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2 Corinthians

2 Corinthians front

2 कुरिन्थियों का परिचय

भाग 1: सामान्य परिचय

2 कुरिन्थियों

1 की पुस्तक की रूपरेखा। पौलुस कुरिन्थियों के मसीहियों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता है (1: 1-11) 1। पौलुस अपने आचरण और सेवकाई की व्याख्या करता है (1:12-7:16) 1। पौलुस यरूशलेम की कलीसिया के लिए धन का योगदान करने के बारे में बोलता है (8:1-9:15) 1। पौलुस एक प्रेरित के रूप में अपने अधिकार का बचाव करता है (10:1-13:10) 1। पौलुस अंतिम अभिनन्दन और प्रोत्साहन देता है (13:11-14)

2 कुरिन्थियों की पुस्तक किसने लिखी?

पौलुस लेखक था। वह तरसुस नगर से था। वह अपने प्रारंभिक जीवन में शाऊल के रूप में जाना जाता था। एक मसीही बनने से पहले, पौलुस एक फरीसी था। उसने मसीहियों को सताया। एक मसीही बनने के बाद, उसने रोमन साम्राज्य में यीशु के बारे में लोगों को बताते हुए कई बार यात्रा की।

पौलुस ने कुरिन्थुस में कलीसिया आरम्भ करी। वह इफिसुस नगर में रह रहा था जब उसने यह पत्र लिखा था।

2 कुरिन्थियों की पुस्तक का विषय क्या है?

2 कुरिन्थियों में, पौलुस कुरिन्थुस शहर में मसीहियों के बीच संघर्षों के बारे में लिखता रहा। इस पत्र में यह स्पष्ट हैं कि कुरिन्थियों ने उसके पिछले निर्देशों का पालन किया था। 2 कुरिन्थियों में, पौलुस ने उन्हें ऐसे तरीके से जीने के लिए प्रोत्साहित किया जो परमेश्वर को प्रसन्न करेगा।

पौलुस ने उन्हें आश्वस्त करने के लिए यह भी लिखा था कि यीशु मसीह ने उसे सुसमाचार प्रचार करने के लिए प्रेरित के रूप में भेजा था। पौलुस चाहता था कि वे इसे समझें, क्योंकि यहूदी मसीहियों के एक समूह ने जो वह कर रहा था उसका विरोध किया। उन्होंने दावा किया कि पौलुस को परमेश्वर ने नहीं भेजा और वह एक झूठा संदेश सिखा रहा था। यहूदी मसीहियों का यह समूह चाहता था कि गैर यहूदी मसीही मूसा के नियमों का पालन करें।

इस पुस्तक का शीर्षक किस प्रकार अनुवादित किया जाना चाहिए?

अनुवादक इस पुस्तक को इसके पारंपरिक शीर्षक, ""दूसरा कुरिन्थियों"" द्वारा संबोधित करना चुन सकते हैं। या वे एक स्पष्ट शीर्षक चुन सकते हैं, जैसे ""कुरिन्थ में कलीसिया के लिए पौलुस का दूसरा पत्र।"" (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवधारणाएं

कुरिन्थुस नगर कैसा था?

कुरिन्थुस प्राचीन यूनान में स्थित एक प्रमुख नगर था। चूंकि यह भूमध्य सागर के पास था, इसलिए कई यात्री और व्यापारी वहां सामान मोल लेने और बेचने आए। इसके परिणामस्वरूप नगर में कई अलग-अलग संस्कृतियों के लोग थे। यह नगर अनैतिक तरीकों से रहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध था। लोगों ने यूनानी प्रेम की देवी एफ्रोडाइट की पूजा की। एफ़्रोडाइट का सम्मान करने वाले समारोहों के हिस्से के रूप में, उसके उपासक मंदिर की वेश्याओं के साथ यौन संभोग करते थे।

पौलुस का ""झूठे प्रेरितों"" से क्या अर्थ था (11:13)?

