हिन्दी, हिंदी (Hindi): translationNotes

Updated ? hours ago # views See on DCS Draft Material

John

John front

यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश का परिचय

भाग 1: सामान्य परिचय

यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश की रूपरेखा

1। यीशु के बारे में परिचय (1: 1-18) 1। यीशु को बपतिस्मा दिया गया है, और वह बारह चेलों को चुनता है (1:19-51) 1। यीशु उपदेश देता है, शिक्षा देता है, और लोगों को चंगा करता है (2-11) 1। यीशु की मृत्यु से पहले के सात दिन (12-19) - मरियम यीशु के पाँवों का अभिषेक करती है (12:1-11) - यीशु एक गदहे की सवारी करके यरूशलेम में जाता है (12:12-19) - कुछ यूनानी पुरुष यीशु से मिलना चाहते हैं (12:20-36) - यहूदी अगुवे यीशु को अस्वीकार कर देते हैं (12:37-50) - यीशु अपने चेलों को शिक्षा देता है (13-17) - यीशु को गिरफ्तार करके उस पर मुकदमा चलाया जाता है (18:1-19:15) - यीशु को क्रूस पर चढ़ा दिया गया है और दफनाया जाता है (19:16-42) 1। यीशु का मृतकों में से जी उठना (20:1-29) 1। यूहन्ना कहता हैं कि उसने यह शुभ सन्देश क्यों लिखा (20:30-31) 1। यीशु का चेलों से मिलना (21)

यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश किसके बारे में है?

यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश नए नियम के उन चार पुस्तकों में से एक है जिसमे यीशु मसीह के जीवन का वर्णन किया गया है। शुभ संदेशों के लेखकों ने यीशु के जीवन के विभिन्न पहलुओं और उसके कार्यों के बारे में लिखा। यूहन्ना ने कहा कि उसने यह शुभ सन्देश इसलिए लिखा ""क्योंकि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है"" (20:31)।

यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश अन्य तीन शुभ सन्देशों से बहुत अलग है। यूहन्ना में कुछ शिक्षाओं और वृत्तांतों को शामिल नहीं किया गया है जो अन्य लेखकों ने अपने शुभ सन्देश में शामिल किया है। इसके अलावा, यूहन्ना ने कुछ शिक्षाओं और वृत्तांतों के बारे में लिखा जो अन्य शुभ सन्देश में नहीं हैं।

यूहन्ना ने यह प्रमाणित करने के लिए यीशु के चिन्हों के बारे में बहुत कुछ लिखा था जिससे यह ज्ञात हो यीशु ने जो स्वयं के बारे में कहा सत्य था। (देखें: चिन्ह, प्रमाण, स्मरण कराने वाली बात)

इस पुस्तक का शीर्षक किस प्रकार अनुवादित किया जाना चाहिए?

अनुवादक इस पुस्तक को इसके पारंपरिक शीर्षक, ""यूहन्ना का शुभ सन्देश"" या ""यूहन्ना के अनुसार शुभ सन्देश"" द्वारा कर सकते है। या वे एक ऐसे शीर्षक को चुन सकते हैं जिससे स्पष्ट हो सके, ""यीशु के बारे में शुभ-सन्देश जिसे यूहन्ना ने लिखा था।"" (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश किसने लिखा?

यह पुस्तक लेखक का नाम नहीं बताता है। फिर भी, आरंभिक मसीही काल से, अधिकांश मसीहियों ने प्रेरित यूहन्ना को इसका लेखक माना है। भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवधारणा

यूहन्ना यीशु के जीवन के अंतिम सप्ताह के बारे में इतना क्यों लिखता है?

यूहन्ना ने यीशु के अंतिम सप्ताह के बारे में बहुत कुछ लिखा था। वह चाहता था कि उसके पाठक यीशु के अंतिम सप्ताह और क्रूस पर उसकी मृत्यु के बारे में गहराई से सोचें। वह चाहता था कि लोग यह समझें कि यीशु क्रूस पर स्वेच्छा से मरा ताकि परमेश्वर उन्हें उसके विरुद्ध पाप करने के लिए क्षमा कर सके। (देखें: पाप, पापी, पापी, पाप करते रहना)

भाग 3: महत्वपूर्ण अनुवाद के मुद्दे

यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश में ""बने रहना"", ""रहना"", और ""पालन करना"" शब्द क्या हैं?

