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1 यूहन्ना का परिचय

भाग 1: सामान्य परिचय

1 यूहन्ना की पुस्तक की रूपरेखा
  1. परिचय (1:1-4) 1 मसीही जीवन (1:5-3:10) 1। एक दुसरे को प्रेम करने की आज्ञा (3:11-5:12) 1। निष्कर्ष (5:13-21)
1 यूहन्ना की पुस्तक को किसने लिखा?

यह पुस्तक लेखक के नाम का वर्णन नही करती। फिर भी, आरंभिक मसीही काल से, अधिकांश मसीहियों ने प्रेरित यूहन्ना को इसका लेखक माना है। उसने यूहन्ना के सुसमाचार को भी लिखा।

1 यूहन्ना की पुस्तक किस विषय में है?

यूहन्ना ने यह पत्री मसीहियों को एक ऐसे समय में लिखी जब झूठे शिक्षक उन्हें परेशान कर रहे थे। यूहन्ना ने इस पत्र को इसलिए लिखा क्योंकि वह विश्वासियों को पाप करने से रोकना चाहता था। वह विश्वासियों को झूठी शिक्षा से बचाना चाहता था। साथ ही वह विश्वासियों को यह आश्वासन देना चाहता था कि वे बच चुके हैं।

इस पुस्तक के शीर्षक का किस प्रकार अनुवाद होना चाहिए?

अनुवादक इस पुस्तक को उसके परंपरागत शीर्षक, ""1 यूहन्ना"" से बुला सकते हैं। या वे “यूहन्ना से पहला पत्र” या “यूहन्ना द्वारा लिखा गया पहला पत्र” जैसा एक स्पष्ट शीर्षक चुन सकते हैं। (देखें: नामों का अनुवाद कैसे करें)

भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक धारणाएं

यूहन्ना किन लोगों के विरुद्ध में बोला?

यूहन्ना जिन लोगों के विरुद्ध बोला वे संभवतः वे लोग थे जो ज्ञानियों के नाम से जाने गए। इन लोगों का मानना था कि भौतिक संसार बुरा था। क्योंकि वे यह मानते थे कि यीशु दिव्य थे, वे उसके पूर्ण मनुष्यत्व का इन्कार करते थे। वे ऐसा इसलिए मानते थे क्योंकि उनका विचार था कि परमेश्वर मनुष्य का रूप नही लेंगे क्योंकि भौतिक शरीर बुरा है। (देखें: बुराई, दुष्ट, दुष्टता)

भाग 3: महत्वपूर्ण अनुवाद के मुद्दे

1 यूहन्ना में, “बने रहना”, “बसना” और “वास करना” शब्दों का, क्या अर्थ है?

यूहन्ना ने अक्सर “रहना”, “बसना” और “वास करना” शब्दों का प्रयोग रूपकों के रूप में किया है। यूहन्ना ने एक विश्वासी के यीशु के प्रति अधिक विश्वासयोग्य होने की और यीशु को इस प्रकार, जैसे यीशु का वचन विश्वासी में रहता हो, और अधिक जानने की बात को कहा। साथ ही, यूहन्ना ने किसी का किसी और से, इस प्रकार आत्मिक संगति के विषय में कहा जैसे कि वह व्यक्ति दुसरे में “बना रहता” हो। मसीहियों को मसीह में और परमेश्वर में “बने रहने” के लिए कहा गया है। पिता के पुत्र में “बने रहने” और पुत्र के पिता में “रहने” के विषय में कहा गया है। पुत्र का विश्वासियों में “बने रहने” के विषय में कहा गया है। पवित्र आत्मा का विश्वासियों में “बने रहने” के विषय में कहा गया है।

कई अनुवादकों के लिए अपनी भाषा में इन विचारों को यथार्थ प्रस्तुत करना असंभव होगा। उदाहरण के लिए, यूहन्ना ने यह कहकर “जो कोई यह कहता है, कि मैं उसमे बना रहता हूँ” (1 यूहन्ना 2:6) एक मसीही का परमेश्वर के साथ आत्मिक तौर पर जुड़े रहने के विचार को प्रकट करना चाहा है। यू एस टी अनुवाद कहता है, ""अगर हम कहते हैं कि हम परमेश्वर के साथ एक हैं,"" लेकिन अनुवादकों को अक्सर इन विचारों को समझाने के लिए अन्य अभिव्यक्तियों की खोज करनी पढ़ेगी।

“परमेश्वर का वचन तुम में रहता है” (1 यूहन्ना 2:13), इस अनुछेद में यू एस टी इस विचार को इस प्रकार व्यक्त करता है, ""परमेश्वर द्वारा दी गई आज्ञाओं का जब तुम पालन करते हो।"" कई अनुवादकों के लिए इस अनुवाद को एक नमूने के रूप में प्रयोग करना संभव होगा।

1 यूहन्ना की पुस्तक के पाठ में प्रमुख मुद्दे क्या है?

