर घूमते रहे।

3 तब यहोवा ने यहूदा के लोगों से यह कहा: “मेरा दास यशायाह पिछले तीन वर्षों से नंगे शरीर और नंगे पैर चारों ओर घूम रहे हैं। यह उन भयानक विपत्तियों को दिखाता है जिनका मैं मिस्र और इथियोपिया के लोगों को सामना करने दूँगा। 4 जो होगा वह यह है कि अश्शूर के राजा की सेना उन देशों पर आक्रमण करेगी और बहुत से लोगों को बन्धक बना लेगी और उन्हें अपने बन्दियों के रूप में ले जाएगी। वे उन सभी को नंगे शरीर और नंगे पैर चलने के लिए विवश करेंगे, जिनमें युवा और वृद्ध दोनों सम्मिलित हैं। वे उन्हें उनके कूल्हों के चारों ओर कोई कपड़ा नहीं पहनने के लिए विवश करेंगे, जिससे मिस्र के लोगों को लज्जित होना पड़ेगा। 5 तब अन्य देशों के वे लोग बहुत हताश और भयभीत होंगे, जिन्होंने भरोसा किया था कि मिस्र और इथियोपिया की सेनाएँ उनकी सहायता करने में सक्षम होंगी। 6 वे कहेंगे, ‘हमने सोचा था कि मिस्र और इथियोपिया की सेनाएँ हमारी सहायता करेंगी और हमारी रक्षा करेंगी, परन्तु वे नष्ट हो गए हैं, इसलिए ऐसा कोई रास्ता नहीं है जिससे कि हम अश्शूर के राजा की सेना द्वारा नष्ट होने से बच सकें!’”

Chapter 21

1 यहोवा ने एक देश के शीघ्र ही एक रेगिस्तान बनने के लिए विषय में यह सन्देश दिया:

     शीघ्र ही दक्षिणी यहूदिया के जंगल से उस देश पर आक्रमण करने के लिए एक सेना आएगी;

         वे एक ऐसी सेना है जो उनके शत्रुओं को भयभीत कर देती है,

         एक ऐसी सेना जो एक भयानक देश से ले कर जंगल के माध्यम से सफाया करती हुई आएगी।

     2 यहोवा ने मुझे एक भयानक दर्शन दिखाया:

     दर्शन में मैंने एक सेना देखी

         जो लोगों को धोखा देगी और उन्हें जीतने के बाद उनकी सम्पत्ति चुराएगी।

     यहोवा ने कहा, “तुम एलाम और मादी की सेनाओं, बाबेल के चारों ओर से घेर लो और आक्रमण करने के लिए तैयार हो!

         मैं ऐसी चिल्लाहट और पीड़ा को पैदा करूँगा जिससे बाबेल समाप्त हो जाएगा!”

     3 इसके कारण, मेरा शरीर दर्द से भरा हुआ है;

         मेरा दर्द उस दर्द के समान है जो स्त्रियाँ जन्म देते समय अनुभव करती हैं।

     जब मैंने उसके विषय में सुना और देखा कि परमेश्वर क्या करने की योजना बना रहे हैं,

         तो मैं चौंक गया।

     4 मेरा हृदय मेरे भीतर थरथराता है, और मैं भय से काँपता हूँ।

         शाम का समय मेरा दिन का पसंदीदा समय है,

         परन्तु अब भय छा गया है और मुझे डर लगता है।

     5 दर्शन में मैंने देखा कि बाबेल के अगुवे एक बड़ी दावत की तैयारी कर रहे थे।

         उन्होंने लोगों के बैठने के लिए गलीचा फैलाया था;

         हर कोई खा रहा था और पी रहा था।

     परन्तु हे बाबेल के राजकुमारों, तुमको उठना चाहिए और अपनी ढाल को तैयार करना चाहिए,

         क्योंकि तुम पर आक्रमण होने वाला है!

6 तब यहोवा ने मुझसे कहा,

     “यरूशलेम की दीवार पर एक पहरेदार बैठाओ,

         और जो भी वह देखता है उसे चिल्लाकर बताने के लिए कह।

     7 उसे बाबेल से आने वाले घोड़ों की जोड़ी द्वारा खींचे जाते रथों,

         और ऊँटों की और गधों की सवारी करते पुरुषों का ध्यान रखने के लिए कह।

     पहरेदार को सावधानीपूर्वक देखने और सुनने के लिए कहो!”

8 इसलिए मैंने ऐसा किया, और एक दिन पहरेदार चिल्लाया,

     “दिन प्रतिदिन मैं इस पहरे के गुम्मट पर खड़ा था,

         और मैंने दिन के दौरान और रात के दौरान पहरा देना जारी रखा है।

     9 एक व्यक्ति दो घोड़ों द्वारा खींचे जाते रथ में सवारी करता आता है।

         मैंने उसे पुकारा, और उसने उत्तर दिया,

     ‘बाबेल नष्ट हो गया है!

         बाबेल की सब मूर्तियाँ भूमि पर टुकड़े-टुकड़े हुई पड़ी हैं।’”

     10 हे यहूदा में रहने वाले मेरे लोगों, बाबेल की सेना ने तुमको बहुत पीड़ा दी है

         जैसे कि मानों तुम अनाज थे जिसकी दाँवनी की गई और जिसे फटका गया था।

     परन्तु अब स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, जिसकी हम इस्राएली आराधना करते हैं, ने मुझे बाबेल के विषय में जो बताया मैंने तुमको बता दिया है।

11 यहोवा ने एदोम के विषय में यह सन्देश दिया:

     एदोम से कोई मुझे पुकार कर यह कह रहा है,

         “हे पहरेदार, रात समाप्त होने से पहले कितना समय लगेगा?”

     12 पहरेदार ने उत्तर दिया,

         “शीघ्र ही सुबह हो जाएगी, परन्तु उसके बाद, शीघ्र ही रात होगी।

     यदि तुम अपना प्रश्न पूछना चाहते हैं, तो अभी पूछो,

         और फिर दोबारा वापस आओ।”

13 यहोवा ने अरब के विषय में यह सन्देश दिया:

     उत्तर पश्चिम अरब के ददान शहर से कारवाँ में यात्रा करने वाले बटोहियों को यह सन्देश दो, जो वहाँ दूर के क्षेत्रों में छावनी लगाते हैं।

     उन्हें प्यासे लोगों के लिए पानी लाने के लिए कह।

         14 और तुम लोगों को जो उत्तर पश्चिम अरब में तेमा शहर में रहते हैं,

         उन शरणार्थियों के लिए भोजन लाना है जो अपने शत्रुओं से भाग रहे हैं।

     15 वे अपने शत्रुओं की तलवारों से न मारे जाने

         और युद्ध में तीर से निशाना न बनाए जाने के विचार से भाग रहे हैं।

16 यहोवा ने मुझसे कहा,

     “अब से ठीक एक वर्ष में,

         अरब के केदार क्षेत्र की सारी महानता समाप्त हो जाएगी।

     17 केवल उनके कुछ ऐसे सैनिक जीवित रहेंगे जो तीर चलाना अच्छी तरह से जानते हैं।

     यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मैं, यहोवा, ने यह कहा है।”

Chapter 22

1 यहोवा ने यरूशलेम के विषय में, उस घाटी के विषय में यह सन्देश दिया जहाँ यहोवा ने मुझे यह दर्शन दिखाया था।

     हर कोई अपनी समतल छतों की ओर मूर्खतापूर्वक क्यों भाग रहा है?

     2 शहर में रहने वाला हर कोई चिल्लाता हुआ सा प्रतीत होता है।

         शहर में बहुत सारी लाशें हैं,

     परन्तु वे अपने शत्रुओं की तलवारों से नहीं मारे गए थे।

         वे युद्धों में नहीं मरे;

         इसके बजाए, वे बीमारियों और भूख से मर गए।

     3 शहर के सभी अगुवे भाग गए।

         परन्तु फिर वे पकड़ लिए गए क्योंकि उनके पास बचाव करने के लिए धनुष और तीर नहीं थे।

     तुम्हारे सैनिकों ने भागने की प्रयास की जबकि शत्रु सेना अभी भी बहुत दूर थी,

         परन्तु वे भी पकड़ लिए गए।

     4 इसी कारण से मैंने कहा, “मुझे अकेले रोने की अनुमति दो;

         मेरे लोगों के मार डाले जाने के विषय में मुझे सांत्वना देने की प्रयास न करो।”

     5 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने एक समय चुना है जब एक बड़ा उपद्रव होगा, सैनिक बढ़े चले जा रहे हैं, और लोग भयभीत हो रहे हैं,

         घाटी में जहाँ मुझे यह दर्शन मिला।

     यह एक ऐसा समय होगा जब हमारी शहर की दीवारों को चकना चूर कर दिया जाएगा

         और पर्वतों में सहायता के लिए लोगों का रोना सुना जाएगा।

     6 मादी की एलाम और कीर की सेनाएँ,

         रथ में सवार होकर और ढाल लिए हुए आक्रमण करेंगी।

     7 हमारी सुन्दर घाटियाँ हमारे शत्रुओं के रथों से भर जाएँगी,

         और रथों को चलाने वाले पुरुष हमारे शहर के फाटकों के बाहर खड़े होंगे।

     8 परमेश्वर उन दीवारों का गिरा देंगे जो यहूदा के शहरों की रक्षा करती हैं।

         तुम यरूशलेम के लोग “वन का भवन” नामक इमारत में रखे हुए हथियारों को लेने के लिए दौड़ोगे।

     9 तुम यरूशलेम की दीवारों में कई दरारों को देखोगे।

         तुम शहर के निचले सोते में पानी को एकत्र करोगे।

     10 तुम यरूशलेम में घरों का निरीक्षण करोगे,

         और शहर की दीवार की मरम्मत के लिए पत्थरों का उपयोग करने के लिए उनमें से कुछ को तुम गिरा दोगे।

     11 शहर की दीवारों के बीच तुम पुराने सोते से पानी को एकत्र करने के लिए एक जलाशय का निर्माण करोगे।

     परन्तु तुम कभी भी उस एकमात्र से सहायता का अनुरोध नहीं करोगे जिसने शहर बनाया है;

         तुमने कभी यहोवा पर निर्भर नहीं किया है, जिसने बहुत पहले इस शहर की योजना बनाई थी।

     12 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने तुमको रोने और शोक करने के लिए कहा था;

         उसने तुमको अपने सिरों को मुँड़ाने और खुरदरे टाट के वस्त्र पहनने के लिए कहा था

     यह दिखाने के लिए कि तुमने जो पाप किए हैं, उनके लिए तुमको खेद है।

     13 परन्तु ऐसा करने के बजाए, तुम आनन्दित थे और आनन्दित थे;

     तुमने मवेशियों और भेड़ों को मार डाला

         उनके माँस को पकाने और खाने और दाखमधु पीने के लिए।

     तुमने कहा, “आओ जो कुछ भी हम चाहते हैं उसे खाएँ और पीएँ,

         क्योंकि यह सम्भव है कि हम कल मर जाएँगे!”

14 इसलिए स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने मुझ पर यह प्रकट किया: “मैं इस तरह पाप करने के लिए अपने लोगों को कभी क्षमा नहीं करूँगा!”

15 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने मुझसे यह कहा: “महल में कार्य करने वालों की देख-रेख करने वाले अधिकारी शेबना के पास जाओ, और यह सन्देश उसे दे दो:

     16 ‘तुमको क्या लगता है कि तुम कौन हो?

         तुमको एक सुन्दर मकबरा बनाने का अधिकार किसने दिया है जहाँ तुमको दफनाया जाएगा,

         जिसकी खुदाई तुम इस घाटी के बहुत ऊपर खड़ी चट्टान में कर रहे हो?’”

     17 तुम सोचते हो कि तुम महान मनुष्य हो, परन्तु यहोवा तुमको दूर फेंकने वाले हैं।

         यह ऐसा होगा जैसे मानों उन्होंने तुमको पकड़ लिया,

     18 तुमको लपेट कर एक गेन्द के समान बनाया,

         और तुमको एक दूर देश में फेंक दिया।

     तुम वहाँ मर जाओगे और दफन होओगे,

         और तुम्हारे सुन्दर रथ वहाँ तुम्हारे शत्रुओं के हाथों में रहेंगे।

         और तुम्हारे साथ जो होता है, उससे तुम्हारा गुरु, राजा, बहुत लज्जित होगा।

     19 यहोवा कहते हैं, “मैं तुमको महल में कार्य करना छोड़ देने के लिए करूँगा;

         तुमको विवश करके अपने महत्वपूर्ण पद से बाहर कर दिया जाएगा।

20 तब मैं तुम्हारा स्थान लेने के लिए हिल्किय्याह के पुत्र एलयाकीम को बुलाऊँगा, जिसने अच्छी तरह से मेरी सेवा की है। 21 मैं उसे तुम्हारे वस्त्र पहनने को दूँगा और चारों ओर लपेटने को तुम्हारा कमरबन्द दूँगा, और मैं उसे उस वह अधिकार को दूँगा जो तुम्हारे पास था। वह यरूशलेम के लोगों और यहूदा के अन्य सब नगरों के पिता के समान होगा। 22 मैं उसे राजा दाऊद के निवास वाले महल में जो कुछ होता है, उस पर अधिकार दूँगा; जब वह कुछ तय करता है, तो कोई इसका विरोध नहीं कर पाएगा; जब वह कुछ करने से मना कर देता है, तो कोई भी उसे वह करने के लिए विवश नहीं कर पाएगा। 23 मैं उसके परिवार को बहुत सम्मानित कर दूँगा, क्योंकि मैं उसे महल में कार्य करने वालों की देख-रेख करने वाले के रूप में मजबूती से उसके पद पर रखूँगा, एक कील के समान जो मजबूती से दीवार में घुस गई है। 24 अन्य लोग उसे अधिक उत्तरदायित्व लेने में सक्षम बनाएँगे, जिसके परिणामस्वरूप उसके परिवार के सब सदस्य, यहाँ तक कि सबसे महत्वहीन भी सम्मानित होंगे।

25 स्वर्गदूत की सेना के प्रधान, यहोवा, यह भी कहते हैं, “शेबना एक खूँटी के समान है जो दीवार में मजबूती से ठोकी गई है। परन्तु ऐसा समय होगा जब मैं उसे उसके पद से हटा दूँगा; वह अपनी शक्ति खो देगा, और जो कुछ भी उसने प्रोत्साहित किया वह असफल हो जाएगा।” यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।

Chapter 23

1 हे सूर शहर में रहने वाले लोगों, मुझ यशायाह को तुम्हारे लिए यहोवा की ओर से यह सन्देश मिला:

     तुम हे तर्शीश से आने वाले जहाजों के नाविकों,

         रोओ, क्योंकि सूर के बन्दरगाह को और शहर के सभी घरों को नष्ट कर दिया गया है।

         साइप्रस द्वीप में सूर के विषय में सुनाई गई बातें सच हैं।

     2 तुम लोग जो समुद्र के किनारे रहते हो, तुम सीदोन शहर के व्यापारियों, चुप चाप शोक करो।

         तुम्हारे नाविक तुमको समृद्ध बनाने के लिए समुद्र के पार वहाँ सूर में चले गए थे।

     3 वे गहरे समुद्र में चले गए

         मिस्र में अनाज मोल लेने के लिए, शीहोर की घाटी से अनाज मोल लेने के लिए।

         यह धन नील नदी से नीचे आया, और, हे सूर, तुम वह जगह थे जहाँ सब राष्ट्रों के लोग व्यापार करते थे।

     4 परन्तु अब तुम सीदोन में रहने वाले लोगों को लज्जित होना चाहिए,

         क्योंकि तुमने सूर पर भरोसा किया, जो समुद्र में एक द्वीप पर एक मजबूत किला रहा है।

     सूर एक स्त्री के समान है जो कह रही है,

         “अब ऐसा लगता है कि मैंने किसी भी बच्चे को जन्म नहीं दिया है,

         या किसी पुत्र या पुत्रियों को नहीं पाला है।”

     5 सूर के साथ जो हुआ है जब मिस्र के लोग सुनते हैं,

         तो वे बहुत दुखी होंगे।

     6 तर्शीश की यात्रा करो और उन्हें बताओ कि क्या हुआ है;

         तुम लोग जो तट के किनारे रहते हो, रोओ।

     7 बहुत पुराने सूर शहर में पहले लोग आनन्दित थे।

         सूर के व्यापारियों ने कई दूर देशों में उपनिवेशों की स्थापना की।

     8 सूर के लोगों ने अन्य स्थानों पर राजाओं को नियुक्त किया;

         उनके व्यापारी धनवान थे;

     वे राजाओं के समान शक्तिशाली और धनवान थे।

         किसने सूर के लोगों को इस विपत्ति का सामना करने दिया?

     9 यह स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा थे, जिन्होंने यह किया;

         उसने सूर में रहने वाले लोगों को अब गर्व नहीं करने के लिए ऐसा किया है,

         तुम लोगों को अपमानित करने के लिए जो पूरे संसार में सम्मानित हैं।

     10 तुम हे तर्शीश के लोगों, तुमको व्यापार करने के बजाए अपने देश में फसल उगानी चाहिए;

         अपने देश पर फैल जाओ जिस प्रकार बाढ़ आने पर नील नदी मिस्र देश में फैल जाती है,

         क्योंकि अब तुम्हारे जहाजों के लिए सूर में कोई बन्दरगाह नहीं है।

     11 ऐसा लगता है कि मानों यहोवा ने समुद्र पर अपना हाथ बढ़ाया था

         और पृथ्‍वी के साम्राज्यों को हिला कर रख दिया।

     उसने फीनीके में आदेश दिया

         कि इसके सब किले नष्ट हो जाने चाहिए।

     12 उसने सीदोन के लोगों से कहा,

         “तुम फिर कभी आनन्दित नहीं होओगे, क्योंकि तुम कुचल दिए जाओगे;

     यहाँ तक कि यदि तुम साइप्रस द्वीप से भाग जाते हैं,

         तुम परेशानियों से बच नहीं पाएँगे; तुम्हारे पास शान्ति नहीं होगी।”

     13 बाबेल में क्या हुआ इसके विषय में सोचो:

         जो उस देश में थे वे लोग गायब हो गए हैं।

     अश्शूर की सेनाओं ने उस देश को एक ऐसा स्थान बना दिया है जहाँ रेगिस्तान से आए जंगली जानवर रहते हैं।

     उन्होंने बाबेल शहर की दीवारों के शीर्ष पर गन्दगी की ढलान बनाई;

         फिर उन्होंने शहर में प्रवेश किया और महलों को तोड़ दिया

         और शहर को मलबे का ढेर बना दिया।

     14 इसलिए तुम हे तर्शीश के जहाजों के नाविकों, विलाप करो,

         क्योंकि सूर का वह बन्दरगाह नष्ट कर दिया गया है जहाँ तुम्हारे जहाज रुकते थे!

15 सत्तर वर्षों के लिए लोग सूर के विषय में भूल जाएँगे, जो कि इतना लम्बा समय है जब तक राजा आमतौर पर जीवित रहते हैं। परन्तु उसके बाद इसे फिर से बनाया जाएगा। जो वहाँ घटित होगा वह ऐसा होगा जो इस गीत में एक वेश्या के साथ हुआ होगा:

     16 तुम वेश्या, जिसे लोग भूल गए थे,

         अपनी वीणा को अच्छी तरह से बजाओ,

     और कई गीत गाओ,

         कि लोग तुमको फिर से स्मरण रख सकें।

17 यह सच है कि सत्तर वर्षों के बाद यहोवा सूर को पुनर्स्थापित करेंगे। उनके व्यापारी कई अन्य देशों से चीजों को मोल ले कर और बेच कर फिर से बहुत सारा पैसा कमाएँगे।

     18 परन्तु उनका लाभ यहोवा को दिया जाएगा।

         व्यापारी अपने पैसे को एकत्र नहीं करेंगे;

     इसके बजाए, वे इसे यहोवा के लोगों को देंगे, क्योंकि वे उसकी उपस्थिति में जीएँगे,

         कि वे भोजन और अच्छे कपड़े मोल ले सकें।

Chapter 24

    

1 किसी दिन यहोवा पृथ्‍वी को नष्ट करने जा रहे हैं।

         वह इसे नष्ट कर देंगे और इसे रेगिस्तान बना देंगे,

         और वह अपने लोगों को तितर-बितर करेंगे।

     2 वह हर किसी को तितर-बितर करेंगे:

         याजक और सामान्य लोग,

         दास और उनके स्वामी,

         दासियाँ और उनकी स्वामिनी,

         सौदागर और विक्रेता,

         उधारदाता और उधारकर्ता,

         लोग जो पैसे देते हैं और लोग जिन्होंने पैसे लिए हुए हैं।

     3 पृथ्‍वी पर कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा, जिसका कुछ मूल्य है;

         सब कुछ मूल्यवान नष्ट कर दिया जाएगा।

     यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।

     4 पृथ्‍वी पर हर एक वस्तु सूख जाएगी और मर जाएगी;

         इसके महत्वपूर्ण लोग निर्बल और महत्वहीन बन जाएँगे।

     5 पृथ्‍वी यहोवा के लिए अस्वीकार्य हो गई है क्योंकि जो लोग इस पर रहते हैं, उन्होंने उसके नियमों का उल्लंघन किया है;

         उन्होंने उस वाचा को अस्वीकार कर दिया है जिसके लिए उसका अभिप्राय था कि वह सदा के लिए बनी रहे।

     6 इसलिए, यहोवा पृथ्‍वी को श्राप देंगे;

         जो लोग इस पर रहते हैं उन्हें उनके किए गए पापों के कारण दण्डित किया जाना चाहिए।

     वे आग से नष्ट हो जाएँगे,

         और केवल कुछ लोग जीवित बचे रहेंगे।

     7 दाखलताएँ सूख जाएँगी,

         और दाखमधु बनाने के लिए उनमें कोई अँगूर नहीं होंगे।

     सब लोग जो पहले आनन्दित थे अब कराहेंगे और शोक करेंगे।

     8 अब लोग ढफ के साथ हँसमुख गाने नहीं बजाएँगे,

         अब लोग प्रसन्नता से अपनी वीणा नहीं बजाएँगे,

         और अब लोग अपने उत्सवों के दौरान ऊँचा शोर नहीं करेंगे।

     9 अब लोग दाखमधु पीते समय नहीं गाएँगे,

         और उनके सब नशीले पेय कड़वा स्वाद देंगे।

     10 नगर और शहर उजाड़ हो जाएँगे;

         हर घर पर चोरों को प्रवेश करने से रोकने के लिए ताला लगाया जाएगा, क्योंकि उनमें से कोई भी नहीं रहेगा।

     11 दाखमधु की इच्छा में सड़कों पर भीड़ इकट्ठी होंगी;

         पृथ्‍वी पर अब कोई भी आनन्दित नहीं होगा।

     12 शहर नष्ट हो जाएँगे,

         और उनके सब फाटक टुकड़ों में चकना चूर हो जाएँगे।

     13 सम्पूर्ण पृथ्‍वी पर ऐसा ही होगा:

         केवल कुछ ही लोग जीवित बचे रहेंगे,

     जैसा तब होता है जब कार्य करने वाले एक पेड़ से सब जैतून को गिरा देते हैं और केवल कुछ ही पेड़ पर बचते हैं,

         या जब वे अँगूर की कटाई करते हैं और दाखलताओं पर केवल कुछ ही बच जाते हैं।

     14 पश्चिम में रहने वाले लोग बड़ी प्रसन्नता के साथ गाएँगे;

         वे घोषणा करेंगे कि यहोवा बहुत महान है।

     15 इस्राएल के पूर्व में रहने वाले लोग यहोवा की स्तुति करेंगे;

         समुद्र के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग यहोवा की स्तुति करेंगे, वह परमेश्वर जिसकी इस्राएली लोग आराधना करते हैं।

     16 हम पृथ्‍वी के सबसे दूर के स्थानों में लोगों को यहोवा की स्तुति करते सुनेंगे, जो सचमुच धर्मी है।

     परन्तु अब, मैं बहुत दुखी हूँ।

         मेरे लिए विलाप करो, क्योंकि मैं पतला और निर्बल हो गया हूँ।

     भयानक बातें हो रही हैं!

         विश्वासघाती लोग अभी भी हर जगह दूसरों को धोखा देते हैं।

     17 तुम हे सम्पूर्ण पृथ्‍वी पर रहने वाले लोगों,

         तुम डर जाओगे,

         और तुम गहरे गड्ढों और जालों में गिर जाओगे।

     18 जो डर के कारण भागने का प्रयास करते हैं

         वे गहरे गड्ढों में गिर जाएँगे,

     और जो गड्ढे से बाहर निकल आते हैं

         उनको जाल से पकड़ लिया जाएगा।

     आकाश बीच में से खुल जाएगा और मूसलाधार वर्षा गिरेगी;

         पृथ्‍वी की नींवें हिल जाएँगी।

     19 पृथ्‍वी फट कर अलग हो जाएगी और बिखर जाएगी;

         यह हिंसक रूप से हिलेगी।

     20 यह ऐसा होगा जैसे मानों पृथ्‍वी नशे में चूर व्यक्ति के समान लड़खड़ाएगी;

         यह तूफान में एक झूले के समान हिलेगी।

     यह ढह जाएगी और फिर से उठने में सक्षम नहीं होगी,

         क्योंकि यहोवा के विरुद्ध विद्रोह करने वाले लोगों का अपराध बहुत बड़ा है।

     21 उस समय, यहोवा स्वर्ग में दुष्ट शक्तिशाली प्राणियों को

         और पृथ्‍वी पर दुष्ट राजाओं को दण्ड देंगे।

     22 वे सब एक साथ इकट्ठे किए जाएँगे और एक बन्दीगृह में फेंक दिए जाएँगे।

         वे उस बन्दीगृह में बन्द हो जाएँगे,

     और बाद में उन्हें दण्डित किया जाएगा।

     23 उस समय चँद्रमा और सूर्य का प्रकाश कम हो जाएगा;

         यह ऐसा होगा जैसे मानों वे यहोवा की उपस्थिति में लज्जित हैं,

     क्योंकि वह, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, सिय्योन पर्वत पर,

         अपने लोगों के सब अगुवों की उपस्थिति में प्रतापी रूप से शासन करेंगे।

Chapter 25

    

1 हे यहोवा, आप मेरे परमेश्वर हो;

         मैं आपका सम्मान करूँगा और आपकी प्रशंसा करूँगा।

     आप अद्भुत कार्य करते हैं;

         आपने बहुत पहले कहा था कि आप उन कार्यों को करेंगे,

         और अब आपने उन्हें किया है जैसा आपने कहा था कि आप करेंगे।

     2 कभी-कभी आपने शहरों को मलबे के ढेर बना दिया है,

         उन शहरों को जिनके चारों ओर मजबूत दीवारें थीं।

     आपने पराए देशों में महलों को गायब कर दिया है;

         वे कभी भी फिर से नहीं बनाए जाएँगे।

     3 इसलिए, शक्तिशाली राष्ट्रों में रहने वाले लोग घोषणा करेंगे कि आप बहुत महान हैं,

         और उन राष्ट्रों में रहने वाले लोग जिनके अगुवे किसी पर भी दया नहीं दिखाते हैं, आपको सम्मानित करेंगे।

     4 हे यहोवा, आप एक मजबूत गुम्मट के समान हैं जहाँ असहाय लोग शरण पा सकते हैं,

         एक ऐसी जगह जहाँ अभावग्रस्त लोग परेशानी के समय में जा सकते हैं।

     आप ऐसे स्थान के समान हैं जहाँ लोग तूफान में शरण पा सकते हैं

         और जहाँ वे गर्म धूप से बच कर, छाया में रह सकते हैं।

     लोग हम पर अत्याचार करते हैं और हमें कोई दया नहीं दिखाते हैं,

         वे एक दीवार पर चोट करने वाले तूफान के समान हैं,

         5 और सूखी भूमि में बहुत तीव्र तपन के समान हैं।

     परन्तु आप विदेशी राष्ट्रों के ऊँचे शोर में रोने वाले लोगों को चुप कर देते हैं।

         जैसे सिर के ऊपर बादल के आने पर हवा ठण्डी हो जाता है,

         आप निर्दयी लोगों को इस विषय में गीत गाने से रोक देते हैं कि वे कितने महान हैं।

     6 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, पृथ्‍वी के सब लोगों के लिए यहाँ यरूशलेम में एक अद्भुत दावत तैयार करेंगे।

         यह बहुत मात्रा में अच्छे माँस और अच्छी तरह से पुरानी की हुई दाखमधु वाला एक भोज होगा।

     7 यहाँ के लोग उदास हैं;

         वे इतने दुखी हैं कि मानों यह एक अँधेरे बादल के समान है जो उन पर लटका हुआ है,

         जैसे किसी का मरने पर उन्हें अनुभव होता है।

     परन्तु यहोवा उन्हें दुखी होने से रुक जाने में सक्षम करेंगे।

         8 वह सदा के लिए मृत्यु से छुटकारा पाएँगे!

     यहोवा हमारे परमेश्वर अब किसी के मर जाने पर लोगों को शोक नहीं करने देंगे।

         और वह अन्य लोगों को उसके देश और हम उसके लोगों को अपमानित करने और उनका मजाक उड़ाने नहीं देंगे।

     यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि यहोवा ने यह कहा है!

9 उस समय, लोग घोषणा करेंगे,

     “यहोवा हमारे परमेश्वर हैं!

         हम उन पर भरोसा करते हैं, और उन्होंने हमें बचा लिया है!

     यहोवा ने यह किया है, जिन पर हम भरोसा करते हैं;

         हमें आनन्दित होना चाहिए क्योंकि उन्होंने हमें बचा लिया है!”

     10 यहोवा यरूशलेम की रक्षा करेंगे और उसे आशीर्वाद देंगे।

         परन्तु वह मोआब देश में रहने वाले लोगों को कुचल देंगे;

         वे घास-फूस के समान होंगे जिसे खाद में मिलाया गया है और सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है।

     11 यहोवा मोआब के लोगों को धक्का दे कर गिरा देंगे;

         वे एक तैराक के समान होंगे जो अपने हाथों से पानी को नीचे धक्का देते हैं; वे अपने हाथों से गोबर को धक्का देंगे परन्तु इससे कभी बाहर नहीं निकलेंगे।

     वह उन्हें घमण्डी होने से रोक देंगे,

         और वह दिखाएँगे कि जो कुछ भी उन्होंने किया है वह बेकार है।

     12 वह सेनाओं को मोआब के शहरों के चारों ओर ऊँची दीवारों को तोड़ डालने देंगे;

         वे टुकड़ों में गिरेंगे और धूल में पड़े रहेंगे।

Chapter 26

1 किसी दिन, यहूदा में रहने वाले लोग इस गीत को गाएँगे:

     “यरूशलेम का हमारा शहर मजबूत है!

         यहोवा हमारे शहर की रक्षा करते है;

         वह एक दीवार के समान हैं जो इसको चारों ओर घेरे हुए हैं।

     2 धर्मी लोगों के लिए शहर के फाटकों को खोलो;

         उन लोगों को शहर में प्रवेश करने की अनुमति दो जो निष्ठापूर्वक यहोवा का आज्ञापालन करते हैं।

     3 हे यहोवा, जो आप पर भरोसा करते हैं,

         वे जिन्होंने आप पर कभी सन्देह नहीं करना निर्धारित किया हुआ है,

         आप उन्हें उनके अंतर्मनों में पूरी तरह से शान्तिपूर्ण होने में सक्षम बनाएँगे।

     4 इसलिए सदा यहोवा पर भरोसा रखो,

         क्योंकि वह सदा के लिए एक विशाल चट्टान के समान हैं जिसके शीर्ष पर हम सुरक्षित रहेंगे।

     5 वह घमण्डी लोगों को नम्र करते हैं

         और उन शहरों को नष्ट कर देते हैं जिनके लोग हठीले हैं।

     वह उन शहरों को धूल में गिर जाने देते हैं।

     6 जब ऐसा होता है, तो गरीब और पीड़ित लोग खण्डहरों के ऊपर चलेंगे।

     7 परन्तु धर्मी लोगों के लिए,

         हे यहोवा, आप वह कार्य करते हैं जो धर्म के हैं;

     ऐसा लगता है कि मानों आप उन मार्गों को सुचारू करते हैं जहाँ वे चलते हैं।

     8 हे यहोवा, आपके नियमों का पालन करके

         हम दिखाते हैं कि हमारी सहायता के लिए हम आप पर भरोसा करते हैं;

     और जो भी हम अपने अंतर्मनों में चाहते हैं वह यह है कि आपको सम्मानित किया जाएगा।

     9 सब रातों के दौरान मैं आपको उत्तम रूप से जानने की इच्छा करता हूँ,

         और सुबह होने पर भी मैं आपको साथ रहना चाहता हूँ।

     जब आप पृथ्‍वी पर रहने वाले लोगों का न्याय करने और दण्डित करने के लिए आते हैं

         वे सही कार्य करना सीखेंगे।

     10 परन्तु दुष्टों के प्रति आपको दया से कार्य करना उन्हें अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं करता है।

     यहाँ तक कि उन स्थानों पर भी जहाँ लोग धर्म के कार्य करते हैं, दुष्ट लोग बुरे कार्य करते रहते हैं,

         और वे यह नहीं मानते कि आप, यहोवा महान हैं।

     11 हे यहोवा, ऐसा लगता है कि मानों आपका घूँसा उन्हें मारने के लिए उठाया गया था,

         परन्तु वे इसे जानते नहीं हैं।

     उन्हें दिखाएँ कि आप अपने लोगों की सहायता करने के लिए बहुत उत्सुक हैं।

         यदि आपके शत्रुओं को यह मालूम हो जाएगा, तो वे लज्जित होंगे;

     उन्हें जला डालने के लिए अपनी आग को निकालें क्योंकि वे आपके शत्रु हैं।

     12 हे यहोवा, हम चाहते हैं कि आप हमारे लिए चीजों को अच्छी तरह से होने देंगे;

         हमने जो कुछ किया है वह वही है जिसे करने में आपने हमें सक्षम किया है।

     13 हे यहोवा, हमारे परमेश्वर, अन्य स्वामियों ने हमारे ऊपर शासन किया है,

         परन्तु आप ही अकेले हैं जिनका हम सम्मान करते हैं।

     14 जिन्होंने हम पर शासन किया वे अब चले गए हैं; वे मर गए हैं;

         उनकी आत्माओं ने इस पृथ्‍वी को छोड़ दिया है और वे फिर कभी नहीं जीएँगे।

     आपने उन शासकों को दण्डित किया है और उनसे छुटकारा पा लिया है,

         और लोग अब उन्हें स्मरण भी नहीं करते हैं।

     15 हे यहोवा, आपने हमारे देश को महान बनने में सक्षम बनाया है;

         हम अब अधिक लोग हैं, और हमारे पास अधिक भूमि है,

     इसलिए हम आपको धन्यवाद देते हैं।

     16 हे यहोवा, जब हम परेशान थे, हमने आपको हमारी सहायता करने के लिए कहा;

         जब आपने हमें अनुशासित किया, तो हम कठिनाई से आप से कोई प्रार्थना कर पाए थे।

     17 गर्भवती स्त्रियों के समान जो ऐंठती हैं और चिल्लाती हैं

         जब वे बच्चे को जन्म दे रही होती हैं,

         वैसे ही, हम भी बहुत पीड़ित थे।

     18 हम गर्भवती थे और हमें गम्भीर दर्द था,

         परन्तु इससे कोई अच्छा परिणाम नहीं मिला।

     हमने किसी भी जाति को नहीं बचाया है या उनके शत्रुओं को उन्हें जीतने से नहीं रोका है,

         और संसार के वे लोग जो हमारे शत्रु थे, युद्ध में नहीं गिरते थे।

     19 परन्तु यहोवा के लोग जो मर चुके हैं वे फिर जीवित हो जाएँगे,

         उनकी लाशें जीवित हो जाएँगी!

     तुम जिन लोगों के शरीर कब्रों में लेटे पड़े हैं, उठो और प्रसन्नता से चिल्लाओ!

     तुम, उसके लोग जो मर चुके हो, उसका प्रकाश तुम पर गिरने वाली ओस के समान होगा,

         तुम जो अब उस स्थान पर हो जहाँ मरे हुए लोग हैं;

         वह तुमको फिर से जीवित कर देंगे।

     20 परन्तु अब, हे मेरे साथी इस्राएलियों, घर जाओ

         और अपने द्वार बन्द करो!

     थोड़े समय के लिए छिप जाओ,

         जब तक कि यहोवा का क्रोध शान्त नहीं होता है।

     21 यह सुनो: यहोवा स्वर्ग से

         पृथ्‍वी पर सभी लोगों को उनके किए गए पापों के लिए दण्डित करने को आएँगे।

     लोग हत्या किए गए लोगों के लहू को देख पाने में सक्षम होंगे;

         अन्त में हर किसी को हत्या के उन सभी अपराधों को पता चलेगा जो उन्होंने किए हैं।”

Chapter 27

    

1 उस समय, यहोवा लिव्यातान को दण्डित करेंगे,

         तेजी से चलने वाला राक्षस,

     वह कुंडली वाला साँप जो समुद्र में रहता है।

     यहोवा इसे अपनी धारदार, विशाल और शक्तिशाली तलवार से मार डालेंगे।

2 उस समय, यहोवा कहेंगे,

     “तुम इस्राएली लोगों को, जो एक फलदाई दाखलता के समान हैं, गीत गाना चाहिए!

         3 मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा

         जिस प्रकार एक किसान सावधानीपूर्वक अपनी फसलों को पानी देता है कि वे अच्छी तरह बढ़ सकें।

     मैं दिन और रात तुम्हारी रक्षा करूँगा, कि कोई भी तुमको हानि नहीं पहुँचाए।

     4 अब मैं अपने लोगों से क्रोधित नहीं हूँ;

     यदि तुम्हारा कोई भी शत्रु तुमको चोट पहुँचाने की प्रयास करता है जैसे कि झाड़ियाँ और काँटे लोगों को चोट पहुँचाते हैं,

         मैं युद्ध में उन पर आक्रमण करूँगा;

         मैं उनसे पूरी तरह से छुटकारा पाऊँगा,

     5 जब तक कि वे मुझसे उनकी रक्षा करने का अनुरोध नहीं करते हैं;

         मैं दृढ़ता से उन्हें मेरे साथ शान्ति बनाने के लिए आमन्त्रित करता हूँ!”

     6 एक ऐसा समय होगा जब याकूब के वंशज एक ऐसे पौधे के समान समृद्ध होंगे जिसकी जड़ें अच्छी हों;

         वे ऐसे पेड़ों के समान होंगे जिनमें कलियाँ लगती हैं और फूल खिलते हैं और बहुत सारे फल पैदा होते हैं;

         वे जो कुछ करते हैं उससे संसार के सभी लोग आशीषित होंगे।

     7 क्या यहोवा ने हम इस्राएलियों को दण्डित किया है

         जैसे उसने हमारे शत्रुओं को दण्डित किया?

     क्या उसने हमें उतना ही दण्डित किया है जितना उसने उन्हें दण्डित किया?

     8 नहीं, उसने ऐसा नहीं किया है,

         परन्तु उसने हम इस्राएली लोगों को दण्डित किया और हमें बन्धुआई में कर दिया;

         हमें हमारे देश से दूर ले जाया गया

         जैसा कि मानों हम पूर्व से आए एक तूफान से चोटिल किए गए थे।

     9 यहोवा ने हमारे पापों के लिए हमें दण्डित करने

         और हमारे अपराध को हटा देने के लिए ऐसा किया था।

     बन्धुआई में होने के परिणामस्वरूप, इस्राएल में अन्य देवताओं की सभी वेदियों को नष्ट कर दिया जाएगा,

         और हमें उन पापों के लिए क्षमा किया जाएगा जिन्हें हमने किया है।

     वहाँ देवी अशेरा की उपासना करने के लिए और अधिक खम्भे या अन्य देवताओं के लिए धूप जलाने को वेदियाँ नहीं होंगी;

         वे सब तोड़ दी जाएँगी और टुकड़े कर दी जाएँगी।

     10 वे शहर खाली हो जाएँगे जिनके चारों ओर मजबूत दीवारें हैं;

         रेगिस्तान के समान, उनके पास उनमें रहने वाला कोई भी नहीं होगा।

     घरों को त्याग दिया जाएगा,

         और सड़कें खरपतवारों से भरी होंगी।

     बछड़े वहाँ घास खाएँगे और वहाँ लेटे रहेंगे;

         वे पेड़ों की सब पत्तियों को चबा जाएँगे।

     11 इस्राएली लोग एक पेड़ की सूखी शाखाओं के समान हैं;

         स्त्रियाँ उन्हें तोड़ती हैं और अपने खाना पकाने के बर्तनों के नीचे आग बनाने के लिए उनका उपयोग करती हैं।

     हमारे इस्राएली लोगों को कोई समझ नहीं है;

         इसलिए यहोवा, जिन्होंने उन्हें रचा है, उनके प्रति दया से कार्य नहीं करेंगे

         या उनके प्रति कृपालु नहीं रहेंगे।

12 हालाँकि, ऐसा समय होगा जब यहोवा फिर से उन्हें एक साथ इकट्ठा करेंगे; वह उन्हें उन लोगों से अलग करेंगे जिन्होंने उन्हें जीत लिया है, जैसे लोग गेहूँ को भूसी से अलग करते हैं। वह उन्हें पूर्वोत्तर में परात नदी के बीच के देश और मिस्र की दक्षिण-पश्चिम सीमा की नदी से ले कर एक-एक करके इस्राएल में वापस लाएँगे। 13 उस समय, एक तुरही बहुत जोर से फूँकी जाएगी। और जो अश्शूर और मिस्र में बन्धुआई में गए थे और जो लगभग वहाँ मर गए थे, वे उसके पवित्र पर्वत सिय्योन, पर यहोवा की आराधना करने के लिए यरूशलेम लौट आएँगे।

Chapter 28

    

1 इस्राएल की राजधानी सामरिया शहर के साथ भयानक बातें होंगी!

