हिन्दी, हिंदी (Hindi): Open Bible Stories Translation Notes

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सृष्टि

इस शीर्षक का अनुवाद इस प्रकार से भी किया जा सकता है: “इस विषय में कि परमेश्वर ने संसार की रचना कैसे की” या “परमेश्वर ने संसार को कैसे रचा?”

01-01

आरम्भ

परमेश्वर के अलावा सारी वस्तुओं के अस्तित्व में आने से पहले इसका अर्थ ‘सब बातों का आरम्भ’ हो सकता है।

रचना की

यहाँ दिए गए इस शब्द का अर्थ है कि परमेश्वर ने शून्य से इसकी रचना की थी।

सृष्टि

इसमें वह सब कुछ अर्थात् दृश्यमान और अदृश्य दोनों वस्तुएँ शामिल हैं जिनकी रचना परमेश्वर ने पृथ्वी पर और स्वर्ग में की थी।

पृथ्वी

यह पृथ्वी शब्द उस समूचे संसार को संदर्भित करता है जिस पर मनुष्य निवास करते हैं।

अंधकार

अंधकार पूर्णरूप से छाया हुआ था। कोई उजियाला नहीं था, क्योंकि उस समय तक परमेश्वर ने उजियाले की रचना नहीं की थी।

खाली

केवल बेडौल पृथ्वी को छोड़कर जो पानी से ढकी हुई थी, इस समय तक परमेश्वर ने किसी भी वस्तु का रचना नहीं की थी।

उसने इस समय तक उसमें किसी भी वस्तु को नहीं बनाया था।

उसमें कोई भी खास विशेषताएँ नहीं थीं - सब कुछ पानी से ढका हुआ था।

परमेश्वर का आत्मा

परमेश्वर का आत्मा, जिसे कभी-कभी पवित्र आत्मा भी कहा गया है, आरम्भ में उपस्थित था, और पृथ्वी के ऊपर स्वतंत्र होकर मंडरा रहा था ताकि जिन बातों की उसने योजना बनाई थी उनकी रचना करे।

01-02

परमेश्वर ने कहा

परमेश्वर ने एक सामान्य मौखिक आदेश के माध्यम से उजियाले की रचना की।

तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो!”

यह प्रत्यक्ष उद्धरण है। इसे अप्रत्यक्ष उद्धरण के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है: “तब परमेश्वर ने कहा कि वहाँ उजियाला होना चाहिए।” (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/*_ta/src/branch/master/translate/figs-quotations/01.md]])

उजियाला हो!

इस आदेश का परिणाम तुरन्त घटित इसलिए हुआ क्योंकि इसे परमेश्वर के द्वारा बोला गया था। इसका अनुवाद निश्चितता के कथन के रूप में करना अधिक स्वाभाविक हो सकता है कि यह बात निश्चित रूप से घटित होगी। उदाहरण के लिए, आप इसका अनुवाद इस प्रकार से कर सकते हैं: “वहाँ उजियाला होगा।” (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/*_ta/src/branch/master/translate/figs-imperative/01.md]])

उजियाला

यह एक विशेष उजियाला था जिसे परमेश्वर ने रचा था। इसके बाद भी सूर्य की रचना नहीं हुई थी।

अच्छा था

इस वाक्यांश को अक्सर सृष्टि की कहानी के माध्यम से दोहराया गया है, और यह इस बात पर जोर देता है कि सृष्टि की रचना का प्रत्येक चरण परमेश्वर को प्रसन्न कर रहा था और इसने उसकी योजना एवं उद्देश्य को पूरा किया।

सृष्टि

यहाँ इस शब्द का उपयोग छह दिनों की उस अवधि को संदर्भित करने के लिए किया गया है, जिस दौरान परमेश्वर हर विद्यमान वस्तु को अस्तित्व में लाया।

01-03

दूसरा दिन

परमेश्वर का सृष्टि का कार्य व्यवस्थित, उद्देश्यपूर्ण और क्रमबद्ध तरीके से था। जिन वस्तुओं की रचना उसने प्रतिदिन की, वे पिछले दिनों के कार्यों पर आधारित और उन पर निर्भर थीं।

जल के ऊपर एक अंतर हो जाए

परमेश्वर ने एक आदेश बोलने के द्वारा आकाश की रचना की।

आकाश

यह शब्द पृथ्वी के ऊपर के समूचे स्थान को संदर्भित करता है, जिसमें हमारे द्वारा सांस ली जाने वाली हवा और स्वर्ग भी शामिल है।

