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Galatians

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गलातियों का परिचय

भाग 1: सामान्य परिचय

गलातियों की पत्री की रूपरेखा

1। पौलुस यीशु मसीह के प्रेरित होने के अपने अधिकार की घोषणा करता है; वह कहता है कि वह इस बात से अचम्भित है कि गलातिया के मसीहियों ने अन्य लोगों से झूठी शिक्षाओं को ग्रहण कर लिया है (1:1-10). 1। पौलुस कहता है कि लोग सिर्फ मसीह में विश्वास करने के द्वारा उद्धार पाते हैं, व्यवस्था का पालन करने के द्वारा नहीं (1:11-2:21). 1। परमेश्वर लोगों को अपने साथ तभी सही सम्बन्धों में रखते हैं जब वे मसीह में विश्वास करते हैं; अब्राहम का उदाहरण; जो श्राप व्यवस्था लाती है (और वह कोई उद्धार का साधन नहीं है); दासत्व और स्वतंत्रता की हाजिरा और सारा के द्वारा तुलना की गई है और दर्शाया गया है (3:1-4:31). 1। जब लोग मसीह से जुड़े होते हैं, वे मूसा की व्यवस्था के पालन के बंधन से स्वतंत्र हो जाते हैं। जैसा पवित्र आत्मा उन्हें मार्गदर्शन करते हैं वे वैसा जीवन जीने के लिए भी स्वतंत्र हो जाते हैं। वे पाप की माँगों का इंकार करने के लिए भी स्वतंत्र हो जाते हैं। वे एक दूसरे का बोझ उठाने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं (5:1-6:10). 1। पौलुस मसीहियों को चेतावनी देता है कि खतना कराने और मूसा की व्यवस्था पर भरोसा न रखें। इसके बजाय, उन्हें मसीह में भरोसा रखना चाहिए (6:11-18)।

गलातियों की पत्री किसने लिखी?

तरसुस शहर का रहने वाला पौलुस इसका लेखक था। वह अपने प्रारम्भिक जीवन काल में शाऊल कहलाता था। एक मसीही बनने से पहले, पौलुस एक फरीसी था। वह मसीही लोगों को सताता था। यीशु मसीह में विश्वास करने के बाद, उसने पूरे रोमी साम्राज्य में यीशु के बारे में बताते हुए अनेक यात्राएँ कीं।

यह अनिश्चित है कि उसने यह पत्री कब लिखी और यह कि जब उसने यह पत्री लिखी तो उस समय वह कहाँ था। कुछ विद्वान सोचते हैं कि यीशु के बारे में लोगों को बताने के लिए जब उसने दूसरी बार यात्रा की थी और जब वह इफिसुस में था तब उसने यह पत्री लिखी। अन्य विद्वान सोचते हैं कि पहली यात्रा के तुरंत बाद जब वह सीरिया के अन्ताकिया शहर में था तब उसने यह पत्र लिखा।

गलातियों की पत्री किस बारे में है?

पौलुस ने यह पत्री गलातिया क्षेत्र में पाए जाने वाले यहूदी और गैर-यहूदी दोनों ही प्रकार के मसीहियों के लिए लिखी थी। उसने यह पत्री उन झूठे शिक्षकों के विरुद्ध लिखी जो कहते थे कि मसीहियों को मूसा की व्यवस्था का पालन करना अवश्य है। पौलुस सुसमाचार का बचाव करता है कि एक व्यक्ति यीशु मसीह में विश्वास करने के द्वारा उद्धार पाता है। लोगों का उद्धार इसलिए होता है क्योंकि परमेश्वर दयालु है और इसलिए नहीं कि लोग अच्छे काम करते हैं। कोई भी व्यक्ति पूर्णतः व्यवस्था का पालन नहीं कर सकता। मूसा की व्यवस्था का पालन करके परमेश्वर को प्रसन्न करने के किसी भी प्रयास का परिणाम सिर्फ इतना होगा कि परमेश्वर उन्हें दोषी ठहराएँगे। (देखें: शुभ सन्देश, सुसमाचार, बचाना, बचाया, सुरक्षित, उद्धार, विश्वास और व्यवस्था, मूसा की व्यवस्था, परमेश्वर की व्यवस्था, यहोवा की व्यवस्था और काम, कर्म, कार्य, कृत्य)

इस पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद कैसे होना चाहिए?