         यह एक उपजाऊ घाटी के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है;

     वहाँ रहने वाले लोग, जो बहुत अधिक दाखमधु पीने से नशे में धुत हो जाते हैं, बहुत गर्व करते हैं;

         यह एक सुन्दर और भव्य शहर है,

         परन्तु किसी दिन वह सुन्दरता एक फूल के समान गायब हो जाएगी जो मुर्झा जाता और सूख जाता है।

     2 यह सुनो: यहोवा एक बड़ी सेना को इस पर आक्रमण करने को प्रेरित करेंगे।

         उनके सैनिक एक भयंकर मूसलाधार वर्षा या एक बहुत तेज हवा के समान होंगे;

     एक भयंकर बाढ़ के पानी के समान वे हर जगह होंगे,

         और वे सामरिया की इमारतों को तोड़ कर भूमि पर गिरा देंगे।

     3 सामरिया के लोग गर्व करते हैं,

         परन्तु वहाँ रहने वाले पियक्कड़ जिस किसी भी वस्तु को अद्भुत मानते हैं वह उनके शत्रुओं द्वारा कुचल दिया जाएगा।

     4 हाँ, उपजाऊ घाटी के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित सामरिया सुन्दर है, परन्तु वह सुन्दरता

         एक फूल के समान गायब हो जाएगी जो मुर्झा जाता और सूख जाता है।

     जब भी कोई व्यक्ति अंजीर पकने के मौसम के आरम्भ में एक अच्छा अंजीर देखता है, तो वह शीघ्र ही से उसे तोड़ कर खा जाता है;

         इसी तरह, जब इस्राएल के शत्रु सामरिया में सभी सुन्दर चीजें देखते हैं,

         वे शीघ्र ही से शहर को जीत लेंगे और उन सभी चीजों को ले जाएँगे।

     5 उस समय, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, हम इस्राएली लोगों के लिए फूलों के तेजस्वी मुकुट के समान होंगे

         जो बन्धुए होने के बाद अभी भी जीवित हैं।

     6 वह हमारे न्यायधीशों को निष्पक्ष कार्य करने का इच्छुक बना देंगे

         जब वे लोगों के मामलों का निर्णय करते हैं।

     जब हमारे शत्रु शहर पर आक्रमण करते हैं

         तो वह शहर के फाटकों पर खड़े सैनिकों को दृढ़ता से शहर की रक्षा करने में सक्षम करेंगे।

     7 परन्तु अब, हमारे अगुवे लड़खड़ाते हैं,

     और याजक और भविष्यद्वक्ता भी

         बहुत सारी दाखमधु और अन्य नशीले पेय पीने के कारण घबराते हैं।

     वे न्यायोचित सोचने में सक्षम नहीं हैं;

         वे दर्शन देखते हैं, परन्तु वे समझ नहीं सकते कि उनका क्या अर्थ है;

         वे सही रीति से चीजों का निबटारा करने में असमर्थ हैं।

     8 उनकी सब मेजें उनकी उल्टी से ढकी हुई हैं;

         हर जगह गन्दगी है।

     9 वह किसको सिखाएँगे कि वे ज्ञान के विषय में जान सकें?

         कौन उनको सुनेगा कि वह उन्हें सबक सिखाएँ जिससे कि वे सीख सकें?

     क्या वह सोचते हैं कि हम ऐसे छोटे बच्चों के समान हैं जो अब दूध नहीं पीते हैं,

         और या फिर हम उन बच्चों के समान हैं जो, बहुत पहले नहीं, दूध छुड़ाए हुए थे?

     10 वह निरन्तर हमें बताते हैं, ‘ऐसा करो, वैसा करो;’

         पहले वह हमें एक नियम बताते हैं, फिर दूसरा नियम बताते हैं,

         वह हमें एक समय में केवल एक पंक्ति बताते हैं।”

     11 इसलिए अब, यहोवा को उन्हें अश्शूरियों को सुनने के लिए विवश करने की आवश्यकता होगी

         जो उनसे ऐसी भाषा में बात कर रहे हैं जिसे वे नहीं समझते हैं।

     12 यहोवा ने बहुत पहले अपने लोगों से कहा,

         “यह एक ऐसा स्थान है जहाँ तुम आराम कर सकते हो;

     तुम रेगिस्तान के माध्यम से अपनी सारी यात्राओं से थक गए हो,

         परन्तु तुम इस देश में आराम करने में सक्षम होओगे।”

     परन्तु उन्होंने उसकी कही बात पर ध्यान देने से मना कर दिया।

     13 इसलिए यहोवा सामरिया के लोगों को एक समय में एक पंक्ति बताना जारी रखता है,

     “ऐसा करो, वैसा करो,”

         पहला एक नियम और फिर दूसरा नियम।

     परन्तु परमेश्वर ने जो कुछ कहा, उसे अनदेखा करने के कारण, उन पर आक्रमण किया जाएगा और उन्हें पराजित किया जाएगा;

         वे घायल हो जाएँगे और फँस जाएँगे और बन्धक बना लिए जाएँगे।

     14 उस वचन को सुनो जो यहोवा कहते हैं,

         तुम जो यरूशलेम के लोगों पर शासन करते हो,

         तुम जो मेरा ठट्ठा करते हो और मेरा मजाक बनाते हो!

     15 तुम डींग मारते हो और कहते हो,

     “हमने मृत्यु के साथ एक प्रतिज्ञा की है कि जब मृत्यु की शक्ति हमारे ऊपर आती है, तो यह हमें नहीं पा सकती है।

         हमने अपने झूठे शब्दों को एक आश्रय में बदलने का प्रयास की जिसमें हम छिप सकते थे।

16 इसलिए, हमारे परमेश्वर यहोवा यह कहते हैं:

     “यह सुनो! मैं यरूशलेम में किसी ऐसे व्यक्ति को रखने जा रहा हूँ जो नींव के पत्थर के समान हैं,

         वह एक ऐसे पत्थर के समान हैं जिसका परीक्षण यह निर्धारित करने के लिए किया गया है कि यह ठोस है या नहीं।

     वह एक ऐसे मूल्यवान पत्थर के समान होंगे जिस पर घर बनाना सुरक्षित होगा;

         और जो भी उस पर भरोसा करता है वह कभी निराश नहीं होगा।

     17 मैं यह पता लगाने के लिए तुम यरूशलेम के लोगों की परीक्षा लूँगा कि क्या तुम न्यायपूर्ण और धार्मिकता के कार्य करोगे,

         मैं तुम्हारे चरित्र को इस तरह मापूँगा, जिस प्रकार मिस्त्री यह निर्धारित करने के लिए एक साहुल की डोरी का उपयोग करता है कि दीवार सीधी और समतल है या नहीं।

     और फिर ओले बरसेंगे! और तुम्हारे पास जो कुछ भी है उसे यह नष्ट कर देंगे।

         तुम्हारा आश्रय नष्ट हो जाएगा क्योंकि यह झूठ की नींव पर बनाया गया है,

         और तूफान का पानी तुम्हारे आश्रय को दूर बहा ले जाएगा।

     18 मैं उस वाचा को अस्वीकार कर दूँगा जिसे तुमने मृत्यु के साथ बनाया था,

         और मैं उस स्थान के साथ तुम्हारे द्वारा की गई वाचा को समाप्त कर दूँगा जहाँ मरे हुए लोग रहते हैं।

     परन्तु जब विशाल बाढ़ आती है, तो यह तुमको डुबा देगी;

         और दिन प्रतिदिन यह तुम्हारे ऊपर से बहेगी।

     19 जब बाढ़ आती है, तो यह तुम्हारे ऊपर से ऐसे होकर जाएगी जैसे नदी अपने किनारों से बाहर बहती है और हर जगह बाढ़ से आती है।

     जब अंततः तुम यहोवा के सन्देश को समझते हो, तो यह तुमको सांत्वना नहीं देगा, वरन् भयभीत कर देगा।

     क्योंकि किसी के लेटने के लिए बिस्तर बहुत छोटा है, और किसी के ओढ़ने के लिए चादर बहुत संकरी है। 20 तुमने लोगों को यह कहते हुए सुना है, “तुम्हारा बिस्तर बहुत छोटा है, तुम इसमें सो नहीं पाओगे;

         तुम्हारा कंबल बहुत संकरा हैं; वह तुमको ढाँप नहीं पाएगा!”

     21 यहोवा आएँगे और तुमको पराजित हो जाने देंगे;

         वह तुम्हारे साथ वैसा करेंगे जैसे उसने पराजीम पर्वत पर पलिश्ती सेना के साथ किया था,

         और जैसे उसने गिबोन घाटी में एमोरियों के साथ किया था।

     वह जो कुछ करेंगे वह बहुत अजीब और असामान्य होगा।

     22 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, ने मुझे बताया है कि वह सम्पूर्ण देश को नष्ट करने जा रहा है।

     इसलिए अब मैं जो कहता हूँ उसका उपहास मत करो,

         क्योंकि यदि तुम ऐसा करते हो,

         तो वह और भी गम्भीर रूप से तुमको दण्डित करेंगे।

     23 जो मैं कहता हूँ उसे सुनो;

         सावधानीपूर्वक ध्यान दो।

     24 जब एक किसान किसी भूमि की जुताई करता है, तो क्या वह कभी बीज नहीं बोता?

         क्या वह इसकी जुताई करना ही जारी रखता है और कभी भी कुछ बोता नहीं है?

     25 नहीं, वह भूमि को बहुत समतल बनाता है,

         और फिर वह बीज बोता है—

         सौंफ का बीज और जीरा और गेहूँ और जौ।

     वह हर प्रकार के बीज को सही रीति से बोता है। वह एक प्रकार के बीज को इस तरह के बोता है जो इसके लिए सही नहीं है।

     26 वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि परमेश्वर ने उसे इसे करने का सही-सही मार्ग सिखाया है।

     27 इसके अतिरिक्त, दाँवने की गाड़ी से सौंफ के बीज की दाँवनी नहीं की जाती है,

         और न ही जीरे के ऊपर गाड़ी का पहिया चलाया जाता है;

         परन्तु सौंफ को एक छड़ी से, और जीरे को एक सोंटे से झाड़ा जाता है।

     28 और रोटी पकाने के लिए अनाज को सरलता से पीस दिया जाता है,

         इसलिए किसान लम्बे समय तक इसे पीसता ही नहीं रहता है।

         वे कभी-कभी इसकी दाँवनी करने के लिए अपने घोड़ों से इसके ऊपर गाड़ी का पहिया चला देते हैं,

     परन्तु ऐसा करने से अनाज पिस नहीं जाता है।

     29 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा,

         हमें कार्यों को करने के विषय में अद्भुत सलाह देते हैं; वह हमें असामान्य बुद्धि देते हैं।

     इसलिए किसान जो करते हैं वह बहुत चतुराई है, परन्तु तुम्हारे अगुवे जो कर रहे हैं वह बहुत मूर्खता है।

Chapter 29

1 यह यहोवा की ओर से एक सन्देश है:

     यरूशलेम के साथ भयानक बातें होती हैं, वह शहर जहाँ राजा दाऊद रहता था।

         तुम लोग हर वर्ष अपने त्यौहार मनाते रहते हो।

     2 परन्तु मैं तुमको एक बड़ी विपत्ति का सामना करवाऊँगा,

         और जब ऐसा होता है,

         लोग रोएँगे और बहुत शोक करेंगे।

     तुम्हारा शहर मेरे लिए एक वेदी के समान बन जाएगा

         जहाँ लोगों को बलिदान के रूप में जला दिया जाता है।

     3 मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे शहर के चारों ओर आकर छावनी लगाने दूँगा;

         वे गुम्मटों का निर्माण करके इसे घेर लेंगे

         और अन्य चीजों को उस जगह पर रख कर जिससे उनको तुम पर आक्रमण करना है।

     4 तब तुम ऐसे बात करोगे जैसे मानों तुमको भूमि में गहरा दफनाया गया था;

         यह भूमि के नीचे से फुसफुसाते हुए किसी व्यक्ति के समान सुनाई देगा,

     जैसे कोई भूत कब्र से बोल रहा है।

     5 परन्तु अचानक से तुम्हारे शत्रुओं को धूल के समान दूर उड़ा दिया जाएगा;

     उनकी सेना

         हवा से दूर उड़ा दी गई भूसी के समान गायब हो जाएगी।

     यह बहुत अचानक होगा:

     6 स्वर्गदूतों की सेनाओं के प्रधान, यहोवा, तुम्हारी सहायता करने आएँगे

     गड़गड़ाहट और एक भूकम्प और एक बहुत ऊँचे शोर के साथ,

         एक भयंकर हवा और एक बड़े तूफान और एक आग के साथ जो सब कुछ जला देगी।

     7 तब यरूशलेम पर आक्रमण करने वाले सभी राष्ट्रों की सेना शीघ्र ही से रात के एक सपने के समान गायब हो जाएगी।

         जो लोग यरूशलेम पर आक्रमण करने वाले होंगे वे अचानक गायब हो जाएँगे।

     8 जो लोग भोजन खाने के विषय में सपना देखते हुए सोते हैं,

         परन्तु जब वे जागते हैं, वे अभी भी भूखे हैं।

     प्यासे लोग कुछ पीने का सपना देखते हैं,

         परन्तु जब वे जागते हैं वे अभी भी प्यासे हैं।

     ऐसा ही होगा जब तुम्हारे शत्रु सिय्योन पर्वत पर आक्रमण करने आएँगे;

         वे तुमको जीत लेने के विषय में सपने देखेंगे, परन्तु जब वे जागते हैं,

         वे जान जाएँगे कि वे सफल नहीं हुए हैं।

     9 तुम हे यरूशलेम के लोगों, इस विषय में चकित और आश्चर्यचकित हो!

         मैंने जो कहा है उस पर विश्वास न करो!

     और जो कुछ यहोवा कर रहे हैं उसके विषय में अंधे बने रहो।

         तुम मूर्ख हो, परन्तु ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि तुमने बहुत दाखमधु पी है।

         तुम लड़खड़ाते हो, परन्तु नशीले पेय पीने से नहीं।

     10 क्योंकि यहोवा ने अपने सन्देशों को भविष्यद्वक्ताओं को समझने और तुमको देने से रोका है,

         ऐसा लगता है कि मानों उसने तुमको शीघ्र ही से सो जाने वाले कर दिया था।

11 यहोवा ने मुझे दर्शन दिए; परन्तु तुम्हारे लिए, वे केवल एक पुस्तक पर शब्द हैं जिसे मुहरबन्द कर दिया गया है। यदि तुम इसे उन लोगों को देते हो जो इसे पढ़ सकते हैं और अनुरोध करो कि वे इसे पढ़ें, तो वे कहेंगे, “हम इसे पढ़ नहीं सकते क्योंकि पुस्तक मुहरबन्द की गई है।” 12 जब तुम इसे दूसरों को देते हो जो पढ़ नहीं सकते हैं, तो वे कहेंगे, “हम इसे पढ़ नहीं सकते क्योंकि हम नहीं जानते कि कैसे पढ़ा जाए।”

13 इसलिए यहोवा कहते हैं, “ये लोग मेरी आराधना करने का ढोंग करते हैं।

     वे मुझे सम्मान देने का ढोंग करने के लिए अच्छी बातें कहते हैं,

         परन्तु वे उस विषय में नहीं सोचते जो मैं चाहता हूँ।

     जब वे मेरी आराधना करते हैं,

         तो वे उन सुने हुए नियमों से सारे कार्य करते हैं जिन्हें लोगों ने बनाया है और उन्होंने स्मरण किया है।

     14 इसलिए, मैं इन लोगों को आश्चर्यचकित करने के लिए फिर से कुछ करूँगा;

         मैं कई चमत्कार करूँगा।

     और मैं दिखाऊँगा कि जो लोग दूसरों को बताते हैं कि वे बुद्धिमान हैं वे वास्तव में बुद्धिमान नहीं हैं,

         और मैं दिखाऊँगा कि जो लोग दूसरों को बताते हैं कि वे बुद्धिमान हैं वे वास्तव में बुद्धिमान नहीं हैं।

     15 उन लोगों के साथ भयानक बातें होंगी जो मुझ, यहोवा, से

         उन बुरे कार्यों को छिपाने का प्रयास करते हैं, जिन्हें करने की वे योजना बनाते हैं;

     वे अँधेरे में उन कर्मों को करते हैं

         और वे सोचते हैं, ‘यहोवा निश्चित रूप से हमें नहीं देख सकते;

         वह नहीं जान सकते कि हम क्या कर रहे हैं!’

     16 वे अत्यंत मूर्ख हैं!

         वे ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे कि वे कुम्हार थे और मैं मिट्टी था!

     जो कुछ बनाया गया था, उसे निश्चित रूप से उस व्यक्ति से कभी नहीं कहना चाहिए जिसने उसे बनाया है,

         ‘तुमने मुझे नहीं बनाया!’

     एक मर्तबान को कभी नहीं कहना चाहिए,

         ‘वह कुम्हार जिसने मुझे बनाया वह नहीं जानता था कि वह क्या कर रहा था!’”

     17 शीघ्र ही लबानोन के जंगल उपजाऊ खेत बन जाएँगे,

         और उन खेतों में प्रचुर मात्रा में फसलों का विकास होगा,

         और यह बहुत शीघ्र होगा।

     18 उस समय, बहरे लोग सुन पाने में सक्षम होंगे;

         जब कोई पुस्तक में से पढ़ते हैं तो वे सुन पाने में सक्षम होंगे;

     और अंधे लोग देख पाने में सक्षम होंगे;

         जब धुंध होती है या यहाँ तक कि जब अंधेरा होता है तो वे चीजों को देख पाने में सक्षम होंगे।

     19 यहोवा विनम्र लोगों को फिर से बहुत प्रसन्न होने में सक्षम करेंगे।

         इस्राएल के एकमात्र पवित्र परमेश्वर ने जो किया है इस बात से गरीब लोग आनन्दित होंगे।

     20 वहाँ इस प्रकार के कोई लोग नहीं होंगे जो दूसरों का उपहास करते हैं

         और कोई अभिमानी लोग नहीं होंगे।

         और जो लोग बुराई करने की योजना बनाते हैं उन्हें मार डाला जाएगा।

     21 जो निर्दोष लोगों को दण्डित करने के लिए न्यायधीशों को मनाने के लिए झूठी गवाही देते हैं उनको मिटा दिया जाएगा।

         इसी तरह की बातें उन लोगों के साथ होंगी जो अदालत में झूठ बोल कर न्यायधीशों को अन्यायपूर्ण निर्णय लेने के लिए राजी करते हैं।

22 यही कारण है कि यहोवा, जिसने अब्राहम को बचाया, इस्राएल के लोगों के विषय में कहते हैं,

     “मेरे लोग अब लज्जित नहीं होंगे;

         अब वे अपने चेहरे पर नहीं दिखाएँगे कि वे लज्जित हैं।

     23 जब वे देखते हैं कि मैंने उन्हें कई बच्चे दे कर आशीर्वाद दिया है, और जो कुछ मैंने उनके लिए किया है,

         वे इस्राएल के एकमात्र पवित्र परमेश्वर के पवित्र नाम का सम्मान करेंगे,

         और वे मेरा, उस परमेश्वर का आदर करेंगे जिससे वे, याकूब के वंशज, सम्बन्धित हैं।

     24 जब ऐसा होता है, तो जो लोग अच्छी तरह से सोचने में सक्षम नहीं हैं वे स्पष्ट रूप से सोचेंगे,

         और मेरे कार्यों के विषय में शिकायत करने वाले लोग, उसे स्वीकार कर लेंगे जो मैं उनको सिखा रहा हूँ।”

Chapter 30

    

1 यहोवा कहते हैं, “मेरे लोग जो मेरे विरुद्ध विद्रोह करते हैं, तुम्हारे साथ भयानक बातें होंगी।

         तुम योजना बनाते हो, परन्तु जो भी तुम योजना बनाते हो वो वह नहीं है जो मैं चाहता हूँ।

     तुमने मिस्र के शासकों के साथ गठबन्धन किया है,

         परन्तु तुमने मेरी आत्मा से नहीं पूछा था कि यदि वह वही था जो तुमको ऐसा करना चाहिए।

         ऐसा करके, तुमने अपने पापों की संख्या में वृद्धि की है।

     2 तुम मिस्र गए थे कि उनके शासकों से सहायता के लिए कह सको,

         मेरी सलाह पूछे बिना।

     तुमने तुम्हारी रक्षा करने के लिए मिस्र के राजा की सेना पर भरोसा किया है;

     तुमने उन पर भरोसा किया है

         जैसे लोग सूर्य से स्वयं को बचाने के लिए छाया में बैठते हैं।

     3 परन्तु तुम्हारे मिस्र के राजा पर भरोसा करने का परिणाम यह है कि तुम निराश और अपमानित होंगे;

         क्योंकि तुम उस पर भरोसा करते हो, इसलिए तुम अपमानित होओगे।

     4 यहूदा के अधिकारी समझौते करने के लिए मिस्र के सोअन और हानेस शहरों में गए हैं,

     5 परन्तु वे सब लोग अपमानित होंगे, जो मिस्र के राजा पर भरोसा करते हैं,

         क्योंकि वह राष्ट्र तुम्हारी सहायता करने में सक्षम नहीं होगा;

     तुमने उनसे सहायता करने का अनुरोध करके जो समझौता किया है वह बेकार होगा;

         इसके बजाए, परिणाम यह होगा कि तुमको अपमानित और निराश किया जाएगा।”

6 यशायाह ने यहोवा की ओर से इस सन्देश को यहूदा के दक्षिणी भाग के रेगिस्तानी भाग में जानवरों के विषय में प्राप्त किया:

     वह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ लोगों को कई परेशानी और कठिनाईयों का अनुभव होता है,

         एक ऐसा क्षेत्र जहाँ नर और मादा शेर

         और विभिन्न प्रकार के विषैले साँप हैं।

     कारवाँ उस क्षेत्र से

         मूल्यवान वस्तुओं को गधों और ऊँटों पर लादे हुए जाते हैं।

     वे उन्हें मिस्र ले जा रहे हैं क्योंकि वे आशा करते हैं कि मिस्र की सेना उनकी रक्षा करेगी,

         परन्तु यह व्यर्थ होगा।

         7 मिस्र के राजा द्वारा किए गए वादे बेकार हैं;

     इसलिए मैं मिस्र को ‘बेकार राहाब, समुद्री राक्षस जो कुछ भी नहीं करता बुलाता हूँ।’

     8 यहोवा ने एक लपेटे हुए पत्र पर मुझे एक सन्देश लिखने के लिए कहा,

         कि यह यहूदा के लोगों के लिए गवाही हो

     जो इसे सदा के लिए सहन करेंगे।

     9 यह उन्हें स्मरण दिलाएगा कि वे धोखेबाज हैं और सदा यहोवा के विरुद्ध विद्रोह करते हैं,

         और जो वह उनसे कहते हैं उस पर ध्यान देने से वे मना करते हैं।

     10 वे उन लोगों से कहते हैं जो यहोवा से दर्शन देखते हैं,

         “दर्शनों को देखना बन्द करो!”

     वे भविष्यद्वक्ताओं से कहते हैं,

         “हम पर यह प्रकट मत करो कि क्या सही है!

     हमें सुखद बातें बताओ;

         हमें उन बातों के विषय में मत बताओ जो सच हैं!

     11 जो भी तुम कर रहे हो वह करना बन्द करो;

         हमें मत बताओ कि इस्राएल के एकमात्र पवित्र हमसे क्या कहते हैं।”

12 इसलिए, इस्राएल के एकमात्र पवित्र ने यही कहा है:

     “तुमने मेरा सन्देश को अस्वीकार कर दिया है,

         और तुम उन लोगों पर भरोसा कर रहे हो जो दूसरों पर अत्याचार करते और धोखा देते हैं।

     13 इसलिए, मुझे अस्वीकार करने के तुम्हारे पाप का परिणाम यह होगा कि तुम अचानक विपत्तियों का सामना करोगे;

         तुम्हारे साथ ऐसा होगा जैसे कि अचानक एक दरार वाली दीवार तुम पर गिर जाएगी।”

     14 तुम ऐसे चकना चूर हो जाओगे जैसे मिट्टी का मर्तबान गिर जाने पर चकना चूर हो जाता है

     और पूरी तरह से टुकड़े-टुकड़े हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक टुकड़ा भी इतना बड़ा नहीं बचता

         जिससे एक चुल्हे से राख को बाहर निकाला जाए

         या एक कुएँ से थोड़ा सा पानी ले जाया जाए।

15 यहोवा, हमारे परमेश्वर, इस्राएल के एकमात्र पवित्र, यह भी कहते हैं:

     “मैं तुमको तुम्हारे शत्रुओं से केवल तभी बचाऊँगा यदि तुम पश्चाताप करते हो और जो मैं तुम्हारे लिए करूँगा उस पर विश्वास करते हो;

         तुम केवल तभी मजबूत होओगे जब तुम चिन्ता करना छोड़ देते हो और मुझ पर भरोसा करते हो।

     परन्तु तुम ऐसा नहीं करना चाहते हो।

     16 तुमने कहा, ‘नहीं, हम उन घोड़ों पर भाग जाएँगे जो मिस्र की सेना हमें देगी!’

         इसलिए तुम भागने की प्रयास करोगे।

     तुमने कहा, ‘हम तेज घोड़ों पर सवार होकर अश्शूर की सेना से बच जाएँगे!’

         परन्तु जो लोग तुम्हारा पीछा करते हैं वे भी तेजी से सवारी करेंगे।

     17 इसके परिणामस्वरूप, तुम में से एक हजार भाग जाएँगे जब उनमें से केवल एक ही तुम्हारा पीछा करेगा!

     जब उनके पाँच सैनिक तुमको मारने की धमकी देते हैं,

         तुम सबके सब भाग जाएँगे।

     तुम में से केवल कुछ ही छोड़े जाएँगे, जैसे पर्वत के शीर्ष पर झण्डे का अकेला डंडा,

         या पहाड़ी की चोटी पर एक अकेले संकेत वाले झण्डे के समान।”

     18 परन्तु यहोवा तुम्हारे प्रति दयालु कार्य करना चाहते हैं;

         वह महान हैं क्योंकि वह दया से कार्य करना चाहते हैं।

     मत भूलना कि वह एक ऐसे परमेश्वर हैं जो न्यायपूर्ण रीति से कार्य करते हैं;

         यहोवा उन लोगों से प्रसन्न हैं जो धैर्यपूर्वक उन पर भरोसा करते हैं।

19 तुम हे यरूशलेम में रहने वाले लोगों, अब किसी दिन तुम नहीं रोओगे। जब तुम सहायता के लिए उसे पुकारते हो तो यहोवा तुम्हारे प्रति दयालु होंगे। जैसे ही वह तुम्हारी पुकार सुनते हैं, वह तुमको उत्तर देंगे। 20 हालाँकि अब यहोवा ने तुम पर गरीबी डाली है, वह तुम्हारे शिक्षक, स्वयं को तुमसे छिपाएँगे नहीं। वह तुमको कई चीजों को स्पष्ट रूप से सिखाएँगे। 21 और तुम्हारा मार्गदर्शन करने के लिए तुम उनको तुमसे बातें करते सुनोगे। तुम्हारे ठीक पीछे वह कहेंगे, “यह वह सड़क है जिस पर तुमको चलना चाहिए; इस सड़क पर चलो!” 22 जब ऐसा होता है, तो तुम अपनी सारी मूर्तियों को नष्ट कर दोगे जो चाँदी या सोने से ढकी हुई हैं। तुम उन्हें ऐसे दूर फेंक दोगे जैसे तुम एक गन्दे कपड़े को फेंक देते हो, और तुम उनसे कहोगे, “हमें अब तुम्हारी कोई आवश्यकता नहीं है!”

23 यदि तुम ऐसा करते हो, तो यहोवा तुमको अपनी फसलों को लगाए जाने पर अच्छी वर्षा दे कर आशीर्वाद देंगे। तुम्हारे मवेशियों के खाने के लिए घास के साथ तुम्हारे पास अच्छी उपज और बहुत सारे बड़े खेत होंगे। 24 हवा के भूसी को दूर उड़ा देने के बाद, तुम्हारी भूमि पर हल खींचने वाले बैल और गधे खाने के लिए अच्छा अनाज होगा। 25 उस समय, जब तुम्हारे शत्रुओं को हत्या कर दिया जाए और उनके गुम्मटों को गिरा दिया जाए, तो वहाँ यहूदा में हर पहाड़ी और पर्वत से बहने वाली धाराएँ होंगी। 26 चँद्रमा सूर्य के समान उज्ज्वल रूप से चमकता प्रतीत होगा, और सूरज पहले से सात गुणा बढ़कर उज्ज्वल रूप से चमकता प्रतीत होगा। वह इसी प्रकार से होगा जब यहोवा अपने लोगों की पीड़ाओं को समाप्त कर देंगे; यह ऐसा होगा जैसे मानों वह उनके घावों पर पट्टियाँ लगा रहे हैं और उन्हें ठीक कर रहे हैं।

     27 ऐसा लगता है कि मानों हम यहोवा को दूर से आते हुए देखते हैं;

         वह बहुत क्रोध में हैं,

     और उसके चारों ओर धुएँ के घने बादल हैं।

         वह जो कहते हैं उससे वह दिखाते हैं कि वह क्रोध में हैं;

         वह जो कहते हैं वह एक विनाशकारी आग के समान हैं।

     28 उसकी साँस बाढ़ के समान हैं जो उसके शत्रुओं को उनकी गर्दन तक ढक लेती हैं।

         वह राष्ट्रों में से कुछ को नष्ट करने के लिए उनको अलग करेंगे;

         ऐसा लगता है कि मानों वह उन पर घोड़ों की लगाम को डाल देंगे कि वह उन्हें विनाश के लिए ले जा सकें।

     29 परन्तु उनके लोग प्रसन्नता से गाएँगे

         जैसे एक पवित्र त्यौहार मनाते हुए वे रात के दौरान गाते हैं।

     वे बहुत आनन्दित होंगे,

         जैसे उनके लोगों के बड़े समूह यरूशलेम में सिय्योन पर्वत पर चढ़ते समय आनन्दित होते हैं,

     बाँसुरी बजाने वाले पुरुषों के साथ

     जब वे सब वहाँ यहोवा की आराधना करने को जाते हैं।

         वह शीर्ष पर एक विशाल चट्टान के समान है जिससे हम इस्राएली लोग सुरक्षित हैं।

     30 और यहोवा हमें उसे शक्तिशाली रूप से बोलते हुए सुनने में सक्षम बनाएँगे।

         वह हमें दिखाएँगे कि वह बहुत शक्तिशाली हैं।

     हम उसे उसके शत्रुओं को चकना चूर करते हुए देखेंगे।

         बहुत क्रोध होने के कारण, वह एक बड़ी आँधी और गड़गड़ाहट और ओलों के साथ उन्हें दण्डित करने के लिए उतर आएँगे।

     31 अश्शूर के सैनिक भयभीत होंगे जब वे यहोवा की आवाज़ सुनते हैं

         और जब वह उन्हें अपने सोंटे से मारते हैं।

     32 और जिस समय यहोवा उन्हें दण्डित करने के लिए उन पर प्रहार करते हैं,

         उसके लोग ढफ और वीणा बजा कर उत्सव मनाएँगे।

     यह ऐसा होगा जैसे मानों यहोवा अपना शक्तिशाली हाथ उठाएँगे और युद्ध में अश्शूर सेना को पराजित करेंगे।

     33 यरूशलेम के बाहर तोपेत की घाटी लम्बे समय से तैयार की गई है;

         यह अश्शूर के राजा के लिए तैयार है;

     उसके शरीर को जलाने के लिए अंतिम संस्कार की चिता चौड़ी और ऊँची है,

         और यह ऐसा होगा जैसे मानों यहोवा अपनी साँस से आग को प्रज्वलित कर देंगे,

         जो जलते हुए गन्धक की धारा के समान बाहर आ जाएगी।

Chapter 31

    

1 उन लोगों के साथ भयानक बातें होंगी जो उनकी सहायता करने के लिए मिस्र पर भरोसा करते हैं,

         वे उनके सैनिकों के घोड़ों और उनके बहुत से रथों और उनके कई रथ चालकों पर भरोसा करते हैं,

     बजाए इस पर भरोसा करने के कि इस्राएल के एकमात्र पवित्र, यहोवा, उनकी सहायता करेंगे।

     2 यहोवा बहुत बुद्धिमान हैं,

         परन्तु वह भी लोगों को विपत्ति का अनुभव करने देते हैं!

     और जब वह ऐसा करने का निर्णय करते हैं,

         तो वह अपना मन नहीं बदलते हैं!

     वह दुष्ट लोगों पर

         और उन सभी पर जो उनकी सहायता करते हैं प्रहार करेंगे।

     3 जिन मिस्र के सैनिकों पर तुम यहूदा के लोग भरोसा कर रहे हो, वे मनुष्य हैं, न कि परमेश्वर!

         और उनके घोड़े केवल घोड़े हैं; वे शक्तिशाली आत्माएँ नहीं हैं!

     इसलिए जब यहोवा अपने घूँसे को

         मिस्र के उन सैनिकों पर प्रहार करने के लिए उठाते हैं जिनके लिए तुमने सोचा था कि वे तुम्हारी सहायता करेंगे,

         वह तुम पर भी प्रहार करेंगे जिन्होंने सोचा था कि तुमको सहायता मिलेगी,

         और तुम और वे ठोकर खाएँगे और गिर पड़ेंगे;

         तुम सब एक साथ मर जाओगे।

4 परन्तु यहोवा ने मुझसे यही कहा:

     “जब एक शेर खड़ा होता है और भेड़ के शरीर पर गरजता है जिसको उसने मारा है,

         भले ही चरवाहों का एक बड़ा समूह शेर के भगा देने के लिए आता है,

     भले ही वे जोर से चिल्लाने लगें,

         शेर नहीं डरेगा और चला नहीं जाएगा।

     इसी तरह, मैं, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा,

         सिय्योन पर्वत पर अपने शत्रुओं से लड़ने के लिए नीचे आऊँगा,

         और कुछ भी मुझे रोक नहीं पाएगा।

     5 स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यरूशलेम की रक्षा करेंगे

         जैसे एक माता पक्षी अपने घोंसले में बच्चों पर मण्डराती है।

     वह शहर की रक्षा करेंगे

         और इसे इसके शत्रुओं से बचाएँगे।”

6 हे मेरे लोगों, भले ही तुमने यहोवा के विरुद्ध विद्रोह किया हो, उसके पास लौट आओ। 7 जब तुम ऐसा करते हो, तो तुम में से प्रत्येक पाप में बनाई उन चाँदी और सोने से ढकी हुई मूर्तियों को फेंक देंगे।

     8 अश्शूरी सैनिक मार डाले जाएँगे,

         परन्तु उन तलवारों द्वारा नहीं जिनका उपयोग पुरुष करते हैं।

         वे परमेश्वर की तलवार से नष्ट हो जाएँगे;

     और जो मारे नहीं गए वे घबराएँगे और भाग जाएँगे।

         और उनमें से कुछ को पकड़ लिया जाएगा और दास बनने के लिए विवश किया जाएगा।

     9 यहाँ तक कि उनके अत्यंत मजबूत सैनिक भयभीत होंगे;

         उनके अगुवे सारी आशा त्याग देंगे और यहोवा की शक्ति से भाग जाएँगे!

     सिय्योन पर्वत पर यहोवा की उपस्थिति आग के समान है,

         एक भट्ठी के समान जो यरूशलेम में धधकती है।

         अश्शूर की सेना के विषय में यहोवा यही कहते हैं!

Chapter 32

    

1 इसे सुनो! किसी दिन एक धर्मी राजा होगा,

         और उसके अधिकारी उसे न्यायसंगत शासन करने में सहायता करेंगे।

     2 उनमें से प्रत्येक हवा से एक आश्रय के समान

         और तूफान से एक शरण के समान होगा।

     वे रेगिस्तान में पानी की धाराओं के समान,

         एक बहुत ही गर्म और सूखी भूमि में एक विशाल चट्टान के नीचे छाया के समान होंगे।

     3 जब ऐसा होता है, तो वे अगुवे उन लोगों को परमेश्वर की सच्चाई को समझने में सक्षम करेंगे जिन्होंने इसे नहीं समझा है,

         और वे उन लोगों को परमेश्वर की सच्चाई पर ध्यान देने में सक्षम करेंगे जिन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया है।

     4 यहाँ तक कि जो लोग फुर्ती में कार्य करते हैं, वे भी अच्छी समझ पाएँगे,

         और जो लोग अच्छी तरह से बात नहीं कर सकते थे वे धाराप्रवाह और स्पष्ट रूप से बोलेंगे।

     5 उस समय, जो लोग मूर्ख हैं अब उनकी प्रशंसा नहीं की जाएगी,

         और लुच्चों का सम्मान अब नहीं किया जाएगा।

     6 मूर्ख लोग ऐसी बातें कहते हैं जो मूर्खतापूर्ण हैं,

         और वे बुरे कार्यों को करने की योजना बनाते हैं।

     उनके व्यवहार अपमानजनक हैं,

         और वे यहोवा के विषय में ऐसी बातें कहते हैं जो झूठी हैं।

     वे भूखे लोगों को भोजन नहीं देते हैं,

         और वे प्यासे लोगों को पानी नहीं देते हैं।

     7 लुच्चे ऐसे कार्य करते हैं जो बुरे हैं और जो लोगों को धोखा देते हैं;

         वे बुरे कार्यों को करने की योजना बनाते हैं;

     अदालत में झूठ बोल कर वे गरीब लोगों को परेशानी में डाल देते हैं,

         तब भी जब गरीब लोग जो अनुरोध कर रहे हैं वह उचित है।

     8 परन्तु आदरणीय लोग सम्मानित कार्यों को करने की योजना बनाते हैं,

         और वे उन सम्मानपूर्ण कार्य करते हैं, इसलिए वे सफल होते हैं।

     9 तुम यरूशलेम की स्त्रियाँ जो सोचती हैं कि तुम बहुत सुरक्षित हो

         और जो सोचती हैं कि सब ठीक हो रहा है,

     जो मैं कहता हूँ उसे सुनो!

     10 एक वर्ष समाप्त होने के बाद, तुम जो अभी किसी भी बात के विषय में चिन्तित नहीं हो थरथराओ,

         क्योंकि तुम्हारी द्वारा कटाई करने के लिए कोई अँगूर नहीं होगा

     और कटाई के लिए कोई अन्य फसलें नहीं होंगी।

     11 इसलिए अब तुम हे स्त्रियों, थरथराओ, जिनको किसी भी बात की चिन्ता नहीं हैं!

         अपने सुन्दर कपड़ों को उतार दो और अपनी कमर के चारों ओर खुरदरा टाट का वस्त्र पहनो।

     12 तुम विलाप करोगी क्योंकि तुम इस बात से दुखी हो कि तुम्हारे उपजाऊ खेतों में और तुम्हारी फलदाई दाखलताओं का क्या होगा,

     13 क्योंकि तुम्हारी मिट्टी में केवल काँटे और झाड़ियाँ उगेंगी।

         तुम्हारे घर जहाँ तुम प्रसन्नता के समारोह करती थीं और तुम्हारा शहर जहाँ तुम आनन्दित थीं, नष्ट हो जाएँगे।

     14 राजा का महल खाली होगा;

         उस शहर में कोई भी व्यक्ति नहीं होगा जो अभी बहुत शोर से भरा है।

     जंगली गधे चारों ओर घूमेंगे और भेड़ों के झुण्ड

         खाली किलों में और पहरे के गुम्मटों में घास खाएँगे।

     15 ऐसा तब तक होगा जब तक कि परमेश्वर स्वर्ग से अपने आत्मा को हमारे ऊपर नहीं डालते।

         जब ऐसा होता है, तो रेगिस्तान उपजाऊ खेत बन जाएँगे,

         और उन उपजाऊ खेतों में प्रचुर मात्रा में फसलें बढ़ेंगी।

     16 लोग उन रेगिस्तानी क्षेत्रों में न्यायपूर्वक कार्य करेंगे,

         और लोग उन उपजाऊ खेतों में धार्मिकता से कार्य करेंगे।

     17 उनके न्यायपूर्वक कामकाज का परिणाम यह होगा कि वहाँ शान्ति होगी,

         वह देश सुस्थिर हो जाएगा, और लोग सदा के लिए सुरक्षित रहेंगे।

     18 मेरे लोग शान्तिपूर्वक, और सुरक्षित रूप से, और धीरज के साथ अपने घरों में,

         आराम के स्थानों में रहेंगे।

     19 यहाँ तक कि यदि एक गम्भीर मूसलाधार वर्षा जंगल में पेड़ों का नाश कर देती है,

         और शहर की सब इमारतें उड़कर गिर जाती हैं,

     20 यहोवा तुमको बहुत आशीष देंगे;

         तुम धाराओं के किनारे खेतों में बीज लगाओगे

         और वहाँ प्रचुर मात्रा में फसलें होंगी।

         जब तुम अपने गधों और मवेशियों को चारागाह में भेजते हो तो उन्हें खाने के लिए सरलता से घास मिल जाएगी।

Chapter 33

    

1 तुम अश्शूर के लोगों के साथ भयानक बातें होंगी!

