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Titus

Titus front

तीतुस का परिचय

भाग 1: सामान्य परिचय

तीतुस की पुस्तक की रूपरेखा

1। पौलूस तीतुस को धर्मी अगुवे नियुक्त करने के निर्देश देता है (1:1-16) 1। पौलूस तीतुस को निर्देश देता है कि वह लोगों को धर्मी जीवन जीने के लिए प्रशिक्षित करे (2:1-3:11) 1। पौलूस अंत में अपनी कुछ योजनाएँ बताता है और विभिन्न विश्वासियों को शुभकामनाएँ भेजता है (3:12-15)

तीतुस की पुस्तक किसने लिखी?

पौलूस ने तीतुस की पुस्तक को लिखा। पौलूस तरसुस नगर का निवासी था। वह अपने प्रारंभिक जीवन में शाऊल के नाम से जाना जाता था। मसीही बनने से पहले पौलूस एक फरीसी था। उसने मसीहियों को सताया। मसीही बनने के बाद, उसने पूरे रोमी साम्राज्य में लोगों को यीशु के बारे में बताते हुए अनेक यात्राएँ कीं।

तीतुस की पुस्तक किस बारे में है?

पौलूस ने यह पत्र अपने सहकर्मी, तीतुस को लिखा जो क्रेते द्वीप पर कलीसियाओं का नेतृत्व करता था। पौलूस उसे कलीसियाओं में अगुवे नियुक्त करने का निर्देश देता है। पौलूस इस बात का भी वर्णन करता है कि विश्वासियों को एक दुसरे के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए। और वह उन सबको उस तरह से जीने के लिए उत्साहित करता है जो परमेश्वर को प्रसन्न करे।

इस पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद किस तरह होना चाहिए?

अनुवादक इसे इसके परम्परागत नाम, तीतुस नाम से संबोधित कर सकते हैं। या फिर वे और अधिक स्पष्ट नाम का चयन कर सकते हैं, जैसे तीतुस के लिए पौलूस की पत्री या** तीतुस से लिए पत्री।** (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक सिद्धांत

कलीसिया के अन्दर लोग किस रूप में सेवा कर सकते हैं?

एक स्त्री या तलाकशुदा पुरुष कलीसिया में नेतृत्व के पदों पर सेवा कर सकते है या नहीं इस बारे में तीतुस की पुस्तक में कुछ शिक्षाएँ हैं। विद्वान इन शिक्षाओं के अर्थ के सम्बन्ध में असहमत हैं। इस पुस्तक का अनुवाद करने से पूर्व इन मुद्दों पर आगे अध्ययन करना आवश्यक होगा।

भाग 3: महत्वपूर्ण अनुवाद के मुद्दे

एकवचन और बहुवचन तुम

इस पुस्तक में, “मैं” शब्द पौलूस के लिए संबोधित है। साथ ही, “तुम” शब्द ज्यादातर एकवचन होता है और तीतुस के लिए संबोधित है। 3:15 को छोड़ कर (देखें: विशिष्ट एवं संयुक्त ‘‘हम’’ और तुम के प्रारूप)

हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर का अर्थ क्या है?

इस पत्र में यह एक सामान्य वाक्यांश है। पौलूस चाहता था कि पाठक यह सोचें कि परमेश्वर ने उन्हें मसीह में अपने विरुद्ध पाप करने के लिए किस प्रकार क्षमा दी है। और इस तरह क्षमा करने के द्वारा उसने उन्हें उस दण्ड से बचा लिया जो वह सब लोगों का न्याय करके देता । एक समरूप वाक्यांश इस पत्र में उपयोग हुआ है * अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह *

Titus 1

तीतुस 01 सामान्य टिप्पणियाँ

संरचना एवं स्वरूपण

पौलुस इस पत्री का औपचारिक परिचय 1-4 पद में देता है। इस प्रकार पत्र का प्रारम्भ लेखकगण प्राचीन मध्यपूर्व में करते थे.

पद 6-9 में पौलूस ऐसे अनेक गुणों की सूचि प्रस्तुत करता है जो उसके अंदर होने चाहियें जो कलीसिया में एक प्राचीन होना चाहता है।# (भाववाचक संज्ञा) पौलुस इसी के समान एक सूचि 1 तीमुथियुस 3 में देता है।

इस अध्याय के विशेष सिद्धांत

प्राचीन

कलीसिया ने कलीसिया के अगुवों के लिए विभिन्न उपाधियाँ उपयोग की हैं। कुछ उपाधियों में शामिल हैं अध्यक्ष, प्राचीन, रखवाले और बिशप।

