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प्रेरितों के काम की पुस्तक परिचय
भाग 1: सामान्य परिचय
प्रेरितों के काम की पुस्तक
1 की रूपरेखा। कलीसिया और उसके मिशन का आरम्भ(1:1–2:41) 1 यरूशलेम में आरम्भिक कलीसिया (2:42–6:7) 1 बढ़ता हुआ विरोध और स्तिफनुस की शहादत (6:8–7:60) 1 कलीसिया के ऊपर सताव और फिलिप्पुस की सेवकाई (8:1–40) 1 पौलुस एक प्रेरित बन गया (9:1–31) 1 पतरस की सेवकाई और पहला अन्यजाति मन परिवर्तन (9:32–12:24) 1 पौलुस, अन्यजातियों के लिए प्रेरित, यहूदी व्यवस्था, और यरूशलेम में कलीसिया के अगुवों की परिषद (12:25–16:5) 1 मध्य भूमध्य क्षेत्र और एशिया माइनर में कलीसिया का विस्तार (16:6–19:20) 1 पौलुस यरूशलेम की ओर यात्रा करता है और रोम में कैदी बन जाता है (19:21–28:31)
प्रेरितों के काम की पुस्तक का विषय क्या है?
प्रेरितों के काम की पुस्तक आरम्भिक कलीसिया की कहानी को बताती है जब अधिक से अधिक लोग विश्वास करने लगते हैं। यह आरम्भिक मसीहियों की सहायता करने वाले पवित्र आत्मा की सामर्थ्य दिखाता है। इस पुस्तक की घटनाएँ तब आरम्भ हुईं जब यीशु स्वर्ग लौट गया और लगभग तीस वर्षों बाद समाप्त हुई।
इस पुस्तक का शीर्षक कैसे अनुवादित किया जाना चाहिए?
अनुवादक इस पुस्तक को अपने पारम्परिक शीर्षक, "" प्रेरितों के काम"" से ही पुकारना चुन सकते हैं। या अनुवादक एक ऐसा शीर्षक चुन सकते हैं जो स्पष्ट हो, उदाहरण के लिए, ""प्रेरितों के माध्यम से पवित्र आत्मा के कार्य।""
प्रेरितों के काम की पुस्तक किसने लिखी?
यह पुस्तक लेखक के नाम को नहीं बतलाती। यद्यपि, यह थियुफिलुस को सम्बोधित किया गया है, यह वही व्यक्ति है जिसे लूका के सुसमाचार को सम्बोधित किया गया है। इसके अतिरिक्त, पुस्तक के कुछ हिस्सों में, लेखक ""हम"" शब्द का उपयोग करता है। यह इंगित करता है कि लेखक ने पौलुस के साथ यात्रा की है। अधिकांश विद्वानों का मानना है कि लूका वह व्यक्ति है जो पौलुस के साथ यात्रा कर रहा था। इसलिए, प्रारंभिक मसीही काल से, अधिकांश मसीहियों ने सोचा है कि लूका, प्रेरितों के काम की पुस्तक के साथ-साथ लूका के सुसमाचार का लेखक भी है।
लूका एक चिकित्सक था। उसके लेखन के तरीके से पता चलता है कि वह एक शिक्षित व्यक्ति था। वह कदाचित् एक गैर यहूदी था। उसने प्रेरितों के काम की पुस्तक में वर्णित कई घटनाओं को देखा।
भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक धारणाएँ
कलीसिया क्या है?
कलीसिया उन लोगों का समूह है जो मसीह में विश्वास करते हैं। कलीसिया में यहूदी और गैर यहूदी दोनों विश्वासियों को सम्मिलित किया गया है। इस पुस्तक की घटनाएँ दिखाती है कि परमेश्वर कलीसिया की सहायता कर रहा हैं। उसने विश्वासियों को अपने पवित्र आत्मा के माध्यम से धार्मिक जीवन जीने के लिए सशक्त किया।
भाग 3: महत्वपूर्ण अनुवाद के मुद्दे
प्रेरितों के काम की पुस्तक के पाठ में प्रमुख विषय क्या हैं?
ये प्रेरितों के काम में सबसे महत्वपूर्ण पाठ्यात्मक विषय हैं:
निम्नलिखित वचन बाइबल के पुराने संस्करणों में पाए जाते हैं, परन्तु वे बाइबल की सबसे अच्छी प्राचीन प्रतियों में नहीं हैं। कुछ आधुनिक संस्करणों ने वचनों को वर्गाकार कोष्ठक में रखा गया है (\ [])। यूएलटी अनुवाद और यूएसटी अनुवाद ने उन्हें एक फुटनोट में डाल देते हैं।
""फिलिप्पुस ने कहा, 'यदि तू सारे मन से विश्वास करता है तो बपतिस्मा ले सकता है।' इथियोपीया के खोजे ने उत्तर दिया, 'मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है' ""(प्रेरितों 8:37)।
- परन्तु सीलास को वहाँ रहने के लिए अच्छा लग रहा था। ""(प्रेरितों 15:34)
- ""और हम चाहते थे हमारी व्यवस्था के अनुसार उसका न्याय किया जाए। परन्तु वह अधिकारी, लूसियास आया और बलपूर्वक उसे हमारे हाथों से छीन कर, तुम्हारे पास भेजने के लिए बाहर ले गया। ""(प्रेरितों के काम 24: 6ब-8अ) *"" जब उसने इन बातों को कहा तो यहूदी आपस में बहुत विवाद करने लगे और वहाँ से चले गए"" (प्रेरितों के काम 28:29)
निम्नलिखित वचनों में, यह अनिश्चित है कि मूल पाठ ने क्या कहा। अनुवादकों को यह चुनने की आवश्यकता होगी कि कौन से पाठ को अनुवाद करना है। यूएलटी अनुवाद में पहला पाठ है परन्तु पाद टिप्पणी में दूसरे पाठ को सम्मिलित करता है।
""वे यरूशलेम से लौट आए"" (प्रेरितों के काम 12:25)। कुछ संस्करण कहते हैं, ""वे यरूशलेम को लौट गए (या वहाँ पर)।""
- ""वह उनकी सहता रहा"" (प्रेरितों के काम 13:18)। कुछ संस्करण कहते हैं, ""उसने उनकी देखभाल की।""
- ""यह वही प्रभु कहता है जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है।"" (प्रेरितों 15:17-18)। कुछ पुराने संस्करण कहते हैं, ""प्रभु यही कहता है, जिसे प्राचीनकाल से उसके सभी कामों के कारण जाना जाता है।""