     तुमने दूसरों को नष्ट कर दिया है,

         परन्तु तुम अभी तक नष्ट नहीं किए गए हो।

     तुमने दूसरों को धोखा दिया है,

         परन्तु तुमको अभी तक धोखा नहीं दिया गया है।

     जब तुम दूसरों को नष्ट करना बन्द कर देते हो,

         अन्य तुमको नष्ट कर देंगे।

     जब तुम दूसरों को धोखा देना बन्द कर देते हो,

         अन्य तुमको धोखा देंगे।

     2 हे यहोवा, कृपया हमारे प्रति दयालु कार्य कीजिए,

         क्योंकि हमने आपके द्वारा हमारी सहायता के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की है।

     हमें हर दिन मजबूत होने में सक्षम कीजिए,

         और जब हमें परेशानी होती है तो हमें बचाइए।

     3 जब वे आपकी आवाज सुनते हैं तो हमारे शत्रु भाग जाते हैं।

         जब आप खड़े हो जाते हैं और दिखाते हैं कि आप शक्तिशाली हैं, तो सभी राष्ट्रों के लोग भाग जाते हैं।

     4 और हमारे शत्रुओं को पराजित करने के बाद,

     हम, आपके लोग, हमारे सब शत्रुओं की सम्पत्ति ऐसे ले जाएँगे,

         जैसे इल्ली और टिड्डियाँ पौधों की सब पत्तियों को चट कर जाती हैं।

     5 यहोवा किसी भी अन्य से महान हैं, और वह स्वर्ग में रहते हैं,

         और वह यरूशलेम में न्यायसंगत और धार्मिक रूप से शासन करेंगे।

     6 जब ऐसा होता है, तो वह तुमको सुरक्षित रूप से जीने में सक्षम बनाएँगे;

         वह पूरी तरह से तुम्हारी सम्पत्ति की रक्षा करेंगे,

         वह तुमको बुद्धिमान होने में और जो कुछ तुमको जानने की आवश्यकता है उसे जानने में सक्षम करेंगे;

     और यहोवा का सम्मान करना एक मूल्यवान खजाने के समान होगा जो वह तुमको देंगे।

     7 परन्तु अब, देखो, हमारे दूत सड़कों पर पुकार रहे हैं;

     हमारे राजदूत शान्ति समझौते करने के लिए अन्य देशों में गए हैं,

         परन्तु वे फूट-फूट कर रोएँगे क्योंकि वे सफल नहीं होंगे।

     8 कोई भी हमारी सड़कों पर यात्रा नहीं करता है।

         अश्शूर के अगुवों ने हमारे साथ अपना शान्ति समझौता तोड़ दिया है;

     वे उन लोगों को तुच्छ मानते हैं जिन्होंने उन समझौतों को किया है,

         और वे किसी का भी सम्मान नहीं करते हैं।

     9 यहूदा की भूमि सूखी और बंजर है।

         लबानोन में देवदार के पेड़ सूख रहे हैं और सड़ रहे हैं।

     तट के साथ का शारोन का मैदान अब एक रेगिस्तानी मैदान है।

         बाशान और कर्मेल के क्षेत्रों में पेड़ों पर बिलकुल भी पत्तियाँ नहीं हैं।

     10 यहोवा कहते हैं, “अब मैं उठूँगा और दिखाऊँगा कि मैं हर किसी के द्वारा सम्मानित किए जाने के योग्य हूँ।

     11 अश्शूर के लोग जो योजना बनाते हैं वह भूसी और पुआल के समान बेकार हैं।

         तुम्हारी साँस एक आग बन जाएगी जो तुमको जला देगी।

     12 तुम्हारे लोग राख हो जाने तक जलाए जाएँगे,

         जैसे कंटीली झाड़ियों को काट दिया और जला दिया जाता है।

     13 तुम लोग जो दूर रहते हो और तुम जो लोग निकट रहते हो,

         मैंने जो किया है उस पर ध्यान दो और जान लो कि मैं बहुत शक्तिशाली हूँ।”

     14 यरूशलेम में रहने वाले पापी थरथराएँगे क्योंकि वे बहुत डरे हुए हैं;

         अधर्मी लोग भयभीत होंगे।

     वे कहते हैं, “हम में से कोई भी जीवित नहीं बच सकता क्योंकि यह आग सब कुछ जला रही है;

         यह यहोवा की वेदी की आग के समान है जो सदा जलती रहेगी!”

     15 जो लोग ईमानदारी से कार्य करते हैं और सही बातें कहते हैं,

         जो लोगों से धन छीन कर धनवान बनने का प्रयास नहीं करते हैं,

     जो रिश्वत लेने का प्रयास नहीं करते हैं,

         जो किसी को मारने की योजना बना रहे लोगों की बातों को सुनने से मना करते हैं,

     जो गलत कार्य करने का आग्रह करने वाले लोगों से नहीं जुड़ते हैं,

     16 यह वे लोग हैं जो सुरक्षित रूप से रहेंगे;

         वे पर्वतों की गुफाओं में सुरक्षित रहने के स्थानों को पाएँगे।

     उनके पास बहुत सारा भोजन

         और पानी होगा।

     17 तुम यहूदा के लोग राजा को उसके सारे सुन्दर वस्त्र पहने हुए देखोगे,

         और तुम देखोगे कि वह एक ऐसे देश पर शासन करता है जो दूर तक फैला हुआ है।

     18 जब तुम इसे देखते हो, तो तुम पहले के समय के विषय में सोचेंगे कि जब तुम डरे हुए थे,

         और तुम कहोगे, “हमें जिस कर का उनको भुगतान करने के लिए विवश किया गया था उन रुपयों की गणना करने वाले अश्शूर के अधिकारी गायब हो गए हैं!

         हमारे गुम्मटों की गिनती करने वाले पुरुष समाप्त हो गए हैं!

     19 एक ऐसी भाषा बोलने वाले जिसे हम समझ नहीं पाए थे, वे अभिमानी लोग अब यहाँ नहीं हैं!”

     20 उस समय, तुम सिय्योन पर्वत को देखोगे, वह जगह जहाँ हम अपने त्यौहार मनाते हैं;

         तुम देखोगे कि यरूशलेम एक ऐसी जगह बन गया है जो शान्त और सुरक्षित है।

         यह एक तम्बू के समान सुरक्षित होगा,

     जो खिसक नहीं सकता है क्योंकि इसकी रस्सियाँ कसी हुई हैं

         और इसके खूँटे दृढ़ता से भूमि में घुसे हैं।

     21 यहोवा हमारे शक्तिशाली परमेश्वर होंगे;

     वह एक शक्तिशाली नदी के समान होंगे जो हमारी रक्षा करेंगे

         क्योंकि हमारे शत्रु इसे पार करने में सक्षम नहीं होंगे;

         कोई भी इसके पार नाव चलाने में सक्षम नहीं होगा

         और कोई युद्धपोत इसके पार जलयात्रा करने में सक्षम नहीं होगा।

     22 यहोवा हमारे न्यायधीश हैं;

         वही एकमात्र हैं जो हमें कानून देते हैं,

     और वही हमारे राजा हैं।

         वही हमें बचाएँगे।

     23 हमारे शत्रुओं की नावों की रस्सियाँ ढीली लटकी होंगी,

         उनके मस्तूलों को मजबूती से नहीं बाँधा जाएगा,

         और उनकी पालें फैलाई नहीं जाएँगी।

     जिन खजानों को उन्होंने जब्त कर लिया है, उसे हम परमेश्वर के लोगों के बीच में बाँटा जाएगा,

         और यहाँ तक कि हमारे बीच के लंगड़े लोग भी कुछ प्राप्त करेंगे।

     24 और यरूशलेम के लोग अब नहीं कहेंगे, “हम बीमार हैं,”

         क्योंकि यहोवा वहाँ रहने वाले लोगों द्वारा किए गए पापों को क्षमा कर देंगे।

Chapter 34

    

1 तुम हे सब राष्ट्रों के लोगों, निकट आओ और सुनो;

         सावधानीपूर्वक ध्यान दो।

     मैं चाहता हूँ कि जो कुछ मैं कहता हूँ संसार और जो कुछ उसमें है उसे सुने।

     2 यहोवा सब राष्ट्रों के लोगों से क्रोधित हैं;

         वह उनकी सारी सेनाओं से क्रोधित हैं।

     उन्होंने निर्णय किया है कि उन लोगों को नष्ट किया जाना चाहिए,

         और वह उन्हें मार डालेंगे।

     3 उनकी लाशों को दफन नहीं किया जाएगा,

         और जिसके परिणामस्वरूप उनके शरीर दुर्गन्ध मारेंगे,

         और उनके लहू के कारण से पर्वत गिर जाएँगे।

     4 आकाश इस तरह गायब हो जाएगा जैसे एक पुस्तक को लपेट कर दूर फेंक दिया गया है।

         सितारे आकाश से ऐसे गिर पड़ेंगे

     जैसे सूखी पत्तियाँ दाखलताओं से गिरती हैं,

         या जैसे अंजीर के पेड़ों से सूखे अंजीर गिरते हैं।

     5 जब यहोवा आकाश की वस्तुओं को नष्ट करने का अपना कार्य पूरा कर लेंगे,

         तब वह एदोम के लोगों को दण्ड देंगे,

         उन लोगों का समूह जिसके विषय उसने कहा है कि उसे नष्ट किया जाना चाहिए।

     6 ऐसा लगता है कि मानों यहोवा की पास ऐसी तलवार होगी जो लहू और चर्बी से ढकी हुई है—

         बलिदान किए जाने के लिए मेम्नों और बकरियों का लहू

         और मेढ़ों के गुर्दों की चर्बी।

     ऐसा लगता है कि मानों यहोवा बोस्रा में बलि चढ़ाएँगे

         और एदोम के अन्य शहरों में कई लोगों को मार डालेंगे।

     7 यहाँ तक कि जंगली सांड,

         साथ ही युवा बछड़े और बड़े बैल भी मारे जाएँगे।

     भूमि लहू से भीग जाएगी,

         और मिट्टी उन जानवरों की चर्बी से ढक जाएगी।

     8 यह वह समय होगा जब यहोवा उसका बदला लेते हैं

         जो उन लोगों ने यहूदा के लोगों के साथ किया था।

     9 एदोम की नदियाँ जलती हुई राल से भरी होंगी,

         और भूमि जलते हुए गन्धक और जलती हुई राल से ढकी होगी।

     10 यहोवा एदोम को आग से दण्डित करना कभी भी समाप्त नहीं करेंगे;

         धुआँ सदा उठता रहेगा।

     कोई भी उस देश में कभी नहीं रहेगा,

         और कोई भी इसके माध्यम से यात्रा नहीं करेगा।

     11 काले कौए और विभिन्न प्रकार के उल्लू और छोटे जानवर वहाँ रहेंगे।

     यहोवा उस भूमि को सावधानी से मापेंगे;

         वह इसे यह तय करने के लिए मापेंगे कि अराजकता और विनाश का कारण कहाँ है।

     12 वहाँ कोई और राजकुमार नहीं होंगे;

         जिन लोगों के पास अधिकार है, उनके पास शासन करने के लिए कोई साम्राज्य नहीं होगा; राजकुमार गायब हो जाएँगे।

     13 निर्जन महल और गढ़ वाली इमारतें काँटों और कंटीले पौधों से भरी होंगी।

     खण्डहरों में सियारों और शुतुर्मुर्गों के लिए रहने की जगह होगी।

     14 रेगिस्तान में रहने वाले पशु और लकड़बग्घे वहाँ होंगे,

         और जंगली बकरियाँ एक दूसरे पर मिमियाएँगी।

     रात में घूमने वाले प्राणी भी वहाँ होंगे और वहाँ आराम करेंगे।

     15 उल्लू वहाँ अपने घोंसले बनाएँगे और अपने अंडों को घोंसले में रखेंगे;

         और जब अंडे से बच्चे निकलते हैं, तो माता पक्षी उनको अपने पंखों से ढाँप लेंगी।

     वहाँ बाज भी,

         प्रत्येक अपने साथी के साथ होंगे।

16 यदि तुम उसे पढ़ते हो जो उस पुस्तक में लिखा है जिसमें यहोवा की ओर से सन्देश हैं, तो तुम जान पाओगे कि वह एदोम के साथ क्या करेंगे।

     वे सब जानवर और पक्षी वहाँ होंगे,

         और प्रत्येक के पास एक साथी होगा,

     क्योंकि यहोवा ने ऐसा ही प्रतिज्ञा की है,

         और उसकी आत्मा उन सबको वहाँ इकट्ठा करेगी।

     17 उसने निर्णय कर लिया है कि एदोम देश के किस हर एक भाग में रहेगा,

         और वे वही स्थान हैं जहाँ हर एक पक्षी या जानवर रहेंगे।

     उनके वंशजों का सदा के लिए उन क्षेत्रों पर,

         सब पीढ़ियों के लिए अधिकार होगा।

Chapter 35

    

1 किसी दिन, यह ऐसा होगा जैसे मानों रेगिस्तान और अन्य बहुत सूखे क्षेत्र प्रसन्न हैं;

         रेगिस्तान आनन्दित होगा और फूल खिल जाएँगे।

     गुलाब के समान,

     2 रेगिस्तान भरपूर मात्रा में फूलों का उत्पादन करेगा;

         यह ऐसा होगा जैसे मानों हर एक वस्तु आनन्द मना रही है और गीत गा रही है!

     रेगिस्तान लबानोन के पेड़ों के समान सुन्दर,

         शारोन के मैदान और कर्मेल के क्षेत्र के समान उपजाऊ हो जाएगा।

     वहाँ लोग यहोवा की महिमा देखेंगे;

         वे देखेंगे कि वह महाप्रतापी है।

     3 इसलिए थके हुए और निर्बल लोगों को प्रोत्साहित करो।

     4 उन लोगों से कहो जो डरते हैं,

     “मजबूत बनो और मत डरो,

         क्योंकि हमारे परमेश्वर अपने शत्रुओं से बदला लेने के लिए आने पर हैं;

     वह उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उन्हें वापस भुगतान करेंगे,

         और वह तुमको बचाएँगे।”

     5 जब वह ऐसा करते हैं, तो वह अंधे लोगों को देखने में सक्षम करेंगे

         और बहरे लोगों को सुनने में सक्षम करेंगे।

     6 लंगड़े लोग हिरन के समान छलांग लगाएँगे,

         और जो लोग बोलने में असमर्थ थे वे प्रसन्नता से गाएँगे।

     रेगिस्तान में सोतों से पानी बाहर निकल जाएगा,

         और धाराएँ रेगिस्तान में बहती रहेंगी।

     7 बहुत गर्म और सूखी भूमि पानी का एक ताल बन जाएगी,

         और सोते सूखी भूमि के लिए पानी उपलब्ध कराएँगे।

     घास और नरकट और सरकण्डे उन स्थानों पर बढ़ेंगे जहाँ पहले सियार रहते थे।

     8 उस देश के माध्यम से एक राजमार्ग होगा;

         इसे ‘पवित्र राजमार्ग’ कहा जाएगा।

     जो लोग परमेश्वर को स्वीकार्य नहीं हैं वे उस सड़क पर नहीं चलेंगे;

         यह केवल उन लोगों के लिए होगा जो अपने जीवन का संचालन वैसे करते हैं जैसे परमेश्वर उनसे चाहते हैं,

         और उस सड़क पर कोई दुष्ट मूर्ख नहीं चलेंगे।

     9 उस सड़क पर वहाँ कोई शेर

         या कोई अन्य खतरनाक जानवर नहीं होंगे।

     केवल वे ही उस पर चलेंगे, जिन्हें यहोवा ने स्वतन्त्र किया है।

         10 जिन्हें यहोवा ने स्वतन्त्र किया है, वे यरूशलेम को लौट जाएँगे;

     वे शहर में प्रवेश करते हुए गाएँगे,

         और वे सदा के लिए अत्यंत आनन्दित होंगे।

     अब वे दुखी नहीं होंगे या शोक नहीं करेंगे;

         वे पूरी तरह से आनन्दित और आनन्दित होंगे।

Chapter 36

1 राजा हिजकिय्याह के यहूदा पर शासन करने के लगभग चौदहवें वर्ष में, अश्शूर का राजा सन्हेरीब अपनी सेना के साथ यहूदा के उन नगरों पर आक्रमण करने के लिए आया, जिनके चारों ओर दीवारें थीं। उन्होंने यरूशलेम पर विजय नहीं पाई, परन्तु उन्होंने अन्य सभी शहरों पर विजय प्राप्त की। 2 तब राजा हिजकिय्याह को आत्मसमर्पण करने को मनाने के लिए अश्शूर के राजा ने लाकीश शहर से अपने कुछ महत्वपूर्ण अधिकारियों के साथ एक बड़ी सेना भेजी। जब वे यरूशलेम पहुँचे, तो वे उस नहर के समीप खड़े हुए जिसमें से पानी यरूशलेम के ऊपरी तालों में बहता है, खेत की सड़क के निकट जहाँ स्त्रियाँ कपड़े धोती हैं। 3 वे इस्राएली अधिकारी ये थे, जो उनके साथ बात करने के लिए शहर से बाहर गए थेः महल का प्रशासक हिल्किय्याह का पुत्र एलयाकीम, राजा का सचिव शेबना और आसाप का पुत्र योआह, जो सरकारी निर्णयों को लिखा करता था।

4 तब सन्हेरीब के महत्वपूर्ण अधिकारियों में से एक ने उन्हें हिजकिय्याह के लिए

महान राजा, अश्शूर के राजा की ओर से एक सन्देश ले जाने के लिए बताया। राजा ने यरूशलेम के लोगों से कहा, “तुम स्वयं को बचाने के लिए किस पर भरोसा कर रहे हो? 5 तुम कहते हो कि तुम्हारे पास हमसे लड़ने के लिए हथियार हैं और यह कि कुछ अन्य राष्ट्रों ने तुम्हारी सहायता करने की प्रतिज्ञा की है, परन्तु यह केवल बोल है। तुमको क्या लगता है कि अश्शूर से मेरे सैनिकों के विरुद्ध विद्रोह करने में तुम्हारी सहायता कौन करेगा? 6 मेरी बात सुनो! तुम मिस्र की सेना पर भरोसा कर रहे हो। परन्तु यह ऐसा है कि जब एक व्यक्ति टूटे हुए डण्डे पर झुक कर चलने वाली छड़ी के समान चलने की प्रयास करता है। परन्तु यह उस पर झुके हुए किसी के भी हाथ को छेद देगा! ऐसा ही मिस्र का राजा सहायता के लिए उसके ऊपर निर्भर रहने वालों के लिए है। 7 परन्तु हो सकता है तुम मुझसे कहोगे कि तुम अपनी सहायता करने के लिए अपने परमेश्वर यहोवा पर भरोसा कर रहे हो। उस मामले में, मैं उत्तर दूँगा कि यहोवा ही वह है जिसे हिजकिय्याह ने उसके ऊँचे स्थानों और वेदियों को तोड़ कर अपमानित किया था और यरूशलेम में और यहूदा के अन्य स्थानों में रहने वालों को यरूशलेम में बनी वेदी के सामने उपासना करने के लिए विवश किया था।”

8 अश्शूर के अधिकारी ने शहर के सामने बात करते हुए कहा: “इसलिए मैं सुझाव देता हूँ कि तुम मेरे स्वामी, अश्शूर के राजा के साथ सौदा करो। मैं तुमको दो हजार घोड़े दूँगा, परन्तु मुझे नहीं लगता कि तुम अपने स्वयं के दो हजार पुरुषों को पा सकते हो जो उन पर सवारी कर सकते हैं! 9 तुम मिस्र के राजा से रथों और घोड़ों की सवारी करने वाले मनुष्यों की सहायता भेजने की अपेक्षा कर रहे हो। परन्तु वे निश्चित रूप से अश्शूर की सेना में सबसे महत्वहीन अधिकारी का विरोध करने में सक्षम नहीं होंगे! 10 इसके अतिरिक्त, यह मत सोचो कि हम इस देश पर यहोवा के आदेशों के बिना आक्रमण करने और नष्ट करने आए हैं! यह स्वयं यहोवा ही है जिसने हमें यहाँ आने और इस देश को नष्ट करने के लिए कहा था!”

11 तब एलयाकीम, शेबना और योआह ने अश्शूर के अधिकारी से कहा, “कृपया हमसे अपनी अरामी भाषा में बात करो, क्योंकि हम इसे समझते हैं। हमारी इब्रानी भाषा में हमसे बात मत करो, क्योंकि जो लोग दीवार पर खड़े हैं वे इसे समझ जाएँगे और डर जाएँगे।”

12 परन्तु अधिकारी ने उत्तर दिया, “क्या तुमको लगता है कि मेरे स्वामी ने मुझे यह बातें केवल तुमसे कहने के लिए भेजा है, न कि दीवार पर खड़े लोगों से कहने के लिए? यदि तुम इस सन्देश को अस्वीकार करते हो, तो इस शहर के लोगों को शीघ्र ही अपनी स्वयं की विष्ठा खानी पड़ेगी और अपना स्वयं का मूत्र पीना पड़ेगा, जैसा कि तुम करोगे, क्योंकि तुम्हारे पास खाने-पीने के लिए और कुछ नहीं होगा।”

13 तब अधिकारी खड़ा हुआ और दीवार पर बैठे लोगों के लिए इब्रानी भाषा में चिल्लाया। उसने कहा, “अश्शूर के महान राजा की ओर से यह सन्देश सुनो! 14 वह कहता है, ‘हिजकिय्याह को तुमको धोखा देने की अनुमति मत दो! वह तुमको बचाने में सक्षम नहीं होगा! 15 उसे यहोवा पर भरोसा रखने के लिए तुमको मनाने की अनुमति मत दो, यह कहकर कि यहोवा तुमको बचाएँगे, और अश्शूर के राजा की सेना इस नगर पर कभी अधिकार नहीं कर पाएगी!

16 हिजकिय्याह क्या कहता है उस पर ध्यान मत दो! अश्शूर का राजा यही कहता है: “शहर से बाहर आओ और मेरे सामने आत्मसमर्पण करो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो मैं तुम में से प्रत्येक के लिए तुम्हारी स्वयं की दाखलताओं से दाखमधु पीने की और तुम्हारे स्वयं के पेड़ों से अंजीर खाने, और तुम्हारे स्वयं के कुओं से पानी पीने की व्यवस्था करूँगा। 17 जब तक कि हम आते हैं और तुमको उस देश में ले जाते हैं जो तुम्हारे देश के समान है तुम ऐसा करने में सक्षम रहोगे – एक ऐसा देश जहाँ रोटी बनाने के लिए अनाज है और नई दाखमधु बनाने के लिए अँगूर पैदा करने के लिए दाख की बारियाँ हैं और, जहाँ हम भरपूर मात्रा में रोटी बनाते हैं।”

18 हिजकिय्याह को यह कहकर तुमको धोखा देने की अनुमति मत दो, “यहोवा हमें बचाएँगे।” जिन देवताओं की उपासना अन्य राष्ट्रों के लोग करते हैं उन्होंने कभी भी उनमें से किसी को भी अश्शूर के राजा की शक्ति से बचाया नहीं है! 19 क्या हमात और अर्पाद नगरों के देवता, और सपर्वैम के देवता सामरिया को मेरी शक्ति से बचाने में असमर्थ थे? 20 नहीं, किसी भी देश का कोई भी देवता जिस पर हमारी सेनाओं ने आक्रमण किया है, वह अपने लोगों को मुझसे बचाने में सक्षम नहीं है। इसलिए तुम क्यों सोचते हो कि यहोवा तुम यरूशलेम के लोगों को मेरी शक्ति से बचाएँगे?”

21 परन्तु इब्रानी सैनिक जो सुन रहे थे चुप थे। किसी ने कुछ भी नहीं कहा, क्योंकि राजा हिजकिय्याह ने उन्हें आज्ञा दी थी, “जब अश्शूर का अधिकारी तुमसे बात करता है, तो उसे उत्तर मत देना।”

22 तब एलयाकीम और शेबना और योआह अपने कपड़ों को फाड़े हुए हिजकिय्याह के पास लौटे क्योंकि वे अत्यंत परेशान थे। उन्होंने उससे वह सब कहा जो अश्शूर के अधिकारी ने कहा था।

Chapter 37

1 जब राजा हिजकिय्याह ने जो कुछ बताया गया, उसे सुना, तो उसने अपने कपड़े फाड़े और खुरदरे टाट से बने कपड़े पहन लिए क्योंकि वह बहुत परेशान था। तब वह यहोवा के मन्दिर में गया और प्रार्थना की। 2 तब उसने आमोस के पुत्र यशायाह भविष्यद्वक्ता से बात करने के लिए, एलयाकीम, शेबना और पुरनिए याजक को भेजा, उन्होंने भी खुरदरे टाट से बने कपड़े पहने हुए थे। 3 उन्होंने उसे बताया, “यशायाह से यह कहो: ‘राजा हिजकिय्याह कहता है कि यह एक ऐसा दिन है जब हमें अत्यंत परेशानी होती है। अन्य राष्ट्र हमारा अपमान कर रहे हैं और हमें लज्जित कर रहे हैं। हम एक ऐसी स्त्री के समान हैं जो एक बच्चे को जन्म देने वाली है, परन्तु उसके पास वह शक्ति नहीं है जिसकी उसे ऐसा करने के लिए आवश्यकता है। 4 परन्तु हो सकता है हमारे परमेश्वर यहोवा ने सुना है कि अश्शूर के अधिकारी ने क्या कहा था। हो सकता है परमेश्वर जानते हैं कि अश्शूर के राजा ने अपने अधिकारियों को उसे, सर्वशक्तिमान परमेश्वर को अपमानित करने के लिए भेजा था। हो सकता है यहोवा अश्शूर के राजा को जो कुछ उसने कहा था, उसके लिए दण्डित करेंगे। और मैं, हिजकिय्याह, अनुरोध करता हूँ कि आप हम थोड़े से लोगों के लिए प्रार्थना करें जो यहाँ यरूशलेम में अभी भी जीवित हैं।’”

5 उन पुरुषों के यशायाह को यह सन्देश देने के बाद, 6 उसने उनसे राजा से कहने के लिए बताया कि यहोवा कहते हैं: “उन अश्शूर के राजा के दासों ने मेरे विषय में बुरी बातें कही हैं। परन्तु उन बातों को तुमको चिन्तित करने न दो। 7 इस बात को सुनो: मैं सन्हेरीब को उसके अपने देश से कुछ सुचना सुनवाऊँगा जो उसे बहुत चिन्तित कर देगी। इसलिए वह वहाँ वापस लौट जाएगा, और मैं अन्य पुरुषों की तलवार से उसकी हत्या करवा दूँगा।”

8 अश्शूर के अधिकारी को मालूम हुआ कि उसका राजा और अश्शूर की सेना ने लाकीश शहर छोड़ दिया था और अब वह निकटतम शहर लिब्ना पर आक्रमण कर रहे था। इसलिए अधिकारी ने यरूशलेम को छोड़ दिया और यरूशलेम में जो हुआ था, उसे राजा को बताने के लिए लिब्ना गया।

9 इसके तुरन्त बाद, राजा सन्हेरीब को एक सुचना मिली कि इथियोपिया का राजा तिर्हाका उन पर आक्रमण करने के लिए अपनी सेना का नेतृत्व कर रहा था। इसलिए एक पत्र के साथ उसने अन्य दूतों को हिजकिय्याह के पास भेजा। पत्र में उसने हिजकिय्याह को यह लिखा:

10 “अपने परमेश्वर को, जिस पर तुम भरोसा कर रहे हो, तुमको यह प्रतिज्ञा करके धोखा देने अनुमति मत दो कि वह मेरी सेना को यरूशलेम पर अधिकार करने से रोक देंगे।” 11 तुमने निश्चित रूप से सुना है कि मुझसे पहले अश्शूर के राजाओं की सेनाओं ने अन्य सब देशों के साथ क्या किया था; हमारी सेनाओं ने उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। इसलिए तुम वास्तव में यह मत सोचो कि तुम मुझसे बच जाओगे, है ना? 12 क्या उन देशों के देवताओं ने उन्हें बचाया? क्या उन्होंने गोजान के क्षेत्र को, या उत्तरी अराम में हारान और रेसेप शहरों को, या तलस्सार शहर में एदेन के लोगों को बचाया था? 13 हमात के राजा और अर्पाद के राजा के साथ क्या हुआ? सपर्वैम, हेना और इव्वा शहरों के राजाओं के साथ क्या हुआ? क्या उनके देवताओं ने उन्हें बचाया?”

14 हिजकिय्याह ने यह पत्र प्राप्त किया जो दूतों ने उसे दिया, और उसने इसे पढ़ा। तब वह मन्दिर में गया और यहोवा के सामने पत्र को फैला दिया। 15 तब हिजकिय्याह ने यह प्रार्थना की: 16 “हे यहोवा, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, जिस परमेश्वर के हम इस्राएली लोग हैं, आप पवित्र सन्दूक के ऊपर करूबों की मूर्तियों के ऊपर अपने सिंहासन पर विराजमान हैं। केवल आप ही सच्चे परमेश्वर हैं। आप इस पृथ्‍वी पर सब साम्राज्यों पर शासन करते हैं। वह एकमात्र आप ही हैं जिन्होंने पृथ्‍वी पर और आकाश में हर एक वस्तु को बनाया है। 17 इसलिए, हे यहोवा, कृपया जो कुछ मैं कह रहा हूँ उसे सुनिए, और जो हो रहा है उसे देखिए! और आप सर्व-शक्तिशाली परमेश्वर का अपमान करने के लिए सन्हेरीब ने जो कहा है, वह सुनिए!

18 हे यहोवा, यह सच है कि अश्शूर के राजाओं की सेनाओं ने कई राष्ट्रों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है और उनके देश को नष्ट कर दिया है। 19 और उन्होंने उन देशों की सारी मूर्तियों को आग में फेंक दिया और उन्हें जला दिया है। परन्तु वे वास्तव में देवता नहीं थे। वे केवल लकड़ी और पत्थर से बनी मूर्तियाँ थे, और यही कारण है कि वे नष्ट हो पाए। 20 इसलिए अब, हे यहोवा हमारे परमेश्वर, हमें अश्शूर के राजा की शक्ति से बचाइए, कि संसार के सब साम्राज्यों के लोग जान पाएँ कि आप, यहोवा, ही केवल एकमात्र परमेश्वर हैं।”

21 तब यशायाह ने हिजकिय्याह को यह बताने के लिए एक सन्देश भेजा कि यहोवा, जिसकी इस्राएली आराधना करते थे, ने उससे कहा है: “क्योंकि तुमने अश्शूर के राजा सन्हेरीब ने जो कहा था उसके विषय में मुझसे प्रार्थना की थी, 22 यही है जो मैं उससे कहता हूँ:

     ‘यरूशलेम के लोग तुमको तुच्छ मानते हैं और तुम्हारा मजाक बनाते हैं।

         जब तुम यहाँ से भागते हो तो तुम्हारा ठट्ठा करने को वे अपने सिरों को हिलाएँगे।

     23 तुमको क्या लगता है कि तुम किसको निराश और किसका उपहास कर रहे थे?

         तुमको क्या लगता है कि तुम किस पर चिल्ला रहे थे?

     तुमको क्या लगता है कि तुम किसको घमण्ड से देख रहे थे?

         यह मैं एकमात्र पवित्र था, जिसकी इस्राएली आराधना करते हैं!

     24 जिन दूतों को तुमने भेजा, उन्होंने मेरा मजाक बनाया।

     तुमने कहा, “मेरे बहुत से रथों के साथ मैं ऊँचे पर्वतों पर,

         लबानोन ऊँचे पर्वतों पर गया हूँ।

     हमने इसके सबसे लम्बे देवदार के पेड़ों को

         और इसके सबसे अच्छे सनोवर के पेड़ों को काट दिया है।

     हम सबसे दूर के चोटियों पर

         और इसके सबसे घने जंगलों में गए हैं।

     25 हमने कई देशों में कुएँ खोदे हैं और उनसे पानी पिया है।

     और मिस्र की धाराओं के माध्यम से जाते हुए,

         हमने उन सबको सुखा दिया!”

     26 परन्तु मैंने उसे उत्तर दिया, ‘क्या तुमने कभी नहीं सुना है कि बहुत पहले मैंने उन चीजों को निर्धारित किया था;

     मैंने बहुत पहले इसकी योजना बनाई थी,

         और अब मैं इसे घटित होने दे रहा हूँ।

     मैंने योजना बनाई थी कि तुम्हारी सेना शहरों को नष्ट कर देगी

         और उन्हें मलबे के ढेर बना देगी।

     27 उन शहरों में रहने वाले लोगों के पास कोई शक्ति नहीं है,

         और जिसके परिणामस्वरूप वे निराश और निरुत्साहित हैं।

     वे खेतों में घास और पौधों के समान निर्बल हैं,

         उस घास के समान निर्बल जो घरों की छतों पर बढ़ती है

         और पूर्वी गर्म हवा से झुलस जाती है।

     28 परन्तु मैं तुम्हारे विषय में सब कुछ जानता हूँ;

         मुझे पता है कि कब तुम अपने घर में हो और कब तुम बाहर जाते हो;

         मुझे यह भी पता है कि तुम मेरे विरुद्ध उग्र हो रहे हो।

     29 इसलिए क्योंकि तुम मेरे विरुद्ध उग्र हो गए हो

         और क्योंकि मैंने सुना है कि तुम बहुत घमण्ड से बोलते हो,

     यह ऐसा होगा जैसे मानों मैं तुम्हारी नाक में एक अंकुड़ा

         और तुम्हारे मुँह में लोहे का टुकड़ा डालूँगा कि मैं तुमको अपनी इच्छानुसार जहाँ चाहूँ ले जा सकूँ,

     और मैं तुमको यरूशलेम पर विजय प्राप्त किए बिना तुम्हारे देश लौटने के लिए विवश करूँगा,

         उसी सड़क से जिससे तुम यहाँ आए थे।’”

30 “यह तुम हिजकिय्याह, के लिए सिद्ध करेगा कि यह मैं, यहोवा, हूँ जो इन सब बातों को होने देंगे:

     इस वर्ष, तुम केवल उन्हीं फसलों को खाओगे जो स्वयं से बढ़ती हैं,

         और अगले वर्ष वही बात होगी।

     परन्तु तीसरे वर्ष में तुम फसल लगाओगे और उन्हें काटोगे;

         तुम अपनी दाख की बारियों की देखभाल करोगे और अँगूर खाओगे।

     31 तुम लोग जो अभी भी यहूदा में हैं,

         फिर से मजबूत और समृद्ध होओगे।

     32 मेरे लोगों की एक छोटी संख्या जीवित बची रहेगी,

         और वे यरूशलेम से फैल जाएँगे।

ऐसा इसलिए होगा क्योंकि स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, इसे पूरा करने के लिए बहुत इच्छा रखते हैं।”

33 “अश्शूर के राजा के विषय में यहोवा यही कहते हैं:

     ‘उसकी सेना यरूशलेम में प्रवेश नहीं करेगी;

         वे इसमें एक तीर भी नहीं चलाएँगे।

     उसके सैनिक यरूशलेम तक एक ढाल भी नहीं लाएँगे,

         और वे शहर की दीवारों के विरुद्ध

         उन्हें शहर पर आक्रमण करने में सक्षम बनाने के लिए गन्दगी के ऊँचे ढेर का निर्माण नहीं करेंगे।

     34 इसके बजाए, उनका राजा उसी सड़क से अपने देश लौट जाएगा

         जिससे वह आया था।

     वह इस शहर में प्रवेश नहीं करेगा!

ऐसा होगा क्योंकि मैं, यहोवा, ने यह कहा है!

     35 मेरी अपनी प्रतिष्ठा के कारण और मैंने राजा दाऊद जिसने अच्छी तरह से मेरी सेवा की थी, से जो प्रतिज्ञा की थी, उसके कारण,

         मैं इस शहर की रक्षा करूँगा और इसे नष्ट होने से बचाऊँगा।’”

36 उस रात, यहोवा का एक दूत वहाँ गया जहाँ अश्शूर की सेना ने अपने तम्बू स्थापित किए थे और उनके 1,85,000 सैनिकों को मार डाला। जब बाकी सैनिक अगली सुबह जागे, तो उन्होंने देखा कि वहाँ हर जगह लाशें थीं। 37 तब राजा सन्हेरीब निकल कर अश्शूर के नीनवे में घर लौट आया और वहाँ रहा।

38 एक दिन, जब वह अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में उपासना कर रहा था, उसके दो पुत्रों, अद्रम्मेलेक और शरेसेर ने उसे अपनी तलवारों से मार डाला। तब वे बच कर भाग गए और नीनवे के उत्तर-पश्चिम में अरारात क्षेत्र में चले गए। और सन्हेरीब के पुत्रों में से एक, एसर्हद्दोन, अश्शूर का राजा बन गया।

Chapter 38

1 उन दिनों में, हिजकिय्याह बहुत बीमार हो गया और मरने के निकट था। इसलिए यशायाह उसे देखने गया और उसे यह सन्देश दिया: “यहोवा यही कहते हैं: ‘तुमको अपने महल में रहने वाले लोगों को बताना चाहिए कि तुम अपने मरने के बाद उनसे क्या चाहते हो कि वे करें, क्योंकि तुम इस बीमारी से ठीक नहीं होओगे। तुम मरने जा रहे हो।’”

2 हिजकिय्याह ने अपना चेहरा दीवार की ओर फेर कर यह प्रार्थना की: 3 “हे यहोवा, यह मत भूलना कि मैंने सदा अपने सम्पूर्ण अंतर्मन से निष्ठापूर्वक आपकी सेवा की है, और मैंने उन कार्यों को किया है जो आपको प्रसन्न करते हैं!” तब हिजकिय्याह ने जोर से रोना आरम्भ कर दिया।

4 तब यहोवा ने यशायाह को यह सन्देश दिया: 5 “हिजकिय्याह के पास वापस जाओ और उसे बताओ कि मैं, वह परमेश्वर जिससे तुम्हारा पूर्वज राजा दाऊद सम्बन्धित था, यही कहता हूँ: ‘तुमने जो प्रार्थना की उसे मैंने सुना है, और मैंने तुमको रोते हुए देखा है। इसलिए सुनो: मैं तुमको पन्द्रह वर्ष और जीवित रहने में सक्षम करूँगा। 6 और मैं अश्शूर के राजा की शक्ति से तुमको और इस शहर को बचाऊँगा। मैं इस शहर की रक्षा करूँगा।

7 और यह सिद्ध करने के लिए मैं ऐसा करूँगा कि जो मैंने अभी प्रतिज्ञा की है मैं वह करूँगा। 8 मैं राजा आहाज द्वारा बनाई गई सीढ़ियों पर सूरज की छाया को दस कदम पीछे कर दूँगा।’” इसलिए सीढ़ियों पर सूर्य की छाया दस कदम पीछे की ओर चली गई।

9 जब राजा हिजकिय्याह लगभग फिर से ठीक हो गया था, उसने यह लिखा:

     10 मैंने स्वयं से कहा, “मेरे जीवन के मध्य में मैं मृत्यु के फाटकों से होकर जाने वाला हूँ, और यहोवा मेरे बाकी के वर्षों को मुझसे ले रहे हैं।

     11 मैंने कहा, “मैं फिर से यहोवा को इस संसार में नहीं देखूँगा

         जहाँ लोग जीवित हैं।

     मैं फिर से अपने मित्रों को नहीं देखूँगा,

         या उन लोगों के साथ नहीं होऊँगा जो अब इस संसार में जीवित हैं।

     12 ऐसा लगता है जैसे मेरा जीवन ऐसे ले लिया गया था

         जैसे कि एक तम्बू जिसकी खूँटियों को एक चरवाहे द्वारा उखाड़ लिया गया है और दूर ले जाया गया है।

     मुझे अपने जीवन को एक बुन करके समान लपेटना है,

         जिस तरह एक बुन कर कपड़े के एक टुकड़े को काटता है और लपेटता है, यहोवा ने मेरा जीवन काट दिया है।”

         सुबह और शाम के बीच में वह मुझे मार डालेंगे।

     13 मैं पूरी रात के दौरान धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहा था,

         परन्तु मेरा दर्द ऐसा था जैसे मानों मैं शेरों द्वारा फाड़ा जा रहा था।

         सुबह और शाम के बीच में वह मुझे मार डालेंगे।

     14 मैं भ्रमित था; मैं एक सूपाबेनी या एक सारस के समान चहचहाया

         और एक कबूतर के समान विलाप किया।

     मेरी आँखें सहायता के लिए स्वर्ग की ओर देखते-देखते थक गईं।

         मैं पुकार उठा, ‘हे यहोवा, मेरी सहायता कीजिए, क्योंकि मैं परेशान हूँ!’