01-04

तीसरा दिन

व्यवस्थित दिनों की श्रृंखला में अगला विषय वह है जिसमें परमेश्वर ने पृथ्वी को जीवन के लिए तैयार किया।

जल एक स्थान पर इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे

परमेश्वर ने एक आदेश बोलने के द्वारा सूखी भूमि की रचना की।

पृथ्वी

यहाँ उपयोग किया गया यह शब्द धूल या मिट्टी को संदर्भित करता है, जिससे सूखी भूमि बनी होती है।

रचना की

यहाँ इस शब्द का उपयोग शून्य से किसी वस्तु की रचना करने के विचार में किया गया है।

01-05

फिर परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी सब प्रकार से पेड़-पौधे उत्पन्न करे।”

यह प्रत्यक्ष उद्धरण है। इसे अप्रत्यक्ष उद्धरण के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है: “फिर परमेश्वर ने कहा कि पृथ्वी सब प्रकार से पेड़-पौधे उत्पन्न करे।” (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/*_ta/src/branch/master/translate/figs-quotations/01.md]])

परमेश्वर ने कहा

परमेश्वर ने एक आदेश बोलने के द्वारा सारी साग-सब्जियों की रचना की।

पृथ्वी सब प्रकार से पेड़-पौधे उत्पन्न करे

इस आदेश का परिणाम तुरन्त घटित इसलिए हुआ क्योंकि इसे परमेश्वर के द्वारा बोला गया था। इसका अनुवाद निश्चितता के कथन के रूप में करना अधिक स्वाभाविक हो सकता है कि यह बात निश्चित रूप से घटित होगी। उदाहरण के लिए, आप इसका अनुवाद इस प्रकार से कर सकते हैं: “पृथ्वी सब प्रकार के पेड़-पौधों को उत्पन्न करेगी।” (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/*_ta/src/branch/master/translate/figs-imperative/01.md]])

सब प्रकार के

पेड़-पौधों की बहुत सी अलग-अलग प्रजातियाँ, या प्रकार।

रचना की

यहाँ इस शब्द का उपयोग शून्य से किसी वस्तु की रचना करने के विचार में किया गया है।

अच्छा था

इस वाक्यांश को अक्सर सृष्टि की कहानी के माध्यम से दोहराया गया है, और यह इस बात पर जोर देता है कि सृष्टि की रचना का प्रत्येक चरण परमेश्वर को प्रसन्न कर रहा था और इसने उसकी योजना एवं उद्देश्य को पूरा किया।

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चौथा दिन

व्यवस्थित दिनों की श्रृंखला में अगला विषय वह है जिसमें परमेश्वर ने रचना की

आकाश में ज्योतियाँ हों

परमेश्वर ने एक आदेश बोलने के द्वारा सूर्य, चंद्रमा, और सितारों की रचना की।

ज्योति

आकाश में चमकते पिंडों ने अब पृथ्वी पर उजियाला प्रदान किया।

दिन और रात, मौसम और वर्ष

परमेश्वर ने दिन, रात, मौसमों और वर्षों को चिन्हित करने के लिए अलग-अलग प्रकाशों की रचना की। वह उन समयावधियों को भी विभाजित करता है जिनका संकेत प्रकाश की स्थितियों से मिलता है। ये अवधियाँ चक्रीय होती हैं और समय के अंत तक जारी रहती हैं।

रचना की

यहाँ इस शब्द का उपयोग शून्य से किसी वस्तु की रचना करने के विचार में किया गया है।

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पाँचवाँ दिन

परमेश्वर ने सृष्टि की अपनी व्यवस्थित प्रगति को जारी रखा जिसे उसने पिछले चार दिनों के दौरान आरम्भ किया था।

जीवित प्राणियों से जल भर जाए, और आकाश में पक्षी उड़ें

परमेश्वर ने एक आदेश बोलने के द्वारा जल-जन्तुओं और पक्षियों की रचना की।

सब तैरने वाले प्राणी

परमेश्वर ने न केवल मछलियों की रचना की, बल्कि उसने पानी में रहने वाले सब प्रकार के प्राणियों की भी रचना की। उनमें से हर एक का अस्तित्व इसलिए है क्योंकि परमेश्वर ने उनकी सृष्टि करने का चुनाव किया था।

सब पक्षी

परमेश्वर ने केवल एक ही प्रकार का पक्षी नहीं बनाया, बल्कि उसने सब तरह के प्रारूपों, आकारों, रंगों, और प्रकारों की अद्भुत विविधता वाले पक्षियों की रचना की।

यह अच्छा था

इस वाक्यांश को सम्पूर्ण सृष्टि में इस बात को प्रकट करने के लिए दोहराया गया है कि प्रत्येक चरण परमेश्वर की बुद्धिमान योजना और उद्देश्य के अनुसार ही घटित हुआ।

उन्हें आशीष दी

परमेश्वर ने अपनी इच्छा व्यक्त की कि वे समृद्ध हों और जिस संसार में उसने उन्हें रखा था, उसमें उनके लिए सब कुछ अच्छा हो।

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छठवाँ दिन

निरंतर, व्यवस्थित प्रगति में दिनों और रचनात्मक कृत्यों की अगली घटना

सब प्रकार के भूमि के पशु हों!

