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2 Timothy

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2 तीमुथियुस: प्रस्तावना

भाग 1: सामान्य विषय प्रवेश

2 तीमुथियुस पुस्तक की रूपरेखा
  1. पौलुस तीमुथियुस को आशीर्वाद देता है और उसे परमेश्वर की सेवा में सामने आने वाली कठिनायोँ में दृढ़ रहने के लिए प्रोत्साहित करता है (1:1-2:13)।

  2. पौलुस तीमुथियुस को अप्रधान निर्देश देता है (2:14–26)।

  3. पौलुस तीमुथियुस को भविष्य में होने वाली घटनाओं के विषय सतर्क करता है और उसे निर्देश देता है कि वह किस प्रकार परमेश्वर की सेवा में सिद्ध हो जाए (3:1-4:8)।

  4. पौलुस व्यक्तिगत सन्देश देता है (4:9-24)।

2 तीमुथियुस की पुस्तक किसने लिखी?
2 तीमुथियुस पौलुस ने लिखा। वह तर्शीश नगर का रहने वाला था। वह अपने प्रारंभिक जीवन में शाऊल के रूप में जाना जाता था। मसीही बनने से पहले, पौलुस एक फरीसी था। उसने मसीहियों को सताया था। मसीह का शिष्य बनने के बाद, उसने सम्पूर्ण रोमी साम्राज्य की यात्रा की और लोगों के मध्य यीशु का व्याख्यान किया।

यह पुस्तक तीमुथियुस को लिखा गया पौलुस का दूसरा पत्र है। तीमुथियुस उसका शिष्य और घनिष्ठ मित्र था। पौलुस ने इस पत्र को रोम में कैद के समय लिखा। इस पत्र को लिखने के बाद, पौलुस शीघ्र ही मारा जाएगा।

2 तीमुथियुस की पुस्तक का विषय क्या है?

पौलुस ने तीमुथियुस को इफिसुस नगर में छोड़ दिया था कि वहाँ के विश्वासियों की सहायता करे। पौलुस ने कई विषयों पर तीमुथियुस को निर्देश देने के लिए यह पत्र लिखा था। जिन विषयों पर उसने बात की उनमें झूठे शिक्षकों से सावधान रहने की चेतावनी और कठिन परिस्थितियों को सह लेने के विषय में निर्देश हैं। यह पत्र इस बात को भी प्रकट करता है कि किस प्रकार पौलुस तीमुथियुस को कलीसियाओं के मध्य एक अगुवा बनने का प्रशिक्षण दे रहा था।

 इस पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद कैसे किया जाना चाहिए?

अनुवादक इस पुस्तक को इसके पारम्परिक शीर्षक को "2 तीमुथियुस" या "दूसरा तीमुथियुस" के नाम से पुकारने का चुनाव कर सकते हैं या वे एक अन्य  शीर्षक चुन सकते हैं,जैसे "तीमुथियुस के लिए पौलुस का दूसरा पत्र" या "तीमुथियुस को लिखा दूसरा पत्र"। (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

 भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवधारणाएँ

 2 तीमुथियुस में योद्धा की उपमा क्या है?

जब पौलुस बंदीगृह में प्रतीक्षा कर रहा था, तब उसने यह जानते हुए कि वह शीघ्र ही मारा जाएगा, स्वयं को मसीह यीशु के एक योद्धा के रूप में बताया। योद्धाओं के लिए आवश्यक है कि वे अपने सेना नायकों के आदेशों का पालन करें। इसी प्रकार, मसीही जन यीशु के आदेशों का पालन करते हैं। मसीह के "योद्धा" के रूप में, विश्वासियों को उसकी आज्ञाओं का पालन करना है, भले ही वे इसके परिणाम-स्वरूप मर क्यों न जाएँ।

 इसका क्या अर्थ है कि परमेश्वर ने पवित्र-शास्त्र की रचना को प्रेरित किया है?