     15 परन्तु वास्तव में कुछ भी ऐसा नहीं था जो मैं कह सकता था और उससे मुझे उत्तर देने के लिए कह सकता था,

         क्योंकि यह यहोवा था जिसने इस बीमारी को भेजा था।

     इसलिए अब मैं अपने शेष वर्षों के दौरान नम्रता से रहूँगा

         क्योंकि मैं स्वयं में बहुत पीड़ित हूँ।

     16 हे यहोवा, जो दुख आप देते हैं वे अच्छे हैं,

         क्योंकि आप जो करते हैं और आप जो कहते हैं वह मेरे लिए नया जीवन और स्वास्थ्य लाता है।

     और आपने मुझे पुनर्स्थापित कर दिया है

         और मुझे जीवित रहना जारी रखने की अनुमति दी!

     17 सचमुच, मेरी पीड़ा मेरे लिए अच्छी थी;

         आपने मुझसे प्रेम किया,

     और जिसके परिणामस्वरूप आपने मुझे मरने से बचा लिया है

         और मेरे सब पापों को भी क्षमा कर दिया है।

     18 मरे हुए लोग आपकी प्रशंसा नहीं कर सकते;

         वे आपकी स्तुति करने के लिए गा नहीं सकते हैं।

     जो लोग अपनी कब्रों में चले गए हैं

         वे उनके लिए कार्यों को निष्ठापूर्वक से करने की आप से अपेक्षा नहीं कर सकते हैं।

     19 केवल वे लोग जो जीवित हैं, जैसे मैं हूँ, आपकी प्रशंसा कर सकते हैं।

     पिता अपने बच्चों को बताते हैं कि आप कितने विश्वासयोग्य हैं,

         और यदि मैं जीवित रहता हूँ, तो मैं भी यही कार्य करूँगा।

     20 यहोवा मुझे पूरी तरह से स्वस्थ करेंगे,

         इसलिए हम उनकी प्रशंसा में गीत गाएँगे

     जबकि अन्य संगीत वाद्ययंत्र बजा कर उनकी प्रशंसा करते हैं।

         हम यहोवा के मन्दिर में अपने जीवन के हर दिन ऐसा करेंगे।”

21 यशायाह ने पहले हिजकिय्याह के कर्मचारियों से कहा था, “मसले हुए अंजीरों से एक मलहम तैयार करो, और उसे उसके फोड़े पर फैलाओ, और फिर वह ठीक हो जाएगा।” इसलिए उन्होंने ऐसा किया, और हिजकिय्याह ठीक हो गया।

22 और हिजकिय्याह ने पहले पूछा था, “यह सिद्ध करने के लिए यहोवा क्या करेंगे कि मैं ठीक हो जाऊँगा और उसके मन्दिर में जा सकूँगा?”

Chapter 39

1 इसके तुरन्त बाद, बाबेल के राजा बलदान के पुत्र मरोदक बलदान ने एक सुचना सुनी कि हिजकिय्याह बहुत बीमार था, परन्तु वह ठीक हो गया था। इसलिए उसने कुछ पत्र लिखे और उन्हें उपहार के साथ हिजकिय्याह के पास ले कर जाने के लिए कुछ दूतों को दे दिया। 2 जब दूत आए, तो हिजकिय्याह ने उनका प्रसन्नता से स्वागत किया। तब उसने उन्हें अपने खजाने के घरों में सब कुछ दिखाया – चाँदी, सोने, मसाले, और सुगन्धित जैतून का तेल। वह उन्हें उस स्थान को दिखाने के लिए भी ले गया जहाँ वे अपने सैनिकों के हथियार रखते थे, और उसने उन्हें अन्य मूल्यवान चीजें दिखाईं जो भण्डारगृहों में थीं। हिजकिय्याह ने उन्हें महल में या अन्य स्थानों पर जो कुछ भी था, दिखाया।

3 तब यशायाह राजा हिजकिय्याह के पास गए और उससे पूछा, “वे लोग कहाँ से आए थे, और वे क्या चाहते थे?”

उसने उत्तर दिया, “वे दूर के बाबेल देश से आए थे।”

4 यशायाह ने उससे पूछा, “उन्होंने तुम्हारे महल में क्या देखा?”

हिजकिय्याह ने उत्तर दिया, “उन्होंने सब कुछ देखा। मैंने उन सब चीजों को उन्हें दिखाया – मेरी सब मूल्यवान चीजें जो मेरे पास हैं।”

5 तब यशायाह ने हिजकिय्याह से कहा, “स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, की ओर से इस सन्देश को सुनो: 6 ऐसा समय होगा जब तुम्हारे महल में पाया जाने वाला सब कुछ, जो तुम्हारे पूर्वजों ने संग्रह किया था से ले कर वर्तमान समय तक, बाबेल में ले जाया जाएगा। यहोवा कहते हैं कि कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा। 7 इसके अतिरिक्त, तुम्हारे कुछ पुत्रों को बाबेल जाने के लिए विवश किया जाएगा। उन्हें नपुंसक बना दिया जाएगा कि वे बाबेल के राजा के महल में दास बन सकें।”

8 तब हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “यहोवा की ओर से आया वह सन्देश जो आपने मुझे दिया है, अच्छा है।” उसने ऐसा इसलिए कहा कि क्योंकि वह सोच रहा था, “भले ही यदि ऐसा होता है, तो जब तक कि मैं जीवित हूँ, उस दौरान यहाँ शान्ति और सुरक्षा होगी।”

Chapter 40

    

1 हमारे परमेश्वर कहते हैं, “मेरे लोगों को प्रोत्साहित करो!

         उन्हें प्रोत्साहित करो!

     2 यरूशलेम के लोगों से कृपापूर्वक बात करो;

         उन्हें बताओ कि उनकी पीड़ा समाप्त हो गई है

     यहोवा ने उन पापों के लिए उन्हें क्षमा कर दिया है जो उन्होंने किए हैं।

         उसने उन्हें उनके पापों के लिए पूरी तरह से दण्डित किया है।”

     3 कोई चिल्ला रहा है,

     “रेगिस्तान के मैदान में यहोवा के तुम्हारे पास आने के लिए सीधा रास्ता बनाओ;

         हमारे परमेश्वर के लिए एक चिकनी सड़क बनाओ।

     4 घाटियों को भर डालो;

         हर पहाड़ी और हर पर्वत को समतल करो।

     ऊँची नीची भूमि को चिकना बनाओ,

         और ऊबड़ खाबड़ स्थानों को चिकना बनाओ।

     5 यदि तुम ऐसा करते हो, तो यह मालूम हो जाएगा कि यहोवा महिमामय हैं,

         और सब लोग इसे एक ही समय पर जान जाएँगे।

     यह बातें निश्चित रूप से घटित होंगी क्योंकि यह यहोवा हैं जिन्होंने यह कहा है।”

     6 किसी ने मुझसे कहा, “चिल्लाओ!”

         मैंने उत्तर दिया, “मुझे क्या चिल्लाना चाहिए?”

     उसने उत्तर दिया, “चिल्लाओ कि लोग घास के समान हैं;

         उनकी विश्वासयोग्यता खेत के फूलों के समान शीघ्र ही से मुर्झा जाती है।

     7 घास कुम्हला जाती है और फूल सूख जाते हैं

         जब यहोवा रेगिस्तान से गर्म हवा को उन पर चलने देते हैं।

         और सब लोग इस तरह हैं।

     8 घास कुम्हला जाती है और फूल सूख जाते हैं,

         परन्तु हमारे परमेश्वर का वादा सदा अटल रहेगा।”

     9 तुम सब जो सिय्योन में शुभसमाचार लाते हो,

         इसे ऊँचे पर्वत से चिल्लाकर बताओ!

     तुम में से हर कोई जो यरूशलेम में रहने वाले लोगों के पास शुभसमाचार लाता है,

         जो सन्देश तुमको बताना है उसे ऊँची आवाज से चिल्लाकर बताओ!

     इसे चिल्लाकर बताओ! डरो नहीं!

         यहूदा के शहरों में रहने वाले लोगों से कहो, “तुम्हारे परमेश्वर यहाँ हैं!

     10 यहोवा तुम्हारे परमेश्वर शक्ति के साथ आएँगे,

         वह शक्तिशाली रीति से शासन करेंगे।

     जब वह आएँगे, तो वह अपने साथ उन लोगों को लाएँगे जिनको उसने बाबेल में दास होने से स्वतन्त्र कर दिया है।

     11 वह अपने लोगों का ध्यान रखेंगे

         जैसे एक चरवाहा उसकी भेड़ों का ध्यान रखता है,

         और युवा मेम्नों को अपनी बाँहों में उठा लेता है।

     वह उन्हें अपनी छाती के निकट उठाए रहता है

         और वह कोमलता से मादा भेड़ों की अगुवाई करता है

         जो उनके युवा मेम्नों को दूध पिला रही हैं।

     12 यहोवा के समान कोई नहीं है!

         अपने हाथ की हथेली में महासागरों के पानी को और किसने मापा है?

     आकाश को और किसने मापा है?

         और कौन जानता है कि पृथ्‍वी में कितनी मिट्टी है?

         तराजू पर पर्वतों और पहाड़ियों का वजन और किसने किया है?

     13 और यहोवा को सलाह और कौन दे सकता है?

         कौन उसे सिखा सकता है या उसे सलाह दे सकता है कि उनको क्या करना चाहिए?

     14 क्या यहोवा ने कभी सलाह लेने के लिए किसी और से परामर्श किया है?

         क्या उनको उन्हें यह बताने के लिए किसी की आवश्यकता है कि क्या करना सही है और कैसे न्यायपूर्वक कार्य करना है?

     15 यहोवा मानते हैं कि सारे राष्ट्र पानी से भरी बाल्टी की एक बूँद के समान महत्वहीन हैं।

         वे तराजू पर धूल के समान महत्वहीन हैं।

     वह द्वीपों का वजन करने में सक्षम हैं

         जैसे मानों उनका वजन धूल के किनकों से अधिक नहीं था।

     16 लबानोन के सब पेड़ों से जानवरों को बलि चढ़ाने को

         उपयुक्त आग बनाने के लिए लकड़ी पर्याप्त नहीं होगी,

     और उसके लिए बलि चढ़ाने को लबानोन में पर्याप्त जानवर नहीं हैं।

     17 उनके लिए संसार के राष्ट्र पूरी तरह से महत्वहीन हैं;

         वह उनको बेकार और तुच्छ से भी कम मानते हैं।

     18 इसलिए तुम किसके साथ परमेश्वर की तुलना कर सकते हो?

         कौन सी प्रतिमा उसके जैसे दिखती है?

     19 क्या तुम उसकी तुलना एक ऐसी मूर्ति से कर सकते हो जो साँचे में बनी है,

         और फिर सोने की पतली परत से ढकी हुई है

         और चाँदी की जंजीरों से सजी हुई है?

     20 जो कोई व्यक्ति गरीब है वह अपनी मूर्ति के लिए चाँदी या सोना नहीं मोल ले सकता है;

         इसलिए वह ऐसी लकड़ी का एक टुकड़ा चुनता है जो नहीं सड़ेगा,

     और वह इसे एक शिल्पकार को देता है

         एक मूर्ति बनाने के लिए जो ऊपर नहीं गिरेगी!

     21 क्या तुमने यह नहीं सुना है?

         क्या तुम इसे समझते नहीं हो?

     परमेश्वर ने बहुत पहले जो कहा था क्या तुम यह सुनने में असमर्थ हो -

         वह सन्देश जो उन्होंने पृथ्‍वी की रचना करने से पहले दिया था?

     22 परमेश्वर पृथ्‍वी के ऊपर अपने सिंहासन पर विराजमान होते हैं,

         और नीचे पृथ्‍वी पर लोग टिड्डी के समान छोटे लगते हैं।

     वह आकाश को एक पर्दे के समान फैलाते हैं;

         यह उनके रहने के लिए एक तम्बू के समान है।

     23 वह राजाओं को और अधिक शक्ति नहीं पाने देते हैं,

         और वह शासकों को तुच्छ के योग्य बना देते हैं।

     24 वे ऐसे शासन करना आरम्भ करते हैं, जैसे छोटे पौधे उगने लगते हैं और जड़ें बनाते हैं;

         परन्तु फिर वह उनसे छुटकारा पाते हैं

         जैसे मानों जब उसने उन पर हवा चलाई तो वे सूख गए,

     जैसे भूसी जिसे हवा से दूर उड़ाया जाता है।

     25 एकमात्र पवित्र पूछते हैं,

         “तुम किससे मेरी तुलना करोगे?

         क्या कोई मेरे बराबर है?”

     26 ऊपर आकाश की ओर देखो:

         विचार करो कि सब सितारों को किसने बनाया है।

     यहोवा ने उन्हें बनाया, और रात में वह उन्हें प्रकट होने देते हैं;

         वह प्रत्येक को इनके नाम से बुलाते हैं।

     क्योंकि वह बहुत शक्तिशाली हैं,

         जब वह उनके नाम पुकारते हैं तो सब सितारे वहाँ होते हैं।

     27 तुम हे इस्राएल के लोगों, तुम क्यों शिकायत करते हो कि यहोवा उन परेशानियों को नहीं देखते जिनका तुम सामना कर रहे हो?

         तुम क्यों कहते हो कि वह तुम्हारे प्रति निष्पक्ष कार्य नहीं करते हैं?

     28 क्या तुमने कभी नहीं सुना है

         और क्या तुमने कभी समझा नहीं है

     कि यहोवा अनन्त परमेश्वर हैं?

         वह वही श्रमित हैं जिन्होंने पृथ्‍वी की रचना की, यहाँ तक कि पृथ्‍वी पर सबसे दूर के स्थानों को रचा।

     वह कभी सोते नहीं या थकते नहीं हैं,

         और कोई भी यह नहीं जान सकता कि उनकी बुद्धि कितनी अथाह हैं।

     29 वह उन लोगों को मजबूत करते हैं जो निर्बल और थके हुए महसूस करते हैं।

     30 यहाँ तक कि युवा भी बेहोश होते और थके हुए हो जाते हैं,

         और युवा पुरुष गिर पड़ेंगे जब वे थक जाएँगे।

     31 परन्तु जो यहोवा पर भरोसा करते हैं वे फिर से मजबूत हो जाएँगे;

         यह ऐसा होगा जैसे मानों वे उकाब के समान ऊँची उड़ान भरेंगे।

     वे लम्बे समय तक दौड़ेंगे और थके हुए नहीं होंगे;

         वे लम्बी दूरी तक चलेंगे और बेहोश नहीं होंगे।

Chapter 41

    

1 यहोवा कहते हैं, “तुम लोग जो महासागर में द्वीपों पर रहते हो,

         मेरे सामने चुप रहो, जब मैं तुमसे कुछ प्रश्न पूछता हूँ!

     तब तुम साहसी हो सकते हो और मुझसे बात कर सकते हो।

         हम एक साथ मिलेंगे और निर्णय करेंगे कि हम में से कौन सही है।

     2 इस राजा को पूर्व से आने के लिए किसने उठाया है?

     वही हैं जो हर कदम पर सही कार्य करते हैं। वह राष्ट्रों को उसके हाथों में कर देते हैं और वह उन्हें पराजित करता है,

         और वह उनके राजाओं को अपने पैरों के नीचे कुचल देते हैं।

     वह अपने शत्रुओं को काटते हैं और वे नष्ट हो जाते हैं इसलिए वे धूल के समान हैं,

         और उसकी सेना उन्हें धनुष और तीर से मारती है इसलिए वे हवा उड़ने वाली भूसी के समान हों।

     3 भले ही खतरे में होने पर भी अपने शत्रुओं का पीछा करते समय

         वे बहुत तेजी से जाते हैं, और कोई भी वस्तु उन्हें रोक नहीं पाती है।

     4 शासकों को ऐसे शक्तिशाली कर्म करने के लिए किसने सक्षम बनाया है?

         पीढ़ी दर पीढ़ी यह कार्य किसने किया है?

     यह मैं, यहोवा हूँ!

         मैं इस तरह के कार्यों को करने वाला पहला व्यक्ति था, और मैं उन्हें करने वाला अंतिम व्यक्ति होऊँगा।

     5 वे लोग देखते समय डरते हैं जो महासागर में द्वीपों पर रहते हैं।

         दूर के क्षेत्रों में रहने वाले लोग थरथराते हैं और एक साथ इकट्ठे होते हैं।

     6 वे एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते हैं और एक-दूसरे से कहते हैं,

         ‘मजबूत बनो!’

     7 लकड़ी के कारीगर सोने की चीजें बनाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करते हैं,

         और धातु को बराबर करने वाले निहाई पर हथौड़ा मारने वालों को प्रोत्साहित करते हैं।

     वे सब कहते हैं, ‘मूर्ति अच्छी तरह से बनाई गई है!’

         फिर वे सावधानीपूर्वक मूर्ति को कील से ठोंक देते हैं कि यह गिर न जाए!”

     8 यहोवा कहते हैं, “तुम इस्राएली लोग मेरे दास हो;

         तुम मेरे चुने हुए याकूब के वंशज हो;

         तुम अब्राहम के वंशज हो, जिसे मैंने मेरा मित्र कहा था।

     9 मैंने तुमको पृथ्‍वी पर बहुत दूर स्थानों से बुलाया,

         और मैंने कहा, ‘मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी सेवा करो।’

     मैंने तुमको चुना है,

         और मैं तुमको अस्वीकार नहीं करूँगा।

     10 मत डरो,

         क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।

     निराश न हों, क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ।

         मैं तुमको मजबूत होने में सक्षम करूँगा, और मैं तुम्हारी सहायता करूँगा;

         मैं तुमको अपनी शक्तिशाली बाँह से पकड़े रहूँगा जिसके द्वारा मैं तुमको बचाऊँगा, और ऐसा करने मैं पूरी तरह से धर्मी होऊँगा!

     11 यह निश्चित है कि वे सब लोग अपमानित होंगे जो तुम इस्राएली लोगों से क्रोधित हैं।

         तुम्हारा विरोध करने वाले लोगों को मिटा दिया जाएगा;

         वे सब मर जाएँगे।

     12 यदि तुम उन लोगों की खोज करते हो जिन्होंने तुमको जीतने का प्रयास की थी,

     तो तुम उन्हें नहीं ढूँढ़ पाओगे,

         क्योंकि वे सब गायब हो जाएँगे।

     जिन्होंने तुम पर आक्रमण किया था

         अब वे अस्तित्व में नहीं होंगे,

     13 क्योंकि यह ऐसा होगा जैसे मानों मैं तुमको अपने दाहिने हाथ से पकड़ लूँगा।

         मैं यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ,

     और मैं तुमसे कहता हूँ, ‘मत डरो,

         क्योंकि मैं तुम्हारी सहायता करूँगा।’

     14 हालाँकि दूसरों ने तुम इस्राएली लोगों के साथ कीड़ों के समान व्यवहार किया है,

         अपने शत्रुओं से मत डरो,

     क्योंकि मैं तुम्हारी सहायता करूँगा!”

     यही है जो यहोवा गम्भीरता से कहते हैं – वह जो तुमको बचाते हैं,

         इस्राएल के एकमात्र पवित्र।

     15 वह कहते हैं, “मैं तुमको बहुत धारदार और दोधारी एक नई दाँवने वाली छूरी के समान बना दूँगा।

     तुम अपने शत्रुओं को चकना चूर कर दोगे

         उन्हें पर्वतों की भूसी के समान चूरा बना दोगे।

     16 तुम उन्हें हवा में फेंक दोगे,

         और एक तेज हवा उन्हें दूर उड़ा ले जाएगी।

     जब ऐसा होता है, तो जो मैंने तुम्हारे लिए किया है उसके विषय में तुमको प्रसन्नता होगी;

         तुम मुझ, इस्राएल के एकमात्र पवित्र, यहोवा, की स्तुति करोगे।

     17 जब गरीब और अभावग्रस्त लोगों को पानी की आवश्यकता होती है और उनके पास पानी नहीं होता है,

         और उनकी जीभें बहुत सूखी हुई हैं क्योंकि वे बहुत प्यासे हैं,

         मैं, यहोवा, आऊँगा और उनकी सहायता करूँगा।

     मैं, वह परमेश्वर जिसके तुम इस्राएली लोग हो, उन्हें कभी त्याग नहीं दूँगा।

     18 मैं बंजर पहाड़ियों पर उनके लिए नदियों को बहने दूँगा।

         मैं उन्हें घाटियों में सोते दूँगा।

     मैं रेगिस्तान को पानी के तालों से भर दूँगा।

         सोतों से पानी नदियों में बह जाएगा,

         और सूखी भूमि पर नदियाँ बहेंगी।

     19 मैं जंगल में देवदार, बबूल और मेंहदी उगाऊँगा –

         और मैं रेगिस्तानी मैदान में जैतून के पेड़ – सनोवर, तिघारे, और सीधा सनोवर सब एक साथ रोपूँगा।

     20 मैं ऐसा करूँगा कि जो लोग इसे देखते हैं, वे इसके विषय में सोचेंगे, और वे जान जाएँगे और समझ जाएँगे

         कि जिसने इसे किया है वह मैं, यहोवा, हूँ;

     यही है जो मैं, इस्राएल के एकमात्र पवित्र, ने किया है।

     21 मैं, इस्राएल का राजा, यहोवा, तुम राष्ट्रों से बात कर रहा हूँ:

         आओ और मुझे बताओ कि तुम्हारी मूर्तियाँ तुम्हारे लिए क्या कर सकती हैं! उनके बचाव की विवाद में अपनी पूरी प्रयास करो।

     22 उनको हमें यह बताने के लिए यहाँ लाओ कि क्या होने जा रहा है!

         उनको हमें यह बताने के लिए कहो कि बहुत पहले क्या बातें घटित हुई थीं,

     कि हम उन बातों के विषय में सोच सकें,

         और जान लें कि जिन बातों की उन्होंने भविष्यद्वाणी की क्या वे वास्तव में हुई थीं।

     या उन्हें भविष्य के विषय में हमें बताने के लिए कहो,

         कि हम यह जानें कि क्या घटित होगा।

     23 हाँ, उन मूर्तियों को हमें बताना चाहिए कि भविष्य में क्या होगा।

         यदि वे ऐसा करती हैं, तो हम जान लेंगे कि वे वास्तव में देवता हैं।

     उन्हें कुछ करने के लिए कहो – या तो कुछ अच्छा या कुछ बुरा!

         उन्हें कुछ ऐसा करने के लिए कहो जो हमें आश्चर्यचकित और भयभीत कर दे!

     24 परन्तु यह असम्भव है, क्योंकि मूर्तियाँ बिलकुल बेकार हैं;

         वे कुछ भी नहीं कर सकती हैं,

         और मैं उन लोगों से घृणा करता हूँ जो मूर्तियों की उपासना करने का निर्णय करते हैं।”

     25 “परन्तु मैंने एक शासक को उकसाया है जो अपनी सेना के साथ उत्तर से आएगा।

         मैंने उसे आने के लिए उसके देश से बुलाया है, जो इस्राएल के पूर्व में है,

     और वह सहायता के लिए मुझे पुकारेगा।

         मैं अन्य शासकों को जीतने में उसकी सेना को सक्षम करूँगा;

         वे उन अगुवों को ऐसे रौंद देंगे जैसे मिट्टी के बर्तनों को बनाने वाला मिट्टी को रौंदता है।

     26 बहुत पहले तुम लोगों को किसने बताया था कि ऐसा होगा?

         किसने इसकी भविष्यद्वाणी की थी, जिसके परिणामस्वरूप हम कह सकते हैं, “उसने जो भविष्यद्वाणी की थी, वह सही थी!”

     किसी और ने नहीं कहा था कि ऐसा होगा।

     27 यरूशलेम के लोगों से कहने वाला पहला व्यक्ति मैं था:

         ‘इसे सुनो! मैंने तुमको शुभसमाचार बताने के लिए एक दूत नियुक्त किया है!

     28 तुम्हारी मूर्तियों में से किसी ने भी तुमको यह नहीं बताया है।

         और जब मैंने उनसे प्रश्न पूछा, तो उनमें से कोई भी मुझे कोई उत्तर देने में सक्षम नहीं था।

     29 इस विषय में सोचो: वे सब मूर्तियाँ बेकार, तुच्छ चीजें हैं।

         वे हवा के समान अर्थहीन हैं।”

Chapter 42

    

1 यहोवा कहते हैं, “मैं चाहता हूँ कि तुम लोग मेरे दास के विषय में जानों, जिसे मैं प्रोत्साहित करता हूँ।

         मैंने उसे चुना है, और मैं उससे प्रसन्न हूँ।

     मैंने उसे अपनी आत्मा दी है,

         और वह निश्चित करेगा कि सभी लोगों के समूह न्यायपूर्वक कार्य करते हैं।

     2 वह चिल्लाने के द्वारा

         या बहुत ऊँची आवाज में बात करके अपनी शक्ति नहीं दिखाएगा।

     3 वह ऐसे किसी भी व्यक्ति से छुटकारा नहीं पाएगा जो एक धराशायी नरकट के समान निर्बल है,

         और वह ऐसे किसी भी व्यक्ति के जीवन को समाप्त नहीं करेगा जो जलने से बुझ जाने वाले एक तेल वाले दीपक के समान असहाय है।

     वह ईमानदारी से यह सुनिश्चित करेगा कि न्यायधीश मामलों का निर्णय न्यायपूर्वक करें।

         4 वह उस समय के दौरान नहीं थकेगा या निराश नहीं होगा जब वह पूरी पृथ्‍वी पर कार्यों को न्यायपूर्वक हो जाने दे रहा है।

     यहाँ तक कि महासागरों में द्वीपों पर रहने वाले लोग भी आत्मविश्वास से उन्हें उसके कानूनों को सिखाने के लिए उसकी प्रतीक्षा करेंगे।”

     5 हमारे परमेश्वर यहोवा ने आकाश को बनाया

         और इसे फैला दिया।

     उन्होंने पृथ्‍वी को और सब कुछ जो उसमें पाया जाता है उसे भी बनाया।

         वह पृथ्‍वी पर रहने वाले सब लोगों को साँस देते हैं और उन्हें जीवित रहने देते हैं।

     और वही हैं जो अपने विशेष दास से कहते हैं,

     6 “मैं, यहोवा, ने तुमको

         लोगों को दिखाने के लिए चुन लिया है कि मैं सदा धार्मिक रूप से कार्य करता हूँ।

     मैं तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हारी रक्षा करूँगा,

         और मैं तुमको मेरे इस्राएली लोगों के सामने

         वह व्यक्ति बनने के लिए प्रस्तुत करूँगा जो उनके साथ मेरी वाचा को लागू करेगा।

     तुम अन्य राष्ट्रों के लिए एक प्रकाश के समान होंगे।

     7 क्योंकि तुम अंधे लोगों को देखने में सक्षम बनाओगे,

         जो बन्दीगृह में हैं तुम उनको स्वतन्त्र कर दोगे

         और जो अँधेरी बन्दीगृह में हैं उन लोगों को मुक्त कर दोगे।

     8 मैं यहोवा हूँ; यह मेरा नाम है।

         मैं किसी और को वह आदर प्राप्त करने की अनुमति नहीं दूँगा जिसके योग्य केवल मैं हूँ।

         और मैं दूसरों को मूर्तियों की प्रशंसा करने की अनुमति नहीं दूँगा, क्योंकि उन्हें केवल मेरी प्रशंसा करनी चाहिए।

     9 जो कुछ भी भविष्यद्वाणी मैंने की है वह घटित हुआ है,

         और अब मैं उन अन्य बातों के विषय में बताऊँगा जो घटित होंगी।

     मैं तुमको वे बातें बताऊँगा जो उनके घटित होने से पहले होंगी।”

     10 यहोवा के लिए एक नया गीत गाओ!

         संसार भर में उसकी प्रशंसा करने के लिए गाओ!

     तुम सब लोग जो महासागरों से पार यात्रा करते हो, और तुम सब प्राणी जो महासागरों में रहते हो,

         और तुम सब लोग जो दूर द्वीपों पर रहते हो, गाओ!

     11 तुम जो लोग रेगिस्तानी नगरों में रहते हो, ऊँची आवाज से गाओ!

         तुम लोग जो अरब के उत्तर में केदार क्षेत्र में रहते हो, तुम भी आनन्दित हो जाओ!

     तुम एदोम के सेला शहर में रहने वाले लोगों, तुमको भी प्रसन्नता से गीत गाना चाहिए;

         अपने पर्वतों की चोटियों से उसकी प्रशंसा करने के लिए चिल्लाओ!

     12 यहाँ तक कि दूर के द्वीपों पर रहने वाले लोगों को भी यहोवा का सम्मान करना चाहिए

         और उसकी प्रशंसा करने के लिए गीत गाना चाहिए।

     13 यह ऐसा होगा जैसे मानों यहोवा एक शक्तिशाली सैनिक के समान निकल जाएँगे;

         वह दिखाएँगे कि वह बहुत क्रोध में हैं।

     वह एक युद्ध की ललकार करेंगे,

         और फिर वह अपने सभी शत्रुओं को पराजित करेंगे।

     14 वह कहेंगे, “मैं लम्बे समय तक चुप रहा हूँ;

         मैंने स्वयं को वह करने से रोका जो मुझे करने की आवश्यकता है।

     परन्तु अब, एक बच्चे को जन्म देती एक स्त्री के समान, मैं चिल्लाऊँगा और हाँफ हाँफकर साँस भरूँगा।

     15 मैं पहाड़ियों और पर्वतों को बराबर कर दूँगा,

         और मैं सब पौधों और पेड़ों को सूख जाने दूँगा।

     मैं नदियों को छोटी धाराएँ बन जा दूँगा, और उनमें छोटे-छोटे द्वीप दिखाई देंगे,

         और मैं सब तालों को सूख जाने दूँगा।

     16 मेरे वे लोग अंधे लोगों के समान हैं जिन्हें बन्धुआई में ले जाया गया है,

         परन्तु मैं उन्हें एक ऐसी सड़क पर ले कर जाऊँगा जिस पर वे पहले कभी नहीं चले हैं,

     एक ऐसी सड़क पर जिसे उन्होंने पहले नहीं देखा है।

         वे बहुत असहाय महसूस कर चुके हैं, जैसे कि मानों वे अन्धकार में चल रहे थे,

     परन्तु मैं उस अन्धकार को दूर कर दूँगा

         और मैं उनके सामने की सड़क को चिकना बना दूँगा।

     ये वह कार्य हैं जो मैं उनके लिए करूँगा;

         मैं उन्हें त्याग नहीं दूँगा।

     17 परन्तु जो खुदी हुई मूर्तियों पर भरोसा करते हैं,

         और प्रतिमाओं से कहते हैं, ‘तुम हमारे देवता हो,’

         उनको पूरी तरह से अपमानित किया जाएगा।”

     18 तुम इस्राएली लोग जिन्होंने परमेश्वर के प्रति बहरे लोगों के समान कार्य किया है, सुनो कि यहोवा क्या कहते हैं!

         “तुम जो अंधे लोगों के समान हो, देखो!

     19 कोई भी लोग मेरे लोगों के समान अंधे नहीं हैं, जिनको मेरी सेवा करनी चाहिए।

         कोई भी लोग इस्राएलियों के जितने बहरे लोग नहीं हैं, जिनको मेरे दूत होना चाहिए।

     कोई भी लोग उन लोगों के जितने अंधे नहीं हैं, जिन्हें मैंने एक वाचा के तहत मेरी सेवा करने के लिए चुना है।

     20 तुम देखते हो और जानते हो कि कौन से कार्य करने के लिए सही हैं, परन्तु तुम उन्हें नहीं करते हो।

         जो मैं तुमसे कहता हूँ तुम उसे सुनते हो, परन्तु तुम उस पर ध्यान नहीं देते हो।”

     21 क्योंकि यहोवा धर्मी हैं,

         उन्होंने अपने गौरवशाली कानूनों का सम्मान किया है।

     22 परन्तु सेनाओं ने यरूशलेम को नष्ट कर दिया है और सभी मूल्यवान चीजों को पूरी तरह से लूट लिया है,

         और उन्होंने यहोवा के लोगों को बन्धक बना लिया

         और उन्हें दूर ले गए और उन्हें बन्दीगृह में डाल दिया है।

     वे सरलता से बन्धक बना लिए गए,

         क्योंकि उनकी रक्षा करने के लिए कोई नहीं था;

     यह कहने के लिए वहाँ कोई नहीं था कि उन्हें घर लौटने की अनुमति दी जानी चाहिए।

     23 तुम में से कौन इन बातों को ध्यान से सुनेगा?

         अब से कौन ध्यान देगा?

     24 किसने इस्राएली लोगों की बहुमूल्य सम्पत्ति चोरी होने की अनुमति दी?

         यह यहोवा थे, क्योंकि वही हैं जिनके विरुद्ध हमने पाप किया था;

     हमने अपने जीवन का संचालन वैसे नहीं किया जैसे वह हमसे चाहते थे,

         और हमने उसके नियमों का पालन नहीं किया।

     25 इसलिए वह हमारे साथ बहुत क्रोधित थे,

         और उसने हमारे सैनिकों को लड़ाई में नष्ट हो जाने दिया।

     यह ऐसा था जैसे मानों उन्होंने हमारे चारों ओर आग लगा दी थी,

         परन्तु हमें समझ में नहीं आया कि वह हमें क्या बताने की प्रयास कर रहे थे।

     हमारे साथ उसका क्रोध आग के समान था जो हमें जला देगी,

         परन्तु हमने ध्यान नहीं दिया।

Chapter 43

    

1 परन्तु अब, हे इस्राएल के लोगों, यहोवा की बात सुनो, जिन्होंने तुम्हारे राष्ट्र को स्थापित किया है।

         जिन्होंने तुमको एक राष्ट्र बनने दिया वह यह कहते हैं:

     “मत डरो,

         क्योंकि मैंने तुमको बचा लिया है।

     मैंने तुमको तुम्हारे नाम से बुलाया है, कि तुम मुझसे सम्बन्धित हो जाओ। अब तुम मेरे हो।

     2 जब तुम खतरनाक स्थितियों का अनुभव करते हो,

     और तुम्हारे सामने गहरी नदियों को पार करने के जैसी भयंकर कठिनाईयों हों,

         मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।

     जब तुमको आग के समान बहुत पीड़ा दायक परेशानियाँ होती हैं,

         तुम उन्हें सहन करने में सक्षम होओगे, और वे तुमको चोट नहीं पहुँचाएँगी,

     3 क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर, यहोवा हूँ,

         इस्राएल का एकमात्र पवित्र, वह जो तुमको बचाता है।

     मैं तुम्हारे स्थान पर मिस्र को बलि चढ़ा दूँगा;

         और तुम्हारे बदले में मैं इथियोपिया और सबा को दे दूँगा।

     4 मैं तुम्हारे देश की बजाए अन्य देशों को जीत लिया जाने दूँगा;

         मैं तुम्हारे लिए उनका व्यापार करूँगा,

         कि तुमको मार न डाला जाए,

     क्योंकि तुम मेरे लिए बहुत मूल्यवान हैं

         और क्योंकि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ।

     5 मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ।

         किसी दिन मैं तुम्हारे वंशजों को पूर्व से और पश्चिम से इकट्ठा करूँगा।

     6 मैं उत्तर और दक्षिण में राष्ट्रों के शासकों को आज्ञा दूँगा,

         ‘इस्राएल के सब लोगों को,

         पृथ्‍वी पर सबसे दूर के स्थानों से अपने देश लौटने की अनुमति दो।

     7 उन सबको लौट जाने की अनुमति दो जो मेरे हैं,

         क्योंकि मैंने उन्हें एक राष्ट्र बन जाने के लिए ठहराया है कि वे मेरा सम्मान करें;

         वह मैं ही हूँ जिसने ऐसा किया है।’

     8 उन लोगों को बुलाओ जिनके पास आँखें होते हुए भी ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे मानों वे अंधे थे;

         उन लोगों को बुलाओ जिनके कान होते हुए भी ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे मानों वे बहरे थे।

     9 सब राष्ट्रों के लोगों को एक साथ इकट्ठा करो,

         सब लोगों के समूहों से एकत्रित करो,

     और उनसे पूछो: ‘क्या उनकी किसी भी मूर्ति ने उन बातों की भविष्यद्वाणी की है जो अब हो रही हैं?

         और क्या उनमें से कोई भविष्यद्वाणी करेगा कि भविष्य में क्या होगा?

     फिर उन लोगों को लाओ जो गवाही देंगे और कहेंगे ‘मैंने उन्हें बातों की भविष्यद्वाणी करते सुना है,

         और जो हुआ था वह भविष्यद्वाणी उन्होंने की थी,’

         परन्तु वे झूठ बोल रहे होंगे।”

     10 परन्तु यहोवा कहते हैं, “तुम इस्राएल के लोग मेरे साक्षी हो,

         और तुम ही मेरी सेवा करते हो।

     मैंने तुमको चुना है कि तुम मुझे जानो, मुझ पर विश्वास करो,

         और समझो कि मैं ही अकेला हूँ जो वास्तव में परमेश्वर है।

     कोई अन्य सच्चा परमेश्वर नहीं है।

         पहले कोई अन्य सच्चा परमेश्वर नहीं था,

         और कभी भी कोई और सच्चा परमेश्वर नहीं होगा।

     11 मैं, केवल मैं ही, यहोवा हूँ,

         और कोई अन्य नहीं है जो तुमको बचा सकता है।

     12 मैंने कहा कि मैं तुम्हारे पूर्वजों को बचाऊँगा,

         और फिर मैंने उन्हें बचाया, और मैंने घोषणा की कि मैंने इसे किया है।

     तुम्हारे बीच के किसी पराए देवता ने यह नहीं किया था!

         और तुम गवाह हो कि केवल मैं, यहोवा ही, परमेश्वर हूँ।

         13 मैं वही परमेश्वर हूँ, जो सदा से अस्तित्व में है और जो सदा तक अस्तित्व में रहेगा;

     कोई भी मेरे हाथ से लोगों को छीन नहीं सकता है,

         और कोई भी उसे बदल नहीं सकता है जो मैंने किया है।”

     14 वह यहोवा, इस्राएल के एकमात्र पवित्र, ही हैं जो तुमको बचाते हैं, और वह यही कहते हैं:

         “तुम्हारे लिए, मैं बाबेल पर आक्रमण करने के लिए एक सेना भेजूँगा।

         वे शहर के लोगों को अपने शहर से भागने के लिए, और आनन्द के गीत गाने के बजाए विलाप के गीत गाने के लिए विवश करेंगे।

     15 मैं तुम्हारा एकमात्र पवित्र, यहोवा हूँ,

         वही जिसने इस्राएल को एक राष्ट्र बन जाने दिया, और वही जो वास्तव में तुम्हारे राजा हैं।

     16 मैं वही यहोवा हूँ, जिसने पानी के माध्यम से एक मार्ग खोला,

         लाल समुद्र से होकर एक सड़क बना दी थी।

     17 तब मैंने मिस्र की महान सेना को

         उनके सब रथों और घोड़ों के साथ आने के लिए बुलाया।

     परन्तु जब उन्होंने मेरे लोगों का पीछा करने का प्रयास की,

     मैंने लहरों को उनके ऊपर बह जाने दिया और वे डूब गए;

         उनके जीवन ऐसे समाप्त हो गए जैसे किसी के बत्ती पर फूँक मारने से एक मोमबत्ती का प्रकाश समाप्त हो जाता है।

     18 परन्तु अतीत में, बहुत पहले क्या हुआ, केवल उसके विषय में ही मत सोचो।

     19 इसके बजाए, नई बातों पर विचार करो जो मैं करने जा रहा हूँ।

         मैंने इसे करना पहले ही आरम्भ कर दिया है;

         क्या तुम इसे देख सकते हो?

