31-01
येसु ने अपने शागिर्दों से क्या करने को कहा जब उसने भीड़ को विदा किया ?
उसने उनसे कहा कि नाव पर सवार होकर झील के उस पार चले जाएं -
येसु जब शागिर्दों को उनके नाँवों पर सवार कर चुका तो क्या किया ?
वह दुआ करने के लिए पहाड़ पर चढ़ गया -
31-02
रात के वक़्त में नावों पर शागिर्दों को किस बात की परेशानी थी ?
हवा उन के ख़िलाफ़ थी , इसलिए वह झील का आधा रास्ता ही पार कर पाए थे -
31-03
येसु उनकी नाव तक कैसे पहुंचा ?
वह पानी के ऊपर चल कर गया -
31-04
जब शागिर्दों ने पहली बार येसु को देखा तो उन्होंने कैसा रद्देअमल पेश किया ?
वह डर गए थे क्यूंकि उन्होंने सोचा कि वह एक भूत था -
येसु ने उनके डर को सुकून देने के लिए क्या कहा ?
उसने कहा “डरो मत , वह मैं हूँ ” -
31-05
येसु ने पतरस से क्यूँ कहा कि वह पानी पर चलकर उसके पास उसके पास आए ?
क्यूंकि ऐसा करने के लिए पतरस ने उससे अर्ज़ किया था -
31-06
जब उसने अपनी निगाहें येसु से हटालीं तो पतरस ने क्या ग़ौर करना शुरू किया ?
उसने लहरों को देखना शुरू किया और तेज़ हवा का एहसास किया -
31-07
पतरस को क्या हुआ जब वह हवा और लहरों से डर गया था ?
वह पानी में डूबने लगा था -
जब पतरस ने येसु को मदद के लिए पुकारा तो येसु ने क्या किया ?
येसु ने फ़ौरन पतरस को थाम लिया -
पतरस को मलामत करते हुए येसु ने उस से क्या कहा ?
उसने कहा “ऐ कम एत्क़ाद ,तू ने क्यूँ शक किया ?”
31-08
जब येसु नाव पर सवार हुआ तो क्या हुआ ?
तेज़ आंधी चलना बंद हो गई और समुन्दर बिलकुल पुर सुकून होगया -
इस मोजिज़े का शागिर्दों ने किस तरह से रद्देअमल पेश किया ?
उन्होंने येसु को सिजदा किया और कहा ,”फ़िल्हक़ीक़त तू ख़ुदा का बेटा है “