इस आदेश का परिणाम तुरन्त घटित इसलिए हुआ क्योंकि इसे परमेश्वर के द्वारा बोला गया था। इसका अनुवाद निश्चितता के कथन के रूप में करना अधिक स्वाभाविक हो सकता है कि यह बात निश्चित रूप से घटित होगी। उदाहरण के लिए, आप इसका अनुवाद इस प्रकार से कर सकते हैं: “भूमि पर पाए जाने वाले सब प्रकार के पशु उत्पन्न हों!” (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/*_ta/src/branch/master/translate/figs-imperative/01.md]])

सब प्रकार के

यह एक बड़ी विविधता के साथ-साथ क्रम की ओर भी संकेत करता है।

भूमि के पशु

पक्षियों, या समुद्र में रहने वाले जन्तुओं के विपरीत, हर प्रकार के पशु जो भूमि पर रहते थे।

पालतु पशु

इस प्रकार के भूमि पर पाए जाने वाले पशु जो मनुष्यों के साथ सामान्य रूप से शांतिपूर्वक रहते हैं—जैसे कि वश में किए हुए, या पालतु बनाए हुए पशु।

भूमि पर रेंगने वाले

इसमें शायद सरीसर्प और सम्भवतः कीट-पतंगें भी शामिल हैं।

जंगली

इस प्रकार के पशु जो आमतौर पर लोगों के साथ शांति से नहीं रहते हैं, सामान्य रूप से इसलिए क्योंकि वे मनुष्यों से डरते हैं, या उनके लिए खतरनाक होते हैं।

यह अच्छा था

इस वाक्यांश को सम्पूर्ण सृष्टि में इस बात को प्रकट करने के लिए दोहराया गया है कि प्रत्येक चरण परमेश्वर की बुद्धिमान योजना और उद्देश्य के अनुसार ही घटित हुआ।

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हम बनाएँ

यह एक विशेष उद्देश्य के लिए एक विशेष तरीके से मनुष्य की रचना के लिए परमेश्वर के जानबूझकर लिए गए इच्छित निर्णय की ओर संकेत करता है। आप इसका अनुवाद इस प्रकार से कर सकते हैं: “हम बनाएँगे।”

हम और हमारा और हमें

बाइबल सिखाती है कि परमेश्वर एक ही है, परन्तु पुराने नियम का परमेश्वर शब्द बहुवचन रूप है, और परमेश्वर ने स्वयं से बात करते समय बहुवचन सर्वनामों का उपयोग किया। कुछ लोग इसे बोलने के एक ऐसे विशेष तरीके के रूप में समझते हैं जो परमेश्वर की महिमा को व्यक्त करता है, और अन्य लोग इसे ऐसे समझते हैं कि जैसे परमेश्वर पिता पुत्र और आत्मा से बात कर रहा है, जो सब के सब परमेश्वर हैं। (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/*_ta/src/branch/master/translate/figs-pronouns/01.md]])

हमारे स्वरूप में

एक स्वरूप किसी व्यक्ति या किसी वस्तु का शारीरिक प्रतिरूप होता है। मनुष्यों को इस प्रकार से रचा गया था कि हम परमेश्वर के कुछ गुणों या लक्षणों को प्रदर्शित या प्रस्तुत करते हैं।

हमारे समान होने के लिए हमारे स्वरूप में

हमारे स्वरूप में और हमारी समानता में ये दो वाक्यांश, एक दूसरे की प्रतिलिपि हैं। इनका अर्थ लगभग एक जैसा ही है। साथ ही में, वे इस बात पर जोर देते हैं कि मनुष्य को यद्यपि बिलकुल वैसा तो नहीं, परन्तु बहुत हद तक परमेश्वर के समान होना था। (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/*_ta/src/branch/master/translate/figs-doublet/01.md]])