     मैं रेगिस्तान के माध्यम से एक सड़क बनाने जा रहा हूँ।

         और मैं वहाँ बंजर भूमि में धाराएँ पैदा करूँगा।

     20 सियार और शुतुर्मुर्ग और अन्य जंगली जीव

         उन्हें रेगिस्तान में पानी देने के लिए मुझे धन्यवाद देंगे।

     मैं सूखे रेगिस्तान में धाराओं को प्रकट करूँगा

         कि मेरे उन लोगों के पास पानी हो, जिन्हें मैंने चुना है;

         21 मैं उन लोगों के लिए ऐसा करूँगा जिन्हें मैंने बनाया है और मेरे लिए चुना है,

         कि वे मेरे द्वारा उनके लिए किए गए अद्भुत कार्यों के विषय में दूसरों को बताएँगे।

     22 परन्तु अब, तुम हे याकूब के वंशजों, तुम मेरी सहायता के लिए अनुरोध करने से मना करते हो।

         तुम इस्राएल के लोग मेरी आराधना करने के थक गए हो।

     23 तुम मेरे पास मेरी वेदी पर जलाने की भेंटों के लिए भेड़ों या बकरियों को नहीं लाए हो;

         तुमने किसी भी बलिदान से मुझे सम्मानित नहीं किया है,

     यहाँ तक कि अन्न-बलि और धूप की पेशकश जो मैंने तुमको लाने के लिए कहा था, वह तुम्हारे लिए बोझ नहीं थे।

     24 तुमने मेरे लिए कोई सुगन्धित सरकण्डा नहीं मोल लिया है,

         और तुमने मुझ पर किसी जानवर के बलिदान से मीठी-सुगन्धित चर्बी नहीं डाली है।

     परन्तु तुम्हारे द्वारा किए गए सब पापों से तुमने मुझे बोझिल कर दिया है,

         और तुम्हारे सब अधर्मों के कारण मुझे थका दिया है।

     25 मैं वही हूँ जो तुमको सब पापों के लिए क्षमा करने में सक्षम है;

         वह एकमात्र मैं ही हूँ जो ऐसा कर सकता है,

         जिसके परिणामस्वरूप मैं फिर कभी भी उनके विषय में नहीं सोचूँगा।

     26 मुझे बताओ कि मैंने ऐसा क्या किया है जिसे तुम पसन्द नहीं करते हो।

         क्या तुम सोचते हो कि जब तुम अपने मामले की व्याख्या करते हो, तो तुम सिद्ध करोगे कि तुम निर्दोष हो?

     27 नहीं, जो हुआ है वह यह है कि तुम इस्राएलियों के पहले पूर्वजों ने मेरे विरुद्ध पाप किया था,

         और तब से, तुम्हारे सब अगुवों ने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया है।

     28 यही कारण है कि मैं तुम्हारे याजकों को अपमानित होने दूँगा;

         मैं दूसरों को तुम इस्राएली लोगों को नष्ट करने की

         और तुमको तुच्छ बना देने की अनुमति दूँगा।”

Chapter 44

    

1 परन्तु अब, तुम हे इस्राएल के लोगों जिन्हें यहोवा ने उसकी सेवा करने के लिए चुना है, मेरी बात सुनो।

     2 उस यहोवा ने तुम्हारे पैदा होते समय तुम पर दृष्टि रखी, जिसने तुमको बनाया, और जो तुम्हारी सहायता करते हैं, वह यह कहते हैं:

         “तुम हे प्रिय इस्राएली लोगों जिन्हें मैंने चुना है,

         तुम जो मेरी सेवा करते हो,

         मत डरो।

     3 मैं तुम्हारी सूखी भूमि पर पानी डालूँगा

         और धाराओं को बहने दूँगा।

     और मैं अपनी आत्मा को तुम्हारे वंशजों पर डालूँगा

         और उन्हें बहुतायत से आशीर्वाद दूँगा।

     4 वे पानी के निकट की घास के समान बड़े हो जाएँगे,

         जैसे नदी के किनारे मजनू पेड़ अच्छी तरह से बढ़ते हैं।

     5 उनमें से कुछ कहेंगे, ‘मैं यहोवा का हूँ,’

         और अन्य लोग कहेंगे, ‘हम याकूब के वंशज हैं,’

     और अन्य अपने हाथों पर लिखेंगे, ‘हम यहोवा के हैं,’

         और अन्य लोग कहेंगे, ‘हम इस्राएली हैं, और हम यहोवा के हैं।’”

     6 इस्राएल का राजा, वह जो हमें बचाते हैं, स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यह कहते हैं:

     “मैं वही हूँ जो सब कुछ आरम्भ करता है और जो सब कुछ समाप्त करता है;

         कोई अन्य परमेश्वर नहीं है।

     7 यदि मेरे जैसा कोई है,

         उसे यह घोषित करना चाहिए!

     उसे बोलना चाहिए और अभी मुझे बताना चाहिए!

         उसे यह बताना चाहिए कि बहुत पहले जब मैंने अपने इस्राएली लोगों को एक राष्ट्र बनने के लिए प्रेरित किया था तब से क्या हुआ है;

     उसे यह भी समझाना चाहिए कि अतीत में घटनाएँ जिस तरह से हुईं तो क्यों हुईं,

         और उसे भविष्यद्वाणी करनी चाहिए कि भविष्य में क्या होगा।

     8 हे मेरे लोगों, मत डरो।

         बहुत पहले मैंने तुमको उन घटित होने वाली बातों को बताया;

     तुम जानते हो कि मैंने उनकी भविष्यद्वाणी की है, और तुम यह गवाही दे सकते हो कि मैंने ऐसा किया है।

     निश्चित रूप से कोई अन्य परमेश्वर नहीं है।

         कोई अन्य परमेश्वर नहीं है जो तुम्हारी रक्षा करने में सक्षम है।”

     9 जो मूर्तियाँ बनाते हैं वे सब मूर्ख हैं,

         और वे मूर्तियाँ बेकार हैं जिनको वे प्रतिष्ठित मानते हैं।

     और जो लोग उन मूर्तियों की उपासना करते हैं – ऐसा लगता है कि मानों वे अंधे थे,

         और वे उन मूर्तियों की उपासना करने के लिए लज्जित होंगे।

     10 केवल मूर्ख लोग ही साँचों में मूर्तियों को बनाते हैं,

         वे मूर्तियाँ जो कभी भी उनकी कोई सहायता नहीं करेंगी।

     11 जो मूर्तियाँ बनाते हैं और जो उनकी उपासना करते हैं वे लज्जित होंगे।

     जो मूर्तियाँ बनाते हैं वे केवल ही मनुष्य होते हैं,

         परन्तु वे दावा करते हैं कि वे देवताओं को बना रहे हैं!

     उन्हें अदालत में परमेश्वर के सामने खड़ा होना चाहिए,

         और जो वह कहते हैं जब वे उसे सुनते हैं, तो वे डर जाएँगे,

         और वे सभी अपमानित होंगे।

     12 धातु के कारीगर गर्म कोयलों के सामने

         मूर्तियों को बनाने के लिए खड़े होते हैं।

     वे उन्हें हथौड़ों से पीटते हैं और उन्हें आकार देते हैं।

     क्योंकि वे बहुत परिश्रम करते हैं, वे भूखे और निर्बल हो जाते हैं;

         वे बहुत प्यासे हो जाते हैं और थक जाते हैं।

     13 फिर एक लकड़ी को गढ़ने वाले लकड़ी का एक बड़ा टुकड़ा लेता है और वह इसे मापता है;

         फिर वह यह दिखाने के लिए चिन्ह लगाता है कि वह उसे कहाँ से काटेगा।

     वह एक छेनी और अन्य औजारों का उपयोग

         इसे मनुष्य के जैसे गढ़ने के लिए करता है।

     वह इसे एक बहुत ही सुन्दर मूर्ति बना देता है,

         और फिर वह इसे एक विशेष घर में रखता है, जहाँ वह उसके आगे झुकता है।

     14 लकड़ी के उस टुकड़े से एक मूर्ति गढ़ने से पहले, उसने एक देवदार के पेड़ को पहले ही काट दिया है,

         या उसने एक सनोवर के पेड़ या बांज वृक्ष का चयन किया है

         और इसे जंगल में लम्बा बढ़ जाने की अनुमति दी।

     या उसने एक चीड़ का पेड़ लगाया है,

         और वर्षा ने इसे पानी दिया है और इसे लम्बा हो जाने दिया है।

     15 एक मूर्ति बनाने के लिए पेड़ के भाग का उपयोग करने के बाद,

         वह दूसरे भाग का उपयोग आग बनाने के लिए,

         या फिर स्वयं को गर्म करने लिए या रोटी सेंकने के लिए करता है।

     परन्तु वह उसी पेड़ के भाग का उपयोग एक मूर्ति बना कर स्वयं उसकी उपासना करने के लिए करता है!

         वह एक मूर्ति बनाता है, और फिर उसकी उपासना करने के लिए वह उसके आगे झुकता है।

     16 वह उस पेड़ की लकड़ी के अन्य भाग को जला कर माँस पकाता है और उसे खाता है और तृप्त हो जाता है,

         और वह स्वयं को गर्म करने के लिए इसके अन्य भाग को जलाता है,

         और वह कहता है, “मैं आग की लपटों को देखते हुए गर्म महसूस करता हूँ।”

     17 फिर वह बाकी बची लकड़ी को लेता है

         और एक मूर्ति बनाता है जिसे उसका देवता होना है।

     वह उसके आगे झुकता है और उसका सम्मान करता है,

         और उससे प्रार्थना करता है और कहता है,

         “तुम मेरे देवता हो, इसलिए मुझे बचाओ!”

     18 वे लोग बहुत मूर्ख और अज्ञानी हैं।

         ऐसा लगता है कि मानों वे अंधे और देखने में असमर्थ थे,

         जैसे कि मानों उनके मन बन्द थे और अच्छी तरह से सोचने में असमर्थ थे।

     19 वे इस विषय में नहीं सोचते कि वे क्या कर रहे हैं,

     कि वे लकड़ी के एक ऐसे टुकड़े को ले रहे हैं

         और अपने तुमको गर्म करने के लिए इसका आधा भाग जला रहे हो

         और बाकी बचे हुए में से कुछ का उपयोग रोटी सेंकने और कुछ माँस भूनने के लिए कर रहे हो!

     वे स्वयं से नहीं ऐसा कहते हैं,

     “एक घृणित मूर्ति बनाने के लिए बाकी लकड़ी लेना मूर्खता है!

         उसके आगे झुकने के लिए एक लकड़ी के टुकड़े को लेना यह समझ में नहीं आता है!”

     20 वे आग से राख भी खा सकते हैं!

         वे उस वस्तु पर भरोसा करते हैं जो उन्हें बचा नहीं सकती है;

         वे स्वीकार नहीं करते हैं, “मैं कुछ ऐसा मेरे हाथ में पकड़ता हूँ जो वास्तव में एक देवता नहीं है!”

     21 यहोवा कहते हैं, “तुम हे याकूब के वंशजों,

         तुम हे इस्राएली लोगों जिनको मेरी सेवा करनी चाहिए,

     मैंने तुमको बनाया है,

         और मैं तुमको नहीं भूलूँगा।

     22 मैंने तुम्हारे पापों से ऐसे छुटकारा पा लिया है

         जैसे हवा एक बादल को दूर उड़ा ले जाती है।

     ऐसा लगता है कि मानों तुम्हारे अपराध सुबह की धुंध थे

         जिसे मैंने दूर उड़ा दिया है।

     मेरे पास लौट आओ

         क्योंकि मैंने तुमको बचा लिया है।”

     23 आकाश में सूर्य और चँद्रमा और सितारे गीत गाएँ,

         और पृथ्‍वी के बहुत गहरे स्थान प्रसन्नता से जयजयकार करें!

     सब पर्वतों और जंगलों, और तुम सब पेड़ों को,

     ऊँचे स्वर से गाना चाहिए,

         क्योंकि यहोवा ने याकूब के वंशजों को बचा लिया है,

         और इस्राएल के लोग उसकी प्रशंसा करेंगे।

     24 यहोवा, जिसने तुमको बचाया और तुम्हारी रचना की, यह कहते हैं:

     “मैं वही यहोवा हूँ, जिसने सब कुछ बनाया है।

     वह अकेला मैं ही हूँ जिसने आकाश को फैलाया है।

     मेरे साथ कोई भी नहीं था

         जब मैंने पृथ्‍वी की रचना की थी।

     25 मैं दिखाता हूँ कि नकली भविष्यद्वक्ता झूठे हैं,

         और मैं दिखाता हूँ कि वे लोग मूर्ख हैं जो भविष्य की भविष्यद्वाणी करने के लिए अनुष्ठान करते हैं।

     कुछ लोग जो कपटपूर्वक सोचते हैं कि वे बुद्धिमान हैं कहते हैं कि वे बहुत कुछ जानते हैं,

         परन्तु मैं दिखाता हूँ कि वे मूर्ख हैं।

     26 परन्तु मैं सदा वैसा होने देता हूँ जो भविष्यद्वाणी मेरे भविष्यद्वक्ता करते हैं

         मैं उन्हें यरूशलेम के लोगों से कहने के लिए बोलता हूँ, ‘किसी दिन लोग फिर से यहाँ रहेंगे।’

     और मैं उन्हें यहूदा के अन्य नगरों में रहने वाले लोगों से कहने के लिए बोलता हूँ कि मैं, यहोवा, कहता हूँ,

     ‘तुम्हारे नगरों को फिर से बनाया जाएगा;

         मैं ऐसे स्थानों को फिर से बनाया जाने दूँगा जो केवल खण्डहर हैं।’

     27 जब मैं नदियों से कहता हूँ, ‘सूख जाओ!’

         वे सूख जाएँगी।

     28 जब मैं राजा कुस्रू के विषय में कहता हूँ, ‘वह मेरे लोगों की ऐसे देखभाल करेगा जैसे चरवाहा अपनी भेड़ों की देखभाल करता है,

         वह वो सब कुछ करेगा जो मैं चाहता हूँ कि वह करे,’

         वह यरूशलेम के विषय में कहेगा,

         ‘हमें इसे फिर से बनाना होगा!’

     और वह यह भी कहेगा, ‘हमें मन्दिर को फिर से बनाना होगा!’”

Chapter 45

    

1 वह कुस्रू ही है जिसे यहोवा ने फारस का राजा होने के लिए नियुक्त किया है

         और जिसे वह महान शक्ति देंगे;

     यहोवा उसे अन्य राष्ट्रों को हराने में

         और उनके राजाओं की शक्ति को दूर करने में सक्षम करेंगे।

     वह शहरों के फाटकों को खोल देंगे,

         और कोई भी कभी उन्हें बन्द करने में सक्षम नहीं होगा।

     2 यहोवा उससे यही कहते हैं:

     “हे कुस्रू, मैं तुम्हारे आगे-आगे जाऊँगा

         और पर्वतों के बराबर करूँगा।

     मैं पीतल के फाटकों को चकना चूर कर दूँगा

         और उनकी लोहे की सलाखों को काट दूँगा।

     3 मैं तुमको वे खजाने दूँगा जिनको लोगों ने अंधियारे गुप्त स्थानों में छिपाया हुआ है।

     मैं ऐसा करूँगा जिससे तुम यह जान जाओगे कि मैं यहोवा हूँ,

         वह परमेश्वर जिसके लोग इस्राएली हैं,

         वह परमेश्वर जो तुमको तुम्हारे नाम से बुलाते हैं।

     4 मैंने तुमको तुम्हारे नाम से पुकार कर बुलाया है,

         इस्राएल के लोगों के लिए जिन्हें मैंने चुना है, जो मेरी सेवा करते हैं।

     भले ही तुम मुझे नहीं जानते हो,

         मैं तुमको एक पदवी दूँगा जिसका बहुत सम्मान है।

     5 मैं यहोवा हूँ, और कोई अन्य ईश्वर नहीं है।

     भले ही तुम मुझे नहीं जानते हो,

         मैं तुमको युद्ध संचालित करने की शक्ति दूँगा

     6 कि पूर्व से पश्चिम तक, संसार में हर कोई, जान जाएगा कि कोई अन्य ईश्वर नहीं है।

         मैं यहोवा हूँ, और कोई अन्य ईश्वर नहीं है।

     7 मैंने प्रकाश और अन्धकार को बनाया।

         मैं वहाँ शान्ति होने देता हूँ और मैं वहाँ विपत्तियों को होने देता हूँ।

         मैं, यहोवा, उन सब कार्यों को करता हूँ।”

     8 यहोवा यह भी कहते हैं, “जैसे पृथ्‍वी की सहायता करने के लिए इस पर वर्षा गिरती है,

         मैं अपने लोगों की सहायता करूँगा और उन्हें बचाऊँगा; मैं उनके साथ न्यायपूर्वक व्यवहार होने दूँगा।

     वह मैं, यहोवा, ही हूँ जो उन दोनों बातों को घटित करेगा।

     9 उन लोगों के साथ भयानक बातें होंगी जो मेरे साथ विवाद करते हैं, क्योंकि वह मैं ही हूँ जिसने उन्हें बनाया है।

         वे मिट्टी के बर्तनों के समान हैं जो कुम्हार के साथ विवाद कर रहे हैं जिसने उन्हें बनाया;

         वे केवल हर एक अन्य बनाए गए मिट्टी के बर्तन के समान हैं, और फिर भी वे उस व्यक्ति के साथ विवाद करते हैं जिसने उन्हें बनाया और उन्हें मिट्टी से बाहर निकाल कर आकार दिया।

     क्या मिट्टी का एक टुकड़ा कुम्हार को कह सकता है जिसने उसे बनाया है,

         ‘तुम मुझे ऐसा क्यों बना रहे हो?’

     मिट्टी का बर्तन यह नहीं कह सकता कि ‘तुम क्या सोचते हैं कि तुम ऐसा कर रहे हो, मुझे इस तरह से बना रहे हो? “या” तुम्हारे पास कोई कौशल नहीं है और तुम्हारे मिट्टी के बर्तन कुछ भी योग्य नहीं हैं!”

     10 और यह भयानक होगा यदि कोई अजन्मा बच्चा अपने पिता से कहता है,

         ‘तुम मुझे पैदा क्यों होने दे रहे हो?’

     या यदि वह अपनी माँ से कहे,

         ‘तुम्हारी प्रसव पीड़ा का परिणाम बेकार होगा।’”

     11 इस्राएली लोगों के एकमात्र पवित्र, यहोवा, वही जिन्होंने इस्राएल को बनाया है, उनसे यह कहते हैं:

         “मेरी संतानों, मैं तुम्हारे लिए जो करता हूँ, इसके विषय में तुम प्रश्न क्यों पूछते हो?

     तुम मुझे उस कार्य के विषय में क्यों निर्देश देते हो जो मुझे करना चाहिए?

     12 वह मैं ही हूँ जिसने पृथ्‍वी बनाई है

         और इस पर रहने के लिए मनुष्यों को बनाया।

     मैंने अपने हाथों से आकाश को फैलाया,

         और मैंने सितारों को उनके स्थानों पर रखा।

     13 और मैंने कुस्रू को उन कार्यों को करने का इच्छुक बनाया है जो न्यायोचित हैं,

         और मैं उसे उन सब कार्यों को सरलता से करने में सक्षम करूँगा। कोई भी उसे रोकने में सक्षम नहीं होगा।

     उसके कर्मचारी मेरे शहर का फिर से बनाएँगे,

         और वह मेरे लोगों को स्वतन्त्र कर देगा जिन्हें बन्धुआ किया गया है।

     और वह मेरे द्वारा उसे पुरस्कृत किए बिना इसे करेगा!”

         स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा, यही कहते हैं।

14 और मैं, यहोवा, तुम मेरे लोगों से यह भी कहता हूँ:

     “तुम मिस्र और इथियोपिया के लोगों पर शासन करोगे,

         और सबा के लम्बे लोग तुम्हारे दास बन जाएँगे।

     वे जिन वस्तुओं को बेचते हैं उसे ले कर तुम्हारे पास आएँगे,

         और यह सब तुम्हारा होगा।

     उनकी बाँहों पर जंजीरें बँधी होंगी जब वे तुम्हारे पीछे-पीछे चलते हैं।

     वे तुम्हारे आगे झुकेंगे और कहेंगे,

         ‘परमेश्वर तुम्हारे साथ है

     और वही एकमात्र परमेश्वर हैं;

         कोई अन्य परमेश्वर नहीं है।’”

     15 हे परमेश्वर, हालाँकि हम आपको नहीं देख सकते हैं,

         आप ही हैं जिसके हम इस्राएली लोग हैं, वही जो हमें बचाते हैं।

     16 जो मूर्तियों को बनाते हैं वे अपमानित होंगे।

         वे सब एक साथ लज्जित हो जाएँगे।

     17 परन्तु आप यहोवा, हमें, आपके इस्राएली लोगों को बचाएँगे,

         और हम सदा के लिए स्वतन्त्र होंगे।

     फिर कभी भी, भविष्य के दौरान, हम फिर से अपमानित और लज्जित नहीं होंगे।

     18 यहोवा परमेश्वर हैं;

     वही हैं जिन्होंने आकाश को बनाया

         और पृथ्‍वी को बनाया और गठित किया।

     वह नहीं चाहते थे कि उस पर रहने वाला कुछ भी न हो और वह सुनसान रहे;

         वह चाहते थे कि इस पर लोग रहें।

     वह कहते हैं, “मैं यहोवा हूँ;

         कोई अन्य परमेश्वर नहीं है।

     19 जो घोषणा मैंने की, उसे मैंने गुप्त रूप से नहीं कहा;

         जो मैं कह रहा था मैंने उसे अंधियारी जगह में बोल कर छिपाया नहीं।

     जब मैंने याकूब के वंशजों से बात की,

         मैंने उन्हें नहीं बताया था

     ‘मेरी खोज करना तुम्हारे लिए बेकार होगा!’

         मैं, यहोवा, केवल वही बोलता हूँ जो सही है और जो न्यायोचित है।

     20 तुम लोग भयंकर विपत्तियों का सामना करने के बाद अभी भी जीवित हो,

         तुम सबको आकर एक साथ इकट्ठा होना चाहिए और इसे सुनना चाहिए:

     वे लोग मूर्ख हैं जो अपनी लकड़ी की मूर्तियों को उठाए फिरते हैं

         और उनसे प्रार्थना करते हैं, क्योंकि वे मूर्तियाँ उन्हें बचा नहीं सकती हैं!

     21 आपस में बात करके यह तय करो कि तुमको मूर्तियों से प्रार्थना करनी चाहिए, इसे सिद्ध करने के लिए तुम क्या कहोगे।

         और जब तुम ऐसा करते हो, तो मैं तुमसे पूछूँगा,

     ‘अब जो हुआ है किसने बहुत पहले उसकी भविष्यद्वाणी की थी?

         क्या कोई मूर्ति तुमको बताती है कि वह बातें घटेंगी?

     नहीं, यह केवल मैं, यहोवा, ही था जिसने तुमको बताया था,

         क्योंकि मैं एकमात्र परमेश्वर हूँ; कोई अन्य परमेश्वर नहीं है।

     मैं एक ऐसा परमेश्वर हूँ जो धार्मिक रूप से कार्य करता है और लोगों को बचाता है;

         कोई अन्य नहीं है जो इन कार्यों को करता है।

     22 संसार में रहने वाले हर किसी को उसे बचाने के लिए मुझसे कहना चाहिए,

         क्योंकि मैं ही एकमात्र परमेश्वर हूँ जो ऐसा कर सकता है;

         कोई दूसरा नहीं है।

     23 मैंने अपने नाम का उपयोग करके गम्भीर रूप से घोषित किया है;

         मैंने वह कहा है जो सच है,

         और मैंने जो भी कहा है, मैं उसे कभी नहीं बदलूँगा:

     किसी दिन, हर कोई मेरे सामने झुकेंगे,

         और वे सब गम्भीर रूप से मेरे प्रति निष्ठावान होने का प्रतिज्ञा करेंगे।

     24 वे घोषित करेंगे,

         ‘वह यहोवा ही है जो हमें धार्मिक रूप से जीने और मजबूत होने में सक्षम बनाते हैं।’”

     और जो सब लोग यहोवा पर क्रोधित हुए हैं वे उसके पास आएँगे,

         और वे लज्जित होंगे कि वे उससे क्रोधित थे।

     25 यहोवा ही एकमात्र ऐसे हैं जो हम इस्राएली लोगों को अपने शत्रुओं को हराने के लिए आने वाले भविष्य में सक्षम करेंगे,

         और फिर हम उसके विषय में घमण्ड करेंगे जो उसने हमारे लिए किया है।

Chapter 46

    

1 ऐसा लगता है कि मानों, बाबेल के बेल और नबो देवताओं की मूर्तियाँ,

         नीचे झुक रही थीं जब उनको जानवरों पर रख कर दूर ले जाया गया है!

     वे मूर्तियाँ भारी बोझ हैं और वे जानवरों को थका देंगी!

     2 देवता और जानवर सब झुक गए हैं;

         वे देवता न तो स्वयं को और न ही जानवरों को बोझ से बचा सकते हैं;

         वे देवता स्वयं बन्धुआई में जा रहे हैं!

     3 यहोवा कहते हैं, “तुम याकूब के वंशज जो बन्धुआई में थे,

     मैं बाबेल के देवताओं के समान नहीं हूँ जिसे उठा कर ले जाना पड़ता है;

         इसके बजाए, ऐसा लगता है कि मानों मैंने तुमको उठाया हुआ है

     जिस समय से तुम पहले एक राष्ट्र बन गए थे।

         मैंने तुमको एक राष्ट्र बनने से पहले भी उठाया हुआ था।

     4 मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा, और मैं तुमको कई वर्षों तक उठाए रहूँगा,

         जब तक कि ऐसा न हो कि मानों तुम्हारा देश पके बाल वाला एक बूढ़ा व्यक्ति है।

     मैंने तुमको राष्ट्र बन जाने दिया,

         और मैं तुमको बनाए रखूँगा और तुमको बचाऊँगा।

     5 निश्चित रूप से ऐसा कोई नहीं है जिसके साथ मेरी तुलना की जा सकती है।

         ऐसा कोई भी नहीं है जो मेरे बराबर है।

     6 इसलिए यह मूर्खता है कि कुछ लोग अपने थैलों से सोने और चाँदी डालते हैं

         और तराजू पर इसका वजन करते हैं।

     फिर वे सोने से चीजें बनाने वाले एक व्यक्ति को मूर्ति बनाने के लिए किराए पर लेते हैं।

         उसके एक मूर्ति बनाने के बाद, वे उस मूर्ति के आगे झुकते हैं और उसकी उपासना करते हैं!

     7 वे इसे उठा कर अपने कंधों पर लादे फिरते हैं।

         उन्होंने इसे एक विशेष स्थान पर रखते हैं,

         और यह वहाँ रहती है।

     यह हिलडुल नहीं सकती है!

     और जब कोई इससे प्रार्थना करता है, तो यह उत्तर नहीं देती है।

         इसलिए स्पष्ट है कि यह किसी को भी उनकी परेशानियों से बचा नहीं सकती है!

     8 तुम हे यहूदा के लोगों, इसे मत भूलना;

         तुम हे पापी लोगों, इसके विषय में सोचते रहो!

     9 उन कार्यों के विषय में सोचो जो मैंने बहुत पहले किए थे।

         केवल मैं ही परमेश्वर हूँ; मैं परमेश्वर हूँ, और मेरे जैसा कोई नहीं है।

     10 किसी बात के घटने से पहले केवल मैं ही बता सकता हूँ कि भविष्य में क्या होगा;

         किसी बात के घटने से बहुत पहले मैं इसे बता देता हूँ।

     मैं वह सब कुछ पूरा करूँगा जिसे मैं पूरा करने की योजना बनाता हूँ,

         और मैं वह सब कुछ करूँगा जो मैं करना चाहता हूँ।

     11 इसलिए पूर्व से एक तेज और शक्तिशाली उकाब के समान आने के लिए मैं कुस्रू को बुलाऊँगा;

         वह एक दूर के देश से आएगा।

     वह उस कार्य को पूरा करेगा जो मैं उससे करवाना चाहता हूँ।

         वह वही है जो उस कार्य को करेगा जो मैंने कहा है कि मैं चाहता हूँ कि वह करे,

         जो योजना मैंने बनाई है।

     12 तुम हे इस्राएल के हठीले लोगों,

         जो न्यायोचित है उसे करने में तुम पूरी तरह असमर्थ हो,

     13 मैं तुमको बचाऊँगा,

         और ऐसा होने से पहले का समय लम्बा नहीं होगा।

         मैं शीघ्र ही इसे करूँगा।

     मैं यरूशलेम को बचाऊँगा

         और तुम इस्राएली लोगों को दिखाऊँगा कि मैं गौरवशाली हूँ।”

Chapter 47

    

1 यहोवा यह भी कहते हैं, “तुम हे बाबेल के लोगों,

         तुमको जा कर धूल में बैठना चाहिए,

     क्योंकि अन्य देशों पर शासन करने का तुम्हारा समय लगभग समाप्त हो गया है।

     लोग फिर कभी भी यह नहीं कहोगे कि बाबेल

         एक बहुत ही आकर्षक युवा स्त्री के समान सुन्दर है।

     2 तुम दास होओगे, इसलिए भारी पत्थरों को ले कर

         दास स्त्रियों के समान अनाज पीसो।

     अपने सुन्दर आवरणों को उतार डालो

         और अपने कपड़े को उतार डालो जब तुम वहाँ जाने के लिए धाराओं को पार करने के लिए तैयार होते हो जहाँ जाने के लिए तुमको विवश किया जाएगा।

     3 तुम नंगे और बहुत लज्जित होओगे।

         मैं तुमसे प्रतिशोध लूँगा और तुम पर करुणा नहीं करूँगा।”

     4 वह जो हम यहूदा के लोगों को स्वतन्त्र करते हैं, जिसे हम ‘स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा’ कहते हैं,

         वही इस्राएल के एकमात्र पवित्र हैं।

     5 यहोवा कहते हैं, “तुम हे बाबेल के लोगों,

         अन्धकार में चुप चाप बैठ जाओ,

     क्योंकि कोई भी फिर कभी यह नहीं कहेगा कि तुम्हारा शहर एक ऐसी रानी के समान है जो कई साम्राज्यों का शासन करती है।

     6 मैं उन लोगों से क्रोधित था जो मेरे हैं,

         और मैंने उन्हें दण्डित किया।

     मैंने तुम बाबेल के लोगों को उनको जीतने की अनुमति दी।

     परन्तु जब तुमने उन्हें जीत लिया, तो तुमने उनके प्रति दया से कार्य नहीं किया।

         तुमने वृद्ध लोगों पर भी अत्याचार किया।

     7 तुमने कहा, ‘हम अन्य राष्ट्रों पर सदा के लिए शासन करेंगे;

         ऐसा लगता है कि मानों हमारा शहर सदा के लिए संसार की रानी होगा!’

     परन्तु तुमने उन कार्यों के विषय में नहीं सोचा जो तुम कर रहे थे,

         या इसके विषय में नहीं सोचा कि परिणाम क्या होगा।

     8 तुम बाबेल के लोग जो सुख का आनन्द लेते हो और जो सुख-विलास में रहते हो,

         इसे सुनो:

     तुमने ऐसे व्यवहार किया जैसे कि मानों तुम देवता थे, यह कहते हुए, “मैं विशेष हूँ, और मुझसे उत्तम कोई भी नहीं है,”

     हमारी कोई भी स्त्री कभी विधवा नहीं होगी,

         और हमारे बच्चों में से कोई भी युद्धों में कभी नहीं मारा जाएगा।’

     9 परन्तु वे दोनों बातें अचानक तुम्हारे साथ घटित होंगी:

         तुम्हारी कई स्त्रियाँ विधवा हो जाएँगी

         और तुम्हारे कई बच्चे मर जाएँगे,

     भले ही तुम बुरी बातों को होने से रोकने के लिए बहुत अधिक टोने और कई प्रकार के तन्त्र मन्त्र के कार्य करते हो।

     10 भले ही तुम कई दुष्ट कार्य कर रहे थे तुमने सुरक्षित महसूस किया,

         और तुमने कहा, ‘कोई भी नहीं देख पाएगा कि हम क्या कर रहे हैं!’

     तुमने सोचा था कि तुम बहुत बुद्धिमान और कई बातों के जानने वाले थे,

         और तुमने कहा, ‘हम देवता हैं, और हमारे जैसे कोई अन्य नहीं हैं,’

         परन्तु तुमने स्वयं को धोखा दिया।

     11 इसलिए तुम भयानक बातों का सामना करोगे,

         और तुम तन्त्र मन्त्र के कार्य करके उन्हें रोकने में सक्षम नहीं होओगे।

     तुम विपत्तियों का सामना करोगे,

         और तुम उन बातों को होने से रोकने के लिए किसी भी जादूगर को भुगतान कर पाने में सक्षम नहीं होओगे।

     अचानक विनाश तुझ पर आ पड़ेगा,

         कुछ ऐसा जिसे तुम जान नहीं पाओगे कि होने वाला है।

     12 इसलिए अपने सब जादूगरी के मन्त्र प्रदर्शन करना जारी रखो!

         कई प्रकार के जादूगरी के कार्यों को करते रहो जिनको तुम कई वर्षों से कर रहे हो!

     हो सकता है उन कार्यों को करना तुमको सफल होने में सक्षम करेगा;

         हो सकता है तुम अपने शत्रुओं से स्वयं से डराने में सक्षम होओगे!

     13 परन्तु जो कुछ तुमने किया है, जो जादूगरों ने तुमको करने के लिए कहा है वह सब कुछ करने से यह हुआ है कि तुम थक गए हो!

     जो सितारों को देखते हैं, हर नए चँद्रमा की घोषणा करते हैं, भविष्यद्वाणी करते हैं कि क्या होगा

         उन लोगों को आगे आना चाहिए और तुमको उन विपत्तियों से बचाना चाहिए जिनका तुम सामना कर रहे हो।

     14 परन्तु वे ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि वे आग में जलते हुए पुआल के समान हैं;

         वे आग में जलाए जाने से स्वयं को बचा नहीं सकते हैं।

     वे तुम्हारी सहायता करने में असमर्थ हैं;

         वे जल जाने वाले भूसे के समान बेकार हैं, परन्तु वह आग उन्हें गर्माहट का आनन्द लेने के बजाए जला देगी।

     15 और जिनके साथ तुम ईमानदारी से कार्य किया करते थे और जिनके साथ जवानी के समय में तुमने यात्रा की थी और व्यापार किया था, वे तुमको निराश करेंगे,

     और अब भी वे सब अपने मूर्खतापूर्ण कार्यों को करते रहते हैं;

         और जब तुम सहायता के लिए पुकारते हो, तो वहाँ ऐसा कोई भी नहीं होता है जो तुम्हारी सहायता कर सकता है।”

Chapter 48

    

1 हे याकूब के वंशजों,

         जो यहूदा के वंशज भी हैं और अब उन्हें इस्राएल के लोग कहा जाता है,

         यहोवा की बात सुनो!

     तुम यहोवा के नाम का उपयोग करके गम्भीर प्रतिज्ञा करते हो,

         और तुम अनुरोध करते हो कि जिस परमेश्वर के तुम इस्राएली लोग हो, वह तुम्हारी सुनेंगे,

         परन्तु तुम ईमानदारी से ऐसा नहीं करते हो।

     2 तुम कहते हो कि तुम यरूशलेम के पवित्र शहर में रहते हो

         और तुम झूठे मन से कहते हो कि तुम उस परमेश्वर पर भरोसा कर रहे हो जिसके तुम इस्राएल के लोग हो,

         वही जो स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा हैं।

     3 “बहुत पहले मैंने भविष्यद्वाणी की थी कि क्या होगा।

         और फिर अचानक, मैंने उन बातों को होने दिया।

     4 मैं जानता था कि तुम लोग बहुत हठीले थे;

         मैं जानता था कि तुम्हारे सिर लोहे या पीतल जितने कठोर थे।

     5 यही कारण है कि बहुत पहले मैंने तुमको उन बातों को बता दिया था।

         उनके घटित होने से बहुत पहले, मैंने घोषणा कर दी थी कि वे घटेंगी,

     इस कारणवश कि जब वे घटीं तो तुम यह नहीं कह सकते थे

         ‘हमारी मूर्तियों ने यह किया;

         हमारी लकड़ी से बनी मूर्ति या हमारी धातु से बनी मूर्ति ने उनको होने दिया है।’

     6 तुमने उन बातों को सुना है जिनकी मैंने भविष्यद्वाणी की थी,

         और अब तुमने देखा है कि वे सब घटित हुई हैं,

     इसलिए तुम इसे क्यों स्वीकार नहीं करते?

     अब मैं तुमको नई बातें बताऊँगा,

         ऐसी बातें जिन्हें तुमने पहले नहीं जाना है।

     7 मैं उन्हें अब होने दे रहा हूँ;

         वे ऐसी बातें नहीं हैं जिन्हें मैंने बहुत पहले किया था।

     इसलिए तुम यह नहीं कह सकते, ‘हम पहले से ही उन बातों के विषय में जानते थे।’

     8 मैं तुमको उन बातों के विषय में बताऊँगा जिनके विषय में तुमने पहले कभी सुना या समझा नहीं है।

         बहुत पहले तुमने मुझ पर ध्यान नहीं दिया था।

     मैं जानता हूँ कि तुम बहुत धोखाबाजी से व्यवहार करते हो;

         तुम्हारे पहली बार एक राष्ट्र बनने के बाद से तुम मुझसे विद्रोह कर चुके हो।

     9 परन्तु मेरे अपने लाभ के लिए, कि मैं सम्मानित किया जाऊँ,

         मैं तुमको तुरन्त दण्डित नहीं करूँगा

         और मैं पूरी तरह से तुमसे छुटकारा नहीं पाऊँगा।

     10 मैंने तुमको शुद्ध किया है, परन्तु उस तरह से नहीं जैसे लोग चाँदी को परिष्कृत करते हैं।

     इसके बजाए, मैंने तुमको तुम्हारे अशुद्ध व्यवहार से छुटकारा पाने के लिए बहुत पीड़ित होने दिया है,

     11 परन्तु मेरे अपने लाभ के लिए मैं तुमको और अधिक दण्डित करने में देरी करूँगा;

     मैं अपने लाभ के लिए देरी करूँगा,

         कि मेरी प्रतिष्ठा क्षतिग्रस्त न हो।

     मैं किसी भी व्यक्ति या किसी मूर्ति को सम्मानित करने की अनुमति नहीं दूँगा क्योंकि मैं सम्मानित होने के योग्य हूँ।”

     12 “तुम हे याकूब के वंशजों, तुम हे इस्राएल के लोगों जिन्हें मैंने चुना है,

         मेरी बात सुनो!

     केवल मैं ही परमेश्वर हूँ;

         मैं वही हूँ जो सब कुछ आरम्भ करता है और जो सब कुछ समाप्त होने देता है।

     13 मैं वही हूँ जिसने पृथ्‍वी की नींव को रखा है।

         मैंने अपने हाथ से आकाश को फैलाया है।

     और जब मैं सितारों को प्रकट होने के लिए कहता हूँ,

         वे सब वही करते हैं जो मैं उन्हें कहता हूँ।

     14 तुम सबके सब, एक साथ इकट्ठे होकर मेरी बात सुनो।

         तुम्हारी मूर्तियों में से किसी ने भी तुमको यह नहीं बताया है:

     मुझ, यहोवा, ने मेरी सहायता करने के लिए कुस्रू को चुना है,

         और वह बाबेल के साथ वह करेगा जो मैं चाहता हूँ कि वह करे,

         और उसकी सेना बाबेल की सेना को नष्ट कर देगी।

     15 मैंने यह कहा है;

         मैंने कुस्रू को बुलाया है।

     मैंने उसे नियुक्त किया है,

         और वह सब कुछ पूरा करेगा जो वह करने का प्रयास करता है।

16 मेरे निकट आओ और जो मैं कहता हूँ उसे सुनो।

     बहुत पहले मैंने तुमको स्पष्ट रूप से बताया था कि क्या होगा,

         और जब वे बातें घटित हुईं, तो मैं उन्हें होने दे रहा था।”

     और अब यहोवा परमेश्वर और उसके आत्मा ने मुझ, यशायाह भविष्यद्वक्ता को तुमको एक सन्देश देने के लिए भेजा है।

     17 तुमको बचाने वाले यहोवा, हमारे इस्राएलियों के पवित्र परमेश्वर, यही कहते हैं:

         “मैं यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ;

     मैं तुमको सिखाता हूँ कि समृद्ध होने के लिए तुम्हारे लिए क्या महत्वपूर्ण है;

         मैं तुमको निर्देशित करता हूँ और उन चीजों को करने के लिए तुम्हारा नेतृत्व करता हूँ जिनको तुमको करना चाहिए।

     18 मैं आशा करता हूँ कि तुमने मेरे आदेशों पर ध्यान दिया होगा!

         यदि तुमने ऐसा किया होता, तो बातें तुम्हारे लिए ऐसी भली रही होती

         जैसे एक नदी जो धीरे-धीरे बहती है;

     तुम बार-बार ऐसे सफल रहे होते,

         जैसे कि लहरें जो बिना रुके चली आती हैं।

     19 तुम्हारे वंशज समुद्र तट की रेत के किनकों जितने होते

         जिनको कोई भी गिन नहीं सकता है।

     मुझे उन्हें नष्ट करने की आवश्यकता नहीं होती;

         इस्राएल का देश नष्ट नहीं हुआ होता।

     20 हालाँकि, अब मैं तुमको बताता हूँ,

         बाबेल को छोड़ दो!

     बाबेल के लोगों के दास होने से भागो!

     इस सन्देश को प्रसन्नता से प्रचारित करो;

         इसे पृथ्‍वी पर सबसे दूर के स्थानों पर भेजो:

     ‘यहोवा ने इस्राएल के लोगों को मिस्र में दास होने से स्वतन्त्र कर दिया।’

         21 जब वे उन्हें रेगिस्तान के माध्यम से ले गए, तो वे प्यासे नहीं थे,

     क्योंकि उसने चट्टान को खोल दिया

         और उनके पीने के लिए पानी बाहर निकलने दिया।’

     22 परन्तु इस तरह से दुष्टों के लिए बातें भली नहीं होंगी,” यहोवा कहते हैं।

Chapter 49

    

1 तुम सब लोग जो समुद्र में द्वीपों पर और अन्य दूर के क्षेत्रों में रहते हो,

         जो मैं कहूँगा उस पर ध्यान दो!