निम्नलिखित पदों के लिए, बाइबल के आधुनिक संस्करण पुराने संस्करणों से अलग है। यूएलटी पाठ में आधुनिक पठन है और पुराने पठन को पाद टिप्पणी में रखा गया है। यदि सामान्य क्षेत्र में बाइबल का अनुवाद उपलब्ध है, तो अनुवादकों को उन संस्करणों में मिलने वाले पठन का उपयोग करने का विचार करना चाहिए। यदि नहीं, तो अनुवादकों को आधुनिक पठन का पालन करने की सलाह दी जाती है।

  • ""और ये बातें हम इसलिए लिखते हैं, कि तुम्हारा आनंद पूरा हो जाए"" (1:4)। कुछ पुराने संस्करण लिखते हैं, "" और ये बातें हम इसलिए लिखते हैं, कि तुम्हारा आनंद पूरा हो जाए ""
  • ""और तुम सब सत्य जानते हो"" (2:20)। दुसरे नए संस्करणों में, ""और तुम्हें सब ज्ञान है।"" कुछ पुराने संस्करणों में, ""तुम सब जानते हो।""
  • ""और हम यही हैं!"" (3:1). यूएलटी, यूएसटी, और अधिकांश नए संस्करणों में इस प्रकार पढ़ा जा सकता है। कुछ पुराने संस्करण इस वाक्यांश को छोड़ देते हैं।
  • "" और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं है; "" (4:3)। यूएलटी, यूएसटी, और अधिकांश नए संस्करणों में इस प्रकार लिखा है। कुछ पुराने संस्करणों में लिखा है, "" और जो कोई आत्मा यह स्वीकार नही करती कि यीशु ने देह धारण करी, वह परमेश्वर की ओर से नहीं है ""

    निम्नलिखित अनुछेद के लिए, अनुवादकों को सलाह दी जाती है कि वह इसे यूएलटी के अनुसार अनुवाद करें। फिर भी, यदि अनुवादकों के क्षेत्रों में, बाइबल के ऐसे पुराने संस्करण है जिनमे यह वाक्यांश शामिल है तो अनुवादक इसे शामिल कर सकते हैं। यदि यह शामिल है, तो इसे बड़े कोष्ठक के भीतर डालना होगा ([]), यह दर्शाने के लिए कि यह संभवत: 1 यूहन्ना के मूल संस्करण में नही था।

  • ""क्योंकि तीनों गवाही देते हैं: आत्मा, जल और लहू। तीनों एक ही बात पर सहमत हैं।"" (5:7-8) कुछ पुराने संस्करणों में, ""और स्वर्ग में गवाही देने वाले तीन हैं: पिता, वचन, और पवित्र आत्मा; और ये तीनों एक ही हैं। और तीन हैं जो पृथ्वी पर गवाही देते हैं: आत्मा, जल, और लहू; और ये तीनों एक के समान हैं।""

(देखें: लेखों के भेद)

1 John 1

1 यूहन्ना 01 सामान्य टिप्पणियाँ

संरचना और स्वरूपण

इस पत्र को यूहन्ना ने मसीहियों को लिखा।

इस अध्याय में विशेष विचार

मसीही और पाप

इस अध्याय में यूहन्ना सिखाता है कि सब मसीही अभी भी पापी हैं। लेकिन परमेश्वर मसीहियों के पापों को क्षमा करता रहता है। (देखें: पाप, पापी, पापी, पाप करते रहना और विश्वास और क्षमा करना, क्षमाप्राप्त, क्षमा, क्षमादान)

इस अध्याय के महत्वपूर्ण अलंकार

रूपक

इस अध्याय में यूहन्ना लिखता है कि परमेश्वर ज्योति है। ज्योति, समझ और धार्मिकता के लिए रूपक है। (देखें: रूपक और धर्मी, धार्मिकता, अधर्मी, अधर्म, खरा, खराई)

यूहन्ना लोगों के ज्योति या अंधकार में चलने के विषय में भी लिखता है। चलना, व्यवहार या जीने के लिए रूपक है। जो लोग ज्योति में चलते हैं वे समझते हैं कि धार्मिकता क्या है और उसे करते हैं। जो लोग अंधकार में चलते हैं वे धार्मिकता को समझ नही पाएंगे, और वे पाप करते हैं।