ये यहूदी मसीही थे। उन्होंने सिखाया कि अन्यजाति मसीहियों को मसीह का अनुसरण करने के लिए मूसा के नियमों का पालन करना चाहिए। मसीही अगुवे यरूशलेम में एकत्र हुए और इस विषय पर निर्णय किया (देखें: Acts 15)। हालांकि, यह स्पष्ट है कि अभी भी कुछ ऐसे समूह थे जो यरूशलेम में अगुवों के निर्णय से असहमत थे।

भाग 3: महत्वपूर्ण अनुवादिक विषय

एकवचन और बहुवचन ""आप""

इस पुस्तक में, ""मैं"" शब्द पौलुस को संबोधित करता है। इसके अलावा, शब्द ""तुम"" लगभग सदैव बहुवचन है और कुरिन्थुस के विश्वासियों को संबोधित करता है। इसमें दो अपवाद हैं: 6:2 और 12:9। (देखें: विशिष्ट एवं संयुक्त ‘‘हम’’ और तुम के प्रारूप)

2 कुरिन्थियों में ""पवित्र"" और ""शुद्ध करना"" के विचारों का प्रतिनिधित्व यूएलटी में कैसे किया जाता है?

शास्त्र इस तरह के शब्दों का उपयोग विभिन्न विचारों में से किसी एक को दर्शाने के लिए करते हैं। इस कारण से, अनुवादकों के लिए अक्सर उनके संस्करणों में इनका प्रतिनिधित्व करना कठिन होता है। अंग्रेजी में अनुवाद करने में, यूएलटी निम्नलिखित सिद्धांतों का उपयोग करता है:

  • कभी-कभी किसी वाक्य में अर्थ नैतिक पवित्रता का संकेत करता है। सुसमाचार को समझने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि परमेश्वर मसीहियों को पापहीन मानते हैं क्योंकि वे यीशु मसीह के लिए एकजुट हैं। एक और संबंधित तथ्य यह है कि परमेश्वर परिपूर्ण और दोष-रहित है। एक तीसरा तथ्य यह है कि मसीहियों को स्वयं के जीवन में निर्दोष, दोष-रहित तरीके से आचरण करना चाहिए। इन परिस्थितियों में, यूएलटी “पवित्र,” “पवित्र परमेश्वर,” “पवित्र जन,” या “पवित्र लोग” का उपयोग करता है।

  • 2 कुरिन्थियों में अधिकांश वाक्यों में अर्थ मसीहियों की ओर एक सरल संकेत है उनके द्वारा ठहराई किसी भी विशेष भूमिका को लागू किए बिना। इन परिस्थितियों में, यूएलटी ""विश्वासी"" या ""विश्वासियों"" का उपयोग करता है। (देखें: 1:1; 8:4; 9:1, 12; 13:13)

  • कभी-कभी वाक्य में अर्थ किसी वस्तु को या किसी व्यक्ति को सिर्फ परमेश्वर के लिए अलग करने का विचार है। इन मामलों में, यूएलटी ""अलग करना"", ""को समर्पित,"" ""के लिए अलग किया"" या ""शुद्ध किया"" का इस्तेमाल करता है।

यूएसटी अक्सर उपयोगी होगा क्योंकि अनुवादक सोचते हैं कि इन विचारों को अपने संस्करणों में कैसे प्रस्तुत किया जाए।

पौलुस का ""मसीह में"" और ""प्रभु में"" जैसे अभिव्यक्तियों क्या अर्थ है?

इस प्रकार की अभिव्यक्ति 1:19, 20; 2:12, 17; 3:14; 5:17, 1 9, 21; 10:17; 12: 2, 1 9; और 13: 4 में होती है। पौलुस ने मसीह और विश्वासियों के साथ एक बहुत नजदीकी एकता के विचार को व्यक्त किया। उसके साथ, वह अक्सर अन्य अर्थों का भी अभिप्राय रखता है। देखें, उदाहरण के लिए, ""प्रभु में मेरे लिए एक द्वार खोला गया,"" (2:12) जहां पौलुस का विशेष रूप से अर्थ था कि प्रभु द्वारा पौलुस के लिए एक द्वार खोला गया था।

इस तरह की अभिव्यक्ति के बारे में अधिक विवरण के लिए कृपया रोमियों की पुस्तक का परिचय देखें।

मसीह में ""नई सृष्टि"" होने का क्या अर्थ है (5:17)?