     यहोवा ने पैदा होने से पहले मुझे बुलाया;

         जब मैं अभी अपनी माँ के गर्भ में ही था उन्होंने मुझे चुन लिया।

     2 जब मैं बड़ा हुआ, तो उन्होंने मेरे सन्देशों को तेज तलवार के समान बना दिया।

     उन्होंने अपने हाथ से मेरी रक्षा की है।

         वह मुझे ऐसे बचाते हैं जैसे कोई तेज तीरों को तरकश में संरक्षित करता है।

     3 उन्होंने मुझसे कहा, “आप मेरे इस्राएली लोगों की सेवा करोगे,

         और आप लोगों से मेरा सम्मान कराओगे।”

     4 मैंने उत्तर दिया, “मेरा कार्य बेकार हो गया है;

         मैंने अपनी शक्ति का उपयोग किया है, परन्तु मैंने कुछ भी सार्थक प्राप्त नहीं किया है;

         जो कुछ मैंने किया है वह व्यर्थ हो गया है।

     हालाँकि, यहोवा प्रसन्न होने पर मुझे सम्मानित कर सकते हैं;

         मेरे परमेश्वर वही हैं जो मुझे मेरे योग्य पुरस्कार देंगे।”

     5 यहोवा ने मुझे बनाया जब मैं अपनी माँ के गर्भ में था कि मैं उनकी सेवा करूँगा;

         उन्होंने मुझे इस्राएल के लोगों को उसके पास वापस लाने के लिए नियुक्त किया।

     यहोवा ने मुझे सम्मानित किया है,

         और वही हैं जिन्होंने मुझे मजबूत होने दिया है।

     6 वह मुझसे कहते हैं,

     “फिर से मेरी आराधना करने के लिए याकूब के वंशजों को वापस लाने के द्वारा मेरी सेवा करना

         आपके लिए पर्याप्त नहीं है;

     मैं यह भी चाहता हूँ कि आप गैर-इस्राएली लोगों के लिए प्रकाश के समान बनो;

         मैं चाहता हूँ कि आप मेरे सन्देश को संसार भर के लोगों के पास ले कर जाओ जो इस विषय में है कि कैसे बचा जाए।”

     7 यहोवा, वह जो हमें बचाते हैं,

         हम इस्राएली लोगों के पवित्र परमेश्वर,

     उस व्यक्ति से कहते हैं जो कई राष्ट्रों के लोगों द्वारा तुच्छ और अस्वीकार कर दिया गया था,

         उससे जो शासकों का दास है,

     “किसी दिन तुमको देखते ही राजा तुम्हारे सम्मान के लिए खड़े होंगे,

         और राजकुमार तुम्हारे सामने झुकेंगे

     क्योंकि तुम मुझ, यहोवा, की सेवा करते हो जो विश्वासयोग्यता के साथ वह करते हैं जो मैं वादा करता हूँ।

         मैं पवित्र परमेश्वर हूँ जिसके तुम इस्राएली हो, वही जिन्होंने तुमको चुना है।”

8 यहोवा यह भी कहते हैं:

     “उस समय मैं तुम्हारी प्रार्थनाओं का उत्तर दूँगा, जब यह मुझे प्रसन्न करती हैं।

         उस दिन मैं तुम्हारी सहायता करूँगा जब मैं तुमको तुम्हारे सताने वालों से बचाता हूँ।

     मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा और अन्य देशों के साथ एक समझौता स्थापित करने में तुमको सक्षम करूँगा।

         और जो तुम करते हो, उसके द्वारा मैं तुम्हारे इस्राएल राष्ट्र को फिर से स्थापित करूँगा

     और तुमको तुम्हारे देश में फिर से रहने की अनुमति दूँगा जिसे त्याग दिया गया था।

     9 जिन्हें पकड़ कर बन्धुआई में ले जाया गया था तुम उन लोगों से कहोगे,

         ‘बाबेल को छोड़ दो और अपने देश लौट जाओ!’

     और जो अँधेरी बन्दीगृहों में हैं तुम उन लोगों से कहोगे,

         ‘बाहर प्रकाश में आओ!’

     जब ऐसा होता है, तो वे फिर से उन भेड़ों के समान होंगे

         जो हरी चारागाहों में घास खाती हैं,

         जहाँ पहाड़ियों पर पहले कोई घास नहीं थी।

     10 वे बिलकुल भी भूखे या प्यासे नहीं होंगे;

         गर्म सूरज फिर से उन पर थपेड़े नहीं मारेगा।

     मैं, यहोवा, उनके प्रति दया से कार्य करूँगा और उनका नेतृत्व करूँगा;

         मैं उस स्थान के लिए उनका नेतृत्व करूँगा जहाँ ठण्डे पानी के सोते हैं।

     11 और मैं पर्वतों को ऐसा बना दूँगा जैसे मानों वे समतल सड़कें थीं,

         और मैं अपने लोगों के लिए यरूशलेम लौटने को यात्रा करने के लिए अच्छे राजमार्ग तैयार करूँगा।

     12 मेरे लोग दूर स्थानों से लौट आएँगे;

         कुछ उत्तर से आएँगे, कुछ पश्चिम से,

         कुछ दक्षिणी मिस्र से।”

     13 यहोवा ने जो करने की प्रतिज्ञा की है, उसके कारण

     हर एक वस्तु को प्रसन्नता से चिल्लाना चाहिए—

         आकाश और पृथ्‍वी और पर्वतों को गाना चाहिए,

         क्योंकि यहोवा अपने लोगों को आराम देते हैं,

     और वह पीड़ित लोगों पर दया करेंगे।

     14 यरूशलेम के लोग कहते हैं,

     “यहोवा ने हमें छोड़ दिया है;

         वह हमारे विषय में भूल गए हैं।”

     15 परन्तु यहोवा उत्तर देते हैं,

     “यह सच नहीं है! क्या कोई स्त्री अपने दूध पीने वाले बच्चे को भूल सकती है?

         क्या वह उस बच्चे के प्रति दयालु रीति से कार्य करना बन्द कर सकती है जिसे उसने जन्म दिया है?

     परन्तु भले ही यदि कोई स्त्री ऐसा कर देगी,

         मैं तुमको नहीं भूलूँगा!

     16 ध्यान दो कि मैंने तुम्हारे नाम मेरे हाथों की हथेलियों पर लिखे हुए हैं;

         मैं तुम्हारे शहर की दीवारों को सदा देख रहा हूँ।

     17 शीघ्र ही तुम्हारे बच्चे वहाँ लौट आएँगे,

         और वे सब लोग चले जाएँगे जिन्होंने तुम्हारे शहर को नष्ट किया है।

     18 तुम चारों ओर दृष्टि करोगे और देखोगे

         तुम्हारे सब बच्चे तुम्हारे पास वापस आ रहे हैं।

     निश्चित रूप से जैसा कि मैं जीवित हूँ,

         वे तुम्हारे द्वारा लोगों को दिखाने के लिए तुम्हारे साथ रहेंगे

         जिस प्रकार एक दुल्हन अपने विवाह के गहने दिखाती है!

     19 तुम्हारा देश नष्ट हो गया है और उजाड़ कर दिया गया है,

         परन्तु किसी दिन यह लोगों से भर जाएगा,

         और जो लोग तुमको जीत चुके हैं वे बहुत दूर होंगे।

     20 तुम्हारे बन्धुआई में रहते समय जो बच्चे पैदा हुए थे, वे यरूशलेम लौट आएँगे और कहेंगे,

         ‘यह शहर हमारे लिए बहुत छोटा है;

         हमें रहने के लिए और अधिक जगह चाहिए!’

     21 तब तुम स्वयं सोचोगे,

         ‘यह आश्चर्यजनक है कि हमारे पास यह सब बच्चे हैं!

     हमारे अधिकांश बच्चे मर गए थे,

         और बाकी बन्धुआई में गए थे।

         हम यहाँ अकेले रह गए थे;

     इसलिए हम नहीं जानते कि यह सब बच्चे कहाँ से आए हैं!

         किसने उन्हें पाला है?’”

22 यहोवा हमारे परमेश्वर यही कहते हैं:

     “देखो! ऐसा लगता है कि मानों मैं उन लोगों को संकेत करने के लिए अपना हाथ उठाऊँगा जो इस्राएली नहीं हैं।

         और वे तुम्हारे छोटे-छोटे पुत्रों और पुत्रियों को अपने कंधों पर उठा लेंगे

         और उन्हें वापस तुम्हारे पास लाएँगे।

     23 राजा तुम्हारी सेवा करेंगे और तुम्हारे बच्चों को प्रशिक्षित करेंगे,

         और उनकी रानियाँ तुम्हारे छोटे बच्चों की देखभाल करेंगी।

     वे तुम्हारे सामने दण्डवत् किए रहेंगे

         और तुम्हारे पैरों की धूल चाटेंगे।

     जब ऐसा होता है, तो तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ;

         और जो मुझ पर भरोसा करते हैं वे कभी निराश नहीं होंगे।”

     24 कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो एक सैनिक से मूल्यवान चीजें छीन सके जिन चीजों पर उसने युद्ध में अधिकार किया है;

         कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो एक तानाशाह को उन लोगों को स्वतन्त्र करने के लिए विवश कर सके जिन्हें उसने बन्धक बना लिया है।

25 परन्तु यहोवा यह कहते हैं:

     “किसी दिन, जिनको बन्धक बना लिया गया है वे स्वतन्त्र हो जाएँगे,

         और तानाशाह ने जिन मूल्यवान चीजों को दूसरों से छीन लिया है वे वापस कर दी जाएँगी,

     क्योंकि मैं उन लोगों के विरुद्ध लड़ूँगा जो तुम्हारे विरुद्ध लड़ते हैं,

         और मैं तुम्हारे बच्चों को बचाऊँगा।

     26 और मैं तुम्हारे शत्रुओं को

         दूसरों की हत्या के बजाए उनका स्वयं का नाश करने दूँगा।

     जब ऐसा होता है, तो संसार में हर कोई यह जान लेगा कि वह मैं, यहोवा, ही हूँ जो तुमको बचाते हैं,

         वही जो तुम्हारे शत्रुओं से तुमको बचाते हैं;

         हर कोई यह जान लेगा कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ जिसके लोग तुम याकूब के वंशज हो।”

Chapter 50

1 यहोवा यह भी कहते हैं:

     “तुम हे इस्राएली लोगों, ऐसा मत सोचो कि मैंने तुम्हारे माता-पिता को बाबेल में बन्धुआई में जाने के लिए विवश किया था

         जैसे कुछ पुरुषों अपनी पत्नियों को

     उन्हें एक दस्तावेज देने के बाद छोड़ दिया है

         जिस पर वे कहते हैं कि वे उन्हें तलाक दे रहे थे!

     मैंने निश्चित रूप से तुमसे ऐसे व्यक्ति के समान छुटकारा नहीं पाया जो उधार चुकाने के पैसों के लिए अपने बच्चों को बेच देता है।

     नहीं, मेरा तुमको बन्धुआई में भेजने के लिए विवश करने का कारण

         तुम्हारे द्वारा किए गए पापों के कारण तुमको दण्डित करना था।

     2 जब मैं तुमको बचाने के लिए तुम्हारे पास आया था,

         जब मैंने तुमको पुकारा तो किसी ने भी उत्तर क्यों नहीं दिया?

     क्या तुमको वापस मोल लेने और घर ले जाने के लिए वहाँ कोई नहीं था?

         क्या तुमको लगता है कि मेरे पास तुमको बचाने की शक्ति नहीं है?

     इस विषय में सोचो:

         मैं समुद्र से बात कर सकता हूँ और इसे सुखा सकता हूँ!

     मैं नदियों को रेगिस्तान बना सकता हूँ

         जिसके परिणामस्वरूप नदियों में मछली प्यास और सड़न से मर जाती है।

     3 मैं आकाश को अन्धकारमय बन देता हूँ,

         जैसे कि मानों यह काले कपड़े पहने हुए किसी मर चुके मनुष्य के लिए शोक कर रहा था।”

     4 हमारे परमेश्वर यहोवा ने मुझे उसके लिए बोलना सिखाया है,

         कि मैं थके हुए लोगों को प्रोत्साहित कर सकूँ।

     हर सुबह वह मुझे जागते हैं,

         कि मैं सुन सकूँ कि वह मुझे क्या सिखाते हैं।

     5 हमारे परमेश्वर यहोवा ने मुझसे बात की है,

         और जो कुछ उन्होंने मुझे बताया वह मैंने अस्वीकार नहीं किया है;

         मैंने इसे स्वीकार कर लिया है।

     6 मैंने लोगों को मेरी पीठ पर मुझे मारने की

         और मेरी दाढ़ी के बालों को खींचने की अनुमति दी क्योंकि उन्होंने मुझसे घृणा की थी।

     मैं उनसे दूर नहीं चला गया

         जब उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया और मुझ पर थूका।

     7 परन्तु क्योंकि प्रभु यहोवा मेरी सहायता करते हैं,

         इसलिए मुझे कभी अपमानित नहीं किया जाएगा।

     इसलिए मैं कठिनाईयों का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूँ,

         और मुझे पता है कि कुछ भी मुझे लज्जित नहीं होने देंगे।

     8 परमेश्वर मेरे समीप हैं; वह दूसरों को दिखाएँगे कि मुझे उस पर विश्वास करने का अधिकार है,

         इसलिए यदि कोई मेरे सामने खड़ा है और अदालत में मुझ पर आरोप लगाता है,

         तो वह यह दिखाने में सक्षम नहीं होगा कि मैंने कुछ भी गलत किया है।

     9 प्रभु यहोवा मुझे अदालत में बचाते हैं,

         इसलिए कोई भी मेरी निन्दा करने में सक्षम नहीं होगा।

     जो लोग मुझ पर आरोप लगाते हैं वे सब

         पुराने कपड़े के समान गायब हो जाएँगे जिसे पतंगों द्वारा खा लिया गया है।

     10 यदि तुम यहोवा का सम्मान करते हो

         और वह करते हो जो उनके दास तुमको करने के लिए कहते हैं,

     तो भले ही यदि तुम अँधेरे में चल रहे हो, और ऐसा लगता है कि कोई प्रकाश नहीं है,

         तुम्हारी सहायता करने के लिए अपने परमेश्वर यहोवा पर भरोसा करो; उस पर निर्भर रहो।

     11 परन्तु तुम लोग जो अपनी आग जला कर,

         और अपनी स्वयं की जलती मशालें ले कर मेरा विरोध करते हो:

     आगे बढ़ो और अपने ज्ञान के अनुसार जीयो,

         उसके अनुसार जो तुमको लगता है कि सबसे अच्छा है।

     यहोवा तुमको बताते हैं कि तुम्हारे साथ क्या होगा:

         वह तुमको बड़ी पीड़ा में मर जाने वाला कर देंगे!

Chapter 51

    

1 यहोवा कहते हैं, “तुम लोग जो धार्मिक रूप से कार्य करना चाहते हैं,

         जो वह करना चाहते हो कि जो मैं चाहता हूँ तुम करो,

     मेरी बात सुनो!

         अब्राहम के विषय में सोचो!

         ऐसा लगता है कि मानों वह एक विशाल चट्टान था;

     और जब तुम इस्राएल के लोग एक राष्ट्र बन गए,

         यह ऐसा था जैसे मानों मैंने तुमको उस चट्टान से पत्थरों के समान काटा था।

     2 अपने पूर्वजों अब्राहम और उसकी पत्नी सारा के विषय में सोचो, जिनमें से तुम सभी वंशज आए हो।

         जब मैंने पहली बार अब्राहम से बात की,

     उसके पास कोई बच्चा नहीं था।

         परन्तु जब मैंने उसे आशीर्वाद दिया, तो उसके पास बड़ी संख्या में वंशज थे।

     3 किसी दिन मैं, यहोवा, अब्राहम के वंशजों को फिर से प्रोत्साहित करूँगा,

         और मैं उन सभी लोगों को सांत्वना दूँगा जो यरूशलेम के खण्डहरों में रहते हैं।

     उस क्षेत्र में रेगिस्तान अदन के समान बन जाएँगे;

         यह यहोवा के बगीचे के समान होगा।

     सभी लोग आनन्दित और आनन्दित होंगे;

         वे मुझे धन्यवाद देंगे और गाएँगे।

     4 हे यहूदा के मेरे लोगों, ध्यानपूर्वक मेरी बात सुनो,

         क्योंकि मैं तुमको मेरे नियमों का प्रचार करने का आदेश देता हूँ;

     वह धार्मिक कार्य जो मैं करूँगा वह सभी राष्ट्रों के लोगों के लिए एक प्रकाश के समान होंगे। 5 मैं शीघ्र ही तुमको और उन्हें बचाऊँगा;

         मेरी शक्ति से मैं पृथ्‍वी के लोगों पर शासन करूँगा और उन्हें आशीर्वाद दूँगा।

     जो लोग पृथ्‍वी पर सबसे दूर के देशों में रहते हैं, वे मेरी सहायता करने के लिए प्रतीक्षा करेंगे।

     6 आकाश को देखो,

         और पृथ्‍वी को देखो;

         देखो कि अब वे किसके समान हैं,

     क्योंकि किसी दिन आकाश धुएँ के समान गायब हो जाएगा,

         और पहने हुए पुराने कपड़े उतारे जाने के समान पृथ्‍वी को उतार दिया जाएगा,

         और पृथ्‍वी पर लोग मक्खियों के समान मर जाएँगे।

     परन्तु मैं तुमको बचाऊँगा, और तुम सदा के लिए स्वतन्त्र रहोगे,

         और हर कोई जान जाएगा कि मैं क्या करता हूँ और मैं सदा वही कार्य करूँगा जो सही हैं।

     7 तुम लोग जो जानते हो कि कौन से कार्य करना सही है,

         और जो अपने अंतर्मन में जानते हो कि मेरे नियमों में क्या लिखा गया है,

     मेरी बात सुनो!

         उन लोगों से मत डरो जो तुमको तंग करते हैं;

         परेशान न हो जब लोग तुमको भ्रमित करते हैं,

     8 क्योंकि किसी दिन वे

         उन कपड़ों के समान नष्ट हो जाएँगे जिनको पतंगों ने खा लिया है,

     ऊनी वस्त्रों के समान जिसे कीड़े द्वारा खाया गया है।

         और हर कोई जान जाएगा कि मैं क्या करता हूँ और मैं सदा वही कार्य करूँगा जो सही हैं;

         और मैं तुमको बचाऊँगा, और तुम सदा के लिए बचाए जाओगे।”

     9 हे यहोवा, उठिए और हमारे लिए कुछ करिए!

         हमें दिखाइए कि आप कितने मजबूत हैं!

     शक्तिशाली कार्य कीजिए

         जैसे आपने बहुत पहले किए थे,

         जब आपने रहब, समुद्री राक्षस को मारा, और इसे टुकड़े-टुकड़े कर दिया।

     10 निश्चित रूप से आप ही हैं जिसने समुद्र को सूखा दिया,

     और उस गहरे पानी के माध्यम से एक रास्ता बनाया

         कि आपके लोग इसे पार कर सकें!

     11 और वे जिन्हें यहोवा बाबेल में बन्धुआ होने से बचाएगा

         इसी तरह गीत गाते हुए यरूशलेम में वापस आ जाएँगे।

         उनके मन सदा के लिए ऐसे आनन्दित रहेंगे जैसे उनके सिरों पर एक मुकुट रखा है।

     वे दुखी नहीं होंगे या शोक नहीं करेंगे;

         वे पूरी तरह से आनन्दित और आनन्दित होंगे।

     12 यहोवा कहते हैं,

         “मैं वही हूँ जो तुमको प्रोत्साहित करता है।

     इसलिए तुम मनुष्यों से डरते क्यों हैं

         जो घास के समान सूख कर गायब हो जाएँगे?

     13 तुमको मुझ, यहोवा, को भूलना नहीं चाहिए जिन्होंने तुम्हारे राष्ट्र को बनाया है,

         वही जिन्होंने आकाश को फैलाया

         और पृथ्‍वी की नींव रखी।

     तुमको उन लोगों से डरना नहीं चाहिए जो तुमसे क्रोधित हैं

         और तुमको नष्ट करना चाहते हैं।

     तुमको अब उनसे डरना नहीं चाहिए,

         क्योंकि वे क्रोध करने वाले लोग अब गायब हो गए हैं!

         14 शीघ्र ही तुम लोग, जिन्हें तुम्हारे शत्रुओं ने बाबेल में दास बनाया है, स्वतन्त्र हो जाओगे!

     तुम बन्दीगृह में नहीं रहोगे, और तुम भूख से मर नहीं जाओगे,

     15 क्योंकि मैं यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ,

         वह जो समुद्र को हिलाता है और लहरों को गर्जन करने देता है;

         मैं, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा हूँ!

     16 मैंने तुमको प्रचार करने के लिए अपना सन्देश दिया है,

         और मैंने अपने हाथ से तुमको सुरक्षित रखा है।

     मैंने आकाश को फैलाने के लिए

         और पृथ्‍वी की नींव रखने के लिए यह किया है।

     और मैंने तुम इस्राएलियों से कहने के लिए यह किया है,

         ‘तुम मेरे लोग हो!’”

     17 तुम हे यरूशलेम के लोगों, उठो!

         तुमने यहोवा द्वारा तुमको गम्भीर रूप से दण्डित करने को अनुभव किया है।

     यहोवा ने तुमको बहुत पीड़ा

         और विपत्ति का अनुभव करने दिया है।

     यहोवा ने तुमको यह प्याला पीने के लिए दिया, परन्तु यह यहोवा का प्याला था!

         उसने तुमको उस बड़े प्याले से नीचे गिरने वाली हर बूँद कटोरे की तली से पीने के लिए विवश किया। और उस पेय ने तुमको लड़खड़ाने वाला बना दिया जैसे तुमने तेज दाखमधु पी ली थी। यह तेज दाखमधु परमेश्वर के क्रोध का प्रतिनिधित्व करती है, और तुमको इसे पूरा पीना है!

     18 अब तुम्हारे पास कोई संतान नहीं है

     जो तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हारा मार्गदर्शन करने में सक्षम हो। तुम स्वयं की सहायता नहीं कर सकते हैं।

     19 तुमने इन विपत्तियों का सामना किया है:

         तुम्हारा देश उजाड़ हो गया है;

     तुम्हारे शहर नष्ट हो गए हैं;

         भूख से कई लोग मर गए हैं;

         तुम्हारे शत्रुओं की तलवारों से कई लोग मारे गए हैं।

     अब तुम्हारे साथ रोने और तुम्हारे साथ सहानुभूति रखने वाला कोई नहीं है।

     20 तुम्हारे बच्चे हर सड़क के कोने पर बेहोश होकर पड़े हुए हैं;

         वे एक हिरन के समान असहाय हैं जिसे जाल में पकड़ा गया है।

     उनके साथ जो हुआ है उसका कारण यह है कि यहोवा उनसे बहुत क्रोधित हो गए हैं;

         उसने उन्हें गम्भीर रूप से डाँटा है।

     21 इसलिए अब, तुम लोग जो बहुत पीड़ित हैं,

     तुम जो ऐसे अभिनय कर रहे थे जैसे कि तुम नशे में थे क्योंकि तुम उसके प्याले में से पी रहे थे।

         परन्तु वास्तव में, ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि तुमने दाखमधु से भरे प्याले में से पिया है, परन्तु किसी और कारण से है जो यहोवा करेंगे।

     22 यहोवा, तुम्हारे प्रभु और तुम्हारे परमेश्वर,

         वही जो तुम्हारा बचाव करने के लिए तुम्हारे मामले में वादविवाद करते हैं, वह यह कहते हैं:

     “मैंने उस प्याले को दूर कर लिया है जो तुम्हारे प्रति मेरे क्रोध से भरा है,

     और मैंने तुमको अपने क्रोध का अनुभव कराया जब मैंने तुमको उस प्याले से पीने दिया।

     परन्तु अब मैंने इसे तुमसे लिया है कि तुम फिर कभी इससे नहीं पीओगे।

     23 इसके बजाए, मैं उन लोगों को पीड़ित होने दूँगा जिन्होंने तुमको यातनाएँ दी हैं;

         मैं उन लोगों को गम्भीर रूप से दण्डित करूँगा जिन्होंने तुमको कहा था,

         ‘नीचे लेट जाओ कि हम तुम पर चल सकें;

     अपने पेट के बल लेट जाओ

         कि तुम्हारी पीठ सड़कों के समान हो जिस पर हम चल सकें।’”

Chapter 52

    

1 तुम लोग जो पवित्र शहर यरूशलेम में रहते हो, जागो!

         फिर से मजबूत बनो!

     दिखाओ कि तुम्हारा शहर सुन्दर और गौरवशाली है;

         वे खतनारहित विदेशी, जो यहोवा का सम्मान नहीं करते हैं, फिर कभी भी तुम पर आक्रमण करने के लिए तुम्हारे शहर में प्रवेश नहीं करेंगे।

     2 हे यरूशलेम के लोगों, जहाँ तुम धूल में बैठे हो, वहाँ से उठो,

         और ठीक से बैठ जाओ!

     तुम लोग जो बन्धुआई से लौट आए हो,

         अपनी गर्दन से उन जंजीरों को दूर करो जो बाबेल के लोगों ने तुम्हारी गर्दनों के चारों ओर बाँधी हैं,

3 क्योंकि यहोवा यही कहते हैं:

     “जब तुमको बाबेल में बन्दी के रूप में भेजा गया था,

         ऐसा करने के लिए किसी ने भी भुगतान नहीं किया था।

     इसलिए अब तुम वापस लाए जाओगे,

         और तुम्हारी मुक्ति के लिए किसी को भी कोई पैसा नहीं दिया जाएगा।”

4 यहोवा हमारे परमेश्वर यह भी कहते हैं:

     “बहुत पहले, वहाँ रहने के लिए मेरे लोग मिस्र गए थे।

         बाद में अश्शूर के सैनिकों ने उन पर अत्याचार किया।

5 परन्तु अब क्या हो रहा है इसके विषय में सोचो:

     इस बार बाबेल के लोगों द्वारा मेरे लोगों को फिर से दास बनने के लिए विवश किया जा रहा है। वे मेरे लोगों को पकड़ कर ले गए हैं, परन्तु उन्होंने कभी भी उन्हें बन्दी बनाने का कोई कारण नहीं घोषित किया।

         और बाबेल के शासकों ने घमण्ड किया और उनका मजाक उड़ाया (जैसा कि मैं, यहोवा ने कहा था कि वे करेंगे)

     और संसार के अन्य जाति समूह मेरे नाम के उल्लेख को तुच्छ मानते हैं।

     6 परन्तु उसके बाद, मेरे लोग मुझसे प्रेम करेंगे और मेरा सम्मान करेंगे;

         जब ऐसा होता है, तो वे जान जाएँगे कि वह मैं ही हूँ जिसने कहा था कि ऐसा होगा। वह मैं ही हूँ जो बोलते हैं, और मैं कहता हूँ,

         ‘हाँ, यह यहोवा है जो तुमसे बात कर रहे हैं।’

     7 यह एक अद्भुत बात है कि जब सन्देशवाहक पर्वतों से आते हैं और

         शुभसमाचार लाते हैं,

     परमेश्वर के विषय में समाचार हमें शान्ति दे रहा है और हमें बचा रहा है,

     यह समाचार कि परमेश्वर जिसके हम इस्राएली लोग हैं, अब सब लोगों को राजा के रूप में अपनी शक्ति दिखा रहे हैं!

     8 जो पहरेदार शहर की रक्षा कर रहे हैं वे चिल्लाएँगे और प्रसन्नता से गाएँगे,

         क्योंकि उनके देखते-देखते,

     वे सब यहोवा को यरूशलेम लौटता हुआ देखेंगे।

     9 यरूशलेम नष्ट हो गया था,

         परन्तु जो लोग वहाँ हैं अब उनको प्रसन्नता से गीत गाना आरम्भ कर देना चाहिए,

     क्योंकि यहोवा अपने लोगों को प्रोत्साहित करेंगे;

         वह अपने लोगों को स्वतन्त्र कर देंगे और उन्हें वापस यरूशलेम ले जाएँगे।

     10 यहोवा सब राष्ट्रों को दिखाएँगे कि वह पवित्र और शक्तिशाली हैं।

     पृथ्‍वी पर सबसे दूर के स्थानों के लोग जान जाएँगे

         कि उन्होंने अपने लोगों को बचा लिया है।

     11 इसलिए उन स्थानों को छोड़ दो जहाँ तुमको पकड़ कर ले जाया गया था,

         जहाँ की हर एक वस्तु परमेश्वर के लिए अस्वीकार्य है।

     तुम लोग जो यहोवा के मन्दिर में उपयोग किए जाने वाले सामान को उठाए लिए जा रहे हो,

         वहाँ से निकल कर यरूशलेम को लौट आओ,

         और परमेश्वर की आराधना करने के लिए स्वीकार्य होने के लिए स्वयं को शुद्ध करो।

     12 परन्तु तुम्हारे लिए अचानक से निकल कर जाना,

         भय में भागना आवश्यक नहीं होगा,

     क्योंकि यहोवा तुम्हारे आगे-आगे जाएँगे;

         और वह यात्रा करते समय पीछे की ओर तुम पर आक्रमण किए जाने से भी तुम्हारी रक्षा करेंगे।

     13 ध्यान से सुनो!

         मेरा दास बुद्धिमानी से कार्य करेगा और वह सब कुछ करेगा जो यहोवा चाहते हैं कि वह करे,

     और उनको किसी भी और से अधिक सम्मानित किया जाएगा।

     14 परन्तु जब बहुत से लोग देखते हैं कि उनके साथ क्या हुआ है तो वे चिन्तित होंगे।

         क्योंकि उन्हें बहुत बुरी तरह पीटा गया था, उनका रूप बदल जाएगा;

             लोग बहुत कठिनाई से पहचान पाएँगे कि वह एक मनुष्य है।

     15 परन्तु वह बहुत से राष्ट्रों के लोगों पर शुद्धता का छिड़काव करके उन्हें पवित्र करेंगे;

         यहाँ तक कि राजा भी चुप हो जाएँगे जब वे उसके सामने खड़े होंगे,

     क्योंकि वे किसी ऐसे को देखेंगे जिसके विषय में किसी ने भी उन्हें पहले नहीं बताया था,

         और वे उन बातों को समझेंगे जिन्हें उन्होंने पहले नहीं सुना था।

Chapter 53

    

1 परमेश्वर के दास के विषय में हमने जो कुछ सुना है, उस पर कौन विश्वास करेगा?

         यहोवा अपनी महान शक्ति से जो करते हैं उसे कौन देखेगा?

     2 परमेश्वर के देखते-देखते, उनका दास एक बहुत ही छोटे पेड़ के अंकुर के समान बढ़ेगा,

         एक ऐसे निर्बल युवा पौधे के समान जिसकी जड़ फूट निकली, एक डंठल जो सूखी भूमि में बढ़ रही है।

     उसके विषय में कुछ भी सुन्दर या राजसी नहीं होगा,

         ऐसा कुछ भी नहीं होगा जो हमें उसकी ओर देखने की इच्छा में प्रेरित करे।

     3 लोग उनको तुच्छ जानेंगे और अस्वीकार करेंगे।

     वह बहुत दर्द सहन करेंगे, और वह बहुत पीड़ित होंगे।

         क्योंकि उनका चेहरा बहुत बिगड़ जाएगा, लोग उन्हें देखना नहीं चाहेंगे; वह अब मनुष्यों के समान नहीं दिखाई देंगे;

     लोग उसे तुच्छ जानेंगे और सोचेंगे कि वह कोई ध्यान दिए जाने के योग्य नहीं है।

     4 परन्तु हमारे जीवन के भीतर की बीमारियों के लिए उनको दण्डित किया जाएगा;

         वह हमारे लिए बहुत दर्द सहन करेंगे।

     परन्तु हम सोचेंगे कि उसे परमेश्वर द्वारा दण्डित,

         और अपने पापों के लिए पीड़ित किया जा रहा है।

     5 परन्तु हमारे द्वारा किए गए बुरे कार्यों के कारण लोग उसे छेदेंगे और मार डालेंगे;

     वे हमारे पापों के कारण उसे घायल करेंगे।

         वे उसे मार देंगे कि हमारे साथ चीजें अच्छी हो जाएँ;

     क्योंकि वे उसे कोड़े मारेंगे, इसलिए कि हम ठीक हो जाएँगे।

     6 हम सभी परमेश्वर से ऐसी भेड़ों के समान दूर चले गए हैं जो अपने चरवाहों से दूर भाग गई हैं।

         जो परमेश्वर चाहते हैं हम उन कार्यों को करने के बजाए उससे दूर हो गए हैं कि हम उन कार्यों को करें जो हम चाहते हैं।

     हम दण्डित होने के योग्य हैं, परन्तु यहोवा हमारे सभी पापों के लिए हमारे बजाए उसे दण्डित करेंगे।

     7 उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाएगा और वह पीड़ित होंगे,

         परन्तु वह शिकायत करने के लिए कुछ भी नहीं कहेंगे।

     वे उसे ले जाएँगे जहाँ वे उसे मृत्यु दण्ड देंगे,

         जैसे वे एक मेम्ने को ले वहाँ जाते हैं जहाँ उसे हत्या किया जाएगा।

     और जैसे एक भेड़ अपने ऊन कतरते समय मिमियाती नहीं है,

         वह अपने मारे जाने के समय पर स्वयं को बचाने के लिए कुछ भी नहीं कहेंगे।

     8 उनके गिरफ्तार किए जाने और उन पर मुकद्दमा चलाने के बाद,

         उनको ले जा कर मृत्यु दण्ड दिया जाएगा।

     और उस समय कोई भी उनके विषय में और कुछ नहीं सोच पाएगा।

         क्योंकि वह मर जाएँगे;

         वह हमारे द्वारा किए गए गलत कार्यों के लिए हमारे विरुद्ध श्रापों द्वारा लाए गए सभी दण्ड को प्राप्त करेंगे।

     9 हालाँकि उसने कभी भी कुछ गलत नहीं किया होगा या किसी को धोखा नहीं दिया होगा,

         तो भी लोग उसके शव को दुष्ट लोगों को दफनाए जाने के स्थान पर, और एक धनवान व्यक्ति की कब्र में रखेंगे।

     10 परन्तु यह यहोवा की इच्छा होगी कि वह दु:ख उठाएँगे और पीड़ित होंगे। जब वह तुम्हारे पाप के लिए एक भेंट के रूप में मर जाते हैं,

         तो वह कई सारे लोगों का लाभ करेंगे, जैसे कि वे उनके बच्चे थे;

         मरने के बाद वह एक लम्बे समय तक जीवित रहेंगे और फिर से जीवित हो जाएँगे,

         और जो कुछ भी यहोवा ने योजनाएँ बनाई हैं उनको वह पूरा करेंगे।

         11 जब वह अपने दु:ख उठाए जाने के द्वारा पूरा किए गए कार्यों को देखेंगे,

     तो वह संतुष्ट होंगे।

         और उस, यहोवा के धर्मी सेवक, के साथ जो कुछ भी होगा उसके कारण,

     वह कई लोगों के अपराध को समाप्त कर देंगे,

         क्योंकि वह उनके पापों के लिए अपराध को सहन करेंगे।

     12 तब यहोवा कई लोगों के साथ उस लूट को साझा करेंगे जो उन्होंने अपने शत्रुओं से जीती है।

         उनके दास एक ऐसे राजा के समान होंगे जो अपने सैनिकों के बीच लूट को बाँट देते हैं,

     क्योंकि उन्होंने स्वयं को मरने के खतरे में डाल दिया और वास्तव में मर गए।

         हालाँकि भले ही लोगों ने उनको एक पापी ही माना था,

     उन्होंने कई लोगों के अपराध को हटा दिया,

         और उन्होंने उन लोगों के लिए हस्तक्षेप किया जिन्होंने गलत कार्य किए हैं।

Chapter 54

    

1 यहोवा कहते हैं, “तुम हे यरूशलेम के लोगों, गीत गाना आरम्भ करो!

         तुम जो ऐसी स्त्रियों के समान हो जिन्होंने कभी बच्चों को जन्म नहीं दिया है, ऊँची आवाज से गाओ और प्रसन्नता से चिल्लाओ,

     क्योंकि तुम जो बिना बच्चों वाली ऐसी स्त्रियों के समान हो जिन्हें उनके पतियों द्वारा त्याग दिया गया है, शीघ्र ही उन स्त्रियों की तुलना में तुम्हारे अधिक बच्चे होंगे

         जिनके पास कभी बच्चे नहीं थे।

     2 अपने तम्बू को बड़ा बनाओ;

         उन्हें चौड़ा बनाओ,

         और तम्बू की खूँटियों से उन्हें मजबूती से बाँधो।

     3 तुमको अपने शहर को बहुत बड़ा बनाना होगा

         क्योंकि शीघ्र ही तुम और तुम्हारे वंशज पूरे देश में फैल जाएँगे।

     वे अन्य राष्ट्रों के लोगों को वहाँ से निकल जाने के लिए विवश करेंगे जहाँ वे हैं,

         और तुम फिर से उन शहरों में रहेंगे जिन्हें लोग पहले छोड़ चुके थे।

     4 मत डरो; अब तुम लज्जित नहीं होओगे।

     पहले तुम लज्जित हुए थे क्योंकि तुम्हारे शत्रुओं ने तुमको जीत लिया था

         और तुम्हारे देश को एक विधवा के समान बना दिया गया,

     परन्तु शीघ्र ही तुमको यह स्मरण भी नहीं रहेगा।

     5 मैं, स्वर्गदूतों की सेना का प्रधान, यहोवा, इस्राएल का एकमात्र पवित्र, जो पूरी पृथ्‍वी पर शासन करता है,

     वही जिसने तुमको बनाया है,

         तुम्हारे लिए एक पति के समान होऊँगा।

     6 तुम्हारा राष्ट्र एक ऐसी स्त्री के समान था जिसके पति ने उसे छोड़ दिया था,

         और तुमको बहुत दुखी होना पड़ा;

     तुम एक युवा स्त्री के समान थे

     जिसका विवाह तब ही हो गया था जब वह बहुत छोटी थी,

         और फिर उसके पति ने उसे त्याग दिया।

     7 मैंने तुम यरूशलेम के लोगों को थोड़ी देर के लिए त्याग दिया था,

         परन्तु अब मैं कह रहा हूँ, ‘मैं तुमको वापस ले जाऊँगा।’

     8 मैं थोड़ी देर के लिए तुमसे बहुत क्रोधित था,

         और मैं तुमसे दूर हो गया था।

     परन्तु मैं तुम्हारे प्रति दया से कार्य करूँगा

         और मैं ईमानदारी से सदा तुमसे प्रेम करूँगा।

         मैं, यहोवा, तुम्हारा बचाने वाला, तुमसे यही कहता हूँ।

     9 उस समय के दौरान जब नूह रहता था,

         मैंने गम्भीरता से प्रतिज्ञा की थी कि मैं कभी भी बाढ़ को पृथ्‍वी को ढकने की अनुमति नहीं दूँगा।

     इसलिए अब मैं गम्भीरता से प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं दोबारा तुमसे क्रोधित नहीं होऊँगा और तुमको दण्डित नहीं करूँगा।

     10 भले ही पर्वत और पहाड़ियों हिल जाएँ और गिर पड़ें,

         मैं ईमानदारी से तुमको प्रेम करना बन्द नहीं करूँगा,

     और मैं तुम्हारे लिए चीजों को

         अच्छी तरह होने देने के अपने अनुबन्ध को अस्वीकार नहीं करूँगा।

         मैं, दया से कार्य करने वाला, यहोवा, यही कहता हूँ।

     11 तुम हे यरूशलेम के लोगों, तुम्हारे शत्रुओं ने तुम्हारे प्रति बहुत हिंसक कार्य किए;

         ऐसा लगता था कि मानों तुम्हारे शहर को एक गम्भीर तूफान से पीड़ित किया गया था,

         और किसी ने भी तुम्हारी सहायता नहीं की।

     परन्तु अब मैं फिर से तुम्हारे शहर को फीरोजा पत्थरों से बनवाऊँगा,

         और शहर की नींव को नीलमणि से बनवाऊँगा।

     12 मैं शहर की दीवारों के गुम्मटों को माणिकों से बनवाऊँगा,

         और शहर के सब फाटक और बाहरी दीवारें अन्य बहुत मूल्यवान पत्थरों से बनाई जाएँगी।

     13 वह मैं ही होऊँगा जो तुम्हारे बच्चों को शिक्षा दूँगा

         और तुम्हारे साथ चीजों को अच्छी तरह से होने दूँगा।

     14 न्यायपूर्वक कार्य करने के कारण तुम्हारी सरकार मजबूत होगी;

     कोई भी तुम पर अत्याचार नहीं करेगा;

         तुम डरोगे नहीं,

         क्योंकि तुम्हारे पास ऐसा कुछ भी नहीं आएगा जो तुमको डरा देगा।

     15 यदि कोई सेना तुम पर आक्रमण करती है,

         तो ऐसा इसलिए नहीं होगा क्योंकि मैंने उन्हें ऐसा करने के लिए उकसाया है,

     और तुम पर आक्रमण करने वाले किसी को भी तुम पराजित कर दोगे।

     16 इस विषय में सोचो:

         लोहार बहुत तेज आग बनाने के लिए कोयलों पर हवा धोंकता है

         कि हथियारों का उत्पादन कर पाए जिनका युद्धों में उपयोग किया जा सकता है,

     परन्तु वह मैं ही हूँ जिसने लोहार का उत्पादन किया है!