हमारे समान

मनुष्य परमेश्वर के कुछ गुणों को साझा करते हैं, परन्तु उसके सभी गुणों को साझा नहीं करते। इस वाक्यांश का अनुवाद ऐसे शब्दों में किया जाना चाहिए जो इस बात को प्रकट करें कि मनुष्य परमेश्वर के समान तो हैं, परन्तु उसके बराबर नहीं है, और न ही वैसे हैं जैसा वह है।

पर शासन करे

पृथ्वी और पशुओं का उपयोग कैसे किया जाएगा, इस विषय पर परमेश्वर ने मनुष्यों को प्रबंधन, मार्गदर्शन और नियंत्रण करने का अधिकार और सामर्थ्य प्रदान की है।

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थोड़ी मिट्टी ली

परमेश्वर ने मनुष्य को धूल, या भूमि की सूखी मिट्टी से बनाया है। सम्भवतः यह शब्द पृथ्वी के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान्य शब्द से भिन्न होना चाहिए।

उसे रचा

यह पद इस बात को व्यक्त करता है कि परमेश्वर ने व्यक्तिगत रूप से मनुष्य को उसी रीति से रचा है जैसे कोई व्यक्ति अपने हाथों से किसी वस्तु को आकार प्रदान करता है। इस बात को सुनिश्चित करें कि 'सृष्टि' से भिन्न शब्द का उपयोग किया जाए। इस बात पर भी ध्यान दें कि यह उससे बहुत अलग है कि कैसे परमेश्वर ने साधारण रूप से बोले गए एक आदेश के माध्यम से बाकी सब वस्तुओं की रचना की।

मनुष्य

इस समय पर केवल पुरुष की रचना की गई थी; बाद में स्त्री की रचना अलग तरीके से की गई थी।

जीवन का श्वास फूँक दिया

यह वाक्यांश परमेश्वर की बहुत ही व्यक्तिगत, अंतरंग क्रिया को व्यक्त करता है जब उसने जीवन को स्वयं में से आदम के शरीर में स्थानांतरित किया, जिसकी तुलना हम ऐसे कर सकते है कि जैसे कोई मनुष्य सांस छोड़ता है।

जीवन

इस घटना में, परमेश्वर ने शारीरिक और आत्मिक दोनों जीवनों को मनुष्य में फूँक दिया।

आदम

आदम का नाम उसी शब्द के समान है जिसे पुराने नियम में 'मनुष्य' के लिए उपयोग किया गया है, और यह मिट्टी के लिए उपयोग किए गए शब्द के समान है, अर्थात् वह पदार्थ जिससे मनुष्य को रचा गया था।

एक बड़ी वाटिका

भूमि का एक ऐसा क्षेत्र जिसमें एक उद्देश्य के लिए पेड़-पौधों को लगाया गया था, अर्थात् सामान्य रूप से उन्हें भोजन उत्पन्न करने या सुंदरता प्रदान करने के लिए लगाया गया था।

कि उसकी देखभाल करे

मिट्टी को तैयार करने, रोपने, और कटनी के द्वारा वाटिका का रखरखाव करना।

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बीच में

वह केंद्रीय स्थान उन दो पेड़ों के महत्व पर जोर देता है।

वाटिका

भूमि का एक ऐसा क्षेत्र जिसमें एक उद्देश्य के लिए पेड़-पौधों को लगाया गया था - अर्थात् सामान्य रूप से उन्हें भोजन उत्पन्न करने या सुंदरता प्रदान करने के लिए लगाया गया था।

जीवन का वृक्ष

जो कोई भी इस पेड़ का फल खाएगा वह कभी न मरेगा।

भले और बुरे के ज्ञान का वृक्ष

इस पेड़ का फल किसी व्यक्ति को भले-बुरे को जानने में सक्षम बना सकता है।

ज्ञान

व्यक्तिगत अनुभव के द्वारा जानना या समझना।

भला और बुरा

भले का विपरीत बुरा होता है। जिस प्रकार से भला उन बातों को संदर्भित करता है जो परमेश्वर को प्रसन्न करती हैं, वैसे ही बुरा उन सब बातों को संदर्भित करता है जो परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करतीं।

मर जाएगा

इस कारणवश, वह शारीरिक और आत्मिक दोनों रूपों में मर जाएगा।

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अच्छा नहीं

यह पहली बार है कि सृष्टि में कुछ भी अच्छा नहीं था। इसका अर्थ यह है कि यह 'अभी तक अच्छा नहीं' इसलिए था क्योंकि परमेश्वर ने मनुष्यों की रचना पूरी नहीं की थी।

अकेला

आदम ही एकमात्र मनुष्य था, जिसके पास किसी अन्य व्यक्ति के साथ सम्बन्ध की कोई सम्भावना नहीं थी, और वह संतान उत्पन्न करने और बढ़ने में असमर्थ था।