परमेश्वर पवित्र-शास्त्र का वास्तविक लेखक है। उसने उन मानव लेखकों को प्रेरणा दी जिन्होंने इन पुस्तकों को लिखा था। इसका अर्थ यह है कि लोगों ने जो लिखा है उसे लिखने के लिए किसी तरह से परमेश्वर ने उन्हें  सन्देश-प्रेरित किया था। इसी कारण से इसे परमेश्वर का वचन भी कहा जाता है। इसके अनेक अभिप्राय हैं। पहला, बाइबल अचूक है और इस पर भरोसा किया जा सकता है। दूसरा, परमेश्वर अपने धर्मशास्त्र को प्रत्येक मानव पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखेगा। तीसरा, परमेश्वर के वचन का अनुवाद संसार की सब भाषाओं में किया जाना चाहिए।

भाग 3: अनुवाद के महत्वपूर्ण विवाद विषय 

एकवचन और बहुवचन "तू"

इस पुस्तक में, "मैं" शब्द पौलुस को संदर्भित करता है। यहाँ "तू" शब्द लगभग सदैव ही एकवचन है और तीमुथियुस का सन्दर्भ देता है। इसमें एकमात्र अपवाद 4:22 है। (देखें:  तुम के प्रारूप)

समावेशी और एकान्तक "हम" तथा "हमारे"

इस पुस्तक में "हम" और "हमारे" पौलुस को तथा प्राप्तिकर्ता तीमुथियुस एवं सब विश्वासियों को समाहित करते हैं

 "मसीह मे", "प्रभु मे" आदि अभिव्यक्तियोँ के उपयोग  में पौलुस का अभिप्राय क्या है?

पौलुस मसीह और विश्वासियों के मध्य अति घनिष्ट सम्बन्ध का विचार व्यक्त करना चाहता था। कृपया ऐसी अभिव्यक्ति की अधिक जानकारी के लिए रोमियों की पुस्तक की प्रस्तावना देखें।

 2 तीमुथियुस की पुस्तक में मूलपाठ विषयक प्रमुख विवाद विषय क्या हैं?

निम्नलिखित पदों के सम्बन्ध  में, प्राचीनतम यूनानी पांडुलिपियाँ उत्तरकालीन यूनानी पांडुलिपियों से भिन्न हैं| अतः अनुवाद में यूनानी पांडुलिपियों के उपयोग के कारण आधुनिक बाइबल संस्करणों में भी अंतर आ जाता है। यू एल टी में प्राचीनतम यूनानी पांडुलिपियों से अनुवाद किया गया है और उत्तरकालीन पांडुलिपियों की तुलना में जो अंतर अता है उसको पादटिप्पणियों में व्यक्त किया गया है। यदि व्यापक क्षेत्र में बाइबल का अनुवाद विद्यमान है, तो अनुवादकों को उस बाईबल संस्करण के निर्णय पर विचार करना उचित ही होगा। यदि नहीं है, तो अनुवादकों को सुझाव दिया जाता है कि वे यूं  एल टी में प्रकट प्राचीनतम यूनानी पांडुलिपि का अनुसरण करें।

  • “जिसके लिए मैं प्रचारक, और प्रेरित, और उपदेशक भी ठहरा।” (1:11)। कुछ उत्तरकालीन संस्करणों में इस प्रकार लिखा है, “इस कारण, मुझे अन्यजातियों के लिए  उपदेशक,  प्रेरित, और शिक्षक नियुक्त किया गया।”
  • “प्रभु के सामने चेतावनी दे” (2:14)। कुछ पुराने संस्करणों में इस प्रकार लिखा है, “प्रभु के सामने उन्हें चेतावनी दे।”

(देखें: लेखों के भेद)

2 Timothy 1

2 तीमुथियुस 1 निर्विशेष टिप्पणियाँ

संरचना एवं आरूपण 

पौलुस इस पत्र की प्रस्तावना को पद 1-2 में औपचारिक रूप प्रदान करता है  प्राचीन मध्य एशिया में लेखक प्रायः इसी प्रकार पत्रों का आरम्भ करते थे।

इस अध्याय में विशेष अवधारणाएं 

 आत्मिक संतान

पौलुस ने एक मसीही और कलीसिया के अगुवे के रूप में तीमुथियुस को अनुशासित किया। सम्भवतः पौलुस ही उसे मसीह के विश्वास में लाया था। इसलिए, पौलुस तीमुथियुस को “प्रिय पुत्र” कहता है। यद्यपि पौलुस तीमुथियुस का सांसारिक पिता नहीं था, वह तीमुथियुस के साथ अपने सम्बन्ध के विषय आत्मिक परिप्रेक्ष्य में पिता और पुत्र की संज्ञा देता है (देखें:  रूपक)