यूहन्ना अक्सर ""बने रहना"", ""रहना"" और ""पालन करना"" शब्द का उपयोग रूपक के रूप में करता है। यूहन्ना विश्वासियों को यीशु में अधिक निष्टावान और अधिक जानने के लिए कहता है जैसा कि यीशु का वचन विश्वासियों में ""बना रहे""। साथ ही, यूहन्ना ने किसी का किसी और से, इस प्रकार आत्मिक संगति के विषय में कहा जैसे कि वह व्यक्ति दुसरे में “बना रहता” हो। मसीहियों को मसीह में और परमेश्वर में “बने रहने” के लिए कहा गया है। पिता के पुत्र में “बने रहने” और पुत्र के पिता में “रहने” के विषय में कहा गया है। पुत्र का विश्वासियों में “बने रहने” के विषय में कहा गया है। पवित्र आत्मा को भी विश्वासियों में ""बने रहने"" कहा गया है।

कई अनुवादकों को इन विचारों को उनकी भाषाओं में बिल्कुल इसी प्रकार प्रस्तुत करना असंभव लग सकता है। उदहारण के तौर पर, यीशु ने मसीहियों के साथ आध्यात्मिक रूप से बने रहने के विचार को व्यक्त किया था, जब उसने कहा, ""जो मेरा माँस खाता है और मेरा लहू पीता है, वह मुझ में रहता है, और मैं उसमे रहता हूँ"" (यूहन्ना 6:56)। यूएसटी इस विचार का उपयोग करता है ""मेरे साथ जुड़ जाएगा, और मैं उससे जुड़ जाऊँगा।"" लेकिन अनुवादकों को इस विचार को व्यक्त करने के अन्य तरीकों को ढूंढना पड़ सकता है।

इस अनुच्छेद में, ""यदि मेरे वचन तुझ में बने रहते हैं"" (यूहन्ना 15:7), यूएसटी इस विचार को व्यक्त करता है, ""यदि तुम मेरे संदेश के अनुसार रहते हो।"" अनुवादकों को इस अनुवाद का उपयोग एक आदर्श के रूप में करना संभव हो सकता है।

यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश के पाठ में प्रमुख मुद्दे क्या हैं?

बाइबल के पुराने संस्करणों में निम्नलिखित पद पाए गए हैं लेकिन इन्हें सबसे आधुनिक संस्करण में शामिल नहीं किया गया है । अनुवादकों को सलाह दी जाती है कि इन पदों का अनुवाद न करें। हालांकि, यदि अनुवादकों के क्षेत्र में, बाइबल के पुराने संस्करण हैं जिनमें ये पद शामिल हैं तो अनुवादक इसे शामिल कर सकते हैं। यदि उनका अनुवाद किया जाता है, तो उन्हें वर्गाकार कोष्ठक ([ ]) के अंदर रखा जाना चाहिए ताकि यह दर्शाया जा सके कि वे शायद यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश के मूल सोत्र से नहीं थे।

  • ""जल की हिलने की प्रतीक्षा कर रहे थे। नियुक्त समय पर परमेश्वर के स्वर्गदूत कुण्ड में उतरकर पानी को हिलाया करते थे: पानी हिलते ही जो कोई पहले उतरता, वह स्वस्थ हो जाता था, चाहे उसकी कोई बीमारी क्यों न हो।"" (5:3-4)
  • ""उनके बीच में से होकर, और निकल गया"" (8:59)

    निम्नलिखित अनुच्छेद को बाइबल के बेहद पुराने और आधुनिक संस्करणों में शामिल किया गया है। लेकिन यह बाइबल की शुरुआती प्रतियों में नहीं है। अनुवादकों को इन अनुच्छेद का अनुवाद करने की सलाह दी जाती है। इसे वर्गाकार कोष्ठक ([]) के अंदर रखा जाना चाहिए ताकि यह दर्शाया जा सके कि यह यूहन्ना द्वारा शुभ सन्देश का मूल नहीं रहा है।

    • व्यभिचारी स्त्री की घटना (7:53-8:11)

    (देखें: लेखों के भेद)

John 1

यूहन्ना 01 सामान्य टिप्पणियाँ

संरचना एवं स्वरूपण

कुछ अनुवाद पढ़ने के लिए आसान बनाने के लिए पाठ के शेष अंश की तुलना में काव्य की प्रत्येक पंक्ति को दाईं ओर से लिखते हैं। यूएलटी पद 1:23 में काव्य के साथ ऐसा करता है, जो कि पुराने नियम के वचन हैं।

इस अध्याय में विशेष अवधारणाएँ

""वचन""

यूहन्ना यीशु को संदर्भित करने के लिए ""वचन"" का उपयोग करता है (यूहन्ना 1:1, 14)। यूहन्ना कह रहा है कि सभी लोगों के लिए परमेश्वर का सबसे महत्वपूर्ण संदेश वास्तव में यीशु है, जो भौतिक शरीर वाला व्यक्ति है। (देखें: परमेश्‍वर का वचन, परमेश्वर का वचन, यहोवा के वचन, सत्य का वचन, पवित्रशास्त्र,)