     और वह भी मैं ही हूँ जिसने अन्य लोगों और शहरों को नष्ट करने वाले लोगों को बनाया है।

     17 तुम उन हथियारों का उपयोग करने वाले सैनिकों द्वारा पराजित नहीं होओगे

         जो उन्होंने तुम पर आक्रमण करने के लिए बनाए हैं,

     और जब अन्य तुम पर आरोप लगाने का प्रयास करते हैं, तो तुम सिद्ध करोगे कि वे गलत हैं, और तुम उन्हें दण्ड पाने के लिए अपराधी ठहरा दोगे।

         यह उन लोगों के लिए इनाम है जो यहोवा की सेवा करते हैं।

     मैं उनकी रक्षा करूँगा और हर किसी को दिखाऊँगा कि वे मुझ पर भरोसा करने के लिए धर्मी हैं;

         मैं, यहोवा, यही प्रतिज्ञा करता हूँ।”

Chapter 55

    

1 “यहाँ आओ! तुम सब लोग, जो बन्धुआई में हो,

         और मेरी बात सुनो!

     यदि तुम प्यासे हो,

         तो अब तुम्हारा मेरे निकट आने और अपना पानी लेने का समय है!

     अब जिनके पास पैसा नहीं था,

         तुम आ सकते हो और मुझसे दाखमधु और दूध मोल ले सकते हो, उत्तम दाखमधु और सबसे अच्छा दूध!

     तुमको जो मुझसे चाहिए उसे प्राप्त कर सकते हो,

         और अब तुम इसे मोल ले सकते हो!

     तुम इसे मोल ले सकते हो भले ही तुम्हारे पास कोई पैसा न हो,

         और भले ही तुम इसे कभी ले पाने में समर्थ नहीं हो पाओ!

     2 तुम उन वस्तुओं को मोल लेने के लिए पैसे क्यों खर्च करते हो जो वास्तव में तुम्हारी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं करती हैं?

     तुम उन वस्तुओं को मोल लेने के लिए पैसे कमाने के लिए कठोर परिश्रम क्यों करते हो जो वास्तव में तुमको संतुष्ट नहीं करती हैं?

     जो मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दो

         और उसे प्राप्त करो जो वास्तव में अच्छा है!

     यदि तुम मेरे पास आते हो, तो तुम वास्तव में अपने हृदय में आनन्दित होओगे।

     3 मेरी बात सुनो और मेरे पास आओ;

         मेरी ओर ध्यान दो, और यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम अपने भीतर नया जीवन पाओगे।

     मैं तुम्हारे साथ एक अनुबन्ध करूँगा

         राजा दाऊद के लिए मेरे प्रेम के समान तुमको ईमानदारी से प्रेम करने के लिए, जो सदा बना रहेगा।

     4 उसने जो किया, उसके कारण मैंने कई जातिसमूहों को अपनी शक्ति दिखाई;

         मैंने उसे कई राष्ट्रों के लोगों पर एक अगुवा और सरदार बनने दिया।

     5 और इसी तरह, तुम अन्य राष्ट्रों के लोगों को तुम्हारे निकट आने के लिए बुलाओगे,

     वह राष्ट्र जिनके विषय में तुमने पहले नहीं सुना है,

         और उन्होंने तुम्हारे विषय में नहीं सुना है;

     और वे तुम्हारे निकट शीघ्र ही से आएँगे

         क्योंकि उन्होंने सुना होगा कि मैं, यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर, इस्राएल के एकमात्र पवित्र, ने तुमको सम्मानित किया है।

     6 यहोवा को जानने की खोज में रहो, जबकि यह करना तुम्हारे लिए अभी भी सम्भव है;

         जबकि वह निकट है, तो यहोवा को पुकारो!

     7 दुष्ट लोगों को अपने दुष्ट व्यवहार को त्याग देना चाहिए,

         और बुरे लोगों को बुरी बातें सोचने से रुक जाना चाहिए।

     उन्हें यहोवा के पास जाना चाहिए,

         और यदि वे ऐसा करते हैं, तो वह उनके प्रति दया से कार्य करेंगे;

     उन्हें यहोवा, उनके परमेश्वर के पास जाना चाहिए,

         क्योंकि वह उन्हें उन सब दुष्ट कार्यों के लिए क्षमा कर देंगे जो उन्होंने किए हैं।

     8 यहोवा यह घोषणा करते हैं कि वह जो सोचते हैं वह उसके समान नहीं है जो तुम सोचते हो,

         और वह जो करते हैं वह तुम्हारे द्वारा किए गए कार्यों से बहुत अलग हैं।

     9 जैसे कि तुम पृथ्‍वी पर रहने वाले लोग कभी आकाश तक नहीं पहुँच सकते हो,

         यहोवा के विचार तुम्हारे सोचने के रीति से कहीं अधिक बड़े हैं।

     उसके रीति सदा तुम्हारे कार्य से अलग होते हैं।

     और इसलिए, तुम यह सुनिश्चित कर सकते हो कि तुम कभी भी यहोवा सोचने के रीतियों के विषय में पूरी तरह समझ नहीं सकते या यहोवा जो करते हैं उसके कारणों को पूरी तरह जान नहीं सकते।

     10 यहोवा आकाश से वर्षा और बर्फ नीचे भेजते हैं,

         और वे भूमि को सींचते हैं।

     जब भूमि नम हो जाती है, तो यह पौधे को अंकुरित करती और बढ़ाती है,

         जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी किसान द्वारा बोए जाने के लिए बीज पैदा करती है और लोगों द्वारा खाए जाने के लिए रोटी बनाने को आटे के लिए अनाज का उत्पादन करती है।

     11 और इसी तरह, जिन कार्यों को मैं करने का प्रतिज्ञा करता हूँ, मैं सदा उन्हें होने दूँगा;

         मेरे प्रतिज्ञा सदा सच हो जाएँगे।

     वे उन कार्यों को पूरा करेंगे जिनके लिए मैंने उनसे कहा था।

     12 यही कारण है कि तुम बाबेल को प्रसन्नता से छोड़ दोगे;

         तुमको शान्ति मिलेगी जब यहोवा तुमको बाहर ले जाते हैं।

     यह ऐसा होगा जैसे मानों पहाड़ियों और पर्वतों ने प्रसन्नता से गीत गाए,

         और खेतों में पेड़ों ने अपने हाथों से ताली बजाई।

     13 कंटीली झाड़ियों और बिच्छू पेड़ों के बजाए,

         तुम्हारे देश में सनोवर के पेड़ और मेंहदी पेड़ उगेंगे।

     जिसके परिणामस्वरूप, लोग यहोवा का और अधिक सम्मान करेंगे;

         और यहोवा जो करते हैं, उसके कारण से सबको स्मरण रहेगा कि उन्होंने क्या प्रतिज्ञा की है, और वे उनका सम्मान करेंगे।”

Chapter 56

1 यहोवा यहूदा के सब लोगों से कहते हैं,

     “उन कार्यों को करो जो उचित और धर्म के हैं,

         क्योंकि मैं शीघ्र ही तुमको बचाने के लिए आऊँगा; मैं शीघ्र ही सबको दिखा दूँगा कि तुम मुझ पर भरोसा करने का लिए धर्मी हो गए हो।

     2 मैं उन लोगों को आशीर्वाद दूँगा जो सब्त के दिनों के विषय में मेरे नियमों का पालन करते हैं।

     मैं उन लोगों को आशीर्वाद दूँगा जो मेरे सब्त के दिनों को पवित्र रखते हैं,

         और जो उन दिनों में कोई कार्य नहीं करते हैं,

         और जो किसी भी तरह की बुराई करने से बचे रहते हैं।

     3 मुझ पर विश्वास करने वाले विदेशियों को ऐसा नहीं कहना चाहिए,

         ‘निश्चित रूप से यहोवा मुझे अपने लोगों से सम्बन्धित होने की अनुमति नहीं देंगे।’

     और नपुंसकों को यह नहीं कहना चाहिए,

         ‘क्योंकि मैं बेढंगा हूँ और बच्चों को पैदा करने में असमर्थ हूँ, इसलिए मैं यहोवा का नहीं हो सकता;

         मैं एक ऐसे पेड़ के समान हूँ जो पूरी तरह से सूख गया है।’

     4 उन्हें यह नहीं कहना चाहिए, क्योंकि मैं, यहोवा, नपुंसकों से यह कहता हूँ

         जो सब्त के विषय में मेरे नियमों का पालन करते हैं,

     और जो मुझे प्रसन्न करने वाले कार्यों को करना चुनते हैं,

         और जो इस्राएली लोगों के साथ की गई वाचा के सभी अन्य नियमों का पालन करते हैं:

     5 मैं लोगों को मेरे मन्दिर की दीवारों के भीतर एक स्मारक रखने दूँगा;

         उस स्मारक के कारण, उन्हें उससे भी अधिक सम्मानित किया जाएगा जो वे तब होते यदि उनके बच्चे होते;

     उन्हें सदा के लिए सम्मानित किया जाएगा।

     6 मैं उन लोगों को भी आशीर्वाद दूँगा जो इस्राएली नहीं हैं

         जो स्वयं को मुझसे जोड़ते हैं,

     जो मेरी सेवा करते हैं और आराधना करते हैं और मुझसे प्रेम करते हैं,

         जो सब्त के विषय में मेरे नियमों का पालन करते हैं,

     और जो इस्राएली लोगों के साथ की गई वाचा के सभी अन्य नियमों का ईमानदारी से पालन करते हैं।

     7 मैं उन्हें यरूशलेम में अपने पवित्र पर्वत पर लाऊँगा,

         और उन्हें मेरे मन्दिर में बहुत प्रसन्न कर दूँगा जहाँ लोग मुझसे प्रार्थना करते हैं,

     और मैं उन बलिदानों को स्वीकार करूँगा जो वे मेरी वेदी पर जलाते हैं और अन्य बलिदानों को जिनको वे चढ़ाते हैं,

         क्योंकि मेरा मन्दिर एक ऐसी इमारत होगी जहाँ सब राष्ट्रों के लोग मुझसे प्रार्थना करते हैं।

     8 मैं, प्रभु यहोवा, वही जो इस्राएल के लोगों को वापस लाऊँगा जिन्हें अन्य देशों में जाने के लिए विवश किया गया है, यह कहता हूँ:

     मैं अन्य देशों से उन लोगों में सम्मिलित होने के लिए कई लोगों को लाऊँगा जिन्हें मैं वापस लाया हूँ।”

     9 “तुम आस-पास के राष्ट्रों, जिनके पास ऐसी सेनाएँ हैं जो जंगल में जानवरों के समान हैं;

         आओ और इस्राएल पर आक्रमण करो!

     10 इस्राएली अगुवों को लोगों की रक्षा के लिए देखरेख रखने वाले कुत्तों के समान होना चाहिए,

         परन्तु ऐसा लगता है कि मानों वे अंधे थे।

     वे कुछ भी नहीं समझते हैं।

         वे सब ऐसे कुत्तों के समान हैं जो भौंक नहीं सकते हैं।

     अजनबी के आने पर अच्छी देखरेख रखने वाले कुत्ते भौंकते हैं,

         परन्तु इस्राएली अगुवे लोगों को चेतावनी नहीं देते हैं कि उनके शत्रु आ रहे हैं।

     इसके बजाए, वे बस लेटे रहना और सोना और सपने देखना चाहते हैं।

     11 और वे लालची कुत्तों के समान हैं;

         जो कुछ भी वे चाहते हैं उन्हें कभी नहीं मिलता है।

     वे लोगों का नेतृत्व करना चाहते हैं, जैसे अच्छे चरवाहे अपने झुण्ड का नेतृत्व करते हैं,

         परन्तु वे अज्ञानी हैं,

         और उनमें से प्रत्येक जो कुछ भी वे करना चाहते हैं वह करता है।

     12 वे एक-दूसरे से कहते हैं, ‘आओ, चलो हम चलकर कुछ मदिरा और अन्य नशीले पेय पीएँ,

         और हमें नशे में चूर हो जाएँ!

     और कल हम और भी अधिक पीने का आनन्द लेंगे।’”

Chapter 57

    

1 धार्मिक लोग मर जाते हैं,

         और कोई इसके विषय में चिन्तित नहीं है।

     धार्मिक लोग मर जाते हैं,

         और कोई भी कारण नहीं समझ पाता है।

     परमेश्वर उन्हें दूर ले जाते हैं कि वे अधिक विपत्तियों को सहन न करें,

         2 और अब उनके पास शान्ति है।

     वे धार्मिक रूप से जीए थे,

         और अब वे अपनी कब्रों में शान्तिपूर्वक आराम करते हैं।

     3 यहोवा कहते हैं, “परन्तु तुम जो जादूगरी के कार्य करते हो, यहाँ आओ!

         तुम जो मूर्तियों की उपासना करते हो,

         मेरी बात सुनो!

     4 क्या तुमको मालूम है कि तुम किसका उपहास कर रहे हो,

         और तुम किसका अपमान कर रहे हो?

         क्या तुमको मालूम है कि तुम किस पर अपनी जीभ बाहर निकाल रहे हो?

     तुम मुझ, यहोवा, का अपमान कर रहे हो!

         तुम अपने पूर्वजों के समान, सदा मेरे विरुद्ध विद्रोह कर रहे हो और सदा झूठ बोल रहे हो।

     5 तुम हर ऊँचे हरे पेड़ के नीचे एक साथ सोने के लिए उत्सुक हो जहाँ तुम अपने देवताओं की उपासना करते हो।

     सूखी नदी के किनारे तुम अपनी मूर्तियों के लिए बलिदान के रूप में अपने बच्चों को मार देते हो,

         और उन्हें चट्टानी गुफाओं में अपनी मूर्तियों के लिए बलिदान के रूप में चढ़ाते हो।

     6 तुम नदी के किनारों से बड़े चिकने पत्थर लेते हो

         और उन्हें अपने देवताओं के रूप में पूजते हो।

     तुम उन पर भेंट स्वरूप दाखमधु डालते हो,

         और तुम भेंट स्वरूप जला देने के लिए उनके पास अनाज लाते हो।

     क्या तुमको लगता है कि मैं उन सब चीजों का आनन्द लेता हूँ?

     7 तुम हर पहाड़ी और पर्वत पर मूर्तियों की वेश्याओं के साथ सोते हो,

         और तुम अपने देवताओं के लिए बलि चढ़ाने को वहाँ जाते हो।

     8 तुमने अपने द्वारों के पीछे और चौखटों पर चिन्ह लगा दिया है,

         और तुमने मुझे छोड़ दिया है।

     तुमने अपने कपड़ों को उतार दिया

         और अपने बिस्तर पर चढ़ गए हो,

     और अपने प्रेमियों को तुम्हारे साथ बिस्तर पर आने के लिए आमन्त्रित किया।

     तुमने उन्हें तुम्हारे साथ सोने के लिए पैसा दिया है,

         और तुमने उनके गुप्त अंगों को देखा है।

     9 तुमने राजाओं को सुगन्धित तेल और ढेर सारा इत्र दिया है,

         और तुमने उपासना करने के लिए अन्य देवताओं की खोज करने के लिए प्रतिनिधियों को दूर के देशों में भेजा;

     यहाँ तक कि तुमने नए देवताओं की खोज करने के लिए मरे हुओं के स्थान पर दूत भेजने की भी प्रयास की।

     10 तुम उन सभी कार्यों को करने के कारण थक गए हो,

         परन्तु तुमने कभी नहीं कहा, ‘ऐसा करना हमारे लिए बेकार है।’

     तुमको मूर्तियों की उपासना करने के लिए नई शक्ति मिली,

         इसलिए तुमने ऐसा करना जारी रखा।

     11 क्या ऐसा इसलिए था क्योंकि तुम उन मूर्तियों से कहीं अधिक डरते थे जितना तुम मुझसे डरते थे कि तुम जो कर रहे थे उसके विषय में तुमने झूठ बोला था,

         और यहाँ तक कि तुम मेरे विषय में सोचते भी नहीं?

     क्या ऐसा इसलिए था कि तुम मुझसे डरते नहीं, क्योंकि मैंने तुमको लम्बे समय तक दण्डित नहीं किया था?

     12 तुमको लगता है कि तुमने जो कार्य किए हैं वे सही हैं,

         परन्तु मैं तुमको सच बताऊँगा:

     यह उन कार्यों में से किसी को भी करने में तुम्हारी सहायता नहीं करेगा।

     13 जब तुम अपने मूर्तियों के संग्रह के आगे सहायता के लिए रोते हो,

         वे तुमको बचाएँगे नहीं।

     हवा उन्हें दूर उड़ा देगी; केवल एक साँस उन सबको दूर ले जाएगी।

         परन्तु जो मुझ पर भरोसा करते हैं वे इस्राएल देश में रहेंगे,

     और वे मेरे पवित्र पर्वत सिय्योन पर मेरी आराधना करेंगे।”

14 यहोवा कहेंगे, “मुझे प्राप्त करने के लिए स्वयं को तैयार करो,

         जैसे लोग एक राजा के आने के लिए सड़क बनाते हैं और तैयार करते हैं।

     उन कार्यों से छुटकारा पाओ जो तुमसे पाप करवा रहे हैं।

     15 क्योंकि मैं यही कहता हूँ - मैं, यहोवा, जो किसी भी और से अधिक पवित्र और सम्मानित हूँ, और जो सदा के लिए जीवित हैं:

     मैं सबसे ऊँचे स्वर्ग में रहता हूँ, जहाँ सब कुछ पवित्र है,

         परन्तु मैं उन लोगों के साथ भी हूँ जो नम्र हैं और जो उन पापपूर्ण कार्यों के लिए खेदित हैं, जो उन्होंने किए हैं।

     मैं उन लोगों को बहुत प्रोत्साहित करूँगा जिन्होंने पश्चाताप किया है।

     16 मैं सदा लोगों पर आरोप नहीं लगाता रहूँगा;

         मैं सदा उनसे क्रोधित नहीं रहूँगा,

     क्योंकि यदि मैंने ऐसा किया, तो लोग निर्बल हो जाएँगे;

         वे सब लोग मर जाएँगे जिनको मैंने बनाया और जीवन दिया।

     17 मैं अपने लोगों से इसलिए क्रोधित था क्योंकि उन्होंने बलपूर्वक दूसरों के सामान को ले लेने के द्वारा पाप किया।

         क्योंकि मैं क्रोधित था, इसलिए मैंने उन्हें दण्डित किया और उनसे दूर हो गया,

         परन्तु उन्होंने पाप करना जारी रखा।

     18 मैंने उन बुरे कार्यों को देखा है जो वे निरन्तर करते रहते हैं,

         परन्तु मैं उन्हें पुनर्स्थापित कर दूँगा और उनका नेतृत्व करूँगा।

     मैं उन्हें प्रोत्साहित करूँगा।

         उन लोगों के लिए जो शोक कर रहे हैं,

         19 मैं उन्हें मेरी प्रशंसा करने के लिए गीत गाने में सक्षम करूँगा।

     मैं अपने सब लोगों को पुनर्स्थापित करूँगा, जो यरूशलेम के पास रहते हैं और जो दूर रहते हैं,

         और मैं उनके लिए चीजों को अच्छी तरह से होने दूँगा।

     20 दुष्ट लोगों को अपने अंतर्मनों में शान्ति नहीं है;

         वे एक ऐसे समुद्र के समान हैं जिनकी लहरें सदा मिट्टी का मंथन कर रही हैं,

     21 और मैं, यहोवा, कहता हूँ कि बुरे लोगों के लिए चीजें कभी भी अच्छी नहीं होगी।”

Chapter 58

1 यहोवा ने मुझसे कहा,

     “जोर से चिल्लाओ!

         ऊँचे शब्द वाली तुरही के समान जोर से चिल्लाओ!

     मेरे इस्राएली लोगों को उनके पापों के विषय में चेतावनी देने के लिए चिल्लाओ!

     2 वे हर दिन मेरी आराधना करते हैं;

         वे मेरे मन्दिर में आते हैं क्योंकि वे कहते हैं कि वे यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि मैं उनसे क्या चाहता हूँ कि वे करें।

     वे ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे कि मानों वे एक ऐसा राष्ट्र थे जो धार्मिक कार्य करता है,

         कि वे कभी भी मेरे, उनके परमेश्वर के आदेशों को त्याग नहीं करेंगे।

     वे मुझसे न्यायपूर्वक मामलों का निपटाने का अनुरोध करते हैं,

         और वे उत्सुक हैं कि मुझे उनके पास आना चाहिए।

     3 वे कहते हैं, ‘हमने आपको आनन्दित करने के लिए उपवास किया है,

         परन्तु आपने हमारे ऐसा करने पर ध्यान नहीं दिया।

     हमने स्वयं को नम्र किया,

         परन्तु आपने कोई ध्यान नहीं दिया!

     मैं तुमको बताऊँगा कि मैंने ध्यान क्यों नहीं दिया।

         ऐसा इसलिए है क्योंकि जब तुम उपवास करते हो,

     तुम इसे स्वयं को आनन्दित करने के लिए करते हो,

         और तुम अपने सभी श्रमिकों के प्रति क्रूरतापूर्वक व्यवहार करते हो।

     4 तुम उपवास करते हो, परन्तु तुम झगड़ा भी करते हो और अपने मुक्कों के साथ एक दूसरे से लड़ते भी हो।

         उपवास के दौरान तुम्हारा इस तरह के कार्य करना, निश्चित रूप से ऊपर स्वर्ग में जहाँ मैं हूँ मुझे तुम्हारी प्रार्थनाओं को सुनने नहीं देगा।

     5 तुम अपने सिरों को झुकाते हो

         जैसे हवा के चलने पर सरकण्डों के शीर्ष झुक जाते हैं,

     और तुम खुरदरे कपड़े पहनते हो और अपने सिरों को राख से ढकते हो जैसे लोग दुख मनाते समय करते हैं।

     जब तुम उपवास करते हो तो तुम यही करते हो,

         परन्तु क्या तुम वास्तव में सोचते हो कि यह मुझे आनन्दित करेगा?

     6 नहीं, यह वह उपवास नहीं है जो मैं चाहता हूँ।

     इसके बजाए तुमको उन लोगों को स्वतन्त्र करने का विचार करना चाहिए जिन्हें बन्दीगृह में अन्यायपूर्ण रूप से रखा गया है,

         और उन लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए जिन्होंने क्रूरतापूर्वक व्यवहार झेला है;

         और उन लोगों को मुक्त करना चाहिए जिन पर किसी भी तरह से अत्याचार किया गया है।

     7 जो भूखे हैं उन लोगों के साथ अपना खाना साझा करना चाहिए

         और जिनके पास कोई घर नहीं है उन लोगों को तुम्हारे घरों में रहने की अनुमति देनी चाहिए।

     जिनके पास कपड़े नहीं हैं उन लोगों को कपड़े देने चाहिए,

         और अपने उन सम्बन्धियों से स्वयं को छिपाना नहीं चाहिए जिन्हें तुम्हारी सहायता की आवश्यकता है।

     8 यदि तुम उन कार्यों को करते हो,

     जो तुम दूसरों के लिए करते हो वह एक ऐसे प्रकाश के समान होगा जो भोर के समय चमकता है।

         तुम्हारे पापों के कारण होने वाली समस्याएँ शीघ्र समाप्त हो जाएँगी।

     दूसरों को तुम्हारे धार्मिक व्यवहार के विषय में पता चलेगा,

         और यहोवा की महिमामय उपस्थिति पीछे से तुम्हारी रक्षा करेगी

         जैसे मैंने इस्राएली लोगों की रक्षा की थी जब उन्होंने मिस्र को छोड़ दिया था।

     9 तब तुम मुझे पुकारोगे,

         और मैं शीघ्र ही से उत्तर दूँगा और कहूँगा, ‘मैं तुम्हारी सहायता करने के लिए यहाँ हूँ।’

     लोगों पर अत्याचार करना बन्द करो;

         लोगों पर झूठा आरोप लगाना बन्द करो;

         और लोगों के विषय में बुरी बातें कहना बन्द करो।

     10 उन लोगों को खाना दो जो भूखे हैं,

         और उन लोगों को वह चीजें दो जिनकी आवश्यक से वे पीड़ित हैं।

     तुम्हारा ऐसा करना उस प्रकाश के समान होगा जो अँधेरे में चमकता है;

         लोगों के साथ बुराई करने के बजाए, तुम जो लोगों के लिए अच्छे कार्य करते हो, वे धूप में छाया के समान होंगे।

     11 यहोवा निरन्तर तुम्हारा मार्गदर्शन करेंगे,

         और तुमको संतुष्ट करने के लिए वह तुमको अच्छी चीजें देंगे।

         वह तुमको मजबूत और स्वस्थ रहने में सक्षम बनाएँगे।

     तुम एक ऐसे बगीचे के समान होओगे जिसे अच्छी तरह से पानी दिया गया है,

         तुम एक ऐसे सोते के समान होओगे जो कभी सूखता नहीं है।

     12 तुम्हारे लोग उन शहरों को फिर से बनाएँगे जो बहुत पहले नष्ट हो गए थे;

         वे पुरानी नींव के ऊपर घरों का निर्माण करेंगे।

     लोग कहेंगे कि वह तुम लोग ही हो जो शहर की दीवारों के छेदों की मरम्मत कर रहे हो,

         और वे जो उन सड़कों की मरम्मत कर रहे हैं जहाँ लोग रहते हैं।

     13 सब्त के दिन यात्रा न करो,

         और सब्त के दिन केवल उन कार्यों को न करो जिनको करने में तुमको प्रसन्नता होती है।

     सब्त के दिनों का आनन्द लो, और उन्हें प्रसन्नता से भरा हुआ मानो।

         सब्त के दिन मेरे पवित्र दिन हैं।

         सब्त के दिनों में जो कुछ भी तुम करते हो उसमें मुझ, यहोवा, का सम्मान करो।

     स्वयं को आनन्दित करने वाले कार्य न करो और उनके विषय में बातें न करो।

         यदि तुम उन सभी कार्यों को करते हो जिनको मैंने अभी तुमको करने के लिए कहा है; तो सुनो, और मैं तुमको बताऊँगा कि मैं तुम्हारे लिए क्या करूँगा।

     14 मैं तुमको आनन्दित होने में सक्षम करूँगा।

         मैं तुमको बहुत सम्मान दूँगा;

     यह ऐसा होगा जैसे मानों तुम मेरे साथ ऊँचे पर्वतों के ऊपर सवारी कर रहे थे!

         मैं तुमको वह आशीर्वाद दूँगा जो मैंने तुम्हारे पूर्वज याकूब को दिए थे।

     यह बातें निश्चित रूप से होंगी क्योंकि मैं, यहोवा, ने यह कहा है।”

Chapter 59

    

1 इसे सुनो! तुमको बचाने के लिए यहोवा की शक्ति बहुत कम नहीं है।

         वह बहरे नहीं बन गए हैं; जब भी तुम सहायता के लिए उसे पुकारते हो तो वह तब भी तुमको सुन सकते हैं।

     2 परन्तु तुम्हारे द्वारा किए गए पापों से तुमने स्वयं को अपने परमेश्वर से अलग कर लिया है।

     तुम्हारे पापों के कारण, वह तुमसे दूर हो गए हैं,

         जिसके परिणामस्वरूप वह उस पर ध्यान नहीं देते हैं जो तुम उससे अनुरोध करते हो।

     3 तुम दूसरों के साथ हिंसक कार्य करते हो,

         जिसके परिणामस्वरूप तुम्हारे हाथ उनके लहू से रंगे हुए हैं।

     तुम निरन्तर झूठ बोलते हो,

         और तुम दूसरों के विषय में बुरी बातें कहते हो।

     4 जब तुम किसी पर अदालत में आरोप लगाते हो, तो तुम जो कहते हो वह उचित नहीं है और यह सच नहीं है।

         तुम लोगों पर झूठा आरोप लगाते हो; तुम जो झूठ बोलते हो उस पर तुम निर्भर करते हो।

     तुम निरन्तर दूसरों के लिए परेशानी पैदा करने की योजना बना रहे हो,

         और फिर तुम उन बुरे कार्यों को करते हो जिनकी तुमने योजना बनाई थी।

     5 लोगों को हानि पहुँचाने के लिए तुम जो करने की योजना बना रहे हो वह एक विषैले साँप द्वारा दिए गए अंडों के समान है, एक ऐसे जाल के समान जिसमें मकड़ी अपने शिकार को पकड़ती है।

         उन अंडों में से कोबरा साँप निकलेगा,

         और मकड़ी के जाल में कीड़े गिर जाएँगे।

     6 तुमने जो बुरे कार्य किए हैं, उसे तुम छिपा नहीं सकते।

     तुम निरन्तर हिंसक कार्य कर रहे हो।

     7 तुम जा कर बुरे कार्यों को करने में बहुत गतिशील हो,

         और तुम निर्दोष लोगों को मारने के लिए उतावले हो।

     तुम निरन्तर पाप करने के विषय में सोच रहे हो।

         जहाँ कहीं भी तुम जाते हो, तुम चीजों को नष्ट करते हो और लोगों को पीड़ित करते हो।

     8 तुम नहीं जानते कि कैसे शान्तिपूर्वक कार्य करना है या दूसरों के साथ निष्पक्षता से व्यवहार करना है।

     तुम सदा बेईमान हो,

         और जो लोग तुम्हारे व्यवहार की नकल करते हैं, उनके भीतर कभी भी कोई शान्ति नहीं होती है।

     9 इसके कारण, परमेश्वर हमें हमारे शत्रुओं से नहीं बचाते हैं,

         ऐसा लगता है कि वह हमारे प्रति निष्पक्षता से कार्य नहीं कर रहे हैं।

     हम परमेश्वर से हमें प्रकाश देने की अपेक्षा करते हैं,

         परन्तु वह हमें केवल अंधेरा ही देते हैं।

     10 हम अंधे लोगों के समान हैं जिन्हें कहीं भी जाने में सक्षम होने के लिए दीवार के सहारे को महसूस करना पड़ता है।

         हम अन्धकार के समय के जैसे दोपहर में ठोकर खाते और गिर जाते हैं।

     हम स्वस्थ लोगों में मरे हुए लोगों के समान हैं।

     11 हम भूखे भालू के समान गरजते हैं;

         हम कबूतरों के समान निरन्तर विलाप भरते हैं।

     हम परमेश्वर से न्यायपूर्ण कार्य करने के लिए कहते हैं,

         परन्तु कुछ भी नहीं होता है।

     हम चाहते हैं कि परमेश्वर हमें बचाएँ,

         परन्तु ऐसा लगता है कि वह बहुत दूर हैं।

     12 परन्तु यह बातें इसलिए हो रही हैं क्योंकि ऐसा लगता है कि मानों परमेश्वर की उपस्थिति में हमारे पापों का ढेर बहुत ऊँचा है,

         और यह वे ही हैं जो हमारे विरुद्ध गवाही देते हैं।

     हम इसे झुठला नहीं सकते;

         हम जानते हैं कि हमने कई गलत कार्य किए हैं।

     13 हम जानते हैं कि हमने यहोवा के विरुद्ध विद्रोह किया है;

         हम उससे दूर हो गए हैं।

     हम उनके विरुद्ध गवाही देने के द्वारा लोगों पर अत्याचार करते हैं;

         हम उनको वह प्राप्त करने की अनुमति नहीं देते हैं जिसे प्राप्त करने का उन्हें अधिकार है।

     हम उन झूठ बातों के विषय में सोचते हैं जो हम बोल सकते हैं,

         और फिर हम उन्हें बोल देते हैं।

     14 हमारी अदालतों में, न्यायधीश मामलों का निर्णय निष्पक्षता से नहीं करते हैं;

         कोई भी धार्मिकतापूर्वक कार्य नहीं कर रहा है।

     चौकों में जहाँ लोग एक साथ इकट्ठे होते हैं, कोई भी सच नहीं बोलता है;

         ऐसा लगता है कि लोगों को सच कहने की अनुमति नहीं है।

     15 कोई भी सच नहीं बोलता है,

         और लोग बुराई छोड़ने वाले लोगों के सम्मान को नष्ट करने का प्रयास करते हैं।

     यहोवा ने चारों ओर देखा, और उन्होंने देखा कि कोई भी धर्म के कार्यों को नहीं कर रहा था;

         वह बहुत अप्रसन्न थे।

     16 वह घृणा से भर गए थे जब उन्होंने देखा कि किसी ने भी उन लोगों की सहायता करने का प्रयास नहीं की जिनके साथ क्रूरता से व्यवहार किया जा रहा था।

         इसलिए उन्होंने उन्हें बचाने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग किया;

     क्योंकि वह सदा धर्मी हैं इसलिए उन्होंने ऐसा किया।

     17 ऐसा लगता है कि मानों वह एक सैनिक थे जिसने अपना कवच और टोप पहन लिया था;

         उनके द्वारा निरन्तर किए जा रहे धर्म के कार्य उनके कवच के समान हैं, और लोगों को बचाने की उनकी क्षमता उनके टोप के समान है।

     उनका बहुत क्रोधित होना और बुराई करने वालों से बदला लेने के लिए उनका तैयार होना उनके वस्त्रों के समान हैं।

     18 वह अपने शत्रुओं को उनके द्वारा किए गए बुरे कार्यों के लिए वापस भुगतान करेंगे।

         यहाँ तक कि वह यरूशलेम से दूर रहने वाले लोगों को भी गम्भीर रूप से दण्डित करेंगे।

     19 जब ऐसा होता है, तो पूर्व से ले कर पश्चिम तक हर जगह के लोग, यहोवा का आदर करेंगे और उसका सम्मान करेंगे,

         क्योंकि वह एक उफनती नदी के समान आएँगे जिसे यहोवा द्वारा भेजी गई तेज हवा से धक्का दिया था।

     20 और यहोवा कहते हैं कि वह अपने लोगों को स्वतन्त्र करने के लिए यरूशलेम आएँगे;

         वह यहूदा में रहने वाले उन लोगों को बचाने के लिए आएँगे जिन्होंने पापपूर्ण कार्य करना बन्द कर दिया है।

21 यहोवा अपने लोगों से यही कहते हैं: “यह वह वाचा है जो मैं तुम्हारे साथ करूँगा: मेरा आत्मा तुमको नहीं छोड़ेगा, और तुम्हारे पास सदा मेरा सन्देश होगा। तुम इसे घोषित करने में सक्षम होंगे, और तुम्हारे बच्चे और नाती-पोते इसे घोषित करने में सदा सक्षम होंगे।”

Chapter 60

    

1 तुम हे यरूशलेम के लोगों, खड़े हो जाओ!

         यहोवा ने तुम्हारे लिए महिमामय कार्य किए हैं,

     और उसने तुम्हारे लिए शक्तिशाली रीति से कार्य किया है;

         इसलिए दूसरों को दिखाएँ कि वह बहुत महान हैं!

     2 परन्तु आध्यात्मिक अन्धकार ने पृथ्‍वी पर अन्य सब जातिसमूहों को ढाँप लिया है,

         पूर्ण अन्धकार,

     परन्तु यहोवा तुमको दिखाएँगे कि वह कितने महान हैं,

         और अन्य लोग इसे भी देखेंगे।

     3 सब जातिसमूहों के लोग उसके द्वारा तुम्हारे लिए किए गए कार्यों को देख कर जान जाएँगे कि वह बहुत महान हैं,

         और बहुत से राजा तुम्हारे साथ हुए अद्भुत कार्यों को देखने आएँगे।

     4 यहोवा कहते हैं, “चारों ओर देखो, और तुम उन लोगों को देखोगे जो बन्धुआई से लौट रहे होंगे!

     तुम्हारे पुत्र दूर देशों से आएँगे;

         अन्य तुम्हारी छोटी पुत्रियों को घर ले आएँगे।

     5 जब तुम यह होते हुए देखते हो,

         तुम अपने अंतर्मनों में बहुत आनन्दित होओगे,

     क्योंकि लोग संसार भर से तुम्हारे लिए मूल्यवान सामान लाएँगे।

         वे जहाजों में कई देशों से मूल्यवान चीजें लाएँगे।

     6 लोग ऊँटों के झुण्डों पर भी तुम्हारे लिए बहुमूल्य वस्तुएँ लाएँगे:

         उत्तरी अरब के मिद्यान और एपा के क्षेत्रों से ऊँट।

     और दक्षिणी अरब के शेबा से वे सोने और लोबान ले कर आएँगे;

         वे सब मुझ, यहोवा स्तुति करने आएँगे।

     7 वे उत्तरी अरब के केदार से भेड़ों और बकरियों के झुण्ड लाएँगे और उन्हें तुमको दे देंगे।

         वे मेरी वेदियों पर बलि चढ़ाने के लिए नबायोत से मेढ़े लाएँगे,

     और मैं उन्हें प्रसन्नता से स्वीकार करूँगा।

         उस समय मैं अपने मन्दिर को बहुत सुन्दरता से सजाया जाने दूँगा।

     8 और वे कौन सी चीजें हैं

         जो बादलों के समान तेजी से चल रही हैं?

     वे अपने घोंसलों पर लौटने वाले कबूतरों के समान हैं।

     9 परन्तु वे वास्तव में तर्शीश के जहाज हैं जो तुम्हारे लोगों को यहाँ वापस ला रहे हैं।

         जब तुम्हारे लोग आते हैं, तो वे उन सब मूल्यवान सम्पत्तियों को उनके साथ लाएँगे जिन्हें उन्होंने प्राप्त किया है,

     और वे मुझ, यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर, इस्राएल के एकमात्र पवित्र, का सम्मान करने के लिए ऐसा करेंगे,

         क्योंकि मैं तुमको बहुत सम्मानित कर दूँगा।

     10 पराए देशों के लोग आएँगे और तुम्हारे शहरों की दीवारों का फिर से निर्माण करेंगे,

         और उनके राजा तुम्हारी सेवा करेंगे।

         हालाँकि मैंने तुमको दण्डित किया क्योंकि मैं तुमसे क्रोधित था,

         यह बातें अब घटित होंगी क्योंकि मैं तुम्हारे प्रति दया से कार्य करूँगा क्योंकि मैं दयालु हूँ।

     11 तुम्हारे शहरों के फाटक दिन के दौरान और रात के दौरान भी खुले रहेंगे,

         कि लोग तुम्हारे शहरों में कई देशों से मूल्यवान चीजें लाने में सक्षम होंगे,

         उनके राजा बन्धुए होकर तुम्हारे पास पहुँचाए जाएँगे।

     12 और जिनके लोग तुमको शासन करने की अनुमति देने से मना करते हैं, वे साम्राज्य और राष्ट्र पूरी तरह से नष्ट हो जाएँगे।

     13 लबानोन की महिमामय चीजें -

         सनोवर के पेड़ और देवदार के पेड़ और सीधे सनोवर के पेड़ की लकड़ी—

     मेरे मन्दिर को सुन्दर बनाने को उपयोग किए जाने के लिए तुम्हारे पास लाई जाएँगी।

         जब यह किया जाता है, तो मेरा मन्दिर वास्तव में गौरवशाली होगा!