1 John 1:1

प्रेरित यूहन्ना ने यह पत्र विश्वासियों को लिखा। “तुम,” “तुम्हारा,” और “तुम्हारे” के सभी उल्लेख सभी विश्वासियों को शामिल करते हैं और बहुवचन हैं। यहाँ ""हम"" और ""हमारे"" शब्द, यूहन्ना को और जो कोई यीशु के साथ थे उन्हें संदर्भित करते हैं। पद 1-2 में “जिसे”, “जो”, और “उसे”, जैसे कई सर्वनामों का प्रयोग किया गया है। ये “जीवन के वचन” और “अनंत जीवन” को दर्शाते हैं। लेकिन, क्योंकि ये यीशु के नाम हैं, आप मनुष्यों को दर्शाने वाले सर्वनाम जैसे “जो”, “जिसे” या “उसने” का प्रयोग कर सकते हैं”। (देखें: तुम के प्रारूप और विशिष्ट एवं संयुक्त ‘‘हम’’ और सर्वनाम)

ἀκηκόαμεν

जिसे हमने सुना है

ὃ ἑωράκαμεν τοῖς ὀφθαλμοῖς ἡμῶν, ὃ ἐθεασάμεθα

इसे जोर देने के लिए दोहराया गया है। वैकल्पिक अनुवाद: “जिसे हमने स्वयं देखा है” (देखें: समरूपता)

τοῦ λόγου τῆς ζωῆς

यीशु, जो लोगों को अनंत जीवन देता है

τῆς ζωῆς

इस पूरी पत्री में “जीवन” शब्द भौतिक जीवन से अधिक को दर्शाता है। यहाँ “जीवन” आत्मिक रूप से जीवित रहने को दर्शाता है। (देखें: लक्षणालंकार)

1 John 1:2

καὶ ἡ ζωὴ ἐφανερώθη

इसे सक्रिय रूप में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर ने हमें अनंत जीवन पाने का ज्ञान दिया” या परमेश्वर ने हमें स्वयं को जानने दिया, जो अनंत जीवन है” (देखें: कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य)

ἑωράκαμεν, καὶ μαρτυροῦμεν,

हमने उसे देखा है

μαρτυροῦμεν, καὶ ἀπαγγέλλομεν ὑμῖν

हम उसकी गवाही दूसरों को देते हैं

τὴν ζωὴν τὴν αἰώνιον

यहाँ, “अनंत जीवन” यीशु को, जो हमें वो जीवन देते है, दर्शाता है। वैकल्पिक अनुवाद: “वो जो हमें अनंतकाल तक जीवित रहने के लिए सक्षम बनाता है” (देखें: लक्षणालंकार)

τὸν Πατέρα

जो पिता परमेश्वर के साथ था

καὶ ἐφανερώθη ἡμῖν

यह तब हुआ जब वह पृथ्वी पर जीवित था। वैकल्पिक अनुवाद: “और वह हमारे बीच में रहने के लिए आया” (देखें: कर्तृवाच्य एवं कर्मवाच्य)

1 John 1:3

यहाँ “हम”, “हमारे”, और “हमने” शब्द यूहन्ना को और जो यीशु के साथ थे, उन्हें संदर्भित करता है। (देखें: विशिष्ट एवं संयुक्त ‘‘हम’’)

ὃ ἑωράκαμεν, καὶ ἀκηκόαμεν

जो कुछ हमने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं

καὶ ὑμεῖς κοινωνίαν ἔχητε μεθ’ ἡμῶν…ἡ κοινωνία…ἡ ἡμετέρα μετὰ τοῦ Πατρὸς, καὶ μετὰ τοῦ Υἱοῦ αὐτοῦ

हमारे घनिष्ठ मित्र बनो। हम पिता परमेश्वर के मित्र हैं

ἡ κοινωνία…ἡ ἡμετέρα

यह स्पष्ट नही है कि यूहन्ना इसमें अपने पाठकों को शामिल कर रहा है कि नही। आप इसे किसी भी प्रकार अनुवाद कर सकते हैं।

τοῦ Πατρὸς…τοῦ Υἱοῦ αὐτοῦ

ये महत्वपूर्ण शीर्षक हैं जो परमेश्वर और यीशु के मध्य के सम्बन्धों का वर्णन करते हैं। (देखें: पुत्र और पिता का अनुवाद करना)

1 John 1:4

ἵνα ἡ χαρὰ ἡμῶν ᾖ πεπληρωμένη

कि हमारा आनंद पूरा हो या “कि हम अपने को पूर्ण रूप से खुश कर सकें”

1 John 1:5

ἀκηκόαμεν

यहाँ “हमने” और “हम” शब्द सभी विश्वासियों को, उन सब को शामिल करते हुए जिन्हें यूहन्ना लिख रहा था, दर्शाते है। जब तक अन्यथा न कहा गया हो, शेष पुस्तक के लिए इसका यह अर्थ है। (देखें: समावेशी और अनन्य ‘‘हम’’)

यहाँ से अगले अध्याय तक, यूहन्ना, संगति – परमेश्वर और अन्य विश्वासियों के साथ घनिष्ठ रिश्तों के विषय में लिखता है।