आदम का सहायक

कोई भी ऐसा नहीं था जो आदम से मेल खाए, जो उस कार्य को पूरा करने के लिए उसके साथ शामिल हो जो परमेश्वर ने उसे सौंपा था। कोई भी पशु ऐसा नहीं कर सकता था।

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गहरी नींद

यह सामान्य नींद की तुलना में गहरी नींद थी।

आदम की एक पसली ली और बना दिया

ये क्रियाएँ परमेश्वर द्वारा आदम की पसली निकालकर उसे स्त्री का रूप प्रदान करने के अत्यन्त व्यक्तिगत कार्य की ओर संकेत करती हैं।

स्त्री

वह पहली स्त्री थी, जो मनुष्यों का स्त्री संस्करण था जिसकी उस समय तक कमी थी।

उसे उसके पास ले आया

परमेश्वर ने स्वयं ही उनका परिचय करवाया। उसने स्त्री को लाकर आदम के सामने प्रस्तुत किया, जो लगभग एक विशेष उपहार देने के समान ही था।

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अब!

आदम का विस्मय इस बात को प्रकट करता है कि वह स्त्री जैसी किसी वस्तु की प्रतीक्षा कर रहा था।

मेरे जैसी

स्त्री आदम के समान प्रकार की ही प्राणी थी, भले ही उनके बीच में महत्वपूर्ण अंतर पाए जाते थे।

नारी

यह शब्द ‘नर’ शब्द का ही स्त्री रूप है।

आदम से ही बनाई गई है

स्त्री की रचना प्रत्यक्ष रूप से आदम की देह से ही की गई थी।

पुरुष छोड़कर

यह उस बात को प्रकट करने के लिए वर्तमान काल में कहा गया है कि भविष्य में सामान्य स्थिति क्या होगी। आदम के माता या पिता नहीं थे, परन्तु अन्य सभी मनुष्यों के होंगे।

एक तन बने रहेंगे

पति-पत्नी एकता के एक अंतरंग बंधन और एक दूसरे के प्रति समर्पण को साझा करेंगे जो किसी और व्यक्ति के साथ उनके सम्बन्ध को पार कर जाएगा। (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/*_ta/src/branch/master/translate/figs-idiom/01.md]])

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परमेश्वर ने बनाया था

परमेश्वर ने पुरुष और स्त्री की रचना बहुत ही व्यक्तिगत तरीके से की थी।

अपने स्वरूप में

एक स्वरूप किसी व्यक्ति या किसी वस्तु का शारीरिक प्रतिरूप होता है। परमेश्वर ने मनुष्यों को उसके कुछ गुणों या लक्षणों को प्रदर्शित या प्रस्तुत करने के लिए रचा था, परन्तु उसके बराबर होने के लिए नहीं।

बहुत अच्छा

यह पिछले दिनों के वह अच्छा है वाले कथनों से अधिक गहन था। बहुत अच्छा केवल पुरुष और स्त्री को ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि को संदर्भित करता है। सब कुछ ठीक वैसा ही था जैसा उसके होने की परमेश्वर ने मंशा की थी।

सृष्टि

यहाँ इस शब्द का प्रयोग छह दिनों की उस अवधि को संदर्भित करने के लिए किया गया है, जिस दौरान परमेश्वर ने हर उस वस्तु को बनाया जो अस्तित्व में है।

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सातवाँ दिन

सृष्टि करने के छह दिनों के पूरा होने के बाद का अगला दिन।

उन सब कामों को समाप्त किया जिनको वह कर रहा था

विशेष रूप से, परमेश्वर ने सृष्टि करने के काम को समाप्त किया। इस समय पर भी उसने दूसरे काम किए।

सातवें दिन को आशीष दी

परमेश्वर के पास सातवें दिन, और आने वाले प्रत्येक सातवें दिन के लिए एक विशेष और सकारात्मक योजना थी।

उसे पवित्र ठहराया

अर्थात्, परमेश्वर ने उस दिन को एक विशेष दिन के रूप में 'अलग ठहराया।' इसे सप्ताह के अन्य छह दिनों के समान उसी रीति से उपयोग नहीं करना था।

सृष्टि

इसमें वह सब कुछ अर्थात् दृश्यमान और अदृश्य दोनों वस्तुएँ शामिल हैं जिनकी रचना परमेश्वर ने पृथ्वी पर और स्वर्ग में की थी।

से ली गई बाइबल की कहानी

ये संदर्भ बाइबल के कुछ अनुवादों में थोड़े से अलग हो सकते हैं।