अनुवादक इस पुस्तक को इसके परम्परागत शीर्षक, “गलातियों की पत्री” के नाम से पुकार सकते हैं। या फिर वे कोई स्पष्ट शीर्षक चुन सकते हैं, जैसे कि “गलातिया की कलीसिया को पौलुस का पत्र.” (देखे: )

भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक सिद्धांत

“यहूदियों की तरह जीवन जीने” का क्या अर्थ है (2:14)?

“यहूदियों की तरह जीवन जीने” का अर्थ है मूसा की व्यवस्था का पालन करना, चाहे कोई मसीह पर भरोसा करता हो। प्रारम्भिक मसीहियों में से जो लोग यह सिखाते थे कि यह जरूरी था वे “यहूदी मत वाले” कहलाते थे.

भाग 3: महत्वपूर्ण अनुवाद के मुद्दे

पौलुस ‘व्यवस्था” और “अनुग्रह” शब्दों का उपयोग गलातियों की पत्री में किस तरह करता है?

ये शब्द गलातियों की पत्री में विशिष्ट तरीके से प्रयुक्त किए गए हैं। गलातियों की पत्री में मसीही जीवन के बारे में एक महत्वपूर्ण शिक्षा है। मूसा की व्यवस्था के अंतर्गत, धार्मिकता के लिए एक व्यक्ति को कुछ नियमों और कानूनों का पालन करना आवश्यक होता था। मसीही के लिए, पवित्र जीवन अनुग्रह के द्वारा प्रेरित होता है। इसका अर्थ है मसीही लोगों के पास मसीह में स्वतंत्रता होती है और उन्हें कुछ विशेष नियमों के पालन की आवश्यकता नहीं होती। जबकि, मसीही लोगों को एक पवित्र जीवन जीना होता है क्योंकि वे परमेश्वर के प्रति बहुत ही आभारी होते हैं कि वह उनके प्रति बहुत ही दयालु रहे हैं। इसे “मसीह का नियम” कहते हैं. (देखें: धर्मी, धार्मिकता, अधर्मी, अधर्म, खरा, खराई और पवित्र, पवित्रता, अपवित्र,)

“मसीह में,” “प्रभु में,” इत्यादि अभिव्यक्तियों से पौलुस का क्या तात्पर्य है?

इस तरह की अभिव्यक्तियाँ 1:22; 2:4, 17; 3:14, 26, 28; 5:6, 10। पौलुस मसीह और विश्वासियों के मध्य एक बहुत ही निकट सम्बन्ध के विचार को प्रगट करना चाहता है। उसी समय उसका तात्पर्य अन्य अर्थों से भी है। उदाहरण के लिए देखें, “जब हम मसीह में स्वयं को धर्मी ठहराए जाने के लिए परमेश्वर की ओर देखते हैं” (2:17), यहाँ पौलुस मसीह के द्वारा धर्मी ठहराए जाने के बारे में बात करता है।

इस प्रकार की अन्य अभिव्यक्तियों और विस्तृत वर्णन के लिए कृपया रोमियों की पत्री के परिचय को देखें।

गलातियों की पुस्तक के मुख्य मुद्दे क्या हैं?
  • “मूर्ख गलातियों, तुम्हें किसकी बुरी आंख ने नुकसान पहुंचाया है? क्या यीशु मसीह को आपकी आँखों के समक्ष क्रूस पर नहीं चढ़ाया गया था"" (3:1)? यूएलटी, यूएसटी तथा अन्य आधुनिक संस्करणों में यह लिखा है। यद्यपि, बाइबल के पुराने संस्करणों में यह जोड़ा गया है, “[ताकि] तुम सत्य का अनुसरण न कर सको।” अनुवादकों को यह सलाह दी जाती है कि वे इन अभिव्यक्तियों का उपयोग न करें। तथापि, यदि अनुवादक के क्षेत्र में ऐसे पुराने बाइबल संस्करण उपलब्ध हैं जिनमें यह वाक्यांश है तो वे उसे शामिल कर सकते हैं। यदि इसका अनुवाद हो जाता है तो उन्हें वर्ग कोष्ठकों के अन्दर रखना चाहिए ([]) ताकि यह बताया जा सके कि यह मूल गलातियों में शायद नहीं है। (देखें: लेखों के भेद)