ज्योति और अंधकार

बाइबल अक्सर अधर्मी लोगों के बारे में कहता है जो परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करते हैं वे ऐसे है जैसे कि वे अँधकार में घूम रहे है। यहाँ ज्योति की बात ऐसे कि गई है जैसे यह उन पापी लोगों को धर्मी बनने में सक्षम बनाता है, यह उन्हें यह समझता है कि वे क्या गलत कर रहे हैं और उन्हें परमेश्वर का पालन करना शुरू कर देना चाहिए। (देखें: धर्मी, धार्मिकता, अधर्मी, अधर्म, खरा, खराई)

""परमेश्वर की संतान""

जब लोग यीशु में विश्वास करते हैं, तो वे ""क्रोध के बच्चे"" से ""परमेश्वर के बच्चे"" बन जाते हैं। उन्हें ""परमेश्वर के परिवार"" में अपनाया जाता है। उन्हें ""परमेश्वर के परिवार"" में अपनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण छवि है जिसे नए नियम में प्रकट किया जाएगा। (देखें: विश्वास करना, विश्वासी, विश्वास, अविश्वासी, अविश्वास और लेपालक, गोद लेना, दत्तक)

इस अध्याय के महत्वपूर्ण अलंकार

रूपक

यूहन्ना पाठक को समझाने के लिए रूपक ज्योति और अंधकार शब्द का उपयोग करता है कि वह अच्छे और बुरे के बारे में और अधिक तथा यीशु के माध्यम से परमेश्वर लोगों को क्या बताना चाहता है इसके बारे में लिखेगा। (देखें: रूपक)

इस अध्याय में अन्य संभावित अनुवाद की कठिनाइयाँ

""शुरुआत में""

कुछ भाषाएं और संस्कृतियाँ सृष्टि की बात ऐसे करती हैं जैसे कि यह हमेशा से अस्तित्व में है, जैसे कि इसकी कोई शुरुआत नहीं है। लेकिन ""बहुत समय पहले"" ""शुरुआत में"" से अलग है, और आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आपका अनुवाद सही तरीके से संचारित हो।

""मनुष्य का पुत्र""

यीशु स्वयं को इस अध्याय में ""मनुष्य का पुत्र"" कहता है (यूहन्ना 1:51)। आपकी भाषा में लोगों को स्वयं के बारे में इस प्रकार बात करने की अनुमति नहीं हो सकती है जैसे कि वे किसी और के बारे में बात कर रहे हो। (देखें: मनुष्य का पुत्र, मनुष्य का पुत्र और प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरुष)

John 1:1

ἐν ἀρχῇ

यह परमेश्वर के द्वारा आकाश और पृथ्वी की रचना करने से पहले के समय को संदर्भित है।

ὁ λόγος

यह यीशु को संदर्भित करता है। यदि संभव हो तो ""वचन"" के रूप में अनुवाद करें। यदि आपकी भाषा में ""वचन"" स्त्रीलिंग है तो इसका अनुवाद ""जिसे वचन कहा जाता है"" के रूप में किया जा सकता है।

John 1:3

πάντα δι’ αὐτοῦ ἐγένετο

इसका एक सक्रिय रूप से अनुवाद किया जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""परमेश्वर ने उसके द्वारा सब कुछ बनाया"" (देखें: कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य)

χωρὶς αὐτοῦ ἐγένετο οὐδὲ ἕν ὃ γέγονεν

इसका एक सक्रिय रूप से अनुवाद किया जा सकता है। यदि आपकी भाषा में दोहरा-नकारात्मक की अनुमति नहीं है तो ये शब्द ऐसे समझ में आने चाहिए कि ""सब कुछ उसके द्वारा बनाया गया"" का विलोम है। वैकल्पिक अनुवाद: ""परमेश्वर ने उसके बिना कुछ भी नहीं बनाया"" या ""उसके द्वारा सब कुछ बनाया गया था"" या ""परमेश्वर ने जो कुछ भी बनाया, सब कुछ उसके द्वारा बनाया"" (देखें: कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य और दोहरे नकारात्मक)

John 1:4

ἐν αὐτῷ ζωὴ ἦν, καὶ ἡ ζωὴ ἦν τὸ φῶς τῶν ἀνθρώπων

उसमें जीवन था लाक्षणिक रूप से कहा गया है कि उसने सब कुछ को जीवन दिया। और, ""प्रकाश"" यहाँ ""सच्चाई"" के लिए एक रूपक है। वैकल्पिक अनुवाद: ""वह वही है जिसने सब कुछ को जीवन दिया। और उसने लोगों को प्रकट किया कि परमेश्वर के बारे में सत्य क्या है"" (देखें: लक्षणालंकार और रूपक)

