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Esther

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एस्तेर का पुस्तक परिचय

भाग 1: सामान्य परिचय

एस्तेर की पुस्तक की रूपरेखा

  1. क्षयर्ष अपनी पत्नी, रानी को पदच्युत कर देता है (1:1-22)
  2. क्षयर्ष एस्तेर को नई रानी चुनता है (2:1-23)
  3. हामान यहूदियों के सर्वनाश की योजना बनाता है (3:1-15)
  4. मौर्दकै एस्तेर से कहता है कि वह अपने लोगों की रक्षा करे (4:1-17)
  5. एस्तेर यहूदियों के लिए राजा से विनती करती है (5:1–7:10)
  6. यहूदियों के सर्वनाश की हामान की योजना का परिणाम (8:1–9:16)
  7. पूरीम नाम का पर्व (9:17–32)
  8. उपसंहार (10:1-3)
एस्तेर की पुस्तक का विषय क्या है?

एस्तेर की पुस्तक में यह वृतांत पाया जाता है कि ऐस्तर नामक एक यहूदी युवती कैसे फारस की रानी बनी। रानी होने के कारण वह फारस के सब यहूदियों को सर्वनाश से बचाने में कारगर सिद्ध हुई थी।

इस पुस्तक के अंत में यह भी दर्शाया गया है कि यहूदी पूरीम का पर्व क्यों मनाते हैं। शब्द “पूरीम” का मूल “पूर” शब्द है जिसका अर्थ है, “चिट्ठियाँ” या “पासा।” यहूदियों के बैरी, हामान ने पासा फेंका था कि यहूदियों पर कब आक्रमण किया जाए और उन्हें कब नष्ट किया जाए। यहूदी पूरीम का पर्व मनाते हैं कि स्मरण करें कि यहोवा ने किस प्रकार अपने लोगों को सर्वनाश से बचाया।

इस पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद कैसे जाए?

अनुवादक इसके पारंपरिक नाम को ही रख सकते हैं, “एस्तेर” या “एस्तेर की पुस्तक” या और अधिक स्पष्ट शीर्षक का चयन कर सकते हैं जैसे, “एस्तेर के विषय एक पुस्तक।”

भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक एवं सांस्कृतिक संकल्पनाएँ

फारसी साम्राज्य क्या था? राजा कूस्रू महान ने अनेक देशों को जीत कर उन पर राज किया था। यह विश्व का वह भूभाग है जिसको फारस कहते हैं जो आज ईरान में है। अतः लोगों ने उसके राज्य का नाम फारसी साम्राज्य रख दिया था। कूस्रू ने 586 ई.पू. में जब बेबीलोन को जीत लिया था तब से बेबीलोनियों द्वारा बन्धुआई में ले जाए गए यहूदी उसके अधिकारा के अधीन हो गए थे।
फारसियों ने जब बेबीलोन को जीता था तब यहूदी वहाँ क्यों थे? 586 ई.पू. में बेबीलोनियों ने यहूदा को जीत कर वहाँ के लोगों को बन्धुआई में ले लिया था और उनको निर्वासन में ले गए थे। इस कारण यहूदी और उनके वंशज उस समय बेबीलोन में थे जब फारसियों ने उसे जीता था।
“फारसियों और मादियों के नियन” का अभिप्राय क्या था?

यह उक्ति, “फारसियों और मादियों के नियम” एस्तेर 1:19 और दानिय्येल 6:12 में पाई जाती है। इसका सन्दर्भ उन नियमों और आज्ञाओं से है, जिनके निकल जाने के बाद उनको न तो बदला जा सकता था न ही उनको निरस्त किया जा सकता था। एस्तेर की पुस्तक में राजा ने आज्ञा दी थी कि प्रजा के लोग यहूदियों पर आक्रमण करके उनका संहार कर सकते हैं। उत्तरकाल में उसको इसका पछतावा हुआ परन्तु वह उस आज्ञा को बदलने में अक्षम था। शब्द “मादी” उस जाति को संदर्भित करता है जिसने कभी अपना राज्य स्थापित कर लिया था परन्तु फारसियों ने उनको जीत लिया था।