    (देखें: लेखों के भेद)

Galatians 1

गलातियों 01 सामान्य टिप्पणियाँ

संरचना एवं बाह्यरूप

पौलुस अपनी इस पत्री का प्रारम्भ अपनी अन्य पत्रियों से भिन्न करता है। वह इस बात को जोड़ता है कि वह “मनुष्यों की ओर या मानवीय संस्था की ओर से नहीं, बल्कि यीशु मसीह और पिता परमेश्वर की ओर से प्रेरित है, जिसने उसे मृतकों में से जिलाया।” पौलुस शायद इन शब्दों को इसलिए शामिल करता है क्योंकि झूठे शिक्षक उसका विरोध कर रहे थे और उसके अधिकार को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे थे।

इस अध्याय में विशेष सिद्धांत

गलत शिक्षाएं

परमेश्वर सिर्फ बाइबल के सुसमाचार के सत्य के द्वारा लोगों को अनन्तकाल के लिए बचाता है। परमेश्वर और किसी प्रकार के सुसमाचार की निंदा करते हैं। जो लोग झूठा सुसमाचार सिखाते हैं पौलुस परमेश्वर से उन्हें श्रापित करने के लिए कह रहा है। वे बचाए नहीं जा सकते। उन्हें अविश्वासियों जैसा समझा जाना चाहिए। (देखें: बचाना, बचाया, सुरक्षित, उद्धार, सनातन, अनन्त, अनंत काल, शुभ सन्देश, सुसमाचार और दोष लगाना, दोषी, दण्ड की आज्ञा और श्राप, श्रापित, श्राप दे रहा)

पौलुस की शैक्षिक योग्यता

प्रारम्भिक कलीसिया के कुछ लोग सिखाते थे कि अन्यजातियों को मूसा की व्यवस्था का पालन करना अवश्य है। इस शिक्षा का खंडन करने के लिए पौलुस पद 13-16 में समझाता है कि कैसे वह पहले एक जोशीला यहूदी था। लेकिन फिर भी परमेश्वर को उसे बचाना पड़ा और सच्चा सुसमाचार दिखाना पड़ा। यहूदी होने और अन्यजातियों के लिए प्रेरित होने के कारण पौलुस इस मुद्दे पर बात करने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य था। (देखें: व्यवस्था, मूसा की व्यवस्था, परमेश्वर की व्यवस्था, यहोवा की व्यवस्था)

इस अध्याय में अन्य संभावित अनुवाद की कठिनाइयाँ
“तुम कितनी आसानी से अलग सुसमाचार की ओर फिर गए”

गलातियों की पुस्तक धर्मशास्त्र में पौलुस की प्रारम्भिक पत्रियों में से एक है। इससे पता चलता है कि गलत शिक्षाओं ने प्रारम्भिक कलीसिया को भी परेशान किया। (देखें: अनुमानित ज्ञान एवं अंतर्निहित सूचना)

Galatians 1:1

प्रेरित पौलुस गलातिया क्षेत्र की कलीसियाओं के लिए पत्र लिखता है। जब तक अलग से टिप्पणी नहीं की जाती है, इस पत्री में आने वाले “तुम” और “तुम्हारे” शब्द गलातियों के लिए उपयोग हुए हैं और बहुवचन हैं। (देखें: तुम के प्रारूप )

τοῦ ἐγείραντος αὐτὸν

जिसने उसको मरे हुओं में से जिलाया

Galatians 1:2

ἀδελφοί

यहाँ इसका मतलब है साथी मसीही, इसमें स्त्री और पुरुष दोनों शामिल हैं, क्योंकि मसीह में सारे विश्वासी एक ही आत्मिक परिवार के सदस्य हैं, परमेश्वर जिनके स्वर्गीय पिता हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “भाइयों और बहनों” (देखें: जब पुल्लिंग शब्दों में स्त्रियाँ शामिल होती हैं )

Galatians 1:4

περὶ τῶν ἁμαρτιῶν ἡμῶν

पापों शब्द पाप के दण्ड के लिए पर्याय है। वैकल्पिक अनुवाद: “हमारे पापों के कारण जिस दण्ड के हम भागी थे उसे लेने के लिए” (देखें: लक्षणालंकार )