     14 जो लोग तुम पर अत्याचार करते हैं, उनके वंशज आएँगे और तुम्हारे सामने घुटने टेकेंगे;

         जो तुमको तुच्छ मानते हैं वे तुम्हारे पैरों में दण्डवत् करेंगे।

     वे कहेंगे कि सिय्योन पर्वत पर तुम्हारा शहर

         यहोवा का शहर है,

         जहाँ इस्राएल के एकमात्र पवित्र रहते हैं।

     15 पहले हर किसी ने तुमसे घृणा की और तुमको अनदेखा किया था,

         परन्तु अब तुम्हारा शहर सदा के लिए राजसी होगा;

     और मैं तुमको सदा के लिए आनन्दित रहने दूँगा।

     16 सब राष्ट्रों के लोग और उनके राजा प्रसन्नता से अपनी सम्पत्ति को तुम्हारे पास लाएँगे।

     जब ऐसा होता है, तो तुम जान जाओगे कि मैं वास्तव में यहोवा हूँ,

         वह जो तुमको बचाते हैं और तुम्हारे शत्रुओं से तुमको छुड़ाते हैं,

         और यह कि मैं ही वह सर्वशक्तिमान हूँ जिसके लोग तुम इस्राएली हो।

     17 उन धातुओं के बजाए जो मूल्यवान नहीं हैं, जैसे पीतल और लोहा,

         मैं तुम्हारे लिए चाँदी और सोना लाऊँगा।

     लकड़ी और पत्थरों के बजाए,

         मैं तुम्हारे पास तुम्हारी इमारतों के लिए पीतल और लोहा लाऊँगा।

     तुम्हारे देश में शान्ति होगी,

         और तुम्हारे शासक उचित कार्यों को करेंगे।

     18 तुम्हारे देश में लोग अब हिंसापूर्वक कार्य नहीं करेंगे,

         और लोग अब तुम्हारे देश को नष्ट नहीं करेंगे और तुमको इससे बाहर नहीं निकाल देंगे।

     शहर में रहने वाले लोग सुरक्षित रहेंगे,

         और हर कोई वहाँ मेरी प्रशंसा करेगा।

     19 और तुमको प्रकाश देने के लिए अब तुमको सूर्य और चँद्रमा की आवश्यकता नहीं होगी,

         क्योंकि मैं, यहोवा, तुमको सूर्य और चँद्रमा से अधिक प्रकाश दूँगा;

     मैं सदा तुम्हारे लिए एक महिमामय प्रकाश होऊँगा।

     20 यह ऐसा प्रतीत होगा जैसे मानों सूर्य और चँद्रमा सदा चमकते रहेंगे,

         क्योंकि मैं, यहोवा, तुम्हारे लिए एक अनन्त प्रकाश होऊँगा।

     तुम्हारे साथ होने वाली बातों के कारण तुम फिर कभी दुखी नहीं होंगे।

     21 तुम्हारे लोग सब धर्मी होंगे,

         और वे सदा के लिए इस देश पर अधिकार करेंगे,

     क्योंकि मैंने स्वयं तुमको वहाँ इस तरह से रखा है जैसे लोग पेड़ लगाते हैं

         कि तुम दूसरों को दिखा पाएँगे कि मैं बहुत महान हूँ।

     22 उस समय, जो बहुत छोटे समूह हैं वे बहुत बड़े कुल बन जाएँगे,

         और छोटे कुल बड़े राष्ट्र बन जाएँगे।

     यह सब चीजें घटित होंगी क्योंकि, मैं, यहोवा, उन्हें सही समय पर घटित होने दूँगा।”

Chapter 61

    

1 हमारे प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है;

         उन्होंने मुझे उन लोगों के पास शुभसमाचार लाने के लिए नियुक्त किया है, जिन पर अत्याचार किए गए हैं,

     उन लोगों को सांत्वना देने के लिए जो निराश हैं,

         और उन सबको स्वतन्त्र करने के लिए जो कि उन गलत कार्यों से बँधे हुए हैं जिनको वे निरन्तर करते हैं।

     2 उन्होंने मुझे शोक करने वालों को यह बताने के लिए भेजा है

         कि अब वह समय है जब यहोवा अपने लोगों के प्रति दयालु रीति से कार्य करेंगे;

     अब वह समय है जब हमारे परमेश्वर अपने शत्रुओं से बदला लेंगे।

     3 उन सब यरूशलेम में रहने वाले लोगों के लिए जो शोक करते हैं,

     वह उनके सिर पर पहनने के लिए सुन्दर चीजें देंगे

         राख के बजाए जिसे वे अपने सिर पर यह दिखाने के लिए डालते हैं कि वे उदास थे;

     दुखी होने की बजाए वह उन्हें आनन्दित करेंगे;

         निराश होने की बजाए वह उन्हें आनन्दित होने में सक्षम बनाएँगे।

     उन्हें ऐसे ‘लोग’ कहा जाएगा ‘जो निरन्तर धर्म के कार्य करते हैं,

         ऐसे लोग जो लम्बे बांज पेड़ों के समान हैं जिन्हें यहोवा ने लगाया है’

     दूसरों को दिखाने के लिए कि वह बहुत महान हैं।

     4 जो लोग बाबेल से लौट आएँगे वे उन शहरों का फिर से निर्माण करेंगे जिनको बाबेल के सैनिकों ने नष्ट कर दिया था।

         भले ही उन शहरों को नष्ट कर दिया गया है और कई वर्षों के लिए त्याग दिया गया है,

     उनका नवीनीकरण किया जाएगा।

     5 वे पराए देशों के लोग होंगे जो तुम्हारे भेड़ और बकरियों के झुण्ड का ध्यान रखेंगे,

         और तुम्हारे खेतों की जुताई करेंगे और तुम्हारी दाखलताओं की देखभाल करेंगे।

     6 परन्तु तुम ही वे लोग हो जो यहोवा की सेवा करने के लिए,

         परमेश्वर के लिए कार्य करने को याजकों के समान होओगे।

     तुम अन्य देशों से लाए गए मूल्यवान वस्तुओं का आनन्द लोगे,

         और तुम आनन्दित होओगे कि वह चीजें तुम्हारी हो गई हैं।

     7 पहले तुम लज्जित और अपमानित थे,

         परन्तु अब तुमको बहुत आशीर्वाद मिलेंगे;

     पहले तुम्हारे शत्रुओं ने तुमको विनम्र किया था,

         परन्तु अब तुम्हारे पास बहुत सी अच्छी चीजें होंगी;

     तुम आनन्दित होओगे क्योंकि तुम फिर से अपने देश में होओगे,

         और तुम सदा के लिए आनन्दित होओगे।

     8 “मैं, यहोवा, उन लोगों से बहुत आनन्दित हूँ जो मामलों का निर्णय निष्पक्षता से करते हैं;

         मैं उन लोगों से घृणा करता हूँ जो अवैध रूप से अन्य लोगों से चीजें ले लेते हैं।

     मैं निश्चित रूप से अपने लोगों को वापस भुगतान करूँगा

         उन सबके बातों लिए जिसके लिए वे अतीत में पीड़ित हुए हैं।

     और मैं उनके साथ एक अनन्त समझौता करूँगा।

     9 उनके वंशजों को अन्य राष्ट्रों के लोगों द्वारा सम्मानित किया जाएगा; उनके बच्चों को अन्य सब राष्ट्रों द्वारा सम्मानित किया जाएगा।

         जो लोग उन्हें देखते हैं उन्हें पता चलेगा कि वे एक ऐसे राष्ट्र हैं जिन्हें मैं, यहोवा ने आशीर्वाद दिया है।”

     10 यहोवा ने जो किया है, उसके कारण मैं बहुत प्रसन्न हूँ!

         मैं अपने सम्पूर्ण अंतर्मन में आनन्दित हूँ,

     क्योंकि उसने मुझे बचा लिया है और घोषित किया है कि मैं धर्मी हूँ;

         वे आशीर्वाद एक वस्त्र के समान हैं जो उन्होंने मुझ पर डाला है।

     मैं ऐसे आनन्दित हूँ, जैसे अपने विवाह के कपड़ों में दूल्हा,

         या गहने पहने हुए एक दुल्हन।

     11 जैसे बगीचे में बोए गए बीज मिट्टी से अंकुरित होकर निकलते हैं और बढ़ते हैं,

         हमारे परमेश्वर यहोवा सब राष्ट्रों के लोगों को धार्मिक रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगे,

     जिसके परिणामस्वरूप वे ऐसा करने के लिए उसकी प्रशंसा करेंगे।

Chapter 62

    

1 क्योंकि मैं यरूशलेम के लोगों के विषय में बहुत चिन्तित हूँ,

         मैं उनकी सहायता करने के लिए कुछ करूँगा।

     मैं उनके लिए प्रार्थना करना बन्द नहीं करूँगा

         जब तक कि वे अपने सताने वालों से बचाए नहीं जाते हैं,

     जब तक कि यह हर सुबह की भोर के समान हर किसी के लिए स्पष्ट नहीं हो जाता है,

         जब तक कि लोग इसे ऐसे स्पष्ट रूप से नहीं देख सकें जैसे वे रात में उज्ज्वल चमकती हुए मशाल देखते हैं।

     2 किसी दिन बहुत से राष्ट्रों के लोगों को पता चलेगा कि यहोवा ने तुम, उसके लोगों को बचा लिया है।

         उनके राजा देखेंगे कि तुम्हारा शहर बहुत महान है।

     और यहोवा तुम्हारे शहर को एक नया नाम देंगे।

     3 यह ऐसा होगा जैसे मानों यहोवा ने तुमको अपने हाथों में रखा था कि हर कोई तुमको देख सके।

         उसके अधिकार के तहत तुम एक राजा द्वारा पहने हुए मुकुट के समान होओगे।

     4 तुम्हारा शहर कभी भी ‘निर्जन शहर’ नहीं कहलाएगा, और तुम्हारा देश कभी भी ‘उजाड़ भूमि’ नहीं कहलाएगा;

         इसे ‘वह देश’ कहा जाएगा ‘जिससे यहोवा प्रसन्न होते हैं,’

         और इसे ‘यहोवा से ब्याहा हुआ’ भी कहा जाएगा।

     इसे यह कहा जाएगा क्योंकि यहोवा तुमसे प्रसन्न होंगे,

         और यह ऐसा होगा जैसे मानों तुम उनकी दुल्हन थे।

     5 तुम लोग यहूदा के सारे देश में ऐसे रहोगे

         जिस प्रकार एक युवा व्यक्ति तरह उसकी दुल्हन के साथ रहता है।

     और हमारे परमेश्वर ऐसे आनन्दित होंगे कि तुम उसके लोग हो,

         जिस प्रकार एक दूल्हा आनन्दित होता है कि उसकी दुल्हन उसकी है।

     6 हे यरूशलेम के लोगों, मैंने पहरेदारों को तुम्हारी दीवारों पर बैठाया है;

         वे दिन और रात आग्रहपूर्वक यहोवा से प्रार्थना करेंगे।

     तुम हे पहरेदारों, तुमको प्रार्थना करना

         और यहोवा को इस विषय में स्मरण दिलाना बन्द नहीं करना है कि उन्होंने क्या करने का प्रतिज्ञा किए हैं।

     7 और यहोवा को बताओ कि उन्हें आराम नहीं करना है

         जब तक कि वह यरूशलेम को ऐसा शहर नहीं बनाते हैं जो पूरे संसार में प्रसिद्ध और प्रशंसनीय हो।

     8 यहोवा ने यरूशलेम के लोगों से गम्भीरतापूर्वक प्रतिज्ञा करने के लिए अपना दाहिना हाथ उठाया है:

         “मैं अपनी शक्ति का उपयोग करूँगा और फिर कभी भी तुम्हारे शत्रुओं को तुमको पराजित करने की अनुमति नहीं दूँगा;

     अन्य देशों के सैनिक फिर कभी भी तुम्हारे अनाज को

         और उस दाखमधु को जिसे बनाने के लिए तुमने कठोर परिश्रम किया था, लेने के लिए नहीं आएँगे।

     9 तुम स्वयं अनाज उगाओगे,

         और तुम ही वे लोग होओगे जो मुझ, यहोवा की स्तुति करोगे, जब तुम उस अनाज से बनी रोटी खाओगे।

     मेरे मन्दिर के आँगनों के अन्दर,

         तुम अपनी फसल के अँगूरों से बनी दाखमधु पीओगे।”

     10 शहर के फाटक के माध्यम से बाहर जाओ!

         उस राजमार्ग को तैयार करो जिससे लोग दूसरे देशों से वापस लौटेंगे!

     सड़क को चिकना बनाओ;

         सब पत्थरों को बीन कर दूर करो;

     लोगों के समूह को यरूशलेम जाने की सड़क देखने में सहायता करने के लिए संकेत वाले झण्डे स्थापित करो।

     11 यह वह सन्देश है जिसे यहोवा ने हर देश के लोगों को भेजा है।

         इस्राएल के लोगों को बताओ, “तुमको छुड़ाने वाले आ रहे हैं!

     देखो! वह तुम्हारे पास तुम्हारे पुरस्कार लाएँगे;

         जिन्हें उन्होंने छुड़ाया है, वे उसके आगे-आगे जा रहे होंगे।”

     12 वे: “यहोवा के अपने लोग,

         और वे जिन्हें उन्होंने बचाया।” कहलाएँगे।

     और यरूशलेम को इस प्रकार जाना जाएगा: “वह शहर जिसे यहोवा प्रेम करते हैं,”

         और “वह शहर जो अब त्यागा नहीं गया है।”

Chapter 63

    

1 मैं पूछता हूँ, “यह कौन है जो एदोम के बोस्रा शहर से आ रहे हैं,

         जिसके कपड़ों पर लहू के लाल धब्बे लगे हैं?

     यह कौन है जो सुन्दर वस्त्र पहने हुए हैं?”

         उन्होंने उत्तर दिया, “यह मैं, यहोवा, हूँ जो यह घोषणा कर रहा हूँ कि मैंने तुम्हारे शत्रुओं को पराजित कर दिया है,

     और मैं तुमको छुड़ाने में सक्षम हूँ!”

     2 मैं उनसे पूछता हूँ, “आपके कपड़ों पर वह लाल धब्बे क्या हैं?

         ऐसा प्रतीत होता है कि आपने मदिरा बनाने के लिए अँगूरों को कुचला है।”

     3 उन्होंने उत्तर दिया, “मैंने अँगूर को नहीं, बल्कि मेरे शत्रुओं को कुचला है।

         मैंने इसे स्वयं किया; किसी ने मेरी सहायता नहीं की।

     मैंने उन्हें दण्डित किया क्योंकि मैं उनसे बहुत क्रोधित था,

         और उनके लहू से मेरे कपड़ों पर दाग लग गए।

     4 मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह मेरे लिए बदला लेने का समय था;

         यह मेरे लोगों को उन लोगों से बचाने का समय था जिन्होंने उन पर अत्याचार किया था।

     5 मैंने किसी ऐसे व्यक्ति की खोज की जो मुझे अपने लोगों की सहायता करने में सक्षम करे,

         परन्तु मैं आश्चर्यचकित था कि मेरी सहायता करने के लिए कोई नहीं था।

     इसलिए मैंने अपने शत्रुओं को अपनी शक्ति से पराजित किया;

         मैं ऐसा करने में सक्षम था क्योंकि मैं बहुत क्रोधित था।

     6 क्योंकि मैं अत्याधिक क्रोधित था, इसलिए मैंने राष्ट्रों को दण्डित किया;

         मैंने उन्हें नशे में धुत पुरुषों के समान लड़खड़ाने दिया,

     और मैंने उनके लहू को भूमि पर बह जाने दिया।”

     7 मैं उन सभी कार्यों के विषय में बताऊँगा जो यहोवा ने अपने लोगों के लिए अपने निष्ठावान प्रेम के कारण किए हैं,

         और मैं उनके द्वारा किए गए सभी कार्यों के लिए उसकी प्रशंसा करूँगा।

     यहोवा ने इस्राएल के लोगों के लिए भले कार्य किए हैं;

         उन्होंने हमारे प्रति दया से कार्य किया है

         और उन्होंने स्थिरता से और ईमानदारी से हमें प्रेम किया है।

     8 यहोवा ने कहा, “यह मेरे लोग हैं;

         वे मुझे धोखा नहीं देंगे;”

         इसलिए उन्होंने हमें छुड़ाया।

     9 जब हमें कई परेशानियाँ थीं,

         वह भी उदास थे।

     उन्होंने हमें बचाने के लिए पहले अपने स्वर्गदूतों को अपनी उपस्थिति से भेजा।

         क्योंकि उन्होंने हमें प्रेम किया था और वह हमारे लिए दयालु थे,

         उन्होंने हमें बचाया;

         ऐसा लगता था कि मानों उन्होंने हमारे पूर्वजों को उठाया हुआ था और उन्हें उन सब वर्षों में उठाए फिरा था, जिस दौरान मिस्र में उन पर अत्याचार किया गया था।

     10 परन्तु हमने उनके विरुद्ध विद्रोह किया,

         और हमने उनके पवित्र-आत्मा को उदास कर दिया।

     इसलिए वह एक ऐसे शत्रु के समान बन गए

         जो हमारे विरुद्ध लड़ा।

     11 तब हमने इस विषय में सोचा कि बहुत पहले क्या हुआ था,

         उस समय के दौरान जब मूसा हमारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाल ले आए थे।

     हम चिल्लाए, “वह कहाँ हैं, जो हमारे पूर्वजों को लाल समुद्र के माध्यम से लाए थे

         जब मूसा ने उनका नेतृत्व किया?

     वह कहाँ है जिन्होंने

         हमारे पूर्वजों के बीच निवास करने के लिए अपना पवित्र-आत्मा भेजा था?

     12 वह कहाँ है जिन्होंने अपनी महिमामय शक्ति दिखाई थी

         और जब मूसा ने अपनी बाँह को पानी की ओर बढ़ाया तो उसे दो भाग कर दिया था,

     जिसके परिणामस्वरूप वह सदा के लिए सम्मानित किए जाएँगे?

     13 वह कहाँ है जिन्होंने हमारे पूर्वजों का नेतृत्व किया, जब वे समुद्र के किनारे-किनारे चले थे?

         वे एक साथ दौड़ने वाले घोड़ों के समान थे और उन्होंने कभी ठोकर नहीं खाई।

     14 वे मवेशियों के समान थे जो आराम करने के लिए घाटी में चले जाते थे,

         और यहोवा के आत्मा ने उन्हें उस स्थान पर जाने में सक्षम बनाया जहाँ वे आराम कर सकते थे।

     हे यहोवा, आपने अपने लोगों का नेतृत्व किया,

         और आपने स्वयं की प्रशंसा किए जाने के लिए यह किया।”

     15 “हे यहोवा, स्वर्ग से नीचे देखिए;

         आपके पवित्र और गौरवशाली निवासस्थान से नीचे हम पर दृष्टि कीजिए।

     आप पहले हमारे विषय में बहुत चिन्तित थे, और आपने हमारी सहायता करने के लिए शक्तिशाली रीति से कार्य किया।

         परन्तु ऐसा लगता है कि आप अब हमारे लिए कोई भी दयालु और उत्साह से कार्य नहीं करते हैं।

     16 आप हमारे पिता हैं, भले ही

         अब्राहम नहीं जानता हो कि हमारे साथ क्या हो रहा है,

         और या फिर, याकूब को हमारे विषय में चिन्ता नहीं हो,

     परन्तु हे यहोवा, आप हमारे पिता हैं;

         आपने हमें बहुत पहले छुड़ाया था।

     17 हे यहोवा, आपने हमें अपने मार्ग से दूर भटकने क्यों दिया?

         आपने हमें हमारे अंतर्मन में हठीला क्यों होने दिया,

         जिसके परिणामस्वरूप हम अब आपका सम्मान नहीं करते?

     पहले के समान आप हमारी सहायता कीजिए,

         क्योंकि हम वे लोग ही हैं जो आपके हैं और आपकी सेवा करते हैं।

     18 हम, आपके पवित्र लोग, केवल एक छोटे से समय के लिए आपके पवित्र मन्दिर के अधिकारी थे,

         और अब हमारे शत्रुओं ने इसे नष्ट कर दिया है।

     19 अब ऐसा लगता है कि मानों हम कभी आपके शासन के अधीन नहीं थे,

         जैसे कि हम कभी आपके लोग नहीं थे।”

Chapter 64

    

1 “हे यहोवा, मैं चाहता हूँ कि आप आकाश से नीचे आ जाइए;

         आप पर्वतों को डर से हिला दीजिए।

     2 यह आग से मृत लकड़ी के जलने के समान,

         या आग से पानी के उबलने के समान होता।

     नीचे आइए, जिससे आपके शत्रु जान जाएँगे कि आप कौन हैं,

         और जिससे अन्य राष्ट्रों के लोग आपकी उपस्थिति में डर जाएँगे।

     3 आपने बहुत से भयानक कार्य किए जिनका हम आपके करने की अपेक्षा नहीं कर रहे थे;

         पर्वत हिल गए थे जब आप सीनै पर्वत पर उतरे थे।

     4 बहुत समय पहले से किसी ने आपके जैसे परमेश्वर के विषय में कभी देखा या सुना नहीं है;

         आप उनकी सहायता करते हैं जो आप पर भरोसा करते हैं।

     5 आप उन लोगों की सहायता करते हैं जो प्रसन्नतापूर्वक धर्म के कार्य करते हैं,

         जो लोग अपने जीवन का संचालन उस प्रकार करते हैं, जैसे आप उनसे चाहते हैं।

     परन्तु हमने ऐसा नहीं किया; हमने पाप करना जारी रखा,

         और इसलिए आप हमसे क्रोध हो गए।

     हम लम्बे समय से पाप करते जा रहे हैं।

         यह तभी होगा जब हम निरन्तर वैसा करते हैं जो आप चाहते हैं कि हम करें तो आप हमें बचाएँगे।

     6 हम सभी ऐसे लोग बन गए हैं जो आपकी आराधना करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं;

         हमने जो अच्छे कार्य किए हैं, वे केवल लहू के धब्बे वाले चिथड़ों के समान हैं।

     हमारे पापों के कारण, हम सभी सूखी पत्तियों के समान हैं

         और हवा से उड़ा दिए जाते हैं।

     7 हमारे लोगों में से कोई भी आपकी आराधना नहीं करता है,

         और कोई भी वास्तव में आपको उसकी सहायता करने के लिए मनाने का प्रयास नहीं करता है।

     आप हमसे दूर हो गए हैं।

         ऐसा लगता है कि मानों आपने हमें त्याग दिया है, कि हम पाप करते रहें और अधिक से अधिक दोषी हो जाएँ।

     8 परन्तु फिर भी, हे यहोवा, आप हमारे पिता हैं।

         हम उस मिट्टी के समान हैं जिसे एक कुम्हार उपयोग करता है,

         और आपने हमें बनाया है, जैसे कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाता है।

     9 हे यहोवा, हमारे साथ क्रोधित न बने रहिए;

         सदा हमारे पापों के विषय में सोचते न रहिए।

     यह मत भूलिए कि हम सभी आपके लोग हैं।

     10 यहूदा में आपके सारे नगर जंगल के समान बन गए हैं;

         यहाँ तक कि यरूशलेम भी नष्ट हो गया है।

     11 सिय्योन पर्वत पर आपका गौरवशाली मन्दिर, जहाँ हमारे पूर्वजों ने आपकी आराधना की थी,

         पूरी तरह से जला दिया गया है।

         और हमारी सब अन्य सुन्दर चीजें नष्ट हो गई हैं।

     12 हे यहोवा, आप उन सभी चीजों को देखते हैं, परन्तु ऐसा लगता है कि आप हमारी सहायता करने के लिए कुछ भी करने से मना करते हैं।

         ऐसा लगता है कि आप हमें और अधिक पीड़ित होने देंगे।”

Chapter 65

1 यहोवा ने यही कहा है:

     “मैं अपने लोगों को उत्तर देने के लिए तैयार था,

         परन्तु किसी ने भी मुझसे उनकी सहायता करने के लिए अनुरोध नहीं किया।

     मैं उन लोगों की भी सहायता करने के लिए तैयार था यहाँ तक कि उनकी भी जिन्होंने मुझे नहीं पुकारा था।

         मैंने यह कहता रहा, ‘मैं यहाँ तुम्हारी सहायता करने के लिए हूँ!’

     2 ऐसा लगता है कि मानों मैंने निरन्तर अपनी बाँहों को यह दिखाने के लिए फैलाए रखा था कि मैं अपने लोगों की सहायता करने के लिए तैयार था जिन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया था,

         और जिन्होंने निरन्तर उन बुरे कार्यों को किया जो वे करना चाहते थे।

     3 वे साहसपूर्वक उन कार्यों को करना जारी रखते हैं जो मुझे क्रोधित करते हैं:

         वे अपने बगीचों में अपनी मूर्तियों के लिए बलि चढ़ाते हैं,

     और वे ईंटों और खपरों से बनी वेदियों पर उनके लिए धूप जलाते हैं।

     4 वे कब्रिस्तान में रात में जागते रहते हैं,

         और मरे हुए लोगों की आत्माओं के साथ बात करते हैं।

     वे सूअरों का माँस खाते हैं,

         और उनके बर्तन उस माँस के शोरबे से भरे हुए हैं जो मेरे लिए अस्वीकार्य है।

     5 फिर वे दूसरों से कहते हैं,

         ‘मुझसे दूर रहो; मेरे निकट मत आना,

     क्योंकि मैं बहुत पवित्र हूँ,

         जिसके परिणामस्वरूप तुमको मुझे छूना नहीं चाहिए।’

     ऐसे लोग मेरी नाक में

         निरन्तर जलती हुई आग के धुएँ के समान हैं।

     6 मैंने उन सभी बुरे कार्यों का लेखा लिखा है जो उन्होंने किए हैं।

         और मैं उन सभी कार्यों के विषय में चुप नहीं रहूँगा;

     मैं निश्चित रूप से इन लोगों को

         7 उन पापों के लिए दण्डित करूँगा जो उन्होंने और उनके पूर्वजों ने किए हैं।

     उन्होंने पर्वतों के शिखर पर अपनी मूर्तियों के लिए धूप जला कर मेरा मजाक उड़ाया है।

         इसलिए मैं उन्हें वह दण्ड दूँगा जिसके वे उन कार्यों को करने के कारण योग्य हैं।”

8 यहोवा ने यह भी कहा है:

     “जब एक बेल पर अच्छे अँगूरों का एक गुच्छा होता है,

     लोग उन्हें फेंक नहीं देते हैं,

         क्योंकि वे जानते हैं कि उन अँगूरों में अच्छा रस है।

     इसी प्रकार, क्योंकि यहूदा में कुछ ऐसे लोग हैं जो ईमानदारी से मेरी सेवा करते हैं,

         मैं उन सबसे छुटकारा नहीं पाऊँगा।

     9 मैं याकूब के कुछ वंशजों को छोड़ दूँगा

         जो यहूदा की पहाड़ियों पर रह रहे हैं।

     मैंने उन्हें चुना है, और वे उस देश के अधिकारी होंगे;

         वे मेरी आराधना करेंगे, और वे वहाँ रहेंगे।

     10 तब भूमध्य सागर के पास शारोन के मैदान की सारी भूमि और पूर्व में यरीहो के पास आकोर की घाटी चारागाह बन जाएगी,

         जहाँ उनके मवेशी और भेड़ें आराम करेंगे।

     11 परन्तु यह तुम्हारे लिए भिन्न होगा जिन्होंने मुझे छोड़ दिया है,

         तुम लोग जो मेरी पवित्र पहाड़ी सिय्योन पर मेरी आराधना नहीं करते हो,

     तुम जो गाद और मेनी की उपासना करते हो, वे देवता जिन्हें तुम कहते हो कि तुम्हारे लिए शुभकामनाएँ और अच्छा भाग्य लाएँगे।

     12 यह मेनी नहीं, मैं हूँ, जो तय करेंगे कि तुम्हारे साथ क्या होगा;

         तुम सभी तलवारों द्वारा वध किए जाओगे।

     ऐसा होगा क्योंकि तुमने उत्तर नहीं दिया था

         जब मैंने तुमको पुकारा था।

     मैंने तुमसे बात की,

         परन्तु तुमने ध्यान नहीं दिया।

     इसके बजाए, तुमने ऐसे कार्य किए जिनको मैंने कहा कि वे बुरे हैं;

         तुमने उन कार्यों को करना चुना जो मुझे आनन्दित नहीं करते हैं।

     13 मैं, यहोवा परमेश्वर, उन लोगों को खाने और पीने के लिए दूँगा जो मेरी आराधना करते हैं और मेरी आज्ञा मानते हैं,

         और वे आनन्दित होंगे;

     परन्तु तुम सभी बुरे लोग भूखे और प्यासे होओगे,

         और तुम उदास और अपमानित होओगे।

     14 जो लोग मेरी आराधना करते हैं और मेरी आज्ञाएँ मानते हैं वे प्रसन्नता से गाएँगे,

     परन्तु तुम बुरे लोग ऊँची आवाज में विलाप करोगे

         क्योंकि तुम अपने अंतर्मन में पीड़ित हो रहे होओगे।

     15 जिन्हें मैंने चुना है, वे लोगों को श्राप देते समय तुम्हारे नामों का उपयोग करेंगे;

     मैं, यहोवा परमेश्वर, तुमसे छुटकारा पाऊँगा।

         परन्तु मैं उन लोगों को नया नाम दूँगा जो मेरी आराधना करते हैं और मेरी आज्ञा मानते हैं।

     16 इस देश के लोगों को कई परेशानियाँ हुई हैं,

         परन्तु मैं उन परेशानियों को और नहीं होने दूँगा।

     इसलिए जो लोग मुझसे उनको आशीर्वाद देने का अनुरोध करते हैं और जो गम्भीरता से कुछ करने का प्रतिज्ञा करते हैं

         उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए कि मैं परमेश्वर हूँ, जो विश्वासयोग्यता के साथ वह करता हूँ जो मैं करने का प्रतिज्ञा करता हूँ।

     17 इस पर ध्यान दो: किसी दिन मैं एक नया स्वर्ग और एक नई पृथ्‍वी बनाऊँगा।

         वे बहुत ही अद्भुत होंगे, जिसके परिणामस्वरूप अब तुम पहले की सभी परेशानियों के विषय में नहीं सोचोगे।

     18 जो मैं करूँगा उसके कारण आनन्दित रहो और सदा आनन्दित रहो:

         यरूशलेम एक ऐसी जगह होगा जहाँ लोग आनन्दित होंगे;

         वहाँ रहने वाले लोग सदा आनन्दित रहेंगे।

     19 मैं यरूशलेम के विषय में आनन्दित हूँ,

         और मैं अपने लोगों से प्रसन्न होऊँगा।

     लोग अब परेशान होने के कारण रोएँगे नहीं या विलाप नहीं करेंगे।

     20 बचपन के समय में ही कोई बच्चा नहीं मरेगा;

         सभी लोग तब तक जीते रहेंगे जब तक कि वे बहुत वृद्ध न हों।

     लोग इस बात पर विचार करेंगे कि कोई भी जो सौ वर्ष की आयु का है वह अभी भी युवा है;

         वे इस बात पर विचार करेंगे कि जो भी छोटेपन में मरता है उसे श्राप दिया गया है।

     21 मेरे लोग घर बनाएँगे और फिर उनमें रहेंगे।

         वे दाख की बारियाँ लगाएँगे और फिर उन दाख की बारियों से अँगूर खाएँगे।

     22 जो वे घर बनाते हैं, कोई भी उन घरों को उनसे छीन उनमें नहीं रहेगा।

         कोई भी अपने स्वामी की दाख की बारी नहीं लेगा।

     मेरे चुने हुए लोग पेड़ों के समान लम्बे समय तक जीवित रहेंगे,

         और वे उन कार्यों का आनन्द लेंगे जो उन्होंने किए हैं—

     वे घर जो उन्होंने बनाए हैं और वे फसलें जो उन्होंने लगाई हैं।

     23 वे व्यर्थ में कड़ी परिश्रम नहीं करेंगे,

         और उनके बच्चे किसी विपत्ति से मर नहीं जाएँगे।

     मैं निश्चित रूप से उनके बच्चों और उनके नाती-पोते को आशीर्वाद दूँगा।

     24 इससे पहले कि वे सहायता करने के लिए मुझे पुकारें, मैं उत्तर दूँगा;

         मैं उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर उसी समय में दे दूँगा, जब वे मुझसे उनके लिए कुछ करने की प्रार्थना कर रहे हैं।

     25 मेरे पवित्र पर्वत सिय्योन पर कहीं भी किसी को हानि नहीं पहुँचाई जाएगी या घायल नहीं किया जाएगा:

     भेड़िए और मेम्ने एक साथ शान्तिपूर्वक घास खाएँगे;

         बैलों के समान शेर घास खाएँगे, और वे लोगों पर आक्रमण नहीं करेंगे।

         साँप किसी को भी चोट नहीं पहुँचाएँगे; वे भूमि पर पड़े रहेंगे और केवल मिट्टी खाएँगे।

     यह निश्चित रूप से ऐसा ही होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।”

Chapter 66

1 यहोवा ने यह भी कहा:

     “सम्पूर्ण आकाश मेरे सिंहासन के समान है,

         और पूरी पृथ्‍वी मेरे पैरों की चौकी के समान है।

     इसलिए तुम निश्चित रूप से एक ऐसा घर नहीं बना सकते हो

         जो मेरे रहने और आराम करने के लिए पर्याप्त होगा!

     2 मैंने हर एक वस्तु को बनाया है;

         सब चीजें अस्तित्व में हैं क्योंकि मैंने उन्हें बनाया है।

     यह सच है क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।

     जिन लोगों से मैं सबसे अधिक प्रसन्न होता हूँ वे नम्र लोग हैं,

         जो पीड़ित होने पर उसको धैर्यपूर्वक सहन करते हैं,

         और वे जो उस समय डर जाते हैं जब वे मुझे उनको डाँटते हुए सुनते हैं।

     3 तुमने निरन्तर उन कार्यों को करना चुना है जिन्हें तुम करना चाहते हो:

     तुम में से कुछ ने मेरे लिए बलिदान चढ़ाने के लिए बैलों को मार डाला,

         परन्तु तुम अपनी मूर्तियों के लिए मनुष्य बलिदान भी लाते हो!

     तुम मेरे लिए मेम्ने को बलिदान करते हो,

         परन्तु अपने देवताओं को चढ़ाने के लिए तुम कुत्ते को मार देते हो।

     तुम मुझे अनाज चढ़ाते हो,

         परन्तु तुम अपनी मूर्तियों के लिए सूअर का लहू भी लाते हो।

     तुमने मेरे लिए धूप जलाते हो,

         परन्तु तुम अपनी मूर्तियों की भी प्रशंसा करते हो।

     तुम उन घृणित कार्यों को करने में प्रसन्न होते हो।

     4 जब मैंने तुमको पुकारा,

         तुमने उत्तर नहीं दिया।

     जब मैंने बात की, तो तुमने ध्यान नहीं दिया।

     तुमने कई कार्य किए हैं जिनको मैं कहता हूँ कि बुरे हैं,

         और तुमने उन कार्यों को करना चुना जिनको मैंने पसन्द नहीं किया।

     इसलिए अब मैं तुमको उन कार्यों का अनुभव करने के द्वारा दण्ड दूँगा जो तुमने स्वयं किए हैं, जिनसे तुम स्वयं डरते हो।”

     5 परन्तु तुम लोग जो थरथराते हो जब तुम सुनते हो कि यहोवा क्या कहते हैं,

         वह जो अभी कहते हैं उसे सुनो:

     “तुम्हारे कुछ लोग तुमसे घृणा करते हैं और तुमको दूर कर देते हैं

         क्योंकि तुम मेरे हो।

     वे तुम्हारा मजाक उड़ाते हैं, और वे कहते हैं,

         ‘यहोवा को अपनी महिमामय शक्ति दिखानी चाहिए!

         हम वास्तव में तुमको आनन्दित करने के लिए उन्हें कुछ करते हुए देखना चाहते हैं।’

     परन्तु किसी दिन उन लोगों को बहुत अपमानित किया जाएगा।”

     6 उस समय, तुम शहर में शोर सुनोगे।

         तुम मन्दिर में चिल्लाना सुनोगे।

     यह यहोवा की उसके शत्रुओं को वापस भुगतान करने की आवाज़ होगी।

     7 किसी ने कभी नहीं सुना है कि एक स्त्री ने एक बच्चे को तभी जन्म दिया

         जब वह सिर्फ प्रसव पीड़ा को आरम्भ कर रही थी।

     8 निश्चित रूप से किसी ने भी ऐसी घटना होने के विषय में कभी नहीं सुना है,

         और किसी ने कभी ऐसा होते नहीं देखा है।

     इसी तरह, किसी ने कभी नहीं सुना है कि एक राष्ट्र एक पल में बनाया गया था,

         एक दिन में नहीं।

     परन्तु यरूशलेम एक ऐसी स्त्री के समान है जो बच्चों को जन्म देती है

         जैसे ही उसे प्रसव पीड़ा होना आरम्भ होता है।

     9 निश्चित रूप से स्त्री दूध पीते बच्चे को उस समय नहीं जन्माती जब वे पैदा होने के लिए तैयार होते हैं और फिर उन्हें जन्म लेने की अनुमति नहीं देती हैं।

         इसी तरह, यहोवा यरूशलेम के लिए वह करेंगे जो उन्होंने करने की प्रतिज्ञा की है:

     वह यरूशलेम को फिर से लोगों से भर जाने देंगे।

         ऐसा होगा क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।

     10 तुम यरूशलेम में रहने वाले लोगों, आनन्दित होओ!

         और तुम सब लोग भी आनन्दित होओ जो लोग यरूशलेम से प्रेम करते हो।

     यरूशलेम के साथ जो हुआ, तुम जो लोग उसके कारण दुखी थे,

         अब तुमको आनन्दित होना चाहिए।

     11 यरूशलेम में रहने वाले तुम लोगों के पास वह हर एक वस्तु होगी जिसकी तुमको आवश्यकता है,

         जिस प्रकार एक बच्चा अपनी माँ के स्तनों से अपनी आवश्यकता के सब कुछ प्राप्त करता है।

     तुम शहर में सारी प्रचुर मात्रा की और भव्य चीजों का आनन्द लोगे।

12 यहोवा ने प्रतिज्ञा की है,

     “मैं यरूशलेम को अन्य राष्ट्रों से आने वाली बहुमूल्य वस्तुओं से भर जाने दूँगा;

         वे चीजें यरूशलेम में उण्डेली जाएँगी; यह एक बड़ी बाढ़ के समान होगा।

     मैं यरूशलेम के लोगों का ध्यान रखूँगा

         जैसे स्त्रियाँ अपने दूध पीने वाले बच्चों की देखभाल करती हैं।

     13 मैं तुम यरूशलेम में रहने वाले लोगों को सांत्वना दूँगा जैसे माताएँ अपने बच्चों को दिलासा देती हैं।”

     14 जब तुम उन बातों को होता हुआ देखते हो,

         तुम आनन्दित होओगे।

     तुम्हारी पुरानी हड्डियाँ फिर से मजबूत हो जाएँगी

         जिस प्रकार से वसन्त ऋतु में, जब घास बढ़ती है।

     जब ऐसा होता है, तो सभी जान जाएँगे कि यहोवा के पास उन लोगों की सहायता करने की शक्ति है जो उसकी आराधना करते हैं और उसकी आज्ञा मानते हैं,

         परन्तु यह कि वह अपने शत्रुओं से क्रोधित हैं।

     15 यहोवा आग की लपटों के साथ नीचे आएँगे,

         और उनके रथ एक बवण्डर के समान नीचे आ जाएँगे;

     वह अत्याधिक क्रोध में होंगे,

         और वह अपने शत्रुओं को आग में जला कर दण्डित करेंगे।

     16 ऐसा लगता है कि मानों यहोवा के पास एक बड़ी तलवार थी,

         और वह कई लोगों का न्याय करेंगे और उनको प्राणदण्ड देंगे।

17 यहोवा कहते हैं, “तुम में से कुछ लोग धोने से और विशेष आहार और कपड़ों से मूर्तियों के बगीचे में प्रवेश करने के लिए स्वयं को तैयार करेंगे, और तुम उस जगह पर उन लोगों का अनुसरण करेंगे, जो सूअरों और चूहों और अन्यों के माँस खाते हैं, जिनको खाने के लिए मैंने तुमको मना किया हुआ है। मैं तुमसे प्रतिज्ञा करता हूँ, मैं उन्हें रोकूँगा और वे इसे और नहीं करेंगे!”

18 मैं उन सब बुरी बातों को जानता हूँ जो वे सब सोचते हैं और करते हैं। अब मेरे लिए उन सब लोगों को इकट्ठा करने का समय है जो सब राष्ट्रों में रहते हैं और जो सब भाषाओं बोलते हैं, और उन्हें दिखाने का समय है कि मैं बहुत महान हूँ।

19 मैं सभी को दिखाने के लिए उनके मध्य में कुछ करूँगा कि वे कौन हैं, और जिन्हें मैंने बचा कर रखा है, वे तर्शीश, पूती, लूदी (धनुर्धारियों का घर), मेशेक, तूबल, यावान जैसे बहुत से दूर-दूर के देशों में और दूर द्वीपों में जाएँगे। मैं उन्हें उन देशों पर घोषणा करने के लिए भेजूँगा जिन्होंने कभी मेरे विषय में नहीं सुना है कि मैं बहुत महान और गौरवशाली हूँ। 20 तब वे यहाँ तुम्हारे सम्बन्धियों को वापस लाएँगे जिन्हें बन्धुआई में ले जाया गया है, जिस प्रकार से मेरे इस्राएली लोग मन्दिर में सही रीति से भेंट ले कर आया करते थे। वे यरूशलेम के लिए यात्रा करेंगे, जहाँ मेरा पवित्र पर्वत है; वे घोड़ों और रथों, पालियों में, खच्चरों और ऊँटों पर आएँगे। 21 मैं गम्भीरता से प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं उनमें से कुछ को याजक बनने के लिए, और दूसरों को मेरे मन्दिर में अन्य कार्य करने के लिए नियुक्त करूँगा। यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है।

22 मैं यह भी प्रतिज्ञा करता हूँ कि जिस प्रकार से नया स्वर्ग और नई पृथ्‍वी सदा तक बने रहेंगे, तुम्हारे पास सदा वंशज होंगे, और तुमको सदा सम्मानित किया जाएगा। 23 हर सप्ताह सब्त के और हर महीने नए चँद्रमा के उत्सव को मनाने के त्यौहार के लिए, हर कोई आकर मेरी आराधना करेगा। यह निश्चित रूप से होगा क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है। 24 तब वे यरूशलेम से निकल जाएँगे और उन लोगों की लाशों को देखेंगे जिन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया था। उन शवों में पड़े हुए कीड़े कभी नहीं मरेंगे, आग उन्हें जलाने से कभी नहीं रुकेगी, और जो लोग उनकी लाश को देखते हैं उनसे घृणा करेंगे।”