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1 Thessalonians

1 Thessalonians front

1 थिस्सलुनीकियों

भाग 1: सामान्य प्रस्तावना

1 थिस्सलुनीकियों की पुस्तक की रूपरेखा

इस पत्र में प्रेरित पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस के साथ, थिस्स्लुनीके की कलीसिया को प्रोत्साहित करता है और उनसे आग्रह करता है (देखें: INVALID names/thessalonica). पौलुस उन सब का प्रवक्ता है, क्योंकि वह अपने इस समूह को संदर्भित करते हुए “हम” शब्द का प्रयोग करता है परन्तु अन्य कुछ स्थानों में वह “मैं” शब्द के उपयोग द्वारा केवल स्वयं के विषय चर्चा करता है (देखें: 2:18; 3:5; 5:27). प्रेरितों द्वारा थिस्सलुनीके की कलीसिया में जो काम किया गया है उसकी पृष्ठकथा प्रे.का. 17:1-10 में पाई जाती है|

  1. प्रेरित द्वारा थिस्सलुनीके की कलीसिया की यादें (1:1-10)
    • अभिवादन (1:1)
    • थिस्सलुनीके के विश्वासियों के लिए आभारोक्ति (1:2-4)
    • थिस्सलुनीके के विश्वासियों के कष्टवहन के उदाहरण (1:6-10)
  2. प्रेरितों का अधिकार (2:1-16)
    • कलीसिया का सताव (2:1-13)
    • कलीसिया का विरोध (2:14-16)
  3. थिस्सलुनीके में तीमुथियुस का आगमन (3:1-13)
    • आगमन का कारण (3:1-5)
    • भेंट करने से प्राप्त तथ्यों का ब्योरा (3:6-13)
  4. प्रेरित की शिक्षाएं (4:1-18)
    • मसीह के पुनः आगमन की शैली (4:13-18)
  5. अंतिम शिक्षाएं (5:1-28)
    • मसीह के पुनः आगमन का समय (5:1-10) *अंतीं आग्रह और शिक्षाएं (5:11-28)
थिस्सलुनीके की कलीसिया को पहला पत्र किसने लिखा?

पौलुस ने सिलवानुस और तीमुथियुस की सहमती में यह पहला पत्र लिखा था| पौलुस तर्शिश नगर से था| आरंभिक जीवन में वह शाऊल के नाम से जाना जाता था| मसीही विश्वास में आने से पहले पौलुस एक फरीसी था| वह मसीही विश्वासियों को सताता था| मसीही विश्वास में आ जाने के बाद पौलुस ने अनेक बार सम्पूर्ण रोमी साम्राज्य का भ्रमण किया और मनुष्यों से यीशु के बारे में चर्चा की| इस पत्र को लिखते समय पौलुस कुरिन्थ नगर में ठहरा हुआ था| अनेक विद्वानों के मतानुसार पौलुस के जितने भी पत्र बाईबल में हैं, उनमें सबसे पहला पात्र यही है|

सिलवानुस का उल्लेख 2 कुरिन्थियों 1:19; 2 थिस्सलुनीकियों 1:1; 1 पतरस 5:12 में किया गया है| प्रेरितों के काम की पुस्तक में जो शब्द “सीलास” काम में लिया गया है वह सिलवानुस का संकुचित उपयोग है| सिलवानुस और सीलास दोनों एक ही मनुष्य के नाम हैं| र्तिमुथियुस इफिसुस की कलीसिया का अगुवा था (देखें 1 तीमुथियुस 1:1-4). पौलुस ने इस पत्र को कुरिन्थ नगर से लिखा था, वह इन दो साथियों के साथ वहाँ ठहरा हुआ था| 1:1 में इन तीनों के नामों के उल्लेख से संकेत मिलता है कि वे कभी थिस्सलुनीके में एक साथ थे

1 थिस्सलुनीकियों का विषय क्या है?

