2. पाप दुनिया मह आया सै
आदम अर उसकी लुगाई पणमेश्वर जरिये उन खातेर बणाये गए सुथरे बगीचे म्ह बहोत घणये खुश थे उन दोनुवा न लते नहीं पहरे थे लेकिन दुनिया म्ह कोए पाप नहीं था ज्याते उनताहि शर्म नहीं महसूस होया करेथी | वे ज्यादातर बगीचे म्ह चाल्या करदे अर पणमेश्वर उनके गेल्या बात करा करै था |
लेकिन बगीचे म्ह एक चालाक सांप था | उस्नै लुगाई तैै बुझया के पणमेशवर ने साची कहया सै के बगीचे किस्से पैड॰ का फण ना खाणा?"
लुगाई ने उतर दिया, " पणमेश्वर ने महारताहि कहया सै की आच्छे अर बुरे के ज्ञान के पेड़ फळ के बजाये हम किस्से भी पेड़ के फळ को खा सक्या सै पणमेश्वर ने कहया थम उस फ़ळ खाओ या जडै तक्कै हाथ भी लगाओ तो मर जाओगे "
साँप नै लुगाई को जाबब दिया, " यों साँच ना सैै ! थम ना मरोगे | पणमेश्वर यो जाणयै सै की थम उस्सै फल को खाओगे, थम पणमेश्वर के जिस्से हो जाओगे अर जुकर आच्छे और बुरे नै वो समझे सै थमै भी समझण लगोगे |
लुगाई ने देख्या की फल आछा सैै अर देखण मै स्वादिष्ट सै | वयो बुद्धिमान भी बणना चहावै सै , ज्याते उनताही किम्मे फल लिया अर उस्से खाया | फेर उस्सै कीमे अपणै पत्ति की खातेर भी देया , जोब उसके गैल्या था , अर उस्से भी उस्से खा लिया सै |
चाणचक, उनकी आँखें खुल गी , अर उनको बरेया पाटया की वो नंगै सै | अर उनताही अपणै देह ढकण खातेर पत्ते को जोड़ जोड़ कै उनताही लत्ते बनावण की जतन करेया |
फेर माणस अर उसकी लुगाई ने बगीचा म्ह पणमेश्वर के चालण की आवाज सुणी | वो दोनु पणमेश्वर ते लुक् गे | फेर पणमेश्वर ने माणस ते बोलया ," थम कडै सो ?" आदम ने उतर दिया मन्ये थारी बगीचे म्ह चालते सुणया अर मे डर गया था क्युके में उघाडा था |ज्याते में लुहुक ग्या|
फेर पणमेश्वर ने बुझया,"किसने तन्नै कह्या के तू उघाडा सै| जिस पेड़ का फल खाण ते थमने नाट्या था , के थामने उसका फल खाया सै ?" आदम नै जवाब दिया
पंणमेश्वर ने साँप ते कहया ," थम शापित सो |" तै पेट के ताण चाल्या करेगा , अर जीवण भर माटी चटदा रहवेगा | अर तू लुगाई एक दूजै ते नफरत करोगे , अर थारी ओलाद अर उसकी ओलाद भी एक दूजे ते नफरत करोगे ,लुगाई का वंश जो थारै सिर को कुचल देवैगा ,अर तै उसकी एडी नै काटेगा |"
फेर पणमेश्वर ने लुगाई ते कहया ," मे थारे जामण के दर्द नै घणाया बढ़ा दूगां |थारी आश अपणै माणस की और होवएगी, अर वो थारै पै राज करयेगा |"
पणमेश्वर ने माणस ते कहया ," तैने अपणी लुगाई की बातं सूणी अर मेरी हुक्म नहीं मान्या | इब धरती शापित सै, अर थम उसकी उपज खाणै की खातेर सखत महनेत करणी होवेगी | फेर थम मर जावेगो , अर थारी देह फेर माटी म्ह मिल जावैगा| माणस ने अपणी लुगाई का नां हव्वा धरया, जिसका अरथ होवेय सै जगत जननी क्युके वो सारे माणस - जात माँ कुहवगी| अर पणमेश्वर ने जिनावर की खाल तेआदम अर हव्वा को ढकया|
फेर पणमेश्वर ने कहया ," माणस अच्छाई अर बुराई जानण के कारण म्हारे जिस्सा हो गया सैै कि इब उनताही कदे भी जिवण के पैड से खाणैै का हुक्म नहीं दिया जावैगा अर पणमेश्वर नै सुथरे बगीचे तै आदम अर हव्वा को बारनै काढ दिया पणमेश्वर जिवण के पेड़ के फल खाण तैकिस्से नै रोकेणै के खातेर बगीचे के बारणैपै शक्तिशाली सुरगदुता को राख्या |
बाइबिल की कहानी में : उत्पति 3