33-02
उस बीज को क्या हुआ जो रास्ते में गिरा था ?
परिंदों ने आकर उन सब को चुग लिया -
33-03
उस बीज का क्या हुआ जो पथरीली ज़मीन पर गिरा ?
वह बहुत जल्द उगा मगर जैसे ही उस पर सूरज की गर्मी पड़ी वह मुरझा गया और सूख गया -
33-04
उस बीज का क्या हुआ जो कटीले झाड़ियों के बीच गिरा ?
वह उगा तो सही मगर झाड़ियों ने बढ़ कर उसे दबा दिया -
33-05
उस बीज का क्या हुआ जो अच्छी ज़मीन पर गिरा ?
वह उगा और खूब बढ़ने लगा , और जिस तरह से बीज बोया गया था उससे कोई तीस गुना , कोई साठ गुना और कोई सौ गुना फल लाया -
33-06
क्या शागिर्द इस बीज की कहानी को समझ पाए थे ?
नहीं – बल्कि वह उलझन में पड़ गए थे -
कहानी में बीज किस की तरफ़ इशारा करता है ?
ख़ुदा के कलाम की तरफ़ -
रास्ता किस की तरफ़ इशारा करता है ?
उस शख़्स की तरफ़ जो कलाम को सुनता तो है मगर समझता नहीं और शैतान आकर उसे लेजाता है -
33-07
पथरीली ज़मीन किस की तरफ़ इशारा करती है ?
वह शख़्स जो कलाम को सुनता और ख़ुशी से कबूल तो कर लेता है मगर मुसीबत और सताव के आने पर वह गिर जाता या भटक जाता है -
33-08
कटीली झाड़ियों की ज़मीन किस की तरफ़ इशारा करती है ?
वह शख़्स जो कलाम को सुनता है मगर वक़्त के गुज़रते दुनिया की फिक्रें , दौलत का फ़रेब (ज़िन्दगी की ख़ुशियाँ) कलाम को और ख़ुदा कि महब्बत को दबा देते हैं -
33-09
अच्छी ज़मीन किस की तरफ़ इशारा करती है ?
वह शख़्स जो कलाम को सुनता है और उस पर ईमान लाता है और वह बहुत सा फल लाता है -