पौलुस ने यह पत्र थिस्सलुनीके नगर की कलीसिया को लिखा था, जब उस नागे के यहूदियों ने उनको वहाँ से चले जाने पर विवश किया था| थिस्सलुनीके का यह प्राचीन नगर प्राचीन मकिदुनिया के दक्षिणपूर्वी तट पर बसा हुआ था और इस समय थिस्सलोनीकी कहलाता है जो उत्तरपूर्वी यूनान में बसा हुआ है| (देखें: पृष्ठभूमि की जानकारी). इस पत्र में पौलुस कहता है कि उनसे भेंट करने को वह सफलता मानता है यद्यपि उसको वहाँ से चले जाने के लिए विवश किया गया था (देखें प्रे.का. 17:1-10).

तीमुथियुस ने थिस्सलुनीके की कलीसिया के बारे में पौलुस को जो समाचार दिया, पौलुस उसके प्रति प्रतिक्रिया प्रकट करता है| वहाँ के विश्वासी सताए जा रहे थे| पौलुस उनको प्रोत्साहित करते हुए कहता है कि वे परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली जीवन शैली ही जीएं| वह उनको मसीह के आगमन से पूर्व मरने वालों के साथ जो होता है, उसकी व्याख्या करके शांति दिलाता है|

इस पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद कैसे किया जाए?

अनुवादक इसके पारंपरिक शीर्षक को ही रख सकते हैं, “1 थिस्सलुनीकियों” या “पहला थिस्सलुनीकियों” वे एक स्पष्ट शीर्षक का भी चुनाव कर सकते हैं, जैसे, “थिस्सलुनीके की कलीसिया को पौलुस का पहला पत्र” या “थिस्सलुनीके की कलीसिया को पहला पत्र” (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

भाग 2:महत्वपूर्ण धार्मिक एवं सांस्कृतिक अवधारणाएं

त्रिएकत्व

इस पत्र में, पवित्र त्रिएकत्व का धर्मसिद्धान्त प्रबल पक्षपोषण पाता है| ये शब्द: परमेश्वर, पिता, पुत्र, प्रभु, यिशुऔर पवित्र आत्मा अनेक बार प्रकट हैं| (देखें: INVALID kt/god)

सुसमाचार

इस पत्र में पौलुस बार-बार सुसमाचार की प्रेरितीय सेवा का सन्दर्भ देता है और मसीह यीशु के बारे में परमेश्वर के शुभ सन्देश की संकल्पना के संचार के लिए विभिन्न वाक्यांशों को काम में लेता है (देखें: INVALID kt/goodnews)

प्रार्थना

पौलुस थिस्सलुनीके के विश्वासियों को आश्वासन दिलाता है कि प्रेरितों का उसका समूह उनके लिए लगातार प्रार्थना करता रहता है (देखें: 1:2). वह प्रार्थना के बारे में निर्देश भी देता है (देखें 5:2). और थिस्सलुनीके के विश्वासियों से निवेदन करता है कि वे उनके लिए प्रार्थना करें (देखें 5:25).(देखें: INVALID kt/pray)

विश्वास और निष्ठा

पत्र के माध्यम से थिस्सलुनीके के विश्वासियों को परमेश्वर के प्रति उनकी निष्ठा के लिए सराहा गया है| उनको स्मरण कराया गया है कि वे परमेश्वर में विश्वास रखें और सुसमाचार के जीवन को निष्ठापूर्वक जीएं| (देखें: INVALID kt/faithful, INVALID kt/faith)

प्रेरितों का अधिकार

इस पत्र का अधिकाँश भाग प्रेरितों के अधिकार के पक्ष में वाद है जो उनकी शिक्षाओं और जीवन शैली पर आधारित है| यह शब्द, “प्रेरितों” 2:6 में काम में लिया गया है कि पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस का परमेश्वर द्वारा भेजे जाने पर बलाघात हो| देखें: INVALID kt/apostle)

मसीह का पुनः आगमन

पौलुस ने इस पत्र में यीशु के पृथ्वी पर पुनः आगमन के बारे में बहुत कुछ लिखा है| जब यीश लौट कर आएगा तब वह मनुष्यों का न्याय करेगा| वह इस सृष्टि पर राज भी करेगा और सर्वत्र शांति व्याप्त होगी|

