49-01
येसु किस तरह से ख़ुदा और इंसान दोनों है ?
इसलिए कि वह एक कुंवारी औरत से पैदा हुआ था और वह ख़ुदा का भी बेटा था -
49-02
येसु ने कैसे साबित किया कि वह ख़ुदा था ?
उस ने कई एक मोजिज़े किये -
49-03
हमको किस तरह से दूसरे लोगों से मोहब्बत रखनी चाहिए ?
उसी तरह जिस तरह हम ख़ुद से महब्बत करते हैं -
49-04
किसी भी चीज़ से ज़ियादा हमको किससे महब्बत रखनी चाहिए ?
ख़ुदा से -
49-05
सब से ज़ियादा ख़ास बात हर एक शख़्स के लिए क्या है ?
ख़ुदा की बादशाही में शरीक होना -
49-06
जो येसु की ख़ुशख़बरी का इंकार करे उन लोगों का क्या होगा ?
वह ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल न होगा -
49-07
ख़ुदा गुनाहगारों के लिए क्या करना चाहता है
वह उन्हें मुआफ़ करना चाहता है और उन्हें अपने फ़र्ज़न्द बनाना चाह्ता है -
49-08
ख़ुदा किस चीज़ से नफ़रत करता है
गुनाह से
49-10
हमारे गुनाह के सबब से हम ख़ुदा की जानिब से किस चीज़ के मुस्तहक़ हैं ?
हम मौत के मुस्तहक़ हैं -
येसु जब सलीब पर मरा तो वह किस बात का मुस्तहक़ नहीं था जो उसने हासिल किया ?
उसने मेरी सज़ा को हासिल किया -
49-11
येसु की क़ुर्बानी क्यूँ इस क़ाबिल है कि दुनिया के हर शख़्स का गुनाह उठा कर लेजा सकता है ?
इसलिए कि येसु ने कोई गुनाह नहीं किया था -
49-13
कौन सचमुच में बचाए जायेंगे ?
हर वह शख़्स जो येसु पर ईमान लाता और उसे अपना मालिक क़बूल करता है -
49-16
क्या मसीही लोग अभी भी ख़ुदा के दुशमन हैं
नहीं -अब वह ख़ुदा के नज़दीकी दोस्त हैं -
49-17
क्या मसीही लोग अभी भी गुनाह की आज़माइश में पड़ते हैं ?
जी हाँ -
मसीही लोगों को क्या करनी चाहिए जब वह गुनाह करते हैं ?
उन्हें चाहिये कि अपने गुनाहों के लिए ख़ुदा के हुज़ूर तौबा करें -
जब हम अपने गुनाहों से तौबा करते हैं तो ख़ुदा हम से क्या वायदा करता है ?
वह हम को मुआफ़ करने का वायदा करता है और गुनाह के खिलाफ़ लड़ने के लिए हमको क़ुव्वत बख़्शता है -
49-18
वह कौन सी थोड़ी बातें हैं जो ख़ुदा हम मसीहियों से करने को कहता है ?
हमको दुआ करनी चाहिए , उसके कलाम का मुताला करना चाहिए , उसकी इबादत करनी चाहिए , और जो कुछ उस ने हमारे लिए किया है उसे दूसरों को बताना चाहिए -