पौलुस का संदेश यह था कि परमेश्वर मसीहियों को ""नई दुनिया"" का भाग बनाते हैं जब एक व्यक्ति मसीह में विश्वास करता है। परमेश्वर पवित्रता, शांति और आनंद की एक नई दुनिया देता है। इस नई दुनिया में, विश्वासियों का एक नया स्वभाव है जिसे उन्हें पवित्र आत्मा द्वारा दिया गया है। अनुवादकों को इस विचार को व्यक्त करने का प्रयास करना चाहिए।

2 कुरिन्थियों की पुस्तक के पाठ में प्रमुख विषय क्या हैं?
  • ""और हमारे लिए आपके प्रेम में"" (8:7)। यूएलटी और यूएसटी समेत कई संस्करण इस तरह से पढ़ते हैं। हालांकि, कई अन्य संस्करण पढ़ते हैं, ""और तुम्हारें लिए हमारे प्रेम में।"" दृढ़ प्रमाण हैं कि प्रत्येक लेख वास्तविक है। अनुवादकों को संभवतः अपने क्षेत्र के अन्य संस्करणों द्वारा मुख्य पठन का पालन करना चाहिए।

(देखें: लेखों के भेद)

2 Corinthians 1

2 कुरिन्थियों 01 सामान्य टिप्पणियाँ

संरचना और बाह्यरूप

पहला अनुच्छेद प्राचीन निकट पूर्व में एक पत्र को आरम्भ करने के लिए एक सामान्य शैली दर्शाता है।

विशेष अवधारणाएं

पौलुस की अखंडता

लोग पौलुस की आलोचना कर रहे थे और कह रहे थे कि वह निष्ठावान नहीं है। वह जो कर रहा था उसके उद्देश्य के बारे में बताते हुए वह उनका खंडन करता है।

सांत्वना

इस अध्याय का सांत्वना एक प्रमुख विषय है। पवित्र आत्मा मसीहियों को सांत्वना देती है। कुरिन्थियों को सम्भवतः पीड़ित किया गया था और उन्हें सांत्वना देने की आवश्यकता थी।

इस अध्याय में महत्वपूर्ण अलंकार

आलंकारिक प्रश्न

पौलुस दो आलंकारिक प्रश्नों का उपयोग करता है ताकि वह निष्ठावान न होने के आरोप में स्वयं को बचा सकें। (देखें: उत्तर की अपेक्ष किए बिना प्रभावोत्पादक प्रश्न)

इस अध्याय में अन्य संभावित अनुवादिक कठिनाईयां

हम

पौलुस ""हम"" सर्वनाम का उपयोग करता है। यह संभवतः कम से कम तीमुथियुस और स्वयं का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें अन्य लोगों को भी सम्मिलित किया जा सकता है।

प्रमाण

पौलुस कहता है कि पवित्र आत्मा प्रमाण है, जिसका अर्थ मसीही के अनंत जीवन की प्रतिज्ञा या अग्रिम भुगतान है। मसीही सुरक्षित रूप से बचाए जाते हैं। लेकिन वे मरने के बाद तक परमेश्वर के सभी दिए गए वादों का अनुभव नहीं करेंगे। पवित्र आत्मा एक व्यक्तिगत प्रमाण है कि यह घटित होगा। यह भाव एक व्यापारिक शब्द से आता है। एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को ""प्रमाण"" के रूप में कुछ मूल्यवान वस्तु देता है कि वह पैसे चुकाएगा। (देखें: सनातन, अनन्त, अनंत काल और बचाना, बचाया, सुरक्षित, उद्धार)

2 Corinthians 1:1

पौलुस कुरिन्थुस में कलीसिया के अभिवादन के बाद, वह यीशु मसीह के माध्यम से पीड़ा और सांत्वना के बारे में लिखता है। तीमुथियुस भी उसके साथ है। इस पत्र में ""तुम"" शब्द कुरिन्थुस में कलीसिया के लोगों और उस क्षेत्र के बाकी मसीहियों को संबोधित करता है। संभावित रूप से तीमुथियुस चर्मपत्र पर शब्दों को लिखता है जो पौलुस कहता है।

Παῦλος…τῇ ἐκκλησίᾳ τοῦ Θεοῦ τῇ οὔσῃ ἐν Κορίνθῳ

भाषा में एक पत्र के लेखक और उसके इच्छित दर्शकों का परिचय कराने का एक विशेष तरीका हो सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""मैं, पौलुस... ने तुम्हे यह पत्र लिखा है, परमेश्वर की कलीसिया जो कि कुरिन्थुस में है

Τιμόθεος ὁ ἀδελφὸς

यह संकेत करता है कि पौलुस और कुरिन्थयों दोनों तीमुथियुस को जानते थे और उसे उनके आत्मिक भाई समान मानते थे।

Ἀχαΐᾳ

यह आधुनिक यूनान के दक्षिणी भाग में रोमन प्रांत का नाम है। (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