मृतक विश्वासियों की नियति

पौलुस स्पष्ट कहता है कि जो मसीह के पुनः आगमन से पूर्व मरते हैं वे पुनः जीवित होंगे और यीशु के साथ होंगे| वे सदा के लिए मरे हुए नहीं रहेंगे| पौलुस ऐसा लिखता है कि थिस्सलुनीके के विश्वासियों को प्रोत्साहित करे क्योंकि उनमें से कुछ को चिंता थी कि मृतक विश्वासी यीशु के पुनः आगमन पर “प्रभु के दिन” से वंचित रह जाएंगे|

मूर्ति पूजा

थिस्सलुनीके में यूनानी और रोमी संस्कृति की पृष्ठभूमी से आने के कारण कलीसिया के अनेक सदस्य पूर्वकालिक अन्यजाति थे जो किसी न किसी रूप में मूर्ति पूजा करते थे (देखें: 1:9)(देखें: INVALID other/image).

कष्टवहन

इस पत्र के अधिकाँश भाग में सुसमाचार के प्रति निष्ठा के कारण प्रेरितों और थिस्सलुनीके की कलीसिया के कष्टवहन पर चर्चा की गई है| (देखें: INVALID other/afflict, INVALID other/persecute)

शोधन

इस पत्र में पवित्रता का विचार व्याप्त है| अध्याय चार में विचार किया गया है कि एक मसीही विश्वासी को कैसे पवित्र जीवन का निर्वाह करना है| (देखें: INVALID other/suffer)

भाग 3: अनुवाद के महत्वपूर्ण विषय

इन अभिव्यक्तियों, “मसीह में” और “मसीह यीशु में” और “प्रभु यीशु मसीह में” और “पिता परमेश्वर में” और “पवित्र आत्मा में” से पौलुस का अभिप्राय क्या है?

पौलुस का अभिप्राय है, परमेश्वर और विश्वासियों में एकता के विचार को व्यक्त करना जिसमें त्रिएकत्व के तीनों पक्षों को समाहित किया गया है| ऎसी अभिव्यक्तियों के अधिक व्याख्यात्मक वर्णन हेतु देखें रोमियों की प्रस्तावना को|

पौलुस का अभिप्राय इन अभिव्यक्तियों से क्या है, “उसका आना” और “प्रभु यीशु का आना” और “प्रभु यीशु मसीह का आना”?

पौलुस ने “आना” शब्द का उपयोग मसीह के सम्बन्ध में एक निश्चित भाव में किया है कि उस समय को संदर्भित करे जब वह पृथ्वी पर पुनः आएगा और उस समय वह अपनी महिमा और सामर्थ्य का प्रदर्शन करेगा तथा अपने लोगों को अपने निमित्त एकत्र करेगा| अपनी भाषा के अर्थ भेद पर निर्भर करके आपके लिए आवश्यक होगा कि इसका अनुवाद विशिष्ट धारणा या शब्द में करें|

“परमेश्वर का वचन” या “प्रभु का वचन” से पौलुस का अभिप्राय क्या है?

इस सम्पूर्ण पत्र में पौलुस इन चिर-परिचित वाक्यांशों को या लघु रूपों को सुसमाचार के सन्देश के सन्दर्भ में काम में लेता है|

”भाइयों” शब्द से पौलुस का अर्थ क्या है?

इस सम्पूर्ण पत्र में “भाइयों” शब्द एक रूपक है जो सब विश्वासियों के सन्दर्भ में है, स्त्रियों के भी| (देखें: 1:4); 2:1, 9, 14, 17; 3:7; 4:1, 6, 10, 13; 5:1, 4, 12, 14, 26, 27

”हम” और “तुम”

इस पत्र में “हम” “हमारा” शब्दों का सन्दर्भ पौलुस सिलवानुस और तीमुथियुस से है जब तक कि अन्यथा संकेत न दिया जाए| इसके अतिरिक्त, “हम” और “हमारा” शब्दों से प्रकार होता है कि तीनों प्रेरित इस पत्र के लेखन से सहमत हैं|