भाग 3: अनुवाद के महत्त्वपूर्ण विषय

एस्तेर की पुस्तक में भाषा के विभिन्न स्तर क्या-क्या हैं? एस्तेर की पुस्तक में मनुष्य विभिन्न परिस्थितियों में परस्पर वार्तालाप करता है। फारस के दरबार में विनम्र एवं परिष्कृत भाषा बोली जाती थी और राजाज्ञाएं निकलती थीं। मित्रों और निकट सम्बन्धियों के मध्य भी बातचीत होती थी। कुछ ऐसे शब्द भी थे जिनका उपयोग मनुष्य स्वयं से बात करने में करता था। अनुवादकों के लिए आवश्यक है कि वे अपनी-अपनी भाषा में में इन विभिन्न परिस्थितियों को स्पष्ट व्यक्त करने हेतु ऐसी विधियाँ काम में लें जिनके माध्यम से पाठकों को पहचानने और समझने में आसानी हो।

Esther 1

एस्तेर 01 सामान्य टिप्पणियाँ

इस अध्याय में विशिष्ट संकल्पनाएँ

राजा का विवाह-विच्छेद

रानी ने राजा के अतिथियों को अपनी सुन्दरता का दर्शन कराने से इनकार कर दिया था तो राजा के परामर्शदाताओं से यह सुना कि भय इस बात का था कि पति अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे; अतः उन्होंने राजा को परामर्श दिया कि रानी से विवाह-विच्छेद कर ले।

Esther 1:1

וַ⁠יְהִ֖י

पुराने नियम में किसी ऐतिहासिक वृत्तांत को आरम्भ करने का यह एक मूलमंत्र है। अनेक भाषाओं में भी वृत्तांत आरंभ करने के ऐसी ही विधियां होंगी, यदि आपकी भाषा में है तो आप उसका यहाँ उपयोग कर सकते हैं। परन्तु यदि उसका तात्पर्य काल्पनिक कथा से हो तो उपयोग न करें। वैकल्पिक अनुवाद: ""यह उस समय की घटना है” (देखें: नई घटना का परिचय) (देखें: नर्इ घटनाओं का परिचय)

בִּ⁠ימֵ֣י אֲחַשְׁוֵר֑וֹשׁ

यहाँ शब्द “दिन” का प्रयोग लम्बे समय को दर्शाने के लिए लाक्षणिक रूप में किया गया है। आप कह सकते हैं, “क्षयर्ष के राज्य काल में” जैसा यूएसटी में मिलता है। परन्तु वैकल्पिक रूप में आप कह सकते हैं, “क्षयर्ष के समय में” (देखें: मुहावरे)

אֲחַשְׁוֵר֑וֹשׁ

यह एक पुरुष का नाम है और इस वृतांत में अनेक बार अता है। सुनिश्चित करें कि यह सदा अपरिवर्तित रहे। (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

ה֣וּא אֲחַשְׁוֵר֗וֹשׁ הַ⁠מֹּלֵךְ֙ מֵ⁠הֹ֣דּוּ וְ⁠עַד־כּ֔וּשׁ שֶׁ֛בַע וְ⁠עֶשְׂרִ֥ים וּ⁠מֵאָ֖ה מְדִינָֽה

क्षयर्ष को पहचानने में पाठकों के लिए यह पृष्ठभूमि संबंधी जानकारी है। (देखें: पृष्ठभूमि की जानकारी)

ה֣וּא אֲחַשְׁוֵר֗וֹשׁ הַ⁠מֹּלֵךְ֙

“क्षयर्ष नामक राजा ने राज किया”

מֵ⁠הֹ֣דּוּ וְ⁠עַד־כּ֔וּשׁ

यदि ऐसा हो कि आप के पाठकों को इन स्थानों का ज्ञान न हो तो आप कह सकते हैं, ""भारत से लेकर पश्चिम में इथोपिया के पूर्व तक का वृहत क्षेत्र” (देखें: पृष्ठभूमि की जानकारी)

שֶׁ֛בַע וְ⁠עֶשְׂרִ֥ים וּ⁠מֵאָ֖ה מְדִינָֽה

आंकड़े देने का उद्देश्य है कि दर्शाया जाए कि वह साम्राज्य कैसा महान था। आप स्पष्ट व्यक्त कर सकते हैं, “क्षयर्ष ऐसे विशाल साम्राज्य पर राज करता था जिसमें 127 प्रान्त थे” (देखें: पृष्ठभूमि की जानकारी)

שֶׁ֛בַע וְ⁠עֶשְׂרִ֥ים וּ⁠מֵאָ֖ה מְדִינָֽה

वैकल्पिक अनुवाद: “एक सौ सत्ताईस प्रान्त” (देखें: संख्याएँ)

Esther 1:2

כְּ⁠שֶׁ֣בֶת…עַ֚ל כִּסֵּ֣א מַלְכוּת֔⁠וֹ

सिंहासन पर “विराजमान” एक लाक्षणिक उक्ति का अर्थ किसी राज्य पर राज करना है। आप “राज किया” भी ही कह सकते हैं, जैसा यूएसटी में मिलता है। परन्तु वैकल्पिक रूप में आप कह सकते हैं, “अपने राजसी सिंहासन से अपने साम्राज्य पर राज किया” (देखें: लक्षणालंकार)