ὅπως ἐξέληται ἡμᾶς ἐκ τοῦ αἰῶνος τοῦ ἐνεστῶτος πονηροῦ

यहाँ “इस ... युग” इस युग में काम करने वाली शक्ति को दर्शाता है। वैकल्पिक अनुवाद: “ताकि वह हमें आज के संसार में कार्यरत दुष्ट शक्तियों से बचाकर एक सुरक्षित स्थान में ले जा सके” (देखें: लक्षणालंकार )

τοῦ Θεοῦ καὶ Πατρὸς ἡμῶν

यह “हमारे परमेश्वर पिता” के सम्बन्ध में है। वह हमारे परमेश्वर हैं और हमारे पिता हैं।

Galatians 1:6

पौलुस इस पत्री को लिखने के कारण बताता है: वह उन्हें स्मरण दिलाता है कि वे सुसमाचार को समझना जारी रखें।

θαυμάζω

मैं चकित हूँ या “मैं अचंभित हूँ।” पौलुस दु:खी था कि वे ऐसा कर रहे थे।

οὕτως ταχέως, μετατίθεσθε ἀπὸ τοῦ καλέσαντος

यहाँ पर “उससे ... दूर होना” परमेश्वर पर शक करना शुरू करने या आगे को उस पर भरोसा न रखने का एक रूपक है। वैकल्पिक अनुवाद: “तुमने इतने जल्दी उस पर शक करना शुरू कर दिया” (देखें: रूपक )

τοῦ καλέσαντος ὑμᾶς

परमेश्वर, जिसने तुम्हें बुलाया

τοῦ καλέσαντος

यहाँ पर इसका मतलब है परमेश्वर ने लोगों को अपनी सन्तान होने के लिए नियुक्त किया या चुना है, कि वे उसकी सेवा करें और यीशु के द्वारा उद्धार के संदेश की घोषणा करें।

ἐν χάριτι Χριστοῦ

मसीह के अनुग्रह के द्वारा या “मसीह के अनुग्रहकारी बलिदान के द्वारा”

μετατίθεσθε…εἰς ἕτερον εὐαγγέλιον

यहाँ पर “की ओर मुड़ना” एक रूपक है जिसका अर्थ है किसी बात पर विश्वास करना शुरू कर देना। वैकल्पिक अनुवाद: “इसके बजाय तुमने एक अलग सुसमाचार पर विश्वास करना शुरू कर दिया है” (देखें: रूपक )

Galatians 1:7

οἱ ταράσσοντες

कुछ लोग

Galatians 1:8

εὐαγγελίζηται

यह उसका वर्णन है जो नहीं हुआ है और होना नहीं चाहिए। वैकल्पिक अनुवाद: “घोषणा करेंगे” या “घोषणा करने वाले थे” (देखें: काल्पनिक परिस्थितियाँ )

παρ’ ὃ εὐηγγελισάμεθα

अलग प्रकार का सुसमाचार या “अलग प्रकार का संदेश”

ἀνάθεμα ἔστω

परमेश्वर उस व्यक्ति को हमेशा के लिए दण्डित करें। यदि आपकी भाषा में किसी को श्राप देने के लिए कोई आम शब्द है तो आप उसका उपयोग कर सकते हैं।

Galatians 1:10

ἄρτι γὰρ ἀνθρώπους πείθω ἢ τὸν Θεόν? ἢ ζητῶ ἀνθρώποις ἀρέσκειν

इन नकारात्मक उत्तर वाले प्रश्नों के उत्तर “न” में अपेक्षित किये जाते हैं। वैकल्पिक अनुवाद: “मैं मनुष्यों से समर्थन नहीं चाहता बल्कि परमेश्वर से समर्थन चाहता हूँ। मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना नहीं चाहता।” (देखें: उत्तर की अपेक्ष किए बिना प्रभावोत्पादक प्रश्न )

εἰ ἔτι ἀνθρώποις ἤρεσκον, Χριστοῦ δοῦλος οὐκ ἂν ἤμην

“यदि” और “तो” दोनों ही शब्द तथ्य के विपरीत हैं। “मैं मसीह का सेवक हूँ, मैं आम मनुष्यों को प्रसन्न करने की कोशिश नहीं करता” या “यदि मैं अभी भी मनुष्यों को प्रसन्न करने की कोशिश कर रहा होता तो मैं मसीह का सेवक न होता”