1 थिस्सलुनीकियों की पुस्तक के मूल पाठ में पाठ्यपरक मुख्य समस्याएँ

जब बाईबल की प्राचीन हस्तलिपियों में अंतर होता है तब ULT अपने अभिलेख में उस पाठ को रखती है जिसको विद्वान् सर्वाधिक अचूक मानते हैं और अन्य संभावित सही पाठों को पादटिप्पणी में रखती है| प्रत्येक अध्याय की प्रस्तावना में उन स्थानों पर चर्चा की जाएगी जिनमें प्राचीन हस्तलिपियों में महत्वपूर्ण अंतर है और टिप्पणियों में उस स्थानों को पुनः संदर्भित किया जाएगा जहां वे पुस्तक में आते हैं| यदि आपके क्षेत्र में बाईबल की प्रति उपलब्ध है तो उस संस्करण में दिए गए पाठ को काम में लेने पर विचार करें| यदि नहीं है तो हमारा सुझाव है कि आप ULT के पाठ को अपनाएं| (See: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi _ta/src/branch/master/translate/translate-textvariants/01.md]])

  • “अनुग्रह और शांति तुम्हें मिलती रहे” (देखें: 1:1). कुछ हत्लिपियों में इस प्रकार लिखा है, “हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह से तुम्हें अनुग्रह और शांति मिले”
  • परन्तु हम तुम्हारे मध्य छोटे बालक हो गए, जैसे एक माँ अपनी संतान को शान्ति देती है” (देखें: 2:7). अन्य हस्तलिपियों में लिखा है, “इसकी अपेक्षा हम तुम्हारे मध्य ऐसे कोमल थे जैसे कि एक माँ अपनी सन्तान को शान्ति देती है”
  • तीमुथियुस, जो मसीह के सुसमाचार में हमारा भाई और परमेश्वर का सेवक है” (देखें: 3:2). अन्य हस्तलिपियों में है, “तीमुथियुस,हमारा भाई और परमेश्वर के लिए सहकर्मी|” (देखें: INVALID kt/sanctify)

1 Thessalonians 1

1 थिस्सलुनीकियों 1 निर्विशेष टिप्पणियाँ

1 थिस्सलुनीकियों 1 की रूपरेखा

  1. अभिवादन (1:1)
    1. थिस्सलुनीके की कलीसिया के लिए धन्यवाद की प्रार्थना (1:2-10)
    2. थिस्सलुनीके की कलीसिया की यादें (1:2-5)
  2. प्रेरीतीय प्रार्थना (1:2)
  3. थिस्सलुनीके के विश्वासियों के काम (1:2-3)
  4. परमेश्वर द्वारा थिस्सलुनीके के विश्वासियों का चुनाव (1:4-5)
    • थिस्सलुनीके के विश्वासियों का उदाहरण (1:6-10)
  5. प्रेरित की शिक्षाओं को ग्रहण करना (1:6)
  6. मकिदुनिया और अखया के लिए आदर्श (1:7-10)
  7. कष्टवहन का उदाहरण (1:7)# *सुसमाचार प्रचार (1:8)
  8. मूर्ति पूजा से मन फिराकर परमेश्वर के निकट आ गए (1:9)
  9. मसीह के पुनः आगमन के प्रतीक्षारत (1:10)

रचना एवं विन्यास शैली

पद 1 इस पात्र की औपचारिक प्रस्तावना है| प्राचीन मध्य एशिया में पत्रों की प्रस्तावनाएं सामान्यतः ऐसी ही होती थीं| पद 2-4 में थिस्सलुनीके के विश्वासियों के लिए सामान्य आभारोक्ति और प्रोत्साहन निहित है|

इस अध्याय में विशिष्ट अवधारणाएं

त्रिएकत्व

पिता परमेश्वर, पुत्र परमेश्वर और पवित्र आत्मा परमेश्वर का उल्लेख इस अध्याय में अनेक बार किया गया है| उनकी पहचान, उनके काम और विश्वासियों की उनमें एकता के परिप्रेक्ष्य में उनका वर्णन किया गया है|