इस अध्याय में अनुवाद की अन्य संभावित कठिनाइयाँ

सताव

पौलुस इस पत्र को लिखते समय बंदीगृह में था। पौलुस ने तीमुथियुस को सुसमाचार के लिए कष्ट सहने की इच्छा रखने के लिए प्रोत्साहित किया। (देखें: अनुमानित ज्ञान एवं अंतर्निहित सूचना)

2 Timothy 1:1

Παῦλος

इस पत्र में उस समय की सामान्य परम्परा का पालन किया गया है, पहले लेखक का नाम और पहचान तदोपरांत प्राप्तिकर्ताओं का उल्लेख (पद 2 में).  आपकी भाषा में  पत्र के लेखक का परिचय देने का एक अपना ही विशेष तरीका हो सकता है। यदि है तो आप उसको अपने अनुवाद में काम में ले सकते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: "मैं पौलुस, यह पत्र लिख रहा हूँ"

διὰ θελήματος Θεοῦ

"परमेश्वर की इच्छा के कारण" या "क्योंकि परमेश्वर चाहता था कि ऐसा हो।" पौलुस  प्रेरित बना क्योंकि परमेश्वर चाहता था कि वह एक प्रेरित हो।

κατ’

इसका दो में से एक संभावित अर्थ हो सकता है: (1) परमेश्वर ने पौलुस को नियुक्त किया कि वह मनुष्यों को यीशु में जीवन की प्रतिज्ञा के बारे में सुनाए| वैकल्पिक अनुवाद: “घोषणा करने के उद्देश्य के निमित्त” (2) पौलुस प्रेरित हुआ क्योंकि उसने भी यीशु में जीवन की प्रतिज्ञा प्राप्त की थी। वैकल्पिक अनुवाद: "प्राप्त करने के परिणाम स्वारूप"

ζωῆς τῆς ἐν Χριστῷ Ἰησοῦ

पौलुस जीवन की चर्चा इस प्रकार करता है कि जैसे वह यीशु के भीतर एक वस्तु है। यह उस जीवन को संदर्भित करता है जिसे लोग मसीह यीशु के हो जाने के  परिणामस्वरूप प्राप्त करते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: ""उस जीवन का जो हमें मसीह यीशु के हो जाने के परिणामस्वरूप प्राप्त होता है"" (देखें: रूपक)

Παῦλος

यह एक पुरुष का नाम है,पत्र के लेखक का|(देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

2 Timothy 1:2

Τιμοθέῳ

आपकी भाषा में पत्र प्राप्त करने वाले व्यक्ति का परिचय देने का एक विशेष तरीका हो सकता है| यदि है तो, आप अपने अनुवाद में उसका प्रयोग कर सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: यह पत्र तेरे लिए है, तीमुथियुस"।

ἀγαπητῷ τέκνῳ

पौलुस तीमुथियुस का पिता नहीं था,परन्तु वह पुत्र शब्द का उपयोग करके तीमुथियुस के लिए अपना प्रेम और अनुमोदन प्रकट करता है| यह भी संभव है कि पौलुस ने तीमुथियुस को मसीह के विषय में बताया था, और इसी कारण पौलुस उसेअपना आत्मिक पुत्र  समझता था। वैकल्पिक अनुवाद: “जो मेरे प्रिय पुत्र के समान है" या "तू मेरे लिए एक प्रिय पुत्र जैसा है" (देखें: रूपक)

χάρις, ἔλεος, εἰρήνη, ἀπὸ

लेखक का और प्राप्तिकर्ता (तीमुथियुस) के नाम प्रकट  करने के बाद, पौलुस तीमुथियुस को आशीर्वाद देता है| यहाँ अपनी भाषा का प्रयोग करें जिससे कि पाठक समझ सकें कि यह आशीर्वाद है| वैकल्पिक अनुवाद: "तू अपने मन में से…कृपा, दया और शांति का अनुभव पाए" या "मैं प्रार्थना करता हूँ कि तुझे …से कृपा, दया और शांति मिले"|(देखें: INVALID translate/translate-blessing)

