37-01
येसु ने लाज़र की बीमारी के आख़री अंजाम की बाबत क्या कहा ?
उस ने कहा कि यह ख़ुदा के जलाल के लिए होगा -
लाज़र की बीमारी की बाबत सुनने के बाद येसु ने क्या किया ?
जहाँ पर वह था वहां उसने दो दिन और इंतज़ार किया -
37-02
जब येसु ने यहूदिया जाने का फ़ैसला किया तो शागिर्द लोग क्यूँ फ़िक्ररमंद हुए ?
क्यूंकि लोग वहां पर येसु को मार डालना चाहते थे -
37-03
जब येसु ने कहा कि लाज़र सो गया है तो शागिर्दों ने क्या सोचा ?
उन्हों ने सोचा कि अगर वह सो गया है तो जाग जाएगा -
येसु ने साफ़ तौर से लाज़र की बाबत शागिर्दों से क्या कहा ?
येसु ने कहा कि लाज़र मर गया था
येसु क्यूँ खुश था कि लाज़र के मरते वक़्त वह वहाँ मौजूद नहीं था -
क्यूंकि ऐसा कुछ होने को था जिससे येसु में शागिर्दों का ईमान पुख़्ता हो -
37-04
क्या मार्था का एत्क़ाद था कि येसु लाज़र को ज़िन्दा कर सकता था ?
जी हाँ -
कितने अरसे तक लाज़र मुर्दा पड़ा रहा ?
वह चार दिन तक मरा पड़ा रहा -
37-05
क्यूंकि येसु क़यामत और ज़िन्दगी है तो ईमानदारों का क्या होगा ?
जो कोई उस पर ईमान लाता है चाहे वह मर भी जाए तौ भी जिएगा ; और हर कोई जो उस पर ईमान लाता है वह कभी नहीं मरेगा -
मार्था येसू पर क्या ईमान रखती थी ?
ख़ुदा का बेटा मसीहा -
37-07
लाज़र कितने दिन तक मुर्दा पड़ा रहा ?
वह चार दिन तक मरा पड़ा रहा -
37-09
उसने ऊंची आवाज़ में ख़ुदा बाप का शुक्रिया क्यूँ अदा किया ?
उसने ऐसा इसलिए किया ताकि लोग ईमान लाए कि बाप ने उसे भेजा है -
येसु ने लाज़र को क्या हुक्म दिया ?
उसने लाज़र को हुक्म दिया कि क़ब्र से बाहर निकल आए -
37-11
यहूदियों के रहनुमाओं ने जब इस मोजिज़े को देखा तो उन्हों ने किस तरह रद्दे अमल पेश किया ?
वह उस पर हसद करने लगे और येसु और लाज़र को हलाक कर देना चाहते थे -