क्लेश

उनसे पूर्व के प्रेरितों के सदृश्य थिस्सलुनीके की कलीसिया ने सुसमाचार के लिए क्लेश भोगे हैं| उन्होंने जिस प्रकार क्लेशों में भी सुसमाचार के सन्देश के प्रति प्रतिक्रया दिखाई है और मनुष्यों में फिर भी सुसमाचार सुनाया है, वह सम्पूर्ण मकिदुनिया और अखया की कलीसियाओं के लिए एक उदाहरण बन गया है|

निष्ठा

पौलुस इस सम्पूर्ण अध्याय में थिस्सलुनीके के विश्वासियों की ईश्वर परायणता की चर्चा करता है| उदाहरणार्थ देखें, 1:7 में, “विश्वास के काम”और 1:8 में, “तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है”

1 Thessalonians 1:1

Παῦλος, καὶ Σιλουανὸς, καὶ Τιμόθεος; τῇ ἐκκλησίᾳ

यहाँ कुछ शब्दों को छोड़ दिया गाया है जिनकी आवश्यकता अनेक अन्य भाषाओं में वाक्य पूर्ति हेतु होती है| वैकल्पिक अनुवाद: “हम, पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस कलीसिया को पत्र लिख रहे हैं” (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-ellipsis/01.md)

Παῦλος, καὶ Σιλουανὸς, καὶ Τιμόθεος

इस पत्र का लेखक पौलुस माना जाता है| सिलवानुस और तीमुथियुस पत्र लेखन के समय उसके साथ है वरन, वह जो लिख रहा है उससे सहमत हैं| यदि आपकी भाषा में इसको समझना संभव नहीं तो आप अपने अनुवाद में इस जानकारी को समाहित कर सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: “मैं, पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस के साथ यह नप्त्र लिख रहा हूँ” (देखें: अनुमानित ज्ञान एवं अंतर्निहित सूचना)

Σιλουανὸς

सिलवानुस नाम सीलास का विस्तृत रूप है जिसका प्रयोग इसी व्यक्ति के लिए प्रेरितों के काम की पुस्तक में किया गया है| आप चाहें तो इस लघु रूप को यहाँ भी काम में ले सकते हैं, या इस विस्तृत रूप को यहाँ काम में लेकर पाद टिप्पणी में स्पष्ट कर सकते हैं कि ये दोनों शब्द एक ही नाम के रूप हैं| (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

ἐν Θεῷ Πατρὶ καὶ Κυρίῳ Ἰησοῦ Χριστῷ

यहाँ पौलुस विश्वासियों के लिए लाक्षणिक भाषा का प्रयोग करता है कि जैसे वे परमेश्वर और यीशु के भीतर स्थान घेरे हुए हों| इस रूपक के द्वारा इस विचार को व्यक्त किया गया है कि विश्वासी परमेश्वर और यीशु के साथ आत्मिक एकता में हैं| यदि आपकी भाषा में यह भ्रम उत्पन्न करे तो आप इस अर्थ को अलंकार रहित भाषा में अनुवाद कर सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: “पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह में एक किए गए हो” (देखें: रूपक)

Θεῷ Πατρὶ καὶ Κυρίῳ Ἰησοῦ Χριστῷ

जब परमेश्वर को पिता कहा गया है (देखें: 1:3), तो इसका अर्थ है, “पुत्र” होने के लिए “यीशु” के साथ सम्बन्ध को उजागर किया जाए(देखें: 1:10). यहाँ पुराने नियम में परमेश्वर के लिए प्रयुक्त उपनाम, प्रभु यीशु के लिए काम में लिया गया है जो उसको परमेश्वर के तुल्य ठहराता है| इन उपनामों को अपने अनुवाद में प्रस्तुत करते समय अचूक होना निश्चित करें| (देखें: पुत्र और पिता का अनुवाद करना)

χάρις ὑμῖν καὶ εἰρήνη

यह वाक्यांश बाईबल का एक सर्व-निष्ठ आशीर्वाद एवं अभिवादन का सूत्र है (देखें: रोमि. 1:7; 1 कुरि. 1:3; 2 Cor. 1:2; गला. 1:3; इफी. 1:2; फ़िलि. 1:2; Col. 1:2; 2 थिस्स. 1:2;फिले. 1:3; 1 पत. 1:2; 2 Pet. 1:2; प्रका. 1:4). अपनी भाषा में ऐसा शब्द काम में लें जिसको पाठक आशीर्वाद समझें वरन अभिवादन का भी भाव प्रकट करे| वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर तुम्हें अपने अनुग्रह और शान्ति से सँवारे” या “मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर तुम्हें अनुग्रह प्रदान करे और सुरक्षित रखे” (देखें: INVALID translate/translate-blessing)