עַ֚ל כִּסֵּ֣א מַלְכוּת֔⁠וֹ

शब्द राजसी संज्ञा है, जिसका अर्थ, राजा द्वारा राजसी अधिकार के उपयोग से है। आप इसका अनुवाद क्रिया रूप में कर सकते हैं, “जिस सिंहासन से उसने राज किया” या “ विशेषण रूप में, ""उसके राजसी सिंहासन से” (देखें: भाववाचक संज्ञा)

בְּ⁠שׁוּשַׁ֥ן

यह फारसी राजाओं के राजसी नगर का नाम था। इस वृतांत में यह नाम अनेक बार आता है। सुनिश्चित करें कि इसका अनुवाद अपरिवर्तनीय हो। (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

הַ⁠בִּירָֽה

इसका अर्थ “गढ़” या महल होता है, जहाँ राजा रहता है। परन्तु यहाँ शूशन नगर ही को “शूशन गढ़” कहा गया है, जिस से इस शब्द का अभिप्राय, “राजसी नगर” या “राजधानी” है। इस वृत्तांत का वर्णनकर्ता इस नगर को किसी निकट संबन्धित स्थान, राजमहल के द्वारा शूशन को राजधानी का स्तर प्रदान करता है। इसका उत्तम अनुवाद “फारस की राजधानी” होगा। (देखें: अज्ञात का अनुवाद और लक्षणालंकार)

Esther 1:3

בִּ⁠שְׁנַ֤ת שָׁלוֹשׁ֙ לְ⁠מָלְכ֔⁠וֹ

इसका अर्थ यह हुआ कि क्षयर्ष ने दो वर्ष राज कर लिया था और ये घटनाएँ अग्रिम वर्ष की हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “क्षयर्ष द्वारा अपने साम्राज्य पर राज करने के तीसरे वर्ष में” या “जब वह दो वर्ष राज कर चुका तब” (देखें: क्रमसूचक संख्याएँ)

בִּ⁠שְׁנַ֤ת שָׁלוֹשׁ֙ לְ⁠מָלְכ֔⁠וֹ

राज्य एक संज्ञा वाचक शब्द है, जिसका सन्दर्भ राजा द्वारा राजसी अधिकार के उपयोग से है। आप इसका अनुवाद क्रिया रूप में कर सकते हैं: “क्षयर्ष के राज्यकाल के तीसरे वर्ष में"" (देखें: भाववाचक संज्ञा)

עָשָׂ֣ה מִשְׁתֶּ֔ה

“उसने एक भोज का आयोजन किया”

חֵ֣יל ׀ פָּרַ֣ס וּ⁠מָדַ֗י

संभव है कि इसका सन्दर्भ सेना के अधिकारियों से है। सम्पूर्ण सेना के सन्दर्भ से वह सेना के एक ही भाग का सन्दर्भ दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद: “सेना के अधिकारी” (देखें: उपलक्षण अलंकार)

הַֽ⁠פַּרְתְּמִ֛ים

इसका संभावित अर्थ “धनाढ्य भूस्वामियों” के तुल्य हो सकता है।

לְ⁠פָנָֽי⁠ו

सम्मुख लाक्षणिक प्रयोग है, जिसका अर्थ किसी व्यक्ति की उपस्थिति से है, अतः इस उक्ति का अर्थ “उसकी उपस्थिति में” होने से है। वह निमंत्रण था कि राजा की व्यक्तिगत उपस्थिति में आयोजित भोज में सहभागी होने हेतु राजनगरी में आने का निमंत्रण। आप यूएसटी के जैसा भी अनुवाद कर सकते हैं, कि राजा अतिथियों का सत्कार करने के लिए स्वयं उपस्थित था। या आप वैकल्पिक अनुवाद कर सकते हैं, “वे सब भोज में सहभागी होने हेतु शूशन में आए।” (देखें: लक्षणालंकार)

Esther 1:4

בְּ⁠הַרְאֹת֗⁠וֹ אֶת־עֹ֨שֶׁר֙ כְּב֣וֹד מַלְכוּת֔⁠וֹ

आप इस भाववाचक संज्ञा का अनुवाद विशेषण द्वारा भी कर सकते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “क्षयर्ष अपने राज्य के महान वैभव का प्रदर्शन करना चाहता था” (देखें: भाववाचक संज्ञा)