ἐν αὐτῷ

यहाँ ""उसमें"" उस व्यक्ति को दर्शाता है जिसे वचन कहा गया है।

ζωὴ

यहाँ ""जीवन"" के लिए एक सामान्य शब्द का उपयोग करें। यदि आपको अधिक विशिष्ट होना है, तो ""आध्यात्मिक जीवन"" के रूप में अनुवाद करें।

John 1:5

τὸ φῶς ἐν τῇ σκοτίᾳ φαίνει, καὶ ἡ σκοτία αὐτὸ οὐ κατέλαβεν

ज्योति"" यहाँ सत्य और अच्छाई के लिए एक रूपक है। ""अंधकार"" यहाँ झूठ और बुराई के लिए एक रूपक है। वैकल्पिक अनुवाद: ""सच्चाई अंधकार में चमकने वाली ज्योति के समान है, और अंधकार में रहने वालों में से कोई भी उस ज्योति के पास बाहर नहीं आ पाया"" (देखें: रूपक)

John 1:7

μαρτυρήσῃ περὶ τοῦ φωτός

ज्योति"" यहाँ यीशु में परमेश्वर के प्रकटीकरण के लिए एक रूपक है। वैकल्पिक अनुवाद: ""दिखाता है कि कैसे यीशु परमेश्वर की सच्ची ज्योति के समान है"" (देखें: रूपक)

John 1:9

τὸ φῶς τὸ ἀληθινὸν

यहाँ ज्योति एक रूपक है जो यीशु को उस व्यक्ति के रूप में दर्शाता है जो परमेश्वर के बारे में सच्चाई बताता है और स्वयं वह सत्य भी है। (देखें: रूपक)

John 1:10

ἐν τῷ κόσμῳ ἦν, καὶ ὁ κόσμος δι’ αὐτοῦ ἐγένετο, καὶ ὁ κόσμος αὐτὸν οὐκ ἔγνω

भले ही वह जगत में था, और परमेश्वर ने उसके द्वारा सब कुछ बनाया, इसके बावजूद भी लोगों ने उसे नहीं पहचाना

ὁ κόσμος αὐτὸν οὐκ ἔγνω

जगत"" एक उपनाम है जो जगत में रहने वाले सभी लोगों का प्रतीक है। वैकल्पिक अनुवाद: ""लोगों को ज्ञात नहीं था कि वह वास्तव में कौन था"" (देखें: लक्षणालंकार)

John 1:11

εἰς τὰ ἴδια ἦλθεν, καὶ οἱ ἴδιοι αὐτὸν οὐ παρέλαβον

वह अपने साथी देशवासियों के पास आया, और उसके अपने साथी देशवासियों ने भी उसे स्वीकार नहीं किया

αὐτὸν…παρέλαβον

उसे स्वीकार करना किसी को स्वीकार करने का मतलब उसका स्वागत करना और उसके साथ संबंध कायम करने की आशा में सम्मान के साथ उसके साथ व्यवहार करना।

John 1:12

πιστεύουσιν εἰς τὸ ὄνομα αὐτοῦ

नाम"" शब्द एक उपनाम है जो यीशु की पहचान और उसके बारे में सब कुछ का प्रतीक है। वैकल्पिक अनुवाद: ""उस पर विश्वास किया"" (देखें: लक्षणालंकार)

ἔδωκεν…ἐξουσίαν

उसने उन्हें यह अधिकार दिया या ""उसने उन्हें उनके लिए यह संभव बना दिया

τέκνα Θεοῦ

सन्तान"" शब्द एक रूपक है जो परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है, जो कि एक पिता से संतान के संबंध के समान है। (देखें: रूपक)

John 1:14

ὁ λόγος

यह यीशु को संदर्भित करता है। यदि संभव हो तो ""वचन"" के रूप में अनुवाद करें। यदि आपकी भाषा में ""वचन"" स्त्रीलिंग है तो इसका अनुवाद ""जिसे वचन कहा जाता है"" के रूप में किया जा सकता है। देखें कि आपने इसका अनुवाद यूहन्ना 1:1 में कैसे किया है।

σὰρξ ἐγένετο

देहधारी"" यहाँ ""एक व्यक्ति"" या ""एक मनुष्य"" को दर्शाता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""मनुष्य बन गया"" (देखें: उपलक्षण अलंकार)