χάρις ὑμῖν καὶ εἰρήνη

ये शब्द, अनुग्रह और शांति भाववाचक संज्ञा शब्द हैं| आपकी भाषा में इन संकल्पनाओं को व्यक्त करने के लिए अपनी ही विशिष्ट शैली होगी जैसे क्रिया रूप में याद वर्णनात्मक शब्दों में| यदि है तो आप उनका उपयोग अपने अनुवाद में कर सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: “हम प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर तुम्हारे साथ दया का व्यवहार करे और तुम्हारे संबंधों को शांतिपूर्ण बनाए” (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-abstractnouns/01.md)

ὑμῖν

इस सम्पूर्ण पत्र में तुम शब्द बहुवचन में है (अन्यथा संकेत भिन्न हो) और थिस्सलुनीके की कलीसिया के सन्दर्भ में है| (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-you/01.md)

1 Thessalonians 1:2

εὐχαριστοῦμεν…ποιούμενοι

इस पद में पौलुस थिस्सलुनीकियों के लिए प्रेरितों की प्रार्थना का वर्णन दो उप-वाक्यों में करता है| पहला उप-वाक्य विशिष्ट है, परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं और दूसरा उप-वाक्य सामान्य है, उनका स्मरण करते हैं यदि आपकी भाषा में स्पष्ट हो तो आप इन उप-वाक्यों के क्रम को विपरीत कर सकते हैं, जैसा UST में किया गया है| (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-infostructure/01.md)

πάντοτε…μνείαν ποιούμενοι ἐπὶ τῶν προσευχῶν ἡμῶν, ἀδιαλείπτως

यहाँ ये शब्द, सदा और लगातार अतिशयोक्ति हैं जो थिस्सलुनीके के विश्वासियों के लिए पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस द्वारा परमेश्वर को चढ़ाई गई प्रार्थनाओं की प्रबलता और उनके सातत्य को लाक्षणिक भाषा में व्यक्त करते हैं| यदि आपकी भाषा में इस प्रकार अतिशयोक्ति का प्रयोग नहीं होता है तो साधारण भाषा का उपयोग करें और बलाघात को किसी और प्रकार व्यक्त करें| वैकल्पिक अनुवाद: “तुम सब के लिए हम लगातार परमश्वर को धन्यवाद कहते हैं, हमारी प्रार्थनाओं में तुम्हारी लिए बहुत याद करते हैं” (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-hyperbole/01.md)

1 Thessalonians 1:3

μνημονεύοντες ὑμῶν τοῦ ἔργου τῆς πίστεως, καὶ τοῦ κόπου τῆς ἀγάπης, καὶ τῆς ὑπομονῆς τῆς ἐλπίδος τοῦ Κυρίου ἡμῶν, Ἰησοῦ Χριστοῦ, ἔμπροσθεν τοῦ Θεοῦ καὶ Πατρὸς ἡμῶν;

इस वाक्य की मुख्य क्रिया है, “धन्यवाद करते हैं” (देखें 1:2). यह वाक्यांश, स्मरण करते ... परमेश्वर पिता एक प्रकार की वाक-शैली है जिसका अर्थ यह भी हो सकता है, प्रार्थना में परमेश्वर को धन्यवाद कहना| प्रेरित थिस्सलुनीके के विश्वासियों के बारे में इन बातों को स्मरण करते हैं और उनके लिए परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं| यदि आपके पाठकों के लिए सहायक हो तो आप परमेश्वर और पिता के सामने को स्मरण के बाद रख सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: “लिए धन्यवाद देते हैं ... हमारे परमेश्वर और पिता को” या “हमारे परमेश्वर और पिता के सामने कृतज्ञता-पूर्वक उल्लेख करते हैं ... मसीह” (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-idiom/01.md)