2 Corinthians 1:2

χάρις ὑμῖν καὶ εἰρήνη

यह सामान्य अभिवादन है जिसका पौलुस अपने पत्रों में उपयोग करता है।

2 Corinthians 1:3

εὐλογητὸς ὁ Θεὸς καὶ Πατὴρ τοῦ Κυρίου ἡμῶν Ἰησοῦ Χριστοῦ

इसे सक्रिय रूप में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""हम सदैव हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता की स्तुति करें"" (देखें: कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य)

ὁ Θεὸς καὶ Πατὴρ

परमेश्वर, जो पिता है

ὁ Πατὴρ τῶν οἰκτιρμῶν καὶ Θεὸς πάσης παρακλήσεως

ये दोनों वाक्यांश दो अलग-अलग तरीकों से एक ही विचार को व्यक्त करते हैं। दोनों वाक्यांश परमेश्वर को संबोधित करते हैं। (देखें: समरूपता)

ὁ Πατὴρ τῶν οἰκτιρμῶν καὶ Θεὸς πάσης παρακλήσεως

संभावित अर्थ हैं 1) कि ""करुणा"" और ""सर्वसांत्वना"" शब्द ""पिता"" और ""परमेश्वर"" के चरित्र का वर्णन करते हैं या 2) कि ""पिता"" और ""परमेश्वर"" शब्द जो ""करुणा"" और ""सर्वसांत्वना"" के स्रोत को दर्शाता है।

2 Corinthians 1:4

παρακαλῶν ἡμᾶς ἐπὶ πάσῃ τῇ θλίψει ἡμῶν

यहाँ ""हम"" और ""हमारा"" कुरिन्थियों को दर्शाता है (देखें: समावेशी और अनन्य ‘‘हम’’)

2 Corinthians 1:5

ὅτι καθὼς περισσεύει τὰ παθήματα τοῦ Χριστοῦ εἰς ἡμᾶς

पौलुस मसीह के दुखों के बारे में बोलता है जैसे कि वे ऐसी वस्तुएँ थीं जो संख्या में वृद्धि कर सकती थीं। वैकल्पिक अनुवाद: ""जैसे मसीह हमारे लिए बहुत पीड़ित हुआ"" (देखें: रूपक)

τὰ παθήματα τοῦ Χριστοῦ

संभावित अर्थ 1) है कि यह पौलुस और तीमुथियुस की पीड़ा अनुभव को दर्शाता है क्योंकि वे मसीह के बारे में संदेश प्रचार करते हैं या 2) कि यह उन पीड़ाओं को दर्शाता है जिन्हें मसीह ने उनके बदले अनुभव किया था।

περισσεύει…ἡ παράκλησις ἡμῶν

पौलुस सांत्वना की बात करता है जैसे कि यह एक वस्तु है जो आकार में बढ़ सकती थी। (देखें: रूपक)

2 Corinthians 1:6

εἴτε δὲ θλιβόμεθα

यहां ""हम"" शब्द पौलुस और तीमुथियुस को संबोधित करता है, लेकिन कुरिन्थयों को नहीं। इसे सक्रिय रूप में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""लेकिन अगर लोग हमें पीड़ित करते हैं"" (देखें: विशिष्ट एवं संयुक्त ‘‘हम’’ और कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य)

εἴτε παρακαλούμεθα

इसे सक्रिय रूप में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""अगर परमेश्वर हमें सांत्वना देते हैं"" (देखें: कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य)

τῆς ὑμῶν παρακλήσεως, τῆς ἐνεργουμένης

तुम प्रभावशाली सांत्वना का अनुभव करते हो

2 Corinthians 1:8

οὐ…θέλομεν ὑμᾶς ἀγνοεῖν

इसे सकारात्मक भावों में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""हम चाहते हैं की तुम्हे पता हो"" (देखें: विडंबना)

ὅτι καθ’ ὑπερβολὴν ὑπὲρ δύναμιν ἐβαρήθημεν

पौलुस और तीमुथियुस निराशा की भावनाओं को भारी भार की तरह दर्शाते हैं जिन्हे उन्हें उठाना है। (देखें: रूपक)

ὑπερβολὴν…ἐβαρήθημεν

कुचला हुआ"" शब्द निराशा की भावना को संबोधित करता है। इसे सक्रिय रूप में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""जिन परेशानियों का हमने अनुभव किया उन्होंने हमें पूरी तरह से कुचल दिया"" या ""हम पूरी निराशा में थे"" (देखें: कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य)