इस अध्याय में अन्य संभावित अनुवाद की कठिनाइयाँ

होनी चाहिए, हो सकती हैं, अवश्य होंगी

यूएलटी भिन्न- भिन्न शब्दों का उपयोग करता है जो आवश्यकताओं अथवा कर्तव्यों को इंगित करते हैं। इन क्रियाओं में विभिन्न स्तर के बल उनसे जुड़े हुए हैं। इन सूक्ष्म भिन्नताओं का अनुवाद करना कठिन हो सकता है। यूएसटी इन क्रियाओं का अनुवाद कहीं अधिक सामान्य रीति से करता है।

Titus 1:1

κατὰ πίστιν

विश्वास को मजबूत करने के लिए

ἐπίγνωσιν

ज्ञान और * सच्चाई * भाववाचक संज्ञा हैं। इन्हें व्यक्त करने के अन्य तरीकों के लिए यूएसटी देखें। पौलुस चाहता है कि लोग परमेश्वर और मसीह के बारे में सच्चा संदेश जानें ताकि वे परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले तरीके से रह सकें। (देखें: भाववाचक संज्ञा)

τῆς κατ’ εὐσέβειαν

जो परमेश्वर को आदर देने के लिए उपयुक्त हो

Titus 1:2

ἐπ’ ἐλπίδι ζωῆς αἰωνίου

जो हमें अनन्त जीवन की आशा देती है या _ अनन्त जीवन की हमारी निश्चित आशा पर आधारित है_

πρὸ χρόνων αἰωνίων

_ सनातन से _

Titus 1:3

καιροῖς ἰδίοις

_ ठीक समय पर _

ἐφανέρωσεν…τὸν λόγον αὐτοῦ

पौलूस परमेश्वर के वचन के विषय इस प्रकार बात करता है जैसे कि वह कोई ऐसी वस्तु हो जिसे लोगों को दृश्य रूप में दिखाया जा सके। वैकल्पिक अनुवाद: “उसने मुझे उसका सन्देश समझने के लिए प्रेरित किया” (देखें: रूपक)

ἐν κηρύγματι

_ उस प्रचार के द्वारा प्रगट किया गया_

ὃ ἐπιστεύθην ἐγὼ

इसे एक सक्रिय रूप में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""उसने मुझे सौंपा"" या ""उसने मुझे प्रचार करने की ज़िम्मेदारी दी"" (देखें: कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य)

τοῦ Σωτῆρος ἡμῶν, Θεοῦ

_ हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की _

ἡμῶν

इसमें पौलूस, तीतुस और सभी मसीही शामिल हैं। (देखें: समावेशी और अनन्य ‘‘हम’’)

Titus 1:4

γνησίῳ τέκνῳ

यद्यपि तीतुस पौलूस का जैविक पुत्र नहीं था, तो भी वे मसीह में एक ही विश्वास के हिस्सेदार थे। पौलूस विश्वास के द्वारा मसीह के संबंध को जैविक संबंध से अधिक महत्वपूर्ण मानता है। उनके समान्य उम्र के और मसीह में विश्वास की सहभागिता` के कारण पौलूस तीतुस को अपना पुत्र समझता है, यह भी हो सकता है कि पौलूस ने तीतुस को मसीह में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया, और इसलिए इस आत्मिक अर्थ में तीतुस एक पुत्र की तरह है। वैकल्पिक अनुवाद: “तू मेरे लिए एक पुत्र के समान है” (देखें: रूपक)

κοινὴν πίστιν

पौलुस और तीतुस दोनों ही मसीह में समान विश्वास के सहभागी हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “क्योंकि हम दोनों मसीह में विश्वास करते है ”

χάρις καὶ εἰρήνη

यह एक सामान्य अभिवादन था जिसका पौलूस ने उपयोग किया। आप समझी गई जानकारी को स्पष्ट बता सकते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “आप अपने अन्दर अनुग्रह और शान्ति का अनुभव करें” (देखें: पदन्यूनता)

Χριστοῦ Ἰησοῦ τοῦ Σωτῆρος ἡμῶν

_मसीह यीशु जो हमारा उद्धारकर्ता है _

ἡμῶν

इसमें पौलूस, तीतुस और सभी मसीही शामिल हैं। (देखें: समावेशी और अनन्य ‘‘हम’’)

Titus 1:5

τούτου χάριν

जोड़ने वाला वाक्यांश * इसलिए * उस लक्ष्य का परिचय देता है जिसे पौलूस ने पूरा करना चाहा था जब उसने तीतुस को (कलीसिया में प्राचीनों को नियुक्त करने के लिए) क्रेते में छोड़ दिया था। वैकल्पिक अनुवाद: ""यह कारण है"" (देखें: संयोजक - लक्ष्य (उद्देश्य) संबंध)

ἀπέλιπόν σε ἐν Κρήτῃ

मैंने तुझे क्रेते में रुके रहने के लिए कहा था

ἵνα τὰ λείποντα ἐπιδιορθώσῃ

* कि तू शेष रही हुई बातों को सुधारें,*