τοῦ ἔργου τῆς πίστεως, καὶ τοῦ κόπου τῆς ἀγάπης, καὶ τῆς ὑπομονῆς τῆς ἐλπίδος

पौलुस यहाँ संबंध-सूचक रूप में शब्दों के तीन समूहों का उपयोग करता है| इस सम्बन्ध-सूचक रूप का सर्वाधिक अर्थ है, प्रत्येक समूह का दूसरा शब्द उस समूह के प्रथम शब्द का उत्प्रेरक है| वैकल्पिक अनुवाद: “विश्वास और परिश्रम से उत्प्रेरित कार्य जिसका कारण है, भावी प्रतिज्ञाओं पर आधारित प्रेम और सहनशीलता” (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi _ta/src/branch/master/translate/figs-possession/01.md)

τοῦ Κυρίου ἡμῶν, Ἰησοῦ Χριστοῦ

ये शब्द, हमारे प्रभु यीशु मसीह में सम्बन्ध-सूचक रूप है| हमारे प्रभु यीशु मसीह और आशा का सन्दर्भ हो सकता है: (1) आशा का कर्ता यीशु| वैकल्पिक अनुवाद: “कि हमारा प्रभु यीशु मसीह अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेगा” (2) आशा का स्रोत यीशु| वैकल्पिक अनुवाद: “जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से आती है” (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-possession/01.md)

τοῦ Θεοῦ καὶ Πατρὸς ἡμῶν

यहाँ हमारा परमेश्वर और पिता एक दिव्य प्राणी के सन्दर्भ में है जो परमेश्वर और पिता दोंनों है| यह वाक्यांश परस्पर निर्भर स्वतंत्र शब्दों का है क्योंकि पिता शब्द परमेश्वर का वर्णन करता है| वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर हमारा पिता” या “हमारा पिता परमेश्वर”(देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-hendiadys/01.md)

ἡμῶν

यहाँ *हमात्रा शब्द पौलुस सिलवानुस और तीमुथियुस और थिस्सलुनीके के विश्वासियों के सन्दर्भ में है| सब विश्वासी यीशु के द्वारा पिता परमेश्वर की आत्मिक संतान हैं| आपकी भाषा में आवश्यक होगा कि इन रूपों का संकेत दें| (देखें: https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi_ta/src/branch/master/translate/figs-exclusive/01.md)

1 Thessalonians 1:4

εἰδότες

यहाँ जानते हैं सम-क्षणिक वर्णन करता जाता है कि इस पत्र के लेखक कैसे “धन्यवाद देते” हैं| (देखें UST). (देखें: संयोजक - समकालीन समय संबंध)

ἀδελφοὶ ἠγαπημένοι ὑπὸ τοῦ Θεοῦ

यह वाक्यांश संज्ञा निर्मित विशेषण का काम करता है जिसके द्वारा थिस्सलुनीके की कलीसिया का वर्णन सम्बन्ध-सूचक शब्दों में किया गया है| वे इस पत्र के लेखकों के सम्बन्ध में आत्मिक भाई हैं और पिता परमेश्वर के साथ सम्बन्ध में वे प्रिय संतान हैं| (देखें 1:3). (देखें: आम विशेषण)

ἀδελφοὶ

इस सम्पूर्ण पत्र में भाइयों एक रूपक है जिसका अर्थ है, “सह-विश्वासी” या “मसीह में साथी विश्वासी” यदि आपके पाठक समझ न पाएं कि इस प्रकरण में भाइयों का अर्थ क्या है, तो आप अपनी संस्कृति का एक समानार्थक रूपक काम में ले सकते हैं| (देखें: रूपक)

ἀδελφοὶ

यद्यपि, यह शब्द, भाइयों पुल्लिंग है पौलुस इस शब्द को व्यापक भाव में काम में ले रहा है जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों समाहित हैं| वैकल्पिक अनुवाद: “भाइयों और बहनों” या “आत्मिक भाइयों और बहनों” या “मसीह में सह-विश्वासियों” (देखें: जब पुल्लिंग शब्दों में स्त्रियाँ शामिल होती हैं)