Θεοῦ Πατρὸς

यह परमेश्वर के लिए एक  महत्वपूर्ण पदनाम है|यहाँ पौलुस परमेश्वर को मसीह का पिता, या (2)विश्वासियों का पिता, मानता है। वैकल्पिक अनुवाद: "परमेश्वर जो पिता है"। (देखें: [[https://git.door43.org/Door43-Catalog/hi _ta/src/branch/master/translate/guidelines-sonofgodprinciples/01.md]])

मसीह यीशु हमारे प्रभु

Τιμοθέῳ

यह एक पुरुष का नाम है,जिस पुरुष को पत्र लिखा जा रहा है|(देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

χάρις, ἔλεος, εἰρήνη

तीमुथियुस को दिए गए पौलुस के आशीर्वाद में ये तीन भाववाचक संज्ञाएँ हैं|आपकी भाषा में इन अवधारणाओं को व्यक्त करने की अपनी विशेष विधि होगी,जैसे क्रिया से| यदि ऐसा है तो आप उनका प्रयोग अपने अनुवाद में कर सकते हैं| देखें यू एस टी(देखें: भाववाचक संज्ञा)

ἡμῶν

इस पुस्तक में जब तक अन्यथा देखा न जाए, हम और हमारा पौलुस (पत्र के लेखक), तिमुथियुस (जिसको पत्र लिखा जा रहाहै), और व्यापकता में सब विश्वासियों के सन्दर्भ में हैं| (देखें: विशिष्ट एवं संयुक्त ‘‘हम’’)

2 Timothy 1:3

ᾧ λατρεύω ἀπὸ προγόνων

यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है कि पौलुस का परिवार अनेक पीढ़ियों से परमेश्वर की सेवा कर रहा है| वैकल्पिक अनुवाद: "जिसकी सेवा मेरे पूर्वजों ने की और मैं भी कर रहा हूँ" (देखें: INVALID translate/translate/figs-idiom)

ἐν καθαρᾷ συνειδήσει

"पौलुस अपने विवेक की बात ऐसे करता है जैसे कि इसे शारीरिक रूप से स्वच्छ किया जा सकता है। एक शुद्ध विवेक वाले मनुष्य में अपराध बोध नहीं होता है क्योंकि उसने सदैव ही सदाचारी होने का प्रयास किया है| वैकल्पिक अनुवाद: "यह जानते हुए कि मैं ने सदैव उचित काम करने का भरसक प्रयास किया है"  (देखें: रूपक)

ὡς ἀδιάλειπτον ἔχω τὴν περὶ σοῦ μνείαν

यहाँ पौलुस स्मरण रखने की क्रिया को भाववाचक संज्ञा, स्मृति द्वारा व्यक्त करता है। आपकी भाषा में इस धारणा को व्यक्त करने की कोई विशेष विधि होगी जैसे क्रिया द्वारा| यदि है तो आप उसका प्रयोग अपने अनुवाद में कर सकते हैं  वैकल्पिक अनुवाद:: “अपनी प्रार्थनाओं में मुझे तेरा स्मरण सदैव ही रहता है| (देखें: [[rc:/hi/ta/man/translate/figs-abstractnouns]])

νυκτὸς καὶ ἡμέρας

यहाँ रात और दिन का उपयोग रात के सम्पूर्ण समय और दिन के सम्पूर्ण समय को संयोजित करके किया गया है| इसका अर्थ है कि पौलुस परमेश्वर से प्रार्थना करता रहता है, समय चाहे कोई  सा भी हो| इसका अर्थ यह नहीं है कि पौलुस चौबीस घंटे अविराम प्रार्थना करता है। वैकल्पिक अनुवाद: “सदैव” या “हर समय” (देखें: विभज्योतक)

χάριν ἔχω τῷ Θεῷ

यदि आपकी भाषा में स्पष्ट हो सके तो आप भाववाचक संज्ञा, धन्यवाद में निहित विचार को क्रिया शब्द या विशेषण शब्द द्वारा व्यक्त कर सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: "मैं परमेश्वर को धन्यवाद कहता हूँ" या "मैं परमश्वर का आभारी हूँ"(देखें: भाववाचक संज्ञा)

σοῦ

तू शब्द यहाँ वरन सम्पूर्ण पुस्तक में एकवचन में है क्योंकि पौलुस तीमुथियुस को संबोधित कर रहा है| पद 4:22 में एकमात्र अपवाद है जिस पर टिप्पणी की गई है|(देखें: ‘तुम’ के रूप - एकवचन)